Book Title: Adhidwipna Nakshani Hakikat
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 233
________________ देवादिक संबंधि आयु प्रमुखना यंत्रो, 201 तथा तेहीज योजन प्रमाण पख्य बादर वाला जस्यो, ते मध्येथी शो शो वर्षे एकेक केशखंड काहामतां, ते पट्य संख्याता वर्षनी कोमी प्रमाण काले निर्लेप थाय, तेवारे बादर अशा पट्योपम संख्याता वर्ष प्रमाण थाय. वली तेहीज खंडना पूर्वोक्त रीतें असंख्याता खंड कल्पी ते कल्पना खंड शो शो वर्षे एकेक कहाडतां जेवारे ते पक्ष्य निर्लेप थाय, तेवारें सूक्ष्म अशापट्योपम असं ख्याता वर्षनी कोमी प्रमाण थाय. तेवा दश कोमाकोडी सूक्ष्म अझापल्योपमें एक सूदम बहा सागरोपम थाय. तेवा वली दश कोमाकोमी सागरोपमें एक अवसप्पिणी काल थाय. वली तेवा दश कोमाकोमी सागरोपमें एक उत्सर्पिणी काल थाय. ए अव सप्पिणं। तथा उत्सर्पिणीना बेहु काल मली वीश कोडाकोडी सागरोपमें एक काल चक्र थाय. ए सूदम अकापट्योपम अने सागरोपमें करी देवता, नारकी, मनुष्य अने तिर्यंचना आयुर्नु मान तथा कर्मस्थितिमान तथा काय स्थितिमान तथा नवसिथितिनां कालमानादिक मवीयें,ए चोथु सूक्ष्म अझापल्योपम कडं, एटले ए सूक्ष्म अशासागरोप मना अनंता पुजलपरावर्ते अतीत असा तथा अनंता पुजलपरावर्ते अनागत अझा थाय. तिहां अनागत अहानी अनंतता ने अने अतीत अमानुं आदि नथी, तेथी बेहुने समानपणुं . अन्य श्राचार्य वली एम कहे जे के, जो पण समयादिके करी अनागत अझा हीयमान , तो पण अनागत असानो क्ष्य नथी थतो, ते माटे अतीत अझा थकी अनागत अझा अनंतगुणी बे. सांप्रत बे प्रकारना क्षेत्र पढ्योपमनुं निरूपण करीये वैये. ते पूर्वोक्त बादर वालाय खंडे करी जस्यो जे पट्य ते मध्ये कल्पना करेला वालाग्रे स्पा जे आकाशप्रदेश ते माहेथी एकेक आकाश प्रदेश समय समय काहामतांजेवारे सर्व वाला स्पष्ट थयेला एवा सर्व आकाश प्रदेश निर्लेप थाय, तेवारे असंख्याती उत्सर्पिणी अने असंख्याती अवसर्पिणी कालप्रमाण एक बादर देवपट्योपम थाय. हवे ते पख्यना सूक्ष्म एकेका वालाग्रने स्पा आकाश प्रदेश तथा अणस्पा एवा समस्त आकाशप्रदेशने समय समय काहाडतां जेवारे ते पस्य निर्लेप थाय, ते वारे पूर्वोक्त बादरक्षेत्र पस्योपमना कालमानथकी असंख्यातगुणुं असंख्याती उत्सर्पि णीने अवसर्पिणी प्रमाण सूक्ष्म क्षेत्र पस्योपमनुं कालमान थाय.तेवा दश कोडाकोमी सूदम क्षेत्रपक्ष्योपमे एक सूक्ष्म क्षेत्र सागरोपम थाय, एणे करी त्रसादिक जीवन परिमाण करवू, एटले दृष्टिवादने विषे अव्य प्रमाण चिंतवीये तथा पृथिव्यादिक एके जिय प्रसांत जीवनुं परिमाण करीये, तेने विषे एनुं प्रयोजन बे. 25

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