Book Title: Agam 38 Chhed 05 Jitkalpa Sutra
Author(s): Jinbhadragani Kshamashraman, Punyavijay
Publisher: Babalchand Keshavlal Modi
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भावनुं स्वरूप अने तेने आश्री तपोदाननुं स्वरूप
૧૭
सूत्र गाथा ६८
सूत्र गाथा ६९-७३
पुरुषना प्रकारो अने तेने आश्री तपोदाननुं स्वरूप
सूत्र गाथा ६९ गीतार्थ, अगीतार्थ, सहनशील, असहनशील, शठ, अशठ, परिणामी, अपरिणामी, अतिपरिणामी पुरुषोनुं स्वरूप सूत्र गाथा ७०
धृतिसंहननोपेत अने हीन, आत्मतर, परतर, उभयतर, नोभयतर अने अन्यतर पुरुषो
सूत्र गाथा ७१
कल्पस्थित अने अकल्पस्थित आदि पुरुषोनुं वर्णन
स्थितशब्दना एकार्थिको
छ प्रकारनी कल्पस्थिति
शय्यातरकल्पनु स्वरूप राजपिण्डकल्पनुं स्वरूप
कृतिकर्मकल्पनुं स्वरूप
व्रतकल्पनुं स्वरूप पुरुष ज्येष्टकल्पनुं स्वरूप प्रतिक्रमणकल्पनुं स्वरूप
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दशप्रकारनो कल्प अने तेनो अवस्थित अनवस्थित तरीकेनो विभाग
आचेलक्यकल्पनुं स्वरूप औद्दे शिक कल्पनुं स्वरूप
१९३८-२२६२
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