Book Title: Adhidwipna Nakshani Hakikat
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

View full book text
Previous | Next

Page 194
________________ 162 चोवीश दंडकें पांत्रीश द्वार. 23 पुरुषवेद अने स्त्रीवेद, ए बे वेद होय. २ए संयतीना श्राव जंग त्रीजे प्रकारे लाने. व अल्पबहुत्वमां व्यंतरिकदेवोथकी ज्यो 30 एक अचित्ताहार लीये. तिषी देवो अधिक बे. 31 उज अने लोमे करी आहार लीये, 25 एमनां जवन असंख्यातां बे. 3 जघन्योत्कृष्ट दिवस पृथक्त्वे आहार 26 जघन्य एक समय भने उत्कृष्टो चोवी नी श्छा उपजे. श मुहर्त पर्यंत विरहकाल जाणवो.३३ ज्योतिषी मरी फरी ज्योतिषी न थाय. 27 प्रथमना चारे गुणगणां लाने. |34 योनिद्वार बझा देवोनुं साथे कहेवाणुंडे. 27 एमने दशे प्राण होय. (35 कुलकोमी घार पण साथे कहेवाणुं . 24 चोवीशमा वैमानिक देवोना दमकें पांत्रीश घार कहे . . 1 वैक्रिय तैजस अने कार्मण,एत्रण शरीर. होय अने पांच अनुत्तर विमानवासी 2 जघन्य अंगुलनो असंख्यातमो नाग थ देवो,बझा सम्यकदृष्टि ,माटे तेमने तो ने उत्कृष्टी सात हाथनी अवगाहना प्रथमनां त्रण ज्ञान अने त्रण दर्शन म तथा उत्तर वैक्रिय शरीर करे तो जघन्य ली ब उपयोग होय. अंगुलनो संख्यातमो नाग अने उत्कृष्ट 25 जघन्यथी एक समयमा एक, बे, त्रण लाख योजन सुधी ते बारमा देवलोक उपजे अने उत्कृष्टथी तो श्रापमा देव सुधीना देवो करें, उपरांतना न करे. लोक पर्यंत संख्याता असंख्याता पण 3 संघयण रहित ने असंघयणी बे. उपजे. परंतु नवमा देवलोकथी मांगी 4 संझा चार, दश, शोल होय. ने सर्वार्थ सिझनामा पांचमा अनुत्तर 5 एकज समचतुरस्र संस्थान जाणवू. विमान पर्यंत संख्याताज उपजे, कारण 6 क्रोधादिक चारे कषाय होय. के, त्यां मात्र मनुष्यमांधीज श्रावी उ 7 तेजो,पद्मश्रने शुक्ल ए त्रण लेश्या होय. पजे जे अने फरी च्यवे, तेवारे पण म इंजियघार श्राश्रयी पांचे इंजिय होय. नुष्यमांज जाय, बीजे क्यांहि न जाय. ए प्रथमना पांच समुद्घात होय. 16 उपपातनी पेरे च्यवन पण जाणी लेवु. 10 सम्यक्त्वादिक त्रणे दृष्टि होय. 17 जघन्य एक पढ्योपम अने उत्कृष्ट ते 11 चतुरादि त्रण दशेन होय. / त्रीश सागरोपमायु जाणवू. 15 प्रथमनांत्रण झान, त्रणव ज्ञान होय. 27 पर्याप्ति होय पण नाषा अने मन 13 व्यंतरनी पेरे अगीयार योग होय. ए बे पर्याप्ति एके वखत साथेज उपजे 14 बार देवलोक अने नव ग्रैवेयकना दे जे तेथी पांच पर्याप्ति पण कहिये. वोने विषे नारकीनी पेरे नव उपयोग १ए उ दिशिनो आहार लिये.

Loading...

Page Navigation
1 ... 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240 241 242 243 244 245 246 247 248 249 250 251 252 253 254 255 256