Book Title: Agam 28 Prakirnaka 05 Tandul Vaicharik Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 24
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir | नालिया छिद्दं ॥ ३ ॥ अहवा उ पुच्छवाला दुवासजायाए गयकरेणूए। दो वाला उ अभग्गा नायव्वं० ॥ ४ ॥ अहवा सुवण्णमासा चत्तारि | सुवट्टिया घणा सूई । चउरंगुलप्पमाणा नायव्वं० ॥ ५ ॥ उदगस्स नालिआए भवंति दो आढयाउ परिमाणी उदगं च भाणियव्वं जारिसयं तं पुणो वुच्छं ॥ ६ ॥ उदगं खलु नायव्वं कायव्वं दूसपट्टपरिपूयं । मेहोदगं पसन्नं सारइयं वा गिरिनईए ॥ ७॥ बारस मासा संवच्छरो उ पक्खा य ते उ चउवीसं । तिन्नेव य सद्विसया हवंति राइंदिआणं च ॥ ८ ॥ एगं च सयसहस्सं तेरस चेव य भवे सहस्साइं । एवं च सयं नउयं हवंति राइदिऊसासा ॥ ९॥ तित्तीसा सयसहस्सा पंचाणऊई भवे सहस्साई । सत्त य सया अणूणा हवंति मासेण ऊसासा ॥ ७० ॥ चत्तारिय कोडीओ सत्तेव य हुति सयसहस्साई । अडयाली ससहस्सा चत्तारि सया य वरिणं ॥ १ ॥ चत्तारि य कोडीसया सत्त य कोडीउ हुति अवराओ। अड्यालसयसहस्सा चत्तालीसं सहस्सा य॥ २ ॥ वाससयाउनराणं उस्सासा इत्तिया मुणेयव्वा । पिच्छह आउस्स खयं अहोनिसं झिज्झमाणस्स ॥ ३ ॥ राईदिएण तीसं तु मुहुत्ता नव सया य मासेणं। हायंति पमत्ताणं न य णं अबुहा वियाणंति ॥ ४ ॥ तिन्नि सहस्से सगले छच्च सए उडुवरो हरइ आउं| हेमंते गिम्हासु य वासासुय होइ नायव्वं ॥ ५॥ वासस्यं परमाउं इत्तो पन्नास हरइ निद्दाए| इत्तो वीसइ हायइ बालत्ते वुड्ढभावे य॥ ६ ॥ सीउण्हपंथगमणे खुहा पिवासा भयं च सोगे य । नाणाविहा य रोगा तीसाइ हरइ पच्छद्धे ॥ ७॥ एवं पंचासीई नट्ठा पन्नरसमेव जीवंति। जे हुति वाससइया न य सुलहा वाससयजीवा ॥ ८॥ एवं निस्सारे माणुसत्तणे जीविए अहिवडते । न करेह चरणधम्मं पच्छा पच्छाणुतपिहि ॥ ९ ॥ घुट्ठम्मि संयमोहे जिणेहिं वरधम्मतित्थमग्गस्स । अत्ताणं च न ॥ श्री तन्दुलवैचारिक सूत्रं ॥ १३ पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

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