Book Title: Agam 38 Chhed 05 Jitkalpa Sutra
Author(s): Jinbhadragani Kshamashraman, Punyavijay
Publisher: Babalchand Keshavlal Modi
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शैका विषयक चतुर्भङ्गी
१४७८ १२६ म्रक्षित दोष
१४९१-१५११ ૧૨૭ निक्षिप्त दोष
१५१२-४५ १२९ पिहित दोष
१५४६-५७ संहृत दोष
१५५८-६७ १३२ दायक दोष
१५६८-८२ उन्मिश्र दोष
१५८३-८६ अपरिणत दोष
१५८७-९३ लिप्त दोष
१५९४-९९ १३५ छर्दित दोष
१६००-४ ग्रासैषणानुं स्वरूप
१६०५-२० १३६ संयोजना दोष
१६११-२१ १३६ प्रमाण दोष
१६२२-४२ अंगार दोष
१६४३-४८ १३९ धूम दोष कारण दोष
१६५६-७० उपसंहारादि
१६७१-७९ सूत्र गाथा ३६-४४ पिण्ड विशुद्धि विषयक अतिचारोने आश्री प्रायश्चित्त
१६८०-१७१९ १४२ सूत्र गाथा ४५-५९ तपःप्रायश्चित्तने योग्य धावल डेपन संघर्ष गमन क्रीडा उत्कृष्ट गीत सेण्टिका जीवरूतादि पदोनुं स्वरूप
१७२०-२४ १४६ तपःप्रायश्चित्तने योग्य जघन्य मध्यम उत्कृष्ट उपधिने आश्री विच्युत विस्मृत अप्रेक्षित
अनिवेदन आदि पदोनुं स्वरूप १७२५-४१ १४७ तपःप्रायश्चित्तने योग्य कालातीतकरण
अध्यातीतकरण तत्परिभोग पानासंवरण भूमित्रिकाप्रेक्षण आदि पदो १७४२-५२ १४८
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