Book Title: Agam 28 Prakirnaka 05 Tandul Vaicharik Sutra Shwetambar
Author(s): Purnachandrasagar
Publisher: Jainanand Pustakalay
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सुकरूहिरागाओ जस्सुपत्ती सरीरस्स॥९॥एयारिसे सरीरे कलमलभरिए अमिन्झसंभूए। निययं विगणितं सोयमयं केरिसं तस्स?॥|| ३०॥आउसो! एवं जायस्स जंतुस्स कमेण दस दसाओ एवमाहिज्जति, तं० बाला किड्डा मंदा बलाय पन्ना य हायणि पवंचा। पब्भारा मुम्मुही सायणी य दसमा य कालदसा ॥१॥जायमित्तस्स जंतुस्स, जा सा पढमिया दसान तत्थ भुंजिउं (जई) भोए, जड़ से अस्थि
किड्डया नाम, जं नरो दसमस्सिओ।किड्डारमणभावेण, दुलहं गमइ नभवं ॥३॥तईयाए मंदया नाम, जं० मंदस्स मोहभावेण, इत्थीभोगेहिं मुच्छिओ ॥ ४॥ (५० न तत्थ सुहं दुक्खं वा , बहुं जाणंति बालया ॥ १॥ बिइयं च दसं पत्तो, नाणाकीलाहिं कीडईन य से कामभोगेसु, तिव्वा उप्जई रई॥२॥ तइअंच दसंपत्तो, पंचयामगुणो नरो।समत्थो भुंजिउ भोए, जइ से अस्थि घरे धुवा ॥३॥) चउत्थी उ बलानाम, जंसमत्थो बलं दरिसेउ, जइ सो भवे निरुवहवो ॥६॥ पंचमी तु दसं पत्तो, आणुपुव्वीइ जो नरो समत्थोऽत्थं विचिंतेडे, कुडुंब चाभिगच्छइ ॥६॥छट्ठी उ हायणी नाम, जं० विरजई अ कामेसु, इंदिएसु पहायई॥७॥सत्तभी य पवंचा 3, जी०निच्छुभइ चिक्कणं खेलं, खासई यखणे खणे ॥८॥संकुइअवलीचमो, संपत्तो अहमिंदसो नारीणं च अणिहो य, जराए,परिणामिओ॥९॥ नवमी मुम्भुहीनाम, जं नरो दसमस्सिओ। जराघरे विणस्संते, जीवो वसइ अकामओ | ॥४०॥हीणभिन्नसरो दीणो, विवरीओ विरूवओ।दुब्बलो दुक्खिओ सुथइ, संपत्तो दसभिं दसं ॥१॥दसगस्स उवक्खेवो वीसइवरिसा 3 गिण्हई विजी भोगा य तीसगस्स य चत्तालीसस्सय विन्नाणं ॥२॥ पन्नासयस्स चक्खं हायइ सद्विमयस्स बाहुबली भोगाय ॥ श्री तन्दुलवैचारिक सूत्र
पू. सागरजी म. संशोधित
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