Book Title: Adhidwipna Nakshani Hakikat
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 247
________________ देवादिक संबंधि आयु प्रमुखना यंत्रो. 15 होय श्रने उत्कृष्टथी श्रहावीश विजयना तथा एक जरतनो श्रने एक ऐरवतनो मली त्रीश चक्रवर्ती होय, तेवारे 420 रत्न होय. हवे सिझशिक्षा, स्वरूप कहे . हवे पूर्वनुं प्रमाण कहे बे. 1 सर्वार्थसिक विमानश्री बार योजन ऊंची. चोराशी लाखने चोराशी लाखे गुणतां 2 कोश्क आचार्य कहे , के सर्वार्थसिक 70560000000000 एटलो आंक आवे ते विमानथी बार योजन लोकनो बेहमो. टला वर्षनी एक पूर्वमा संख्या जाणवी. 3 पीस्तालीश लाख योजन लांबी पहोली. निगोदनुं स्वरूप कहे जे. 4 अढीवीपमा पिस्तालीश लाख योजन 1 जे गोलाकारे निगोदनो समुदाय, तेने प्रमाण मनुष्यनी वस्ति ने अने जे मो गोलो कहीये. तेवा असंख्याता गोला द जाय , ते पण मनुष्यज जाय बे, चौद राजलोकमां बे. ते सर्व समश्रेणीये जाय बे, माटे जे 2 एकेक गोलामां असंख्याती निगोद . स्थलथी जाय तेज स्थले जश तिहां सि 3 एकेका निगोदमां अनंता जीव जाणवा. कशिलामा रहे. - हवे वनस्पतिने विषे अनंतकायनो सं 5 वच्चमां श्राप योजन जामी जे. नव कहे बे. 6 बेहडे माखीनी पांख सरखी पातली बे. 1 सर्व जातिनी वनस्पतिनो प्रथम जगतो 7 वर्णे अर्जुन सोना सरखी . - अंकूरो अनंतकाय होय. 7 स्फटिक रत्ननी पेरे निर्मल उज्ज्वल . 2 पड़ी ते अंकूरो वधतो वधतो प्रत्येक रू ए उत्तान उत्राकारे बे. अथवा घृतथी नरे पे अथवा साधारण रूपे थाय. ली जेवी कचोली होय, तेवे आकारे बे. हवे एकेजियपणुं कोण जीव पामे? ते कहे जे. 10 सिझशिलानी ऊपर एक योजन बेहडे 1 जेने मैथुननी श्छा घणी होय. लोकनो अंत बे. तिहां एक कोशनो उ 5 जेमा अझानपणुं होय. हो नाग 333 धनुष्यनी उपर बत्रीश अं 3 जे घणो बीकण होय. गुलमां सर्व सिझना अनंताजीव रह्या . 4 अशाता आवे थके घणो कायर होय. श्रथ त्रेवीश पदवीनां नाम. 1 चक्ररत्न. 5 खड्गरत्न. ए गाथापतिरत्न. 13 गजरत्न. २त्ररत्न. 6 मणिरत्न. 10 वार्धिकरत्न. 14 स्त्रीरत्न. 3 दंगरत्न. कांगणीरत्न. 11 पुरोहितरत्न. 15 तीर्थंकरपदवी. 4 चर्मरत्न. सेनापतिरत्न. 12 अश्वरत्न. 16 चक्रवर्ती पदवी.

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