Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapti Sutra Part 02 Author(s): Bechardas Doshi Publisher: Jinagama Prakashan Sabha View full book textPage 2
________________ श्री रायचंद्र-जिनागम संग्रहनी योजनामा प्रथम जैनधर्मने सुप्रसिद्ध पूज्य ग्रंथ श्रीमद्भगवतीसूत्र प्रकट करवानुं ठ हतुं. ते अनुसार भगवतीसूत्रने प्रथम भाग आजथी त्रण वर्ष उपर प्रगट थयो हतो. जिनागम संग्रहनी योजनाना सर्व ग्रंथे। मुबइना 'निर्णयसागर ' मुद्रणालयमां छपाववानी कार्यवाहकोनी इच्छा हती; परंतु ए मुद्रणालये प्रथम भाग छापी आप्या पछी बीजा भागा पोताने खां छापी आपयानी सपडताना अभाव दर्शावयाची कार्यवाहकाने स्वतंत्र गोठण करवी पड़ी. राजकोटमा एक स्वतंत्र मुद्रणालय स्थाप पदयुं के जेनी अंदर भगवतीसूत्रने आ बीजो भाग छपाइ बहार पढे छे. आ भगवती सूत्रा आविद्वतामय अनुवाद जैनचममा एक भूषणरूप पंडित बहेचरदास जीवराजे कर्यो छे. नाग बे बहार पढी चूक्या छे. बीजा प्रण भागो जेटली स्मराथी बनी शके तेटली स्मराधी बहार पाडवा सर्व प्रथाना करवामां आवशे. प्रथम भागमां पाछळ शब्दकोष आपवामां आव्यो हतो, पण अनुभवथी एम जणायुं के, दरेक विभागना जूदेा जूदेा कोष आपवा करतां पांचे भागना कोष एकत्रीत आपवाथी एक उत्तम प्रकारने साहित्य सहायक ग्रंथ तैयार थइ शकशे एटला माटे आ भागमा प्रथम भागनी जे कोष आप्या नथी तो पण आ बीजा भागनुं कद प्रथम भाग जेटलुंज राखवामां आव्युं छे. आ बीजा भागम प्रणधी छ शतक आपवामां आव्यां ले. 1 अजिनागम संग्रहनी योजना मूळ पुरुष श्रीयुत पुंजाभाइ हीराचंदनी या ग्रंथ त्वराधी बहार पडेला जोबानी. इच्छा छतां छापखानानी मुश्केलीओधी विलंब थाय छे; जे मुश्केलीओ अमारी सत्तानी बहार होइ असे लाचार छीए. पंडित बेचरदासनी विद्वता माटे जैनसमाजे अवश्य अभिमान घरवा जेवुं छे ए वात आ वे बहार पडेला विभागोथी अवश्य प्रतीत धया विना नहीं रहे. राजकोट, सनातन जैनमुद्रणालय, आशाढ शुक्ल द्वितीया १९८० हालारी. Jain Education International For Private & Personal Use Only मनसुखलाल खजीभाइ महेता. www.jainelibrary.org/Page Navigation
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