Book Title: Abhidharmadipa with Vibhasaprabha Vrutti
Author(s): P S Jaini
Publisher: Kashi Prasad Jayaswal Research Institute

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Page 620
________________ 461 101 8 वैनयिक, 4. टिप्पणगतविशेषनामसूची। माहकीमातृसूत्र, 161 विभाषा, 38, 147 मीमांसक, 159 वेद, 159 मुक्तकसूत्र, 198, 199 वेदल्लपिटक, 100, 197 मुक्तकसूत्राणि, 198 वेपचित्ति, 238 मूलभासा 393 वेपुल्लक, 126 मैत्रेय(आर्य), 348, 402 वैतुलिक, 258 यानत्रय, 327 वैतुल्य, योगाचार, 70, 233, 262, 263 वैदिकमन्त्र, 160 योगाचारदर्शन, 198 योगाचारभूमि, 409 वैपुल्य, 101, 295, 276 राजगिरिका, 9, 76, 103, 118, 210 वैभाषिक, 17, 45, 46, 48, 82, 86, राजर्षि, 103 93, 94, 96. 101, 104, 107, राध, 264 109, 114, 121, 125, 130, राम(भदन्त), 249 131, 132, 141, 149, 161, राहुल, 163, 167, 171, 217, 220, लगुडशिखिपक, - 266 222, 229, 232, 235, 240, लगुडशिखीयक . 247, 256, 257, 261, 264, लोणफल[सुत्त), 265, 251, 280, 296, 307, वज्जिपुत्तक, 308, 316, 318, 343, 344, वसुबन्धु, . 34, 47, 159, 225 345, 358, 361, 362, 380, वसुबन्धुपादाः(आचार्य), 200 390, 392, 394, 404, 412 वसुमित्र आचार्य), . . 79 वैभाषिकमत, 150, 277 वसुमित्र(भदन्त), 93, 94, 285 वैभाषिकवचन, वात्सीपुत्रीय, 28, 32, 220, 222, 223 वभाषिकसिद्धान्त, 67, 152 वार्षगण्यवाद, ... 247 वैशेषिक, 89, 90, 404 विज्ञप्तिमात्रशास्त्र, 76 शक्र, 343 विज्ञानवादिन् 220 शब्दविद्या 394 वितण्डवादी, 133, 163 शाक्यमुनि, विनय, 11, 100, 123, 128, 133, शारिपुत्र (आर्य), 388 शास्त्र, 89, 99, 125, 140, 237, विनयपिटक, 195, 198 334, 374.. विनयधर, 128 शास्त्रपाट, विनयविभाषाकार, . . 3 श्रावकपिटक, 195, 203 विपर्याससूत्र, 235 श्रावकयान, 195, 203 विभज्जवाद, 249, 258 श्रीलात (भदन्त), 17, 346 विभज्यवादिन, 96, 267 षट्पट्कसूत्र, 223 . 266 138 . 109

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