Book Title: Agam 28 Prakirnaka 05 Tandul Vaicharik Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 25
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir याणह इह जाया कम्मभूमीए ॥८०॥ नइवेगसमं चवलं जीवियं जोव्वणं च कुसुमसभा सुक्खं च जमनियत्तं तित्रिवि तुरमाणभुजाई| ॥१॥एयं खु जाभरणं परिखिवई वगुरा व मियजूह। न य णं पिच्छह पत्तं संभूढा मोहजालेणं॥२॥आउसो ! जंपि इदं सरीरं पियं कतं मणुण्ण मणाममणाभिरामं थेज वेसासियं समयं बहुमयं अणुभयं भंडकरडगसमाण रयणकरंडओविव सुसंपरिग्गहियं तिलपेडाविव सुसंगोवियंमा णं उण्हं माणं सीयं माणं खुहा माणं पिवासा मा णं वाला माणं दंसा माणं मसगा माणं वाइयपित्तियसिंभियसंनिवाइया विविहा रोगायंका फुसंतुतिकटु, एवंपियाई अधुवं अनिययं असासयंचओवचइयं विपणासम्म पच्छा व पुराव अवस्स विष्पचइयवं, एवयस्सवियाई आउसो! अणुपुव्वेणं अट्ठारसय पिढकरंडगसंधीओ बारस पंसुलिकरंडया छप्पंसुलियकडाहे बिहित्थया कुच्छी चउरंगुलिया गीवा चउपलिया जिब्मा दुपलियाणि अच्छीणि चउकवाल सिरं बत्तीसं दंता सत्तंगुलिया जीहा अद्भुट्ठपलियं हिय्यं पणवीसं पलाई कालिज, दो अंता पंचवामा पं० २० -थूलते,य तणुअंते य, तत्थ् णं जे से थूलते तेणं उच्चारे परिणमइ, तत्थ णं जे से तणुयंते तेणं पासवणे परिणमइ, दो पासा पं० २०-वामे पासे दाहिणे पासे य, तत्थ्णं जे से वामे पासे से सुहपरिणामे, तत्थ णंजे से दाहिणे पासे से दुहपरिणामे, आउसो! इममि सरीरए सढि संधिसयं सत्तुतरं मम्मसयं तिन्नि अट्ठिदामसायई नव हारूयसयाई सत्त सिरासयाई पंच पेसीसयाई नव धमणीउ नवनइं च रोमकूवसयहस्साई विणा केसमंसुणा, सह केसमंसुणा अटुटाउ रोमकूवकोडीओ, आउसो ! इमंमि सरीरए सद्धि सिरासयं नाभियभवाणं उड्वगामिणीणं सिरमुवागयाणं जाउ रसहरणीओत्ति वुच्चंति, जासिं णं निरूवधातेणं, ॥श्री नन्दुलवैचारिक सूत्र | पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

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