Book Title: Agam 27 Chhed 04 Dashashrutskandh Sutra Aayaro Dasha Sthanakvasi
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Agam Anuyog Prakashan

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Page 5
________________ সgীয় आगम अनुयोग प्रकाशन का उद्देश्य मुमुक्षु एवं जिज्ञासुजनों के स्वाध्याय के लिए सर्वसाधारण जनोपयोगी मागम-संस्करण प्रस्तुत करना रहा है और इस दिशा में अब तक जैनागम-निर्देशिका, अनुयोगवर्गीकरण तालिका युक्त सानुवाद स्थानांग-समवायांग एवं गणितानुयोग का प्रकाशन हुआ है। ___ वर्तमान में मूलसुत्ताणि के द्वितीय संस्करण का तथा सानुवाद छेदसुत्ताणि के प्रथम संस्करण का प्रकाशन हो रहा है, साथ ही स्वाध्यायसुधा के प्रथम संस्करण का प्रकाशन भी। इसमें दशवफालिक, उत्तराध्ययन, नन्दीसूत्र मूलपाठ तथा भक्तामर स्तोन आदि स्तोत्र एवं तत्त्वार्थ सूत्र आदि कुछ दार्शनिक ग्रन्थों के मूलपाठ भी दिए गए हैं । चार छेदसूत्रों में प्रथम छेदसूत्र प्रस्तुत आयारदशा है, इसका अपर नाम दशा तस्कन्ध भी है, हिन्दी अनुवाद सहित स्वाध्याय के लिए प्रस्तुत है। ____ इसी प्रकार सानुवाद प्रत्येक छेदसूत्र पृथक्-पृथक् जिल्दों में और सानुवाद चारों छेदसूत्र एक जिल्द में भी प्रकाशित करने का आयोजन है। स्थानकवासी समाज में अनेक जगह स्वाध्याय संघ स्थापित हुए हैं, और हो भी रहे हैं सामूहिक आध्यात्मिक साधना के लिए यह विकासोन्मुख प्रयास है। स्वाध्यायशील सदस्यों के स्वाध्याय के लिए यह संस्करण उपयोगी सिद्ध होगा, अर्थात् इससे धार्मिक (आत्मिक) ज्ञान की अभिवृद्धि होगी। प्रस्तुत संस्करण की एक विशेषता यह है कि दशाश्रुतस्कन्ध का आठवां अध्ययन "पज्जोसवणा कप्पदशा" जो वर्तमान में प्रख्यात कल्पसूत्र का समाचारी विभाग है, आयारदशा के आठवें अध्ययन के स्थान में ही प्रकाशित किया गया है। इस संस्करण के मुद्रण सौन्दर्य के लिए हमें श्रीमान् श्रीचन्द जी सुराणा "सरस" का उदार सहयोग प्राप्त हुआ है। इसके लिए अनुयोग प्रकाशन परिषद् उनका हृदय से आभार मानती है । मन्त्री आगम अनुयोग प्रकाशन सांडेराव (राजस्थान)

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