Book Title: Agam 28 Prakirnaka 05 Tandul Vaicharik Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

View full book text
Previous | Next

Page 33
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www. kobetirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ||यसययं पारत्तबिइज्जओ धम्मो ॥४॥अभररेसु अणोवमरूवं भोगोवभोगरिद्धी याविन्नाणनाणमेव यलब्भइ सुकरण धम्मेणं॥५॥|| देविंदचक्वट्टित्तणाई रज्जाई इच्छिया भोगा। एयाई धम्मलामा फलाई जं वावि निव्वाणं॥ ६॥ आहारो उस्सासो संधिछिराओ य रोमकूवाई। पित्तं रुहिरं सुकं गणियप्पहाणेहिं ॥ ७॥ एयं सोउं सरीरस्स वासाणं गणिय पागडमहत्यी मुक्खएउमस्स ईहह सम्भत्तसहस्सपत्तस्स ॥८॥एयं सगडसरीरं जाइजरामरणवेयणाबहुलीतह धृत्तह काउं जे जह मुच्चह सव्वदुक्खाणं॥१३९॥१-२०५८६॥ इति तन्दुलवैचारिकप्रकीर्णकम सम्मत्तं ५॥ प्रभु महावीर स्वामीनीपट्ट परंपरानुसार कोटीगण-वैरी शाखा- चान्द्रकुल प्रचंड प्रतिभा संपन्न, वादी विजेता प्रमोपास्य पू. मुनि श्री झवेरसागरजी म.सा. शिष्य बहुश्रुतोपासक-सैलाना नरेश प्रतिबोधक-देवसूर तपागच्छ-समाचारी संरक्षक-आगमोध्धारक पूज्यपाद आचार्य देवेश श्री आनंदसागर सूरीश्वरजी महाराजा शिष्य प्रौढ़ प्रतापी, सिध्धचक्रआराधक समाज संस्थापक पूज्यपाद आचार्य श्री चन्द्रसागर सूरीश्वरजी म.सा. शिष्य चारित्र चूडामणी, हास्यविजेतामालवोधारक महोपाध्याय श्री धर्मसागरजी म.सा. शिष्य आगमविशारद-नमस्कार महामंत्र समाराधक पूज्यपाद पंन्यासप्रवर श्री अभयसागरजी म.सा. शिष्य शासन प्रभावक-नीडर वक्ता पू. आ. श्री अशोकसागर सूरिजी म.सा. शिष्य परमात्म भक्तिरसभूत पू. आ. श्री जिनचन्द्रसागर सू.म.सा. लघु गुरु भ्राता प्रवचन प्रभावक पू. आ. श्री हेमचन्द्रसागर सू.म. शिष्य पू. गणिवर्य श्री पूर्णचन्द्र सागरजी म.सा. आ आगमिक सूत्र अंगे सं.२०५८/५९/६० वर्ष दरम्यान संपादन कार्य माटे महेनत की प्रकाशक दिने पू. सागरजी म. ॥ श्री तन्दुल्वैचारिक सूत्र। पू. सागरजी म. संशोधित For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 31 32 33 34 35 36 37