Book Title: Adhyatma Amrut
Author(s): Gyanand Swami
Publisher: Bramhanand Ashram

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Page 43
________________ [अध्यात्म अमृत आध्यात्मिक भजन] [७४ भजन-९ विचारो विचारो विचार करो रे। नरभव पर अपने विचार करो रे ॥ १. मिला नरतन यह किसलिये, जरा विचार करो। साथ क्या जायेगा, इस पर जरा विचार करो ॥ विषय भोगों में मत बरबाद करो रे ..नरभव.... कौन है दुनियां में अपना, जरा विचार करो। पिता माता न पुत्र बंधु, जरा विचार करो ॥ सब स्वारथ के साथी स्वीकार करो रे ..नरभव.... शरीर की हालत पर, जरा विचार करो । भरी है गन्दगी सारी, जरा विचार करो ॥ साथ देता नहीं, मत अभिमान करो रे..नरभव.... संसार की हालत है यह, कुछ साथ नहीं जाता है। वृथा क्यों मोह में फंस, जिन्दगी गंवाता है । भजन भगवान का कर ले, वही एक काम आयेगा । त्याग वैराग्य संयम कर, नहीं कुछ साथ जायेगा । मोही आतम का अपनी उद्धार करो रे..नरभव.... भजन - ११ रहो रहो रे शुद्धात्मा में लीन, अगर मुक्ति पाने है। १. रहो सदा ही ज्ञान ध्यान में, निज स्वभाव को देखो। पर की खबर कबहुं नहीं आवे, कर्म बंध को लेखो ॥ करो करो रे कर्मों हे क्षीण..अगर... २. एक अखंड सदा अविनाशी, ज्ञानानंद स्वभाव । शुद्ध बुद्ध है ज्ञाता दृष्टा, अपना ममल स्वभाव ॥ मत रहो रे कर्मों के आधीन..अगर... ३. धन शरीर परिवार की तुमको, कबहुं खबर नहीं आवे । अजर अमर और अलख निरंजन, शुद्ध स्वरूप दिखावे ॥ गहो गहो रे चारित्र दस तीन..अगर... ४. ज्ञानानंद समय अच्छा है, मत कर सोच विचार । कर पुरूषार्थ ध्यान लगाओ, छोड़ कषायें चार || मत रहो रे अब तुम दीन..अगर... भजन-१० अरी ओ आत्मा सुनरी आत्मा । परमात्मा में लीन हो जाओ आत्मा ।। १. तू तो है चेतन शुद्ध स्वरूपी, एक अखंड अरस और अरूपी। गुरू की जा बात मान जाओ आत्मा..परमात्मा... २. काल अनादि कही नहीं मानी.निजअनुभति कबह नही जानी। अपने को अब जान जाओ आत्मा..परमात्मा... ३. बड़ी मुश्किल से जो दांव लगो है, ज्ञानानंद तेरो भाग्य जगो है। मत चूको अब ध्याओ आत्मा ..परमात्मा... भजन-१२ परभावों में न जाना, विषयों में न भरमाना। शुद्धातम ध्यान लगाना,आतमयाद रखोगे या भूल जाओगे।। १. सत्गुरू की यह वाणी और कहती है जिनवाणी । निज हित करले तू प्राणी, तेरी दो दिन की जिन्दगानी॥ आतम याद रखोगे या भूल जाओगे..परभावो... २. क्षणभंगुर जग की माया, तू मोह में क्यों भरमाया । भव भव में तू भटकाया, नहीं कोई काम में आया । आतम याद रखोगे या भूल जाओगे..परभावों... ३. सब छोड़ दे भ्रम यह सारा, क्यों फिरता मारा मारा। निज ज्ञान का ले ले सहारा, ज्ञानानंद रूप तुम्हारा ॥ आतम याद रखोगे या भूल जाओगे..परभावों...

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