Book Title: Agam 28 Prakirnaka 05 Tandul Vaicharik Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay

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Page 23
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मझिमे कुंभे आढगसयं उक्कोसए० अडेक्य आढगसयाणि वाहे, एएणं वाहप्यमाणेणं अद्धत्तेवीसं तंदुलवाहे भुंजइ, ते य गणियनिद्दिवा|| चत्तारि य कोडिसया सर्व्हि चेव य हवंति कोडीओ।असीइंच तंदुल्सयसहस्साणि हवंतित्तिमक्खाय॥५॥तं एवं अद्धतेवीसं तंदुलवाहे| भुंजतो अद्धद्धे मुग्गकुंभे भुंजइ, अद्धछठे भुग्गकुंभे भुंजतो चवीसं हाढगसयाई भुंजइ, चउवीसं हाढवसयाई भुंजतो छत्तीस लवणपलसहस्साई भुंजइ, छत्तीसं लवणपलसहस्साई भुंजतो छप्पडसाडगसयाई नियंसेइ दोमासिएणं परिअट्टएणं, मासिएण वा परियट्टेणं बारस पडसाडगसयाई नियंसेइ, एवामेव आउसो! वाससयाउयस्स सव्वं गणियं तुलियं मवियं नेहलवणभोयणच्छायणंपि, एयं गणियप्यमाणं दुविहं भणियं महरिसीहि, जस्सऽत्थि तस्स गणिजइ, जस्स नत्थि तस्स किं गणिजइ?, ववहारगणिअदि8 सुहुमं| निच्छयगयं मुणेयव्वीजइ एयं नवि एवं विसमा गणणा मुणेयव्वा॥६॥कालो परमनिरुद्धो अविभजो तं तु जाण समयं तु समया यां असंखिज्जा हवंति उस्सासनिस्सासे॥७॥ हट्ठस्स अणवगलस्स, निरुवकिट्ठस्स जंतुणो एगे ऊसासनीसासे, एस पाणुत्ति वुच्चइ ॥८॥ सत्त पाणूणि से थोवे, सत्त थोवाणि से लोलवाणं सत्तहत्तरीए, एस मुहुत्ते वियाहिए ॥९॥ एगमेगस्सणं भंते! मुहत्तस्स केवइया ऊसासा वियाहिया?, गो० तिन्नि सहस्सा सत्त य सयाई तेवत्तरि च ऊसासा एस मुहुत्तो भणिओ सव्वेहिं अणंतनाणीहि ॥६०॥दो|| नालिया मुहत्तो सद्धिं पुण नालिया अहोरत्तो। पन्नरस अहोरत्ता पक्खो पक्खा दुवे मासो॥१॥दाडिमपुष्फागारा लोहमई नालिआ 3 कायवा। तीसे तलम्मि छिदं छिद्दपमाणं पुणोवोच्छं॥२॥छन्नई पुच्छवाला तिवासजायाए गोतिहाणीए अस्संवलिया उजुय नायव ||श्री तन्दुलवैचारिक सूत्र पू. सागरजी म. संसोधित For Private And Personal Use Only

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