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श्री जीवाजीवाभिगम सूत्र
॥श्री आगम-गुण-मञ्जूषा॥
॥श्री.मागम-गुण-४५।।। 11 Sri Agama Guna Manjusa 11
(सचित्र)
प्रेरक-संपादक अचलगच्छाधिपति प.पू.आ.भ.स्व. श्री गुणसागर सूरीश्वरजी म.सा.
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११ अंगसूत्र
४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय
४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय
१) श्री आचारांग सूत्र :- इस सूत्र मे साधु और श्रावक के उत्तम आचारो का सुंदर वर्णन है । इनके दो श्रुतस्कंध और कुल २५ अध्ययन है । द्रव्यानुयोग, गणितानुयोग, धर्मकथानुयोग और चरणकरणानुयोगोमे से मुख्य चौथा अनुयोग है। उपलब्ध श्लोको कि संख्या २५०० एवं दो चुलिका विद्यमान है।
६)
२) श्री सूत्रकृतांग सूत्र :- श्री सुयगडांग नाम से भी प्रसिद्ध इस सूत्र मे दो श्रुतस्कंध और २३ अध्ययन के साथ कुलमिला के २००० श्लोक वर्तमान मे विद्यमान है । १८० क्रियावादी, ८४ अक्रियावादी, ६७ अज्ञानवादी अपरंच द्रव्यानुयोग इस आगम का मुख्य विषय रहा है।
३)
श्री स्थानांग सूत्र :- इस सूत्र ने मुख्य गणितानुयोग से लेकर चारो अनुयोंगो कि बाते आती है। एक अंक से लेकर दस अंको तक मे कितनी वस्तुओं है इनका रोचक वर्णन है, ऐसे देखा जाय तो यह आगम की शैली विशिष्ट है और लगभग ७६०० श्लोक है। ४) श्री समवायांग सूत्र :- यह सूत्र भी ठाणांगसूत्र की भांति कराता है । यह भी संग्रहग्रंथ है। एक से सो तक कौन कौन सी चीजे है उनका उल्लेख है। सो के बाद देढसो, दोसो, तीनसो, चारसो, पांचसो और दोहजार से लेकर कोटाकोटी तक कौनसे कौनसे पदार्थ है उनका वर्णन है। यह आगमग्रंथ लगभग १६०० श्लोक प्रमाण मे उपलब्ध है।
५ ) श्री व्याख्याप्रज्ञप्ति सूत्र ( भगवती सूत्र ) :- यह सबसे बड़ा सूत्र है, इसमे ४२ शतक है, इनमे भी उपविभाग है, १९२५ उद्देश है। इस आगमग्रंथ में प्रभु महावीर के प्रथम शिष्य श्री गौतमस्वामी गणधरादि ने पुछे हुए प्रश्नो का प्रभु वीर ने समाधान किया है । प्रश्नोत्तर संकलन से इस ग्रंथ की रचना हुई है। चारो अनुयोगो कि बाते अलग अलग शतको मे वर्णित है। अगर संक्षेप मे कहना हो तो श्री भगवतीसूत्र रत्नो का खजाना है। यह आगम १५००० से भी अधिक संकलित श्लोको मे उपलब्ध है। ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र :- यह सूत्र धर्मकथानुयोग से है। पहले इसमे साडेतीन करोड कथाओ थी अब ६००० श्लोको मे उन्नीस कथाओं उपलब्ध है। ७) श्री उपासकदशांग सूत्र :- इसमें बाराह व्रतो का वर्णन आता है और १० महाश्रावको
जीवन चरित्र है, धर्मकथानुयोग के साथ चरणकरणानुयोग भी इस सूत्र मे सामील है । इसमे ८०० से ज्यादा श्लोक है।
८)
श्री अन्तकृद्दशांग सूत्र :- यह मुख्यतः धर्मकथानुयोग मे रचित है। इस सूत्र में श्री शत्रुंजयतीर्थ के उपर अनशन की आराधना करके मोक्ष मे जानेवाले उत्तम जीवो के छोटे छोटे चरित्र दिए हुए है। फिलाल ८०० श्लोको मे ही ग्रंथ की समाप्ति हो जाती है ।
९) श्री अनुत्तरोपपातिक दशांग सूत्र :- अंत समय मे चारित्र की आराधना करके अनुत्तर विमानवासी देव बनकर दूसरे भव मे फीर से चारित्र लेकर मुक्तिपद को प्राप्त करने वाले महान् श्रावको के जीवनचरित्र है इसलीए मुख्यतया धर्मकथानुयोगवाला यह ग्रंथ २०० श्लोक प्रमाणका है।
१०) श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र :- इस सूत्र मे मुख्यविषय चरणकरणानुयोग है। इस आगम
में देव-विद्याघर-साधु-साध्वी श्रावकादि ने पुछे हुए प्रश्नों का उत्तर प्रभु ने कैसे दिया इसका वर्णन है । जो नंदिसूत्र मे आश्रव-संवरद्वार है ठीक उसी तरह का वर्णन इस सूत्र मे भी है । कुल मिला के इसके २०० श्लोक है।
११) श्री विपाक सूत्र :- इस अंग मे २ श्रुतस्कंध है पहला दुःखविपाक और दूसरा सुखविपाक, पहेले में १० पापीओं के और दूसरे में १० धर्मीओ के द्रष्टांत है मुख्यतया धर्मकथानुयोग रहा है । १२०० श्लोक प्रमाण का यह अंगसूत्र है ।
१२ उपांग सूत्र
१)
श्री औपपातिक सूत्र :- यह आगम आचारांग सूत्र का उपांग है। इस मे चंपानगरी का वर्णन १२ प्रकार के तपों का विस्तार कोणिक का जुलुस अम्बडपरिव्राजक के ७०० शिष्यो की बाते है। १५०० श्लोक प्रमाण का यह ग्रंथ है।
२)
श्री राजप्रनीय सूत्र :- यह आगम सुयगडांगसूत्र का उपांग है। इसमें प्रदेशीराजा का अधिकार सूर्याभदेव के जरीए जिनप्रतिमाओं की पूजा का वर्णन है । २००० श्लोको से भी अधिक प्रमाण का ग्रंथ है।
श्री आगमगुणमंजूषा GY
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२) त्रास
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KAROKKAXXE E EEEE994%953589 ४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय 985555359999999455889 श्री जीवाजीवाभिगम सूत्र :- यह ठाणांगसूत्र का उपांग है । जीव और अजीव के
दश प्रकीर्णक सूत्र बारे मे अच्छा विश्लेषण किया है। इसके अलावा जम्बुद्विप की जगती एवं विजयदेव ने कि हुइ पूजा की विधि सविस्तर बताइ है। फिलाल जिज्ञासु ४ प्रकरण, क्षेत्रसमासादि
श्री चतुशरण प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में अरिहन्त, सिद्ध, साधु और गच्छधर्म जो पढ़ते है वह सभी ग्रंथे जीवाभिगम अपरग्च पनवणासूत्र के ही पदार्थ है । यह
के आचार के स्वरूप का वर्णन एवं चारों शरण की स्वीकृति है। आगम सूत्र ४७०० श्लोक प्रमाण का है। श्री प्रज्ञापना सूत्र- यह आगम समवायांग सूत्र का उपांग है । इसमे ३६ पदो का वर्णन
श्री आतुर प्रत्याख्यान प्रकीर्णक सूत्र :- इस आगम का विषय है अंतिम आराधना है। प्रायः ८००० श्लोक प्रमाण का यह सूत्र है।
और मृत्युसुधार ५) श्री सुर्यप्रज्ञप्ति सूत्र :
श्री चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र :- इस दो आगमो मे गणितानुयोग मुख्य विषय रहा है। सूर्य, ३) श्री भक्तपरिज्ञा प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में पंडित मृत्यु के तीन प्रकार (१) चन्द्र, ग्रहादि की गति, दिनमान ऋतु अयनादि का वर्णन है, दोनो आगमो मे २२००,
भक्त परिज्ञा मरण (२) इंगिनी मरण (३) पादोपगमन मरण इत्यादि का वर्णन है। २२०० श्लोक है। श्री जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र :- यह आगम भी अगले दो आगमों की तरह गणितानुयोग
६) श्री संस्तारक प्रकीर्णक सूत्र :- नामानुसार इस पयन्ने में संथारा की महिमा का वर्णन मे है। यह ग्रंथ नाम के मुताबित जंबूद्विप का सविस्तर वर्णन है। ६ आरे के स्वरूप
है। इन चारों पयन्ने पठन के अधिकारी श्रावक भी है। बताया है। ४५०० श्लोक प्रमाण का यह ग्रंथ है।
श्री तंदुल वैचारिक प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने को पूर्वाचार्यगण वैराग्य रस के श्री निरयावली सूत्र :- इन आगम ग्रंथो में हाथी और हारादि के कारण नानाजी का
समुद्र के नाम से चीन्हित करते है । १०० वर्षों में जीवात्मा कितना खानपान करे दोहित्र के साथ जो भयंकर युद्ध हुआ उस मे श्रेणिक राजा के १० पुत्र मरकर नरक मे
इसकी विस्तृत जानकारी दी गई है। धर्म की आराधना ही मानव मन की सफलता है। गये उसका वर्णन है।
ऐसी बातों से गुंफित यह वैराग्यमय कृति है। श्री कल्पावतंसक सूत्र :- इसमें पद्यकुमार और श्रेणिकपुत्र कालकुमार इत्यादि १० भाइओं के १० पुत्रों का जीवन चरित्र है।
८) श्री चन्दाविजय प्रकीर्णक सूत्र :- मृत्यु सुधार हेतु कैसी आराधना हो इसे इस पयन्ने । १०) श्री पुष्पिका उपांग सूत्र :- इसमें १० अध्ययन है । चन्द्र, सूर्य, शुक्र, बहुपुत्रिका
में समजाया गया है। देवी, पूर्णभद्र, माणिभद्र, दत्त, शील, जल, अणाढ्य श्रावक के अधिकार है। ११) श्री पुष्पचुलीका सूत्र :- इसमें श्रीदेवी आदि १० देवीओ का पूर्वभव का वर्णन है। ९) श्री देवेन्द्र-स्तव प्रकीर्णक सूत्र :- इन्द्र द्वारा परमात्मा की स्तुति एवं इन्द्र संबधित ई श्री वृष्णिदशा सूत्र :- यादववंश के राजा अंधकवृष्णि के समुद्रादि १०पुत्र, १० मे
अन्य बातों का वर्णन है। पुत्र वासुदेव के पुत्र बलभद्रजी, निषधकुमार इत्यादि १२ कथाएं है। अंतके पांचो उपांगो को निरियावली पञ्चक भी कहते है।
१०A) श्री मरणसमाथि प्रकीर्णक सूत्र :- मृत्यु संबधित आठ प्रकरणों के सार एवं अंतिम
आराधना का विस्तृत वर्णन इस पयन्ने में है।
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१०B) श्री महाप्रत्याख्यान प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में साधु के अंतिम समय में किए
जाने योग्य पयन्ना एवं विविध आत्महितकारी उपयोगी बातों का विस्तृत वर्णन है।
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N54555554454549 श्री आगमगुणमजूषा
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१०C) श्री गणिविद्या प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में ज्योतिष संबंधित बड़े ग्रंथो का सार है।
उपरोक्त दसों पयन्नों का परिमाण लगभग २५०० श्लोकों में बध्य हे। इसके अलावा २२ अन्य पयन्ना भी उपलब्ध हैं। और दस पयन्नों में चंदाविजय पयन्नो के स्थान पर गच्छाचार पयन्ना को गिनते हैं।
छह छेद सूत्र
(१) निशिथ सूत्र (२) महानिशिथ सूत्र (३) व्यवहार सूत्र (४) जीतकल्प सूत्र (५) पंचकल्प सूत्र (६) दशा श्रुतस्कंध सूत्र
इन छेद सूत्र ग्रन्थों में उत्सर्ग, अपवाद और आलोचना की गंभीर चर्चा है। अति गंभीर केवल आत्मार्थ, भवभीरू, संयम में परिणत, जयणावंत, सूक्ष्म दष्टि से द्रव्यक्षेत्रादिक विचार धर्मदष्टि से करने वाले, प्रतिपल छहकाया के जीवों की रक्षा हेतु चिंतन करने वाले, गीतार्थ, परंपरागत उत्तम साधु, समाचारी पालक, सर्वजीवो के सच्चे हित की चिंता करने वाले ऐसे उत्तम मुनिवर जिन्होंने गुरु महाराज की निश्रा में योगद्वहन इत्यादि करके विशेष योग्यता अर्जित की हो ऐसे मुनिवरों को ही इन ग्रन्थों के अध्ययन पठन का अधिकार है।
चार मूल सूत्र
१)
श्री दशवैकालिक सूत्र :- पंचम काल के साधु साध्वीओं के लिए यह आगमग्रन्थ अमृत सरोवर सरीखा है। इसमें दश अध्ययन हैं तथा अन्त में दो चूलिकाए र तिवाक्या व, विवित्तचरिया नाम से दी हैं। इन चूलिकाओं के बारे में कहा जाता है कि श्री स्थूलभद्रस्वामी की बहन यक्षासाध्वीजी महाविदेहक्षेत्र में से श्री सीमंधर स्वामी से चार चूलिकाए लाइ थी। उनमें से दो चूलिकाएं इस ग्रंथ में दी हैं। यह आगम ७०० श्लोक प्रमाण का है।
२)
श्री उत्तराध्ययन सूत्र :- परम कृपालु श्री महावीरभगवान के अंतिम समय के उपदेश इस सूत्र में हैं । वैराग्य की बातें और मुनिवरों के उच्च आचारों का वर्णन इस आगम ग्रंथ में ३६ अध्ययनों में लगभग २००० श्लोकों द्वारा प्रस्तुत हैं।
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३)
श्री निर्युक्ति सूत्र :- चरण सत्तरी-करण सत्तरी इत्यादि का वर्णन इस आगम ग्रन्थ में है। पिंडनियुक्ति भी कई लोग ओघ निर्युक्ति के साथ मानते हैं अन्य कई लोग इसे अलग आगम की मान्यता देते हैं। पिंडनियुक्ति में आहार प्राप्ति की रीत बताई हैं । ४२ दोष कैसे दूर हों और आहार करने के छह कारण और आहार न करने के छह कारण इत्यादि बातें हैं ।
४)
श्री आवश्यक सूत्र :- छह अध्ययन के इस सूत्र का उपयोग चतुर्विध संघ में छोट बड़े सभी को है । प्रत्येक साधु साध्वी, श्रावक-श्राविका के द्वारा अवश्य प्रतिदिन प्रातः एवं सायं करने योग्य क्रिया (प्रतिक्रमण आवश्यक) इस प्रकार हैं :
(१) सामायिक (२) चतुर्विंशति (३) वंदन (४) प्रतिक्रमण (५) कार्योत्सर्ग (६) पच्चक्खाण
दो चूलिकाए
१) श्री नंदी सूत्र :- ७०० श्लोक के इस आगम ग्रन्थ में परमात्मा महावीर की स्तुति, संघ की अनेक उपमाए, २४ तीर्थकरों के नाम ग्यारह गणधरों के नाम, स्थविरावली और पांच ज्ञान का विस्तृत वर्णन है।
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२)
श्री अनुयोगद्वार सूत्र :- २००० श्लोकों के इस ग्रन्थ में निश्चय एवं व्यवहार के आलंबन द्वारा आराधना के मार्ग पर चलने की शिक्षा दी गई है। अनुयोग याने शास्त्र की व्याख्या जिसके चार द्वार है (१) उत्क्रम (२) निक्षेप (३) अनुगम (४) नय
यह आगम सब आगमों की चावी है। आगम पढने वाले को प्रथम इस आगम से शुरुआत करनी पडती है। यह आगम मुखपाठ करने जैसा है।
॥ इति शम् ॥
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Introduction
45 Agamas, a short sketch I Eleven Angas : Acäränga-sutra : It deals with the religious conduct of the monks and the Jain householders. It consists of 02 Parts of learning, 25 lessons and among the four teachings on entity, calculation, religious discourse and the ways of conduct, the teaching of the ways of conduct is the main topic here. The Agama is of the size of 2500 ślokas.
Sayagadanga-sutra : It is also known as Sütra-Kytänga. It's two parts of learning consist of 23 lessons. It discusses at length views of 363 doctrine-holders. Among them are 180 ritualists, 84 nonritualists, 67 agnostics and 32 restraint-propounders, though it's main area of discussion is the teaching of entity. It is available in the size of 2000 ślokas.
Thápānga-sūtra : It begins with the teaching of calculation mainly and discusses other three teachings subordinately. It introduces the topic of one dealing with the single objects and ends with the topic of eight objects. It is of the size of 7600 ślokas.
Samavāyanga-sutra : This is an encompendium, introducing 01 to 100 objects, then 150, 200 to 500 and 2000 to crores and crores of objects. It contains the text of size of 1600 Slokas.
Vyakhya-prajñapti-sutra : It is also known as Bhagavati-sutra. It is the largest of all the Angas. It contains 41 centuries with subsections. It consists of 1925 topics. It depicts the questions of Gautama Ganadhara and answers of Lord Mahavira. It discusses the four teachings in the centuries. This Agama is really a treasure of gems. It is of the size of more than 15000 ślokas.
Jäätādharma-Kathanga-sutra : It is of the form of the teaching of the religious discourses. Previously it contained three and a half crores of discourses, but at present there are 19 religious discourses. It is of the size of 6000 ślokas.
Upasaka-dasānga-sutra : It deals with 12 vows, life-sketches of 10 great Jain householders and of Lord Mahavira, too. This deals with the teaching of the religious discourses and the ways of conduct.
It is of the size of around 800 Slokas. (8) Antagada-dasänga-sutra : It deals mainly with the teaching of
the religious discourses. It contains brief life-sketches of the highly spiritual souls who are born to liberate and those who are liberating ones: they are Andhaka Vrsni, Gautama and other 9 sons of queen Dharini, 8 princes like Akşobhakumara, 6 sons of Devaki, Gajasukumāra, Yadava princes like Jali, Mayāli, Vasudeva Krsna, 8 queens like Rukmini. It is available of the size of 800 Slokas.
Anuttarovavayi-daśãnga-sútra: It deals with the teaching of the religious discourses. It contains the life-sketches of those who practise the path of religious conduct, reach the Anuttara Vimana, from there they drop in this world and attain Liberation in the next birth. Such souls are Abhayakumāra and other 9 princes of king Srenika, Dirghasena and other 11 sons, Dhanna Anagara, etc. It is of
the size of 200 ślokas. (10) Prasna-vyakarana-sūtra : It deals mainly with the teaching of
the ways of conduct. As per the remark of the Nandi-satra, it contained previously Lord Mahāvira's answers to the questions put by gods, Vidyadharas, monks, nuns and the Jain householders. At present it contains the description of the ways leading to
transgression and the self-control. It is of the size of 200 ślokas. (11) Vipaka-sütrānga-sūtra : It consists of 2 parts of learning. The first
part is called the Fruition of miseries and depicts the life of 10 sinful souls, while the second part called the Fruition of happiness narrates illustrations of 10 meritorious souls. It is available of the size of 1200 ślokas.
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(5)
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(1)
II Twelve Upangas Uvaväyi-sütra : It is a subservient text to the Acāranga-sutra. It deals with the description of Campā city, 12 types of austerity, procession-arrival of Koñika's marriage, 700 disciples of the monk Ambada. It is of the size of 1000 ślokas.
Rayapaseni-sutra : It is a subservient text to Süyagađanga-sutra. It depicts king Pradesi's jurisdiction, god Suryabha worshipping the Jina idols, etc. It is of the size of 2000 ślokas.
(7)
(2)
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ShhhhĀMhMMMMMMMMMMMÁR ૪૫ આગમ સરળ અગ્રજી ખાવાથ
(3) Jivabhigama-sutra: It is a subservient text to Thaṇānga-sūtra. It deals with the wisdom regarding the self and the non-self, the Jambu continent and its areas, etc. and the detailed description of the veneration offered by god Vijaya. The four chapters on areas, society, etc. published recently are composed on the line of the topics of this Sūtra and of the Pannavaṇa-sutra. It is of the size of 4700 slokas. (4) Pannāvaṇā-sūtra : It is a subservient text to the Samavāyāngasūtra. It describes 36 steps or topics and it is of the size of 8000 Ślokas.
(5) Surya-prajñapti-sūtra and
(6) Candra-prajñapti-sutra: These two falls under the teaching of the calculation. They depict the solar and the lunar transit, the movement of planets, the variations in the length of a day, seasons, northward and the southward solstices, etc. Each one of these Agamas are of the size of 2200 Ślokas.
(7) Jambudvipa-prajñapti-sūtra: It mainly deals with the teaching of the calculations. As it's name indicates, it describes at length the objects of the Jambu continent, the form and nature of 06 corners (āra). It is available in the size of 4500 Slokas.
Nirayavali-pancaka:
(8) Nirayavali-sütra: It depicts the war between the grandfather and
the daughter's son, caused of a necklace and the elephant, the death of king @renika's 10 sons who attained hell after death. This war is designated as the most dreadful war of the Downward (avasarpiņi) age.
(9) Kalpavatamsaka-sutra: It deals with the life-sketches of Kalakumara and other 09 princes of king Śrenika, the life-sketch of Padamakumpra and others.
(10) Pupphiya-upanga-sutra: It consists of 10 lessons that covers the topics of the Moon-god, Sun-god, Venus, queen Bahuputrikă, Pūrṇabhadra, Manibhadra, Datta, Sila, Bala and Anaḍdhiya. (11) Pupphaculiya-upanga-sutra: It depicts previous births of the 10 queens like Sridevi and others.
(12) Vahnidaśā-upanga sutra: It contains 10 stories of Yadu king Andhakavṛṣṇi, his 10 princes named Samudra and others, the tenth Cain Education International 2010 03
JARNANAK
one Vasudeva, his son Balabhadra and his son Nişaḍha.
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III Ten Payanna-sutras :
(1) Aurapaccakhāṇa-sūtra : It deals with the final religious practice and the way of improving (the life so that the) death (may be improved).
(2) Bhattaparinna-sūtra : It describes (1) three types of Pandita death, (2) knowledge, (3) Ingini devotee
(4) Padapopagamana, etc.
(4) Santharaga-payanna-sutra: It extols the Samstaraka.
** These four payannas can also be learnt and recited by the Jain householders. **
(5) Tandula-viyaliya-payanna-sūtra : The ancient preceptors call this Payanna-sutra as an ocean of the sentiment of detachment. It describes what amount of food an individual soul will eat in his life of 100 years, the human life can be justified by way of practising a religious life.
(6)
Candavijaya-payanna-sutra: It mainly deals with the religious practice that improves one's death.
(7) Devendrathui-payanna-sūtra : It presents the hymns to the Lord sung by Indras and also furnishes important details on those Indras. (8) Maraṇasamadhi-payanna-sūtra : It describes at length the final religious practice and gives the summary of the 08 chapters dealing with death.
(9) Mahāpaccakhāṇa-payanna-sūtra : It deals specially with what a monk should practise at the time of death and gives various beneficial informations.
(10) Gaṇivijaya-payanna-sutra: It gives the summary of some treatise on astrology.
These 10 Payannās are of the size of 2500 Ślokas.
Besides about 22 Payannās are known and even for these above 10 also there is a difference of opinion about their names. The Gacchācāra is taken, by some, in place of the Candavijaya of the 10 Payannās.
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(1)
(2)
IV Six Cheda-sūtras (1) Vyavahāra-sūtra, (2) Nisītha-Sutra, (3) Mahānisitha-sūtra, (4) Pancakalpa-satra, (5) Daśāśruta-skandha-Sotra and (6) Bhatkalpa-sutra.
These Chedasätras deal with the rules, exceptions and vows.
The study of these is restricted only to those best monks who are (1) serene, (2) introvert, (3) fearing from the worldly existence, (4) exalted in restraint, (5) self-controlled, (6) rightfully descerning the subtlety of entity, territories, etc. (7) pondering over continuously the protection of the six-limbed souls, (8) praiseworthy, (9) exalted in keeping the tradition, (10) observing good religious conduct, (11) beneficial to all the beings and (12) Who have paved the path of Yoga under the guidance of their master.
VI Two Colikas Nandi-sutra : It contains hymn to Lord Mahavira, numerous similies for the religious constituency, name-list of 24 Tirtharkaras and 11 Ganadharas, list of Sthaviras and the fivefold knowledge. It is available in the size of around 700 Slokas.
Anuyogadvāra-sutra : Though it comes last in the serial order of the 45 Ágamas, the learner needs it first. It is designated as the key to all the Agamas. The term Anuyoga means explanatory device which is of four types: (1) Statement of proposition to be proved, (2) logical argument, (3) statement of accordance and (4) conclusion.
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It teaches to pave the righteous path with the support of firm resolve and wordly involvements.
It is of the size of 2000 ślokas.
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V Four Molas atras (1) Dajavaikalika-sutra : It is compared with a lake of nectar for the
monks and nuns established in the fifth stage. It consists of 10 lessons and ends with 02 Colikas called Rativakya and Vivittacariya. It is said that monk Sthūlabhadra's sister nun Yakşă approached Simandhara Svāmi in the Mahavideha region and received four
Calikas. Here are incorporated two of them. (2) Uttaradhyayana-sutra : It incorporates the last sermons of Lord
Mahavira. In 36 lessons it describes detachment, the conduct of
monks and so on. It is available in the size of 2000 Slokas. . (3) Anuyogadvara-sutra: It discusses 17 topics on conduct, behaviour,
etc. Some combine Piryaniryukti with it, while others take it as a separate Agama. Pindaniryukti deals with the method of receiving food (bhiksă or gocari), avoidance of 42 faults and to receive food, 06 reasons of taking food, 06 reasons for avoiding food, etc.
Avašyaka-sútra: It is the most useful Agama for all the four groups of the Jain religious constituency. It consists of 06 lessons. It describes 06 obligatory duties of monks, nuns, house-holders and housewives. They are: (1) Samayika, (2) Caturvimšatistava, (3) Vandana, (4) Pratikramana, (5) Kāyotsarga and (6) Paccakhana.
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આગમ - ૧૪
દ્રવ્યાનુયોગમય જીવાભિગમ ઉપાંગ સૂત્ર – ૧૪
અન્યનામ :- જીવાજીવાભિગમ. પ્રતિપત્તિ -
અધ્યયન
ઉદ્દેશક
ઉપલબ્ધ પાઠ
ગદ્યસૂત્ર
પગાયા
૧
-૧૮
-૪૭પ૦ શ્લોક પ્રમાણ
२७२
૧
(
સરળ ગુજરાતી ભાવાર્થ
પ્ર
આરંભમાં સ્ત્રી જીવોના તિર્યંચ, ખેચર અને જળચર એમ ત્રણ પ્રકારો અને તેના ચતુષ્પદ, ઉરસર્પ માનવ સ્ત્રીઓ દેવીઓ વગેરે પેટાપ્રકારો બતાવીને તે બધાના જઘન્ય ઉત્કૃષ્ટ કાળ, સ્થિતિ, વેદનીય કર્મ વગેરેનું વર્ણન છે.
(૧) વિવિધ જીવ-પ્રતિપત્તિ
આ ઉપાંગની પહેલી દ્વિવિધ - બે પ્રકારની જીવ-પ્રતિપત્તિમાં જીવ–અજીવના અભિગમના બે – બે પ્રકાર, અરૂપી જીવાભિગમના ૧૦ પ્રકાર, રૂપી અજીવાભિગમના નવ પ્રકાર, મોક્ષપ્રાપ્ત જીવના અનેક પ્રકાર, સંસાર સ્થિત જીવના બે તેમજ સ્થાવર જીવના ત્રણ પ્રકારો વર્ણવીને સૂક્ષ્મ પૃથ્વીકાયિક જીવોના ૨૩ દ્વારનું વર્ણન કર્યા પછી પૃથ્વીકાયિક જીવોના બે પ્રકાર, શ્લષ્ણે પૃથ્વીકાયિક જીવના સાત અને સંક્ષેપમાં બે પ્રકાર તથા તેના ૨૩ દ્વારોનું વર્ણન છે.
તે પછી અકાયિક જીવોના બે પ્રકાર અને ૨૩ દ્વારો, સૂક્ષ્મ અને સાધારણ વનસ્પતિકાયિક જીવોના બે પ્રકાર અને ૨૩ દ્વારો, બાદર અને સૂક્ષ્મ તેજાયિક જીવોના બે પ્રકાર તેમજ ૨૩ દ્વારો અને બાદર તેમજ સૂક્ષ્મ વાયુકાયિક જીવોના બે પ્રકાર અને ૨૩ દ્વારો વર્ણવીને બેઈન્દ્રિય, ત્રીન્દ્રિય વગેરે વિક્લેન્દ્રિય જીવોના ૨૩ – ૨૩ દ્વારો, નારકીય જીવોના પ્રકાર અને ૨૩ દ્વારો અને તે પછી સંમૂર્ણિમ જળચર, ભૂચર, પરિસર્પ, ગર્ભજ ઉપરિસર્પ, ચતુષ્પદ, ભુજપરિસર્પ, ખેચર વગેરેના પ્રકારો અને ૨૩ – ૨ ૩ દ્વારો નું વર્ણન છે.
સંમૂર્ણિમ મનુષ્યો તથા ગર્ભજ મનુષ્યોના ૨૩ દ્વારો, દેવતાના પ્રકારો, ત્રસ-સ્થાવર
જીવો વગેરેની વિવિધ વાતો જણાવી છે.
સંસારી જીવોના પુરુષ પ્રકારમાં તિર્યંચ વગેરે ત્રણ પ્રકારો અને ચતુષ્પદ વગેરે પેટા પ્રકારો બતાવીને તેમના જઘન્ય - ઉત્કૃષ્ટ કાળ વગેરે વર્ણવવામાં આવ્યા છે. સંસારી જીવોના નપુંસક પ્રકારમાં પણ ઉપર મુજબનું વિસ્તૃત વર્ણન છે.
(૩) ચતુર્વિધ જીવ-પ્રતિપત્તિ
આ પ્રતિપત્તિમાં સંસારી જીવોના નારકીય વગેરે પ્રકારો વર્ણવ્યા છે.
તેના પહેલા ઉદ્દેરાકમાં નારકીય જીવોના સાત પ્રકાર, નરક-વર્ણન છે. બીજા ઉદ્દેશમાં નરકના સીમા, સંસ્થાન વગેરે તેમજ વર્ણ, ગંધ, સ્પર્શ, માપ વગેરેનું વર્ણન કરીને નરમાં જીવોની ઉત્પત્તિ, શરીર, વિકુર્વણા, વેદના વગેરેનું વર્ણન છે અને ત્રીજા ઉદ્દેશકમાં પુદ્ગલ પરિણમન બતાવીને નારકીયોનું સંક્ષિપ્ત વર્ણન છે.
તિર્યંચ-યોનિક જીવ ઉદ્દેશકમાં તિર્યંચ-યોનિક જીવોના પાંચ પ્રકારો તેમજ તેના
એકેન્દ્રિય, પૃથ્વીકાયિક એકેન્દ્રિય વગેરે પેટા પ્રકારો, તેમના ૧૧ દ્વારો, કોટી અને અંતે વિમાનોના માપ બતાવ્યાં છે.
બીજા ઉદ્દેશમાં સંસારી જીવોના પૃથ્વીકાયિકથી માંડીને વનસ્પતિકાચિક સુધીના જીવોના બે-બે પ્રકારો, પૃથ્વીના છ પ્રકાર, દેવો તથા જીવોની સંસ્થિતિ, નિર્લેપકાળ,
અને અંતે અન્ય તીર્તિના વિષયની ચર્ચા છે.
મનુષ્યયોનિક જીવ ઉદ્દેશકમાં મનુષ્યોના સંમૂર્ણિમ તેમજ ગર્ભજ એમ બે પ્રકારો તેમજ અંતર્દીપ મનુષ્યોના ૨૮ પ્રકારો બતાવ્યા છે.
એકોરૂકદ્વીપ વર્ણન ઉદ્દેશકમાં એકોરૂપ દ્વીપનું સ્થાન, લંબાઈ તેમજ પહોળાઈ, વનખંડો, ભૂમિ, વૃક્ષો, વેલીઓ, ત્યાંના મનુષ્યો અને સ્ત્રીઓના સર્વાંગીણ વર્ણન, આસ્વાદ, કર્મો, સ્વભાવ, વગેરે તેમજ અન્ય દ્વીપોનું વર્ણન છે. વળી દેવયોનિક જીવના પ્રકાર- ભેદ, દેવ-દેવીઓની સંખ્યા, પરિષદો, વિમાનો, સમુદ્રોની સંખ્યા વગેરે વર્ણન પછી જંબૂ દ્વીપનું વિસ્તૃત વર્ણન છે.
મનુષ્યયોનિક ઉમેરામાં વિજયા રાજધાની, સુધર્મા સભા, ચૈત્ય, સિંહાસન, સિદ્ધાયતન વગેરે વર્ણન પછી જંબૂદીપમાં જીવોની ઉત્પત્તિ, ઉત્તરકુરૂક્ષેત્ર, લવણસમુદ્ર, ગૌતમદ્વીપ, ચંદ્રદ્વીપ, સૂર્યદ્વીપ અને તે પછી જંબૂદ્રીપના લવણ સમુદ્રની અંદર અને
(૨) ત્રિવિધ જીવ-પ્રતિપત્તિ
આ પ્રતિપત્તિમાં સંસારી જીવોના ત્રણ પ્રકારો- સ્ત્રી, પુરુષ અને નપુંસક એમ બતાવી બહારના સૂર્ય-ચંદ્ર તેમજ ધાતકીખંડ, કાલોઠ સમુદ્ર, પુષ્કર વરદ્વીપ વગેરેના વિસ્તૃત વર્ણન
श्री आगमगुणम भूषा ३६ 有事业
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& સરળ ગુજરાતી ભાવાર્થ
અને તેમના ચંદ્ર- સૂર્ય વગેરે વર્ણવીને પાંચ ઈન્દ્રિયોના વિષયનું વર્ણન છે.
જ્યોતિષ્મ ઉદ્દેશકમાં દેવતાઓની દિવ્યગતિ, વૈય શક્તિ વગેરેનું વર્ણન છે. વૈમાનિક દેવોના પહેલા ઉદ્દેશકમાં વૈમાનિક દેવોના વર્ણન પછી તેમની સંખ્યા, સ્થિતિ વગેરેનું વર્ણન છે અને બીજા ઉદ્દેરાકમાં તે દેવોના વિમાનોના આધાર, સંસ્થાન, ઊંચાઈ, ઉત્પત્તિ, તથા તે દેવોના રારીરોના વર્ણ, પુદ્ગલ વગેરે વર્ણવીને અંતે નારકીયો, તિર્યંચો અને મનુષ્યો તેમજ દેવોના જઘન્ય-ઉત્કૃષ્ટ સ્થિતિ, કાળ વગેરેનું વર્ણન છે.
(૪) પંચવિધ જીવ પ્રતિપત્તિ
આ પ્રતિપત્તિમાં સંસારના પાંચ પ્રકારના જીવો - એકેન્દ્રિયથી માંડીને પંચેન્દ્રિય સુધીના ની સ્થિતિ, કાલ, અંતર વગેરે વર્ણવ્યા છે.
(૫) ષવિધ જીવ-પ્રતિપત્તિ
આ પ્રતિપત્તિમાં સંસારના પૃથ્વીકાયિથી માંડીને ત્રસકાયિક સુધીના જીવોના છ પ્રકારો જણાવીને તેમના સ્થિતિ, કાળ વગેરેનું વર્ણન છે.
(૬) સવિધ જીવ-પ્રતિપત્તિ
(૭) અષ્ટવિધ જીવ-પ્રતિપત્તિ
(૮) નવવિધ જીવ-પ્રતિપત્તિ
આ ત્રણ પ્રતિપત્તિઓમાં સંસારી જીવોના અનુક્રમે સાત, આઠ અને નવ પ્રકારો બતાવીને તેમના સ્થિતિ, કાળ, વગેરેનું વર્ણન છે.
(૯) દાવિધ જીવ-પ્રતિપત્તિ
આ પ્રતિપત્તિમાં સંસારી જીવોના ૧૦ પ્રકારો અને તેમના સ્થિતિ, કાળ, વગેરેના વર્ણન પછી અસિદ્ધ અને સિદ્ધ, સવેદક અને વેદક તેમજ અજ્ઞાની અને જ્ઞાની એમ બેબે પ્રકારના જીવોની ચર્ચા પછી ત્રણ-ત્રણ પ્રકારના, ચાર-ચાર પ્રકારના, પાંચ-પાંચ
પ્રકારના થી દસ – દસ પ્રકારના જીવોનું અસિદ્ધ અને સિદ્ધ વગેરે વર્ણન છે.
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श्री आगमगुणमजूषा ३७ 新蛋蛋蛋(
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FOROS554954555555555 (१४) जीवाजीवाभिगम [ (३) उवंगसुत्त ] पढमा पडिवत्ति 'दुविह' [१]55555555555555%EXY
सिरि उसहदेवसामिस्स णमो । सिरि गोडी - जिराउला - सव्वोदयपासणाहाणं णमो । नमोऽत्थुणं समणस्स भगवओ महइमहावीर वद्धमाणसामिस्स । सिरि गोयम - सोहम्माइ सव्व गणहराणं णमो। सिरि सुगुरु-देवाणं णमो। जमश्रीजीवाजीवाभिगमोपांगंभइह खलु जिणमयं जिणाणुमयं जिणाणुलोमं जिणप्पणीतं जिणपरूवियं जिणक्खायं जिणाणुचिन्नं जिणपण्णत्तं जिणदेसियं जिणपसत्थं अणुवीईएतं सद्दहमाणातं पत्तियमाणा तं रोएमाणा थेरा भगवंतो जीवाजीवाभिगमणाममज्झयणं पण्णवइंसु।१।से किं तं जीवाजीवाभिगमे ?,२ दुविहे पं० २०-जीवाभिगमे य अजीवाभिगमे य ।२। से किं तं अजीवाभिगमे ?, २ दुविहे पं० तं०-रूविअजीवाभिगमे य अरूविअजीवाभिगमे य ३। से किं तं अरूविअजीवाभिगमे?,२ दसविहे पं० २०-धम्मत्थिकाए एवं जहा पण्णवणाए जाव सेत्तं अरूविअजीवाभिगमे ।४ से किं तं रूविअजीवाभिगमे, २ चउब्विहे पं० तं०-खंधा खंधदेसा खंधप्पएसा परमाणुपोग्गला, ते समासतो पंचविहा पं० २०-वण्णपरिणया गंध० रस० फास० संठाणपरिणया, एवं ते जहा पण्णवणाए, सेत्तं रूविअजीवाभिगमे, सेत्तं अजीवाभिगमे।५। से किं तं जीवाभिगमे?, २ दुविहे पं० तं०-संसाररसमावण्णगजीवाभिगमे य संसारसमावण्णगजीवाभिगमे य ।६। से किं तं असंसारसमावण्णग० ?, २ दुविहे पं० तं०अणंतरसिद्धासंसारसमावण्णगजीवाभिगमे य परंपरसिद्धासंसारसमावण्णगजीवाभिगमे य, से किं तं अणंतरसिद्धासंसारसमावण्णगजी वाभिगमे?, २ पण्णरसविहे पं० २०-तित्थसिद्धा० जाव अणेगसिद्धा०, सेत्तं अणंतरसिद्धा०।से किं तं परंपरसिद्धासंसारसमावण्णगजीवाभिगमे?, २ अणेगविहे पं० तं०-पढमसमयसिद्धा० दुसमयसिद्धा० जाव अणंतसमयसिद्धा०, से तं परंपरसिद्धासंसारसमावण्णगजीवाभिगमे, सेत्तं असंसारसमावण्णगजीवाभिगमे १७/ से किं तं संसारसमावन्नजीवाभिगमे?, संसारसमावण्णएसुणं जीवेसु इमाओणव पडिवत्तीओ.एवमाहिज्जति, तं०-एगे एवमाहंसु-दुविहा संसारसमावण्णगा जीवा पं०, एगे एवमाहंसु-चउव्विहा संसारसमावण्णगा जीवा पं०, एगे एवमाहंसुपंचविहा संसारसमावण्णगा जीवा पं०, एतेणं अभिलावेणं जाव दसविहा संसारसमावण्णगा जीवा पं०1८1 तत्थ णं जे एवमाहंसु दुविहा संसारसमावण्णगा जीवा पं० ते एवमाहंसु, तं०-तसा चेव थावरा चेव ।९। से किं तं थावरा ?, २ तिविहा पं० तं०पुढवीकाइया आउकाझ्या वणस्सइकाइया ।१०। से किं तं पुढवीकाइया ?, २ दुविहा पं० तं०-सुहुमपुढविक्काइया य बायरपुढविक्काइया य ।११। से किं तं सुहुमपुढविकाइया?, २ दुविहा पं० तं०-पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य ।१२। तेसिंणं भंते ! जीवाणं कति सरीरया पं०, गो० ! तओ सरीरगा पं० २०-ओरालिए तेयए कम्मए, तेसिंणं भंते ! जीवाणं केमहालिया सरीरोगाहणा पं०?, गो० ! जह० अंगुलासंखेज्जतिभागं उक्को० अंगुलासंखेजतिभागं, तेसिंणं भंते जीवाणं सरीरा किंसंघयणा पं० ?, गो० ! छेवट्ठसंघयणा पं०, तेसिं णं भंते ! सरीरा किंसंठिया पं० ?, गोयमा ! मसूरचंदसंठिता पं०, तेसिंणं भंते ! जीवाणं कति कसाया पं० ?, गो० ! चत्तारि कसाया पं० २०-कोहकसाए माणकसाए मायाकसाए लोहकसाए, तेसिंणं भंते ! जीवाणं कति सण्णाओ पं०?, गो० ! चत्तारि सण्णाओ पंतं०-आहारसण्णा जाव परिग्गहसन्ना, तेसिंणं भंते ! जीवाणं कति लेसाओ पं०?, गो०! तओ लेस्साओ पं० २०-किण्हलेस्सा नीललेसा काउलेसा, तेसिंणं भंते ! जीवाणं कति इंदियाइं पं०?, गो० ! एगे फासिदिए पं०, तेसिंणं भंते !जीवाणं कति समुग्घाया पं०?, गो०! तओ समुग्घायापं० २०-वेयणासमुग्धाते कसायसमुग्घाए मारणंतियसमुग्याए, ते णं भंते ! जीवा किं सन्नी असन्नी ?, गो० नो सन्नी असन्नी, ते णं भंते! जीवा किं इत्थिवेंया पुरिसवेया णपुंसगवेया?, गो० ! णो इत्थिवेया णो पुरिसवेया णपुंसगवेया, तेसिंणं भंते जीवाणं कतिपज्जत्तीओ पं०?,गो०! चत्तारि पज्जत्तीओपं० तं०-आहारपज्जत्तीसरीर० इंदिय० आणापाणुपज्जत्ती, तेसिंणं भंते ! जीवाणं कति अपज्जत्तीओ पं०?, गो० ! चत्तारि अपज्जत्तीओ पं० तं०-आहारअपज्जत्ती जाव आणापाणुअपज्जत्ती, ते णं भंते ! जीवा किं सम्मद्दिट्टी मिच्छादिट्ठी सम्मामिच्छदिट्ठी ?, गो० ! णो सम्मद्दिट्ठी मिच्छादिट्ठी नो सम्मामिच्छादिट्ठी, ते णं भंते ! जीवा किं चक्खुदंसणी अचक्खुदंसणी ओहिदंसणी केवलदसणी ?, गो० ! नो चक्खुदंसणी अचक्खुदंसणी नो ओहियदंसणी नो केवलदसणी, ते णं भंते ! जीवा किं नाणी अण्णाणी?, गो० ! नो नाणी अण्णाणी, नियमा
સૌજન્ય :- પ.પૂ. વિદુષી સાધ્વી શ્રી ચારૂલતાશ્રીજીની પ્રેરણાથી મુલુન્ડ (પશ્ચિમ) અચલગચ્છ જૈન સમાજ હસ્તે ઇન્દિરાબેન (વાદ્રા))
5
5555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ८४३5555555555555555555$$6:OK
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(१४) जीवाजीवाभिगम (१) पडिवत्ति 'दुविह
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दुअण्णाणी, तं०-मतिअन्नाणी य सुयअण्णाणी य, ते णं भंते ! जीवा किंमणजोगी वयजोगी कायजोगी?, गो० णो मणजोगी नो वयजोगी कावजोगी, तेणं भंते ! जीवा किं सागारोवउत्ता अणागारोवउत्ता?, गो० ! सागारोवउत्तावि अणागारोवउत्तावि, ते णं भंते ! जीवा किमाहारमाहारेति ?, गो० ! दव्वतो अणंतपदेसियाई दव्वाइं खेतओ असंखेज्जपदेसोगाढे कालओ अन्नयरसमयद्वितीयाइं भावतो वण्णमंताई गंधमंताई रसमंताई फासमंताई, जाई भावओ वण्णमंताई आ० ताई किं एगवण्णाई आ० दुवण्णाइं० तिवण्णाई आ० चउवण्णाई आ० पंचवण्णाई आ०?, गो० ! ठाणमग्गणं पडुच्च एगवण्णाइंपि दुवण्णाइंपि तिवण्णाइंपि चउवण्णाइंपि पंचवण्णाइंपि आ०, विहाणमग्गणं पडुच्च कालाइंपि आ० जाव सुक्किलाइंपि आ०, जाइं वण्णओ कालाई आ० ताइं० किं एगगुणकालाई आ० जाव अणंतगुणकालाई आ०?, गो० ! एगगुणकालाइंपि आ० जाव अणंतगुणकालाइंपि आ० एवं जाव सुकिल्लाई, जाइं भावतो गंधमंताई आ० ताई किं एगगंधाइं आ० दुगंधाइं आ०?, गो० ! ठाणमग्गणं पडुच्च एगगंधाइंपि आ० दुगंधाइंपि आ०, विहाणमग्गणं पडुच्च सुब्भिगंधाइंपि आ० दुब्भिगंधाइंपि आ०, जाई गंधतो सुब्भिगंधाइं आ० ताई किं एगगुणसुब्भिगंधाइं आ० जाव अणंतगुणसुरभिगंधाइपि आ०?, गो० ! एगगुणसुब्भिगंधाइंपि आ० जाव अणंतगुणसुब्भिगंधाइंपि आ०, एवं दुब्भिगंधाइंपि, रसा जहा वण्णा, जाइं भावतो फासमंताई आ० ताइं किं एगफासाइं आ० जाव अट्ठफासाइं आ० ?, गो० ! ठाणमग्गणं पडुच्च नो एगफासाई आ० नो दुफासाइं आ० नो तिफासाइं आ० चउफासाइं आ० पंचफासाइंपि जाव अट्ठफासाइंपि आ०, विहाणमग्गणं पडुच्च कक्खडाइंपि आ० जाव लुक्खाइंपि आ०, जाइं फासतो कक्खडाई आ० ताई किं एगगुणकक्खडाई आ० जाव अणंतगुणकक्खडाइं आ०?, गो० ! एगगुणकक्खडाइंपि आ० जाव अणंतगुणकक्खडाइंपि आ०, एवं जाव लुक्खा णेयव्वा, ताइं भंते ! किं पुट्ठाइं आ० अपुट्ठाई आ० ?, गो० ! पुट्ठाई आ० नो अपुट्ठाई आ०, ताइं भंते ! किं ओगाढाइं आ० अणोगाढाइं आ०?, गो० ! ओगाढाइं आ० नो अणोगाढाइं आ०, ताइं भंते ! किमणंतरोगाढाइं आ० परंपरोगाढाइं आ० ?, गो० ! अणंतरोगाढाइं आ० नो परंपरोगाढाई आ०, ताइं भंते ! किं अणूइं आ० बायराइं आ०?, गो० ! अणूइंपि आ० बायराइंपि आहारेति, ताइं भंते ! किं उड्ढं आ० अहे आ० तिरियं आ०?, गो० ! उड्ढपि आ० अहेवि आ० तिरियंपि आ०, ताइं भंते ! किं आई आ० मज्झे आ० पज्जवसाणे आ०?, गो० ! आदिपि आ० मज्झेवि आ० पज्जवसाणेवि आ०, ताइं भंते ! किं सविसए आ० अविसए आ०?, गो० ! सविसए आ० नो अविसए आ०, ताई भंते ! किं आणुपुव्विं आ० अणाणुपुब्बिं आ०? गो० आणुपुव्विं आ० नो अणाणुपुव्विं आ०, ताई भंते ! किं तिदिसिं आ० चउदिसिं आ० पंचदिसिं आ० छदिसिं आ०?, गो० ! निव्वाघाएणं छदिसिं, वाघातं पडुच्च सिय तिदिसिंसिय चउदिसिंसिय पंचदिसिं, उस्सन्नकारणं पडुच्च वण्णतो कालाइं नीलाइं जाव सुकिल्लाई, गंधतो सुब्भिगंधाइं दुब्भिगंधाइं रसतो जाव तित्तमहुराइं, फासतो कक्खडमउयजावनिद्धलुक्खाई, तेसिं पोराणे वण्णगुणे जाव फासगुणे विप्परिणामइत्ता परिपीलइत्ता परिसाडइत्ता परिविद्धंसइत्ता अण्णे अपुव्वे वण्णगुणे गंधगुणे जाव फासगुणे उप्पाइत्ता आतसरीरओगाढा पोग्गले सव्वप्पणयाए आहारमाहारेति, ते णं भंते ! जीवा कतोहितो उववज्जति ? किं नेरइएहितो तिरिक्ख० मणुस्स० देवेहितो०?, गो० ! नो नेरइएहितो० तिरिक्खजोणिएहितो० मणुस्सेहिंतो उववजति नो देवेहितो०, तिरिक्खजोणियपज्जत्तापज्जत्ते हितो असंखेज्जवासाउयवज्जे हितो मणुस्से हितो अकम्मभूमिगअसंखेजवासाउयवज्जेहिंतो उववज्जति, वक्कंतीउववाओ भाणियव्वो, तेसिंणं भंते ! जीवाणं केवतियं कालं ठिती पं०?, गो० ! जह० अंतोमुंहुत्तं उक्को० अंतोमुहुतं, ते णं भंते ! जीवा मारणंतियसमुग्घातेणं किं समोया मरंति असमोहया मरंति?, गो० ! समोहयावि मरंति असमोहयावि मरंति, ते णं भंते ! जीवा अणंतरं उव्वट्टित्ता कहिं गच्छंति कहिं उववज्जति ?- किं नेरइएसु उववज्जति तिरिक्खजोणिएसु उ० मणुस्सेसु उ० देवेसु उवव०?, गो० ! नो नेरइएसु उववज्जति तिरिक्खजोणिएसु उ० मणुस्सेसु उ० णो देवेसु उवव०, जइ तिरि० किं एगिदिएसु उववज्जति जाव पंचिदिएसु उ० ?, गो० ! एगिदिएसु उववज्जति जाव पंचेदियतिरिक्खजोणिएसु उववज्जति असंखेज्जवासाउयवज्जेसुपज्जत्तापज्जत्तएसु उव० मणुस्सेसु अकम्मभूमगअंतरदीवगअसंखेज्जवासाउयवज्जेसुपज्जत्तापज्जत्तएसु
उव०, ते णं भंते ! जीवा कतिगतिका कतिआगतिका पं०?, गो०! दुगतिया दुआगतिया परित्ता असंखेज्जा पं० समणाउसो!, सेतं सुहमपुढविक्काइया।१३। से किं rores555555555
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(१४) जीवाजीवाभिगम (१) पडिवत्ति 'दुविह' _
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तं बायरपुढवीकाइया, २ दुविहा पं० तं०-सण्हबायरपुढविक्काइया य खरबायरपुढविक्काइया य ।१४। से किं तं सण्हबायरपुढविक्काइया ?, २ सत्तविहा पं० सं०कण्हमत्तिया भेओ जहा पण्णवणाए जाव ते समासतो दुविहा पं० तं०-पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य, तेसिंणं भंते !जीवाणं कति सरीरगा पं०, गो० ! तओ सरीरगा पं० तं०-ओरालिए तेयए कम्मए तं चेव सव्व नवरं चत्तारि लेसाओ अवसेसं जहा सुहमपुढविक्काइयाणं, आहारो जाव णियमा छद्दिसिं, उववातो तिरिक्खजोणियमणुस्सदेवेहितो देवेहिं जाव सोधम्मेसाणेहितो, ठिती जह० अंतोमुहुत्तं उक्को० बावीसं वाससहस्साइं ते णं भंते ! जीवा मारणंतियसमुग्धाएणं किं समोहया मरंति असमोहता मरंति?, गो० ! समोहतावि मरंति असमोहतावि मरंति, ते णं भंते ! जीवा अणंतरं उव्वट्टित्ता कहिं गच्छंति कहिं उववज्जति-किं नेरइएसुभ
उववज्जति०? पच्छा, नो नेरइएसु उववज्जति तिरिक्खजोणिएसु उववज्जति मणुस्सेसु उव० नो देवेसु उव० तहेव जाव असंखेज्जवासाउवज्जेहिं, ते णं भंते ! जीवा म कतिगतिया कतिआगतिया पं०?, गो० ! दुगतिया तिआगतिया परित्ता असंखेज्जा पं० समणाउसो!, सेत्तं बायरपुढविक्काइया, सेत्तं पुढवीकाइया ।१५। से किं तं
आउक्काइया ?, २ दुविहा पं० त०-सुहमआउक्काइया य बायरआउक्काइया य, सुहमआऊ० दुविहा पं० तं०-पज्जत्ता य, अपज्जत्ता य तेसिंणं भंते ! जीवाणं कति सरीरया पं०?, गो०! तओ सरीरा पं० तं०-ओरालियए तेयए कम्मए जंचेव सुहुमपुढविक्काइयाणं णवरं थिवुगसंठिता पं०, सेसं तं चेव जाव दुगतिया दुआगतिया
परित्ता असंखेज्जा पं० सम०, सेत्तं सुहुमआ-उक्काइया ।१६। से किं तं बायरआउक्काइया ?, २ अणेगविहा पं० तं०-ओसा हिमे जाव जे यावन्ने तहप्पगारा०, ते + समासतो दुविहा पं० त०-पज्जत्ता य अपज्जत्ताय, तं चेव सव्वं णवरं थिबुगसंठिता, चत्तारिलेसाओ आहारो नियमा छदिसिंउववातो तिरिक्खजोणियमणुस्सदेवेहिं
ठिती जह० अंतोमुहुत्तं उक्कोसं सत्त वाससहस्साइं सेसं तं चेव जहा बायरपुढवीकाइया जाव दुगतिया तिआगतिया परित्ता असंखेज्जा पं० समणाउसो !. सेत्तं बायरआऊ०. सेत्तं आउक्काइया ।१७। से किं तं वणस्सइकाइया ?, २ दुविहा पं० २०-सुहुमवणस्सइकाइया य बायरवणस्सइकाइया य ।१८। से किं तं सुहुमवणस्सइकाइया ?, २ दुविहा पं० तं०-पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य तहेव णवरं अणित्थंत्यसंठिया दुगतिया दुआगतिया अपरित्ता अणंता, अवसेसं जहा पुढविक्काइयाणं, सेत्तं सुहुमवणस्सइकाइया ।१९। से किं तं बायरवणस्सइकाइया ?, २ दुविहा पं० तं०- पत्तेयसरीरबायरवणस्सतिकाइया य साधारणसरीरबायरवणस्सइकाइया य ।२०। से किं तं पत्तेयसरीरबादरवणस्सतिकाइया ?, २ दुवालसविहा पं० २०-रूक्खा गुच्छा गुम्मा लता य वल्ली य पव्वगा चेव । तणवलयहरितओसहिजलरूहकुहणा य बोद्धव्वा ||१|| से किं तं रूक्खा ?, २ दुविहा पं० तं० एगट्ठिया य बहुवीया य, से किं तं एगट्ठिया ?, २ अणेगविहा पं तं०-निबंबजंबुजाव पुण्णागणागरूक्खे सीवण्णि तधा असोगे य । जे यावण्णे तहप्पगारा, एतेसिंणं मूलावि असंखेज्जजीविया एवं कंदा खंधा तया साला पवालापत्ता पत्तेयजीवा पुप्फाइं अणेगजीवाई फला एगट्ठिया, सेत्तं एगट्ठिया, से किं तं बहुबीया ?, २ अणेगविधा पं० २०-अत्थियतेंदुयउंबरकविढे आमलकफणसदाडिमणग्गोधकाउंबरीयतिलयलउयलोद्धे धवे. जे यावण्णे तहप्पगारा, एतेसिंणं मूलावि असंखेज्जजीविया जाव फला बहुबीयगा. सेत्तं बहुबीयगा, सेत्तं रूक्खा, एवं जहा पण्णवणाए तहा भाणियव्वं जाव जे यावन्ने तहप्पगारा०, सेत्तं कुहणा-'नाणाविधसंठाणा रूक्खाणं एगजीविया पत्ता । खंधोवि एगजीवो तालसरलनालिएरीणं ॥२।। जह सगलसरिसवाणं० पत्तेयसरीराणं० गाहा ।।३।। जह वा तिलसक्कुलिया० गाहा ||४|| सेत्तं पत्तेयसरीरबायरवणस्सइकाइया ।२१। से किं तं साहारणसरीरबादरवणस्सइकाइया ?, २ अणेगविधा पं० तं०-आलुए मूलए सिंगबेरे हिरिलि सिरिलि सिस्सिरिलि किट्टिया छिरिया छिरियविरालिया कण्हकंदे वज्जकंदे सूरणकंदे खल्लुडे किमिरासि भद्दे मोत्था पिंडहलिद्दा लोहारी णीहू थिभु अस्सकण्णी सीहकन्नी सीउंढी मुसंढी जे यावण्णे तहप्पगारा०, ते
समासओ दुविहा पं० सं०-पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य तेसिंणं भंते ! जीवाणं कति सरीरगा पं०?, गो० ! तओ सरीरगा पं० तं०-ओरालिए तेयए कम्मए तहेव जहा म बायरपुढवीकाइयाणं, णवरं सरीरोगाहणा जह० अंगुलस्स असंखेज्जतिभागं उक्को० सातिरेगजोयणसहस्सं सरीरगा अणित्थंत्यसंठिता ठिती जह० अंतोमुहुत्तं 5 र उक्को० दसवाससहस्साइं जाव दुगतिया तिआ० अपरित्ता अणंता पं०. सेत्तं बायरवणस्सइकाइया. सेत्तं थावरा ।२२। से किं तं तसा ?,२ तिविहा पं० तं०EXoros5555555555555555555 श्री आगमगणमंजषा - ८४५
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(१४) जीवाजीवाभिगम ( १ ) पडिवत्ति 'दुविह'
तेउक्काइया वाउक्काइया ओराला तसा पाणा । २३। से किं तं तेउक्काइया ?, २ दुविहा पं० तं० - सुहुमते उक्काइया य बादरतेउक्काइया य । २४ । से किं तं सुहुमतेउक्काइया ?. २ जहा सुद्दुमपुढविक्काइया नवरं सरीरगा सूइकलावसंठिया एगगइया दुआगइआ परित्ता असंखेज्जा पं०, सेसं तं चेव, सेत्तं सुहुमतेउक्काइया | २५ | से किं तं बादरते उक्काइया ?, २ अणेगविहा पं० नं० - इंगाले जाले मुम्मुरे जाव सूरकंतमणिनिस्सिते, जे यावन्ने तहप्पगारा०, ते समासतो दुविहा पं० तं० पज्जत्ता य अपज्जत्ता य तेसिं णं भंते! जीवाणं कति सरीरगा पं० १, गो० ! तओ सरीरगा पं० तं० ओरालिए तेयए कम्मए सेसं तं चेव सरीरगा सूइकलावसंठिता तिन्नि लेस्सा ठिती जह० अंतोमुहुत्तं उक्को० तिन्नि राइंदियाइं तिरियमणुस्सेहिंतो उववाओ सेसं तं चेव एगगतिया उवागतिया परित्ता असंखेज्जा पं०, सेत्तं तेउक्काइया ।२६ | से किं तं वाक्काया ?, २ दुविहा पं० तं० सुहुमवाउक्काइया य बादरवाउक्काइया य, सुहुमवाउक्काइया जहा तेउक्काइया णवरं सरीरा पडागसंठिता एगगतिया दुआगतिया परित्ता असंखिज्जा. सेत्तं सुहुमवाउक्काइया । से किं तं बादरवाउक्काइया ?, २ अणेगविधा पं० तं० पाईणवाए पडीणवाए०. एवं जे यावण्णे तहप्पगारा०. ते समासतो दुविहा पं० तं०-पज्जत्ता य अपज्जत्ता य, तेसिं णं भंते ! जीवाणं कति सरीरगा पं० ?, गो० ! चत्तारि सरीरगा पं० तं० ओरालिए वेउव्विए तेयए कम्मए. सरीरगा पडागसंठिता, चत्तारि समुग्घाता-वेयणासमुग्धाए कसायसमुग्धाए मारणंतियसमुग्धाए वेडव्वियसमुग्धाए. आहारो णिव्वाघातेणं छद्दिसिं वाघायं पडुच्च सय दिसं सिय चउदिसिं सिय पंचदिसिं, उववातो देवमणुयनेरइएस णत्थि ठिती जह० अंतोमुहुत्तं उक्को० तिन्नि वाससहस्साई, सेसं तं चेव एगगतिया दुआगइया परित्ता असंखेज्जा पं० समणाउसो !, सेत्तं बायरवाऊ. सेत्तं वाउक्काइया | २७| से किं तं ओराला तसा पाणा ?. २ चउव्विहा पं० तं० - बेइंदिया तेइंदिया चउरिदिया पंचेदिया । २८। से किं तं बेइंदिया ?, २ अणेगविधा पं० तं० पुलाकिमिया जाव समुद्दलिक्खा जे यावण्णे तहप्पगारा०, ते समासतो दुविहा पं० तं० पज्जत्ता य अपज्जत्ता य, तेसिंणं भंते! जीवाणं कति सरीरगा पं० १, गो० ! तओ सरीरगा पं० तं०-ओरालिए तेयए कम्मए, तेसिं णं भंते! जीवाणं केमहालिया सरीरओगाहणा पं० ?, जह० अंगुलासंखेज्जभागं उक्को० बारस जोयणाई छेवट्ठसंघयणी हुंडसंठिता चत्तारि कसाया चत्तारि सण्णाओ तिण्णि लेसाओ दो इंदिया, तओ समुग्धाता - वेयणा० कसाय० मारणंतिय०, नो सन्नी असन्नी णपुंसकवेदगा पंच पज्जत्तीओ पंच अपज्जत्तीओ सम्मद्दिट्ठीवि मिच्छादिट्ठीवि नो सम्मामिच्छादिट्ठी णो चक्खुदंसणी अचक्खुदंसणी णो ओहिदंसणी नो केवलदंसणी, ते णं भंते ! जीवा कि णाणी अण्णाणी ?, गो० ! णाणीवि अण्णाणीवि, जे णाणी ते नियमा दुण्णाणी, तं०आभिणिबोहियणाणी य सुयणाणी य, जे अन्नाणी ते नियमा दुअण्णाणी - मतिअण्णाणी य सुयअण्णाणी य, नो मणजोगी वइजोगी कायजोगी सागारोवउत्त अणागारोवउत्तावि आहारो नियमा छद्दिसिं उववातो तिरियमणुस्सेसु नेरइयदेव असंखज्जवासाउयवज्जेसु ठिती जह० अंतोमुहुत्तं उक्को० बारस संवच्छराणि समोहतावि मरंति असमोहतावि मरंति, कहिं गच्छति ?, नेरइयदेव असंखेज्जवासाउअवज्जेसु गच्छंति, दुगतिया दुआगतिया परित्ता असंखेज्जा, सेत्तं बेइंदिया | २९| से किं तं तेइंदिया ?, २ अणेगविधा पं० तं० ओवइया रोहिणीया हत्थिसोंडा० जे यावण्णे तहप्पगारा०, ते समासतो दुविहा पं० तं० पज्जत्ता य अपज्जता, तहेव जहा बेइंदियाणं, नवरं सरीरोगाहणा उक्को० तिन्नि गाउयाई तिन्नि इंदिया ठिई जह० अंतोमुहुत्तं उक्को० एगूणपण्णराइंदिया सेसं तहेव दुगतिया दुआगतिया, परित्ता असंखेज्ना पं०, से तं तेइंदिया । ३० । से किं तं चउरिदिया ?, २ अणेगविधा पं० तंo - अंधिया पुत्तिया जाव गोमयकीडा जे यावण्णे तहप्पगारा०, ते समासतो दुविहा पं० तं०-पज्जत्ता य अपज्जत्ता य, तेसिं णं भंते! जीवाणं कति सरीरगा पं० ?, गो० ! तओ सरीरगा पं० तं चेव, णवरं सरीरोगाहणा उक्को० चत्तारि गाउयाइं, इंदिया • चत्तारि चक्खुदंसणी अचक्खुदंसणी ठिती उक्को० छम्मासा, सेसं जहा बेइंदियाणं जाव असंखेज्जा पं०. से तं चउरिंदिया । ३१ । से किं तं पंचेदिया ? २ चउव्विहा पं० तं०-णेरतिया तिरिक्खजोणिया मणुस्सा देवा । ३२ । से किं तं नेरइया ?, २ सत्तविहा पं० तं० रयणप्पभापुढवीनेरइया जाव असत्तमपुढवीनेरइया, ते समासओ दुविहा पं० तं० पज्जत्ता य अपज्जत्ता य, तेसिं णं भंते! जीवाणं कति सरीरगा पं० १, गो० ! तओ सरीरया पं० तं० - वेउव्विए तेयए कम्मए, तेसिं णं भंते! जीवाणं केमहालिया सरीरोगाहणा पं० ?, गो० ! दुविहा सरीरोगाहणा पं० तं० - भवधारणिज्जा य उत्तरवेउव्विया य, तत्थ णं जा सा भवधारणिज्ना सा जह० KO श्री आगमगुणमंजूषा ८४६
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(१४) जीवाजीवाभिगम ( १ ) पडिवत्ति 'दुविह'
अंगुलस्स असंखेज्जइभागो उक्को० पंचधणुसयाई, तत्थ णं जा सा उत्तरवेउव्विया सा जह० अंगुलस्स संखेज्जतिभागं उक्को० धणुसहस्सं, तेसिं णं भंते! जीवाण सरीरा किंसंघयणी पं० १, गोयमा ! छण्हं संघयणाणं असंघयणी, णेवट्ठी णेव छिरा णेव ण्हारू संघयणमत्थि, जे पोग्गला अणिट्ठा अकंता अप्पिया असुभा अमणुण्णा अमणामा ते तेसिं संघातत्ताए परिणमंति, तेसिं णं भंते! जीवाणं सरीरा किंसंठिता पं० ?, गो० ! दुविहा पं० तं० भवधाणिज्जा य उत्तरवेउब्विया य, तत्थ णं जे ते भवधारणिज्जा ते हुंडसंठिया, तत्थ णं जे ते उत्तरवेउब्विया तेवि हुंडसंठिता पं०, चत्तारि कसाया चत्तारि सण्णाओ तिण्णि लेसाओ पंचेंदिया चत्तारि समुग्धाता आइल्ला सन्नीवि असन्नीवि नपुंसकवेदा छप्पज्जत्तीओ छ अपज्जत्तीओ तिविधा दिट्ठी तिन्नि दंसणा णाणीवि अण्णाणीवि, जे गाणी ते नियमा तिन्नाणी, तं०-आभिणिबोहियणाणी सुतणाणी ओहिनाणी, जे अण्णाणी ते अत्थेगतिया दुअण्णाणी अत्थेगतिया तिअण्णाणी, जे दुअण्णाणी ते णियमा मइअण्णाणी य सुयअण्णाणी य, जे तिअण्णाणी ते नियमा मतिअण्णाणी य सुयअण्णाणी य विभंगणाणी य, तिविधे जोगे दुविहे उवओगे, छद्दिसिं आहारो ओसण्णकारणं पडुच्च वण्णतो कालाई जाव आहारमाहारेति, उववाओ तिरियमणुस्सेसु, ठिती जह० दसवाससहस्साई उक्को० तित्तीसं सागरोवमाई, दुविहा मरंति उव्वट्टणा भाणियव्वा जतो आगता णवरी संमुच्छिमेसु पडिसेहो दुगतिया दुआगतिया परित्ता असंखेज्जा पं० समणाउसो !, से तं नेरइया । ३३ । से किं तं पंचेदियतिरिक्खजोणिया ?, २ दुविहा पं० तं०-संमुच्छिमपंचेदियतिरिक्खजोणिया य गब्भवक्कंतियपंचिदियतिरिक्खजोणिया य । ३४ । से किं संमुच्छिमपंचेदियतिरिक्खजोणिया ?, २ तिविहा पं० तं०-जलयरा थलयरा खहयरा । ३५ । से किं तं जलयरा ?, २ पंचविधा पं० तं० मच्छगा कच्छभा मगरा गाहा सुंसुमारा. से किं तं मच्छा ?, एवं जहा पण्णवणाए जाव जे यावण्णे तहप्पगारा०, ते समासतो दुविहा पं० तं० पज्जत्ता य अपज्जत्ता य, तेसिं णं भंते! जीवाणं कति सरीरगा पं० १, गो० ! तओ सरीरया पं० तं०ओरालिए तेयए कम्म. सरीरोगाहणा जह० अंगुलस्स असंखेज्जतिभागं उक्को० जोयणसहस्सं छेवट्ठसंघयणी हुंडसंठिता, चत्तारि कसाया चत्तारि सण्णाओ, छ साओ इंदिया पंच, समुग्धाता तिण्णि णो सण्णी असण्णी णपुंसकवेदा पज्जत्तीओ अपज्जत्तीओ य पंच दो दिट्ठीओ दो दंसणा दो नाणा दो अन्नाणा दुविधे जोगे दुविधे उवओगे आहारो छद्दिसि, उववातो तिरियमणुस्सेहिंतो नो देवेहिंतो नो नेरइएहितो, तिरिएहिंतो असंखेज्जवासाउवज्जे हिंतो अकम्मभूमगअंतरदीवगअसंखेज्जवासाउअवज्जेहिंतो मणुस्सेहिंतो, ठिती जह० अंतोमुहुत्तं उक्को० पुव्वकोडी, मारणंतियसमुग्धातेणं दुविहावि मरंति, अणंतरं उव्वट्टित्ता कहिं० ?, नेरइएसुवि तिरिक्खजोणिएसुवि मणुस्सेसुवि देवेसुवि, नेरइएस रयणप्पहाए सेसेसु पडिसेधो. तिरिएसु सव्वेसु उववज्जति संखेज्जवासाउएसुवि असंखेज्जवासाउएसुवि चउप्पएसु पक्खीसुवि, मणुस्सेसु सव्वेसु कम्मभूमीसु नो अकम्मभूमीएस अंतरदीवएसुवि संखिज्जवासाउएसुवि असंखिज्जवासाउएसुवि, देवेसु जाव वाणमंतरा, चउगइया दुआगतिया परित्ता असंखेज्जा पं०, से तं जलयरसंमुच्छिमपंचें दियतिरिक्खा | ३६। से किं तं थलयरसंमुच्छिमपंचेंद्रियतिरिक्खजोणिया ?, २ दुविहा पं० तं० - चउप्पयथलयरसंमुच्छिमपंचें० परिसप्पसंमु०, से किं तं थलयरचउप्पयसंमुच्छिम० १, २ चउव्विहा पं० तं०- एगखुरा दुखुरा गंडीपया सणप्फया जाव जे यावण्णे तहप्पकारा०, ते समासतो दुविहा पं० तं० पज्जत्ता य अपजत्ता य, तओ सरीरगा ओगाहणा जह० अंगुलस्स असंखेज्जइभागं उक्को० गाउयपुहुत्तं ठिती जह० अंतोमुहुत्तं उक्को० चउरासीतिवाससहस्साई, सेसं जहा जलयराणं जाव चउगतिया दुआगतिया परित्ता असंखेज्जा पं०, सेत्तं थलयरचउप्पदसंमु०, से किं तं थलयरपरिसप्पसंमुच्छिमा १, २ दुविहा पं० तं० उरपरिसप्पसंमुच्छिमा भुयपरिसप्पसंमुच्छिमा, से किं तं उरपरिसप्पसंमुच्छिमा ?, २ चउव्विहा पं० तं० अही अयगरा आसालिया महोरगा, से किं तं अही ? २ दुविहा पं० तं०दव्वीकरा मउलिणो य, से किं तं दव्वीकरा ?, अणेगविधा पं० तं० - आसाविसा जाव से तं दव्वीकरा, से किं तं मउलिणो १, २ अणेगविहा पं० तं० - दिव्वा गोणसा जावसेत्तं मउलिणो, सेत्तं अही, से किं तं अयगरा १, २ एगागारा पं०, से तं अयगरा, से किं तं आसालिया ?, जहा पण्णवणाए, से किं तं आसालिया, से किं तं महोरगा ? जहा पण्णवणाए, से तं महोरगा जे यावण्णे तहप्पगारा०, ते समासतो दुविहा पं० तं० पज्जत्ता य अपज्जत्ता य, तं चेव णवरि सरीरोगाहणा जह०
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| CORS5555555555555% (१४) जीवाजीवाभिगम (१) पडिवत्ति 'दुविह' [६] $$$$$$$$$ 2XCE P अंगुलस्सऽसंखेज्जभागं उक्को०जोयणपुहुत्तं ठिई जह० अंतोमुहत्तं उक्को० तेवण्णं वाससहस्साइंसेसं जहा जलयराणं जाव चउगतिया दुआगतिया परित्ता असंखेज्जा,
सेत्तं उरपरिसप्पा०, से किं तं भुयपरिसप्पसंमुच्छिमथलयरा ?, २ अणेगविधा पं० तं०-गोहा णउला जाव जे यावन्ने तहप्पकारा०, ते समासतो दुविहा पं० तं०पज्जत्ताय अपज्जत्ता य, सरीरोगाहणा जह० अंगुलासंखेनं उक्को० धणुपुहत्तं ठिती उक्को० बायालीसं वाससहस्साई सेसं जहा जलयराणं जाव चउगतिया दुआगतिया परित्ता असंखेज्जा पं०, (सेत्तं भुयपरिसप्पसमुच्छिमा, सेतं थलयरा, से किं तं खहयरा ?,२ चउव्विहा पं० त०-चम्मपक्खी लोमपक्खी समुग्गपक्खी विततपक्खी, से किं तं चम्मपक्खी?, २ अणेगविधा पं० त०-वग्गुली जाव जे यावन्ने तहप्पगारा०, सेतं चम्मपक्खी, से किं तं लोमपक्खी?, २ अणेगविधा पं० तं०-ढंका कंका जाव जे यावन्ने तहप्पकारा०, से तं लोमपक्खी, से किं तं समुग्गपक्खी?, २ एगागारा पं० जहा पण्णवणाए, एवं विततपक्खीविजाव जे यावन्ने तहप्पगारा०, ते समासतो दुविहा पं० तं०-पज्जत्ता य अपज्जत्ता य, णाणत्तं सरीरोगाहणा जह० अंगुलअसं० उक्को० धणुपुहत्तं ठिती उक्को० बावत्तरि वाससहस्साई सेसं जहा जलयराणं जाव चउगतिया दुआगतिया परित्ता असंज्जा पं०, सेत्तं) खहयरसमुच्छिमतिरिक्खजोणिया, से तं समुच्छिमपंचेदियतिरिक्खजोणिया।३७। से किं तं गब्भवक्वंतियपंचेदियतिरिक्खजोणिया ?, २ तिविहा पं० तं०-जलयरा थलयरा खयरा ।३८1 से किं तं जलयरा ?, २ पंचविधा पं० २०-मच्छा कच्छभा मगरा गाहा सुंसुमारा, सव्वेसिं भेदो भाणियव्वो जाव जे यावण्णे तहप्पकारा०, ते समासतो दुविहा पं० २०-पज्जत्ता य अपज्जत्ता य, तेसिंणं भंते ! जीवाणं कति सरीरगा (१५१) पं०?, गो० ! चत्तारि सरीरगापं० २०-ओरालिए वेउव्विए तेयए कम्मए, सरीरोगाहणा जह० अंगुलस्स असंखेज० उक्को० जोयणसहस्सं, छव्विहसंघयणी पं० तं०-वइरोसभनारायसंघयणी उसभनाराय० नाराय० अद्धनाराय० की (प्र० खी) लिया० से (प्र० छे) वट्टसंघयणी, उव्विहसंठिता पं० २०-समचउरंससंठिता णग्गोधपरिमंडल० साति० खुज० वामन० हुंडसंठिता, कसाया सव्वे सण्णाओ ४ लेसाओ ६ पंच इंदिया पंच समुग्धाता आदिल्ला सण्णी नो असन्नी तिविधवेदा छ पज्जत्तीओ छ अपज्जत्तीओ दिट्ठी तिविधावि तिण्णि दसणा, णाणीवि अण्णाणीवि जेणाणी ते अत्थेगतिया दुणाणी अत्थेगतिया तिन्नाणी जे दुन्नाणी ते नियमा आभिणिबोहियणाणी य सुतणाणी य जे तिन्नाणी ते नियमा आभिणिबोहियणाणी सुत० ओहियणाणी एवं अण्णाणीवि, जोगे तिविहे उवओगे दुविधे आहारो छद्दिसिं उववातो नेरइएहिं जाव अहेसत्तमा तिरिक्खजोणिएसु सव्वेसु असंखेज्जवासाउयवज्जेसु मणुस्सेसु अकम्मभूमगअंतरदीवगअसंखेज्जवासाउयवज्जेसु देवेसु जाव सहस्सारो ठिती जह० अंतोमुहुत्तं उक्को० पुव्वकोडी दुविधावि मरंति, अणंतरं उव्वट्टित्ता नेरइएसु जाव अहेसत्तमा० तिरिक्खजोणियमणुस्सेसु सव्वेसु देवेसु जावई सहस्सारो चउगतिया चउआगतिया परित्ता असंखेज्जा पं०, से तं जलयरा ।३९। से किं तं थलयरा ?, २ दुविहा पं० २०-चउप्पदा य परिसप्पा य, से किं तं चउप्पया ?, २ चउव्विधा पं० २०-एगक्खुरा सो चेव भेदो जाव जे यावन्ने तहप्पकारा०, ते समासतो दुविहा पं० २०-पज्जत्ता य अपज्जत्ता य, चत्तारि सरीर
ओगाहणा जह० अंगुलस्स असंखेज्ज० उक्को छ गाउयाइं ठिती उक्को० तिन्नि पलिओवमाइं नवरं उव्वट्टित्ता नेरइएसु चउत्थपुढवीं गच्छंति सेसं जहा जलयराणं के जाव चउगतिया चउआगतिया परित्ता असंखिज्जा पं०, से तं चउप्पया, से किं तं परिसप्पा ?, २ दुविहा पं० तं०-उरपरिसप्पा य भुयपरिसप्पा य, से किं तं ॥
उरपरिसप्पा ? तहेव आसालियवज्जो भेदो भाणियव्वा (चत्तारि) सरीरा ओगाहणा जह० अंगुलस्स असंखे० उक्को० जोयणसहस्सं ठिती जह० अंतोमुहुत्तं उक्को० पुव्वकोडी उव्वट्टित्ता नेरइएसु जाव पंचमं पुढवीं ताव गच्छंति तिरिक्खजो० मणुस्सेसु सव्वेसु देवेसु जाव सहस्सारो सेसं जहा जलयराणं जाव चउगतिया
चउआगइया परित्ता असंखेज्जा, सेतं उरपरिसप्पा, से किं तं भुयपरिसप्पा ?, भेदो तहेव चत्तारि सरीरगा ओगाहणा जह० अंगुलासंखे० उक्को० गाउयपुहुत्तं ठिती म जह० अंतोमुहुत्तं उक्को० पुव्वकोडी सेसेसु ठाणेसुजहा उरपरिसप्पा णवरं दोच्च पुढवीं गच्छंति, से तं भुयपरिसप्पा, से तं थलयरा ।४० से किं तं खहयरा ?, २ म चउव्विहा पं० त०-चम्मपक्खी तहेव भेदो ओगाहणा जह० अंगुलस्स असंखे० उक्को० धणुपुहृत्तं ठिती जह० अंतोमुहुत्तं उक्को० पलिओवमस्स असंखेज्जतिभागो ५ सेसं जहा जलयराणं नवरं जाव तच्चं पुढवीं गच्छंति जाव से तं खहयरगब्भवक्कंतियपंचेदियतिरिक्खजोणिया, से तं तिरिक्खजोणिया ।४१। से किं तं मणुस्सा ?, roo 59999999999999999 / श्री आगमगुणमंजूषा-८४८595955555555555555555555OOR
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(१४) जीवाजीवाभिगम (१) पडिवत्ति 'दुविह'
[७]
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२ दुविहा पं० त०-संमुच्छिममणुस्सा य गब्भवक्कंतियमणुस्सा य, कहिं णं भंते ! संमुच्छिममणुस्सा संमुच्छंति?, गो० ! अंतो मणुस्सखेत्ते जाव करेंति, तेसिंणं 9 भंते ! जीवाणं कति सरीरगा पं०?, गो० ! तिन्नि सरीरगा पं० तं०-ओरालिए तेयए कम्मए, सेत्तं समुच्छिममणुस्सा, से किं तं गब्भवक्कंतियमणुस्सा?, २ तिविहा
पं० तं०-कम्मभूमया अकम्मभूमगा अंतरदीवगा एवं मणुस्सभेदो भाणियव्यो जहा पण्णवणाए तहा णिरवसेसं भाणियव्वं जाव छउमत्था य केवली य, ते समासतो दुविहा पं० तं०-पज्जत्ता य अपज्जत्ता य, तेसिंणं भंते ! जीवाणं कति सरीरा पं० ?, गो० ! पंच सरीरया पं० तं०-ओरालिए जाव कम्मए, सरीरोगाहणा जहन्नेणं अंगुलअसंखेज्ज० उक्को० तिण्णि गाउयाई छच्चेव संघयणा छसंठाणा, ते णं भंते ! जीवा किं कोहकसाई जाव अकसाई ?, गो० ! सव्वेवि ते णं भंते ! जीवा किं आहारसन्नोवउत्ता जाव नोसन्नोवउत्ता?, गो०! सव्वेवि, ते णं भंते ! जीवा किं कण्हलेसा य जाव अलेसा?,गो० ! सव्वेवि, सोइंदियोवउत्ता जाव नोइंदियोवउत्तावि,
सव्वे समुग्धाता तं०-वेयणासमुग्घाते जाव केवलिसमुग्घाए, सन्नीवि नोसन्नी असन्नीवि इत्थिवेयावि जाव अवेदावि पंच पज्जत्तीओ पंच अपज्ज्जत्तीओ तिविहावि 4 दिट्ठी चत्तारि दंसणा, णाणीवि अण्णाणीवि जे णाणी ते अत्थेगतिया दुणाणी अत्थेगतिया तिणाणी अत्थेगइया चउणाणी अत्थेगतिया एगणाणी जे दुण्णाणी ते नियमा आभिणिबोहियणाणी सुतणाणी यजे तिणाणी ते आभिणिबोहियणाणी य सुतणाणी य ओहिणाणी य अहवा आभिणिबोहियणाणी सुयनाणी मणपज्जवणाणी यजे चउणाणी ते णियमा आभिणिबोहियणाणी सुत० ओहि० मणपज्जवणाणी य जे एगणाणी ते नियमा केवलनाणी एवं अन्नाणीवि दुअन्नाणी तिअण्णाणी मणजोगीवि वइ० काय० अजोगीवि दुविहउवओगो आहारो छद्दिसिं उववातो नेरइएहिं अहेसत्तमवज्जेहिं तिरिक्खजोणिएहिं तो उववाओ असंखेज्जवासाउयवज्जेहिं मणुएहिं अकम्मभूमगअंतरदीवगअसंखेज्जवासाउयवज्जेहिं देवेहिं सव्वेहि ठिती जह० अंतोमुहुत्तं उक्को० तिण्णि पलिओवमाइं दुविधावि मरंति उव्वट्टित्ता नेरइयादिएसु जाव अणुत्तरोववाइएसु अत्थेगतिया सिझंति जाव अंतं करेंति, ते णं भंते ! जीवा कतिगतिया कइआगइया पं०?, गो० ! पंचगतिया चउआगतिया परित्ता संखिज्जा पं०, सेत्तं मणुस्सा।४। से किं तं देवा?,२ चउव्विहा पं० २०-भवणवई वाणमंतरा जोइसिया वेमाणिया, से किं तं भवणवासी ?,२ दसविधा पं० २०-असुरा जाव थणिया से तं भवणवासी, से किं तं वाणमंतरा ?, २ देवभेदो सव्वो भाणियव्वो जाव ते समासतो दुविहा पं० २०-पज्जत्ता य अपज्जत्ता य, तओ सरीरगा-वेउव्विए तेयए कम्मए, ओगाहणा दुविधा-भवधारणिज्जा य उत्तरवेउव्विया य, तत्थ णं जा सा भवधारणिज्जा सा जह० अंगुलस्स असंखेज्जभागं उक्को० सत्त रयणीओ उत्तरवेउव्विया जह० अंगुलस्स संखेज्जति० उक्को जोयणसयसहस्सं, सरीरगा छण्हं संघयणाणं असंघयणी णेवट्ठी णेव छिरा णेव पहारू नेव संघयणमत्थि, जे पोग्गला इट्ठा कता जाव ते तेसिं संघायत्ताए परिणमंति, किंसंठिता?, गोयमा ! दुविहा पं० २०-भवधारणिज्जा य उत्तरवेउव्विया य, तत्थ णं जे ते भवधारणिज्जा ते णं समचउरंससंठिया पं०, तत्थ णं जे ते उत्तरवेउब्विया ते णं नाणासंठाणसंठिया पं०, चत्तारि कसाया चत्तारि सण्णा छ लेस्साओ पंच इंदिया पंच समुग्धाता सन्नीवि असन्नीवि इत्थिवेदावि पुरिसवेदावि नो नपुंसगवेदा, पज्जत्तीअपज्जत्तीओ पंच, दिट्ठी तिन्नि तिण्णि दसणा, णाणीवि अण्णाणीवि, जे नाणी ते नियमा तिण्णाणी अण्णाणी भयणाए, दुविहे उवओगे तिविहे जोगे आहारो णियमा छदिसिं, ओसन्नकारणं पडुच्च वण्णतो हालिद्दसुकिल्लाइं जाव आहारमाहारेति, उववातो तिरियमणुस्सेसु ठिती जह० दस वाससहस्साई उक्को० तेत्तीसं सागरोवमाई दुविधावि मरंति उव्वट्टित्ता नो नेरइएसु गच्छंति तिरियमणुस्सेसु जहासंभवं नो देवेसु गच्छंति दुगतिया दुआगतिया परित्ता असंखेज्जा पं०, से तं देवा, से तं पंचेंदिया, सेत्तं ओराला तसा पाणा।४३। थावरस्सणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पं०?, गो०! जह० अंतोमुहुत्तं उक्को० बावीसं वाससहस्साइं ठिती पं०. तसस्स णं भंते ! केवतियं कालं ठिती पं०?,गो० ! जह० अंतोमुहुर्त उक्को० तेत्तीसं सागरोवमाइं ठिती पं०. थावरेणं भंते ! थावरत्ति कालतो केवच्चिरं होति ?. जह० अंतोमुहुत्तं उक्को० अणंतं कालं अणंताओ उस्सप्पिणीओ (ओसप्पिणीओ) कालतो खेत्ततो अणंता
लोया असंखेज्ना पुग्गलपरियट्टा ते णं पुग्गलपरियट्टा आवलियाए असंखेजतिभागो. तसे णं भंते ! तसत्ति कालतो केवच्चिर होति ?. जह० अंतोमुहत्तं उक्को० २ असंखेज्जं कालं असंखेज्जाओ उस्सप्पिणीओ (ओसप्पिणीओ) कालतो खेत्ततो असंखेज्जा लोगा. थावरस्सणं भंते ! केवति कालं अंतरं होति ?.जहा तससंचिट्ठणाए. Horos5555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा-८४९555555559rrrrrrrrrrrrrrrrrries
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(१४) जीवाजीवाभिगम (२) पडिवत्ति 'तिविह'
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तसस्स णं भंते ! केवतिकालं अंतरं होति?. जह० अंतोमुहुत्तं उक्को वणस्सइकालं. एएसिंणं भंते ! तसाणं थावराणं य कतरे कतरेहितो अप्पा वा बहुया वा तुल्ला वा विसेसाहिया वा ?, गो० ! सव्वत्थोवा तसा थावरा अणंतगुणा. सेत्तं .दुविधा संसारसमावण्णगा जीवा पं० X ४४॥ दुविहपडिवत्ती समत्ता १ ॥ तत्थ णं जे ते एवमाहंसु तिविधा संसारसमावण्णगा जीवा पं० ते एवमाहंसु तं०-इत्थी पुरिसा णपुंसका।४५/से किं तं इत्थीओ?, २ तिविधाओ पं० तं०-तिरिक्खजोणिणीओ मणुस्सित्थीओ देवित्थीओ. से किं तं तिरिक्खजोणित्थीओ?.२ तिविधाओ पं० तं०-जलयरीओ थलयरीओ खहयरीओ. से किं तं जलयरीओ ?. २ पंचविधाओ पं० २०-मच्छीओ जाव सुंसुमारीओ. से किं तं थलयरीओ ?.२ दुविधाओ पं० तं०-चउप्पदीओ य परिसप्पीओ य. से किं तं चउप्पदीओ?.२ चउविधाओ पं० तं०-एगखुरीओ जाव सणप्फईओ, से किं तं परिसप्पीओ?.२ दुविहा पं० २०-उरपरिसप्पीओ य भुजपरिसप्पीओ य. से किं तं उरपरिसप्पीओ?.२ तिविधाओ पं० तं०-अहीओ अयगरीओ महोरगाओ, सेत्तं उरपरिसप्पीओ. से किं तं भुयपरिसप्पीओ ?. २ अणेगविधाओ पं० तं०सेरडीओ सेरंधीओ गोहीओणउलीओसेधाओ सण्णाओ सरडीओ भावाओ खाराओ पवण्णाइयाओ चउप्पइयाओ मूसियाओ मुगुसियाओ घरोलियाओ गोव्हियाओ जोव्हियाओ विरचिरालियाओ. सेत्तं भुयपरिसप्पीओ. से किं तं खहयरीओ ?,२ चउव्विधाओ पं० तं०-चम्मपक्खीओ जाव सेत्तं खहयरीओ. सेत्तं तिरिक्खजोणिणीओ. से किं तं मणुस्सीओ?. २ तिविधाओ पं० तं०-कम्मभूमियाओ अकम्मभूमियाओ अंतरदीवियाओ, से किं तं अंतरदीवियाओ?.२ अट्ठावीसतिविधाओ पं० तं०-एगूरूइयाओ आभासियाओ जाव सुद्धदंतीओ. सेत्तं अंतरदीवियाओ से किं तं अकम्मभूमियाओ?.२ तीसविधाओ पं० तं०-पंचसु हेमवएसुपंचसु एरण्णवएसुपंचसु हरिवंसेसुपंचसु रम्मगवासेसु पंचसु देवकुरासु पंचसु उत्तरकुरासु, सेत्तं अकम्म०. से किं तं कम्मभूमिया?, २ पण्णरसविधाओ
पं० तं०-पंचसु भरहेसु पंचसु एरवएसु पंचसु महाविदेहेसु, सेत्तं कम्मभूमगमणुस्सीओ, सेत्तं मणुस्सित्थीओ । से किं तं देवित्थियाओ ?. २चउब्विधा पं० २०9 भवणवासिदेवित्थियाओ वाणमंतरदेवि० जोतिसि० वेमाणिय०, से किं तं भवणवासिदेवित्थियाओ?. २ दसविहा पं० तं०-असुरकुमारभवणवासिदेवित्थियाओ ॐ जाव थणित०, से तं भवणवासिदेवित्थियाओ. से किं तं वाणमंतरदेवित्थियाओ ?, २ अट्ठविधाओ पं० २०-पिसायवाणमंतरदेवित्थियाओ जाव से तं
वाणमंतरदेवित्थियाओ. से किं तं जोतिसियदेवित्थियाओ?.२ पंचविधाओ पं० २०-चंदविमाणजोतिसियदेवित्थियाओ सूर० गह० नक्खत्त० ताराविमाण० सेत्तं जोतिसित्थियाओ. से किं तं वेमाणियदेवित्थियाओ?.२ दुविहा पं० तं०-सोहम्मकप्पवेमाण० ईसाणकप्पवेमाण० सेत्तं वेमाणित्थीओ।४६। इत्थी णं भंते ! केवतियं कालं ठिती पं० ?, गो० ! एगेणं आएसेणं जह० अंतोमुहुत्तं उक्को० पणपण्णं पलिओवमाई एक्केणं आदेसेणं जह० अंतोमुहुत्तं उक्को० णव पलिओवमाइं एगेणं आदेसेणं जह० अंतोमुहुत्तं उक्को० सत्त पलिओवमाई एगेणं आदेसेणं जह० अंतोमुहुत्तं उक्को० पण्णासं पलिओवमाई।४७। तिरिक्खजोणित्थीणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पं०?, गो० ! जह० अंतोमुहुत्तं उक्को० तिण्णि पलिओवमाइं, जलयरतिरिक्खजोणित्थीणं भंते ! केवइयं कालं ठिती पं०?, गो० ! जह० अंतो० उक्को० पुव्वकोडी, चउप्पदथलयरतिरिक्खजोणित्थीणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पं० ?, गो० ! जहा तिरिक्खजोणित्थीओ. उरपरिसप्पथलयरतिरिक्खजोणित्थीणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पं० ?, गो० ! जह० अंतोमुहुत्तं उक्कोसं पुव्वकोडी. एवं भुयपरिसप्प०, एवं खहयरतिरिक्खित्थीणं जह० अंतोमुहुत्तं उक्को० पलिओवमस्स असंखेज्जतिभागो. मणुस्सित्थीणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पं०?, गो०! खेत्तं पडुच्च जह० अंतो० उक्कोतिण्णि पलिओवमाइं धम्मचरणं पडुच्च जह० अंतो० उक्को० देसूणा पुव्वकोडी, कम्मभूमयमणुस्सित्थीणं भंते ! केवइयं कालं ठिती पं०?, गो० ! खित्तं पडुच्च जह० अंतोमुहुत्तं उक्को० तिन्नि पलिओवमाइं धम्मचरणं पडुच्च जह० अंतोमुहुत्तं उक्को० देसूणा पुव्वकोडी, भरहेरवयकम्मभूमगमणुस्सित्थीणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पं०?, गो० ! खेत्तं पडुच्च जह० अंतोमुहुत्तं उक्को० तिन्नि पलिओवमाइं धम्मचरणं पडुच्च जह० अंतो० उक्को० देसूणा पुव्वकोडी पुव्वविदेहअवरविदेहकम्मभूमगमणुस्सित्थीणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पं०?, गो०! खेत्तं
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(१४) जीवाजीवाभिगम (पडिवत्ति 'तिविह'
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पडुच्च जह० अंतो० उक्को० पुव्वकोडी धम्मचरणं पडुच्च जह० अंतोमुहुत्तं उक्को० देसूणा पुव्वकोडी, अकम्मभूमगमणुस्सित्थीणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पं०?, गो० ! जम्मणं पडुच्च जह० देसूणं पलिओवमं असंखेज्जतिभागऊणगं उक्को० तिन्नि पलिओवमाइं संहरणं पडुच्च जह० अंतोमुहत्तं उक्को० देसूणा पुव्वकोडी हेमवएरण्णवए जम्मणं पडुच्च जह० देसूणं पलिओवमं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागेण ऊणगं उक्को० पलिओवमं संहरणं पडुच्च जह० अंतोमुहुत्तं उक्को० देसूणा पुव्वकोडी, हरिवासरम्मयवासअकम्मभूमगमणुस्सित्थीणं भंते ! केवइयं कालं ठिई पं०?, गो० ! जम्मणं पडुच्च जह० देसूणाई दो पलिओवमाइं पलिओवमस्स असंखेज्जतिभागेण ऊणयाइं उक्को० दो पलिओवमाइं संहरणं पडुच्च जह० अंतो० उक्को० देसूणा पुव्वकोडी, देवकुरूउत्तरकुरूअकम्मभूमगमणुस्सित्थीणं भंते ! केवतियं कालं ठिई पं०?, गो० ! जम्मणं पडुच्च जह० देसूणाई तिण्णि पलिओवमाइं पलिओवमस्स असंखेज्जतिभागेण ऊणयाइं उक्को० तिन्नि पलिओवमाई संहरणं पडुच्च जह० अंतोमुहु० उक्को० देसूणा पुव्वकोडी. अंतरदीवगअकम्मभूमगमणुस्सित्थीणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पं०?, गो० ! जम्मणं पडुच्च जह० देसूणं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागं पलिओवमस्स असंखेजतिभागेण ऊणयं उक्को० पलिओवमस्स असंखेज्जइभागं संहरणं पडुच्च जह० अंतोमु० उक्को० देसूणा पुव्वकोडी, देवित्थीणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पं०?, गो० ! जह० दसवाससहस्साई उक्को० पणपण्णं पलिओवमाई, भवणवासिदेवित्थीणं भंते !०?, जह० दसवाससहस्साई उक्को० अद्धपंचमाइंपलिओवमाई, एवं असुरकुमारभवणवासिदेवित्थियाए, नागकुमारभवणवासिदेवित्थि-याएविजह० दसवाससहस्साई उक्को० देसूणं पलिओवमं, एवं सेसाणवि जाव थणियकुमाराणं, वाणमंतरीणं जह० दसवाससहस्साई उक्को० अद्धपलिओवमं, जोइसियदेवित्थीणं भंते ! केवइयं कालं ठिती पं ?, गो० ! जह० पलिओवमअट्ठभागं उक्को० अद्धपलिओवमं पण्णासाए वाससहस्सेहिं अब्भहियं चंदविमाणजोतिसियदेवित्थियाए जह० चउभागपलिओवमं उक्को० तं चेव सूरविमाणजोतिसियदेवित्थियाए जह० चउभागपलिओवम उक्को० अद्धपलिओवमं पंचहिं वाससएहिमब्भहियं गहविमाणजोतिसियदेवित्थीणं जह० चउभागपलिओवम उक्को० अद्धपलिओवमं णक्खत्तविमाणजोतिसियदेवित्थीणं जह० चउभागपलिओवमं उक्को० चउभागपलिओवमं साइरेगं ताराविमाणजोतिसियदेवित्थियाए जह० अट्ठभागं पलिओवमं उक्को० सातिरेगं अट्ठभागपलिओवमं, वेमाणियदेवित्थियाए जह० पलिओवर्म उक्को० पणपन्नं पलिओवमाइं, सोहम्मकप्पवेमाणियदेवित्थीणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पं०१, जह० पलिओवमं उक्को० सत्त पलिओवमाइं, ईसाणदेवित्थीणं० जह० सातिरेगं पलिओवमं उक्को० णव पलिओवमाई।४८। इत्थी णं भंते ! इत्थित्ति कालतो केवच्चिरं होइ ?, गो०! एक्केणादेसेणं जह० एक्कं समयं उक्कोसं दसुत्तरं ॥ पलिओवमसयं पुव्वकोडिपुहुत्तमब्भहियं एक्केणादेसेणं जह० एक्कं समयं उक्को० अट्ठारस पलिओवमाइं पुवकोडिपुहुत्तमब्भहियाइं एक्केणादेसेणं जह० एवं समयं ॥ उक्को० चउद्दस पलिओवमाइं पुवकोडिपु० एक्केणादेसेणं जह० एक्कं समयं उक्को० पलिओवमसयं पुव्वकोडीपु० एक्केणादेसेणं जहण्णेणं एवं समयं उक्को० पलिओवमपुहुत्तं पुव्वकोडीपु०, तिरिक्खजोणित्थी णं भंते ! तिरिक्खजोणित्थीत्ति कालओ केवच्चिरं होति?, गो० ! जह० अंतोमुहुत्तं उक्को० तिन्नि पलिओवमाइं पुव्वकोडीपुहु० जलयरीए जह० अंतोमुहुत्तं उक्को० पुव्वकोडिपुहुत्तं, चउप्पदथलयरतिरिक्खित्थीणं० जहा ओहिता तिरिक्ख० उरपरिसप्पिभुयगपरिसप्पित्थीणं जधाजलयरीणं, खहयरि० जह० अंतोमुहुत्तं उक्को० पलिओवमस्स असंखेजतिभागं पुव्वकोडिपुहु०, मणुस्सित्थी णं भंते ! कालओ केवच्चिरं होति?, गो० ! खेत्तं पडुच्च जह० अंतोमुहुत्तं उक्को० तिन्नि पलिओवमाई पुव्वकोडिपुहुत्त० धम्मचरणं पडुच्च जह० एक्कं समयं उक्को० देसूणा पुव्वकोडी, एवं कम्मभूमियावि भरहेरयावि णवरं खेत्तं पडुच्च जह० अंतो० उक्को० तिन्नि पलिओवमाइं देसूणपुव्वकोडीअब्भहियाइं धम्मचरणं पडुच्च जह० एक्कं समयं उक्कोन्देसूणा पुव्वकोडी, पुव्वविदेहअवरविदेहित्थीणं खेत्तं पडुच्च जह० अंतो० उक्को० पुवकोडीपुहुत्तं धम्मचरणं पडुच्च जह० एक्कं समयं उक्को देसूणा पुव्वकोडी, अकम्मभूमगमणुस्सित्थीणं भंते ! अकम्मभूम० कालओ केवच्चिरं होइ ?, गो० ! जम्मणं पडुच्च जह० देसूणं पलिओवमं पलिओवमस्स असंखेजतिभागेणं ऊणं उक्को० तिण्णि पलिओवमाई
संहरणं पडुच्च जह० अंतो० उक्को० तिन्नि पलिओवमाई देसूणाए पुव्वकोडीए अब्भहियाई. हिमवतेरणवतअकम्मभूमगमणुस्सित्थीणं भंते ! हेम० कालतो केवच्चिरं meros1555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ८५१ 555555555555555555555555555IOR
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(१४) जीवाजीवाभिगम (२) पडिवत्ति 'तिविह'
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होइ ?; गो० ! जम्मणं पडुच्च जह० देसूणं पलिओवमं पलिओवमस्स असंखेजतिभागेणं ऊणगं उक्को० पलिओवमं साहरणं पडुच्च जह० अंतोमु० उक्को० पलिओवमं देसूणाए पुव्वकोडीए अब्भहियं, हरिवासरम्मयअकम्मभूमगमणुस्सित्थीणं भंते!० जम्मणं पडुच्च जह० देसूणाई दो पलिओवमाई पलिओवमस्स असंखेज्जतिभागेणं ऊणगाइं उक्को० दो पलिओवमाइं संहरणं पडुच्च जह० अंतोमु० उक्को० दो पलिओवमाइं देसूणपुव्वकोडिमब्भहियाई, उत्तरकुरूदेवकुरूणं० जम्मणं पडुच्च जह० देसूणाई तिन्नि पलिओवमाइं पलितोवमस्स असंखेजभागेणं ऊणगाइं उक्को० तिन्नि पलिओवमाइं संहरणं पडुच्च जह० अंतोमु०उक्को तिन्नि पलिओवमाइं देसूणाए पुवकोडिए अब्भहियाई, अंतरदीवगकम्मभूमगमणुस्सित्थीणं०?, जम्मणं पडुच्च जह० देसूणं पलिओवमस्स असंखेजतिभागं पलिओवमस्स असंखेज्जतिभागेणं ऊणं उक्को० पलिओवमस्स असंखेज्जतिभागं साहरणं पडुच्च जह० अंतोमु० उक्को० पलिओवमस्स असंखेजतिभागं देसूणाए पुव्वकोडीए अब्भहियं, देवित्थी णं भंते ! देवित्थित्ति काल० जच्चेव संचिट्ठणा ।४९। इत्थीणं भंते ! केवतियं कालं अंतरं होति ?. गो० ! जह० अंतोमु० उक्को० अणंतं कालं वणस्सतिकालो, एवं सव्वासिं तिरिक्खित्थीणं, मणुस्सित्थीए खेत्तं पडुच्च जह० अंतो० उक्को वणस्सतिकालो धम्मचरणं पडुच्च जह० एक्कं समयं उक्को० अणंतं कालं जाव अवड्ढपोग्गलपरियढें देसूणं एवं जाव पुव्वविदेहअवरविदेहित्थियाओ, अकम्मभूमगमणुस्सित्थीणं भंते ! केवतियं कालं अंतरं होति ?, गो० ! जम्मणं पडुच्च जहन्नं दसवासहस्साइं अंतोमुहुत्तमब्भहियाई उक्को० वरस्सतिकालो संहरणं पडुच्च जह० अंतोमु० उक्को० वणस्सतिकालो, एवं जाव अंतरदीवियाओ, देवित्थियाणं सव्वासिं जह० अंतो० उक्को० वणस्सतिकालो ।५०। एतासिं णं भंते ! तिरिक्खजोणित्थियाणं मणुस्सित्थियाणं देवित्थियाणं कतरा० ?. गो० ! सव्वत्थोवा मणुस्सित्थियाओ तिरिक्खजोणित्थियाओ असंखेज्जगुणाओ देवित्थियाओ असंखिज्जगुणाओ, एतासिं णं भंते ! तिरिक्खजोणित्थियाणं जलयरीणं थलयरीणं खहयरीण य कतरा०?. गो० ! सव्वत्थोवाओ खहयरतिरिक्खजोणित्थियाओ थलयरतिरिक्खजोणित्थियाओ संखेजगुणाओ जलयरतिरिक्ख० संखेजगुणाओ, एतासिंणं भंते ! मणुस्सित्थीणं कम्मभूमियाणं अकम्मभूमियाणं अंतरदीवियाणं य कतरा० ?, गो० ! सव्वत्थोवाओ अंतरदीवगअकम्मभूमगमणुस्सित्थियाओ देवकुरूत्तरकुरूअकम्मभूमगमणुस्सित्थियाओ दोवि तुल्लाओ संखेज्जगु० हरिवासरम्मयवासअकम्मभूमगमणुस्सित्थियाओ दोवि तुल्लाओ संखेजगु० हेमवतेरण्णवयअकम्मभूमगमणुस्सित्थियाओ दोवि तुल्लाओ संखेज्जगु० भरतेरवतवासकम्मभूमगमणुस्सि० दोवि तुल्लाओ संखिज्जगुणाओ पुव्वविदेहअवरविदेहकम्मभूमगमणुस्सित्थियाओ दोवि तुल्लाओ संखेज्जगुणाओ. एतासिंणं भंते ! देवित्थियाणं भवणवासिणीणंवाणमंतरीणं जोइसिणीणं वेमाणिणीण ॥ य कयरा०?, गो० ! सव्वत्थोवाओवेमाणियदेवित्थियाओ भवणवासिदेवित्थियाओ असंखेज्जगुणाओवाणमंतरदेवित्थिओ असंखेज्जगुणाओ जोतिसियदेवित्थियाओ संखेज्जगुणाओ, एतासिंणंभंते ! तिरिक्खजोणित्थियाणंथलयरीणं जलयरीणं खहयरीणं मणुस्सित्थीयाणं कम्मभूमियाणं अकम्मभूमियाणं अंतरदीवियाणं देवित्थीणं भवणवासिणीणं वाणमंतरीणं जोतिसिणीणं वेमाणिणीण य कयरा कयराहिंतो अप्पा० ?, गो० ! सव्वत्थोवा अंतरदीवगअकम्मभूमगमणुस्सित्थि-याओ देवकु रू उत्तरकु रू अकम्मभूमगमणुस्सित्थियाओ दोवि संखेज्जगुणाओ हरिवासरम्मगवासअकम्मभूमगमणुस्सित्थियाओ दोऽवि संखेज्जगु० हेमवतेरणवयवासअकम्मभूमग० दोऽवि संखेजगु० भरहेरवतवासकम्मभूमगमणुस्सित्थीओ दोऽवि तुल्लाओ संखेज्जगु० पुव्वविदेहअवरविदेहवासकम्मभूमगमणुस्सित्थियाओ दोऽवि संखेज्जगु० वेमाणियदेवित्थियाओ असंखेज्जगु० भवणवासिदेवित्थियाओ असंखेज्जगु० खहयरतिरिक्खजोणित्थियाओ असंखेज्जगु० थलयरतिरिक्खजोणित्थियाउ संखिज्जगु० जलयरतिरिक्खजोणित्थियाओ संखेज्जगुणाओ वाणमंतरदेवित्थियाओ
संखेज्जगुणाओ जोइसियदेवित्थियाओ संखेजगुणाओ।५१। इत्थिवेदस्स णं भंते ! कम्मस्स केवइयं कालं बंदठिती पं० ?, गो० ! जह० सागरोवमस्स दिवड्डो ॐ सत्तभागो पलिओवमस्स असंखेजतिभागेण ऊणो उक्को० पण्णरस सागरोवमकोडाकोडीओ पण्णरस वाससयाई अबाधा अबाहूणिया कम्महिती कम्मणिसेओ,
इत्थिवेदेणं भंते ! किंपगारे पं०?, गो० ! फुफुअग्गिसमाणे पं०, सेत्तं इत्थियाओ।५२। से किं तं पुरिसा?, २ तिविहा पं० २० तिरिक्खजोणियपुरिसा मणुस्सपुरिसा Exerci55555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ८५२ 555555555555555555555; FOLOR
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(१४) जीवाजीवाभिगम (२) पडिवत्ति 'तिविह'
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देवपुरिसा, से किं तं तिरिक्खजोणियपुरिसा ?, २ तिविहा पं० तं० जलयरा थलयरा खहयरा, इत्थिभेदो भाणितव्वो जाव खहयरा, सेत्तं खहयरा, सेत्तं खहयरतिरिक्खजोणियपुरिसा, से किं तं मणुस्सपुरिसा ?, २ तिविधा पं० तं०- कम्मभूमगा अकम्मभूमगा अंतरदीवगा, सेत्तं मणुस्सपुरिसा, से किं तं देवपुरिसा ?, देवपुरिसा चउव्विहा पं० इत्त्थीभेदो भाणिव्वो जाव सव्वट्टसिद्धा । ५३ । पुरिसवेदस्स णं भंते! केवतियं कालं ठिती पं० १, गो० ! जह० अंतोमु० उक्को० तेत्तीसंसागरोवमाइं, तिरिक्खजोणियपुरिसाणं मणुस्साणं जा चेव इत्थिणं ठिती सा चेव भाणियव्वा, देवपुरिसाणवि जाव सव्वट्ठसिद्धाणंति ताव ठिती जहा पण्णवणाए तहा भाणियव्वा । ५४ । पुरिसे णं भंते! पुरिसेत्ति कालतो केवच्चिरं होइ ?, गो० ! जह० अंतो० उक्को० सागरोवमसतपुहुत्तं सातिरेगं, तिरिक्खजोणियपुरिसे णं भंते! कालतो केविच्चरं होइ ?, गो० ! जह० अंतो० उक्को० तिन्नि पलिओवमाइं पुव्वको डिपुहुत्तमब्भहियाई, एवं तं चेव संचिट्टणा जहा इत्थीणं जाव खहयरतिरिक्खजोणियपुरिस्स संचिट्टणा, मणुस्सपुरिसाणं भंते! कालतो केवच्चिरं होइ ?, गो० ! खेत्तं पडुच्च जह० अंतो० उक्को० तिन्नि पलिओवमाई पुव्वकोडिपुहुत्तमब्भहियाइं धम्मचरणं पडुच्च जह० अंतो० उक्को० देसूणा पुव्वकोडी, एवं सव्वत्थ जाव पुव्वविदेहअवरविदेहअकम्मभूमगमणुस्सपुरिसाणं जहा अकम्मभूमकमणुस्सित्थीणं जाव अंतरदीवगाणं जच्चेव ठिती सच्चेव संचिट्ठणा जाव सव्वठ्ठसिद्धगाणं । ५५ । पुरिसस्स णं भंते! केवतियं कालं अंतरं होइ ?, गो० ! जह० एक्कं समयं उक्को० वणस्सतिकालो, तिरिक्खजोणियपुरिसाणं जह० अंतोमु० उक्को० वणस्सतिकालो, एवं जाव खहयरतिरिक्खजोणियपुरिसाणं, मणुस्सपुरिसाणं भंते ! केवतियं कालं अंतरं होइ ?, गो० ! खेत्तं पडुच्च जह० अंतोमु० उक्को० वणस्सतिकालो धम्मचरणं पडुच्च जह० एक्कं समयं उक्को० अणतं कालं अनंताओ उस्स० जाव अवढपोग्गलपरियट्टं देसूणं, कम्मभूमकाणं जाव विदेहो जाव धम्मचरणे एक्को समओ सेसं जहित्थीणं जाव अंतरदीवकाणं, देवपुरिसाणं जह० अंतो० उक्को० वणस्सतिकालो, भवणवासिदेवपुरिसाणं तावजाव सहस्सारो जह० अंतो० उक्को० वणस्सतिकालो. आणतदेवपुरिसाणं भंते! केवतियं कालं अंतरं होइ ?, गो० ! जह० वासपुहुत्तं उक्को० वणस्सतिकालो एवं जाव गेवेज्जदेवपुरिसस्सवि, अणुत्तरोववातियदेवपुरिसस्स जह० वासपुहुत्तं उक्को० संखेज्जाई सागरोवमाई | ५६ । अप्पाबहुयाणि जहेवित्थीणं जाव एतेसिं णं भंते! देवपुरिसाणं भवणवासीणं वाणमंतराणं जोतिसियाणं वेमाणियाण य कतरे० ? ! सव्वत्थोवा वेमणियदेवपुरिसा भवणवइदेवपुरिसा असंखे० वाणमंतरदेवपुरिसा असंखे० जोतिसिया देवपुरिसा संखेज्जगुणा, एतेसिं णं भंते! तिरिक्खजोणियपुरिसाणं जलयराणं थलयराणं खयराणं मणुस्सपुरिसाणं कम्मभूमकाणं अकम्मभूमकाणं अंतरदीव० देवपुरिसाणं भवणवासीणं वाणमंतराणं जोइसियाणं वेमाणियाणं सोधम्माणं जाव सव्वसिद्धगाण य कतरे० जाव विसेसाहिया वा ?, गो० ! सव्वत्थोवा अंतरदीवगमणुस्सपुरिसा देवकुरूत्तरकुरुअकम्मभूमगमणुस्सपुरिसा दोवि संखेज्ज० हरिवासरम्मगवास अक० दोवि संखेज्जगुणा हेमवतहेरण्णवतवासअकम्म० दोवि संखि० भरहेरवतवासकम्मभूमगमणु० दोवि संखे० पुव्वविदेहअवरविदेहकम्मभू० दोवि संखे० अणुत्तरोववातियदेवपुरिसा असंखि० उवरिमगेविज्जदेवपुरिसा संखेज्ज० मज्झिमगेविज्जदेवपुरिसा संखेज्ज० हेट्ठिमगेविज्जदेवपुरिसा संखे० अच्चुयकप्पदेवपुरिसा संखे० जाव आणतकप्पदेवपुरिसा संखेज्ज० सहस्सारकप्पदेवपुरिसा असंखे० महासुक्क कप्पदेवपुरिसा असंखे० जाव माहिंदकप्पदेवपुरिसा असंखे० सणकुमारकप्पदेवपुरिसा असं० ईसाणकप्पदेवपुरिसा असंखे० सोधम्मकप्पदेवपुरिसा संखे० भवणवासिदेवपुरिसा असंखे० खहयरतिरिक्ख० असंखे० थलयरतिरिक्खजोणियपुरिसा संखे० जलयरतिरिक्खजोणियपुरिसा संखे० वाणमंतरदेवपुरिसा संखे० जोतिसियदेवपुरिसा संखेज्जगुणा । ५७ । पुरिसवेदस्स भंते ! कम्मस्स केवतियं कालं बंधट्टिती पं० १, गो० ! जह० अट्ठ संवच्छराणि उक्को० दस सागरोवमकोडाकोडीओ दसवाससयाई अबाहा अबाहूणिया कम्मठि कम्मणिसेओ, पुरिसवेदे णं भंते! किंपकारे पं० ? गो० ! वणदवग्गिजालसमाणे पं०, सेत्तं पुरिसा । ५८ । से किं तं णपुंसका १, २ तिविहा पं० तं० - नेरइयनपुंसका तिरिक्खजोणियनपुंसका मणुस्सणपुसंका से किं तं नेरइयनपुंसका १, २ सत्तविधा पं तं०- रयणप्पभापुढविनेरइयनपुंसका जाव अधेसत्तमपुढविनेरइयणपुंसका, से तं नेरइयनपुंसका, से किं तं तिरिक्खजोणियणपुंसका १, २ पंचविधा पं० तं०- एगिंदियतिरिक्खजोणियनपुंसका बेइंदि० तेइंदि० चउ०
COOK श्री आगमगणमंजुषा - ८५३ फफफफफफफफफफफ
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(१४) जीवाजीवाभिगम
पडिवत्ति तिविह
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पंचेदियतिरिक्खजोणियणपुंसका, से किं तं एगिदियतिरिक्खजोणियनपुंसका ?, २ पञ्जविधा पं० तं० - पु० आउ० तेउ० वाउ० वण० सेत्तं + एगिदियतिरिक्खजोणियणपुंसका, से किं तं बेइंदियतिरिक्ख०?, अणेगविधा पं० सेत्तं बेइंदियतिरिक्खजोणिय०, एवं तेइंदियावि चउरिदियावि, से किं तं 5 पंचेदियतिरिक्खजोणियणपुंसका ?, २ तिविधा पं तं०- जलयरा थलयरा खहयरा, से किं तं जलयरा ?, सो चेव इत्थिभेदो आसालियसहितो भाणियव्वो, से तं . पंचेदियतिरिक्खजोणियणपुसंका, से किं तं मणुस्सनपुंसका?, २ तिविधा पं० तं० - कम्मभूमगा अकम्मभूमगा अंतरदीवका भेदा भाणियव्वा । ५९ । णपुंसकस्स
णं भंते ! केवतियं कालं ठिती पं०?, गो० ! जह० अंतो० उक्को० तेत्तीसं सागरोवमाइं, नेरइयनपुंसगस्स णं भंते ! केवतियं कालं ठिती पं०?, गो० ! जह० ॐ दसवाससहस्साइं उक्को० तेत्तीसं सागरोवमाई, सेव्वसिं ठिती भाणियव्वा जाव अहेसत्तमापुढवीनेरइया, तिरिक्खजोणियणपुंसकस्स णं भंते ! केवइयं कालं ठिती पं० ?, गो० ! जह० अंतो० उक्को० पुव्वकोडी एगिदियतिरिक्खजोणियणपुंसक० जह० अंतो० उक्को० बावीसं वाससहस्साइं,
पुढवीकाइयएगिदियतिरिक्खजोणियणपुंसकस्स णं भंते ! केवतियं कालं ठिती पं०?, जह० अंतो० उक्को० बावीसं वाससहस्साइं सव्वेसिं एगिदियणपुंसकाणं म ठिती भाणियव्वा, बेइंदियतेइंदियचउरिदियणपुंसकाणं ठिती भाणितव्वा, पंचिदियतिरिक्खजोणियणपुंसकस्स णं भंते ! केवतियं कालं ठिती पं०?, गो० ! जह० + अंतो० उक्को० पुव्वकोडी एवं जलयरतिरिक्खचउप्पदथलयरउरपरिसप्पभुयपरिसप्पखहयरतिरिक्ख० सव्वेसिंजह० अंतो० उक्को० पुव्वकोडी, मणुस्सणपुसंकस्स
णं भंते ! केवतियं कालं ठिती पं०?, गो० ? खेत्तं पडुच्च जह० अंतो० उक्को० पुव्वकोडी धम्मचरणं पडुच्च जह० अंतो० उक्को० देसूणा पुव्वकोडी, कम्मभूमगभरहे4 (१५२) रवयपुव्वविदेहअवरविदेहमणुस्सणपुंसकस्सवि तहेव, अकम्मभूमगमणुस्सणपुंसकस्स णं भंते ! केवतियं कालं ठिती पं०?, गो० ! जम्मणं पडुच्च जह०
अंतो० उक्को० अंतोमु० साहरणं पडुच्च जह० अंतो० उक्को० देसूणा पुवकोडी, एवं जाव अंतरदीवकाणं, णपुंसए णं भंते ! णपुंसएत्ति कालतो केवञ्चिरं होइ ?, गो० ! जह० एक्कं समयं उक्को० तरूकालो, णेरइयणपुंसए णं भंते ! ०, गो० ! जह० दसवाससहस्साई उक्को० तेत्तीसं सागरोवमाई एवं पुढवीए ठिती भाणियव्वा, तिरिक्खजोणियणपुंसए णं भंते ! ति?, गो० ! जह० अंतो० उक्को० वणस्सतिकालो एवं एगिदियणपुंसकस्स, वणस्सतिकाइयस्सवि एवमेव, सेसाणं जह० अंतो० उक्को० असंखिज्जं कालं असंखेज्जाओ उस्सप्पिणीओसप्पिणीओ कालतो खेत्तओ असंखेज्जा लोया, बेइंदियतेइंदियचउरिदियनपुंसकाण य जह० अंतो० उक्को० संखेज्नं कालं, पंचिंदियतिरिक्खजोणियणपुंसए णं भंते !० ?, गो० ! जह० अंतो० उक्को० पुव्वकोडिपुहुत्तं एवं जलयरतिरिक्खचउप्पदथलचरउरपरिसप्पभुयपरिसप्पमहोरगाणवि, मणुस्सणपुंसकस्सणं भंते !०?, खेत्तं पडुच्च जह० अंतो० उक्को० पुव्वकोडिपुहुत्तं धम्मचरणं पडुच्च जह० एक्कं समयं उक्को० देसूणा पुव्वकोडी, एवं कम्मभूमगभरहेरक्यपुव्वविदेहअवरविदेहेसुवि भाणियव्वं, अकम्मभूमगमणुस्सणपुंसए णं भंते !०?, जम्मणं पडुच्च जह० अंतो० उक्को० मुहुत्तपुहुत्तं साहरणं पडुच्च जह० अंतो० उक्को० देसूणा पुव्वकोडी एवं सव्वेसिं जाव अंतरदीवगाणं, णपुंसकस्सणं भंते ! केवतियं कालं अंतरं होइ ?, गो० ! जह० अंतो० उक्को० सागरोवमसयपुहुत्तं सातिरेगें, णेरइयणपुंसकस्स णं भंते ! केवतियं कालं अंतर होइ ?, गो० ! जह० अंतो० उक्को० तरूकालो, रयणप्पभापुढवीनेरइयणपुंसकस्स जह० अंतो० उक्को० तरूकालो, एवं सव्वेसिं जाव अहेसत्तमा, तिरिक्खजोणियणपुंसकस्स० ?, जह० अंतो० उक्को० सागरोवमसयपुहुत्तं सातिरेगं, एगिदियतिरिक्खजोणियणपुंसकस्स जह० अंतो० उक्को० दो सागरोवमसहस्साइं संखेनवासमब्भहियाई, पुढवीआउतेउवाऊणं जह० अंतो० उक्को० वणस्सइकाला, वणस्सतिकाइयाणं जह० अंतो० उक्को० असंखेजं कालं जाव असंखेजा लोया, सेसाणं बेइंदियादीणं जाव खहयराणं जह० ॥
अंतो० उक्को० वणस्सतिकालो, मणुस्सणपुंसकस्स खेत्तं पडुच्च जह० अंतो० उक्को० वणस्सतिकालो धम्मचरणं पडुच्च जह० एगं समयं उक्को० अणंतं कालं जाव फ अवड्ढपोग्गलपरियट्टू देसूणं एवं कम्मभूमकस्सवि भरतेरवतस्स पुव्वविदेहअवरविदेहकस्सवि, अकम्मभूमकमणुस्सणपुंसकस्स णं भंते ! केवतियं कालं० ?,
जम्मणं पडुच्च जह० अंतो० उक्को० वणस्सतिकालो संहरणं पडुच्च जह० अंतो० उक्को० वणस्सतिकालो एवं जाव अंतरदीवगत्ति ।६० एतेसिंणंभंते ! णेरइयणपुंसकाणं reOS555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ८५४ 555555555 5FOOR
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(१४) जीवाजीवाभिगम (२) पडिवत्ति 'तिविह'
तिरिक्खजोणियनपुंसकाणं मणुस्सणपुंसकाण य कयरे० ?, गो० ! सव्वत्थोवा मणुस्सणपुंसका नेरइयनपुंसगा असंखेज्जगुणा तिरिक्खजोणियणपुंसका अणंतगुणा, एतेसिं णं भंते ! रयणप्पहापुढवीणेरइयणपुंसकाणं जाव अहेसत्तमपुढविणेरड्यणपुंसकाण य कयरे० ?, गो० ! सव्वत्थोवा आहेसत्तमपुढविनेरइयणपुंसका छपुढविणेरइयणपुंसका असंखेज्नगुणा जाव दोच्चपुढविणेरइयणपुंसका असंखेज्जगुणा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए णेरइयणपुंसका असंखेज्जगुणा, एतेसिं णं भंते ! तिरिक् खजोणियणपुंसकाणं एगिंदियतिरिक् खजोणियणपुंस-काणं पुढवीकाइय जाव वणस्सतिकाइयएगिदियतिरिक् खजोणियणपुंसकाणं बेइंदियतेइंदियचउरिदियतिरिक्खजोणियणपुंसकाणं जलयराणं थलयराणं खहयराण य कतरे० १, गो० ! सव्वत्थोवा खहयरतिरिक्खजोणियणपुंसका थलयरतिरिक्खजोणियनपुंसका संखेज्ज० जलयरतिरिक्खजोणियनपुंसका संखेज्ज० चतुरिदियतिरि० विसेसाहिया तेइंदियति० विसेसाहिया बेइंदियति० विसेसा० तेउक्काइयएगिदियतिरिक्ख० असंखेज्जगुणा पुढविक्वाइयएगिदियतिरिक्खजोणिया विसेसाहिया एवं आउ० वाउ० वणस्सतिकाइयएगिदियतिरिक्खजोणियणपुंसका अनंतगुणा, एतेसि णं भंते! मणुस्सणपुंसक० कम्मभूमिणपुंसकाणं अकम्मभूमिणपुंसकाणं अंतरदीवकाण य कतरे० १, गो० ! सव्वत्थोवा अंतरदीवग अकम्मभूमगमणुस्सणपुंसका देवकुरूउत्तरकुरूअकम्मभूमगा दोवि संखेज्जगुणा एवं जाव पुव्वविदेह अवरविदेहकम्म० दोवि संखेज्जगुणा, एतेसि णं भंते ! रयणपुंसकाणं रयणप्पभापुढविनेरइयनपुंसकाणं जाव अधेसत्तमपुढविणे रइयपुंसकाणं तिरिक्खजोणियणपुंसकाणं एगिंदियतिरिक्खजोणिय० पुढविकाइयएगिदियतिरिक्खजोणिय० जाव वणस्सतिकाइय० बेइंदियतेइंदियचउरिदियपंचिदियतिरिक्खजोणिय० जलयर० थलयर० खहयर० मणुस्सणपुंसकाणं कम्मभूमक० अकम्मभूमक० अंतरदीवकणपुंसकाण य कतरे कयरेहिंतो अप्पा० १, गो० ! सव्वत्थोवा अधेसत्तमपुढविणेरइयणपुंसका छट्ठपुढविनेरइयनपुंसका असंखेज्ज० जाव दोच्चपुढविणेरइयणपुं० असंखे० अंतरदीवगमणुस्सणपुंसका असंखेज्नगुणा देवकुरूउत्तरकुरू अकम्मभूमक० दोवि संखेज्जगुणा जाव पुव्वविदेहअवरविदेहकम्मभूमगमणुस्सणपुंसका दोवि संखेज्जगुणा रयणप्पभापुढविणेरइयणपुंसका असंखे० खहयरपंचेदियतिरिक्खजोणियनपुंसका असं० थलयर० संखिज्ज० जलयर० संखिज्जगुणा चउरिदियतिरिक्खजोणिय० विसेसाहिया तेइंदिय० विसे० बेइंदिय० विसे० तेउक्काइयएगिदिय० असं० पुढविकाइयएगिदिय० विसेसाहिया आउक्काइय० विसे० वाउकाइय० विसेसा० वणस्सइकाइयएगिदियतिरिक्खजोणियणपुंसका अनंतगुणा । ६१ । णपुंसकवेदस्स णं भंते! कम्मस्स केवइयं कालं बंधठिई पं० १, गो० ! जह० सागरोवमस्स दोन्नि सत्तभागा पलिओवमस्स असंखेज्जतिभागेण ऊणगा उक्को० वीसं सागरोवमकोडाकोडीओ दोण्णि य वाससहस्साइं अबाधा अबाहूणिया कम्मठिती कम्मणिसेगो, णपुंसकवेदे णं भंते! किंपगारे पं० १, गो० ! महाणगरदाहसमाणे पं० समणाउसो !, से तं णपुंसका । ६२ । एतेसिंणं भंते! इत्थी पुरिसाणं नपुंसकाण य कतरे० १, गो० ! सव्वत्थोवा पुरिसा इत्थीओ संखि० णपुंसका अनंत०, एतेसिं णं भंते! तिरिक्खजोणिइत्थीण तिरिक्खजोणियपुरिसाणं तिरिक्खजोणियणपुंसकाण य कयरे० १, गो० ! सव्वत्थोवा तिरिक्खजोणियपुरिसा तिरिक्खजोणिइत्थीओ संखे० तिरिक्खजोणियणपुंसगा अणंतगुणा, एतेसिंणं भंते! मणुस्सित्थीणं मणुस्सपुरिसाणं मणुस्सणपुंसकाण य कयरे० ?, गो० ! सव्वत्थोवा मणुस्सपुरिसा मणुस्सित्थीओ संखे० मणुस्सणपुंसका असंखेज्जगुणा, एतेसिणं भंते! देवित्थीणं देवपुरिसाणं णेरइयणपुंसकाण य कयरे० १, गो० ! सव्वत्थोवा णेरइयणपुंसका देवपुरिसा असं० देवित्थीओ संखेज्जगुणाओ, एतेसिंणं भंते! तिरिक्खजोणित्थीणं तिरिक्खजोणियपुरिसाणं तिरिक्खजोणियणपुंसकाणं मणुस्सित्थीणं मणुस्सपुरिसाणं मणुस्सनपुंसकाणं देवित्थीणं देवपुरिसाणं
पुंसका कतरे० १, गो० ! सव्वत्थोवा मणुस्सपुरिसा मणुस्सित्थीओ संखे० मणुस्सणपुंसका असं० णेंरइयणपुंसका असं० तिरिक्खजोणियपुरिसा असं० तिरिक्खजोणित्थियाओ संखेज्ज० देवपुरिसा असं० देवित्थियाओ संखि० तिरिक्खजोणियणपुंसका अणंतगुणा, एतेसिं णं भंते! तिरिक्खजोणित्थीणं जलयरीणं थलयरीणं खहयरीणं तिरिक्खजोणियपुरिसाणं जलयराणं थलयराणं खहयराणं तिरिक्खजोणियणपुंसकाणं एगिंदियतिरिक्खजोणियणपुंसकाणं पुढविकाइयएगिदियतिरिक्खजोणियणपुंसकाणं जाव वणस्सतिकाइय० बेइंदिय० तेइंदिय० चउरिदिय० पंचेंदियतिरिक्खजोणियणपुंसकाणं जलयराणं थलरा
श्री आगमगणसंजा -
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(१४) जीवाजीवाभिगम (२) पडिवत्ति 'तिविह'
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खहयराणं कतरे० ?, गो० ! सव्वत्थोवा खहयरतिरिक्खजोणियपुरिसा खहयरतिरिक्खजोणित्थियाओ संखेज० थलयरपंचिदियतिरिक्खजोणियपु० संखे० थलयरित्थियाओ संखे० जलयरतिरिक्खपुरिसा संखि० जलयरतिरिक्खजोणिइत्थीयाओ संखेज्जगु० खहयरपंचिदियतिरिक्खजो० णपुंसका असंखे० थलयरपंचिदियतिरिक्ख० नपुंसगा संखि० जलयरपंचेदियतिरिक्खजोणियनपुंसका संखे० चउरिदियतिरि० विसेसाहिया तेइंदियणपुंसका विसेसाहिया बेइंदियनपुंसका विसेसा० तेउकाइयएगिदियतिरिक्खजोणियणपुंसका असं० पुढवि० णपुंसका विसेसाहिया आउ० विसेसाहिया वाउ० विसेसा० वणप्फतिएगिन्दियणपुंसका अणंतगुणा, एतेसिंणं भंते ! मणुस्सित्थीणं कम्मभूमयाणं अकम्मभूमगाणं अंतरदीवयाणं मणुस्सपुरिसाणं कम्मभूमकाणं अकम्मभूमकाणं अंतरदीवकाणं मणुस्सणपुंसकाणं कम्मभूमाणं अकम्म० अंतरदीवकाण य कयरे० ?, गो० ! अन्तरदीवकअकम्मभूमकमणुस्सित्थियाओ मणुस्सपुरिसा य एते णं दुन्नि य तुल्लावि सव्वत्थोवा देवकु रू उत्तरकु रू अकम्मभूमगमणुस्सित्थियाओ देव० मणुस्सपुरिसा एते णं दोन्निवि तुल्ला संखे० हरिवासरम्मगवाअमकम्मभूमकमणुस्सित्थियाउ हरि० मणुस्सपुरिसा य एते णं दोन्निवि तुल्ला संखे० हेमवतहेरण्णवतअकम्मभूमकमणुस्सित्थिया ओ हे० मणुस्सपुरिसा य दोवि तुल्ला संखे० भरहेरवतकम्मभूमगमणुस्सपुरिसा दोवि संखे० भरहेरवतकम्म० मणुस्सित्थियाओ दोवि संखे० पुव्वविदेहअवरविदेहकम्मभूमगपुरिसा पुव्व० मणुस्सित्थियाओ दोवि संखे० अंतरदीवगमणुस्सणपुंसका असंखे० देवकुरूउत्तरकुरूअकम्ममणुस्सणपुंसका दोवि संखेनगुणा एवं तहेव जाव पुव्वावरविदेहकम्मभूमकमणुस्सणपुंसका दोवि संखेज्जगुणा, एतासिंणं भंते ! देवित्थीणं भवणवासिणीणं वाणमन्तरीणं जोइसिणीणं वेमाणिणीणं देवपुरिसाणं भवणवासीणं जाव वेमाणियाणं सोधम्मकाणं जाव गेवेज्जकाणं अणुत्तरोववातियाणं णेरड्यणपुंसकाणं रयणप्पभापुढविणेरइयणपुंसगाणं जाव अहेसत्तमपुढविनेरइय० कतरे० ?, गो० ! सव्वत्थोवा अणुत्तरोववातियदेवपुरिसा उवरिमगेवेज्जदेवपुरिसा संखेज्जगुणा चेव जाव आणते कप्पे देवपुरिसा संखेज्जगुणा अहेसत्तमाए पुढवीए णेरइयणपुंसका असंखेज्जगुणा छट्ठीए पुढवीए नेरइय० असंखेज्जगुणा सहस्सारे कप्पे देवपुरिसा असंखेज्जगुणा महासुक्के कप्पे देवा असंखेनगुणा पंचमाए पुढवीए नेरइयणपुंसका असंखेज्जगुणा लंतए कप्पे देवा असंखेज्जगुणा चउत्थीए पुढवीए नेरइया असंखेज्जगुणा बंभलोए कप्पे देवपुरिसा असंखेज्जगुणा तच्चाए पुढवीए नेरइय० असंखेज्जगुणा माहिद कप्पे देवपुरिसा असंखेज्जगुणा सणंकुमारकप्पे देवपुरिसा असंखेज्जगुणा दोच्चाए पुढवीए नेरइया असंखेनगुणा ईसाणे कप्पे देवपुरिसा असंखेजगुणा ईसाणे कप्पे देवित्थियाओ संखेज्जगुणाओ सोधम्मे देवपुरिसा संखेज्ज० सोधम्मे कप्पे देवित्थियाओ संखे० भवणवासिदेवपुरिसा असंखेजगुणा भवणवासिदेवित्थियाओ संखेज्जगुणाओ इमीसे रयणप्पभापुढवीए नेरइया असंखेजगुणा वाणमंतरदेवपुरिसा असंखेज्जगुणा वाणमंतरदेवित्थियाओ संखेज्जगुणाओ जोतिसियदेवपुरिसा संखेज्जगुणा जोतिसियदेवित्थियाओ संखेजगुणा, एतासिंणं भंते ! तिरिक्खजोणित्थीणं जलयरीणंखहयरीणं तिरिक्खजोणियपुरिसाणंजलयराणं थलयराणं खहयराणं तिरिक्खजोणियणपुंसकाणं एगिदियतिरिक्खजोणियणपुंसकाणं पुढविक्काइयएगिदियणपुंसकाणं आउक्काइयएगिदियणपुंसकाणं जाव वणस्सतिकाइयएगिदियणपुंसकाणं बेइंदियणपुंसकाणं तेइंदियणपुंसकाणं चउरिदियनपुंसकाणं पंचेदियणपुंसकाणं जलयराणं थलयराणं खहयराणं मणुस्सित्थीणं कम्मभूमियाणं अकम्मभूमियाणं अंतरदीवियाणं मणुस्सपुरिसाणं कम्मभूमयाणं अकम्म० अंतरदीवयाणं मणुस्सणपुंसकाणं कम्मभूमिकाणं अकम्मभूमिकाणं अंतरदीवकाणं देवित्थीणं भवणवासिणीणं वाणमंतरीणं जोतिसिणीणं वेमाणिणीणं देवपुरिसाणं भवणवासीणं वाणमंतराणं जोतिसियाणं वेमाणियाणं सोधम्मकाणं जाव गेवज्जकाणं अणुत्तरोववातियाणं नेरइयणपुंसकाणं रयणप्पभापुढ विनेरइयनपुंसकाणं जाव अहेसत्तमपुढविणेरइयणपुंसकाण य कयरे० ?, गो० ! अंतरदीवअकम्मभूमकमणुस्सित्थीओ मणुस्सपुरिसा य एते णं दोवि तुल्ला सव्वत्थोवा
देवकुरूउत्तरकुरूअकम्मभूमगमणुस्सइत्थीओ पुरिसा य एतेणं दोवि तुल्ला संखे० एवं हरिवासरम्मगवास० एवं हेमवतहेरण्णवय०. भरहेरवयकम्मभूमगमणुस्सपुरिसा १ दोवि संखे० भरहेरवतकम्ममणुस्सित्थीओ दोवि संखे० पुव्वविदेहअवरविदेहकम्मभूमकमणुस्सपुरिसा दोवि संखे० पुव्वविदेहअवरविदेहकम्ममणुस्सित्थियाओ merofF5555 55555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ८५६ 5 5555555555555555555$$50
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(१४) जीवाजीवाभिगम (३) पडिवत्ति चउब्विए नेरइया
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दोवि संखे० अणुत्तरोववातियदेवपुरिसा असंखेज्जगुणा उवरिमगेवेज्जा देवपुरिसा संखे० जाव आणते कप्पे देवपुरिसा संखे० अधेसत्तमाए पुढवीए नेरइयणपुंसका असंखे० छट्टीए पुढवीए नेरइयनपुंसका असं० सहस्सारे कप्पे देवपुरिसा असंखे० महासुक्के कप्पे देव० असं० पंचमाए पुढवीए नेरइयनपुंसका असं० लंतए कप्पे देव० असं० चउत्थीए पुढवीए नेरइयनपुंसका असं० बंभलोए कप्पे देवपुरिसा असं० तच्चाए पुढवीए नेरइयण० असं० माहिदे कप्पे देवपु० असंखे० सणकुमारे कप्पे देवपुरिसा असं० दोच्चाए पुढवीए नेरइयनपुंसका असं० अंतरदीवगअकम्मभूमगमणुस्सणपुंसका असंखे० देवकुरूउत्तरकुरूअकम्मभूमगमणुस्सणपुंसका दोवि संखे० एवं जाव विदेहत्ति ईसाणे कप्पे देवपुरिसा असं० ईसाणे कप्पे देवित्थियाओ संखे० सोधम्मे कप्पे देवपुरिसा संखे० सोहम्मे कप्पे देवित्थियाओ संखेज्ज० भवणवासिदेवपुरिसा असंखे० भवणवासिदेवित्थियाओ संखिज्जगुणाओ इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए नेरइयणपुंसका असं० खहयरतिरिक्खजोणियपुरिसा संखेज्जगुणा खहयरतिरिक्खजोणित्थियाओ संखे० थलयरतिरिक्खजोणियपुरिसा संखे० थलयरतिरिक्खजोणित्थियाओ संखे० जलयरतिरिक्खपुरिसा संखे० जलयरतिरिक्खजोणित्थियाउ संखे० वाणमंतरदेवपुरिसा संखे० वाणमंतरदेवित्थियाओ संखे० जोतिसियदेवपुरिसा संखे० जोतिसियदेवित्थियाओ संखे० खहयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियणपुंसगा संखे० थलयरणपुंसका संखे० जलयरणपुंसका संखे० चतुरिदियणपुंसका विसेसाहिया तेइंदिय० विसेसा० बेइंदिय० विसेसा० तेउक्काइयएगिदियतिरिक्खजोणियणपुंसका असं० पुढवी विसेसा० आऊ विसेसा० वाऊ विसेसा० वणप्फतिकाइयएगिदियतिरिक्खणपुंसका अनंतगुणा ।६३। इत्थीणं भंते ! केवइयं कालं ठिती पं० ?, गो० ! एगेणं आएसेणं जहा पुव्विं भणियं एवं पुरिसस्सवि नपुंसकस्सवि, संचिट्ठणा पुनरवि तिपि जहा पुव्विं भणिया, अंतरं तिण्हंपि जहा पुव्विं भणियं । ६४ । तिरिक्खजोणित्थियाओ तिरिक्खजोणियपुरिसेहिंतो तिगुणाउ तिरूवाधियाओ मणुस्सित्थियाओ मणुस्सपुरिसेहिंतो सत्तावीसतिगुणाओ सत्तावीसइरूवाहियाओ देवित्थियाओ देवपुरिसेहिंतो बत्तीसइगुणाओ बत्तीसइरूवाहियाओ, सेत्तं तिविधा संसारसमावण्णगा जीवा पण्णत्ता । 'तिविहेसु होइ भेयो ठिई य संचिट्ठणंतरऽप्पबहुं । वेदाण य बंधठिई वेओ तह किंपगारो उ ॥ ५★ ★ ★ ॥६५॥ तिविहपडिवत्ती समत्ता २॥ ★★★ तत्थ जे एवमाहंसु चउव्विधा संसारसमावण्णगा जीवा पं० ते एवमाहंसु तं० ★★★ नेरइया ★★★ तिरिक्खजोणिया मणुस्सा देवा । ६६ । से किं तं नेरइया ?, २ सत्तविधा पं० तं०-पढमपुढवीनेरइया दोच्चपुढवीने० तच्चपुढवीने० चउत्थपुढवीने० पंचमपु० छट्ठपु० सत्तमपुढवीनेरइया ।६७। पढमा णं भंते ! पुढवी किंनामा किंगोत्ता पं० ?, गो० ! णामेणं धम्मा गोत्तेणं रयणप्पभा, दोच्चा णं भंते! पुढवी किंनामा किंगोत्ता पं० ?, गो० ! णामेणं वंसा गोत्तेणं सक्करप्पभा, एवं एतेणं अभिलावेणं सव्वासिं पुच्छा, णामाणि इमाणि सेला तच्चा अंजणा चउत्थी रिट्ठा पंचमी मघा छट्ठी माघवती सत्तमी जाव तमतमा गोत्तेणं पं० (घम्मा वंसा सेला अंजण रिट्ठा मघा य माघवती । सत्तण्हं पुढवीणं एए नामा उ नायव्वा ॥ १ ॥ रयणा सक्कर वालुय पंका धूमा तमा य तमतमा य। सत्तण्डं पुढवीणं एए गोत्ता मुणेयव्वा ॥२॥ पा०) ।६८। इमा णं भंते! रयणप्पभापुढवी केवतिया बाहल्लेणं पं० १, गो० ! इमा णं रयणप्पभापुढवी असिउत्तरं जोयणसयसहस्सं बाहल्लेणं पं०, एवं एतेणं अभिलावेण इमा गाहा अणुगंतव्वा 'आसीतं बत्तीसं अट्ठावीसं तहेव वीसं च। अट्ठारस सोलसगं अठुत्तरमेव हिट्ठमिया ||६||६९ || इमाणं भंते! रयणप्पभापुढवी कतिविधा पं० ?, गो० ! तिविहा पं० तं० खरकंडे पंकबहुलकंडे आवबहुलकंडे, इमीसे णं भंते! रय० पुढ० खरकंडे कतिविधे पं० ?, गो० ! सोलसविधे पं० तं०रयणकंडे वइरे वेरूलिए लोहितक्खे मसारगल्ले हंसगब्भे पुलए सोयंधिए जोतिरसे अंजणे १० अंजणपुलए रयते जातरूवे अंके फलिहे रिट्ठे १६ कंडे, इमीसे णं भंते! रयणप्पभापुढवीए रयणकंडे कतिविधे पं० ?, गो० ! एगागारे पं०, एवं जाव रिट्ठ, इमीसे णं भंते! रयणप्पभापुढवीए पंकबहुले कंडे कतिविधे पं०?, गो० ! एकागारे पं०. एवं आवबहुले कंडे कतिविधे पं० ?, गो० ! एकागारे पं०, सक्करप्पभा णं भंते! पुढवी कतिविधा पं० १, गो० ! एकागारा पं०, एवं जाव अहेसत्तमा । ७० | इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए केवइया निरयावाससयसहस्सा पं० १, गो० ! तीसं णिरयावाससयसहस्सा पं०, एवं एतेणं अभिलावेणं सव्वासि पुच्छा, इमा गाहा
श्री आगमगुणमंजूषा ८५७
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MOR955555555555555 (१४) जीवाजीवाभिगम (३) पडिवत्ति चउब्बिए नेरइया १६] 555555555555555FOXOY
अणुगंतव्वा०'तीसा य पण्णवीसा पण्णरसदसेव तिण्णि य हवंति। पंचूणसयसहस्सं पंचेव अणुत्तरा णरगा॥७|| जाव अहेसत्तमाए पंच अणुत्तरा महतिमहालया णिरया पं० तं०-काले महाकाले रोरूए महारोरूए अपतिट्ठाणे |७१। अत्थि णं भंते ! इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए अहे घणोदधीति वा घणवातेति वा तणुवातेति वा
ओवासंतरेति वा ?, हंता अत्थि, एवं जाव अहे सत्तमाए ।७२। इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए खरकंडे केवतियं बाहल्लेणं पं० १, गो० ! सोलस जोयणसहस्साई बाहल्लेणं पं०, इमीसेणं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए रयणकंडे केवतियं बाहल्लेणं पं०?, गो० ! एक्कं जोयणसहस्सं बाहल्लेणं पं०, एवं जाव रिटे, इमीसेणं भंते ! रय० पु० पंकबहुले कंडे केवतियं बाहल्लेणं पं०?, गो० ! चतुरसीतिजोयणसहस्साई बाहल्लेणं पं०, इमीसे णं भंते ! रय० आउबहुले कंडे केवतियं बाहल्लेणं पं०?, गो० ! असीतिजोयणसहस्साइं बाहल्लेणं पं०, इमीसेणं भंते ! रयणप्पभाए घणोदही केवतियं बाहल्लेणं पं०?, गो०! वीसंजोयणसहस्साई बाहल्लेणं पं०, इमीसे णं भंते ! रय० घणवाए केवतियं बाहल्लेणं पं०?, गो० ! असंखेज्जाइं जोयणसहस्साई बाहल्लेणं पं०, एवं तणुवातेऽवि ओवासंतरेऽवि, सक्करप्प० भंते ! घणोदही केवतियं बाहल्लेणं पं०?, गो० ! वीसं जोयणसहस्साई बाहल्लेणं पं०, सक्करप्प० घणवाते केवतियं बाहल्लेणं पं० १, गो० ! असंखेज्जाइं जोयणसहस्साई बाहल्लेणं पं०, एवं तणुवातेवि ओवासंतरेवि, जहा सक्करप्पभा एवं जाव अधेसत्तमा ।७३। इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए असीउत्तरजोयणसयसहस्सबाहल्लाए खेत्तच्छेएणं छिज्जमाणीए अत्थि दव्वाई वण्णतो कालनीललोहितहालिद्दसुकिल्लाई गंधतो सुरभिदुब्भिगंधाई रसतो तित्तकड्डयकसायअंबिलमहराई फासतो कक्खडमउयगरूयलहुसीतउसिणणिद्धलुक्खाई संठाणतो परिमंडलवट्टतंसचउरंसआययसंठाणपरिणयाई अन्नमन्नबद्धाइं अण्णमण्णपुट्ठाइं अण्णमण्णओगाढाई अण्णमण्णसिणेहपडिबद्धाइं अण्णमण्णघडत्ताए चिटुंति ?, हंता अत्थि, इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पु० खरकंडस्स सोलसजोयणसहस्सबाहल्लस्स खेत्तच्छेएणं छिज्जमाणस्स अत्थि दव्वाई वण्णओ काल जाव परिणयाई ?, हंता अत्थि, इमीसे णं रयणप्प० रयणनामगस्स कंडस् जोयणसहस्सबाहल्लस्स खेत्तच्छेएणं तं चेव जाव हंता अत्थि, एवं जाव रिट्ठस्स, इमीसे णं भंते ! रयणप्प० पंकबहुलस्स चउरासीतिजोयणसहस्सबाहल्लस्स खेत्त० तं चेव, एवं आउबहुलस्सवि असीतिजोयणसहस्सबाहल्लस्स, इमीसे णं भंते ! रयणप्प० घणोदधिस्स वीसजोयणसहस्सबाहल्लस्स खेत्तच्छे देण तहेव, एवं घणवातस्स असंखेज्जजोयणसहस्सबाहल्लस्स तहेव, ओवासंतरस्सवि तं चेव, सक्करप्पभाए णं भंते ! पु० बत्तीसुत्तरजोयणसतसहस्सबाहल्लाए खेत्तच्छेएणं छिज्जमाणीए अत्थि दव्वाई वण्णतो जाव घडत्ताए चिट्ठति ?, हंता अत्थि, एवं घणोदहिस्स वीसजोयणसहस्सबाहल्लस्स घणवातस्स असंखेजजोयणसहस्सबाहल्लस्स एवं जाव ओवासंतरस्स, जहा सक्करप्पभाए एवं जाव अहेसत्तमाए ।७४। इमा णं भंते ! रयणप्पभा० किंसंठिता पं०?, गो० ! झल्लरिसंठिता पं०, इमीसे णं भंते ! रयणप्पभा० खरकंडे किंसंठिते पं०?, गो० ! झल्लरिसंठिते पं०, इमीसे णं भंते ! रयणप्पभा० रयणकंडे किंसंठिते पं० ?, गो० ! झल्लरिसंठिए पं०, एवं जाव रिटे, एवं पंकबहुलेवि, एवं आवबहुलेवि घणोदधीवि घणवाएवि तणुवाएवि ओवासंतरेवि सव्वे झल्लरिसंठिते पं०, सक्करप्पभा णं भंते ! पुढवी किंसंठिता पं० ?, गो०! झल्लरिसंठिता पं०, सक्करप्पभापुढवीए घणोदधी किंसंठिते पं०?, गो० ! झल्लरिसंठिते पं०, एवं जाव ओवासंतरे, जहा सक्करप्पभाए वत्तव्वयाएवं जाव अहेसत्तमाएवि ७५। इमीसे णं भंते ! रयणप्पभापुढवीए पुरथिमिल्लातो उवरिमंताओ केवतियं अबाधाए लोयंते पं०?, गो० ! दुवालसहिं जोयणेहिं अबाधाए लोयंते पं०, एवं दाहिणिल्लातो पच्चत्थिमिल्लातो उत्तरिल्लातो, सक्करप्पभापुरथिमिल्लातो चरिमंतातो केवतियं अबाधाए लोयंते पं० ?, गो० ! तिभागूणेहिं तेरसहिं जोयणेहि अबाधाए लोयंते पं०, एवं चउद्दिसिपि, वालुयप्पभाए पुरथिमिल्लातो पुच्छा, गो० ! सतिभागेहिं तेरसहिं जोयणेहिं अबाधाए लोयंते पं०, एवं चउद्दिसिपि, एवं
सव्वासिं चउसुवि दिसासु पुच्छितव्वं, पंकप्पभाए चोद्दसहिं जोयणेहिं अबाधाए लोयंते पं०, पंचमाए तिभागूणेहिं पन्नरसहिं जोयणेहिं अबाधाए लोयंते पं०, छट्ठीए म सतिभागेहिं पन्नरसहिं जोयणेहिं अबाधाए लोयंते पं०, सत्तमीए सोलसहिं जोयणेहिं अबाधाए लोयंते पं०, एवं जाव उत्तरिल्लातो, इमीसे णं भंते !
रयणप्पभापुरथिमिल्ले चरिमंते कतिविधे पं०?, गो० ! तिविहे पं० तं०-घणोदधिवलए घणवायवलए तणुवायवलए, इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए दाहिणिल्ले MOSFE555555श्री आगमगुणमंजूषा-८५८599999999999999995$$OOR
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(१४) जीवाजीवाभिगम (३) पडिवत्ति चउब्बिए नेरड्या
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चरिमंते कतिविधे पं०?, गो० ! तिविधे पं० तं०-एवं जाव उत्तरिल्ले, एवं सव्वासिं जाव अधेसत्तमाए उत्तरिल्ले ७६।इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए घणोदधिवलए केवतियं बाहल्लेणं पं०?, गो० ! छ जोयणाणि बाहल्लेणं पं०, सक्करप्पभाए घणोदधिवलए केवतियं बाहल्लेणं पं०?, गो० ! सतिभागाइं छजोयणाई बाहल्लेणं पं०, वालुयप्पभाए पुच्छा, गो० ! तिभागूणाई सत्त जोयणाई बाहल्लेणं पं०, एवं एतेणं अभिलावेणं पंकप्पभाए सत्त जोयणाई बाहल्लेणं पं०, धूमप्पभाए सतिभागाइं सत्त जोयणाई पं०, तमप्पभाए तिभागूणाई अट्ठजोयणाई, तमतमप्पभाए अट्ठ जोयणाई, इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए घणवायवलए केवतिय बाहल्लेणं पं०?, गो० ! अद्धपंचमाई जोयणाइं बाहल्लेणं, सक्करप्पभाए पुच्छा, गो० ! कोसूणाई पंच जोयणाई बाहल्लेणं पं०, एवं एतेणं अभिलावेणं वालुयप्पभाए पंच जोयणाई बाहल्लेणं पं०, पंकप्पभाए सक्कोसाइं पंच जोयणाइं बाहल्लेणं पं०, धूमप्पभाए अद्धछट्ठाइं जोयणाई बाहल्लेणं पं०, तमप्पभाए कोसूणाई छजोयणाई बाहल्लेणं पं०, अहेसत्तमाए छजोयणाइं बाहल्लेणं पं०, इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए तणुवायवलए केवतियं बाहल्लेणं पं०?, गो०! छक्कोसेणं बाहल्लेणं पं०, एवं एतेणं अभिलावेणं सक्करप्पभाए सतिभागे छक्कोसे बाहल्लेणं पं०, वालुयप्पभाए तिभागूणे सत्तकोसे बाहल्लेणं पं०, पंकप्पभाए पुढवीए सत्तकोसं बाहल्लेणं पं०, धूमप्पभाए सतिभागे सत्तकोसे तमप्पभाए तिभागूणे अट्ठकोसे बाहल्लेणं पं० अधेसत्तमाए पुढवीए अट्ठकोसे बाहल्लेणं पं०, इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए घणोदधिवलयस्स छज्जोयणबाहल्लस्स खेत्तच्छेएणं छिज्जमाणस्स अस्थि दव्वाई वण्णतो काल जाव हंता अस्थि, सक्करप्पभाए णं भंते ! पु० घणोदधिवलयस्स सतिभागछजोयणबाहल्लस्स खेत्तच्छेदेणं छिज्जमाणस्स जाव हंता अत्थि, एवं जाव अधेसत्तमाए जं जस्स बाहल्लं, इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए घणवातवलयस्स अद्धपंचमजोयणबाहल्लस्स खेत्तच्छेदेणं छिज्ज जाव हंता अस्थि, एवं जाव अहेसत्तमाए जं जस्स बाहल्लं, एवं तणुवायवलयस्सवि जाव अधेसत्तमा जं जस्स बाहल्लं, इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए घणोदधिवलए किंसंठिते पं० ?, गो० ! वट्टे वलयागारसंठाणसंठिए पं० जेणं इमं रयणप्पभं पुढविं सव्वतो संपरिक्खिवित्ताणं चिट्ठति, एवं जाव अधेसत्तमाए पु० घणोदधिवलए, णवरं अप्पणऽप्पणं पुढविं संपरिक्खिवित्ताणं चिट्ठति, इमीसे णं रयणप्पभाए घणवातवलए किंसंठिते पं०?, गो० ! वट्टे वलयागारे तहेव जाव जेणं इमं रयणप्पभाए घणोदधिवलयं सव्वतो समंता संपरिक्खिवित्ताणं चिट्ठइ, एवं जाव अहेसत्तमाए घणवातवलए, इमीसेणं भंते ! रयणप्प० तणुवातवलए किंसंठिते पं०१, गो० ! वट्टे वलयागारसंठाणसंठिए जाव जेणं रयणप्पभाए घणवातवलयं सव्वतो समंता संपरिक्खिवित्ताणं चिट्ठइ, एवं जाव अधेसत्तमाए तणुवातवलए, इमा णं भंते ! रयरप्पभा केवतिआयामविक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं पं० ?, गो० ! असंखेज्जाई जोयणसहस्साइं आयामविक्खंभेणं असंखेज्जाइंजोयणसहस्साई परिक्खेवेणं जाव अधेसत्तमा, इमाणं भंते ! रयणप्पभाअंतेय मज्झे य सव्वत्थ समा बाहल्लेणं पं० ?, हंता गो० ! इमा णं रयणप्पभा अंतेय मज्झेय सव्वत्थ समा बाहल्लेणं, एवं अधेसत्तमा।७७। इमीसेणं भंते ! रयणप्पभाए सव्वजीवा उववण्णपुव्वा सव्वजीवा उववण्णा ?, गो० ! इमीसे णं रयण सव्वजीवा उववण्णपुव्वा नो चेवणं सव्वजीवा उव०, एवं जाव अहेसत्तमाए पुढवीए, इमा णं भंते ! रयण सव्वजीवेहिं विजढपुव्वा सव्वजीवेहिं विजढा ?, गो० ! इमा णं रयण सव्वजीवेहिं विजढपुव्वा नो चेवणं सव्वजीवविजढा, एवं जाव अधेसत्तमा, इमीसे णं भंते ! रयण सव्वपोग्गला पविठ्ठपुव्वा सव्वपोग्गला पविट्ठा?, गो० ! इमीसेणं रयणप्पभापुढवीए सव्वपोग्गला पविठ्ठपुव्वा नो चेवणं सव्वपोग्गला पविट्ठा, एवं जाव अधेसत्तमाए पुढवीए, इमाणं भंते ! रयणप्पभा पुढवी सव्वपोग्गलेहिं विजढपुव्वा सव्वपोग्गला विजढा ?, गो० ! इमाणं रयणप्पभा० सव्वपोग्गलेहिं विजढपुव्वा नो चेवणं सव्वपोग्गलेहिं विजढा, एवं जाव अधेसत्तमा 1७८। इमा णं भंते ! रयणप्पभापुढवीं किं सासया असासया ?, गो० ! सिय सासता सिय असासया, से केणतुणं भंते ! एवं वुच्चइ-सिय सासया सिय (१५३)असासया?, गो० ! दव्वट्ठयाए सासता वण्णपज्जवेहिं गंधपज्जवेहिं रसपज्जवेहिं फासपज्जवेहिं असासता. से तेणटेणं गो० ! एवं वुच्चति-तं चेव जाव सिय असासता, एवं जाव अधेसत्तमा, इमाणं भंते ! रयणप्पभा० कालतो केवच्चिरं होइ ?, गो० ! न कयाईण आसीण कयाई णत्थिण कयाई ण भविस्सति भुविंच भवइ
य भविस्सति य धुवा णियया सासया अक्खया अव्वया अवट्ठित्ता णिच्चा, एवं जाव अधेसत्तमा ।७९। इमीसेणं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए उवरिल्लातो चरिमंतातो Morror E F
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(१४) जीवाजीवाभिगम (३). पडिवत्ति चउब्विए नेरड्या १-२
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चरमं स णं केवतियं अबाधाए अंतरे पं० ?, गो० ! असिउत्तरं जोयणसतसहस्सं अबाधार अंतरे पं०, इमोसे णं भंते! रयणप्पभा० उवरिल्लातो चरिमंताओ खरस्स कंडस्स हेट्ठिल्ले चरिमंते एस णं केवतियं अबाधाए अंतरे पं० १, गो० ! सोलस जोयणसहस्साइं अबाधाए अंतरे पं०, इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए उवरिल्लातो चरमंताओ रयणस्स कंडस्स हेट्ठिल्ले चरिमंते एस णं केवतियं अबाधाएं अंतरे पं० ?, गो० ! एक्कं जोयणसहस्सं अबाधाए अंतरे पं०, इमीसे णं भंते! रयण० उवरिल्लातो चरिमंतातो वइरस्स कण्डस्स उवरिल्ले चरिमंते एस णं केवतियं अबाधाए अंतरे पं० १, गो० ! एक्कं जोयणसहस्सं अंतरे पं०, इमीसे णं रयण० उवरिल्लाओ चरिमंताओ वइरस्स कंडस्स हेट्ठिल्ले चरिमंते एस णं भंते! केवतियं अबाधाए अंतरे पं० ?, गो० ! दो जोयणसहस्साई अबाधाए अंतरे पं०, एवं जाव रिट्ठस्स उवरिल्ले पन्नरस जोयणसहस्साइं हेट्ठिल्ले चरिमंते सोलस जोयणसहस्साइं, इमीसे णं भंते! रयण० उवरिल्लाओ चरिमंताओ पंकबहुलस्स कंडस्स उवरिल्ले चरिमंते एस णं अबाधाए केवतियं अंतरे पं० १, गो० ! सोलस जोयणसहस्साइं अबाधाए अंतरे पं०, हेट्ठिल्ले चरिमंते एकं जोयणसयसहस्सं, आवबहुलस्स उवरि एक्कं जोयणसयसहस्सं हेट्ठिल्ले चरिमंते असीउत्तरं जोयणसयसहस्सं, घणोदहि० उवरिल्ले असिउत्तरजोयणसयसहस्सं हेल्ले चरिमंते दो जोंयणसयसहस्साइं, इमीसे णं भंते ! रयण० घणवातस्स उवरिल्ले चरिमंते० दो जोयणसयसहस्साइं हेट्ठिल्ले चरिमंते असंखेज्जाई जोयणसयसहस्साई, इमीसे णं भंते ! रयण० तणुवातस्स उवरिल्ले चरिमंते असंखेज्नाइं जोयणसयसहस्साइं अबाधाए अंतरे हेट्ठिल्लेवि असंखेज्नाई जोयणसयसहस्साई, एवं ओ वासंतरेवि, दोच्चाए णं भंते! पुढवीए उवरिल्लातो चरिमंताओ हेट्ठिल्ले चरिमंते एस णं केवतियं अबाधाए अंतरे पं० ?, गो० ! बत्तीसुत्तरं जोयणसयसहस्सं अबाधाए अंतरे पं०, सक्कर० उवरि घणोदधिस्स हेट्ठिल्ले चरिमंते बावण्णुत्तरं जोयणसयसहस्सं अबाधाए०, घणवातस्स असंखेज्जाई जोयणसयसहस्साइं पं०, एवं जाव उवासंतरस्सवि, जावऽधेसत्तमाए णवरं जीसे जं बाहल्ल तेण घणोदधी संबंधेतव्वो बुद्धीए सक्करप्पभाए अणुसारेणं, घणोदहिसहिताणं इमं पमाणं तच्चाए णं भंते !० अडयालीसुत्तरं जोयणसतसहस्सं पंकप्पभाए पुढवीए चत्तालीसुत्तरं जोयणसयसहस्सं धूमप्पभाए अतीसुत्तरं जो सतसहस्सं तमाए छत्तीसुत्तरं जोयणसतसहस्सं अधेसत्तमाए अट्ठावीसुत्तरं जोयणसतसहस्सं, जाव अधेसत्तमाए, एस णं भंते! पुढवीए उवरिल्लातो चरिमंतातो उवासंतरस्स हेट्ठिल्ले चरिमंते केवतियं अबाधाए अंतरे पं० १, गो० ! असंखेज्जाई जोयणसयसहस्साइं अबाधाए अंतरे पं० |८०| इमा णं भंते ! रयणप्पभापुढवी दोच्चं पुढवीं पणिहाय बाहल्लेणं किं तुल्ला विसेसाहिया संखेज्जगुणा वित्थरेणं किं तुल्ला विसेसहीणा संखेज्जगुणहीणा ?, गो० ! इमा रयण० दोच्चं पुढवीं पणिहाय बाहल्लेणं नो तुल्ला विसेसाहिया नो संखेज्जगुणा वित्थारेणं नो तुल्ला विसेसहीणा णो संखेज्जगुणहीणा, दोच्चा णं भंते! पुढवीं तच्चं पुढवि० बाहल्लेणं किं तुल्ला० ? एवं चेव भाणितव्वं एवं तच्चा चउत्थी पंचमी छट्ठी, छट्ठी णं भंते! पुढवी सत्तमं पुढविं पणिहाय बाहल्लेणं किं तुल्ला विसेसाहिया संखेज्जगुणा ?, एवं चैव भाणियव्वं, सेवं भंते ! २ ★ ★ ★ । ८१ ॥ चउविहपडिवत्तीए नेरइयउद्देसओ पढमो प्र० ३ना० १३० ॥ ★★★ कइ णं भंते! पुढवीओ पं० १, गो० ? सत्त पुढवीओ पं० तं० रयणप्पभा जाव अहेसत्तमा, इमीसे णं रयण० असीउत्तरजोयणसयसहस्सबाहल्लाए उवरिं केवतियं ओगाहित्ता hasi वज्जित्ता मज्झे केवतिए केवतिया निरयावाससयससहस्सा पं० १, गो० ! इमीसे णं रयण० असीउत्तरजोयणसयसहस्सबाहल्लए उवरिं एगं जोयणसहस्सं जोयणसहस्सं वज्जेत्ता मज्झे अडसत्तरी जोयणसयसहस्सा एत्थ णं रयणप्पभाए नेरइयाणं तीसं निरयावाससयसहस्साइं भवंतित्तिमक्खाया, ते णं णरगा अंतो वट्टा बाहिं चउरंसा जाव असुभा णरएस वेयणाएवं एएणं अभिलावेणं उवजुंजिऊण भाणियव्वं ठाणप्पयाणुसारेणं जत्थ जं बाहल्लं जत्थ जत्तिया वा नरयावाससयसहस्सा जाव अहेसत्तमाए पुढवीए, अहेसत्तमा मज्झे केवतिए कति अणुत्तरा महइमहालता महाणिरया पं० १, एवं पुच्छितव्वं वागरेयव्वंपि तहेव (प्र० छट्टित्तमासु कावोय अगणिवन्नाभा भाणितव्वा) । ८२ । इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए णरका किंसंठिया पं० ?, गो० ! दुविहा पं० तं० आवलियपविट्ठा
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ॐ श्री आगमगुणमंजूषा ८६०
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(१४) जीवाजीवाभिगम (३) पडिवनि चउब्विए नेरड्या २
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य आवलियबाहिरा य, तत्थ णं जे ते आवलियपविट्ठा ते तिविहा पं० तं० - वट्टा तंसा चउरंसा, तत्थ णं जे ते आवलियबाहिरा ते णाणासंठाणसंठिया पं० २०. म अयकोट्टसंठिता पिट्ठपयणग० कंडू ० लोही० कडाह ० थाली ० पिहङग ० किमियडसंठिता किन्नपुडग ० उडव ० मुरवसंठिता मुयंग ० नंदिमुयंगसंठिया आलिंगफ
० सुघोस ० दद्दरय ० पणव पडह ० भेरि ० झल्लरी ० कुतुंबक ० नालिसंठिया एवं जाव तमाए, अहेसत्तमाएं, णं भंते ! पुढवीए णरका किंसंठिता पं०?, गो० ! दुविहा
पं ० तं०- वट्टे य तंसा य, इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए नरका केवतियं बाहल्लेणं पं०?, गो० ! तिण्णि जोयणसहस्साइं बाहल्लेणं पं तं ०- हेट्ठा घणा ॐ सहस्सं मज्झे झुसिरा सहस्सं उप्पिं संकुझ्या सहस्सं, एवं जाव अहेसत्तमाए, इमीसे णं भंते ! रयणप्प ० नरगा केवतियं आयामविक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं पं०?,
गो ! दुविहा पं० तं - संखेज्जवित्थडा य असंखेज्जवित्थडा य, तत्थ णं जे ते संखेज्जवित्थडा ते णं संखेज्जाइं जोयणसहस्साइं आयामविक्खंभेणं संखेज्जाई जोयणसहस्साइं परिक्खेवेणं पं०, तत्थ णं जे ते असंखेजवित्थडा ते णं असंखेज्जाइं जोयणसहस्साई आयामविक्खं ० असं ० जोयणसह ० परिक्खेवेणं पं०, एवं जाव तमाए, अहेसत्तमाए णं भंते ! पुच्छा, गो० ! दुविहा पं० तं०- संखेजवित्थडे य असंखेज्जवित्थडा य, तत्थ णं जे से संखेज्जवित्थडे से णं एक्कं जोयणसयसहस्सं आयामविक्खंभेणं तिन्नि जोयणसयसहस्साई सोलस सहस्साइं दोन्नि य सत्तावीसे जोयणसए तिन्नि कोसे य अट्ठावीसं च धणुसतं तेरस य अंगुलाई अद्धंगुलयं च किंचिविसेसाधिए परिक्खेवेणं पं०, तत्थ णं जे ते असंखेजवित्थडा ते णं असंखेज्जाइं जोयणसयसहस्साइं आयामविक्खंभेणं असंखेज्जाई जाव परिक्खेवेणं पं० ८३। इमीसेणं भंते रयणप्पभापुढवीए नरया केरिसया वण्णेणं पं०?, गो० ! काला कालावभासा गंभीरलोमहरिसा भीमा उत्तासणया परमकिण्हा वण्णेणं पं० एवं जाव अहेसत्तमाए, इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए णरका केरिसका गंधेणं पं ०?, गो० ! से जहाणामए अहिमडेति वा गोमडेति वा सुणग ० वा मज्जार ० वा मणुस्स मडेति वा महिस ० वा मूसग ० वा आस ० वा हत्थि ० वा सीह ० वा वग्घ ० वा विग वा दीविय ० वा मयकुहियचिरविणट्ठकुणिमवावण्णदुन्भिगंधे असुइविलीणविगयबीभत्थदरिसणिज्जे किमिजालाउलसंसत्ते, भवे एयारूवे सिया ?, णो इणद्वे, समढे, गो० ! इमीसेणं रयणप्पभाए पुढवीएणरगा एत्तो अणिट्टतरका चेव अकंततरका चेव जाव अमणामतरा चेव गंधेणं पं०, एवं जाव अधेसत्तमाए पुढवीए, इमीसे णं भंते ! रयणप्प ० णरया केरिसया फासेणं पं ?, गो ० ! से जहानामए असिपत्तेइ वा खुरपत्तेइ वा कलंबचीरियापत्तेइ वा सत्तग्गेइ वा कुंतग्गेइ वा तोमरग्गेइ वा नारायग्गेइ वा सूलग्गेइ वा लउलग्गेइ वा भिडिमालग्गेइ वा सूचिकलावेति वा कवियच्छूति वा विंचुयकंटएति वा इंगालेति वा जालेति वा मुम्मुरेति वा अच्चित्ति वा अलाएति वा सुद्धागणीइ वा, भवे एतारूवे सिया ? णो तिणढे समटे, गो० ! इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए णरगा एत्तो अणिठ्ठतरगा चेव जाव अमणामतरका चेव फासे णं पं०, एवं जाव अधेसत्तमाए पुढवीए।८४। इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए नरका केमहालिया पं० ?, गो० ! अयण्णं जंबुद्दीवे दीवे सव्वदीवसमुद्दाणं सव्वभंतरए सव्वखुड्डाए वढे तेल्लापूवसंठाणसंठिते वट्टे रथचक्कवालसंठाणसंठिते वट्टे पुक्खरकण्णियासंठाणसंठिते वट्टे पडिपुण्णचंदसंठाणसंठिते एक जोयणसतसहस्सं आयामविक्खंभेणं जाव किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं
देवेणं महिड्ढीए जाव महाणुभागे जाव इणायेवत्तिकटु इमं केवलकप्पं जंबुद्दीवं दीवं तीहिं अच्छरानिवाएहिं तिसत्तक्खुत्तो अणुपरियट्टित्ताणं हव्वमागच्छेज्जा, से प्र णं देवे ताए उक्किट्ठाए तुरिताए चवलाए चंडाए सिग्याए उधुयाए जयणाए छेगाए दीघाए दिव्वगतीए वीतिवयमाणे २ जहण्णेणं एगाहं वा दुयाहं वा तिआहं वा उक्को
० छम्मासेणं वीतिवएज्जा, अत्थेगतिए वीइवएज्जा अत्थेगतिए नो वीतिवएज्जा, एमहालता णं गो० ! इमीसेणं रयणप्पभाए पुढवीए णरगा पं०, एवं जाव अधेसत्तमाए है णवरं अधेसत्तमाए अत्थेगतियं नरगं वीइवइज्जा अत्थेगइए नरगे नो वीतिवएज्जा ।८५। इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए णरगा किंमया पं ०?, गो ! सव्ववइरामया पं०, तत्थ णं नरएसु बहवे जीवा य पोग्गला य अवक्कमंति विउक्कमति चयंति उववज्जति सासता णं ते णरगा दव्वट्ठयाए वण्णपज्जवेहिं गंध ० रस०
फास ० असासया एवं जाव अहेसत्तमाए।८६। इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए नेरइया कतोहितो उवव ० किं असण्णीहिंतो उव० सरीसिवेहितो उव २ पक्खिहिंतो उव० चउप्पएहिंतो उव ० उरगेहिंतो उव ० इत्थियाहिंतो उव ० मच्छमणुएहिंतो उव ०?, गो० ! असण्णीहितो उव ० जाव मच्छमणुएहितोवि उव० ..----------....-m irnar NEEE श्री आगम / LETELEA5545454545455555555555OOK
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(१४) जीवाजीवाभिगम (३) पडिवत्ति चउब्विए नेरझ्या २
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'अस्सण्णी खलु पढम दोच्चं च सरीसिवा ततिय पक्खी। सीहा जंति चउत्थीं उरगा पुण पंचमी जंति ||८|| छट्टिं च इत्थियाओ मच्छा मणुया य सत्तमि जंति । जाव अधेसत्तमाए पुढवीए नेरइया णो असण्णीहिंतो उवव ० जाव णो इत्थियाहिंतो उवव ० मच्छमणुस्सेहिंतो उवव ०, इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए ० रतिया एक्कसमएणं केवतिया उवव ०?, गो० ! जह ० एक्को वा दो वा तिन्नि वा उक्कोसेणं असंखिज्जा वा उववज्जंति, एवं जाव अधेसत्तमाए, इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए णेरतिया समए २ अवहीरमाणा २ केवतिकालेणं अवहिता सिता ?, गो० ते णं असंखेज्जा समए २ अवहीरमाणा २ असंखेज्जाहिं उस्सप्पिणीहिं अवहीरंति नो चेव णं अवहिता सिता जाव अधेसत्तमा, इमीसे णं भंते ! रयणप्प ० रतियाणं केमहालिया सरीरोगाहणा पं० ?, गो० ! दुविहा सरीरोगाहणा पं० तं ०भवधारणिज्जा य उत्तरवेउव्विया य, तत्थ णं जा सा भवधारणिज्जा सा जह ० अंगुलस्स असंखेज्जतिभागं उक्को ० सत्त धणूई तिण्णि य रयणीओ छच्च अंगुलाई, तत्थ णं जा सा उत्तरवेउव्विया सा जह ० अंगुलस्स संखेजतिभागं उक्को ० पण्णरस धणूई अड्ढाइज्जातो रयणीओ, दोच्चाए भवधारणिज्जा जहण्णओ अंगुलासंखेज्जभागं उक्को ० पण्णरस धणूई अड्ढाइज्जातो रयणीओ उत्तरवेउव्विया जह ० अंगुलस्स संखेजभागं उक्को ० एक्कतीसं धणूई एक्का रयणी तच्चाए भवधारणिज्जे एक्कतीसं धणू एक्का रयणी उत्तरवेउव्विया बासढिं धणूई दोण्णि रयणीओ चउत्थीए भवधारणिज्ने बासढे धणूई दोण्णि य रयणीओ उत्तरवेउव्विया पणवीसं धणुसयं पंचमीए भवधारणिज्जे पणवीसं धणुसयं उत्तरवे ० अड्ढाइज्जाइं धणुसयाई छट्ठीए भवधारणिज्जा अड्ढाइज्जाइं धणुसयाई उत्तरवेउब्विया पंचधणुसयाइं सत्तमाए भवधारणिज्जा पंचधणुसयाइं उत्तरवेउव्विया धणुसहस्सं।८७। इमीसेणं भंते ! रयणप्पभा० णेरइयाणं सरीरया किंसंघयणी पं०?,गो०! छण्हं संघयणाणं असंघयणी णेवट्ठी णेव छिराणविण्हारू णेव संघयणमत्थि जे पोग्गला अणिवा जाव अमणामा ते तेसिं सरीरसंघायत्ताएपरिणमंति एवं जाव अधेसत्तमाए, इमीसे णं भंते ! रयण नेरतियाणं सरीरा किंसंठिता पं०१,गो० ! दुविहा पं० तं०-भवधारणिज्जा य उत्तरवेउब्विया य, तत्थणं जे ते भवधारणिज्जा ते हुंडसंठिया पं०, तत्थ णं जे ते उत्तरवेउव्विया तेवि हुंडसंठिता पं० एवं जाव अहेसत्तमाए. इमीसे णं भंते ! रयण ० णेरतियाणं सरीरमा केरिसता वण्णेणं पं०१, गो०! काला कालोभासा जाव परमकिण्हा वण्णेणं पं० एवं जाव अहेसत्तमाए, इमीसे णं भंते ! रयण ० नेरझ्याणं सरीरया केरिसया गंधेणं पं०१, गो! से जहानामए अहिमडेइ वा तं चेव जाव अहेसत्तम ०, इमीसे णं रयण नेरइयाणं सरीरया केरिसया फासेणं पं०?, गो०! फुडितच्छविविच्छविया खरफरुसझामझुसिरा फासेणं पं०, एवं जाव अधेसत्तमाए।८८ा इमीसेण भंते ! रयणप्पभाए पुढवीए रतियाणं केरिसया पोग्गना ऊसासत्ताए परिणमंति?, गो० ! जे पोग्गला अणिट्ठा जाव अमणामा ते तेसिंऊसासत्तमाए परिणमंति एवं जाव अहेसत्तमाए, एवं आहारस्सवि, सत्तसुवि, इमीसेर्ण भंते! रयण नेरतियाणं कति लेसाओ पं०?, गो० ! एक्का काउलेसा पं० एवं सक्करप्पभाएऽवि, वालुयभाए पुच्छा दो लेसाओ पं० तं०-नीललेसा कापोतलेसा य, तत्थ जे काउलेसा ते बहुतरा जे णीललेस्सा ते थोवा, पंकप्पभाए पुच्छा, एक्का नीललेसा, धूमप्पभाए पुच्छा, गो० ! दो लेसाओ पं० तळ-किण्हलेस्सा य नीललेस्साय, तत्थ ते बहुतरका जे नीललेस्साते थोवरताका जे किण्हलेसा, तमाए पुच्छा, गो० ! एक्का किण्हलेस्सा, अधेसत्तमाए एक्का परमकिण्हलेस्सा, इमीसेणं भंते ! रयण नेरइया किं सम्मादिट्ठी मिच्छादिट्ठी सम्मामिच्छादिट्ठी?, गो०! सम्मादिट्ठीवि मिच्छादिट्ठीवि सम्मामिच्छादिट्ठीवि, एवं जाव अहेसत्तमाए, इमीसे णं भंते ! स्यण० णेरतिया किं नाणी अण्णाणी ?, गो० ! णाणीवि अण्णाणीवि, जे
णाणी ते णियमा तिणाणी, तं०-आभिणिबोधिलणाणी सुयणाणी अवधिणाणी, जे अण्णाप्पी ते अत्थेगतिया दुअण्णाणी अत्थेगइया तिअन्नाणी, जे दुअन्नाणी ते मणियमा मतिअन्नाणी य सुयअण्णाणी य, जे तिअन्नाणी ते नियमा मतिअण्णाणी सुयअण्णाणी विभंगणाणी (सक्करपभापुढवीनेरइया किं नाणी अन्नाणी ?, गो०! # नाणीवि अन्नाणीवि, जे नाणी ते नियमा तिन्नाणी आभि० सुय० ओहि०, जे अन्नाणी ते नियमा तिअन्नाणी मतिअन्नाणी सुअअ० विभंगनाणी, एवं पा०) सेसा + णाणीवि अण्णाणीवि तिण्णि जाव अधेसत्तमाए, इमीसे णं भंते ! रयण० किं मणजोगी वइजोगी कायजोगी ?, तिण्णिवि, एवं जाव अहेसत्तमाए, इमीसे णं भंते ! रयणप्पभापु० नेरइया किं सागारोवउत्ता अणागारोवउत्ता?, गो० ! सागारोवउत्तावि अणागारोबउत्तावि, एवं जाव अहेसत्तमाए पुढवीए, इमीसेणं भंते ! रयणप्प० OFF5555555555555555555;[ श्री आगमगुणमंजूषा - ८६२ 55555555FFFFFFFFF455555555 HONOR
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(१४) जीवाजीवाभिगम (३) पडिवत्ति चउब्विए नेरइया २
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नेरइया ओहिणा केवतियं खेत्तं जाणंति पासंति ?, गो० ! जह० अहुट्ठगाउताइं उक्को० चत्तारि गाउयाई, सक्करप्पभापु० जह० तिन्नि गाउयाई अद्धुट्ठाई, एवं अद्धन्द्धगाउयं परिहायंति जाव अधेसत्तमाए जह० अद्धगाउयं उक्को० गाउयं, इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए नेरतियाणं कति समुग्धाता पं० १, गो० ! चत्तारि समुग्घाता पं० तं०-वेदणासमुग्धाए कसायसमुग्धाए मारणंतियसमुग्धाए वेउव्वियसमुग्धाए, एवं जाव असत्तमाए ।८९। इमीसे णं भंते! रयणप्पभा० नेरतिया केरिसयं खुहप्पिवासं पच्चणुभवमाणा विहरंति ?, गो० ! एगमेगस्स णं रयणप्पभापुढविनेरतियस्स असब्भावपट्टवणाए सव्वोदधी वा सव्वपोग्गले वा आसगंसि पक्खिवेज्जा णो चेवणं से रयणप्प० णेरतिए तित्ते वा सिता वितण्हे वा सिता एरिसया णं गो० ! रयणप्पभाए णेरतिया खुधप्पिवासं पच्चणुभवमाणा विहरंति, एवं जाव अधेसत्तमाए, इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए० नेरतिया किं एकत्तं पभू विउव्वित्तए पुहुत्तंपि पभू विउव्वित्तए ?, गो० ! एगत्तंपि पभू पुहुत्तंपि पभू विउव्वित्तए, एतं विव्वेमाणा एवं महं मोग्गररूवं वा एवं मुसुंढिकरवत्तअसिसत्तीहलगतामुसलचक्कणारायकुंततोमरसूललउडभिंडमालरूवं वा पुहुत्तं विउव्वेमाणा मोग्गररूवाणि वा जाव भिंडमालरूवाणि वा ताइं संखेज्जाइं णो असंखेज्जाई संबुद्धाई नो असंबद्धाई सरिसाइं नो असरिसाई विउव्वंति त्ता अण्णमण्णस्स कार्य अभिहणमाणा २ वेयणं उदीरेति उज्जलं विउलं पगाढं कक्कसं कडुयं फरूसं निठुरं चंडं तिव्वं दुक्खं दुग्गं दुरहियासं एवं जाव धूमप्पभाए पुढवीए, छट्ठसत्तमासु णं पुढवीसु नेरइया बहू महंताई लोहियकुंथुरूवाइं वइरामयतुंडाइं गोमयकीडसमाणाइं विउव्वंति त्ता अन्नमन्नस्स कायं समतुरंगेमाणा २ खायमाणा २ सयपोरागकिमियाविव चालेमाणा २ अंतो अंतो अणुप्पविसमाणा २ वेदणं उदीरंति उज्जलं जाव दुरहियासं, इमीसे णं भंते! रयणप्प० नेरइया किं सीतवेदणं वेइंति उसिणवेदणं वेइति सीओसिणवेदणं वेदेति ?, गो० ! णो सीयं वेदणं वेदेति उसिणं वेदणं वेदेति नो सीतोसिणं एवं जाव वालुयप्पभाए, पंकप्पभाए पुच्छा, गो० ! सीयंपि वेदणं उसिपि वेयणं० नो सीओसिणवेयणं वेयंति, ते बहुतरगा जे उसिणं वेदणं वेदेति ते थोवयरगा जे सीतं वेदणं वेइंति, धूमप्पभाए पुच्छा, गो० ! सीतंपि वेदणं वेदेति उसिणंपि वेदणं वेदेति सीतो, ते बहुतरगा जे सीयवेदणं वेदेति ते थोवयरका जे उसिणवेदणं वेदेति, तमाए पुच्छा, गो० ! सीयं वेदणं वेदेति नो उसिणं वेदणं वेदेति नो सीतोसिणं वेदणं वेदेति, एवं अहेसत्तमाए णवरं परमसीयं, इमीसे णं भंते! रयणप्प० णेरइया केरिसयं णिरयभवं पच्चणुभवमाणा विहरंति ?, गो० ! ते णं तत्थ णिच्वं भीता णिच्चं तसिता णिच्चं छुहिया णिच्चं उव्विग्गा निच्वं उपप्पुआ णिच्वं वहिया निच्चं परममसुभमउलमणुबद्धं निरयभवं पच्चणुभवमाणा विहरंति एव जाव अधेसत्तमाए २ पुढवीए पंच अणुत्तरा महतिमहालया महानरगा पं० तं०-काले महाकाले रोरूए महारोरूए अप्पतिट्ठाणे, तत्थ इमे पंच महापुरिसा अणुत्तरेहिं दंडसमादाणेहिं कालमासे कालं किच्चा अप्पतिट्ठाणे णरए णेरतियत्ताए उववण्णा तं० रामे जमदग्गिपुत्ते दढाऊ लेच्छतिपुत्ते वसु उवरिचरे सुभूमे कोरव्वे बंभदत्ते चुल्लणिसुते, ते णं तत्थ नेरतिया जाया काला कालो० जाव परमकिण्हा वण्णेणं पं० तं० चेव, ते णं तत्थ वेदणं वेदेति उज्जलं विउलं जाव दुरहियासं, उसिणवेदणिज्जेसु णं भंते ! णेरतिए सु रतिया के रिस उसिणवेदणं पच्चणुब्भवमाणा विहरंति, गो० ! से जहाणामए कम्मारदारए सिता तरूणे बलवं जुगवं अप्पायंके थिरग्गहत्थे दढपाणिपादपासपिट्टं तरोरूसंघायपरिणए लंघणपवणजवणवग्गणपमद्दणवायामसमत्थे तलजमलजुयलबहुफलिहणिभबाहू घणणिचितवलियवट्टखंधे चम्मेट्टगदुहणमुट्ठियसमाहयणिचितगत्तगत्ते उरस्सबलसमण्णागए छेए दक्खे पट्ठे कुसले णिउणे मेहावी णिउणसिप्पोवगए एगं महं अयपिंडंउदगार
तं ताविय २ कोट्टित २ उब्भिदिय २ चुण्णिय २ जाव एगाहं वा दुयाहं वा तियाहं वा उक्को० अद्धमासं संहणेज्जा, से णं तं सीतं सीतीभूतं अओमएणं संदंसएणं गाय असब्भावपट्टवणाए उसिणवेदणिज्जेसु णरएस पक्खिवेज्जा से णं तं उम्मिसियणिमिसियंतरेणं पुणरवि पच्चद्धरिस्सामित्तिकट्टु पविरायमेव पासेज्जा पविण पासेज्जा पविद्धत्थमेव पासिज्जा णो चेव णं संचाएति अविरायं वा अविलीणं वा अविद्धत्थं वा पुणरवि पच्चुद्धरित्तए, से जहा वा मत्तमातंगे ( पाए) कुंजरे सहाय पढमसरयकालसमतंसि वा चरमनिदाघकालसमयंसि वा उण्हाभिहए तण्हाभिहए दवग्गिजालाभिहए आउरे सुसिए पिवासिए दुब्बले किलते एक्कं महं पुक्खरिणिं पासेज्जा, चाउक्कोणं समतीरं अणुपुव्वसुजायवप्पगंभीरसीतलजलं संछण्णपत्तभिसमुणालं बहुउप्पलकुमुदणलिणसुभगसोगंधियपुंडरीयमहाॐॐॐॐॐॐ श्री आगमगुणमंजूषा ८६३
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(१४) जीवाजीवाभिगम (३) पडिवत्ति चडव्विए नेरइया २
[२२] फफफफफफफ
पुंडरीय सयपत्तसहस्सपत्तके सरफुल्लो वचियं छप्पयपरिभुज्ज माणकमलं अच्छ विमलसलिलपुण्णं परिहत्थभमं तमच्छ कच्छ भ अगस उणगणमिणयविरइयसन्नइयमहुरसरनाइयं तं पासइ त्ता तं ओगाहइ त्ता से णं तत्थ उण्हंपि पविणेज्जा तहपि पविणेज्जा खुहंपि पविणिज्जा जरंपि पवि० दाहंपि पवि० णिद्दाएज्न वा पयलाएज्न वा सतिं वा रतिं वा धिति वा मतिं वा उबलभेज्जा, सीए सीयभूए संकसमाणे २ सायासोक्खबहुले यावि विहरिज्जा, एवामेव गो० ! असब्भावपट्टवणाए उसिणवेयणिज्जेहिंतो णरएहिंतो णेरइए उव्वट्टिए समाणे जाई इमाई मणुस्सलोयंसि भवंति गोलियालिंगाणि वा सोडियालिंगाणि वा भिंडियालिंगाणि वा अयागराणि वा तंबागराणि वा तउया० सीसा० रूप्पा० सुवन्नागराणि वा हिरण्णागराणि वा कुंभारागणीइ वा मुसागणी वा इट्टयागणी वा कल्याणी वा लोहारंवरिसेइ वा जंतवाडचुल्ली वा हंडियलित्थाणि वा सोडियलि० णलागणीति वा तिलागणी वा तुसागणीति वा तत्ताइं समज्जोतीभूयाई फुल्लकिंसुयसमाणाइं उक्कासहस्साइं विणिम्मुयमाणाइं जालासहस्साइं पमुच्चमाणाई इंगालसहस्साइं पविक्खिरमाणाई अंतो २ हुहुयमाणाई चिट्ठति ताई पास त्ता ताई ओगाहइ त्ता से णं तत्थ उण्हंपि पविणेज्जा तण्हंपि पविणेज्जा खुहंपि पविणेज्जा जरंपि पविणेज्जा दाहंपि पविणेज्जा णिद्दाएज्ज वा पयलाएज्ज वा सतिं वा रतिं वा धिरं वा मतिं वा उवलभेज्जा. सीए सीयभूए संकसमाणे २ सायासोक्खबहुले यावि विहरेज्जा. भवे एयारूवे सिया ?. णो इणट्टे समट्ठे. गो० ! उसिणवेदणिज्जेसु सुरतिया तो अणिद्वतरियं चेव० उसिणवेदणं पच्चणुभवमाणा विहरंति, सीयवेदणिज्जेसु णं भंते! णिरएसु णेरतिया केरिसयं सीयवेदणं पच्चणुभवमाणा विहरंति ?. गो० ! से जहाणामए कम्मारदारएसिया तरूणे जुगवं बलवं जाव सिप्पोवगते एगं महं अयपिंडं दगवारसमाणं गहाय ताविय २ कोट्टिय २ जह० एक्काह वा दुआहं वा तियाहं वा उक्को० मासं हणेज्जा से णं तं उसिणं उसिणभूतं अयोमएणं संदंसएणं गहाय असब्भावपट्टवणाए सीयवेदणिज्जेसु णरएस पक्खिवेज्जा से तं उम्मिसियनिमिसियंतरेण पुणरवि पच्छुद्धरिस्सामीतिकट्टु पविरायमेव० पासेज्जा. तं चेव णं जाव णो चेव णं संचाएज्जा पुणरवि पच्चद्धरित्तए से णं से जहाणामए मत्तमायंगे तहेव जास सोक्खबहुले यावि विहरेज्जा एवामेव गो० ! असम्भावपट्टवणाए सीतवेदणेहिंतो णरएहिंतो नेरतिए उव्वट्टिए समाणे जाई इमाई इहं माणुस्सलो हवंति तं हिमाणि वा हिमपुंजाणि वा हिमपडलाणि वा हिमपडलपुंजाणि वा तुसाराणि वा तुसारपुंजाणि वा हिमकुंडाणि वा हिमकुंडपुंजाणि वा सीताणि वा. ताई पासति त्ता ताई ओगाहति त्ता से णं तत्थ तिसंपि पविणेज्जा तण्हंपि प० खुहंपि प० जरंपि प० दाहंपि प० निद्दाएज्ज वा पयलाएज्ज वा जाव उसिणे उसिणभूए संकसमाणे २ सायासोक्खबहुले यावि विहरेज्जा. गो० ! सीयवेयणिज्जेसु नरएसु नेरतिया एत्तो अणिट्ठयरियं चेव० सीतवेदणं पच्चणुभवमाणा विहरति । ९० इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए० णेरतियाणं केवतियं कालं ठिती पं० १, गो० ! जहण्णेणवि उक्कोसेणवि ठिती भाणितव्वा जाव अधेसत्तमाए ।९१ । इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए रतिया अनंतरं उव्वट्टिय कहिं गच्छति कहिं उववज्जंति किं नेरतिएसु उववज्जंति किं तिरिक्खजोणिएसु उववज्नंति ?, एवं उव्वट्टणा भाणितव्वा जहा वक्कंतीए तहा इहवि जाव अहेसत्तमाए ।९२। इमीसे णं भंते! रयण० नेरतिया केरिसयं पुढविफासं पच्चणुभवमाणा विहरंति ?. गो० ! अणिहं जाव अमणामं एवं जाव अहेसत्तमाए. इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए नेरइया केरिसयं आउफासं पच्चणुब्भवमाणा विहरंति ?, गो० ! अणिट्टं जाव अमणामं, एवं जाव अहेसत्तमाए, एवं जाव वणप्फतिफासं अधेसत्तमाए पुढवीए. इमा णं भंते! रयणप्पभापुढवी दोच्चं पुढवि पणिहाय सव्वमहंतिया बाहल्लेणं खुड्डिया सव्वंतेसु. हंता गो० ! इमा णं रयणप्पभापुढवी दोच्चं पुढवीं पणिहाय जाव सव्वक्खुड्डिया सव्वंतेसु. दोच्चा णं भंते ! पुढवी तच्चं पुढवि पणिहाय सव्वमहंतिया बाहल्लेणं पुच्छा. हंतागो० !, दोच्चा पुढवी जाव सव्वक्खुड्डिया सव्वंतेसु, एवं एएणं अभिलावेणं जाव छट्टिता पुढवी आहेसत्तमं पुढविं पणिहाय सव्वक्खुड्डिया सव्वंतेसु । ९३ । इमीसे णं भंते ! रयणप्पभाए तीसाए नरयावाससयसहस्सेसु इक्कमिक्कंसि निरयावासंसि सव्वे पाणा सव्वे भूया सव्वे जीवा सव्वे सत्ता पुढवीकाइयत्ताए जाव वणस्सइकाइयत्ताए नेरइयत्ताए उववन्नपुव्वा ?, हंता गो० ! असतं अदुवा अणंतखुत्तो एवं जाव आहेसत्तमाए पुढवीए णवरं जत्थ जत्तिया णरका, इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए० निरयपरिसामंतेसु जे पुढविक्काइया जाव वणप्फतिकाइया ते णं भंते! जीवा महाकम्मतरा चेव महाकिरियतरा चेव महाआसवतरा चेव महावेयणतरा चेव ?, हंता गो० ! इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए फ्रफ़ श्री आगमगुणमंजूषा - ८६४
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(१४) जीवाजीवाभिमम (३) पडिवत्ति चउम्बिए रहना २-३ / निरक्खजोगिया 3. १ [२]
पुढवीए निरयपरिसामंतेसु तं चेव जाव महावेदणतरका चेव०. एवं जाव अधेसत्तमा । ९४ । पुढवीं ओगाहित्ता नरगा संठाणमेव बाहल्लं । विक्खंभपरिक्खेवो वणो फासो ॥९॥ तेसि महालयाए उवमा देवेण होइ कायव्वा । जीवा य पोग्गला वक्कमंति तह सासया निरया ॥१०॥ उववायपरीमाणं अवहारूच्चत्तमेव संघयणं । संठाणवण्णगंधा फासा ऊसासमाहारे || ११|| लेसा दिट्ठी नाणे जोगुवओगे तहा समुग्धाये। तत्तो खुहापिवासा विउव्वणा वेयणा य भए ॥१२॥ उववाओ पुरिसाणं ओवम्मं वेयणाइ दुविहाए । उव्वट्टण पुढवीओ उववाओ सव्वजीवाणं ॥ १३॥ एयाओ संगहणिगाहाओ | ९५|| ★★★चडविहपडिवत्तीए बीओ उद्देसो प्र० ३ ना० २उ० ॥ ★★★ इमीसे णं भंते । रयणप्पभाए पुढवीए नेरतिया केरिसयं पोग्गलपरिणामं पच्चणुभवमाणा विहरंति ?. गो० ! अणि जाव अमणामं एवं जाव असत्तमाए (प्र० एवं नेयव्वं 'पुग्गलपरिमाणे वेदणा य लेसा य णामगोए य। अरती भए य सोगे खुहा पिवासा य वाही य ॥१॥ उस्सासे अणुतावे कोहे माणे य माय लोभे य । चत्तारि य सन्नाओ नेरइयाणं तु परिमाणं ||२||) 'एत्थ किर अतिवयंती नरवसभा केसवा जलचरा य मंडलिया रायाणो जे य महारंभकोडुंबी ॥१४॥ भिन्नमुत्तर होति (१५४) तिरिय (ए) मणुएसु (य) चत्तारि । देवेसु अद्धमासो उक्कोस विउव्वणा भणिया ॥ १५॥ जे पोग्गला अणिट्ठा नियमा सो तेसिंह आहारो । संठाणं तु जहां नियमा हुंडं तु नायव्वं ॥ १६॥ असुभा विउव्वणा खलु नेरइयाणं तु होइ सव्वेसिं । वेउव्वियं सरीरं असंघयणं हुंडसंठाणं ॥ १७॥ अस्साओ raaणो अस्साओ चेव चयइ निरयभवं । सव्वपुढवीसु जीवो सव्वेसु ठिइविसेसेसुं ||१८|| उववाएण व सायं नेरइओ देवकम्मुणा वावि । अज्झवसाणनिमित्तं अहवा कम्माणुभावेणं ।।१९। नेरइयाणुप्पाओ उक्कोसं पंच जोयणसयाइं । दुक्खेणभिदुयाणं वेयणसयसंपगाढाणं ॥२०॥ अच्छिनिमीलियमेत्तं नत्थि सुहं दुक्ख पडिबद्धं । नरए नेरइयाणं अहोनिसं पच्चमाणाणं ||२१|| तेयाकम्मसरीरा सुहुमसरीरा य जे अपज्जत्ता । जीवेण मुक्कमेत्ता वच्वंति सहस्ससो भेयं ||२२|| अतिसीतं अति अतितहा अतिखुहा अतिभयं वा । निरए नेरइयाणं दुक्खसयाई अविस्सामं ॥ २३॥ एत्थ य भिन्नमुहुत्तो पोग्गल असुहा य होइ अस्साओ । उववाओ उपाओ अच्छि सरीरा उ बोद्धव्वा ॥ २४ ॥ ★★★ नारयउद्देसओ तइओ, से तं नेरतिया । ९६॥ प्र० ३ ना० ३३० ॥ ★★★ से किं तं तिरक्खजोणिया ?, २ पंचविधा पं० तं०-एगिदियतिरिक्खजोणिया बेइंदिय० तेइंदिय० चउरिंदिय० पंचिदियतिरिक्खजोणिया य, से किं तं एगिदियतिरिक्खजोणिया ?, २ पंचविहा पं० तं० पुढविक्काइयएगिदिय० जाव वणस्सइकाइयएगिदिय०, से किं तं पुढविकाइयएगिदियतिरिक्खजोणिया ?, २ दुविहा पं० तं०- सुहुमपुढविकाइय० बादरपुढविकाइयएगिंदिय०, से किं तं सुहुमपुढविकाइयएगिदियतिरि० ?, २ दुविहा पं० तं० पज्जत्तसुहुम० अपज्जत्तसुहुम०, सेतं सुहुम०, से किं तं बादरपुढवीकाइयं० १, २ दुविहा पं० सं० पपज्जत्तबादरपु० अपज्जत्तबादरपु०, से तं बायरपुढवी काइयएगिंदिय०, से तं पुढविकाइयएगिदिय०, से किं तं आउक्काइयएगिदिय० १, २ दुविहा पं० तं० एवं जहेव पुढवीकाइयाणं तहेव, वाउकायभेदो एवं, जाव वणस्सतिकाइया, से तं वणस्सइकाइयएगिदियतिरिक्ख०, से किं तं बेइंदियतिरिक्ख० १, २ दुविधा पं० तं० पज्जत्तकबेइंदियति० अपज्जत्तबेइंदियति०, से तं बेइंदियतिरि०, एवं जाव चउरिदिया, से किं तं पंचेदियतिरिक्खजोणिया ?, २ तिविहा पं० तं० जलयरपंचेदिय० थलयरपंचेदिय० खहयरपंचेदिय०, से किं तं जलयरपंचेदियतिरिक्खजोणिया ?, २ दुविहा पं० तं०-संमुच्छिमजलयरपंचेदिय० य गब्भवक्कंतियजलयरपंचिंदिय०, से किं तं समुच्छिमजलयर० तिरिक्खजोणिया ?, २ दुविहा पं० तं० पज्जत्तगसंमुच्छिम० अपज्जत्तयसंमुच्छिम०, सेत्तं जलयरा, से तं समुच्छिम० पंचिदियतिरिक्ख० से किं तं गब्भवक्कंतियजलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिया ?, २दुविधा पं० तं०पज्जत्तगब्भवक्कंतिय० अपज्जत्तगब्भ०, से तं गब्भवक्कंतियजलयरपंचेदियतिरि०, सेत्तं जलयरपंचेदियतिरि०, से किं तं थलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिता ?, २ दुविधा पं० तं० - चउप्पयथलयरपंचेंदिय० परिसप्पथलयरपंचेदिय०, से किं तं चउप्पदथलयरपंचिंदिय० १, २ दुविहा पं० तं० संमुच्छिमचउप्पयथलयर० भवतियच उप्पयथलयर० य जहेव जलयराणं तहेव चउक्कतो भेदो, सेत्तं चउप्पदथलयरपंचेंदिय०, से किं तं परिसप्पथलयरपंचेदियतिरिक्ख० १, २ दुविहा
श्री आगमगुणमंजूषा - ८६५
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(१४) जीवाजीवाभिगम (३) पडिवत्ति (च.) / तिरक्खजोणिया उ. १ [२४]
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० उरपरिसप्पथलयर० भुयपरिसप्पथलयर०, से किं तं उरगपरिसप्पथलयरपंचेदियतिरिक्खजोणिता ?, २ दुविहा पं० तं० जहेव जलयराणं तहेव चउक्कतो एवं भुयगपरिसप्पाणवि भाणितव्वं, से तं भुयपरिसप्पथलयर०, से तं थलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणिता, से किं तं खहयरपंचेंवियतिरिक्खजोणिया १, २ वेहा पं० तं०-संमुच्छिमखहयर० गब्भवक्कंतियखहयर० य, से किं तं संमुच्छिमखहयरपंचेदियतिरिक्खजोणिता ?, २ दुविहा पं० तं० पज्जत्तगसंमुच्छिमखहयर० अपज्जत्तगसंमुच्छिमखहयर० य, एवं गब्भवक्कतियावि जाव पज्जत्तगब्भवक्कंतियावि अपज्जत्तगगब्भवक्कंतियावि, खहयरपंचेदियतिरिक्खजोणियाणं भंते १ कतिविधे जसिंग पं० १, गो० ! तिविहे जोणिसंगहे पं० तं० अंडया पोयया संमुच्छिमा, अंडया तिविधा पं० तं० इत्थी पुरिसा णपुंसगा, पोतया तिविधा पं० तं० इत्थी पुरिसा णपुंसया, तत्थ णं जे ते संमुच्छिमा ते सव्वे णपुंसका । ९७| एतेसिं णं भंते! जीवाणं कति लेसाओ पं० १, गो० ! छलेस्साओ पं० तं० - कण्हलेस जाव सुक्कलेसा, ते णं भंते! जीवा किं सम्मादिट्ठी मिच्छादिट्ठी सम्मामिच्छादिट्ठी ?, गो० ! सम्मादिट्ठीवि मिच्छादिट्ठीवि सम्मामिच्छादिट्ठीवि, ते णं भंते! जीवा किं णाणी अण्णाणी ?, गो० ! णाणीवि अण्णाणीवि तिण्णि णाणाइं तिण्णि अण्णामाई भयणाए, ते णं भंते! जीवा किं मणजोगी वइजोगी कायजोगी ?, गो० ! तिविधावि, ते णं भंते! जीवा किं सागारोवउत्ता अणागारोवउत्ता ?, गो० ! सागारोबउत्तावि अणागारोवउत्तावि, ते णं भंते! जीवा कओ उववज्जंति किं नेरतिएहिंतो उव० तिरिक्खजोणिएहिंतो उव० ? पुच्छा, गो० ! असंखेज्जवासाउयअकम्मभूमगअंतरदीवगवज्जे- हिंतो उव०, तेसिं णं भंते! जीवाणं केवतियं कालं ठिती पं० १, गो० ! जह० अंतोमुहुत्तं उक्को० पलिओवमस्स असंखेज्जतिभागं, तेसिं णं भंते ! जीवाणं कति समुग्धाता पं० ?, गो० ! पंच समुग्धाता पं० तं० वेदणासमुग्धाए जाव तेयासमुग्घाए, ते णं भंते ! जीवा मारणंतियसमुग्धाएणं किं समोहता मरंति असमोहता मरंति ?, गो० ! समोहृतावि म० असमोहयावि मरंति, ते णं भंते ! जीवा अनंतरं उव्वट्टित्ता कहिं गच्छंति कहिं उववज्र्ज्जति ?- किं नेरतिएसु उववज्जंति ? तिरिक्ख० पुच्छा, गो० ! एवं उव्वट्टणा भाणियव्वा जहा वक्कंतीए तहेव, तेसिं णं भंते ! जीवाणं कति जातीकुलकोडिजोणीपमुहसयसहस्सा पं० ?, गो० ! बारस जाती कुलकोडी जोणीपमुहसयसहस्साई, भुयगपरिसप्पथलयरपंचेदियतिरिक्खजोणियाणं भंते ! कतिविधे जोणीसंगहे पं० १, गो० ! तिविहे जोणीसंग पं० तं० अंडगा पोयगा संमुच्छिमा, एवं जहा खहयराणं तहेव णाणत्तं जह० अंतोमुहुत्तं उक्को० पुव्वकोडी उव्वट्टित्ता दोच्चं पुढविं गच्छंति णव जातीकुलकोडी जोणीपमुहसतसहस्सा भवंती - तिमक्खायं सेसं तहेव, उरगपरिसप्पथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं भंते ! पुच्छा जहेव भुयपरिसप्पाणं तद्देव णवरं ठिती जह० अंतोमुहुत्तं उक्को० पुव्वकोडी उव्वट्टित्ता जाव पंचमिं पुढविं गच्छंति दस जातीकुल कोडी चउप्पयथलयरपंचेदियतिरिक्ख० पुच्छा, गो० ! दुविधे पं० तं०-जराउया (पोयया) य संमुच्छिमा य, (से किं तं) जराउया (पोयया) १, २ तिविधा पं० तं०-इत्थी पुरिसा णपुंसका, तत्थ णं जे ते संमुच्छिमा ते सव्वे णपुंसया, तेसिं णं भंते ! जीवाणं कति लेस्साओ पं० ?, सेसं जहा पक्खीणं णाणत्तं ठिती जहं० अंतोमुहुत्तं उक्को० तिन्नि पलिओमाई उव्व० चउत्थिं पुढकिं गच्छंति दस जातीकुलकोडी०, जलयरपंचेदियतिरिक्खजोणियाणं पुच्छा जहा भुयपरिसप्पाणं णवरं उव्व जाव अधेसत्तमं पुढविं अद्धतेरस जातीकु लकोडीजोणीपमुह० जाव पं०, चउरिंदियाणं भंते! कति जातीकुलकोडीजोणीपमुहसतसहस्सा पं० ?, गो० ! नव जाईकुलकोडीजोणीपमुहसयसहस्सा समक्खाया, तोइदियाणं पुच्छा, गो० ! अट्ठ जाईकुल जावमक्खाया, बेइंदियाणं भंते ! कइ जाई० १, पुच्छा गो० ! सत्त जाईकुलकोडीजोणीषमुह० | ९८| कई णं भंते ! गंधा पं० ? कई णं भंते ! गंधसया पं० १, गो० ! सत्त गंधा सत्त गंधसया पं०, कई णं भंते ! पुप्फजाईकुलकोडीजोणिपमुहसयसहस्सा पं० ?, गो ! सोलस पुप्फजातीकुलकोडीजोणीपमुहसयसहस्सा पं०, तं० - चत्तारि जलयरा (या) णं चत्तारि थलयरा (या) णं चत्तारि माहारूक्खियाणं चत्तारि महागुम्मिताणं, कति णं भंते! वल्लीओ कति वल्लिसता पं० १, गो० ! चतारि वल्लीओ चत्तारि वल्लीसता पं०, कति णं भंते! लताओ कति लतासता पं० १, गो० ! अड्ड लयाओ अट्ठ लतासतापं०, कति णं भंते! हरियकाया हरियकोयसया पं० ?, गो० ! तओ हरियकाया तओ हरियकायसया पं०, फलसहस्सं चबिटबद्धाणं फलसहस्सं च णालबद्धाणं, ते सव्वे हरितकायमेव समोयरंति । ते एवं समणुगम्ममाणा एवं समणुगाहिज्जमाणा एवं
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श्री आगमयुष्णमंजूषा - ८६६
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(१४) नीवाजीवाभिगम (३) पडिवत्ति (च.) २-३ / तिरक्खजोणिया उ. १-२ [२५]
समणुपेहिज्जमाणा एवं समणुचितिज्जमाणा एएसु चेव दोसु काएसु समोयरंति, तं०-तसकाए चेव थावरकाए चेव, एवामेव सपुव्वावरेणं आजीवियदिट्ठतेणं चउरासीती जातिकुलकोडीजोणीपमुहसतसहस्सा भवंतीति मक्खाया। ९९| अत्थि णं भंते । विमाणाइं सोत्थियाणि सोत्थियावत्ताइं सोत्थियपभाइं सोत्थियकन्ताइं सोत्थियवन्नाई सोत्थियलेसाइं सोत्थियज्झयाइं सोत्थियसिंगाई सोत्थियकूडाइं सोत्थियसिद्वाइं सोत्थुत्तरवडिंसगाई ?, हंता अत्थि, ते णं भंते ! विमाणा केमहालता पं० १, गो० ! जावतिएण सूरिए उदेति जावइएणं च सूरिए अत्थमति एवतिया तिष्णोवासंतराई अत्थेगतियस्स देवस्स एगे विक्कमे सिता, से णं देवे ताए उक्किट्ठाए तुरियाए जाव दिव्वाए देवगतीए वीतीवयमाणे २ जाव एकाहं वा दुयाहं वा उक्को० छम्मासा वीतीवएज्जा अत्थेगतिया विमाणं वीतीवइज्जा अत्थेगतिया विमाणं नो वीतीवएज्जा, महालता गो० ! ते विमाणा पं०, अत्थि णं भंते! विमाणाइं अच्चीणि अच्चिरावत्ताइं तहेव जाव अच्चुत्तरवडिंसगाति ?, हंता अत्थि, ते विमाणा केमहालता पं० १, गो० ! एवं जहा सोत्थि (याई) णि णवरं एवतियाइं पंच उवासंतराइं अत्थेगतियस्स देवस्स एगे विक्कमे सिता सेसं तं चेव, अत्थि णं भंते! विमाणाई कामाई कामावत्ताइं जाव कामुत्तरवडिंसयाई ?, हंता अत्थि, ते णं भंते ! विमाणा केमहालया पं० १, गो० ! जहा सोत्थियाईणि णवरं सत्त उवासंतराइं विक्कमे सेसं तहेव, अत्थि णं भंते ! विमाणाई विजयाइं वेजयंताई जयंताइं अपराजिताई ?, हंता अत्थि, ते णं भंते! विमाणा के० ?, गो० ! जावतिए सूरिए उदेइ एवइयाइं नव ओवासंतराई सेसं तं चेव, नो चेव णं ते विमाणे वीइवएज्जा, एमहालया णं ते विमाणा पं० समणाउसो ! ।१००| ★ ★ ★ चउव्विहपडिवत्तीए तिरिक्खजोणियउद्देसओ पढमो ॥ प्र० ३ ति० उ० १ ||★★★ कतिविहा णं भंते! संसारसमावण्णगा जीवा पं० १, गो० ! छव्विहा पं० त० - पुढवीकाइया जाव तसकाइया, से किं तं पुढविकाइया ?, २ दुविहा पं० तं० सुहुमपुढवीकाइया य बादरपुढवीकायिया य, से किं तं सुहुमपुढविकाइया ?, २ दुविहा पं० तं० पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य, सेत्तं सुहुमपुढविकाइया, से किं तं बादरपुढविक्वाइया ?, २ दुविहा पं० तं० पज्जत्तगाय अपज्जत्तगा य एवं जहा पण्णवणापदे सण्हा सत्तविधा पं० खरा अणेगविहा पं० जाव असंखेज्जा, सेत्तं बादरपुढविक्काइया, सेत्तं पुढविक्काइया, एवं चेव जहा पण्णवणापदे तहेव निरवसेसं भाणितव्वं जाव वणप्फतिकाइया एवं जाव जत्थेको तत्थ सिता संखेज्जा सिय असंखेज्जा सिता अणंता, सेत्तं बादरवणप्फतिकाइया, सेत्तं वणस्सइकाइया, से किं तं तसकाइया ?, २ चउव्विहा पं० तं०- बेइंदिया तेइंदिया चउरिदिया पंचेदिया, से किं तं बेइंदिया ?, २ अणेगविधा पं०, एवं जं चेव पण्णवणापदे तं चेव निरवसेसं भाणितव्वं जाव सव्वट्टसिद्धगदेवा, सेत्तं अणुत्तरोववाइया, सेत्तं देवा, सेत्तं पंचेदिया, सेत्तं तसकाइया । १०१ । कतिविधा णं भंते ! पुढवी पं० ?, गो० ! छव्विहा पुढवी पं० तं० सण्हापुढवी सुद्धपुढवी वालुयापुढवी मणोसिलापु० सक्करापु० खरपुढवी, सण्हापुढवीणं भंते! केवतियं कालं ठिती पं० १, गो० ! जह० अंतोमु० उक्को० एगं वाससहस्सं, सुद्धपुढवीए पुच्छा, गो० ! जह० अंतोमु० उक्को० बारसवाससहस्साइं, वालुयापुढवीए पुच्छा, गो० ! जह० अंतोमु० उक्को० चोद्दस वाससहस्साइं, मणोसिलापुढवीणं पुच्छा, गो० ! जह० अंतोमु० उक्को० सोलस वाससहस्साईं, सक्करापुढवीए पुच्छा, गो० ! जह० अंतोमु० उक्को० अट्ठारस वाससहस्साइं, खरपुढवीए पुच्छा, गो० ! जह० अंतोमु० उक्को० बावीसं वाससहस्साई, नेरइयाणं भंते केवतियं कालं ठिती पं० ?, गो० ! जह० दस वाससहस्साइं उक्को० तेत्तीसं सागरोवमाइं ठितिपदं सव्वं भाणियव्वं जाव सव्वट्ठसिद्धगदेवत्ति, जीवे णं भंते! जीवेत्ति कालतो केवच्चिरं होइ ?, गो० ! सव्वद्धं, पुढवीकाइए णं भंते! पुढवीकाइएत्ति कालतो केवच्चिरं होति ?, गो० ! सव्वद्धं, एवं जाव तसकाइए । १०२ । पडुप्पन्नपुढवीकाइया णं भंते ! केवतिकालस्स णिल्लेवा सिता ?, गो० ! जहण्णपदे असंखेज्जाहिं उस्सप्पिणिओसप्पिणीहिं उक्कोसपए असंखेज्जाहिं उस्सपिणीओसप्पिणीहिं जहन्नपदातो उक्कोसपयं असंखेज्जगुणं, एवं जाव पडुप्पन्नवाउक्काइया, पडुप्पन्नवणप्फइकाइया णं भंते! केवतिकालस्स निल्लेवा सिता ?, गो० ! पडुप्पन्नवण० जहण्णपदे अपदा उक्कोसपदे अपदा पडुप्पन्नवणप्फतिकाइयाणं णत्थि निल्लेवणा, पडुप्पन्नतसकाइयाणं पुच्छा, जहण्णपदे सागरोवमसतपुहुत्तस्स उक्कोसपदे सागरोवमसतपुहुत्तस्स जहण्णपदा उक्कोसपदे विसेसाहिया । १०३ । अविसुद्धलेस्सेणं भंते! अणगारे असमोहरणं अप्पाणेणं विसुद्धलेसं देवं देविं अणगारं जाणइ पासइ ?, गो० ! नो इणट्ठे समट्ठे, अविसुद्धलेसे अणगारे समोहएणं अप्पाणेणं अविसुद्धलेसं देवं देवि अणगारं जाणति पासति ?, गो० ! नो इणट्ठे समट्टे, HYOO श्री आगमगुणमजूषा - ८६७YORK
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FORO4555555555455559(१४) जीवाजीवाभिगम (३) पडिवत्ति (च.)२-३ / तिरि, उ.२/मणुस्सा
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अविसुद्धलेसे अणगारे समोहतेणं अप्पाणेणं विसुद्धलेसं देवं देविं अणगारं जाणति पासति ?, नो तिणढे समढे, अविसुद्धलेसे णं भंते ! अणगारे समोहयासमोहतेणं अप्पाणेणं अविसुद्धलेसं देवं देविं अणगारं जाणति पासति ?, नो तिणढे समढे, अविसुद्धलेसे अणगारे समोहतासमोहतेणं अप्याणेणं विसुद्धलेस्सं देवं देविं अणगारं जाणति पासति ?, नो तिणट्ठ समढे, विसुद्धलेसे णं भंते ! अणगारे असमोहतेणं अप्पाणेणं अविसुद्धलेसं देवं देविं अणगारं जाणति पासति ?, हंता जाणति पासति, जहा अविसुद्धलेसेणं छ आलावगा एवं विसुद्धलेस्सेणवि छ आलावा भाणितव्वा जाव विसुद्धलेस्से णं भंते ! अणगारे समोहतासमोहतेणं अप्पाणेणं विसुद्धलेस्सं देवं देविं अणगारं जाणति पासति.?, हंता जाणति पासति ।१०४। अण्णउत्थिया णं भंते ! एवमाइक्खंति एवं भासेन्ति एवं पण्णवेति एवं परूवेति-एवं खलु एगे जीवेएगेणं समएणं दो किरियाओ पकरेति, तं०-सम्मत्तकिरियं च मिच्छत्तकिरियं च, जंसमयं संमत्तकिरियं पकरेति तंसमयं मिच्छत्तकिरियं पकरेति जंसमयं
मिच्छत्तकिरियं पकरेइ तंसमयं समत्तकिरियं पकरेड़, संमत्तकिरियापकरणताए मिच्छत्तकिरियं पकरेति मिच्छत्तकिरियापकरणताए संमत्तकिरियं पकरेति, एवं म खलु एगे जीवे एगेणं समएणं दो किरितांतो पकरेति, तं०-संमत्तकिरियं च मिच्छत्तकिरियं च, से कहमेतं भंते ! एवं ?, गो० ! जन्नं ते अन्नउत्थिया एवमाइक्खंति एवं
भासंति एवं पण्णवेति एवं परूवेति-एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं दो किरियाओ पकरेति तहेव जाव सम्मत्तकिरियं च मिच्छत्तकिरियं च, जे ते एवमाहंसु तं णं मिच्छा, अहं पुण गो० ! एवमाइक्खामि जाव परूवेमि-एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं एग किरियं पकरेति, तं०-सम्मत्तकिरियं वा मिच्छत्तकिरियं वा, जंसमयंसमत्तकिरियं पकरेति णो समयं मिच्छत्तकिरियं पकरेति जंसमयं मिच्छत्तकिरियं पकरेति नो तंसमयं संमत्तकिरियं पकरेति, संमत्तकिरियापकरणयाए नो मिच्छत्तकिरियं पकरेति मिच्छत्तकिरियापकरणयाए णो संमत्तकिरियं पकरेति, एवं खलु एगे जीवे एगेणं समएणं एगं किरियं पकरेति, तं०-सम्मत्तकिरियं वा 'मिच्छत्तकिरियं वा ।१०५/**से तं चउविहपडिवत्तीए तिरिक्खजोणियउद्देसओबीओ समत्तो॥प्र० ३ ति० उ०★★★ २॥ से किं तं मणुस्सा ?, २ दुविहा पं० तं०-समुच्छिममणुस्सा य गब्भवक्कंतियमणुस्सा य ।१०६। से किं तं समुच्छिममणुस्सा ? २ एगागारा पं०, कहिं णं भंते ! संमुच्छिममणुस्सा संमुच्छंति?, गो! अंतोमणुस्सखेत्ते जहा पण्णवणाए जाव सेत्तं संमुच्छिममणुस्सा ।१०७। से किं तं गब्भवक्वंतियमणुस्सा?, २ तिविधा पं० २०- कम्मभूमगा अकम्मभूमगा अंतरदीवगा। १०८ । से किं तं अंतरदीवगा ?, २ अट्ठावीसतिविधा पं० तं०- एगोरूया आभासिता वेसाणिया णांगोली हयकण्णगा० आयंसमुहा० आसमुहा० आसकण्णा० उक्कामुहा० घणदंता जाव सुद्धदंता । १०९ । कहिणं भंते ! दाहिणिल्लाणं एगोरुयमणुस्साणं एगोरुयदीवे णामं दीवे पं०?, गो० ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं चुल्लहिमवंतस्स वासधरपव्वयस्स उत्तरपुरच्छिमिल्लाओ चरिमंताओ लवणसमुदं तिन्नि जोयणसयाई ओगाहित्ता एत्थ णं दाहिणिल्लाणं एगोरुयमणुस्साणं एगुरुयदीवे णामं दीवे पं० तिन्नि जोयणसयाइं आयामविक्खंभेणं णव एकूणपण्णजोयणसए किंचिविसेसेण परिक्खेवेणं, से णं एगाए पउमवरवेदियाए एगेणं च वणसंडेणं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ते, सा णं पउमवरवेदिया अट्ठ जोयणाई उहुंउच्चत्तेणं पंचधणुसयाई विक्खंभेणं एगूरुयदीवं समंता परिक्खेवेणं पं०, तीसेणं पउमवरवेदियाए अयमेयारूवे वण्णावासे पं० २०- वइरामया निम्मा एवं वेतियावण्णओ जहा रायपसेईए तहा भाणियव्वो॥११० । सा णं पउमवरवेतिया एगेणं वणसंडेणं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ता, सेणं वणसंडे देसूणाई दो जोयणाई चक्कवालविक्खंभेणं वेतियासमए परिक्खेवेणं पं०, सेणं वणसंडे किण्हे किण्होभासे एवं जहा रायपसेणिज्जवणसंडवण्णओ तहेव निरवसेसं भाणियव्वं, तणाण य वण्णगंधफासो, सद्दो तणाणं, वावीओ उप्पायपव्वया पुढवीसिलापट्टगा य भाणितव्वा जाव तत्थ णं बहवे वाणमंतरा देवा य देवीओ य आसयंति जाव विहरंति। १११ । एगोरुयदीवस्स णं दीवस्स अंतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पं० से जहाणामए आलिंगपुक्खरेति वा एवं सयणिज्जे भाणितव्वे जाव पुढवीसिलापट्टगंसि तत्थ णं बहवे एगुरुयदीवया मणुस्सा य मणुस्सीओ य॥ आसयंति जाव विहरंति, एगुरुयदीवेणं दीवे तत्थ २ देसे २ तहिं २ बहवे उद्दालका (प्र० मोद्दालका) कोद्दालका कतमाला णट्टमाला सिंगमाला संखमाला दंतमाला
सेलमालगा णामं दुमगणा पं०, समणाउसो! कुसविकुसविसुद्धरुक्खमूला मूलमंतो कंदमंतो जाव बीयमंतो पत्तेहि य पुप्फेहि य अच्छण्णपडिच्छण्णा सिरीए अतीवही Mero F5555555555555555555555[ श्री आगमगुणमंजूषा - ८६८ 555555555555FFFFFFFFFFFFFOTOK
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XG955555555555555 १४) जीवानीवामिमम । . पडियाना, मम्मा. (10s
o २ उवसोभेमाणा २ चिट्ठति, एक्कोरुयदीवेणं दीवे तत्थ २ रुक्खा बहवे हेरुयालवणा भेरुयालवणा मेरुयालवणा सेरुयालवणा सालवणा सरलवणासतमा 卐 पूतफलिवणा खजूरिवणाणालिएरिवणा कुसविकुसवि जाव चिट्ठति, एगुरुयदीवेणं तत्थ २ बहवे तिलया लपया नग्गोधा जाव रायरुक्खाणंदिरुक्खाकुसविकुसवि०
जाव चिटुंति, एगुरुयदीवे णं तत्थ २ बहूओ पउमलयाओ जाव सामलयाओ निच्चं कुसुमिताओ एवं लयावण्णओ जहा उववाइए जाव पडिरूवाओ, एकोरुयदीवेणं तत्थ २ बहवे सेरियागुम्मा जाव महाजातिगुम्मा ते णं गुम्मा दसद्धवण्णं कुसुमं कुसुमंति विधूयग्गसाहा जेण वायविधूयग्गसाला एगोरूयदीवस्स बहुसमरमणिज्ज भूमिभागं मुक्कपुप्फपुंजोवयारकलियं करेंति, एकोरूयदीवे णं तत्थ २ बहूओ वणरातीओ पं०, ताओ णं वणरातीतो किण्हातो किण्हो भासाओ जाव रम्माओ महामेहणिगुरुंबभूताओ जाव महई गंधद्धणिं मुयंतीओ पासादीताओ०, एगुरूयदीवे तत्थ २ बहवे मत्तंगा णामं दुमगणा पं० समणाउसो !, जहा से
चंदप्पभमणिसिलागवरसीधुपवरवारुणिसुजातफलपत्तपुप्फचोयणिज्जा संसारबहुदव्वजुत्तसंभारकालसंघायासवा महुमेरगरिट्ठाभदुद्धजातीपसन्नमेल्लगसताउ 5 खज्जूरमुद्दियासारकाविसायणसुपक्करवोयरसवरसुरावण्णरसगंधफरिसजुत्तबलवीरियपरिणामा मज्जविहित्थ बहुप्पगारा तहेव ते मत्तंगयावि दुमगणा
अणेगबहुविहवीससापरिणयाए मज्जविहीए उववेदा फलेहिं पुण्णा वीसंद(सट्ट)ति कुसविकुसविसुद्धरुक्खमूला जाव चिट्ठति, एक्कोरुए दीवे तत्थ २ बहवे भिगंगया णामं दुमगणा पं० समणाउसो ! जहा से वारगघडकरगकलसकक्करिपायकं चणिउदंकवद्धणिसुपविट्ठरपारीचस-कभिंगारकरोडिसरगथरगपत्तीथा
लणत्थगववलियअवगदगवारकविचित्तवट्टकमणिवट्टकसुत्तिचारुपिणया कंचणमणिरयणभत्तिविचित्ता भायणविधीए बहुप्पगारा तहेव ते भिगंगयावि दुमगणा + अणेगबहुगविविहवीससाए परिणताए भाजणविधीए उववेया फलेहिं पुन्नाविव विसद्वृति कुसविकुस० जाव चिट्ठति, एगोरुगदीवेणं दीवे तत्थ २ बहवे तुडियंगाणाम
दुमगणा पं० समणाउसो ! जहा से आलिंगमुयंगपणवपडहदद्दरगकरडिडिडिमभंभाहोरंभकण्णियारखरमुहिमुगुंदसंखियप-रिलीवच्चगपरिवाइणिवंसवेणुवीणासुघोसविपंचिमहतिकच्छभिरगसगातलतालकंसतालसुसंवत्ता आतोज्जविधीणिउणगंधव्वसमयकुसलेहि फंदिया तिट्ठाणकरणसुद्धा तहेव ते तुडियंगयावि दुमगणा अणेगबहुविविधवीससापरिणयाए ततविततघणझुसिराए चउव्विहाए आतोज्जविहीए उववेया फलेहिं पुण्णा विसट्टन्ति कुसविकुसविसुद्धरुक्खमूला जाव चिट्ठति, एगोरुयदी० तत्थ २ बहवे दीवसिहा णाम दुमगणा पं० समणाउसो! जहा से संझाविरागसमए नवणिहिपतिणो दीवियाचक्कवालविद पभूयवट्टिपलित्ताणेहिं धणिउज्जालियतिमिरमद्दए कणगणिगरकुसुमितपालियातयवणप्पगासो कंचणमणिरयणविमलमहरिहतवणिज्जुज्जलविचित्तदंडाहिं दीवियाहिं सहसा पज्जलिऊसवियणिद्धतेयदिप्पंतविमलगहगणसमप्पहाहिं वितिमिरकरसूरपसरिउल्लोयचिल्लियाहिं जालुज्जलपहसियाभिरामाहिं सोभेमाणा तहेव ते दीवसिहावि दुमगणा अणेगबहुविविहवीससापरिणामाए, उज्जोयविधीए उववेदा फलेहिं पुण्णा विसर्दृति कुसविकुसवि० जाव चिट्ठति, एगुरूयदीवे तत्थ २ बहवे जोतिसिहा णाम दुमगणा पं० समणाउसो ! जहा से अचिरुग्गयसरयसूरमंडलपचंडउक्कासहस्सदिप्पंत- विज्जुज्जलहुयवहनिद्भूमजलिय- निद्धंतधोयतत्ततवणिज्जकिंसुयासोयजावासुयणकुसुमविमउलियपुंजमणिरयणविमणजच्चहिंगुलयणिगररूवाइरेगरूवा तहेव तेजोतिसिहावि दुमगणा अणेगबहुविविहवीससापरिणयाए उज्जोयविहीए उववेदा सुहलेस्सा मंदलेस्सा मंदायवलेस्सा कूडायइव ठाणठिया अन्नमन्नसमोगाढाहिं लेस्साहिं साए पभाए सपदेसे सव्वओ समंता ओभासंति उज्जोवेति पभासेंति कुसविकुसवि० जाव चिट्ठति, एगुरुयदीवे तत्थ २ बहवे चित्तंगा णाम दुमगणा पं० समणाउसो ! जहा से पेच्छणघरे विचित्ते रम्मे वरकुसुमदाममालुज्जले ॥
भासंतमुक्कपुप्फपुंजोवयारकलिए विरल्लियविचित्तमल्लसिरिदाममल्लसिरिसमुदयप्पगब्भे गंथिमवेढिमपूरिमसंघाइमेण मल्लेण छेयसिप्पियविभारतिएण सव्वतो * चेव समणुबद्धे पविरललंबंतविप्पइटेहिं पंचवण्णेहिं कुसुमदामेहिं सोभमाणेहिं सोभमाणे वणमालंतग्गए चेव दिप्पमाणे तहेव ते चित्तंगयावि दुमगणा म अणेगबहुविविहवीससापरिणयाए मल्लविहीए उववेया कुसविकुसवि० जाव चिट्ठति, एगुरुयदीवे तत्थ २ बहने चित्तरसा णाम दुमगणा पं० समणाउसो । जहा से सुगंधवरकलमसालितन्दुलविसिट्ठणिरुवहतदुद्धरद्धे सारयघयगुडखंडमहुमेलिए अतिरसे परमण्णे होज्ज उत्तमवण्णगंधमते रण्णो जहा वा चक्कवट्टिस्स होज्ज णिउणेहिं ELLENGEEEEEEEEEEEEEEEENELESEE PITIES-
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(१४) जीवाजीवाभिगम (३) पडिवत्ति (च.) मणुस्सा, [२८]
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सूतपुरिसेहिं सज्जिएहिं वाउ (प्र० चउर) कप्पसे असित्तेइव ओदणे कलमसालिणिज्जत्तिएवि ए (प) क्के सबप्फमिउविसयएगसिंत्थे अणेगसालस (ण) गसंजुत्ते अहवा पडिपुण्णदव्वुवक्खडेसु सक्कए वण्णगंधरसफग्मिजुत्तबलविरियपरिणामे इंदियबलपुट्ठिवद्धणे खुप्पिवासमहणे पहाणे गुलकड्डियखंडमच्छंडियउवणीए पमोयगे सण्हसमियगब्भे हवेज्ज परमइद्वंगसंजुत्ते तहेव ते चित्तरसावि दुमगणा अणेगबहुविविहवीससापरिणयाए भोजणविहीए उववेदा कुसविकुववि० जाव चिट्ठति, एगुरुए दीवे णं तत्थ २ बहवे मणियंगा नाम दुमगणा पं० समणाउसो ! जहा से हारद्धहारवट्टणगमउड कुं डलवासुत्तग्रहेमजालमणिजालकणगजालगमुत्तगउच्चिइयकडगाखुड्डियएकावलिकंठ सुत्तमंजरिमउरत्थगे वेज्जसोणिसुत्तगचूला-मणिकणगतिलगफुल्ल सिद्धत्थयकण्णवालिससिसूरउसभचक्कगतलभंगतुडियहत्थि - मालगवलक्खदीणारमालिता चंदसूरमालिता हरिसयकेयूरवलयपालंब अंगुलेज्जगकंचीमेहलाकलावपयरपायजालघंटियखिखिणिरयणोरुजाल(प्र०तुडिय)त्थगियवरणेउरचलणमालिया कणगणिगरमालिया कंचणमणिरयणभत्तिचित्ता भूसणविधी बहुप्पगारा तहेव ते मणियंगावि दुमगणा अणेगबहुविविहवीससापरिणताए भूसणविहीए उववेया कुसवि० जाव चिट्ठति, एगुरुयए दीवे तत्थ २ बहवे गेहागारा नाम दुमगणा पं० समणाउसो ! जहा से पागारट्टालगचरियदारगो पुरपासायाकासतलमंड व एगसालबिसालगतिसा-लगचउरं सचउसालगन्भघरमो हणघरवलभिघरचित्तसालमालयभत्तिघरवट्टतंसचतुरंसणं- दियावत्तसंठियायतपंडुरतलमुंडमालहम्मियं अहवणं धवलहर अद्धमागहविब्भमसेलद्धसे- लसंठियकूडागारट्ठसुविहिकोट्ठगअणेगघरसरणलेणआवणविडंगजालचंदणिज्जूहअपवर- कलियकवोतालिचंदसालियरूवविभत्तिकलिता भवण विही बहुविकप्पा तहेव ते गेहागारावि दुमगणा अणेगबहुविविधवीससापरिणयाए सुहारुहणे सुहोत्ताराए सुहनिक्खमणप्पवेसाए दद्दरसोपाणपंतिकलिताए पइरिक्काए सुहविहाराए मणोऽणुकूलाए भवणविहीए उववेया कुसवि० जाव चिट्ठति, एगोरुयदीवे तत्थ २ बहवे अणिगणा णामं दुमगणा पं० समणाउसो ! जहा से अणेगआदिणगसोभंतणुतकंबलदुगुल्लकोसेज्जकालमिगपट्टचीणं सुयबरणातवारवणिगयतु आभरणचित्तसहिणगकल्लाणगभिंगिणीलकज्जलबहुवण्ण- रत्तपीतसुक्किल्लमक्खयमिगलोमहेमप्फरुण्णगअवसरत्तगसिंधुओसभदामिलवंगकलिंगनेलिणतंतुमयभत्तिचित्ता वत्थविही बहुप्पकारा हवेज्ज वरपट्टणुग्गता वण्णरागकलिता तहेव ते
'दुमगणा अणेगबहुविविहवीससापरिणताए वत्थविधीए उववेया कुसविकुसवि० जाव चिट्ठति, एगोरुयदीवे णं भंते! दीवे मणुयाणं केरिसए आगारभावपडोयारे पं० ?, गो० ! ते णं मणुया अणुवमवरतरसोमचारुवा भोगुत्तमा भोगलक्खणधरा भोगसस्सिरीया सुजायसव्वंगसुंदरंगा सुपतिट्ठियकुम्मचारुचलणा रत्तुप्पलपत्तमउयसुकुमालको मलतला नगनगरसागरमगरचक्कं क वरं कलक्खणंकियचलणा अणुपुव्वसुसाहतंगुलीया उण्णयतणुतं बणिद्धणक्खा संठिसुसिलिट्ठगूढगुफा एणीकुरुविंदावत्तवट्टाणुपुव्वजंघा समुग्गणिमग्गगूढजाणू गतससणसुजातसण्णिभोरू वरवारणमत्ततुल्लविक्कमविलासितगती (१५५) सुजात वरतुरगगुज्झदेसा आइण्णहतोव णिरुवलेवा पमुइयवरतुरियसीहअतिरेगवट्टियकडी साहयसोणंदमुसलदप्पणणिगरितवरकणगच्छरुसरिसवरवइइवलितमज्झा उज्जुयसमसहितसुजातजच्चतणुकसिणणिद्ध आदेज्जलडहसुकुमालमउयरमणिज्जरोमराती गंगावत्तपयाहिणावत्ततरंगभंगुररविकिरणतरुणबोधितअकोसायंतपउमगंभीरवियडणाभी झसविहगसुजातपीणकुच्छी झसोदरा सुइकरणा पम्हवियडणाभा सण्णयपासा संगतपासा सुंदरपासा सुजातपासा मितमाइयपीणरतियपासा अकरूंडुयकणगरुयगनिम्मलसुजायनिरुवहयदेहधारी पसत्यबत्तीसलक्खणधरा कणगसिलातलुज्जलपसत्तासमयलोवचियविच्छिन्नपिहुलवच्छासिरिवच्छं कियवच्छा पुरवरफलिहवट्टियभुयाभुयगीसरविपुलभोगआयाणफलिहउच्छूढदीहबाहू जूयसन्निभपीणरतियपीवरपउसंठियसुसिलिट्ठविसिघणथिरसुबद्धसुनिगूढपव्वसंधी रत्ततलोवइतमउयमंसलपसत्थलक्खणसुजायअच्छिद्दजालपाणी पीवरवट्टियसुजायकोमलवरंगुलीया तंबतलिणसुचिरुइरणिदणक्खा चंदपाणिलेहा सूरपाणिलेहा संखपाणिलेहा चक्कपाणिलेहा दिसासोअत्थियपाणिलेहा चंदसूरसंखचक्कदिसासोअत्थियपाणिलेहा अणेगवरलक्खणुत्तमपसत्यसुचिरतियपाणिलेहा वरमहिसवराहसीहसद्दूलउसमणागवरपडिपुन्नविउलउन्नतमइंदखंधा चउरंगुलसुप्पमाणकंबुवरसरिसगीवा ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ ॐ श्री आगमगुणमंजूषा - ८७०
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(१४) जीवाजीवामिनम (3) पडिवनि (प.)
अवट्ठितसुविभत्तसुजातचित्तमंसू मंसलसंठियपसत्थसद्दूलविपुलहणुयाओ तावितसिलप्पपालबिंबफलसन्निभाहरोट्ठा पंडुरससिसगलविमलनिम्मलसंखगोखीरफेनदगरयमुणालियाधवलदंतसेढी अखंडदंता अफुडियदंता अविरलदंता सुजातदंता एगदंतसेढिव्व अणेगदंता हुतवहनिद्धंतधोततत्ततवणिज्जरत्ततललुतालुजीहा गरुलाययउज्जुतुंगणासा अवदालियपोंडरीयणयणा कोकासितधवलपत्तलच्छा आणामियचावरुइलकिण्हपूराइयसंठियसंगत आयतसुजाततणुकसिणनिद्धभुमया अल्लीणप्पमाणजुत्तसवणा पीणमंसलकवोलदेसभागा अचिरुग्गयबालचंदसंठियपसत्थविच्छिन्नसमणिडाला उडुवतिपडिपुण्णसोमवदणा छत्तागारुत्तमंगदेसा घणणिचियसुबद्धलक्खणुण्णयकू डागारणिभपिंडियासरसा दाडिमपुप्फ पगासतवणिज्जसरिसनिम्मलसुजायके संतके सभूमी सामलिबोंडघणणिचियछोडियमिउविसयपसत्यसुहुम- लक्खणसुगंधसुंदरभुयमोयगभिगिणीलकज्जलपहट्ट भमरगणणिद्धणिकु संबनिचियकुंचियपदाहिणावत्तमुद्धसिरया लक्खणवंजणगुणोववेया सुजायसुविभत्तसुरूवगा (प्र० संगतंगा) पासाईया दरिसणिज्जा अभिरुवा पडिरूवा, ते णं मणुया हंसस्सरा कोंचस्सरा नंदिघोसा सीहस्सरा सीहघोसा मंजुस्सरा मंजुघोसा सुस्सरा सुस्सरणिग्घोसा छायाउज्जोतियंगभंगा वज्जरिसभनारायसंघयणा समचउरंससंठाणसंठिया सिणिद्धच्छवी णिरायका उत्तमपसत्थअइसेसनिरुवमतणू जल्लमलकलंकसेयरयदोसवज्जियसरीरा निरुवलेवा अणुलोभवाउवेगा कंकग्गहणी कवोतपरिणामा सउणिव्व पोसपितरोरुपरिणता विग्गहियउन्नयकुच्छी पउमुप्पलसरिसगंधणिस्साससुरभिवदणा अट्ठधणुसयं ऊसिया, तेसिं मणुयाणं चउसट्टी पिट्ठिकरंडगा पं० समणाउसो !, ते णं मणुया पगतिभद्दा पगतिविणीतगा पगतिउवसंता पगतिपयणुकोहमाणमायालोभा मिउमद्दवसंपण्णा अल्लीणा भद्दगा विणीता अप्पिच्छा असंनिहिसंचया अचंडा विडिमंतरपरिवसणा जहिच्छियकामगामिणो य ते मणुयगणा पं० समणाउसो !, तेसिं णं भंते! मणुयाणं केवतिकालस्स आहारट्ठे समुप्पज्जति ?, गो० ! चउत्थभत्तस्स आहारट्टे समुप्पज्जति, एगोरूयमणुईणं भंते! केरिसए आगारभावपडोयारे पं० ?, गो० ! ताओ णं मणुईओ सुजायसव्वंगसुंदरीओ पहाणमहिलागुणेहिं जुत्ता अच्वंतविसप्पमाणपउमसूमालकुम्मसंठितविसिट्ठचलणाओ जुम्मीओ पीवरनिरंतरपुट्ठसाहितंगुलीतो उण्णयरतियनलिणंव सुइणिद्धणखा रोमरहियवट्टलट्ठ संठियअजहण्णपसत्थलक्खणअकोप्पजं घजुयला सुणिम्मियसुगूढजाणू मंसलसुबद्धसंधी
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कयलिक्खंभातिरेगसंठियणिव्वणसुकुमालमउयकोमल अविरलसमसहितसुजातवट्टपीवरणिरंतरोरू अट्ठावयवीचीपट्ठसंठियपसत्थविच्छिन्नपिहुलसोणी वदणायामप्पमाणदुगुणितविसालमं सलसुबद्धजहणवरधारणीतो वज्जविराइयपसत्थलक्खणणिरोदरा तिवलिवलीयतणुणमियमज्झितातो उज्जुयसमसहितजच्चतणुक सिणणिद्ध आदेज्जलड हसु विभत्तसुजातकं तसोभं तरुइलरमणिज्जरोमराई गंगावत्तपदाहिणावत्ततरंगभंगुररविकिरणतरुणबोधितअकोसायं तपउमवणगंभीरवियडणाभी अणुब्भडपसत्थपीणकुच्छी सण्णययासा संगयपासा सुजायपासा मितमातियपीणरइयपासा अकरंडुयकणगरुयगनिम्मल सुजायणिरुवहयगात्लट्ठी कं चणकलससमपमाणसमसहितसुजातलट्ठ चूचुयआमे लगजमलजुगलवट्टियअब्भु (प्र० च्चु० ) ण्णयरतियसंठियपयोधराओ भुयंगऽणुपुव्वतणुयगोपुच्छवट्टसमसहियणमियआए ज्जललियवाहाओ तंबणहा मंसलग्गहत्था पीवरकोमलवरंगुलीओ णिद्धपाणिलेहा रविससिसंखचक्क सोत्थियसुविभत्तसुविरतियपाणिलेहा पीणुण्णयकक्खवत्थिदेसा पडिपुण्णगलकवोला चउरंगुलसुप्पमाणकं बुवरसरिसगी वा मंसलसंठि यपसत्थहणुया दाडिमपुप्फपगासपीवरपलं बकुं चियवराधरा सुदरोत्तरोट्ठा दधिदगरयचंदकुं दवासंतिमउलअच्छि छविमलदसणा रत्तुप्पलपत्तमउयसुकुमालतालुजीहा कणयवरमुउलअकुडिलअप्भुग्गतउज्जुतुंगणासा सारदणवकमलकुमुदकुवलयविमुक्कदलणिगरसरिसलक्खणअंकियकंतणयणा पत्तलचवलायंततंबलोयणाओ आणामितचावरुइलकिण्हन्भराइसंठियसंगतआययसुजात (प्र० तणु) कसिणणिद्धभमुया अल्लीणपमाणजुत्तसवणा सुसवणा पीणमट्ठरमणिज्जगंडलेहा चउरंसपसत्थसमणिडाला कोमुतिरयणिक रविमलपडि पुन्नसोमवयणा छत्तुन्नयउत्तिमंगा कु डिलसु सिणिद्धदीहसिरया छत्तज्झयजुगथूभदामिणिकमंडलुकलसवाविसोत्थियपडागजवमच्छकुम्मरहवरमगरसुकथालअंकुस अट्ठावयवीइसुपरट्ठकमयूरसिरिदामाभिसेयतोरणमेइणिउदधिवरभवण
ॐ श्री आगमगुणमंजूषा २७१ R
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(१४) जीवाजीवाभिगम (३) पडिवत्ति (च.) मणुस्सा.
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गिरिवरआयसललियगतउसभसीहचमरउत्तमपसत्थबत्तीसलक्खणधरीतो हंससरिसगतीतो कोतिलमधुरगिरसुस्सराओ कंता सव्वस्स अणुनतातो ववगतवलिपलिया वंगदुव्वण्णवाहीदोभग्गसोगमुक्काओ उच्चत्तेण य नराण थोवूणमूसियाओ सभावसिंगाराचारचारुवेसासंगतहसितभणियचेट्ठियविलाससंलावणिउणजुत्तोवयारकुसला सुंदरथणजहणवदणकरचलणणयणमाला वण्णरूवलावण्णजोव्वणविलासकलिया नंदणवणविवरचारिणीउव्व अच्छराओ अच्छेरगपेच्छाणिज्जा पासाईतातो दरिसणिज्जातो अभिरूवाओ पडिरूवाओ, तासिं णं भंते ! मणुईणं केवतिकालस्स आहारट्टे समुप्पज्जति ?, गो०? चउत्यभत्तस्स आहारट्टे समुप्पज्जति, ते णं भंते ! मणुया किमाहारमारेति ?, गो० ! पुढ़वीपुप्फफलाहारा ते मणुयगणा पं० समणाउसी!, तीसे णं भंते ! पुढवीए केरिसए आसाए पं०?, गौ०! से जहाणामए गुलेति वा खंडेति वा सक्काराति वा मच्छंडियाति वा भिसकंदोति वा पप्पडमोयएति वा पुप्फदामतेति वा पुप्फुत्तराइ वा पउमुत्तराइ वा-अकोसिताति वा विजताति वा महाविजयाइवा आयंसोवमाति वा अणोवसाति वा चाउरक्के गोखीरे चउठाणपरिणए गुडखंडमच्छंडिउवणीए मंदग्गिकहिए वण्णेणं उववेए जाव फासेणं, भवे एतारूवे सिता ?, नो इणद्वे, समढे तीसे णं पुढवीए एत्तो इट्ठयराए चेव जाव मणामतराए चेव आसाए पं०, तेसिंणं भंते ! पुप्फफलाणं केरिसए आसाए पं०?, गो० ! से जहानामए चाउरंतचक्कवट्टिस्स कल्लाणे पवरभोयणे सतसहस्सनिप्फन्ने उववेते गंद्रेणं उववेते रसेणं ठववेते फासेणं उववेते आसायणिज्जे वीसायणिज्ने दीवणिज्जे बिहणिज्जे दप्पणिज्जे मयणिज्जे सव्विदियगातपल्हायणिज्जे, भवे एतारूवे सिता?, णो तिणढे समढे, तेसिंणं पुप्फफलाणं एत्तो इठ्ठतराए चेव जाव आसाए णं पं०. ते णं भंते ! मणुया तमाहारमाहारित्ता कहिं वसहि उति ?, गो० ! रुक्खगेहालता णं ते मणुयगणा पं० समणाउसो!, ते णं, भंते ! रुक्खा किंसंठिया पं० ?, गो० ! कूडागारसंठिता पेच्छाघरसंठिता सत्तागारसंठिया झयसंठिया थूभसंठिया तोरणसंठिया गोपुर० चेतियपा(या)लगसंठिया अट्टालगसंठिया पासादसंठिया हम्मतलसंठिया वालग्गपोत्तियासंठिता वलभीसंठिता अण्णे तत्थ बहवे वरभवणसयणविसिट्ठसंठाणसंठिता सुहसीयलच्छाया णं ते दुमगणा पं० समणाउसो !, अत्थि णं भंते ! एगोरूयदीवे दीवे गेहाणि वा गेहावणाणि वा ?, णो तिणढे समढे, रुक्खगेहा लया णं ते मणुयगणा पं० समणाउसो !, अत्थि णं भंते ! एगुरूयदीवे गामाति वा णगराति वा जाव सन्निवेसाति वा ?, णो तिणढे समढे, जहिच्छितकामगामिणो ते मणुयगणा पं० समणाउसो!, अत्थि णं भंते ! एगूरुदीवे असीति वा मसीइ वा कसीइ वा पणीति वा वाणिज्जाति वा?, नो तिणढे समढे, ववगयअसिमसिकिसिपणियवाणिज्जा णं ते मणुयगणा पं० समणांउसो!, अत्थिणं भंते ! एगुरुयहीवे हिरण्णेति वा सुवन्नेति वा कंसेति वा दूसेति वा मणीति वा मुत्तिएति वा विपुलधणकणगरयणमणिमोत्तियसंखसिलप्पवालसंतसारसावएज्जेति वा ?, हंता अत्थि, णो चेव णं तेसिं मणुयाणं तिव्वे ममत्तभावे समुप्पज्जति, अत्थि णं भंते ! एगोरुयदीवे रायाति वा जुवरायाति वा ईसरेति वा तलवरेइ वा माडंबियाति वा कोडुंबियाति वा इब्भाति वा सेट्टीति वा सेणावतीति वा सत्थवाहाति वा ?, णो तिणढे समटे, ववगयइड्डीसक्काराणं ते मणुयगणा पं० समणाउसो!, अत्थि णं भंते ! एगुरूयदीवे दीवे दासाति वा पेसाइ वा सिस्साति वा भयगाति वा भाइल्लगाइ वा कम्मगरपुरिसाति वा ?, णो तिणद्वे समढे, ववगतआभियोगिताणं ते मणुयगणा पं० समणाउसो ! अस्थि णं भंते ! एगोरुयदीवे दीवे माताति वा पियाति वा भायाति वा भइणीति वा भज्जाति वा पुत्ताति वा धूयाइ वा सुण्हाति वा ?, हंता अत्थि, नो चेव णं तेसिं णं मणुयाणं तिव्वे पेमबंधणे समुप्पज्जति, पयणुपेज्जबंधणा णं ते मणुयगणा पं० समणाउसो?, अत्थि णं भंते ! एगुरुयदीवे अरीति वा वेरिएति वा घातकाति वा वहकाति वा पडिणीताति वा पच्चमित्ताति वा ?, णो तिणढे समढे, ववगतवेराणुबंधा णं ते मणुयगणा पं० समणाउसो!, अत्थि णं भंते ! एगोरुए दीवे मित्ताति वा वतंसाति वा घडिताति वा सहीति वा सुहियाति वा महाभागाति वा संगतियाति वा ?, णो तिणढे समटे, ववगतपेम्मा ते मणुयगणा पं० समणाउसो !, अत्थि णं भंते ! एगोरूयदीवे आवाहाति वा वीवाहाति वा जण्णाति वा भद्दाति वा थालिपाकाति वा चेलोवणतणाति वा सीमंतुण्णयणाइ वा पितिपिंडनिवेदणाति वा ?, णो तिणढे समटे, ववगतआवाहविवाहजण्णभद्दथालिपागचोलोवणतणसीमंतुण्णयणभतपिंडनिवेदणाणं ते मणुयगणा पं० समणाउसो!,
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(१४) जीवाजीवाभिगम (३) पडिवति (च.) मणुस्सा. [३१]
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अत्थि णं भंते ! एगोरुयदीवे दीवे इंदमहाति वा खंदमहाति वा रुद्दमहाति वा सिवमहाति वा वेसमणमहाइ वा मुगुंदमहाति वा णागमहाति वा जक्खमहाति वा भूतमहाति वा कूवमहाति वा तलाय०णदिमहाति वा दहमहाति वा पव्वयमहाति वा रुक्खरोवणमहाति वा चेइयमहाइ वा धूभमहाति वा ?, णो तिप्पट्टे समट्टे, वगतमहमहिमाणं ते मणुयगणा पं० समणाउसो !, अत्थि णं भंते ! एगोरुयदीवे णडपेच्छाति वा गट्टपेच्छाति वा मल्लपेच्छाति वा मुट्टियपेच्छाइ वा विडंबगपेच्छाइ वा कहगपेच्छाति वा पवगपेच्छाति वा अक्खायगपेच्छाति वा लासगपेच्छाति वा लंखपे० मंखपे० तूणइल्लपे० तुंबवीणपे० किविणपे० मागहपे० जल्लपे० १, णो तिण सम, ववगतकोउहल्ला णं ते मणुयगणा पं० समणाउसो !, अत्थि णं भंते ! एगुरूयदीवे सगडाति वा रहाति वा जाणाति वा जुग्गाति वा गिल्लीति वा थिल्लीति वा पिपिल्लीइ वा पवहणाणि वा सिवियाति वा संदमाणियाति वा ?, णो तिणट्टे समट्ठे, पादचारविहारिणो णं ते मणुस्सगणा पं० समणाउसो !, अत्थि णं भंते! एगूरुयदीवे आसाति वा हत्थीति वा उट्टाति वा गोणाति वा महिसाति वा खराति वा घोडाति वा अजाति वा एलाति वा ?, हंता अत्थि, नो चेव णं तेसिं मणुयाणं परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति, अत्थि णं भंते! एगूरुयगदीवे सीहाति वा वग्घाति वा विगाति वा दीवियाइ वा अच्छाति वा परच्छाति वा परस्सराति वा तरच्छाति वा बिडालाइ वा सुणगाति वा कोलसुणगाति वा कोकंतियाति वा ससगाति वा चित्तलाति वा चिल्ललगाति वा ?, हंता अत्थि, नो चेव णं ते अण्णमण्णस्स तेसिं वा मणुयाणं किंचि आबाहं वा पबाहं वा उप्पायंति छविच्छेदं वा करेति, पगतिभद्दका णं ते सावयगणा पं० समणाउसो !, अत्थि णं भंते ! एगुरूयदीवे सालीति वा वीहीति वा गोधूमाति वा जवाति वा तिलाति वा इक्खति वा ?, हंता अत्थि, नो चेव णं तेसिं मणुयाणं परिभोगत्ताए हव्वमागच्छंति, अत्थि णं भंते! एगुरुयदीवे गत्ता वा दरीति वा घसाति वा भिभूति वा उवाएति वा विसमेति वा विज्जलेति वा धूलीति वा रेणूति वा पंकेइ वा चलणीति वा ?, णो तिणट्ठे समट्ठे, एगूरुयदीवे णं वे बहुसमरमणिज्ने भूमिभागे पं० समणाउसो !, अत्थि णं भंते! एगूरुयदीवे दीवे खाणूति वा कंटपति वा हीरएति वा सक्कराति वा तणकयवराति वा पत्तकयवराइ वा असुतीति वा पूतियाति वा दुब्भिगंधाइ वा अचोक्खाति वा ?, णो तिणाट्ठे समट्ठे, ववगयखाणुकं टक हीरसक्क रतणक यवरपत्तकयवरसुतिपूतियदुब्भिगंधमचोक्खपरिवज्जिए णं एगोरुयदीवे पं० समणाउसो !, अत्थि णं भंते ! एगुरुयदीवे दंसाति वा मसगाति वा पिसुयाति वा जूताति वा लिक्खाति वा ढंकुणाति वा ?, णो तिणट्टे, समट्टे ववगतदंसमसगपिसुतजूतलिक्खढंकुणपरिवज्जिए णं एगुरुयदीवे पं० समणाउसो !, अत्थि णं भंते ! एगुरुयदीवे
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वा अयराति वा महोरगाति वा० ?, हंता अत्थि, नो चेव णं ते अन्नमन्नस्स तेसिं वा मणुयाणं किंचि आबाहं वा पबाहं वा छविच्छेयं वा करेति, पगाइभद्दगा णं ते वालगगणा पं० समणाउसो !, अत्थि णं भंते! एगुरुयदीवे गहदंडाति वा गहजुद्धाति वा गहमुसलाइ वा गहगज्जिताति वा गहसंघाडगाति वा गहअवसव्वाति वा अब्भाति वा अब्भरुक्खाति वा संझाति वा गंधव्वनगराति वा गज्जिताति वा विज्जुताति वा उक्कापाताति वा दिसादाहाति वा णिग्घाताति वा पंसुविट्ठीति वा जूवगाति वा जक्खालित्ताति वा धूमिताति वा महिताति रउग्घाताति वा चंदोवरागाति वा सूरोवरागाति वा चंदपरिवेसाइ वा सूरपरिवेसाति वा पडिचंदाति वा पडिसूराति वा इंदधणूति वा उदगमच्छाति वा अमोहाइ वा कविहसियाइ वा पाईणवायाइ वा पडीणवायाइ वा जाव सुद्धवाताति वा गामदाहाति वा नगरदाहाति वा जाव सण्णिवेसदाहाति वा पाणक्खतजणक्खयकुलक्खयधणक्खयवसणभूतमणारिताति वा ?, णो तिणट्ठे समट्ठे, अत्थि णं भंते ! एगुरुयदीवे डिंबाति वा वा कलहात वा बोलाति वा खाराति वा वेराति वा विरुद्धरज्जाति वा ?, णो तिणट्ठे समट्ठे, ववगतडिंबडमरकलहबोलखारवेरविरुद्धरज्जविवज्जिता णं ते मणुयगणा पं० समणाउसो !, अत्थि णं भंते ! एगुरुयदीवे महाजुद्धाति वा महासंगामाति वा महासंनाहाति वा महापुरिसनिवाडणाति वा महारुधिरबाणाति वा नागबाणाति वा खणबाणाइ वा तामसबाणाइ वा दुब्भूतियाइ वा कुलरोगाति वा गामरोगाति वा नगररोगाति वा मंडलरोगाति वा सिरोवेदणाति वा अच्छिवेदणाति वा कण्णवेदणाति वा णक्कवेदणाइ वा दंतवेदणाइ वा नखवेदणाइ वा कासांति वा सासाति वा सोसाति वा जराति वा दाहाति वा कच्छूति वा खसराति वा कुद्धाति वा कुट्ठाति वा दगराति
MOK श्री आगमगुणमंजूषा ८७३
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(१४) जीवाजीवाभिगम (३) पडिवत्ति (च) मणुस्सा. [३२]
वा अरिसाति वा अजीरगाति वा भगंदराइ वा इंदग्गहाति वा खंदग्गहात्ति वा कुमारम्गहाति वा णागग्गहा ते वा जक्खग्गद्धाति वा भूतग्गहाति वा उब्वेयग्गहाति वा धणुग्गहाति वा एगाह्रियग्गहाति वा बेयाहियगहाति वा तेयाहियगहाइ वा चाउत्थाहियगहाति वा हिययसूलाति वा मत्थर्गसूलाति पाससूलाइ वा कुच्छिसूलाइ वा जोणिसूलाइ वा गाममारीति वा जाव सन्निवेसमारीति वा पाणक्खयजाववसणभूतमणारिताति वा ?, णो तिणट्टे समद्वे, ववगतरोगायंका णं ते मणुयगणा पं० समणाउसो !, अत्थि णं भंते ! एगुरूयदीवे अतिवासाति वा मंदवासाति वा सुवुट्ठीइ वा मंदवुट्टीति वा उदवाहाति वा पवाहणाति वा दगुब्भेयाइ वा दगुप्पीलाइ वा गामवाहाति वा जाव सन्निवेसवाहाति वा पाणक्खयजाववसणभूतमणारिताति वा ?, णो तिणट्ठे समट्ठे, ववगतदगोवद्दवा णं ते मणुयगणा पं० समणाउसो !, अत्थि भंते! गुरूदीवे अयागराति वा तम्वागराइ वा सीसागराति वा सुवण्णागराति वा रतणागराति वा वइरागराइ वा वसुहाराति वा हिरण्णवासाति वा सुवण्णवासाति वारणवासात वा वइरवासाति वा आभरणवासाति वा पत्तवासाति वा पुष्कवासाति वा फलवासाति वा बीयवासा० मल्लवासा० गंधवासा० वण्णवासा० चुण्णवासा० खीरखुट्ठीति वा रयणबुट्ठीति हिरण्णवुट्ठीति वा सुवण्ण० जाव चुण्णवुट्ठीति वा सुकालाति वा दुकालाति वा सुभिक्खाति वा दुभिक्खाति वा अप्पघात वा महग्धाति वा कयाइ वा महाविक्कयाइ वा सग्णिहीइ वा संचयाइ वा निधीइ वा निहाणाति वा चिरपोराणाति वा पहीणसामियाति वा पहीणसेउयाइ वा पहीणगोत्तागाराइ वा जाई इमाई गामागरणगरखेड कब्बडमडं बदोणमुहपट्टणासमसंवाहसन्निवे से सु सिंघाड गतिगचउक्क चच्चरचउमुहमहापहपहेसु णगरणिद्धमणसुसाणर्धिगरिकंदरसन्तिसेलोवट्ठाणभवणगिहेसु सन्निक्खित्ताइं चिट्ठति ?, नो तिणट्टे समठ्ठे, एगुरुयदीवे णं भंते! दीवे मणुयाणं केवतियं कालं ठिती पं० ?, गो० ! जह० पलिओवमस्स असंखेज्जइभागं असंखेज्जतिभागेण ऊणगं उक्को० पलिओवमस्स असंखेज्जतिभागं, ते णं भंते! मणुया कालमासे कालं किच्चा कहिं गच्छंति कहिं उववज्नंति ?, गो० ! ते णं मणुया छम्मासावसेसाउया मिहुणताइं पसवंति अउणासीइं राइंदियाइं मिहुणाई सारक्खंति संगोविति यत्ता य उस्ससित्ता निस्ससित्ता कासित्ता छीतित्ता अक्किट्ठा अव्वहिता अपरियाविया सुहंसुहेणं कालमासे कालं किच्चा अन्नयरेसु देवलोएसु देवत्ताएउववत्तारो भवन्ति, देवलोयपरिग्गहाणं ते मणुयगणा पं० समणाउसो !, कहिं णं भंते! दाहिणिल्लाणं आभासियमणुस्साणं आभासियदीवे णामं दीवे पं० १, गो० ! जंबुद्दीवे दीवे (प्र० तहेव चेव) चुल्लहिमवंतस्स वासधरपव्वतस्स दाहिणपुरच्छिमिल्लातो चरिमंतातो लवणसमुदं तिन्नि जोयण० सेसं जहा एगुरूयाणं णिरवसेसं सव्वं, कहिं णं भंते! दाहिणिल्लाणं णंगोलि (प्र० वीसाणी) यमणुस्साणं पुच्छा, गो० ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं चुल्लहिमवंतस्स वासधरपव्वयस्स उत्तर(दाहिण)पच्छिमिल्लातो चरमंतातो लवणसमुद्दं तिण्णिजोयणसत्ताइं सेसं जहा एगोरुयमणुस्साणं, कहिं णं भंते! दाहिणिल्लाणं वेसाणियमणुस्साणं पुच्छा, गो० ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं चुल्लहिमवंतस्स वासधरपव्वयस्स दाहिण (उत्तर) पच्चत्थिमिल्लाओ चरिमंताओ लवणसमुदं तिण्णि जोयण० सेसं जहा एगोरुयाणं । ११२ । कहिं णं भंते ! दाहिणिल्लाणं हयकण्णमणुस्साणं हयकण्णदीवे णामं दीवे पं० ?, गो० ! एगुरूयदीवस्स उत्तरपुरच्छिमिल्लातो चरिमंतातो लवणसमुद्धं चत्तारि जोयणसयाई ओगाहित्ता एत्थ णं दाहिणिल्लाणं हयकण्णमणुस्साणं हयकण्णदीवे णामं दीवे पं० चत्तारि जोयणसयाई आयामविक्खंभेणं बारस जोयणसया पन्नट्ठी किंचिविसेसूणा परिक्खेवेणं, से णं एगाए पउमवरवेतियाए अवसेसंजहा एगुरूयाणं, कहिं णं भंते! दाहिणिल्लाणं गजकण्णमणुस्साणं पुच्छा, गो० ! आभासियदीवस्स दाहिणपुरच्छिमिल्लतो चरिमंतातो लवणसमुद्दं चत्तारि जोयणसताइं सेसं जहा हयकण्णाणं, एवं गोकण्णमणुस्सा पुच्छा, वेसाणितदीवस्स दाहिणपच्चत्थिमिल्लातो चरिमंतातो लवणसमुदं चत्तारि जोयणसत्ताई सेसं जहा हयकण्णाणं, सक्कुलिकण्णाणं पुच्छा, गो० ! णंगोलिय दीवस्स उत्तरपच्चत्थिमिल्लातो चरिमंतातो लवणसमुद्दं चत्तारे जोयणसताई सेसं जहा हयकण्णाणं आतंसमुहाणं पुच्छाहयकण्णयदीवस्स उत्तरपुरच्छि मिल्लाता चरिमंताती
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श्री आगमगुणमजूषा ८७४०
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(१४) जीवाजीवामिमम (३) पहिवनि .) मधुम्मा / देवाधिकागे
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पंच जोयण सताई ओगाहित्ता एत्थ णं दाहिणिल्लाणं आयंसमुहमणुस्साणं आयंसमुहदीवे णाम दीवे पं० पंच जोयणसयाइं आयामविक्खंभेणं, आसमुहाईणं छ ८ सया, आसकन्नाईणं सत्त, उक्कामुहाईणं अट्ठ, घणदंताईणं जाव नव जोयणसयाई- ‘एगुरुयपरिक्खेवो नव चेव सयाई अउणपन्नाइं । बारसपन्नट्ठाइं हयकण्णाईण परिखेवो ॥२५॥ आयंसमुहाईणं पन्नरसेकासीए जोयणसते किंचिविसेसाधिए परिक्खेवेणं, एवं एतेणं कमेणं उवउचिऊण णेतच्वा चत्तारि २ एगपमाणा, णाणतं ओगाहे विक्खंभे परिक्खेवे, पढमबीतततियचउक्काणं उग्गहो विक्खंभो परिक्खेवो भणितो, चउत्थचउक्के छजोयणसयाइं आयामविक्खंभेणं अट्ठारसत्ताणउत्ते जोयणसते विक्खंभेणं पंचमचउक्के सत्तजोयणसताई आयामविक्वंभेणं बावीसं तेरसोत्तरे जोयणसए परिक्खेवेणं छट्ठचउक्के अट्ठजोयणसताई आयामविक्खंभेणं पणवीसं गुणतीसजोयणसए परिक्खेवेणं सत्तमचउक्के नवजोयणसताई आयामविक्खंभेणं दो जोयणसहस्साइं अट्ठ पणयाले जोयणसए परिक्खेवेणं, 'जस्स य जो विक्खंभो उम्गहो तस्स तत्तिओ चेव । पढमाझ्याण परिरतो जाण सेसाण अहिओ उ ॥२६|| सेसा जहा एगुरुयदीवस्स जाव सुद्धदंतदीवे, देवलोकपरिग्गहा णं ते मणुयगणा पं० समणाउसो!, कहिणं भंते ! उत्तरिल्लाणे एगुरूयमणुस्साणं एगुरुयदीवे णामं दीवे पं०१,गो० ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरेणं सिहरिस्स वासधरपव्वयस्स उत्तरपुरच्छिमिल्लाओ चरिमंताओ लवणसमुदं तिण्णि जोयणसताइं ओगाहित्ता एवं जहा दाहिणिल्लाणं तहा उत्तरिल्लाणं भाणितव्वं णवरं
सिहरिस्स वासहरपव्वयस्स विदिसासु एवं जाव सुद्धदंतदीवेत्ति जाव सेत्तं अंतरदीवका ११३ । से कि तं अकम्मभूमगमणुस्स ?, २ तीसविधा पं० २०- पंचहिं 卐 हेमवएहिं एवं जहा पण्णवणापदे जाव पंचहिं उत्तरकुरूहिं, सेत्तं अकम्मभूमगा, से किं तं कम्मभूभगा ?, २ पण्णरसविधा पं०२०- पंचहिं भरहेहिं पंचहिं एरवएहिं म पंचहि महाविदेहेहि, ते समासतो दुविहा पं० त०- आयरिया मिलेच्छा एवं जहा पण्णवणापदे जाव सेत्तं आयरिया, सेत्तं गब्भवतिया,★★★सेत्तं मणुस्सा
।११४१ मे से किं तं देवा ?, २ चउब्विहा पं० २०- भवणवासी वाणमंतरा जोइसिया वेमाणिया ।११५ से किं तं भवणवासी ?, २ दसविहा पं० तं०असुरकुमारा जहा पण्णवणापदे देवाणं भेओ तहा माणितव्वो जाव अष्णुत्तरोववाइआ पंचविधा पं० सं०- विजयवेजयंतजावसव्वट्ठसिद्धगा, सेत्तं अणुत्तरोववातिया ।११६। कहिं णं भंते ! भवणवासिदेवाणं भवणा पं०, कहिं णं भंते ! भवणवासी देवा परिवसंति ?, गो०? इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए असीउत्तरजोयणसयसहस्सबाहल्लाए एवं जहा पण्णवणाए जाव भवणावासाइ वा, त(ए)त्थ णं भवणवासीणं देवाणं सत्त भवणकोडीओ बावत्तरि भवणावाससयसहस्सा भवंतित्तिमक्खाता, तत्थ णं बहवे भवणवासी देवा परिवसंति- असुरा नागा सुवन्ना य जहा पण्णवणाए जाव विहरंति ।११७ कहिं णं भंते ! असुरकुमाराणं देवाणं भवणा पं० ? पुच्छा एवं जहा पण्णवणाठाणषदे जाव विहरंति, कहिणं भंते ! दाहिणिल्लाणं असुरकुमारदेवाणं भवणापुच्छा, एवं जहा ठाणपदे जाव चमरे तत्थ असुरकुमारिदे असुरकुमारराया परिवसति जाव विहरति ।११८। चमरस्सस णं भंते ! असुरिंदस्स असुरकुमाररन्नो कति परिसातो पं०?, गो०! ' तओ परिसातो पं० तं०- समिता चंडा जाता अभिंतरिता समिता मज्झे चंडा बाहिं च जाया, चमरस्सणं भंते ! असुरिंदस्स असुररन्नो अब्भितरपरिसाए कति देवसाहस्सीतोपं० मज्झिमपरिसाए कति देवसाहस्सीओ पं० बाहिरियाए परिसाए कति देवसाहस्सीओ पं०?, गो०! चमरस्स णं असुरिंदस्स० अभितरपरिसाए चउवीसं देवसाहस्सीतोपं०, मज्झिमिताए परिसाए अट्ठावीसं देव०, बाहिरिताए परिसाए बत्तीसं देवसा०, चमरस्सणं भंते! असुरिंदस्स असुररण्णो अभिंतरिताए परिसाए कति देविसता पं० मज्झिमियाए परिसाए कति देविसया पं० बाहिरियाए परिसाए कति देविसता पं०?, गो० ! चमरस्स णं असुरिंदस्स असुररण्णो अब्भितरियाए परिसाए अद्भुट्ठा देक्सिता पं० मज्झिमियाए परिसाए तिन्नि देवी० बाहिरियाए अड्डाइज्जादेवी० चमरस्सणं भंते ! असुरिंदस्स असुररण्णो अभितरियाए' परिसाए देवाणं केवतियं कालं ठिती पं० मज्झिमियाए परिसाए० बाहिरियाए परिसाए देवाणं केवतियं कालं ठिती पं० अभितरियाए परि० देवीणं केवतियं कालं ठिती पं० मज्झिमियाए परि० देवीणं केवतियं० बाहिरियाए परि० देवीणं के०?, गो० ! चमरस्सणं असुरिंदस्स असुररण्णो अभिंतरियाएपरि० देवाणं अड्डाइजाई
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श्री आगमगुणमंजूषा - ८७५
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(१४) जीवाजीवाभिगम (३) पडिवति (च.) देवाधिकारो
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पलिओवमाइं ठिई पं० मज्झिमाए परिसाए देवाणं दो पलिओवमाइं ठिई पं० बाहिरियाए परिसाए देवाणं दिपढे पलि अब्भितरियाए परिसाए देवीणं दिवई पलिओवमं ठिती पं० मज्झिमियाए परिसाए देवीणं पलिओवमं ठिती पं० बाहिरियाए परि० देवीणं अद्धपलिओवमं ठिती पं०, से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चति ?चमरस्स असुरिंदस्स० तओ परिसातो पं० तं०- समिया चंडा जाया, अभितरिया समिया मज्झिमिया चंडा बाहिरिया जाया ?, गो० ! चमरस्स णं असुरिंदस्स असुररन्नो अब्भितरपरिसा देवा वाहिता हव्वमागच्छंति णो अव्वाहिता, मज्झिमपरिसाए देवा वाहिता हव्वमागच्छंति अव्वाहितावि, बाहिरपरिसा देवा अव्वाहिता हव्वमागच्छंति, अदुत्तरं च णं गो० ! चमरे असुरिदे असुरराया अन्नयरेसु उच्चावएसु कज्जकोडुंबेसु समुप्पन्नेसु अभितरियाए परिसाए सद्धिं संमइसंपुच्छणाबहुले विहरइ, मज्झिमपरिसाए सद्धिं पयं पवंचेमाणे २ विहरति, बाहिरियाए परिसाइ सद्धिं पयंडेमाणे २ विहरति, से तेणद्वेणं गो० ! एवं वुच्चइ- चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो तओ परिसाओ पं०- समिया चंडा जाता, अभिंतरिया समिया भज्झिमिया चंडा बाहिरिया जाता।११९ । कहिणं भंते ! उत्तरिल्लाणं असुरकुमाराणं भवणा पं०?, जहा ठाणपदे जाव बली, एत्थ बली वइरोयणिदे वइरोयणराया परिवसति जाव विहरति, बलिस्स (१५६) णं भंते ! वयरोयणिंदस्स वइरोयणरन्नो कति परिसाओ पं० १, गो० ! तिण्ण परिसा तं०- समिया चंडा जाया, अभितरिया समिया मज्झिमिया चंडा बाहिरिया जाया, बलिस्स णं वइरोयणिंदस्स वइरोयणरन्नो अभितरियाए परिसाए कति देवसहस्सा मज्झिमियाए परिसाए कति देवसहस्सा जाव बाहिरियाए कति देवीसया पं० ?, गो० ! बलिस्स णं वयरोणिंदस्स अभिंतरियाए वीसं देवसहस्सा पं० मज्झिमियाए चउवीसं देवसहस्सा पं० बाहिरियाए परिसाए अट्ठावीसं देवसहस्सा पं० अभितरियाए परिसाए अद्धपंचम देवीसता पं० मज्झिमियाए चत्तारि देवीसया पं० बाहिरियाए परिसाए अधुट्ठा देवीसता पं०, बलिस्स ठितीए पुच्छा जाव बाहिरियाए परिसाए देवीणं केवतियं कालं ठिती पं० १, गो० ! बलिस्सणं वइरोयणिंदस्स अभितरियाए परिसाए देवाणं अद्भुट्ठपलिओवमाइं ठिती पं० मज्झिमियाए परिसाए तिन्नि पलिओवमाइं ठिती पं० बाहिरियाए परिसाए देवाणं अड्डाइज्जाइं पलिओवमाई ठिई पं० अभितरियाए परिसाए देवीणं अड्ढाइज्जाइं पलिओवमाइं ठिती पं० मज्झिमियाए परिसाए देवीणं दो पलिओवमाई ठिती पं० बाहिरियाए परिसाए देवीणं दिवड्ढे पलिओवमं ठिती पं०, सेसं जहा चमरस्स असुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो ।१२०। कहिणं भंते ! नागकुमाराणं देवाणं भवणा पं०?, जहा ठाणपदे जाव दाहिणिल्लावि पुच्छियव्वा जाव धरणे इ (प्र० त) त्थ नागकुमारिदै नागकुमारराया परिवसति जाव विहरति, धरणस्सणं भंते ! णागकुमारिंदस्स नागकुमाररण्णो कति परिसाओ पं०१, गो० ! तिण्णि परिसाओ ताओ चेव जहा चमरस्स, धरणस्सणं भंते ! णागकुमारिन्दस्स णागकुमाररन्नो अभितरियाए परिसाए कति देवसहस्सा पं० जाव बाहिरियाए परिसाए कति देवीसता पं० ?, गो० ! धरणस्स णं णागकुमारिंदस्स नागकुमाररण्णो अब्भितरियाए परिसाए सढेि देवसहस्साई मज्झिमियाए परिसाए सत्तरं देवसहस्साई बाहिरियाए असीतिदेवसहस्साइं अभितरपरिसाए पण्णत्तरं देवीसतं पं० मज्झिमियाए परिसाए पण्णासं देवीसतं पं० बाहिरियाए परिसाए पणवीसं देवीसतं पं०, धरणस्स णं रन्नो अभितरियाए परिसाए देवाणं केवतियं कालं ठिती पं० फ मज्झिमियाए० बाहिरियाए० देवाणं० अन्भिंतरियाए देवीणं० पं० मज्झिमियाए० देवीणं० बाहिरियाए० देवीणं केवतियं कालं ठिती पं०?, गो० ! धरणस्स रण्णो अभिंतरियाए० देवाणं सातिरेगं अद्धपलिओवमं ठिती पं०, मज्झिमियाए परिसाएदेवाणं अद्धपलिओवमं ठिती पं०, बाहिरियाए परिसाए देवाणं देसूणं अद्धपलिओवमं ठिती पं० अभितरियाए परिसाए देवीणं देसूणं अद्धपलिओवमं ठिती पं०, मज्झिमियाए परिसाए देवीणं सातिरेगं चउम्भागपलिओवमं ठिती पं०, बाहिरियाए म परिसाए देवीणं चउभागपलिओवमं ठिती पं०, अट्ठो जहा चमरस्स, कहिं णं भंते ! उत्तरिल्लाणं णागकुमाराणं जहा ठाणपदे जाव विहरति, भूयाणंदस्स णं भंते ! $णागकुमारिंदस्सणागकुमाररण्णो अब्भितरियाए० कतिदेवसाहस्सीओ पं० मज्झिमियाए० देवसाहस्सीओ पं० बाहिरियाए० देवसाहस्सीओ पं० अभितरियाए० ॐ देवीसया पं० मज्झिमियाए० देवीसया पं० बाहिरियाए० देवीसया पं० ?, गो० ! भूयाणंदस्स णं भन्ते ! नागकुमाररन्नो अभितरियाए० पन्नासं देवसहस्सा पं० Keros5555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ८७६ 55555555555555555555555555 HOROR
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(१४) जीवाजीवाभिगम (३) पडिवत्ति (च) देवाधिकारो [३५]
मज्झमियाए० सट्ठि देवसाहस्सीओ पं० बाहिरियाए० सत्तरि देवसाहस्सीओ पं० अब्भितरियाए० दो पणवीसं देवीसयाणं पं० मज्झिमियाए० दो देवीसया पं० बाहिरियाए० पण्णत्तरं देवीसयं पं०, भूयाणंदस्स णं भंते! नागकुमारिंदस्स नागकुमाररण्णो अब्भिंतरियाए परिसाए देवाणं केवतियं कालं ठिती पं० जाव बाहिरियाए परिसाए देवीणं केवइयं कालं ठिई पं० १, गो० ! भूताणंदस्स णं अब्भितरियाए परिसाए देवाणं देसूणं पलिओवमंठिती पं० मज्झिमियाए परिसाए देवाणं साइरेगं अद्धपलिओ मंठिती पं० बाहिरियाए परिसाए देवाणं अद्धपलिओवमं ठिती पं० अब्भितरियाए परिसाए देवीणं अद्धपलिओवमंठिती पं०, मज्झिमियाए परिसाए देवीणं देसूणं अद्धपलिओवमं ठिती पं०, बाहिरियाए परिसाए देवीणं साइरेगं चउब्भागपलिओवमं ठिती पं०, अत्थो जहा चमरस्स, अवसेसाणं वेणुदेवादीणं महाघोसपज्जवसाणाणं ठाणपदवत्तव्वया णिरवयवा भाणियव्वा, परिसातो जहा धरणभूताणंदाणं (सेसाणं भवणवईणं) दाहिणिल्लाणं जहा धरणस्स उत्तरिल्लाणं जहा भूताणंदस्स, परिमाणंपि ठितीवि । १२१ । कहिं णं भंते! वाणमंतराणं देवाणं भवणा (भोमेज्जा णगरा) पं० १, जहा ठाणपदे जाव विहरंति, कहिं णं भंते ! पिसायाणं देवाणं (प्र० यकुमाराणं) भवणा पं० ?, जहा ठाणपदे जाव विहरंति, कालमहाकाला य तत्थ दुवे पिसायकुमाररायाणो परिवसंति जाव विहरंति, कहिं णं भंते ! दाहिणिल्लाणं पिसायकुमाराणं जाव विहरंति, काले य एत्थ पिसायकुमारिंदे पिसायकुमारराया परिवसति महडिढए जाव विहरति, कालस्स णं भंते ! पिसायकुमारिंदस्स पिसायकुमाररण्णो कति परिसाओ पं० १, गो ०! तिण्णि परिसाओ पं० तं०-ईसा तुडिया दढरहा, अब्भितरिया ईसा मज्झिमिया तुडिया बाहिरिया दढरहा, कालस्स णं भंते! पिसायकुमारिंदस्स पिसायकुमाररण्णो अब्भिंतरपरिसाए कति देवसाहस्सीओ पं० जाव बाहिरियाए परिसाए कई देवीसया पं० ?, गो० ! कालस्स णं पिसायकुमारिंदस्स पिसायकुमाररायस्स अब्भिंतरियपरिसाए अट्ठ देवसाहस्सीओ पं० मज्झिमपरिसाए दस देवसाहस्सीओ पं० बाहिरियपरिसाए बारस देवसाहस्सीओ पं० अब्भितरियाए परिसाए एगं देवीसतं पं० मज्झिमियाए परिसाए एगं देवीसतं पं० बाहिरियाए परिसाए एवं देवीसतं पं०, कालस्स णं भंते ! पिसायकुमारिंदस्स पिसायकुमाररण्णो अब्भिंतरियाए परिसाए देवाणं केवतियं कालं ठिती पं० मज्झिमियाए परिसाए देवाणं केवतियं कालं ठिती पं० बाहिरियाए परिसाए देवाणं केवतियं कालं ठिती पं० जाव बाहिरियाए देवीणं केवतियं कालं ठिती पं० ?, गो० ! कालस्स णं पिसायकुमारिंदस्स पिसायकुमाररण्णो अब्भिंतरपरिसाए देवाणं अद्धपलिओवमं ठिती पं० मज्झिमियाए परि० देवाणं देणं अद्धपलिओवमं ठिती पं० बाहिरियाए परि० देवाणं सातिरेगं चउब्भागपलिओवमं ठिती पं० अब्भितरपरि० देवीणं सातिरेगं चउब्भागपलिओवमं ठिती पं० मज्झिमपरि० देवीणं चउब्भागपलिओवमं ठिती पं० बाहिरपरिसाए देवीणं देसूणं चउब्भागपलिओवमं ठिती पं०, अट्ठो जो चेव चमरस्स, एवं उत्तरस्सवि, एवं णिरंतरं जाव गीयजसस्स । १२२ । कहिं णं भंते ! जोइसियाणं देवाणं विमाणा पं० ?, कहिं णं भंते! जोतिसिया देवा परिवसंति ?, गो० ! उप्पिं दीवसमुद्दाणं इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जातो भूमिभागातो सत्तणउ जोयणसते उड्ढं उप्पतित्ता दसुत्तरजोयणसया बाहल्लेणं तत्थ णं जोइसियाणं देवाणं तिरियमसंखेज्जा जोतिसियविमाणावाससतसहस्सा भवंतीतिमक्खायं, ते णं विमाणा अद्धकविट्ठकसंठाणसंठिया एवं जहा ठाणपदे जाव चंदिमसूरिया य तत्थ जोतिसिंदा जोतिसरायाणो परिवसंति महिडिढया जाव विहरंति, सूरस्स णं भंते ! जोतिसिंदस्स जोतिसरण्णो कति परिसाओ पं० १, गो० ! तिण्णि परिसाओ पं० तं० - तुंबा तुडिया पेच्चा, अब्भिंतरया तुंबा मज्झिमया डिया बाहिरिया पेच्चा, सेसं जहा कालस्स, परिमाणं ठितीवि, अट्ठो जहा चमरस्स, चंदस्सवि एवं चेव । १२३ । कहिं णं भंते ! ★★★ दीवसमुद्दा ★★★ ? केवइया णं भंते ! दीवसमुद्दा ? केमहालया णं भंते! दीवसमुद्दा ? किंसंठिया णं भंते! दीवसमुद्दा ? किमाकारभावपडोयारा णं भंते । दीवसमुद्दा पं० ?, गो० ! जंबुद्दीवाइया दीवा लवणादीया समुद्दा संठाणतो एक विहविधाणा वित्थारतो अणेगविधविधाणा दुगुणाद्गुणे पडुप्पाएमाणा २ पवित्थरमाणा २ ओभासमाणवा उपलप कुमुदलणसुभगसोंगंधियपोंड रीयमहापोंडरीयसत-पत्तसहस्सपत्तफुल्लके सरोवचि ता पत्तेयं २ पउमवरवेइयापरिक्खित्ता पत्तेयं २
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(१४) जीवाजीवाभिगम (३) पडिवत्ति (च.) देवाधिकारो / दीव समुह
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वणसंडपरिक्खित्ता अस्सिं तिरितलोए असंखेज्जा दीवसमुद्दा सयंभूरमणपज्जवसाणा पं० समणाउसो ! ।१२४। तत्थ णं अयं जंबुद्दीवे णामं दीवे दीवसमुद्दाणं अभिंतरिए सव्वखुड्डाए वट्टे तेल्लापूयसंठाणसंठिते वट्टे रहचक्कवालसंठाणसंठिते वट्टे पुक्खरकण्णियासंठाणसंठिते वट्टे पडिपुन्नचंदसंठाणसंठिते एक्कं
जोयणसयसहस्सं आयामविक्खंभेणं तिण्णिं जोयणसयसहस्साइं सोलस सहस्साइं दोण्णि य सत्तावीसे जोयणसते तिणि य कोसे अट्टवीसं च धणुसयं तेरस + अंगुलाई अद्धंगुलकं च किंचिविसेसाहियं परिक्खेवेणं पं०, से णं एक्काए जगतीए सव्वतो समंता संपरिक्खित्ते, सा णं जगती अट्ठ जोयणाई उड्ढंउच्चत्तेणं मूले म
बारस जोयणाई विक्खंभेणं मज्झे अट्ठ जोयणाई विक्खंभेणं उप्पिं चत्तारि जोयणाइं विक्खंभेणं मूले विच्छिण्णा मज्झे संखित्ता उप्पिं तणुया गोपुच्छसंठाणसंठिता सव्ववइरामई अच्छा सण्हा लण्हा घट्ठा मट्ठा णीरया णिम्मला णिप्पंका णिक्कंकडच्छाया सप्पभा समरीया सउज्जोया पासादीया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा, सा णं जगती एक्केणं जालकडणं सव्वतो समंता संपरिक्खित्ता, सेणं जालकडाए अद्धजोयणं उड्ढउच्चत्तेणं पंचधणुसयाई विक्खंभेणं सव्वरयणामए अच्छे सण्हे लण्हे घढे मढे णीरए णिम्मले णिप्पंके णिक्कंकडच्छाए सप्पभे सस्सिरीए समरीए सउज्जोए पासादीए दरिसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे ।१२५। तीसे णं जगतीए उप्पिं बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं एगा महई पउमवरवेदिया पं०, साणं पउमवरवेदिया अद्धजोयणं उड्ढंउच्चत्तेणं पंचधणुसयाई विक्खंभेणं सव्वरयणामए जगतीसमिया परिक्खेवेणं, तीसे णं पउमवरवेइयाए अयमेयारूवे वण्णावासे पं० २०-वइरामया नेम्मा रिट्ठामया पइट्ठाणा वेरूलियामया खंभा सुवण्णरूप्पमया फलगा वइरामया संधी लोहितक्खमईओ सूईओ णाणामणिमया कलेवरा कलेवरसंघाडा णाणामणिमया रूवा रूवसंघाडा अंकामया पक्खा पक्खबाहाओ जोतिरसामया वंसा वंसकवेल्लुया य रययामईओ पट्टियाओ जातरूवमयीओ ओहाडणीओ वइरामयीओ उवरि पुन्छणीओ सव्वेसेए रययामते छादणे, साणं परमवरवेइया एगमेगेणं हेमजालेणं एगमेगेणं गवक्खजालेणं एगमेगेणं खिखिणिजालेणं एवं घंटाजालेणं जाव मणिजालेणं कणयजालेणं रयणजालेणं एगमेगेणं परमवरजालेणं सव्वरयणामएणं सव्वतो समंता संपरिक्खित्ता, ते णं जाला (पा० दामा) तवणिज्जलंबूसगा सुवण्णपयरगमंडिया णाणामणिरयणविविहहारद्धहारउवसोभितसमुदया ईसिं अण्णमण्णमसंपत्ता पुव्वावरदाहिणउत्तरागतेहिं वाएहिं मंदागं २ एज्जमाणा २ कंपिज्जमाणा २ लंबमाणा पझंझमाणा सद्दायमाणा तेणं ओरालेणं मणुण्णेणं कण्णमणणेव्वुतिकरेणं सद्देणं सव्वतो समंता आपूरेमाणा सिरीए अतीव उवसोभेमाणा २ चिट्ठति, तीसे णं पउमवरवेइयाए तत्थ २ देसे तहिं २ बहवे हयसंघाडा गयसंघाडा नरसंघाडा किण्णरसंघाडा किंपुरिससंघाडा महोरगसंघाडा गंधव्वसंघाडा वसहसंघाडा सव्वरयणामया अच्छा सण्हा लण्हा घट्ठा मट्ठाणीरया णीम्मला णिप्पंका णिक्वंकडच्छाया सप्पभा समरिया सउज्जोया पासाईंया दरसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा, तीसे णं परमवरवेइयाए तत्थ २ देसे तहिं २ बहवे हयपंतीओ तहेव जाव पडिरूवाओ, एवं हयवीहीओ जाव पडिरूवाओ, एवं हयमिहुणाई जाव पडिरूवाई, तीसे णं पउमवरवेइयाए तत्थ २ देसे तहिं २ बहवे पउमलयाओ नागलताओ एवं असोग० चंपग० चूयवण वासंति० अतिमुत्तग० कुंद० सामलयाओ णिच्चं कुसुमियाओ जाव सुविहत्तपिंडमंजरिवडिसकधरीओ सव्वरयणामईओ सण्हाओ लण्हाओ घट्ठाओ मट्ठाओ णीरयाओ णिम्मलाओ णिप्पंकाओ णिक्कंकडच्छायाओ सप्पभाओ समरीयाओ सउज्जोयाओ पासाईयाओ दरिसणिज्जाओ अभिरूवाओ पडिरूवाओ, तीसे णं पउमवरवेइयाए तत्थ २ देसे तहिं २ बहवे अक्खयसोत्थिया पं० सव्वरयणामया अच्छा. से केणतुणं भंते ! एवं वुच्चइ० पउमवरवेझ्या २१. गो० ! पउमवरवेइयाए तत्थ २ देसे तहिं २ वेदियासु वेतियाबाहासु वेदियासीसफलएसु वेदियापुडंतरेसु खंभेसु खंभबाहासु खंभसीसेसु खंभपुडतरेसु सूइसु सुइमुहेसुसुइफलएसुसूइपुडतरेसुपक्खेसुपक्खबाहासु पक्खपेरंतेसु बहूई उष्पलाई पउमाई जाव सतसहस्सपत्ताई सव्वरयणामयाइं अच्छाई
सण्हाई लण्हाई घट्ठाई मट्ठाई णीरयाई णिम्मलाई निप्पकाई निक्कंकडच्छायाइं सप्पभाइं समरीयाई सउज्जोयाइं पासादीयाई दरिसणिज्जाइं अभिरूवाइं पडिरूवाई म महता २ वासिक्कच्छत्तसमयाइं पं० समणाउसो!, से तेणद्वेणं गो० ! एवं वुच्चइ-पउमवरवेदिया २, फउमवरवेइया णं भंते ! किं सासया असासया ?. गो० सिय
सासया सिय असासया, से केणतुणं भंते ! एवं वुच्चइ-सिय सासया सिय असासया ?. गो०! दब्बट्ठयाए सासता वण्णपज्जवेहिं गंध० रस० फासपज्जवेहि mero5555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ८७८550755555555555555555555IOR
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(2) सामानामिनाकारान्तरका 5555555555555520 असासता, से तेणद्वेणं गो० ! एवं वुच्चइ-सिय सासता सिय असासता, फउमवरवेइया णं भंते ! कालओ केवच्चिर होति?,गो०!ण कयाविवासिणब्याविपति ण कयाविन भविस्सति भुवि च भवति य भविस्सति य धुवा नियया सासता अक्खया अन्वयाअवट्ठिया णिच्चा पउमवरवेदिया।१२६। तीसेणं जगतीए उप्पिबाहि पउमवरवे इयाए एत्थ णं एगे महं वणसंडे पं० देसूणाई दो जोयणाई चक्क वालविक्खंभेणं जगतीसमए परिक्खेवेणं किण्हे किण्होभासे जाव अणेगसगडरहजाणजुग्गपरिमोयणे सुरम्मे सण्हे लण्हे घटे मढे नीरए निप्पंके निम्मल्ले निक्कंकडच्छाए सप्पभे समरीए सउज्जोए पासादीए दरिसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे, तस्स णं वणसंडस्स अंतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पं० से जहानामए आलिंगपुक्खरेति वा मुइंगपुक्खरेति वा सरतलेइ वा करतलेइ वा आयसमंडलेति वा चंदमंडलेति वा सूरमंडलेति उरब्भचम्मेति वा उसभचम्मेति वा वराहचम्मेति वा सीहचम्मेति वा वग्घचम्मेति वा विगचम्मेति वा दीवितचम्मेति वा अणे गसंकु कीलगसहस्सवितते आवडपच्चावडसेढीपसेढीसोत्थियसोवत्थियपूसमाणवद्धमाणमच्छंडक-मकरंडक जारमारफुल्लावलिपउमपत्तसागरतरंगवासंतिलयपउमलयभत्तिचित्तेहिं सच्छाएहिं समरीएहिं सउज्जोएहिं नाणाविहपंचवण्णेहिं तणेहिंय मणीहिंय उवसोहिए तं०-किण्हेहिं जाव सुकिल्लेहि, तत्थ णं जेते किण्हा तणा य मणी य तेसिंणं अयमेतारूवे वण्णावासे पं०, से जहानामए-जीमूतेति वा अंजणेति वा खंजणेति वा कज्जलेति वा मसीइवा गुलियाइ वा गवलेइ वा गवलगुलियाति वा भमरेति वा भमरावलियाति या भमरपत्तगयसारेति वा जंबूफलेति वा अद्दारिद्वेति वा परपुट्ठाति वा गएति वा गयकलभेति वा कण्हसप्पेइ वा कण्हकेसरेइ वा आगासथिग्गलेति वा कण्हासोएति वा कण्हकणवीरेइ वा कण्हबंधुजीवएति वा, भवे एयारूवे सिया?, गो०! णो तिणद्वे समढे, तेसिंणं कण्हाणं तणाणं मणीण य इत्तो इट्टवराए चेव कंततराए चेव पिययराए चेव मणुण्णतराए चेव मणामतराए चेव वण्णेणं पं०, तत्थ णं जेते णीलगा तणा यमणी य तेसिं णं इमेतारूवे वण्णावासे पं०, से जहानामए-भिगेइ वा भिंगपत्तेति वा चासेति वा चासपिच्छेति वा सुएति वा सुयपिच्छेति वा णीलीति वा णीलीभेएति वा णीलीगुलियाति वा सामाएति वा उच्चंतएति वा वणराईइ वा हलहरवसणेइ वा मोरग्गीवाति वा पारेवयगीवाति वा अयसिकुसुमेति वा वाणकुसुमेइ वा अंजणकेसिगाकुसुमेति वा णीलुप्पलेति वा णीलासोएति या णीलकणवीरेति वा णीलबंधुजीवएति वा, भवे एयारूवे सिता?, णो इणढे समढे, तेसिंणं णीलगाणं तणाणं मणीण य एत्तो इतराए चेव कंततराए चेव जाव वण्णेणं पं०, तत्थ णं जे ते लोहितगा तणा य मणी य तेसिंणं अयमेयारूवे वण्णावासे पं०, से जहाणामए-ई ससकरूहिरेति वा उरभरूहिरेति वा णररूहिरेति वा वराहरूहिरेति वा महिसरूहिरेति वा बालिंदगोवएति वा बालदिवागरेति वा संझब्भरागेति वा गुंजद्धराएति वा जातिहिंगुलुएति वा सिलप्पवालेति वा पवालंकुरेति वा लोहितक्खमणीति वा लक्खारसएति वा किमिरागेइ वा रत्तकंबलेइ वा चीणपिट्ठरासीइ वा जासुयणकुसुमेइ वा किंसुअकुसुमेइ वा पालियायकुसुमेइ वा रत्तुप्पलेति वा रत्तासोगेति वा रत्तकण्णियारेति वा रत्तबंधुजीवेइ वा, भवे एयारूवे सिया ?, नो तिणढे समढे, तेसिंणं लोहियगाणं तणाण यमणीण य एत्तोइट्ठयराए चेव जाव वण्णेणं पं०, तत्थ णं जे ते हालिद्दगा तणायमणीय तेसिंणं अयमेयारूवे वण्णावासे पं०, से जहाणामए.चंपए वा चंपगच्छल्लीइ वा चंपयभेएइ वा हालिद्दाति वा हालिद्दभेएति वा हालिद्दगुलियाति वा हरियालेति वा हरियालभेएति वा हरियालगुलियाति वा चिहुरेति वा चिहुरंगरागेति वा वरकणएति वा वरकणगनिघसेति वा सुवण्णसिप्पिएति वा वरपुरिसवसणेति वा सल्लइकुसुमेति वा चंपककुसुमेइ वा कुहंडियाकुसुमेति वा कोरंटकदामेइ वा तडउहाकुसुमेति वा घोसाडियाकुसुमेति वा सुवण्णजूहियाकुसुमेति वा सुहिरन्नयाकुसुमेइ वा कोरिंटवरमल्लदामेति वा बीयगकुसुमेति वा पीयासोएति वा पीयकणवीरेति वा पीयबंधुजीएति वा, भवे एयारूवे सिया ?, नो इणढे समढे, ते णं हालिद्दा तणा य मणी य एतो इट्ठयरा चेव जाव वण्णेणं पं०, तत्थ णं जे ते सुकिल्लगा तणा य मणी य तेसिंणं अयमेयारूवे वण्णावासे पं०, से जहानामए-अंकेति वा संखेति वा चंदेति वा कुंदेति वा कुमुएति वा दयरएति वा दहिघणेइ वा खीरेइ खीरपूरेइ वा हंसावलीति वा कोंचावलीति वा हारावलीति वा बलायावलीति वा चंदावलीति वा सारतियबलाहएतिवाधंतधोयरूप्पपट्टेइ वा सालिपिट्ठरासीति
वा कुंदपुप्फरासीति वा कुमुयरासीति वा सुक्कच्छिवाडीति वा पेहुणमिजाति वा बिसेति वा मिणालियाति वा गयदंतेति वा लवंगदलेति वा पोंडरीयदलेति वा xerC5555555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ८७९ 4555555555555555555555555557
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(१४) जीवाजीवाभिगम (३) पडिवत्ति (च.) दीवसमुद्द [३८]
फफफफफफ
सिंदुवारमल्लदामेति वा सेतासोएति वा सेयकणवीरेति वा सेयबंधुजीवएइ वा भवे एयारूवे सिया ?, णो तिणट्ठे समट्ठे तेसि णं सुक्किल्लाणं तणाणं मणीणं य एत्तो इतराए चेव जाव वण्णं पं०, तेसिं णं भंते! तणाण य मणीण य केरिसए गंधे पं० ?, से जहाणामए कोट्ठपुडाण वा पत्तपुडाण वा चोयपुडाण वा तगरपुडाण वा एलापुडाण वा किरिमेरुपुडाण वा चंदणपुडाण वा कुंकुमपुडाण वा उसीरपुडाण वा चंपगपुडाण वा मरूयगपुडाण वा दमणगपुडाण वा जातिपुडाण वा जूहियापुडा वा मल्लियापुडाण वा णोमालियापुडाण वा वासंतियपुडाण वा केयतिपुडाण वा कप्पूरपुडाण वा पाडलिपुडाण वा अणुवायंसि उब्भिज्जमाणाण वा णिब्भिज्जमाणा वा कोट्टेज्जमाणा वा रूविज्जमाणाण वा उक्किरिज्जमाणाण वा विकिरिज्जमाणाण वा परिभुज्जमाणाण वा परिभाएज्जमाणाण वा भंडाओ वा भंडं साहरिज्जमाणाणं ओराला मण्णा घाणमणणिव्वुतिकरा सव्वतो समंता गंधा अभिणिस्सवंति, भवेएयारूवे सिया ?, णो तिणट्ठे समट्ठे, तेसिं णं तणाणं मणीण य एत्तो इट्ठतराए चेव जाव गंधे पं०, तेसिं णं भंते! तणाण य मणीण य केरिसए फासे पं० ?, से जहाणामए- आइणेति वा रूएति वा बूरेति वा णवणीतेति वा हंसगब्भतूलीति वा सिरीसकुसुमणिचतेति वा बालकुमुदपत्तरासीति वा, भवे एतारूवे सिया ?, णो तिणट्ठे समट्ठ, तेसिं णं तणाण य मणीण य एत्तो इट्ठतराए चेव जाव फासेणं पं०, तेसिं णं तणाणं पुव्वावरदाहिणउत्तरागतेहिं वाएहिं मंदायं २ एइयाण वेइयाणं कंपियाणं खोभियाणं चालियाणं फंदियाणं घट्टियाणं उदीरियाणं केरिसए सद्दे पं० १, से जाणा - सिबिया वा संदमाणीयाए वा रहवरस्स वा सच्छत्तस्स सज्झयस्स सघंटयस्स सतोरणवरस्स सणंदिघोसस्स सखिखिणिहेमजालपेरंतपरिक्खित्तस्स हेमवयखेत्तचित्ततिणिसंकणगनिज्जुत्तदाख्यागस्स सुपिणिद्धारक (प्र० सुविसुद्धचक्क) मंडलधुरागस्स कालायससुकयणेमिजंतकम्मस्स आइण्णवरतुरगसुसंपउत्तस्स कुसलणरच्छेयसारहि सुसंपरिग्गहितस्स सरसतबत्तीसतोणपरिमंडितस्स सकंकडवडिंसगस्स सचावसरपहरणावरणहरियस्स जोहजुद्धस्स रायंगणंसि वा अंतेपुरंसि वा रम्मंसि वा मणिकोट्टिमतलंसि अभिक्खणं २ अभिघट्टिज्जमाणस्स वा णियट्टिज्जमाणस्स वा परूढवरतुरंगस्स चंडवेगाइट्ठ (द्ध) स्स ओराला मणुण्णा कण्णमणणिव्वुतिकरा सव्वतो समंता सद्दा अभिणिस्सवंति, भवे एतारूवे सिया ?, णो तिणट्ठे समट्ठे, से जहाणामए - वेयालियाए वीणाए उत्तरमंदामुच्छिताए अंके सुपइट्टियाए चंदणसारकोणपडिघट्टियाए कुसलणरणारिसंपगहिताए पदोसपच्चूसकालसमयंसि (पा० पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि ) मंदं २ एइयाए वेइयाए खोभियाए उदीरयाए ओराला मणुण्णा कण्णमणणिव्वुतिकरा सव्वतो समंता सद्दा अभिणिस्सवंति, भवे एयारूवे सिया ?, णो तिणट्टे समट्ठे, से जहाणामए- किण्णराण वा किं पुरिसाण वा महोरगाण वा गंधव्वाण वा भद्दसालवणगयाण वा नंदणवणगयाण वा सोमणसवणगयाण वा पंडगवणगयाण वा हिमवंतमहंतमलयमंदरगिरिगुहासमण्णागयाण वा एगतो सहिताणं संमुहा (समुवा) गयाणं समुवविट्ठाणं संनिविट्ठाणं पमुदियपक्कीलियाणं गीयरतिगंधव्वहरिसियमणाणं गेज्जं पज्जं कत्थं गेयं पायविद्धं उक्खित्तयं पवत्तयं मंदायं रोचियावसाणं सत्तसरसमण्णागयं अट्ठरससुसंपउत्तं छद्दोसविप्पमुक्कं एक्कारसगुणालंकारं अट्ठगुणोववेयं गुंजतवंसकुहरोवगूढं रत्तं तित्थाणकरणसुद्धं मधुरं समं सुललियं सकुहरगुंजतवंसतंतीतालसुसंपउत्तं तालसमं लयसुसंपउत्तं गहसुसंपउत्तं मणोहरं मउयरिभियपयसंचारं सुरतिं सुणतिं वरचारूरूवं दिव्वं नट्टं सज्जं गेयं पगीयाणं, भवे एयारूवे सिया ?, हंता एवंभूए सिया । १२७। तस्स णं वणसंडस्स तत्थ २ दे २ तहिं २ बहवे खुड्डा खुडिडयाओ वावीओ पुक्खरिणीओ गुंजालियाओ दीहियाओ सरसीओ सरपंतिओ सरसरपंतीओ बिलपंतीओ अच्छाओ सहाओ रयतामयकूलाओ वइरामयपासाणाओ तवणिज्जमयतलाओ वेरूलियमणिफालियपडलपच्चोयडाओ णवणीयतलाओ सुवण्णसुरयणमणिवालुयाओ सुहोयारसुउत्ताराओ णाणामणितित्थसुबद्धाओ चउक्कोणाओ समतीराओ आणुपुव्वसुजायवप्पगंभीरसीयलजलाओ संछण्णपत्तभिसमुणालाओ बहुउप्पलकुमुयणलिणसुभगसों गधितपोंड रीयसयपत्तसहस्सपत्तफुल्लके सरोवइयाओ छप्पयपरिभुज्नमाणकमलाओ अच्छविमलसलिलपुरणाओ परिहत्थभमंतमच्छकच्छभ अणेगसउणमिहुणपविचरिताओ पत्तेयं २ पउमवरवेदियापरिक्खित्ताओ पत्तेयं २ वणसंडपरिक्खित्ताओ अप्पेगतियाओ आसवोदाओ अप्पे० वारूणोदाओ अप्पे० खीरोदाओ अप्पे० घयोदाओ अप्पे० खोदोदाओ अमयरससमरसो (स्सा) दाओ अप्पे० पगतीए उदग (अमय) रसेणं पं० पासाईयाओ०, DOOR श्री आगमगुणमंजूषा ८८०
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)जवाजीयामिम (परिवनियादीवममुर
(३०)
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वासिखुडिडयाण वावीणं जाव बिलपंतियाणं तत्य २ देसे २ तहिं २ जाव बहवे तिसोवाणपडिरूवगा पं०, तेसिंणं तिसोवाणपडिरूवाणं अयमेयारूवे वण्णावासे पं० त०-वइरामया नेम्मा रिट्ठामया पतिट्ठाणा वेरूलियामया खंभा सुवण्णरूप्पामया फलगा वइरामया संधी लोहितक्खमईओ सूईओ णाणामणिमया अवलंबणा अवलंबणवाहाओ, तेसिंणं तिसोवाणपडिरूवगाणं पुरतो पत्तेयं २ तोरणा पं०, ते णं तोरणा णाणामणिमया णाणामणिमय-(१५७) खंभेसु उवणिविट्ठसण्णिविट्ठा विविहमुत्तरोवइता विविहतारारू वो वचिता ईहामियउसभतुरगणरमगरविहगवालगकिण्णररूरुसरभचमरकुंजरवणलयपउमलयभत्तिचित्ता खंभुग्गयवइरवेदियापरिगताभिरामा विज्जाहरजमलजुयलजंतजुत्ताविव अच्चिसहस्समालणीया रूवगसहस्सकलिया भिसमाणा भिब्भिसमाणा चक्खुल्लोयणलेसा सुहफासा सस्सिरीयरूवा पासाईया०, तेसिं णं तोरणाणं उप्पिं बहवे अट्ठमंगलगा पं०-सोत्थियसिरिवच्छणंदियावत्तवद्धमाणभद्दासणकलसमच्छदप्पणा सव्वरतणामया अच्छा सण्हा जाव पडिरूवा, तेसिं णं तोरणाणं उप्पिं बहवे किण्हचामरज्झया जाव सुकिल्लचामरज्झया अच्छा सण्हा रूप्पपट्टा वइरदंडा - जलयामलगंधिया सुरूवा पासाईया०, तेसिंणं तोरणाणं उप्पिं बहवे छत्ताइच्छत्ता पडागाइपडागा घंटाजुयला चामरजुयला उप्पलहत्थया जाव सयसहस्सपत्तहत्थगा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा, तासिं णं खुड्डिया णं वावीणं जाव बिलपंतियाणं तत्थ २ देसे २ तहिं बहवे उप्पायपव्वया णियइपव्वया निययपव्वया जगतिपव्वया दारूपव्वयगा दगमंडवगा दगमंचका दगमालका दगपासायगाऊसडा खुड्डा खडहडगा अंदोलगा पक्खंदोलगा सव्वरयणामया अच्छाजाव पडिरूवा, तेसुणं उप्पायपव्वतेसुजाव पक्खंदोलएसुबहवे हंसासणाइंकोंचासणाईगरूलासणाई उण्णयासणाइं पणयासणाई दीहासणाई भद्दासणाई पक्खासणाईमगरासणाई उसभासणाई सीहासणाई पउमासणाइं दिसासोवत्थियासणाई सव्वरयणामयाइं अच्छाइंसण्हाइंलण्हाइं घट्ठाई मट्ठाइंणीरयाइं णिम्मलाइं निप्पंकाई निक्कंकडच्छायाई सप्पभाई समरीयाइं सउज्जोयाई पासादीयाइं दरिसणिज्जाइं अभिरूवाइं पडिरूवाइं, तस्सणं वणसंडस्स तत्थ २ देसे २ तहिं २ बहवे आलिघरा मालिघरा कयलिघरा लयाघरा अच्छणघरा पेच्छणघरा मज्जणघरगा पसाहणघरगा गब्भघरगा मोहणघरगा सालघरगा जालघरगा कुसुमघरगा चित्तघरगा गंधव्वघरगा आयंसघरगा सव्वरयणामया अच्छा सण्हा लण्हा घट्ठा मट्ठा णीरया णिम्मला णिप्पंका निक्कंकडच्छाया सप्पभा समरीया सउज्जोया पासाईया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा,
तेसु णं आलिघरएसुजाव आयंसघरएसु बहूई हंसासणाइं जाव दिसासोवत्थियासणाई सव्वरयणामयाई जाव पडिरूवाइं, तस्सणं वणसंडस्स तत्थ २ देसे २ तहिं कर बहवे जाइमंडवगा जूहियामंडवगा मल्लियामंडवगा णवमालियामंडवगा वासंतीमंडवगा दधिवासुयामंडवगा सूरिल्लिमंडवगा तंबोलीमंडवगा मुद्दियामंडवगाई
ISLalisaat. जणागलयामंडवगा अतिमुत्तमंडवगा अप्फोतामंडवगा मालुयामंडवगा सामलयामंडवगा णिच्चं कुसुमिया णिच्वं जाव पडिरूवा, तेसु णं जातीमंडवएसु बहवे TECinittihuadal
पुढवीसिलापट्टगा पं० तं०-हंसासणसंठिता कोंचासणसंठिता गरूलासणसंठिता उण्णयासणसंठिता पणयासणसंठिता दीहासणसंठिता भद्दासणसंठिता
पक्खासणसंठिता मगरासणसंठिता उसभासणसंठिता सीहासणसंठिता पउमासणसंठिता दिसासोत्थियासणसंठिता पं०, तत्थ बहवे फ़ वरसयणासणविसिट्ठसंठाणसंठिया पं० समणाउसो!, आइणगरूयबूणरवणीततूलफासा मउया सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा, तत्थ णं बहवे वाणमंतरा
देवा य देवीओ य आसयंतिसयंति चिट्ठति णिसीदति तुयटृति रमंति ललंति कीलंति मोहंति पुरापोराणाणं सुचिण्णाणं सुपरक्कंताणं सुभाणं कल्लाणाणं कडाणं कम्माणं कल्लाणं फलवित्तिविसेस पच्चणुब्भवमाणा विहरंति, तीसे णं जगतीए उप्पिं अंतो पउमवरवेदियाए एत्थ णं एगे महं वणसंडे पं० देसूणाई दो जोयणाई,
विक्खंभेणं वेइयासमएणं परिक्खेवेणं किण्हे किण्होभासे वणसंडवण्णओ मणितणसद्दविहूणो णेयव्वो, तत्थ णं बहवे वाणमंतरा देवा य देवीओ य आसयंति सयंति F eedaMALSias
चिति णिसीयंति तुय१ति रमंति ललंति कीडंति मोहंति पुरा पोराणाणं सुचिण्णाणं सुपरक्कंताणं सुभाणं कंता (कडा) णं कम्माणं कल्लाणं फलवित्तिविसेसं “पच्चणब्भवमाणा विहरति ।१२८ जंबुद्दीवस्स णं भंते ! दीवस्स कति दारा पं०?, गो० ! चत्तारि दारा पं० तं०-विजये वेजयंते जयंते अपराजिए।१२९। कहिणं भंते!'
जंबुद्दीवस्स दीवस्स विजये सामंदारे पं०-१, गो०! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमेणं पणयालीसंजोयणसहस्साई अबाधाए जंबुद्दीवे दीवे पुरच्छिमपेरते Hrna LrLe Le Le 5 555555555555%| श्री आगमगुणमंजूषा - ८८१ 555555555555555555555555555OOR
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Gin Education International 2010-03
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(१४) जीवाजीवाभिगम (३) पडिवत्ति (च.) दीव समुद्द [४०]
लवणसमुद्दपुरच्छिमद्धस्स पच्चत्थिमेणं सीयाए महाणदीए उप्पिं एत्थ णं जंबुद्दीवस्स दीवस्स विजये णामं दारे पं० अट्ठ जोयणाई उहुंउच्चत्तेणं चत्तारि जोयणाई विक्खंभेणं तावतियं चेव पवेसेणं सेए वरकणगधूभियागे इहामियउसभतुरगनरमगरविहगवालगकिण्णररूरुसरभचमरकुं जरवणलतप-उमलयभत्तिचित् खंभुग्गतवइरवेदियापरिगताभिरामे विज्जाहरजमलजुयलजंतजुत्तेइव अच्चीसहस्समालिणीए रूवगसहस्सकलिते भिसमाणे भिब्भिसमाणे चक्खुल्लोयणलेसे सुहफासे सस्सिरीयरूवे वण्णो दारस्स तं० - वइरामया णिम्मा रिट्ठामया पतिट्ठाणा वेरूलिया खंभा जायरूवोवचियपवरपंचवण्णमणिरयणकोट्टिमतले हंसगब्भमए एलए गोमेज्जमते इंदखीले लोहितक्खमईओ दारचेडीओ जोतिरसामते उत्तरंगे वेरूलियामया कवाडा वइरामया संधी लोहितक्खमईओ सूईओ णाणामणिमया समुग्गगा वईरामई अग्गलाओ अग्गलापासाया वइरामई आवत्तणपेढिया अंकुत्तरपासते णिरंतरितघणकवाडे भित्तीसु चेव भित्तिगुलिया छप्पण्णा तिण्णि होति गोमाणसी तत्तिया णाणामणिरयणवालरू वगलीलट्ठियसालिभंजियाए वइरामए कूडे रययामए उस्सेहे सव्वतवणिज्जमए उल्लोए णाणामणिरयणजालपंजरमणिवंसगलोहितक्खपडिवंसगरयतभोम्मे अंकामया पक्खबाहाओ जोतिरसामया वंसा वंसकवेल्लुगा य रयतामयी पट्टिताओ जाय ओहाडणी वइरामयी उवरि पुच्छणी सव्वसेतरययामए च्छायणे अंकमतकणगकूडतवणिज्जधूभियाए सेते संखतलविमलणिम्मलदधिघणगोखीरफेणरयरयणिगरप्प गासद्धचंदचित्ते तिलगरयणद्धचंदचित्ते णाणामणिमयदामालंकिए अंतो य बहिं च सण्हे तवणिज्जरूइलवालुयापत्थडे सुहप्फासे सस्सिरीयरूवे पासातीए०, विजयस्स णं दारस्स उभयो पासिं दुहतो णिसीहि याते दो दो चंदणकलसपरिवाडीओ पं०, ते णं चंदणकलसा वरकमलपट्ठाणा सुरभिवरवारिपडिपुण्णा चंदणकयचच्चागा आविद्धकंठेगुणा परमुप्पलपिहाणा सव्वरयणामया अच्छा सण्हा जाव पडिरूवा महता २ महिंदकुंभसमाणा पं० समणाउसो !, विजयस्स णं दारस्स उभओ पासिं दुहतो णिसीहिआए दो दो णागदंतपरिवाडीओ, ते णं णागदंतगा मुत्ताजालंतरूसिता हेमजालगवक्खजालखिखिणीघंटाजालपरिक्खित्ता अब्भुग्गता अभि तिरियं सुसंपगहिता अहेपण्णगद्धरूवा पण्णगद्धसंठाणसंठिता सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा महता २ गयदंतसमाणा पं० समणाउसो !, तेसु णं णागदंतएसु बहवे किण्हसुत्तबद्ध (वट्ट) वग्घारितमल्लदामकलावा जाव सुक्किल्लसुत्तवट्टवग्घारियमल्लदामकला वा, तेणं दामा तवणिज्जलंबूसगा सुवण्णपतरगमंडिता णाणामणिरयणविविधहारद्रहार जाव सिरीए अतीव २ उवसोभेमाणा २ चिट्ठति, तेसिं णं णागदंतकाणं उवरिं अण्णाओ दो दो णागदंतपरिवाडीओ पं०, तेसिं णं
दंतगाणं (उप्पं दो दो नागदंतगा) मुत्ताजालंतरूसिया तहेव जाव समणाउसो !, तेसु णं णागदंतएसु बहवे रयतामया सिक्कया पं० तेसु णं रयतामएसु सिक्कएसु बहवे वेरूलियामतीओ धूवघडीओ पं० तं० ताओ णं धूवघडीओ कालागुरूपवरकुंदुरुतुरुक्कक्क धूवमघमघंतगंधुद्धयाभिरामाओ सुगंधवरगंधगंधियाओ गंधवट्टिभूयाओ ओरालेणं मणुण्णेण घाणमणणिव्वुइकरेणं गंधेणं तप्पएसे सव्वतो समंता आपूरेमाणीओ २ अतीव सिरिए जाव चिट्ठति, विजयस्स णं दारस्स उभयतो पासिं णिसीधियाए दो दो सालभंजियापरिवाडीओ पं० ताओ णं सालभंजियाओ लीलट्ठिताओ सुपइट्टियाओ सुअलंकिताओ णाणागारवसणाओ णाणामल्लपिणद्धाओ मुट्ठीगेज्झमज्झाओ आमेलगजमलजुयलवट्टि अच्चुण्णयपीणरचियसंवट्टिपओहराओ रतावंगाओ असियकेसीओ मिदुविसयपसत्थलक्खणसंवेल्लितग्गसिरयाओ ईसिं असोगवरपादवसमुट्ठिताओ वामहत्थगहितग्गसालाओ ईसिं अद्धच्छिकडक्खचेट्ठिएहिं लूसेमाणीतोइव चक्खुल्लोयणलेसाहिं अण्णमण्णं खिज्नमाणीओइव पुढवी परिणामाओ सासयभावमुवगताओ चंदाणणाओ चंदविलासिणीओ चंदद्धसमनिडालाओ चंदाहियसोमदंसणाओ उक्काइव उज्जोएमाणीओ विज्जुघणमरीचिसूरदिप्पंततेयअहिययरसं निकासाओ सिंगारागारचारूवेसाओ पासाईयाओ० तेयसा अतीव २ उवसोभेमाणीओ चिट्ठति, विजयस्स णं दारस्स उभयतो पासिं दुहतो णिसीहियाए दो दो जालकडगा पं०, ते णं जालकडगा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा, विजयस्स णं दारस्स उभओपासिं दुहओ णिसीहियाए दो दो घंटापरिवाडीओ पं०, तासिं णं घंटाणं अयमेयारूवे वण्णावासे पं० तं० जंबूणयामतीओ घंटाओ वइरामतीओ लालाओ णाणामणिमया घंटापासगा तवणिज्जमतीओ संकलाओ रयतामतीओ रज्जूओ, ताओ णं घंटाओ ओहस्सराओ मेहस्सराओ हंसस्सराओ कोंचस्सराओ मंदिस्सराओ मंदिघोसाओ सीहस्सराओ
51515 श्री आगमण 53
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(१४) जीवाजीवाभिगम (३) पडिवनि (प.) दीव समूह [82]
*******O सीहघोसाओ मंजुस्सराओ मंजुघोसाओ सुस्सराओ सुस्सरणिग्घोसाओ ते पदेसे ओरालेणं मणुण्णेणं कण्णमणनिव्वुइकरेण सद्देण जाव चिट्ठति, विजयस्स णं दारस्स उभओपासिं दुहतो णिसीधिताए दो दो वणमालापरिवाडीओ पं०, ताओ णं वणमालाओ णाणादुमलताकि सलयपल्लवसमाउलाओ छप्पयपरिभुज्जमाणकमलसोभंतसस्सिरीयाओ पासाईआओ० ते पएसे उरालेणं जाव गंधेणं आपूरेमाणीओ जाव चिट्ठति । १३० | विजयस्स णं दारस्स उभओ पासिं दुहतो णिसीहियाए दो दो पगंठगा पं०, ते णं पगंठगा चत्तारि जोयणाई आयामविक्खंभेणं दो जोयणाई बाहल्लेणं सव्ववइरामता अच्छा जाव पडिवा, सिं णं पयंठगाणं उवरिं पत्तेयं २ पासायवडंसगा पं०, ते णं पासायवडिंसगा चत्तारि जोयणाडं उड़ढउच्चत्तेणं दो जोयणाइं आयामविक्खंभेणं अब्भुग्गयमूसितपहसिताविव विवहमणिरयणभत्तिचित्ता वाउछुयविजयवेजयंतीपडागच्छत्तातिच्छत्तकलिया तुंगा गगणतलमभिलंघमाणसिहरा जालंतररयणपंजरूम्मिलितव्व मणिकणगभिया वियसियसयवत्तपोंडरीयतिलकरयणद्धचंदचित्ता णाणामणिमयदामालंकिया अंतो बाहिं च सण्हा० तवणिज्नरूइलवालुयापत्थङगा सुहफासा सस्सिरीयरूवा पासातीया०, तेसिं णं पासायवडेंसगाणं उल्लोया पउमलताजावसामलयाभत्तिचित्ता सव्वतवणिज्जमता अच्छा जाव पडिख्वा, तेसिं णं पासायवडिसगाणं पत्तेयं २ तो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पं०, से जहाणामए आलिंगपुक्खरेति वा जाव मणीहिं उवसोभिए, मणीणं गंधो वण्णो फासो य नेयव्वो, तेसिं णं बहुसमरमणिज्जाणं भूमिभागाणं बहुमज्झदेसभाए पत्तेयं २ मणिपेढियाओ पं०, ताओ णं मणिपेढियाओ जोयणं आयामविक्खंभेणं अद्धजोयण बाहल्लेणं सव्वरयणामईओ जाव पडिरूवाओ, तासिं णं मणिपेढियाणं उवरिं पत्तेयं २ सीहासणे पं०, तेसिं णं सीहासणाणं अयमेयारूवे वण्णावासे पं० तं० तवणिज्जमया चक्कला रयतामया सीहा सोवणिया पादा णाणामणिमयाइं पायवीढगाई जंबूणयमताइं गत्ताइं वतिरामया संधी नाणामणिमए वेच्चे, ते णं सीहासणा इहामियउसभजावपउमलयभत्तिचित्ता ससारसारोवइयविविहमणिरयणपायपीढा अच्छरगमिउमसूरगनवतयकु संतलिच्च सीहके सरपच्चत्थुताभिरामा उवचियखो मदुगुल्लपट्टपडि च्छायणा सुविरचितरत्ताणा रत्तंसुयसंवुया सुरम्मा आइणगरुयबूरणवनीततूलमउयफासा पासाईया०, तेसिं णं सीहासणाणं उप्पिं पत्तेयं २ विजयदूसे पं०, ते णं विजयसा सेता संखकुंददगरयअमतमहियफेणपुंजसन्निकासा सव्वरयणामया अच्चा जाव पडिरूवा, तेसिं णं विजयसाणं बहुमज्झदेसभाए पत्तेयं २ वइरामया अकुंसा पं०, तेसु णं वइरामएसु अंकुसेसु पत्तेयं २ कुंभिक्का मुत्तादामा पं०, ते णं कुंभिक्का मुत्तादामा अन्नेहिं चउहिं २ तदद्धुच्चप्पमाणमेत्तेहिं अट्टकुंभिक्केहिं मुत्तादामेहिं सव्व समंता संपरिक्खित्ता, ते णं दामा तवणिज्जलंबूसका सुव्वणपयरगमंडिता जाव चिह्नंति, तेसिं णं पासायवडिंसगाणं उप्पिं बहवे अट्ठट्ठमंगलगा पं० सोत्थिय तधेव छत्ता । १३१ । विजयस्स णं दारस्स उभओ पासिं दुहओ णिसीहियाए दो दो तोरणा पं०, ते णं तोरणा णाणामणिमया तव जाव अट्ठट्ठमंगलगा य छत्तातिच्छत्ता, सिंणं तोरणाणं पुरतो दो दो सालभंजिताओ पं० जहेव णं हेट्ठा तहेव, तेसिं णं तोरणाणं पुरतो- दो दो नागदंतगा पं०, ते णं णागदंतगा मुत्ताजालंतरूसिया तहेव, तेसु णं णागदंतएसु बहवे किण्हसुत्तवट्टवग्घारितमल्लदामकलावा जाव चिह्नंति, तेसिं णं तोरणाणं पुरतो दो दो हयसंघाडगा जाव उसभसंघाडगा पं० सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा, एवं पंतीओ वीहीओ मिहुणगा दो दो पउमलयाओ जाव पडिरूवाओ, तेसिं णं तोरा ॥ पुरतो दो दो चंदणकलसा पं०, ते णं चंदणकलसा वरकमलपइट्टाणा तहेव सव्वरयणामया जाव पडिरूवा समणाउसो !, तेसिं णं तोरणाणं पुरओ दो दो भिंगारगा पं० वरव नलपट्टाणा जाव सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा महतामहतामत्तगयमुहागितिसमाणा समणाउसो !, तेसिं णं तोरणाणं पुरतो दो दो आतंसगा पं०, तेसिं णं आतंसगाणं अयमेयारूवे वण्णावासे पं० तं तवणिज्जमया पयंठगा वेरुलियमया छरुहा वडरामया वरंगा णाणामणिमया वलक्खा अंकमया मंडला अणोघसियनिम्मलाए छायाए सव्वतो चेव समणुबद्धा चंदमंडलपडिणिकासा महतामहता अद्धकायसमाणा पं० समणाउसो !, तेसि णं तोरणाणं पुरतो दो दो वइरणाभे थाले पं०, ते णं थाला अच्छतिच्छडियसालितंदुलनहसंदट्टबहुपडिपुण्णा चेव चिड़ंति सव्वजंबूणतामता अच्छा जाव पडिरूवा महतामहतारहचक्कसमाणा समणाउसो !, तेसिं णं तोरणाणं • पुरतो दो दो पातीओ पं०, ताओ णं पातीओ अच्छोदयपडिहत्थाओ णाणाविधपंचवण्णस्स फलहरितगस्स बहुपडिपुण्णाओविव चिट्ठति सव्वरयणामतीओ जाव
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(१४) जीवाजीवाभिगम (३) पडिवत्ति (च.) दीव'समुह
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RIOR
र पडिरूवाओ महयामहयागोकलिंजगचक्क समाणाओ पं० समणाउसो !, ते सिंणं तोरणाणं पुरतो दो दो सुपतिट्ठगा पं०, ते णं सुपतिहगा भणाणाविधपंचवण्णपसाहणगभंडविरचिया सव्वोसधिपडिपुण्णा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा, तेसिंणं तोरणाणं पुरतो दो दो मणोगुलियाओ पं०, तासुणं
मणोगुलियासु बहवे सुवण्णरुप्पामया फलगा पं०, तेसुणं सुवण्णरुप्पामएसु फलएसु बहवे वइरामया णागदंतगा मुत्ताजालंतरूसिता हेम जाव गयदंगसमाणा पं०, तेसुणं वइरामएसु णागदंतएसु बहवे रययामया सिक्कया पं०, तेसुणं रययामएसु सिक्कएसु बहवे वायकरगा पं०, ते णं वायकरगा किण्हसुत्तसिक्कगवच्छिया जाव सुकिल्लसुत्तसिक्कगवच्छिया सव्वे वेरुलिया मया अच्छा जाव पडिरूवा, तेसिंणं तोरणाणं पुरओ दो दो चित्ता रयणकरंडगा पं० से जहाणामएरण्णो चाउरंतचक्कवट्टिस्स चित्ते रयणकरंडे वेरुलियमणिफालियपडलपच्चोयडे साए पभाए ते पदेसे सव्वतो समंता ओभासइ उज्जोवेति तावेइ पभासेति एवामेव ते चित्तरयणकरंडगा पं० वेरुलियपडलपच्चोयडा साए पभाए ते पदेसे सव्वतो समंता ओभासेंति०, तेसिंणं तोरणाणं पुरतो. दो दो हयकंठगा जाव दो दो उसभकंठगा पं० सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा, तेसुणं हयकंठएसु जाव उसभकंठएसु दो दो पुप्फचंगेरीओ, एवं मल्लगंधचुण्णवत्थाभरणचंगेरीओ सिद्धत्थचंगेरीओ लोमहत्थचंगेरीओ सव्वरयणामतीओ अच्छाओ जाव पडिरूवाओ, तेसिंणं तोरणाणं पुरतो दो दो पुप्फपडलाई जाव लोमहत्थपडलाइं सव्वरयणामयाई जाव पडिरूवाई, तेसिंणं तोरणाणं पुरतो दो दो सीहासणाई पं०, तेसिंणं सीहासणाणं अयमेवारूवे वण्णावासे पण्णत्ते तहेव जाव पासातीया०, तेसिंणं तोरणाणं पुरतो दो दो रुप्पछदा छत्ता पं०, तेणं छत्ता वेरुलियभिसंतविमलदंडा जंबूणयकन्निका वइरसंधी मुत्ताजालपरिगता अट्ठसहस्सवरकंचणसलागा हरमलयसुगंधी सव्वोउअसुरभिसीयलच्छाया मंगलभत्तिचित्ता चंदागारोवमा वट्टा, तेसिंणं तोरणाणं पुरतो दो दो चामराओ पं०, ताओणं चामराओ णाणामणिकणगरयणविमलमहरिहतवणिज्जुज्जलविचित्तदंडाओ (चन्दप्पभवइरवेरुलियनानामणिरयणखचियदंडा)चिल्लिआओ संखंककुंददगरयअमयमहियफेणपुंजसण्णिकासाओ सुहुमरयतदीहवालाओ सव्वरयणामताओ अच्छाओ जाव पडिरूवाओ, तेसिं णं तोरणाणं पुरतो दो दो तिल्लसमुग्गा कोट्ठसमुग्गा पत्तसमुग्गा चोयसमुग्गा तयरसमुग्गा एलासमुग्गा हरियालसमुग्गा हिंगुलयसमुग्गा मणोसिलासमुग्गा अंजणसमुग्गा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा ।१३२। विजये णं दारे अट्ठसत्तं चक्कद्धयाणं अट्ठसयं मिगद्धयाणं अट्ठसयं गरुडज्झयाणं अट्ठसयं विगद्धयाणं अट्ठसयं रुरुयज्झयाणं अट्ठसतं छत्तज्झयाणं अट्ठसयं पिच्छज्झयाणं अट्ठसयं सउणिज्झयाणं अट्ठसतं सीहज्झयाणं अट्ठसत्तं उसभज्झयाणं अट्ठसतं सेयाणं.चउविसाणाणं णागवरकेतूणं, एवामेव सपुव्वावरेणं विजयदारे य आसीयं केउसहस्सं भवतित्तिमक्खाय, विजये णं दारे नव भोमा पं०, तेसिं णं भोमाणं अंतो बहुसमरमणिज्जा भूमिभागा पं० जाव मणीणं फासो, तेसिं णं भोमाणं उप्पिं उल्लोया पउमलयाजावसामलताभत्तिचित्ता जाव सव्वतवणिज्जमता अच्छा जाव पडिरूवा, तेसिंणं भोमाणं बहुमज्झदेसभाए जे से पंचमे भोम्मे तस्स णं भोमस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं एगे महं सीहासणे पं० सीहासणवण्णतो विजयदूसे जाव अंकुसे जाव दामा चिटुंति, तस्स णं सीहासणस्स अवरुत्तरेणं उत्तरेणं उत्तरपुरत्थिमेणं एत्थ णं विजयस्स देवस्स चउण्हं सामाणियसहस्साणं चत्तारि भद्दासणसाहस्सीओ पं०, तस्स णं सीहासणस्स पुरच्छिमेणं एत्थ णं विजयस्स देवस्स चउण्हं अग्गमहिसीणं सपरिवाराणं चत्तारि भद्दासणा पं०, तस्स णं सीहासणस्स दाहिणपुरत्थिमेणं एत्थ णं विजयस्स देवस्स अन्भितरियाए परिसाए अट्ठण्हं देवसाहस्सीणं अट्ठ भद्दासणसाहस्सीओ पं०, तस्सणं सीहासणस्सदाहिणेणं विजयस्स देवस्स मज्झिमियाए परिसाए दसण्हं देवसाहस्सीणं दस भद्दासणसाहस्सीओपं०, तस्सणं सीहासणस्स दाहिणपच्चत्थिमेणं एत्थ णं विजयस्स देवस्स बाहिरियाए परिसाए बारसण्हं देवसाहस्सीणं बारस भद्दासणसाहस्सीओ पं०, तस्स णं सीहासणस्स पच्चत्थिमेणं एत्थ णं विजयस्स देवस्स सत्तण्हं अणियाहिवतीणं सत्त भद्दासणा पं०, तस्स णं सीहासणस्स पुरत्थिमेणं दाहिणेणं पच्चत्थिमेणं उत्तरेणं एत्थ णं विजयस्स देवस्स सोलस आयरक्खदेवसाहस्सीणं सोलस भद्दासणसाहस्सीओ पं०, तं०- पुरत्थिमेणं चत्तारि साहस्सीओ एवं चउसुवि जाव उत्तरेणं चत्तारि साहस्सीओ, अवसेसेसु
भोमेसु पत्तयं २ भद्दासणा पं०।१३३। विजयस्स णं दारस्स उवरिमागारा सोलसविहेहिं रतणेहिं उवसोभिता, तं०- रयणेहिं वयरेहिं वेरुलिएहिं जाव रिटेहिं, Kerros555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ८८४
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विजयस्स णं दारस्स उप्पिं बहवे अट्ठट्ठमंगलगा पं० तं०- सोत्थितसिरिवच्छजावदप्पणा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा, विजयस्सदारस्स उनिहवे कण्हचामरज्झया जाव सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा, विजयस्सणं दारस्स उप्पिं बहवे छत्तातिच्छत्ता तहेव।१३४सेकेण?णं भंते! एवं वुच्चति?-विजए णं दारे २?, गो० ! विजए णं दारे विजए णाम देवे महिड्डीए महन्नुतीए जाव महाणुभावे पलिओवमद्वितीए परिवसति, सेणं तत्थ चउण्हं सामाणियसाहस्सीणं चउण्हं अगमहिसीणं सपरिवाराणं तिण्हं परिसाणं सत्तण्हं अतणयाणं दत्तण्हं अणियाहिवईणं सोलसण्हं आयरक्खदेवसाहस्सीणं विजयस्सणं दारस्स विजयाए रायहाणीए' अण्णेसिं बहूणं विजयारायहाणीवत्थव्वगाणं देवाणं देवीण य आहेवच्चं जाव दिव्वाई भोगभोगाइं भुंजमाणे विहरइ. से तेणटेणं गो० ! एवं वुच्चति- विजये दारे २, अदुत्तरं च णं गो० ! विजयस्स णं दारस्स सासए णामधेज्ने पं० जण्ण कयाई णत्थि ण कयाई ण भविस्सति जाव अवट्ठिए णिच्चे विजए दारे ।१३५। कहिं णं भंते ! विजयस्स देवस्स विजयाणाम रायहाणी पं०?, गो० ! विजयस्सणं दारस्स पुरत्थिमेणं तिरियमसंखेज्जे दीवसमुद्दे वीतिवतित्ता अण्णंमिजंबुद्दीवे बारस जोयणसहस्साइं
ओगाहित्ता एत्थ णं विजयस्स देवस्स विजया णाम रायहाणी पं० बारस जोयणसहस्साइं आयामविक्खंभेणं सत्तत्तीसजोयणसहस्साइं नव य अडयाले जोयणसए किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं पं०, साणं एगेणं पागारेणं सव्वतो समंता संपरिक्खित्ता, सेणं पागारे सत्ततीसं जोयणाइं अद्धजोयणं च उदउच्चत्तेणं मूले अद्धतेरस जोयणाई विक्खंभेणं मज्झेत्थ सक्कोसाइंछजोयणाई विक्खंभेणं उप्पिं तिण्णि सद्धकोसाइं जोयणाई विक्खंभेणं मूले विच्छिण्णे मज्झे संखित्ते उप्पिं तणुए बाहिं वट्टे
अंतो चउरंसे गोपुच्छसंठाणसंठिते सव्वकणगामए अच्छे जाव पडिरूवे, सेणं पागारेणाणाविहपंचवण्णेहिं कविसीसएहिं उवसोभिए, तं०-किण्हेहिं जाव सुकिल्लेहि, + ते णं कविसीसका अद्धकोसं आयामेणं पंचधणुसताई विक्खंभेणं देसोणमद्धकोसं उड्ढंउच्चत्तेणं सव्वमणिमया अच्छा जाव पडिरूवा, विजयाए णं रायहाणीए
एगमेगाए बाहाए पणुवीसं २ दारसतं भवतीतिमक्खायं, ते णं दारा बावढि जोयणाइं अद्धजोयणं च उड्ढंउच्चत्तेणं एक्कतीसं जोयणाई कोसं च विक्खंभेणं तावतियं चेव पवेसेणं सेता वरकणगथूभिधागा ईहामिय तहेव जधा विजए दारे जाव तवणिज्जवालुगपत्थडा सुहफासा सस्सि (म)रीए सरूवा पासातीया०, तेसिंणं दाराणं उभयपासिं दुहतो णिसीयाए दो चंदणकलसपरिवाडीओ पं० तहेव भाणियव्वं जाव वणमालाओ, तेसिंणं दाराणं उभओ पासिं दुहतो णिसीयाए दो दो पगंठगा पं०,
ते णं पगंठगा एक्कतीसं जोयणाई कोसं च आयामविक्खंभेणं पन्नरस जोयणाई अड्ढाइज्जे कोसे बाहल्लेणं पं० सव्ववइरामया अच्छा जाव पडिरूवा, तेसिं णं म पगंठगाणं उप्पिं पत्तेयं २ पासायवडिंसगा पं०, ते णं पासायवडिंसगा एक्कतीसंजोयणाई कोसंच उड्ढउच्चत्तेणं पन्नरस जोयणाई अड्ढाइज्जे य कोसे आयामविक्खंभेणं है
सेसं तं चेव जाव समुग्गया णंवर बहुवयणं भाणितव्वं, विजयाए णं रायधाणीए एगमेगे दारे अट्ठसयं चक्कज्झयाणं जाव अट्ठसतं सेयाणं चउविसाणाणं णागवरकेऊणं, एवामेव सपुव्वावरेणं विजयाए रायहाणीए एगमेगे दारे आसीतं २ केउसहस्सं भवतीतिमक्खायं, विजयाए णं रायहाणीए एगमेगे दारे तेसिंणं दाराणं पुरओ सत्तरस भोमापं०, तेसिंणं भोमाणं भूमिभागा उल्लोया (य) पउमलया० भत्तिचित्ता, तेसिंणं भोमाणं बहुमज्झदेसभाएजे ते नवमनवमा भोमा तेसिंणं भोमाणं बहुमज्झदेसभाए पत्तेयं २ सीहासणा पं० सीहासणवण्णओ जाव दामा जहा हेट्ठा, एत्थ णं अवसेसेसु भोमेसु पत्तेयं २ भद्दासणा पं०, तेसिं णं दाराणं उत्तिमा (उवरिमा) गारा'
सोलसविधेहिं रयणेहिं उवसोभिया तं चेव जाव छत्ताइच्छत्ता, एवामेव सपुव्वावरेणं विजयाए रायहाणीए पंच दारसता भवंतीतिमक्खाया ।१३६। विजयाए णं ॥ ॐ रायहाणीए चउद्दिसिं पंचजोयणसताइं अबाहाए एत्थ णं चत्तारि वणसंडा पं० २०-(१५८) असोगवणे सत्तवण्णवणे चंपगवणे चूतवणे पुरत्थिमेणं असोमवणे
दाहिणणं सत्तवण्णवणे पच्चत्थिमेणं चंपगवणे उत्तरेणं चूतवणे, ते णं वणसंडा साइरेगाई दुवालस जोयणसहस्साई विक्खंभेणं पत्तेयं २ पागारपरिक्खित्ता किण्हा
किण्होभासा वणसंडवण्णओ भाणियव्वो जाव बहवे वाणमंतरा देवा य देवीओ य आसयंति सयंति चिटुंति णिसीदति तुयट्टति रमंति ललंति कीलंति मोहंति + पुरापोराणाणं सुचिण्णाणं सुरक्वंताणं सुभाणं कडाणं कम्माणं कल्लाणं फलवित्तिविसेसं पच्चणुभवमाणा विहरंति, तेसिंणं वणसंडाणं बहुमज्झदेसभाए पत्तेयं २ पासायवडिसगा पं०, ते णं पासायवडिसगा बावहिँ जोयणाई अद्धजोयणं च उड्ढंउच्चत्तेणं एकतीसं जोयणाई कोसं च आयामविक्खंभेणं अब्भुग्गतमूसिया तहेव
yovier-1-Currencienc44444444 श्री आगमगणमजूषा ८८५555555555555557555555555556TORS
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(१४) जीवाजीवाभिगम (३) पडिवत्ति (च.) दीवसमुद्द
[४४ ]
जाव तो बहुसमरमणिज्जा भूमिभागा पं० उल्लोया० पउमभत्तिचित्ता भाणियव्वा, तेसिं णं पासायवडेसगाणं बहुमज्झदेसभाए पत्तेयं २ सीहासणा वण्णावासो सपरिवारा, तेसिं णं पासायवडिंसगाणं उप्पिं बहवे अट्ठट्ठमंगलगा झया छत्तातिच्छत्ता, तत्थ णं चत्तारि देवा महिड्ढीया जाव पलिओवमट्टितीया परिविसंति तं० : असोए सत्तवण्णे चंपए चूते, तत्थ णं ते साणं साणं वणसंडाणं साणं २ पासायवडेंसयाणं साणं २ सामाणियाणं साणं २ अग्गमहिसीणं साणं २ परिसाणं साणं २ आयरक्खदेवाणं आहेवच्चं जाव विहरंति, विजयाए णं रायहाणीए अंतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पं० जाव पंचवण्णेहिं मणीहिं उवसोभिए तणसद्दविहूणे जाव देवा जय देवीओ य आसयति जाव विहरंति, तस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं एगे महं ओवरियालेणे पं० बारस जोयणस्याई आयामविक्खंभेणं तिन्नि जोयणसहस्साइं सत्त य पंचाणउते जोयणसते किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं अद्धकोसं बाहल्लेणं सव्वजंबूणतामते अच्छे जाव पडिरूवे, से णं एगाए पउमवरवेइयाए एगेणं वणसंडेणं सव्वतो समंता संपरिक्खत्ते पउमवरवेतियाए वण्णओ वणसंडवण्णओ जाव विहरंति, से णं वणसंडे देसूणाई दो जोयणाई चक्कवालविक्खंभेणं ओवारियालयणसमे परिक्खेवेणं, तस्स णं ओवारियालयणस्स चउद्दिसिं चत्तारि तिसोवाणपडिरूवगा पं० वण्णओ, तेसिं णं तिसोवाणपडिरूवगाणं पुरतो पत्तेयं २ तोरणा पं० छत्ताति०, तस्स णं उवारियालयणस्स उप्पिं बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पं० जाव मणीहिं उवसोभिते मणिवण्णओ गंधरसफासो, तस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं एगे महं मूलपासायवडिंसए पं०, से णं पासायवडिसए बावट्ठि जोयणाइं अद्धजोयणं च उड्ढउच्चत्तेणं एक्कतीसं जोयणाई कोसं च आयामविक्खंभेणं अब्भुग्गयमूसियप्पहसिते तहेव, तस्स णं पासायवडिंसगस्स अंतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पं० व मणिफासे उल्लो तस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभागे एत्थ णं एगा महं मणिपेढिया पं०, साय एगं जोयणमायामविक्खंभेणं अद्धजोयणं बाहल्लेणं सव्वमणिमई अच्छा सण्हा०, तीसे णं मणिपेढियाए उवरिं एगं महं सीहासणे पं०, एवं सीहासणवण्णओ सपरिवारो, तस्स णं पासायवडिंसगस्स उप्पिं बहवे अट्ठट्ठमंगलगा झया छत्तातिच्छत्ता, से णं पासायवडिंसए अण्णेहिं चउहिं तदद्धुच्चत्तप्पमाणमेत्तेहिं पासायवडिसएहिं सव्वतो समंता संपरिक्खित्ते, ते णं पासावडिंसगा एक्कतीसं जोयणाइं कोसं च उड्ढउच्चत्तेणं अद्धसोलसजोयणाई अद्धकोसं च आयामविक्खंभेणं अब्भुग्गत० तहेव, तेसिं णं पासायवडिंसयाणं
बहुमरमणि भूमिभागा उल्लोया, तेसिं णं बहुसमरमणिज्जाणं भूमिभागाणं बहुमज्झदेसभाए पत्तेयं २ सीहासणं पं० वण्णओ, तेसिं परिवारभूता भद्दासणा पं० तेसिंणं अट्ठमंगलगा झया छत्तातिच्छत्ता, ते णं पासायवडिंसका अण्णेहिं चउहिं २ तदद्धुच्चत्तप्पमाणमेत्तेहिं पासायवडेंसएहिं सव्वतो समंता संपरिक्खित्ता,
पासावडेंसका अद्धसोलसजोयणाइं अद्धकोसं च उड्ढउच्चत्तेणं देसूणाई अट्ठ जोयणाई आयामविक्खंभेणं अब्भुग्गयं तहेव, तेसिं णं पासायवडेंसगाणं अंतो बहुसमरमणिज्जा भूमिभागा उल्लोया, तेसिं णं बहुसमरमणि नाणं भूमिभागाणं बहुमज्झदेसभाए पत्तेयं २ पउमासणा पं०, तेसिं णं पासायाणं अट्ठमंगलगा झा छत्तातिच्छत्ता, ते णं पासायवडेंसगा अण्णेहिं चउहिं तददधुन्चत्तप्पमाणमेत्तेहिं पासायवडेंसएहिं सव्वतो समंता संपरिक्खत्ता, ते णं पासायवडेंसका देसूणाई अट्ठजोयणाई उड्ढउच्चत्तेणं देसूणाई चत्तारि जोयणाई आयामविक्खंभेणं अब्भुग्गत० भूमिभागा उल्लोया भद्दासणाई उवरिं मंगलगा झया छत्तातिच्छत्ता, ते णं पासायवडिंसगा अण्णेहिं चउहिं तदद्धुच्चत्तप्पमाणमेत्तेहिं पासायवडिसएहिं सव्वतो समंता संपरिक्खित्ता, ते णं पासायवडिंसगा देसूणाई चत्तारि जोयणाई उड्ढंउच्चत्तेणं देसूणाई दो जोयणाई आयामविक्खंभेणं अब्भुग्गयमूसिय० भूमिभागा उल्लोया पउमासणाई उवरिं मंगलगा झया छत्ताइच्छत्ता | १३७| तस्स णं मूलपासायवडेंसगस्स उत्तरपुरत्थिमे णं एत्थ णं विजयस्स देवस्स सभा सुधम्मा पं० अद्धत्तेरसजोयणाई आयामेणं छ सक्कोसाई जोयणाई विक्खंभेणं णव जोयणाई उड्ढउच्चत्तेणं अणेगखंभसतसंनिविट्ठा अब्भुग्गयसुकयवइरवेदिया तोरणवररतियसालभंजियागा सुसिलिट्ठविसिट्ठलट्ठसंठियपसत्थवेरूलियविमलखंभा णाणामणिकणगरयणखइयउज्जलबहु समसुविभत्तचित्त रमणिज्जकुट्टिमतला इहामियउसभतुरगणरमगरविहगवालगकिण्णररूरुसरभचमरकुंजरवणलयपउमलयभत्तिचित्ता थंभुग्गयवइवेइयापरिगयाभिरामा विज्जाहरजमलजुयलजंतजुत्ताविव
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(णिचिय)
Mero श्री आगमगुणमंजूषा - ८८६
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१४. जीवाजीवामिगम ३. पांडवनि च दीव समुद्र [४]
अच्चिसहस्समालणीया रूवगसहस्सकलिया भिसमाणी भिब्भिसमाणी चक्खुल्लोयणलेसा सुहफासा सस्सिरीयरूवा कं चणमणिरयणथूभियागा नाणाविहपंचवण्णघंटापडागपडिमंडितग्गसिहरा धवला मिरीइकवचं विणिमयंती लाउल्लोइयमहिया गोसीससरसरत्तचंदणदद्दरदिन्नपंचंगुलितला उवचियचंदणकलसा चंदणघडसुकयतोरणपडिदुवारदेसभागा आसत्तोसत्तविउलवट्टवग्घारियमल्लदामकलावा पंचवण्णसरससुरभिमुक्कपुप्फुपुंजोवयारकलिता कालागुरूपवरकुंदुरूक्कतुरूक्क धूवमघमघेतगंधुद्ध्या भिरामा सुगंधवरगंधिया गंधवट्टिभूया अच्छरगणसंघसंविकिन्ना दिव्वतुडियमधुरसद्दसंपणाइया सुरम्मा सव्वरयणामती अच्छा जाव पडिरूवा, तीसे णं सुहम्माए सभाए तिदिसिं तओ दारा पं०, ते णं दारा पत्तेयं २ दो दो जोयणाई उड्ढउच्चत्तेणं एवं जोयणं विक्खंभेणं तावइयं चेव पवेसेणं सेया वरकणगधूभियागा जाव वणमालादारवन्नओ, तेसिं णं दाराणं पुरओ मुहमंडवा पं०, ते णं मुहमंडवा अद्धतेरसजोयणाई आयामेणं छजोयणाइं सक्कोसाइं विक्खंभेणं साइरेगाइं दो जोयणाई उड्ढउच्चत्तेणं, ते णं मुहमंडवा अणेगखंभसयसंनिविट्ठा जाव उल्लोया भूमिभागवण्णओ, तेसिं णं मुहमंडवाण उवरिं पत्तेयं २ अट्ठट्ठमंगलगा पं० सोत्थियजावमच्छ०, तेसिं णं मुहमंडवाणं पुरओ पत्तेयं २ पेच्छाघरमंडवा पं०, ते णं पेच्छाघरमंडवा अद्धतेरसजोयणाई आयामेणं जाव दो जोयणाई उड्ढउच्चत्तेणं जाव मणिफासो, तेसिं णं बहुमज्झदेसभाए पत्तेयं २ वइरामयअक्खाडगा पं०, तेसिं णं वइरामयाणं अक्खाडगाणं बहुमज्झदेसभाए पत्तेयं २ मणिपीढिया पं०, ताओ णं मणिपीढियाओ जोयणमेगं आयामविक्खंभेणं अद्धजोयणं बाहल्लेणं सव्वमणिमईओ अच्छाओ जाव पडिरूवाओ, तासिं णं मणिपेढियाणं उप्पिं पत्तेयं २ सीहासणा पं० सीहासणवण्णओ जाव दामा परिवारो, तेसिं णं पेच्छाघरमंडवाणं उप्पिं अट्ठट्ठमंगलगा झया छत्तातिच्छत्ता, तेसिं णं पेच्छाघरमंडवाणं पुरतो तिदिसिं तओ मणिपेढियाओ पं०, ताओ णं मणिपेढियाओ दो जोयणाई आयामविक्खंभेणं जोयणं बाहल्लेणं सव्वमणिमतीओ अच्छाओ जाव पडिरूवाओ, तासिंध पेत्रियाणं उप्पिं पत्तेयं २ चेइयथूभा पं०, ते णं चेइयथूभा दो जोयणाई आयामविक्खंभेणं सातिरेगाई दो जोयणाई उड्ढउच्चत्तेणं सेया संखंककुंददगरया नयमहितफेणपुंजसण्णिकासा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा, तेसिं णं चेइयथूभाणं उप्पिं अट्ठट्ठमंगलगा बहुकिण्हचामरझया पं० छत्तातिच्छत्ता, तेसिं णं चेतियथूभाणं चउद्दिसिं पत्तेयं २ चत्तारि मणिपेढियाओ पं०, ताओ णं मणिपेढियाओ जोयणं आयामविक्खंभेणं अद्धजोयणं बाहल्लेणं सव्वमणिमईओ, तासिं णं मणिपेढियाणं उप्पिं पत्तेयं २ चत्तारि जिणपडिमाओ जिणुस्सेहपमाणमेत्ताओ पलियंकणिसण्णाओ धूभाभिमुहीओ सन्निविट्ठाओ चिट्ठति, तं०-उसभा वद्धमाणा चंदाणणा वारिसेणा, तेसिंणं चेतियथूभाणं पुरतो तिदिसिं पत्तेयं २ मणिपेढियाओ पं०, ताओ णं मणिपेढियाओ दो दो जोयणाई आयामविक्खंभेणं
जो बाहल्लेणं सव्वमणिमईओ अच्छाओ लण्हाओ सण्हाओ घट्टाओ मट्ठाओ णिप्पकाओ० सस्सिरीयाओ जाव पडिरूवाओ, तासिं णं मणिपेढियाणं उप्पिं पत्तेयं २ चेइयरूक्खा पं०, ते णं चेतियरूक्खा अट्ठजोयणाई उड्ढंउच्चत्तेणं अद्धजोयणं उव्वेहेणं दो जोयणाइं खंधो अद्धजोयणं विक्खंभेणं छजोयणाई विडिमा बहुमज्झदेसभाए अट्ठजोयणाइं आयामविक्खंभेणं साइरेगाइं अट्ठजोयणाइं सव्वग्गेणं पं०, तेसिं णं चेइयरूक्खाणं अयमेतारूवे वण्णावासे पं० तं०- वइरामया मूला रययसुपतिट्ठिता विडिमा रिट्ठामयविपुलकंदवेरूलियरूतिलखंधा सुजातरूवपढमगविसालसाला नाणामणिरयणविविधसाहप्पसाहवेरूलियपत्ततवणिज्जपत्तबेंटा जंबूणयरत्तमउयसुकुमालपवालपल्लवसोभंतवरंकु रग्गसिहरा विचित्तमणिरयणसुरभिकुसुमफलभरणमियसाला सच्छाया सप्पभा समरीया सउज्जोया अमयरससमरसफला अधियं णयणमणणिव्वुतिकरा पासातीया दरिसणिज्जा अभिरुवा पडिरूवा, ते णं चेइयरूक्खा अन्नेहि बहूहिं तिलयलवयच्छत्तोवगसिरीससत्तवन्नदहिवन्नलोद्ध्धव चंदणनीवकुंडयकयंबपणसतालतमालपियालपियंगुपारावयरायरूक्खनंदिरूक्खेहिं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ता, ते णं तिलया जाव नंदिरूक्खा मूलमंतो कन्दमंतो जाव सुरम्मा, ते णं तिलया जाव नंदिरूक्खा अन्नेहिं बहूहिं पउमलयाहिं जाव सामलयाहिं सव्वतो समता संपरिक्खित्ता, ताओ णं पउमलयाओ जाव सामलयाओ निच्चं कुसुमियाओ जाव पडिरूवाओ, तेसिं णं चेतियरूक्खाणं उप्पिं बहवे अट्ठट्ठमंगलगा झया छत्तातिच्छत्ता, तेसिं णं चेइयरूक्खाणं पुरतो तिदिसिं तओ मणिपेढियाओ पं०, ताओ णं मणिपेढियाओ जोयणं आयामविक्खंभेणं अद्धजोयणं बाहल्लेणं ॐॐॐॐॐॐॐॐ श्री आगमगुणमजूषा -
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(१४) जीवाजीवाभिगम (३) पडिवत्ति (च.) दीवसमुद्द४६]
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सव्वमणिमतीओ अच्छाओ जाव पडिरूवाओ, तासिंणं मणिपेढियाणं उप्पिं पत्तेयं २ महिंदझया अद्धट्ठमाई जोयणाई उड्ढंउच्चत्तेणं अद्धकोसं उव्वेहेणं अद्धकोसं विक्खंभेणं वइरामयवट्टलट्ठसंठियसुसिलिट्ठपरिघट्ठमट्ठसुपतिहिता विसिट्ठा अणेगवरपंचवण्णकुडभीसहस्सपरिमंडियाभिरामा वाउ यविजयवेजयंतीपडागा छत्तातिच्छत्तकलिया तुंगा गगणतलमभिलंघमाणसिहरा पासादीया जाव पडिरूवा, तेसिंणं महिंदज्झयाणं उप्पिं अट्ठमंगलगा झया छत्तातिच्छत्ता, तेसिंणं महिदज्झयाणं पुरतो तिदिसिंतओणंदाओ पुक्खरिणीओ पं०, ताओ णं पुक्खरिणीओ अद्धतेरसजोयणाई आयामेणं सक्कोसाइं छजोयणाई विक्खंभेणं दसजोयणाई
उव्वेहेणं अच्छाओ सहाओ पुक्खरिणीवण्णओ पत्तेयं २ पउमवरवेइयापरिक्खित्ताओ पत्तेयं २ वणसंडपरिक्खित्ताओ वण्णओ जाव पडिरूवाओ, तासिं णं 5 पुक्खरिणीणं पत्तेयं २ तिदिसिं तिसोवाणपडिरूवगा पं०, तेसिंणं तिसोवाणपडिरूवाणं वण्णओ, तोरणा भाणियव्वा जाव छत्तातिच्छत्ता सभाए णं सुहम्माए छ
मणोगुलियासाहस्सीओ पं० तं०-पुरच्छिमे णं दो साहस्सीओ पच्चत्थिमेणं दो साहस्सीओ दाहिणेणं एगा साहस्सी उत्तरेणं एगा साहस्सी, तासु णं मणोगुलियासु बहवे सुवण्णरूप्पमया फलगा पं०, तेसु णं सुवण्णरूप्पामएसु फलगेसु बहवे वइरामया णागदंतगा पं०, तेसु णं वइरामएसु नागदंतएसु बहवे किण्हसुत्तवट्टवग्धारितमल्लदामकलावा जाव सुकिल्लवणट्टवग्घारितमल्लदामकलावा, ते णं दामा तवणिज्जलंबूसगा जाव चिटुंति, सभाए णं सुहम्माए छ गोमाणसीसाहस्सीओ पं० तं०-पुरच्छिमेणं दो साहस्सीओ एवं पच्चत्थिमेणवि, दाहिणेणं सहस्सं एवं उत्तरेणवि, तासु णं गोमाणसीसु बहवे सुवण्णरूप्पमया फलगा पं० जाव तेसु णं वइरामएसु नागदंतएसु बहवे रयतामया सिक्कता पं०, तेसुणं रयतामयेसु सिक्कएसु बहवे वेरूलियामईओ धूवघडिताओ पं०, ताओ णं धूवघडियाओ कालागुरूपवरकुंदुरूक्कतुरूक्क जाव घाणमणणिव्वुइकरेणं गंधेणं सव्वतो समंता आपूरेमाणीओ चिट्ठति, सभाए णं सुधम्माए अंतो बहुसमरमणिज्ने भूमिभागे पं० जाव मणीणं फासो उल्लोया पउमलयभत्तिचित्ता जाव सव्वतवणिज्जमए अच्छे जाव पडिरूवे ।१३८। तस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं एगा महं मणिपीढिया पं०, सा णं मणिपीढिया दो जोयणाई आयामविक्खंभेणं जोयणं बाहल्लेणं सव्वमणिमता, तीसे णं मणिपीढियाए उप्पिं एत्थ णं माणवए णाम चेइयखंभे पं० अद्धट्ठमाइं जोयणाई उड्ढंउच्चत्तेणं अद्धकोसं उव्वेहेणं अद्धकोसं विक्खंभेणं छकोडीए छलंसे छविग्गहिते वइरामयवट्टलट्ठसंठिते एवं जहा महिंदज्झयस्स वण्णओ जाव पासातीए०, तस्स णं माणवकस्स चेतियखंभस्स उवरि छक्कोसे ओगाहित्ता हेट्ठावि छक्कोसे वज्जेत्ता मज्झे अद्धपंचमेसुजोयणेसुएत्थ णं बहवे सुवण्णरूप्पमया फलगा पं०, तेसुणं सुवण्णरूप्पमएसुफलएसुबहवे वइरामया णागदंता पं०, तेसुणं वइरामएसुनागदंतएसु बहवे रययामता सिक्कगा पं०, तेसु णं रययामयसिक्कएसु बहवे वइरामगा गोलवट्टसमुग्गका पं०, तेसु णं वइरामएसु गोलवट्टसमुग्गएसु बहवे जिणसकहाओ संनिक्खित्ताओ चिट्ठति जाओ णं विजयस्स देवस्स अण्णेसिं च बहूणं वाणमंतराणं देवाण य देवीण य अच्चणिज्जाओ वंदणिज्जाओ पूयणिज्जाओ सक्कारणिज्जाओ सम्माणणिज्जाओ कल्लाणं मंगलं देवयं चेतियं पज्जुवासणिज्जाओ, माणवगस्स णं चेतियखंमस्स उवरिं अट्ठमंगलगा झया छत्तातिच्छत्ता, तस्स णं माणवकस्स चेतियखंभस्स पुरच्छिमेणं एत्थ णं एगा महं मणिपेढिया पं०, साणं मणिपेढिया दो जोयणाई आयामविक्खंभेणं जोयणं बाहल्लेणं सव्वमणिमई जाव पडिरूवा, तीसे णं मणिपेढियाए उप्पिं एत्थ णं एगे महं सीहासणे पं०, सीहासणवण्णओ, तस्स णं माणवगस्स चेतियखंभस्स पच्चत्थिमेणं एत्थ णं एगा महं मणिपेढिया पं० जोयणं आयामविक्खंभेणं अद्धजोयणं बाहल्लेणं सव्वमणिमती अच्छा, तीसे णं मणिपेढियाए उप्पिं एत्थं णं एगे महं देवसयणिज्जे पं०, तस्स णं देवसयणिज्जस्स अयमेयारूवे वण्णावासे पं० तं०-नाणामणिमया पडिपादा सोवण्णिया पादा नाणामणिमया पायसीसा जंबूणयमयाइं गत्ताइं वइरामया संधी णाणामणिमते वेच्चे रययामता तूली लोहियक्खमया बिब्बोयणा तवणिज्जमती गंडोवहाणिया, से णं देवसयणिज्जे उभओबिब्बोयणे दुहओउण्णए मज्झेणयगंभीरे सालिंगणवट्टिए
गंगापुलिणवालुउद्दालसालिसए ओतवितक्खोमदुगुलपट्टपडिच्छायणे सुविरचितरयत्ताणे रत्तंसुयसंवुते सुरम्मे आइणगरूतबूरणवणीयतूलफासमउए पासाईए०, १ तस्स णं देवसयणिज्जस्स उत्तरपुर० एत्थ णं महई एगा मणिपीठिगा पं० जोयणमेगं आयामविक्खंभेणं अद्धजोयणं बाहल्लेणं सव्वमणिमई जाव अच्छा, तीसे णं KO. 55555559
श्री आगमगुणमंजूषा-८८८ $$$ 555555SFOOR
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(१४) जीवाजीवाभिगम (३) पडिवत्ति (च.) दीवसमुद्द [४७
मणिपीढियाए उप्पिं एगे महं खुड्डए महिंदज्झए पं० अद्धट्ठमाई जोयणाई उड्ढउच्चत्तेणं अद्धकोस उव्वेधेणं अद्धकोसं विक्खंभेणं वेरूलियामयवट्टलट्ठसंठिते तहेव जाव मंगलगा झया छत्ततिच्छत्ता, तस्स णं खुड्डमहिंदज्झयस्स पच्चत्थिमेणं एत्थ णं विजयस्स देवस्स चुप्पालए नाम पहरणकोसे पं०, तत्थ णं विजयस्स देवस्स फलिहरयणपामोक्खा बहवे पहरणरयणा संनिक्खित्ता चिट्टंति उज्जलसुणिसियसुतिक्खधारा पासाईया०. तीसे णं सभाए सुहम्माए उप्पिं बहवे अट्ठट्ठमंगलगा झया छत्तातिच्छत्ता । १३९ । सभाए णं सुधम्माए उत्तरपुरच्छिमेणं एत्थ णं एगे महं सिद्धायतणे पं० अद्धतेरस जोयणाई आयामेणं छजोयणाई सकोसाइं विक्खंभेणं नव जोयणाई उड्ढउच्चत्तेणं जाव गोमाणसियावत्तव्वया जा चेव सहाए सुहम्माए वत्तव्वया सा चेव निरवसेसा भाणियव्वा तहेव दारा मुहमंडवा पेच्छाघरमंडवा झया थूभा चेइयरूक्खा महिंदज्झया णंदाओ पुक्खरिणीओ, तओ य सुधम्माए जहा पमाणं, मणगुलिया गोमाणसीया धूवघडियाओ तहेव भूमिभागे उल्लोए य जाव मणिफासे, तस्स णं सिद्धायतणस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं एगा महं मणिपेढिया पं० दो जोयणाई आयामविक्खंभेणं जोयणं बाहल्लेणं सव्वमणिमया अच्छा०, तीसेणं मणिपेढियाए उप्पिं एत्थ णं एगे महं देवच्छंदए पं० दो जोयणाई आयामविक्खंभेणं साइरेगाई दो जोयणाई उड़ढउच्चत्तेणं सव्वरयणामए अच्छे०, तत्थ णं देवच्छंदए अट्ठसतं जिणपडिमाणं जिणुस्सेहप्पमाणमेत्ताणं सण्णिक्खित्तं चिट्ठइ, तासिं णं जिणपडिमाणं अयमेयारूवे वण्णावासे पं० तं० तवणिज्जमता हत्थतला अंकामयाई णक्खाई अंतोलोहियक्खपरिसेयाई कणगमया पादा कणगामया गोप्फा कणगामतीओ जंघाओ कणगामया जाणू कणगामया ऊरू कणगामयाओ गायलट्ठीओ तवणिज्जमतीओ णाभीओ रिट्ठामतीओ रोमरातीओ तवणिज्जमया चुच्चुया तवणिज्जमता सिरिवच्छा कणगमयाओ बाहाओ कणगमईओ पासाओ कणगमनीओ गीवाओ रिट्ठामते मंसू सिलप्पवालमया उट्ठा फलिहामया दंता तवणिज्जमतीओ जीहाओ तवणिज्जमया तालुया कणगमतीओ णासाओ अंतोलोहितक्खपरिसेयाओ अंकामयाइं अच्छीणि अंतोलोहितक्खपरिसेताइं पुलगमतीओ दिट्ठीओ रिट्ठामतीओ तारगाओ रिट्ठामयाई अच्छिपत्ताइं रिट्ठामतीओ भाओ कणगामया कवोला कणगामया सवणा कणगामया णिडाला वट्टा वइरामतीओ सीसघडीओ तवणिज्जमतीओ केसंतकेसभूमीओ रिट्ठामया उवरिमुद्धजा, तासि णं जिण डिमाणं पिट्ठतो पत्तेयं २ छत्तधारपडिमाओ पं०, ताओ णं छत्तधारपडिमाओ हिमरततकुंदेंदुसप्पकासाइं सकोरेंटमल्लदामधवलाई आतपत्तातिं सलीलं ओहारेमाणीओ चिट्ठति, तासि णं जिणपडिमाणं उभओ पासि पत्तेयं २ चामरधारपडिमाओ पं०, ताओ णं चामरधारपडिमाओ चंदप्पहवइरवेरूलियनाणामणिकणगरयणविमलमहरिहतवणिज्जुअलविचित्तदंडाओ चिल्लियाओ संखंककुं ददगरयअमतमथितफेणपुंजसण्णिकासाओ सुहुमरयतदीहवालाओ धवलाओ चामराओ सलीलं ओहारेमाणीओ चिट्ठति, तासिं णं जिणपडिमाणं पुरतो दो दो नागपडिमाओ दो दो जक्खपडिमा दो भूतपडिमाओ दो दो कुंडधारपडिमाओ विणओणयाओ पायवडियाओ पंजलिउडाओ संणिक्खित्ताओ चिट्टंति सव्वरयणामतीओ अच्छाओ सहाओ हाओ घट्टाओ मट्ठाओ णीरयाओ णिप्पंकाओ जाव पडिरूवाओ, तासिं णं जिणपडिमाणं पुरतो अट्ठसतं घंटाणं अट्ठसतं चंदणकलसाणं एवं अट्ठसतं भिंगारगाणं एवं आयंसगाणं थालाणं पातीणं सुपतिट्ठकाणं मणयगुलियाणं वातकरगाणं चित्ताणं रयणकरंडगाणं हयकंठगाणं जाव उसभकंठगाणं पुप्फचंगेरीणं जाव लोमहत्थचंगेरीणं असयं पुप्फपडलगाणं अट्ठसयं तेल्लसमुग्गाणं जाव धुवकडुच्छ्रयाणं संणिक्खित्तं चिट्ठति, तस्स णं सिद्धायतणस्स णं उप्पिं बहवे अट्ठट्ठमंगलगा झया छत्तातिच्छत्ता उत्तिमागारा सोलसविहेहिं रयणेहिं उवसोभिया तं० रयणेहिं जाव रिट्ठेहिं । १४० | तस्स णं सिद्धाययणस्स उत्तरपुरच्छिमेणं एत्थ णं एगा महं उववायसभा पं० जहा सुधम्मा तव जाव गोमाणसीओ उववायसभाएवि दारा मुंहमंडवा सव्वं भूमिभागे तहेव जाव मणिफासो (सुहम्मसभावत्तव्वया भाणियव्वा जाव भूमीए फासो पा० ), तस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं एगा महं मणिपेढिया पं० जोयणं आयामविक्खंभेणं अद्धजोयणं बाहल्लेणं सव्वमणिमती अच्छा०, तीसे णं मणिपेढियाए उप्पिं एत्थ णं एगे महं देवसयणिज्जे पं०, तस्स णं देवसयणिज्जस्स वण्णओ, उववायसभाए णं उप्पिं अट्ठट्ठमंगलगा झया छत्तातिच्छत्ता जाव उत्तिमागारा, तीसे णं उववायसभाए उत्तरपुरच्छिमेणं एत्थ णं एगे महं हरए पं०, से णं हरए अद्धतेरसजोयणाई आयामेणं छकोसाति जोयणाई विक्खंभेणं दस श्री आगमगुणमजूषा ८८९
ॐ
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(१४) जावाजावाभिगम (३) पडिवत्ति (च.) दीव समुद्द [४८]
फफफफफफ जोयणाई उव्वेहेणं अच्छे सण्हे वण्णओ जहेव णंदाणं पुक्खरिणीणं जाव तोरणवण्णओ, तस्स णं हरतस्स उत्तरपुरच्छिमेणं एत्थ णं एगा महं अभिसेयसभा पं० जहा सभा सुधम्मा तं चेव निरवसेसं जाव गोमाणसीओ भूमिभाए उल्लोए तहेव, तस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं एगा महं मणिपेढिया पं० जोयणं आयामविक्खंभेणं अद्धजोयणं बाहल्लेणं सव्वमणिमया अच्छा०, तीसे णं मणिपेढियाए उप्पिं एत्थ णं महं एगे सीहासणे पं०, सीहासणवण्णओ अपरिवारो, तत्थ णं विजयस्स देवस्स सुबहू अभिसेक्के भंडे संणिक्खित्ते चिट्ठति, अभिसेयसभाए उप्पिं अट्ठट्ठमंगलए जाव उत्तिमागारा सोलसविधेहिं रयणेहिं०, तीसेणं अभिसेयसभाए उत्तरपुरच्छिमेणं एत्थ णं एगा महं अलंकारियसभावत्तव्वया भाणियव्वा जाव गोमाणसीओ मणिपेढियाओ जहा अभिसेयसभाए उप्पिं सीहासणं स (अ) परिवारं, तत्थ णं विजयस्स देवस्स सुबहू अलंकारिए भंडे संनिक्खित्ते चिट्ठति, उत्तिमागारा अलंकारिय० उप्पिं मंगलगा झया जाव छत्ताति०, तीसेणं आलंकारियसहाए उत्तरपुरच्छिमेणं एत्थ णं एगा महं ववसातसभा पं०, अभिसेयसभावत्तव्वया जाव सीहासणं अपरिवारं, त (ए) त्थ णं विजयस्स देवस्स महं पत्थर संनिक्खित्ते चिट्ठति, तस्स णं पोत्थयरयणस्स अयमेयारूवे वण्णावासे पं० तं०-रिडामतीओ कंबियाओ तवणिज्जमए दोरे णाणामणिमए गंठी अंकमयाइं पत्ताइं वेरूलियमए लिप्पासणे तवणिज्जमती संकला रिट्ठमए छादणे रिट्ठामया मसी वइरामयी लेहणी रिट्ठामयाई अक्खराई धम्मिए सत्थे, ववसायसभाए उप्पं अट्ठमंगलगा झया छत्तातिच्छत्ता उत्तिमागारेति, तीसे णं ववसा (उववा पा०) यसभाए उत्तरपुरच्छिमेणं एगे महं बलिपेढे पं० दो जोयणाई आयामविक्खंभेणं जोयणं बाहल्लेणं सव्वरयतामए अच्छे जाव पडिरूवे, तस्स णं बलिपेढस्स उत्तरपुरच्छिमेणं एगा महं णंदापुक्खरिणी पं० जं चेव माणं हरयस्स तं चैव सव्वं । १४१ । तेणं कालेणं० विज देवे विजयाए रायहाणीए उववातसभाए देवसयणिज्जंसि देवदूसंतरिते अंगुलस्स असंखेज्जतिभागमेत्तीए बोंदीए विजयदेवत्ताए उववण्णे, तए णं से विजये देवे अहुणोववण्णमेत्तए चेव समाणे पंचविहाए पज्जत्ताए पज्जत्तीभावं गच्छति, तं० आहारपज्जत्तीए सरीर० इंदिय० आणापाणु० भासामणपज्जत्तीए, तर णं तस्स विजयस्स देवस्स पंचविहाए पज्जत्तीए पज्जत्तीभावं गयस्स इमे एयारूवे अज्झत्थिए चिंतिए पत्थिते मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था किं मे पुव्वं सेयं ? किं मे पच्छा सेयं ? किं मे पुव्विं करणिज्जं ? किं मे पच्छा करणिज्जं ? किं मे पुव्विं वा पच्छा वा हिताए सुहाए खमाए णिस्सेयसाते आणुगामियत्ताए भविस्सतीतिकट्टु एवं संपेहेति, तते णं तस्स विजयस्स देवस्स सामाणियपरिसोवव- (१५९) ण्णगा देवा विजयस्स देवस्स इमं एतारूवं अज्झत्थितं समुप्पण्णं जाणित्ता जेणामेव से विजए देवे तेणामेव उवागच्छंति त्ता विजयं देवं करतलपरिग्गहियं० सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु जएणं विजएणं वद्धावेति त्ता एवं व० एवं खलु देवाणुप्पियाणं विजयाए रायहाणीए सिद्धायतणंसि अट्ठसतं जिणपडिमाणं जिणुस्सेहपमाणमेत्ताणं संनिक्खित्तं चिट्ठति सभाए य सुधम्माए माणवए चेतियखंभे वइराम सु गोलवट्टसमुग्गतेसु बहूओ जिणसकहाओ सन्निक्खित्ताओ चिद्वंति जाओ णं देवाणुप्पियाणं अन्नेसिं च बहूणं विजयरायहाणि वत्थव्वाणं देवाण य देवीण य अच्चणिज्जाओ वंदणिज्जाओ पूयणिज्नाओ सक्कारणिज्जाओ सम्माणणिज्जाओ कल्लाणं मंगलं देवयं चेतियं पज्जुवासणिज्जाओ एतण्णं देवाणुप्पियाणं पुव्विपि सेयं एतण्णं देवाणुप्पियाणं पच्छावि सेयं एतण्णं देवा० पुव्विं करणिज्जं एतं० पच्छा करणिज्जं एतण्णं देवा० पुव्विं वा पच्छा वा जाव आणुगामियत्ताते भविस्सतीतिकट्टु महता २ जय (जय) सदं परंजंति, तए णं से विजए देवे तेसिं सामाणियपरिसोववण्णगाणं देवाणं अंतिए एयमट्टं सोच्चा णिसम्म हट्ठतुट्ठजावहियते देवसयणिज्जाओ अब्भुट्ठेइ त्ता दिव्वं देवदूस जुयलं परिहेइ त्ता देवसयणिज्जाओ पच्चोरूहइ त्ता उपपातसभाओ पुरत्थिमेणं बारेणं णिग्गच्छइ त्ता जेणेव हरते तेणेव उवागच्छति त्ता हरयं अणुपदाहिणं करेमाणे २ पुरत्थिमेणं तोरणेणं अणुप्पविसति त्ता पुरत्थिमिल्लेणं तिसोवाणपडिरूवएणं पच्चोरूहति त्ता हरयं ओगाहति त्ता जलावगाहणं करेति ता जलमज्ज करेति जलकिड्ड करेति आयंते चोक्खे परमसूतिभूते हरतातो पच्चुत्तरति त्ता जेणामेव अभिसेयसभा तेणामेव उवागच्छति त्ता अभिसेयसभं पदाहिणं करेमाणे पुरत्थिमिल्लेणं बारेणं अणुपविसति त्ता जेणेव सए सीहासणे तेणेव उवागच्छति त्ता सीहासणवरगते पुरच्छाभिमुहे सण्णिसण्णे, तते णं तस्स विजयस्स देवस्स सामाणियपरिसोववण्णगा देवा अभिओगिते देवे सद्दावेति त्ता एवं व० खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! विजयस्स देवस्स महत्थं महग्घं महरिहं विपुलं इंदाभिसेयं श्री आगमगुणमंजूषा - ८९०
ॐ
תתנננ
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६ ५६ ५६ ५६ ५६ ५६ ५ पूर्व पूर्व फुट
२४ जीवाजीवाभिगम ३. पांडवानी समु [0]
उage, तते णं ते आभिओगिता देवा सामाणियपरिसोववण्णेहिं देवेहिं एवं वुत्ता समाणा हट्ठतुट्ठजावहितया करतलपरिग्गहियं० सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कट्टु एवं देवा ! तहत्ति आणाए विणएणं वयणं पडिसुणंति त्ता उत्तरपुरत्थिमं दिसिभागं अवक्कमंति त्ता वेडव्वियसमुग्धाएणं समोहणंति त्ता संखेज्जाई जोयणाई दंड सिरांति तं ० - रयणाणं जाव रिट्ठाणं, अहाबायरे पोग्गले परिसाडंति त्ता अहासुहुमे पोग्गले परियायंति त्ता दोच्चंपि वेउव्वियसमुग्धाएणं समोहणंति त्ता अट्टसहस्सं सोवणियाणं कलसाणं अट्ठसहस्सं रूप्पामयाणं कलसाणं अट्ठसहस्सं मणिमयाणं अट्ठसहस्सं सुवण्णरूप्पामयाणं अट्ठसहस्सं सुवण्णमणिमयाणं अट्ठसहस्सं रूप्पामणिमयाणं अट्ठसहस्सं सुवण्णरूप्पामणिमताणं अट्टसहस्सं भोमेज्जाणं अट्टसहस्सं भिंगारगाणं एवं आयंसगाणं थालाणं पातीणं सुपतिट्ठकाणं (मणोगुलियाणं वायकरगाणं) चित्ताणं रयण करंडगाणं पुप्फचंगेरीणं जाव लोमहत्थचंगेरीणं पुप्फपडलगाणं जाव लोमहत्थगपडलगाणं अट्ठसतं सीहासणाणं छत्ताणं चामराणं अवएडगाणं वट्टकाणं तवसिप्पाणं खोरकाणं पीणकाणं तेल्लसमुग्गकाणं अट्ठसतं धूवकडुच्छ्रयाणं विउव्वंति ते साभाविए विउव्विए य कलसे य जाव धूवकडुच्छुए य गेण्हंति त्ता विजयातो रायहाणीतो पडिनिक्खमंति त्ता ताए उक्किंट्ठाए जाव उद्धृताए दिव्वाए देवगतीए तिरियमसंखेज्जाणं दीवसमुद्दाणं मज्झंमज्झेणं वीयीवयमाणा २ जेणेव खीरोदे समुद्दे तेणेव उवागच्छंति त्ता खीरोदगं गिण्हंति त्ता जातिं तत्थ उप्पलाई जाव सतसहस्सपत्तातिं तातिं गिण्हंति त्ता जेणेव पुक्खरोदे समुद्दे तेणेव उवागच्छंति त्ता पुक्खरोदगं गेण्हंति ता जातिं तत्थ उप्पलाई जाव सतसहस्सपत्ताति तातिं गिण्हंति त्ता जेणेव समयखेत्ते जेणेव भरहेरवयातिं वासाइं जेणेव मागधवरदामपभासाइं तित्थाइं तेणेव उवागच्छंति त्ता तित्थोदगं गिण्हंति त्ता तित्थमट्टियं गेण्हंति त्ता जेणेव गंगासिंधुरत्तारत्तवतीसलिला तेणेव उवागच्छंति त्ता सरितोदगं गेण्हंति त्ता उभओ तडमट्टियं गेण्डंति त्ता जेणेव चुल्लहिमवंतसिहरिवासधरपव्वता तेणेव उवागच्छंति त्ता सव्वतूवरे य सव्वयुप्फे य सव्वगंधे य सव्वमल्ले य सव्वोसहिसिद्धत्थए य गिण्हंति त्ता जेणेव पउमद्दहपुंडरीयद्दहा तेणेव उवागच्छंति त्ता दहोदगं गेण्हंति जातिं तत्थ उप्पलाई जाव सतसहस्सपत्ताई ताई गेहंति त्ता जेणेव हेमवयहेरण्णवयाई जेणेव रोहियरोहितंससुवण्णकूलरूप्पकूलाओ तेणेव उवागच्छंति त्ता सलिलोदहगं गेण्हंति त्ता उभओ तडमट्टियं गिण्हंति त्ता जेणेव सद्दावातिमालवंतपरियागा वट्टवेतड्ढपव्वता तेणेव उवागच्छंति त्ता सव्वतूवरे य जाव सव्वोसहिसिद्धत्थए य गेण्हंति त्ता जेणेव महाहिमवंतरूप्पिवासधरपव्वत्ता तेणेव उवागच्छंति त्ता सव्वपुप्फे तं चेव जेणेव महापउमद्दहमहापुंडरीयद्दहा तेणेव उवागच्छंति त्ता जाई तत्थ उप्पलाई तं चेव जेणेव हरिवासरम्मावासे जेणेव हरकान्तहरिकंतणरकंतनारीकंताओ सलिलाओ तेणेव उवागच्छंति त्ता सलिलोदगं गेण्हंति त्ता जेणेव वियडावाइगंधावातिवट्टवेयड्ढपव्वया तेणेव उवागच्छंति सव्वपुप्फे य तं चेव जेणेव णिसहनीलवंतवासहरपव्वता तेणेव उवागच्छंति सव्वतूयरे य तहेव जेणेव तिगिच्छिदहकेसरिदहा तेणेव उवागच्छंति त्ता जाई तत्थ उप्पलाई तं चेव जेणेव पुव्वविदेहावरविदेहवासाई जेणेव सीयासीओयाओ महाणईओ जहा णईओ जेणेव सव्वचक्कवट्टिविजया जेणेव सव्वमागहवरदामपभासाइं तित्थाइं तहेव जेणेव सव्ववक्खारपव्वता सव्वतूवरे य० जेणेव सव्वंतरणदीओ सलिलोदगं गेण्हंति त्ता जेणेव मंदरे पव्वते जेणेव भद्दसालवणे तेणेव उवागच्छंति सव्वतूवरे य जाव सव्वोसहिसिद्धत्थए य गिण्हंति त्ता जेणेव णंदणवणे तेणेव उवागच्छन्ति त्ता सव्वतूवरे जाव सव्वोसहिसिद्धत्थे य सरसं च गोसीसचंदणं हिंति त्ता जेणेव सोमण सवणे तेणेव उवागच्छंति त्ता सव्वतूवरे य सव्वोसहिसिद्धत्थए य सरसगोसीसचंदणं दिव्वं च सुमणदामं गेण्हंति त्ता जेणेव पंडगवणे तेणामेव समुवागच्छंति त्ता सव्वतूवरे जाव सव्वोसहिसिद्धत्थए य सरसं च गोसीसचंदणं दिव्वं च सुमणोदामं दद्दरयमलयसुंगधिए य गंधे गेण्हंति त्ता एगतो मिलंति त्ता जंबुद्दीवस्स पुरत्थिमिल्लेणं दारेणं णिग्गच्छंति त्ता ताए उक्किट्ठाए जावदिव्वाए देवगतीए तिरियमसंखेज्जाणं दीवसमुद्दाणं मज्झमज्झेणं वीयीवयमाणा २ व विजया रायहाणी तेणेव उवागच्छंति त्ता विजयं रायहाणि अणुप्पयाहिणं करेमाणा जेणेव अभिसेयसभा जेणेव विजए देवे तेणेव उवागच्छंति ता करतलपरिग्गहितं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कट्टु जएणं विजएणं वद्धावेति विजयस्स देवस्स तं महत्थं महग्धं महरिहं विपुलं अभिसेयं उववेति, तते णं तं विजयदेवं चत्तारि य सामाणियसाहस्सीओ चत्तारि अग्गमहिसीओ सपरिवाराओ तिण्णि परिसाओ सत्त अणिया सत्त अणियाहिवई सोलस आयरक्खदेवसाहस्सीओ अन्ने य बहवे श्री आगमगुणमंजूषा ८९१
फुफफफफफफफफफफफफफफफ
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(१४) जीवाजीवाभिगम (३) पडिवत्ति (च.) दीव समुद्द
ॐॐॐॐॐ
विजयरायधाणिवत्थव्वगा वाणमंतरा देवा य देवीओ य तेहिं साभावितेहिं उत्तरवेउव्वितेहि य वरकमला तिट्ठाणेहिं सुरभिवरवारिपडिपुण्णेहिं चंदणकयचच्चातेहिं आविद्धकंठेगुणेहिं पउमुप्पलपिधाणेहिं करतलसुकुमालकोमलपरिग्गहिएहिं अट्ठसहस्साणं सोवण्णियाणं कलसाणं जाव अट्ठसहस्साणं भोमेयाणं कलसाणं सव्वोदएहिं सव्वमट्टियाहिं सव्वतुवरेहिं सव्वपुप्फेहिं जाव सव्वोसहिसिद्धत्यएहिं सव्विइढीए सव्वजत्तीए सव्वबलेणं सव्वसमुदएणं सव्वायरेणं सव्वविभूतीए सव्वविभूसाए सव्वसंभमेणं सव्वोरोहेणं सव्वणाडएहिं सव्वपुप्फगंधमल्लालंकारविभूसाए सव्वदिव्वतुडियणिणाएणं महया २ जुत्तीए महया २ समुदएणं महता २ तुरियजमगसमगपडुप्पवादितरवेणं संखपणवपडहभेरिझल्लरिखरमुहिमुरवमुयंगदुदुहिहुडुक्कणिग्घोससंनिनादितरवेणं महता २ इंदाभिसेगेणं अभिसिंचंति, तरणं तस्स विजयस्स देवस्स महता २ इंदाभिसेगंसि वट्टमाणंसि अप्पेगतिया देवा णच्चोदगं णातिमट्टियं पविरलपप्फुसियं दिव्वं सुरभिं रयरेणुविणासणं गंधोदगवासं वासंति, अप्पेगतिया देवा णिहतरयं णट्टरयं भट्ठरयं पसंतरयं उवसंतरयं करेति अप्पे० विजयं रायहाणि सब्भिंतरबाहिरियं आसितसम्मज्जितोवलित्तं सित्तसुइसम्मट्ठरत्थं तरावणवीहियं करेंति, अप्पे० विजयं रायहाणि मंचातिमंचकलितं करेति अप्पे ० विजयं रायहाणि णाणाविहरागरंजियऊ सियजयविजयवे जयन्तीपडागातिपडागमंडितं करेंति, अप्पे० विजयं रायहाणि लाउल्लोइयमहियं करेति, अप्पे० गोसीससरसरत्तचं दणदद्दरदिण्णपं चंगु-लितलं करेंति, अप्पे० उवचियचं दणकलसं चंदणघड सुकयतोरणपडि दुवारदेसभागं करेंति, अप्पे० आसत्तो सत्तविपुलवट्ट वग्घारितमल्लदामकलावं करेंति, अप्पे० पंचवण्णसरससुरभिमुक्क पुप्फ पुंजोवयारकलितं करोति, अप्पे० काला गुरूपवरकुंदुरूक्कतुरूक्क धूवडज्झंतमघमघेतगंधुद्ध्याभिरामं सुगंधवरगंधियं गंधवट्टिभूयं करंति, अप्पे० हिरण्णवासं वासंति अप्पे० सुवण्णवासं अप्पे० एवं रयणवासं वइरवासं पुप्फवासं मल्लवासं गंधवासं चुण्णवासं वत्थवासं आहरणवासं अप्पे० हिरण्णविधिं भाइंति एवं सुवण्णविधिं रयणविधिं वतिरविधिं पुप्फविधिं मल्लविधिं
विधिं गंधविधिं वत्थविधिं भाइंति आभरणविधिं, अप्पे० दुयं णट्टविधिं उवदंसेति अप्पे० विलंबितं० अप्पे० दुतविलंबितं णाम णट्टविधिं उवदंसेति अप्पे० अंचियं० अप्पे रिभितं० अप्पे० अंचितरिभितं० अप्पे० आरभडं अप्पे० भसोलं अप्पे० आरभडभसोलं अप्पे० उप्पायणिवायपवुत्तं संकुचियपसारियं रियारियं भंतसंभंतं णाम दिव्वं णट्टविधिं उवदंसेति, अप्पे० चउव्विधं वातियं वादेति, तं० ततं विततं घणं झुसिरं, अप्पे० चउव्विधं गेयं गातंति, तं० उक्खित्तयं पवत्तयं मंदायं रोइदावसाणं, अप्पे० चउव्विधं अभिणयं अभिणयंति, तं०-दिवंतियं पाडंतियं सामन्तोवणिवातियं लोगमज्झावसाणियं, अप्पे० देवा पीणंति अप्पे० वुक्कारेंति अप्पे तंडवेंति अप्पे० लासंति अप्पे० वुक्कारेति अप्पे० अप्फोडंति अप्पे० वग्गंति अप्पे० तिवतिं छिंदंति अप्पे० अप्फोडेति वग्गंति तिवतिं छिंदेति अप्पे० देवा हतसियं करेति अप्पे० हत्थिगुलगुलाइयं करेति अप्पे० रहघणघणातियं करेति अप्पे० हयहेसियं करेति हत्थिगुलगुलाइयं करेति रहघणघणाइयं करेति अप्पे० उच्छोलेति अप्पे० पच्छोलेति अप्पे० उक्किट्ठीओ करेति अप्पे० उच्छोलिति पच्छोलिति उक्किट्ठीओ करेंति अप्पे० सीहणादं करेति अप्पे० पाददद्दरयं करेति अप्पे० भूमिचवेडं दलयंति अप्पे० सीहनादं पाददद्दरयं क० भूमिचवेडं दलयंति अप्पे० हक्कारेति अप्पे० वुक्कारेति अप्पे० थक्कारेति अप्पे० पुक्कारेति अप्पे० देवा नामाइं सावेति अप्पे० हक्कारेति वुक्कारेति थक्कारेतिपुक्कारेति णामाई सावेंति अप्पे० उप्पतंति अप्पे० णिवयंति अप्पे० परिवयंति अप्पे० उप्पयंति णिवयंति परिवयंति अप्पे० जलेति अप्पे० तवंति अप्पे० पतवंति अप्पे० जलंति तवंति पतवंति अप्पे० गज्जंति अप्पे० विज्जुयायंति अप्पे० वासंति अप्पे० गज्जति विज्जुयायंति वासंति अप्पे० देवसन्निवायं करेति अप्पे० देवुक्कलियं करेति अप्पे० देवकहकहं करेति अप्पे० देवदुहदुहं करेति अप्पे० देवसन्निवायं देवउक्कलियं देवकहकहं देवदुहदुहं करेति अप्पे० देवुज्जोयं करेति अप्पे० विज्जुयारं करेति अप्पे० चेलुक्खेवं करेति अप्पे० देवज्जोयं विज्जुतारं चेलुक्खेवं करेति अप्पे० उप्पलहत्थगता जाव सयसहस्रपत्त० घंटाहत्थगता कलसहत्थगता जाव धूवकडुच्छुयहत्थगता हट्ठतुट्ठा जाव हरिसवसविसप्पमाणहियपा विजयाए रायहाणीए सव्वतो समंता आधावेति पधावेंति, तए णं विजयं देवं चत्तारि सामाणियसाहस्सीओ चत्तारि अग्गमहिसीओ सपरिवाराओ जाव सोलस आयरक्खदेवसाहस्सीओ अण्णे य बहवे श्री आगमगुणमंजूषा ८९२०
NORO
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(१४) जीवाजीवाभिगम (३) पडिवत्ति (च.) दीव समुद्द [५१]
फफफफफफफफ
विजयरायहाणीवत्थव्वा वाणमंतरा देवा य देवीओ य तेहिं वरकमलपतिट्ठाणेहिं जाव अट्ठसतेणं सोवण्णियाणं कलसाणं तं चेव जाव अट्ठसएणं भोमज्जाणं कलसाणं सव्वोदगेहिं सव्वमट्टियाहिं सव्वतुवरेहिं सव्वपुप्फेहिं जाव सव्वोसहिसिद्धत्थएहिं सव्विड्ढीए जाव निग्घोसनाइयरवेणं महया २ इंदाभिसेएणं अभिसिंचंति त्ता पत्तेयं २ सिरसावत्तं अंजलि कट्टु एवं व० जय जय नंदा! जय जय भद्दा ! जय जय नंदा ! भदं ते अजियं जिणेहिं जियं पालयाहि अजितं जिणेहि सत्तुपक्खं जित्तं पालेहिं मित्तपक्खं जियमज्झे वसाहि तं देव ! निरूवसग्गं इंदोइव देवाणं चंदोइव ताराणं चमरोइव असुराणं धरणोइव नागाणं भरहोइव मणुयाणं बहूणि पलिओवमाई बहूणि सागरोवमाणि चउण्हं सामाणियसाहस्सीणं जाव आयरक्खदेवसाहस्सीणं विजयस्स दारस्न्स विजयाए रायहाणीए अण्णेसिं च बहूणं विजयरायहाणिवत्थव्वाणं वाणमंतराणं देवाण य देवीण य आहेवच्चं जाव आणाईसरसेणावच्चं कारेमाणे पालेमाणे विहराहित्ति कट्टु महता २ सद्देणं जयजयसद्दं पउंजंति । १४२ । तए णं से विज देवे महा २ इंदाभिसेएणं अभिसित्ते समाणे सीहासणाओ अब्भुट्ठेइ त्ता अभिसेयसभातो पुरत्थिमेणं दारेणं पडिनिक्खमति त्ता जेणामेव अलंकारियसभा तेणामेव उवागच्छति त्ता अलंकारियसभं अणुप्पयाहिणीकरेमाणे २ पुरत्थिमेणं दारेणं अणुपविसति त्ता जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छति त्ता सीहासणवरगते पुरत्याभिमुहे सण्णिसणे, तए णं तस्स विजयस्स देवस्स सामाणियपरिसोववण्णगा देवा आभिओगिए देवे सहावेति त्ता एवं व० - खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! विजयस्स देवस्स आलंकारियं भंडं उवणेह, तेणेव ते० आलंकारियं भंडं जाव उवट्ठवेति, तए णं से विजए देवे तप्पढमयाए पम्हलसूमालाए दिव्वाए सुरभीए गंधकासाईए गाताई लूहेति त्ता सरसेणं गोसीसचंदणेणं गाताई अणुलिंपति त्ता ततोऽणंतरं च णं नासाणीसासवायवोज्झं चक्खुहरं वण्णफरिसजुत्तं हतलालापेलवातिरेगं धवलं कणगखइयंतकम्मं आगासफलिह सरिसप्पभं अहतं दिव्वं देवदूसजुयलं णियंसेइ त्ता हारं पिणदेइ त्ता एवं एक्कावलिं० एवं एतेणं अभिलावेत्तावलिं कणगावलिं रयणावलिं कडगाई तुडियाई अंगयाई केयूराइं दसमुद्दिताणंतकं कडिसुत्तकं तेअच्छिसुत्तगं मुरविं कंठमुरविं पालंबं कुंडलाई चूडामणि चित्तरयणुक्कडं मउडं पिणद्धेइ त्ता गंठिमवेढिमपूरिमसंघाइमेणं चउव्विहेणं मल्लेणं कप्परूक्खयंपिव अप्पाणं अलंकियविभूसितं करेति त्ता दद्दरमलयसुगंधितेहिं गंधेहिं गाताई सुक्ति (भुक्कु) इति त्ता दिव्वं च सुमणदामं पिणद्धति, तए णं से विजए देवे केसालंकारेणं वत्थालंकारेण मल्लालंकारेण आभरणालंकारेणं चउव्विहेणं अलंकारेणं अलंकितविभूसिए समाणे पडिपुण्णालंकारे सीहासणाओ अब्भुट्ठेइ त्ता अलंकारियसभाओ पुरच्छिमिल्लेणं दारेण पडिनिक्खमति त्ता जेणेव ववसायसभा तेणेव उवागच्छति ता ववसायसभं अणुप्पदाहिणं करेमाणे पुरत्थिमिल्लेणं दारेणं अणुपविसति त्ता जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छति त्ता सीहासणवरगते पुरत्थाभिमुहे सण्णिसण्णे, तते णं तस्स विजयस्स देवस्स आहिओगिया देवा पोत्थयरयणं उवर्णेति, तए णं से विजए देवे पोत्थयरयणं गेण्हति त्ता पोत्थयरयणं मुयति त्ता पोत्थयरयणं विहाडेति त्ता पोत्थयरयणं वाएति त्ता धम्मियं ववसायं पगेण्हति त्ता पोत्ययरयणं पडिणिक्खिवेइ त्ता सीहासणाओ अब्भुट्टेति त्ता ववसायसभाओ पुरत्थिमिल्लेणं दारेणं पडिणिक्खमइ त्ता जेणेव णंदापुक्खरिणी तेणेव उवागच्छति त्ता णंद पुक्खरिणिं अप्पयाहिणीकरेमाणे पुरत्थिमिल्लेणं दारेणं अणुपविसति त्ता पुरत्थिमिल्लेणं तिसोवाणपडिरूवएणं पच्चोरूहति त्ता हत्थं पादं पक्खालेति त्ता एगं महं सेतं रयतामयं विमलसलिलपुण्णं मत्तगयमहामुहाकितिसमाणं भिंगारं पगिण्हति त्ता जाई तत्थ उप्पलाई पउमाई जाव सतसहस्सपत्ताई ताई गि हति त्ता णंदातो पुक्खरिणीतो पच्चुत्तरेइ त्ता जेणेव सिद्धायतणे तेणेव पहारेत्थ गमणाए, तए णं तस्स विजयस्स देवस्स चत्तारि सामाणियसाहस्सीओ जाव अण्णे य बहवे वाणमंतरा देवाय देवीओ य अप्पेगइया उप्पलहत्थगया जाव सयसहस्सपत्तहत्थगया विजयं देवं पिट्ठतो २ अणुगच्छंति, तए णं तस्स विजयस्स देवस्स बहवे आभिओगिया देवाय देवीओ य कलसहत्थगता जाव धूवकडुच्छुयहत्थगता विजयं देवं पिट्ठतो २ अणुगच्छंति, तते णं से विजए देवे चउहिं सामाणियसाहस्सीहिं जाव अण्णेहि य बहूहिं वाणमंतरेहिं देवेहि य देवीहि य सद्धिं संपरिवुडे सव्विड्ढीए सव्वजत्तीए जाव णिग्घोसणाइयरवेणं जेणेव सिद्धाययणे तेणेव उवागच्छति त्ता सिद्धायणं प्याहिणीकरेमाणे २ पुरत्थिमिल्लेणं दारेणं अणुपविसति ता जेणेव देवच्छंदए तेणेव उवागच्छति त्ता आलोए जिणपडिमाणं पणामं करेति त्ता लोमहत्थगं
FLE LE LELE LE US GUESS GUGLE LEUC4G श्री आगमगणमंजमा
444445454
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१४) जीवाजीवाभिगम (३) पडिवत्ति (च.) दीव समुह
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गेण्हति त्ता जिणपडिमाओ लोमहत्थएणं पमज्जति त्ता सुरभिणा गंधोदएणं ण्हाणेति त्ता दिव्वाए सुरभिगंधकासाईए गाताई लूहेति त्ता सरसेणं गोसीसचंदणेणं गाताणि अणुलिंपइ त्ता जिणपडिमाणं अहयाइं सेताइं दिव्वाइं देवदूसजुयलाई णियंसेइ त्ता अग्गेहिं वरेहिं गंधेहि य मल्लेहि य अच्चेति त्ता पुप्फारूहणं गंधारूहणं मल्लारूहणं वण्णारूहणं चुण्णारूहणं आभरणारूहणं करेति त्ता आसत्तोसत्तविउलवट्टवग्घारितमल्लदामकलावं करेति त्ता अच्छेहि सण्हेहिं रययामएहिं अच्छरसातंदुलेहिं जिणपडिमाणं पुरतो अट्ठमंगलए आलिहति, सोत्थियसिरिवच्छजावदप्पणा अट्ठट्ठमंगलगे आलिहति त्ता कयग्गाहग्गहितकरतलपब्भट्ठविप्पमुक्केणं दसद्धवन्नेणं कुसुमेणं मुक्कपुप्फपुंजोवयारकलितं करेति त्ता चंदप्पभवइरवेरूलियविमलदंडं कंचणमणिरयणभत्तिचित्तं कालागुरूपवरकुंदुरूक्कतुरूक्कधूवगंधुत्तमाणुविद्धं धूमवट्टि विणिम्मुयंत वेरूलियामयं कडुच्छुयं पग्गहित्तु धूवं पयत्तेण दाऊण जिणवराणं अट्ठसयविसुद्धगंथजुत्तेहिं महावित्तेहिं अत्थजुत्तेहिं अपुणरुत्तेहिं संथुणइ त्ता सत्तट्ठ पयाई ओसरति सत्तट्ठपयाई ओसरित्ता वामं जाणुं अंचेइ त्ता दाहिणं जाणुं धरणितलंसि णिवाडेइत्ता तिक्खुत्तो मुद्धाणं धरणियलंसिणमेइत्ता ईसिंपच्चुण्णमति त्ता कडयतुडियथंभियाओ भुयाओ पडिसाहरति त्ता करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कटु एवं व०-णमोऽत्थु णं अरिहंताणं भगवंताणं जाव सिद्धिगइणामधेयं ठाणं संपत्ताणंतिकटु वंदति णमंसति त्ता जेणेव सिद्धायतणस्स बहुमज्झदेसभाए तेणेव उवागच्छति त्ता दिव्वाए उदगधाराए अब्भुक्खति त्ता सरसेणं गोसीसचंदणेणं पंचंगुलितलेणं मंडलं आलिहति त्ता चच्चए दलयति त्ता कयग्गाहग्गहियकरतलपन्भट्ठविप्पमुक्केणं दसद्धवण्णेणं कुसुमेणं मुक्कपुप्फपुंजोवयारकलियं करेति त्ताधूवं दलयति त्ताजेणेव सिद्धायतणस्स दाहिणिल्ले दारे तेणेव उवागच्छतित्तालोमहत्थयं गेण्हइत्ता दारचेडीओय सालिभंजियाओ यवालरूवएय लोभहत्थएणं पमज्जति त्ता बहुमज्झदेसभाए सरसेणं गोसीसचंदणेणं पंचंगुलितलेणं अणुलिपति त्ता चच्चए दलयति त्ता पुप्फारूहणं जाव आहरणारूहणं करेति त्ता आसत्तोसत्तविपुलजावमल्लदामकलावं करेति त्ता कयग्गाहग्गहित जाव पुंजोवयारकलितं करेति त्ता धूवं दलयति त्ता जेणेव मुहमंडवस्स बहुमज्झदेसभाए तेणेव उवागच्छति त्ता बहुमज्झदेसभाए लोमहत्थेणं पमज्जति त्ता दिव्वाए उदगधाराए अब्भुक्खेति त्ता सरसेणं गोसीसचंदणेणं पंचंगुलितलेणं मंडलगं आलिहति त्ता चच्चए दलयति त्ता कयंग्गाह जाव धूवं दलयति त्ता जेणेव मुहमंडवगस्स पच्चत्थिमिल्ले दारे तेणेव उवा० लोमहत्थगं गेण्हति त्तर दारचेडीओ य सालभंजियाओ य वालरूवए य लोमहत्थगेण पमज्जति त्ता दिव्वाए उदगधाराए अब्भुक्खेति त्ता सरसेणं गोसीसचंदणेणं जाव चच्चए दलयति त्ता आसत्तोसत्त० कयग्गाह० धूवं दलयति त्ता जेणेव मुहमंडवगस्स उत्तरिल्ला खंभपंती तेणेव उवागच्छइ त्ता लोमहत्थगं परा० सालभंजियाओ दिव्वाए उदगधाराए सरसेणं गोसीसचंदणेणं पुप्फारूहणं जाव आसत्तोसत्त० कयग्गाह० धूवं दलयति जेणेव मुहमंडवस्स पुरत्तित्थिमिल्ले दारे तं चेव सव्वं भाणियव्वं जाव दारस्स अच्चणिया जेणेव दाहिणिल्ले दारे तं चेव जेणेव पेच्छाघरमंडवस्स बहुमज्झदेसभाए जेणेव वइरामए अक्खाडए जेणेव मणिपेढिया जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छति त्ता लोमहत्थगं गिण्हति ॥ अक्खाडगं च सीहासणं च लोमहत्थगेण पमज्जति त्ता दिव्वाए उदगधाराए अब्भु० पुप्फारूहणं जाव धूवं दलयति त्ता जेणेव पेच्छाघरमंडवस्स पच्चस्थिमिल्ले दारे दारच्चणिया उत्तरिल्ला खंभपंती तहेव, पुरथिमिल्ले दारे तहेव जेणेव दाहिणिल्ले दारे तहेव, जेणेव चेतियथूभे तेणेव उवागच्छति त्ता लोमहत्थगं गेण्हति त्ता चेतियथूमं लोमहत्थएणं पमज्जति त्ता दिव्वाए दग० सरसेण० पुप्फारूहणं आसत्तोसत्त जाव धूवं दलयति त्ता जेणेव पच्चत्थिमिल्ला मणिपेढिया जेणेव जिणपडिमा तेणेव उवागच्छति जिणपडिमाए आलोए पणामं करेइ त्ता लोमहत्थगं गेण्हति त्ता तं चेव सव्वं जं जिणपडिमाणं जाव सिद्धिगइनामधेनं ठाणं संपत्ताणं, वंदति णमंसति, एवं उत्तरिल्लाएवि, एवं पुरथिमिल्लाएवि, एवं दाहिणिल्लाएवि, जेणेव चेइयरूक्खा दारविही य मणिपेढिया जेणेव महिंदज्झए दारविही, जेणेव दाहिणिल्ला नंदा पुक्खरिणी तेणेव उवा० लोभहत्थगं गेण्हति वेतियाओ य तिसोवाणपडिरूवए य तोरणे य सालभंजियाओ य वालरूवए य लोमहत्थएणं पमज्जति त्ता दिव्वाए उदगधाराए सिंचति सरसेणं गोसीसचंदणेणं अणुलिपति त्ता पुप्फारूहणं जाव धूवं दलयति त्ता सिद्धायतणं अणुप्पयाहिणं करेमाणे जेणेव उत्तरिल्ला णंदापुक्खरिणी
तेणेव उवागच्छति त्ता तहेव महिंदज्झया चेतियरूक्खा चेतियथूभे पच्चत्थिमिल्ला मणिपेढिया जिणपडिमा उत्तरिल्ला पुरथिमिल्ला दक्खिणिल्ला, More
5 5555555555 श्री आगमगणमंजुषा - ८९४55555555511
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PHOT05555555555555559 (१४) जीवाजीवाभिगम (३) परिवत्ति (च.) दीवममुह १५३] 5%%%%%%%%%%%eray
पेच्छाघरमंडवस्सवि तहेव जहा दक्खिणिल्लस्स पच्चत्थिमिल्ले दारे जाव दक्खिणिल्ला णं खंभपंती मुहमंडवस्सवि तिण्हं दाराणं अच्चणिया भणिऊणं दक्खिणिल्ला णं खंभपंती उत्तरे दारे पुरच्छिमे दारे सेसं तेणेव कमेणं जाव पुरथिमिल्ला णंदापुक्खरिणी जेणेव सभा सुधम्मा तेणेव पहारेत्थ गमणाए, तते णं तस्स विजयस्स चत्तारि सामाणियसाहस्सीओ एयप्पभितिं जाव सव्विड्ढीए जाव णाइयरवेणं जेणेव सभा सुहम्मा तेणेव उवागच्छंति, तं णं सपं सुधम्म अणुप्पयाहिणीकरेमाणे पुरथिमिल्लेणं० अणुपविसति आलोए जिणसकहाणं पणामं करेति जेणेव मणिपेढिया जेणेव माणवचेतियक्खंभे जेणेव वइरामया गोलवट्टसमुग्गका तेणेव उवागच्छति त्ता लोमहत्थयं गेण्हति त्ता वइरामए गोलवट्टसमुग्गए लोमहत्थएण पमज्जइ त्ता वइरामए गोलवट्टसमुग्गए विहाडेति त्ता जिणसकहाओ लोमहत्थएणं पमज्जति त्ता सुरभिणा गंधोदएणं तिसत्तखुत्तो जिणसकहाओ पक्खालेति त्ता सरसेणं गोसीसचंदणेणं अणुलिंपइ त्ता अग्गेहिं वरेहिं गंधेहि मल्लेहि य अच्चिणति त्ता धूवं दलयति त्ता वइरामएसु गोलवट्टसमुग्गएसु पडिणिक्खिवति त्ता माणवकं चेतियखंभं लोमहत्थएणं पमज्जति त्ता दिव्वाए उदगधाराए अब्भुक्खेइत्ता सरसेणं गोसीसचंदणेणं चच्चए दलयति त्ता पुप्फारूहणं जाव आसत्तोसत्त० कयग्गाह० धूवं दलयति त्ता जेणेव सभाए सुधम्माए बहुमज्झदेसभाए तं चेव जेणेव सीहासणे तेणेव जहा दारच्चणित्ता जेणेव देवसयणिज्जे तं चेव जेणेव खुड्डागे महिंदज्झए तं चेव जेणेव पहरणकोसे चोप्पाले तेणेव उवागच्छति त्ता पत्तेयं २ पहरणाई लोमहत्थएणं पमज्जति त्ता सरसेणं गोसीसचंदणेणं तहेव सव्वं, सेसंपि (१६०) दक्खिणदारं आदिकाउं तहेव णेयव्वं जाव पुरच्छिमिल्ला णंदापुक्खरिणी सव्वाणं सभाणं जहा सुधम्माए सभाए तहा अच्चणिया उववायसभाए णवरि देवसयणिज्जस्स अच्चणिया सेसासु सीहासणाण अच्चणिया हरयस्स जहा गंदाए पुक्खरिणीए अच्चणिया,ववसायसभाए पोत्थयरयणं लोम० दिव्वाए उदगधाराए सरसेणं गोसीसचंदणेणं अणुलिंपति अग्गेहिं वरेहिं गंधेहिं मल्लेहि य अच्चिणति त्ता सीहासणं लोमहत्थएणं पमज्जति जाव धूवं दलयति सेसं तं चेव, णंदाए जहा हरयस्स तहा, जेणेव बलिपीढं तेणेव उवागच्छति त्ता आभिओगिए देवे सद्दावेति त्ता एवं व०खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! विजयाए रायहाणीए सिंघाडगेसु य तिएसुय चउक्केसुय चच्चरेसु य चतुमुहेसु य महापहपहेसु य पासाएसु य पागारेसुय अट्टालएसु य चरियासु य दारेसुय गोपुरेसु य तोरणेसु य वावीसु य पुक्खरिणीसु य जाव बिलपंतियासु य आरामेसु य उज्जाणेसु य काणणेसु य वणेसु य वणसंडेसु य वणराईसु य अच्चणियं करेह करेत्ता ममेयमाणत्तियं खिप्पामेव पच्चप्पिणह, तए णं ते आभिओगिया देवा विजएणं देवेणं एवं वुत्ता समाणा जाव हट्ठतुट्ठा विणएणं पडिसुणेति त्ता विजयाए रायहाणीए सिंघाडगेसुय जाव अच्चणियं करेत्ता जेणेव विजए देवे तेणेव उवागच्छंति त्ता एयमाणत्तियं पच्चप्पिणंति, तए णं से विजए देवे तेसिं आभिओगियाणं देवाणं अंतिए एयमहूँ सोच्चा णिसम्म हट्ठतुट्ठचित्तमाणंदियजावयहियएजेणेव णंदापुक्खरिणी तेणेव उवागच्छति त्ता पुरथिमिल्लेणं तोरणेणं जाव हत्थपायं पक्खालेति त्ता आयंते चोक्खे परमसुइभूए णंदापुक्खरिणीओ पच्चुत्तरति त्ता जेणेव सभा सुधम्मा तेणेव पहारेत्थ गमणाए, तए णं से विजए देवे चउहिं सामाणियसाहस्सीहिं जाव सोलसहिं आयरक्खदेवसाहस्सीहिं सव्विड्ढीए जाव निग्घोसनाइयरवेणं जेणेव सभा सुधम्मा तेणेव उवागच्छति त्ता सभं सुधम्म पुरथिमिल्लेणं दारेणं अणुपविसतित्ताजेणेव मणिपेढिया तेणेव उवागच्छति त्ता सीहासणवरगते पुरच्छाभिमुहे सण्णिसण्णे।१४३। तएणं तस्स विजयस्स चत्तारि सामाणियसाहस्सीओ अवरूत्तरेणं उत्तरेणं उत्तरपुरच्छिमेणं पत्तेयं २ पुव्वणत्थेसुभद्दासणेसु णिसीयंति, चत्तारि अग्गमहिसीओ पुरत्थिमेणं पत्तेयं०, तएणं० दाहिणपुरत्थिमेणं अभिंतरियाए परिसाए अट्ठ देवसाहस्सीओ पत्तेयं २ जाव णिसीयंति, एवं दक्खिणेणं मज्झिमियाए परिसाए दस देवसाहस्सीओ जाव णिसीदंति, दाहिणपञ्चत्थिमेणं बाहिरियाए
परिसाए बारस देवसाहस्सीओ पत्तेयं २ जाव णिसीदंति, पच्चत्थिमेणं सत्त अणियाहिवती पत्तेयं २ जाव णिसीयंति, तए णं० पुरत्थिमेणं दाहिणेणं पच्चत्थिमेणं ॥ 3 उत्तरेणं सोलस आयरक्खदेवसाहस्सीओ पत्तेयं २ पुव्वणत्थेसु भद्दासणेसु णिसीदंति, तं०-पुरस्थिमेणं चत्तारि साहस्सीओ जाव उत्तरेणं०, ते णं आयरक्खा
सन्नद्धबद्धवम्मियकवया उप्पीलियसरासणपट्टिया पिणद्धगेवेनविमलवरचिंधपट्टा गहियाउहपहरणा तिणयाइं तिसंधीणि वइरामयाकोडीणि धणूई अहिगिज्झं परियाइयकंडकलावा णीलपाणिणो पीय० रत्त० चाव० चारू चम्म० खग्ग० दंड० पासणीलपीयरत्तचावचारूचागारदंडपासवरधरा आयरक्खा रक्खोवगा
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(१४) जीवाजीवाभिगम (३) पडिवत्ति (च) दीव समुद्द [ ५४ ]
गुत्ता गुत्तपालिता जुत्ता जुत्तपालिता पत्तेयं २ समयतो विणयतो किंकरभूताविव चिह्नंति, विजयस्स णं भंते! देवस्स केवतियं कालं ठिती पं० ?, गो० एवं पलिओवमं ठिती पं०, विजयस्स णं भंते ! देवस्स सामाणियमाणं देवाणं केवतियं कालं ठिती पं० ?, एगं पलिओवमं ठिती पं०, एवंमहिड्ढीए एवंमहज्जुतीए एवंमहब्बले एवंमहायसे एवंमहासुक्खे एवं महाणुभागे विजए देवे २ । १४४ । कहिं णं भंते ! जंबुद्दीवस्स वेजयंते णामं दारे पं० १, गो० ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दक्खिणेणं पणयालीसं जोयणसहस्साइं अबाधाए जंबुद्दीवदाहिणपेरंते लवणसमुद्ददाहिणद्धस्स उत्तरेणं एत्थ णं जंबुद्दीवस्स वेजयंते णामं दारे पं० अट्ठ जोयणाई उड्ढंउच्चत्तेणं सच्चेव सव्वा वत्तव्वता जाव णिच्चे, कहिं णं भंते !० रायहाणी ?, दाहिणे णं जाव वेजयंते देवे, कहिं णं भंते! जंबुद्दीवस्स जयंते णामं दारे पं० ?, गो० ! जंबुद्दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पच्चत्थिमेणं पणयालीसं जोयणसहस्साइं जंबुद्दीवपच्चत्थिमपेरंते लवणसमुद्दपच्चत्थिमद्धस्स पुरच्छिमेणं सीओ दाए महाणदीए उप्पिं एत्थ णं जंबुद्दीवस्स जयंते णामं दारे पं० तं चेव से पमाणं जयंते देवे, पच्चत्थिमेणं से रायहाणी जाव महिड्ढीए, कहिं णं भंते ! जंबुद्दीवस्स अपराइए णामं दारे पं० ?, गो० ! मंदरस्स उत्तरेणं पणयालीसं जोयणसहस्साइं अबाहाए जंबुद्दीवे उत्तरपेरंते लवणसमुद्दस्स उत्तरद्धस्स दाहिणेणं एत्थ णं जंबुद्दीवे अपराइए णामं दारे पं० तं० चेव पमाणं रायहाणी उत्तरेणं जाव अपराइए देवे, चउण्हवि अण्णंमि जंबुद्दीवे । १४५ | जंबुद्दीवस्स णं भंते! दीवस्स दारस्स य दारस्स य एस णं केवतिय अबाधाए अंतरे पं० ?, गो० ! अउणासीति जोयणसहस्सा बावण्णं च जोयणाइं देसूणं च अद्धजोयणं दारस्स य २ अबाधाए अंतरे पं० | १४६ । जंबुद्दीवस्स णं भंते ! दीवस्स पएसा लवणं समुदं पुट्ठा ?, हंता पुट्ठा, ते णं भंते! किं जंबुद्दीवे लवणसमुद्दे ?, गो० ! जंबुद्दीवे० नो खलु ते लवणसमुद्दे, लवणस्स णं भंते! समुहस्स पदेसा जंबुद्दीवं पुट्ठा ?, हंता पुट्ठा, ते णं भंते! किं लवणसमुद्दे जंबुद्दीवे ?, गो० ! लवणे णं ते समुद्दे नो खलु जंबुद्दीवे, जंबुद्दीवे णं भंते! दीवे जीवा उद्दाइत्ता २ लवणसमुद्दे पच्चायंति ?, गो० ! अत्थेगतिया पच्चायंति अत्थेगतिया नो पच्चायंति, लवणे णं भंते ! समुद्दे जीवा उद्दाइत्ता २ जंबुद्दीवे दीवे पच्चायंति ?, गो० ! अत्थेगतिया पच्चायंति अत्थेगतिया नो पच्चायंति । १४७। से केणणं भंते ! एवं वुच्चति- जंबुद्दीवे दीवे ?, गो० ! जंबुद्दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरेणं णीलवंतस्स दाहिणेणं मालवंतस्स वक्खारपव्वयस्स पच्चत्थिमेणं गंधमायणस्स वक्खारपव्वयस्स पुरत्थिमेणं एत्थ णं उत्तरकुरा णामं कुरा पं० पाईणपडीणायता उदाहविच्छ अद्धचंदसंठाणसंठिता एक्कारस जोयणसहस्साइं अट्ठ बायाले जोयणसते दोण्णि य एक्कोणवीसतिभागे जोयणस्स विक्खंभेणं. तीसे जीवा पाईणपडणाया दु वकखारपव्वयं पुट्ठा, पुरत्थिमिल्लाए कोडीए पुरत्थिमिल्लं वक्खारपव्वतं पुट्ठा पच्चत्थिमिल्लाए कोडीए पच्चत्थिमिल्लं वक्कारपव्वयं पुट्ठा तेवण्णं जोयणसहस्साइं आयामेणं, तीसे धणुपडं दाहिणेणं सट्ठि जोयणसहस्साइं चत्तारि य अट्ठारसुत्तरे जोयणसते दुवालस य एकूणवीसतिभाए जोयणस्स परिक्खेवेणं पं०, उत्तरकुराए णं भंते ! कुराए केरिसए आगारभावपडोयारे पं० १, गो० ! बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पं०, से जहाणामए आलिंगपुक्खरेति वा जाव एवं एक्कोरूयदीववत्तव्वया जाव दवलोगपरिग्गहाणं ते मणुयगणा पं० समणाउसो !. णवरि इमं णाणत्तं छधणुसहस्समूसिता दोछप्पन्ना पिट्ठकरंडसता अट्ठमभत्तस्स आहारट्टे समुप्पज्जति तिण्णि पतिओवमाई देसूणाई पलिओवमस्सासंखिज्जइभागेण ऊणगाई जह० तिन्नि, पलिओवमाइं उक्को०, एकूणपण्णराइंदियाई अणुपालणा, सेसं जहा एगूरूयाणं, उत्तरकुराए णं कुरा छव्विहा मणुस्सा अणुसज्नंति, तं०-पम्हगंधा मियगंधा अम (अन) मा सहा तेयालीसे सणिच्चारी । १४८। कहिं णं भंते ! उत्तरकुराए कुराए जमगा नाम दुवे पव्वता पं० १, गो० ! नीलवंतस्स वासधरपव्वयस्स दाहिणेणं अट्ठचोत्तीसे जोयणसते चत्तारि य सत्तभागे जोयणस्स अबाधाए सीताए महाणईए (पुब्वपच्छिमेणं) उभओ कूले इत्थ णं उत्तरकुराए जमगा णामं दुवे पव्वता पं० एगमेगं जोयणसहस्सं उड्ढउच्चत्तेणं अड्डाइज्जाई जोयणसताणि उव्वेहेणं मूले एगमेगं जोगणसहस्सं आयामविक्खंभेणं मज्झे अद्धट्टमाइं जोयणसताइं आयामविक्खंभेणं उवरिं पंचजोयणसयाई आयामविक्खंभेणं मूले तिण्णि जोयणसहस्साइं एगं च बाट्ठि जोयणसतं किंचिविसेसाहियं परिक्खेवेणं मज्झे दो जोयणसहस्साइं तिन्नि य बावत्तरे जोयणसते किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं पं० उवरिं पन्नरस एक्कासीते जोयसते किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं पं० मूले विच्छिण्णा मज्झे संखित्ता उप्पिं तणुया गोपुच्छसंठाणसंठिता सव्वकणगामया अच्छा सण्हा जाव पडिरूवा LYROR श्री आगमगुणमंजूषा ८९६
TOTRO S S S S S S S S S S S S
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(१४) जीवाजीवाभिगम (३) परियत्ति (प.) दीव समुद्र [१५]
पत्तेयं २ पउमवरवेइयापरिक्खित्ता पत्तेयं २ वणसंडपरिक्खित्ता वण्णओ दोण्हवि, तेसिं णं जमगपव्वयाणं उप्पिं बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पं० वण्णओ जाव आसयंति०, तेसिं णं बहुसमरमणिज्जाणं भूमिभागाणं बहुमज्झदेसभाए पत्तेयं २ पासायवडेंसगा पं०, ते णं पासायवडेंसगा बावट्ठि जोयणाइं अद्धजोयणं उड्ढउच्चत्तेणं एकत्तीसं जोयणाइं कोसं च विक्खंभेणं अब्भुग्गतमूसिता वण्णओ भूमिभागा उल्लोता दो जोयणाई मणिपेढियाओ वरसीहासणा सपरिवारा जाव जमगा चिट्ठति, से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चति-जमगा पव्वता २१, गो० ! जमगेसु णं पव्वतेसु तत्थ २ देसे २ तहिं २ बहुओ खुड्डाखुडिडयाओ वावीओ जाव बिलपंतिताओ तासु खुड्डाखुडियासु जाव बिलपंतियासु बहूइं उप्पलाई जाव सतसहस्सपत्ताइं जमगप्पभाई जमगवण्णाई जमगवण्णाभाई जमगा य एत्थ दो देवा महिड्डिया जाव पलिओवमद्वितीया परिवसंति, ते णं तत्थ पत्तेयं २ चउण्हं सामाणियसाहस्सीणं जाव जमगाण पव्वयाणं जमगाण य रायधाणीणं अण्णेसिं च बहूणं वाणमंतराणं देवाण य देवीण य आहेवच्चं जाव पालेमाणा विहरंति, से तेणट्टेणं गो० ! एवं०-जमगपव्वया २, अदुत्तरं च णं गो० ! जाव णिच्चा, कहिं णं भंते! जमगाणं देवाणं जगाओ नाम रायहाणीओ पं० १, गो० ! जमगाणं पव्वयाणं उत्तरेणं तिरियमसंखेज्जे दीवसमुद्दे वीईवतित्ता अण्णंमि जंबुद्दीवे बारस जोयणसहस्स जहा विजयस् जाव महिड्डिया जमगा देवा जमगा देवा । १४९। कहिं णं भंते! उत्तरकुराए कुराए नीलवंतद्दहे णामं दहे पं० १, गो० ! जमगपव्वयाणं दाहिणेणं अट्ठचोत्तीसे जोयस चत्तारि सत्तभागा जोयणस्स अबाहाए सीताए महाणईए बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं उत्तरकुराए कुराए नीलवंतद्दहे नामं दहे पं० उत्तरदक्खिणायए पाईणपडीणविच्छिन्ने एवं जोयणसहस्सं आयामेणं पंच जोयणसताइं विक्खंभेणं दस जोयणाई उव्वेहेणं अच्छे सण्हे रयतामतकूले चउक्कोणे समतीरे जाव पडिरूवे, उभओ पासिं दोहिय पउमवरवेइयाहिं वणसंडेहिं सव्वतो समंता संपरिक्खित्ते दोण्हवि वण्णओ, नीलवंतदहस्स णं दहस्स तत्थ २ जाव बहवे तिसोवाणपडिरूवगा पं० वण्णओ भणियव्वो जाव तोरणत्ति, तस्स णं नीलवंतद्दहस्स णं दहस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं एगे महं पउमे पं० जोयणं आयामविक्खंभेणं तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं अद्धजोयणं बाहल्लेणं दस जोयणाई उव्वहेणं दो कोसे ऊसिते जलंतातो साति रेगाई दसद्धजोयणाइं सव्वग्गेणं पं०, तस्स णं पउमस्स अयमेयारूवे बण्णावासे पं० तं०वइरामता मूला रिट्ठामते कंदे वेरूलियामए नाले वेरूलियामता बाहिरपत्ता जंबुणयमया अब्भिंतरपत्ता तवणिज्जमया केसरा कणगामई कण्णिया नाणामणिमया पुक्खरत्थिभुया, साणं कण्णिया अद्धजोयणं आयामविक्खंभेणं तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं कोसं बाहल्लेणं सव्वप्पणा कणगमई अच्छा सण्हा जाव पंडिरूवा तीसे णं कण्णियाए उवरिं बहुसमरमणिज्जे देसभाए पं० जाव मणीहिं०, तस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं एगे महं भवणे पं०, कोसं आयामेणं अद्धकोसं विक्खंभेणं देसूणं कोसं उड्ढउच्चत्तेणं अणेगखंभसतसंनिविद्वं जाव वण्णओ, तस्स णं भवणस्स तिदिसिं ततो दारा पं० पुरत्थिमेणं दाहिणेणं उत्तरेणं, ते णं दारा पंचधणुसयाई उहुंउच्चत्तेणं अड्डाइज्जाई धणुसताइं विक्खंभेणं तावतियं चेव पवेसेणं सेया वरकणगथूभियागा जाव वणमालाउत्ति, तस्स णं भवणस्स अंतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पं०, से जहानामए- आलिंगपुक्खरेति वा जाव मणीणं वण्णओ, तस्स णं बहुसमरमणिजस्स भूमिभागस् बहुमज्झदेसभा एत्थ मणिपेढिया पं० पंचधणुसयाई आयामविक्खंभेणं अड्डाइज्जाई धणुसताई बाहल्लेणं सव्वमणिमई, तीसे णं मणिपेढियाए उवरि एत्थ णं एगे महं देवसयणिज्जे पं० देवसयणिज्जस्स वण्णओ, से णं परमे अण्णेणं अट्ठसतेणं तद्दधुच्चत्तप्पमाणमेत्तेहिं परमेहिं सव्वतो समंता संपरिक्खित्ते, ते णं पउमा अद्धजोयणं आयामविक्खंभेणं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं कोसं बाहल्लेणं दस जोयणाई उव्वेहेणं कोसं ऊसिया जलंताओ साइरेगाई ते दस जोयणाइं सव्वग्गेणं पं०, सिं णं पउमाणं अयमेयारूवे वण्णावासे पं० तं०- वइरामया जाव णाणामणिमया पुक्खरत्थिभुगा, ताओ णं कण्णियाओ कोसं आयामविक्खंभेणं तं तिगुणं स० परि० अद्धको बाहल्लेणं सव्वकणगामईओ अच्छाओ जाव पडिरूवाओ, तासिं णं कण्णियाणं उप्पिं बहुसमरमणिज्जा भूमिभागा जाव मणीणं वण्णो गंधो फासो, तस्स णं पउमस्स अवरुत्तरेणं उत्तरपुरच्छिमेणं नीलवंतद्दहस्स कुमारस्स चउण्हं सामाणियसाहस्सीणं चत्तारि पउमसाहस्सीओ पं० एवं सव्वो परिवारो नवरि परमाण भाणितव्वो, सेणं पउमे अण्णेहिं तीहिं पउमवरपरिक्खेवेहिं सव्वतो समंता संपरिक्खित्ते, तं०- अब्भिंतरेणं मज्झिमेणं बाहिरएणं, अब्भिंतरए णं पउमपरिक्खेवे
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(१४) जीवाजीवाभिगम (३) पडिवत्ति (च.) दीवसमुद्द [ ५६ ]
बत्तीसं पउमसयसाहस्सीओ पं० मज्झिमए णं पउमपरिक्खेवे चत्तालीसं पउमसयसाहस्सीओ पं० बाहिरए णं पउमपरिक्खेवे अडयालीसं पउमसयसाहस्सीओ पं०, एवामेव सपुव्वावरेणं एगा पउमकोडी वीसं च परमसतसहस्सा भवंतीतिमक्खाया, से केणद्वेणं भंते! एवं वुच्चति - णीलवंतदहे दहे ?, गो० ! णीलवंतदहे णं तत्थ २ जाई उप्पलाई जाव सतसहस्सपत्ताइं नीलवंतप्पभातिं० नीलवंतद्दहकुमारे य सो चेव गमो जाव नीलवंतदहे २ । १५० । नीलवंतद्दहस्स णं पुरत्थिमपच्चत्थिमेणं दस जोयणाइं अबाधाए एत्थ णं दस दस कंचणगपव्वता एगमेगं जोयणसतं उहुंउच्चत्तेणं पणवीसं २ जोयणाई उव्वेहेणं मूले एगमेगं जोयणसते विक्खंभेणं मज्झे पण्णत्तरिं जोयणाइं विक्खंभेणं उवरिं पण्णासं जोयणाई विक्खंभेणं मूले तिण्णि सोले जोयणसते किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं मज्झे दोन्नि सत्ततीसे जोयणसते किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं उवरिं एगं अट्ठावण्णं जोयणसतं किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं मूले विच्छिण्णा मज्झे संखित्ता उप्पिं तणुया गोपुच्छसंठाणसंठिता सव्वकंचणमया० अच्छा० पत्तेयं २ पउमवरवेतिया० पत्तेयं २ वणसंडपरिक्खित्ता, तेसिं णं कंचणगपव्वताणं उप्पिं बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे जाव आसयंति०, सिं० ० पत्तेयं २ पासायवडेंसगा सङ्घबावट्ठि जोयणाई उहुं उच्चत्तेणं एक्कतीसं० कोसं च विक्खंभेणं मणिपेढिया दोजोयणिया सीहासणा सपरिवारा, से णणं भंते! एवं वच्चति- कंचणगपव्वता २ ?, गो० ! कंचणगेसु णं पव्वतेसु तत्थ २ वावीसु० उप्पलाई जाव कंचणगवण्णाभातिं कंचणगा जाव देवा महिड्ढीया जाव विहरंति, उत्तरेणं कंचणगाणं कंचणियाओ रायहाणीओ अण्णंमि जंबू० तहेव सव्वं भाणितव्वं, कहिं णं भंते! उत्तराए कुराए उत्तरकुरूद्दहे पं० १. गो० ! नीलवंतद्दहस्स दाहिणेणं अद्धचोत्तीसे जोयणसते एवं सो चेव गमो णेतव्वो जो णीलवंतद्दहस्स सव्वेसिं सरिसको दहसरिनामा य देवा. सव्वेसिं पुरत्थिमपच्चत्थिमेणं कंचणगपव्वता दस २ एकप्पमाणा उत्तरेणं रायहाणीओ अण्णंमि जंबुद्दीवे, कहिं णं भंते ! चंदद्दहे एरावणद्दहे मालवंतद्दहे एवं एक्केक्को णेयव्वो । १५१ । कहिं णं भंते ! उत्तरकुराए कुराए जंबूसुदंसणाए जंबूपेढे नामं पेढे पं० ?, गो० ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरपुरच्छिमेणं नीलवंतस्स वासधरपव्वतस्स दाहिणेणं मालवंतस्स वक्खारपव्वयस्स पच्चत्थिमेणं गंधमादणस्स वक्खारपव्वंयस्स पुरत्थिमेणं सीताए महाणदीए पुरत्थिमिल्ले कूले एत्थ णं उत्तरकुरूकुराए जंबूपेढे नाम पेढे पंचजोयणसताइं आयामविक्खंभेणं पण्णरस एक्कासीते जोयणसते किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं बहुमज्झदेसभाए बारस जोयणाई बाहल्लेणं तदाणंतरं च णं माताए २ पदेसपरिहाणीए सव्वेसु चरमंतेसु दो कोसे बाहल्लेणं पं० सव्वजंबूणतामए अच्छे जाव पडिरूवे, से णं एगाइ पउमवरवेयाए एगेण य वणसंडेणं सव्वतो समंता संपरिक्खित्ते वण्णओ दोण्हवि, तस्स णं जंबूपेढस्स चउद्दिसि चत्तारि तिसोवाणपडिरूवगा पं० तं० चेव जाव तोरणा जाव चत्तारि छत्ता, तस्स णं जंबूपेढस्स उप्पिं बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पं० से जहाणामए आलिंगपुक्खरेति वा जाव मणीणं०. तस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्सबहुमज्झदेसभा एत्थ णं गा महं मणिपेढिया पं० अट्ठ जोयणाई आयामविक्खंभेणं चत्तारि जोयणाई बाहल्लेणं मणिमती अच्छा सण्हा जाव पडिरूवा. तीसे णं मणिपेढियाए उवरि एत्थ णं महं जंबूसुदंसणा पं० अट्ठजोयणाई उड्ढउच्चत्तेणं अद्धजोयणं उव्वेहेणं दो जोयणातिं खंधे अट्ठ जोयणाई विक्खंभेणं छजोयणाई विडिमा बहुमज्झदेसभाए अट्ठ जोयणाई विक्खंभेणं सातिरेगाइं अट्ठ जोयणाइं सव्वग्गेणं पं० वइरामयमूला रयतसुपतिट्ठियविडिमा एवं चेतियरूक्खवण्णओ जाव सव्वो रिट्ठामयविउलकंदा वेरूलियरूइरक्खंधा सुजायवरजायरूवपढमगविसालसाला नाणामणिरयणविविहसाहप्पसाहवेरूलियपत्ततवणिज्जपत्तबिंटा जंबूणयरत्तमउयसुकुमालपवाल (कोमल पा०) पल्लवंकुरधरा (ग्गसिहरा पा०) विचित्तमणिरयणसुरहिकुसुमा फलभारनमियसाला सच्छाया सप्पभा सस्सिरीया सउज्जोया अहियं णयणमणोनिव्वुइकरा पासाईया दरिसणिज्जा अभिरुवा पडिरूवा । १५२ । जंबूए णं सुदंसणाए चउद्दिसिं चत्तारि साला पं० तं० पुरत्थिमेणं दक्खिणेणं पच्चत्थिमेणं उत्तरेणं, तत्थ णं जे से पुरत्थिमिल्ले साले एत्थ णं एगे महं भवणे पं० एवं कोसं आयामेणं अद्धकोसं विक्खंभेणं देसूणं कोसं उड्ढउच्चत्तेणं अणेगखंभ० वण्णओ जाव भवणस्स दारं तं चेव पमाणं पंचधणुसतातिं उड्ढउच्चत्तेणं अड्ढांइज्जाइं विक्खंभेणं जाव वणमालाओ भूमिभागा उल्लोया मणिपेढिया पंचधणुसतिया देवसयणिज्जं भाणियव्वं, तत्थ णं जे से दाहिणिल्ले साले एत्थ णं एगे महं पासायवडेंसए पं० कोसं च उड्ढउच्चत्तेणं अद्धकोसं आयामविक्खंभेणं अब्भुग्गयमूसिय० अंतो बहुसम० उल्लोता, तस्स
XORTON श्री आगमगुणमंजूषा - ८९८
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(१४) जीवाजीवाभिगम (३) पडिवत्ति (च.) दीवसमुद्द
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Pणं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए सीहासणं सपरिवारं भाणियव्वं, तत्थ णं जे से पच्चत्थिमिल्ले साले एत्थ णं पासायवडेंसए पं० तं चेव
पमाणं सीहासणं सपरिवारं भाणियव्वं, तत्थ णं जे से उत्तरिल्ले साले एत्थ णं एगे महं पासायवडेंसए पं० तं चेव पमाणं सीहासणं सपरिवारं, तत्थ णं जे से उवरिमविडिमे एत्थ णं एगे महं सिद्धायतणे कोसं आयामेणं अद्धकोसं विक्खंभेणं देसूर्ण कोसं उड्ढउच्चत्तेणं अणेगखंभसतसन्निविट्ठ वण्णओ तिदिसिं तओ दारा पंचधणुसइता अड्ढाइज्जधणुसयविक्खंभा मणिपेढिया पंचधणुसतिया देवच्छंदओ पंचधणुसतविक्खंभो सातिरेगपंचधणुसउच्चत्ते, तत्थ णं देवच्छंदए अट्ठसयं जिणपडिमाणं जिणुस्सेधप्पमाणाणं, एवं सव्वा सिद्धायतणवत्तव्वया भाणियव्वा जाव धूवकडुच्छुया उत्तिमागारा सोलसविधेहिं रयणेहिं उवेए चेव, जंबू णं सुदंसणा मूले बारसहिं पउमवरवेदियाहिं सव्वतो समंता संपरिक्खित्ता, ताओणं पउमवरवेतियाओ अद्धजोयणं उड्ढंउच्चत्तेणं पंचधणुसताई विक्खंभेणं वण्णओ जंबूसुदंसणा अण्णेणं अट्ठसतेणं जंबूणं तयद्धच्चत्तप्पमाणमेत्तेणं सव्वतो समंता संपरिक्खित्ता, ताओ णं जंबूओ चत्तारि जोयणाई उड्ढंउच्चत्तेणं कोसं चोव्वेघेणं जोयणं खंधो कोस विक्खंभेणं तिण्णि जोयणाई विडिमा बहुमज्झदेसभाए चत्तारि जोयणाइं विक्खंभेणं सातिरेगाई चत्तारि जोयणाइं सव्वग्गेणं वइरामयमूला सो चेव चेतियरूक्खवण्णओ, जंबूए णं सुदंसणाए अवरूत्तरेणं उत्तरेणं उत्तरपुरस्थिमेणं एत्थ णं अणाढियस्स चउण्हं सामाणियसाहस्सीणं चत्तारि जंबूसाहस्सीओ पं०, जंबूएणं सुदंसणाए पुरत्थिमेणं एत्य णं अणाढियस्स देवस्स चउण्हं अग्गमहिसीणं चत्तारि जंबूओ५०, एवं परिवारो सव्वोणायव्वो जंबूए जाव आयरक्खाणं, जंबू णं सुदंसणा तीहिं जोयणसतेहिं वणसंडेहिं सव्वतो समंता संपरिक्खित्ता तं०-पढमेणं दोच्चेणं तच्चेणं, जंबूए सुदंसणाए पुरत्थिमेणं पढमं वणसंडं पण्णासं जोयणाई ओगाहित्ता एत्य णं एगे महं भवणे पं०, पुरथिमिल्ले भवणसरिसे भाणियव्वे जाव सयणिज्जे, एवं दाहिणेणं पच्चत्थिमेणं उत्तरेण, जंबूएणं सुदंसणाए उत्तरपुरस्थिमेणं पढम वणसंडं पण्णासं जोयणाई ओगाहित्ता चत्तारि णंदापुक्खरिणीओ पं० २०-पउमा पउमप्पभा चेव, कुमुदा कुमुयप्पभा, ताओ णं णंदाओ पुक्खरिणीओ कोसं आयामेणं अद्धकोसं विक्खंभेणं पंचधणुसयाई उव्वेहेणं अच्छाओसण्हाओलण्हाओ घट्ठाओ मट्ठाओ णिप्पंकाओणीरयाओ जाव पडिरूवाओ वण्णओ भाणियव्वो जाव तोरणत्ति, तासिं णं णंदापुक्खरिणीणं बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं पासायवडेंसए पं० कोसप्पमाणे अद्धकोसं विक्खंभो सो चेव सो वण्णओ सीहासणं सपरिवार, एवं दक्खिणपुरत्थिमेणं पण्णासं जोयणा० चत्तारि णंदापुक्खरिणीओ उप्पलगुम्मा नलिणा उप्पला उप्पलुज्जला तं चेव पमाणं तहेव पासायवडेंसगा तप्पमाणा, एवं दक्षिणपच्चत्थिमेणवि पण्णासंजोयणाणं परं-भिंगा भिगणिभा चेव, अंजणा कज्जलप्पभा, सेसं तं चेव, जंबूएणं सुदंसणाए उत्तरपुरत्थिमे पढम वणसंडं पण्णासं जोयणाई ओगाहित्ता एत्थ णं चत्तारि णंदाओ पुक्खरिणीओ पं० तं०-सिरिकता सिरिमहिया सिरिचंदा चेव तह य सिरिणिलया। तं चेव पमाणं तहेव पासायवडिंसओ, जंबूएणं सुदंसणाए पुरत्थिमिल्लस्स भवणस्स उत्तरेणं उत्तरपुरत्थिमेणं पासायवडेंसगस्स दाहिणेणं एत्थ णं एगे महं कूडे पं० अट्ठ जोयणाई उड्ढउच्चत्तेणं मूले बारस जोयणाई विक्खंभेणं मज्झे अट्ठ जोयणाई आयामविक्खंभेणं उवरि चत्तारि जोयणाई आयामविक्खंभेणं
मूले सातिरेगाई सत्ततीसं जोयणाइं परिक्खेवेणं मज्झे सातिरेगाई पणुवीसं जोयणाइं परिक्खेवेणं उवरिं सातिरेगाइं बारस जोयणाई परिक्खेवेणं मूले विच्छिन्ने ॐ मज्झे संखित्ते उप्पिं तणुए गोपुच्छसंठाणसंठिए सव्वजंबूणयामए अच्छे जाव पडिरूवे, सेणं एगाए परमवरवेइयाए एगेणं वणसंडेणं सव्वतो समंता संपरिक्खित्ते
दोण्हवि वण्णओ, तस्स णं कूडस्स उवरिं बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पं० जाव आसयंति०, तस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एगं सिद्धायतणं कोसप्पमाणं सव्वा सिद्धायतणवत्तव्वया, जंबूए णं सुदंसणाए पुरत्थिमस्स भवणस्स दाहिणेणं दाहिणपुरथिमिल्लस्स पासायवडेंसगस्स उत्तरेणं एत्थणं एगे महं कूडे पं० तं चेव पमाणं सिद्धायतणं च, जंबूएणं सुदंसणाए दाहिणिल्लस्सभवणस्स पुरत्थिमेणं दाहिणपुरत्थिमस्स पासायवडेंसगस्स पच्चत्थिमेणं
एत्थ णं एगे महं कूडे पं०, दाहिणस्स भवणस्स पुरतो दाहिणपच्चत्थिमिल्लस्स पासायवडिंसगस्स पुरत्थिमेणं एत्थ णं एगे महं कूडे० जंबूतो पच्चत्थिमिल्लस्स। श भवणस्स दाहिणेणं दाहिणपच्चत्थिमिल्लस्स पासायवडेंसगस्स उत्तरेणं एत्थ णं एगे महं कूडे पं० तं चेव पमाणं सिद्धायतणं च, जंबूए पच्चत्थिमे णं भवणस्स..
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(१४) जीवाजीवाभिगम (३) पडिवत्ति (च.) दीवसमुद्द
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उत्तरेणं उत्तरपच्चत्थिमस्स पासायवडेंसगस्स दाहिणेणं एत्थ णं एगे महं कूडे पं० तं चेव पमाणं सिद्धायतणं च, जंबूए० उत्तरस्स भवणस्स पच्चत्थिमेणं ई उत्तरपच्चत्थिमस्स(१६१) पासायवडेंगस्स पुरत्थिमेणं एत्थ णं एगे कूडे पं० तं चेव, जंबूए उत्तर० भवणस्स पुरत्थिमेणं उत्तरपुरथिमिल्लस्स पासायवडेंसगस्स ' पच्चत्थिमेणं एत्थ णं एगे महं कूडे पं० तं चेव पमाणं तहेव सिद्धायतणं, जंबू णं सुदंसणा अण्णेहिं बहूहिं तिलएहिं लउएहिं जाव रायरूक्खेहिं हिंगुरूक्खेहिं जावई
सव्वतो समंता संपरिक्खित्ता, जंबूते णं सुदंसणाए उवरिं बहवे अट्ठट्ठमंगलगा.पं० तं०-सोत्थियसिरिवच्छ० किण्हा चामरज्झया जाव छत्तातिच्छत्ता, जंबूए णं सुदंसणाए दुवालसणामधेज्जा पं० तं०- 'सुदंसणा अमोहा य, सुप्पबुद्धा जसोधरा। विदेहजंबू सोमणसा, णियया णिच्चमंडिया ।।२७||सुभद्दाय विसाला य, सुजाया सुमणीतिया। सुदंसणाए जंबूए, नामधेज्जा दुवालस ।।२८|| से केण?णं भंते ! एवं वुच्चइ-जंबू सुदंसणा २?, गो० ! जंबूते णं सुदंसणाते जंबूदीवाहिवती अणाढिते णामं देवे महिड्ढीए जाव पलिओवमद्वितीए परिवसति, सेणं तत्थ चउण्हं सामाणियसाहस्सीणं जाव जंबूदीवस्स जंबूए सुदंसणाए अणाढियाते य रायधाणीए जाव विहरति, कहिं णं भंते ! अणाढियस्स जाव समत्ता वत्तव्वया रायधाणीए महिड्ढीए, अदुत्तरं च णं गो० ! जंबुदीवे दीवे तत्त्थ २ देसे २ तहिं २ बहवे जंबूरूक्खा जंबूवणा जंबूवणसंडा णिच्चं कुसुमिया जाव सिरीए अतीव उवसोभेमाणा २ चिट्ठति, से तेणतुण गो० ! एवं वुच्चइ-जंबुद्दीवे दीवे २, अदुत्तरं च णं गो० ! जंबुद्दीवस्स सासते णामधेज्जे पं०, जन्न कयाविणासी जाव णिच्चे ।१५३। जंबुद्दीवे णं भंते ! दीवे कति चंदा पभासिंसु वा पभासेति वा पभासिस्संति वा ? कति सूरिया तविंसुवा तवंति वा तविस्संति वा ? कति नक्खत्ता जोयं जोइंसु वा जोयंति वा जोएस्संति वा ? कति महग्गहा चारं चरिंसु वा चरंति वा चरिस्संति वा ? केवतिताओ तारागणकोडाकोडीओ सोहंसु वा सोहंतिवा सोहेस्संति वा?, गो० ! जंबुद्दीवे णं दीवे दो चंदा पभासिंसु वा० दो सूरिया तविंसु वा० छप्पन्नं नक्खत्ता जोमं जोएंसु वा० छावत्तरं गहसतं चारं चरिंसु वा० 'एग च सतसहस्सं तेत्तीसं खलु भवे सहस्साई । णव य सया पन्नासा तारागणकोडाकोडीणं ॥२९॥ सोभिंसु वा०।१५४। जंबुद्दीवं णामं दीवं लवणे णामं समुद्दे वट्टे वलयागारसंठाणसंठिते सव्वतो समंता संपरिक्खित्ताणं चिट्ठति, लवणे णं भंते ! समुद्दे किं समचक्कवालसंठिते विसमचक्कवालसंठिते?, गो० ! समचक्कवालसंठिए नो विसमचक्कवालसंठिए, लवणे णं भंते ! समुद्दे केवतियं चक्कवालविक्खंभेणं केवतियं परिक्खेवेणं पं०?, गो० ! लवणे णं समुद्दे दो जोयणसतसहस्साइं चक्कवालविक्खंभेणं पन्नरस जोयणसयसहस्साइं एगासीइसहस्साई सयमेगोणचत्तालीसे किंचिविसेसाहिए चक्कवालपरिक्खेवेणं, सेणं एक्काए पउमवरवेदियाए एगेण य वणसंडेणं सव्वतो समंता संपरिकिखत्ते चिट्ठइ दोण्हवि वण्णओ, साणं पउमवर० अद्धजोयणं उड्ढं० पंचधणुसयविक्खंभेणं लवणसमुद्दसमिए परिक्खेवेणं सेसं तहेव, से णं वणसंडे देसूणाई दो जोयणाई जाव विहरइ, लवणस्स णं भंते ! समुद्दस्स कति दारा पं०?, गो० ! चत्तारि दारा पं० तं०-विजये वेजयंते जयंते अपराजिते, कहिं णं भंते ! लवणसमुद्दस्स विजए णामं दारे पं०?, गो० ! लवणसमुद्दस्स पुरत्थिमपेरंते धायइखंडस्स दीवस्स पुरत्थिमद्धस्स पच्चत्थिमेणं सीओदाए महानदीए उप्पिं एत्थ णं लवणस्स समुदस्स विजए णामं दारे पं० अट्ठ जोयणाइं उड्ढंउच्चत्तेणं चत्तारि जोयणाइं विक्खंभेणं एवं तं चेव सव्वं जहा जंबुद्दीवस्स, रायहाणी पुरत्थिमेणं अण्णंमि लवणसमुद्दे, कहिं णं भंते ! लवणसमुद्दे वेजयंते नामं दारे पं०?, गो०! ' लवणसमुदस्स दाहिणपेरंते धातइसंडदीवस्स दाहिणद्धस्स उत्तरेणं सेसं तं चेव सव्वं, एवं जयंतेऽवि णवरि सीयाए महाणदीए उप्पिं भाणियव्वे, एवं अपराजितेवि, णवरं दिसीभागो भाणियव्वो, लवणस्स णं भंते ! समुद्दस्स दारस्स य २ एस णं केवतियं अबाधाए अंतरे पं०?, गो० !-'तिण्णेव सतसहस्सा पंचाणउतिं भवे सहस्साइं । दो जोयणसत असिता कोसं दारंतरे लवणे ॥३०॥ जाव अबाधाए अंतरे पं०, लवणस्स णं भंते ! पएसा धायइसंडं दीवं पुट्ठा, तहेव जहा जंबूदीवे, धायइसंडेवि सो चेव गमो, लवणे णं भंते ! समुद्दे जीवा उद्दाइत्ता सो चेव विही, एवं धायइसंडेवि, से केणतुणं भंते ! एवं वुच्चइ-लवणसमुद्दे २?, गो० ! लवणे णं है
समुद्दे उदगे आविले रइले लोणे लिंद खारए कडुए, अप्पेज्जे बहूणं दूपयचउप्पयमियपसुपक्खिसरीसवाणं नण्णत्थ तज्जोणियाणं सत्ताणं, सोत्थिए एत्थ लवणाहिवई ए देवे महिड्ढीए पलिओवमट्टिईए, सेणं तत्थ सामाणिय जाव लवणसमुदस्स सुत्थियाए रायहाणीए अण्णेसिंजाव विहरइ, से एएणतुणं गो० ! एवं वुच्चइ-लवणे णं Koros555555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ९००555555555555555FFFFFFFFOOK
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(१४) जीवाजीवाभिगम (३) पडिवत्ति (च.) दीव समुह
[ ५९ ]
समुद्दे २ अदुत्तरं च णं गो० ! लवणसमुद्दे सासए जाव णिच्चे । १५५। लवणे णं भंते ! समुद्दे कति चंदा पभासिंसु वा पभासिति वा पभासिस्संति वा ?, एवं पंचण्हवि पुच्छा, गो० ! लवणसमुद्दे चत्तारि चंदा पभासिंसु० चत्तारि सूरिया तविंसु वा० बारसुत्तरं नक्खत्तसयं जोगं जोएंसु वा० तिण्णि बावण्णा महग्गहसया चारं चरिसुं वा० दुण्णि सयसहस्सा सत्तट्ठि च सहस्सा नव सया तारागणकोडाकोडीणं सोभं सोभिसु वा० | १५६ । कम्हा णं भंते! लवणसमुद्दे चाउद्दसमुद्दिट्ठपुण्णमासिणीसु अतिरेगं २ वड्ढति वा हायति वा १, गो० ! जंबुद्दीवस्स णं दीवस्स चउद्दिसिं बाहिरिल्लाओ वेइयंताओ लवणसमुद्दे पंचाणउतिं जोयणसहस्साइं ओगाहित्ता एत्थ णं चत्तारि महालिंजरसंठाणसंठिया महइमहालया महापायाला पं० तं० वलयामुहे केतूए जूवे ईसरे, ते णं महापाताला एगमेगं जोयणसयसहस्सं उव्वेहेणं मूले दस जोयणसहस्साइं विक्खंभेणं मज्झे एगपदेसियाए सेढीए एगमेगं जोयणसतसहस्सं विक्खंभेणं उवरिं मुहमूले दस जोयणसहस्साइं विक्खंभेणं, तेसिं णं महापायालाणं कुड्डा सव्वत्थ समा दसजोयणसतबाहल्ला पं० सव्ववइरामया अच्छा जाव पडिरूवा, तत्थ णं बहवे जीवा पोग्गला य अवक्कमंति विउक्कमंति चयंति उवचयंति सासया णं ते कुड्डा दव्वट्टयाए वण्णपज्जवेहिं० असासया, तत्थ णं चत्तारि देवा महिड्ढीया जाव पलिओवमद्वितीया परिवसंति, तं०-काले महाकाले वेलंबे पभंजणे, तेसिं णं महापायालाणं तओ तिभागा पं० तं०-हेट्ठिल्ले तिभागे मज्झिल्ले तिभागे उवरिमे तिभागे, ते णं तिभागा तेत्तीसं जोयणसहस्सा तिण्णि य तेत्तीसं जोयणसतं जोयणतिभागं च बाहल्लेणं, तत्थ णं जे से हेट्ठिल्ले तिभागे एत्य णं वाउकाओ संचिट्ठति, तत्थ णं जे से मज्झिल्ले तिभागे एत्थ णं वाउकाए य आउकाए य संचिट्ठति, तत्थ णं जे से उवरिल्ले तिभागे एत्थ णं आउकाए संचिट्ठति, अदुत्तरं च णं गो० ! लवणसमुद्दे तत्थ २ देसे बहवे खुड्डालिंजरसंठाणसंठिया खुड्डपायाल कलसा पं०, ते णं खुड्डा पाताला एगमेगं जोयणसहस्सं उव्वेहेणं मूले एगमेगं जोयणसतं विक्खंभेणं मज्झे एगपदेसियाए सेढीए एगमेगं जोयणसहस्सं विक्खंभेणं उप्पिं मुहमूले एगमेगं जोयणसतं विक्खंभेणं, तेसिं णं खुड्डागपायालाणं कुड्डा सव्वत्थ समा दस जोयणाई बाहल्लेणं पं० सव्ववइरामया अच्छा जाव पडिरूवा, तत्थ णं बहवे जीवा पोग्गला य जाव असासयावि, पत्तेयं २ अद्वपलिओवमट्ठितिताहिं देवताहिं परिग्गहिया, तेसिं णं खुड्डागपातालाणं ततो तिभागा पं० तं०-हेट्ठिल्ले तिभागे मज्झिल्ले तिभागे उवरिल्ले तिभागे, ते णं तिभागा तिण्णि तेत्तीसं जोयणसते जोयणतिभागं च बाहल्लेणं पं०, तत्थ णं जे से हेट्ठिल्ले तिभागे एत्थ णं वाउकाओ मज्झिल्ले तिभागे वाउआए आउयाते य उवरिल्ले आउकाए, एवामेव सपुव्वावरेणं लवणसमुद्दे सत्त पायालसहस्सा अट्ठ य चुलसीता पातालसता भवंतीतिमक्खाया, तेसिं णं महापायालाणं खुड्डागपायालाण य हेट्ठिममज्झिमिल्लेसु तिभागेसु जया बहवे ओराला वाया संसेयंति संमुच्छंति एयंति चलंति कंपंति खुब्भंति घट्टंति फंदंति तं तं भावं परिणमंति तया णं से उदए उण्णामिज्जति, जया णं तेसिं महापायालाणं खुड्डागपायालाण य हेट्ठिल्लमज्झिल्लेसु तिभागेसु नो बहवे ओराला जाव तं तं भावं न परिणमंति तया णं से उदए नो उन्नामिज्जइ, अंतरावि य णं ते वायं उदीरेति अंतरावि य णं से उदगे उण्णामिज्जइ अंतरावि य ते वाया नो उदीरंति अंतरावि य णं से उदगे णो उण्णामिज्जइ, एवं खलु गो० ! लवणसमुद्दे चाउद्दसमुद्दिट्ठपुण्णमासिणीसु अइरेगं २ वड्ढति वा हायति वा । १५७ । लवणे णं भंते ! समुद्दे तीसाए मुहुत्ताणं कतिखुत्तो अतिरेगं २ वड्ढति वा हायति वा ?, गो० ! लवणे णं समुद्दे तीसाए मुहुत्ताणं दुक्खुत्तो अतिरेगं २ वड्ढति वा हायति वा, केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ-लवणे णं समुद्दे तीसाए मुहुत्ताणं दुक्खुत्तो अइरेगं २ वड्ढइ वा हायइ वा ?, गो० ! उड्ढमंतेसु पायालेसु वड्ढइ आपूरितेसु पाया हाइ, से तेणद्वेणं गो० ! लवणे णं समुद्दे तीसाए मुहुत्ताणं दुक्खत्तो अइरेगं २ वड्ढइ वा हायइ वा । १५८। लवणसिहा णं भंते! केवतियं चक्कवालविक्खंभेणं केवतिय अइरेगं २ वड्ढति वा हायति वा ?, गो० ! लवणसीहाए णं दस जोयणसहस्साइं चक्कवालविक्खंभेणं देसूणं अद्धजोयणं अतिरेगं वड्ढति वा हायति वा, लवणस्
भंते! समुहस्स कति णागसाहस्सीओ अब्भिंतरियं वेलं धारंति कर नागसाहस्सीओ बाहिरियं वेलं धरंति कइ नागसाहस्सीओ अग्गोदयं धरेति ?, गो० ! लवणसमुद्दस्स बायालीसं णागसाहस्सीओ अब्भिंतरियं वेलं धारेति बावत्तरिं नागसाहस्सीओ बाहिरियं वेलं धारेति सट्ठि नागसाहस्सीओ अग्गोदयं धारेति, एवामेव सपुव्वावरेणं एगा णागसतसाहस्सी चोवत्तरिं च णागसहस्सा भवंतीतिमक्खाया । १५९ । कति णं भंते । वेलंधरा णागराया पं० १, गो० ! चत्तारि वेलंधरा फफफफफफफफफफ श्री आगमगुणमंजूषा ९०१)
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(१४) जीवाजीवाभिगम (३) पडिवत्ति (च) दीवसमुद्द [६० ]
णागराया पं० तं०-गोथूमे सिवए संखे मणोसिलए, एतेसिं णं भंते ! चउण्डं वेलंधरणागरायाणं कति आवासपव्वता पं० १, गो० ! चत्तारि आवासपव्वता पं० तं०गोधूमे उदगभासे संखे दगसीमाए, कहिं णं भंते! गोथूभस्स वेलंधरणागरायस्स गोधूमे णामं आवासपव्वते पं० १, गो० ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पुरत्थिमेणं लवणं समुहं बायालीसंजोयणसहस्साई ओगाहित्ता एत्थ णं गोथूभस्स वेलंधरणागरायस्स गोधूमे णामं आवासपव्वते पं० सत्तरसएक्कवीसाइं जोयणसताइं उड्ढउच्चत्तेणं चत्तारि तीसे जोयणसते कोसं च उब्वेधेणं मूले दसबावीसे जोयणसते आयामविक्खंभेणं मज्झे सत्तवीसे जोयणसते उवरिं चत्तारि चउवीसं जोयणसए आयाम विक्खंभेणं मूले तिण्णि जोयणसहस्साइं दोण्णि य बत्तीसुत्तरे जोयणसए किंचिविसेसूणे परिक्खेवेणं मज्झे दो जोयणसहस्साइं दोण्णि य छलसीते जोयणसते किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं उवरिं एवं जोयणसहस्सं तिण्णि य ईंयाले जोयणसते किंचिविसेसूणे परिक्खेवेणं मूले वित्थिपणे मज्झे संखित्ते उप्पिं तणुए गोपुच्छसंठाणसंठिए सव्वकणगामए अच्छे जाव पडिरूवे, से णं एगाए पउमवरवेदियाए एगेण य वणसंडेणं सव्वतो समंता संपरिक्खित्ते दोण्हवि वण्णओ, गोथूभस्स णं आवासपव्वतस्स उवरिं बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पं० जाव आसयंति०, तस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं एगे महं पासायवडेंसए बावट्टं जोयणद्धं च उड्ढउच्चत्तेणं तं चेव पमाणं अद्धं आयामविक्खंभेणं वण्णओ जाव सीहासणं सपरिवारं, से केणट्टेणं भंते! एवं वुच्चइ गोथूमे आवासपव्वए २१, गो० ! गोथूमे णं आवासपव्वते तत्थ २ देसे २ तहिं २ बहुओ खुड्डाखुडिडयाओ जाव गोथूभवण्णाइं० बहूई उप्पलाई तहेव जाव गोथूमे तत्थ देवे हड्ढी पलिओवमट्ठितीए परिवसति, से णं तत्थ चउण्हं सामणियसाहस्सीणं जाव गोथूभस्स आवासपव्वतस्स गोथूभाए रायहाणीए जाव विहरति, से तेणद्वेणं जा णिच्चा, रायहाणिपुच्छा, गो० ! गोथूभस्स आवासपव्वतस्स पुरत्थिमेणं तिरियमसंखेज्जे दीवसमुद्दे वीतिवइत्ता अण्णंमि लवणसमुद्दे तं चेव पमाणं तहेव सव्वं, कहिं णं भंते! सिवगस्स वेलंधरणागरायस्स दओभासे णामं आवायपव्वते पं० १, गो० ! जंबुदीवे णं दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दक्खिणेणं लवणसमुदं बायालीसं जोयणसहस्साइं ओगाहित्ता एत्थ णं सियगस्स वेलंधरणागरायस्स दओभासे णामं आवासपव्वते पं० तं चेव पमाणं जं गोथूभस्स, णवरि सव्वअंकामए अच्छे जाव पडरूवे जाव अट्ठो भाणियव्वो, गो० ! दओभासे णं आवासपव्वते लवणसमुद्दे अट्ठजोयणियखेत्ते दगं सव्वतो समंता ओभासेति उज्जोवेति तवति पभासेति सिवए इत्थ देवे महिड्ढीए जाव रायहाणी से दक्खिणेणं सिविगा दओभासस्स सेसं तं चेव, कहिं णं भंते! संखस्स वेलंधरणागरायस्स संखे णामं आवासपव्वते पं० ?, गो० ! जंबुद्दीवे णं दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पच्चत्थिमेणं बायालीसं जोयणसहस्साइं एत्थ णं संखस्स वेलंधर० संखे णामं आवासपव्वते० तं चेव पमाणं णवरं सव्वरयणामए अच्छे०, से णं एगाए पउमवरवेदियाए एगेण य वणसंडेणं जाव अट्ठो बहूओ खुड्डाखुडिडआओ जाव बहूई उप्पलाई संखाभाई संखवण्णाई संखवण्णाभाई संखे य एत्थ देवे महिड्ढीए जाव रायहाणीए पच्चत्थिमेणं संखस्स आवासपव्वयस्स संखा नाम रायहाणी तं चैव पमाणं, कहिं णं भंते! मणोसिलकस्स वेलंधरणागरायस्स उदगसीमाए णामं आवासपव्वते पं० ?, गो० ! जंबुद्दीवे मंदरस्स उत्तरेणं लवणसमुद्दं बायालीसं जोयणसहस्साइं ओगाहित्ता एत्थ णं मणोसिलगस्स वेलंधरणागरायस्स उदगसीमाए णामं आवासपव्वते पं० तं चेव पमाणं णवरिं सव्वफलिहामए अच्छे जाव अट्ठो, गो० ! दगसीमंते णं आवासपव्वते सीतासीतोदगाणं महाणदणं तत्थ गते सोए पडिहम्मति से तेणट्टेणं जाव णिच्चे मणोसिलए एत्थ देवे महिड्ढीए जाव से णं तत्थ चउण्हं सामांणिय० जाव विहरति, कहिं णं भंते! मणोसिलगस्स वेलंधरणागरायस्स मणोसिला णाम रायहाणी ?, गो० ! दगसीमस्स आवासपव्वयस्स उत्तरेणं तिरि० अण्णंमि लवणे एत्थ णं मणोसिलिया णाम यहाणी पं० तं चैव पमाणं जाव मणोसिलाए देवे- 'कणगंकरययफालियमया य वेलंधराणमावासा । अणुवेलंधरराईण पव्वया होति रयणमया ||३१|| १६० | कइ णं भंते ! अणुवेलंधररायाणो पं ?, गो० ! चत्तारि अणुवेलंधरणागरायाणो पं० तं० कक्कोडए कद्दमए केलासे अरूणप्पभे, एतेसिं णं भंते! चउण्हं अणुवेलंधरणारायाणं कति आवासपव्वया पं० ?, गो० ! चत्तारि आवासपव्वया पं० तं० कक्कोडए कद्दमए कइलासे अरूणप्पभे, कहिं णं भंते! कक्कोडगस्स अणुवेलंधरणागरायस्स कक्कोडए णाम आवासपव्वते पं० १, गो० ! जंबुद्दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरपुरच्छिमेणं लवणसमुहं बायालीसं जोयणसहस्साइं ओगाहित्ता एत्थ णं कक्कोडगस्स KORNOR श्री आगमगुणमंजूषा ९०२
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(१४) जीवाजीवाभिगम (३) पडिवत्ति (च.) दीवसमुह
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नागरायस्स कक्कोडए णामं आवासपन्वते पं० सत्तरसएक्कवीसाइं जोयणसताइं तं चेव पमाणं जं गोथूभस्स णवरि सव्वरयणामए अच्छे जाव निरवसेसं जाव सपरिवारं अट्ठो से बहूइं उप्पलाई कक्कोडगप्पभाई सेसंतं चेवणवरि कक्कोडगपव्वयस्स उत्तरपुरच्छिमेणं एवं तं चेव सव्वं, कद्दमस्सविसो चेव गमओ अपरिसेसिओ, णवरि दाहिणपुरच्छिमेणं आवासो विज्जुप्पभा रायहाणी दाहिणपुरत्थिमेणं, कइलासेवि एवं चेव, णवरि दाहिणपच्चत्थिमेणं कइलासावि रायहाणी ताए चेव दिसाए, अरूणप्पभेवि उत्तरपच्चत्थिमेणं रायहाणीवि ताए चेव दिसाए, चत्तारिविगप्पमाणा सव्वरयणामया य।१६१। कहिणं भंते ! सुट्ठियस्स लवणाहिवइस्स गोयमदीवे णामं दीवे पं०?, गो०! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पच्चत्थिमेणं लवणसमुई बारसजोयणसहस्साइं ओगाहित्ता एत्थ णं सुट्टियस्स लवणाहिवइस्स गोयमदीवे णामं दीवे पं०, बारसजोयणसहस्साइं आयामविक्खंभेणं सत्ततीसं जोयणसहस्साइं नव य अडयाले जोयणसए किंचिविसेसोणे परिक्खेवेणं जंबूदीवंतेणं अद्धकोणणउत्ते जोयणाइं चत्तालीसं पंचणउतिभागे जोयणस्स ऊसिए जलंताओ लवणसमुदंतेणं दो कोसे ऊसिते जलंताओ, सेणं एगाए य पउमवरवेइयाए एगेणं वणसंडे सव्वतो समंता तहेव वण्णओ दोण्हवि, गोयमदीवस्स णं दीवस्स अंतो जाव बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पं०, से जहानामएआलिंग० जाव आसयंति०, तस्स णं बहुसमरमणिज्जेस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभागे एत्थ णं सुट्ठियस्स लवणाहिवइस्स एगे महं अइक्कीलावासे नाम भोमेज्जविहारे पं० बावढि जोयणाइं अद्धजोयणं उड्ढेउच्चत्तेणं एक्कतीसंजोयणाई कोसंच विक्खंभेणं अणेगखंभसतसन्निविट्ठे भवणवण्णओ भाणियव्वो, अइक्कीलावासस्सणं भोमेज्जविहारस्स अंतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पं० जाव मणीणं फासो, तस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ एगा मणिपेढिया पं०, सा णं मणिपेढिया दो जोयणाई आयामविक्खंभेणं जोयणं बाहल्लेणं सव्वमणिमयी अच्छा जाव पडिरूवा, तीसे णं मणिपेढियाए उवरि एत्थ णं देवसयणिज्जे पं० वण्णओ, से केणतुणं भंते ! एवं वुच्चति-गोयमदीवे णं दीवे २ ?, गो० ! तत्थ २ तहिं २ बहूइं उप्पलाइं जाव गोयमप्पभाइं गोयमवन्नाइं गोयमवण्णाभाइं से एएणतुणं गो० ! जाव णिच्चे, कहिं णं भंते ! सुट्टियस्स लवणाहिवइस्स सुट्ठिया णामं रायहाणी पं० ?, गो० ! गोयमदीवस्स पच्चत्थिमेणं तिरियमसंखेजे जाव अण्णमि लवणसमुद्दे बारसजोयणसहस्साइं ओगाहित्ता एवं तहेव सव्वं णेयव्वं जाव सुत्थिए देवे २॥ १६२। कहिं णं भंते ! जंबुद्दीवगाणं चंदाणं चंददीवा णामं दीवा पं०?, गो० ! जंबुद्दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरच्छिमेणं लवणसमुईं बारस जोयणसहस्साई ओगाहित्ता एत्थ णं जंबुद्दीवगाणं चंदाणं चंददीवा णामं दीवा पं०, जंबुद्दीवंतेणं अद्धकोणणउई जोयणाई चत्तालीसं पंचाणउतिभागे जोयणस्सऊसिया जलंतातोलवणसमुहतेणं दो कोसे ऊसिता जलंताओ बारस जोयणसहस्साइं आयामविक्खंभेणं सेसंतं चेव जहा गोतमदीवस्स परिक्खेवो पउमवरवेइया पत्तेयं २ वणसंडपरि० दोण्हवि वण्णओ बहुसमरमणिज्जा भूमिभागा जाव जोइसिया देवा आसयंति०, तेसि णं बहुसमरमणिज्ने भूमिभागे ॥ पासायवडेंसगा बावढि जोयणाई बहुमज्झ० मणिपेढियाओ दो जोयणाई जाव सीहासणा सपरिवारा भाणियव्वा तहेव अट्ठो, गो० ! बहूसु खुड्डाखुड्डियासु० बहूई उप्पलाइं चंदवण्णाभाई० चंदा एत्थ देवा महिड्ढीया जाव पलिओवमद्वितीया परिवसंति, ते णं तत्थ पत्तेयं २ चउण्हं सामाणियसाहस्सीणं जाव चंददीवाणं चंदाण य रायहाणीणं अन्नेसिंच बहूणं जोतिसियाणं देवाणं देवीण य आहेषच्चं जाव विहरंति, से तेणटेणं गो० ! चंदद्दीवा जाव णिच्चा, कहिणं भंते ! जंबुद्दीवगाणं चंदाणं चंदाओ नाम रायहाणीओ पं० ?, गो० ! चंददीवाणं पुरथिमेणं तिरियं जाव अण्णंमि जंबुद्दीवे बारस जोयणसहस्साई ओगाहित्ता तं चेव पमाणं जाव एमहिड्ढीया चंदा देवा, कहिं णं भंते ! जंबुद्दीवगाणं सूराणं सूरदीवा णामं दीवा पं०?, गो० ! जंबुद्दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पच्चत्थिमेणं लवणसमुई बारस जोयणसहस्साइं
ओगाहित्ता तं चेव उच्चत्तं आयामविक्खंभेणं परिक्खेवो वेदिया वणसंडा भूमिभागा जाव आसयंति०, पासायवडेंसगाणं तं चेव पमाणं मणिपेढिया सीहासणा 4 सपरिवारा अट्ठो उप्पलाई सूरप्पभाइं० सूरा एत्थ देवा जाव रायहाणीओ सकाणं दीवाणं पच्चत्थिमेणं अण्णंमि जंबुद्दीवे सेसं तं चेव जाव सूरा देवा ।१६३। कहिं णं
भंते ! अमितरलावणगाणं चंदाणं चंददीवा णामं दीवा पं०?, गो० !जंबुद्दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्थिमेणं लवणसमुबारस जोयणसहस्साई ओगाहित्ता एत्थ णं २ अब्भितरलावणगाणं चंदाणं चंददीवाणामं दीवा पं०, जहा जंबुद्दीवगा चंदा तहा भाणियव्वाणवरि रायहाणीओ अण्णंमि लवणे सेसं तं चेव, एवं अभिंतरलावणगाणं Garimurterroruecrururururururrrrrrrup/ श्री आगमगणमंजषा ९०३ 94545555555555555555544FOTORS
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(१४) जीवाजीवाभिगम (३) पडिवत्ति (च) दीव समुद्द
सूराणवि लवणसमुद्दं बारस जोयणसहस्साइं तहेव सव्वं जाव रायहाणीओ, कहिं णं भंते ! बाहिरलावणगाणं चंदाणं चंददीवा पं० ?, गो० ! लवणस्स समुद्दस्स पुरथिमिल्लाओ वेदियंताओ लवणसमुद्दं पच्चत्थिमेणं बारस जोयणसहस्साइं ओगाहित्ता एत्थ णं बाहिरलावणगाणं चंददीवा नामं दीवा पं० धायतिसंडदीवंतेणं अद्धेकोणणवतिजोयणाइं चत्तालीसं च पंचणउतिभागे जोयणस्स ऊसिता जलंतातो लवणसमुद्दतेणं दो कोसे ऊसिता बारस जोयणसहस्साइं आयामविक्खंभेणं पउमवरवेइया वणसंडा बहुसमरमणिज्जा भूमिभागा मणिपेढिया सीहासणा सपरिवारा सो चेव अट्ठो रायहाणीओ सगाण दीवाणं पुरत्थिमेणं तिरियमसं० अण्णंमि लवणसमुद्दे तहेव सव्वं, कहिं णं भंते! बाहिरलावणगाणं सूराणं सूरदीवा णामं दीवा पं० १, गो० ! लवणसमुद्दपच्चत्थिमिल्लातो वेदियंताओ लवणसमुदं पुरत्थिमेणं बारस जोयणसहस्साइं धायतिसंडदीवंतेणं अद्धेकूणणउतिं जोयणाई चत्तालीसं च पंचनउतिभागे जोयणस्स दो कोसे ऊसिया सेसं तहेव जाव रायहाणीओ सगाण दीवाणं पच्चत्थिमेणं तिरियमसंखेज्जे लवणे. चेव बारस जोयण० तहेव सव्वं भाणियव्वं, ।१६४ । कहिं णं भंते ! धायतिसंडदीवगाणं चंदाणं चंददीवा पं० १, गो ! धातिसंडस्स दीवस्स पुरत्थिमिल्लाओ वेदियंताओ कालोयं णं समुहं बारस जोयणसहस्साइं ओगाहित्ता एत्थ णं धायतिसंडदीवाणं चंदाणं चंददीवा णामं दीवा पं० सव्वतो समंता दो कोसा ऊसिता जलंताओ बारस जोयणसहस्साइं तहेव विक्खभपरिक्खेवो भूमिभागो पासायवडिंसया मणिपेढिया सीहासणा सपरिवारा अट्ठो तहेव रायहाणीओ सकाणं दीवाणं पुरत्थिमेणं अण्णंमि धायतिसंडे दीवे सेसं तं चेव, एवं सूरदीवावि, नवरं धायइसंडस्स दीवस्स पच्चत्थिमिल्लातो वेदियंताओ कालोयं णं समुहं जोयण० तहेव सव्वं जाव रायहाणीओ सूराणं दीवाणं पच्चत्थिमेणं अण्णंमि धायइसंडे दीवे सव्वं तहेव । १६५ । कहिं णं भंते! कालोयगाणं चंदाणं चंददीवा पं० ?, गो० ! कालोयसमुद्दस्स पुरच्छिमिल्लाओ वेदियंताओ कालोयण्णं समुदं पच्चत्थिमेणं बारस जोयणसहस्साइं ओगाहित्ता एत्थ णं कालोयगचंदाण चंददीवा सव्वतो समंता दो कोसा ऊसिता जलतातो सेसं तहेव जाव रायहाणीओ सगाणं दीवाणं पुरच्छिमेणं अण्णंमि कालोयगसमुद्दे बारस जोयण० तं चैव सव्वं जव चंदा देवा, एवं सूराणवि णवरं कालोयगपच्चत्थिमिल्लातो वेदियंतातो कालोयसमुद्दपुरच्छिमेणं बारस जोयणसहस्साइं ओगाहित्ता तहेव रायहाणीओ सगाणं दीवाणं पच्चत्थिमेणं अण्णंमि कालोयगसमुद्दे तहेव सव्वं, एवं पुक्खरवरगाणं चंदाणं पुक्खरवरस्स दीवस्स पुरत्थिमिल्लाओ वेदियंताओ पुक्खरसमुद्दं बारस जोयणसहस्साइं ओगाहित्ता चंददीवा अण्णंमि पुक्खवरे दीवे रायहाणीओ तहेव, एवं सूराणवि दीवा पुक्खरखरदीवस्स पच्चत्थिमिल्लाओ वेदियंताओ पुक्खरोदं समुद्द बारस जोयणसहस्साइं ओगाहित्ता तहेव जाव रायहाणीओ, दीविल्लगाणं दीवे समुद्दगाणं समुद्दे चेव एगाण अब्भिंतरपासे एगाणं बाहिरपासे रायहाणीओ, दीविल्लगाणं दीवेसु समुद्दगाणं समुद्देसु सरिणामतेसु । १६६ । इमे णामा अणुगंतव्वा- 'जंबुद्दीवे लवणे घायइ कालोद पुक्खरे वरुणे। खीर घय इक्खु णंदी अरुणवरे कुंडले रुयगे॥३२। आभरणवत्थगंधे उप्पलतिलते य पुढवी णिहिरयणे । वासहरदइनईओ विजया वक्खारकप्पिंदा ||३३|| पुर (कुरु)मंदरआवासा कूडा णक्खत्तचंदसूरा य। एवं भाणियव्वं । १६८ । कहिं णं भंते! देवद्दीवगाणं चंदाणं चंददीवा णामं दीवा पं० ?, गो० ! देवदीवस्स देवोदं समुद्दं बारस जोयणसहस्साइं ओगाहित्ता (१६२) तेणेव कमेणं पुरत्थिमिल्लाओ वेइयंताओ जाव रायहाणीओ सगाणं दीवाणं पुरत्थिमेणं देवद्दीवं (वोदं) समुद्दं असंखेज्जाइं जोयणसहस्साइं ओगाहित्ता एत्थ देवदीवयाणं चंदाणं चंदाओ णामं रायहाणीओ पं० सेसं तं चेव देवदीवचंदा दीवा, एवं सूराणवि, णवरं पच्चत्थिमिल्लाओ वेदियंताओ पच्चत्थिमेणं च भाणितव्वा तंमि चेव समुद्दे, कहिं णं भंते ! देवसमुद्दगाणं चंदाणं चंददीवा णामं दीवा पं० ?, गो० ! देवोदगस्स समुद्दस्स पुरत्थिमिल्लाओ वेदियंताओ देवोदगं समुद्दं पच्चत्थिमेणं बारस जोयणसहस्साइं तेणेव कमेणं जाव रायहाणीओ सगाणं दीवाणं पच्चत्थिमेणं देवोदगं समुद्दं असंखेज्जाई जोयणसहस्साइं ओगाहित्ता एत्थ णं देवोदगाणं चंदाणं चंदाओ णामं रायहाणीओ पं० तं चैव सव्वं, एवं सूराणवि, णवरि देवो दगस्स पच्चत्थिमिल्लातो वेतियंतातो देवोदगसमुद्दं पुरत्थिमेणं बारस जोयणसहस्साइं ओगाहित्ता रायहाणीओ सगाणं दीवाणं पुरत्थिमेणं देवोदगं समुदं असंखेज्जाइं जोयणा सहस्साइं एवं णागे जक्खे भूतेवि चउण्हं दीवसमुद्दाणं, कहिं णं भंते ! सयंभूरमणदीवगाणं चंदाणं चंददीवा णामं दीवा पं० ?, सयंभूरमणस्स दीवस्स पुरत्थिमिल्लातो वेतियंतातो सयंभूरमणोदगं समुद्दं बारसजोयणसहस्साई तहेव
ॐ श्री आगमगुणमंजूषा - ९०४
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(१४) जीवाजीवामिगम (३) पडिवत्ति (च.) दीवसमुह
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रायहाणीओ सगाणं दीवाणं पुरत्थिमेणं सयंभूरमणोदगं समुदं पुरत्थिमेणं असंखेज्जाइं जोयण तं चेव एवं सूराणवि. सयंभूरमणस्स पच्चत्थिमिल्लातो वेदियंताओ रायहाणीओ सकलं दीवाणं पच्चत्थिमिल्लाणं सयंभूरमणोदं समुई - असंखेज्जा० सेसं तं चेव, कहिं णं भंते । सयंभूरमणसमुद्दकाणं चंदाणं०? सयंभूरमणस्स समुदस्स पुरथिमिल्लाओ वेतियंतातो सयंभूरमणं समुदं पच्चत्थिमेणं बारस जोयणसहस्साइं ओगाहित्ता सेसंतं चेव, एवं सूराणवि, सयंभूरमणस्स पच्चत्थिमिल्लाओ सयंभूरमणोदं समुद्दे पुत्थिमेणं बारस जोयणसहस्साई ओगाहित्ता रायहाणीओ सगाणं दीवाणं पुरत्थिमेणं सयंभूरमणं समुदं असंखेनाइजोयणसहस्साइं ओगाहित्ता
एत्थ णं सयंभूरमण जाव सूरा देवा ।१६८। अत्थि णं भंते! लवणसमुद्दे वेलंधराति वाणागरायाति वा खन्नाति वा अग्धाति वा सिंहाति वा विजातीइ वा हासवट्टीति?, हंता म अत्थि, जहा णं भंते! लवणसमुद्दे अत्थि वेलंधराति वा णागराया० अग्घा सिंहा० विजाती० वा हासवट्टीति वा तहा णं बाहिरतेसुवि समुद्देसु अत्थि वेलंधराइ वा
णागरायाति वा अग्घाति वा सीहाति वा विजातीति वा हासवट्टीति वा ?, णो तिणद्वे समढे । १६९। लवणे णं भंते ! समुद्दे किं ऊसितोदगे किं पत्थडोदगे किं म खुभियजले किं अखुभियजले?, गो० ! लवणे णं समुद्दे ऊसिओदगे नो पत्थडोदगे खुभियजले नो अक्खुभियजले, जहा णं भंते ! लवणे समुद्दे ओसितोदगे नो के पत्थडोदगे खुभियजले नो अक्खुभियजले तहा णं बाहिरगा समुद्दा किं ऊसिओदगा पत्थडोदगा खुभियजला अक्खुभियजला ?, गो० ! बाहिरगा समुद्दा नो
उस्सितोदगा पत्थडोदगा नो खुभियजला अक्खुभियजला पुण्णा पुण्णप्पमाणा वोलट्टमाणा वोसट्टमाणा समभरघडत्ताए चिट्ठति, अत्थि णं भंते ! लवणसमुद्दे बहवो ओराला बलाहका संसेयंति वा संमुच्छंति वा वासं वासंति वा?, हंता अत्थि, जहाणं भंते ! लवणसमुद्दे बहवे ओराला बलाहका संसेयंति संमुच्छंति वासं वासंति वा तहाणं बाहिरएसुवि समुद्देसु बैवे ओराला बलाहका संसेयंति संमुच्छंति वासं वासंति?, णो तिणद्वे समढे, से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चति बाहिरगा णं समुद्दा पुण्णा पुण्णप्पामाणावोलट्टमाणा वोसट्टमाणा समभरघडियाए चिट्ठति ?, गो० ! बाहिरएसुणं समुद्देसु बहवे उदगजोणिया जीवा पोग्गला य उदगत्ताए वक्कमंति विउक्कमंति चयंति उवचयंति, से तेणद्वेणं एवं वुच्चति- बाहिरगा समुद्दा पुण्णा पुण्ण जाव समभरघडताए चिट्ठति ।१७०॥ लवणे णं भंते ! समुद्दे केवतियं उव्वेहपरिवुड्डीते पं०?, गो० ! लवणस्सणं समुद्दस्स उभओपासिं पंचाणउतिं २ पदेसे गंता पदेसं उव्वेहपरिवुड्डीए पं०, पंचाणउतिं २ वालग्गाइं गंता वालग्गं उव्वेहपरिवुड्डीए पं०, लिक्खाओ गंता उव्वेहपरि० पंचाणउई जवाओ जवमज्झे अंगुलविहत्थिरयणीकुच्छीधणुगाउयजोयणजोयणसत० जोयणसहस्साई गंता जोयणसहस्सं उव्वेहपरिवुड्डीए, लवणे णं भंते ! समुद्दे केवतियं उस्सेहपरिवुड्डीएपं०?, गो० ! लवणस्सणं समुदस्स उभओपासिंपंचाणउतिं पदेसे गंता सोलसपएसे उस्सेहपरिवुड्डीए पं०, एएणेव कमेणं जाव पंचाणउतिं २ जोयणसहस्साइं गंता सोलस जोयणसहस्साई उस्सेधपखिड्डीए पं० । १७१। लवणस्स णं भंते ! समुदस्स केमहालए गोतित्थे पं०?, गो० ! लवणस्स णं समुद्दस्स उभओपासिं पंचाणउति २ जोयणसहस्साई गोतित्थं पं०, लवणस्स णं भंते ! समुद्दस्स केमहालए गोतित्थविरहिते खेत्ते पं० ?, गो० ! लवणस्स णं समुद्दस्स दस जोयणसहस्साइं गोतित्थविरहिते खेत्ते पं०, लवणस्स णं भंते ! समुद्दस्स केमहालए उदगमाले पं०?, गो० ! दस जोयणसहस्साइं उदगमाले पं० । १७२। लवणे णं भंते ! समुद्दे किंसंठिए पं०?, गोह ! गोतित्थसंठिते नावासंठाणसंठिते सिप्पिसंपुडसंठिए आसखंधसंठिते वलभिसंठिते वट्टे वलयागारसंठाणसंठिते पं०, लवणे णं भंते ! समुद्दे केवतियं चक्कवालविक्खंभेणं केवतियं उव्वेहेणं केवतियं उस्सेहेणं केवतियं सव्वग्गेणं पं०?, गो०! लवणे णं समुद्दे दो जोयणसयसहस्साइं चक्कवालविक्खंभेणं पण्णरस जोयणसतसहस्साई एकासीतिं च सहस्साइंसतं च इगुयालं किंचिविसेसूणे परिक्खेवेणं एग जोयणसहस्सं उव्वेधेणं सोलस जोयणसहस्साई उस्सेहेणं सत्तरस जोयणसहस्साइं सव्वग्गेणं पं०।१७३। जइ भंते ! लवणसमुद्दे दो जोयणसतसहस्साई
चक्कवालविक्खंभेणं पण्णरस जोयणसतसहस्साइं एकासीतिं च सहस्साई सतं इगुयालं किंचिविसेसूणं परिक्खेवेणं एगं जोयणसहस्सं उव्वेहेणं सोलस फ जोयणसहस्साई उस्सेधेणं सत्तरस जोयणसहस्साइं सव्वग्गेणं पं०, कम्हा णं भंते ! लवणसमुद्दे जंबुद्दीवं नो उवीलेति नो उप्पीलेति नो चेव णं एक्कोदगं करेति ?,
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55555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा ९०५卐555555555555555555555OOK
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(१४) जीवाजीवाभिगम (३) पडिवत्ति (च.) दीव समुद्द [६४]
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गो० ! जंबुद्दीवेणं दीवे भरहेरवएसुवासेसु अरहंतचक्कवट्टिबलदेवा वासुदेवा चारणा विज्जाधरा समणा समर्ण ओ सावया सावियाओ मणुया पगतिभद्दया पगतिविणीया पगतिउवसंता पगतिपयणुकोहमाणमायालोमा मिउमद्दवसंपन्ना अल्लीणा भद्दगा विणीता तेसिं णं पणिहाते लवणे समुद्दे जंबुद्दीवं दीवं नो उपीलेति नो उप्पीलेति नो चेव णं एगोदगं करेंति, गंगासिंधुरत्तारत्तवईसु सलिलासु देवया महिड्डियाओ जाव पलिओवमद्वितीया परिवसंति तेसिं णं पणिहाए लवणसमुद्दे जाव नो चेव णं एगोदगं करेति चुल्लहिमवंतसिहरेसुवासहरपव्वतेसुदेवा महिड्डिया० तेसिंणं पणिहाए०, हेमवतेरण्णवतेसुमणुया पगतिभद्दगा० रोहितंसासुवण्णकूलारूप्पकूलासु सलिलासु देवयाओ महिड्डियाओ तासिं पणि० सद्दावातिवट्टवेयड्डपव्वतेसु देवा महिड्डिया जाव पलिओवमद्वितीया परिव० महाहिमवंतरूप्पिसु वासहरपव्वतेसु देवा महिड्डिया जाव पलिओवमद्वितीया० हरिवासरम्मयवासेसु मणुया पगतिभद्दगा गंधावातिमालवंतपरिताएसु वट्टवेयड्डपव्वतेसु देवा महिड्डीया० णिसढनीलवंतेसु वासधरपव्वतेसुदेवा महिड्डीया० सव्वाओ दहदेवयाओ भाणियव्वा पउमद्दहतिगिच्छिकेसरिदहावसाणेसुदेवा महिड्डीयाओ० तासिं पणिहाए० पुव्वविदेहावरविदेहेसु वासेसु अरहंतचक्कवट्टिबलदेववासुदेवा चारणा विज्जाहरा समणा समणीओ सावगा सावियाओ मणुया पगति० तेसिंपणिहाए लवण०, सीयासीतोदगासु सलिलासु देवता महिड्डिया० देवकुरुउत्तरकुरुसु मणुया पगतिभद्दगा० मदरे पव्वते देवता महिड्डीया० जंबूए य सुदंसणाए जंबुदीवाहिवती अणाढिए णामं देवे महिड्डीए जाव पलिओवमठितीए परिवसति तस्स पणिहाए लवणसमुद्दे नो उवीलेति नो उप्पीलेति नो चेव णं एकोदगं करेति, अदुत्तरं च णं गो०! लोगद्विती लोगाणुभावे जण्णं लवणसमुद्दे जंबुद्दीवं नो उवीलेति नो उप्पीलेति नो चेव णमेगोदगं करेति ।१७४। लवणसमुदं धायइसंडे नाम दीवे वट्टे वलयागारसंठाणसंठिते सव्वतो समंता संपरिक्खिवित्ताणं चिटठंति, धायतिसंडे णं भंते ! दीवे किं समचक्कवालसंठिते विसमचक्कवालसंठिते ?, गो० ! समचक्कवालसंठिते नो विसमचक्कवालसंठिते, धायइसंडे णं भंते ! दीवे केवतियं चक्कवालविक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं पं०?, गो० ! चत्तारि जोयणसतसहस्साई चक्कवालविक्खंभेणं एगयालीसं जोयणसतसहस्साइं दसजोयणसहस्साइं णवएगटे जोयणसते किंचिविसेसूणे परिक्खेवेणं पं०, से णं एगाए पउमवरवेदियाए एगेणं वणसंडेणं सव्वतो समंता संपरिक्खित्ते दोण्हवि वण्णओ दीवसमिया परिक्खेवेणं, धाइयसंडस्स णं भंते ! दीवस्स कति दारा पं० ? गो० ! चत्तारि दारा पं० तं०- विजए वेजयंते जयंते अपराजिए, कहिणं भंते ! धायइसंडस्स दीवस्स विजए णामं दारे पं०?, गो० ! धायइसंडपुरथिमपेरंते कालोयसमुद्दपुरत्थिमद्धस्स पच्वत्थिमेणं सीयाए महाणदीए उप्पिं एत्थ णं धायइसंडे विजए णामं दारे पं० तं चेव पमाणं, रायहाणीओ अण्णंमि धायइसंडे सीदे, दीवस्स वत्तव्वया भाणियव्वा, एवं चत्तारिवि दारा भाणियव्वा, धायइसंडस्स णं भंते ! दीवस्स दारस्स य २ एस णं केवइयं अबाहाए अंतरे पं०?, गो० ! दस जोयणसयसहस्साइं सत्तावीसं च जोयणसहस्साइं सत्तपणतीसे जोयणसए तिन्नि य कोसे दारस्सय २ अबाहाए अंतरे पं०, धायइसंडस्सणं भंते ! दीवस्स पदेसा कालोयगं समुदं पुट्ठा?, हंता पुट्ठा, ते णं भंते ! किं धायइसंडे दीवे कालोए समुद्दे ?, गो० ! ते खलु धायइसंडे नो खलु ते कालोयसमुद्दे, एवं कालोयस्सवि, धायइसंडद्दीवे जीवा उद्दाइत्ता २ कालोए समुद्दे पच्चायंति ?, गो० ! अत्थेगतिया नो पच्चायंति, एवं कालोएवि अत्थे० पच्चा० अत्थेगतिया णो पच्चायंति, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चति- धायइसंडे दीवे २?, गो० ! धायइसंडे णं दीवे तत्थ २ देसे तहिं २ पएसे धायइरुक्खा धायइवण्णा धायइसंडा णिच्चं कुसुमिया जाव उवसोभेमाणा २ चिट्ठति, धायइमहाधायइरुक्खेसु सुदंसणापियदंसणा दुवे महिड्डिया जाव पलिओवमद्वितीया परिवसंति से एएणतुणं० अदुत्तरं च णं गो० ! जाव णिच्चे, धायइसंडे णं भंते ! दीवे कति चंदा पभासिंसु वा० ? कति सूरिया तविंसु वा०? कइ महग्गहा चारं चरिसुं वा० कइ णक्खत्ता जोगं जोइंसु वा० कइ तारागणकोडाकोडीओ सोभेसु वा० ?, गो० ! बारस चंदा पभासिंसु वा० एवं'चउवीसं ससिरविणो णक्खत्तसत्ता य तिन्नि छत्तीसा। एगं च गहसहस्सं छप्पन्नं धायईसंडे ||३४|| अद्वैव सयसहस्सा तिण्णि सहस्साई सत्त य सयाई । धायइसंडे
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(१४) जीवाजीवाभिगम (३) पडिवत्ति (च.) दीव समुद्द
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दीवे तारागरकोडिकोडीणं । ३५ । सोभेंसु वा० | १७५ । धायइसंडं णं दीवं कालोदे णामं समुद्दे वट्टे वलयागारसंठाणसंठिते सव्वतो समंता संपरिक्खिवित्ताणं चिट्ठा, कालोदे णं समुद्दे किं समचक्कवालसंठाणसंठिते विसम० ?, गो० ! समचक्कवाल० णो विसमचक्कवाल० संठिते, कालोदे णं भंते! समुद्दे केवतियं चक्कवालविक्खभेणं केवतियं परिक्खेवेणं पं० १, गो० ! अट्ठ जोयणसयसहस्साइं चक्कवालविक्खभेणं एकाणउती जोयणसयसहस्साइं सत्तरिं सहस्साइं छच्च पंचुत्तरे जोयणसते किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं पं०, से णं एगाए पउमवरवेदियाए एगेणं वणसंडेणं दोण्हवि वणओ, कालोयस्स णं भंते! समुद्दस्स कति दारा पं० ?, गो० ! चत्तारि दारा पं० तं०- विजए वेजयंते जयंते अपराजिए, कहिं णं भंते ! कालोदस्स समुद्दस्स विजए णामं दारे पं० १, गो० ! कालोदे समुद्दे पुरत्थिमपेरंते पुक्खरवरदीवपुरत्थिमद्धस्स पच्चत्थिमेणं सीतोदाए महाणदीए उप्पिं एत्थ णं कालोदस्स समुद्दस्स विजये णामं दारे पं० अट्ठेव जोयणाइं तं चेव पमाणं जाव रायहाणीओ, कहिं णं भंते! कालोयस्स समुद्दस्स वेजयंते णामं दारे पं० १, गो० ! कालोयसमुद्दस्स दक्खिणपेरंते पुक्खरवरदीवस्स दक्खिणद्धस्स उत्तरेणं एत्थ णं कालोयसमुद्दस्स वेजयंते नामं दारे पं०, कहिं णं भंते! कालोयसमुद्दस्स जयंते नामं दारे पं० १, गो० ! कालोयसमुद्दस्स पच्चत्थिमपेरते क्खरवरदीव पच्चत्थिमद्धस्स पुरत्थिमेणं सीताए महाणदीए उप्पिं जयंते नामं दारे पं०, कहिं णं भंते! अपराजिए नामं दारे पं० १, गो० ! कालोयसमुद्दस्स उत्तरद्धपेरते पुक्खरवरदीवोत्तरद्धस्स दाहिणओ एत्थ णं कालोयसमुद्दस्स अपराजिए रामं दारे० सेसं तं चेव, कालोयस्स णं भंते । समुद्दस्स दारस्स य २ एस णं केवतिय अबाहाए अंतरे पं० ?, गो०- 'बावीस सयसहस्सा बाणउती खलु भवे सहस्साई । छच्च सया बायाला दारंतर तिन्नि कोसा य || ३६ || दारस्स य २ आबाहाए अंतरे पं०, कालोदस्स णं भंते ! समुद्दस्स पएसा पुक्खरवरदीव० तहेव, एवं पुक्खरवरदीवस्सवि, जीवा उद्दाइत्ता तहेव भाणियव्वं, से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चति- कालोए समुद्दे २१, गो० ! कालोयस्स णं समुद्दस्स उदके आसाले मांसले पेसले कालए मासरासिवण्णाभे पगतीए उदगरसेणं पं०, कालमहाकाला एत्थ दुवे देवा महिड्डीया जाव पलिओवमद्वितीया परिवसंति, से तेणद्वेणं गो० ! जाव णिच्चे, कालोए णं भंते! समुद्दे कति चंदा पभासिंसु वा० पुच्छा, गो० ! कालोए णं समुद्दे बायालीसं चंदा पभासिंस वा०- 'बायालीसं चंदा बायालीसं च दिणयरा दित्ता । कालोदधिम्मि एते चरंति संबद्धलेसागा । ३७॥ णक्खत्ताण सहस्सं एगं बावत्तरं च सतमण्णं । छच्च सता छण्णउया महागहा तिणि य सहस्सा |३८|| अट्ठावीसं कालोदहिम्मि बारस य सयसहस्साइं । नव य सया पन्नासा तारागणकोडाकोडीणं ॥ ३९॥ सोभेंसु वा० ।१७६। कालोयं समुद्दं पुक्खवरे णामं दीवे वट्टे वलयागारसंठाणसंठिते सव्वतो समंता संपरि० तहेव जाव समचक्कवालसंठाणसंठिते नो विसमचक्कवालसंठाणसंठिए, पुक्खरवरे णं भंते ! दीवे केवतियं चक्कवालविक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं पं० १, गो० ! सोलस जोयणसतसहस्साइं चक्कवालविक्खंभेणं- 'एगा जोयणकोडी वाणउतिं खलु भवे सयसहस्सा। अट्ठ सया चउणउया परीरओ पुक्खरवरस्स ||४०|| से णं एगाए पउमवरवेदियाए एगेण य वणसंडेणं सपरि० दोण्हवि वण्णओ, पुक्रवरस्सणं भंते! कति दारा पं० १, गो० ! चत्तारि दारा पं० तं०- विजए वेजयंते जयंते अपराजिते, कहिं णं भंते! पुक्खरवरस्स दीवस्स विजए णामं पं० ?, गो० ! पुक्खरवरदीवपुच्छिमपेरंते पुक्खवरोदसमुद्दपुरच्छिमद्धस्स पच्चत्थिमेणं एत्थ णं पुक्खरवरदीवस्स विजए णामं दारे पं० तं चैव सव्वं, एवं चत्तारिवि दारा, सीयासीओदा णत्थि भाणियव्वाओ, पुक्खवरस्स णं भंते! दीवस्स दारस्स दारस्स य २ एस णं केवतियं अबाधाए अंतरे पं० १, गो० ! 'अडयाल सयसहस्सा बावीसं खलु भवे सहस्साई । अगुणत्तरा य चउरो दारंतर पुक्खवरस्स ॥४१॥ पदेसा दोण्हवि पुट्ठा, जीवा दोसुवि भाणियव्वा, से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चतिपुक्खरवरदीवे २ १. गो० ! पुक्खरवरे णं दीवे त्थ २ देसे तहिं २ बहवे पउमरुक्खा पउमवणसंडा णिच्चं कुसुमिता जाव चिट्ठति पउममहापउमरुक्खे एत्थ णं परमपुंडरीया णामं दुवे देवा महिड्डिया जाव पलिओवमद्वितीया परिवसंति, से तेणद्वेणं गो० ! एवं वुच्चति- पुक्खरवरद्दीवे २ जाव निच्चे, पुक्खरवरे णं भंते! दीवे
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(१४) जीवाजीवाभिगम (३) पडिवत्ति (च.) दीव समुद्द
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केवइया चंदा पभासिंसु वा०?, एवं पुच्छा, 'चोयालं चंदसयं चउयालं चेव सूरियाण सयं । पुक्खवरदीवं चरंति एते पभासेंता ॥४२॥ चत्तारि सहस्साई बत्तीसं चेव होति णक्खत्ता। छच्च सया बावत्तर महम्गहा बारह सहस्सा ।।४३|| छण्णउइ सयसहस्सा चत्तालीसं भवे सहस्साई। चत्तारि सया पुक्खर तारागणकोडकोडीणं ॥४४|| सोभेसु वा०, पुक्खरवरदीवस्सस बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं माणुसुत्तरे नाम पव्वते पं० वट्टे वलयागारसंठाणसंठिते जे णं पुक्खरवरं दीवं दुहा विभयमाणे २ चिट्ठति, तं०- अभितरपुक्खरद्धं च बाहिपुक्खरद्धं च, अभितरपुक्खरद्धे णं भंते ! केवतियं चक्कवाल० परिक्खेवेणं पं०, गो ! अट्ठ जोयणसयसहस्साई चक्कवालविक्खंभेणं 'कोडी बायालीसा तीसं दोण्णि य सया अगुणवण्णा । पुक्खरअद्धपरिरओ एवं च मणुस्सरवेत्तस्स ॥४५|| से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चतिअभितरपुक्खरद्धे य २१, गो० ! अब्भितरपुक्खरद्धे णं माणुसुत्तरेणं पव्वतेणं सव्वतो समंता संपरिक्खित्ते, से एएणद्वेणं गो० ! अन्भितरपुक्खरद्धे य २, अदुरत्तरं चणं जाव णिच्चे, अम्भितरपुक्खरद्धे णं केवतिया चंदा पभासिंसु वा० सा चेव पुच्छा जाव तारागणकोडकोडीओ ?, गो० ! 'बावत्तरिं च चंदा बावत्तरिमेव दिणकरा दित्ता । पुक्खरवरदीवड्ढे चरंति एते पभासेंता ॥४६|| तिन्नि सया छत्तीसा छच्च सहस्सा महग्गहाणं तु । णक्खत्ताणं तु भवे सोलाइं दुवे सहस्साई॥४७॥ अडयाल सयसहस्सा बावीसं खलु भवे सहस्साइं। दोन्नि सय पुक्खरद्धे तारागणकोडिकोडीणं ॥४८॥ सोभेसु वा०।१७७। समयखेत्ते णं भंते ! केवतियं आयामविक्खंभेणं फं केवतियं परिक्खेवेणं पं०?, गो० ! पणयालीसं जोयणसयसहस्साइं आयामविक्खंभेणं एगा जोयणकोडी जाव अम्भितरपुक्खरद्धपरिरओ से भाणियव्वो जाव अउणपण्णे, से केणतुणं भंते ! एवं वुच्चति- माणुसखेत्ते २?, गो० ! माणुसखेत्ते णं तिविधा मणुस्सा परिवसंति, तं०-कम्मभूमगा अकम्मभूमगा अंतरदीवगा, से तेणटेणं गो०! एवं वुच्चति-माणुसखेत्ते २, माणुसखेत्ते णं भंते ! कति चंदा पभासेंसु वा० कईसूरा तवइंसु वा०?, गो० ! 'बत्तीसं चंदसयं बत्तीसं चेव सूरियाण सयं । सयलं मणुस्सलोयं चरेति एते पभासेंता ॥४९|| एक्कारस य सहस्सा छप्पिय सोला महग्गहाणं तु । छच्च सया छण्णउया णक्खत्ता तिण्णि य सहस्सा ।।५०।। अडसीइ सयसहस्सा चत्तालीस सहस्स मणुयलोगंमि । सत्त य सया अणूणा तारागणकोडकोडीणं ॥५१|| सोभं सोभेसु वा०, ‘एसो तारापिंडो सव्वसमासेण है मणुयलोगंमि । बहिया पुण ताराओ जिणेहिं भणिया असंखेज्जा ।।५२।। एवइयं तारग्गं जं भणियं माणुसंमि लोगंमि । चारं कलंबुयापुप्फसंठियं जोइसं चरइ ।।५३|| रविससिगहनक्खत्ता एवइया आहिया मणुयलोए। जेसिं नामागोयं न पागया पन्नवेहिति॥५४॥ छावट्ठी पिडगाइं चंदाइच्वाण मणुयलोगंमि। दो चंदा दो सूरा य होति एक्केक्कए पिडए ।।५५|| छावट्ठी पिडगाइं नक्खत्ताणं तु मणुयलोगंमि । छप्पन्नं होति नक्खत्ता य० ॥५६॥ छावट्ठी पिडगाई महग्गहाणं तु मणुयलोगंमि । छावत्तरं गहसयं च होइ० ॥५७।। चत्तारि य पंतीओ चंदाइच्चाण मणुयलोगंमि । छावट्ठिय छावट्ठिय होइ य एक्वेक्किया पंती॥५८॥ छप्पन्नं पंतीओ नक्खत्ताणं तु मणुयलोगंमि । छावट्ठी २ हवइय एक्वेक्किया पंती॥५९|| छावत्तरं गहाणं पंतिसयं होइ मणुयलोगंमि । छावट्ठी २ य होति एक्कक्किया पंती॥६०॥ ते मेरु परियडन्ता पयाहिणावत्तमंठला सव्वे। अणवट्ठियजोगेहिंचंदा सूरा गहगणा य॥६१॥ नक्खत्ततारगाणं अवट्ठिया मंडला मुणेयव्वा । तेऽविय पयाहिणावत्तमेव मेलं अणुचरंति ॥६॥ रयणियरदिणयराणं उड्ढे वअहे व संकमो नत्थि | मंड,संकमणं पुण अब्भितरबाहिरं तिरिए ॥६३|| रयणियरदिणयराणं नक्खत्ताणं महग्गहाणं च । चारविसेसेण भवे सुहदुक्खविही मणुस्साणं ।।६४॥ तेसिं पविसंताणं तावक्खेत्तं तु वड्डए नियमा। तेणेव कमेण पुणो परिहायइ निक्खमंताणं ॥६५|| तेसिं कलंबुयापुप्फसंठिया होइ तावखेत्तपहा।
अंतो य संकुया बाहि वित्थडा चंदसूरगणा ॥६६।। केणं वड्डति चंदो परिहाणी केण होइ चंदस्स । कालो वा जोण्हो वा केणऽणुभावेण चंदस्स ? ॥६७।। किण्हं .राहुविमाणं निच्चं चंदेण होइ अविरहियं । चउरंगुमप्पत्तं हिट्ठा चंदस्स तं चरइ ॥६८|| बावढि २ दिवसे २ उ सुक्कपक्खस्स । जं परिवड्डइ चंदो खवेइ तं चेव कालेणं
॥६९।। पन्नरसइभागेण य चंदं पन्नरसमेव तं वरइ । पन्नरसइभागेण य पुणोवि तं चेवऽतिक्कमइ ||७०|| एवं वड्डइ चंदो परिहाणी एव होइ चंदस्स। कालो वा जोण्हा वा
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श्री आगमगुणमंजूषा-९०८
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र ६७) 5555555555%8swer तेणऽणुभावेण चंदस्स ||७१|| अंतो मणुस्सखेत्ते हवंति चारोवगा य उववण्णा । पञ्चविहा जोइसिया चंदा सूरा गहगणा य ॥७२॥ तेण परं जे सेसा चंदाइच्चगहतारनक्खत्ता । नत्थि गइ नवि चारो अवट्ठिया ते मणुयव्वा ||७३|| दो चंदा इह दीवे चत्तारि य सागरे लवणतोए। धायइसंडे दीवे बारस चंदा य सूरा य ॥७४|| दो दो जंबुद्दीवे ससिसूरा दुगुणिया भवे लवणे (पा० एगो जंबुदीवे दुगुणा लवणे चउग्गुणा होति) । लावणिगा य तिगुणिया ससिसूरा धायईसंडे ॥७५।। धायइसंडप्पभिई उद्दिकृतिगुणिया भवे चंदा । आइल्लचंदसहिया अणंतराणंतरे खेत्ते ||७६|| रिक्खग्गहतारगं दीवसमुद्दे जहिच्छसे नाउं । तस्स ससीहिं गुणियं रिक्खग्गहतारगाणं तु ॥७७|| चंदातोसूरस्स य सूरा चंदस्स अंतरं होइ । पन्नास सहस्साइं तु जोयणाणं अणूणाई ॥७८।। सूरस्स य सूरस्स य ससिणो २ य अंतरंई होइ । बहियाओ माणुसनगस्स जोयणाणं सयसहस्सं ॥७९|| सूरंतरिया चंदा चंदंतरिया य दिणयरा दित्ता। चित्तंतरलेसागा सुहलेसा मंदलेसा य ।।८०।। अट्ठासीइं च गाहा अट्ठावीसं च होति नक्खत्ता । एगससीपरिवारो एत्तो ताराण वोच्छामि ॥८१|| छावट्ठिसहस्साई नव चेव सयाइं पंचसयराइं । एगससीपरिवारो तारागणकोडिकोडीणं ॥८२।। बहियाओ माणुसनगस्स चंदसूराणऽवट्ठिया जोगा। चंदा अभीइजुत्ता सूरा पुण होति पुस्सेहिं ।।८३|| १७८ । माणुसुत्तरे णं भंते !
पव्वते केवतियं उडुंउच्चत्तेणं केवतियं उव्वेहेणं केवतियं मूले विक्खम्भेणं केवतियं मज्झे विक्खंभेणं केवतियं सिहरे विक्खंभेणं केवतियं अंतो गिरिपरिरएणं केवतियं + बाहिं गिरिपरि० केवतियं मज्झे गिरिपरिरएणं केवतियं उवरि गिरिपरिरएणं?, गो० ! माणुसुत्तरे णं पव्वते सत्तरस एक्वीसाइं जोयणसयाइं उड्डंउच्चत्तेणं चत्तारि
तीसे जोयणसए कोसं च उव्वेहेणं मूले दसबावीसे जोयणसते विक्खंभेणं मज्झे सत्ततेवीसे जोयणसते विक्खंभेणं उवरि चत्तारिचउवीसे जोयणसते विक्खंभेणं अंतो गिरिपरिरएणं- एगा जोयणकोडी बायालीसं च सयसहस्साई तीसं च सहस्साई दोण्णि य अउणापण्णे जोयणसते किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं ॥ बाहिरगिरिपरिरएणं एगा जोयणकोडी बायालीसं च सतसहस्साइं छत्तीसंच सहस्साइं सत्त चोदसोत्तरे जोयणसते परिक्खेवेणं मज्झे गिरिपरिरएणं एगा जोयणकोडी बायालीसं च सतसहस्साइं चोतीसं च सहस्सा अट्ठतेवीसे जोयणसते परिक्खेवेणं उवरि गिरिपरिरएणं एगा जोयणकोडी बायालीसं च सयसहस्साइं बत्तीसे नव य बत्तीसे जोयणसते परिक्खेवेणं, मूले विच्छिन्ने मज्झे संखित्ते उप्पिं तणुए अंतो सण्हे मज्झे उदग्गे बाहिं दरिसणिज्ने ईसिं सण्णिसण्णे सीहणिसाई अवद्धजवरासिसंठाणसंठिते सव्वजंबूणयामए अच्छे सण्हे जाव पडिरूवे, उभओपासिं दोहिं पउमवरवेदियाहिं दोहि य वणसंडेहिं सव्वतो समंता संपरिक्खित्ते वण्णओ दोण्हवि, से केणतुणं भंते ! एवं वुच्चति- माणुसुत्तरे पव्वते २?, गो० ! माणुसुत्तरस्स णं पव्वतस्स अंतो मणुया उप्पिं सुवण्णा बाहिं देवा अदुत्तरं च णं गो० ! मणुसुत्तरपव्वतं मणुया ण कयाई वीतिवइंसु वा वीतिवयंति वा वीतिवइस्संति वा णण्णत्थ चारणेहिं वा बिज्जाहरेहिं वा देवकम्मुणा वावि. से तेणतुणं गो!, अदुत्तरं चणं जाव णिच्चेत्ति, जावं च णं माणुसुत्तरे पव्वते तावं च णं अस्सिलोएत्ति पवुच्चति जावं च णं वासातिं वासधरातिं वा तावं च णं अस्सिंलोएत्ति पवुच्चति जावं च णं गेहाइवा गेहावणाति वा तावं च णं अस्सिलोएत्ति पवुच्चति जावं च णं गामाति वा जाव रायहाणीति वा तावं च णं अस्सिलोएत्ति पवुच्चति जावं च णं अरहंता चक्कवट्टी बलदेवा वासुदेवा पडिवासुदेवा चारणा विज्जाहरा समणा समणीओ सावया सावियाओ मणुया पगतिभद्दगा विणीता तावं च णं अस्सिंलोएत्ति पवुच्चति जावं च णं समयाति वा आवलियाति वा आणापाणूति वा थोवाइ वा लवाइ वा मुहत्ताइ वा दिवसाति वा अहोरत्ताति वा पक्खाति वा मासाति वा उदूति वा अयणाति वा संवच्छराति वा जुगाति वा वाससताति वा वाससहस्साति वा वाससयसहस्साई वा पुव्वंगाति वा पुव्वाति वा तुडियंगाति वा एवं पुव्वे तुडिए अडडे अववे हूहुए उप्पले पउमे णलिणे अच्छिणिउरे अउते णउते पउते चूलिया सीसपहेलिया जावय सीसपहेलियंगेति वा सीसपहेलियाति वा पलिओवमेति वा सागरोवमेति वा उस्सप्पिणीति वा ओसप्पिणीति वा तावं च णं अस्लिोगेत्ति पवुच्चति जावं च णं बादरे विज्जुकारे पायरे थणियसद्दे तावं च णं अस्सिं० जावं च णं बहवे ओराला
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5555555555555श्री आगमगुणमंजूषा - ९०९555555555555555555555555TOR
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(१४) जीवाजीवाभिगम (३) पडिवत्ति (च.) दीवसमुद्द६८]
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बलाहका संसेयंति संमुच्छंति वासं वासंति तावं च णं अस्सिंलोए० जावं च णं बायरे तेउकाए तावं च णं अस्सिंलोए० जावं च णं आगराति वा नदीउ(खणी)इ वा णिहीति वा तावं च अस्सिंलोगित्ति पवुच्चति जावं च णं अगडीति,वीणदीति वा तावं च णं अस्सिंलोए० जावं च णं चंदोवरागाति वा सूरोवरागाति वा चंदपरिवेसाति वा सूरपरिवेसाति वा पडिचंदाति वा पडिसूराति वा इंदधणूइ वा उदगमच्छेइ वा कपिहसिताणि वा तावं च णं अस्लिोगेति प०, जावं च णं चंदिमसूरियगहणक्खत्ततारारूवाणं अभिगमणनिग्गमणवुड्विणिकड्डिअणवट्टियसंठाणसंठिती आघविज्जति तावं च णं अस्सिंलोएत्ति पवुच्चति ।१७९/ अंतो णं भंते ! मणुस्सखेत्तस्सजे चंदिमसूरियगहगणणक्खत्ततारारूवा तेणं भदन्त ! देवा किं उड्डोववण्णगा कच्चीववण्णगा विमाणोववण्णगा चारोववण्णगा चारद्वितीया गतिरतिया गतिसमावण्णगा ?, गो० ! ते णं देवा णो उड्डोववण्णगा णो कप्पोव० विमाणोव० चारोव० नो चारद्वितीया गतिरतिया गतिसमावण्णगा उड्डूंमुहकलंबुक पुप्फ संठाणसंठितेहिं जोयणसाहस्सिते हिं तावखेत्तेहिं साहस्सियाहिं बाहिरियाहिं वे उब्वियाहिं परिसाहिं महयाहयनट्टगीतवादिततंतीतलतालतुडियघणमुइंगपडुप्पवादितरवेणं दिव्वाइंभोगभोगाई भुंजमाणा महया उक्कट्ठिसीहणायबोलकलकलसद्देणं विपुलाइंभोगभोगाई मुंजमाणा अच्छयपव्वयरायं पदाहिणावत्तमंडलयारं मेलं अणुपरियडंति, तेसिं णं भंते ! देवाणं इंदे चवति से कहमिंदाणिं पकरेंति ?, गो० ! ताहे चत्तारिपंच सामाणिया तं ठाणं उवसंपज्जित्ताणं विहरंति जाव तत्थ अन्ने इंदे उववण्णे भवति, इंदट्ठाणे णं भंते ! केवतियं कालं विरहिते उववातेणं ?, गो० ! जह० एक्कं समयं उक्को० छम्मासा, बहिया णं भंते ! मणुस्सखेत्तस्स जे चंदिमसूरियगहणक्खत्ततारारूवा ते णं भंते ! देवा उड्डोव० कप्पोव० विमाणोव० चारोव० चारद्वितीया गतिरतिया गतिसमावण्णगा ?, गो० ! ते णं देवा णो उड्डोव० नो कप्पोव० विमाणोव० नो चारोव० चारद्वितीया नो गतिरतिया नो गतिसमावण्णगा पक्किगट्ठसंठाणसंठितेहिं जोयणसतसाहस्सिएहिं तावक्खेत्तेहि साहस्सियाहि य बाहिराहिं वेउव्वियाहिं परिसाहिं महताहतणट्टगीयवाइयरवेणं दिव्वाइं भोगभोगाई भुंजमाणा सुहलेस्सा सीयलेस्सा मंदलेस्सा मंदायवलेस्सा चित्तंतरलेसागा कूडाइव ठाणट्ठिता अण्णोण्णसमोगाठाहिँ लेसाहिं ते पदेसे सव्वतो समंता ओभासेंति उज्जोवेति तवंति पभासेति, जया णं भंते ! तेसिं देवाणं इंदे चयति से कहमिदाणिं पकरेति ?, गो० ! जाव चत्तारिपंच सामाणिया तं ठाणं उवसंपज्जित्ताणं विहरंति जाव तत्थ अण्णे उववण्णे भवति, इंदट्ठाणे णं भंते ! केवतियं कालं विरहओ उवावातेणं० ?, गो० ? जह० एक्कं समयं उक्को० छम्मासा ।१८०। पुक्खरवरण्णं दीवं पुक्खरोदे णामं समुद्दे वट्टे वलयागारसंठाणसंठिते जाव संपरिक्खिवित्ताणं चिट्ठति, पुक्खरोदेणं भंते ! समुद्दे केवतियं चक्कवालविक्खंभेणं केवतियं परिक्खेवेणं पं०?, गो० ! संखेज्जाइं जोयणसयसहस्साइं चक्कवालविक्खंभेणं संखेज्जाइं जोयणसयसहस्साई परिक्खेवेणं पं०, पुक्खरोदस्स णं समुदस्स कति दारा पं०?, गो०! चत्तारि दारा पं० तहेव सव्वं पुक्खरोदसमुद्दपुरत्थिमपेरंते वरुणवरदीवपुरस्थिमद्धस्स पच्चत्थिमेणं एत्थ णं पुक्खरोदस्स विजए नामं दारे पं०, एवं सेसाणवि, दारंतरंमि संखेज्जाइं जोयणसयसहस्साइं अबाहाए अंतरे पं०, पदेसा जीवा य तहेव, सेकेणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चति- पुक्खरोदे समुद्दे २१, गो० ! पुक्खरोदस्स णं समुद्दस्स उदगे अच्छे पत्थे जच्चे तणुए फलिहवण्णाभे पगतीए उदगरसेणं सिरिधरसिरिप्पभा य दो देवा जाव महिड्डीया जाव पलिओवमटिठतीया परिवसंति, से एतेणद्वेणं जाव णिच्चे, पुक्खरोदे णं भंते ! समुद्दे केवतिया चंदा पभासिंसु वा ?,संखेज्जा चंदा पभासेंसु वा जाव तारागणकोडीकोडीउ सोभेसु वा०, पुक्खरोदे णं समुद्दे वरुणवरेणं दीवेणं संपरि० वट्टे वलयागारे जाव चिट्ठति, तहेव समचक्कवालसंठिते, केवतियं चक्कवालविक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेण पं०?, गो० ! संखिज्जाई जोयणसहस्साई चक्कवालविक्खंभेणं संखेजज्जाइंजोयणसतसहस्साई परिक्खेवेणं पं०, पउमवरवेदियावणसंडवण्णओ दारंतरं पदेसा जीवा तहेव सव्वं, सेकेणतुणं भंते ! एवं वुच्चइ-वरुणेवरे दीवे २१,गो०! वरुणवरेणं दीवे तत्थ २ देसेतहिं २ बहुइओ खुड्डाखुड्डियाओ जाव बिलपंतियाओ अच्छाओ पत्तेयं २ पउमवरवेइयापरि०
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GEducation international 2010-03 ROLO555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा-९१05555555555555555555555594GIOR
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(१४) जीवाजीवाभिगम (पडिवत्ति (प.) दीवसमुह [६९] kxxxxxxxxxsexog वण० वारुणिवरोदगपडिहत्थाओ पासातीताओ०, तासु णं खुड्डाखुड्डियासु जाव बिलपंतियासु बहवे उप्पायपव्वता जाव खडहडगा सव्वफलिहामया अच्छा तहेव वरुणवरुणप्पभा य एत्थ दो देवा महिड्डीया० परिवसंति से तेणद्वेणं जाव णिच्चे, जोतिसं सव्वं संखेज्जगेणं जाव तारागणकोडिकोडीओ, वरुणवरण्णं दीवं वरुणोदे णामं समुद्दे वट्टे वलया० जाव चिट्टति, समचक्क० नो विसमचक्कवालवि० तहेव सव्वं भाणियव्वं, विक्खंभपरिक्खेवो संखिज्जाई जोयणसयसहस्साई दारंतरं च पउमवर० वणसंडे पएसा जीवा अट्ठो गो० ! वारुणोदस्स णं समुद्दस्स उदए से जहानामए चंदप्पभाइ वा वरसीधुवारुणीइ वा पत्तासवेइ वा पुप्फासवेइ वा चोयासवेइ वा फलासवेइ वा महुमेरएइ वा जातिपसन्नाइ वा खज्जूरसारेंइ वा मुद्दियासारेइ वा कापिसायणीइ सुपक्कखोयरसेइ वा पभूतसंभारसंचिता पोसमाससतभिसयजोगवत्तिता निरुवहतविसिट्ठदिन्नकालोवयारा सुधोता उक्कोसग(मयपत्ता) अट्ठपिट्ठपुट्ठा (पिट्ठनिट्ठिजा) मुखइंतवरकिमिविदिएकद्दमा कापसन्ना अच्छा वरवारुणी अतिरसा जंबूफलपुट्ठवन्ना सुजाता ईसिउट्ठावलंबिणी अहियमधुरपेज्जा ईसासिरत्तणेत्ता कोमलकवोलकरणी जाव आसादिता विस्सादिता अणिहुयसंलावकरणहरिसपीतिजणणी संतोसततबिबोक्कहावविब्भमविलासवेल्लहलगमणकरणी वीराणमधियसत्तजणणीय होति संगामदेसकाले कयरणसमरपसरकरणी कडिढयाण विज्जुपयतिहिययाण मउयकरणी य होति उववेसिता समाणा गतिं खलावेति य सयलंमिवि सुभासवुप्पीलिया समरभग्गवणो-सहयारा सुरभिरसदीविया सुगंधा आसायणिज्जा विस्सायणिज्जा पीणणिज्जा दप्पणिज्जा मयणिज्जा सव्विंदियगातपल्हायणिज्जा आसला मांसला पेसला (ईसी ओट्ठावलंबिणी ईसी तंबच्छिकरणी ईसीवोच्छेया कडुआ) वण्णेणं उववेया गंधेणं उववेया रसेणं उववेया फासेणं उववेया, भवे एयारूवे सिया?, गो० ! नो इणढे समढे, वारूणस्सणं समुदस्स उदए एत्तो इट्टतरे जाव उदए, से एएणद्वेणं एवं वुच्चति०, तत्थ णं वारूणिवारूणकता देवा महिड्ढीया जाव परिवसंति से एएणद्वेणं जाव णिच्चे, सव्वं जोइसं संखिज्जकेण नायव्वं, वारूणवरे णं दीवे कइ चंदा पभासिंसु वा० ११८१। वारूणवरण्णं समुदं खीरवरे णामं दीवे वट्टे जाव चिट्ठति सव्वं संखेजमं विक्खंभे य परिक्खेवो य जाव अट्ठो, बहूओ खुड्डा० वावीओ जाव सरसरपंतियाओ खीरोदगपडिहत्थाओ पासातीयाओ०, तासु णं खुडिडयासु जाव बिलपंतियासु बहवे उप्पायपव्वयगा० सव्वरयणामया जाव पडिरूवा, पुंडरीगपुक्खरदंता य एत्थ दो देवा महिड्ढीया जाव परिवसंति से तेणद्वेणं जाव निच्चे, जोतिसं सव्वं संखेनं, खीरवरण्णं दीवं खीरोए नामं समुद्दे वट्टे वलयागारसंठाणसंठिते जाव परिक्खिवित्ताणं चिट्ठति, समचक्कवालसंठिते नो विसमचक्कवालसंठिते, संखेज्जाई जोयणसय० विक्खंभपरिक्खेवो तहेव सव्वं जाव अट्ठो, गो० ! खीरोयस्स णं समुद्दस्स उदगं से जहाणामए-सुउसुहीमारूपण्णअज्जुणतरूणसरसपत्तकोमलअत्थिग्गत्तणग्गपोंडगवरूच्छुचारिणीणं लवंगपत्तपुप्फ पल्ल वक को लगसफ लरू क् ख बहु गुच्छ- गुम्मक लितमल ट्ठि मधु पयु रपिप्पलीफ लित वल्लि वरविवरचारिणीणं अप्पोदगपीतसइरससमभूमिभागणिब्भयसुहोसियाणं सुप्पेसितसुहातरोगपरिवज्जिताणं णिरूवहतसरीरीणं कालप्पसविणीणं बितियततियसामप्पसूताणं अंजणवरगवलवलयजलधरजच्चंजणरिट्ठभमरपभूयसमप्पभाणं कुंडदोहणाणं वद्धत्थीपत्थुताण रूढाणं मधुमासकाले संगहिनेहो अज्जचातुरक्व होज्ज तासिं खीरे मधुररसे विगच्छबहुदव्वसंपउत्ते पत्तेयं मंदग्गिसुकडिढते खंडगुडमच्छंडितोववेते रण्णो चाउरंतचक्कवट्टिस्स उवट्ठविते आसायणिज्जे० पल्हातणिज्जे जाव वण्णेणं उववेते जाव फासेणं, भवे एयारूवे सिया ?. णो इणढे समढे, खीरोदस्स णं से उदए एत्तो इट्ठयराए चेव जाव आसाएणं पं०, विमलविमलप्पभा य एत्थ दो देवा महिड्ढीया जाव परिवसंति से तेणद्वेणं०, संखेज्जा चंदा जाव तारा०।१८। खीरोदण्णं समुदं घयवरे णामंदीवे वट्टे वलयागारसंठाणसंठिते जाव परिचिट्ठति समचक्कवाल० नो विसम० संखेजविक्खंभपरि० पदेसा जाव अट्ठो, गो० ! घयवरे णं दीवे तत्थ २ बहवे खुड्डाखुड्डीओ वावीओजाव घयोदगपडिहत्थाओ
उप्पायपव्वयगा जाव खडहड० सव्वकंचणमया अच्छा जाव पडिरूवा, कणयकणयप्पभा य एत्थ दो देवा महिड्ढीया०, चंदा संखेज्जा, घयवरण्णं दीवं च घतोदे ५ णाम समुद्दे वट्टे वलयागारसंठाणसंठिते जाव चिट्ठति, समचक्क० तहेव दारा पदेसा जीवा य अट्ठो, गो० ! घयोदगस्स णं समुद्दस्स उदए से जहा० ROO F
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(१४) जीवाजीवाभिगम (३) पडिवत्ति (च.) दीव समुह
(७०]
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पप्फुल्लसल्लइविमुक्कलकण्णिया रसरसवसुविबुद्धकोरेट दामपिडिततरस्स निद्धगुणते यदीवियनिरू वयविसिट्ठसुंदरतरस्स सुजायदहिमहियद्दिवसगहियनवणीयपडु वणावियमुक्क डिढयउद्दावसज्जवीसं दियस्स अहियं पीवरसुरहिगंधमणहरमहुरपरिणामदरिसणिज्जस्स पत्थनिम्मलसुहोवभोगस्स सरयकालंमि होज्ज गोधतवरस्स मंडए. भवे एतारूवे सिया ?. णो तिणढे समढे, गो० ! घतोदस्स णं समुदस्स एत्तो इठ्ठतरे जावई अस्साएणं पं० कंतसुकंता य एत्थ दो देवा महिड्ढीया जाव परिवसंति सेसं तं चेव जाव तारागणकोडाकोडीओ. घतोदयं णं समुई खोदवरे णामं दीवे वट्टे वलयागार जाव चिट्ठति तहेव जाव अट्ठो, खोतवरे णं दीवे तत्थ २ देसे तहिं २ खुड्डा० वावीओजाव खोदोदगपडिहत्थाओ उप्पातपव्वयता सव्ववेरूलियामया जाव पडिरूवा. सुप्पभमहप्पभा य एत्थ दो देवा महिड्ढीया जाव परिवसंति, से एतेण० सव्वं जोतिसं तं चेव जाव तारा०, खोयवरण्णं दीवं खोदोदे नाम समुद्दे वलया० जाव संखेनाइं जोयणसतस० परिक्खेवेणं जाव अट्टे, गो० ! खोदोदस्स णं समुदस्स उदए से० जहा आसलमांसलपसत्थवीसंतनिद्धसुकुमालभूमिभागे सुच्छिन्ने सुकठ्ठलट्ठविसिट्ठनिरूवहयाजीयवावीतसुकासजपयत्तनिउणपरिकम्मअणुपालियसुवुड्ढिवुड्ढाणं सुजाताणं लवणतणदोसवज्जियाणं णयायपरिवडिढयाणं निम्मातसुंदराणं रसेणं परिणयमउपीणपोरभंगुरसुजायमधुररसपुप्फविरइयाणं उवद्दवविवज्जियाणं सीयपरिफोसियाणं अभिण्णवतवग्गाणं अपालिताणं तिभायणिच्छोडियवाडिगाणं अवणीतमूलाणं गंठियपरिसोहिताणं कुसलणरकप्पियाणं उव्वणं जाव पोडियाणं बलवगणरजत्तन्तपरिगालितमेत्ताणं खोयरसे होज्जा
वत्थपरिभूए चाउज्जातगसुवासिते अहियपत्थलहुके वण्णोववेते तहेव, भवे एयारूवे सिया ?, णो तिणद्वे समढे, खोयरसस्स णं समुद्दस्स उदए एत्तो इट्टतरए चेव । मजाव आसाएणं पं० पुण्णभद्दमाणिभद्दा (पुण्णपुण्णभद्दा) य इत्थ दुवे देवा जाव परिवसंति, सेसं तहेव जोइसं संखेनं चंदा०।१८३। खोदोदण्णं समुई गंदीसरवरे,
णामं दीवे वट्टे वलयागारसंठिते तहेव जाव परिक्खेवो, पउमवर वणसंडपरि० दारा दारंतरप्पदेसे जीवा तहेव, सेकेणद्वेणं भंते !०, गो० ! देसे २ बहुओ खुड्डा० वावीओ जाव बिलपंतियाओ खोदोदगपहिहत्थाओ उप्पायपव्वयगा सव्ववइरामया अच्छा जाव पडिरूवा, अदुत्तरं च णं गो० ! णंदीसरदीवचक्कवालविक्खंभबहुमज्झदेसभागे एत्थ णं चउदिसिं चत्तारि अंजणगपव्वता पं०, ते णं अंजणपव्वयगा चतुरसीतिजोयणसहस्साई उड्ढंउच्चतेणं एगमेगंजोयणसहस्सं उव्वेहेणं मूले साइरेगाइं दस जोयणसहस्साई धरणियले दस जोयणसहस्साई आयामविक्खंभेणं ततोऽणंतरं च णं माताए २ पदेसपरिहाणीए परिहायमाणा २ उवरिं एगमेगं जोयणसहस्सं आयामविक्खंभेणं मूले एक्कतीसं जोयणसहस्साई छच्च तेवीस जोयणसते किंचिविसेसाहिए परिक्खेवेणं धरणियले
एक्कतीसं जोयणसहस्साइं छच्च तेवीसे जोयणसते देसूणे परिक्खेवेणं सिहरतले तिण्णि जोयणसहस्साई एक्वं च बावढं जोयणसतं किंचिविसेसाहियं परिक्खेवेणं मपं० मूले विच्छिण्णा मज्झे संखित्ता उप्पिं तणुया गोपुच्छसंठाणसंठिता सव्वंजणामया अच्छा जाव पत्तेयं २ पउमवरवेदियापरि० पत्तेयं वणसंडपरिक्खित्ता,
वण्णओ, तेसिंणं अंजणपव्वयाणं उवरि पत्तेयं २ बहुसमरमणिज्जो भूमिभागोपं०, सेजहाणामए-आलिंगपुक्खरेति वा जाव आसयंति०, तेसिंणं बहुसमरमणिज्जाणं भूमिभागाणं बहुमज्झदेसभाए पत्तेयं २ सिद्धायतणा एकमेकं जोयणसतं आयामेणं पण्णासं जोयणाई विक्खंभेणं बावत्तरि जोयणाई उड्ढंउच्चत्तेणं अणेगखंभसतसंनिविट्ठा वण्णओ, तेसिं णं सिद्धायतणाणं पत्तेयं २ चउद्दिसिं चत्तारि दारा पं० तं०-देवदारे असुरद्दारे णागद्दारे सुवण्णहारे, तत्थ णं चत्तारि देवा महिड्ढीया जाव पलिओवमद्वितीया परिवसंति, तं०-देवे असुरे णागे सुवण्णे, ते णं दारा सोलस जोयणाई उड्ढंउच्चत्तेणं अट्ठ जोयणाई विक्खंभेणं तावतियं चेव पवेसेणं सेता वरकणग० वन्नओ जाव वणमाला, तेसिंणं दाराणं चउद्दिसिं चत्तारिं मुहुमंडवा पं०, ते णं मुहमंडवा एगमेगं जोयणसतं आयामेणं पंचासं जोयणाई
विक्खंभेणं साइरेगाइं सोलस जोयणाई उड्ढंउच्चत्तेणं वण्णओ, तेसिंणं मुहमंडवाणं चउदि (तिदि) सिं चत्तारि (तिण्णि) दारा पं०, ते णं दारा सोलस जोयणाई र उड्ढंउच्चत्तेणं अट्ठ जोयणाइं विक्खंभेणं तावतियं चेव पवेसेणं सेसं तं चेव जाव वणमालाओ, एवं पेच्छाघरमंडवावि, तं चेव पमाणं जं मुहमंडवाणं, दारावि तहेव,, Ho
$##55555555555 #श्री आगमगुणमंजूषा - ९१२555555555555555555555SFOOR
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(१४) जीवाजीवाभिगम (३) पडिवत्ति (च) दीवसमुद्द [ ७१ ]
णवरि बहुमज्झदेसे पेच्छाघरमंडवाणं अक्खाडगा मणिपेढियाओ अद्धजोयणप्पमाणाओ सीहासणा अपरिवारा जाव दामा थमाई चउद्दिसि तहेव णवरि सोलसजोयणप्पमाणा सातिरेगाई सोलस जोयणाई उच्चा सेसं तहेव जाव जिणपडिमा, चेइयरूक्खा तहेव चउद्दिसिं तं चेव पमाणं जहा विजयाए रायहाणीए णवरि मणिपेढयाओ सोलसजोयणप्पमाणाओ, तेसिं णं चेइयरूक्खाणं चउद्दिसिं चत्तारि मणिपेढियाओ अट्टजोयणविक्खंभाओ चउजोयणबाहल्लाओ महिंदज्झया चउसट्ठिजोयणुच्चा जोयणोव्वेधा जोयणविक्खंभा सेसं तं चेव, एवं चउद्दिसिं चत्तारि णंदापुक्खरिणीओ णवरि खोयरसपडिपुण्णाओ जोयणसतं आयामेण पन्नासं जोयणाइं विक्खंभेणं पण्णासं जोयणाई उव्वेधेणं सेसं तं चेव, मणोगुलियाणं गोमाणसीण य अडयालीसं २ सहस्साइं पुरच्छिमेण सोलस पच्चत्थिमेणवि सोलस दाहिणेण अट्ठ उत्तरेणवि अट्ठ साहस्सीओ तहेव सेसं उल्लोया भूमिभागा जाव बहुमज्झदेसभागे, मणिपेढिया सोलस जोयणा आयामविक्खंभेणं अट्ठ जोयणाई बाहल्लेणं तारिसं मणिपीढियाणं उप्पिं देवच्छंदगा सोलस जोयणाई आयामविक्खंभेणं सातिरेगांइं सोलस जोयणाई उड्ढउच्चत्तेणं सव्वरयण० अट्ठसय जिणपडिमाणं सव्वो सो चेव गमो जहेव वेमाणियसिद्धायतणस्स, तत्थ णं जे से पुरच्छिमिल्ले अंजणपव्वते तस्स णं चउद्दिसिं चत्तारि णंदाओ पुक्खरिणीओ पं० तं०-दुत्तरा य णंदा आणंदा णंदिवद्धणा (नंदिसेणा अमोघा य, गोधूमा य सुदंसणा ), ताओ णंदापुक्खरिणीओ एगमेगं जोयणसतसहस्सं आयामविक्खंभेणं दस जोयणाई उव्वेहेणं अच्छाओ सण्हाओ पत्तेयं २ पउमवरवेदिया० पत्तेयं २ वणसंडपरिक्खित्ता तत्थ २ जाव सोवाणपडिरूवगा तोरणा, तासिं णं पुक्खारिणीणं बहुमज्झदेसभाए (तासिंणं पुक्खरिणीणं चउद्दिसिं चत्तारि वणसंडा पं० तं० पुरच्छिमेणं दाहिणेणं पच्चत्थिमेणं उत्तरेणं- 'पुव्वेण असोगवणं दाहिणतो होइ सत्तपण्णवणं । अवरेण चंपगवणं चूयवणं उत्तरे पासे || १॥ तासिं पा०) पत्तेयं २ दहिमुहपव्वया पं०, ते णं दहिमुहपव्वया चउसट्टी जोयणसहस्साइं उड्ढउच्चत्तेणं एगं जोयणसहस्सं वेणं सव्वत्थसमा पल्लगसंठाणसंठिता दस जोयणसहस्साइं विक्खंभेणं एक्कतीसं जोयणसहस्साइं छच्च तेवीसे जोयणसए परिक्खेवेणं पं० सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा तहा पत्तेयं २ पउमवरवेइया० वणसंडवण्णओ जाव आसयंति सयंति० सिद्धायतणं तं चेव पमाणं अंजणपव्वएस सच्चेव वत्तव्वया णिरवसेसा भाणियव्वा जाव उप्पिं अट्ठट्ठमंगलगा, तत्थ णं जे से दक्खिणिल्ले अंजणगपव्वते तस्स णं चउद्दिसिं चत्तारि णंदाओ पुक्खरिणीओ पं० तं० भद्दा य विसाला य कुमुया पुंडरीगिणी, (नन्दुत्तरा य नंदा, आनन्दा नन्दिवड्ढणा) तं चैव पमाणं ते चेव दहिमुहा पव्वया तं चेव पमाणं जाव सिद्धायतणा, तत्थ णं जे से पच्चत्थिमिल्ले अंजणगपव्वए तस्स णं चउदिसिं चत्तारि णंदा पुक्खरिणीओ पं० तं० णंदिसेणा अमोहा य, गोत्थूमा य सुदंसणा (भद्दा विसाला कुमुदा पुंडरीकिणी) तं चैव सव्वं भाणियव्वं जाव सिद्धायतणा, तत्थ णं जे से उत्तरिल्ले अंजणगपव्वते तस्स णं चउद्दिसिं चत्तारि णंदापुक्खरिणीओ पं० तं०- विजया वेजयंती जयंती अपराजिया, सेसं तव जाव सिद्धायतणा सव्वा सा चिय वण्णणा णातव्वा, तत्थ णं बहवे भवणवइवाणमंतरजोतिसियवेमाणिया देवा चाउम्मासियपाडिवएसु संवच्छरिएसु वा अण्णेसु बहूसु जिणजम्मणणिक्खमणणाणुप्पत्तिप-रिणिव्वाणमादिएसु य देवकज्जेसु य देवसमुदएसु य देवसमितीसु य देवसमवाएसु य देवपओयणेसु य एतओ सहिता समुवागता समाणा पमुदितपक्की लिया अट्ठाहितारूवाओ महामहिमाओ करेमाणा पालेमाणा सुहंसुहेणं विहरंति, कइलासहरिवाणा य तत्थ दुवे देवा महिड्ढीया जाव पलिओवमट्ठितीया परिवसंति, से एतेणट्टेणं गो० ! जाव णिच्चा, जोतिसं संखेज्जं । १८४ | मंदिस्सरवरण्णं दीवं णंदीसरोदे णामं समुद्दे वट्टे वलयागारसंठाणसंठिते जाव सव्वं तहेव अट्ठो जो खोदोदगस्स जाव सुमणसोमणसभद्दा य एत्थ दो देवा महिड्ढीया जाव परिवसंति सेसं तहेव जाव तारग्गं । १८५ । णंदीसरोदं समुदं अरूणे णामं दीवे वट्टे वलयागार जाव संपरिक्खिवित्ताणं चिट्ठति, अरूणे णं भंते! दीवे किं समचक्कवालसंठिते विसमचक्कवालसंठिए ?, गो० ! समचक्क० नो विसमचक्क०, केवतियं चक्कवालवि० १, संखेज्जाई जोयणसयसहस्साइं चक्कवालविक्खंभेणं संखेज्जाई जोयणसयसहस्साइं परिक्खेवेणं पं०, पउमवरवणसंडदारा दारंतरा य तहेव संखेज्जाइं जोयणसतसहस्साइं दारंतरं जाव अट्ठो, वावीओ खोतोदगपडिहत्थाओ उप्पातपव्वयका सव्ववइरामया अच्छा०,
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(१४) जीवाजीवाभिगम (३) पडिवत्ति (च.) दीवासमुद्द
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2 असोगवीतसोगा य एत्थ दुवे देवा महिड्ढीया जाव परिवसंति, से तेण जाव संखेज्ज सव्वं, अरूणण्णं दीवं अरूणोदे णामं समुद्दे तस्सवि तहेव परिक्खेवो अट्ठो
खोतोदगे णवरिं सुभद्दसुमणभद्दा य एत्थ दो देवा महिड्ढीया सेसं तहेव, अरूणोदगं समुई अरूणवरे णामं दीवे वट्टे वलयागारसंठाण० तहेव संखेज्जगं सव्वं जाव अट्ठो खोयोंदगपडिहत्थाओ उप्पायपव्वतया सव्ववइरामया अच्छा, अरूणवरभद्दअरूणवरमहाभद्दा य एत्थ दो देवा महिड्ढीया०. एवं अरूणवरोदेवि समुद्दे जाव देवा, अरूणवरअरूणमहावरा य एत्थ दो देवा सेसं तहेव, अरूणवरोदण्णं समुदं अरूणवरावभासे णामं दीवे वट्टे जाव देवा, अरूणवरावभासमभद्दारूणवरावभासमहाभद्दा य एत्थ दो देवा महिड्ढीया०, एवं अरूणवरावभासे समुद्दे णवरि देवा, अरूणवरावभासवरारूणवरावभासमहावरा य एत्थ दो देवा महिड्ढीया०, कुंडले दीवे कुंडलभद्दकुंडलमहाभद्दा य दो देवा महिड्ढीया०, कुंडलोदे समुद्दे चक्खुसुभचखुकंता य एत्थ दो देवा म०,कुंडलवरे दीवे कुंडलवरभद्दकुंडलवरमहाभद्दा य एत्थ दो देवा महिड्ढीया०, कुंडलवरोदे समुद्दे कांडलवर (वर) कुंडलवरमहावरा य एत्थ दो देवा म०, कुंडलवरावभासे दीवे कुंडलवरावभासभद्दकुंडलवरावभासमहाभद्दा य एत्थ दो देवा०, कुंडलवरोभासोदे समुद्दे कुंडलटरोभासवरकुंडलवरोभासमहावरा य एत्थ दो देवा म० जाव पलिओवमद्वितीया परिवसंति, कुंडलवरोभासं णं समुदं रूचगे णामं दीवे वट्टे वलया० जाव चिट्ठति, विसमचक्क० विसमचक्कवाल०?, गो० ! समचक्कवाल० नो विसमचक्कवालसंठिते, केवतियं चक्कवाल० पं०?, सव्वट्ठमणोरमा य एत्थ दो देवा सेसं तहेव, रूयगोदे ना मुद्दे जहा खोदोदे समुद्दे संखेज्जाइं जोयणसतसहस्साइं चक्कवालवि० संखेज्जाइंजोयणसतसहस्साइंपरिक्खेवेणं दारा दारंतरंपि संखेज्नाई जोतिसंपि सव्वं संज्ज भाणियव्वं, अट्ठोविजहेव खोदोदस्सनवरि सुमणसोमणसा य एत्थ दो देवा महिड्ढीया तहेव, रूयगाओ आढत्तं असंखेनं विक्खंभो परिक्खेवो दारा दारंतरं च जोइसं च सव्वं असंखेजं भाणियव्वं, रूयगोदण्णं समुई रूयगवरे णं दीवे वट्टे रूयगवरभद्दरूयगवरमहाभद्दा य एत्थ दो देवा रूयगवरोदे रूयगवर (वर) रूयगवरमहावरा य एत्थ दो देवा महिड्ढीया० रूयगवरावभासे दीवे ॥ रूयगवरावभासभद्दरूयगवरावभासमहाभद्दा य एत्थ दो देवा महिड्ढीया०, रूयगवरावभासे समुद्दे रूयगवरावभासवररूयगवरावभासमहावरा य एत्थ० हारद्दीवे हारभद्दहारमहाभद्दा एत्थ० हारसमुद्दे हारवरहारमहावरा य एत्थ दो देवा महिड्ढीया हारवरोदे० हारवरभद्दहारवरमहाभद्दा एत्थ दो देवा महिड्ढीया० हारवरोए समुद्दे हारवरवरहारवरमहावरा एत्थ० हाइवरावभासे दीवे हारवरावभासभद्दहारवरावभासमहाभद्दा एत्थ० हारवरावभासोए समुद्दे हारवरावभासवरहारवरावभासमहावरा य एत्थ० एवं सव्वेवि तिपडोयारा णेतव्वा जाव सूरवरोभासोए समुद्दे, दीवेसुभद्दनामा वरनामा होति उदहीसुजाव पच्छिमभावं च, खोतवरादीसु सयंभूरमणपज्जतेसु वावीओ खोओदगपडिहत्थाओ पव्वयका य सव्ववइरामया देवदीवे दीवे दो देवा महिड्ढीया० देवभद्ददेवमहाभद्दा एत्थ० देवोदे समुद्दे देववरदेवमहावरा एत्थ० जाव सयंभूरमणे दीवें सयंभूरमणभद्दसयंभूरमणमहाभद्दा एत्थ दो देवा महिड्ढीया० सयंभूरमणण्णं दीवं सयंभूरमणोदे नामं समुद्दे वट्टे वलया० जाव असंखेज्जाइं जोयणसतसहस्साई परिक्खे वेणं जाव अट्ठो, गो० ! सयंभूरमणोदए उदए अच्छे पत्थे जच्चे तणुए फलिहवण्णाभे पगतीए उदगरसेणं पं०, सयंभूरमणवरसयंभूरमणमहावरा य इत्थ दो देवा महिड्ढीया सेसं तहेव जाव असंखेज्जाओ तारागणकोडिकोडीओ सोभेसु वा०।१८६। (१६४) केवइया णं भंते ! जंबुद्दीवा णामधेज्जेहिं पं०?, गो० ! असंखेज्जा जंबुद्दीवा नामधेज्जेहिं पं०, केवतिया णं भंते ! लवणसमुद्दा पं०?, गो० ! असंखेज्जा लवणसमुद्दा नामधेज्जेहिं पं०, एवं धायतिसंडावि, एवं जाव असंखेजा सूरदीवा नामधेज्जेहिं, एगे देवे दीवे पं० एगे देवोदे समुद्दे पं०, एवं णागे जक्खे भूते जाव एगे सयंभूरमणसमुद्दे णामधेज्जेणं पं० ।१८७। लवणस्स णं भंते ! समुद्दस्स उदए के रिसए अस्साएणं पं० ?, गो० ! लवणस्स उदए आइले रइले लिंदे लवणे कडुए, अपेज्जे बहूणं
दुपंयचउप्पयमिगपसुपक्खिसरिसवाणं णण्णत्थ तज्जोणियाणं सत्ताणं, कालोयस्स णं भंते ! समुद्दस्स उदए केरिसए अस्साएणं पं० ?, गो० ! आसले पेसले २ मांसले कालए मासरासिवण्णाभे पगतीए उदगरसेणं पं०, पुक्खरोदगस्सणं भंते ! समुद्दस्स उदए केरिसए पं०?, गो० ! अच्छे जच्चे तणुए फालियवण्णाभे पगतीए xerc 5 555555
श्री आगमगुणमजूषा - ९१४5555555555555555555FOTOR
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HORRO555555555555585M (१४) जीवाजीवाभिगम (३) पढिवत्ति (च.) दीवसमुह । इंदियविसये
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Pउदगरसेणं पं०, वरूणोदस्स णं भंते ! ०१, गो० ! जहाणामए-पत्तासवेति वा चोयासवेति वा खजूरसारेति वा मुद्दियासारेति सुपितखोतरसेति वा मेरएति वा।
कालिसायणेति वा चंदप्पभाति वा मणिसिलाति वा वरसीधूति वा पवरवारूणी वा अट्ठपिट्ठपरिणिहिताति वा जंबूफलकालिया वरप्पसण्णा उक्कोसमदप्पत्ता ईसिउट्ठवलंबिणी ईसितंबच्छियकरणी ईसिवोच्छेयकरणी आसला मांसला पेसला वण्णेणं उववेता जाव णो तिणढे समढे, वारूणे उदए इत्तो इठ्ठतरए चेव जाव अस्साएणं पं०, खीरोदस्स णं भंते ! उदए केरिसए अस्साएणं पं०?, गो० ! से जहाणामए-रन्नो चाउरंतचक्कवट्टिस्स चाउरक्के गोखीरे पज्जत्तिमंदग्गिसुकडिढते आउत्तरखंडमच्छंडितोववेते वण्णेणं उववेते जाव फासेण उववेए, भवे एयारूवे सिया?, णो तिणढे समटे, गो० ! खीरोयगस्स० एत्तो इट्ठ जाव अस्साएणं पं०, घतोदस्स णं से जहाणामए सारतिकस्स गोघयवरस्स मंडे सल्लइकण्णियारपुप्फवण्णाभे सुकड्डितउदारसज्झवीसंदिते वण्णेणं उववेते जाव फासेण य उक्वेए, भवे एयारूवे सिया ?, णो तिणढे समढे, इत्तो इट्ठयरे०, खोदोदस्स से जहाणामए उच्छूणं जच्चपुंडकाणं हरियालपिंडराणं भेरुंडछणाण वा कालपोराणं तिभागनिव्वाडियवाडगाणं बलवगणरजतपरिगालियमित्ताणं जं च रसे होजा वत्थपरिपूएचाउज्जातगसुवासिते अहियपत्थे लहुए वण्णेणं उववेए जाव नेयारूवे सिया ?, णो तिणढे समढे, एत्तो इट्ठयरा०, एवं सेसगाणवि समुद्दाणं भेदो जाव सयंभूरमणस्स, णवरि अच्छे जच्चे पत्थे जहा पुक्खरोदस्स। कति णं भंते ! समुद्दा पत्तेगरसा पं०?, गो० ! चत्तारि समुद्दा पत्तेगरसा पं० तं०-लवणे वरूणोदे खीरोदे घयोदे, कति णं भंते ! समुद्दा पगतीए उदगरसेणं पं०?, गो० ! तओ समुद्दा पगतीए उदगरसेणं पं० तं०-कालोए पुक्खरोए सयंभूरमणे, अवसेसा समुद्दा उस्सण्णं खोतरसा पं० समणाउसो!।१८८। कतिणं भंते ! समुद्दा बढुमच्छकच्छभाइण्णा पं० ?, गो० ! तओ समुद्दा बहुमच्छकच्छभाइण्णा पं० सं०-लवणे कालोए सयंभूरमणे, अवसेसा समुद्दा अप्पमच्छकच्छभाइण्णा पं०, लवणे णं भंते ! समुद्दे कति मच्छजातिकुलकोडिजोणीपमुहसयसहस्सा पं०१, गो० ! सत्त मच्छजातिकुलकोडीजोणीपमुहसतसहस्सा पं०, कालोएणं भंते ! समुद्दे कति मच्छजाति० पं०१, गो०! नव मच्छजातिकुलकोडीजोणी०, सयंभूरमणे णं भंते ! समुद्दे०, अद्धतेरस मच्छजातिकुलकोडीजोणीपमुहसतसहस्सा पं०, लवणे णं भंते ! समुद्दे मच्छाणं केमहालिया सरीरोगाहणा पं०?, गो० ! जहण्णेणं अंगुलस्स असंखेजतिभागं उक्को० पंचजोयणसयाई, एवं कालोए उक्को० सत्तं जोयणसताइं सयंभूरमणे दस जोयणसताई।१८९। केवतिया णं भंते ! दीवसमुद्दा नामधेज्जेहिं पं०?, गो० ! जावतिया लोगे सुभा णामा सुभा वण्णा जाव सुभा फासा एवतिया दीवसमुद्दा नामधेज्जेहिं पं०, केवतिया णं भंते ! दीवसमुद्दा उद्धारसमएणं पं०?, गो० ! जावतिया अड्ढाइज्जाणं सागरोवमाणं उद्धारसमया एवतिया दीवसमुद्दा उद्धारसमएणं पं०।१९०दीवसमुद्दाणं भंते ! किं पुढवीपरिणामा आउपरिणामा जीवपरिणामा पुग्गलपरिणामा?, गो० ! पुढवीपरिणामावि आउ० जीव० पुग्गल०, दीवसमुद्देसु णं भंते ! सव्वपाणा सव्वभूया सव्वजीवा सव्वसत्ता पुढवीकाइयत्ताए जाव तसकाइयत्ताए उववण्णपुव्वा ?, हंता गो० ! असति अदुवा अणंतखुत्तो ।१९१।' *इति दीवसमुद्दा समत्ता॥ *** कतिविहे णं भंते ! ★★★ इंदियविसए पोग्गलपरिणामे **पं० ?, गो० ! पंचविहे इंदियविसए
पोग्गलपरिणामे पं० तं०-सोतिदियविसएजाव फासिदियविसए, सोतेदियविसएणंभंते ! पोग्गलपरिणामे कतिविहे पं०?, गो०! दुविहे पं०२०-सुब्भिसद्दपरिणाम ॥ य दुब्भिसद्दपरिणामे य, एवं चक्खिदियविसयादिएहिवि सुरूवपरिणामे य दुरूवपरिणामे य, एवं सुब्भिगंधपरिणामे य दुब्भिगंधपरिणामे य, एवं सुरसपरिणामे य
दुरसपरिणामे य, एवं सुफासपरिणामे य दुफासपरिणामे य, से नूणं भंते ! उच्चावएसु सद्दपरिणामेसु उच्चावएसु रूवपरिणामेसु एवं गंधपरिणामेसु रसपरिणामेसु म फासपरिणामेसु परिणममाणा पोग्गला परिणमंतीति वत्त सिया ?, हंता गो० ! उच्चावएसु सद्दपरिणामेसु परिणममाणा पोग्गला परिणमंतित्ति वत्तव्वं सिया, से णूणं # भंते ! सुब्भिसद्दा पोग्गला दुब्भिसहत्ताए परिणमंति दुब्भिसद्दा पोग्गला सुब्भिसद्दत्ताए परिणमंति?, हंता गो० ! सुब्भिसद्दा दुब्भिसद्दत्ताए परिणमंति दुन्भिसद्दाम 9 सुब्भिसद्दत्ताए परिणमंति, से णूणं भंते ! सुरूवा पुग्गला दूरूवत्ताए परिणमंति दुरूवा पुग्गला सुरूवत्ताए०?, हंता गो० !, एवं सुब्भिगंधा पोग्गला दुब्भिगंधत्ताए . xoxof55 5555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ९१५ 9595555555555555555555555555
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(१४) जीवाजीवाभिगम (३) पडिवत्ति (च) देवाधिकारो (जोइस)
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परिणमंति दुब्भिगंधा पोग्गला सुब्भिगंधत्ताए परिणमंति ?, हंता गो० !, एवं सुफासा दुफासत्ताए ?, सुरसा दूरसत्ताए० १, हंता गो० ! । १९२ ★ ★ ★ देवाधिकारो (जोइस) ★★★ देवे णं भंते ! महिड्ढीए जाव महाणुभागे पुव्वामेव पोग्गलं खिवित्ता पभू तमेव अणुपरियट्टित्ताणं गिण्हित्तए ?, हंता पभू, से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चति देवेणं महिड्ढीए जाव गिण्हित्तए ?. गो० ! पोग्गले खित्ते समाणे पुव्वामेव सिग्घगती भवित्ता तओ पच्छा मंदगती भवति देवे णं महिड्ढीए जाव महाणुभागे पुव्विपि पच्छावि सीहे सीहगती (तुरिए तुरियगती) चेव से तेणट्टेणं गो० ! एवं वुच्चति जाव एवं अणुपरियट्टित्ताणं गेण्हित्तए, देवे णं भंते ! महिड्ढीए० बाहिरए पोग्गले अपरियाइत्ता पुव्वामेव वालं अच्छित्ता अभेत्ता पभू गंठित्तए ?, नो इणट्ठे समट्ठे, देवे णं भंते! महिडिढए० बाहिरए पुग्गले अपरियाइत्ता पुव्वामेव वालं छित्ता भित्ता पभू गंठित्तए ?, नो इणट्टे समट्ठे, देवे णं भंते ! महिड्ढीए० बाहिरए पुग्गले परियाइत्ता पुव्वामेव वालं अच्छित्ता अभित्ता पभू गंठित्तए ?, नो इणट्ठे समट्ठे, देवे भंते ! महिड्ढीए जाव महाणुभागे बाहिरे पोग्गले परियाइत्ता पुव्वामेव वालं छेत्ता भेत्ता पभू गंठित्तए ?. हंता पभू, तं चेव णं गंठि छउमत्थे ण जाणति ण पास्त्रति सुमं चणं गढिया, देवे णं भंते ! महिड्ढीए० पुव्वामेव वालं अच्छेत्ता अभेत्ता पभू दीहीकरित्तए वा हस्सीकरित्तए वा ?, नो तिणट्ठे समट्ठे, एवं चत्तारिवि गमा, पढमबिइयभंगेसु अपरियाइत्ता एगंतरियगा अच्छेत्ता अभेत्ता, सेसं तहेव, तं चेव सिद्धिं छउमत्थे ण जाणति ण पासति एसुहुमं च णं दीहीकरेज्न वा० ।१९३। अत्थि णं भंते! चंदिमसूरियाणं हिट्ठिपि तारारूवा अणुंपि तुल्लावि समपि तारारूवा अणुंपि तुल्लावि उप्पिपि तारारूवा अणुंपि तुल्लावि ?, हंता अत्थि, से केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चति-अत्थि णं चंदिमसूरियाणं जाव उप्पिपि तारारूवा अणुंपि तुल्लावि० ?, गो० ! जहा २ णं तेसिं देवाणं तवनियमबंभचेरवासाइं उस्सियाइं भवंति तहा २ णं सिंदेवाणं एयं पण्णायति अणुत्ते वा तुल्लत्ते वा, से एएणट्टेणं गो० ! अत्थि णं चंदिमसूरियाणं जाव उप्पिपि तारारूवा अणुंपि तुल्लावि । १९४ । एगमेगस्स णं भंते ! • चंदिमसूरियस्स केवइओ णक्खत्तपरिवारो पं० केवइआ महागहा परिवारो केवइओ तारागणकोडाकोडिपरिवारो पं० १, गो० ! एगमेगस्स णं चंदिमसूरियस्स'अट्ठासीतिं च गहा अट्ठावीसं च होइ नक्खत्ता । एगससीपरिवारो एत्तो ताराण वोच्छामि ॥८४॥ छावद्विसहस्साइं णव चेव सयाइं पंचसयराई। एगससीपरिवारो तारागणकोडिकोणं ||८५ || १९५ | जंबुदीवे णं भंते ! दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरच्छिमिल्लाओ चरिमंताओ केवतियं अबाधाए जोतिसं चारं चरति ?, गो० ! एक्कारसहिं एक्कवीसेहिं जोयणसएहिं अबाधाए जोतिसं चारं चरति, एवं दक्खिणिल्लाओ पच्चत्थिमिल्लाओ उत्तरिल्लाओ, लोगंताओ भंते! केवर्तियं अबाधाए जोतिसे पं० ?, गो० ! एक्कारसहिं एक्कारेहिं जोयणसतेहिं अबाधाए जोतिसे पं०, इमीसे णं भंते! रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जाओ भूमिभागाओ केवतियं अबाधाए सव्वहेट्ठिल्ले तारारूवे चारं चरति केवतियं अबाधाए सूरविमाणे चारं चरति केवतियं अबाधाए चंदविमाणे चारं चरति केवतियं अबाधाए सव्वउवरिल्ले तारारूवे चारं चरति ?, गो० ! इमीसे णं रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जाओ सत्तहिं ण उएहिं जोयणसएहिं अबाधाए जोतिसं सव्वहेट्ठिल्ले तारारूवे चारं चरति, अहिं जोयणसतेहिं अबाधाए सूरविमाणे चारं चरति, असीएहिं जोयणसतेहिं अबाधाए चंदविमाणे चारं चरति, नवहिं जोयणसएहिं अबाधाए सव्वउवरिल्ले तारारूवे चारं चरति, सव्वहेट्ठिमिल्लाओ णं भंते! तारारूवाओ केवतियं अबाधाए सूरविमाणे चारं चरइ केवइयं अबाधाए चंदविमाणे चारं चरइ केवतियं अबाधाए सव्वउवरिल्ले तारारूवे चारं चरइ ?, गो० ! सव्वहेट्ठिल्लाओ णं दसहिं जोयणेहिं सूरविमाणे चारं चरति णउतीए जोयणेहिं अबाधाए चंदविमाणे चारं चरति दसुत्तरे जोयणसते अबाधाए सव्वोवरिल्ले तारारूवे चारं चरइ. सूरविमाणाओणं णं भंते! केवतियं अबाधाए चंदविमाणे चारं चरति केवतियं सव्वउवरिल्ले तारारूवे चारं चरति ?, गो० ! सूरविमाणाओ णं असीए जोयणेहिं चंदविमाणे चारं चरति, जोयणसयं अबाधाए सव्वोवरिल्ले तारारूवे चारं चरति, चंदविमाणाओ णं भंते ! केवतियं अबाधाए सव्वउवरिल्ले तारारूवे चारं चरति ?, गो० ! चंदविमाणाओ णं वीसाए जोयणेहिं अबाधाए सव्वउवरिल्ले तारारूवे चारं चरइ, एवामेव सपुव्वावरेणं दसुत्तरसतजोयणबाहल्ले तिरियमसंखेज्जे जोतिसविसए पं० | १९६ । जंबूदीवे णं भंते! कयरे णक्खत्ते सव्वब्भिंतरिल्लं चारं चरंति कयरे नक्खत्ते
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ॐ श्री आगमगुणमंजूषा ९१६
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RO55555555555555% (१४) जीवानीवामिगम (३) पडिवत्ति (च.) देवाधिकारो (जोइस) ७५] 55555555555555FROINORY
सव्वबाहिरिल्लं चारं चरति चरइ कयरे नक्खत्ते सव्वउवरिल्लं चारं कयरे नक्खत्ते सव्वहिडिल्लं चार चरति ?, गो० ! जंबुदीवेणं दीवे अभीइनक्खत्ते सव्वन्मितरिल्लं 2 चारं चरति मूले णक्खत्ते सव्वबाहिरिल्लं चारं चरइ साती णक्खत्ते सव्वोवरिल्लं चारं चरति भरणीणक्खत्ते सव्वहेट्ठिल्लं चारं चरति ।१९७१ चंदविमाणे णं भंते ! किंसंठिते पं० १. गो० ! अद्धकविठ्ठगसंठाणसंठिते सव्वफालितामए अब्भूसितपहसिते वण्णओ, एवं सूरविमाणेवि नक्खत्तविमाणेवि ताराविमाणेवि सव्वे अद्धकविट्ठसंठाणसंठिता. चंदविमाणे णं भंते ! केवतियं आयामविक्खंभेणं ? केवतियं परिक्खेवेणं ? केवतियं बाहल्लेणं पं० ?, गो० ! छप्पन्ने एगसट्ठिभागे जोयणस्स आयामविक्खंभेणं तं तिगुणं सविसेसं परिक्खेवेणं अट्ठावीसं एगसट्ठिभागे जोयणस्स बाहल्लेणं पं०, सूरविमाणस्सवि सच्चेव पुच्छा, गो०! अडयालीसं एगसट्ठिभागे जोयणस्स आयामविक्खंभेणं तं तिगुणं सविसेस परिक्खेवेणं चउवीसे एगसट्ठिभागे जोयणस्स बाहल्लेणं पं०, एवं गहविमाणेवि अद्धजोयणं आयामविक्खंभेणं तं तिगुणं सविसेसं परि० कोसं बाहल्लेणं, णक्खत्तविमाणे णं कोसं आयामविक्खंभेणं तं तिगुणं सविसेसं परि० अद्धकोसं बाहल्लेणं पं०, ताराविमाणे अद्धकोसं आयामविक्खंभेणं तं तिगुणं सविसेसं परि० पंचधणुसयाइं बाहल्लेणं पं०।१९८। चंदविमाणे णं भंते ! कति देवसाहस्सीओ परिवहंति ?. गो० ! चंदविमाणस्स णं पुरच्छिमेणं सेयाणं सुभगाणं सुप्पभाणं संखतलविमलनिम्मलदधिघणगोखीरफेणरययणिगरप्पगासाणं (महुगुलियपिंगलक्खाणं) थिरलट्ठपउट्ठवट्टपीवरसुसिलिट्ठसुविसिट्ठतिक्खदाढाविडंबितमुहाणं रत्तुप्पलपत्तमउयसुकुमालतालुजीहाणं पसत्थसत्थवेरूलियभिसंतकक्कडनहाणं विसालपीवरोरूपडिपुण्णविउलखंधाणं मिउविसयपसत्थसुहुमलक्खणविच्छिण्णके सरसडोवसोभिताणं चंक मितललियपुलितगवितगतीणं उस्सियसुणिम्मियसुजायअप्फोडियणंगूलाणं वइरामयणक्खाणं वइरामयदन्ताणं वयरामयदाढाणं तवणिज्जजीहाणं तवणिज्जतालुयाणं तवणिज्जजोत्तगसुजोतिताणं कामगमाणं पीतिगमाणं मणोगमाणं मणोरमाणं मणोहराणं अभियगतीणं अमियबलवीरियपुरिसकारपरक्कमाणं महता अप्फोडियसीहनातीयबोलकलयलरवेणं महुरेण मणहरेण य पूरिता अंबरं दिसाओ य सोभयंता चत्तारि देवसाहस्सीओ सीहरूवधारीणं देवाणं पुरच्छिमिल्लं बाहं परिवहंति, चंदविमाणस्स णं दक्खिणेणं सेयाणं सुभगाणं सुप्पभाणं संखतलविमलनिम्मलदधिघणगोखीरफेणरययणियरप्पगासाणं वइरामयकुंभजुयलसुट्टितपीवरवरवइसोंडवट्टियदित्त-सुरत्तपउमप्पकासाणं अब्भुण्णयमुहाणं तवणिज्जविसालचंचलचलंतचवलकण्णविमलुज्जल्लाणं मधुवण्णभिसंतणिद्धपिंगलपत्तलतिवण्णमणिरयणलोयणाणं अब्भुग्गतमउलमल्लियाणं धवलसरिससंठितणिव्वणदढकसिणफालियामयसुजायदंतमुसलोवसोभिताणं कंचणकोसीपविठ्ठदंतग्गविमलमणिरयणरूइर-पेरंतचित्तरूवगविरायिताणं तवणिज्जविसालतिलगपमुहपरिमंडिताणं णाणामणिरयणमुद्धगेवेज्जबद्धगलयवरभूसणाणं वेरूलियविचित्तदंडणिम्मलवइरामयतिक्खलट्ठअंकु सकुं भजुयलंतरोदियाणं तवणिज्जसुबद्धकच्छदप्पियबलुद्धराणं जंबूणयविमलघणमंडलवइरामयलालाललियतालणाणामणिरयणघण्टपासगरयतामयरज्जूबद्धलंबितघंटाजुयलमहुरसरमणहराणं अल्लीणपमाणजुत्तवट्टियसुजातलक्खणपसत्थतवणिज्जवालगत्तपरिपुच्छणाणं उयवियपडिपुण्णकुम्मचलणलहुविक्कमाणं अंकामयक्खाणं तवणिज्जतालुयाणं तवणिज्जजीहाणं तवणिज्जजोत्तगसुजोतियाणं कामगमाणं पीतिगमाणं मणोगमाणं मणोरमाणं मणोहराणं अमियगतीणं अमियबलवीरियपुरिसकारपरक्कमाणं महया गंभीरगुलगुलाइयरवेणं महुरेणं मणहरेणं पूरेन्ता अंबरं दिसाओ य सोभयंता चत्तारि देवसाहस्सीओ गयरूवधारीणं देवाणं दक्खिणिल्लं बाहं परिवहंति, चंदविमाणस्स णं पच्चत्थिमेणं सेताणं सुभगाणं सुप्पभाणं चंकमियललियपुलितचलचवलक उहसालीणं सण्णयपासाणं संगयपासाणं सुजायपासाणं मियमाइतपीणरइतपासाणं झसविहगसुजातकुच्छीणं पसत्थणिद्धमधुगुलितभिसंतपिंगलक्खाणं विसालपीवरोरूपडिपुण्णविपुलखंधाणं वट्टपडिपुण्णविपुलकवोलकलिताणं घणणिचितसुबद्धलक्खणुण्णतईसिंआणंयवसभोट्ठाणं चंकमितललितपुलियचक्कवालचवलगव्वितगतीणं पीवरोरूवट्टियसुसंठितकडीणं ओलंबपलंबलक्खणपमाणजुत्तपसत्थरमणिज्जवालगंडाणं
समखुरवालधाणीणं समलिहिततिक्खग्गसिंगाणं तणुसुहुमसुजातणिद्धलोमच्छविधराणं उवचितमंसलविसालपडिपुण्णखुद्दपमुहपुंडराणं खंधपएससुंदराणं ort
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(१४) जीवाजीवाभिगम (३) पडिवत्ति (च.) देवाधिकारो (जोइस)
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लियभिसंतकडक्खसुणिरिक्खणाणं जुत्तप्पमाणप्पधाणलक्खणपसत्थरमणिज्जगग्गरगलसोभि ताणं घग्घरगसुबद्धकण्ठपरिमंडियाणं नाणामणिकणगरयणघण्टवेयच्छगसुकयरतियमालियाणं वरघंटागलगलियसोभतसस्सिरीयाणं पउमुप्पलभसलसुरभिमालाविभूसिताणं वइरखुराणं विविधविक्खुराणं फालियामयदंताणं तवणिज्जजीहाणं तवणिज्जतालुयाणं तवणिज्जजोत्तगसुजोतियाणं कामगमाणं पीतिगमाणं मणोगमाणं मणोरमाणं मणोहराणं अमितगतीणं अमियबलवीरियपुरिसयारपरक्कमाणं महया गंभीरगज्जियरवेणं मधुरेण मणहरेण य पूरेता अंबरं दिसाओ य सोभयंता चत्तारि देवसाहस्सीओ वसभरूवधारीणं देवाणं पच्चत्थिमिल्लं बाहं परिवहंति, चंदविमाणस्सणं उत्तरेणं सेयाणं सुभगाणं सुप्पभाणं जच्चाणंतरमल्लिहायणाणं हरिमेलामदुलमल्लियच्छाणं घणणिचितसुबद्धलक्खणुण्णतचंकमि(चंचुच्चि)यललियपुलियचलचवलचंचलगतीणं लंघणवग्गणधावणधोरणतिवइजइणसिक्खितगईणं संणयपासाणं संगतपासाणं सुजायपासाणं मितमायितपीणरइयपासाणं झसविहगसुजातकु च्छीणं पीणपीवरवट्टितसुसंठितकडीणं ओलंबपलंबलक्खणपमाणजुत्तपसत्थरमणिज्जवालगंडाणं तणुसुहुमसुजायणिद्धलोमच्छविधराणं मिउविसयपसत्थसुहुमलक्खणविकिण्णकेसरवालिधराणं ललंतथासगललाडवरभूसाणाणं मुहमंडगोचूलचमरथासगपरिमंडियकडीणं तवणिज्जजीहाणं तवणिज्जतालुयाणं तवणिज्जजोत्तगसुजोतियाणं कामगमाणं पीतिगमाणं मणोगमाणं मणोरमाणं मणोहराणं अमितगतीणं अमियबलवीरियपुरिसयारपरक्कमाणं महया हेसियकिलकिलाइयरवेण महुरेणं मणहरेण य पूरेता अंबरं दिसाओ य सोभयंता चत्तारि देवसाहस्सीओ हयरूवधारीणं उत्तरिल्लं बाहं परिवहंति, एवं सूरविमाणस्सवि पुच्छा, गो० ! सोलस देवसाहस्सीओ परिवहति पुव्वकमेणं, एवं गहविमाणस्सविपुच्छा, गो० ! अट्ठ देवसाहस्सीओ परिवहंति पुव्वकमेणं दो देवाणं साहस्सीओ पुरथिमिल्लं बाहं परिवहति दो देवाणं साहस्सीओ दक्खिणिल्लं० दो देवाणं साहस्सीओ पच्चत्थिमिल्लं० दो देवसाहस्सीओ हयरूवधारीणं उत्तरिल्लं बाहं परिवहंति, एवं णक्खत्तविमाणस्सविपुच्छा, गो० ! चत्तारि देवसाहस्सीओ परिवहंति, तं०- सीहरूवधारीणं देवाणं एगा देवसाहस्सी पुरथिमिल्लं बाहं० एवं चउदिसिपि, एवं तारागणाणवि णवरि दो देवसाहस्सीओ परिवहंति, तं०सीहरूवधारीणं देवाणं पंचदेवसता पुरथिमिल्लं बाहं परिवहंति एवं चउद्दिसिपि।१९९। एतेसिंणं भंते ! चंदिमसूरियगहगणणक्खत्ततारारूवाणं कयरे कयरेहितो सिग्घगती वा मंदगती वा ?, गो०! चंदेहितो सूरा सिग्धगती सूरेहिंतो गहा सिग्घगती गहेहिंतो णक्खत्ता सिग्घघती णक्खत्तेहिंतो तारा सिग्घगती, सव्वप्पगती चंदा सव्वसिग्घगतीओ ताराओ ।२००। एएसिंणं भंते ! चंदिमजावतारारूवाणं कयरे कयरेहितो अप्पिड्डिया वा महिड्डिया वा ?, गो० ! तारारूवेहिंतो णक्खत्ता महिड्डीया णक्खत्तेहिंतो गहा महिड्डीया गहेहिंतो सूरा महिड्डीया सूरेहिंतो चंदा महिड्डीया, सव्वप्पड्डिया तारा० सव्वमहिड्डिया चंदा ।२०१। जंबूदीवे णं भंते ! दीवे तारारूवस्स २ य एस णं केवतियं अबाधाए अंतरे पं०?, गो० ! दुविहे अंतरे पं० तं०- वाघातिमे य निव्वाघाइमे य(पा० वाघाइए य निव्वाघाइए य) तत्थ णं जे से वाघातिमे से जह० दोण्णि य छावढे जोयणसए उक्को० बारस जोयणसहस्साइं दोण्णि य बायाले जोयणसए तारारूवस्स २ य अबाहाए अंतरे पं०, तत्थ णं जे से
णिव्वाघातिमे से जह० पंचधणुसयाई उक्को० दो गाउयाइं तारारूव जाव अंतरे पं०।२०२। चंदस्स णं भंते ! जोतिसिंदस्स जोतिसरन्नो कति अग्गमहिसीओ म पं०?, गो० ! चत्तारि अग्गमहिसीओ पं० तं०- चंदप्पभा दोसिणाभा अच्चिमाली पभंकरा, एत्थ णं एगमेगाए देवीए चत्तारि २ देवसाहस्सीओ परिवारे य, पभू णं म ततो एगमेगा देवी.अण्णाई चत्तारि २ देवीसहस्साई परिवार विउव्वित्तए, एवामेव सपुव्वावरेणं सोलस देवसाहस्सीओ पं०, से तं तुडिए।२०३। पभू णं भंते ! चंदे
जोतिसिदै जोतिसराया चंदवडिसए विमाणे सभाए सुधम्माए चंदंसि सीहासणंसि तुडिएण सद्धिं दिव्वाइं भोगभोगाइं भुजमाणे विहरित्तए ?, णो तिणढे समढे, से है केणद्वेणं भंते ! एवं वुच्चति-नो पभू चंदे० जोतिसराया चंडवडेंसए विमाणे सभाए सुधम्माए चंदंसि सीहासणंसि तुडिएणं सद्धि दिव्वाई भोगभोगाइं भुंजमाणे म विहरित्तए ?, गो० ! चंदस्स ज़ोतिसिंदस्स जोतिसरण्णो चंदवडेंसए विमाणे सभाए सुहम्माए जोतिसमाणवगंसि चेतियखंभंसि वइरामएसु गोलवट्टसमुग्गएसु बहुयाओ जिणसकहाओ सण्णिक्खित्ताओ चिट्ठति जाओ णं चंदस्स जोतिसिंदस्स जोतिसरन्नो अन्नेसिं च बहूणं जोतिसियाणं देवाण य देवीण य अच्चणिज्जाओ 999999999999999999श्री आगमगुणमंजूषा-
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FOR95555555555555555(१४) जीवाजीवाभिगम (३) पडिवत्ति (च.) देवा.(जोइस)/ वेमाणिय उ.
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जाव पज्जुवासणिज्जाओ, तासिं पणिहाए नो पभू चंदे० जोतिसराया चंदवडि० जाव चंदंसि सीहासणंसि जाव भुंजमाणे विहरित्तए, से एएणद्वेणं गो० ! नो पभू चंदे जोतिसराया चंदवडेंसए विमाणे सभाए सुधम्माए चंदंसि सीहासणंसि तुडिएण सद्धिं दिव्वाइं भोगभोगाइं भुंजमाणे विहरित्तए, अदुत्तरं च णं गो० ! पभू चंदे जोतिसिदे जोतिसराया चंदवडिसए विमाणे सभाए सुधम्माए चंदंसि सीहासणंसि चउहिं सामाणियसाहस्सीहिं जाव सोलसहिं आयरक्खदेवाणं साहस्सीहिं अन्नेहिं बहूहिं जोतिसिएहि देवेहिं देवीहि य सद्धिं संपरिबुडे महयाहयणट्टगीइवाइयतंतीतलतालतुडियघणमुइंगपडुप्पवाइयरवेणं दिव्वाइं भोगभोगाइं भुंजमाणे विहरित्तए, केवलं परियारतुडिएण सद्धिं भोगभोगाई बुद्धीए, नो चेव णं मेहुणवत्तियं ।२०४। सूरस्सणं भंते ! जोतिसिंदस्स जोतिसरन्नो कइ अग्गमहिसीओ पं०?, गो० ! चत्तारि अग्गमहिसीओ पं० तं०-सूरप्पभा आयवाभा अच्चिमाली पभंकरा, एवं अवसेसं जहा चंदस्स णवरिं सूरवडिसए विमाणे सूरंसि सीहासणंसि तहेव सव्वेसिपि ॥ गहाईणं चत्तारि अग्गमहिसीओ० तं०-विजया वेजयंती जयंती अपराजिया, तेसिपि तहेव ।२०५/ चंदविमाणे णं भंते ! देवाणं केवतियं कालं ठिती पं० ?, एवं जहा ठितीपए तहा भाणियव्वा जाव ताराणं ।२०६। एतेसिंणं भंते ! चंदिमसूरियगहणक्खत्ततारारूवाणं कयरे कयरेहितो०?, गो! चंदिमसूरिया एते णं दोण्णिवि तुल्ला सव्वत्थार गंग्वेजगुणा णक्खत्ता संखेज्जगुणा गहा संखेनगुणाओ तारगाओ।२०७★★★ जोइसुद्देसओ समत्तो॥*** कहिं णं भंते ! वेमाणियाणं देवाणं विमाणा पं० कहिं णं भंते ! वेमाणिया देवा परिवसंति ?, जहा ठाणपदे तहा सव्वं भाणियव्वं णवरं परिसाओ भाणितव्वाओ जाव सक्के, अन्नेसिं च बहूणं सोधम्मकप्पवासीणं देवाण य देवीण य जाव विहरति ।२०८। सक्कस्स णं भंते ! देविंदस्स देवरन्नो कति परिसाओ पं०?, गो० ! तओ परिसाओ पं० तं०-समिता चंडा जाता, अब्भितरिया समिया मज्झिमिया चंडा बाहिरिया जाता, सक्कस्स णं भंते ! देविंदस्स देवरन्नो अम्भितरियाए परिसाए कति देवसाहस्सीओ पं०?, मज्झिमियाए परि० तहेव बाहिरियाए, पुच्छा, गो० ! सक्कस्स देविंदस्स देवरन्नो अभितरियाए परिसाए बारस देवसाहस्सीओ पं० मज्झिमियाए परिसाए चउदस देवसाहस्सीओ पं० बाहिरियाए परिसाए सोलस देवसाहस्सीओ पं०, तहा अभितरियाए परिसाए सत्त देवीसयाणि मज्झिमियाए छच्च देवीसयाणि बाहिरियाए पंच देवीसयाणि पं०, सक्कस्स णं भंते ! देविंदस्स देवरन्नो अभिंतरियाए परिसाए देवाणं केवइयं कालं ठिई पं० १ एवं मज्झिमियाए बाहिरियाएवि, गो० सक्कस्स देविंदस्स देवरन्नो अभितरियाए परिसाए पंच पलिओवमाइं ठिती पं० मज्झिमियाए परिसाए चत्तारि पलिओवमाई ठिती पं० बाहिरियाए परिसाए देवाणं तिन्नि पलिओवमाई ठिती अभितरियाए परिसाए देवीणं तिन्नि पलिओवमाइं ठिती पं० मज्झिमियाए दुन्नि पलिओवमाइं ठिती पं० बाहिरियाए परिसाए एगं पलिओवमं ठिती पं०, अट्ठो सो चेव जहा भवणवासीणं, कहिं णं भंते ! ईसाणकाणं देवाणं विमाणा पं० ? तहेव सव्वं जाव ईसाणे एत्थ देविद देव० जाव विहरति, ईसाणस्स णं भंते ! देविंदस्स देवरण्णो कति परिसाओ पं०?, गो० ! तओ परिसाओ पं० २०-समिता चंडा जाता, तहेव सव्वं णवरं अभितरियाए (१६५) परिसाए दस देवसाहस्सीओ पं० मज्झिमियाए परिसाए बारस देवसाहस्सीओ बाहिरियाए चउद्दस देवसाहस्सीओ, देवीणं पुच्छा, अभितरियाए णव देवीसता पं० मज्झिमियाए परिसाए अट्ठ देवीसता पं० बाहिरियाए परिसाए सत्त देवीसता पं०, देवाणं ठिती पं०?, अभितरियाए परिसाए देवाणं सत्त पलिओवमाई ठिती पं० मज्झिमियाए छ पलिओवमाइं बाहिरियाएपंच पलिओवमाइं ठिती पं०, देवीणं पुच्छा, अभिंतरियाए साइरेगाइं पंच पलिओवमाई मज्झिमियाए परिसाए चत्तारि पलिओवमाई ठिती पं० बाहिरियाए परिसाए तिण्णि पलिओवमाइं ठिती पं० अट्ठो तहेव भाणियव्वो, सणंकुमाराणं पुच्छा तहेव ठाणपदगमेणं जाव सणंकुमारस्स तओ परिसाओम समिताई तहेव णवरिं अब्भितरियाए परिसाए अट्ठ देवसाहस्सीओ पं० मज्झिमियाए परिसाए दस देवसाहस्सीओ पं० बाहिरियाए परिसाए बारस देवसाहस्सीओ
पं० अभितरियाए परिसाए देवाणं ठिती अद्धपंचमाई सागरोवमाइं पंच पलिओवमाई ठिती पं० मज्झिमियाए परिसाए अद्भपंचमाइं सागरोवमाइं चत्तारि पलिओवमाई फ ठिती पं० बाहिरियाए परिसाए अद्धपंचमाइं सागरोवमाइं तिण्णि पलिओवमाई ठिती पं०, अट्ठो सो चेव, एवं माहिंदस्सवि तहेव तओ परिसाओणवरि अभितरियाए र परिसाए छ देवसाहस्सीओ पं० मज्झिमियाए अट्ठ देवसाहस्सीओ पं० बाहिरियाए दस देवसाहस्सीओ पं०, ठिती देवाणं अभितरियाए परिसाए अद्धपंचमाइंड
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(१४) जीवाजीवाभिगम (३) पडिवत्ति (च.) वेमाणिय उ.१.२
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2 सागरोवमाई सत्त य पलिओ० ठिती पं०, मज्झिमियाए परिसाए पंच सागरोवमाइं छच्च पलिओवमाई बाहिरियाए परिसाए अद्धपंचमाई सागरोवमाई पंच य
पलिओवमाई ठिती पं०, तहेव सव्वेसिं इंदाण ठाणपयगमेणं विमाणाणि वुच्चा ततो पच्छा परिसाओ पत्तेयं २ वुच्चति, बंभस्सवितओ परिसाओ पं० अभितरियाए चत्तारि देवसाहस्सीओ मज्झिमियाए छ देवसाहस्सीओ बाहिरियाए अट्ठ देवसाहस्सीओ, देवाणं ठिती अभितरियाए परिसाए अद्धणवमाइं सागरोवमाइं पंच य पलिओवमाई मज्झिमियाए परिसाए अद्धनवमाइं साग० चत्तारि पलिओवमाई बाहिरियाए अद्धनवमाइं सागरोवमाइं तिण्णि य पलिओवमाइं अट्ठो सो चेव, लंतगस्सवि जाव तओ परिसाओ जाव अभितरियाए परिसाए दो चेव साहस्सीओ मज्झिमियाए चत्तारि देवसाहस्सीओ पं० बाहिरियाए छ देवसाहस्सीओ पं०, ठिती भाणियव्वा-अभिंतरियाए परिसाए देवाणं बारस सागरोवमाइं सत्त पलिओवमाइं ठिती पं० मज्झिमियाए परिसाए बारस सागरोवमाई छच्च पलिओवमाइं ठिती पं० बाहिरियाए परिसाए बारस सागरोवमाइं पंच पलिओवमाइं ठिती पं०, महासुक्कस्सवि जाव तओ परिसाओ जाव अभिंतरियाए एगं देवसहस्सं मज्झिमियाए दो देवसाहस्सीओ पं० बाहिरियाए चत्तारि देवसाहस्सीओ, अब्भितरियाए परिसाए अद्धसोलस सागरोवमाई पंच पलिओवमाई मज्झिमियाए अद्धसोलस सागरोवमाई चत्तारि पलिओवमाई बाहिरियाए अद्धसोलस सागरोवमाइं तिण्णि पलिओवमाइं अट्ठो सो चेव, सहस्सारे पुच्छा जाव अभितरियाए परिसाए पंच देवसया मज्झिमियाए परि० एगा देवसाहस्सी बाहिरियाए दो देवसाहस्सीओ पं०, ठिती अभितरियाए अट्ठारस सागरोवमाई सत्तपलिओवमाइं ठिती पं० एवं मज्झिमियाए अट्ठारस छप्पलिओवमाई बाहिरियाए अट्ठारस सागरोवमाइं पंच पलिओवमाई, अट्ठो सोचेव, आणयपाणयस्सवि पुच्छा जाव तओ परिसाओणवरि अभितरियाए अड्ढाइज्जा देवसया मज्झिमियाए पंच देवसया बाहिरियाए एगा देवसाहस्सी ठिती अब्भितरियाए एगूणवीस सागरोवमाइं पंच य पलिओवमाई एवं मज्झि० एगोणवीसं सागरोवमाइं चत्तारिय पलिओवमाइं बाहिरियाएपरिसाए एगूणवीसं सागरोवमाई तिण्णि य पलिओवमाइंठितीअट्ठो सोचेव, कहिणं भंते ! आरणअच्चुयाणं देवाणं तहेव अच्चुए सपरिवारे जाव विहरति, अच्चुयस्सणं देविंदस्स तओ परिसाओ पं० अन्भितरपरि० देवाणं पणवीसं सयं मज्झिम० अड्ढाइज्जा सया बाहिरियाए पंचसया अभिंतरियाए एक्कवीसं सागरोवमा सत्त य पलिओवमाइं मज्झि० एक्कवीससाग० छप्पलि० बाहिरि० एकवीसं सागरो० पंच य पलिओवमाइं ठिती पं०, कहिं णं भंते ! हेट्ठिमगेवेज्जगाणं देवाणं विमाणा पं० कहिं णं भंते ! हेट्ठिमगेवेज्जगा देवा परिवसंति ?, जहेव ठाणपए तहेव, एवं मज्झिमगेवेज्जगा उवरिमगेविज्जगा अणुत्तरा य जाव अहमिंदा नामं ते देवा पं० समणाउसो!।२०९XXX पढमो वेमाणियउद्देसओ, प्र०३ वे० उ०१॥सोहम्मीसाणेसुणं कप्पेसु विमाणपुढवी किंपइट्ठिया पं०?, गो० ! घणोदहिपइट्ठिया, सणंकुमारमाहिदेसु कप्पेसु विमाणपुढवी किंपइट्ठिया पं०?, गो० ! घणवायपइट्ठिया पं०, बंभलोए णं भंते ! कप्पे विमाणपुढवीणं पुच्छा, घणवायपइट्ठिया पं०, लंतए णं भंते ! पुच्छा, गो० ! तदुभयपइट्ठिया, महासुक्कसहस्सारेसुवि तदुभयपइट्ठिया, आणयजावअच्चुएसुणं भंते ! कप्पेसु पुच्छा, ओवासंतरपइट्ठिया, गेविज्जविमाणपुढवीणं पुच्छा, गो० ! ओवासंतरपइट्ठिया,अणुत्तरोववाइयपुच्छा ओवासंतरपइट्ठिया ।२१०। सोहम्मीसाणकप्पेसु विमाणपुढवी केवइयं बाहल्लेणं पं० ?, गो० ! सत्तावीसं जोयणसयाई बाहल्लेणं पं०, एवं पुच्छा. सणंकुमारमाहिदसु छव्वीसं जोयणसयाई बंभलंतए पंचवीसं महासुक्कसहस्सारेसु चउवीसं आणयपाणयारणच्चुएसु तेवीसं सयाइं गेविजविमाणपुढवी बावीसं अणुत्तरविमाणपुढवी एक्कवीसं जोयणसयाई बाहल्लेणं ।२११। सोहम्मीसाणेसुणं भंते ! कप्पेसु विमाणा केवइयं उड्ढंउच्चत्तेणं पं०?, गो० पंचजोयणसयाइं उड्ढंउच्चत्तेणं सणंकुमारमाहिदेसुछजोयणसयाइं. बंभलंत तएसु सत्त महासुक्कसहस्सारेसु अट्ठ आणयपाणएसु आरणच्चुएसुनव, गेवेज्जविमाणाणं भंते ! केवइयं उड्ढंउ० ?, दस जोयणसयाई, अणुत्तरविमाणाणं० एक्कारसजोयणसयाइं उड्ढंउच्चत्तेणं।२१। सोहम्मीसाणेसुणं भंते ! कप्पेसु विमाणा किंसंठियापं०?, गो० ! दुविहापं० २०-आवलियापविट्ठाय आवलियाबाहिरा य, तत्थ णं जे ते आवलियापविट्ठा ते तिविहा पं० तं०-वट्टा तंसा चउरंसा, तत्थ णं जे ते आवलियबाहिरा ते णं णाणासंठिया पं०, एवं जाव गेविजविमाणा,
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अणुत्तरोववाइयविमाणा दुविहा पं० २०-बट्टे य तंसा य ।२१३।सोहम्मीसाणेसु णं भंते ! कप्पेसु विमाणा केवतियं आयामविक्खंभेणं केवतियं परिक्खेवेणं पं०?, गो० ! दुविहा पं० तं०-संखेज्जवित्थडा य असंखेजवित्थडा य, जहा णरगा तहा जाव अणुत्तरोववातिया संखेजवित्थडे य असंखेजवित्थडा य, तत्थ णं जे से संखेजवित्थडे से जंबुद्दीवप्पमाणे असंखेजवित्थडा असंखेनाइं जोयणसयाइं जाव परिक्खेवेणं पं०, सोहम्मीसाणेसुणं भंते ! विमाणा कतिवण्णा पं०?, गो० ! पंचवण्णा पं० तं०-किण्हा नीला लोहिया हालिद्दा सुकिल्ला, सणंकुमारमाहिदैसु चउवण्णा नीला जाव सुकिल्ला, बंभलोगलंतएसुवि तिवण्णा-लोहिया जाव सुकिल्ला, महासुक्कसहस्सारेसु दुवण्णा-हालिद्दा य सुक्किल्ला य, आणयपाणतारणच्चुएसु सुकिल्ला, गेविजविमाणा सुकिल्ला अणुत्तरोववातियविमाणा परमसुकिल्ला वण्णेणं पं०, सोहम्मीसाणेसु णं भंते ! कप्पेसु विमाणा केरिसया पभाए पं०?, गो० ! णिच्चालोआ णिच्चुज्जोया सयं पभाए पं० जाव अणुत्तरोववातियविमाणा णिच्चालोआ णिच्चुज्जोतासयं पभाए पं०, सोधम्मीसाणेसु णं भंते ! कप्पेसु विमाणा केरिसया गंधेणं पं०?, गो० ! से जहानामएकोट्ठपुडाण वा जाव गंधेणं पं०, एवं जाव एत्तो इट्ठयरागा चेव जाव अणुत्तरविमाणा, सोहम्मीसाणेसु विमाणा केरिसया फासेणं पं०?, गो०! से जहाणामएआइणेति वा रूतेति वा सव्वो फासो भाणियव्वो जाव अणुत्तरोववातियविमाणा, सोहम्मीसाणेसु णं भंते ! कप्पेसु विमाणा केमहालया पं०?, गो० ! अयण्णं जंबुद्दीवे सव्वदीवसमुद्दाणं० सो चेव गमो जाव छम्मासे वीइवएज्जा जाव अत्थेगतिया विमाणावासा नो वीइवएज्जा जाव अणुत्तरोववातियविमाणा अत्यंगतियं विमाणं वीतिवएज्ना अत्थेगतिए नो वीइवएज्जा, सोहम्मीसाणेसु णं भंते ! विमाणा किंमया पं०?, गो० ! सव्वरयणामया पं०, तत्थ णं बहवे जीवा य पोग्गला य वक्कमति विउक्कमति चयंति उवचयंति, सासया णं ते विमाणा दव्वट्ठयाए जाव फासपज्जवेहिं असासता जाव अणुत्तरोववातिया विमाणा, सोहम्मीसाणेसुणं भंते ! देवा कओहिंतो उववज्जति ?, उववातो नेयव्वो जहा वक्कंतीए तिरियमणुएसु पंचेंदिएसु संमुच्छिमवज्जिएसु उववाओ वक्कंतीगमेणं जाव अणुत्तरो०, सोहम्मीसाणेसु देवा एगसमएणं केवतिया उववज्जति ?, गो० ! जह० ! एक्को वा दो वा तिण्णि वा उक्को० संखेज्जा वा असंखेज्जा वा उववज्जंति, एवं जाव सहस्सारे, आणतादी गेवेज्जा अणुत्तरा य एक्को वा दो वा तिणि वा उक्को० संखेज्जा वा उववज्जति, सोहम्मीसाणेसुणं भंते ! देवा समए २ अवहीरमाणा २ केवतिएणं कालेणं अवहिया 'सिया ?, गो० ! तेणं असंखेज्जा समए २ अवहीरमाणा २ असंखेजाहिं उस्सप्पिणीहिं अवहीरंति नो चेव णं अवहिया सिया जाव सहस्सारो, आणतादिगेसु चउसुवि, गेवेनेसुअणुत्तरेसुय समए २ जाव केवतिकालेणं अवहिया सिया?, गो०! तेणं असंखेज्जा समए २ अवहीरमाणा२ पलिओवमस्स असंखेजतिभागमेत्तेणं अवहीरंति, नो चेव णं अवहिया सिया, सोहम्मीसाणेसु णं भंते ! कप्पेसु देवाणं केमहालया सरीरोगाहणा पं०?, गो०! दुविहा सरीरा पं० तं०-भवधारणिज्जा यम उत्तरवेउब्विया य, तत्थ णं जे से भवधारणिज्जे से जह० अंगुलस्स असंखेजतिभागो उक्को० सत्त रयणीओ, तत्थ णं जे से उत्तरवेउव्विए से जह० अंगुलस्स संखेज्जतिभागो उक्को० जोयणसतसहस्सं, एवं एक्केक्का ओसारेत्ताणं जाव अणुत्तराणं एक्का रयणी, गेविज्जणुत्तराणं एगे भवधारणिज्जे सरीरे उत्तरवेउव्विया नत्थि ।२१४। सोहम्मीसाणेसुणं देवाणं सरीरगा किंसंघयणी पं०?, गो०! छण्हं संघयणाणं असंघयणी पं०, नेवट्ठि नेव छिरा नविण्हारू णेव संघयणमत्थि, जे पोग्गला इट्ठा कंता जाव ते तेसिं संघातत्ताएए परिणमंति जाव अणुत्तरोववातिया, सोहम्मीसाणेसु देवाणं सरीरगा किंसंठिता पं० ?, गो० ! दुविहा सरीरा पं० २०. भवधारणिज्जा य उत्तरवेउव्विया य, तत्थ णं जे ते भवधारणिज्जा ते समचउरंससंठाणसंठिता पं०, तत्थ णं जे ते उत्तरवेउव्विया ते णाणासंठाणसंठिया पं० जाव अच्युओ, अवेउव्विया गेविज्जणुत्तरा, भवधारणिज्जा समचउरंससंठाणसंठिता, उत्तरवेउब्विया णत्थि।२१५। सोहम्मीसाणेसु देवा केरिसया वण्णेणं पं०?, गो०! कणगत्तयरत्ताभा वण्णेणं पं०, सणंकुमारमाहिदेसु णं पउमपम्हगोरा क्ण्णेणं पं०, बंभलोगे णं भंते ! गो० ! अल्लमधुगवण्णाभा वण्णेणं पं०, एवं जाव गेवेज्जा, अणुत्तरोववातिया परमसुकिल्ला वण्णेणं पं०, सोहम्मीसाणेसुणं भंते ! कप्पेसु देवाणं सरीरगा केरिसया गंधेणं पं०?, गो० ! से जहाणामए-कोट्ठपुडाण वा तदेव
सव्वं जाव मणामतरता चेव गंधेणं पं० जाव अणुत्तरोववाइया, सोहम्मीसाणेसु देवाणं सरीरगा केरिसया फासेणं पं०?, गो० ! थिरमउयणिद्धसुकुमालच्छवी MO55555555555555555555555 श्री आगमगुणमजूषा - १२१5555555555555555555555555OOK
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(१४) जीवाजीवाभिगम (३) पडिवत्ति (च) वेमाणिय उ. २
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फासेणं पं०, एवं जाव अणुत्तरोववातिया, सोहम्मीसाणदेवाणं केरिसगा पुग्गला उस्सासत्ताए परिणमंति ?, गो० ! जे पोग्गला इट्ठा कंता जाव ते तेसिं उस्सासत्ताए परिणमंति जाव अणुत्तरोववातिया, एवं आहारत्ताएवि जाव अणुत्तरोववातिया, सोहम्मीसाणदेवाणं कति लेस्साओ पं० १, गो० ! एगा तेउलेस्सा पं०, सणंकुमारमाहिदेसु एगा पम्हलेस्सा, एवं बंभलोगेवि पम्हा, सेसेसु एक्का सुक्कलेस्सा, अणुत्तरोववातियाणं एक्का परमसुक्कलेस्सा, सोहम्मीसाणदेवा किं सम्मद्दिट्ठी मिच्छादिट्ठी सम्मामिच्छादिट्ठी ?, तिण्णिवि, जाव अंतिमगेवेज्जा देवा सम्मदिट्ठीवि मिच्छादिट्ठीवि सम्मामिच्छादिट्ठीवि. अणुत्तरोववातिया सम्मद्दिट्ठी णो मिच्छाद्दिट्ठी णो सम्मामिच्छादिट्ठी, सोहम्मीसाणा किं णाणी अण्णाणी ?, गो० ! दोवि, तिण्णि णाणा तिण्णि अण्णाणा णियमा जाव गेवेज्जा, अणुत्तरोववातिया नाणी नो अण्णाणी तिणिण णाणा णियमा, तिविधे जोगे दुविहे उवयोगे सव्वेसिं जाव अणुत्तरा । २१६ । सोहम्मीसाणा देवा ओहिणा केवतियं खेत्तं जाणंति पासंति ?, गो० ! जह० अंगुलस्स असंखेज्जतिभागं उक्को० अवही जाव रयणप्पभा पुढवी उड्ढं जाव साई विमाणाइं तिरियं जाव असंखेज्जा दीवसमुद्दा, एवं 'सक्कीसाणा पढमं दोच्चं च सणंकुमारमाहिंदा । तच्चं च बंभलंतग सुक्कसहस्सारग चउत्थी ||८६|| आणयपाणयकप्पे देवा पासंति पंचमिं पुढवी । तं चेव आरणच्चुय ओहीना पसं ||८७|| छट्ठीं हेट्ठिममज्झिमगेवेज्जा सत्तमिं च उवरिल्ला । संभिण्णलोगनालिं पासंति अणुत्तरा देवा ॥ ८८ । २१७ । सोहम्मीसाणेसु णं भंते! देवाणं कति समुग्धाता पं० १, गो० ! पंय समुग्धाता पं० तं० वेदणासमुग्घाते कसाय० मारणंतिय० वेउव्विय० तेजससमुग्घाते. एव जाव अच्चुए, गेवेज्जाणं आदिल्ला तिण्णि समुग्धाता पं०, सोहम्मीसाणदेवा केरिसयं खुधपिवासं पच्चणुब्भवमाणा विहरंति ?, गो० ! णत्थि खुधापिवासं पच्चणुब्भवमाणा विहरंति जाव अणुत्तरोववातिया, सोहम्मीसाणेसु णं भंते ! कप्पेसु देवा एगत्तं पभू विउव्वित्तए पुहुत्तं पभू विउव्वित्तए ?, हंता पभू, एगत्तं विउव्वेमाणा एगिदियरूवं वा जाव पंचिंदियरूवं वा पुहुत्तं विउव्वेमाणा एगिदियरूवाणि वा जाव पंचिदियरूवाणि वा, ताइं संखेज्जाइंपि असंखेज्नाइंपि सरिसाइंपि असरिसाइंपि संबद्धाइंपि असंबद्धाइंपि रुवाई विउव्वंति त्ता अप्पणा हिच्छिया कज्जाई करेति जाव अच्चुओ, गेवेज्जणुत्तरोववातिया देवा किं एगत्तं पभू विउव्वित्तए पुहुत्तं पभू विउव्वित्तए ?, गो० ! एगत्तंपि पुहुत्तंपि, नो चेव णं संपत्तीए विउव्विंसु वा विउव्वंति वा विउव्विस्संति वा, सोहम्मीसाणदेवा केरिसयं सायासोक्खं पच्चणुब्भवमाणा विहरंति ?, गो० ! मणुण्णा सद्दा जाव मणुण्णा फासा जाव गेविज्जा, अणुत्तरोववाइया अणुत्तरा सद्दा जाव फासा, सोहम्मीसाणेसु देवाणं केरिसगा इड्ढी पं० १, गो० ! महिड्ढीया महज्जुइया जाव महाणुभागा इड्ढीए पं० जाव अच्चुओ, गेवेज्जणुत्तरा य सव्वे महिड्ढीया जाव सव्वे महाणुभागा अनिंदा जाव अहमिंदा णामं ते देवगणा पं० समणाउसो ! | २१८| सोहम्मीसाणा देवा केरिसया विभूसाए पं० १, गो० ! दुविहा पं० तं० - वेउव्वियसरीरा य अवेउव्वियसरीरा य. तत्थ णं जे ते वेडव्वियसरीरा ते हारविराइयवच्छा जाव दस दिसाओ उज्जोवेमाणा पभासेमाणा जाव पडिरूवा, तत्थ णं जे ते अवेउव्वियसरीरा ते णं आभरणवसणरहिता पगतित्था विभूसाए पं०, सोहम्मीसाणेसु णं भंते ! कप्पेसु देवीओ केरिसियाओ विभूसाए पं० ?, गो० ! दुविधाओ पं तं० - वेडव्वियसरीराओ य अवेउव्वियसरीराओ य, तत्थ णं जाओ वेउव्वियसरीराओ ताओ सुवण्णसद्दालाओ सुवण्णसद्दालाई वत्थाइं पवरपरिहिताओ चंदाणणाओ चंदविलासिणीओ चंदद्धसमणिडालाओ सिंगारागारचारूवेसाओ संगय जाव पासातीयाओ जाव पडिरूवाओ, तत्थ णं जाओ अवेउदियसरीराओ ताओ णं आभरणवसणरहियाओ पगतित्थाओ विभूसाए पं०, सेसेसु देवा, देवीओ णत्थि, जाव अच्चुओ, गेवेज्जगदेवा, केरिसया विभूसाए० ?, गो० ! आभरणवसणरहिया ०. एवं देवी णत्थि भाणियव्वं, पगतित्था विभूसाए पं०, एवं अणुत्तरावि । २१९ | सोहम्मीसाणेसु देवा केरिसए कामभोगे पच्चणुब्भवमाणा विहरंति ?, गो० ! इट्ठ सद्दा इट्ठा रूवा जाव फासा, एवं जाव गेवेज्जा, अणुत्तरोववातियाणं अणुत्तरा सद्दा जाव अणुत्तरा फासा | २२०| ठिती सव्वेसिं भाणियव्वा, देवित्ताएवि अनंतरं चयंति चइत्ता जे जहिं गच्छंति तं भाणियव्वं । २२१ । सोहम्मीसाणेसु णं भंते! कप्पेसु सव्वपाणा सव्वभूया जावा पुढवीकाइयत्ताए जाव वणस्सतिकाइयत्ताए देवत्ताए देवित्ताए आसणसयणजावभंडोवगरणत्ताए उववण्णपुव्वा ?. हंता गो० ! असई अदुवा अणंतखुत्तो, सेससु कप्पेसु एवं चेव णवरि नो चेव णं देवित्ताए जाव गेवेज्जगा, अणुत्तरोववातिएसुवि एवं णो चेव णं देवत्ता देवित्ताए य, सेत्तं देवा । २२२ | नेरइयाणं भंते ! केवतियं कालं
श्री आगमगुणमंजूषा ९२२
1620
出版
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86१४) जीवाजीवाभिगम (३) पडिवत्ति (च.) वेमाणिय उ. ४/(४) पडिवत्ति (पंचविह) [८१15555555555555yeXOR
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ठिती पं०?, गो०! जह० दस वाससहस्साइं उक्को० तेत्तीसं सागरोवमाइं एवं सव्वेसिं पुच्छा, तिरिक्खजोणियाणं जह० अंतोमु० उक्को तिन्नि पलिओवमाइं, एवं मणुस्साणवि, देवाणं जहा णेरतियाणं, देवणेरइयाणं जा चेव ठिती सच्चेव संचिट्ठणा, तिरिक्खजोणियस्स जह० अंतोमुहत्तं उक्को० वणस्सतिकालो. मणु से णं भंते ! मणुस्सेति कालतो केवच्चिरं होति ?, गो० ! जह० अंतोमुहुत्तं उक्को० तिन्नि पलिओवमाइं पुव्वकोडिपुहुत्तमब्भहियाई, णेरइयमणुस्सदेवाणं अंतरं जह० अतोमु०॥ उक्को० वणस्सतिकालो, तिरिक्खजोणियस्सअंतरं जह० अंतोमुहुत्तं उक्को० सागरोवमसयपुहुत्तं साइरेगं ।२२३। एतेसिंणं भंते ! णेरइयाणं जाव देवाण य कयरे?, गो० ! सव्वत्थोवा मणुस्सा णेरइया असं० देवा असं० तिरिया अणंतगुणा, से तं चउव्विहा संसारसमावण्णगा जीवा ।२२४ ★★★|| चउविहपडिवत्ती॥ **प्रति० ३ वेमा० उ० २।। तत्थ णं जे ते एवमाहंसु-पंचविहा संसारसमावण्णगा जीवा पं० ते एवमाहंसु, तं०-एगिदिया बेइंदिया तेइंदिया चउरिदिया पंचिदिया, से किं तं एगिदिया?, २ दुविहा पं० २०-पज्जत्तगाय अपज्जत्तगा य. एवं जाव पंचिदिया दुविहा-पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य, एगिदियस्स णं भंते ! केवइयं कालं ठिती पं०?, गो० ! जह० अंतोमुहुत्तं उक्को० बावीसं वाससहस्साइं बेइंदिय० जह० अंतोमु० उक्को० बारस संवच्छराणि एवं तेइंदियस्स एगूणपण्णं राइंदियाणं चउरिदियस्स छम्मासा पंचेदियस्स जह० अंतोमु० उक्को० तेत्तीसं सागरोवमाइं, अपज्जत्तएगिदियस्सणं केवतियं कालं ठिती पं०?, गो०! जह० अंतोमु० उक्को० अंतो०, एवं सव्वेसि, पज्जत्तेगिदियाणं जाव पंचिन्दियाणं पुच्छा, जह० अंतो० उक्को० बावीसं वाससहस्साई अंतमुहुत्तोणाई, एवं उक्कोसिया ठिती अंतोमुहुत्तोणा सव्वेसिंपज्जत्ताणं कायव्वा, एगिदिए णं भंते ! एगिदिएत्ति कालओ केवचिरं होइ?, गो० जह० अंतोमु० उक्को० वणस्सतिकालो, बेइंदियस्स णं भंते !० जह० अंतोमु० उक्को० संखेनं कालं जाव चउरिदिए संखेज्जं कालं पंचेदिए णं भंते ! पंचिदिएत्ति० केवचिरं०, गो० ! जह० अंतोमु० उक्को० सागरोवमसयपुहुत्तं साइरेगं, एगिदिए णं अपज्जत्तए णं भंते !, गो० ! जह० अंतोमु० उक्को० अंतोमुहत्तं जाव पंचिदियापज्जत्ता, पज्जत्तगएगिदिए णं भंते !?, गो० ! जह० अंतोमुहुत्तं उक्को० संखिज्जाइं वाससहस्साई, एवं बेइंदिएवि णवरिं संखेज्जाई वासाइं, तेइंदिए णं भंते !० संखेज्जा राइंदिया, चउरिदिए णं० संखेज्जा मासा, पज्जत्तपंचिदिए। सागरोवमसयपुहुत्तं सातिरेगं, एगिदियस्स णं भंते ! अंतरं०, गो० ! जह० अंतोमुहुत्तं उक्को० दो सागरोवमसहस्साइं संखेज्जवासमन्भहियाई, बेदियस्सणं० अंतरं होति ?, गो० ! जह० अंतोमुहुत्तं उक्को० वणस्सइकालो, एवं तेइंदियस्स चउरिदियस्स पंचेंदियस्स, अपज्जत्तगाणं एवं चेव, पज्जत्तगाणवि एवं चेव ।२२५। एएसिं णं भंते ! एगिदियबेइं० तेइं० चउ० पंचिदियाणं कयरे०?, गो०! सव्वत्थोवा पंचेंदिया चउरिदिया विसे० तेइंदिया विसे० बेइंदिया विसे० एगिदिया अणंतगुणा, एवं अपज्जत्तगाणं सव्वत्थोवा पंचेदिया अपज्जत्तगा चउरिदिया अपज्जत्तगा विसे० तेइंदिया अपज्जत्तगा विसे० बेइंदिया अपज्जत्तगा. विसे० एगिदिया अपज्जत्तगा अणंतगुणा सइंदियाप० वि०, सव्वत्थोवा चउरिदिया जत्तगापंचेदिया पज्जत्तगा विसे० बेदियपज्जत्तगा विसे० तेइंदियपज्जत्तगा विसे० एगिदियपज्जत्तगा अणंतगुणा सइंदिया पज्जत्तगा विसे०, एतेसिंणं भंते ! सइंदियाणं पज्जत्तगअपज्जत्तगाणं कयरे०?, गो० ! सव्वत्थोवा सइंदिया अपज्जत्तगा सइंदिया पज्जत्तगा संखेज्जगुणा, एवं एगिदियावि, एतेसिं णं भंते ! बेइंदियाणं पज्जत्तापज्जत्तगाणं अप्पाबहु ?, गो० ! सव्वत्थोवा बेइंदिया पज्जत्तगा अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, एवं तेदियचउरिदियपंचेंदियावि, एएसिंणं भंते ! एगिदियाणं बेइंदि० तेइंदि० चउरिदि० पंचेदियाण य पज्जत्तगाण य अपज्जत्तगाण य कयरे०?, गो० ! सव्वत्थोवा चउरिदिया पज्जत्तगा पंचेंदिया पज्जत्तगा विसे० बेइंदिया पज्जत्तगा विसे० तेइंदिया पज्जत्तगा विसे० पंचेंदिया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा चउरिदिया अपज्जत्ता विसे० तेइंदियअपज्जत्ता विसे० बेइंदिया अपज्जत्ता विसे० एगिदियअपज्जत्ता अणंतगुणा सइंदिया अपज्जत्ता विसे० एगिदियपज्जत्ता संखेज्जगुणा सइंदियपज्जत्ता विसे० सइंदिया विसे० । सेत्तं पंचविधा संसारसमावण्णगा जीवा ।२२६।। प्र०४॥ तत्थ णं जे ते एवमाहंसु छव्विहा संसारसमावण्णगा जीवा पं० ते एवमाहंसु, तं०-पुढवीकाइया आउ० तेउ० वाउ० वणस्सति० तसकाइया, से किं तं पुढवी०?, दुविहा पं० तं०-सुहुमपुढविक्काइया य बादरपुढवीकाइया य, सुहुमपुढवीकाइया
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श्री आगमगुणमंजूषा - ९२३
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(१४) जीवाजीवाभिगम (५) पडिवत्ति (छब्विह) [८]
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दुविहा पं० तं०-पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य, एवं बायरपुढवीकाइयावि, एवं चउक्कएणं भेएणं आउतेउवाउव गस्सतिकाइया णेयव्वा, से किं तं तसकाइया?, २ दुविहा 卐 पं० तं०-पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य ।२२७/ पुढवीकाइयस्स णं भंते! केवतियं कालं ठिती पं०?, गो०! जह० अंतो० उक्को० बावीसं वाससहस्साइं, एवं सव्वेसिं ठिती णेयव्वा, तसकाइयस्स जह० अंतो० उक्को० तेत्तीसं सागरोवमाइं, अपज्जत्तगाणं सव्वेसिं जह० उक्को० अंतो०, पज्जत्तगाणं सव्वेसिं उक्कोसिया ठिती अंतोमुहुत्तऊणा कायव्वा ।२२८। पुढवीकाइए णं भंते ! पुढवीकाइयत्तिकालतो केवचिरं होइ ?, गो० ! जह० अंतो० उक्को० असंखेज्जं कालं जाव असंखेज्जा लोया, एवं जाव आउ० तेउ० वाउक्काइयाणं, वणस्सइकाइयाणं अणंतं कालं जाव आवलियाए असंखेज्जतिभागो, तसकाइए णं भंते !० जह० अंतोमु० उक्को० दो सागरोवमसहस्साई संखेज्जवासमब्भहियाई, अपज्जत्तगाणं छण्हवि जहण्णेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं, पज्जत्तगाणं- 'वाससहस्सा संखा पुढविदगाणिलतरूण पज्जत्ता । तेऊ राइंदि संखा तस सागरसतपुडुत्ताई ।।८९|| पज्जत्तगाणवि सव्वेसिं एवं, पुढवीकाइयस्स णं भंते ! केवतियं कालं अंतरं होति ?, गो० ! जह० अंतो० उक्को० वणप्फतिकालो, एवं आउतेउवाउकाइयाणं वणस्सइकालो, तसकाइयाणवि, वणस्सइकाइयस्स पुढवीकाइयकालो, एवं अपज्जत्तगाणवि वणस्सइकालो, वणस्सईणं पुढवीकालो, पज्जत्तगाणवि एवं चेव वणस्सइकालो, पज्जत्तवणस्सईणं पुढवीकालो।२२९। अप्पाबहुयं-सव्वत्थोवा तसकाइया तेउक्काइया असंखेजगुणा पुढवीकाइया विसेसाहिया आउकाइया विसे० वाउक्काइया विसे० वणस्सतिकाइया अणंतगुणा, एवं अपज्जत्तगावि पज्जत्तगावि, एतेसिं णं भंते ! पुढवीकाइयाणं पज्जत्तगाण य अपज्जत्तगाण य कयरे०?, गो०! सव्वत्थोवा पुढवीकाइया अपज्जत्तगा पुढवीकाइया पज्जत्तगा संखेज्जगुणा, एतेसिंणं०, सव्वत्थोवा आउक्काइया अपज्जत्तगा पज्जत्तगा संखेज्जगुणा जाव वणस्सतिकाइयावि, सव्वत्थोवा तसकाइया पज्जत्तगा तसकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, एएसिंणं भंते ! पुढवीकाइयाणं जाव तसकाइयाणं पज्जत्तगाणं अपज्जत्तगाण य कयरे०?, सव्वत्थोवा तसकाइया पज्जत्तगा तसकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा तेउक्काइया अपज्जत्ता असंखेज्जगुणा पुढविक्काइया आउक्काइया वाउक्काइया अपज्जत्तगा विसेसाहिया तेउ-(१६६) क्काइया पज्जत्तगा संखेजगुणा पुढविआउवाउपज्जत्तगा विसे० वणस्सतिकाइया अपज्जत्तगा अणंतगुणा तसकाइया अपज्जत्तगा विसे० वणस्सतिकाइया पज्जत्तगा संखेज्जगुणा सकाइया पज्जत्तगा विसे०।२३०। सुहुमस्सणं भंते ! केवतियं कालं ठिती पं०?, गो० ! जहन्नेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं, एवं जाव सुहुमणिओयस्स, एवं अपेज्जत्तगाणवि पज्जत्तगाणवि जहण्णेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं १२३१। सुहुमे णं भंते ! सुहुमेत्ति० ?, गो० ! जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं असंखेजकालं जाव असंखेज्जा लोया, सव्वेसिं पुढविकालो जाव सुहुमणिओयस्स पुढवीकालो, अपज्जत्तगाणं सव्वेसिं जहण्णेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं, एवं पज्जत्तगाणवि सव्वेसिं जहण्णेणवि उक्कोसेणवि अंतोमुहुत्तं ।२३२। सुहुमस्स णं भंते ! केवतियं कालं अंतरं होति?,गो० ! जहण्णेणं अंतोमु० उक्को० असंखेज्नं कालं कालओ असंखेज्जाओ उस्सप्पिणीओसप्पिणीओ खेत्तओ अंगुलस्स असंखेज्जतिभागो, सुहुमवणस्सतिकाइयस्स सुहमणिओयस्सवि जाव असंखेज्जइभागो, पुढवीकाझ्याणं वणस्सतिकालो, एवं अपज्जत्तगाणं पज्जत्तगाणवि ।२३३। एवं अप्पाबहुगं, सव्वत्थोवा सुहुमतेउकाइया सुहुमपुढवीकाइया विसेसाहिया सुहुमआउवाऊ विसेसाहिया सुहमणिओया असंखेज्जगुणा सुहुमवणस्सतिकाइया अणंतगुणा सुहुमा विसेसाहिया, एवं अपज्जत्तगाणं, पज्जत्तगाणवि एवं चेव, एतेसिंणं भंते ! सुहुमाणं पज्जत्तापज्जत्ताणं कयरे०?, सव्वत्थोवा सुहुमा अपज्जत्तगा संखेज्जगुणा पज्जत्तगा एवं जाव सुहमणिगोया, एएसिंणं भंते ! सुडमाणं सुहुमपुढवीकाइयाणं जाव सुहुमणिओयाण य पज्जत्तापज्जत्ताणं कयरे०?, सव्वत्थोवा सुहुमतेउकाइया अपज्जत्तगा
सुहुमपुढवीकाइया अपज्जत्तगा विसेसाहिया सुहुमआउअपज्जत्ता विसे० सुहुमवाउअपज्जत्ता विसे० सुहुमते उकाइया पज्जत्तगा संखेज्जगुणा # सुहमपुढवीआउवाउपज्जत्तगा विसे० सुहुमणिओया अपज्जत्तगा असंखेनगुणा सुहुमणिओया पज्जत्तगा संखेज्जगुणा सुहुमवणस्सतिकाइया अपज्जत्तगा अणंतगुणा म सुहुमअपज्जत्ता विसे० सुहुमवणस्सइपज्जत्तगा संखेज्जगुणा सुहुमा पज्जत्ता विसेसाहिया ।२३४। बायरस्स णं भंते ! केवतियं कालं ठिती पं० ?, गो० ! जह० १ अंतोमु० उक्को० तेत्तीसं सागरोवमाई, एवं बायरतसकाइयस्सवि, बायरपुढवीकाइयस्स बावीसवाससहस्साई बायरआउस्स सत्तवाससहस्सं बायरतेउस्स तिण्णिा LicrosFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFF%श्री आगमगुणमंजूषा - ९२४ 55555555555FFFFFFFFFFFFFFFFOOK
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जीवाजीवाभिगम पडिवत्ति (छवि [८] 1555555555555xsexog राइंदिया बायरवाउस्स तिण्णि वाससहस्साइंबायरवण० दसवाससहस्साई, एवं पत्तेयसरीरबादरस्सवि, णिओयस्सजह० उक्को० अंतोमु०, एवं बायरणिओयस्सवि, अपज्जत्तगाणं सव्वेसि अंतोमुहुत्तं, पज्जत्तगाणं उक्कोसिया ठिई अंतोमुहुत्तूणा कायव्वा सव्वेसि ।२३५/ बायरे णं भंते ! बायरेत्ति कालओ केवचिरं होति ?, जह०॥ अंतो० उक्को० असंखेज्ज कालं असंखेज्जाओ उस्सप्पिणीओसप्पिणीओ कालओ खेत्तओ अंगुलस्स असंखेजतिभागो, बायरपुढवीकाइयआउतेउवाउपत्तेयसरीरबादरवणस्सइकाइयस्स बायरनिओयस्सएतेसिं जह० अंतोमु० उक्को० सत्तर सागरोवमकोडाकोडीओ संखातीयाओ समाओ अंगुलअसंखभागो तहा असंखेज्जा उ ओहे य बायरतरूअणुबंधो सेसओ वोच्छं (||१||) 'उस्सप्पिणि ओसप्पिणि अड्ढाइयपोग्गलाण परियट्टा । बेउदधिसहस्सा खलु साधिया होति तसकाए ॥९०॥ अंतोमुहुत्तकालो होइ अपज्जत्तगाण सव्वेसि । पज्जत्तबायरस्स य बायरतसकाइयस्सावि ॥९१।। एतेसिं ठिई सागरोवमसतपुहुत्तं साइरेगं 'तेउस्स संख राई दुविहणिओए मुहुत्तमद्धं तु । सेसाणं संखेज्जा वाससहस्सा य सव्वेसिं॥९२॥२३६। अंतरं बायरस्स बायरवणस्स तिस्स णिओयस्स बायरणिओयस्स एतेसिं चउण्हवि पुढवीकालो जाव असंखेज्जा लोया, सेसाणं वणस्सतिकालो, एवं पज्जत्तगाणं अपज्जत्तगाणवि अंतरं, ओहे य बायरतरू ओघनिओए बायरणिओएय कालमसंखेनं अंतरं, सेसाणं वणस्सतिकालो।२३७ अप्पा० सव्वत्थोवा बायरतसकाइया बायरतेउकाइया असंखेज्जगुणा पत्तेयसरीरबादरवणस्सति० असंखेज्जगुणा बायरणियोया असंखे० बायरपुढवी० असंखे० आउवाउ० असंखेनगुणा बायरवणस्सतिकाइया अणंतगुणा बायरा विसेसाहिया, एवं अपज्जत्तगाणवि, पज्जत्तगाणं सव्वत्थोवा बायरतेउक्काइया बायरतसकाइया असंखेज्जगुणा पत्तेगसरीरबायरा असंखेजगुणा सेसा तहेव जाव बादरा विसेसाहिया, एतेसिंणं भंते ! बायराणं पज्जत्तापज्जत्ताणं कयरे० ?. सव्वत्थोवा बायरा पज्जत्ता बायरा अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, एवं सव्वे जहा बायरतसकाइया । एएसिणं भंते ! बायराणं बायरपुढवीकाइयाण जाव बायरतसकाइयाणं य पज्जत्तापज्जत्ताणं कयरे० ?, सव्वत्थोवा बायरतेउक्काइया पज्जत्तगा बायरतसकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा पत्तेयसरीरबायरवणस्सतिकाइया पज्जत्तगा असंखेज्जगुणा बायरणिओयापज्जत्तगा असंखेज० पुढवीआउवाउपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा बायरतेउअपज्जत्तगा असंखे० पत्तेयसरीरबायरवणस्सतिअप० असंखे० बायरा णिओया अपज्जत्तगा असंखे० बायरपुढवीआउवाउअपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा बायरवणस्सइपज्जत्तगा अणंतगुणा बायरपज्जत्तगा विसेसाहिया बायरवणस्सतिअपज्जत्ता असंखगुणा बायरा विसेसाहिया, एएसिणं भंते ! सुहुमाणं सुहुमपुढवीकाइयाणं जाव सुहुमनिगोदाणं बायराणं बायरपुढवीकाइयाणं जाव बायरतसकाइयाण य कयरे०?, गो० ! सव्वत्थोवा बायरतसकाइया बायरतेउकाइया असंखेज्जगुणा पत्तेयसरीरबायरवणा असंखे० तहेव जाव बायरवाउकाइया असंखेज्जगुणा सुहुमतेउक्काइया असंखे० सुहुमपुढवी० विसेसाहिया सुहमआउ० वि० सुहमवाउ० विसेसा० सुहमनिओया असंखेज्जगुणा बायरवणस्सतिकाइया अणंतगुणा बायरा विसेसाहिया सुहुमवणस्सइकाइया असंखे० सुहुमा विसेसा०, एवं अपज्जत्तगावि पज्जत्तगावि, णवरि सव्वत्थोवा बायरतेउक्काइया पज्जत्ता बायरतसकाइया पज्जत्ता असंखेज्जगुणा पत्तेयसरीर० सेसं तहेव जाव सुहमपज्जत्ता विसेसाहिया, एएसिंणं भंते ! सुहमाणं बादराण य पज्जत्ताण य अपज्जत्ताण य कयरे० ?, सव्वत्थोवा बायरा पज्जत्ता अपज्जत्ता असंखेज्जगुणा सव्वथोवा सुहमा अपज्जत्ता सुहमपज्जत्ता संखेज्जगुणा, एवं सुहुमपुढवी बायरपुढवी जाव सुहमनिओया बायरनिओया नवरं पत्तेयसरीरबायरवण० सव्वत्थोवा पज्जत्ता अपज्जत्ता असंखेनगुणा, एवं बादरतसकाइयावि, सव्वेसिं पज्जत्तगाणं कयरे०?, सव्वत्थोवा बायरतेउक्काइया पज्जत्ता बायरतसकाइया पज्जत्तगा असंखेजगुणा ते चेव अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा पत्तेयसरीरबायरवणस्सइअपज्जत्तगा असंखे० बायरणिओया पजत्ता असंखेज० बायरपुढवी० असं० आउ० वाउ० पज्जत्ता असंखे०
बायरतेउकाइयअपज्जत्ता असंखे० पत्तेय० असंखे० बायरनिओयपज्जत्ता असं० बायरपुढवीआउवालकाइ० अपज्जत्तगा असंखेनगुणा सुहुमतेउकाइया अपज्जत्तगा म असं० सुहमपुढवीआउवाउअपज्जत्ता विसेसा० सुहुमतेउकाइयपज्जत्तगा असंखे० सुहुमपुढवीआउवाउपज्जत्तगा विसेसाहिया सुहमणिगोया अपज्जत्तगा असंखे० श् सुहमणिगोया पज्जत्तगा असंख० बायरवणस्सतिकाइया पज्जत्तगा अणंतगुणा बायरा पज्जत्तगा विसेसाहिया बायरवणस्सइअपज्जत्ता असंखे० बायरा अपज्जत्ता KOO555 5555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ९२५5555555555555555555555
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(१४) जीवाजीवाभिगम (५) पडिवत्ति (छब्बिह) [८४]
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विसे० बायरा विसेसाहिया सुहुमवणस्सतिकाइया अपज्जत्तगा असंखे० सुहुमा अपज्जत्ता विसेसाहिया सुहुमवणस्सइकाइया पज्जत्ता संखेज्जगुणा सुहुमा पज्जत्तगा म विसेसाहिया सुहमा विसेसाहिया ।२३८। कतिविहा णं भंते ! णिओया पं०?, गो० ! दविहा णिओया पं० त०-णिओया य णिओदजीवा य, णिओया णं भंते ! 5
कतिविहा पं०?, गो० ! दुविहा पं० तं०- सुहमणिओया य बायरणिओया य, सुहमणिओआ णं भंते ! कतिविहा पं० १, गो० ! दुविहा पं० तं०- पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य, बायरणिओयावि दुविहा पं० तं०- पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य, णिओयजीवा णं भंते ! कतिविहा पं० ?, दुविहा पं० २०- सुहुमणिओदजीवा य बायरणिओयजीवा ग्य, सुहुमणिगोदजीवा दुविहा पं० तं०- पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य, बादरणिगोदजीवा दुविहा पं० तं०- पज्जत्तगा य अपज्जत्तगा य ।२३९) निगोदा णं भंते ! दब्वट्ठयाए किं संखेज्जा असंखेज्जा अणंता ?, गो० ! नो संखेज्जा असंखेज्जा नो अणंता, एवं पज्जत्तावि अपज्जत्तावि, सुहमनिगोदा णं भंते ! दव्वट्ठयाए कि संखेज्जा असंखेज्जा अणंता?, गो०! णो संखेज्जा असंखेज्जा णो अणंता, एवं पज्जत्तगावि अपज्जत्तगावि, एवं बायरावि पज्जत्तगावि अपज्जत्तगाविणो संखेज्जा असंखेज्जा णो अणंता, णिओदजीवा णं भंते ! दव्वट्ठयाए किं संखेज्जा असंखेज्जा अणंता ?, गो० ! नो संखेज्जा नो असंखेज्जा अणंता, एवं पज्जत्तावि अपज्जत्तावि, एवं सुहमणिओयजीवावि पज्जत्तगावि अपज्जत्तगावि, बादरणिओदजीवावि पज्जत्तगावि अपजत्तगावि, णिओदा णं भंते ! पदेसट्ठयाए किं संखेज्जा०? पुच्छा, गो० ! नो संखेज्जा नो असंखेज्जा अणंता, एवं पज्जत्तगावि अपज्जत्तगावि, एवं सुहमणिओयावि पज्जत्तगावि अपज्जत्तगावि, पएसट्टयाए सव्वे अणंता, एवं बायरनिगोयावि पज्जत्तयावि अपज्जत्तयावि, पएसट्ठयाए सव्वे अणंता, एवं णिओदजीवा नव(प्र० सत्त)विहावि पएसट्ठयाए सव्वे अणंता, एएसिंणं भंते ! णिओयाणं सुहुमाणं बायराणं पज्जत्तयाणं अपज्जत्तगाणं दव्वट्ठयाए पएसट्ठयाए दव्वट्ठपएसट्ठयाए कयरे०?, गो० ! सव्वत्थोवा बादरणिओयपज्जत्तगा दव्वट्ठयाए बादरनिगोदा अपज्जत्तगा दव्वट्ठयाए असंखेनगुणा सुहुमणिओदा अपज्जत्तगा दव्वट्ठयाए असंखे० सुहमणिओदा पज्जत्तगा दव्वट्ठयाए संखि०, एवं पदेसट्ठयाएवि, दव्वट्ठपदेसठ्ठयाए सव्वत्थोवा बादरणिओया पज्जत्ता य दव्वट्ठयाए जाव सुहुमणिओदा पज्जत्ता य दव्वट्ठयाए संखे० सुहुमणिओएहितो पज्जत्तएहिंतो दव्वट्ठयाए बायरणिगोदा पज्जत्ता पएसट्टयाए अणंतगुणा बायरणिओदा अपज्जत्ता पएसट्ठयाए असंखे० जाव सुहुमणिओया पज्जत्ता पएसट्ठयाए संखे०, एवं णिओयजीवावि, णवरि संकमपए जाव सुहमणिओयजीवेहितो पज्जत्तएहितो दव्वट्ठयाए बायरणिओयजीवा पज्ज० पदेसट्ठयाए असंखे० सेसं तहेव जाव सुहुमणिओयजीवा पज्जत्ता पएसट्ठयाए संखे०, एतेसिं णं भंते ! णिगोदाणं सुहुमाणं बायराणं पज्जत्ताणं अपज्जत्ताणं णिओयजीवाणं सुहुमाणं बायराणं पज्जत्तगाणं अपज्जत्तगाणं दव्वट्ठयाए पएसट्टयाए दव्वट्ठपए सट्ठयाए य कयरे० ?, सव्वत्थोवा बायरणिओदा पज्जत्ता दव्वट्ठयाए बायरणिओदा अपज्जत्ता दव्वट्ठयाए असं० सुहमणिगोदा अप० दव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा सुहुमणिओदा पज्ज० दव्वट्ठयाए संखेज्जगुणा सुहुमणिओएहिंतो दव्वट्ठयाए बायरणिओदजीवा पज्जत्ता दव्वट्ठयाए अणंतगुणा बायरणिओदजीवा अपज्जत्तादव्वट्ठयाए असंखेज्जगुणा सुहुमणिओदजीवा अपज्जत्ता दव्वट्ठयाए असंखेजगुणा सुहमणिओयजीवा पज्जत्ता दव्वट्ठयाए संखेनगुणा, पएसट्ठयाए सब्वत्थोवा बायरणिओदजीवा पज्जत्ता पएसट्ठयाए बायरणिओदा अपज्जत्ता पएसट्ठयाए असंखे० सुहुमणिओयजीवा अपज्जत्तया पएसट्ठयाए असंखे० सुहुमणिगोदजीवा पज्जत्ता पएसट्ठयाए संखेनगुणा सुहमणिओदजीवेहितो पएसट्ठयाए बायरणिगोदा पज्जत्ता पदेसट्ठयाए अणंतगुणा बायरणिगोदा पज्जत्ता पएस० असंखे० जाव सुहमणिओया पज्जत्ता पएसट्ठयाए संखेज्जगुणा, दव्वट्ठपएसट्ठयाए सव्वत्थोवा बायरणिओया पज्जता दव्वट्ठयाएं बायरणिओदा अपज्जत्ता दव्वट्ठयाए असंखेनगुणा जाव सुहमणिगोदा पज्जत्ता दव्वट्ठयाए संखेज० सुहुमणिओदेहितो दव्वट्ठयाए बायरणिओदजीवा पज्जत्ता दव्वट्ठयाए अणंतगुणा सेसा तहेव जाव सुहुमणिओदजीवा पज्जत्तगा दव्वट्ठयाए
संखेजगुणा सुहुमणिओयजीवेहितो पज्जत्तएहितो दव्वट्ठयाए बायरणिओयजीवा पज्जत्ता पदेसट्ठयाए असंखेज्जगुणा सेसा तहेव जाव सुहुमणिओया प्रज्जत्ता पदेसठ्ठयाए म संखेज्जगुणा । सेत्तं छव्विहा संसारसमावण्णया जीवा ***|२४०। छविहपडिवत्ती ॥ प्रतिपत्ति: ५॥★★★ तत्थ णं जे ते एवमाहंसु सत्तविहा
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KOYo555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा-९२६
॥5555555555555555555555OOK
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5000-006-006-006 900 300 300 3690 30 35 35 35 3590
(१४) जीवाजीयामिन ५.६-७ परियत्ति [८५]
संसारसमावण्णगा जीवा पं० ते एवमाहंसु, तं०- नेरइया तिरिक्खा तिरिक्खजोणिणीओ मणुस्सा मणुस्सीओ देवा देवीओ, णेरतियस्सठिती जह० दसवाससहस्साई उक्को० तेत्तीस सागरोवमाई, तिरिक्खजोणियस्स जह० अंतोमुहुत्तं उक्को० तिन्नि पलिओवमाई, एवं तिरिक्खजोणिणीएवि, मणुस्साणवि मणुस्सीणवि, देवाणं ठिती जहा णेरइयाणं, देवीणं जह० दसवाससहस्साइं उक्को० पणपण्णपलिओवमाणि, नेरइयदेवदेवीणं जच्चेव ठिती सच्चेव संचिट्ठणा, तिरिक्खजोणिणी जह० अंतोमु० उक्को० तिन्नि पलिओवमाइं पुव्वकोडीपुहुत्तमब्भहियाई, एवं मणुस्सस्स मणुस्सीएवि, णेंरइयस्स अंतरं जह० अंतोमु० उक्को० वणस्स तेकालो, एवं सव्वाणं(व्वेसिं)तिरिक्खजोणियवज्जाणं, तिरिक्खजोणियाणं जह० अंतोमु० उक्को० सागरोवमसतपुहुत्तं सातिरेगं, अप्पाबहुयं सव्वत्थोवाओ मणुर सीओ मणुस्सा असंखे० नेरइया असंखे० तिरिक्खजोणिणीओ असंखेज्नगुणाओ देवा असंखेज्नगुणा देवीओ संखेज्जगुणाओ तिरिक्खजोणिया अनंतगुणा । सेत्तं सत्तविहा संसारसमावण्णगा जीवा । २४१ ★★★ ॥ प्रतिपत्तिः ६ ॥ ★★★ तत्थ णं जे ते एवमाहंसु अट्ठविहा० जीवा पं० ते एवमा हंसु - पढमसमयनेरतिया अपढमसमयनेरइया पढमसमयतिरिक्खजोणिया अपढमसमयतिरिक्खजोणिया पढमसमयमणुस्सा अपढमसमयमणुस्सा पढमसमयदेवा अपढमसमयदेवा, पढमसमयनेरइयस्स णं भंते! केवतियं कालं ठिती पं० १, गो० ! पढमसमयनेरइयस्स जह० एक्कं समयं उक्को० एक्कं समयं, अपढममयनेरइयस्स जह० दसवाससहस्साई समऊणाइं उक्को० तेत्तीसं सागरोवमाइं समऊणाई, पढमसमयतिरिक्खजोणियस्स जह० एक्कं समयं उक्को० एक्कं समयं, अपढमसमयतिरिक्खजोणियस्स जह० खुड्डागं भवग्गहणं समऊणं उक्को० तिन्नि पलिओवमाई समऊणाई, एवं मणुस्साणवि जहा तिरिक्खजोणियाणं, देवाणं जहा णेरतियाणं ठिती, णेरइयदेवाणं जच्चेव ठिती सच्चेव संचिट्ठणा दुहाणवि, पढमसमयतिरिक्खजोणिए णं भंते ! पढ० कालओ केवचिरं होति ?, गो० ! जह० एक्वं समयं उक्को० एक्कं समयं, अपढमतिरिक्खजोणियस्स जह० खुड्डागं भवग्गहणं समऊणं उक्कोसेणं वणस्सतिकालो, पढमसमयमणुस्साणं जह० उ० एक्वं समयं, अपढममणुस्स० जह० खुड्डागं भवग्गहणं समऊणं उक्को० तिन्नि पलिओवमाइं पुव्वकोडिपुहुत्तमब्भहियाई, अंतरं पढमसमयणेरतियस्स जह० दसवाससहस्साइं अंतोत् उक्को० वणस्सतिकालो, अपढमसमय० जह० अंतोमु० उक्को० वणस्सतिकालो, पढमसमयतिरिक्खजोणिए जह० दो खुड्डागभवग्गहणाई समऊणाई उक्को० वणस्सतिकालो, अपढमसमयतिरिक्खजोणियस्स जह० खुड्डागं भवग्गहणं समयाहियं उक्को० सागरोवमसतपुहुत्तं सातिरेगं, पढमसमयमणुस्सस्स जह० दो खुड्डाइं भवग्गहणाइं समऊणाई उक्को० वणस्सतिकालो, अपढमसमयमणुस्सस्स जह० खुड्डागं भवग्गहणं समयाहियं उक्को० वणस्सतिकालो, देवाणं जहा नेरइयाणं जह० दसवाससहस्साइं अंतोमुहुत्तमब्भहियाई उक्को० वणस्सइकालो, अपढमसमय० जह० अंतो० उक्को० वणस्सइकालो, अप्पबहुत्तं एतेसि णं भंते ! पढमसमयनेरइयाणं जाव पढमसमयदेवाण य कतरे० १, गो० ! सव्वत्थोवा पढमसमयमणुस्सा पढमसमयणेरइया असंखे० पढमसमयदेवा असंखे० पढमसमयतिरिक्खजोणिया असंखे०, अपढमसमयनेरइयाणं जाव अपढम० देवाणं एवं चेव अप्पबहुत्तं णवरि अपढमसमयतिरिक्खजोणिया अणंतगुणा, एतेसि णं पढमसमयनेरइयाणं अपढम० णेरतियाणं कयरे० ?, सव्वत्थोवा पढमसमयणेरतिया अपढमसमयनेरइया असंखे० एवं सव्वे, पढमसमयणेरइयाणं जाव अपढमसमयदेवाण य कयरे० ?, सव्वत्थोवा पढमसमयमणुस्सा अपढमसमयमणुस्सा असंखे० पढमसमयणेरइया असंखे० पढमसमयदेवा असंखे० पढमसमयतिरिक्खजोणिया असंखे० अपढमसमयनेरइया असंखे० अपढमसमयदेवा असंखे० अपढमसमयतिरिक्खजोणिया अनंतगुणा । सेत्तं अट्ठविहा संसारसमावण्णगा जीवा ★★★ । २४२ ॥ प्रतिपत्ति: ७ ॥ ★★★ तत्थ णं जे ते एवामाहंसु णवविधा संसारसमावण्णगा जीवा पं० ते एवमाहंसु- पुढवीकाइया आउक्काइया उक्काइया वाउक्काइया वणस्सइकाइया बेइंदिया तेइंदिया चउरिदिया पंचेंदिया, ठिती सव्वेसिं भाणियव्वा,. पुढवीकाइयाणं संचिट्ठणा पुढवीकालो जाव वाउक्काइयाणं, वणस्सईणं वणस्सतिकालो, बेइंदिया तेइंदिया चउरिदिया संखेज्जं कालं, पंचेदियाणं सागरोवमसहस्सं सातिरेगं, अंतरं सव्वेसिं अणतं कालं
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श्री आगमगुणमंजूषा - ९२७ ०
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(१४) जीवाजीवाभिगम ७-८पडिवत्ति / (१) सव्वजीव पडिवत्ती [८६]
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वणस्सतिकाइयाणं असंखेनं काले, अप्पाबहुगं- सव्वत्थोवा पंचिदिया चउरिदिया वि० तेइंदिया वि० बेइंदिया वि० तेउक्काइया असंखे० पुढवी० आउ० वाउ० विसेसाहिया वणस्सतिकाइया अणंतगुणा । सेत्तं णवावधा संसारसमावण्णगा जीवा २४३॥ प्रतिपत्ति:८॥★★★तत्थ णं जे ते एवमाहंसु दसविधा संसारसमावण्णगा जीवा पं० ते एवमाहंसु, तं० पढमसमयएगिदिया अपढमसमयएगिदिया पढमसमयबेइंदिया अपढमसमयबेंइंदिया जाव पढमसमयपदिचिया अपढमसमयपंचिंदिया, पढमसमयएगिदियस्स णं भंते ! केवतियं कालं ठिती पं०?, गो० ! जह० एवं समयं उक्को० एक्कं०, अपढमसमयएगिदियस्स०१, जह० खुड्डागं भवग्गहणं समऊणं उक्को० बावीसं वाससहस्साइं समऊणाई, एवं सव्वेसिं पढमसमयिकाणं जह० एक्को समओ उक्को० एक्को समओ, अपढम० जह० खुड्डागं भवग्गहणं समऊणं उक्को० जा जस्स ठिती सा समऊणा जाव पंचिदियाणं तेत्तीसं सागरोवमाई समऊणाई, संचिट्ठणा पढमसमइयस्स जह० एक्कं समयं उक्को० एक्वं समयं, अपढमसमइकाणं जह० खुड्डागं भवग्गहणं समऊणं उक्कोसेणं एगिदियाणं वणस्सतिकालो बेइंदियतेइंदियचउरिदियाणं संखेनं कालं पंचेंदियाणं सागरोवमसहस्सं सातिरेगं, पढमसमयएगिदियाणं केवतियं अंतर होति?, गो०! जह० दो खुड्डागभवग्गहणाइं समऊणाई उक्को०वणस्सतिकालो, अपढमएगिदिय० अंतरं जह० खुड्डागं भवग्गहणं समयाहियं उक्को० दो सागरोवमसहस्साई संखेज्जवासमब्भहियाई, सेसाणं सव्वेसिं पढमसमयिकाणं अंतरं जह० दो खुड्डाइं भवग्गहणाई उक्को० वणस्सतिकालो, अपढमसमयिकाणं सेसाणं जह० खुड्डागं भवग्गहणं समयाहियं उक्को० वणस्सतिकालो, पढमसमइयाणं सव्वेसिं सव्वत्थोवा पढमसमयपंचेंदिया पढम० चउरिदिया विसे० पढम० तेइंदिया विसे० पढ०बेइंदिया विसे० पढ०एगिदिया विसे०, एवं अपढमसमयिकावि, णवरि अपढमसमयएगिदिया अणंतगुणा, दोण्हं अप्पबहू- सव्वत्थोवा पढमसमयएगिदिया अपढमसमएगिदिया अणंतगुणा सेसाणं सव्वत्थोवा पढमसमयिगा अपढम० असंखे०, एतेसिं णं भंते ! पढमसमयएगिदियाणं अपढमसमएगिदियाणं जाव अपढमसमयपंचिंदियाण य कयरे० ?, सव्वत्थोवा पढमसमयपंचेंदिया पढमसमयचउरिदिया विसेसाहिया एवं हेट्ठामुहा जाव पढमसमयएगिदिया विसेसा० अपढमसमयपंचेंदिया असंखे० अपढमसमयचउरिदिया विसे० जाव अपढमसमयएगिदिया अणंत० । सेत्तं दसविहा संसारसमावण्णगा जीवा । सेत्तं संसारसमावण्रगा जीवा । सेत्तं जीवाभिगमे २४४। प्रतिपत्ति: ९ ॥ सव्वजीव पडिवत्ति से किं तं सव्वजीवाभिगमे ?, सव्वजीवेसुणं इमाओणव पडिवत्तीओ एवमाहिज्जति, एगे एवमाहंसु- दुविहा सव्वजीवा पं० जाव दसविहा सव्वजीवा पं०, तत्थ णं जे ते एवामाहंसु दुविहा सव्वजीवा पं० ते एवमाहंसु, तं०- सिद्धा चेव असिद्धा चेव, सिद्धे णं भंते ! सिद्धेति कालतो केवचिरं होति?, गो० ! सातीअपज्जवसिए, असिद्धे णं भंते ! असिद्धेति०१, गो०! असिद्धा दुविहा पं० २०- अणाइए वा अपज्जवसिए अणातीए वा सपज्जवसिए, सिद्धस्स णं भंते ! केवतियं कालं अंतरं होति ?, गो० ! सातियस्स अपज्जवसियस्स णत्थि अंतरं, असिद्धस्स णं भंते ! केवइयं अंतरं होइ ?, गो० ! अणातियस्स अपज्जवसियस्स णत्थि अंतरं, अणातियस्स सपज्जवसियस्सवि णत्थि अंतरं, एएसिंणं भंते ! सिद्धाणं असिद्धाण य कयरे०?, गो० ! सव्वत्थोवा सिद्धा असिद्धा अणंतगुणा ।२४५। अहवा दुविहा सव्वजीवा पं० २०- सइंदिया चेव अणिदिया चेव, सइँदिए णं भंते ! कालतो केवचिरं होइ ?, गो० ! सइंदिए दुविहे पं० २०अणातीए वा अपज्जवसिए अणाइए वा सपज्जवसिए, अणिदिए सातीए वा अपज्जवसिए, दो हवि, अंतरं नत्थि, सव्वत्थोवा अणिदिया सइंदिया अणंतगुणा, अहवा दुविहा सव्वजीवा पं० तं०- सकाइया चेव, अकाइया चेव, एवं चेव एवं सजोगी चेव अजोगी चेव, तहेव संचिट्ठणं अंतरं अप्पाबहुयं जहा सइन्दियाणं, अहवा दुविहा सव्वजीवा पं० तं०- सवेदगा चेव अवेदगा चेव, सवेदए णं भंते ! सवे०?, गो० ! सवेयए तिविहे पं० तं०- अणादीए वा अपज्जवसिए अणादिए वा सपज्जवसिसए साइए वा सपज्जवसिए, तत्थ णं जे से साइए सपज्जवसिए से जह० अंतोमु० उक्को० अणंतं कालं जाव खेत्तओ अवडं पोग्गलपरियट्ट देसूणं, अवेदए णं भंते ! अवेयएति कालओ केवचिरं होइ?, गो०! अवेदए दुविहे पं० त०- सातीए अपज्जवसिते साइए वा सपज्जवसिए, तत्थ णं जे सादीए सपज्जवसिते से जह० एक्वं समयं
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Ressssssssssssss (१४) जीवाजीवाभिगम सव्वजीव पडिक्त्ती () [८७]
$$$$% %%%%%%%RICE उक्को० अंतोमुहुत्तं, सवेयगस्स णं भंते ! केवतियं कालं अंतरं होइ ?, अणादियस्स अपज्जवसियस्स णत्थि अंतरं अणादियस्स सपज्जवसियस्स नत्थि अंतरं, सादियस्स सपज्जवसियस्स जह० एक्कं समयं उक्को० अंतोमु०अवेदगस्सणं भंते ! केवतियं कालं अंतरं होइ ?, सातीयस्स सपज्जवसियस्स जह० अंतोमु० उक्को अणंतं कालं जाव अवर्ल्ड पोग्गलपरियढें देसूणं, अप्पाबहुगं- सव्वत्थोवा अवेयगा सवेयगा अणंतगुणा, एवं सकसाई चेव अकसाई चेव, जहा सवेयके तहेव भाणियव्वे अहवा दुविहा सव्वजीवा पं० २०- अलेसा य, जहा असिद्धा, सिद्धा सव्वत्थोवा अलेसा सलेसा अणंतगुणा ।२४६। अहवा दुविहा सव्वजीवा पं० तं०णाणी चेव अण्णाणी चेव, णाणी णं भंते ! कालओ०?, णाणी दुविहे पं० तं०- सातीए वा अपज्जवसिए सासीए वा सपज्जवसिए, तत्थ णं जे से सादीए सपज्जवसिते से जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं छावटितठसागरोवमाइं सातिरेगाई, अण्णाणी जहा सवेदया, णाणिस्स अंतरं जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं अणंतं कालं अवर्ल्ड पोग्गलपरियट्टे देसूणं, अण्णाणियस्स दोण्हवि आदिल्लाणं णत्थि अंतरं, सादीयस्स सपज्जवसियस्स जहण्णेणं अंतोमु० उक्कोसेणं छावर्द्धिसागरोवमाइं साइरेगाई, अप्पाबहुगं- सव्वत्थोवा णाणी अण्णाणी अणंतगुणा, अहवा दुविहा सव्वजीवा पं० तं०- सागरोवउत्ता य अणागारोवस्त्ता य, संचिट्ठणा अन्तरं च जहण्णेणं उक्कोसेणवि अन्तोमुहुत्तं, अप्पाबहुगं- सागारो० संखे०।२४७। अहवा दुविहा सव्वजीवा पं० तं०- अहारगा चेव अणाहारगा चेव, आहारए णं भंते ! जाव केवचिरं होति ?, गो० ! आहारए दुविहे पं० २०- छउमत्थआहारए य केवलिआहारए य, (१६७) छउमत्थआहारए णं जाव केवचिरं होति?, गो० ! जहण्णेणं खुड्डागं भवग्गहणं दुसमऊणं उक्को० असंखेनं कालं जाव कालओ खेत्तओ अंगुलस्स असंखेज्जतिभागं, केवलिआहारए णं जाव केवचिरं होइ ?, गो० ! जह० अंतोमु० उक्को० देसूणा पुव्वकोडी, अणाहारए णं भंते ! केवचिरं० ?, गो० ! अणाहारए दुविहे पं० तं०- छउमत्थअणाहारए य केवलिअणाहारए य, छउमत्थअणाहारए णं जाव केवचिरं होति ?, गो० ! जहण्णेणं एवं समयं उक्कोसेणं दो समया, केवलिअणाहारए दुविहे पं० तं०- सिद्धकेवलिअणाहारए य भवत्थकेवलिअणाहारए य, सिद्धकेवलिअणाहारए ण भंते ! कालओ केवचिरं होति ?, सातिए अपज्जवसिए, भवत्थकेवलिअणाहारए णं भंते ! कइविहे पं० ?, भव० दुविहे पं० तं०सजोगिभवत्थकेवलिअणाहारए य अजोगिभवत्थकेवलिअणाहारए य, सजोगिभवत्थकेवलिअणाहारए णं भंते ! कालओ केवचिरं०?, अजहण्णमणुक्कोसेणं तिण्णि समया, अजोगिभवत्थकेवलि० जह० अंतो० उक्को० अंतोमुहत्तं, छउमत्थआहारगस्स केवतियं कालं अंतरं०?, गो० ! जहण्णेणं एक्कं समयं उक्को० दो समया, केवलिआहारगस्स अंतरं अजहण्णमणुक्कोसेणं तिण्णि समया, छउमत्थअणाहारगस्स अंतरं०?, जह० खुड्डागभवग्गहणं दुसमऊणं उक्को० असंखेज्जं कालं जाव अंगुलस्स असंखेज्जतिभागं, सिद्धकेवलिअणाहारगस्स सातीयस्स अपज्जवसियस्स णत्थि अंतरं, सजोगिभवत्थकेवलिअणाहारगस्स जह० अंतो० उक्कोसेणवि, अजोगिभवत्थकेवलिअणाहारगस्स णत्थि अंतरं, एएसिणं भंते ! आहारगाणं अणाहारगाण य कयरे०?, गो० ! सव्वत्थोवा अणाहारगा आहारगा असंखेज्जगुणा १२४८। अहवा दुविहा सव्वजीवा पं० तं०- भासगा य अभासगा य, भासए णं भंते ! भासएत्ति कालओ केवचिरं होति ?; गो० ! जहण्णेणं एक्कं समयं उक्को० अंतोमुहुत्तं, अभासए णं भंते०!, गो०! अभासए दुविहे पं० तं०- साइए वा अपज्जवसिए सातीए वा सपज्जवसिए, तत्थ णं जे से साइए सपज्जवसिए से जह० अंतो० उक्को० अणंतं कालं अणंता उस्सप्पिणीओसप्पिणीओ वणस्सतिकालो, भासगस्स णं भंते ! केवतियं कालं अंतरं होति ?, जह० अंतो० उक्को० अणंतं कालं वणस्सतिकालो, अभासग० सातीयस्स अपज्जवसियस्स णत्थि अंतरं, सातीयसपज्जवसियस्स जह० एक्कं समयं उक्को० अंतो०, अप्पाबहुगं- सव्वत्थोवा भासगा
अभासगा अणंतगुणा, अहवा दुविहा सव्वजीवा पं० तं०- ससरीरी य असरीरी य, असरीरी जहा सिद्धा, थोवा असरीरी ससरीरी ससरीरी अणंतगुणा ।२४९। म अहवा दुविहा सव्वजीवा पं०२०- चरिमा चेव अचरिमा चेव, चरिमे णं भंते ! चरिमेत्ति कालतो केवचिरं होति ?, गो०! चरिमे अणादीए सपज्जवसिए, अचरिमे
दुविहे पं० तं०- अणातीए वा अपज्जवसिए सातीए वा अपज्जवसिते, दोण्हपि णत्थि अंतरं, अप्पाबहुगं- सव्वत्थोवा अचरिमा चरिमा अणंतगुणा, (प्र० अहवा. र दुविहा सव्वजीवा प०ह तं०- सागारोवउत्ता य अणागारोवउत्ता य, दोण्हपि संचिट्ठणावि अंतरंपि जह० उ० अंतो०, अप्पाबहुगं- सव्वत्थोवा अणागारोवउत्ता. 0:0####335555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा ९२९
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(१४) जीवाजीवाभिगम सव्वजीव पडिवत्ती (१) (२) [[८]
सागारोवउत्ता असंखेज्नगुणा ) सेत्तं दुविहा (प्र० 'सिद्धसइंदियकाए जोए वेए कसाय लेसा य । नाणुवओगाहारा भास सरीरी य चरमो य || १ ||) ★★★ २५० ॥ सर्वजीवप्र० १ ॥ ★★★ तत्थ णं जे ते एवमाहंसु तिविहा सव्वजीवा पं० ते एवमाहंसु तह- सम्मद्दिट्ठी मिच्छादिट्ठी सम्मामिच्छादिट्ठी णं भंते ! कालओ केवचिरं होति ?, गो० ! सम्मद्दिट्ठी दुविहे पं० तं०- सातीए वा अपज्जवसिए साइए वा सपज्जवसिए, तत्थ णं जे ते सातीए सपज्जवसिते से जह० अंतो० उक्को० छावट्ठि सागरोवमा सातिरेगाईं, मिच्छादिट्ठी तिविहे पं० तं०- साइए वा सपज्जवसिए अणातीए वा अपज्जवसिते अणातिए वा अपज्जवसिए, तत्थ णं जे ते सातीए सपज्जवसिए से जह० अंतो० उक्को० अणतंकालं जाव अवहुं पोग्गलपरियहं देसूणं, सम्मामिच्छादिय्ठी जह० अंतो० उक्को० अंतोमु० सम्मद्दिद्विस्स अंतरं साइयस्स अपज्जवसियस्स नत्थि अंतरं, सातीयस्स सपज्जवसियस्स जह० अंतो० उक्को० अणतं कालं जाव अवडुं पोग्गलपरियट्टं, मिच्छादिट्ठिस्स अणादीयस्स अपज्जवसियस थि अंतरं, अणातीयस्स सपज्जवसियस्स नत्थि अंतरं, साइयस्स सपज्जवसियस्स जह० अंतो० उक्को० छावट्ठि सागरोवमाई सातिरेगाई, सम्मामिच्छादिट्ठिस्स जह० अंतो० उक्को० अनंतं कालं जाव अवद्धुं पोग्गलपरियट्टं देसूणं, अप्पाबहुगं- सव्वत्थोवा सम्मामिच्छादिट्ठी अनंतगुणामिच्छादिट्ठअिणंतगुणा ।२५१। अहवा तिविहा सव्वजीवा पं० तं०- परित्ता अपरित्ता नोपरित्तानोअपरित्ता, परित्ते णं भंते !० परि० कालतो केवचिरं होति ?, परित्ते दुविहे पं० तंo कायपरित्ते य संसारपरित्ते य, कायपरित्ते णं भंते० !, जह० अंतोमु० उक्को० असंखेज्जं कालं जाव असंखेज्जा लोगा, संसारपरित्ते णं भंते! संसारपरित्तेत्ति कालओ केवचिरं होति ?, जह० अंतो० उक्को० अणतं कालं जाव अवलं पोग्गलपरियहं देसूणं, अपरित्ते णं भंते ! ०?, अपरित्ते दुविहे पैं० तं०- कायअपरित्ते य संसारअपरित्ते य, कायअपरित्ते णं जह० अंतो० उक्को० अणतं कालं वणस्सतिकालो, संसारापरित्ते दुविहे पं० तं०- अणादीए वा अपज्जवसिते अणादीए वा सपज्जवसिते, णोपरित्तेणोअपरित्त सातीए अपज्जवसिते, कायपरित्तए जह० अंतो० उक्को० वणस्सतिकालो, संसारपरित्तस्स णत्थि अंतरं, कायापरित्तस्स जह० अंतो० उक्को० असंखिज्जं कालं पुढवीकालो, संसारापरित्तस्स अणाइयस्स सपज्जवसियस्स नत्थि अंतरं, णोपरित्तनोअपरित्तस्सवि णत्थि अंतरं, अप्पाबहुगं- सव्वत्थोवा परित्ता णोपरित्तानोअपरित्ता अनंतगुणा अपरित्ता अनंतगुणा । २५२| अहवा तिविहा सव्वजीवा पं० तं०- पज्जत्तगा अपज्जत्तगा नोपज्जत्तगानोअपज्जत्तगा, पज्जत्तके णं भंते ! जह० अंतो० उक्को० सागरोवमसतपुहुत्तं साइरेगं, अपज्जत्तगे णं भंते !, जह० अंतो० उक्को० अंतो०, नोपज्जत्तणोअपज्जत्तए सातीए अपज्जवसिते, पज्जत्तगस्स अंतरं जह० अंतो० उक्को० अंतो०, अपज्जत्तगस्स जह० अंतो० उक्को० सागरोवमसयपुहुत्तं साइरेगं, तइयस्स णत्थि अंतरं, अप्पबहुगं- सव्वत्थोवा नोपज्जत्तगनो अपज्जत्तगा अपज्जत्तगा अनंतगुणा पज्जत्तगा संखिज्जगुणा । २५३ | अहवा तिविहा सव्वजीवा पं० तं०- सुहुमा बायरा नोसुहुमानोबायरा, सुहूमे णं भंते ! सुहुमेत्ति कालओ केवचिरं० १, जह० अंतोमुहुत्तं उक्को० असंखिज्जं कालं पुढवीकालो, बायरा जह० अंतो० उक्को० असंखिज्जं कालं असंखज्जाओ उस्सप्पिणीओसप्पिणीओ कालओ खेत्तओ अंगुलस्स असंखिज्जइभागो, नोसुहुमनोबायरए साइए अपज्जवसिए, सुहुमस्स अंतरं बायरकालो, बायरस्स अंतरं सुहुमकालो, तइयस्स नत्थि, अप्पाबहुगं- सव्वत्थोवा नोसुहमानोबायरा बायरा अणंतगुणा सुहुमा असंखेज्जगुणा । २५४| अहवा तिविहा सव्वजीवा पं० तं०सण्णी असण्णी नोसण्णीनोअसण्णी, सन्नी णं भंते ! सण्णीति कालओ० जह० अंतो० उक्को० सागरोवमसतपुहुत्तं सातिरेगं, असण्णी जह० अंतो० उक्को० वणस्सतिकालो, नोसण्णीनोअसण्णी साइए अपज्जवसिते, सण्णिस्स अंतरं जह० अंतो० उक्को० वणस्सतिकालो, असण्णिस्स अंतरं० १, जह० अंतो० उक्को० सागरोवमसयपुहुत्तं सातिरेगं, ततियस्स णत्थि अंतरं, अप्पाबहुगं- सव्वत्थोवा सणी नोसन्नीअसण्णी अनंतगुणा असण्णी अणंतगुणा । २५५ अहवा तिविहा सव्वजीवा पं० तं०- भवसिद्धिया अभवसिद्धिया नोभवसिद्धियानोअभवसिद्धिया, अणाइया सपज्जवसिया भवसिद्धिया, अणाइया अपज्जवसिया अभवसिद्धिया, साई 'अपज्जवसिया नोभवसिद्धियानोअभसिद्धिया, तिण्हंपि नत्थि अंतरं, अप्पाबहुगं- सव्वत्थोवा अभवसिद्धिया णोभवसिद्धीया नोअभवसिद्धीया अनंतगुणा
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ॐ श्री आगमगुणमंजूषा -९३० FOLK
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(१४) जीवाजीवाभिगम सव्वजीव पडिवत्ती (२) (३) (४) [८९]
|२५६। अहवा तिविहा सव्व० तं०- तसा थावरा नोतसानोथावरा, तसस्स णं भंते ! कालओ० ?, जह० अंतो० उक्को० दो सागरोवमसहस्साइं साइरेगाई, थावरस्स संचिट्ठणा वणस्सतिकालो, णोतसानोथावरा साती अपज्जवसिया, तसस्स अंतरं वणस्सतिकालो, थावरस्स तसकालो, गोतसणोथावरस्स णत्थि अंतरं, अप्पाबहुगं- सव्वत्थोवा तसा नोतसानोथावरा अनंतगुणा थावरा अनंतगुणा । से तं तिविधा सव्वजीवा ★★★ । २५७॥ सव्वजीवप्र० २ ॥ ★★★ तत्थ णं जे ते एवमाहंसु चउव्विहा सव्वजीवा पं० ते एवमाहंसु, तं० मणजोगी वइजोगी कायजोगी अजोगी, मणजोगी णं भंते !० जह० एक्वं समयं उक्को० अंतोमुह, एवं वइजोगीवि, कायजोगी जह० अंतो० उक्को० वणस्सतिकालो, अजोगी सातीए अपज्जवसिए मणजोगिस्स अंतरं जह० अंतो० उक्को० वणस्सइकालो, एवं वइजोगिस्सवि, कायजोगिस्स जह० एक्कं समयं उक्को० अंतो०, अयोगिस्स णत्थि अंतरं, अप्पबहुगं सव्वत्थोवा मणजोगी वइजोगी संखिज्जगुणा अजोगी अनंतगुणा कायजोगी अनंतगुणा । २५८| अहवा चउव्विहा सव्वजीवा पं० तं०- इत्थिवेयगा पुरिसवेयगा नपुंसगवेयगा अवेयगा, इत्थिवेगणा णं भंते! इत्थिवेदपत्ति कालतो केवचिरं होति ?, गो० ! (एगेण आएसेण) पलियसयं, दसुत्तरं अट्ठारस चोद्ददस पलियपुहुत्तं समओ जहण्णो, पुस्सिवेदस्स जह० अंतो उक्को० सागरोवमसयपुहुत्तं सातिरेगं, नपुंसगवेदस्स जह० एक्कं समयं उक्को० अणंतं कालं वणस्सतिकालो, अवेयए दुविहे पं० तं०- सातीए वा अपज्जवसिए सातिए सपज्जवसिए, साइअपज्जवसियस्स णत्थि अंतरं, तत्थ णं जे ते साइसपज्जसिए से जह० एक्कं सा० उक्को० अंतो०, इत्थी वेदस्स अन्तरं जह० अन्तो० उक्को० वणस्सतिकालो, पुरिसवेदस्स जह० एवं समयं उक्को० वणस्सइकालो, नपुंसगवेदस्स जह० अंतो० उक्को० सागरोवमसयपुहुत्तं सातिरेगं, अवेदगो जहाहेट्ठा, अप्पाबहुगं- सव्वत्थोवा पुरिसवेदगा इत्थिवेदगा संखे० अवेदगा अनंतगुणा नपुंसगवेयगा अनंतगुणा । २५९| अहवा चउव्विहा सव्वजीवा पं० तं० चक्खुदंसणी आचक्खुदंसणी अवधिदंसणी केवलदंसणी, चक्खुदंसणी णं भंते !० १, जह० अंतो० उक्को० सागरोवमसहस्सं सातिरेगं, अचक्खुदंसणी दुविहे पं० तं०- अणातीए वा अपज्जवसिए अाइए वा सपज्जवसिए, ओहिदंसणिस्स जह० इक्कं समयं उक्को० दो छावट्ठी सागरोवमाणं साइरेगाओ, केवलदंसणी साइए अपज्जवसिए, चक्खुदंसणिस्स अंतरं जह० अंतोमु० उक्को० वणस्सतिकालो, अचक्खुदंसणिस्स दुविहस्स नत्थि अंतरं, ओहिदंसणिस्स जह० अंतोमुह उक्को० वणस्सइकालो, केवलदंसणिस्स णत्थि अंतरं, अप्पाबहुयं- सव्वत्थोवा ओहिदंसणी चक्खुदंसणी असंखे० केवलदंसणी अनंतगुणा अचक्खुदंसणी अनंतगुणा | २६०| अहवा चउव्विहा सव्वजीवा पं० तं०संजया असंजया संजयासंजया नोसंजयानोअसंजयानोसंजयासंजया, संजए णं भंते !० ? जह० एक्वं समयं उक्को० देसूणा पुव्वकोडी, असंजया जहा अण्णाणी, संजयासंजते जह० अंतोमु० उक्को० देसूणा पुव्वकोडी, नोसंजतनोअसंजयनोसंजयासंजए सातीए अपज्जवसिए संजयस्स संजयासंजयस्स दोण्हवि अंतरं जह० अंतोमु० उक्को० अवङ्कं पोग्गलपरियट्टं देसूणं, असंजयस्स आदिदुवे णत्थि अंतरं, सातीयस्स सपज्जवसियस्स जह० एक्वं स० उक्को० देसूणा पुव्वकोडी, उत्थ णत्थि अंतरं, अप्पाबहुगं- सव्वत्थोवा संजयासंजया संजया संखे० णोसंजयणोअसंजयणोसंजयासंजया अनंतगुणा असंजया अणंतगुणा । सेत्तं चउव्विहा सव्वजीवा ★★★।२६१। सर्वजीवप्रतिपत्तिः ३ ॥ ★★★ तत्थ णं जे ते एवमाहंसु पंचविधा सव्वजीवा पं० ते एवमाहंसु, तं० कोहकसायी माणकसायी मायाका लोहकसायी अकसायी, कोहकसाइ माणकसाइ मायाकसाईणं जह० अंतो० उक्को० अंतोमु० लोभकसाइस्स जह० एक्कं स० उक्को० अंतो०, अकसाई दुविहे जहा हेट्ठा, कोहकसाइमाणकसाइमायाकसाईणं अंतरं जह० एक्कं स० उक्को० अंतो०, लोहकसाइस्स अंतरं जह० अंतो० उक्को० अंतो० अकसाइ तहा जहा हेट्ठा, अप्पाबहुगं- ‘अकसाई सव्वत्थोवा माणकसाई तहा अनंतगुणा । कोहे मायालोभे विसेसमहिया मुणेतव्वा ||१३|| २६२| अहवा पंचविहा सव्वजीवा पं० तं०णेरइया तिरिक्खजोणिया मणुस्सा देवा सिद्धा, संचिट्ठणांतराणि जह हेट्ठा भणियाणि, अप्पाबहुगं- थोवा मणुस्सा णेरइया असंखे० देवा असंखे० सिद्धा अनंतगुणा • तिरिया अणंतगुणा । सेत्तं पंचविहा सव्वजीवा ★★★ । २६३ ॥ सर्वजीवप्रतिपत्तिः ४ ॥ ★★★ तत्थ णं जे ते एवमाहंसुछव्विहा सव्वजीवा पं० ते एवमाहंसु,
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23 Rersonalities only श्री आगमगुणमंजूषा ९३१ YO
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(१४) जीवाजीवाभिगम सव्वजीव पडिवत्ती (५) (६) [30]
तं०- आभिणिबोहियणाणी सुयणाणी ओहिनाणी मणपज्जवणाणी केवलनाणी अण्णाणी, आभिणिबोहियणाणी णं भंते ! आभिणिबोहियणाणित्ति कालओ केवचिरं होइ ?, गो० ! जह० अन्तोमुहुत्तं उक्को० छावट्ठि सागरोवमाइं साइरेगाई, एवं सुयणाणीवि ओहिणाणीवि, मणपज्जवणाणी णं भंते !० १, जह० एक्वं समयं उक्को० देसूणा पुव्वकोडी, केवलनाणी णं भंते !० १, सादीए अपज्जवसिए, अन्नाणिणो तिविहा पं० तं०- अणाइए वा अपज्जवसिए अणाइए वा सपज्जवसिए साइए वा सपज्जवसिए, तत्थ साइए सपज्जवसिए जह० अंतो० उक्को० अणतं कालं अवड्डुं पुग्गलपरियट्टं देसूणं, अंतरं- आभिणिबोहियणाणिस्स जह० अंतो० उक्को० अणतं कालं अव पुग्गलपरियट्टं देसूणं, एवं सुय० अंतरं ओहि० मणपज्जव०, केवलनाणिणो णत्थि अंतरं, अन्नाणि० साइसपज्जवसियस्स जह० अंतो० उक्को० छावट्ठि सागरोवमाई साइरेगाई, अप्पाबहुगं- सव्वत्थोवा मण० ओहि० असंखे० आभि० सुय० विसेसा० सट्ठाणं दोवि तुल्ला केवलिणो अनंतगुणा अण्णाणी अनंतगुणा, अहवा छव्विहा सव्वजीवा पं० तं०- एगिदिया बेंदिया तेंदियाचउरिदियां पंचेंदिया अणिदिया, संचिट्टणांतरा जहा हेट्ठा, अप्पाबहुगं- सव्वत्थोवा पंचेदिया चउरिंदिया विसेसा० तेइं० विसे० बेई० विसे० अणिंदिया अणंतगुणा एगिंदिया अनंतगुणा । २६४ । अहवा छव्विहा सव्वजीवा पं० तं०- ओरालियसरीरी वेउव्विय० आहार० तेयग० कम्म० असरीरी, ओरालियसरीरी णं भंते !० कालओ केवचिरं होइ ?, जह० खुड्डागं भवग्गहणं दुसमऊणं उक्को० असंखिज्नं कालं नाव आंगुलस्स असंखेज्जतिभागं, वेउव्वियसरीरी जह० एक्कं समयं उक्को० तेत्तीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तमब्भहियाई, आहारगसरीरी जह० उक्को० अंतो०, यसरी दुवि अणादीए वा अपज्जवसिए अणादीए वा सपज्जवसिते, एवं कम्मगसरीरीवि, असरीरी सातीए अपज्जवसिते, अंतरं ओरालियसरीरस्स जह० एक्कं समयं उक्को० तेत्तीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तमब्भहियाई, वेउव्वियसरीरस्स जह० अंतो० उक्को० अनंतं कालं वणस्सतिकालो, आहारगसरीरस्स जह० अंतो० उक्को० अणतं कालं जाव अवड्डुं पोग्गलपरियट्टं देसूणं, तेय० कम्मसरीरस्स य दुण्हवि णत्थि अंतरं, अप्पाबहुगं- सव्वत्थोवा आहारगसरीरी वेउव्वियसरीरी असंखे० ओरालियसरीरी असंखे० असरीरी अणंतगुणा तेयाकम्मसरीरी दोवि तुल्ला अणंतगुणा । सेत्तं छव्विहा सव्वजीवा ★ ★ ★ । २६५ ॥ सर्वजीवप्रतिपत्ति: ५ ॥ ★★★ तत्थ णं जे ते एवमाहंसु सत्तविधा सव्वजीवा पं० ते एवमाहंसु तं०- पुढवी० आउ० तेउ० वाउ० वणस्सति० तस० अकाइया, संचिट्ठणंतरा जहा हेट्ठा, अप्पाबहुगं- सव्वत्थोवा तसकाइया तेउ० असंखेज्जगुणा पुढवीकाइया विसे० आउ० विसे० वाउ० विसेसा० सिद्धाअणंतगुणा वणस्सइकाइया अनंतगुणा । २६६ | अहवा सत्तविहा सव्वजीवा पं० तं०- कण्हलेस्सा नील० काउ० तेउ० पम्ह० सुक्क० अलेस्सा, कण्हलेसे णं भंते! कण्हलेसेत्ति कालओ केवचिरं होइ ?, गो० ! ज० अंतो० उक्को० तेत्तीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तमब्भहियाई, णीललेस्से णं० ?, जह० अंतो० उक्को० दस सागरोवमाइं पलिओवमस्स असंखेज्जतिभाग अब्भहियाई, काउलेस्से णं भंते!, जह० अंतो० उक्को० तिन्नि सागरोवमाइं पलिओवमस्स असंखेज्जतिभागमब्भहियाई, तेउलेस्से णं भंते !०, जह० अंतो० उक्को० दोण्णि सागरोवमाइं पलिओवमस्स असंखेज्जइभागमब्भहियाई, पम्हलेसे णं भंते !०, जह० अंतो० उक्को० दस सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तमब्भहियाई, सुक्कलेसे णं भंते !० १, जह० अंतो० उक्को० तित्तीसं सागरोवमाइं अंतोमुहुत्तमब्भहियाइं, अलेस्से णं भंते !०, सादीए अपज्जवसिते, कण्हलेसस्स णं भंते ! अंतरं कालओ केवचिरं होति ?, जह० अंतो० उक्को० तेत्तीस सागरोवमाई अंतोमुहुत्तम०, एवं नीललेसस्सवि काउलेसस्सवि, तेउलेसस्स णं भंते ! अंतरं का० १, जह० अंतो० उक्को० वणस्सतिकालो, एवं पम्हलेसस्सवि सुक्कलेसस्सवि दोण्हवि एवमंतरं, अलेसस्स णं भंते ! अंतरं कालओ० ?, गो० ! सादीयस्स अपज्जवसियस्स णत्थि अंतरं, एतेसिं णं भंते! जीवाणं कण्हलेसाणं नील० काउले ० तेउ० पम्ह० सुक्क० अलेसाण य कयरे १०, गो० ? सव्वत्थोवा सुक्कलेस्सा पम्ह० संखेज्जगुणा तेउ० असंखेज्जगुणा अलेस्सा अनंत० काउ० अतगुणा नील० विसे० कण्ह० विसे । सेत्तं सत्तविहा सव्वजीवा ★★★ । २६७ || सर्वजीवप्रतिपत्तिः ६ ॥ ★★★ तत्थ णं जे ते एवमाहंसु अट्ठविहा सव्वजीवा पं० ते णं एवमाहंसु, तं०- आभिणिबोहियनाणी सुय० ओहि० मण० केवल० मतिअन्नाणी सुयअण्णाणी विभंगअण्णाणी, आभिणिबोहियणाणी णं भंते !
ॐॐॐॐॐॐॐॐ श्री आगमगुणमंजूषा ९३२
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एकजीवानीवापिगम सव्यजीव पडिवत्ती (खाटा
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आभिणिबोहियणाणीति कालओ केवचिरं होति?, गो० ! जह० अंतो० उक्को० छावट्ठिसागरोवमाइं सातिरेगाई, एवं सुयणाणीवि, ओहिणाणी णं भंते!?, जह० एक्कं समयं उक्को० छावट्ठिसागरोवमाई, सातिरेगाइं मणपज्जवणाणी णं भंते !० ?, जह० एक्कं स० उक्को० देसूणा पुव्वकोडी, केवलणाणी णं भंते !०?, सादीए अपज्जवसिते, मतिअण्णाणी णं भंते !०?, मइअण्णाणी तिविहे पं० तं०-अणाइए वा अपज्जवसिए अणादीए वा संपज्जवसिए सातीए वा सपज्जवसिते, तत्थ णं जे सादीए सपज्जवसिते से जह० अंतो० उक्को० अणंतं कालं जाव अवड्ढं पोग्गलपरियट्ट देसूणं, सुयअण्णाणी एवं चेव, विभंगअण्णाणी णं भंते ! विभंग०?, जह० एक्कं समयं उ० तेत्तीसं सागरोवमाई देसूणाए पुव्वकोडीए अब्भहियाई, आभिणिबोहियणाणिस्स णं भंते ! अंतरं कालओ०?, जह० अंतो० उक्को० अणंतं कालं जाव अवड्ढं पोग्गलपरियट्ट देसूणं, एवं सुयणाणिस्सवि ओहिणाणिस्सवि मणपज्जवणाणिस्सवि, केवलणाणिस्सणं भंते ! अंतरं० १, सादीयस्स अपज्जवसियस्स णत्थि अंतरं, मइअण्णाणिस्स णं भंते ! अंतरं०?, अणादीयस्स अपज्जवसियस्स पत्थि अंतरं अणादीयस्स सपज्जवसियस्स णत्थि अंतरं, सादीयस्स सपज्जवसियस्स जह० अंतो० उक्को० छावढि सागरोवमाइं सातिरेगाई, एवं सुयअण्णाणिस्सवि, विभंगणाणिस्स णं भंते ! अंतरं० ?, जह० अंतो० उक्को० वणस्सतिकालो, एएसिं णं भंते ! आभिणिबोहियणाणीणं सुयणाणीणं ओहि० मण० केवल० मइअण्णाणीणं सुयअण्णाणीणं विभंगणाणीण य कतरे० ?, गो० ! सव्वत्थोवा जीवा मणपज्जवणाणी ओहि० असंखे० आभिणिबोहियणाणी सुयणाणी एए दोवितुल्ला विसेसाहिया, विभंगणाणी असंखिज्जगुणा, केवलणाणी अणंतगुणा, मइअण्णाणी सुयअण्णाणी य दोवि तुल्ला अणंतगुणा।२६८। अहवा अट्ठविहा सव्वजीवा पं० तं०-णेरइया तिरिक्खजोणिया तिरिक्खजोणिणीओ मणुस्सा मणुस्सीओ देवा देवीओ सिद्धा, णेरइएणं भंते ! नेरइयत्ति कालओ केवचिरं होति?, गो० ! जह० दस वाससहस्साइं उ० तेत्तीसं सागरोवमाइं, तिरिक्खजोणिए णं भंते !०?, जह० अंतोमु० उक्को० वणस्सतिकालो, तिरिक्खजोणिणी णं भंते !०?, जह० अंतो० उक्को० तिन्नि पलिओवमाइं पुव्वकोडिपुहुत्तमब्भहियाई, एवं मणूसे मणूसी, देवे जहा नेरइए, देवी णं भंते !०?, जह० दस वाससहस्साइं उ० पणपन्नं पलिओवमाई, सिद्धे णं भंते ! सिद्धेत्ति०?, गो० ! सादीए अपज्जवसिए, णेरइयस्सणं भंते ! अंतरं कालओ केवचिरं होति ?, जह० अंतो० उक्को० वणस्सतिकालो, तिरिक्खजोणियस्स णं अंतरं कालओ० ?, जह० अंतो० उक्को० सागरोवमसतपुहुत्तं सातिरेगं, तिरिक्खजोणिणीणं भंते ! अंतरं कालओ केवचिरं होति ?, गो० ! जह० अंतोमुहुत्तं उक्को० वणस्सतिकालो, एवं मणुस्सस्सवि मणुस्सीएवि देवस्सवि देवीएवि, सिद्धस्स णं भंते ! अंतरं०?, सादीयस्स अपज्जवसियस्स णत्थि अंतरं, एतेसिंणं भंते! णेरइयाणं तिरिक्खजोणियाणं तिरिक्खजोणिणीणं मणूसाणं मणूसीणं देवाणं देवीणं सिद्धाण य कयरे०?, गो० ! सव्वत्थोवा मणुस्सीओ मणुस्सा असंखे० नेरइया असंखे० तिरिक्खजोणिणीओ असंखे० देवा असंखि० देवीओ संखे० सिद्धा अणंतगुणा तिरिक्खजोणिया अनंतगुणा । सेत्तं अट्ठविहा सव्वजीवा ★★★२६९। सर्वजीवप्रतिपत्ति: ७॥★★★ तत्थ णं जे ते एवमाहंसु णवविधा सव्वजीवा पं० ते एवेमाहंसु तं०-एगिदिया बेदिया तेंदिया चउरिदिया णेरइया पंचेदियतिरिक्खजोणिया मणूसा देवा सिद्धा, एगिदिए णं भंते ! एगिदियत्ति कालओ केवचिरं होइ ?, गो० ! जह० अंतोमु० उक्को० वणस्स०, बेदिए णं भंते !०, जह० अंतो० उक्को० असंखेज्जं कालं, एवं तेइंदिएवि, चउ०, णेरइया णं भंते !0, जह० दस वाससहस्साई उक्को० तेत्तीसं सागरोवमाई, पंचेदियतिरिक्खजोणिए णं भंते !०, जह० अंतो० उक्को तिण्णि पलिओवमाइं पुव्वकोडिपुहुत्तमब्भहियाई, एवं मणूसेवि, देवा जहा णेरइया, सिद्धे णं भंते !० ?, सादीए अपज्जवसिए, एगिदियस्स णं भंते ! अंतरं कालओ केवचिरं होति ?, गो० ! जह० अंतो० उक्को० दो सागरोवमसहस्साई संखेज्जवासमन्भहियाई, बेदियस्स णं भंते ! अंतरं कालओ केवचिरं होति ?, गो० ! जह० अंतो० उक्को० वणस्सतिकालो, एवं तेंदियस्सवि
चउरिदियस्सविणेरइयस्सवि पंचेदियतिरिक्खजोणियस्सविमणूसस्सवि देवस्सवि सव्वेसिमेवं अंतरं भाणियव्वं,सिद्धस्सणं भंते ! अंतरं कालओ०?, सादीयस्स # अपज्जवसियस्स णत्थि अंतरं, एतेसिंणं भंते ! एगिदियाणं बेइंदि० तेइंदि० चउरिदियाणं णेरइयाणं पंचेदियतिरिक्खजोणियाणं मणूसाणं देवाणं सिद्धाण य कयरे० ?,
गो० ! सव्वत्थोवा मणुस्सा णेरइया असंखेज्जगुणा देवा असंखेज्जगुणा पंचेदियतिरिक्खजोणिया असंखेज्जगुणा चउरिदिया विसेसाहिया तेइंदिया विसे० बेदिया ही ExerofFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFF॥ श्री आगमगुणमंजूषा - ९३३ 55555555555555555555555555OK
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(१४) जीवाजीवाभिगम सव्वजीव पडिवत्ती (८) (९)
विसे० सिद्धा अनंतगुणा एगिदिया अनंतगुणा । २७०| अहवा णवविधा सव्वजीवा पं० तं०-पढमसमयनेरइया अपढम० पढमसमयतिरिक्खजोणिया अपढम० पढमसमयमणूसा अपढम० पढमसमयदेवा अपढम० सिद्धा य, पढमसमयणेरड्या णं भंते !० १, गो० ! एक्कं समयं, अपढमसमयणेरइए णं भंते !० ?, जह० दस वाससहस्साइं समऊणाई उक्को० तेत्तीसं सागरोवमाई समऊणाई, पढमसमयतिरिक्खजोणिए णं भंते !० १, एक्कं समयं, अपढमसमयतिरिक्खजोणिए णं भंते !० ?, जह० खुड्डागं भवग्गहणं समऊणं उक्को० वणस्सतिकालो, पढमसमयमणुस्से णं भंते !० १, एक्कं समयं, अपढमसमयमणुस्से णं भंते !० १, जह० खुड्डागं भवग्गहणं समऊणं उक्को० तिन्नि पलिओवमाइं पुव्वकोडिपुहुत्तमब्भहियाई, देवे जहा णेरइए. सिद्धे णं भंते ! सिद्धेत्ति कालओ केवचिरं होति ?, गो० ! सादीए अपज्जवसिते, पढमसमयणेरइयस्स णं भंते ! अंतरं कालओ० ?, गो० ! जह० दस वाससहस्साइं अंतोमुहुत्तमब्भहियाइं उक्को० वर्णस्सतिकालो, अपढमसमयणेरइयस्स णं भंते ! अंतरं०, जह० अंतो० उक्को० वणस्सतिकालो, पढमसमयतिरिक्खजोणियस्स णं (१६८) भंते ! अंतरं कालतो० ?, जह० दो खुड्डागाइं भवग्गहणाइं समऊणाई उक्को० वण०, अपढमसमयतिरिक्खजोणियस्स णं भंते ! अंतरं कालतो० १, जह० खुड्डागं भवग्गहणं समयाहियं उक्को० सागरोवमसयपुहुत्तं सातिरेगं, पढमसमयमणूसस्स जहा पढमसमयतिरिक्खजोणियस्स, अपढमसमयमणूसस्स णं भंते! अंतरं कालओ० १, जह० खुड्डागं भवग्गहणं समयाहियं उक्को० वण०, पढमसमयदेवस्स जहा पढमसमयणेरतियस्स, अपढमसमयदेवस्स जहा अपढमसमयणेरइयस्स, सिद्धस्स णं भंते !० ?, सादीयस्स अपज्जवसियस्स णत्थि अंतरं, एएसिं णं भंते! पढमसमयनेरइयाणं पढमस० तिरिक्खजोणियाणं पढमसमयमणूसाणं पढमस० देवाण य कयरे० ?, गो० सव्वत्थोवा पढमसमयमणूसा पढमसमयणेरइया असंखिज्जगुणा पढमसमयदेवा असं० पढमस० तिरिक्खजो० असं०, एएसिं णं भंते! अपढम० नेरइयाणं अपढमसमयतिरिक्खजोणि० अपढमसमयमणूसाणं अपढमसमयदेवाण य कयरे० ?, गो० ! सव्वत्थोवा अपढमसमयमणूसा अपढमसमयनेरइ० असं० अपढमसमयदेवा असं० अपढमसमयतिरि० अणंतगुणा, एतेसिं णं भंते ! पढमसमयनेरइयाणं अपढमसमयणेरइयाण य कयरे० १, गो० ! सव्वत्थोवा पढमसमयणेरइया अपढमसमयणेरइया असंखे०, एतेसिं णं भंते ! पढमसमयतिरिक्खजोणियाणं अपढमसमयतिरिक्खजोणि० कतरे० ?, गो० ! सव्व० पढमसमयतिरि० अपढमसमयतिरिक्खजोणिया अणंत०, मणुय० देव०, अप्पाबहुयं नेरइयाइयाणं, एतेसिं णं भंते ! पढमस० णेरइ० पढमस० तिरिक्खाणं पढमस० मणूसाणं पढमसमयदेवाणं अपढमसमयनेरइ० अपढमसमयतिरिक्ख० अपढमसमयमणू० अपढमसमयदेवाणं सिद्धाण य कयरे० १, गो० ! सव्वत्थोवा पढमस० मणूसा अपढमसमयमणु० असं० पढमसमयनेरइ० असं० पढमसमयदेवा असं० पढमसमयतिरिक्खजो० असं० अपढमसमयनेर० असं० अपढमस० देवा असंखे० सिद्धा अणं० अपढमस० तिरि० अणंतगुणा । सेत्तं नवविहा सव्वजीवा ★★★ ।२७१ । सर्वजीवप्रतिपत्तिः ८ ॥ ★★★ तत्थ णं जे ते एवमाहंसु दसविधा सव्वजीवा पं० ते णं एवमाहंसु, तं० पुढवीकाइया आउ० तेउ० वाउ० वणस्सतिकाइया बिदिया तिंदिया चउरिं० पंचें० अणिदिया, पुढवीकाइए णं भंते ! - पुढवीकाइएत्ति कालओ केवचिरं होति ?, गो० ! जह० अंतो० उक्को० असंखेज्जं कालं असंखेज्जाओ उस्सप्पिणीओसप्पिणीओ कालओ खेत्तओ असंखेज्जा लोया, एवं आउतेउवाउकाइया, वणस्सतिकाइए णं भंते ! गो० ! जह० अंतो० उक्को० वणस्सतिकालो, बेदिए णं भंते !० १, जह० अंतो० उक्को० संखेज्नं कालं, एवं तेईदिएवि चउरिदिएवि, पंचिदिए णं भंते ! गो० ! जह० अंतो० उक्को० सागरोवमसहस्सं सातिरेगं, अणिदिए णं भंते !० १, सादीए अपज्जवसिए, पुढवीकाइयस्स
भंते! अंतरं काओ केवचिरं होति ?, गो० ! जह० अंतो० उक्को० वणस्सतिकालो, एवं आउकाइयस्स तेउ० वाउ०, वणस्सइकाइयस्स णं भंते ! अंतरं कालओ० ?, जाचेव पुढवीकाइयस्स संचिट्ठणा, बियतियचउरिदियपंचेदियाणं एतेसिं चउण्हंपि अंतरं जह० अंतो० उक्को० वणस्सइकालो, अणिदियस्स णं भंते! अंतरं कालओ केवचिरं होत ?, गो० ! सादीयस्स अपज्जवसियस्स णत्थि अंतरं, एतेसिं णं भंते । पुढवीकाइयाणं आउ० तेउ० वाउ० वण० बेंदियाणं तेइंदियाणं चउरिं० पंचेदियाणं अणिदियाणं य कतरे० १, गो० ! सव्वत्थोवा पंचेंदिया चतुरिदिया विसेसाहिया तेइंदि० विसे० बेदि० विसे० तेउकाइया असंखिज्जगुणा पुढवीकाइया
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ॐॐॐॐॐॐॐॐ श्री आगमगुणमंजूषा - ९३४
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