Book Title: Agam 17 Upang 06 Chandra Pragnapti Sutra Shwetambar Agam Guna Manjusha
Author(s): Gunsagarsuri
Publisher: Jina Goyam Guna Sarvoday Trust Mumbai
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री चंद्रप्रज्ञप्ति सूत्र ॥श्री आगम-गुण-मञ्जूषा॥ ॥श्री.मागम-गुण-४५।।। 11 Sri Agama Guna Manjusa 11 (सचित्र) प्रेरक-संपादक अचलगच्छाधिपति प.पू.आ.भ.स्व. श्री गुणसागर सूरीश्वरजी म.सा. Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ११ अंगसूत्र ४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय ४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय १) श्री आचारांग सूत्र :- इस सूत्र मे साधु और श्रावक के उत्तम आचारो का सुंदर वर्णन है । इनके दो श्रुतस्कंध और कुल २५ अध्ययन है । द्रव्यानुयोग, गणितानुयोग, धर्मकथानुयोग और चरणकरणानुयोगोमे से मुख्य चौथा अनुयोग है। उपलब्ध श्लोको कि संख्या २५०० एवं दो चुलिका विद्यमान है। ६) २) श्री सूत्रकृतांग सूत्र :- श्री सुयगडांग नाम से भी प्रसिद्ध इस सूत्र मे दो श्रुतस्कंध और २३ अध्ययन के साथ कुलमिला के २००० श्लोक वर्तमान मे विद्यमान है । १८० क्रियावादी, ८४ अक्रियावादी, ६७ अज्ञानवादी अपरंच द्रव्यानुयोग इस आगम का मुख्य विषय रहा है। ३) श्री स्थानांग सूत्र :- इस सूत्र ने मुख्य गणितानुयोग से लेकर चारो अनुयोंगो कि बाते आती है। एक अंक से लेकर दस अंको तक मे कितनी वस्तुओं है इनका रोचक वर्णन है, ऐसे देखा जाय तो यह आगम की शैली विशिष्ट है और लगभग ७६०० श्लोक है। ४) श्री समवायांग सूत्र :- यह सूत्र भी ठाणांगसूत्र की भांति कराता है । यह भी संग्रहग्रंथ है। एक से सो तक कौन कौन सी चीजे है उनका उल्लेख है। सो के बाद देढसो, दोसो, तीनसो, चारसो, पांचसो और दोहजार से लेकर कोटाकोटी तक कौनसे कौनसे पदार्थ है उनका वर्णन है। यह आगमग्रंथ लगभग १६०० श्लोक प्रमाण मे उपलब्ध है। ५ ) श्री व्याख्याप्रज्ञप्ति सूत्र ( भगवती सूत्र ) :- यह सबसे बड़ा सूत्र है, इसमे ४२ शतक है, इनमे भी उपविभाग है, १९२५ उद्देश है। इस आगमग्रंथ में प्रभु महावीर के प्रथम शिष्य श्री गौतमस्वामी गणधरादि ने पुछे हुए प्रश्नो का प्रभु वीर ने समाधान किया है । प्रश्नोत्तर संकलन से इस ग्रंथ की रचना हुई है। चारो अनुयोगो कि बाते अलग अलग शतको मे वर्णित है। अगर संक्षेप मे कहना हो तो श्री भगवतीसूत्र रत्नो का खजाना है। यह आगम १५००० से भी अधिक संकलित श्लोको मे उपलब्ध है। ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र :- यह सूत्र धर्मकथानुयोग से है। पहले इसमे साडेतीन करोड कथाओ थी अब ६००० श्लोको मे उन्नीस कथाओं उपलब्ध है। ७) श्री उपासकदशांग सूत्र :- इसमें बाराह व्रतो का वर्णन आता है और १० महाश्रावको जीवन चरित्र है, धर्मकथानुयोग के साथ चरणकरणानुयोग भी इस सूत्र मे सामील है । इसमे ८०० से ज्यादा श्लोक है। ८) श्री अन्तकृद्दशांग सूत्र :- यह मुख्यतः धर्मकथानुयोग मे रचित है। इस सूत्र में श्री शत्रुंजयतीर्थ के उपर अनशन की आराधना करके मोक्ष मे जानेवाले उत्तम जीवो के छोटे छोटे चरित्र दिए हुए है। फिलाल ८०० श्लोको मे ही ग्रंथ की समाप्ति हो जाती है । ९) श्री अनुत्तरोपपातिक दशांग सूत्र :- अंत समय मे चारित्र की आराधना करके अनुत्तर विमानवासी देव बनकर दूसरे भव मे फीर से चारित्र लेकर मुक्तिपद को प्राप्त करने वाले महान् श्रावको के जीवनचरित्र है इसलीए मुख्यतया धर्मकथानुयोगवाला यह ग्रंथ २०० श्लोक प्रमाणका है। १०) श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र :- इस सूत्र मे मुख्यविषय चरणकरणानुयोग है। इस आगम में देव-विद्याघर-साधु-साध्वी श्रावकादि ने पुछे हुए प्रश्नों का उत्तर प्रभु ने कैसे दिया इसका वर्णन है । जो नंदिसूत्र मे आश्रव-संवरद्वार है ठीक उसी तरह का वर्णन इस सूत्र मे भी है । कुल मिला के इसके २०० श्लोक है। ११) श्री विपाक सूत्र :- इस अंग मे २ श्रुतस्कंध है पहला दुःखविपाक और दूसरा सुखविपाक, पहेले में १० पापीओं के और दूसरे में १० धर्मीओ के द्रष्टांत है मुख्यतया धर्मकथानुयोग रहा है । १२०० श्लोक प्रमाण का यह अंगसूत्र है । १२ उपांग सूत्र १) श्री औपपातिक सूत्र :- यह आगम आचारांग सूत्र का उपांग है। इस मे चंपानगरी का वर्णन १२ प्रकार के तपों का विस्तार कोणिक का जुलुस अम्बडपरिव्राजक के ७०० शिष्यो की बाते है। १५०० श्लोक प्रमाण का यह ग्रंथ है। २) श्री राजप्रनीय सूत्र :- यह आगम सुयगडांगसूत्र का उपांग है। इसमें प्रदेशीराजा का अधिकार सूर्याभदेव के जरीए जिनप्रतिमाओं की पूजा का वर्णन है । २००० श्लोको से भी अधिक प्रमाण का ग्रंथ है। श्री आगमगुणमंजूषा GY Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ %。 %%%%%%85 २) त्रास %%%%%%%%%%% doOKHAR153835555555555555555555345555555555555555555555555ODXOS KAROKKAXXE E EEEE994%953589 ४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय 985555359999999455889 श्री जीवाजीवाभिगम सूत्र :- यह ठाणांगसूत्र का उपांग है । जीव और अजीव के दश प्रकीर्णक सूत्र बारे मे अच्छा विश्लेषण किया है। इसके अलावा जम्बुद्विप की जगती एवं विजयदेव ने कि हुइ पूजा की विधि सविस्तर बताइ है। फिलाल जिज्ञासु ४ प्रकरण, क्षेत्रसमासादि श्री चतुशरण प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में अरिहन्त, सिद्ध, साधु और गच्छधर्म जो पढ़ते है वह सभी ग्रंथे जीवाभिगम अपरग्च पनवणासूत्र के ही पदार्थ है । यह के आचार के स्वरूप का वर्णन एवं चारों शरण की स्वीकृति है। आगम सूत्र ४७०० श्लोक प्रमाण का है। श्री प्रज्ञापना सूत्र- यह आगम समवायांग सूत्र का उपांग है । इसमे ३६ पदो का वर्णन श्री आतुर प्रत्याख्यान प्रकीर्णक सूत्र :- इस आगम का विषय है अंतिम आराधना है। प्रायः ८००० श्लोक प्रमाण का यह सूत्र है। और मृत्युसुधार ५) श्री सुर्यप्रज्ञप्ति सूत्र : श्री चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र :- इस दो आगमो मे गणितानुयोग मुख्य विषय रहा है। सूर्य, ३) श्री भक्तपरिज्ञा प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में पंडित मृत्यु के तीन प्रकार (१) चन्द्र, ग्रहादि की गति, दिनमान ऋतु अयनादि का वर्णन है, दोनो आगमो मे २२००, भक्त परिज्ञा मरण (२) इंगिनी मरण (३) पादोपगमन मरण इत्यादि का वर्णन है। २२०० श्लोक है। श्री जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र :- यह आगम भी अगले दो आगमों की तरह गणितानुयोग ६) श्री संस्तारक प्रकीर्णक सूत्र :- नामानुसार इस पयन्ने में संथारा की महिमा का वर्णन मे है। यह ग्रंथ नाम के मुताबित जंबूद्विप का सविस्तर वर्णन है। ६ आरे के स्वरूप है। इन चारों पयन्ने पठन के अधिकारी श्रावक भी है। बताया है। ४५०० श्लोक प्रमाण का यह ग्रंथ है। श्री तंदुल वैचारिक प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने को पूर्वाचार्यगण वैराग्य रस के श्री निरयावली सूत्र :- इन आगम ग्रंथो में हाथी और हारादि के कारण नानाजी का समुद्र के नाम से चीन्हित करते है । १०० वर्षों में जीवात्मा कितना खानपान करे दोहित्र के साथ जो भयंकर युद्ध हुआ उस मे श्रेणिक राजा के १० पुत्र मरकर नरक मे इसकी विस्तृत जानकारी दी गई है। धर्म की आराधना ही मानव मन की सफलता है। गये उसका वर्णन है। ऐसी बातों से गुंफित यह वैराग्यमय कृति है। श्री कल्पावतंसक सूत्र :- इसमें पद्यकुमार और श्रेणिकपुत्र कालकुमार इत्यादि १० भाइओं के १० पुत्रों का जीवन चरित्र है। ८) श्री चन्दाविजय प्रकीर्णक सूत्र :- मृत्यु सुधार हेतु कैसी आराधना हो इसे इस पयन्ने । १०) श्री पुष्पिका उपांग सूत्र :- इसमें १० अध्ययन है । चन्द्र, सूर्य, शुक्र, बहुपुत्रिका में समजाया गया है। देवी, पूर्णभद्र, माणिभद्र, दत्त, शील, जल, अणाढ्य श्रावक के अधिकार है। ११) श्री पुष्पचुलीका सूत्र :- इसमें श्रीदेवी आदि १० देवीओ का पूर्वभव का वर्णन है। ९) श्री देवेन्द्र-स्तव प्रकीर्णक सूत्र :- इन्द्र द्वारा परमात्मा की स्तुति एवं इन्द्र संबधित ई श्री वृष्णिदशा सूत्र :- यादववंश के राजा अंधकवृष्णि के समुद्रादि १०पुत्र, १० मे अन्य बातों का वर्णन है। पुत्र वासुदेव के पुत्र बलभद्रजी, निषधकुमार इत्यादि १२ कथाएं है। अंतके पांचो उपांगो को निरियावली पञ्चक भी कहते है। १०A) श्री मरणसमाथि प्रकीर्णक सूत्र :- मृत्यु संबधित आठ प्रकरणों के सार एवं अंतिम आराधना का विस्तृत वर्णन इस पयन्ने में है। %%%%% %%% %%%% %% %%%% %%%% %%%%% १०B) श्री महाप्रत्याख्यान प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में साधु के अंतिम समय में किए जाने योग्य पयन्ना एवं विविध आत्महितकारी उपयोगी बातों का विस्तृत वर्णन है। (GainEducation-international 2010-03 VOON N54555554454549 श्री आगमगुणमजूषा E f54 www.dainelibrary.00) $$# KOR Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 乐乐乐乐玩玩乐乐听听听听听听圳坂圳乐乐听听听听的 १०८) श्री गणिविद्या प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में ज्योतिष संबधित बड़े ग्रंथो का सार है। ३) उपरोक्त दसों पयन्नों का परिमाण लगभग २५०० श्लोकों में बध्य हे। इसके अलावा २२ अन्य पयन्ना भी उपलब्ध हैं। और दस पयन्नों में चंदाविजय पयन्नो के स्थान पर गच्छाचार पयन्ना को गिनते हैं। श्री नियुक्ति सूत्र :- चरण सत्तरी-करण सत्तरी इत्यादि का वर्णन इस आगम ग्रन्थ में ७ है। पिंडनियुक्ति भी कई लोग ओघ नियुक्ति के साथ मानते हैं अन्य कई लोग इसे अलग आगम की मान्यता देते हैं । पिंडनियुक्ति में आहार प्राप्ति की रीत बताइ हें। ४२ दोष कैसे दूर हों और आहार करने के छह कारण और आहार न करने के छह कारण इत्यादि बातें हैं। छह छेद सूत्र श्री आवश्यक सूत्र :- छह अध्ययन के इस सूत्र का उपयोग चतुर्विध संघ में छोट बडे सभी को है । प्रत्येक साधु साध्वी, श्रावक-श्राविका के द्वारा अवश्य प्रतिदिन प्रात: एवं सायं करने योग्य क्रिया (प्रतिक्रमण आवश्यक) इस प्रकार हैं : (१) सामायिक (२) चतुर्विंशति (३) वंदन (४) प्रतिक्रमण (५) कार्योत्सर्ग (६) पच्चक्खाण (१) निशिथ सूत्र (२) महानिशिथ सूत्र (३) व्यवहार सूत्र (४) जीतकल्प सूत्र (५) पंचकल्प सूत्र (६) दशा श्रुतस्कंध सूत्र इन छेद सूत्र ग्रन्थों में उत्सर्ग, अपवाद और आलोचना की गंभीर चर्चा है । अति गंभीर केवल आत्मार्थ, भवभीरू, संयम में परिणत, जयणावंत, सूक्ष्म दष्टि से द्रव्यक्षेत्रादिक विचार धर्मदष्टि असे करने वाले, प्रतिपल छहकाया के जीवों की रक्षा हेतु चिंतन करने वाले, गीतार्थ, परंपरागत क उत्तम साधु, समाचारी पालक, सर्वजीवो के सच्चे हित की चिंता करने वाले ऐसे उत्तम मुनिवर जिन्होंने गुरु महाराज की निश्रा में योगद्वहन इत्यादि करके विशेष योग्यता अर्जित की हो ऐसे * मुनिवरों को ही इन ग्रन्थों के अध्ययन पठन का अधिकार है। दो चूलिकाए १) श्री नंदी सूत्र :- ७०० श्लोक के इस आगम ग्रंन्थ में परमात्मा महावीर की स्तुति, संघ की अनेक उपमाए, २४ तीर्थकरों के नाम ग्यारह गणधरों के नाम, स्थविरावली और पांच ज्ञान का विस्तृत वर्णन है। चार मूल सूत्र श्री दशवकालिक सूत्र :- पंचम काल के साधु साध्वीओं के लिए यह आगमग्रन्थ अमृत सरोवर सरीखा है। इसमें दश अध्ययन हैं तथा अन्त में दो चूलिकाए रतिवाक्या व, विवित्त चरिया नाम से दी हैं । इन चूलिकाओं के बारे में कहा जाता है कि श्री स्थूलभद्रस्वामी की बहन यक्षासाध्वीजी महाविदेहक्षेत्र में से श्री सीमंधर स्वामी से चार चूलिकाए लाइ थी। उनमें से दो चूलिकाएं इस ग्रंथ में दी हैं। यह आगम ७०० श्लोक प्रमाण का है। श्री अनुयोगद्वार सूत्र :- २००० श्लोकों के इस ग्रन्थ में निश्चय एवं व्यवहार के आलंबन द्वारा आराधना के मार्ग पर चलने की शिक्षा दी गइ है । अनुयोग याने शास्त्र की व्याख्या जिसके चार द्वार है (१) उत्क्रम (२) निक्षेप (३) अनुगम (४) नय यह आगम सब आगमों की चावी है। आगम पढने वाले को प्रथम इस आगम से शुरुआत करनी पड़ती है। यह आगम मुखपाठ करने जैसा है। ॥ इति शम्॥ श्री उत्तराध्ययन सूत्र :- परम कृपालु श्री महावीरभगवान के अंतिम समय के उपदेश इस सूत्र में हैं । वैराग्य की बातें और मुनिवरों के उच्च आचारों का वर्णन इस आगम ग्रंथ में ३६ अध्ययनों में लगभग २००० श्लोकों द्वारा प्रस्तुत हैं। ) Gain Education International 2010_03 Mora :58498499934555555555; आगमगुणमजूषा-5555555555555555555555555 ) Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ YOKO ALLA RURU RAREO ai i ferox (9) (3) KC国乐国为乐明明明明明明明明乐明明明明明F%%%%明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明军5B Introduction 45 Agamas, a short sketch I Eleven Angas : Acäränga-sutra : It deals with the religious conduct of the monks and the Jain householders. It consists of 02 Parts of learning, 25 lessons and among the four teachings on entity, calculation, religious discourse and the ways of conduct, the teaching of the ways of conduct is the main topic here. The Agama is of the size of 2500 ślokas. Sayagadanga-sutra : It is also known as Sütra-Kytänga. It's two parts of learning consist of 23 lessons. It discusses at length views of 363 doctrine-holders. Among them are 180 ritualists, 84 nonritualists, 67 agnostics and 32 restraint-propounders, though it's main area of discussion is the teaching of entity. It is available in the size of 2000 ślokas. Thápānga-sūtra : It begins with the teaching of calculation mainly and discusses other three teachings subordinately. It introduces the topic of one dealing with the single objects and ends with the topic of eight objects. It is of the size of 7600 ślokas. Samavāyanga-sutra : This is an encompendium, introducing 01 to 100 objects, then 150, 200 to 500 and 2000 to crores and crores of objects. It contains the text of size of 1600 Slokas. Vyakhya-prajñapti-sutra : It is also known as Bhagavati-sutra. It is the largest of all the Angas. It contains 41 centuries with subsections. It consists of 1925 topics. It depicts the questions of Gautama Ganadhara and answers of Lord Mahavira. It discusses the four teachings in the centuries. This Agama is really a treasure of gems. It is of the size of more than 15000 ślokas. Jäätādharma-Kathanga-sutra : It is of the form of the teaching of the religious discourses. Previously it contained three and a half crores of discourses, but at present there are 19 religious discourses. It is of the size of 6000 ślokas. Upasaka-dasānga-sutra : It deals with 12 vows, life-sketches of 10 great Jain householders and of Lord Mahavira, too. This deals with the teaching of the religious discourses and the ways of conduct. It is of the size of around 800 Slokas. (8) Antagada-dasänga-sutra : It deals mainly with the teaching of the religious discourses. It contains brief life-sketches of the highly spiritual souls who are born to liberate and those who are liberating ones: they are Andhaka Vrsni, Gautama and other 9 sons of queen Dharini, 8 princes like Akşobhakumara, 6 sons of Devaki, Gajasukumāra, Yadava princes like Jali, Mayāli, Vasudeva Krsna, 8 queens like Rukmini. It is available of the size of 800 Slokas. Anuttarovavayi-daśãnga-sútra: It deals with the teaching of the religious discourses. It contains the life-sketches of those who practise the path of religious conduct, reach the Anuttara Vimana, from there they drop in this world and attain Liberation in the next birth. Such souls are Abhayakumāra and other 9 princes of king Srenika, Dirghasena and other 11 sons, Dhanna Anagara, etc. It is of the size of 200 ślokas. (10) Prasna-vyakarana-sūtra : It deals mainly with the teaching of the ways of conduct. As per the remark of the Nandi-satra, it contained previously Lord Mahāvira's answers to the questions put by gods, Vidyadharas, monks, nuns and the Jain householders. At present it contains the description of the ways leading to transgression and the self-control. It is of the size of 200 ślokas. (11) Vipaka-sütrānga-sūtra : It consists of 2 parts of learning. The first part is called the Fruition of miseries and depicts the life of 10 sinful souls, while the second part called the Fruition of happiness narrates illustrations of 10 meritorious souls. It is available of the size of 1200 ślokas. 图纸娱乐明明明明明明明明明明垢玩垢圳明明听听听听听听听听听听听垢乐明明明明明明明明明听听听听听听听听 (5) (6) (1) II Twelve Upangas Uvaväyi-sütra : It is a subservient text to the Acāranga-sutra. It deals with the description of Campā city, 12 types of austerity, procession-arrival of Koñika's marriage, 700 disciples of the monk Ambada. It is of the size of 1000 ślokas. Rayapaseni-sutra : It is a subservient text to Süyagađanga-sutra. It depicts king Pradesi's jurisdiction, god Suryabha worshipping the Jina idols, etc. It is of the size of 2000 ślokas. (7) (2) www.Lainelibrary XXXX XXXXL PITJUGET TOYOX Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ShhhhĀMhMMMMMMMMMMMÁR ૪૫ આગમ સરળ અગ્રજી ખાવાથ (3) Jivabhigama-sutra: It is a subservient text to Thaṇānga-sūtra. It deals with the wisdom regarding the self and the non-self, the Jambu continent and its areas, etc. and the detailed description of the veneration offered by god Vijaya. The four chapters on areas, society, etc. published recently are composed on the line of the topics of this Sūtra and of the Pannavaṇa-sutra. It is of the size of 4700 slokas. (4) Pannāvaṇā-sūtra : It is a subservient text to the Samavāyāngasūtra. It describes 36 steps or topics and it is of the size of 8000 Ślokas. (5) Surya-prajñapti-sūtra and (6) Candra-prajñapti-sutra: These two falls under the teaching of the calculation. They depict the solar and the lunar transit, the movement of planets, the variations in the length of a day, seasons, northward and the southward solstices, etc. Each one of these Agamas are of the size of 2200 Ślokas. (7) Jambudvipa-prajñapti-sūtra: It mainly deals with the teaching of the calculations. As it's name indicates, it describes at length the objects of the Jambu continent, the form and nature of 06 corners (āra). It is available in the size of 4500 Slokas. Nirayavali-pancaka: (8) Nirayavali-sütra: It depicts the war between the grandfather and the daughter's son, caused of a necklace and the elephant, the death of king @renika's 10 sons who attained hell after death. This war is designated as the most dreadful war of the Downward (avasarpiņi) age. (9) Kalpavatamsaka-sutra: It deals with the life-sketches of Kalakumara and other 09 princes of king Śrenika, the life-sketch of Padamakumpra and others. (10) Pupphiya-upanga-sutra: It consists of 10 lessons that covers the topics of the Moon-god, Sun-god, Venus, queen Bahuputrikă, Pūrṇabhadra, Manibhadra, Datta, Sila, Bala and Anaḍdhiya. (11) Pupphaculiya-upanga-sutra: It depicts previous births of the 10 queens like Sridevi and others. (12) Vahnidaśā-upanga sutra: It contains 10 stories of Yadu king Andhakavṛṣṇi, his 10 princes named Samudra and others, the tenth Cain Education International 2010 03 JARNANAK one Vasudeva, his son Balabhadra and his son Nişaḍha. JARD DA DA DA DA DAS III Ten Payanna-sutras : (1) Aurapaccakhāṇa-sūtra : It deals with the final religious practice and the way of improving (the life so that the) death (may be improved). (2) Bhattaparinna-sūtra : It describes (1) three types of Pandita death, (2) knowledge, (3) Ingini devotee (4) Padapopagamana, etc. (4) Santharaga-payanna-sutra: It extols the Samstaraka. ** These four payannas can also be learnt and recited by the Jain householders. ** (5) Tandula-viyaliya-payanna-sūtra : The ancient preceptors call this Payanna-sutra as an ocean of the sentiment of detachment. It describes what amount of food an individual soul will eat in his life of 100 years, the human life can be justified by way of practising a religious life. (6) Candavijaya-payanna-sutra: It mainly deals with the religious practice that improves one's death. (7) Devendrathui-payanna-sūtra : It presents the hymns to the Lord sung by Indras and also furnishes important details on those Indras. (8) Maraṇasamadhi-payanna-sūtra : It describes at length the final religious practice and gives the summary of the 08 chapters dealing with death. (9) Mahāpaccakhāṇa-payanna-sūtra : It deals specially with what a monk should practise at the time of death and gives various beneficial informations. (10) Gaṇivijaya-payanna-sutra: It gives the summary of some treatise on astrology. These 10 Payannās are of the size of 2500 Ślokas. Besides about 22 Payannās are known and even for these above 10 also there is a difference of opinion about their names. The Gacchācāra is taken, by some, in place of the Candavijaya of the 10 Payannās. Only « KAAKAKKKKKKKKKKKKKKKKKKKKKKOYOX www.jainelibrary.o Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ YOKOK YU BALLU BURU VERLO PLA Xoxo (1) (2) IV Six Cheda-sūtras (1) Vyavahāra-sūtra, (2) Nisītha-Sutra, (3) Mahānisitha-sūtra, (4) Pancakalpa-satra, (5) Daśāśruta-skandha-Sotra and (6) Bhatkalpa-sutra. These Chedasätras deal with the rules, exceptions and vows. The study of these is restricted only to those best monks who are (1) serene, (2) introvert, (3) fearing from the worldly existence, (4) exalted in restraint, (5) self-controlled, (6) rightfully descerning the subtlety of entity, territories, etc. (7) pondering over continuously the protection of the six-limbed souls, (8) praiseworthy, (9) exalted in keeping the tradition, (10) observing good religious conduct, (11) beneficial to all the beings and (12) Who have paved the path of Yoga under the guidance of their master. VI Two Colikas Nandi-sutra : It contains hymn to Lord Mahavira, numerous similies for the religious constituency, name-list of 24 Tirtharkaras and 11 Ganadharas, list of Sthaviras and the fivefold knowledge. It is available in the size of around 700 Slokas. Anuyogadvāra-sutra : Though it comes last in the serial order of the 45 Ágamas, the learner needs it first. It is designated as the key to all the Agamas. The term Anuyoga means explanatory device which is of four types: (1) Statement of proposition to be proved, (2) logical argument, (3) statement of accordance and (4) conclusion. * It teaches to pave the righteous path with the support of firm resolve and wordly involvements. It is of the size of 2000 ślokas. ** ********* V Four Molas atras (1) Dajavaikalika-sutra : It is compared with a lake of nectar for the monks and nuns established in the fifth stage. It consists of 10 lessons and ends with 02 Colikas called Rativakya and Vivittacariya. It is said that monk Sthūlabhadra's sister nun Yakşă approached Simandhara Svāmi in the Mahavideha region and received four Calikas. Here are incorporated two of them. (2) Uttaradhyayana-sutra : It incorporates the last sermons of Lord Mahavira. In 36 lessons it describes detachment, the conduct of monks and so on. It is available in the size of 2000 Slokas. . (3) Anuyogadvara-sutra: It discusses 17 topics on conduct, behaviour, etc. Some combine Piryaniryukti with it, while others take it as a separate Agama. Pindaniryukti deals with the method of receiving food (bhiksă or gocari), avoidance of 42 faults and to receive food, 06 reasons of taking food, 06 reasons for avoiding food, etc. Avašyaka-sútra: It is the most useful Agama for all the four groups of the Jain religious constituency. It consists of 06 lessons. It describes 06 obligatory duties of monks, nuns, house-holders and housewives. They are: (1) Samayika, (2) Caturvimšatistava, (3) Vandana, (4) Pratikramana, (5) Kāyotsarga and (6) Paccakhana. 明明明明明明明明明與乐乐乐为历历明明明明明明明明兵兵兵兵兵兵兵兵乐乐乐乐玩玩乐乐明步兵兵玩乐乐乐恩 * O YOK LOXOV L FT STATUTEUT- O 20:10 03 www.ainelibrary.org Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ - 11111 sssssી સગવાતીબાવધ કકકકકકકકકકકકકકકડડડડડડડડડoછે. વર્ણન છે. પ્રાભૃત-પ્રાભૃત - ૭ : આમાં સૂર્યમંડળોના સંસ્થાન સંબંધી આઠ પ્રતિપત્તિઓનું નિરૂપણ છે. પ્રાકૃત-પ્રાભૃત - ૮: આમાં સૂર્યમંડળોના આયામ, વિખંભ વગેરે તેમજ તદનુસાર દિવસ-રાતના મુહૂર્તોની હાનિવૃદ્ધિ નું વર્ણન છે. પ્રાભૃત - ૨ પ્રાભૃત - પ્રાભૃત - ૧: આમાં સૂર્યની ત્રાંસી ગતિ વિષે આઠ પ્રતિપત્તિઓનું નિરૂપણ છે. પ્રાકૃત – પ્રાભૃત - ૨ : આમાં સૂર્યના એક મંડળમાંથી બીજા મંડળમાં સંક્રમણ વિષે આગમ - ૧૬, ૧૭ વર્ણન છે. ગણિતાનુયોગમય સૂર્યપ્રાપ્તિ સૂત્ર - ચંદ્રપ્રશસિ - ૧૬, ૧૭ પ્રાભૃત-પ્રાભૃત - ૩: આમાં એક મુહૂર્તમાં સૂર્યની ગતિના પરિમાણ વિષે નિરૂપણ છે. પ્રાભૃત - : આમાં સૂર્યના તાપનું ક્ષેત્ર તેમજ ચંદ્રના ઉદ્યોતનું ક્ષેત્ર તે વિષે ૧૨ અન્ય નામ:- સૂરપણત્તિ, સૂરિયાણત્તિ, ચંઇપણત્તિ. પ્રતિપત્તિઓનું નિરૂપણ છે. અધ્યયન -... પ્રાભૃત - Y: આમાં ચંદ્ર-સૂર્યના સંસ્થાનના ભેદ અને તે વિષે ૧૬ પ્રતિપત્તિઓ તથા પ્રાભૃત ------- ----- ૨૦ + ૨૦ દરેક મંડળમાં ઉદ્યોત, તાપ અને અંધકારના ક્ષેત્રોના સંસ્થાનનું નિરૂપણ છે. પ્રાભૃત પ્રાભૃત --- -----૩૧ + ૩૧ પ્રાકૃત - ૫ : આમાં સૂર્યના લેસ્યા-તાપના પ્રતિઘાતક વિષે ૧૦ પ્રતિપત્તિઓનું નિરૂપણ છે. ઉપલબ્ધ પાઠ - ૨૨૦૦ + ૨૨ ૦૦ શ્લોક પ્રમાણ પ્રાભૃત - ૬: આમાં સૂર્યની ઓન- સંસ્થિતિ વિષે ૨૫ પ્રતિપત્તિઓ તેમજ અવગાહિત ગધસૂત્ર ---- -૧૦૮ + ૧૦૮ - અનવગાહિત અને અવસ્થિત - અનવસ્થિત મંડળનું વર્ણન છે. પઘસૂત્ર ---- ---- ૧૦૩ + ૧૦૩ પ્રાભૃત - ૭ : આમાં સૂર્ય દ્વારા પ્રકાશિત થતા સ્થૂળ-સૂક્ષ્મ પદાર્થ વિષે ૨૦ પ્રતિપત્તિઓનું નિરૂપણ છે. પ્રાભૂત - ૧ પ્રાભૃત - ૮: આમાં સૂર્યની ઉદયદિશાવિષે ત્રણ પ્રતિપત્તિઓનું નિરૂપણ તથા જંબુદ્વીપના પ્રાભૃત - પ્રાભૃત - ૧ : આમાં અરિહંતને વંદના કરીને મિથિલા વગેરેના વર્ણન પછી દક્ષિણાર્ધ અને ઉત્તરાર્ધમાં ઋતુ, અયન વગેરે વિભિન્ન ક્ષેત્રોના દિવસ-રાત તેમજ ભગવાન મહાવીરનું સમવસરણ, ઈન્દ્રભૂતિ ગૌતમની જિજ્ઞાસા અને ૨૦ પ્રાભૂતોનો વચ્ચે ઉત્સર્પિણી – અવસર્પિણી કાળનું વર્ણન છે. વિષય, મુહૂર્તોની હાનિ-વૃદ્ધિ વગેરે વર્ણન છે. પ્રાભૂત - ૯ : પૌરુષી છાયાપ્રમાણ નામના આ પ્રાભૃતમાં પૌરુષી છાયાના મૂલકારણ, પ્રાભૃત-પ્રાકૃત - ૨ : આમાં સૂર્યના દક્ષિણાયન અને ઉત્તરાયણના જઘન્ય - ઉત્કૃષ્ટ મૂળ વિભાગ અને તે વિષે ૨૫ પ્રતિપત્તિઓ વગેરેનું વર્ણન કરી અને પુરુષની ૨૫ પ્રકારની મુહૂર્ત અને તેના હાનિ-વૃદ્ધિનું વર્ણન છે. છાયાનું નિરૂપણ છે. પ્રાભૃત-પ્રાકૃત - ૩ : આમાં ભરતક્ષેત્ર તથા ઐરાવત ક્ષેત્રના સૂર્યના ઉદ્યોત ક્ષેત્રનું 3 પ્રાભૃત - ૧૦ વર્ણન છે. પ્રાભૃત-પ્રાભૃત - ૧ : આમાં ચંદ્ર-સૂર્ય સાથે નક્ષત્રોના યોગ અને તે વિષે પાંચ ક પ્રાભૃત-પ્રાભૃત - ૪ : આમાં એક સૂર્યની ગતિના અંતરની વાત છે, પ્રતિપત્તિઓનું નિરૂપણ છે. પ્રાભૃત-પ્રાભૃત – ૫ : આમાં સૂર્ય દ્વારા દ્વીપ- સમુદ્રોના અવગાહન સંબંધી વર્ણન છે. પ્રાકૃત-પ્રાભૃત - ૨ : આમાં ચંદ્ર-સૂર્ય સાથે યોગમાં આવતા નાત્રોના મુહૂર્ત-પરિમાણ પ્રાભૃત-પ્રાભૃત - ૬ : આમાં સૂર્ય દ્વારા એક દિવસ-રાતમાં સ્પર્શ કરાતા ક્ષેત્રોના વિષે કે વર્ણિત છે. BUCyYyyH5 544555 ભાગમગુvમંગૂષા - ૪૦ Fકકકકક કકકકકક કકક શ©. Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ C$$$$$%玩玩乐乐玩玩乐乐明纸听听听听听听听听听听听听听垢乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐 GOwk y k kË સરળ ગુજરાતી ભાવાર્થ k¥ÉÉ ¥ÉÉ¥ÉÉH OF પ્રાભૃત- પ્રાભૃત - ૭ : આમાં પૂર્વ-પશ્ચિમ અને ઉભય ભાગોથી ચંદ્ર સાથે યોગ કરનારા નિરૂપણ છે. નક્ષત્રોનું નિરૂપણ છે. - પ્રાભૃત - ૧૨: પ્રાભૃત-પ્રાભૃત - ૪ : આમાં યુગારંભે યોગ કરનારા નક્ષત્રોના પૂર્વાદિ વિભાગોનું વર્ણન છે. આમાં પાંચ પ્રકારના સંવત્સરોના મુહૂર્ત, દિવસ-રાત વગેરે, છ ઋતુઓ, ક્ષયતિથિપ્રાભૃત-પ્રાભૃત ૫ : આમાં નક્ષત્રોના કુળ – ઉપકુળ - કુળોપકુળ નું નિરૂપણ છે. વૃદ્ધિતિથિ વગેરેના વર્ણન પછી પાંચ પ્રકારના સંવત્સરોના યોગ, યોગકાળ વગેરે વર્ણન પ્રાભૃત-પ્રાભૃત - ૬ : આમાં ૧૨ પૂર્ણિમા તેમજ ૧૨ અમાવાસ્યામાં નક્ષત્રોના યોગ છે. છે તથા તેમના નક્ષત્રોના કુળ - ઉપકુળ - કુળોપકુળનું વર્ણન છે. પ્રાકૃત - ૧૩: પ્રાભૃત - પ્રાભૃત - ૭ : આમાં એકસરખા નક્ષત્રોથી યુક્ત પૂર્ણિમા અને અમાવાસ્યાનું આમાં કૃષ્ણ શુક્લ પક્ષમાં ચંદ્રની હાનિ-વૃદ્ધિ તથા ચંદ્ર-સૂર્યનો રાહુ સાથે યોગ ૪ નિરૂપણ છે. વગેરે વર્ણન છે. પ્રાભૃત-પ્રાભૃત – ૮-૯ : આ બંનેમાં અનુક્રમે નક્ષત્રોના સંસ્થાન અને તારાઓનું પ્રાભૃત - ૧૪ વર્ણન છે. આમાં કૃષ્ણ-શુક્લ પક્ષમાં ચંદ્રપ્રકાશ અને અંધકારનું પ્રમાણ છે. પ્રાભૃત-પ્રાભૃત - ૧૦ : આમાં વર્ષ, હેમંત તેમજ ગ્રીષ્મ ઋતુઓમાં માસ ક્રમાનુસાર પ્રાભૃત - ૧૫ નક્ષત્રોના યોગ તથા પૌરુષી પ્રમાણનું વર્ણન છે. આમાં ચંદ્ર વગેરે જ્યોતિષી દેવોની ગતિ, મંડલગતિ, નક્ષત્રમાસ તેમજ ચંદ્રમાસ પ્રાભૃત-પ્રાકૃત - ૧૧ : આમાં દક્ષિણ-ઉત્તર અને ઉભયમાર્ગે ચંદ્ર સાથે યોગ કરનારા વગેરેમાં સૂર્ય વગેરેની મંડલગતિ તેમજ ચંદ્ર, સૂર્ય વગેરે ગ્રહોની એક યુગમાં મંડલગતિ નક્ષત્રો તથા નક્ષત્રરહિત ચંદ્રમંડળ, સૂર્યરહિત ચંદ્રમંડળ વગેરે વાતો છે. વગેરે વર્ણન છે. પ્રાભૃત-પ્રાકૃત - ૧૨ : આમાં નક્ષત્રોના દેવતા જણાવ્યા છે. પ્રાભૃત - ૧૬ પ્રાભૃત-પ્રાભૃત - ૧૩ : આમાં ૩૦ મુહૂર્તોના નામ આપ્યાં છે. આમાં ચંદ્રિકા, તડકો તેમજ અંધકારના પર્યાયો આવ્યા છે. પ્રાભૃત-પ્રાભૃત - ૧ ૧૫ : આ બંનેમાં અનુક્રમે ૧૫ દિવસ તથા ૧૫ રાત્રિના પ્રાભૃત - ૧૭ તેમજ તેમની તિથિઓના નામ બતાવ્યા છે. આમાં ચંદ્ર- સૂર્યના ચ્યવન-મરણ તેમજ ઉપપાત-જન્મ વગેરે વિષે ૨૫ કે પ્રાભૃત-પ્રાકૃત - ૧૬-૧૭ : આ બંનેમાં અનુક્રમે નક્ષત્રોના ગોત્ર તેમજ તે નક્ષત્રોમાં પ્રતિપત્તિઓનું નિરૂપણ છે. ભોજન-વિધાનનું નિરૂપણ છે. પ્રાભૃત – ૧૮ પ્રાભૃત-પ્રાભૃત - ૧૮ : આમાં એક એક યુગમાં ચંદ્ર-સૂર્ય સાથેના નક્ષત્રોના યોગનું આમાં ભૂમિથી ચંદ્ર, સૂર્ય વગેરેની ઊંચાઈનું પરિમાણ અને તે વિષે ૨૫ ૨ વર્ણન છે. પ્રતિપત્તિઓ, જ્યોતિષી-દેવો, દ્વીપો વગેરેના એક બીજાથી અંતર તે દેવોની રાણીઓ છે. પ્રાભૃત-પ્રાભૃત - ૧૯ : આમાં સંવત્સરના માસતથા લૌકિક અને લોકોત્તર માસના નામ વગેરે તેમજ તે રાણીઓની જઘન્ય- ઉત્કૃષ્ટ સ્થિતિ વગેરે વર્ણન છે. આપ્યાં છે. પ્રાકૃત - ૧૯ કે પ્રાભૃત-પ્રાકૃત – ૨૦.: આમાં સંવત્સર, નક્ષત્ર સંવત્સર, યુગ સંવત્સર, પ્રમાણ સંવત્સર, આમાં ચંદ્ર-સૂર્યના પ્રકાશિત વિભાગ વિષે ૧૨ પ્રતિપત્તિઓ તેમજ લવણ સમુદ્ર, પ લક્ષણ સંવત્સર તથા શનૈશ્વર સંવત્સરના પ્રકાર - પેટાપ્રકારનું નિરૂપણ છે. ઘાતકીખંડ, કાલોદધિ, પુષ્કરદ્વીપ અને પુષ્કરાઈ વગેરેના સંસ્થાન, આયામ વગેરે તેમજ 5 પ્રાભૃત-પ્રાકૃત - ૨૧: આમાં નક્ષત્રોના દ્વાર વગેરે વિષે પાંચ પ્રતિપત્તિઓનું નિરૂપણ છે. ત્યાંના ચંદ્ર-સૂર્ય વગેરેના વર્ણનને અંતે સ્વયંભૂરમણદીપ પર્યન્ત વર્ણન છે. પ્રાકૃત-પ્રાકૃત - ૨૨ : આમાં બે-બે ચંદ્ર-સૂર્ય તથા તે બંનેની સાથે યોગ કરનારા પ્રાભૃત - ૨૦ નક્ષત્રો, તેમનો પાંચ પ્રકારના સંવત્સરમાં યોગ, તેમનું કાલપ્રમાણ વગેરે વર્ણન છે, આમાં ચંદ્ર- રાહુ - સૂર્ય ના નામ વિષયક, તેમના જ ઘન્ય - ઉત્કૃષ્ટ કાળ, ' પ્રાભૃત - ૧૧: માનવભોગોની તુલના અને ૮૦ ગ્રહોના નામ ’અંતે આ પ્રાપ્તિના પાત્ર- અપાત્ર આમાં પાંચ પ્રકારના સંવત્સરોના આરંભ અને અંત તથા તેમાંના નક્ષત્રોના યોગનું અને વીરવંદનાથી ઉપસંહાર કરવામાં આવ્યો છે. વૈક ક૬ ૬૬É ¥ÉE F શ્રી માગમગુofમનૂવા - ૪૬ F**k # ક્રF 5 FF #FFF F S GO乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听G Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ OR9555555 (१७) चंदपन्नति [(६) उवंगसुत्तं] ( हुडं [१] 555555555555555FOXY CICF听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 सिरि उसहदेव सामिस्स णमो। सिरि गोडी - जिराउला - सव्वोदयपासणाहाणं णमो । नमे ऽत्थुणं समणस्स भगवओ महइ महावीर वद्धमाण सामिस्स । सिरि गोयम - सोहम्माइ सव्व गणहराणं णमो । सिरि सुगुरु - देवाणं णमो। ॐ श्रीचन्दप्रज्ञप्त्युपाङ्गम्।55 'जयइ नवणलिणकुवलयविगसियसयवत्तपत्तलदलच्छो। वीरो गइंदमयगलसललियगयविक्कमो भयवं ।।१।। णमिऊण असुरसुरगरूलभुयगपरिवंदिए गयकिलेसे। अरिहे सिद्धायरियउवज्झाए सव्वसाहू य ।।२।। फुडवियडपायडत्थं वुच्छं पुव्वसुयसारणीसंदं । सुहुमं गणिणोवइ8 जोइसगणरायपन्नतिं ।।३।। णामेण इंदभइत्ति गोयमो वंदिऊण तिविहेणं । पुच्छइ जिणवरवसहं जोइसरायस्स पण्णत्तिं ।।४|| कइ मंडलाइं वच्चइ, तिरिच्छा किं च गच्छइ । ओभासइ केवइयं, सेयाइ किं ते संठिई ।।५।। कहिं पडिहया लेसा, कह ते ओयसंठिई। किं सूरियं वरयते, कहं ते उदयसंठिई ।।६।। कईकट्ठा पोरिसीच्छाया, जोएत्ति किं ते आहिए।१०॥ के ते संवच्छराणादी, कइ संवच्छराइ य॥७॥ कहं चंदमसो वुड्ढी, कया ते दोसिणा बहू । के सिग्घगई वुत्ते, किं ते दोसिणलक्खणं ।।८।। चयणोववाय उच्चत्ते, सूरिया कइ आहिया। अणुभावे. केरिसे वुत्ते २०, एवमेयाई वीसई ।।९।।१। वड्ढोवड्ढी मुहुत्ताणमद्धमंडलसंठिई । के ते चिन्नं परियरइ, अंतरं किं चरंति य ।।१०।। ओगाहइ केवइयं, केवतियं च विकंपइ मंडलाण य संठाणे, विक्खंभो अट्ठ पाहुडा ।।११।।२। छप्पंच य सत्तेव य अट्ठ तिन्नि य हवंति पडिवत्ती । पढमस्स पाहुडस्स उ एयाउ हवंति पडिवत्ती ॥१२॥३। पडिवत्तीओ उदए, अदुव अत्थमणेसु य । भेयघाए कण्णकला, मुहुत्ताण गतीति य ।।१३।। निक्खममाणे सिग्घगई, पविसंते मंदगईइ य । चुलसीइसयं परिसाणं, तेसि च पडिवत्तीओ ॥१४॥ उदयम्मि अट्ठ भणिया भेदग्घाए दुवे य पडिवत्ती । चत्तारि मुहुत्तगईए हुंति तइयमि पडिवत्ती ॥१५॥४। आवलिय मुहुत्तग्गे, एवंभागाय जोगसा। कुलाई पुन्नमासी य, सन्निवाए य संठिई ॥१६।। तारगग्गं च नेता य, चंदमग्गत्ति यावरे । देवताण य अज्झयणे, मुहत्ताणं नामया इय ।।१७|| दिवसा राई वुत्ता य, तिहि गोत्ता भोयणाणि य । आइच्चवार मासा य, एवं संवच्छरा इय ।।१८।। जोइसस्स य दाराई, नक्खत्तविजयेऽविय। दसमे पाहुडे एए, बावीसं पाहडपाहडा ॥१९॥५। तेणं कालेणं तेणं समएणं मिहिलानाम नगरी होत्था, रिद्धि० वण्णओ, तीसे मिहिलाए नयरीए बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसिभाए एत्थ णं माणिभद्दे णामं चेइए होत्था, चिराइए वण्णओ, तीसे णं मिहिलाए णगरीए जियसत्तू राया धारिणी देवी वण्णओ, तेणं कालेणं० तमि माणिभद्दे चेइए सामी समोसढे परिसा णिग्गया धम्मो कहिओ परिसा पडिगया।६। तेणं कालेणं० समणस्स भगवओ महावीरस्स जेढे अंतेवासी इंदभूइनाम अणगारे गोयमगोत्तेणं सत्तूस्सेहे जाव पज्जवासमाणे एवं वयासी।७ता कहं ते वद्धोवद्धी मुहत्ताणं आहितेति वदेज्जा ?, ता अट्ठ एकूणवीसे मुहुत्तसते सत्तावीसं च सत्तट्ठिभागे मुहत्तस्स आहितेति वदेज्जा ॥ ८ाता जया णं सूरिए सव्वब्भंतरातो मंडलातो सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति सव्वबाहिरातो मंडलातो सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति एस णं अद्धा केवतिय रातिदियग्गेणं आहि०?, ता तिण्णि छावढे रातिदियसए रातिदियग्गेणं आहि०।९। ता एताए णं अद्धाए सूरिए कति मंडलाई चरति ?, ता चुलसीयं मंडलसतं चरति, बासीतिमंडलसतं दुक्खुत्तो चरति, तं०-णिक्खममाणे चेव पवेसमाणे चेव, दुवे य खलु मंडलाइं सई चरति तं०-सव्वब्भंतरं चेव मंडलं सव्वबाहिरं चेव ।१०। जइ खलु तस्सेव आदिच्चस्स संवच्छरस्स सई अट्ठारसमुंहुत्ते दिवसे भवति सई अट्ठारसमुहुत्ता राती भवति सई दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति सई दवालसमुहत्ता राती भवति, ता पढमे छम्मासे अत्थि अट्ठारसमुहुत्ता राती णत्थि अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे अस्थि दुवालसमुहुत्ते दिवसे णत्थि दुवालसमुहुत्ता राती भवति, दोच्चे छम्मासे अत्थि अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे णत्थि अट्ठारसमुहुत्ता राती अस्थि दुवालसमुहुत्ता राती णत्थि दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति, पढमे वा दोच्चे वा छम्मासे नत्थि पण्णरसमुहत्ते दिवसे णत्थि पण्णरसमुहुत्ता राती भवति, जं णं पढमे वा छम्मासे दोच्चे वा छम्मासे णत्थि पण्णरसमुहूत्ते दिवसे भवति णत्थि पण्णरसमुहत्ता राती भवति तत्थ णं कं हेतुं वदेज्जा ?, ता अयण्णं जंबुद्दीवे सव्वदीवसमुद्दाणं सव्वब्भंतराए जाव परिक्खेवेणं पं०, ता जताणं सूरिए सव्वब्भंतरमंडलं 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐听听听听听听听听听听听听听FO屬 सौजन्य :-.सौ. श्रीमति इल्पनाजेनधी२०४ गर मेरा (२७) YO#555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा ११४८5555555555555555555555 $OOR Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वाक्यात राडपाड-पाहु-१२श 西%%%%% % 和RCS %%%%%%%% 明明明明明明明明明明明明明听听听听 %%% % %% उवसंकमित्ता चारं चरति तदा णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्को० अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति जहण्णिया दुवालसमुहुत्ता राती भवति, से निक्खममाणे सूरिए नवं संवच्छरं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि अभितराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए अभिंतरांणतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तदाणं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे दुवालसमुहुत्ता राती भवति दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अधिया, से णिक्खममाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि अब्भंतरं तच्चं ॥ मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जयाणं सूरिए अभिंतरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तदा णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे 'दुवालसमुहुत्ता राती भवति चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिया, एवं खलु एएणं उवाएणं णिक्खममाणे सूरिए तदाणंतराओ तयाणंतरं मंडलातो मंडलं संकममाणे २ दो दो एगट्ठीभागे मुहुत्ते एगमेगे मंडले दिवसखेत्तस्स णिवुड्ढेमाणे रतणिक्खेत्तस्स अभिवुड्ढेमाणे २ सव्वबाहिरमंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए सव्वभंतरातो मंडलाओ सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं सव्वब्भंतरमंडलं पणिधाय एगेणं तेसीतेणं राइंदियसतेणं तिण्णि छावढे एगट्ठिभागमुहुत्तसते दिवसखेत्तस्स णिवुडिढत्ता रतणिक्खेत्तस्स अभिवुडिढत्ता चारं चरति तदा णं उत्तमकट्ठपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राती भवति जहण्णए बारसमुहुत्ते दिवसे भवति, एस णं पढमे छम्मासे एस णं पढमस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे, से पविसमाणे सूरिए दोच्चं छम्मासं अयमीणे (आयमाणे) पढमंसि अहोरत्तंसि बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमेत्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तदा णं अट्ठारसमुहत्ता राती भवति दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणा दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिए, से पविसमाणे सूरिए दोच्वंसि अहोरत्तंसि बाहिरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए बाहिरंतच्वं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तदा णं अट्ठारसमुहुत्ता राती भवति चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणा दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिए, एवं खलु एतेणुवाएणं पविसमाणे सूरिए तदाणंतरातो मंडलातो तयाणंतरं मंडलं संकममाणे दो दो एगट्ठिभागमुहुत्ते एगमेगे मंडले रतणिखेत्तस्स णिवुड्ढेमाणे २ दिवसखेत्तस्स अभिवुड्ढेमाणे २ सव्वन्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए सव्वबाहिराओ मंडलाओ सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तदा णं सव्वबाहिरं मंडलं पणिधाय एगेणं तेसीएणं राइंदियसतेणं तिन्नि छावढे एगट्ठिभागमुहुत्तसते रयणिखेत्तस्स निवुड्डित्ता दिवसखेत्तस्स अभिवड्डित्ता चारं चरति तयाणं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति जहण्णिया दुवालसमुहुत्ता राती भवति, एस णं दोच्चे छम्मासे एस णं दुच्चस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे एस णं आदिच्चे संवच्छरे एस णं आदिच्चस्स संवच्छरस्स पज्जवसाणे, इति खलु तस्सेवं आदिच्चस्स संवच्छरस्स सइं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति सइं अट्ठारसमुहुत्ता राती भवति सई दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति सई दुवालसमुहुत्ता राती भवति, पढमे छम्मासे अत्थि अट्ठारसमुहुत्ता राई नत्थि अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे अत्थि दुवालसमुहुत्ते दिवसे नत्थि दुवालसमुहुत्ता राई, दोच्चे छम्मासे अत्थि अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति णत्थि अट्ठारसमुहुत्ता राई अत्थि दुवालसमुहुत्ता राई नत्थि दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति, पढमे वा छम्मासे दोच्चे वा छम्मासे णत्थि पण्णरसमुहुत्ते दिवसे भवति णत्थि पण्णरसमुहुत्ता राई भवति, नन्नत्थ रातिदियाणं वड्ढोवड्ढीए मुहुत्ताण वा चयोवचएणं, णण्णत्थ वा अणुवायगईए, पुव्वेण दुन्नि भागा० पाहुडियगाधाओ भाणितव्वाओ ।११॥ पढमस्स पाहुडस्स पढमं पाहुडपाहुडं १-१|| ता कहं ते अद्धमंडलसंठिती आहि०?, तत्थ खलु इमा दुविहा अद्धमंडलसंठिती पं० तं०-दाहिणा चेव उत्तरा चेव, ता कहं ते दाहिणअद्धमंडलसंठिती आहि० ?, ता अयण्णं जंबुद्दीवे दीवे सव्वदीवसमुद्दाणं जाव परिक्खेवेणं, ता जया णं सूरिए सव्वब्भंतरं दाहिणं ॥ अद्धमंडलसंठिति उवसंकमित्ता चारं चरति तदा णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्को० अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति जहणिया दुवालसमुहुत्ता राती भवति, से णिक्खममाणे सूरिए णवं संवच्छरं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि दाहिणाए अंतराए भागाते तस्सादिपदेसाते अब्भितराणंतरं उत्तरं अद्धमंडलसंठिति उवसंकमित्ता चारं चरति तदा णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे दुवालसमुहुत्ता राती भवति दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अधिया, से णिक्खममाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि ॥ % %%%%%%%%% %%%%% 55555555% %% % % %% D reyफफफफफ फफक श्री आगमगुणमंजूषा - ११४९ 95555555555555555555555555107 OF Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ STOR 65岁男宝马 2555555555555555555555555555555555555555555555555 a555555岁万岁万万岁男明 (१७) चंदपन्नति (१ पादुडं, पाहुड-पाहुई - २, ३] 55555555555555FOTorg उत्तराए अंतराए भागाते तस्सादिपदेसाए अभितरं तच्चं दाहिणं अद्धमंडलसंठिति उवसंकमित्ता चारं चरति तदाणं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति चउहिं एगट्ठिभागमुहत्तेहिं ऊणे दुवालसमुहुत्ता राई भवति चउहिएगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अधिया, एवं खलु एएणं उवाएणं णिक्खममाणे सूरिए तदणंतरातोऽणंतरं तंसिर देसंसितं तं अद्धमंडलसंठिति संकममाणे २ दाहिणाए अंतराए भागाते तस्सादिपदेसाते सव्वबाहिरं उत्तरं अद्धमंडलसंठिति उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरं उत्तरं अद्धमंडलसंठितिं उवसंकमित्ता चारं चरति तदा णं उत्तमकट्ठपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवति जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति, एस णं पढमे छम्मासे एसणं पढमस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे, से पविसमाणे सूरिए दोच्चं छम्मासं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि उत्तराते जाव पदेसाते बाहिराणंतरं दाहिणं अद्धमंडलसंठिति उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जयाणं सूरिए बाहिराणंतरं दाहिणं अद्धमंडलसंठिति उवसंकमित्ता चारं चरति तदा राइदिवसपमाणं तं चेव भाणियव्वं, एवं खलु एतेणं उवाएणं पविसमाणे सूरिए तदाणंतराओ तदाणंतरं तंसि २ देसंसि तं तं अद्धमंडलसंठितिं संकममाणे उत्तराए जाव पदेसाए सव्वब्भंतरं दाहिणं अद्धमंडलसंठितिं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए सव्वब्भंतरं दाहिणं अद्धमंडलसंठिति उवसंकमित्ता चारं चरति तदा णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए जाव दिवसे भवति है जहण्णिया दुवालसमुहुत्ता राई भवति, एस णं दोच्चे छम्मासे एस णं दोच्चस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे एस णं आदिच्चे संवच्छरे एस णं आदिच्चस्स संवच्छरस्स पज्जवसाणे।१२।ता कहं ते उत्तरा अद्धमंडलसंठिती आहि० ?, ता जताणं सूरिए सव्वब्भतरे उत्तरं अद्धमंडलसंठितिं उवसंकमित्ता चारं चरति तदा णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति जहणिया दुवालसमुहुत्ता राई भवति, से णिक्खममाणे सूरिए णवं संवच्छरं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि उत्तराए जाव पएसाए अब्भंतरं दाहिणं अद्धमंडलसंठितिं उवसंकमित्ता चारं चरति, ततो जया णं सूरिए अभिंतराणंतरं दाहिणं जाव चारं चरति तया णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे दुवालसमुहुत्ता राती भवति दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिया, से णिक्खममाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि दाहिणाए जाव पदेसाए अभिंतरं तच्चं उत्तरं अद्धमंडलसंठिति उवसंकमित्ता चारं चरति, ततो जया णं अभिंतरं तच्चं उत्तरं जाव चारं चरति तता णं दिवसराइपमाणं तं चेव भाणियव्वं, एवं खलु एएणं उवाएणं णिक्खममाणे सूरिए तताणंतराओ तदाणंतरं मंडलाओ मंडलं संकममाणे तंसि २ देसंसि तं तं अद्धमंडलसंठिति जाव चारं चरति, ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरं दाहिणं अद्धमंडल जाव चारं चरति तदा णं उत्तमकट्ठपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवति जहण्णए दुवालस जाव दिवसे भवइ, एस णं पढमे छम्मासे एस णं पढमस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे, से पविसमाणे सूरिए दोच्चं छम्मासं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि दाहिणाए जाव पदेसाए बाहिराणंतरं उत्तरं अद्धमंडलसंठिति उवसंकमित्ता चारं चरति, ततो जदाणं सूरिए बाहिराणंतरं अद्धमंडल जाव चारं चरति तताणं अट्ठारसमुहुत्ता राती भवति दोहिं। एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणा दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिये, से पविसमाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि उत्तराए जाव पदेसाए बाहिरं तच्चं दाहिणं अद्धमंडलसंठिति उव जाव चारं चरति, ता जया णं सूरिए बाहिरं तच्चं दाहिणं जाव चारं चरति तता णं अट्ठारसमुहुत्ता राती भवति चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणा दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति चउहिं एगट्ठिभागमुंहुत्तेहिं अहिए, एवं खलु एएणं उवाएणं पविसमाणे सूरिए तयाणंतराओ तताणंतरं० तंसि २ देसंसि तं तं अद्धमंडलसंठितिं संकममाणे दाहिणाए जावपएसाए सव्वन्भंतरं उत्तरं अद्धमंडलसंठिति उवसंकमित्ता चारं चरति, जेताणं सूरिए सव्वन्भंतरं उत्तरं अद्धमंडलसंठिति जाव चारं चरति तदा णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति जहण्णिया दुवालसमुहुत्ता राती भवति, (राई, सूर्य० जहा दाहिणा तहा चेव णवरं क उत्तरट्ठिओ अभितराणंतरं दाहिणं उवसंकमइ, दाहिणातो अभिंतरं तच्चं उत्तरं उवसंकमति, एवं खलु एएणं उवाएणं जाव सव्वबाहिरं दाहिणं उवसंकमति, म (सव्वबाहिरातो) बाहिराणंतरं उत्तरं उवसंकमति उत्तरातो बाहिरं तच्चं दाहिणं तच्चातो दाहिणातो संकममाणे २ जाव सव्वन्भंतरं उवसंकमति तहेव) एस णं दोच्चे छम्मासे एसणं दोच्चस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे एसणं आदिच्चे संवच्छरे एसणं आदिच्चस्स संवच्छरस्स पज्जवसाणे, गाहाओ । ११-२॥★★★ पक $$$雷$5听听听听听 MOTO$$$$$ CHEducation International 2010-03 SHOROS555555555555555555 5 For Prvate & Personal Use Only www.jainelibrary.ora) श्री आगमगणमंजूषा - ११५०$5455555555555555555555551203 Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ MC明明乐乐乐乐乐乐听听听听听听听听乐乐玩乐乐%乐明明明明明乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐听听听听听听听听乐明明5O MOHO$585FFFFFFFFFE (१७) चंदपन्नति (१) पहुई, पाहुड-पाहुड - ३,४ [४] %%%%%%% % %%%%IAO ताके ते चिन्नं पडिचरंति आहि० ?, तत्थ खलु इमे दुवे सूरिया पं० तं०-भारहे चेव सूरिए एरवए चेव सूरिए, ता एते णं दुवे सूरिया पत्तेयं २ तीसाए २ मुहुत्तेहिं एगमेगं अद्धमंडलं चरंति, सट्ठीए २ मुहुत्तेहिं एगमेगं मंडलं संघातंति, ता णिक्खममाणा खलु एते दुवे सूरिया णो अण्णमण्णस्स चिण्णं पडि चरंति, पविसमाणा खलु एते दुवे सूरिया अण्णमण्णस्स चिण्णं पडिचरंति, तं सतमेगं चोतालं, तत्थ कं हेउं वदेज्ना?, ता अयण्णं जंबुद्दीवे दीवे जाव परिक्खेवेणं, तत्थ णं अयं भारहए चेव सूरिए जंबुद्दीवस्स पाईणपडीणायतउदीणदाहिणायताए जीवाए मंडलं चउवीसएणं सतेणं छेत्ता दाहिणपुरथिमिल्लंसि चउभागमंडलंसि बाणउतियसूरियगताई जाई सूरिए अप्पणा चेव चिण्णाइं पडिचरति उत्तरपच्चत्थिमिल्लंसि चउभागमंडलंसि एक्काणउतिं सूरियगताई जाइं सूरिए अप्पणा चेव चिण्णाई पडिचरति, तत्थ अयं भारहे सूरिए एरवतस्स सूरियस्स जंबुद्दीवस्स पाईणपडीणायताए उदीणदाहिणायताए जीवाए मंडलं चउवीसएणं सतेणं छेत्ता उत्तरपुरच्छिमिल्लंसि चउभागमंडलंसि बाणउतिं सूरियगताई जाइं सूरिए परस्स चिण्णाइं पडिचरति दाहिणपच्चच्छिमिल्लंसि चउब्भागमंडलंसि एक्कणउतिं सूरियगताइं जाइं सूरिए परस्स चेव चिण्णाई पडिचरति, तत्थ अयं एरवए सूरिए जंबुद्दीवस्स पाईणपड़ीणायताए उदीणदाहिणायताए जीवाए मंडलं चउवीसएणं सतेणं छेत्ता उत्तरपुरथिमिल्लंसि चउब्भागमंडलंसि बाणउतिं सूरियगयाइं जाइं सूरिए अप्पणा चिण्णाइं पडियरति दाहिणपुरथिमिल्लसि चउभागमंडलंसि एक्काणउतिसूरियगताई जाइं सूरिए अप्पणा चेव चिण्णाइं पडिचरति, तत्थ णं एयं एरवतिए सूरिए भारहस्स सूरियस्स जंबुद्दीवस्स पाईणपडीणायताए उदीणदाहिणायताए जीवाए मंडलं चउवीसएणं सतेणं छित्ता दाहिणपच्चत्थिमिल्लंसि चउभागमंडलंसि बाणउति सूरियगताई जाइं सूरिए परस्स चिण्णाई पडिचरति उत्तरपुरथिमिल्लसि चउब्भागमंडलंसि एक्काणउति सूरियगताई जाई सूरिए परस्स चेव चिण्णाइं पडिचरति, ता निक्खममाणे खलु एते दुवे सूरिया णो अण्णमण्णस्स चिण्णं पडिचरंति, पविसमाणा खलु एते दुवे सूरिया अण्णमण्णस्स चिण्णं पडिचरंति, तं०-'सतमेगं चोतालं० गाहाओ★★★|१४||१-३॥९***ता केवइयं एए दुवे सूरिया अण्णमण्णस्स अतरं कटु चारं चरंति आहि० ?, तत्थ खलु इमातो छ पडिवत्तीओ पं०, तत्थ एगे एव०-ता एगं जोयणसहस्स एणं च तेत्तीसं जोयणसतं अण्णमण्णस्स अंतरं कटु सूरिया चार चरंति आहि० एगे एव०, एगे पुण०-ता एगं जोयणसहस्सं एगं चउतीसं जोयणसयं अन्नमन्नस्स अंतरं कटु सूरिया चारं चरंति आहि० एगे एव०, एगे पुण०-ता एगं जोयणसहस्सं एगं च पणतीसं जोयणसयं अण्णमण्णस्सं अंतरं कटु सूरिया चारं चरंति आहि० एगे एव०, एवं एगं दीवं एगं समुई अण्णमण्णस्स अंतरं क१०, एगे० दो दीवे दो समुद्दे०, एगे० तिण्णि दीवे तिण्णि समुद्दे०, वयं पुण एवं वयामो-ता पंच २ जोयणाई पणतीसं च एगद्विभागे जोयणस्स एगमेगे मण्डले अण्णमण्णस्स अंतरं अभिवड्ढेमाणा वा निवड्ढेमाणा वा सूरिया चारं चरंति०, तत्थ णं को हेऊ आहि० ?, ता अंयण्णं जंबुद्दीवे जाव परिक्खेवेणं, ता जया णं एते दुवे सूरिया सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तदा णं णवणउतिजोयणसहस्साई छच्च चत्ताले जोयणसते अण्णमण्णस्स अंतरं कटु चार चरंति आहि० तताणं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति जहणिया दुवालसमुहुत्ता राई भवति, ते निक्खममाणा सूरिया णवं संवच्छरं अयमाणा पढमंसि अहोरत्तंसि अभितराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति, ता जता णं एते दुवे सूरिया जाव चारं चरंति तदा णं नवनवतिं जोयणसहस्साइं छच्च पणताले ई जोयणसते पणतीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स अण्णमण्णस्स अंतरं कटु चारं चरंति आहि०, तता णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे दुवालसमुहुत्ता राती भवति दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अधिया, ते णिक्खममाणा सूरिया दोच्चंसि अहोरत्तंसि अन्भितरं तच्वं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति, ता जता एते दुवे सूरिया अब्भितरं तच्चं मंडलं जाव चारं चरंति तया णं नवनवई जोयणसहस्साइं छच्च इक्कावण्णे जोयणसए नव य एगट्ठिभागे जोयणस्स अण्णमण्णस्स अंतरं कटु चारं चरंति० तदा णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे दुवालसमुहुत्ता राई भवइ चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अधिया, एवं खलु एतेणुवाएणं णिक्खममाणा एते दुवे सूरिया तताणंतरातो तदाणंतरं मंडलाओ मंडलं संकममाणा २ पंच जोयणाइं पणतीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगे मंडले अण्णमण्णस्स अंतरं अभिवढेमाणा २ सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चार चरंति, ता जया णं एते दुवे सूरिया सव्वबाहिरं मंडल उवसंकमित्ता चार चरंति तताणं NoveLEEEE EEELLELLE1:1-1-1-1 GRO555555555555555555555555555555555555555555555555Femal Education Intem anelibrary.SA Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१७) चंदपन्नति (१) पाहुडं पाहुड- पाहुडे ४, ५, ६ [५] एगं जोयणसतसहस्सं छच्च सट्ठे जोयणसते अण्णमण्णस्स अतरं कट्टु चारं चरंति तता णं उत्तमकट्ठपत्ता जाव राई भवइजहण्णए दुवाल जाव दिवसे भवति, एस पढमे छम्मासे एस णं पढमस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे, ते पविसमाणा सूरिया दोच्चं छम्मासं अयमाणा पढमंसि अहोरत्तंसि बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति, ता जया णं एते दुवे सूरिया बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति तदा णं एवं जोयणसयसहस्सं छच्च चउप्पण्णे जोयणसतें छव्वीसं च एगद्विभागे जोयणस्स अण्णमण्णस्स अंतरं कट्टु चारं चरंति तदा णं अट्ठारसमुहुत्ता राई भवई दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणा दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति दोहिं एगट्टिभागमुहुत्तेहिं अहिए, ते पविसमाणा सूरिया दोच्चंसि अहोरत्तंसि बाहिरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति, ता जता णं एते दुवे सूरिया बाहिरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति तता णं एगं जोयणसयसहस्सं छच्च अडयाले जोयणसते बावण्णं च एगट्टिभागे जोयणस्स अण्णमण्णस्स अंतरं कट्टु चारं चरंति तता णं अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ चउहिं एग जाव ऊणा दुवालसुमुहत्ते दिवसे भवति चउहिं जाव अहिए, एवं खलु एतेणुवाएणं पविसमाणा एते दुवे सूरिया ततोऽणंतरातो तदाणंतरं मंडलाओ मंडलं संकममाणा पंच जोयणाइं पणतीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगे मंडले अण्णमण्णस्संतरं णिवुड्ढेमाणा २ सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति, जया एते दुवे सूरिया सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति तता णं णवणउतिं जोयणसहस्साइं छच्च चत्ताले जोयणसते अण्णमण्णस्स अंतरं कट्टु चारं चरंति तता णं उत्तमकट्ठपत्ते जाव दिवसे भवति जहण्णिया दुवालसमुहुत्ता राई भवति, एसणं दोच्चे छम्मासे एस णं दोच्चस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे एस णं आइच्चे संवच्छरे एस णं आइच्चस्स संवच्छरस्स पज्जवसाणे ★★★।१५।।१-४॥★★★ ता केवतियं ते दीवं वा समुद्दं वा ओगाहित्ता सूरिए चारं चरति आहि० ?, तत्थ खलु इमाओ पंच पडिवत्तीओ पं०, एगे एव० - ता एवं जोयणसहस्सं एगं च तेत्तीस जोयणसतं दीवं वा समुद्दं वा ओगाहित्ता सूरिए चारं (२०४) चरति एगे एव०, एगे पुण० - ता एवं जोयणसहस्सं एगं च चउत्तीसं जोयणसयं दीवं वा समुद्दं वा ओगाहित्ता सूरिए चारं चरति एगे एव०, एगे पुण० - ता एगं जोयणसहस्सं एगं च पणतीसं जोयणसतं दीवं वा समुद्दं वा ओगाहित्ता सूरिए चारं चरति एगे एव०, एगे पुण० - ता अवड्ढं दीवं वा समुदं वा ओगाहित्ता सूरिए चारं चरति एगे एव०, एगे पुण०-ता नो किंचि दीवं वा समुदं वा ओगाहित्ता सूरिए चारं चरति, तत्थ जे ते एवमाहंसु-ता एवं जोयणसहस्सं एगं च तेत्तीसं जोयणसतं दीवं वा समुहं वा ओगाहित्ता सूरिए चारं चरति ते एवमाहंसु-जता णं सूरिए सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तया णं जंबुद्दीवं एगं जोयणसहस्सं एगं च तेत्तीस जोयणसतं ओगाहित्ता सूरिए चारं चरति तता णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति जहण्णिया दुवालसमुहुत्ता राई भवई, ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरइ तया णं लवणसमुद्दं एगं जोयणसहस्सं एगं च तेत्तीसं जोयणसयं ओगाहित्ता चारं चरइ तया णं उत्तमकट्ठपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवति जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवइ, एवं चोत्तीसेऽवि, पणतीसेऽवि एवं चेव भाणियव्वं, तत्थ जे ते एव० ता अवढं दीवं वा समुद्दं वा ओगाहित्ता सूरिए चारं चरति ते एवमा०-जता णं सूरिए सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं अवड्ढं जंबुद्दीवं० ओगाहित्ता चारं चरति, तता णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारहुते दिवसे भवति जहण्णिया दुवालसमुहुत्ता राई भवति, एवं सव्वबाहिरएवि, णवरं अवड्ढं लवणसमुद्द, तता णं राइदियं तहेव, तत्थ जे ते एव० - ताणो किञ्चिदीवं वा समुहं वा ओगाहित्ता सूरिए चारं चरति ते एव० ता जता णं सूरिए सव्वब्भंतरं मंडल उवसंकमित्ता चारं चरति तता णो किंचि दीवं वा समुद्दं वा ओगाहित्ता सूरिए चारं चरति तता णं उत्तमकट्टपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति तहेव, एवं सव्वबाहिरए मंडले, णवरं णो किंचि लवणसमुद्दे ओगाहित्ता चारं चरति, रातिदियं तहेव एगे एव० | १६ | वयं पुण एवं वदामो-ता जया णं सूरिए सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं जंबुद्दीवं असीतं जोयणसतं ओगाहित्ता चारं चरति, तदा णं उत्तमकट्टपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति जहण्णिया दुवालसमुहुत्ता राई भवति, एवं सव्वबाहिरेवि, णवरं लवणसमुहं तिणि तीसे जोयणसते ओगाहित्ता चारं चरति तता णं उत्तमकट्ठपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति, गाथाओ भाणितव्वाओ ★★★।१७।१-५॥ ★★★ ता केवतियं ते एगमेगेणं रातिदिएणं विकंपइत्ता २ सूरिए चारं चरति आहि० ?, तत्थ खलु इमाओ सत्त पडिवत्तीओ पं०, तत्थेगे YOYO श्री आगमगुणमंजूषा ११५२ 5500 2010 03 Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१७) (१) पाड-६.० M एव०-ता दो जोयणाई अद्धदुचत्तालीसं तेसीतसयभागे जोयणस्स एगमेगेणं रातिदिएणं विकंपइत्ता २ सूरिए चारं चरति एगे एव०, एगे पुण०-ता अड्ढातिज्जाई जोयणाइं एगमेगेणं राईदिएणं विकंपइत्ता २ सूरिए चारं चरति एगे एव०, एगे. पुण० -ता तिभागूणाई तिन्नि जोयणाई एगेमेगेणं राइदिएणं विकंपइत्ता २ सूरिए चार चरति एगे एव०, एगे पुण० -ता तिण्णि जोयणाई अद्धसीतालीसं च तेसीतिसयभागे जोयणस्स एगमेगेणं राइदिएणं विकंपइत्ता २ सूरिए चारं चरति एगे एव०, एगे पुण०-ता अधुट्ठाई जोयणाई एगमेगेणं राईदिएणं विकंपइत्ता सूरिए चारं चरति एगे एव०, एगे० - ता चउब्भागूणाई चत्तारि जोयणाइं एगमेगेणं राइदिएणं विकंपइत्ता सूरिए चारं चरति एगे एव०, एगे पुण०-ता चत्तारि जोयणाई अद्धबावण्णं च तेसीतिसतभागे जोयणस्स एगमेगेणं राईदिएणं विकंपइत्ता सूरिए चारं चरति एगे०, वयं पुण एवं वदामो-ता दो जोयणाई अडतालीसं च एगट्टिभागे जोयणस्स एगमेगं मंडलं एगमेगेणं राईदिएणं विकंपइत्ता सूरिए चारं चरति, तत्थ णं को वदेज्जा ?, ता अंयण्णं जंबुद्दीवे जाव परिक्खेवेणं, ता जता णं सूरिए सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति जंहण्णिया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ, से णिक्खममाणे सूरिए णवं संवच्छरं अंयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि अब्भितराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए अब्भिंतराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तदा णं दो जोयणाई अडयालीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स एगेणं राईदिएणं विकंपइत्ता सूरिए चार चरति तताणं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति दोहिं एगट्टिभागमुहुत्तेहिं ऊणे दुवालसमुहुत्ता राई भवति दोहिं एगट्टिभागमुहुत्तेहिं अहिया, से णिक्खममाणे सूरिए दोच्वंसि अहोरत्तंसि अब्भितरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए अब्भिंतरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं पंच जोयणाई पणतीसं च एगट्टिभागे जोयणस्स दोहिं राइदिएहिं विकंपइत्ता चारं चरति, तता णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे दुवालसमुहुत्ता राई भवति चउहिं एगट्टिभागमुहुत्तेहिं अधिया, एवं खलु एतेणं उवाएणं णिक्खममाणे सूरिए तताणंतराओ मंडलातो तदाणंतरं मंडलं संकममाणे दो २ जोयणाई अडतालीसं च एगटिठभागे जोयणस्स एगमेगं मंडलं एगमेगेणं राइदिएणं विकम्पमाणे २ सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति ता जया णं सूरिए सव्वब्भंतरातो मंडलातो सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तया णं सव्वब्भंतरं मंडलं पणिहाय एगेणं तेसीतेणं राइदियसतेणं पंच दसुत्तरजोयणसते विकंपइत्ता चारं चरति, तता णं उत्तमकट्ठपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति, एस णं पढमे छम्मासे एस णं पढमस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे, से य पविसमाणे सूरिए दोच्चं छम्मासं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जता णं सूरिए बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तया णं दो दो जोयणाई अडयालीसं च एगट्टिभागे जोयणस्स एगेणं राईदिएणं त्रिकम्पइत्ता चारं चरति तता णं अट्ठारसमुहुत्ता राई भवति दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिहं ऊणा दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति दोहिं एगट्टिभागमुहुत्तेहिं अहिए, से पविसमाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि बाहिरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए बाहिरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तया णं पंच २ जोयणाइं पणतीसं च एगट्टिभागे जोयणस्स दोहिं राइदिएहिं विकंपइत्ता चारं चरति, राइदिए तहेव, एवं खलु एतेणुवाएणं पविसमाणे सूरिए तताऽणंतरातो तयाणंतरं मंडलाओ मंडलं संकममाणे २ दो २ जोयणाई अडयालीसं च एगद्विभागे जोयणस्स एगमेगेणं राइदिएणं विकंपमाणे २ सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरातो मंडलातो सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं सव्वबाहिरं मंडलं पणिधाय एगेणं तेसीएणं राईदियसतेणं पंचदसुत्तरे जोयणसते विकंपइत्ता चारं चरति तता णं उत्तमकट्टपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति जहण्णिया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ, एस णं दोच्चे छम्मासे एस णं दोच्चस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे एस णं आदिच्चे वच्छ णं आदिच्चस्स संवच्छरस्स पज्जवसाणे ★ ★ ★ । १८1१-६॥ ★★ ता कहं ते मंडलसंठिती आहि० ?, तत्थ खलु इमातो अट्ठ पडिवत्तीओ पं०, तत्थेगे एव०ता सव्वावि मंडलवता समचउरंससंठाणसंठिता पं० एगे एव०, एगे पुण० ता सव्वावि णं मंडलवता विसमचउरंससंठाणसंठिया पं० एगे एव०, एगे पुण० - सव्वावि ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ Education International 2010 03 www.jainelibrary Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४ (१७) चंदपन्नति (१) पाहुडे, पाहुड पाहुडं ७, ८ [७] णं मंडलवया समचदुक्कोणसंठिता पं० एगे ए०, एगे पुण० सव्वावि मंडलवता विसमचउक्कोणसंठिया पं० एगे एव०, एगे पुण० ता सव्वावि मंडलवया समचक्कवालसंठिया पं० एगे एव०, एगे पुण० -ता सव्वावि मंडलवता विसमचक्कवालसंठिया पं० एगे एव०, एगे पुण० ता सव्वावि मंडलवता चक्कद्धचक्कवालसंठिया पं०, एगे पुण० - ता सव्वावि मंडलवता छत्तागारसंठिया पं० एगे एव०, तत्थ जे ते एवमाहंसु-ता सव्वावि मंडलवता छत्ताकारसंठिता पं० एतेणं णएणं णायव्वं, णो चेवणं इतरेहिं, पाहुडगाहाओ भाणियव्वाओ ★★★ 1१९॥१-७॥★★★ ता सव्वावि णं मंडलवया केवतियं बाहल्लेणं केवतियं आयामविक्खंभेणं केवतियं परिक्खेवेणं आहि० ?, तत्थ खलु इमा तिण्णि पडिवत्तीओ पं०, तत्थेगे एव० - ता सव्वावि णं मंडलवता जोयणं बाहल्लेणं एवं जोयणसहस्सं एवं तेत्तीस च जयसतं आयामविक्खंभेणं तिण्णि जोयणसहस्साइं तिण्णि य नवणउए जोयणसते परिक्खेवेणं पं० एगे एव०, एगे पुण० ता सव्वावि णं मंडलवता जोयणं बाहल्लेणं एवं जोयणसहस्सं एगं च चउत्तीसं जोयणसयं आयामविक्खंभेणं तिण्णि जोयणसहस्साइं चत्तारि बिउत्तरे जोयणसते परिक्खेवेणं पं० एगे एव०, एगे - जो बाहल्लेणं एवं जोयणसहस्सं एगं च पणतीसं जोयणसतं आयामविक्खंभेणं तिन्नि जोयणसहस्साई चत्तारि पंचुत्तरे जोयणसते परिक्खेवेणं पं० एगे एव०, वयं पुण तो सव्वावि मंडलवता अड़तालीसं एगट्टिभागे जोयणस्स बाहल्लेणं अणियता आयामविक्खंभेणं परिक्खेवेणं च आहि०, तत्थ णं को हैंऊत्ति वदेज्जा ?, ता अयणं जंबुद्दीवे जाव परिक्खेवेणं, ता जया णं सूरिए सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तया णं सा मंडलवता अडतालीस एगट्टिभागे जोयणस्स बाहल्लेणं णवणउई जोयणसहस्साइं छच्च चत्ताले जोयणसते आयामविक्खंभेणं तिण्णि जोयणसतसहस्साइं पण्णरस जोयणसहस्साई एगुणण जोयणाई किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं तता णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति जहण्णिया दुवालसमुहुत्ता राई भवति, से णिक्खममाणे सूरिए णवं संवच्छरं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि अब्भिंतराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए अब्भितराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तदा णं सा मंडलवता अडयालीसं एगद्विभागे जोयणस्स बाहल्लेणं णवणवई जोयणसहस्साइं छच्च पणताले जोयणसते पणतीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स आयामविक्खंभेणं तिण्णि जोयणसतसहस्साइं पन्नरसं च सहस्साई एगं सत्तउत्तरं जोयणसतं किंचिविसेसूणं परिक्खेवेणं तदा णं दिवसरातिप्पमाणं तहेव, से णिक्खममाणे सूरिए दोच्चसि अहोरत्तंसि अब्भिंतरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए अब्भिंतरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तया णं सा मंडलवता अडतालीस एगट्ठभागे जोयणस्स बाहल्लेणं णवणवती जोयणसहस्साइं छच्च एक्कावण्णे जोयणसते णव य एगट्टिभागा जोयणस्स आयामविक्खंभेणं तिण्णि जोयणसय सहस्साई पन्नरस य सहस्साइं एगं च पणवीसं जोयणसयं परिक्खेवेणं पं० तता णं दिवसराई तहेव, एवं खलु एतेण उवाएणं निक्खममाणे सूरिए तताणंतरातो तदाणंतरं मंडलातो मंडलं उवसंकममाणे २ पंच २ जोयणाई पणतीसं च एगट्टिभागे जोयणस्स एगमेगे मंडले विक्खंभं अभिवइढेमाणे २ अट्ठारस २ जो परिरवुद्धिं अभिवड्ढेमाणे २ सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए सव्व जाव चारं चरति तता णं सा मंडलवता अडताली सं एगट्टिभागा जोयणस्स बाहल्लेणं एगं च जोयणसयसहस्सं छच्च सद्धे जोयणसते आयामविक्खंभेणं तिन्नि जोयणसयसहस्साइं अट्ठारस सहस्साइं तिण्णि य पण्णरसुत्तरे जोयणसते परिक्खेवेणं तदा णं उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवति जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति, एस णं पढमे छम्मासे एस णं पढमस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे, से पविसमाणे सूरिए दोच्चं छम्मासं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति ता जया णं सूरिए बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं सा मंडलवता अडतालीसं एगट्टिभागे जोयणस्स बाहल्लेणं एगं जोयणसयसहस्सं छच्च चउप्पण्णे जोयणसते छव्वीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स आयामविक्खंभेणं तिन्नि जोयणसतसहस्साइं अट्ठारससहस्साइं दोण्णि य सत्ताणउते जोयणसते परिक्खेवेणं पं०, तता णं राइंदियं तहेव, से पविसमाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि बाहिरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति, ता जया णं सूरिए बाहिरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं सा मंडलवता अडयालीसं एगट्टिभागे जोयणस्स बाहल्लेणं एवं जोयणसतसहस्सं छच्च अडयाले जोयणसए बावण्णं च एगट्ठिभागे जोयणस्स आयामविक्खंभेणं MOTOR श्री आगमगुणमंजूषा - ११५४ Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ISROXxxxxxxxxxxxxxxx रावयानि पाइ-पाहु-१.२ गत 明明明明明明明。 र तिण्णि जोयणसतसहस्साई अट्ठारस सहस्साइं दोण्णि अउणासीते जोयणसते परिक्खेवेणं पं०, दिवसराई तहेव, एवं खलुएतेणुवाएणं पविसमाणे सूरिएतताणंतरातो तदाणंतरं मंडलातो मंडलं संकममाणे २ पंच २ जोयणाई पणतीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगे मंडले विक्खंभवुड्डि णिवुड्ढेमाणे २ अट्ठारस जोयणाई परिरयवुढि णिवुद्धेमाणे २ सव्वभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जता णं सूरिए सव्वभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं सा मंडलवया अडयालीसं एगट्ठिभागे जोयणस्स बाहल्लेणं णवणउतिजोयणसहसाइंछच्च चत्ताले जोयणसए आयामविक्खंभेणं तिण्णि जोयणसयसहस्साइं पण्णरसय सहस्साइं अउणाणउतिं च जोयणाई किंचिविसेसाहियाइं परिक्खेवेणं पं०, तता णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहत्ते दिवसे भवति जहणिया दुवालसमुहुत्ता राई भवति, एस णं दोच्चे छम्मासे एस णं दोच्चस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे एस णं आदिच्चे संवच्छरे एस णं आदिच्चस्स संवच्छरस्स पज्जवसाणे, ता सव्वाविणं मंडलवता अडतालीसं एगट्ठिभागे जोयणस्स बाहल्लेणं, सव्वाविणं मंडलंतरिया दो जोयणाई विक्खंभेणं, एसणं अद्धा तेसीयसतपडुप्पण्णो पंच दसुत्तरे जोयणसते आहि०, ता अभिंतरातो मंडलवताओ बाहिरं मंडलवतं बाहिराओ वा अभिंतरं मंडलवतं एस णं अद्धा केवतियं आहि०?, ता पंच दसुत्तरजोयणसते आहि०, अब्भितराते मंडलवताते बाहिरा मंडलवया बाहिराओ मंडलवतातो अभिंतरा मंडलवता एस णं अद्धा केवतियं आहि० ?, ता पंच दसुत्तरे जोयणसते अडतालीसं च एगट्ठिभागे जोयणस्स आहि०, ता अभंतरातो मंडलवतातो बाहिरमंडलवता बाहिरातो० अब्भंतरमंडलक्ता एसणं अद्धा केवतियं आहि०?, ता पंच णवुत्तरे जोयप्पसते तेरस य एगट्ठिभागे जोयणस्स आहि०, अभिंतराते मंडलवताए बाहिरा मंडलवया बाहिराते मंडलवताते अभंतरमंडलवया एस णं अद्धा केवतियं आहि० ?, ता पंच दसुत्तरे जोयणसए आहि० २ ०॥१-८ पढम पाहुडं १॥ ता कहं ते तेरिच्छगती आहि०?, तत्थ खलु इमाओ अट्ठ म पडिवत्तीओ पं०, तत्थेगे एव०-ता पुरच्छिमातो लोअंतातो पादो मरीची आगासंसि उठेति, सेणं इमं लोयं तिरियं करेइत्ता पच्चत्थिमंसि लोगन्तंसि सायं सूरिए + आगासंसि विद्धंसति एगे एव०, एगे पुण०-ता पुरच्छिमातो लोअंतातो पातो सूरिए आगासंसि उठेति,सेणं इमलोयं तिरियं करेतित्ता पच्चत्थिमंसिलोयंतंसि सायं सूरिए आगासंसि विद्धंसति एगे एव०, एगे पुण०-ता पुरत्थिमाओ लोयंतातो पादो सूरिए आगासंसि उत्तिकृति, सेणं इमं लोयं तिरियं करेति त्ता पच्चत्थिमंसि लोयंतसि सायं सूरिए आगासं अणुपविसति त्ता अहे पडियागच्छति त्ता पुणरवि अवरभूपुरत्थिमातो लोयंतातो पातो सूरिए आगासंसि उत्तिट्ठति एगे एव०, एगे पुण-ता पुरत्थिमाओलोगंताओ पाओ सूरिए पुढवीओ उत्तिट्ठति, सेणं इमं लोयं तिरियं करेति त्ता पच्चत्थिमिल्लंसि लोयंतंसि सायं सूरिए पुढवीकार्यसि विद्धंसइ एगे एव०, एगे पुण०-पुरत्थिमाओ लोयंताओ पाओ सूरिए पुढवीओ उत्तिट्ठइ, से णं इमं तिरियं लोयं करेइ त्ता पच्चत्थिमंसि लोयंतंसि सायं सूरिए पुढवीकार्य अणुपविसइत्ता अहे पडियागच्छइत्ता पुणरवि अवरभूपुरत्थिमाओलोगंताओ पाओ सूरिए पुढवीओ उत्तिट्ठइ एगे एव०, एगे पुण०-ता पुरथिमिल्लाओ लोयंताओ पाओ सूरिए आउकायंसि उत्तिट्ठइ, से णं इमं तिरयं लोयं तिरियं करेइ त्ता पच्चत्थिमंसि लोयंतंसि सायं सूरिए आउकायंसि विद्धंसति एगे एव०, एगे पुण०-ता पुरत्थिमातो लोगंतातो पाओ सूरिए आउओ उत्तिकृत्ति, सेणं इमं तिरियं लोयं तिरियं करेति त्ता पच्चत्थिमंसिलोयंतंसि सायं सूरिए आउकायंसि पविसइ त्ता अहे पडियागच्छतित्ता पुणरवि अवरभूपुरस्थिमातोलोयंतातोपादो सूरिए आउओ० एगे एव०, एगे पुण एव०-तापुरत्थिमातोलोयंताओबहूइंजोयणाई बहूई जोयणसताई बहुइं जोयणसहस्साई उड्ढं दूरं उप्पतित्ता एत्य णं पातो सूरिए आगासंसि उत्तिकृति, सेणं इमं दाहिणड्ढं लोयं तिरियं करेति त्ता उत्तरद्धलोयं तमेव रातो, सेणं इमं उत्तरद्धलोयं तिरियं करेइत्ता दाहिणद्धलोयं तमेव राओ, सेणं इमाई दाहिणुत्तरड्ढलोयाई तिरियं करेइत्ता पुरत्थिमाओ लोयंतातो बहूई जोयणाई तं चेव उड्ढं दूर 'उप्पतित्ता एत्थ णं पातो सूरिए आगासंसि उत्तिट्ठति एगे एव०, वयं पुण एवं वयामो-ता जंबुद्दीवस्स पाईणपड़ीणायतउदीणदाहिणायताए जीवाए मंडलं चउव्वीसेणं सतेणं छेत्ता दाहिणपुरच्छिमंसि उत्तरपच्चत्थिमंसि य चउब्भागमंडलंसि इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जातो भूमिभागातो अट्ठ जोयणसताई उड्ढे 明明明明明用 听听听听听听 5555555555555555%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%%ASTEE 5岁男生 听听听听听听听听听听听心 MonorMEE N ALIKHELLS श्री IITEजाता MEDICINENENE Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ HOR9555555555555555 (१७) चंदपन्नति पाहुएं -(२) - ३ ९ ] 国% %% %% %%% O FFFOTO WORO5555555555555555555555555555555555555555555 उप्पतित्ता एत्थ णं पादो दुवे सूरिया आगासाओ उत्तिटुंति, ते णं इमाई दाहिणुत्तराई जंबुद्दीवभागाइं तिरियं करेंति त्ता पुरथिमपच्चत्थिमाई जंबुद्दीवभागाइं तमेव रातो, ते णं इमाइं पुरच्छिमपच्छत्थिमाइं जंबुद्दीवभागाइं तिरियं करेति त्ता दाहिणुत्तराई जंबुद्दीवभागाइं तमेव रातो, तेणं इमाई दाहिणुत्तराई पुरच्छिमपच्चत्थिमाणिय म जंबुद्दीवभागाइं तिरियं करेंति त्ता जंबुद्दीवस्स पाईणपडीणायत जाव एत्थ णं पादो दुवे सूरिया आगासंसि उत्तिटुंति २१॥२-१||★★★ता कहं ते मंडलाओ मंडलं संकममाणे २ सूरिए चारं चरति आहि०?. तत्थ खलु इमातो दुवे पडिवत्तीओ पं०, तत्थेगे एव०-ता मंडलाओ मंडलं संकममाणे २ सूरिए भेयघाएणं संकामइ एगे एव०, एगे पुण०-ता मंडलातो मंडलं संकममाणे सूरिए कण्णकलं णिव्वेढेति, तत्थ जे ते एव०-ता मंडलातो मंडलं संकममाणे २ सूरिए भेयघाएणं संकामइ तेसिंणं अयं दोसे-ता जेणंतरेणं मंडलातो मंडलं संकममाणे २ सूरिए भेयघाएणं संकमति एवतियं च णं अद्धं पुरतो न गच्छति, पुरतो अगच्छमाणे ॥ मंडलकालं परिहवेति, तेसिंणं अयं दोसे, तत्थ जे ते एव०-ता मंडलातो मंडलं संकममाणे सूरिए कण्णकलं णिव्वेढेति तेसिंणं अयं विसेसे-ता जेणंतरेणं मंडलातो मंडल संकममाणे सूरिए कण्णकलं णिव्वेढेति एवतियं च णं अद्धं पुरतो गच्छति, पुरतो गच्छमाणे मंडलकालं ण परिहवेति, तेसिंणं अयं विसेसे, तत्थ जे ते एव०-5 मंडलातो मंडलं संकममाणे सूरिए कण्णकलं णिव्वेढेति एतेणं णएणं णेतव्वं, णो चेव णं इतरेणं ★★★।२२।। २.२॥ ***ता केवतियं ते खेत्तं सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति आहि०१, तत्थ खलु इमातो चत्तारि पडिवत्तीओ पं० तं०-तत्थ एगे एव०-ता छ छ जोयणसहस्साइं सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति०, एगे पुण०-ता पंच २ जोयणसहस्साइं सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति एगे०, एगे पुण०-ता चत्तारि २ जोयणसहस्साइं सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति एगे एव०, एगे पुण०-ता छवि पंचवि चत्तारिवि जोयणसहस्साई सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति एगे०, तत्थ जे ते एवमाहंसु ता छ छ जोयणसहस्साई सूरिए एगमेगेणं मुहत्तेणं गच्छति ते एव०-जताणं सूरिए सव्वभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तयाणं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसे अट्ठारसमुहत्ते दिवसे भवति जहणिया दुवालसमुहुत्ता राई भवति, तंसिचणं दिवसंसि एगं जोयणसतसहस्सं अट्ठ य जोयणसहस्साइं तावक्खेत्ते पं०, ता जया णं सूरिए सव्वबाहिर मंडल उवसंकमित्ता चारं चरति तया णं उत्तमकट्ठपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवति जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति, तंसि च णं दिवसंसि बावत्तरि जोयणसहस्साइं तावक्खेत्ते पं०, तया णं छ छ जोयणसहस्साई सूरिए एगमेगेणं मुहत्तेणं गच्छति, तत्थ जे ते एवमाहंसु-ता पंच पंच जोयणसहस्साई सूरिए एगमेगेणं मुहत्तेणं गच्छति ते एव०, ता जता णं सूरिए सव्वन्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तहेव दिवसराइप्पमाणं, तंसि च णं दिवसंसि तावखेत्ते नउइजोयणसहस्साई, ता जया णं सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं तं चेव राइंदियप्पमाणं तंसि चणं दिवसंसि सटुिंजोयणसहस्साई तावक्खेत्ते पं०, तताणं पंच २ जोयणसहस्साइं सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति, तत्थ जे ते एव०-ता चत्तारि जोयणसहस्साइं सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति ते एवमा०-ता जया णं सूरिए सव्वन्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं दिवसराई तहेव, तंसि च णं दिवसंसि बावत्तरि जोयणसहस्साई तावक्खेत्ते पं०, ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं राइंदियं तथेव, तंसि च णं दिवसंसि अडयालीसं जोयणसहस्साई तावक्खेत्ते पं०, तता णं चत्तारि जोयणसहस्साइं सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति, तत्थ जे ते एवमाहंसु छवि पंचवि चत्तारिविजोयणसहस्साइं सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति ते एव०, ता सूरिए णं उग्गमणमुंहुत्तंसि य अत्थमणमुहुत्तंसि य सिग्घगती भवति तता णं छ छ जोयणसहस्साइं एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति, मज्झिमतावखेत्तं समासादेमाणे २ सूरिए मज्झिमगती भवति तता णं पंच २ जोयणसहस्साइं एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति, मज्झिमं तावखेत्तं संपत्ते सूरिए मंदगती भवति तता णं चत्तारि जोयणसहस्साइं एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति, तत्थ को हेऊत्ति वदेज्ना?, ता अयण्णं जंबुद्दीवे २ जाव परिक्खेवेणं, ता जया णं सूरिए सव्वन्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तताणं दिवसराई तहेव, तंसिचणं दिवसंसि एक्काणउति जोयणसहस्साई तावखेत्ते पं०, ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं राइंदियं तहेव, तस्सिंचणं दिवसंसि एगट्ठिजोयणसहस्साइं तावखेत्ते पं०, तता 听听听听听听听听听听听听听听乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 UAEduration international_2010-03 FOLDruageDecembeltanpnly morros5555555555555555555श्री आगमगुणमंजूषा-1१५MKAKKAKKESARIKAAMKAMMUKHARASHKKAISE ..... www.jainelibrary.on) Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ GC%明玩乐乐听听听听听听听听听听听听乐乐乐乐乐乐明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听玩5C ROMANSKRISESSION कमलत्रालय विक55555555555555erong णं छवि पंचवि चत्तारिवि जोयणसहस्साई सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति एगे एव०, वयं पुण एवं वदामो-ता सातिरेगाइं पंच जोयणसहस्साइं सूरिए एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति, तत्थ को हेतूत्ति वदेज्जा ?, ता अयण्णं जंबुद्दीवे० परिक्खेवेणं, ता जता णं सूरिए सव्वभंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं पंच २ जोयणसहस्साइं दोण्णि य एकावण्णे जोयणसए एगूणतीसं च सट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति, तता णं इधगतस्स मणुस्सस्स सीतालीसाए जोयणसहस्सेहिं दोहि य तेवढेहिं जोयणसतेहिं एक्कवीसाए य सट्ठिभागेहिं जोयणस्स सूरिए चक्खुप्फासं हव्वमागच्छति, तया णं दिवसराई तहेव, से णिक्खममाणे सूरिए णवं संवच्छरं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि अभितराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए अम्भितराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं पंच २ जोयणसहस्साई दोण्णि य एकावण्णे जोयणसते सीतालीसं च सट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति, तता णं इहगयस्स मणूसस्स सीतालीसाए जोयणसहस्सेहिं अउणासीते य जोयणसतेण सत्तावण्णाए य सट्ठिभागेहिं जोयणस्स सट्ठिभागं च एगट्टिहा छेत्ता अउणावीसाए चुण्णिरयाभागेहिं सूरिए चक्खुप्फासं हव्वमागच्छति, तताणं दिवसराई तहेव, (१८-१/६१ १२-२/६२), से णिक्खममाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि अभितरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए अब्भितरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं पंच २ जोयणसहस्साइं दोण्णि य वावण्णे जोयणसते पंच य सट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति तता णं इहगतस्स मणू० सीतालीसाए जोयणसहस्सेहिंछण्णउतीए य जोयणेहिं तेत्तीसाए य सट्ठिभागेहिंजोयणस्स सट्ठिभागं च एगट्ठिधा छेत्ता दोहिं चुण्णियाभागेहिं सूरिए चक्खुफासं हव्वमागच्छति, तता णं दिवसराई तहेव, एवं खलु एतेणं उवाएणं णिक्खममाणे सूरिए तताणंतराओ तदाणंतरं मंडलातो मंडलं संकममाणे २ अट्ठारस २ सट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगे मंडले मुहुत्तगतिं अभिवुड्ढेमाणे २ चुलसीति २ सताइं जोयणाई पुरिसच्छायं णिवुड्ढेमाणे २ सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं पंच २ जोयणसहस्साइं तिन्नि य पंचुत्तरे जोयणसते पण्णरस य सट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति, तता णं इहगतस्स मणूसस्स एक्वतीसाए जोयणसहस्सेहिं अट्ठहिँ एक्कतीसेहि जोयणसतेहिं तीसाए य सट्ठिभागेहिंजोयणस्स सूरिए चक्खुफासं हव्वमागच्छति तताणं उत्तमकट्ठपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति, एस णं पढमे छम्मासे एसणं पढमस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे, से पविसमाणे सूरिए दोच्चं छम्मासं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जताणं सूरिए बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तताणं पंच २ जोयणसहस्साई तिण्णि य चउरूत्तरे जोयणसते सत्तावण्णं च सट्ठिभाए जोयणस्स एगेमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति, तता णं इधगतस्स मणूसस्स एक्कतीसाए जोयणसहस्सेहिं नवहि य सोलेहिं जोयणसएहिं एगूणचालीसाए य सट्ठिभागेहिं जोयणस्स सट्ठिभांगं च एगट्टिहा छेत्ता सट्ठीए चुणियाभागेहिं सूरिए चक्खुफासं हव्वमागच्छति, तता णं राइंदियं तहेव, से पविसमाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि बाहिरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए बाहिरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं पंच पंच जोयणसहस्साइं तिन्नि य चउरूत्तरे जोयणसते ऊतालीसं च सट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति, तताणं इहगतस्स मणूसस्सएगाधिरोहिं वत्तीसाए जोयणसहस्सेहिं एकूणवण्णाए य सट्ठिभागेहिं जोयणस्स सट्ठिभागं च एगट्ठिधा छेत्ता तेवीसाए चुण्णियाभागेहिं सूरिए चक्खुप्फासं हव्वमागच्छति, राइंदियं तहेव, एवं खलु एतेणुवाएणं पविसमाणे सूरिए तताणंतरातो तताणंतरं मंडलातो मंडलं संकममाणे २ अट्ठारस २ सट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगे मंडले मुहुत्तगति णिवुड्ढेमाणे २ सातिरेगाइं पंचासीति २ जोयणाइं पुरिसच्छायं अभिवुड्ढेमाणे २ सव्वन्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जता णं सूरिए सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं पञ्च २ जोयणसहस्साइं दोण्णि य एक्कावण्णे जोयणसए अगुणतीसं च सट्ठिभागे जोयणस्स एगमेगेणं मुहुत्तेणं गच्छति, तता णं इहगयस्स मणूसस्स सीतालीसाए जोयणसहस्सेहिं तेवढेहिं जोयणसतेहिं य एक्कवीसाए य सट्ठिभागेहिं जोयणस्स सूरिए चक्खुफासं हव्वमागच्छति, तता णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति जहणिया दुवालसमुहुत्ता राई भवति, एस णं दोच्चे छम्मासे एस णं दोच्चस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे एस णं आदिच्चे संवच्छरे एस णं आदिच्चस्स 5倍乐玩乐乐坊乐乐坊乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐听听听听听乐乐%$$$20 Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ IOS$$ $ $$ (१७) चंदपन्नति पाहुड -३,४ [११] %% %%%%%%%%% %% reOE5555 明明明明明明明明明明明明听听听听听玩乐明明乐乐明明明明明明明明明明明明明明明明 र संवच्छरस्स पज्जवसाणे ★★★२३॥२-३ बितियं पाहुडं॥★★★ ता केवतियं खेत्तं चंदिमसूरिया ओभासंति उज्जोवेति तवेति पगासंति आहि० ?, तत्थ खलु इमाओ बारस पडिवत्तीओ पं०, तत्थेगे एवमा०-ता एगं दीवं एग समुदं चंदिमसूरिया ओभासेति०, एगे पुण एव०-ता तिण्णि दीवे तिण्णि समुद्दे चंदिमसूरिया ओभासंति० एगे एव०, एगे पुण०-ता अद्धचउत्थे (प्र आहुढे दीवसमुद्दे चंदिमसूरिया ओभासंतिक एगे एव०, एगे पुण०-ता सत्त दीवे सत्त समुद्दे चंदिमसूरिया ओभासिति० एगे एव०, एगे पुण०-ता दस दीवे दसे समुद्दे चंदिमसूरिया ओभासंतिक एगे एव०, एगे पुण०-ता बारस दीवे बारस समुद्दे चंदिमसूरिया ओभासंति० एगे०, एगे पुण० बायालीसंदीवे बायालीसं समुद्दे चंदिमसूरिया ओभासंतिक एगे०, एगे पुण०-बावत्तरि दीवे बावत्तरिं समुद्दे चंदिमसूरिया ओभासंतिक एगे०, एगे पुण०-ता बायालीसं दीवसतं बायालं समुद्दसतं चंदिमसूरिया ओभासंतिक एगे०, एगे पुण०-ता बावत्तरिं दीवसतं बावत्तरिं समुद्दसतं चंदिमसूरिया ओभासंति० एगे०, एगे पुण०-ता बायालीसं दीवसहस्सं बायालं समुद्दसहस्सं चंदिमसूरिया ओभासंति० एगे०, एगे पुण०-ता बावत्तरं दीवसहस्सं बावत्तरं समुद्दसहस्सं चंदिमसूरिया ओभासंति० एगे०, वयं पुण एवं वदामो-अयण्णं जंबुद्दीवे जाव परिक्खेवेणं पं०, सेणं एगाए जगतीए सव्वतो समंता संपरिक्खित्ते, सा णं जगती अट्ठ जोषणाई उडढं उच्चत्तेणं एवं जहा जंबुद्दीवपन्नत्तीए जाव एवामेव सपुव्वावरेणं जंबुद्दीवे चोद्दस सलिलासयसहस्सा छप्पन्नं च सलिलासहस्सा भवन्तीतिमक्खाता, जंबुद्दीवे णं दीवे पंचचक्कभागसंठिते आहिताति वदेज्जा, ता कहं ते जंबुद्दीवे० पंचचक्कभागसंठिते आहि०?, ता जता णं एते सूरिया सव्वभंतरं ॐ मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति तदाणं जंबुद्दीवस्स० तिण्णि पंचचक्कभागे ओभासंति तं०-एगेविएगं दिवड्ढे पंचचक्कभागं ओभासेति एगेविएगं दिवड्ढे पंचचक्कभागं ओभासेति तताणं उत्तमकट्ठपत्ते उक्को० अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति जहण्णिया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ, ता जताणं एते दुवे सूरिया सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरंति तदा णं जंबुद्दीवस्स दोण्णि चक्कभागे ओभासंति, ता एगेवि एगं पंचच-(२०५) क्वालभागं ओभासति एगेवि एवं पंचचक्कवालभार्ग ओभासइ, तता णं उत्तमैकट्ठपत्ता उक्को० अट्ठारसमुहुत्ता राई भवइ जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति ॥२४॥ ततियं पाहुडं | ता कहं ते सेआते संठिई आहि०?, तत्थ खलु इमा दुविहा संठिती पं० तं०-चंदिमसूरियसंठिती य तावक्खेत्तसंठिती य, ता कहं ते चंदिमसूरियसंठिती आहि०?, तत्थ खलु इमातो सोलस पडिवत्तीओ पं०, तत्थेगे एव०-ता समचउरंससंठिता चंदिमसूरियसंठिती एगे एव०, एगे पुण०-ता विसमचउरससंठिता चंदिमसूरियसंठिती पं०, एवं एएणं अभिलावेणं समचउक्कोणसंठिता विसमचउक्कोणसंठिया समचक्कवालसंठिता विसमचक्कवालसंठिता चक्कद्धचक्कवालसंठिता पं० एगे एव०, एगे पुण०-ता छत्तागारसंठिता चंदिमसूरियसंठिता पं० गेहसंठिता गेहावणसंठिता पासादसंठिता गोपुरसंठिया पेच्छाघरसंठिता वलभीसंठिता हम्मियतलसंठिता वालग्गपोतियासंठिता चंदिमसूरियसंठिती पं०. तत्थ जे ते एवमा०- ता समचउरंससंठिता चंदिमसूरियसंठिती पं० एतेणं णएणं णेतव्वं णो चेव णं इतरेहिं, ता कहं ते तावक्खेत्तसंठिती आहि० १, तत्थ खलु इमाओ सोलस पडिवत्तीओ पं०, तत्थणं एगे एव०-ता गेहसंठिता तावखित्तसंठिती पं०,एवं जाव वालग्गपोतियासंठिता तावक्खेत्तसंठिती०, एगे एव०-ताजस्संठिते जंबुद्दीवे तस्संठिता तावक्खेत्तसं० पं०, एगे पुण०-ताजस्संठिते भारहे वासे तस्सं०, एवं उज्जाणसंठिया निजाणसंठिता एगतोणिसधसंठिता दुहतो णिसहसंठिता सेयणगसंठिता एगे एव०, एगे पुण०-ता सेयणगपट्ठसंठिता तावखेत्त० एगे एव०, वयं पुण एवं वदामो-ता उद्धीमुहकलंबुआपुप्फसंठिता तावक्खेत्तसंठिती पं० अंतो संकुडा वाहिं वित्थडा अंतो वट्टा बाहिं पिधुला अंतो अंकमुहसंठिता बाहिं सत्थिमुहुसंठिता अउभतो पासेणं तीसे दुवे वाहाओ अवद्विताओ भवंति पणतालीसं २ जोयणसहस्साइं आयामेणं, दुवे यणं तीसे बाहाओ अणवहिताओ भवंति, तं०-सव्वब्भंतरिया चेव बाहा सव्वबाहिरिया चेव बाहा, तत्थ को हेतूत्ति वदेज्जा ?. ता अयण्णं जंबुद्दीवे जाव परिक्खेवेणं, ता जया णं सूरिए सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं उद्धीमुहकलंबुआपुप्फसंठिता म तावक्खेत्तसंठिती आहि० अंतो संकुडा जाव बाहिरिया चेव बाहा, तीसे णं सव्वभंतरिया बाहा मंदरपव्वयंतेणं णव जोयणसहस्साइं चत्तारिय छलसीते जोयणसते ONO乐明明明明明明明明乐乐乐明明明纸蛋蛋乐乐明明明明明明明明明明明明明明明明明須與所乐乐听听听听听听GO MOTOAAAAAAEENAME55555554 श्री आगमगणांनूषा - ११५८ 5 555555555OOR Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ शि KXxxxxxxxxxxxxxxemag रणवय दसभागे जोयणस्स परिक्खेवेणं आहि०, ता सेणं परिक्खेवविसेसे कतो आहि० ?, ताजे णं मंदरस्स पव्वयस्स परिक्खेवे तं परिक्खेवं तिहिंगुणित्ता दसहिं छित्ता दसहिं भागे हीरमाणे एस णं परिक्खेववविसेसे आहि०, तीसे णं सव्वबाहिरिया बाहा लवणसमुदंतेणं चउणउतिं जोयणसहस्साइं अट्ठ यं अट्ठसटे जोयणसते चत्तारि य दसभागे जोयणस्स परिक्खेवेणं आहिता०, ता से णं परिक्खेवविसेसे कतो आहिता०?, ता जे णं जंबुद्दीवस्स परिक्खेवे तं परिक्खेवं तिहिं गुणित्ता दसहि छेत्ता दसहिं भागे हीरमाणे.एसणं परिक्खेवविसेसे आहि०, ता सेणं तावक्खेत्ते केवतियं आयामेणं आहि०?, ता अठ्ठत्तरिंजोयणसहस्साइं तिण्णि य तेत्तीसे जोयणसते जोयणतिभागे य आयामेणं आहि०, तया णं किंसंठिया अंधगारसंठिई आहि०?, उद्धीमुंहकलंबुआपुप्फसंठिता तहेव जाव बाहिरिया चेव बाहा, तीसेणं सव्वब्भतरिया बाहा मंदरपव्वतंतेणं छज्जोयणसहस्साई तिण्णि य चउवीसे जोयणसते छच्च दसभागे जोयणस्स परिक्खेवेणं आहि०, ता से णं परिक्खेवविसेसे कतो आहि० ?, ता जेणं मंदरस्स पव्वयस्स परिक्खेवे तं परिक्खेवं दोहिं गुणेत्ता सेसं तहेव, तीसे णं सबाहिरिया बाहा लवणसमुदंतेणं तेवट्टि जोयणसहस्साई दोण्णि य पणयाले जोयणसते छच्च दसभागे जोयणस्स परिक्खेवेणं आहि०, ता से णं परिक्खेवविसेसे कत्तो आहि०?, ता जे णं जंबुद्दीवस्स परिक्खेवे तं परिक्खेवं दोहिंगुणित्ता दसहिंछेत्ता दसहिं भागे हीरमाणे एसणं परिक्खेवविसेसे आहि०, ता सेणं अंधकारे केवतियं आयामेणं आहि०?, ता अठ्ठत्तरिंजोयणसहस्साइं तिण्णि य तेत्तीसे जोयणसते जोयणतिभागं च आयामेणं आहि०, तताणं उत्तमकट्ठपत्ते अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवइ जहणिया दुवालसमुहुत्ता राई भवइ, ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तताणं किंसंठिता तावखेत्तसंठिती आहि०?, ता उद्धीमुहकलंबुयापुप्फसंदिता तावक्खेत्तसंठिती आहि०, एवं जं अभितरमंडले अंधकारसंठितीए पमाणं तं बाहिरमंडले तावक्खेत्तसंठितीए जं तहिं तावक्खेत्तसंठितीए तं बाहिरमंडले अंधकारसंठितीए भाणियव्वं, जाव तताणं उत्तमकट्ठपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवति जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति, ता जंबुद्दीवे० सूरिया केवतियं खेत्तं उड्ढं तवंति केवतियं खेत्तं अहे तवंति केवतियं खेत्तं तिरियं तवंति ?, ता जंबुद्दीवेणं दीवे सूरिया एगं जोयणसतं उड्ढं तवंति अट्ठारस जोयणसताइं अधे तवंति सीतालीसं जोयणसहस्साइं दुन्नि य तेवढे जोयणसते एक्कवीसं च सट्ठिभागे जोयणस्स तिरियं तवंति ★★★२५|| चउत्थं पाहुडं ४||***ता कंसि णं सूरियस्स लेस्सा पडिहताति वदेज्जा ?, तत्थ खलु इमाओ वीसं पडिवत्तीओ पं०, तत्थेगे एव०-ता मंदरंसि णं पव्वतंसि सूरियस्स लेस्सा पडिहता आहि० एगे एव०, एगे पुण-ता मेरूंसि णं पव्वतंसि सूरियस्स लेस्सा पडिहता आहिं० एगे एव०, एवं एतेणं अभिलावेणं भाणियव्वं, ता मणोरमंसि णं पव्वयंसि ता सुदंसणंसि णं पव्वयंसि ता सयंपभंसि णं पव्वतंसि ता गिरिरायसिणं पव्वतंसि तारतणुच्चयंसिणं पव्वतंसि ता सिलुच्चयंसिणं पव्वयंसि ता लोअमज्झंसिणं पव्वतंसिता लोयणाभिसिणं पव्वतंसि ता अच्छंसिणं पव्वंतंसि ता सूरियावत्तंसि णं पव्वतंसि ता सूरियावरणसि णं पव्वतंसि ता उत्तमंसि णं पव्वंयंसि ता दिसादिम्मि णं पव्वतंसि ता अवतंसंसि णं पव्वतंसि ता धरणिखीलंसिणं पव्वयंसि ता धरणीसिंगसिणं पव्वयंसि ता पव्वतिंदसिणं पव्वतंसि ता पव्वयरायसि णं पव्वयंसि सूरियस्स लेसा पडिहता आहि० एगे एव० वयं पुण एवं वदामो-जंसिणं पव्वयंसि सूरियस्स लेसा पडिहता से मंदरेवि पवुच्चति मेरूवि पवुच्चइ जाव पव्वयरायावि पवुच्चति, ताजेणं पुग्गला सूरियस्स लेसं फुसंति ते णं पुग्गला सूरियस्स लेसं पडिहणंति, अदिट्ठावि णं पोग्गला सूरियस्स लेस्सं पडिहणंति, चरिमलेसंतरगतावि णं पोग्गला सूरियस्स लेस्सं पडिहणंति २६॥ पंचमं पाहुडं ५॥ ता कहं ते ओयसंठिती आहि०?, तत्थ खलु इमाओ पणवीसं पडिवत्तीओ पं०, तत्थेगे एव० ता अणुसमयमेव सूरियस्स ओया अण्णा उप्पज्जति अण्णा अवेति एगे एव०, एगे पुण०-ता अणुमुहुत्तमेव सूरियस्स ओया अण्णा उप्पज्जति अण्णा अवेति, एतेणं अभिलावेणं मणेतव्वा, ता अणुराइंदियमेव ता अणुपक्खमेव ता अणुमासमेव ता अणुउडुमेव ता अणुअयणमेव ता अणुसंवच्छरमेव ला अणुजुगमेव ता अणुवाससयमेव ता. अणुवाससहस्समेव ता अणुवाससयसहस्समेव ता अणुपुव्वमेव ता अणुपुव्वसयमेव ता अणुपुव्वसहस्समेव ता अणुपुव्वसतसहस्समेव ता अणुपलितोवममेव ता KC玩乐乐乐乐乐乐埃军乐纸织乐乐乐乐乐乐垢$%F8%與乐乐乐乐呢呢呢呢呢呢呢呢呢呢呢呢呢呢呢呢呢呢$GO OO乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听FCC mero 5 549 श्री आगमगुणमंजूषा - ११५९ #5555555#FOTOR Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१७) चंदपन्नति चाहुर्ड [१३] अणुपलितोवमसतमेव ता अणुपलितोवमसहस्समेव ता अणुपलितोवमसयसहस्समेव ता अणुसागरोवममेव ता अणुसागरोवमसतमेव ता अणुसागरोवमसहस्रमेव ता अणुसागरोवमसयसहस्समेव एगे एव०, ता अणुउस्सप्पिणीओसप्पिणिमेव सूरियस्स ओया अण्णा उप्पज्जति अण्णा अवेति एगे एव०, वयं पुण एवं वदामोता ती २ मुहुत्ते सूरियस्स ओया अवट्ठित्ता भवति, तेण परं सूरियस्स ओया अणवट्ठिता भवति, छम्मासे सूरिए ओयं णिवुड्ढेति छम्मासे सूरिए ओयं अभिवड्ढेति, णिक्खममाणे सूरिए देसं णिवुड्ढेति पविसमाणे सूरिए देस अभिवुड्ढेइ, तत्थ को हेतू आहि० ?, ता अयण्णं जंबुद्दीवे सव्वदीवसमुद्द जाव परिक्खेवेणं, ता जया सूरिए सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति जहण्णिया दुवालसमुहुत्ता राई भवति, सेणिक्खमाणे सूरिए णवं संवच्छरं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि अब्भिंतराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए अब्भिंतराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं एगेणं राईदिएणं एग भागं ओयाए दिवसखित्तस्स णिवुड्डित्ता रयणिक्खेत्तस्स अभिवह्नित्ता चारं चरति मंडलं अट्ठारसहिं तीसेहिं सतेहिं छित्ता, तता णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे दुवालसमुहुत्ता राई भवति दोहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिया, से णिक्खममाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि अब्भिंतरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए अब्भिंतरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं दोहिं राइदिएहिं दो भागे ओयाए दिवसखेत्तस्स णिवुड्ढित्ता रयणिखित्तस्स अभिवड्ढेत्ता चारं चरति मंडलं अट्ठारसतीसेहिं सएहिं छेत्ता, तता णं अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं ऊणे दुवालसमुहुत्ता राई भवति चउहिं एगट्ठिभागमुहुत्तेहिं अहिया, एवं खलु एतेणुवाएणं निक्खममाणे सूरिए तयाणंतराओ तदाणंतरं मंडलातो मंडलं संकममाणे २ एगमेगे मंडले एगमेगेणं राईदिएणं एगमेगं भागं ओयाए दिवसखेत्तस्स णिवुड्ढेमाणे २ रयणिखेत्तस्स अभिवड्ढेमाणे २ सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए सव्वब्भंतरातो मंडलातो सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं सव्वब्भंतरं मंडलं पणिधाय एगेणं तेसीतेणं राइंदियसतेणं एवं तेसीतं भागसतं ओयाएदिवसखेत्तस्स णिव्वुड्ढेत्ता रयणिखेत्तस्स अभिवुड्ढेत्ता चारं चरति मंडलं अट्ठारसहिं तीसेहिं सएहिं छेत्ता, तता णं उत्तमकट्ठपत्ता उक्को० अट्ठारसमुहुत्ता राई भवति जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति, एस णं पढमे छम्मासे एस णं पढमस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे, से पविसमाणे सूरिए दोच्चं छम्मासं अयमाणे पढमंसि अहोरत्तंसि बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए बाहिराणंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं एगेणं राइदिएणं एवं भागं ओयाए रतणिक्खेत्तस्स णिव्वुड्ढेत्ता दिवसखेत्तस्स अभिवुड्ढेत्ता चारं चरति मंडलं अट्ठारसहिं तीसेहिं सएहिं छेत्ता, तता णं अट्ठारसमुहुत्ता राई भवति दोहिं एगट्टिभागमुहुत्तेहिं ऊणा दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति दोहिं एगट्टिभागमुहुत्तेहिं अधिए, से पविसमाणे सूरिए दोच्चंसि अहोरत्तंसि बाहिरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए बाहिरं तच्चं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं दोहिं राइदिएहिं दो भाए ओयाए रयणिखेत्तस्स णिव्वुड्ढेत्ता दिवसखेत्तस्स अभिवुड्ढेत्ता चारं चरति मंडलं अट्ठारसहिं तीसेहिं सएहिं छेत्ता, तया णं अट्ठारसमुहुत्ता राई भवति चउहिं एगट्टिभागमुहुततेहिं ऊणा दुवालसमुहुत्ते दिवसे भव चहिं एगट्टिभागमुहुत्तेहिं अधिए, एवं खलु एतेणुवाएणं पविसमाणे सूरिए तताणंतरातो तदाणंतरं मंडलातो मंडलं संकममाणे २ एगमेगे मंडले एगमेगेणं राइदिएणं एगमेगं भागं ओयाए रयणिखेत्तस्स णिव्वुड्ढेमाणे २ दिवसखेत्तस्स अभिवड्ढेमाणे २ सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति, ता जया णं सूरिए सव्वबाहिरातो मंडलातो सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं सव्वबाहिरं मंडलं पणिधाय एगेणं तेसीतेणं राइंदियसएणं एवं तेसीतं भागसतं ओयाए रयणिखित्तस्स णिवुड्ढेत्ता दिवसखेत्तस्स अभिवदेत्ता चारं चरति मंडलं अट्ठारसतीसेहिं सएहिं छेत्ता, तता णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्को० अट्टारसमुहुत्ते दिवसे भवति जहण्णिया दुवालसमुहुत्ता राई भवति, एस णं दोच्चे छम्मासे एस णं दोच्चस्स छम्मासस्स पज्जवसाणे एस णं आदिच्चे संवच्छरे एस णं आदिच्चस्स संवच्छरस्स पज्जवसाणे ★★★ |२७|| छठ्ठे पांहुडं ६ ॥ ★★★ ता के ते सूरियं वरंति आहि० ?, तत्थ खलु इमाओ वीसं पडिवत्तीओ पं०, तत्थेगे एव०-ता मंदरे णं पव्वते सूरियं यति हि०, पुण० - ता मेरू णं पव्वते सूरियं वरति आहि०, एवं एएणं अभिलावेणं णेतव्वं जाव पव्वतराये णं पव्वते सूरियं वरयति आहि० एगे एव०, वयं 4545454545454545454545454545451 आगमगणमंजुषा ११६० 5545454545454545454544 கககககககக K66666666 ६ R Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ❤❤❤ESI¶¶SS पुण एवं वदामो-ता मंदरेवि पवुच्चति तहेव जाव पव्वतराएवि पवुच्चति, ता जे णं पोग्गला सूरियस्स लेसं फुसंति ते पोग्गला सूरियं वरयति, अदिट्ठावि णं पोग्गला सूरियं वरयंति, चरमलेसंतरगतावि णं पोग्गला सूरियं वरयति ★★★ । २८ ।। सत्तमं पाहुडं ७ ॥ ★★★ ता कहं ते उदयसंठिती आहि० ?, तत्थ खलु इमाओ तिण्णि पडिवत्तीओ पं०, तत्थेगे एव०-ता जया णं जंबुद्दीवे दाहिणड्ढे अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति तता णं उत्तरड्ढेवि अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति, जया णं उत्तरड्ढे अट्ठारहुते दिवसे भवति तया णं दाहिणड्ढेऽवि अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति, जदा जंबुद्दीवे दाहिणड्ढे सत्तरसमुहुत्ते दिवसे भवति तया णं उत्तरड्ढे सत्तरसमुहुत्ते दिवसे भवति, जया णं उत्तरड्ढे सत्तरसमुहुत्ते दिवसे भवति तदा णं दाहिणड्ढेवि सत्तरसमुहुत्ते दिवसे भवति, एवं परिहावेतव्वं, सोलसमुहुत्ते पण्णरस० चउद० तेरस० दिवसे जाव ता जया णं जंबुद्दीवे० दाहिणड्ढे बारसमुहुत्ते दिवसे भवति तया णं उत्तरद्धेवि बारसमुहुत्ते दिवसे भवति, जता णं उत्तरद्धे बारसमुहुत्ते दिवसे भवति तता दाहिणदेव बारसमुहुत्ते दिवसे भवति, जता णं दाहिणद्धे बारसमुहुत्ते दिवसे भवति तता णं जंबुद्दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरच्छिमपच्चत्थिमेणं सता पण्णरसमुहुत्ते दिवसे भवति सदा पण्णरसमुहुत्ता राई भवति, अवट्ठित्ता णं तत्थ राइंदिया समणाउसो ! पं० एगे एव०, एगे पुण० - जता णं जंबुद्दीवे दाहिणद्धे अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवति तया णं उत्तरदेवि अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ, जया णं उत्तरदे अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ तता णं दाहिणड्ढेवि अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ, एवं परिहावेतव्वं, सत्तरसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवति, सोलसमुहुत्ताणंतरे० पण्णरसमुहुत्ताणंतरे चोदसमुहुत्ताणंतरे० तेरसमुहुत्ताणंतरे०, जया णं जंबुद्दीवे दाहिणद्धे बारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवति तदा णं उत्तरद्धेवि बारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवति, जता णं उत्तरद्धे बारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवइ तया णं दाहिणद्धेवि बारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवति तदा णं जंबुद्दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमपच्चत्थिमेणं णो सदा पण्णरसमुहुत्ते दिवसे भवति णो सदा पण्णरसमुहुत्ता राई भवति, अणवट्ठिता णं तत्थ राइंदिया समणाउसो ! एगे एव०, एगे पुण० -ता जया णं जंबुद्दीवे दाहिणड्ढे अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति तदा णं उत्तरद्धे दुवालसमुहुत्ता राई भवति जया णं उत्तरडे अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति तदा णं दाहिणड्ढे बारसमुहुत्ता राई भवइ, जया णं दाहिणड्ढे अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवति तदाणं उत्तरद्धे बारसमुहुत्ता राई भवइ, जता णं उत्तरद्धे अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवति तदा णं दाहिणद्धे बारसमुहुत्ता राई भवति, एवं सत्तरसमुहुत्ते दिवसे सत्तरसमुहुत्ताणंतरे० सोलसमुहुत्ते सोलसमुहुत्ताणंतरे पण्णरसमुहुत्ते पन्नरसमुहुत्ताणंतरे चोद्दसमुहुत्ते चोद्दसमुहुत्ताणंतरे तेरसमुहुत्ते तेरसमुहुत्ताणंतरे बारसमुहुत्ते, ता जता णं जंबुद्दीवे दाहिणद्धे बारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवति तदा णं उत्तरद्धे दुवालसमुहुत्ता राई भवति, जया णं उत्तरद्धे दुवालसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवति तदा दाहिणद्धे दुवालसमुहुत्ता राई भवति, तता णं जंबुद्दीवे मन्दरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमपच्चत्थिमेणं णेवत्थि पण्णरसमुहुत्ते दिवसे भवति णेवत्थि पण्णरसमुहुत्ता राई भवति, वोच्छिण्णा णं तत्थ राइंदिया पं० समणाउसो ! एगे एव०, वयं पुण वदामो-ता जंबुद्दीवे सूरिया उदीणपाईणमुग्गच्छ पाईणदाहिणमागच्छंति पाईणदाहिणमुग्गच्छ दाहिणपडीणमागच्छंति दाहिणपडिणमुग्गच्छ पडीणउदीणमागच्छन्ति पडीणउदीणमुग्गच्छ उदीणपाईणमागच्छन्ति, ता जता णं जंबुद्दीवे दाहिणद्धे दिवसे भवति तदाणं उत्तरद्धे दिवसे भवति, जदा णं उत्तरद्धे दिवसे भवति तदा णं जंबुद्दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरच्छिमपच्चच्छिमेणं राई भवति, ता जया णं जंबुद्दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमेणं दिवसे भवति तदा णं पच्चत्थिमेणवि दिवसे भवति, जया णं पच्चत्थिमेणं दिवसे भवति तदा णं जंबुद्दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणेणं राई भवति, ता जया णं दाहिणदेवि उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति तया णं उत्तरद्धे उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति, जदा उत्तरद्धे० तदा णं जंबुद्दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमेणं जहण्णिया दुवालसमुहुत्ता राई भवति, ता जया णं जंबुद्दीवे मन्दरस्स पव्वतस्स पुरच्छिमेणं उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति तता पच्चत्थिमेणवि उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति, जता णं पच्चत्थिमेणं उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति तता णं जंबुद्दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणेणं जहण्णिया दुवालसमुहुत्ता राई भवति, एवं एएणं गमेणं णेतव्वं, अट्ठारसमुहुत्ताणंतरे दिवसे सातिरेगदुवालसमुहुत्ता राई भवति, सत्तरसमुहुत्ते दिवसे तेरसमुहुत्ता (80) Aero श्री आगमगुणमंजूषा १९६१ Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१७) चंदपन्नति पहुडं ८ [१५] राई, सत्तरसमुहुत्ताणंतरे दिवसे भवति सातिरेगतेरसमुहुत्ता राई भवति सोलसमुहुत्ते दिवसे चोद्दसमुंहुत्ता राई भवति सोलसमुहुत्ताणंतरे दिवसे सातिरेगचोद्दसमुहुत्ता राई भवति, पण्णरसमुहुत्ते दिवसे पण्णरसमुहुत्ता राई पण्णरसमुहुत्ताणंतरे दिवसे सातिरेगपण्णरसमुहुत्ता राई भवइ चउद्दसमुहुत्ते दिवसे सोलसमुहुत्ता राई चोद्दसमुहुत्ताणंतरे दिवसे सातिरेगसोलसमुहुत्ता राई तेरसमुहुत्ते दिवसे सत्तरसमुहुत्ता राई तेरसमुहुत्ताणतरे दिवसे सातिरेगसत्तरसमुहुत्ता राई जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई, तता णं उत्तरदे जहन्नए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति, जता णं उत्तरड्ढे जह० दुवालस० दिवसे तता णं जंबुद्दीवे मंदरस्स पुरच्छिमपच्चच्छिमेणं उक्कोसिया अट्ठारस० राती भवति, ता जया णं जंबुद्दीवे मंदरस्स पुरच्छिमेणं जह० दुवालस० दिवसे भवति तता णं पच्चच्छिमेणं जह० दुवालस० दिवसे भवति, जता णं पच्चच्छिमेणं जह० दुवालस० दिवसे तता णं जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स उत्तरदाहिणेणं उक्कोसिया अट्ठारस० राती भवति, ता जया णं जंबुद्दीवे दाहिणद्धे वासाणं पढमे समए पडिवज्जति तता णं उत्तरदेवि वासाणं पढमे समए पडिवज्जति, जता णं उत्तरदे वासाणं पढमे समए पडिवज्जति तता णं जंबुद्दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरच्छिमपच्चत्थिमेणं अणंतरपुरक्खडकालसमयंसि वासाणं पढमे समए पडिवज्जइ, ता जया णं जंबुद्दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरच्छिमेणं वासाणं पढमे समए पडिवज्जइ तता णं पच्चत्थिमेणवि वासाणं पढमे समए पडिवज्जइ, जया णं पच्चत्थिमेणं वासाणं पढमे समए पडिवज्जइ तता णं जंबुद्दीवे मंदरस्स उत्तरदाहिणेणं अणंतरपच्छाकयकालसमयंसि वासाणं पढमे समए पडिवण्णे भवति, जहा समओ एवं आवलिया आणापाणू थोवे लवे मुहुत्ते अहोरत्ते पक्खे मासे उऊ, एवं दस आलावगा वासाणं भाणियव्वा, ता जया णं जंबुद्दीवे० दाहिणड्ढे हेमंताणं पढमे समए पडिवज्जति तताणं उत्तरइदेवि हेमंताणं पढमे समए पडिवज्जति, एतस्सवि वासस्स आलावगा जाव उऊओ, ता जया णं जंबुद्दीवे दाहिणद्धे गिम्हाणं पढमे समए पडिवज्जति तता णं उत्तरड्ढे एतस्सवि वासागमो भाणियव्वो जाव उऊओ, ता जता णं जंबुद्दीवे दाहिणद्धे पढमे अयणे पडिवज्जति तदा णं उत्तरदेवि पढमे अयणे पडिवज्जइ, जता णं उत्तरद्धे पढमे अयणे पडिवज्जति तदा दाहिणद्धेवि पढमे अयणे पडिवज्जइ, जता णं उत्तरदे पढमे अयणे पडिवज्जति तता णं जंबुद्दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमपच्चत्थिमेणं अणंतरपुरक्खडकालसमयंसि पढमे अयणे पडिवज्जति, ता जया णं जंबुद्दीवे मन्दरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमेणं पढमे अयणे पडिवज्जति तता णं पच्चत्थिमेणवि पढमे अयणे पडिवज्जइ, जया णं पच्चत्थिमेणं पढमे अयणे पडिवज्जइ तदा णं जंबुद्दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरदाहिणेणं अणंतरपच्छाकडकालसमयंसि पढमे अंयणे पडिवण्णे भवति, एवं संवच्छरे जुगे वाससते, एवं वाससहस्से वाससयसहस्से पुव्वंगे पुब्वे एवं जाव सीसपहेलिया पलितोवमे सागरोवमे, ता जया णं जंबुद्दीवे दाहिणड्ढे ओसप्पिणी तताणं उत्तरद्धेवि ओसप्पिणी पउवज्जति पडिवज्जति, जता णं उत्तरद्धे ओसप्पिणी पडिवज्जति तता णं जंबुद्दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमपच्चत्थिमेणं णेवत्थि ओसप्पिणी णेव अत्थि उस्सप्पिणी, अवट्ठिते णं तत्थ काले पं० समणाउसो !, एवं उस्सप्पिणीवि, ता जया णं लवणे समुद्दे दाहिणद्धे दिवसे भवति तता णं लवणसमुद्दे उत्तरद्धे दिवसे भवति, जता णं उत्तरद्धे दिवसे भवति तता णं लवणसमुद्दे पुरच्छिमपच्चत्थिमेणं राई भवति, जहा जंबुद्दीवे तहेंव जाव उस्सप्पिणी, तहा धायइसंडे णं दीवे सूरिया उदीण० तहेव, ता जता णं धायइसंडे दीवे दाहिणद्धे दिवसे भवति तता णं उत्तरद्धेवि दिवसे भवति, जता णं उत्तरद्धे दिवसे भवति तता णं धायइसंडे दीवे मंदराणं पव्वताणं पुरत्थिमपच्चत्थिमेणं राई भवति, एवं जंबुद्दीवे जहा तहेव जाव उस्सप्पिणी, कालोए णं जहा लवणे समुद्दे तहेव, ता अब्भंतरपुक्खरद्धे णं सूरिया उदीणपाईणमुग्गच्छ तहेव ता जया णं अब्भंतरपुक्खरद्धे णं दाहिणद्धे दिवसे भवति तदा णं उत्तरदेवि दिवसे भवति, जता णं उत्तरद्धे दिवसे भवति तताणं अब्भिंतरपुक्खरद्धे मंदराणं पव्वताणं पुरत्थिमपच्चत्थिमेणं राई भवति सेसं तहा जंबुद्दीवे तहेव जाव ओसप्पिणीउस्सप्पिणीओ ★★★ |२९||अट्टमं पाहुडं ८ || ★★★ ता कतिकट्ठे ते सूरिए पारिसीच्छायं णिव्वत्तेति आहि० ?, तत्थ खलु इमाओ तिण्णि पडिवत्तीओ पं०, तत्थेगे एव० - जे णं पोग्गला सूरियस्स लेसं फुसंति ते णं पोग्गला संतप्पंति, ते णं पोग्गला संतप्पमाणा तदणंतराई बाहिराई पोग्गलाई संतावेंतीति एस णं से समिते तावक्खेत्ते एगे एव०, एगे पुण०-ता जेणं 20 श्री आमणमा ११६२ 6666666666666 Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ******** (१०) ८.९ पोग्गला सूरियस्स लेसं फुसंति ते णं पोग्गला नो संतप्पंति, ते णं पोग्गला असंतप्पमाणा तदणंतराई बाहिराई पोग्गलाई णो संतावेंतीति स से समिते तावक्खेत्ते एगे एव०, एगे पुण० ता जे गं पोग्गला सूरियस्स लेसं फुसंति ते णं पोग्गला अत्थेगतिया संतप्पंति अत्थेगतिया णो संतप्पंति, तत्थ अत्थेगइआ संतप्पमाणा तदांतराई बाहिराई पोग्गलाई अत्थेगतियाई संतावेति अत्थेगतियाई णो संतावेति एस णं से समिते तावक्खेत्ते एगे एव०, वयं पुण एवं वदामो-ता जाओ इमाओ चंदिमसूरियाणं देवाणं विमाणेहिंतो लेसाओ बहिया उच्छूढा अभिणिसट्ठाओ पतावति एतासि णं लेसाणं अंतरेसु अण्णतरीओ छिण्णलेसाओ संमुच्छंति, तते णं ताओ छिण्णलेस्साओ संमुच्छियाओ समाणीओ तदणंतराई बाहिराई पोग्गलाई सतावेंतीति एस णं से समिते तावक्खेत्ते । ३०| ता कतिकट्ठे ते सूरए पोरिसीच्छायं णिव्वत्तेति आहि० ?, तत्थ खलु इमाओ पणवीसं पडिवत्तीओ पं०, तत्थेगे एव०-ता अणुसमयमेव सूरिए पोरिसिच्छायं णिव्वत्तेइ आहि० एगे एव०, एगे पुणता अणुमुहुत्तमेव सूरिए पोरिसिच्छायं णिव्वत्तेति आहि०, एतेण अभिलावेणं णेतव्वं, ता जाओ चेव ओयसंठितीए पणवीसं पडिवत्तीओ ताओ चेव तव्वाओ जाव अणुउस्सप्पिणीमेव सूरिए पोरिसीए छायं णिव्वत्तेति आहि० एगे०, वयं पुण एवं वदामो-ता सूरियस्स णं उच्चत्तं व लेसं च पडुच्च छाउद्देसे उच्चतं च छायं च पडुच्च लेसुद्देसे लेसं च छायं च पडुच्च उच्चत्तोद्देसे, तत्थ खलु इमाओ दुवे पडिवत्तीओ पं०, तत्थेगे एवमाहंसु-ता अत्थि णं से दिवसे जंसि णं दिवसंसि सूरिए चउपोरिसीच्छायं निव्वत्तेइ, अत्थि णं से दिवसे जंसि णं दिवसंसि सूरिए दुपोरिसीच्छायं णिव्वत्तेति एगे एव०, एगे पुण० - ता अत्थि णं से दिवसे जंसि णं दिवसंसि सूरिए दुपोरिसीच्छायं णिव्वत्तेति अत्थि णं से दिवसे जंसि णं दिवसंसि सूरिए नो किंचि पोरिसिच्छायं णिव्वत्तेति, तत्थ जे ते एव० ता अत्थि णं से दिवसे जंसि णं दिवसंसि सूरिए चउपोरिसियं छायं णिव्वत्तेति अत्थि णं से दिवसे जंसि णं दिवसंसि सूरिए दोपोरिसियं छायं निव्वत्तेइ ते एव०-ता जता णं सूरिए सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति जहण्णिया दुवालसमुहुत्ता राई भवति, तंसि च णं दिवसंसि सूरिए चउपोरिसीयं छायं निव्वत्तेति, ता उग्गमणमुहुत्तंसि य अत्थमणमुहुत्तंसि य लेसं अभिवड्ढेमाणे नो चेव णं णिव्वुड्ढेमाणे, ता जता णं सूरिए सव्वबाहिरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं उत्तमकट्ठपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवति जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति, तंसि च णं दिवसंसि सूरिए दुपोरिसियं छायं निव्वत्तेइ, तं०-उग्गमणमुहुत्तंसि य अत्थमणमुहुत्तंसि य लेसं अभिवड्ढेमाणे नो चेव णं निवुड्ढेमाणे, तत्थ णं जे ते एव०-ता अत्थि णं से दिवसे जंसि णं दिवसंसि सूरिए दुपोरिसियं छायं णिव्वत्तेइ अत्थि णं से दिवसे जंसि णं दिवसंसि सूरिए जो किंचि पोरिसियं छायं णिव्वत्तेति ते एव०-ता जता णं सूरिए सव्वब्भंतरं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं उत्तमकट्ठपत्ते उक्कोसए अट्ठारसमुहुत्ते दिवसे भवति जहण्णिया दुवालसमुहुत्ता राई भवति तंसि च णं दिवसंसि सूरिए दुपोरिसियं छायं णिव्वत्तेति, तं० उग्गमणमुहुत्तंसि य अत्थमणमुहुत्तंसि य लेसं अभिवड्ढेमाणे णो चेव णं णिव्वुड्ढेमाणे, ता जया णं सूरिए सव्वबाहिर मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तता णं उत्तमकट्ठपत्ता उक्कोसिया अट्ठारसमुहुत्ता राई भवति जहण्णए दुवालसमुहुत्ते दिवसे भवति तंसि च णं दिवसंसि सूरिए णो किंचि पोरिसीछायं णिव्वत्तेति, तं० उग्गमणमुहुत्तंसि य अत्थमणमुहुत्तंसि य, नो चेव णं लेसं अभिवुड्ढेमाणे वा निवुडढेमाणे वा, ता कइकट्टं ते सूरिए पोरिसीच्छायं निव्वत्तेइ आहि० ?, तत्थ इमाओ छण्णउई पडिवत्तीओ पं०, तत्थेगे एव०- अत्थि णं से देसे जंसि णं देसंसि सूरिए एगपोरिसीछायं निव्वत्तेइ एगे एव०, एगे पुण०ता अत्थि णं से देसेजंसि देसंसि सूरिए दुपोरिसियं छायं णिव्वत्तेति, एवं एतेणं अभिलावेणं णेतव्वं, जाव छण्णउतिपोरिसियं छायं णिव्वत्तेति, तत्थ जे ते एव०-ता अत्थि णं से देसे जंसि णं देसंसि सूरिए एगपोरिसियं छायं णिव्वत्तेति ते एव० - ता सूरियस्स णं सव्वहेट्ठिमातो सूरप्पडिहितो बहिया अभिणिसट्टाहिं लेसाहिं ताडिज्जमाणीहिं इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जाओ भूमिभागाओ जावतियं सूरिए उड्ढउच्चत्तेणं एवतियाए एगाए अद्धाए छायाणुमाणप्पमाणेणं उमाए तत्थ से सूरिए एगपोरिसीयं छायं णिव्वत्तेति, तत्थ जे ते एव०-ता अत्थि णं से देसे जंसि णं देसंसि सूरिए दुपोरिसिच्छायं णिव्वत्तेति ते एव०-ता सूरियस्स णं सव्वमातो सूरियपडिधीतो बहिया अभिणिसट्ठिताहिं लेसाहिं ताडिज्जमाणीहिं इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जातो भूमिभागातो जावतियं सूरिए श्री आगमगुणमंजूषा - १९६३ Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ FOR9555555555555555 (१७) चंदपन्नति (१०)पाहुडं , पाहुड-पाहुडं - २२ [१७] 555555555555555FOLOR CO乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐明乐乐乐乐 乐乐乐乐 乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐SC 2 उड्ढंउच्चत्तेणं एवतियाहिं दोहिं अद्धाहिं दोहिं छायाणुमाणप्पमाणेहिं उमाए एत्थ णं से सूरिए दुपोरिसियं छायं णिव्वत्तेति, एवं एक्वेक्काए पडिवत्तीए भाणितव्वं जाव छण्णउतिमा पडिवत्ती एगे०, वयं पुण एवं वदामो-सातिरेगअउणट्ठिपोरिसीणं सूरिए पोरिसीछायं णिव्वत्तेति, अवद्धपोरिसी णं छाया दिवसस्स किं गते वा सेसे वा?, ता तिभागे गते वा सेसे वा, पोरिसीणं छाया दिवसस्स किं गते वा सेसे वा?, ता चउब्भागे गते वा सेसे वा, ता दिवद्धपोरिसीण छाया दिवसस्स किं गते वा सेसे वा?, ता पंचमभागे गते वा सेसे वा, एवं अद्धपोरिसिं छोढुं पुच्छा दिवसस्स भागं छोढुं वाकरणं जाव ता अद्धअउणासट्ठिपोरिसीछाया दिवसस्स किं गते वा सेसे वा?, ता एगूणवीससतभागे गते वा सेसे वा, ता अउणसट्ठिपोरिसीणं छाया दिवसस्स किं गते वा सेसे वा ?, वीससयभागे गते वा सेसे वा, ता सातिरेगअउणसट्ठिपोरिसीणं छाया दिवसस्स किं गते वा सेसे वा?, णत्थि किंचि गते वा सेसे वा, तत्थ खलु इमा पणवीसनिविट्ठा छाया पं० तं०-खंभच्छाया रज्जु० पागार० पासाय० उत्तर० उच्चत्त० अणुलोम० पडिलोम० आरूभिता उवहितासमा पडिहता खीलच्छाया पक्खच्छाया पुरतोउदग्गा पिट्ठओउदग्गा पुरिमकंठभागोवगता पच्छिमकंठभाओवगता छायाणुवादिणी किट्ठाणुवादिणीछाया छायछाया छायाविकप्पो वेहासच्छाया सगड० (कडच्छाया) गोलच्छाया, तत्थ णं गोलच्छाया अट्ठविहा पं० २०-गोलच्छाया अवद्धगोलच्छाया गोलगोल० अवद्धगोलगोल० गोलावलि० अवड्ढगोलावलि गोपुंज० अवद्धगोलपुंज० ३१। णवमं पाहुडं ९॥ *** ता जोगेति वत्थुस्स आवलियाणिवाते आहि०, तां कहं ते जोगेति वत्थुस्स आवलियाणिवाते आहि० ?, तत्थ खलु इमाओ पंच पडिवत्तीओ पं०, तत्थेगे एव०-ता सव्वेवि णं णक्खत्ता कत्तियादिया भरणिपज्जवसाणा एगे एव० एगे पुण०-ता सव्वेवि णं णक्खत्ता महादीया अस्सेसापज्जवसाणा पं० एगे एव०, एगे पुण०-ता सव्वेवि णं णक्खत्ता धणिट्ठादीया सवणपज्जवसाणा पं० एगे एव०, एगे पुण०-ता सव्वेवि णं णक्खत्ता अस्सिणीआदीया रेवतिपज्जवसाणा पं० एगे एव०, एगे पुण०-सव्वेवि णं णक्खत्ता भरणीआदिया अस्सिणीपज्जवसाणा एगे एव०, वयं पुण एवं वदामो-सव्वेवि णं णक्खत्ता अभिइआदीया उत्तरासाढापज्जवसाणा पं० तं०-अभिई सवणो धणिट्ठा सतभिसया पुव्वभद्दवता उत्तरभद्दवया रेवती अस्सिणी भरणी कत्तिया रोहिणी मिगसिरं अद्दा पुणव्वसू पुस्सो असिलेसा महा पुव्वा फग्गुणी उत्तरा फग्गुणी हत्थो चित्ता साती विसाहा अनुराहा जेट्ठा मूलो पुव्वासाढा उत्तरासाढा ।३२॥१०-१॥ (२०६) ता कहं ते मुहुत्तग्गे आहि० ?, ता एतेसिंणं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अत्थि णक्खत्ते जे णं णव मुहुत्ते सत्तावीसं च सत्तट्ठिभागे मुहुत्तस्स चंदेणं सद्धिं जोयं जोएति, अत्थि णक्खत्ता जेणं पण्णरसमुहुत्ते चंदेणं सद्धिं जोयं जोएंति, अत्थि णक्खत्ता जे णं तीसं०, अत्थि णक्खत्ता जे णं पणतालीसं मुहुत्ते चंदेणं सद्धिं जोयं जोएंति, ता एएसिंणं अट्ठावीसाए नक्खत्ताणं कयरे नक्खत्ते जे णं नव मुहुत्ते सत्तावीसं च सत्तट्ठिभाए मुहुत्तस्स चंदेणं सद्धिं जोएन्ति ?, कयरे नक्खत्ता जे णं पण्णरसमुहुत्ते० कतरे नक्खत्ता जेणं तीसं मुहुत्ते चंदेण० कतरे नक्खत्ता जेणं पणयालीसं मुहुत्ते०?, ता एएसिंणं अट्ठवीसाए णक्खत्ताणं तत्थ जे से णक्खत्ते जेणं णव मुहुत्ते सत्तावीसं च सत्तट्ठिभागे मुहुत्तस्स चंदेण० से णं एगे अभीयी, तत्थ जे ते णक्खत्ताजे णं पण्णरस मुहुत्ते चंदेण० तेणं छ, तं०-सतभिसया भरणी अद्दा अस्सेसा साती जेट्ठा, तत्थ जे ते णक्खत्ताजेणं तीसं मुहुत्ते चंदेण० ते पण्णरस, तं०-सवणे धणिट्ठा पुव्वा भद्दवता रेवती अस्सिणी कत्तिया मग्गसिरं पुस्सो महा पुव्वा फग्गुणी हत्थो चित्ता अणुराहा मूलो पुव्वासाढा, तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं पणतालीसं मुहुत्ते चंदेणं सद्धिं जोगं जोएंति ते ण छ, तं०-उत्तरा भद्दपदा रोहिणी पुणव्वसू उत्तरा फग्गुणी विसाहा उत्तरसाढा ।३३। ता एतेसिं णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अत्थि णक्खत्ते जेणं चत्तारि अहोरत्ते छच्च मुहुत्ते सूरेण सद्धिं जोयं जोएति, अत्थि णक्खत्ता जे णं छ अहोरत्ते एक्कवीसं च मुहुत्ते सूरेण० अत्थि णक्खत्ता जे णं तेरस अहोरत्ते बारस य मुहुत्ते सूरेण० अत्थि णक्खत्ता जे णं वीसं अहोरत्ते तिण्णि य मुहुत्ते०, ता एतेसिं णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं कतरे णक्खत्ते जे णं चत्तारि अहोरत्ते छच्च मुहुत्ते सूरेण कतरे णक्खत्ते जे ण छ अहोरत्ते एक्कवीसं मुहुत्ते सूरेणं० कतरे णक्खत्ता जे णं तेरस अहोरत्ते बारस य मुहुत्ते फू सूरेण० कतरे णक्खत्ता जे णं वीसं अहोरत्ते तिण्णि य मुहुत्ते सूरेण ?, एतेसिंणं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं तत्थ जे से णक्खत्ते जेणं चत्तारि अहोरत्ते छच्च मुहत्ते MOTO54555555555555555555555555555555555555555555555555OOK Kerres555555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा ११६४5555555555555555555555555555 Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॐॐॐॐॐॐॐ (१७) चंदपन्नति रहुड १० (२२) [१८] सूरेण से एगे अभीयी, एवं उच्चारेयव्वाइं जाव तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं वीसं अहोरत्ते तिण्णि य मुहुत्ते सूरेण सद्धि जोयं जोएंति ते णं छ, तं० उत्तरा भद्दवता जाव उत्तरासाढा |३४||१०-२ ।। ता कहं ते एवंभागा आहि० ?, ता एतेसिं णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अत्थि णक्खत्ता पुव्वंभागा समखेत्ता तीसतिमुहुत्ता पं०, अत्थि णक्खत्ता पच्छंभागा समक्खेत्ता तीसमुहुत्ता पं०, अत्थि णक्खत्ता णत्तंभागा अवड्ढखेत्ता पण्णरसमुहुत्ता पं०, अत्थि णक्खत्ता उभयं भागा दिवइढखेत्ता पणतालीसंमुहुत्ता पं०, ता एएसिं णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं कतरे णक्खत्ता पुव्वंभागा समखेत्ता तीसतिमुहुत्ता पं० कतरे णक्खत्ता पच्छंभाग समक्खेत्ता तीसमुहुत्ता पं० कतरे णक्खत्ता णत्तंभागा अवड्ढखेत्ता पण्णरसमुहुत्ता पं० कतरे नक्खत्ता उभयंभागा दिवड्ढखेत्ता पणतालीसतिमुहुत्ता पं० १, ता एतेसिं णं अट्ठावीसा खत्ताणं तत्थ जे ते क्खत्ता पुव्वंभागा समखेत्ता तीसतिमुहुत्ता पं० ते णं छ, तं० पुव्वा पोट्ठवता कत्तिया मघा पुव्वा फग्गुणी मूलो पुव्वासाढा, तत्थ जे ते णक्खत्ता पच्छंभागा समखेत्ता तीसतिमुहुत्ता पं० ते णं दस, तं०-अभिई सवणो धणिट्ठा रेवती अस्सिणी मिगसिरं पूसो हत्थो चित्ता अणुराधा, तत्थ जे ते णक्खत्ता णत्तंभागा अवद्धखेत्ता पण्णरसमुहुत्ता पं० ते णं छ, तं० सयभिसया भरणी अद्दा अस्सेसा साती जेट्ठा, तत्थ जे ते णक्खत्ता उभयंभागा दिवड्ढखेत्ता पणतालीसंमुहुत्ता पं० ते णं छ, तं० उत्तरा पोट्ठवता रोहिणी पुणव्वसू उत्तरा फग्गुणी विसाहा उत्तरासाढा |३५||१०-३|| ता कहं ते जोगस्स आदी आहि० ?, ता अभियीसवणा खलु दुवे णक्खत्ता पच्छाभागा समखित्ता सातिरेगऊतालीसतिमुहुत्ता तप्पढमयाए सायं चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति, ततो पच्छा अवरं सातिरेयं दिवसं, एवं खलु अभिईवसणा दुवे णक्खत्ता एगराई एगं च सातिरेगं दिवसं चंदेण सद्धिं जोगं जोएंति त्ता जोयं अणुपरियट्टंति त्ता सायं चंदं धणिट्ठाणं समप्पंति, ता धणिट्ठा खलु णक्खत्ते पच्छंभागे समक्खेत्ते तीसतिमुहुत्ते तप्पढमयाए सायं चंदेण सद्धिं जोगं जोएति त्ता जोयं० त्ता ततो पच्छा राई अवरं च दिवसं, एवं खलु णिक्खत्ते एवं च राई एगं च दिवसं चंदेण सद्धिं जोयं जोएति त्ता जोयं अणुपरियट्टेति त्ता सायं चंदं सतभिसयाणं समप्पेति, ता सयभिसया खलु णक्खत्ते णत्तंभागे अवड्ढखेत्ते पण्णरसमुहुत्ते तप्पढमताए सायं चंदेण सद्धिं जोयं जोएति णो लभति अवरं दिवसं, एवं खलु सयभिसया णक्खत्ते एवं राई चंदेण सद्धिं जोयं तत्ता जो अणुपरियट्टति त्ता ता चंदं पुव्वाणं पोट्ठवताणं समप्पेति, ता पुव्वा पोट्ठवता खलु नक्खत्ते पुव्वंभागे समखेत्ते तीसतिमुहुत्ते तप्पढमताए पातो चंदेणं सद्धिं जोयं जोएति ततो पच्छा अवरराई, एवं खलु पुव्वा पोट्ठवता णक्खत्ते पुव्वंभागे समखित्ते तीसमुंहुत्ते एगं च दिवसं एगं च राई चंदेणं सद्धिं जोयं जोएति त्ता जो अणुपरियदृतित्ता पातो चंदं उत्तरापोट्ठवताणं समप्पेति, ता उत्तरापोट्ठवता खलु नक्खत्ते उभयंभागे दिवड्ढखेत्ते पणतालीसमुहुत्ते तप्पढमयाए पातो चंदेणं सद्धिं जोयं जोएति अवरं च रातिं ततो पच्छा अवरं दिवसं, एवं खलु उत्तरापोट्ठवताणक्खत्ते एवं दिवसं एगं च राई अवरं च दिवस चंदेण सद्धिं जोयं जोएति त्ता जोयं अणुपरियट्टति त्ता सायं चंदं रेवतीणं समप्पेति, ता रेवती खलु णक्खत्ते पच्छंभागे सम० जहा धणिट्ठा जाव सागं चंदं अस्सिणीणं समप्पेति, ता अस्सिणी खलु णक्खत्ते पच्छिमभागे तमखेत्ते तीसतिमुहुत्ते तप्पढमताए सागं चंदेण सद्धिं जोयं जोएति, ततो पच्छा अवरं दिवसं, एवं खलु अस्सिणीणक्खत्ते एगं च राई एवं च दिवसं चंदेणं सद्धिं जोयं जोएति त्ता जोगं अणुपरियट्टइ त्ता सांगं चंदं भरणीणं समप्पेति, ता भरणी खलु णक्खत्ते णत्तंभागे अवड्ढखेत्ते जहा सतभिसया जाव पादो चंदं कत्तियाणं समप्पेति, एवं जहा सयभिसया तहा नत्तंभागा नेयव्वा, एवं जहा पुव्वभद्दवता तहेव पुव्वंभागा छप्पि णेयव्वा, जहा धणिट्ठा तहा पच्छंभागा अट्ठ यव्वा जाव एवं खलु उत्तरासाढा दो दिवसे एगं च रातिं चंदेणं सद्धिं जोगं जोएति त्ता जोगं अणुपरियट्टति त्ता सायं चंदं अमितिसमणाणं समप्पेति । ३६।१०-४॥ ताकते कुला आहि० ?, तत्थ खलु इमे बारस कुला बारस उवकुला चत्तारि कुलोवकुला पं०, बारस कुला तं० धणिट्टाकुलं उत्तराभद्दवता० अस्सिणी० कत्तिया० मगसिरं० पुस्सो० महा० उत्तराफग्गुणी० चित्ता० विसाहा० मूलो० उत्तरासाढाकुलं, बारस उवकुला तं०-सवणो उवकुलं पुव्वपोट्ठवता० रेवती० भरणी० रोहिणी० पुण्णव्वसु० अस्सेसा० पुव्वाफग्गुणी० हत्थो० साती० जेट्ठा० पुव्वा साढा०, चत्तारि कुलोवकुला तं०- 'अभीयीकुलोवकुलं सतभिसया० अद्दा० अणुराधाकुलोवकुलं । ३७||१०-५।। ता कहं ते पुण्णिमासिणी आहि० ?, तत्थ खलु इमाओ बारस पुण्णिमासिणीओ बारस अमावासाओ पं० साविट्ठी श्री आगमगुणमंजूषा - ११६५ Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ४५ (१७) चंदपन्नति पाहुडे -१० (२२) [१९] पोवती आसोई कत्तिया मग्गसिरी पोसी माही फग्गुणी चेत्ती विसाही जेट्ठामूली आसाढी, ता साविट्ठिण्णं पुण्णमासिं कति णक्खत्ता जोएंति ?, ता तिण्णि णक्खत्ता जोइंति, तं०-अभिई सवणो धणिट्ठा, ता पुट्ठवतीण्णं पुण्णिमं कति णक्खत्ता जोएंति ?, ता तिन्नि नक्खत्ता जोयंति, तं० सतभिसया पुष्वापुट्ठवता उत्तरापुट्ठा सोदिणं कति णक्खत्ता जोएंति ?, ता दोण्णि णक्खत्ता जोएंति, तं० रेवती य अस्सिणी य, कत्तियण्णं पुण्णिमं पुच्छा, ता दोण्णि णक्खत्ता जोएंति तं० - भरणी त्या, एणं अभिलावेणं मगसिरिं० दोण्णि तं० - रोहिणी मग्गसिरो य, पोसिण्णं तिन्नि तं० - अद्दा पुणव्वसू पुस्सो, माहिण्णं दोण्णिं तं० - अस्सेसा महा य, फग्गुणीण्णं दोण्णिं तं०- पुव्वाफग्गुणी उत्तराफग्गुणी य, चित्तिण्णं दोण्णि तं० - हत्थो चित्ता य, ता विसाहिण्णं दोण्णि साती विसाहा य, जेट्ठामूलिण्णं तिणि हट्ठा मूलो, आसाढिण्णं दोन्नि पुव्वासाढा उत्तरासाढा । ३८। ता साविट्ठिण्णं पुण्णमासिणिं किं कुलं जोएति उवकुलं जो० कुलोवकुलं जोएति ?, ता कुलं वा० उवकुलं वा० कुलोवकुलं वा जोएति, कुलं जोएमाणे धणिट्ठाणक्खत्ते० उवकुलं जोएमाणो सवणे णक्खत्ते० कुलोवकुलं जोएमाणे अभिईणक्खत्ते जोएति, साविट्ठि पुण्णिमं कुलं वा० उवकुलं वा० कुलोवकुलं वा जोएति, कुलेण वा उवकुलेण वा कुलोवकुलेण वा जुत्ता साविट्ठी पुण्णिमा जुत्ताति वत्तव्वं सिया, त पोवतिणं पुण्णमं किं कुलं० ? तहेव पुच्छा, ता कुलं वा० उवकुलं वा० कुलोवकुलं वा जोएति, कुलं जोएमाणे उत्तरा पोट्ठवया णक्खत्ते जोएति उवकुलं जोएमाणे पुब्वा पुट्ठवता णक्खत्ते जोएति कुलोवकुलं जोएमाणे सतभिसया णक्खत्ते जोएति, ता पोट्ठवतिं कुलं वा उवकुलं वा कुलोवकुलं वा जोएति तं चेव जाव पुट्ठवती पुण्णिमा जुत्ताति वत्तव्वं सिया, ता आसोइं णं पुण्णमासिणिं किं कुलं पुच्छा, णो लभति कुलोवकुलं, कुलं जोएमाणे अस्सिणीणक्खत्ते जोएति उवकुलं जोएमाणे रेवतीणक्खत्ते जोएति, आसोइं णं पुण्णिमं च कुलं वा उवकुलं वा जोएति, कुलेण वा जुत्ता उवकुलेण वा जुत्ता अस्सोई पुण्णिमा जुत्ताति वत्तव्वं सिया, एवं एएणं अभिलावेणं णेतव्वाउ पोसं पुण्णिमं जेट्ठामूलि पुण्णिमं च कुलोवकुलाई भाणियव्वाइं सेसासु णत्थि कुलोवकुलं, जाव आसाढीपुन्नमासिणी जुत्ताति वत्तव्वं सिया, दुवालस अमावासाओ सावट्ठी जाव आसाढी, ता साविट्ठि णं अमावासं कति णक्खत्ता जोएंति ?, दुन्नि नक्खत्ता जोएंति, तं० अस्सेसा य महा य, एवं ए अभिलावेणं तव्वं, पोट्ठवतीं दोन्नि तं० पुव्वा फग्गुणी उत्तरा फग्गुणी, अस्सोइं दोन्नि हत्थो चित्ता य, कत्तिई दोन्नि साती विसाहा य, मग्गसिरं तिन्नि अणुराधा जेट्ठा मूलो, पोसिं दोन्नि पुव्वासाढा उत्तरासाढा, माहिं तिन्नि अभीयी सवणो धणिट्ठा, फग्गुणीं तिण्णि सतभिसया पुव्वापोट्ठवता उत्तरापोट्ठवता, चेत्तिं तिन्नि उत्तरा भद्दवता रेवती अस्सिणी विसाहिं दोण्णि भरणी कत्तिया य जेट्ठामूलिं रोहिणी मगसिरं च, ता आसाढिं णं अमावासं कति णक्खत्ता जोएंति ?, ता तिण्णि तं० अद्दा पुणव्वसू पुसो, ता साविद्धिं णं अमावासं किं कुलं पुच्छा ?, कुलं वा० उवकुलं वा० नो लब्भइ कुलोवकुलं, कुलं जोएमाणे महाणक्खत्ते जोएति उवकुलं जोएमाणे असिलेसा जोएइ, कुलेण वा जुत्ता उवकुलेण वा जुत्ता साविट्ठी अमावासा जुत्ताति वत्तव्वं सिया, एवं मग्गसिरीए माहीए फग्गुणीए आसाढीए य अमावासाए कुलोक्कुलं भाणियव्वं, सेसाणं कुलोवकुलं नत्थि । ३९ ।। १०-६ ॥ ता कहं ते सण्णिवाते आहि० ?, ता जया णं साविट्ठी पुष्णिमा भवति तता णं माही अमावासा भवति जया णं माही पुण्णमा भवति तता णं साविट्ठी अमावासा भवति, जता णं पुट्टवती पुण्णिमा भवति तता णं फग्गुणी अमावासा भवति जया णं फग्गुणी पुण्णिमा भवति तता णं पुट्टवती अमावासा भवति, एवं एएणं अभिलावेणं आसोइए चेत्तीए य कत्तीए वेसाहीए मगसिराए जेट्ठामूलीए य, जता णं पोसी पुण्णिमा भवति तता णं आसाढी अमावासा भवति ताणं आसाढी पुण्णिमा भवति तता णं पोसी अमावासा भवति |४०||१०-७॥ ता कहं ते नक्खत्तसंठिती आहि० ?, ता एएसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अभीयी गोसीसावलिसंठिते सवणे काहारसंठिते पं० धणिट्ठा सउणिपलीणगसंठिते सयभिसया पुप्फोवयारसं ठिते, एवं पुव्वापोट्टवता अवड्ढवाविसंठिते, एवं उत्तरावि, रेवतीणक्खत्ते णावासंठिते अस्सिणीणक्खत्ते आसक्खंधसंठिते भरणीणक्खत्ते भगसंठिए कत्तियाणक्खत्ते छुरघरसंठिते पं० रोहिणीणक्खत्ते सगडुड्डिसंठिते मिगसिराणक्खत्ते मगसीसावलिसंठिते अद्दाणक्खत्ते रूधिरबिंदुसंठिए पुणव्वसू तुलासंठिए पुप्फे वद्धमाण० अस्सेसा पडागसंठिए महा पागारसंठिते पुव्वाफग्गुणी अद्धपलियंकसंठिते, एवं उत्तरावि, हत्थे हत्थसंठिते चित्ता मुहफुल्लसंठिते साती खीलगसंठिते विसाहा दामणिसंठिते अणुराधा गावलिसंठिते जेट्ठा श्री आगमगुणमंजूषा ११६६ ON Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ROXXXXXXXXXXXXXXX रावलतिर १० कारण गयदंतसंठिते मूले विच्छुयलंगुलसंठिते पुव्वासाढा गयविक्कमसंठिते उत्तरासाढा सीहनिसाइयसंठिते।४१||१०-८|| ता कहं ते णक्खत्ताणं तारग्गे आहि० ?, ता एतेसिंणं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अभीईणक्खत्ते तितारे पं०, सवणे णक्खत्ते?, तितारे, धनिट्ठा ?, पणतारे, सतभिसया?, सततारे, पुव्वा पोट्ठवता?, दुतारे, एवं उत्तरावि, रेवती० ?, बत्तीसतितारे, अस्सिणी० ?, तितारे, भरणी तितारे कत्तिया छतारे रोहिणी पंचतारे मिगसिरे तितारे अद्दा एगतारे पुणव्वसू पंचतारे पुस्से तितारे अस्सेसा छत्तारे महा सत्ततारे पुव्वा फग्गुणी दुतारे एवं उत्तरावि हत्थे पंचतारे चित्ता एकतारे साती एकतारे विसाहा पंचतारे अणुराहा चउतारे जेट्ठा तितारे ॥ मूले एक्कारतारे पुव्वांसाढा चउतारे उत्तरासाढाणक्खत्ते चउतारे पं०॥४२॥१०-९॥ ता कहं ते णेता आहि०?, ता वासाणं पढमं मासं कति णक्खत्ता णेति ?, ता ॥ चत्तारि णक्खत्ता णिति, तं०-उत्तरासाढा अभिई सवणो धणिट्ठा, उत्तरासाढा चोद्दस अहोरत्ते णेति, अभिई सत्त अहोरते णेति, सवणे अट्ठ अहोरत्ते णेति, धणिट्ठा एग अहोरत्तं नेइ, तंसि णं मासंसि चउरंगुलपोरिसीए छायाए सूरिए अणुपरियति, तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे दो पादाइं चत्तारि य अंगुलाणि पोरिसी भवति, ता वासाणं दोच्छ मासं कति णक्खत्ता णेति ?, ता चत्तारि णक्खत्ता णेति, तं०-धणिट्ठा सतभिसया पुव्वपुट्ठवता उत्तरपोट्ठवया, एवं एएणं अभिलावेणं जहेव जंबुद्दीवपन्नत्तीए तहेव इत्थंपि भाणियव्वं जाव तंसि च णं मासंसि वट्टाए समचउरंससंठिताए णग्गोधपरिमंडलाए सकायमणुरंगिणीए छायाए सूरिए अणुपरियट्टति, तस्स णं मासस्स चरिमे दिवसे लेहवाई दो पादाई पोरिसी भवति ।४३||१०-१०॥ ता कहं ते चंदमग्गा आहि० ?, ता एएसि णं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अत्थि णक्खत्ता जे णं सता चंदस्स दाहिणेणं जोअंजोएंति, अत्थि णक्खत्ता जेणं सता चंदस्स उत्तरेणं० अत्थि णक्खत्ता जेणं चंदस्स दाहिणेणवि उत्तरेणवि पमइंपि० अस्थि णक्खत्ता जेणं चंदस्स दाहिणेणवि पमइंपि० अत्थि णक्खत्ता जेणं चंदस्स सदा पमइं०, ता एएसिंणं अट्ठावीसाए नक्खत्ताणं कतरे नक्खत्ता जे णं सता चंदस्स दाहिणेणं जोयं जोएंति ?, तहेव जाव कतरे नक्खत्ता जेणं सदा चंदस्स पम० ?, ता एतेसिंणं अट्ठावीसाए नक्खत्ताणं तत्थ जेणं नक्खत्ता सया चंदस्स दाहिणेणं० ते णं छ, तं०-संठाणा अद्दा पुस्सो अस्सेसा हत्थो मूलो, तत्थ जे ते णक्खत्ता जेणं सदा चंदस्स उत्तरेणं जोयं जोएंति ते णं बारस, तं०-अभिई सवणो धणिट्ठा सतभिसया पुव्वभद्दवया उत्तरा पोट्ठवता रेवती अस्सिणी भरणी पुव्वा फग्गुणी उत्तरा फग्गुणी साती, तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं चंदस्स दाहिणेणवि उत्तरेणवि पमइंपि० ते णं सत्त तं०-कत्तिया रोहिणी पुणव्वसू महा चित्ता विसाहा अणुराहा, तत्थ जे ते नक्खत्ता जेणं चंदस्स दाहिणेणवि पमइंपि० ताओ णं दो आसाढाओ सव्वबाहिरे मंडले जोयं जोएंसु वा जोएंति वा जोएस्संति वा, तत्थ जे से णक्खत्ते जेणं सदा चंदस्स पमदं जोयं जोएति साणं एगा जेट्ठा ।४४। ता कति ते चंदमंडला पं०?, ता पण्णरस चंदमंडला ता एएसिणं पण्णरसण्हं चंदमंडलाणं अत्थि चंदमंडला जे णं सया णक्खत्तेहिं अविरहिया अस्थि चंदमंडला जेणं सया मणक्खत्तेहिं विरहिया अत्थि चंदमंडला जे णं रविससिणक्खत्ताणं सामण्णा भवंति अत्थि चंदमंडला जे णं सया आदिच्चेहिं विरहिया, ता एतेसिं णं पण्णरसण्हं चंदमंडलाणं कयरे चंदमंडला जे णं सता णक्खत्तेहिं अविरहिया जाव कयरे चंदमंडला जे णं सदा आदिच्चविरहिता ?, ता एतेसिंणं पण्णरसण्हं चंदमंडलाणं तत्थ # जे ते चंदमंडला जे णं सदा णक्खत्तेहिं अविरहिता ते णं अट्ठ, तं०-पढमे चंदमंडले ततिए० छटे० सत्तमे० अट्ठमे० दसमे० एक्कादसे० पण्णरसमे चंदमंडले, तत्थ जे ते चंदमंडलाजेणं सदा णक्खत्तेहिं विरहिया ते णं सत्त, तं०-बितिए० चउत्थे० पंचमे० नवमे० बारसमे० तेरसमे० चउदसमे चंदमंडले, तत्थ जे ते चंदमंडला जेणं ससिरविनक्खत्ताणं सामण्णा भवंति ते णं चत्तारि, तं०-पढमे० बीए० इक्कारसमे० पन्नरसमे चंदमंडले, तत्थ जे ते चंदमंडला जे णं सदा आदिच्चविरहिता ते णं पंच, तं०-छढे० सत्तमे० अट्ठमे० नवमे० दसमे चंदमंडले।४५।१०-११।। ता कहं ते देवताणं अज्झयणा आहि० ?, ता एएसिंणं अट्ठावीसाए नक्खत्ताणं अभिई णक्खत्ते किंदेवताए पं०१, बंभदेवयाएपं०, सवणे विण्हुदेवयाए, एवं जंहा जंबुद्दीवपन्नत्तीए जाव उत्तरासाढा विस्सदेवयाएपं०१४६।१०-१२।। ता कहं ते मुहुत्ताणं नामधेज्जा आहि० ?, ता एगमेगस्सणं अहोरत्तस्स तीसं मुहुत्ता पं० तं०-'रोद्दे सेते मित्ते वायु सुपीए तहेव अभिचंदे। माहिंद बलव बंभो बहुसच्चे १० चेव ईसाणे ॥२०॥ तट्ट्य भावियप्पा वेसमणे वारूणे य आणंदे । विजए य वीससेणे पयावई चेव उवसमे य २०॥२१॥ गंधव्व अग्गिवेसे सयरिसहे आयवं च अममे य। अणवं च भोम रिसहे PROTOS 4 5555$$$55 श्री आगमगुणमंजूषा - १९६७ $$$$55555555555555555 乐乐明與乐明明明明明出乐乐乐乐照明听听听听听听听听听明明明明明明明明明明明明明 Q乐乐听听听听听听听听乐乐乐历历历明明乐乐明明明明历历明明乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐明明明明明明明明明FO க Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Ro9555555555555555 (१७) चंदपन्नतिघाहुडं -१०-(२०२१] 555555555555555FOTO IGH乐听听听听听听听乐听听听乐乐乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听$5C सव्वढे रक्खसे चेव ३०॥२२॥४७॥१०-१३॥ ता कहं ते दिवसा आहि० ?, ता एगमेगस्स णं पक्खस्स पन्नरस २ दिवसा पं० तं०-पडिवादिवसे बितियादिवसे जाव पण्णरसीदिवसे, ताएतेसिंणं पण्णरसण्हं दिवसाणं पन्नरसनामधेजा पं० तं०-पुव्वंगे सिद्धमणोरमेय तत्तोमणोहरो चेव । जसभद्देय जसोधर सव्वकामसमिद्धेति य॥२३|| इंद मुद्धाभिसते य सोमणस धणंजए य बोद्धव्वे । अत्थसिद्धे अभिजाते अच्चसणे य सतंजए ॥२४॥ अग्गिवेसे उवसमे दिवसाणं नामधेज्जाई ।। ता कहं ते रातीओ आहि० ?, ता एगमेगस्स णं पक्खस्स पण्णरस राईओ पं० २०-पडिवा राई जाव पण्णरसी राई, ता एतासिंणं पण्णरसण्हं राईणं पण्णरस नामधेज्जा पं० तं०-उत्तमा य सुणक्खत्ता, एलावच्चा जसोधरा । सोमणसा चेव तधा, सिरिसंभूता य बोद्धव्वा ।।२५।। विजया य विजयंती जयंति अपराजिया य मच्छा य । समाहारा चेव तधा तेया य तहा य अतितेया॥२६।। देवाणंदा निरती रयणीणं णामधेज्जाई।४८1१०-१४|| ता कहं ते तिही आहि०?, तत्थ खलु इमा दुविहा तिही पं० २०-दिवसतिही राईतिही य, ता कहं ते दिवसतिही आहि०?, ता एगमेगस्स णं पक्खस्स पण्णरस २ दिवसतिही पं०, तं०-णंदे भद्दे जए तुच्छे पुण्णे पक्खस्स पंचमी पुणरवि णंदे भद्दे जए तुच्छे पुण्णे पक्खस्स दसमी पुणरवि णंदे भद्दे जये तुच्छे पुण्णे पक्खस्स पण्णरसी, एवं ते तिगुणा तिहीओ सव्वेसिं दिवसाणं, कहं ते राईतिधी आहि०?, एगमेगस्सणं पक्खस्स पण्णरस रातितिधी पं० तं०-उग्गवती भोगवती जसवती सव्वट्ठसिद्धा सुहणामा पुणरवि उग्गवती भोगवती जसवती सव्वट्ठसिद्धा सुहणामा पुणरवि उग्गवती भोगवती जसवती सव्वट्ठसिद्धा सुहणामा, एते तिगुणा तिहीओ सव्वासिं रातीणं ।४९।१०-१५|| ता कहं ते गोत्ता आहि०?, ता एतेसिंणं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं अभीइणक्खत्ते किंगोत्ते पं० १,त्ता मोग्गल्लायणसगोत्ते पं०, सवणे संखायणसगोत्ते, धणिट्ठाणक्खत्ते अग्गितावसगोत्ते पं०, सतभिसयाणक्खत्ते ?, कण्णउ (नो) लोयणसगोत्ते पं०, पुव्वापोट्ठवताणक्खत्ते जाउकण्णियसगोत्ते पं०, उत्तरपोट्ठवताणक्खत्ते धणंजयसगोत्ते पं०, रेवतीणक्खत्ते?, पुस्सायणसगोत्ते पं०, अस्सिणीनक्खत्ते अस्सादणसगोत्ते पं०, भरणीणक्खत्ते भग्गवेसायणगोत्ते पं०, कत्तियाणक्खत्ते अग्गिवेससगोत्ते पं०, रोहिणीणक्खत्ते गोतमसगोत्ते पं०, संठाणाणक्खत्ते ?, भारद्दायसगोत्ते पं०, अद्दाणक्खत्ते ?, लोहिच्चायणसगोत्ते पं०, पुणव्वसुणक्खत्ते ?, वासिट्ठसगोत्ते पं०, पुस्से उमज्जायणसगोत्ते पं०, अस्सेसा० ?, मंडव्वायणसगोत्ते पं०, महा० ?, पिंगायणसगोत्ते पं०, पुव्वा फग्गुणी० ?, गोवल्लायणसगोत्ते पं०, उत्तरा फग्गुणी०?, कासवगोत्ते पं०, हत्थे० ?, कोसियगोत्ते पं०, चित्ता० दब्भियायणसगोत्ते पं०, साई० ?, चामरछाभणगोत्ते पं०, विसाहा०?, सुंगायणसगोत्ते पं०, अणुराधा० ?, गोलव्वायणसगोत्ते पं०, जेट्ठा० ?, तिगिच्छायणसगोत्ते पं०, मूले० ?, कच्चायणसगोत्ते पं०, पुव्वासाढा० ?, वज्झियायणसगोत्ते पं०, उत्तरासाढाणक्खत्ते ॥ किंगोत्ते पं०?, वग्यावच्चसगोत्ते पं० १५०॥१०-१६।। ता कहं ते भोयणा आहि०?, ता एएसिंणं अट्ठावीसाए णक्खत्ताणं कत्तियाहिं दधिणा भोच्चा कज्जं साधिति, रोहिणीहिं वसभमसेण भोच्चा कज्ज साधेति, संठाणाहिं मिगमंसेण अद्दाहिं णवणीतेण भोच्चा पुणव्वसुणा घतेण पुस्सेणं खीरेण अस्सेसाए दीवगमसेण महाहिं कसरिं पुव्वाहिं फग्गुणीहिं मेढकमसेण उत्तराहिं फग्गुणीहिं णक्खीमसेणं हत्थेणं वत्थाणीपण्णेणं चित्ताहिं मुग्गसूवेणं सादिणा फलाई विसाहाहिं आसित्तियाओ अणुराहाहिं मिस्साकूरं जेट्ठाहिं ओलट्ठिएणं मूलेणं मूलापण्णे (लसाए) णं पुव्वाहिं आसाढाहिं आमलगसरीरेणं उत्तराहिं आसाढाहिं विलेविं अभीयिणा पुप्फेहिं सवणेणं खीरेणं धणिट्ठाहिं जूसेण सयभिसयाए तुवरीओ पुव्वाहिं पुट्ठवयाहिं कारिल्लएहिं उत्तराहिं पुट्ठवताहिं वराहमसेणं रेवतीहिं जलयरमंसेण अस्सिणीहिं तित्तिरमंसेणं वट्टकमंसं वा भरणीहिं तिलतंदुलकं भोच्चा कज्ज साधेति ।५१।१०-१७॥ ता कहं ते चा (वा) रा आहि० १, ता तत्थ खलु इमा दुविहा चारा पं० २०. आदिच्चचारा य चन्दचारा य, ता कहं ते चंदचारा आहि०?, ता पंचसंवच्छरिए णं जुगे अभीइणक्खत्ते सत्तसद्विचारे चंदेण सद्धिं जोयं जोएति, सवणे णं णक्खत्ते सत्तढेि चारे चंदेण सद्धिं जोयं जोएति, एवं जाव उत्तरासाढाणक्खत्ते सत्तहिचारे चंदेणं सद्धिं जोयं जोएति, ता कहं ते आइच्चचारा आहि०?, ता पंचसंवच्छरिए णं जुगे अभीयीणक्खत्ते पंचचारे सूरेणं सद्धिं जोयं जोएति, एवं जाव उत्तरासाढाणक्खत्ते पंचचारे सूरेण सद्धिं जोयं जोएति।५२।१०-१८|| ता कहं ते मासा आहि०?,ता एगमेगस्स णं संवच्छरस्स बारस मासा पं०, तेसिंच दुविहानामधेज्जा पं० तं०-लोइया लोउत्तरिया य, तत्थ लोइया णामा सावणे भद्दवते आसोए जाव आसाढे, Gin Education International 2010_03 Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 555FFOTO NEEKENENETELEVENE 步步步步步步步步为55%%%%%%%%% E लालशारिश kxxxxxxxxxxxxxwere लोउत्तरियाणामा-अभिणंदे सुपड्ढे य, विजये पीतिवद्धणे । सेजसे सिवे यावि, सिसिरे य सहेमवं ॥२७|| नवमे वसंतमासे, दसमे कुसुमसंभवे । एकादसमे णिदाहो,G वणविरोही य बारसे ॥२८॥५३।१०-१९|| ता कति णं भंते ! संवच्छरा आहि० ?, ता पंच संवच्छरा आहि० तं०-णक्खत्तसंवच्छरे जुग० पमाण लक्खण० सणिच्छरसंवच्छरे।५४ ताणक्खत्तसंवच्छरेणं दुवालसविहे पंतं०-सावणे भद्दवए जाव आसाढे, जं वा वहस्सती महग्गहे दुवालसहिं संवच्छरेहिं सव्वं णक्खत्तमंडलं फ समाणेति ।५५। ता जुगसंवच्छरे णं पंचविहे पं० तं०-चंदे चंदे अभिवड्डिए चंदे अभिवड्डिए चेव, ता पढमस्स णं चंदसंवच्छरस्स चउवीसं पव्वा पं०, दोच्चस्स णं चंदसंवच्छरस्स चउवीसं पव्वा पं०, तच्चस्स णं अभिवहितसंवच्छरस्स छव्वीसं पव्वा पं०, चउत्थस्स णं चंदसंवच्छरस्स चउवीसं पव्वा पं०, पंचमस्स णं अभिवड्डियसंवच्छरस्स छव्वीसं पव्वा पं०, एवामेव सपुव्वावरेणं पंचसंवच्छरिए जुगे एगे चउवीसे पव्वसते भवतीतिमक्खातं ।५६। ता पमाणसंवच्छरे पंचविहे पं० तं०-नक्खत्ते चंदे उडू आइच्चे अभिवहिए।५७। ता लक्खणसंवच्छरे पंचविहे पं० २०-नक्खत्ते चंदे उडू आइच्चे अभिवडिए, ताणक्खत्ते णं संवच्छरेणं पंचविहे पं० तं०-समगं णक्खत्ता जोयं जोएंति १ समगं उदू परिणमंति २ । नच्चुण्हं ३ नाइसीए ४ बहूउदए ५ होइ नक्खत्ते ॥२९|| ससि समग पुन्निमासिं जोइंता विसमचारिनकखत्ता। कडुओ बहुउदवओ य तमाहु संवच्छरं चंदं ॥३०॥ विसमं पवालिणो परिणमंति अणुऊसु दिति पुष्फफलं । वासं न सम्म वासइ तमाहु संवच्छर कम्मं ॥३१|| पुढविदगाणं च रसं पुप्फफलाणं च देइ आइच्चे । अप्पेणवि वासेणं संमं निष्फजए सस्सं ॥३२॥ आइच्चतेयतविया खणलवदिवसा उऊ परिणमन्ति । पुरेति निण्णथलये तमाह अभिवदितं जाण ॥३३||ता सणिच्छरसंवच्छरे णं अट्ठावीसतिविहे पं० तं०-अभियी सवणे जाव उत्तरासाढा, जं वा सणिच्छरे महग्गहे तीसाए संवच्छरेहिं सव्वं णक्खत्तमंडल समाणेति।५८॥१०-२०॥ ता कहं ते जोतिसस्स दारा आहि० ?, तत्थ खलु इमाओ पंच पडिवत्तीओ पं०, तत्थेगे एव०-ता कत्तियादी णं सत्त नक्खत्ता पुव्वदारिया पं० ते णं एव० सं०-कत्तिया जाव असिलेसा, महादीया सत्त दाहिणदारिया पं० तं०-महा जाव विसाहा, अणुराधादीया सत्त अवरदारिया पं० २०-अणुराधा जाव सवणो, धणिट्ठादीया सत्त उत्तरदारिया पं० तं०-धणिट्ठा जाव भरणी, तत्थ जे ते एव०-ता महादीया सत्त पुव्व० सं० ते एव० सं०-महा जाव विसाहा, अणुराधादीया सत्त दाहिण० पं० तं०-अणुराधा जाव सवणे, धणिट्ठादीया सत्त अवर० पं० तं०-धणिहा जाव भरणी. कत्तियादीया सत्त उत्तर० पं० तं०-कत्तिया जाव अस्सेसा, तत्थ णं जे ते एव० ता धणिट्ठादीया सत्त पुव्वदा० पं० ते एव० सं०-धणिट्ठा जाव भरणी. कत्तियादीया सत्त दाहिण पं० २०-कत्तिया जाव अस्सेसा, महादीया सत्त अवर० पं० तं०-महा जाव विसाहा, अणुराधादीया सत्त उत्तर० पं० तं०-अणुराधा जाव सवणो, तत्थ जे ते एव०-ता अस्सिणीआदीया सत्त णक्खत्ता पुव्व०प० ते एव० सं०-अस्सिणी जाव पुणव्वसू, पुस्सादिया सत्त दाहिण० पं० तं०-पुस्सो जाव चित्ता. सादीयादीया सत्त अवर० पं० तं०-साती जाव उत्तरासाढा, अभीयीआदिया सत्त उत्तर० पं० तं०-अभिई जाव रेवती, तत्थ जे ते एव० ता भरणिआदीया सत्त पव्व० पं० ते एव० सं०-भरणी जाव पुस्सो, अस्सेसादीया सत्त दाहिण० पं० तं०-अस्सेसा जाव साई, विसाहादीया सत्त अवर० पं० तं०-विसाहा जाव अभिई सवणादीया सत्त उत्तर पं० तं०-सवणो जाव अस्सिणी एगे एव०, वयं पुण एवं वदामो-ता अभिईतादिया सत्त पुव्व० पं० तं०-अभियी जाव रेवती. अस्सिणीआदीया सत्त दाहिण पं० २०-अस्सिणी जाव पुणव्वसू, पुस्सादीया सत्त अवर० पं० २०-पुस्सो जाव चित्ता, सातिआदीया सत्तणक्खत्ता उत्तरदारिया पं० २०-साँती जाव उत्तरासाढा ।५९।।१०-२१॥ ता कहं ते णक्खत्तविजये आहि०१, ता अयण्णं जंबुद्दीवे जाव परिक्खेवेणं, ता जंबुद्दीवेणं दीवे दो चंदा पभासेंस वा पभासोत वा पभासिस्संति वा दो सूरिया तविसु वा तवेति वा तविस्संति वा छप्पण्णं णक्खत्ता जोयं जोएंसु वा० सं०-दो अभीयी दो सवणा जाव दो उत्तराओ आसाढाओ, ता एएसिंणं छप्पण्णाए नक्खत्ताणं अत्थि शक्खत्ता जे णं णव मुहुत्ते सत्तावीसं च सत्तट्ठिभागे मुहुत्तस्स चंदेणं सद्धिं जोयं जोएंति, पण्णरसमुहत्ते० तीसमहत्तेपणयालीसं० जोयं जोएंति, ता एतेसिंणं छप्पण्णाए णक्खत्ताणं कतरे णक्खत्ते जेणं णव मुहुत्ते सत्तावीसं च सत्तसट्ठिभागे मुहत्तस्स चंदण जाव कतरे णकखत्ता जेणं पणतालीसं मुहत्ते चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति ?, ता एतेसिंणं छप्पण्णाए णक्खत्ताणं तत्थ जे ते णक्खत्ता जेणं णव मुहत्ते सत्तावीसं च सत्तट्ठिभागे Mond 9 855555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा ११६९०555555555555555544454 A RASIYA 年华听听听$乐步步圳乐乐步步听听听听听听听听听听听听听听$听听听听听听听听$劣听听听听听听听听听$29 MORO955555555 Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ G05555555555555明 (१७) चंदपन्नति पाहुई - १०(२२) [२३] 555555555555555ONOR C$$$$乐明明明明明明明明明明乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听FM मुहुत्तस्स चंदेण० ते णं दो अभीयी, तत्थ जे ते णक्खत्ता जेणं पण्णरस मुहत्ते चंदेण० ते णं बारस, तं०-दो सतभिसया दो भरणी दो अद्दा दो अस्सेसा दो साती दो जेट्ठा, तत्थ जे णं० तीसं मुहुत्ते चंदेण० ते णं तीसं, तं०-दो सवणा दो धणिट्ठा दो पुव्वभद्दवता दो रेवती दो अस्सिणी दो कत्तिया दो संठाणा दो पुस्सा दो महा दो पुव्वाफग्गुणी दो हत्था दो चित्ता दो अणुराधा दो मूला दो पुव्वासाढा, तत्थ जे ते णक्खत्ता जे णं पणतालीसं मुहुत्ते० ते णं बारस, तं०-दो उत्तरापोट्ठवता दो रोहिणी दो पुणव्वसू दो उत्तराफग्गुणी दो विसाहा दो उत्तरासाढा, ता एएसिंणं छप्पण्णाए णक्खत्ताणं अत्थि णक्खत्ते जे णं चत्तारि अहोरत्ते छच्च मुहुत्ते सूरिएण सद्धिं जोयं जोएंति, अत्थि णक्खत्ता जे णं छ अहोरत्ते एक्कवीसं च मुहत्ते सूरेण अत्थि णक्खत्ता जे णं तेरस अहोरत्ते बारस य मुहुत्ते सूरेण०, अत्थि णक्खत्ता जे णं वीसं अहोरत्ते तिन्नि य मुहुत्ते सूरेण०, एएसिंणं छप्पण्णाए णक्खत्ताणं कयरे णक्खत्ता जेणं तं चेव उच्चारेयव्वं, ता एतेसिंणं छप्पण्णाए णक्खत्ताणं तत्थ जे ते णक्खत्ता जेणं चत्तारि अहोरत्ते छच्च मुंहुत्ते सूरेणं० ते णं दो अभीयी, तहेव जाव तत्थ जे ते णक्खत्ताजेणं वीसं अहोरत्ते तिण्णि य मुहुत्ते सूरेणं जोयं जोएंति ते णं बारस तं०-' दो उत्तरापोट्ठवता जाव दो उत्तरासाढाओ।६०। ता कहं ते सीमाविक्खंभे आहि० ?, ता एतेसिंणं छप्पण्णाए णक्खत्ताणं अत्थि णक्खत्ता जेसिंणं छ सया तीसा सत्तट्ठिभागतीसतिभागाणं सीमाविक्खंभो, अत्थि णक्खत्ता जेसिंणं सहस्सं पंचोत्तरं सत्तसट्ठिभागतीसतिभागाणं सीमाविक्खंभो, अत्थि णक्खत्ता जेसिंणं दो सहस्सा दसुत्तरा सत्तट्ठिभागतीसतिभागाणं सीमाविक्खंभो, अत्थि णक्खत्ता जेंसिं णं तिन्नि सहस्सा पंचदसुत्तरं सत्तट्ठिभागतीसतीभागाणं सीमाविक्खंभो, ता है एतेसिंणं छप्पणाए णक्खत्ताणं कतरे णक्खत्ता जेसिंणं छ सया तीसा तं चेव उच्चारतव्वं जाव तिसहस्सं पंचदसुत्तरं सत्तसट्ठिभागतीसइभागाणं सीमाविक्खंभो?, ता एतेसिंणं छप्पण्णाए णक्खत्ताणं तत्थ जे ते णक्खत्ता जेसिंणं छ सता तीसा सत्तट्ठिभागतीसतिभागाणं सीमाविक्खंभो ते णं दो अभीयी, तत्थ जे ते णक्खत्ता जेसिंणं सहस्सं पंचुत्तरं सत्तट्ठिभागतीसतिभागाणं सीमाविक्खंभो ते णं बारस, तं०-दो सतभिसया जाव दो जेट्ठा, तत्थ जे ते णक्खत्ता (२०७) जेसिंणं दो सहस्सा दसुत्तरा सत्तट्ठिभागतीसतिभागाणं सीमाविक्खंभो ते णं तीसं, तं०-दो सवणा जाव दो पुव्वाओ आसाढाओ, तत्थ जे ते णक्खत्ता जेसिं णं तिण्णि सहस्सा पण्णरसुत्तरा सत्तट्ठिभागतीसतिभागाणं सीमाविक्खंभो ते णं बारस, तं०-दो उत्तरापोट्ठवता जाव उत्तरासाढा ।६१। एतेसिंणं छप्पण्णाए णक्खत्ताणं किं सता पादो चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति ?, किं सया सायं चंदेणं सद्धिं जोयं जोएंति ?, एतेसिंणं छप्पण्णाए णक्खत्ताणं किं सया दुहा पविसिय २ चंदेणं० ?, ता एएसिंणं छप्पण्णाए णक्खत्ताणं न किंपि तं जं सया पादो चंदेण० नो सया सागं चंदेण० नो सया दुहाओ पविसित्ता २ चंदेण सद्धिं जोयं जोएंति, णण्णत्थ दोहिं अभीयाहिं, ता एते णं दो अभीयी पायंचिय २ चोत्तालीसमं अमावासं जोएंति, णो चेव णं पुण्णमासिणिं ।६। तत्थ खलु इमाओ बावढेि पुण्णमासिणीओ बावढि अमावासाओ पं०, ता एएसिंणं पंचण्हं संवच्छराणं पढम पुण्णमासिणिं चंदे कंसि देसंसि०?, ताजंसिणं देसंसि चंदे चरिमं बावढेि पुण्णमासिणिंजोएति ताए पुण्णमासिणिठ्ठाणातो मंडलं चउव्वीसेणं सतेणं छेत्ता दुबत्तीसं भागे उवातिणावित्ता एत्थ णं से चंदे पढमं पुण्णमासिणिं जोएति, ता एएसिंणं पंचण्हं संवच्छराणं दोच्चं पुण्णमासिणिं चंदे कंसि देसंसि जोएति ?, ता जंसि णं देसंसि चंदे पढमं पुण्णमासिणिं जोएति ताते पुण्णमासिणीट्ठाणातो मंडलं चउवीसेणं सएणं छेत्ता दुबत्तीसं भागे उवाइणावेत्ता एत्थ णं से चंदे दोच्चं पुण्णमासिणिं जोएति, ता एएसिं णं पंचण्हं संवच्छराणं तच्चं पुण पुच्छा, ता जंसि णं देसंसि चंदे दोच्चं पुण्णमासिणिं जोएति ताए पुण्णमासिणीठाणातो मंडलं चउव्वीसेणं सतेणं छेत्ता दुबत्तीसं भागे उवाइणावेत्ता एत्थ णं तच्चं चंदे पुण्णमासिणिं जोएति, ता एतेसिं पंचण्हं संवच्छराणं दुवालसमं पुण्णमासिणिं चंदे कंसि देसंसि जोएति ?, ता जंसि णं देसंसि चंदे तच्चं पुण्णमासिणिं जोएति ताते पुण्णमासिणिट्ठाणाते मंडलं चउव्वीसेणं सतेणं छेत्ता दोण्णि अट्ठरसीते भागसते उवायिणावेत्ता एत्थ णं से चंदे दुवालसमं पुण्णमासिणि जोएति, एवं खलु एतेणुवाएणं ताते २ पुण्णमासिणिट्ठाणाते मंडलं चउवीसेणं सतेणं छेत्ता दुबत्तीसभागे उवातिणावेत्ता तंसि २ देसंसितं तं पुण्णमासिणिं चंदे जोएति, ता एतेसिंणं पंचण्हं संवच्छराणं चरमं बावढेि पुण्णमासिणिं चंदे कंसि देसंसिजोएति?, ता जंबुद्दीवस्स णं पाईणपडीणायताए उदीणदाहिणायताए जीवाए मंडलं चउव्वीसेणं सतेणं छेत्ता दाहिणिल्लंसि चउब्भागमंडलंसि सत्तावीसं भागे उवायणावेत्ता aroros5555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ११७० 555555555555555555555SNOR OF明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听2 Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ $ $$$$$ $$$$$乐乐 明明明明明明乐乐乐明明明明明明明明明明听听听听听听听听乐乐5555C PROSSESISEXSSESSIL लायतिन्ह १०० xxx33333333SAXSEENog अट्ठावीसतिभागं वीसहा छेत्ता अट्ठारसभागे उवातिणावेत्ता तिहिं भागेहिं दोहि य कलाहिं पच्चत्थिमिल्लं चउब्भागमंडलं असंपत्ते एत्थ णं चंदे चरिमं बावट्ठि पुण्णमास्त्रिणिं जोएति ।६३। ता एएसिंणं पंचण्हं संवच्छराणं पढमं पुण्णमासिणि सूरे कंसि देसंसि जोएति ?, ता जंसि णं देसंसि सूरे चरिमं बावढेि पुण्णमासिणि जोएति ताते पुण्णमासिणिट्ठाणातो मंडलं चउव्वीसेणं सतेणं छेत्ता चउणवति भागे उवातिणावेत्ता एत्थ णं से सूरिए पढम पुण्णमासिणिं जोएइ, ता एएसिंणं पंचण्हं संवच्छराणं दोच्चं पुण पुच्छा, ता जंसिणं देसंसि सूरे पढमं पुण्णमासिणिंजोएइ ताए पुण्णमासिणीठाणाओ मंडलं चउवीसेणं सएणं छेत्ता चउणवइभागे उवाइणावित्ता एत्थ णं से सूरे दोच्चं पुण्णमासिणिं जोएइ, एवं तच्वंपि नवरं दोच्चाओ एत्थ णं से सूरे तच्चं पुण्णमासिणिं जोएति, ता एतेसिं णं पंचण्हं संवच्छराणं दुवालसं पुण्णमासिणिं० पुच्छा, जंसि णं देसंसि तच्चं पुण्णमासिणिं जोएति ताते पुण्णमा सिणिठ्ठाणाते० अद्धछत्ताले भागसते उवाइणावेत्ता एत्थ णं से सूरे दुवालसमं पुण्णमासिणिं जोएति, एवं खलु एतेणुवाएणं ताते २ पुण्णमासिणिट्ठाणाते मंडलं चउवीसेणं सतेण छेत्ता चउणउतिं २ भागे उवातिणावेत्ता तसि २ णं देसंसि तं तं पुण्णमासिणिं सूरे जोएति, ता एतेसिंणं पंचण्ह संवच्छराणं चरिमं बावडिंपुच्छा, ताजंबुद्दीवस्सणं पाईणपडीणायताए उदीणदाहिणायताए जीवाए मंडलं चउव्वीसेणं सएणं छेत्ता पुरच्छिमिल्लंसि चउभागमंडलंसि सत्तावीसं भागे उवातिणावेत्ता अट्ठावीसतिभागं वीसधा छेत्ता अट्ठारसभागे उवादिणावेत्ता तिहिं भागेहिं दोहि य कलाहिं दाहिणिल्लं चउभागमंडलं असंपत्ते एत्थ णं सूरे चरिमं बावट्ठि पुण्णिमं जोएति ।६४। ता एएसिंणं पंचण्हं संवच्छराणं पढमं अमावासं चंदे कंसि देसंसि जोएति ?, ता जंसिणं देससि चंदे चरिमं बावडिं अमावासंजोएति ताते अमावासट्ठाणाते मंडलं चउव्वीसेणं सतेणं छेत्ता दुबत्तीसं भागे उवादिणावेत्ता एत्थणं से चंदे पढमं अमावासंजोएति, एवं जेणेव अभिलावेणं चंदस्स पुण्णमासिणीओ भणियाओ तेणेव अभिलावेणं अमावासाओ भणितव्वाओ बिझ्या ततिया दुवालसमी, एवं खलु एतेणुवाएणं ताते २ अमावासट्ठाणाते मंडलं चउव्वीसेणं सतेणं छेत्ता दुबत्तीसं २ भागे उवादिणावेत्ता तंसि २ देसंसि तं तं अमावासं चंदेणं जोएति, ता एतेसिं णं पंचण्हं संवच्छराणं चरमं बावट्ठि अमावासं पुच्छा?, ता जंसि णं देसंसि चंदे चरिमं बावट्ठि पुण्णमासिणिं जोएति ताते पुण्णमासिणिट्ठाणाए मंडलं चउव्वीसेणं सतेणं छेत्ता सोलसभागं ओसक्कइत्ता एत्थ णं से चंदे चरिमं बावढेि अमावासंजोएति ।६५। ता एतेसिंणं पंचण्हं संवच्छराणं पढमं अमावासं सूरे कंसि देसंसि जोएति?, ताजंसिणं देसंसि सूरे चरिमं बावट्ठि अमावासं जोएति ताते अमावासट्ठाणाते मंडलं चउव्वीसेणं सतेणं छेत्ता चउणउतिभागे उवायिणावेत्ता एत्य णं से सूरे पढम अमावासं जोएति, एवं जेणेव अभिलावेणं सूरियस्स पुण्णमासिणीओ तेणेव अमावासाओवि, तं०-बिदिया तइया दुवालसमी, एवं खलु एतेणुवाएणं ताते २ अमावासट्ठाणाते मंडलं चउव्वीसेणं सतेणं छेत्ता चउणउतिं २ भागे उवायिणावेत्ता तंसि २ देसंसि तं तं अमावासं सूरिए जोएति, ता एतेसिंणं पंचण्हं २ संवच्छराणं चरिमं बावट्ठि अमावासं पुच्छा, ता जंसि णं देसंसि सूरे चरिमं बावढिं पुण्णमासिणिं जोएति ताते पुण्णमासिणिट्ठाणाते मंडलं चउव्वीसेणं सतेणं छेत्ता सत्तालीसं भागे उसकावइत्ता एत्थ णं से सूरे चरिमं बावट्ठि अमावासं जोएति ।६६। ता एएसिंणं पंचण्हं संवच्छराणं पढमं पुण्णमासिणिं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता धणिवाहिं, धणिवाणं तिण्णि मुहुत्ता एकूणवीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्टिधा छेत्ता पण्णट्ठी चुण्णिया भागा सेसा, तंसमयं च णं सूरिए केणं णक्खत्तेणंजोएति?, ता पुव्वाफग्गुणीहिं, ता पुव्वाफग्गुणीणं अट्ठावीसं मुहुत्ता अकृतीसं च बावट्ठिभागा मुंहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता दुवत्तीसं चुण्णिया भागा सेसा, ता एएसिंणं पंचण्हं संवच्छराणं दोच्चं पुण्णमासिणिं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता उत्तराहिं पोट्ठवताहिं, उत्तराणं पोट्ठवताणं सत्तावीसं मुहुत्ता चोद्दस य बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता बावट्ठी चुण्णिया भागा सेसा, तंसमयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएति?, ता उत्तराहिं फग्गुणीहिं, उत्तराफग्गुणीणं सत्त मुहुत्ता तेत्तीसं च बावट्ठिभागा मुंहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता एक्कतीसं चुण्णिया भागा सेसा, ता एतेसिंणं पंचण्हं संवच्छराणं तच्चं 3 पुण्णमासिणी चंदे केणं णक्खत्तेण जोएति ?, ता अस्सिणीहिं, अस्सिणीणं एक्कवीसं मुहुत्ता णव य बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता तेवट्ठी २ चुण्णिया भागा सेसा, तंसमयं च ण'सूरे केण णक्खत्तेणं जोएति ?, ता चित्ताहिँ, चित्ताणं एक्को मुहुत्तो अट्ठावीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावविभागं च सत्तट्ठिधा ROOFFFFFFFF55555555555555 श्री आगमगुणमजूषा - ११७१ 3555555555555555555555 FOTION 明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听峨峨嵋乐乐乐明明明明明明明听听C Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2005555555555555 (१७) चंदपन्नति पाहुडं - १०.(२४ [२५] $$ $ $$$ $$2CE 明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 छेत्ता तीसं चुण्णिया भागा सेसा, ता एतेसिंणं पंचण्हं संवच्छराणं दुवालसमं पुण्णामासिणिं पुच्छा, ता उत्तराहिं आसाढाहिं, उत्तराणं च आसाढाणं छव्वीसं मुहुत्ता छव्वीसं च बावट्ठिभागा मुहत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता चउप्पण्णं०, तंसमयं च सूरे केणं पुच्छा, ता पुणव्वसुणा, पुणव्वसुस्स सोलस मुहुत्ता अट्ठ य बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता वीसं चुणिया भागा सेसा, ता एतेसिंणं पंचण्हं संवच्छराणं चरमं बावट्ठि पुण्णमासिणिं चंदे केणं णकखत्तेणं जोएंति ? ता उत्तराहिं आसाढाहिं उत्तराणं आसाढाणं चरमसमए, तंसमयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता पुस्सेणं, पुस्सस्स एकूणवीसं मुहुत्ता तेतालीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता तेत्तीसं चुणिया भागा सेसा।६७। एतेसिंणं पंचण्हं संवच्छराणं पढमं अमावासं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता अस्सेसाहिं, अस्सेसाणं एक्को मुहुत्तो चत्तालीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता छावट्ठी चुण्णिया० भागा० सेसा, तंसमयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएति?, ता अस्सेसाहिं चेव, अस्सेसाणं एक्को मुहत्तो चत्तालीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तद्विधा छेत्ता छावट्ठी चुणिया भागा सेसा, ता एएसिंणं पंचण्ह० दोच्चं अमावासं चंदे पुच्छा, उत्तराहिं फग्गुणीहिं, उत्तराणं फग्गुणीणं चत्तालीसं मुहुत्ता पणतीसं बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता पण्णट्ठी चुणिया भागा सेसा, तंसमयं च णं सूरे केणं पुच्छा, ता उत्तराहिं चेव फग्गुणीहिं, उत्तराणं फग्गुणीणं तं चेव जाव पण्णट्ठी चुणिया भागा सेसा, ता एतेसिंणं पंचण्हं संवच्छराणं तच्वं अमावासं चंदे पुच्छा, ता हत्थेणं, हत्थस्स चत्तारि मुहुत्ता तीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्टि भागं च सत्ताद्विधा छेत्ता बावट्ठी चुण्णिया भागा सेसा, तंसमयं च णं सूरे केणं पुच्छा, हत्थेणं चेव, जं चेव चंदस्स, ता एएसिंणं पंचण्हं संवच्छराणं दुवालसमं अमावासं चंदे केणं पुच्छा, ता अबाहिं, अद्दाणं चत्तारि मुहुत्ता दस य बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तद्विधा छेत्ता चउपण्णं चुण्णिया भागा सेसा, तंसमयं च णं सूरे केणं पुच्छा, ता अद्दाहिं चेव, जं चेव चंदस्स, ता एएसिंणं पंचण्हं संवच्छराणं चरिमं बावढि अमावासं चंदे केणं पुच्छा ?, पुणव्वसुणा, पुणव्वसुस्स बावीसं मुहुत्ता छायालीसं च बासट्ठिभागा मुहुत्तस्स सेसा, तंसमयं च णं सूरे केणं पुच्छा ?, ता पुणव्वसुणा चेव, पुणव्वसुस्स णं जहा चंदस्स ।६८। ता जेणं अज्ज णक्खत्तेणं चंदे जोयं जोएति जंसि देसंसि से णं इमाणि अट्ठ एकूणवीसाणि मुहुत्तसताइं चउवीसं च बावट्ठिभागे मुंहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्टिधा छेत्ता बावढि चुण्णियाभागे उवायिणावेत्ता पुणरवि से चंदे अण्णेणं तारिसएणं चेवणक्खत्तेणं जोय जोएति अण्णंसि देसंसि, ताजेणं अज्ज णक्खत्तेणं चंदे जोयं जोएति जंसि देसंसि सेणं इमाइं सोलसअट्ठतीस मुहुत्तसताइं अउणापण्णं च बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता पण्णट्ठी चुण्णियाभागे उवायिणावेत्ता पुणरवि से णं चंदे तेणं चेव णक्खत्तेणं जोयं जोएति अण्णंसि देसंसि, ता जेणं अज्ज णक्खत्तेणं चंदे जोयं जोएति जंसि देसंसि से णं इमाइं चउप्पण्णमुहुत्तसहस्साई णव य मुहत्तसताई उवादिणावित्ता पुणरवि से चंदे अण्णेणं तारिसएणं नक्खत्तेणं जोयं जोएति तंसि देसंसि, ता जेणं अज्ज णक्खत्तेणं चंदे जोयं जोएति जंसि २ देसंसि से णं इमं एगं मुहुत्तसयसहस्सं अट्ठाणउतिं च मुहुत्तसताइं उवायिणावित्ता पुणरवि से चंदे तेण चेव णक्खत्तेणं जोयं जोएइ तंसि देसंसि, ताजेणं अज्ज णक्खत्तेणं सूरे जोयं जोएति जंसि देसंसि से णं इमाई तिण्णि छावट्ठाइं राइंदियसताइं उवादिणावेत्ता पुणरवि से सूरिए अण्णेणं तारिसएणं चेव नक्खत्तेणं जोयं जोएति तंसि देसंसि, ताजेणं अज्ज नक्खत्तेणं सूरे जोयंजोएति तंसि देसंसि सेणं इमाइं सत्तदुतीसं राइंदियसताई उवाइणावेत्ता पुणरवि से सूरे तेणं चेव नक्खत्तेणं जोयं जोएति तंसि देसंसि, ताजेणं अज्ज णक्खत्तेणं सूरे जोयं जोएति जंसि देसंसि से णं इमाई अट्ठारस वीसाइं राइंदियसताइं उवादिणावेत्ता पुणरवि से सूरे अण्णेणं तारिसएणं चेव णक्खत्तेणं जोयं जोएति तंसि में देसंसि, ता जेणं अज्ज णक्खत्तेणं सूरे जोयं जोएति जंसि देसंसि से णं इमाइं छत्तीसं सट्ठाइं राइंदियसयाइं उवाइणावित्ता पुणरवि से सूरे तेणं चेव णक्खत्तेणं जोयं है जोएति तंसि देसंसि।६९। ता जया णं इमे चंदे गतिसमावण्णए भवति तता णं इतरेवि चंदे गतिसमावण्णए भवति जता णं इतरे चंदे गतिसमावण्णए भवति तता णं ॐ इमेवि चंदे गतिसमावण्णए भवति, ता जया णं इमे चंदे जुत्ते जोगेणं भवति तता णं इतरेवि चंदे० जया णं इयरे चंदे० तता णं इमेवि चंदे०, एवं सूरेवि गहेवि २ णक्खत्तेवि, सताविणं चंदा जुत्ता जोएहिं सताविणं सूरा जुत्ता जोगेहिं सयाविणं गहा जुत्ता जोगेहिं सयाविणं नक्खत्ता जुत्ता जोगेहिंदुहतोविणं चंदा जुत्ता जोगेहिं श्री आगमगुणमंजूषा - ११७२ E O: TAGO乐乐乐乐55听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听的 Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ORGxxxxsxsxxxxxxxx एकाचवपति पाट- १०.११ २६] दुहतोवि णं सूरा० दुहतोवि णं गहा० दुहतोवि णं णक्खत्ता० मंडलं सतसहस्सेणं अट्ठाणउतीए सतेहिं छेत्ता, इच्चेस णक्खत्तखेत्तपरिभागे णक्खत्तविजए नामं पाहुडेत्ति आहितेत्ति वेमि ★★★७०॥१०-२२ दसमं पाहुडं।★★★ता कहं ते संवच्छराणीदी आहिं०? तत्थ खलु इमे पंच संवच्छरा पं० तं०-चंदे चंदे अभिवड्डिते चंदे अभिवड्डिते, ता एतेसिं णं पंचण्हं संवच्छराणं पढमस्स चंदस्स संवच्छरस्स के आदी आहि० ?, ता जे णं पंचमस्स अभिवड्डितसंवच्छरस्स पज्जवसाणे से णं पढमस्स चंदस्स संवच्छरस्स आदी अणंतरपुरक्खडे समए, ता से णं किंपज्जवसिते आहि०?, ता जे णं दोच्चस्स चंदसंवच्छरस्स आदी से णं पढमस्स चंदसंवच्छरस्स पज्जवसाणे अणंतरपच्छाकडे समये तंसमयं च णं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएति?, ता उत्तराहिं आसाढाहिं, उत्तराणं आसाढाणं छव्वीसं मुहुत्ता छव्वीसं च बावट्ठिभागा मुहत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तद्विधा छित्ता चउप्पण्णं चुण्णिया भागा सेसा, तंसमयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता पुणव्वसुणा, पुणव्वसुस्स सोलस मुहुत्ता अट्ठ य बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिहा छेत्ता वीसं चुण्णिया भागा सेसा, ता एएसिंण पंचण्ह संवच्छराणं दोच्चस्स चंदसंवच्छरस्स के आदी आहि०१, ता जेणं पढमस्स चंदसंवच्छरस्स पज्जवसाणे सेणं दोच्चस्स णं चंदसंवच्छरस्स आदी अणंतपुरक्खडे समये, ता से फणं किंपज्जवसिते आहि०?, ताजे णं तच्चस्स अभिवड्डियसंवच्छरस्स आदी से णं दोच्चस्स चंदसंवच्छरस्स पज्जवसाणे अणंतरपच्छाकडे समये, तंसमयं च णं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता पुव्वाहिं आसाढाहिं, पुव्वाणं आसाढाणं सत्त मुहुत्ता तेवण्णं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता इगतालीसं चुण्णिया भागा सेसा, तंसमयं चणं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता पुणव्वसुणा, पुणव्वसुस्स णं बायालीसं मुहुत्ता पणतीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं पच सत्तट्ठिधा छेत्ता सत्त चुणिया भागा सेसा, ता एतेसिंणं पंचण्हं संवच्छराणं तच्चस्स अभिवड्डितसंवच्छरस्स के आदी आहि०?, ताजे णं दोच्चस्स चंदसंवच्छरस्स पज्जवसाणे से णं तच्चस्स अभिवडिढतसंवच्छरस्स आदी अणंतपुरक्खडे समए. ता से णं किंपज्जवसिते आहि०?, ता जे णं चउत्थस्स चंदसंवच्छरस्स आदी से णं तच्चस्स अभिवडिढतसंवच्छरस्स पज्जवसाणे अणंतरपच्छाकडे समए, तंसमयं च णं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएति?. ता उत्तराहिं आसाढाहिँ, उत्तराणं आसाढाणं तेरस मुहत्ता तेरस य बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता सत्तावीसं चुण्णिया भागा सेसा, तंसमयं चणं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता पुणव्वसुणा, पुणव्वसुस्स दो मुहुत्ता छप्पण्णं बावट्ठिभागा मुहत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता सट्ठी चुण्णिया भागा सेसा, ता एएसिणं पंचण्हं संवच्छराणं चउत्थस्स चंदसंवच्छरस्स के आदी आहि० ?, ता जे णं तच्चस्स अभिवहितसंवच्छरस्स पज्जवसाणे से णं चउत्थस्स चंदसंवच्छरस्स आदी अणंतरपुरक्खडे समये, ता से णं किंपज्जवसिते आहि०?, ताजे णं चरिमस्स अभिवहितसंवच्छरस्स आदी से णं चउत्थस्स चंदसंवच्छरस्स पज्जवसाणे अणंतरपच्छाकडे समये, तंसमयं च णं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएति ? ता उत्तराहिं आसाढाहिं उत्तराणं आसाढाणं चत्तालीसं मुहुत्ता चत्तालीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता चउदस चुणिया भागा सेसा, तसमयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?. ता पुणव्वसुणा, पुणव्वसुस्स अउणतीसं मुहुत्ता एक्कवीसं बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तद्विधा छेत्ता सीतालीसं चुणिया भागा सेसा, ता एतेसिंणं पंचण्हं संवच्छराणं पंचमस्स अभिवड्डितसंवच्छरस्स के आदी आहि० ?, ताजे णं चउत्थस्स चंदसंवच्छरस्स पज्जवसाणे से णं पंचमस्स अभिवहितसंवच्छरस्स आदी अणंतरपुरक्खडे समये, ता से णं किंपज्जवसिते आहि०?, ताजे णं पढमस्स चंदसंवच्छरस्स आदी से णं पंचमस्स अभिवहितसंवच्छरस्स पज्जवसाणे अणंतरपच्छाकडे समये, तंसमयं च णं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?. ता उत्तराहिं आसाढाहिं, उत्तराणं आसाढाणं चरमसमए, तंसमयं च णं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?. ता पुस्सेणं, पुस्सस्स णं एक्कवीसं मुहुत्ता तेतालीसं च बावट्ठिभागा मुहृत्तस्स बावट्ठिभागं सत्तद्विधा छेत्ता तेत्तीसं चुण्णिया भागा सेसा ★★★७१॥ एक्कारसमं पाहुडं ११॥★★★ ता कति णं संवच्छरा आहि०?, तत्थ खलु इमे पंच संवच्छरा पं० २०-णक्खत्ते चंदे उडू आदिच्चे अभिवडिते, ता एतेसिंणं पंचण्ह संवच्छराणं पढमस्स नक्खत्तसं वच्छरस्सणक्खत्तमासे तीसतिमुहुत्तेणं C%乐明明明明明听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐长乐乐乐乐乐乐GO 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听 5 555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ११७३ 955555555555555555555555OOR Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ PRO.9555555555555555 (१७) चंदपन्नति पाहुई. ११ . [२७] 5555555555555OOR C明明明明明明乐明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明乐明明明明明明明明明明乐乐历乐乐乐乐乐56O २ अहोरत्तेणं गणिज्जमाणे केवतिए राइंदियग्गेणं आहि० ?, ता सत्तावीसं राइंदियाइं एक्कवीसं च सत्तट्ठिभागा राइंदियस्स राइंदियग्गेणं आहि०, ता से णं केवतिए मुहुत्तग्गेणं आहि० ?, ता अट्ठसए एकूणवीसे मुहुत्ताणं सत्तावीसं च सत्तट्ठिभागे मुहुत्तस्स मुहुत्तग्गेणं आहि०, ता एएसिं णं अद्धा दुवालसक्खुत्तकडा णक्खत्ते संवच्छरे, ता से णं केवतिए राइंदियग्गेणं आहि०१, ता तिणि सत्तावीसे राइंदियसते एक्कावन्नं च सत्तट्ठिभागे राइंदियस्स राइंदियग्गेणं आहि०, ता से णं केवतिए मुहत्तग्गेणं आहि०१, ता णव मुहत्तसहस्सा अट्ठ य बत्तीसे मुहुत्तसए छप्पन्नं च सत्तट्ठिभागे मुहुत्तस्स मुहत्तग्गेणं आहि०, ता एएसिंणं पंचण्ह संवच्छराणं दोच्चस्स चंदसंवच्छरस्स चंदे मासे तीसतिमुहुत्तेणं २ अहोरत्तेणं गणिज्जमाणे केवतिए राइंदियग्गेणं आहि० ?, ता एगूणतीसं राइंदियाइं बत्तीसं बावट्ठिभागा राइंदियस्स राइंदियग्गेणं आहितेति वदेज्जा, ता से णं केवतिए मुहुत्तग्गेणं आहि० ?, ता अट्ठपंचासीते मुहुत्तसए तीसं च बावट्ठिभागे मुहुत्तग्गेणं आहि०, ता एस णं अद्धा दुवालसखुत्तकडा चंदे संवच्छरे, ता से णं केवतिए राइंदियग्गेणं आहि०?, ता तिन्नि चउप्पन्ने राइंदियसते दुवालस य बावट्ठिभागा राइंदियग्गेणं आहि०, ता सेणं केवतिए मुहुत्तग्गेणं आहि०?, ता दस मुहुत्तसहस्साइं छच्च पणुवीसे मुहुत्तसए पण्णासं च बावट्ठिभागे मुहुत्तग्गेणं आहि०, ता एएसिंणं पंचण्हं संवच्छराणं तच्चस्स उडुसंवच्छरस्स उडुमासे तीसतिसमुहुत्तेणं गणिज्जमाणे केवतिए राइंदियग्गेणं आहि०?, ता तीसं राइंदियाणं राइंदियग्गेणं आहि०, ता से णं केवतिए मुहत्तग्गेणं पुच्छा, ता णव मुहुत्तसताइं मुहुत्तग्गेणं आहि०, ता एस णं अद्धा दुवालसखुत्तकडा उडुसंवच्छरे, ता से णं केवतिए राइंदियग्गेणं आहि० ?, ता तिण्णि सढे राइंदियसते राइंदियग्गेणं आहि०, ता से णं केवतिए मुहुत्तग्गेणं आहि०, ता दस मुहुत्तसहस्साइं अट्ठ य सयाइं मुहुत्तग्गेणं आहि०, ता एएसिंणं पंचण्हं संवच्छराणं चउत्थस्स आदिच्चसंवच्छरस्स आइच्चे मासे तीसतिमुहुत्तेणं अहोरत्तेणं गणिज्जमाणे केवइए राइंदियग्गेण आहि० ?, ता तीसं राइंदियाइं अवद्धभागं च राइंदियस्स राइंदियग्गेणं०, ता से णं केवतिए मुहुत्तग्गेणं पुच्छा, ता णव पण्णरस मुहुत्तसए मुहुत्तग्गेणं आहि०, ता एस णं अद्धा दुवालसखुत्तकडा आदिच्चे संवच्छरे, ता से णं केवतिए राइंदिय० पुच्छा, ता तिन्नि छावढे राइंदियसए राइंदियग्गेणं आहि०, ता से णं केवतिए मुहुत्तग्गेणं पुच्छा, ता दस मुहुत्तसहस्साइं णव असीते मुहुत्तसते मुहुत्त०, ता एएसि णं पंचण्हं संवच्छराणं पंचमस्स अभिवड्डियसंवच्छरस्स अभिवड्डिते मासे तीसतिमुहुत्तेणं अहोरत्तेणं गणिज्जमाणे केवतिए राइंदियग्गेणं पुच्छा, ता एक्कतीसं राइंदियाइं एगूणतीसं च मुहुत्ता सत्तरस य बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स राइंदियग्गेणं आहि०, ता सेणं केवतिए मुहुत्त० पुच्छा, ता णव एगूणसटे मुहुत्तसते सत्तरसय बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स मुहुत्तग्गेणं आहि०, ता एसणं अद्धा दुवालवसखुत्तकडा अभिवड्डितसंवच्छरे, ता सेणं केवतिए राइंदियग्गेणं पुच्छा, तिण्णि तेसीते राइंदियसते एक्कवीसं च मुहुत्ता अट्ठारस बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स राइंदियग्गेणं आहि०, ता से णं केवतिए मुहुत्तग्गेणं पुच्छा, ता एक्कारस मुहुत्तसहस्साइं पंच य; एक्कारस मुहुत्तसते अट्ठारस बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स मुहुत्तग्गेणं आहि० । ७२। ता केवतियं ते नोजुगे राइंदियग्गेणं आहि० ?, ता सत्तरस एक्काणउते राइंदियसते एगूणवीसं च सत्तावण्णे बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता पणपण्णं चुण्णिया भागा राइंदियग्गेणं आहि०, ता से णं केवतिए मुहुत्तग्गेणं आहि० ?, ता तेपण्णं मुहुत्तसहस्साइं सत्त य अउणापन्ने मुहुत्तसते सत्तावण्णं बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता पणपण्णं चुण्णिया भागा मुहुत्तग्गेणं आहि०, ता केवतिए णं ते जुगप्पत्ते राइंदियग्गेणं आहि०?, ता अठतीसं राइंदियाई दस य मुहुत्ता चत्तारि य बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता दुवालस चुणिया भागा राइंदियग्गेणं आहि०, ता से णं केवतिए मुहुत्तग्गेणं आहि०?, ता एक्कारस पण्णासे मुहत्तसए चत्तारि य बावट्ठिभागा बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिहा छेत्ता दुवालस चुण्णिया भागा मुहुत्तग्गेणं आहि०, ता केवतियं जुगे राइंदियग्गेणं आहि०? ता अट्ठारसतीसे राइंदियसते राइंदियग्गेणं आहि०, ता से णं केवतिए ॐ मुहुत्तग्गेणं आहि० ?, ता चउप्पणं मुहुत्तसहस्साई णव य मुहुत्तसताइं मुहुत्तग्गेणं आहि०, ता सेणं केवतिए बावट्ठिभागमुहुत्तग्गेणं आहि० ?, ता चउत्तीसं सतसहस्साइं अद्वतीसं च बावट्ठिभागमुहुत्तसते मुहुत्तग्गेण आहि०७३। ता कता णं एते आदिच्चचंदसंवच्छरा समादीया समपज्जवसिया आहि०?, ता सढ़ि एए आदिच्चा मासा बावट्ठी एते चंदा मासा एसणं अद्धा छखुत्तकडा दुवालसभयिता तीसं एते आदिच्चसंवच्छरा एक्कतीसं एते चंदसंवच्छरा, तताणं एते आदिच्चचंदसंवच्छरा समादीया Keros55555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा -१९७४55555555555555555555555OK Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ %%%%%%%%%%%%%%% 5555555 FC织乐的明明明明明明明明明明$$$$$$$$$$$$$$$$$$乐明明明明明明明明明明明明听听F5CM समपज्जवसिया आहि०, ता कता णं एते आदिच्चउडुचंदणक्खत्ता संवच्छरा समादीया समपज्जवसिया आहि०?, ता सट्ठी एते आदिच्चा मासा एगट्ठी एते उडू मासाण्स बावट्ठी एते चंदमासा सत्तट्ठी एते नक्खत्ता मासा णं अद्धा दुवालसखुत्तकडा दुवालसभयिता सट्ठी एते आदिच्चा संवच्छरा एगट्ठी एते उडुसंवच्छरा बावट्ठी एते चंदा संवच्छरा सत्तट्ठी एते नक्खत्ता संवच्छरा तता णं एते आदिच्चउडुचंदणक्खत्ता संवच्छरा समादीया समपज्जवसिया आहि०, ता कता णं एते अभिवड्डिआदिच्चउडुचंदणक्खत्ता संवच्छरा समादिया समपज्जवसिता आहि०?, ता सत्तावण्णं मासा सत्त य अहोरत्ता एक्कारस य मुहुत्ता तेवीसं बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स एतेणं अभिवविता मासा सट्ठी एते आदिच्चा मासा एगट्ठी एते उडू मासा बावट्ठी एते चंदा मासा सत्तट्ठी एते नकखत्ता मासा एसणं अद्धा छप्पण्णसत्तखुत्तकडा दुवालसभयिता सत्त सता चोत्ताला एते णं अभिवड्डिता संवच्छरा, सत्त सता असीता एते णं आदिच्चा संवच्छरा, सत्त सता तेणउता एते णं उडू संवच्छरा, अट्ठ सता छलुत्तराएते णं चंदा संवच्छरा, एकसत्तरी अट्ठसया एएणं नक्खत्ता संवच्छरा, तताणं एते अभिवतितआदिच्चउडुचंदनक्खत्ता संवच्छरा समादीया समपज्जवसिया आहि०, ता णयट्ठताए णं चंदे संवच्छरे तिण्णि चउप्पण्णे राइंदियसते दुवालस य बावट्ठिभागे राइंदियस्स आहि०, ता अहातच्चेणं चंदे संवच्छरे तिण्णि चउप्पण्णे राइंदियसते पंच य मुहुत्ते पण्णासं च बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स आहि०७४। तत्थ खलु इमे छ उडू पं० तं०- पाउसे वरिसारत्ते सरते हेमंते वसंते गिम्हे, ता सव्वेविणं एते चंदउडू दुवे २ मासाति चउप्पण्णेणं २ आदाणेणं गणिज्जमाणा सातिरेगाइं एगूणसट्ठी २ राइंदियाइं राइंदियग्गेणं आहि०, तत्थ खलु इमे छ ओमरत्ता पं० २०ततिए पव्वे सत्तमे एक्कारसमे पन्नरसमे एगूणवीसतिमे तेवीसतिमे पव्वे, तत्थ खलू इमे छ अतिरत्ता पं० तं०- चउत्थे पव्वे अट्ठमे बारसमे सोलसमे वीसतिमे चउवीसतिमे पव्वे 'छच्चव य अइरत्ता आइच्चाओ हवंति जाणाइ । छच्चेव ओमरत्ता चंदाउ हवंति माणाहिं ||३४||७५। तत्थ खलु इमाओ पंच वासिक्कीओ पंच हेमंतीओ आउट्टीओ पं०, ता एएसिंणं पंचण्हं संवच्छराणं पढम वासिक्की आउट्टि चंदे केणं नक्खत्तेणं जोएति ?, ता अभीयिणा अभीयिस्स पढमसमएणं, तंसमयं चणं सूरे केणं णक्खत्तेणं जोएति?, ता पूसेणं,पूसस्स एगूणवीसं मुहुत्ता तेत्तालीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावाट्ठिभागं च सत्तद्विधा छेत्ता तेत्तीसं चुण्णिया भागा सेसा, ता एएसिं पंचण्हं संवच्छराणं दोच्चं वासिक्किं आउट्टि चंदे केणं०?, ता संठाणाहिं, संठाणाणं एक्कारस मुहुत्ता ऊतालीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता तेपण्णं चुण्णिया भागा सेसा, तंसमयं सूरे केणं पुच्छा, ता पूसेणं, पूसस्स णं तं चेव, ता एतेसिंणं पंचण्हं संवच्छराणं तच्चं वासिक्किं आउट्टिं चंदे केणं पुच्छा, ता विसाहाहिं, विसाहाणं तेणं चेव अभिलावेणं तेरस चउप्पण्णा चत्तालीसं चुणिया, तंसमयं च णं सूरे केणं०?, ता पूसेणं, पूसस्स तं चेव, ता एतेसिं णं पंचण्हं संवच्छराणं चउत्थं वासिक्किं आउट्टिं चंदे केणं० ?, ता रेवतीहिं, रेवतीणं पणवीसं मुहुत्ता छत्तीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तद्विधा छेत्ता छव्वीसं चुण्णिया भागा सेसा, तंसमयं च णं सूरे केण० ?, ता पूसेणं, पूसस्स तं चेव, ता एएसिंणं पंचण्हं संवच्छराणं पंचमं वासिक्किं आउटिं चंदे केणं० ?, ता पुव्वाहिं फग्गुणीहिं, पुव्वाफग्गुणीणं बारस सत्तालीसा तेरस चुणिया, तंसमयं च णं सूरे केणंह ?, ता पूसेणं, पूसस्स तं चेव एगूणवीसा तेताली तेत्तीसा ।७६। ता एएसिंणं पंचण्हं संवच्छराणं पढमं हेमंतिं आउट्टिं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएति?, ता हत्थेणं, हत्थस्स णं पंच मुहुत्ता पण्णासं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तद्विधा छेत्ता सट्ठी चुण्णिया भागा सेसा, तंसमयं च णं सूरे केणं०?, उत्तराहिं आसाढाहिं, उत्तराणं आसाढाणं चरिमसमए, ता एएसिंणं पंचण्हं संवच्छराणं दोच्चं हेमंति आउट्टिं चंदे केणं०?, ता सतभिसयाहिं, सतभिसयाणं दुन्नि अट्ठावीसा छत्तालीसं चुणिया, तंसमयं च णं सूरे केणं०?, ता उत्तराहिं आसाढाहिं, उत्तराणं आसाढाणं चरिमसमए, ता एतेसिंणं पंचण्हं संवच्छराणं तच्चं हेमंतिं आउट्टिं चंदे केणं० ?, ता पूसेणं, पूसस्स एकूणवीसं तेताला तेत्तीसं चुणिया, तंसमयं च णं सूरे केणं०१, ता उत्तराहिं आसाढाहिं, उत्तराणं आसाढाणं चरिमसमए, ता एतेसिंणं पंचण्हं संवच्छराणं चउत्थिं हेमंतिं आउट्टिं चंदे केणं०?, ता मूलेणं, मूलस्स' म छ चेव अट्ठावन्ना वीसं चुण्णिया, तंसमयं च णं सूरे केणं०?, ता उत्तराहिं आसाढाहिं, उत्तराणं आसाढाणं चरिमसमए, ता एतेसिंणं पंचण्हं संवच्छराणं पंचमं हेमंति र आउट्टिं चंदे केणं० १, कत्तियाहिं, कत्तियाणं अट्ठारस मुहुत्ता छत्तीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स बावट्ठिभागं च सत्तट्ठिधा छेत्ता छ चुण्णिया भागा सेसा, तंसमयं चणं Mer05 5 55555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ११७५ 5555555555555555555555555 $$H明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听25 Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Ro1955 (१७) चंदपन्नति पाहुई - १२,१३ [२९] 历历明明明明明明明明明事事如 DC明明明明明明明明明明明明明明明明明乐乐明明明明明乐明明明明明明明明乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐 सूरे० ?, ता उत्तराहिं आसाढाहिं, उत्तराणं आसाढाणं चरिमसमए ।७७। तत्थ खलु इमे दसविधे जोए पं० तं०- वसभाणुजोए वेणुयाणुजोते मंचे मंचाइमंचे छत्ते छत्तातिच्छत्ते जुअणद्धे घणसंमद्दे (घण) पीणिते मंडकप्पुत्ते णामं दसमे, एतेसिंणं पंचण्हं संवच्छराणं छत्तातिच्छत्तं जोयं चंदे कंसि देसंसि जोएति?, ता जंबुद्दीवस्स के पाईणपडीणायताए उदीणदाहिणायताए जीवाए मंडलं चउव्वीसेणं सतेणं छित्ता दाहिणपुरच्छिमिल्लंसि चउभागमंडलंसि सत्तावीसं भागे उवादिणावेत्ता' अट्ठावीसतिभागं वीसधा छेत्ता अट्ठारसभागे उवादिणावेत्ता तीहिं भागेहिं दोहि य कलाहिं दाहिणपुरच्छिमिल्लं चउन्भागमंडलं असंपत्ते एत्थ णं से चंदे छत्तातिच्छत्तं 5 जोयं जोएति, तं०- उप्पिं चंदा मज्झे णक्खत्ते हेट्ठा आदिच्चे, तंसमयं च णं चंदे केणं णक्खत्तेणं जोएति ?, ता चित्ताहिं, चित्ताणं चरमसमए * ७८॥ बारसमं पाहुडं १२॥★★★ता कहं ते चंदमसो वड्डोवड्डी आहि० ?, ता अट्ठ पंचासीते मुहुत्तसते तीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स, ता दोसिणाप क्खाओ अन्धगारपक्खमयमाणे चंदे चत्तारि बायालसते छत्तालीसं च बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स जाइं चंदे रज्जति तं०- पढमाए पढमं भागं जाव पण्णरसीए पन्नरसं भागं, चरिमसमए चंदे रत्ते भवति अवसेसे समए चंदे रत्ते य विरत्ते य भवति, इयण्णं अमावासा, एत्थ णं पढमे पव्वे अमावासे, ता अंधारपक्खातो णं दोसिणापक्खं अयमाणे चंदे चत्तारि बायाले मुहुत्तसते छत्तालीसं च बावट्ठिभागा मुहुत्तस्स जाइं चंदे विरज्जति, तं० - पढमाए पढमं जाव पण्णरसीए पण्णरसमं भागं, चरिमे समये चंदे विरत्ते भवति अवसेससमए चंदे रत्ते य विरत्ते य भवति, इयण्णं पुण्णमासिणी, एत्थ णं दोच्चे पव्वे पुण्णमासिणी।७९। तत्थ खलु इमाओ बावट्ठी पुण्णमासिणीओ बावट्ठी अमावासाओ पं०, बावट्ठी एते कसिणा रागा बावट्ठी एते कसिणा विरागा, एते चउव्वीसे पव्वसते एते चउव्वीसे कसिणरागविरागसते, जावतियाणं पंचण्हं ॐ संवच्छराणं समया एगेणं चउव्वीसेणं समयसतेणूणका एवतिया परित्ता असंखेज्जा देसराग विरागसता भवंतीतिमक्खाता, ता अमावासातो णं पुण्णमासिणी चत्तारि बाताले मुहत्तसते छत्तालीसं बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स आहि०, ता पुण्णमासिणीतो णं अमावासा चत्तारि बायाले मुहुत्तसते छत्तालीसं बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स आहि०, ता अमावासातो णं अमावासा अट्ठपंचासीते मुहुत्तसते तीसं च बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स आहि०, ता पुण्णमासिकतो णं पुण्णमासिणी अट्ठपंचासीते मुहुत्तसते तीसं बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स आहि०, एस णं एवतिए चंदे मासे एस णं एवतिए सगले जुगे ।८० ता चंदेणं अद्धमासेणं चंदे कति मंडलाई चरति ?, ता चोद्दस चउब्भागमंडलाइं चरति एगं च चउवीससतभागं मंडलस्स, ता आइच्वेणं अद्धमासेणं चंदे कति मंडलाइं चरति ?, ता सोलस मंडलाइं चरति, सोलसमंडलचारी तदा अवराई खलु दुवे अट्ठकाइं जाइं चंदे केणइ असामण्णकाई सयमेव पविट्ठित्ता २ चारं चरति, कतराई खलु दुवे अट्ठकाइं जाइं चंदे जाव पविट्टित्ता २ चारं चरति ?, इमाइं खलु ते दुवे अट्ठगाई जाव चरति तं०- निक्खममाणे चेव अमावासंतेणं पविसमाणे चेव पुण्णमासितेणं, एताइं जाव चरइ, ता पढमायणगते चंदे दाहिणाते भागाते पविसमाणे सत्त अद्धमंडलाई जाई चंदे दाहिणाते जाव चरति, कतराई खलु ताई सत्त अद्धमंडलाइं जाव चरति ?, इमाई खलु ताई सत्त अद्धमंडलाइं जाई जाव चरति ?, तं०- बिदिए अद्धमंडले चउत्थे छढे अट्ठमे दसमे बारसे चउदसमे अद्धमंडले, एताइं खलु ताई सत्त अद्धमंडलाई जाव पविसमाणे चारं चरति, ता पढमायणगते चंदे उत्तराते भागाते पविसमाणे छ अद्धमंडलाइं तेरस य सत्तट्ठिभागाइं अद्धमंडलस्स जाइं चंदे उरत्ताते भागाए पविसमाणे चारं चरति, कतराई खलु ताइंछ अद्धमंडलाई जाव चारं चरति ?, इमाइं खलु ताई छ अद्धमंडलाइं० तं०- तईए पंचमे सत्तमे नवमे एक्कारसमे तेरसमे अद्धमंडले पन्नरसममंडलस्स तेरस सत्तट्ठिभागाइं, एताई खलु ताई छ अद्धमंडलाई तेरस य सत्तट्ठिभागाइं अद्धमंडलस्स जाइं चंदे उत्तराते भागाते पविसमाणे चारं चरति, एतावया च पढमे चंदायणे समत्ते भवति, ताणक्खत्ते अद्धमासे नो चंदे अद्धमासे चंदे अद्धमासे नो णक्खत्ते अद्धमासे, ता नक्खत्ताओ अद्धमासानो ते चंदे चंदेणं अद्धमासेणं किमधियं चरति ?, एगं अद्धमंडलं चत्तारि य सत्तट्ठिभागाइं अद्धमंडलस्स सत्तट्ठिभागं च एक्कतीसाए छेत्ता णव भागाइं, ता दोच्चायणगते चंदे पुरच्छिमाते भागाते णिक्खममाणे सत्तई चउप्पण्णाई जाइं चंदे परस्स चिन्नाई पडिचरति सत्त तेरसकाई जाइं चंदे अप्पणा चिण्णाई चरति, ता दोच्चायणगते चंदे पच्चत्थिमाए भागाए निक्खममाणे छ ' ONO$$听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐听听听听听听听听听听听听 MOR95555 GinEducation international 2010-03, OLDuata.comonale Only sch h iK9595555555555श्री आगमगुणमंजूषा- ११७६45555599 E MOF Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१७) चंदपचति पाड- १३, १४ [३० 1555555%%%%%%5EDIO FOON भOOR 后历步步步步 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听C चउप्पण्णाइं जाइं चंदे परस्स चिण्णाइं पडिचरति छ तेरसगाई जाइं चंदे अप्पणा चिण्णाइं पडिचरति अवरमाइं खलु दुवे तेरसगाई जाइं चंदे केणइ असामन्नगाई सयमेव पविद्वित्ता २ चारं चरति, कतराई खलु ताई दुवे जाव चरति ?, इमाई खलु ताई दुवे० तं० - सव्वब्भंतरे चेव मंडले सव्वबाहिरे चेव मंडले, एयाणि खलु ताणि दुवे जाव चरइ, एतावता दोच्चे चंदायणे समत्ते भवति, ताणक्खत्ते मासे नो चंदे मासे चंदे मासे णोणक्खत्ते मासे, ताणक्खत्ताते मासाए चंदे चंदेणं मासेणं किमधियं चरति ?, ता दो अद्धमंडलाइं चरति अट्ठ य सत्तट्ठिभागाइं अद्धमंडलस्स सत्तट्ठिभागं च एक्कतीसधा छेत्ता अट्ठारस भागाई, ता तच्चायणगते चंदे पच्चत्थिमाते भागाए पविसमाणे बाहिराणंतरस्स पच्चत्थिमिल्लस्स अद्धमंडलस्स ईतालीसं सत्तट्ठिभागाई जाइं चंदे अप्पणो परस्स य चिण्णाइं पडिचरति तेरस सत्तट्ठिभागाई जाइं चंदे परस्स चिण्णाई पडिचरति तेरस सत्तट्ठिभागाइं चंदे अप्पणो परस्स च चिण्णाइं पडिचरति, एतावयाव बाहिराणंतरे पच्चत्थिमिल्ले अद्धमंडले समत्ते भवति, तच्चायणगते चंदे पुरच्छिमाए भागाए पविसमाणे बाहिरतच्चस्स पुरच्छिमिल्लस्स अद्धमंडलस्स ईतालीसं सत्तट्ठिभागाइं जाई चंदे अप्पणो परस्सस य चिण्णाई पडियरति तेरस सत्तट्ठिभागाइं जाई चंदे परस्स चिण्णाई पडिचरति तेरस सत्तट्ठिभागाइं जाई चंदे अप्पणो परस्स य चिण्णाइं पडियरति, एतावताव बाहिरे तच्चे पुरच्छिमिल्ले अद्धमंडले समत्ते भवति, ता तच्चायणगते चंदे पच्चत्थिमाते भागाते पविसमाणे बाहिरचउत्थस्स पच्चत्थिमिल्लस्स अद्धमंडलस्स अट्ठ सत्तट्ठिभागाइं सत्तट्ठिभागं च एक्कतीसधा छेत्ता अट्ठारस भागाइं जाइं चंदे अप्पणो परस्स य चिण्णाइं पडियरति, एतावताव बाहिरचउत्थपच्चत्थिमिल्ले अद्धमंडले समत्ते भवइ, एवं खलु एवं चंदेणं मासेणं चंदे तेरस चउप्पण्णगाई दुवे तेरसगाइं जाइं चंदे परस्स चिण्णाइं पडिचरति, तेरस तेरसगाई जाइं चंदे अप्पणो चिण्णाइं पडियरति, दवे ईतालीसगाई दुवे तेरसगाई अट्ठ सत्तट्ठिभागाइं सत्तट्ठिभागं च एक्कतीसधा छेत्ता अट्ठारसभागाइं जाइं चंदे अप्पणो परस्स य चिण्णाइं पडिचरति, अवराइं खलु दुवे तेरसगाई जाइं चंदे केणइ असा मन्नगाई सयमेव पविट्टित्ता २ चारं चरति, इच्चेसो चंदमासोऽभिगमणणिक्खमणवुड्डिअणवहितसंठाणसंठितीविउव्वणगिड्डिपत्ते रूवी चंदे देवे २ आहि★★★८१॥ तेरसमं पाहुडं १३ ॥★★★ता कता ते दोसिणा बहू आहि० ?, ता दोसिणापक्खे णं दोसिणा बहू आहि०, ता कह दोसिणापक्खे दोसिणा बहू आहि० ?, ता अंधकारपक्खाओ णं दोसिणा बहू आहि०, ता कहं ते अंधयारपक्खातो दोसिणापक्खे दोसिणा बहू आहि० १, ता अंधकारपक्खातो णं दोसिणापक्खं अयमाणे चंदे चत्तारि बायाले मुहुत्तसते छातालीसं च बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स जाइं चंदे विरज्जति, तं०- पढमाए पढम भागं जाव पण्णरसीए पण्णरसं भागं, एवं खलु अंधकारपक्खातो दोसिणापक्खे दोसिणा बहू आहि०, ता केवतिया णं दोसिणापक्खे दोसिणा बहू आहि० ?, ता परित्ता असंखेज्जा भागा, ता कता ते अंधकारे बहू आहि०?, ता अंधयारपक्खेणं बहू अंधकारे आहि०, ता कहं अंधकारपक्खे अंधकारे बहू आहि०?, ता दोसिणापक्खातो अंधकारपक्खे अंधकारे बहू आहि०, ता कहं ते दोसिणापक्खातो अंधकारपक्खे अंधकारे बहू आहि०?, ता दोसिणापक्खातो णं अंधकारपक्खं अयमाणे चंदे चत्तारि बाताले मुहुत्तसते छायालीसंच बावट्ठिभागे मुहुत्तस्स जाइं चंदे रज्जति, तं० - पढमाए पढमं भागंजाव पण्णरसीए पण्णरसमं भागं, एवं खलु दोसिणापक्खातो अंधकारपक्खे अंधकारे बहू आहि०, ता केवतिए णं अंधकारपक्खे अंधकारे बहू आहि० ?, परित्ता असंखेज्जा भागा XX८२|| चोद्दसमं पाहडं १४ ॥★★★ता कहं ते सिग्घगती वत्थू आहि०, ता एतेसिं णं चंदिमसूरियगहनक्खत्ततारारूवाणं चंदेहितो सूरा सिग्घगती सूरेहितो गहा० गहेहिंतो णक्खत्ता० णक्खत्तेहितो तारा० सव्वप्पगती चंदा सव्वसिग्घगती तारा, ता एगमेगेणं मुहुत्तेणं चंदे केवतियाई भागसत्ताई गच्छति ?, ता जं जं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तस्स २ मंडलपरिक्खेवस्स सत्तरस अडसढि भागसते गच्छति मंडलं सतसहस्सेणं अट्ठाणउतीसतेहिं छेत्ता, ता एगमेगेणं मुहत्तेणं सूरिए केवतियाइं भागसयाई गच्छति ?, ता जं जं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तस्स २ मंडलपरिक्खेवस्स अट्ठारस तीसे भागसते गच्छति मंडलं सतसहस्सेणं अट्ठाणउतीसतेहिं छेत्ता, ता एगमेगेणं मुहुत्तेणं णक्खत्ते केवतियाई भागसताइं गच्छति ?, ता जं जं मंडलं उवसंकमित्ता चारं चरति तस्स २ मंडलपरिक्खेवस्स अट्ठारस पणतीसे भागसते $$$$乐乐听听听听听听听听听听听听听听 5555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ११७७555555555555555555555 EOYOR Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ POS5555555555岁5岁男 (१७) चंदपन्नति पाहुडं - १५ [३१] 步步步步步步$$$$ C$乐乐乐乐听听听听听听乐乐频听听听听听听听听听听听听听听听听听乐听听听听听听听听听听听听听听听C गच्छति मंडलं सतसहस्सेणं अट्ठाणउतीसतेहिं छेत्ता ।८३। ता जया णं चंदं गतिसमावण्णं सूरे गतिसमावण्णे भवति से णं गतिमाताए केवतियं विसेसेति ?, बावट्ठिभागे विसेसेति, ता जया णं चंदं गतिसमावण्णं णक्खत्ते गतिसमावण्णे भवइ से णं गतिमाताए केवतियं विसेसेइ ?, ता सत्तट्ठि भागे विसेसेति, ता जता णं सूरं ॥ गतिसमावण्णं णक्खत्ते गतिसमावण्णे भवति से णं गतिमाताए केवतियं विसेसेति ?, ता पंच भागे विसेसेति, ता जता णं चंदं गतिसमावण्णं अभीयीणक्खत्ते णं गतिसमावण्णे पुरच्छिमाते भागाते समासादेति त्ता णव मुहुत्ते सत्तावीसं च सत्तट्ठिभागे मुहुत्तस्स चंदेण सद्धिं जाव जोएति त्ता जोयं अणुपरियट्टति त्ता विप्पजहाति त्ता विगतजोई यावि भवति, ता जता णं चंदं गतिसमावण्णं सवणे णक्खत्ते गतिसमावण्णे पुरच्छिमाते तहेव जहा अभियिस्स नवरं तीसं मुहुत्ते चंदेण सद्धिं जोअं जोएति त्ता विगतजोई यावि भवइ, एवं पण्णरसमुहुत्ताइं तीसतिमुहुत्ताई पणयालीसमुहुत्ताई भाणितव्वाइं जाव उत्तरासाढा (सूर्य० ता जता णं चंदं गतिसमावण्णं गहे गतिसमावण्णे पुरच्छिमाते भागाते समासादेति त्ता चंदेणं सद्धिं जोगं जुंजति त्ता जोगं अणुपरियति त्ता विप्पजहति विगतजोई यावि भवति) ता जया णं सूरं गतिसमावण्णं अभीयीणक्खत्ते गतिसमावण्णे पुरच्छिमाते भागाते समासादेति त्ता चत्तारि अहोरत्ते छच्च मुहुत्ते सूरेणं सद्धिं जोयं जोएति त्ता जाव विगतजोगी यावि भवति, एवं सूरेण सद्धिं जोगो भाणियव्वो जाव उत्तरासाढाणक्खत्ते विगतजोगी यावि भवति (सूर्य० ता जता णं सूरं गतिसमावण्णं गहे गतिसमावण्णे पुरच्छिमाते भागाते समासादेति त्ता सूरेण सद्धिं यथाजोयं जुंजति त्ता यथाजोयं अणुपरियट्टति त्ता जाव विप्पजहति त्ता विगतजोगी यावि भवति)।८४ ताणक्खत्तेणं मासेणं चंदे म कति मंडलाइं चरति ?, ता तेरस मंडलाइं चरति तेरस य सत्तट्ठिभागे मंडलस्स, ता णक्खत्तेणं मासेणं सूरे पुच्छा, तेरस मंडलाइं चरति चोत्तालीसं च सत्तट्ठिभागे मंडलस्स, ता णक्खत्तेणं मासेणं णक्खत्ते०?, ता तेरस मंडलाइं चरति अद्धसीतालीसं च सत्तट्ठिभागे मंडलस्स, ता चंदेणं मासेणं चंदे कति मंडलाइं चरति ?, चोद्दस चउभागाइं मंडलाइं चरति एगं च चउव्वीससतं भागं मंडलस्स, ता चंदेणं मासेणं सूरे कति पुच्छा, ता पण्णरस चउभागूणाई मंडलाइं चरति एगं च चउवीससयभागं मंडलस्स, ता चंदेणं मासेणं णक्खत्ते कति पुच्छा, ता पण्णरस चउभागूणाई मंडलाइं चरति छच्च चउवीससतभागे मंडलस्स, ता उडुणा मासेणं चंदे कति पुच्छा, ता चोद्दस मंडलाइं चरति तीसं च एगट्ठिभागे मंडलस्स, ता उडुणा मासेणं सूरे कति पुच्छा, ता पण्णरस मंडलाइ चरति, ता उडुणा मासेणं णक्खत्ते कति पुच्छा, ता पण्णरस मंडलाइं चरति पंच य बावीससतभागे मंडलस्स, ता आदिच्चेणं मासेणं चंदे कति मंडलाइं चरति ?, ता चोइस मंडलाइं चरति एक्कारस य पन्नरसभागे मंडलस्स, ता आदिच्चेणं मासेणं सूरे कति पुच्छा, ता पण्णरस चउभागाहिगाई मंडलाइंचरति, ता आदिच्चेणं मासेणं णक्खत्ते कति पुच्छा, ता पण्णरस चउभागाहिगाई मंडलाइं चरति पंचतीसं च वीससतभागमंडलाई चरति, ता अभिवड्डिएणं मासेणं चंदे कति मंडलाइं चरति ?, ता पण्णरस मंडलाइं तेसीति छलसीयसतभागे मंडलस्स, ता अभिवड्डितेणं मासेणं सूरे पुच्छा, ता सोलस मंडलाइं चरति तीहिं भागेहिं ऊणगाइं दोहिं अडयालेहिं सएहिं मंडलं छित्ता, अभिवड्डितेणं मासेणं नक्खत्ते कति मंडलाइं चरति ?, ता सोलस मंडलाइं चरति सीतालीसाए भागेहिं अहियाइं चोइसहिं अट्ठासीएहिं सएहिं मंडलं छेत्ता |८५/ ता एगमेगेणं अहोरत्तेणं चंदे कति मंडलाइं चरति ?, ता एगं अद्धमंडलं चरति एक्कतीसाए भागेहिं ऊणं णवहिं पण्णरसेहिं सएहिं अद्धमंडलं छेत्ता, ता एगमेगेणं अहोरत्तेणं सूरिए कति मंडलाइं चरति ?, ता एगं अद्धमंडलं चरति, ता एगमेगेणं अहोरत्तेणं णक्खत्ते कति मंडलाइं चरति ?, एगं अद्धमंडलं चरति दोहिं भागेहिं अधियं सत्तहिं ' बत्तीसेहिं सएहिं अद्धमंडलं छेत्ता, ता एगमेगं मंडलं चंदे कतिहिं अहोरत्तेहिं चरति ?, ता दोहिं अहोरत्तेहिं चरति एक्कतीसाए भागेहिं अधितेहिं चउहिं बायालेहिं सतेहिं राइंदियं छेत्ता, ता एगमेगं मंडलं सूरे कतिहिं अहोरत्तेहिं चरति ?, ता दोहिं अहोरत्तेहिं चरति, ता एगमेगं मंडलं णक्खत्ते कतिहिं अहोरत्तेहिं चरति ?, ता दोहिम 3 अहोरत्तेहिं चरति दोहिं भागेहिं ऊणेहिं तिहिं सत्तसतुहिं सतेहिं राइंदिएहिं छेत्ता, ता जुगेणं चंदे कति मंडलाई चरति ?, ता अट्ठ चुलसीते मंडलसते चरति, ता जुगेणं सूरे कति मंडलाइंचरति ?, णवपण्णरसमंडलसते चरति, ता जुगेणं णक्खत्ते कति मंडलाइं चरति?, ता अट्ठारसपणतीसे दुभागमंडलसते चरति, इच्चेसा मुहुत्तगती 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听C an Education International 2010-03 Auntalibaronmallice-oni EXEKO555555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ११७८55555555555555555555555346 OR Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( स्काल पार करू.१८ TKoxxx33050555sexot NOT9555555555555555555555555555555555555555555555secret रिक्खातिमासराइंदियजुगमंडलपविभत्ती सिग्घगती वत्थु आहि० 1८६|| पन्नरसमं पाहृडं १५ ॥ * ता कहं ते दोसिणालक्खणे आहि०?, चंदलेसादी य दोसिणादी य दोसिणाई य चंदलेसादी य के अढे किंलक्खणे?, ता एकटे एगलक्खणे, ता सूरलेस्सादी य आयवेइ य आतवेति य सूरलेस्सादी य के अट्ठे किंलक्खणे?, ता एगढे एगलक्खणे, ता अंधकारेति य छायाइ य छायाति य अंधकारेति य के अद्वे किंलक्खणे?, ता एगटे एगलक्खणे ★★★ 1८७|| सोलसमं पाहुडं १६ ।।★★★ता कहं ते चयणोववाता आहि०?, तत्थ खलु इमाओ पणवीसं पडिवत्तीओ पं०, तत्थ एगे एव०-ता अणुसमयमेव चंदिमसूरिया में अण्णे चयंति अण्णे उववनंति, एवं जच्चेवोयाए संठितीए पणुवीसं पडिवत्तीओ तातो एत्थंपि भाणितव्वाओ जाव ता अणुओसप्पिणीउस्सप्पिणीमेव चंदिमसूरिया अण्णे चयंति अण्णे उववज्जति एगे एव०, वयं पुण एवं वदामो-ता चंदिमसूरिया णं देवा महिड्ढीआ महाजुतीया महाबला महाजसा महासोक्खा महाणुभावा वरवत्थधरा वरमल्लधरा वरगन्धधरा वराभरणधरा अव्वोच्छित्तिणयट्ठताए (काले) अण्णे चयंति अण्णे उववजंति आहि० ८ ८|| सत्तरसमं पाहुडं १७॥★★★ता कहं ते उच्चत्ते आहि०?, तत्थ खलु इमाओ पणवीसं पडिवत्तीओ पं०, तत्थेगे एव०-ता एगं जोयणसहस्सं सूरे उढं उच्चत्तेणं दिवड्ढं चंदे एगे एव०, एगे पुण०-ता दो जोयणसहस्साइं सूरे उड्ढं उच्चत्तेणं अड्ढातिज्जाइं चंदे एगे एव०, एवं एतेणं अभिलावेणं ता तिन्नि जोयणसहस्साइं सूरे अद्भुट्ठाइं चंदे चत्तारि जोयणसहस्साइं सूरे अद्धपंचमाइं चंदे पंच जोयणसहस्साइं सूरे अद्धच्छट्ठाइं चंदे एवं छ सूरे अद्धसत्तमाइं चंदे सत्त सूरे अद्धट्ठमाइं चंदे अट्ठ सूरे अद्धनवमाइं चंदे नव सूरे अद्धदसमाइं चंदे दस सूरे अद्धएक्कारस चंदे एक्कारस सूरे अद्धबारस चंदे बारस सूरे अद्धतेरस चंदे तेरस सूरे अद्धचोद्दस चंदे चोद्दस सूरे अद्धपण्णरस चंदे पण्णरस सूरे अद्धसोलस चंदे सोलस सूरे अद्धसत्तरस चंदे सत्तरस सूरे अद्धअट्ठारस चंदे अट्ठारस सूरे अद्धएकूणवीसं चंदे एकोणवीसं सूरे अद्धवीसं चंदे वीसं सूरे अद्धएक्कवीसं चंदे एक्कवीसंसूरे अद्धबावीसं चंदे बावीसंसूरे अद्धतेवीसं चंदे तेवीसं सूरे अद्धचउवीसं चंदे चउवीसं सुरे अद्धपणवीसं चंदे एगे एव०, एगे पुण०पणवीसंजोयणसहस्साई सूरे उड्ढंउच्चत्तेणं अद्धछव्वीसं चंदे एगे एव०, वयं पुण एवं वदामो-ता इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जाओ भूमिभागाओ सत्त णउइजोयणसए अबाहाए हेट्ठिल्ले ताराविमाणे चारं चरति अट्ठजोयणसते अवाहाए सूरविमाणे चारं चरति अट्ठअसीए जोयणसए अबाहाए चंदविमाणे चारं चरति णव जोयणसताइं अबाहाए उवरिल्ले ताराविमाणे चारं चरति हेट्ठिल्लातो ताराविमाणातो दस जोयणाई अवाहाए सूरविमाणे चारं चरति नउति जोयणे अबाहाए चंदविमाणे चारं चरति एवं जहेव जीवाभिगमे तहेव नेयव्वं सव्वब्भंतरिल्लं चारं संठाणं पमाणं वहंति सिग्घगती इड्ढी तारंतरं अग्गमहिसीओ ठिती अप्पाबहुजाव ताराओ संखेज्जगुणाओ (सूर्य०८९-९९ गा० ३१) AA९९।। अट्ठारसमं पाहुडं १८॥ ता कति णं चंदिमसूरिया सव्वलोयंसि ओभासंति उज्जोवेति तवंति पभासंति आहिताति वदेज्जा ?, तत्थ खलु इमाओ बारस पडिवत्तीतो पं०, तत्थेगे एव०-ता एगे चंदे एगे सूरे सव्वलोगंसि ओभासंति जाव पभासंति आहितेति०, एगे पुण०-ता तिण्णि चंदा तिण्णि चेव सूरा सव्वलोए० एगे०, एगे पुण०-ता आउटिं चंदा एवं एएणं अभिलावेणं जातो चेव ततिए पाहुडे म दुवालस पडिवत्तीओ तातो चेव इहपिणेयव्वातो नवरं सत्त य दस य जाव ता बावत्तरं चंदसहस्सं बावत्तरं सूरितसहस्सं सव्वलोयं ओभासति जाव पभासति आहि० एगे एव०, वयं पुण एवं वयामो ता अयण्णं जंबुद्दीवे जाव परिक्खेवेणं, जंबुदीवे णं दीवे दो चंदा पभासेंसु पभासेति जहा जीवाभिगमे जाव तारातो, ता जंबुद्दीवं णं लवणे णामं समुद्दे वट्टे वलयाकारसंठिते सव्वतो समंता परिक्खिवित्ताणं चिट्ठति, ता लवणे णं समुद्दे किं समचक्कवालसंठिते विसमचक्कवालसंठिते ?, ता समचक्कवालसंठिए नो विसमचक्कवालसंठिए, ता लवणे समुद्दे केवतियं चक्कवालविक्खंभेणं केवतितं परिक्खेवेणं आहि० ?, ता दो जोयणसयसहस्साई चक्कवालविक्खंभेणं पण्णरसजोयणसयसहस्साइं सतं चउआलं किंचिविसेसूणे परिक्खेवेणं, ता लवणे णं समुद्दे चत्तारि चंदा पभासिसु वा जाव तारातो, ता लवणं Sg5听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听SO照 श्री आगमगुणमजूषा- ११७९ ॥॥ ॥55555555555555 FOTOR Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ AG9555555555555555 (१७) चंदपन्नति पाहुडं - १९,२० ३ ३] समुदं धायतिसंडे णं दीवे वट्टे वलयाकारसंठिते जाव चिट्ठति, ता धायइसंडे ण दीवे समचक्कवालसँठिते एवं विक्खंभो परिक्खेवो जोतिसं जहा जीवाभिगमे जाव तारातो, ता धायतिसंडं णं दीवं कालोए णामं समुद्दे किं वट्टे वलयाकारसंठिते जावं चिट्ठति, ता कालोए णं समुद्दे किं समचक्कवालसंठिते विसम० एवं विक्खंभो परिक्खेवो जोतिसं च भाणियव्वं जाव तारातो, ता कालोअण्णं समुदं पुक्खरवरे णं दीवे वट्टे वल जाव चिट्ठति, ता पुक्खरवरे णं दीवे णं समचक्कवाल विक्खंभो परिक्खेवो जोतिसं जाव तारातो, पुक्खरवरस्सणं दीवस्स चक्कवालविक्खंभस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं माणुसुत्तरे णामं पव्वते वट्टे वलयाकारसंठिते पं०, जेणं पुक्खरवरं दीवं दुहा विभयमाणे २ चिट्ठति तं०-अब्भंतरपुक्खरद्धं च बाहिरपुक्खरद्धं च, ता अब्भितरपुक्खरद्धे णं कि समचक्कवालसं० एवं विक्खंभो परिक्खेवो जोतिसं गहातो य जाव एगससीपरिवारो तारागणकोडिकोडिणं, ता पुक्खरवरं णं दीवं पुक्खरोदे समुद्दे वट्टे वल जाव चिट्ठति, एवं विक्खंभो परिक्खेवो जोतिसं च भाणितव्वं जहा जीवाभिगमे जाव संयभूरमणे ।(सूर्य० १००-१ गा०३२-८८) ★★★।१०१॥ एगूणवीसइमं पाहुडं १९ ॥★★★ता कहं ते अणुभागे आहियत्ति वइज्जा ?, तत्थ खलु इमातो दो पडिवत्तीतो पं०, तत्थेगे एव०-ता चंदिमसूरिया णं णो जीवा अजीवा णो घणा झुसिरा णो बायरबोदिधरा कलेवरा णत्थि कणं तेसिं उट्ठाणेति वा कम्मेति वा बलेइ वा वीरिएइ वा पुरिसकारपरक्कमेइ वा णो ते विज्जु लवंति णो असणिं लवंति णो थणितं लवंति, अहे णं बायरे वाउयाए संमुच्छति अहे णं बायरवाउयाए समुच्छित्ता विज्जुपि लवंति असणिपि लवंति थणितंपि लवंति०, एगे पुण एव०-ता चंदिमसूरिया णं जीवा णो अजीवा घणा णो झुसिरा बादरबोदिधरा णो कलेवरा अत्थि णं तेसिंणं उट्ठाणेइ वा जाव पुरिसक्कारपरक्कमेति वा ते विज्जुपि लवंति असणिपि लवंति थणियंपि लवंति०, वयं पुण एवं वदामो-ता चंदिमसूरिता णं देवा महिड्डिया जाव महासुक्खा वरवत्थधरा वरगंधधरा वरमल्लधरा वराभरणधरा अव्वोच्छित्तिणयट्ठताए अण्णे चयंति अण्णे उववज्जति आहि०।१०२। ता कह ते राहुकम्मे आहि०१. तत्थ खलु इमातो दो पडिवत्तीतो पं०, तत्थ एगे एव०-ता अत्थि णं से राहुदेवे जेणं चंदं सूरं च गेण्हति, एगे पुण०ताणत्थि णं से राहुदेवे जेणं चंदं च सूरं च गेण्हति, तत्थ जे ते एव०-ता अत्थिणं से राहू देवे जेणं चंदं सूरं च गेण्हति ते णं एव०-ता राहूणं देवे चंदं सूरं च गेण्हमाणे बुद्धंतेणं गिण्हित्ता बुद्धंतेणं मुयति बुद्धंतेणं गिण्हित्ता मुद्धंतेणं मुंयति मुद्धंतेणं गिण्हित्ता बुद्धंतेणं मुयति मुद्धंतेणं गिण्हित्ता मुद्धतेणं मुयति वामभयंतेणं गिण्हित्ता वामभुयंतेणं मुंयइ वामभुयतेणं गिण्हित्ता दाहिणभुयंतेणं मुयइ दाहिणभुयंतेणं गेण्हित्ता वामभुयतेणं मुयति दाहिण यतेणं गिण्हित्ता दाहिण यंतेणं मुयति, तत्थ जे ते एव०-ताणत्थि णं से राहु देवे जेणं चंदं सूरं च गेण्हति ते णं एव०-तत्थ खलु इमे पण्णरस कसिणा पोग्गला पं०, तं०-सिंधाडए जडिलए खत्तए खरते अंजणे खंजणे सीतले हिमसीतले केलासे अरूणप्पहे पणिज्जए भमुव (नभसू) रए कविलए पिंगलए राहू, ता जता णं एए पण्णरस कसिणा कसिणा पोग्गला सता चंदस्स वा सूरस्स वा लेसाणुबद्धचारिणो भवंति तता णं मणुस्सलोगे मणुस्सा वतंति एवं खलु राहू चंदं वा सूरं वा गिहिति, ता जता णं एए पण्णरस कसिणा कसिणा पोग्गला णो सता चंदस्स वा सूरस्स वा लेसाणुबद्धचारिणो भवंति णो खलु तदा माणुसलोयम्मि मणुस्सा एवं वदंति-एवं खलु राहू चंदं सूरं वा गेण्हति एगे एवमाहंसु, वयं पुण एवं वयामो ता राहू णं देवे महिड्ढीए जाव महासुक्खे वरवत्थधारी जाव वराभरणधारी, राहुस्स णं देवस्स णव णामधेज्जा पं० २०-सिंघाडते जडिलए खत्तते खरए ददुरे मगरे मच्छे कच्छपे किण्हसप्पे, राहुस्सणं देवस्स विमाणा पंचवण्णा पं० सं०-किण्हा णीला लोहिता हालिद्दा सुकिल्ला, अत्थि कालए राहुविमाणे खंजणवण्णाभे पं० अत्थि णीलए राहुविमाणे लाउयवण्णाभे पं० अत्थि लोहिए राहु० मंजिट्ठावण्णाभे अत्थि पीते० हालिद्दवण्णाभे अत्थि सुकिल्लए। 9 भासरासिवण्णाभे पं०, जया णं राहू आगच्छमाणे वा गच्छमाणे वा विउव्वमाणे वा परियारेमाणे वा चंदलेसं पुरच्छिमेणं आवरित्ताणं पच्चच्छिमेणं वीईवयइ तताणं क पुरच्छिमेणं चंदे उवदंसेति पच्चच्छिमेणं राहू, जया णं राहू आगच्छमाणे वा जाव परियारेमाणे वा चंदस्स वा सूरस्स वा लेसं पच्चत्थिमेणं आवरित्ता पुरच्छिमेणं 明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听乐乐乐乐乐乐5C网 GinEducation international 2010-03 EERALDoccolaeonl LIOKOK5595546436558649555555555 श्री आगमगुणमंजूषा-१९८०555555555555555555544S OR Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ((0) - २० (४) 099990099 9 वीईवयइ तया णं पच्चत्थिमेणं चंदे उवदंसेति पुरत्थिमेणं राहू, एएणं अभिलावेणं दाहिणेणं आवरेत्ताणं उत्तरेणं वीईवयइ उत्तरेणं आवरेत्ता दाहिणेणं वीईव उत्तरपुरत्थिमेणं आवरेत्ता दाहिणपच्चत्थिमेणं वीईवयइ दाहिणपच्चत्थिमेणं आवरेत्ता उत्तरपुरत्थिमेणं वीईवयइ दाहिणपुरत्थिमेणं आवरेत्ता उत्तरपच्छत्थिमेणं वीईवयइ, उत्तरपच्चत्थिमेणं आवरेत्ता दाहिणपुरत्थिमेणं वीईवयइ तया णं उत्तरपच्चत्थिमेणं चंदे उवदंसेति दाहिणपुरत्थिमेणं राहू, ता जता णं राहू आगच्छमाणे वा गच्छ चंदस्स स्सं आवरेति तता णं मणुस्सलोगे मणुस्सा वर्तति एवं खलु राहुणा चंदे गहिए २, ता जता णं राहू आगच्छमाणे वा० चंदलेस्सं आवरित्ता पासेण वीईवयइ तताणं मणुस्सलोए मणुस्सा वदंति एवं खलु राहुणा चंदे वंते २, जता णं राहू आगच्छमाणे वा० चंदस्स लेस्सं आवरेत्ताणं मज्झेणं वीईवयइ तता णं मणुस्लोगे मणुस्सा वर्तति एवं खलु राहुणा चंदे वइयरिए २, ता जता णं राहू आगच्छमाणे वा० चंदस्स लेस्सं आहे सपक्खिं सपडिदिसिं आवरेत्ताणं चिट्ठति तताणं मणुस्सलोए मणुस्सा वर्तति एवं खलु राहुणा चंदे घत्थे २, ता कतिविहे णं राहू पं० ?, ता दुविहे राहू पं० तं० ध्रुवराहू य पव्वराहू य, तत्थ णं जे से ध्रुवराहू से बहुलपक्खस्स पडिवर पण्णरसतिभागेणं पण्णरसतिभागं चंदलेसं आवरेमाणे चिट्ठति तं०-पढमाए पढमं भागं बितियाए बितियं भागं जाव पण्णरसीए पण्णरसमं भागं चरिमसमते चंदे रत्ते भवति अवसेससमए चंदे रत्ते विरत्ते य भवति, तमेव सुक्कपक्खम्मि उवदंसेमाणे २ चिट्ठति तं०-पढमाए पढमं भागं जाव पण्णरसमं भागं, चरिमे समए चंदे विरत्ते भवति अवसेससमए चंदे रत्ते य विरत्ते य भवति, तत्थ णं जे से पव्वराहू से जह० छण्हं मासाणं उक्को० बातालीसाते मासाणं चंदस्स अडतालीसाए संवच्छराणं सूरस्स । १०३ । ता से केणद्वेणं एवं वुच्चति चंदे ससी २ १, ता चंदे णं जोइसिदे जोतिसराया सोमे कंते सुभगे पियदंसणे सुरूवे ता से एतेणट्टेणं एवं वुच्चति-चंदे ससी २, ता से केणद्वेणं एवं वुच्चति - सूरे आइच्चे २१, ता सूरादिया णं समताति वा आवलिवाति वा जाव उस्सप्पिणीति वा ओसप्पिणीति वा से एएणं अट्टेणं एवं वुच्चति - सूरे आदिच्चे २ । १०४ । ता चंदस्स णं जोतिसिंदस्स जोतिसरण्णो कति अग्गमहिसीओ पं० १, चत्तारि अग्गमहिसीओ पं० तं०चंदप्पा दोसिणाभा अच्चिमाली पभंकरा, तत्थ णं एगमेगाए देवीए चत्तारि २ एवं चेव पुव्वभणितं अट्ठारसमे पाहुडे तहा णायव्वं जाव मेहुणवत्तियं, एवं सूरस्सवि, ता सूरियचंदिमा णं जोतिसिंदा जोतिसरायाणो केरिसए कामभोगे पच्चणुभवमाणा विहरंति ?, ता से जहाणामए केइ पुरिसे पढमजुव्वणुट्ठाणवलसमत्थाए भारियाए सद्धिं अचिरवत्तवीवाहे अत्थगवेसणताए सोलसवासविप्पवसिते ता से णं तता लट्ठे कयकज्जे अणहसमग्गे पुणरवि सयं गिहं हव्वमागते पहाए जाव सरीरे मणुण्णं थालीपागसुद्धं अट्ठारसवंजणाउलं भोयणं भुत्ते समाणे तंसि तारिसगंसि वासघरंसि अब्भिंतरतो सचित्तकम्मे बाहिरतो दूमियघट्टमट्ठे विचित्तउल्लोयचिल्लिगतले मणिरयणपणासियंधयारे बहुसमरमणिज्जभूमिभागे पंचवण्णसरससुरभिमुक्क (पुप्फ) पुंजोवयारकलिते कालागरूपवरकुंदुरूक्क धूवमघमघंतगंधुद्धयाभिरामे सुगंधवरगंधिए गंधवट्टिभूते तंसि तारिसगंसि सयणिज्जंसि सालिंगणवट्टिए उभतो बिब्बोयणे दुहतो उण्णए मज्झेणयगंभीरे गंगापुलिणवालुउद्दालसालिसते उवचियसोमदुगुल्लपट्टपडिच्छायणे सुविरइयरयत्ताणे रत्तंसुयसंवुडे आयिणगरूयबूरणवणीततूलफासे गंधवरकुसुमचुण्णसयणोवयारकलिते ता एयारिसियाए सिंगारागारचारूवेसाते संगय जाव जोव्वणविलासकलिताए अणुरत्ताए अविरत्ताए मणोणुकूलाए भारियाए सद्धिं इट्ठे सद्दफरिसरसरूवगंधे पंचविहे माणुस्सए कामभोगे पच्चणुभवमाणे विहरेज्जा, ता से णं पुरिसे विउसमणकालसमयंसि केरिसतं सातासोक्खं पच्चणुभवमाणे विहरति ?, तं उरालं णं समणाउसो !, तस्स णं पुरिसस्स कामभोगेहिंतो वाणमंतराणं देवाणं एत्तो अनंतगुणविसिट्टतरगा चैव कामभोगा, वाणमंतराणं देवाणं कामभोगेहिंतो असुरिंदवज्जियाणं भवणवासीणं देवाणं एत्तो अनंतगुणविसिद्वतरगा चैव कामभोगा, असुरेंदवज्जिताणं० एत्तो अनंत० गहगणणक्खत्त जाव कामभोगेहिंतो चंदिमसूरियाणं जोतिसियाणं जोतिसराईणं इत्तो अनंतगुणविसिट्ठतरगा चैव कामभोगा, ता चंदिमसूरिया णं जोतिसिंदा जोइसराताणो एरिसते कामभोगे पच्चणुभवमाणे विहरति । १०५ । तत्थ खलु इमे अट्ठासीती महागहा पं० तं० - इंगालए वियालए लोहितक्खे सणिच्छरे आहुणिए पाहुणिए कणते कणो कणकणए कणवियाए १० कणगसंताणए सोमे सहिते ॐ श्री आगमगुणमंजूषा ११८१५ Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ FO95555555555 (17) चंदपन्नति पाहुडं - 20 [35] 街坊纺$$$$$ F OLION $$$$$5555555555 आसासणे कज्जोवए कत्थु (व्व) रए अयगरए दुंदुभए संखे संखणाभे 20 संखवण्णाभे कंसे कंसणाभे कंसवण्णाभे रूप्पी रूप्पोभासे नीलो नीलोभासे भासे भासरासी 30 दगे दगवण्णे तिले तिलपुप्फवण्णे काए कागं (व) धे इंदग्गी धूमकेतू हरि पिंगलए 40 बुद्धे सुक्के बहस्सती राहू अगत्थी माणवते कामफासे धुरे पमुहे वियडे 50 विसंधी कप्पेल्लए पइल्ले जडिलए अरूणे अग्गिल्लए काले महाकाले सोत्थिए सोवत्थिए वद्धमाणए 60 पलंबे णिच्चालोए णिच्चुज्जोए सयंपहे ओभासे सेयंकरे आभंकरे पभंकरे अरए 70 विरए असोगे वीयसोगे विवत्ते विवत्थे विसाले साले सुव्वते अणियट्टी एकजडी 80 दुजडी करे करिए राय अग्गले भावे केऊ पुप्फकेतू (सूर्य० गाथा 89-97) / 106 / / 20 पाहुडं / / ‘इय एस पागडत्था अभव्वजणहिययदुल्लभा इणमो। उक्कित्तिया भगवती जोइसरायस्स पन्नत्ती / / 98 / / एस गहियावि संती थद्धे गारवियमाणपडिणीए। अबहुस्सए न देया तव्विवरीए भवे देया // 99|| धिइउट्ठाणुच्छाहकंमबलविरियपुरिसकारेहिं / जो सिक्खिओवि संतो' अभायणे पकिखविज्जाहि // 100 / / सो पवयणकु लगणसंघबाहिरो णाणविणयपरिहीणो / अरहतथेरगणहरमेरं किर होइ वोलीणो ||1|| तम्हा॥ धिइउट्ठाणुच्छाहकम्मबलविरियसिक्खियं णाणं / धारेयव्वं णियमा ण य अविणीएसु दायव्वं // 2 // वीरवरस्स भगवतो जरमरणकिलेसदोसरहियस्स / वंदामि विणयपणतो सोक्खुप्पाए सया पाए / / 103|| गाथा ।१०७15श्रीचंद्रप्रज्ञप्त्युपांगमुत्कारित। A955555555555555555555555555555555555555555555555hero $$$$$$$ AGR7$$$$$$$$ Education International 2010-03 For Prsonal Use Only www.jainelibrary.orn) 555555555RIFIER55555555फक श्री आगमणमंज्या - 1982 1555555555555555555555FFICERNOR