Book Title: Adhidwipna Nakshani Hakikat
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 167
________________ अढीहीपना नकशानी हकीगत. 135 थाय. ते शांगले नाग आपीये, तेवारे 1736 हाथ लाने. शेष 64 अंगुल वधे. हवे ते पूर्वोक्त गणितपदना अंगुलने सत्तरशे ने बत्रीश हाथे गुणीये, तेवारे १६३७७१एन१२२४६७०११७१७४३नए२१११३६ एटला हाथ जोद अंगुले थाय. तथा चोशठनो श्रांक वध्यो . ते गणितपदना अंगुल साथे चोशठ गुणो करी 576 नागे वहेंचतां १०४ए१६७३शएसए१०५शएन्एन्श्श् हाथ थाय. शेष Yएर वधे. हवे ए हाथनी राशि पूर्वोक्त मूलहाथनी राशि मध्ये प्रदेपिये, तेवारे १६३७ए४३एएएएएएए७१०एए एटला हाथ थाय. ते सर्व गणितपदना उछेद थांगुले हाथ जाणवा. था बे पानाना गणित तपास्या नथी. - हवे ए सर्व त्रीश ओक बे, ते पीस्तालीश लाख योजन मनुष्य क्षेत्र , माटे पी स्तालीश लाखने जागे वहेंचीये, तेवारे एक जागे ३६३ए३२३५३३एएएएएएU३० एटला श्रावे. शेष १०७एए एटला श्रांक वधे, तेने नाग पहोंचे नही. हवे पीस्तालीश लाख योजनमां पण वीश लाख समुनी नूमि , श्रने पञ्चीश लाख छीपनी नूमि बे, तिहां समुज्नी नूमिमां माणसनी वस्ती नथी. मात्र अंतरछीप ने ते स्वल्प डे तेनी विवदा करता नथी. ते माटे समुनी नूमि रहित मात्र छीपनी पच्चीश लाख योजन नूमि , तेने एक नागमां श्रावेली पूर्वोक्त हाथनी राशि साथे गुणतां एएएए एएएएएएएएएए000000 एटली राशि श्रावे. ए पण उंगण त्रीश श्रांक , ते पूर्वोक्त सातकोमी इत्यादि गर्भज मनुष्यना गणत्रीश आंकनी रा शिने वहेंची थापतां एकेका माणसने नागे एकेक हाथ नूमिनाग श्रावे जे तेमां सु वाय बेसाय नही. तेमज पर्वत, नदी, अह, वन, अटवी प्रमुख माणस विनानी नूमि पण घणी बूटी पडेली देखाय बे अने अल्पमात्र नूमिमध्ये मनुष्य रहे डे माटे पूर्वो क्त संख्याना मनुष्य एटली नूमिमां समाश् शके नही? एवी शंका उत्पन्न थाय. हवे पूर्वोक्त शंकानुं समाधान करे ले. जे माटे श्रीवीतरागना वचनमा कांश पण संदे ह नथी. जे उंगणत्रीश श्रांक प्रमाण गर्भज मनुष्य कह्यां . ते सदा सर्वदा काल एट लांज बे, पण उडां अधिकां नथी. यहां समाधान था बे, केः-पुरुषथी स्त्री सत्त्यावीश गुणी अधिक बे. श्रने गर्भ धारण करनारी पण तेज थने तेना गनमा उत्कृष्टथी नवलाखनी संख्याये पण गर्भज मनुष्य होय . अने जघन्य मध्यम पण होय डे पण स्त्रीनी राशि महोटी ले तेथी तेना गर्णमां गनज मनुष्योनी महोटी संख्या सर्वदा रही शके एवो निर्धार जे माटे घणा जीव गर्जमां होवा जोश्ये. अने खल्पजीव गर्ज बाहेर होवाथी तेटला जीव पृथ्वीमां सुखथी रही शके जे. एम कहेवाथी जैनक्रियानो

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