Book Title: Agam 18 Jambudwippragnapti Sutra Hindi Anuwad
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Dipratnasagar, Deepratnasagar

View full book text
Previous | Next

Page 92
________________ आगम सूत्र १८, उपांगसूत्र-७, 'जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति' वक्षस्कार/सूत्र भाग के ७ भागों में से १ भाग योजनांश विस्तारवृद्धि करता हुआ तथा २३० योजन परिधिवृद्धि करता हुआ सर्वबाह्य मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है। भगवन् ! सर्वबाह्य चन्द्र-मण्डल की लम्बाई-चौड़ाई तथा परिधि कितनी बतलाई गई है ? गौतम ! १००६६० योजन तथा उसकी परिधि ३१८३१५ योजन है । द्वितीय बाह्य चन्द्र-मण्डल की लम्बाई-चौड़ाई १००५८७९/६१ योजन तथा ६१ भागों में विभक्त एक योजन के एक भाग के ७ भागों में से ६ भाग योजनांश तथा उसकी परिधि ३१८०८५ योजन है । इस क्रम से प्रवेश करता हुआ चन्द्र पूर्व मण्डल से उत्तर मण्डल का संक्रमण करता हुआ प्रत्येक मण्डल पर ७२-५१/६१ योजन तथा ६१ भागों में विभक्त एक योजन के एक भाग के ७ भागों में से १ भाग योजनांश विस्तारवृद्धि कम करता हआ तथा २३० योजन परिधिवृद्धि कम करता हुआ सर्वाभ्यन्तर मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है। सूत्र-२७५ भगवन् ! जब चन्द्र सर्वाभ्यन्तर मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है, तब वह प्रतिमुहर्त कितना क्षेत्र पार करता है ? गौतम ! ५०७३-७७४४/१३७२५ योजन । तब वह यहाँ स्थित मनुष्यों को ४७२६३-२१/६१ योजन की दूरी से दृष्टिगोचर होता है। जब चन्द्र दूसरे आभ्यन्तर मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है, तब प्रतिमुहर्त्त ५०७७-३६७४/१३७२५ योजन क्षेत्र पार करता है । इस क्रम से निष्क्रमण करता हुआ चन्द्र प्रत्येक मण्डल पर ३९६५५/१३७२५ मुहूर्त-गति बढ़ाता हुआ सर्वबाह्य मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है । भगवन् ! जब चन्द्र सर्वबाह्य मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है, तब वह प्रतिमुहर्त कितना क्षेत्र पार करता है ? गौतम ! ५१२५ -६६६०/१३७२५ योजन । तब यहाँ स्थित मनुष्यों को वह ३१८३१ योजन की दूरी से दृष्टिगोचर होता है । जब चन्द्र दूसरे बाह्य मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करता है, तब वह प्रतिमुहूर्त ५१२१-११६०/१३७२५ योजन क्षेत्र पार करता है । इस क्रम से निष्क्रमण करते हुए सूर्य का गणित पूर्ववत् जानना। सूत्र-२७६ भगवन् ! नक्षत्रमण्डल कितने बतलाये हैं ? गौतम ! आठ । जम्बूद्वीपमें १८० योजन क्षेत्र का अवगाहन कर दो नक्षत्रमण्डल हैं । लवणसमुद्र में ३३० योजन क्षेत्र का अवगाहन कर छ नक्षत्रमण्डल हैं | सर्वाभ्यन्तर नक्षत्रमण्डल से सर्वबाह्य नक्षत्रमण्डल ५१० योजन की अव्यवहित दूरी पर है । एक नक्षत्रमण्डल से दूसरे नक्षत्रमण्डल की दूरी अव्यवहित रूपमें दो योजन है । नक्षत्रमण्डल की लम्बाई-चौड़ाई दो कोस, परिधि लम्बाई-चौड़ाई से कुछ अधिक तीन गुनी तथा ऊंचाई एक कोस है । जम्बूद्वीप में मेरु पर्वत से सर्वाभ्यन्तर नक्षत्रमण्डल अव्यवहित रूप में ४४८२० योजन की दूरी पर है । और सर्वबाह्य नक्षत्रमण्डल अव्यवहित रूप में ४५३३० योजन की दूरी पर है। भगवन् ! सर्वाभ्यन्तर नक्षत्रमण्डल की लम्बाई-चौड़ाई तथा परिधि कितनी है ? गौतम ! सर्वाभ्यन्तर नक्षत्र मण्डल की लम्बाई-चौड़ाई ९९६४० योजन तथा परिधि कुछ अधिक ३१५०८९ योजन है । सर्वबाह्य नक्षत्रमण्डल की लम्बाई-चौड़ाई १००६६० योजन तथा ३१८३१५ योजन है। जब नक्षत्र सर्वाभ्यन्तर मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करते हैं तो एक मुहर्त में ५२६५-१८२६३/२१९६० योजन क्षेत्र पार करते हैं । जब नक्षत्र सर्वबाह्य मण्डल का उपसंक्रमण कर गति करते हैं तो वे प्रतिमुहूर्त ५३१९-१६३६५/२१९६० योजन क्षेत्र पार करते हैं । आठ नक्षत्रमण्डल पहले, तीसरे, छठे, सातवें, आठवें, दसवें, ग्यारहवें तथा पन्द्रहवें चन्द्र-मण्डल में समवसृत होते हैं । चन्द्रमा मुहर्तमें मण्डल-परिधि का १७६८/१०९८०० भाग अतिक्रान्त करता है । सूर्यमण्डल परिधि का १८३०/१०९८०० भाग अतिक्रान्त करता है । नक्षत्र प्रतिमुहर्त मण्डल-परिधि का १८३५/१०९८०० भाग अतिक्रान्त करते हैं। सूत्र-२७७ - भगवन् ! जम्बूद्वीप में दो सूर्य-ईशान कोण में उदित होकर क्या आग्नेय कोण में अस्त होते हैं, आग्नेय कोण में उदित होकर नैर्ऋत्य कोण में अस्त होते हैं, नैर्ऋत्य कोण में उदित होकर वायव्य कोण में अस्त होते हैं, मुनि दीपरत्नसागर कृत् "(जम्बूद्वीपप्रज्ञप्ति) आगमसूत्र-हिन्द-अनुवाद" Page 92

Loading...

Page Navigation
1 ... 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105