Book Title: Agam 28 Prakirnaka 05 Tandul Vaicharik Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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||परिसंखा लक्खपहुसेच उक्कोसा॥२॥पणपण्णाय परेणं जोणी पमिलायए महिलियाणीपणसत्तरीय परओ वासेहि पुमं भवेऽबीओ// | ॥३॥ वाससयाउयमेयं परेण जा होइ पुव्वकोडीओ। तस्सद्धे अमिलाया सव्वाउयवीसभागो 3 ॥४॥ रत्तुक्कडा य इत्थी लक्खपुहत्तं
च बारस मुहुत्ता। पिउसंख सयपुहुत्तं बारस वासा 3 गभस्स॥५॥ दाहिणकुच्छी पुरिसस्स होइ वामा 3 इस्थियाए 3) उभयंतरं नपुंस तिरिए अद्वैव वरिसाई ॥६॥ इमो खलु जीवो अम्मापिउसंयोगे माऊयोयं पिउसुझं तं तदुभयसंसर्ल्ड कलुसं किव्विसं तप्पढमयाए आहार आहारित्ता गब्भत्ताए वक्कमइ।१(२) सत्ताहं कललं होइ, सत्ताहं होइ अब्बुयं । अब्बुया जायए पेसी, पेसीओविधणं भवे ॥७॥तो पढमे मासे करिसूणं पलं जायइ बीए मासे पेसी संजायए घणा तईए मासे माउए डोहलं जणेइ चउत्थे मासे माऊए अंगाई पीणेइ पंचमे मासे पंच पिंडियाओ पाणिं पायं सिरं चेव व्वत्तेइ छठे मासे पित्तसोणियं उवचिणेइ सत्तमे मासे सत्त सिरासयाई पंच पेसीसयाई नव धमणीओ नवनउयं च रोमकूवसयसहस्साई निव्वत्तइ, विणा केसमंसुणा अद्भुट्ठाओ रोमकूवकोडीउ निव्वत्तेइ, अट्ठमे मासे वित्तीकप्पो हवइ १२॥ जीवस्स णं भंते ! गब्भगयस्स समाणस्स अत्थि उच्चारेइ वा पासवणेइ वा खेलेइ वा सिंधाणेइ वा वंतेइ वा०?, णो इणद्वे समढे, से केण्डेणं भंते! एवं वुच्चइ जीवस्स गब्भगयस्स समाणस्स नत्थि उच्चारेइ वा जाव सोणिएइ वा?, गो०! जीवे णं गब्भगए समाणे जं आहारमाहारेइ तं चिणाइ सोइंदियत्ताए चक्खु० धाणिंदि० जिभिं० फासिं० अट्ठिअद्विमिजकेसमंसुरोमनहत्ताए, से एएणं अटेणं गो०! एवं वुच्चइ जीवस्स णं गब्भगयस्स समाणस नत्य् िउच्चारेइ वा जाव सोणिए वा जीवेणं भंते! गब्भगए समाणे पहू ॥श्री नन्दुलवैचारिक सूत्र
| पू. सगरजी म. संशोधित
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