Book Title: Agam 18 Jambudwippragnapti Sutra Hindi Anuwad
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar

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Page 87
________________ आगम सूत्र १८, उपांगसूत्र-७, 'जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति' वक्षस्कार/सूत्र वक्षस्कार-७- "ज्योतिष्क' सूत्र- २५०,२५१ भगवन ! जम्बूद्वीप में कितने चन्द्रमा उद्योत करते थे? उद्योत करते हैं एवं करते रहेंगे? कितने सूर्य तपते थे ? तपते हैं और तपते रहेंगे ? इत्यादि प्रश्न । गौतम ! जम्बूद्वीप में चन्द्र उद्योत करते थे । करते हैं तथा करेंगे । दो सूर्य तपते थे, तपते हैं और तपते रहेंगे । ५६ नक्षत्र योग करते थे, करते हैं एवं करते रहेंगे । १७६ महाग्रह परिभ्रमण करते थे, करते हैं तथा करते रहेंगे। १३३९५० कोड़ाकोड़ी तारे शोभित थे, शोभित हैं और शोभित होंगे। सूत्र-२५२ ___ भगवन् ! सूर्य-मण्डल कितने हैं ? गौतम ! १८४, जम्बूद्वीप में १८० योजन क्षेत्र का अवगाहन कर आगत क्षेत्र में ६५ सूर्य-मण्डल हैं । लवणसमुद्र में ३३० योजन क्षेत्र का अवगाहन कर आगत क्षेत्र में ११९ सूर्यमण्डल हैं। इस प्रकार जम्बूद्वीप तथा लवणसमुद्र में १८४ सूर्य-मण्डल होते हैं। सूत्र-२५३ भगवन् ! सर्वाभ्यन्तर सूर्य-मण्डल से सर्वबाह्य सूर्य-मण्डल कितने अन्तर पर हैं ? गौतम ! ५१० योजन के अन्तर पर है। सूत्र-२५४ __ भगवन् ! एक सूर्य-मण्डल से दूसरे सूर्य-मण्डल का अबाधित-कितना अन्तर है ? गौतम ! दो योजन का है सूत्र-२५५ भगवन् ! सूर्य-मण्डल का आयाम, विस्तार, परिक्षेप तथा बाहल्य-कितना है ? गौतम ! लम्बाई-चौड़ाई ४८/६१ योजन, परिधि उससे कुछ अधिक तीन गुणी तथा मोटाई २४/६१ योजन है । सूत्र-२५६ भगवन् ! सर्वाभ्यन्तर सूर्य-मण्डल जम्बूद्वीप स्थित मन्दर पर्वत से कितनी दूरी पर है ? गौतम ! ४४८२० योजन की दूरी पर है । सर्वाभ्यन्तर सूर्य-मण्डल से दूसरा सूर्य-मण्डल ४४८२२-४८/६१ योजन की दूरी पर है । सर्वाभ्यन्तर सूर्य-मण्डल से तीसरा सूर्य-मण्डल ४४८२५-३५/६१ योजन की दूरी पर है । यो प्रति दिन रात एक-एक मण्डल के परित्यागरूप क्रम से निष्क्रमण करता हुआ-सूर्य तदनन्तर मण्डल से तदनन्तर मण्डल-संक्रमण करता हुआ एक-एक मण्डल पर २-४८/६१ योजन दूरी की अभिवृद्धि करता हुआ सर्वबाह्य मण्डल पर पहुँच कर गति करता है। सर्वबाह्य सूर्य-मण्डल जम्बूद्वीप-स्थित मन्दर पर्वत से ४५३३० योजन की दूरी पर है । सर्वबाह्य सूर्यमण्डल से दूसरा बाह्य सूर्य-मण्डल ४५३२७-१३/६१ योजन की दूरी पर है । सर्वबाह्य सूर्य-मण्डल से तीसरा बाह्य सूर्य-मण्डल ४५३२४-२६/६१ योजन की दूरी पर है । इस प्रकार अहोरात्र-मण्डल में परित्यागरूप क्रम से जम्बूद्वीप में प्रविष्ट होता हुआ सूर्य तदनन्तर मण्डल में तदनन्तर मण्डल पर संक्रमण करता हुआ-एक-एक मण्डल पर २४८/६१ योजन की अन्तर-वृद्धि कम करता हुआ सर्वाभ्यन्तर-मण्डल पर पहुँच कर गति करता है। सूत्र-२५७ भगवन् ! जम्बूद्वीप में सर्वाभ्यन्तर सूर्य-मण्डल का लम्बाई-चौड़ाई तथा परिधि कितनी है ? गौतम ! लम्बाई-चौड़ाई ९९६४० योजन तथा परिधि कुछ अधिक ३१५०८९ योजन है । द्वितीय आभ्यन्तर सूर्य-मण्डल की लम्बाई-चौड़ाई ९९६४५-३५/६१ योजन तथा परिधि ३१५१०७ योजन है । तृतीय आभ्यन्तर सूर्य-मण्डल की लम्बाई-चौड़ाई ९९६५१-६/६१ योजन तथा परिधि ३१५१२५ योजन है । उक्त क्रम से निष्क्रमण करता हुआ सूर्य पूर्व मण्डल से उत्तर मण्डल पर उपसंक्रान्त होता हुआ-एक-एक मण्डल पर ५-३५/६१ योजन की विस्तार-वृद्धि करता हआ तथा अठारह योजन की परिक्षेप-वृद्धि करता हुआ सर्वबाह्य मण्डल पर पहुँचता है । सर्वबाह्य सूर्यमुनि दीपरत्नसागर कृत् "(जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद" Page 87

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