Book Title: Agam 18 Jambudwippragnapti Sutra Hindi Anuwad
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar

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Page 104
________________ आगम सूत्र १८, उपांगसूत्र - ७, 'जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति' सूत्र - ३६४ भगवन् ! जम्बूद्वीप 'जम्बूद्वीप' क्यों कहलाता है ? गौतम ! जम्बूद्वीप नामक द्वीप में स्थान-स्थान पर बहुत से जम्बू वृक्ष हैं, जम्बू वृक्षों से आपूर्ण वन हैं, वन-खण्ड हैं- वे अपनी सुन्दर लुम्बियों तथा मञ्जरियों के रूप में मानो शिरोभूषण-धारण किये रहते हैं । वे अपनी श्री द्वारा अत्यन्त शोभित होते हुए स्थित हैं। जम्बू सुदर्शना पर परम ऋद्धिशाली, पल्योपम-आयुष्ययुक्त अनाहत नामक देव निवास करता है । गौतम ! इसी कारण वह जम्बूद्वीप कहा जाता है। सूत्र - ३६५ आर्य जम्बू ! मिथिला नगरी में मणिभद्र चैत्य में बहुत-से श्रमणों, श्रमणियों, श्रावकों, श्राविकाओं, देवों, देवियों की परिषद् के बीच श्रमण भगवान् महावीर ने शस्त्रपरिज्ञादि को ज्यों श्रुतस्कन्धादि में जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति का आख्यान किया-भाषण किया, निरूपण किया, प्ररूपण किया । विस्मरणशील श्रोतृवृन्द पर अनुग्रह कर अर्थ, तात्पर्य, हेतु, प्रश्न, पृष्ट अर्थ के प्रतिपादन, कारण तथा व्याकरण स्पष्टीकरण द्वारा प्रस्तुत शास्त्र का बार बार उपदेश किया । वक्षस्कार- ७ का मुनि दीपरत्नसागरकृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण १८ - जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति-उपांगसूत्र-७ का मुनि दीपरत्नसागरकृत् हिन्दी अनुवाद पूर्ण वक्षस्कार / सूत्र मुनि दीपरत्नसागर कृत् " (जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति)" आगमसूत्र - हिन्द- अनुवाद" Page 104

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