Book Title: Agam 38 Chhed 05 Jitkalpa Sutra
Author(s): Jinbhadragani Kshamashraman, Punyavijay
Publisher: Babalchand Keshavlal Modi
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૧૬
तपःप्रायश्चित्तने योग्य कायोत्सर्गभंग कार्यो
त्सर्गअकरण वेगवन्दनादि रात्रिव्यु: त्सर्गादि दिवसशयनादि पदो
१७५३-६० तपःप्रायश्चित्तने योग्य चिरकषाय आसव
लशुनादि तर्णादिबन्धनादि पुस्तकपश्चकतृणपञ्चक-दूष्यपश्चकाप्रतिलेखनादि स्थापनाकुलप्रवेशादि पदो
१७६१-७७ १५० तपःप्रायश्चित्तने योग्य दर्प पञ्चेन्द्रियव्य
परोपण संक्लिष्टकर्म दीर्धाधकल्प ग्लानकल्प आदि पदो
१७७८-८७ १५२ तपःप्रायश्चित्तने योग्य छेदादि अश्रद्धानादि पदो
१७८८-९४ १५३ सूत्र गाथा ६०-७९ सामान्य अने विशेषपणे आपत्ति अने
दानविषयक तपनो द्रव्य क्षेत्र काल भाव पुरुष प्रतिसेवना आदिने आश्री विभाग
१७९५-२२७९ १५४
सूत्र गाथा ६०-६३ तपप्रायश्चित्तने आश्री सामान्य अने विशेष आपत्ति अने दान- स्वरूप १७९५-१८११ १५४
सूत्र गाथा ६४-६५ द्रव्यन स्वरूप अने तेने आश्री तपोदाननो विचार |
१८१२-१९ १५६
सूत्र गाथा ६६ क्षेत्रनुं स्वरूप अने तेने आश्री तपोदाननो विचार
१८२०-२३ १५६
सूत्र गाथा ६७ कालतुं स्वरूप अने तेने आश्री तपोदाननुं विस्तृत वर्णन
१८२४-१९३३ १५७
१८२०-२३
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