Book Title: Adhidwipna Nakshani Hakikat
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 250
________________ 17 देवादिक संबंधि आयु प्रमुखना यंत्रो. जे योनि होय ते त्रीजी वंसीपत्ता योनि काले उदय श्रावे, तेनी वचमांनो काल कहीये. एमां शेष सामान्य मनुष्य उपजे. ते अबाधाकाल कहेवाय. हवे आयुसंबंधि विशेष कहे . 5 अंतसमये आयु पूर्ण थये जीव एक स - मय प्रमाण जुगति करे अथवा चार 1 बांधवानी वेलाये बंधकाल आयु कहीये. : 2 श्रायु बांध्या पठी जेटलो काल वचमां, | पांच समय प्रमाणनी वक्रगति करे. उदय न श्रावे, तेने अबाधाकाल कहीये. हवे ए बेहु गातमा निश्चय व्यवहारनये क 3 आयु पूर्ण थाय ते अंतसमयायु कहीये. री परजवर्नु आउखु उदय श्रावे अने 4 घणो काल जोगववा योग्य वायुने सर्व परजवनो आहार होय ते कहे . प्रदेशे उदेरी स्वल्पकाल जोगववा योग्य 1 जुगतिमा पहेले समये परजवतुं श्राज करे समकाले जोगवे तेनेअपवर्तनकहीये खुं अने परजवनो आहार उदय श्रावे. 5 जेटला कालखें बांध्युं तेटलोज जोगवे 2 वक्रगतिमां बीजे समये परजवनुं श्राउ तेने अनपवर्तन श्रायु कहीये. खं उदय आवे, अने एक समयनी वक्र गतिमां बीजे समये आहार करे, ६जे कारणे करी श्रायु घटे,तेउपक्रमश्रायुजे. 7 को कारणे श्रायु न घटे ते निरुपक्रमायु.२ युब 3 बे समयनी वक्रगतिमां त्रीजे समये श्रा हवे बंधकाल जे जीवने जेटलो होय, तेकहे . हार हार करे. एक समय अणाहारी होय. 1 देवता, नारकी, असंख्याता वर्षायुवाला , ९०४त्रण समयनी वक्रगतिमां चोथे समये - श्राहार करे. बे समय अनाहारी होय. युगलीया मनुष्य तिर्यंच ए सर्व उ मास , आयु रहे, तेवारे परनवनुं श्राउखु बांधे. 5 05 चार समयनी वक्रगतिमां पांचमे समये 2 संख्याता वर्षायु वाला एवा तिर्यंच मनु / - आहार करे.त्रण समय अनाहारी होय. ष्य निरुपक्रमायु वाला ते त्रीजो नाग 1 6 एक समयनी वक्रगतिमां बेहु * समय श्राय बाकीरहे तेवारे परजवनं श्रायबांधे. आहार लाया 3 सोपक्रम आयु वाला मनुष्य तिर्यंच हवे श्रायु श्राश्रयी कहे . त्रीजा जागथी उद्धं शेषायु रहे थके अजे आयु बांधवा समये यथायोग्य ढीवु थवा नवमो नाग, अथवा सत्तावीशमो बांध्य, ते देशकाल अध्यवसाय श्राश्रयी नाग अथवा अंतर्मुहूर्त श्रायु शेष रहे, घटे, तेने अपवर्तनायु कहीये. तेवारे परजवनुं श्रायु बांधे.. जे श्राउ पहेलु घणुं निकाचितबंधे के 4 श्राउखानो जेटलो नाग बाकी रहे थके री बांध्यु, ते अवश्य जोगवqज जोश्ये नवा आउखानो बंध पडे, पडी जेटले तेने अनपवर्तन श्रायु कहीये. . ए जे उत्तम पुरुष जेवा के चक्रवर्ती च

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