Book Title: Adhidwipna Nakshani Hakikat
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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________________ सोप्रकारना रत्नोना नेद. 203 ग्रह, 15 यश, 13 सदोदित, 14 सर्वसह, 15 धर्मबल, 16 सत्य, 17 शौच, 17 सन्मान, १ए संस्थान, 20 समाधान, 21 सौख्य, 25 सौजन्य, 23 सौलाग्य, 24 रूप, 25 स्वरूप, 26 सागत्य, 27 विजाग, 27 संयोग, शए वियोग, 30 सत्त्व, 31 संपूर्णत्व, 32 सकलत्व, 33 प्रसन्नत्व, 34 सलजात्व, 35 पालकत्व, 36 पांमित्य, 37 प्रणय, 37 प्रसरण, ३ए प्रमाण, 40 प्रताप, 41 प्रमोद, 42 प्रारंन, 43 प्रजा वच्छेद, 44 संग्रह, 45 विग्रह, 46 पुष्टि, 4 तुष्टि, 4 प्रीति, ४ए प्राप्ति, 50 प्रशं सा, 51 प्रतिष्ठा, 55 प्रतिज्ञा, 53 स्थैर्य, 54 धैर्य, 55 शौर्य, 56 गांजीर्य, 57 चा तुर्य, 57 बुद्धि, ५ए बल, 60 अध्यद, 61 विबोध, 62 वृद्धि, 63 सिकि, 64 का ति, 65 कीर्ति, 66 स्फूर्ति, 67 व्युत्पत्ति, 67 वात्सल्य, ६ए मांगल्य, 70 महोत्सव, 71 मंत्र, 72 रसिकत्व, 73 नावुकत्व, 74 समृद्धित्व, 75 गुरुत्व, 76 शक्ति, नु क्ति, 7 युक्ति, पुए अयुक्ति, 70 अशक्ति, 1 अनुक्रम, 2 अनिमान, 73 वदान्य, 4 कारुण्य, जय दाक्षिण्य, ज्६ वर्तन, G स्पर्शन, 7 रसन, ए घाण, ए श्रवण. ए? मर्यादा, ए मंगन, ए३ उदय, एव उदात्त, ए५ उत्साह, ए६ उत्तमत्व गुण. 10 दशमा राजपात्रना बत्रीश नेद , ते कहे . 1 धर्मपात्र, 5 काम, 3 विनोद, 4 विद्या, 5 विलास, 6 विन्यास, 7 ज्ञान, क्रीमा, ए हास्य, 10 श्रृंगार, 11 वीर, 15 स्नेह, 13 जगन्मान्य, 14 मंत्री, 15 संधि, 16 महत्तम, 17 अमात्य, 17 प्रधान, १ए अध्यद, 20 सेनापात्र, 21 नागर, 22 पुष्प, 13 मान्य, 24 पदस्थ, 25 देशी, 26 राझी, 27 कुलपुत्रिका,२७ पुन,शए वेश्या, 30 दासी, 31 दास, 32 श्रानिचारिक, १गीयारमा राजविनोदना बत्रीश नेद , ते कहे . 1 गीत, विनोद.३ लि खित, 4 शिक्षा, 5 वक्तृत्व. 6 कवित्व, 7 शास्त्र, शस्त्र, ए युक, 10 नियुक, 11 गणित, 15 गज, 13 तुरग, 14 पक्षी, 15 आखेटक, 16 द्यूत, 17 जलयंत्र, 17 मंत्र, १ए महोत्सव, 20 फल, 21 पुष्प, 22 कला, 23 गुण, 24 प्रहेलिका, 25 चित्र, 26 क्षेत्र, 27 खेलन, 27 वित्तमूत्र, श्ए नृत्य, 30 श्रवण, 31 कर, 35 बुद्धि, 33 विद्या, 34 रथ, 35 कथा, 36 कलत्र. 12 बारमा श्रास्थानना अढार नेदो बे, ते कहे . 1 मन, 2 श्रापूहित, 3 स्निग्ध, 4 मंत्री, 5 महत्तम, 6 अमात्य, 7 प्रधान, बुद्धिमुख, ए उजयमुख, 10 श्राग्रायक, 11 सांग्रामिक, 12 देश्य, 13 पुरुषधर्म, 14 पुरुषविज्ञान, 15 पुरुषराज, 16 पुरुषकर्म, 17 पात्र, 10 विनोदपात्र. ति अष्ठादशः नेदाः समाप्ताः // 13 तेरमा राजविद्याना चार नेद ,ते कहे .1 श्रान्विक्षिकी,श्चर्या, ३वार्ता, दंडनीति.

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