Book Title: Agam 28 Prakirnaka 05 Tandul Vaicharik Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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|दुक्खरक्ख्यिओ अइविसाओ ६० दुगुंछियाओ दुरूवचराओ अगंभीराओ अविस्ससणिज्जाओ अणवत्थियाओ दुक्खरक्खियाओ|| दुक्खपालियाओ अइकराओ कक्कसाओ दढवेराओ ७० रुवसोहग्गमउम्मताओ भुयगगइकुडिलहिययाओ कंतारगइट्ठाणभूयाओ कुलसयणमित्तभेयणकारियाओ परदोसपगासियाओ कयग्धाओ बलसोहियाओ एगंतहरण कोलाओ चंचलाओ जाइयभंडोवगारोविव (उच्चभंडोबरागो इव) मुहारागविरागाओ ८० अवियाई ताओ (अण) अंतरं भंगसयं अरज्जुओ पासो अदारूया अडवी अणालस्सनिलओ अणइक्खा वेयरणी अनामिओ वाही अविओगो विष्पलावी अरू उवसग्गो रइवंतो चित्तविब्भमो सव्वंगओ दाहो |९० अणब्भप्पसूया (५० अणब्मा ) वज्जासणी असलिलप्पवाहों समुद्दरओ ९१, अवियाई इथिआणं अणेगाणि नामनिरुत्ताणि पुरिसे कामरागप्पडिबद्धे नाणाविहेहिं उवायसयसहस्सेहिं वहबंधणमाणयंति, पुरिसाणं नो अन्नो एरिसो अरी अस्थिति नारीओ, तं०-नारीसमा न नराणं अरीओ नारीओ, नाणाविहेहिं कस्मेहिं सिप्पाइएहिं पुरिसे मोहंतित्ति महिलाओ, पुरिसे मत्ते तित्ति पमयाओ, महंतं कलिं जणयंतित्ति महिलियाओ, पुरिसे हावभावमाइएहिं रमंतित्ति रामाओ, पुरिसे अंगाणुराए करितित्ति अंगणाओ, नाणाविहेसु जुद्धभंडणसंगामाडवीसु मुहारणगिण्हणसीउण्हदुक्खक्लेिसमाइएसु पुरिसे लालंतित्ति ललणाओ, पुरिसे जोगनिओएहिं वसे ठावितित्ति जोसियाओ, पुरिसे नाणाविहेहिं भावेहिं वण्णितित्ति वणिआओ, काई पमत्तभावं काई पणयं सविब्भमं काई सामिव्व ववहरंति काई सत्तुव्व रोरो इव काई प्य(ण)एसुपणमंति काई उवणएसु उवणमंतिकाई कोउयनम्मंतिकाउंसुकडक्खनिरिक्खएहिं सविलासमखैरेहि ॥ श्री तन्दुलवैचारिक सूत्र
पू. सागरजी म. संशोधित
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