Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar Agam Guna Manjusha
Author(s): Gunsagarsuri
Publisher: Jina Goyam Guna Sarvoday Trust Mumbai
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री रायपसेणीय सूत्र ॥ श्री आगम-गुण- मञ्जूषा ॥ ।। श्री भागम-गुण-मंभूषा ।। II Sri Agama Guna Manjusa II (सचित्र) प्रेरक-संपादक अचलगच्छाधिपति प.पू. आ. भ. स्व. श्री गुणसागर सूरीश्वरजी म.सा. Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ HOROS555555555555555555555555555 ४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय 555555555555555555555555555QUOTE | ४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय | ११ अंगसूत्र के जीवन चरित्र है, धर्मकथानुयोग के साथ चरणकरणानुयोग भी इस सूत्र मे सामील है । इसमे ८०० से ज्यादा श्लोक है। श्री आचारांग सूत्र :- इस सूत्र मे साधु और श्रावक के उत्तम आचारो का सुंदर वर्णन है । इनके दो श्रुतस्कंध और कुल २५ अध्ययन है। द्रव्यानुयोग, गणितानुयोग, श्री अन्तकृद्दशांग सूत्र :- यह मुख्यत: धर्मकथानुयोग मे रचित है। इस सूत्र में श्री धर्मकथानुयोग और चरणकरणानुयोगोमे से मुख्य चौथा अनुयोग है। उपलब्ध श्लोको शत्रुजयतीर्थ के उपर अनशन की आराधना करके मोक्ष मे जानेवाले उत्तम जीवो के छोटे छोटे चरित्र दिए हए है। फिलाल ८०० श्लोको मे ही ग्रंथ की समाप्ति हो जाती 5 कि संख्या २५०० एवं दो चुलिका विद्यमान है। है। श्री सूत्रकृतांग सूत्र :- श्री सुयगडांग नाम से भी प्रसिद्ध इस सूत्र मे दो श्रुतस्कंध और २३ अध्ययन के साथ कुलमिला के २००० श्लोक वर्तमान में विद्यमान है । १८० श्री अनुत्तरोपपातिक दशांग सूत्र :- अंत समय मे चारित्र की आराधना करके क्रियावादी, ८४ अक्रियावादी, ६७ अज्ञानवादी अपरंच द्रव्यानुयोग इस आगम का अनुत्तर विमानवासी देव बनकर दूसरे भव मे फीर से चारित्र लेकर मुक्तिपद को प्राप्त मुख्य विषय रहा है। करने वाले महान् श्रावको के जीवनचरित्र है इसलीए मुख्यतया धर्मकथानुयोगवाला यह ग्रंथ २०० श्लोक प्रमाणका है। श्री स्थानांग सूत्र :- इस सूत्र ने मुख्य गणितानुयोग से लेकर चारो अनुयोंगो कि बाते आती है। एक अंक से लेकर दस अंको तक मे कितनी वस्तुओं है इनका रोचक वर्णन श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र :- इस सूत्र मे मुख्यविषय चरणकरणानुयोग है। इस आगम है, ऐसे देखा जाय तो यह आगम की शैली विशिष्ट है और लगभग ७६०० श्लोक है। में देव-विद्याघर-साधु-साध्वी श्रावकादि ने पुछे हुए प्रश्नों का उत्तर प्रभु ने कैसे दिया इसका वर्णन है । जो नंदिसूत्र मे आश्रव-संवरद्वार है ठीक उसी तरह का वर्णन इस सूत्र श्री समवायांग सूत्र :- यह सूत्र भी ठाणांगसूत्र की भांति कराता है । यह भी मे भी है । कुलमिला के इसके २०० श्लोक है। संग्रहग्रंथ है । एक से सो तक कौन कौन सी चीजे है उनका उल्लेख है। सो के बाद देढसो, दोसो, तीनसो, चारसो, पांचसो और दोहजार से लेकर कोटाकोटी तक ११) श्री विपाक सूत्र :- इस अंग मे २ श्रुतस्कंध है पहला दुःखविपाक और दूसरा कौनसे कौनसे पदार्थ है उनका वर्णन है। यह आगमग्रंथ लगभग १६०० श्लोक प्रमाण सुखविपाक, पहेले में १० पापीओं के और दूसरे में १० धर्मीओ के द्रष्टांत है मुख्यतया मे उपलब्ध है। धर्मकथानुयोग रहा है । १२०० श्लोक प्रमाण का यह अंगसूत्र है। श्री व्याख्याप्रज्ञप्ति सूत्र (भगवती सूत्र) :- यह सबसे बडा सूत्र है, इसमे ४२ १२ उपांग सूत्र शतक है, इनमे भी उपविभाग है, १९२५ उद्देश है। इस आगमग्रंथ मे प्रभु महावीर के प्रथम शिष्य श्री गौतमस्वामी गणधरादि ने पुछे हुए प्रश्नो का प्रभु वीर ने समाधान १) श्री औपपातिक सूत्र :- यह आगम आचारांग सूत्र का उपांग है । इस मे चंपानगरी किया है। प्रश्नोत्तर संकलन से इस ग्रंथ की रचना हुइ है। चारो अनुयोगो कि बाते का वर्णन १२ प्रकार के तपों का विस्तार कोणिक का जुलुस अम्बडपरिव्राजक के ७०० शिष्यो की बाते है। १५०० श्लोक प्रमाण का यह ग्रंथ है। अलग अलग शतको मे वर्णित है। अगर संक्षेप मे कहना हो तो श्री भगवतीसूत्र रत्नो का खजाना है। यह आगम १५००० से भी अधिक संकलित श्लोको मे उपलब्ध है। श्री राजप्रश्नीय सूत्र :- यह आगम सुयगडांगसूत्र का उपांग है। इसमें प्रदेशीराजा का ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र :- यह सूत्र धर्मकथानुयोग से है। पहले इसमे साडेतीन करोड अधिकार सूर्याभदेव के जरीए जिनप्रतिमाओं की पूजा का वर्णन है। २००० श्लोको से भी अधिक प्रमाण का ग्रंथ है। कथाओ थी अब ६००० श्लोको मे उन्नीस कथाओं उपलब्ध है। १७) श्री उपासकदशांग सूत्र :- इसमें बाराह व्रतो का वर्णन आता है और १० महाश्रावको Gorak45555555555555555555555555555 श्री आगमगुणमजूषा G555555555555555555555555555555ory OG5555555555555555555555555555555555555555555555553535959595959OLICE Gan Education Interna rnww.iainelibrary.orp) Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ३) श्री जीवाजीवाभिगम सूत्र :- यह ठाणांगसूत्र का उपांग है। जीव और अजीव के बारे मे अच्छा विश्लेषण किया है। इसके अलावा जम्बुद्विप की जगती एवं विजयदेव कि हुइ पूजा की विधि सविस्तर बताई है। फिलाल जिज्ञासु ४ प्रकरण, क्षेत्रसमासादि जो पढ़ते है वह सभी ग्रंथे जीवाभिगम अपरग्च पन्नवणासूत्र के ही पदार्थ है। यह आगम सूत्र ४७०० श्लोक प्रमाण का है। ४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय ४) श्री प्रज्ञापना सूत्र- यह आगम समवायांग सूत्र का उपांग है। इसमे ३६ पदो का वर्णन है। प्रायः ८००० श्लोक प्रमाण का यह सूत्र है। ५) ६) श्री सुर्यप्रज्ञप्ति सूत्र : श्री चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र :- इस दो आगमो मे गणितानुयोग मुख्य विषय रहा है। सूर्य, चन्द्र, ग्रहादि की गति, दिनमान ऋतु अयनादि का वर्णन है, दोनो आगमो मे २२००, २२०० श्लोक है। ७) श्री जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र :- यह आगम भी अगले दो आगमों की तरह गणितानुयोग है। यह ग्रंथ नाम के मुताबित जंबूद्विप का सविस्तर वर्णन है । ६ आरे के स्वरूप बताया है । ४५०० श्लोक प्रमाण का यह ग्रंथ है। ९) ८) श्री निरयावली सूत्र :- इन आगम ग्रंथो में हाथी और हारादि के कारण नानाजी का दोहित्र के साथ जो भयंकर युद्ध हुआ उस मे श्रेणिक राजा के १० पुत्र मरकर नरक मे गये उसका वर्णन है। श्री कल्पावतंसक सूत्र :- इसमें पद्मकुमार और श्रेणिकपुत्र कालकुमार इत्यादि १० भाइओं के १० पुत्रों का जीवन चरित्र है। १०) श्री पुष्पिका उपांग सूत्र :- इसमें १० अध्ययन है। चन्द्र, सूर्य, शुक्र, बहुपुत्रिका देवी, पूर्णभद्र, माणिभद्र, दत्त, शील, जल, अणाढ्य श्रावक के अधिकार है। ११) श्री पुष्पचुलीका सूत्र :- इसमें श्रीदेवी आदि १० देवीओ का पूर्वभव का वर्णन है। १२) श्री वृष्णिदशा सूत्र :- यादववंश के राजा अंधकवृष्णि के समुद्रादि १०पुत्र, १० मे पुत्र वासुदेव के पुत्र बलभद्रजी, निषधकुमार इत्यादि १२ कथाएं है। अंतके पांचो उपांगो को निरियावली परचक भी कहते है। दश प्रकीर्णक सूत्र १) श्री चतुशरण प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में अरिहन्त, सिद्ध, साधु और गच्छधर्म के आचार के स्वरूप का वर्णन एवं चारों शरण की स्वीकृति है । २) श्री आतुर प्रत्याख्यान प्रकीर्णक सूत्र :- इस आगम का विषय है अंतिम आराधना और मृत्युसुधार ३) श्री भक्तपरिज्ञा प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में पंडित मृत्यु के तीन प्रकार ( १ ) भक्त परिज्ञा मरण (२) इंगिनी मरण (३) पादोपगमन मरण इत्यादि का वर्णन है । ६) श्री संस्तारक प्रकीर्णक सूत्र :- नामानुसार इस पयन्ने में संथारा की महिमा का वर्णन है । इन चारों पयन्ने पठन के अधिकारी श्रावक भी है। ७) श्री तंदुल वैचारिक प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने को पूर्वाचार्यगण वैराग्य रस के समुद्र के नाम से चीन्हित करते है । १०० वर्षों में जीवात्मा कितना खानपान करे इसकी विस्तृत जानकारी दी गई है। धर्म की आराधना ही मानव मन की सफलता है। ऐसी बातों से गुंफित यह वैराग्यमय कृति है। ८) श्री चन्दाविजय प्रकीर्णक सूत्र :- मृत्यु सुधार हेतु कैसी आराधना हो इसे इस पयन्ने में समजाया गया है। ९) श्री देवेन्द्र-स्तव प्रकीर्णक सूत्र :- इन्द्र द्वारा परमात्मा की स्तुति एवं इन्द्र संबधित अन्य बातों का वर्णन है। १०) श्री मरणसमाथि प्रकीर्णक सूत्र :- मृत्यु संबधित आठ प्रकरणों के सार एवं अंतिम आराधना का विस्तृत वर्णन इस पयन्ने में है। १०B) श्री महाप्रत्याख्यान प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में साधु के अंतिम समय में किए जाने योग्य पयन्ना एवं विविध आत्महितकारी उपयोगी बातों का विस्तृत वर्णन है। MO६५६६५६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ श्री आगमगुणमंजूषा H Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ KGRO १०C) श्री गणिविद्या प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में ज्योतिष संबंधित बड़े ग्रंथो का सार है। उपरोक्त दसों पयन्नों का परिमाण लगभग २५०० श्लोकों में बध्य हे। इसके अलावा २२ अन्य पयन्ना भी उपलब्ध हैं। और दस पयन्नों में चंदाविजय पयन्नो के स्थान पर गच्छाचार पयन्ना को गिनते हैं। छह छेद सूत्र (१) निशिथ सूत्र (२) महानिशिथ सूत्र (३) व्यवहार सूत्र (४) जीतकल्प सूत्र (५) पंचकल्प सूत्र (६) दशा श्रुतस्कंध सूत्र इन छेद सूत्र ग्रन्थों में उत्सर्ग, अपवाद और आलोचना की गंभीर चर्चा है। अति गंभीर केवल आत्मार्थ, भवभीरू, संयम में परिणत, जयणावंत, सूक्ष्म दष्टि से द्रव्यक्षेत्रादिक विचार धर्मदष्टि से करने वाले, प्रतिपल छहकाया के जीवों की रक्षा हेतु चिंतन करने वाले, गीतार्थ, परंपरागत उत्तम साधु, समाचारी पालक, सर्वजीवो के सच्चे हित की चिंता करने वाले ऐसे उत्तम मुनिवर जिन्होंने गुरु महाराज की निश्रा में योगद्वहन इत्यादि करके विशेष योग्यता अर्जित की हो ऐसे मुनिवरों को ही इन ग्रन्थों के अध्ययन पठन का अधिकार है। चार मूल सूत्र १) श्री दशवैकालिक सूत्र :- पंचम काल के साधु साध्वीओं के लिए यह आगमग्रन्थ अमृत सरोवर सरीखा है। इसमें दश अध्ययन हैं तथा अन्त में दो चूलिकाए र तिवाक्या व, विवित्तचरिया नाम से दी हैं। इन चूलिकाओं के बारे में कहा जाता है कि श्री स्थूलभद्रस्वामी की बहन यक्षासाध्वीजी महाविदेहक्षेत्र में से श्री सीमंधर स्वामी से चार चूलिकाए लाइ थी। उनमें से दो चूलिकाएं इस ग्रंथ में दी हैं। यह आगम ७०० श्लोक प्रमाण का है। २) श्री उत्तराध्ययन सूत्र :- परम कृपालु श्री महावीरभगवान के अंतिम समय के उपदेश इस सूत्र में हैं । वैराग्य की बातें और मुनिवरों के उच्च आचारों का वर्णन इस आगम ग्रंथ में ३६ अध्ययनों में लगभग २००० श्लोकों द्वारा प्रस्तुत हैं। International 2010 03. 乐乐乐乐乐乐出乐城 ३) श्री निर्युक्ति सूत्र :- चरण सत्तरी-करण सत्तरी इत्यादि का वर्णन इस आगम ग्रन्थ में है। पिंडनियुक्ति भी कई लोग ओघ निर्युक्ति के साथ मानते हैं अन्य कई लोग इसे अलग आगम की मान्यता देते हैं। पिंडनियुक्ति में आहार प्राप्ति की रीत बताई हैं । ४२ दोष कैसे दूर हों और आहार करने के छह कारण और आहार न करने के छह कारण इत्यादि बातें हैं । ४) श्री आवश्यक सूत्र :- छह अध्ययन के इस सूत्र का उपयोग चतुर्विध संघ में छोट बड़े सभी को है । प्रत्येक साधु साध्वी, श्रावक-श्राविका के द्वारा अवश्य प्रतिदिन प्रातः एवं सायं करने योग्य क्रिया (प्रतिक्रमण आवश्यक) इस प्रकार हैं : (१) सामायिक (२) चतुर्विंशति (३) वंदन (४) प्रतिक्रमण (५) कार्योत्सर्ग (६) पच्चक्खाण दो चूलिकाए १) श्री नंदी सूत्र :- ७०० श्लोक के इस आगम ग्रन्थ में परमात्मा महावीर की स्तुति, संघ की अनेक उपमाए, २४ तीर्थकरों के नाम ग्यारह गणधरों के नाम, स्थविरावली और पांच ज्ञान का विस्तृत वर्णन है। अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ अ श्री आगमगुणमंजूषा I २) श्री अनुयोगद्वार सूत्र :- २००० श्लोकों के इस ग्रन्थ में निश्चय एवं व्यवहार के आलंबन द्वारा आराधना के मार्ग पर चलने की शिक्षा दी गई है। अनुयोग याने शास्त्र की व्याख्या जिसके चार द्वार है (१) उत्क्रम (२) निक्षेप (३) अनुगम (४) नय यह आगम सब आगमों की चावी है। आगम पढने वाले को प्रथम इस आगम से शुरुआत करनी पडती है। यह आगम मुखपाठ करने जैसा है। ॥ इति शम् ॥ Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ YOKO ALLA RURU RAREO ai i ferox (9) (3) KC国乐国为乐明明明明明明明明乐明明明明明F%%%%明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明军5B Introduction 45 Agamas, a short sketch I Eleven Angas : Acäränga-sutra : It deals with the religious conduct of the monks and the Jain householders. It consists of 02 Parts of learning, 25 lessons and among the four teachings on entity, calculation, religious discourse and the ways of conduct, the teaching of the ways of conduct is the main topic here. The Agama is of the size of 2500 ślokas. Sayagadanga-sutra : It is also known as Sütra-Kytänga. It's two parts of learning consist of 23 lessons. It discusses at length views of 363 doctrine-holders. Among them are 180 ritualists, 84 nonritualists, 67 agnostics and 32 restraint-propounders, though it's main area of discussion is the teaching of entity. It is available in the size of 2000 ślokas. Thápānga-sūtra : It begins with the teaching of calculation mainly and discusses other three teachings subordinately. It introduces the topic of one dealing with the single objects and ends with the topic of eight objects. It is of the size of 7600 ślokas. Samavāyanga-sutra : This is an encompendium, introducing 01 to 100 objects, then 150, 200 to 500 and 2000 to crores and crores of objects. It contains the text of size of 1600 Slokas. Vyakhya-prajñapti-sutra : It is also known as Bhagavati-sutra. It is the largest of all the Angas. It contains 41 centuries with subsections. It consists of 1925 topics. It depicts the questions of Gautama Ganadhara and answers of Lord Mahavira. It discusses the four teachings in the centuries. This Agama is really a treasure of gems. It is of the size of more than 15000 ślokas. Jäätādharma-Kathanga-sutra : It is of the form of the teaching of the religious discourses. Previously it contained three and a half crores of discourses, but at present there are 19 religious discourses. It is of the size of 6000 ślokas. Upasaka-dasānga-sutra : It deals with 12 vows, life-sketches of 10 great Jain householders and of Lord Mahavira, too. This deals with the teaching of the religious discourses and the ways of conduct. It is of the size of around 800 Slokas. (8) Antagada-dasänga-sutra : It deals mainly with the teaching of the religious discourses. It contains brief life-sketches of the highly spiritual souls who are born to liberate and those who are liberating ones: they are Andhaka Vrsni, Gautama and other 9 sons of queen Dharini, 8 princes like Akşobhakumara, 6 sons of Devaki, Gajasukumāra, Yadava princes like Jali, Mayāli, Vasudeva Krsna, 8 queens like Rukmini. It is available of the size of 800 Slokas. Anuttarovavayi-daśãnga-sútra: It deals with the teaching of the religious discourses. It contains the life-sketches of those who practise the path of religious conduct, reach the Anuttara Vimana, from there they drop in this world and attain Liberation in the next birth. Such souls are Abhayakumāra and other 9 princes of king Srenika, Dirghasena and other 11 sons, Dhanna Anagara, etc. It is of the size of 200 ślokas. (10) Prasna-vyakarana-sūtra : It deals mainly with the teaching of the ways of conduct. As per the remark of the Nandi-satra, it contained previously Lord Mahāvira's answers to the questions put by gods, Vidyadharas, monks, nuns and the Jain householders. At present it contains the description of the ways leading to transgression and the self-control. It is of the size of 200 ślokas. (11) Vipaka-sütrānga-sūtra : It consists of 2 parts of learning. The first part is called the Fruition of miseries and depicts the life of 10 sinful souls, while the second part called the Fruition of happiness narrates illustrations of 10 meritorious souls. It is available of the size of 1200 ślokas. 图纸娱乐明明明明明明明明明明垢玩垢圳明明听听听听听听听听听听听垢乐明明明明明明明明明听听听听听听听听 (5) (6) (1) II Twelve Upangas Uvaväyi-sütra : It is a subservient text to the Acāranga-sutra. It deals with the description of Campā city, 12 types of austerity, procession-arrival of Koñika's marriage, 700 disciples of the monk Ambada. It is of the size of 1000 ślokas. Rayapaseni-sutra : It is a subservient text to Süyagađanga-sutra. It depicts king Pradesi's jurisdiction, god Suryabha worshipping the Jina idols, etc. It is of the size of 2000 ślokas. (7) (2) www.Lainelibrary XXXX XXXXL PITJUGET TOYOX Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ DEFFFFFFFFFFFFFFFFFFFhible Gamin nh* HIFThe ha EEEEEEEEEEEE开F听听听听听听听听明明Ow (3) Jivābhigama-sutra : It is a subservient text to Thāṇānga-sūtra. It one Vasudeva, his son Balabhadra and his son Nişadha. deals with the wisdom regarding the self and the non-self, the Jambo continent and its areas, etc. and the detailed description of the III Ten Payanna-sutras : veneration offered by god Vijaya. The four chapters on areas, society, (1) Aurapaccakhāņa-sūtra : It deals with the final religious practice etc. published recently are composed on the line of the topics of this and the way of improving (the life so that the) death (may be Sutra and of the Pannavaņa-sutra. It is of the size of 4700 Slokas. improved). Pannavaņā-sutra : It is a subservient text to the Samavāyānga- (2) Bhattaparinna-sutra : It describes (1) three types of Pandita death, sätra. It describes 36 steps or topics and it is of the size of 8000 (2) knowledge, (3) Ingini devotee ślokas. (4) Pādapopagamana, etc. (5) Sürya-prajfapti-sutra and (4) Santhäraga-payannā-sutra : It extols the Samstäraka. Candra-prajñapti-sätra : These two falls under the teaching of the calculation. They depict the solar and the lunar transit, the ** These four payannás can also be learnt and recited by the Jain movement of planets, the variations in the length of a day, seasons, householders. ** northward and the southward solstices, etc. Each one of these Āgamas are of the size of 2200 Slokas. (5) Tandula-viyaliya-payanna-sūtra : The ancient preceptors call this Jambadvipa-prajñapti-sutra : It mainly deals with the teaching Payanna-sutra as an ocean of the sentiment of detachment. It of the calculations. As it's name indicates, it describes at length the describes what amount of food an individual soul will eat in his life objects of the Jambu continent, the form and nature of 06 corners of 100 years, the human life can be justified by way of practising a (ära). It is available in the size of 4500 Slokas. religious life. Nirayávali-pacaka : (6) Candāvijaya-payannā-sūtra : It mainly deals with the religious (8) Nirayávali-sütra : It depicts the war between the grandfather and practice that improves one's death. the daughter's son, caused of a necklace and the elephant, the death (7) Devendrathui-payanna-sutra : It presents the hymns to the Lord of king Greñika's 10 sons who attained hell after death. This war is sung by Indras and also furnishes important details on those Indras. designated as the most dreadful war of the Downward (avasarpini) (8) Maranasamadhi-payanna-sutra : It describes at length the final age. religious practice and gives the summary of the 08 chapters dealing (9) Kalpāvatamsaka-sutra : It deals with the life-sketches of with death. Kalakumara and other 09 princes of king Sreņika, the life-sketch of (9) Mahäpaccakhāņa-payanna-sutra : It deals specially with what a Padamakumpra and others. monk should practise at the time of death and gives various beneficial (10) Pupphiya-upanga-sutra : It consists of 10 lessons that covers the informations. topics of the Moon-god, Sun-god, Venus, queen Bahuputrikā, (10) Gaņivijaya-payanna-sūtra : It gives the summary of some treatise Purnabhadra, Manibhadra, Datta, sila, Bala and Aņāddhiya. on astrology (11) Pupphacultya-upanga-sutra : It depicts previous births of the 10 These 10 Payannās are of the size of 2500 ślokas. queens like Sridevi and others. Besides about 22 Payannās are known and even for these above (12) Vahnidaśa-upanga sätra : It contains 10 stories of Yadu king 10 also there is a difference of opinion about their names. The Gacchācāra Andhakavrşni, his 10 princes named Samudra and others, the tenth is taken, by some, in place of the Candāvijaya of the 10 Payannās. 明明明明明明乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐国乐乐乐乐手乐乐乐乐乐明與乐乐乐乐乐乐乐乐FFFF乐乐乐明 XOXOFF $ farmark ** F YOX Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ YOKOK YU BALLU BURU VERLO PLA Xoxo (1) (2) IV Six Cheda-sūtras (1) Vyavahāra-sūtra, (2) Nisītha-Sutra, (3) Mahānisitha-sūtra, (4) Pancakalpa-satra, (5) Daśāśruta-skandha-Sotra and (6) Bhatkalpa-sutra. These Chedasätras deal with the rules, exceptions and vows. The study of these is restricted only to those best monks who are (1) serene, (2) introvert, (3) fearing from the worldly existence, (4) exalted in restraint, (5) self-controlled, (6) rightfully descerning the subtlety of entity, territories, etc. (7) pondering over continuously the protection of the six-limbed souls, (8) praiseworthy, (9) exalted in keeping the tradition, (10) observing good religious conduct, (11) beneficial to all the beings and (12) Who have paved the path of Yoga under the guidance of their master. VI Two Colikas Nandi-sutra : It contains hymn to Lord Mahavira, numerous similies for the religious constituency, name-list of 24 Tirtharkaras and 11 Ganadharas, list of Sthaviras and the fivefold knowledge. It is available in the size of around 700 Slokas. Anuyogadvāra-sutra : Though it comes last in the serial order of the 45 Ágamas, the learner needs it first. It is designated as the key to all the Agamas. The term Anuyoga means explanatory device which is of four types: (1) Statement of proposition to be proved, (2) logical argument, (3) statement of accordance and (4) conclusion. * It teaches to pave the righteous path with the support of firm resolve and wordly involvements. It is of the size of 2000 ślokas. ** ********* V Four Molas atras (1) Dajavaikalika-sutra : It is compared with a lake of nectar for the monks and nuns established in the fifth stage. It consists of 10 lessons and ends with 02 Colikas called Rativakya and Vivittacariya. It is said that monk Sthūlabhadra's sister nun Yakşă approached Simandhara Svāmi in the Mahavideha region and received four Calikas. Here are incorporated two of them. (2) Uttaradhyayana-sutra : It incorporates the last sermons of Lord Mahavira. In 36 lessons it describes detachment, the conduct of monks and so on. It is available in the size of 2000 Slokas. . (3) Anuyogadvara-sutra: It discusses 17 topics on conduct, behaviour, etc. Some combine Piryaniryukti with it, while others take it as a separate Agama. Pindaniryukti deals with the method of receiving food (bhiksă or gocari), avoidance of 42 faults and to receive food, 06 reasons of taking food, 06 reasons for avoiding food, etc. Avašyaka-sútra: It is the most useful Agama for all the four groups of the Jain religious constituency. It consists of 06 lessons. It describes 06 obligatory duties of monks, nuns, house-holders and housewives. They are: (1) Samayika, (2) Caturvimšatistava, (3) Vandana, (4) Pratikramana, (5) Kāyotsarga and (6) Paccakhana. 明明明明明明明明明與乐乐乐为历历明明明明明明明明兵兵兵兵兵兵兵兵乐乐乐乐玩玩乐乐明步兵兵玩乐乐乐恩 * O YOK LOXOV L FT STATUTEUT- O 20:10 03 www.ainelibrary.org Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ IFFFFFF #FFFFFા સરળ ગુજરાતી ભાવાર્થ | આગમ ૧૩ દ્રવ્યાનુયોગ પ્રધાન રાજપ્રશ્રીય ઉપાંગ સૂત્ર - ૧૩ અન્ય નામ:- રાયપાસેણિય, રાયપાસેણઈએ, રાયપૂસેણઈય, રાયપૂસેણિય, રાયપાસેણઈજ્જ, રાજપ્રસેનકીય, રાજપ્રસેનજિત, રાજપ્રશ્નકૃત. અધ્યયન ---- ઉદેશક ------- શ્લોક પ્રમાણ. ! ઉપલબ્ધ પાઠ ----- ---- ૨૧૦૦ ગદ્યસૂત્ર - - - - - - - - - - - - - - - - - - ૬૫ પધસૂત્ર - - - - - - - - ------XXX HOCs乐乐乐听听听听听听听听乐听听听听听听纸听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听FGO આ ઉપાંગ આગમ ગ્રંથમાં આમલકલ્પા નગરી, આમ્રપાલ ઉદ્યાનમાં આમશાલ ચિત્ય, અશોકવૃક્ષ અને શિલાપટ્ટના વર્ણન પછી ભગવાન મહાવીરનું સમવસરણ અને ધર્મપરિષદ વગેરે વાતો જણાવીને સૂર્યાભદેવનું સુંદર વર્ણન છે. આભિયોગિક દેવના વૈક્રિય સમુ ઘાત, ૧૬ પ્રકારના રત્નોનાં નામ, જ્ઞાનવિમાનરચનાનો આદેશ, વિવિધ રંગના મણિઓની તુલના વગેરે વર્ણન પછી સિંહાસન અને તેની ચોતરફ ૫૩,૦૦૦ ભદ્રાસનોનું વર્ણન છે. તે પછી સૂર્યાભદેવ ગૌતમ વગેરે શ્રમણનિગ્રંથો સમક્ષ ૩૨ પ્રકારના દિવ્યનૃત્ય દર્શાવવા માટે ભગવાન મહાવીર પાસે આજ્ઞા પ્રાપ્ત કરવા વારંવાર પ્રયાસ, ભગવાન મહાવીરનું મૌન, અંતે અનુમતિ પછી૫૭ પ્રકારના વાઘ, ૧૮ પ્રકારના નૃત્ય, ચાર પ્રકારના ગાન, ચાર પ્રકારના અભિનયનું પ્રદર્શન વગેરેનું વિસ્તૃત વર્ણન છે. તે પછી સૂર્યાભ વિમાનના દ્વાર ઉપરના ૧૦૮ પ્રકારની ધજા, ચારેય દિશાઓના વનખંડો, દેવછંદક ઉપર ૧૦૮ પ્રતિમાઓ, ચેત્ય સ્તંભનું પ્રમાર્જન, જિનઅસ્થિઓનું અર્ચન, બલિવિસર્જન વગેરે વર્ણન છે. તથા ભગવાન મહાવીર દ્વારા સૂર્યાભદેવના રાજા પ્રદેશના પૂર્વભવનું વર્ણન, તેમાં કરેલી આત્માવિષે વિસ્તૃત ચર્ચાને અંતે જિનેશ્વર ભગવાન, શ્રુતદેવતા, ભગવતી પ્રાપ્તિ તેમજ ભગવાન પાર્શ્વનાથને નમસ્કાર કરીને ઉપસંહાર કરવામાં આવ્યો છે. %%%雷雷雷雷雷雷雷雷雷 0 k k% | શ્રી બાગમગુમનૂવા - ૩s FM ક ક Sb . Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶】 सिरि उसहदेवसामिस्स णमो । सिरि गोडी - जिराउला - सव्वोदयपासणाहाणं णमो। नमोऽत्थुणं समणस्स भगवओ महइमहावीरवद्धमाणसामिस्स । सिरि गोयम - सोहम्माइ सव्व गणहराणं णमो । सिरि सुगुरु देवाणं णमो । श्रीराजप्रश्नीयोपांगम् । 5 तेणं कालेणं तेणं समएणं आमलकप्पा नाम नय होत्था रिद्धत्थिमियसमिद्धा जाव पासादीया दरिसणिज्जा अभिरुवा पडिरूवा । १ । तीसे णं आमलकप्पाए नयरीए बहिया उत्तरपुच्छिमे दिसीभाए अंबसालवणे नामं चेइए होत्था, पोरणे जाव पडिरूवे |२| असोयवरपायवपुढवीसिलावट्टयवत्तव्वया उववातियगमेणं नेया । ३। सेओ राया धारिणी देवी सामी समोसढे परिसा निग्गया जावया पज्जुवास |४| तेणं काले० सूरियाभे देवे सोहम्मे कप्पे सूरियाभे विमाणे सभाए सुहम्माए सूरियाभंसि सिंहासणंसि चउहिं सामाणियसाहस्सीहिं चहिं अग्गमहिसीहिं चउहिं अग्गमहिंसीहिं सपरिवाराहिं तीहिं परिसाहिं सत्तहिं अणियेहिं सत्तहिं अणियाहिवईहिं सोलसहिं आयरक्खदेवसाहस्सीहिं अन्नेहि य बहूहिं सूरियाभविमाणवासीहिं वेमाणिएहिं देवेहिं देवीहिं य सद्धिं संपरिवुडे मयाऽऽह्यनट्टगरयवाइयतंतीतलतालतुडियघणमुइंगपडुप्पवादियरवेणं दिव्वाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरति, इमं चणं केवलकप्पं जंबूदीवं दीवं विउलेणं ओहिणा आभोएमाणे २ पासति, तत्थ समणं भगवं महावीरं जंबूदीवे दीवे भारहे वासे आमलकप्पाए नए बहिया अंबसालवणे चेइए अहापडिरूवं उग्गहं उग्गिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे पासति त्ता हट्टतुट्ठचित्तमाणंदिए दिए पीइमणे परमसोमणस्सिए हरिसवसविसप्पमाणहियए विकसियवरकमलणयणे पयलियवरकडगतुडियकेउरमउडकुंडलहारविरायंतरइयवच्छे पालंबपलंपमाणघोलंतभूसणधरे ससंभमं तुरियं चवलं सुरवरे जाव सीहासणाओ अब्भुट्ठेइ त्ता पायपीडाओ पच्चोरूहति त्ता एगसाडियं उत्तरासंगं करेति त्ता सत्तट्ठ पयाइं तित्थयरामिमुहं अणुगच्छति त्ता वामं जाणुं अचेति तादाहिणं जाणं धरणतलंवि णिहट्ट तिक्खुत्तो मुद्धारं धरणितलंसि णिवेसेइ त्ता ईसिं पच्चुन्नमइ त्ता करतलपरिग्गहियं दसणहं सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कट्टु एवं वo - णमोत्थु णं अरिहंताणं भगवंताणं आदिगराणं तित्थगराणं सयंसंबुद्धाणं पुरिसोत्तमाणं पुरिससीहाणं पुरिसवरपुंडरीयाणं पुरिसवरगंधहत्थीणं लोगुत्तमाणं लोगनाहाणं लोगहिआणं लोगपईवाणं लोगपज्जोयगराणं अभयदयाणं चक्खुदयाणं मग्गदयाणं जीवदयाणं सरणदयाणं बोह्रिदयाणं धम्मदयाणं धम्मदेसयाणं धम्मनायगाणं धम्मसारहीणं धम्मवरचाउरंतचक्कवट्टीणं अप्पडियवरनाणदंसणधराणं वियट्टच्छउमाणं जिणाणं जावयाणं तिण्णाणं तारयाणं बुद्धाणं बयाणं मुत्ताणं मोयगाणं सव्वन्नूणं सव्वदरसीणं सिवमयलमरूयमणंतमक्खयमव्वाबाहमपुणरावत्तिं सिद्धिगइनामधेयं ठाणं संपत्ताणं, नमोऽत्यु णं समणस्स भगवओ महावीरस्स जाव संपाविउकामस्स, वंदामि णं भगवन्तं तत्थ गये इह गते पासइ (प्र० उ) मे भगवं तत्थ गते इह गतंतिकट्टु वंदति णमंसति त्ता सीहासणवरगए पुव्वाभिमुहं सण्णिसण्णे |५| तए णं तस्स सूरियाभस्स इमे एतारूवे अब्भत्थिते चिंतिते पत्थिते मणोगते संकप्पे समुप्पज्जित्था एवं खलु समणे भगवं महावीरे जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे आमलकप्पाणयरीए बहिया अंबसालवणे चेइए अहापडिरूवं उग्गहं उग्गिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरति तं महाफलं खलु तहारूवाणं अरहंताणं भगवंताणं णामगोस्सवि सवणयाए किमंग पुण अहिगमणवंदणणमंसणपडिपुच्छणपज्जुवासणयाए ?, एगस्सवि आयरियस्स धम्मियस्स सुवणस्स सवणयाए ?, किमंग पुण विउलस्स अट्ठस्स गहणयाए ?, तं गच्छामि णं समणं भगवं महावीरं वंदामि णमंसामि सक्कारेमि सम्माणेमि कल्लाणं मंगलं चेतियं देवयं पज्जुवासामि, एयं मे पेच्चा हियाए सुहाए खमाए णिस्सयसाए आणुगामियत्ताए भविस्सति (प्र० तं सेयं खलु मे समणं भगवं महावीरं वंदित्तए नमंसित्तए सक्कारित्तए सम्माणित्तए पज्जुवासित्तए) त्तिकट्टु एवं संपेहेइ ता आभिओगिये देवे सद्दावेइ त्ता एवं व० - १६ । एवं खलु देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे आमलकप्पाए नयरीए बहिया अंबसालवणे चेइए अहापडिरूवं उग्गहं उग्गिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ, तं गच्छह णं तुमे देवाप्पिया ! जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे आमलकप्प णयरि अंबसालवणं चेइयं समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं तरेह त्ता वंदह णमंसह त्ता साई सौ४न्य :- मातुश्री लिलजाई हंसरा४ परिवार गाम नवावांस प्रेरणा :- जीडेशहुमार (राया ) (१३) श्री आगमगुणमंजूषा - ८०५ ० Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ GRO%%%% %%%% % % % % (१३) रायपसेणिय (२) उवंगसुत्तं] रा 明明明明明明明明听听听听听听听 CO乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听玩玩乐乐玩玩乐乐5CM साइं नामगोयाई साहेहत्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स सव्वओ समंता जोयणपरिमंडलं जंकिंचि तणं वा पत्तं वा कटुं वा सक्करं वा कयवरं वा असुइं अचोक्खं वा पूइअं दुब्भिगंध तं सव्वं आहुणिय आहुणिय एगंते एडेइ त्ता णच्चोदगं णाइमट्टियं पविरलपप्फुसिय॑ रयरेणुविणासणं दिव्वं सुरभिगंधोदयवासं वासइत्ता णिहयरयं णट्ठरयं भट्ठरयं उवसंतरयं पसंतरयं करेह त्ता जलथरयभासुरप्पभूयस्स बिटट्ठाइस्स दसद्धवण्णस्स कुसुमस्स जाणु (प्र० जण्णु) स्सेहपमाणमित्तं ओहिं वासं वासह त्ता कालागुरूपवरकुंदुरूक्कतुरूक्कधूवमघमघंतगंधुझ्याभिरामं सुगंधवरगंधियं दिव्वं सुरवराभिगमणजोग्गं करेह कारवेह त्ता य खिप्पामेव एयमाणत्तियं पच्चप्पिण्णह ७। तए णं ते आभियागिया देवा सूरियाभेणं देवेणं एवं वुत्ता समाणा हट्ठतुट्ठजावहियया करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कटु एवं देवो तहत्ति आणाए विणएणं वयणं पडिसुणंति त्ता उत्तरपुरच्छिमं दिसिभागं अवक्कमंति त्ता वेउव्वियसमुग्घाएणं समोहणंति त्ता संखेज्जाइं जोयणाइं दंडं निस्सरन्ति. नं०-रयणाणं वयराणं वेरूलियाणं लोहियक्खाणं मसारगल्लाणं हंसगब्भाणं पुलगाणं (प्र० पुग्गलाणं) सोगंधियाणं जोइरसाणं अंजणपुलगाणं अंजणाणं रयणाणं जायरूवाणं ॐ अंकाणं फलिहाणं रिट्ठाणं० अहाबायरे पुग्गले परिसाडंति त्ता अहासुहुमे पुग्गले परियायंति त्ता दोच्चंपि वेउब्वियसमुग्घाएणं समोहणंति त्ता उत्तरवेउव्वियाई रूवाई विउव्वंति त्ता ताए उक्किट्ठाए तुरियाए चवलाए चंडाए जयणाए सिग्याए उधुयाए दिव्वाए देवगईए तिरियमसंखेज्जाणं दीवसमुद्दाणं मज्झमज्झेणं वीइवयमाणे २ जेणेव जंबुद्दीवे दीवे जेणेव भारहे वासे जेणेव आमलकप्पा णयरी जेणेव अंबसालवणे चेतिए जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छन्ति त्ता समणं भगवं तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेति त्ता वंदति नमसंति त्ता एवं व०-अम्हे णं भंते ! सूरियाभस्स देवस्स आभियोगिया देवा देवाणुप्पियं वंदामो णमंसामो सक्कारेमो सम्माणेमो कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासामो।८। देवाइ ! समणे भगवं महावीरे ते देवा एवं व०-पोराणमेयं देवा ! जीयमेयं देवा ! किच्चमेयं देवा ! करणिज्जमेयं देवा ! आइन्नमेयं देवा ! अब्भणुण्णायमेयं देवा ! जण्णं भवणवइवाणमंतरजोइसियवेमाणिया देवा अरहते भगवंते वंदंति नमंसति त्ता तओ साइं २ णामगोयाई साधिति तं पोराणमेयं देवा ! जाव अब्भणुण्णायमेयं देवा ! ।९। तए णं ते आभिओगिया देवा समणेणं भगवया महावीरेणं एवं वुत्ता समाणा हट्ठजावहियया समणं भगवं० वंदंति णमंसंति त्ता उत्तरपुरच्छिमं दिसीभागं अवक्कमंति त्ता वेउव्वियसमुग्घाएणं समोहणंति त्ता संखेज्जाइं जोयणाई दंडं निस्सरंति तं०-रयणाणं जाव रिट्ठाणं० अहाबायरे पोग्गले परिसाडंति त्ता दोच्चंपि वेउब्वियसमुग्घाएणं समोहणंति त्ता संवट्टवाए विउव्वंति, से जहानामए भइयदारए सिया तरूणे जुगवं बलवं (जुवाणे प्र०) अप्पायंके थिरसंघयणे थिरग्गहत्थे पडिपुण्णपाणिपायपिटुंतरोरूपरिणए घणनिचियवट्टवलियखंधे चम्मेठ्ठगदुघणमुट्ठियसमाहयगत्ते उरस्सबलसमन्नागए तलजमलजुयल (फलिहनिभ पा०) बाहू लंघणपवणजइणपमद्दणसमत्थे छेए दक्खे पट्टे कुसले मेहावी णिउणसिप्पोवगए एगं महं दंडसंपुच्छणिं वा सलागाहत्थगं वा वेणुसलाइयं वा गहाय रायंगणं वा रायंतेपुरं वा देवकुलं वा सभं वा पवं वा आरामं वा उज्जाणं वा अतुरियमचवलमसंभंते निरंतरं सुनिउणं सव्वतो समंता # संपमज्जेज्जा एवामेव तेऽवि सूरियाभस्स देवस्स आभिओगिया देवा संवट्टवाए विउव्वंति त्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स सव्वतो समंता जोयणपरिमण्डलं जं किंचि तणं वा पत्तं वा तहेव सव्वं आहुणिय २ एगते एडेति त्ता खिप्पामेव उवसमंति त्ता दोच्चंपि वेउब्वियसमुग्धाएणं समोहणन्ति त्ता अब्भवद्दलए विउव्वन्ति से जहाणामए भइगदारगे सिया तरूणे जाव सिप्पोवगए एगं महं दगवारगं वा दगथालगं वा दगकलसगं वा दगकुंभगं वा आरामं वा जाव पवं वा अतुरियं जाव सव्वतो' समंता आवरिसेज्जा एवामेव तेऽवि सूरियाभस्स देवस्स आभियोगिया देवा अब्भवद्दलए विउव्वंति त्ता खिप्पामेव पयणुतणायन्ति त्ता खिप्पामेव विज्जुयायंति त्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स सव्वओ समंता जोयणपरिमंडलं णच्चोदगं णातिमट्टियं तं पविरलपप्फुसियं रयरेणुविणासणं दिव्वं सुरभिगंधोदगं वासं वासंति त्ता म णिहयरयं णट्ठरयं भट्टरयं उवसंतरयं पसंतरयं करेति त्ता खिप्पामेव उवसामंति त्ता तच्चपि वेउब्वियसमुग्घाएणं समोहणंति त्ता पुप्फवद्दलए विउव्वंति, से जहाणामए मालागारदारए सिया तरूणे जाव सिप्पोवगए एगं महं पुप्फ-(१४३) पडलगं वा पुप्फचंगेरियं वा पुप्फछज्जियं वा गहाय रायंगणं वा जाव सव्वतो समंता कयग्गाहगहियकरयलपन्भट्ठविप्पमुक्केणं दसद्धवन्नेणं कुसुमेणं मुक्कपुप्फपुंजोवयारकलितं करेज्जा एवामेव ते सूरियाभस्स देवस्स आभिओगिया देवा पुप्फवद्दलए MOV5##555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ८०६ # 5555555555555555546 MONC乐明明明明明乐乐听听听听听听听听听听听明乐历历明明劣乐明明明明明明明明明明明明明明明明听听听听乐23CM Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ exam $$$ # # WTOS800555555555 शिवमवाशनामुना विउव्वंति त्ता खिप्पामेव पयणुतणायन्ति ता जाव जोयणपरिमण्डलं जलथलयभासुरप्पभूयस्स बिंटट्ठाइस्स दसद्धवन्नकुसुमस्स जाणुस्सेहपमाणमेत्तं ओहिवासं वासंति त्ता कालागुरूपवरकुंदुरूक्कतुरूक्कधूवमघमंतगंधुद्धयाभिरामं सुगंधवरगंधियं गंधवट्टिभूतं दिव्वं सुरवराभिगमणजोगं करंति कारयंति खिप्पामेव उवसामंति त्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छंति त्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो जाव वंदित्ता नमंसित्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतियातो अंबसालवणातो चेझ्याओ पडिनिक्खमंति त्ता ताए उक्किट्ठाए जाव वीइवयमाणे २ जेणेव सोहम्मे कप्पे जेणेव सूरियाभे विमाणे जेणेव सभा सुहम्मा जेणेव सूरियाभे देवे तेणेव उवागच्छंति त्ता सूरियाभं देवं करयलपरिग्गहियं सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कटु जएणं विजएणं वद्धावेति त्ता तमाणत्तियं पच्चप्पिणंति ।१०।तएणं से सूरियाभे देवे तेसिं आभियोगियाणं देवाणं अंतिए एयमढे सोच्या निसम्म हट्ठतुट्ठजावहियए पायत्ताणियाहिवइं देवं सद्दावेति त्ता एवं व०-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! सूरियाभे विमाणे सभाए सुहम्माए मेघोघरसियगंभीरमहुरसई जोयणपरिमंडलं सुसरघंटं तिक्खुत्तो उल्लालेमाणे २ महया २ सद्देणं उग्घोसेमाणे २ एवं व०-आणवेति णं भो सूरियाभे देवे गच्छति णं भो सूरियाभे देवे जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे आमलकप्पाए णयरीए अंबसालवणे चेतिते समणं भगवं महावीरं अभिवंदए तुब्भेऽविणं भो देवाणुप्पिया! सब्विड्ढीए जाव णातियरवेणं णियगपरिवाल सद्धिं संपरिवुडा सातिं सातिं जाणविमाणाई दुरूढा समाणा अकालपरिहीणं चेव सूरियाभस्स देवस्स : अंतियं पाउन्भवह ।११। तए णं से पायत्ताणियाहिवती देवे सूरियाभेणं देवेणं एवं वुत्ते समाणे हट्ठतुट्ठजावहियए एवं देवा ! तहत्ति आणाए विणएणं वयणं पडिसुणेति पत्ता जेणेव सुरियाभे विमाणे सभा सुहम्मा जेणेव मेघोघरसियगंभीरमहुरसद्दा जोयणपरिमंडला सुस्सरा घंटा तेणेव उवागच्छति त्ता तं मेघोघरसितगंभीरमहुरसइं जोयणपरिमंडलं सुसर घंटं तिक्खुत्तो उल्लालेति, तए णं तीसे मेघोघरसितगंभीरमहुरसद्दाते जोयणपरिमंडलाते सुसराते घंटाए तिक्खुत्तो उल्लालियाए समाणीए से सूरियाभे विमाणे पासायविमाणणिक्खुडाडियसद्दघंटापडिंसुयासयसहस्ससंकुले जाए यावि होत्था, तए णं तेसिं सूरियाभविमाणवासिणं बहूणं वेमाणियाणं देवाण य देवीण य एगंतरइपसत्तनिच्चप्पमत्तविसयसुंहमुच्छियाणं सुसरघंटारवविउलबोलपडिबोहणे कए समाणे घोसणकोउहलदिन्नकन्नएगग्गचित्तउवउत्तमाण साणं से पायत्ताणीयाहिवई देवे तंसि घंटारवंसि णिसंतपसंतंसि महया २ सद्देणं उग्घोसेमाणे २ एवं वदासी हंत सुणंतु भवंतो सूरियाभविमाणवासिणो बहवे वेमाणिया देवा य देवीओ य ! सूरियाभविमाणवइणो वयणं हियसुहत्थं आणावणियं (प्र० आणवेइ णं) भो ! सूरियाभे देवे गच्छइ णं भो सूरियाभे देवे जंबुद्दीवं दीवं भारहं वासं आमलकप्पं नयरिं अंबसालवणं चेइयं समणं भगवं महावीरं अभिवंदए तं तुब्भेऽविणं देवाणुप्पिया ! सब्विड्ढीए० अकालपरिहीणा चेव सूरियाभस्स देवस्स अंतियं पाउब्भवह ।१२। तए णं ते सूरियाभविमाणवासिणो बहवे वेमाणिया देवा देवीओ य पायत्ताणियाहिवइस्स देवस्स अंतिए एयमढे सोच्चा णिसम्म हद्वतुट्ठजावहियया अप्पेगइया वंदणवत्तियाए अप्पेगइया पूयणवत्तियाए अप्पेगइया सकारवत्तियाए एवं संमाणवत्तियाए कोउहल्लवत्तियाए अप्पे० असुयाई सुणिस्सामो सुयाइं अट्ठाई हेऊइं पसिणाइं कारणाई वागरणाइं पुच्छिस्सामो अप्पे० सूरियाभस्स देवस्स वयणमणुयत्तमाणा अप्पे० अन्नमन्नमणुयत्तमाणा अप्पे० जिणभत्तिरागेणं अप्पे० धम्मोत्ति अप्प० जीयमेयंतिकटु सव्विड्ढीए जाव अकालपरिहीणा चेव सूरियाभस्स देवस्स अंतियं पाउब्भवंति ।१३। तए णं से सूरियाभे देवे ते सूरियाभविमाणसिणो बहवे वेमाणिया देवा य देवीओ य अकालपरिहीणं चेव अंतियं पाउब्भवमाणे पासति त्ता हट्ठतुट्ठजावहियए आभिओगियं देवं सद्दावेति त्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया । अणेगखंभसयसंनिविट्ठ लीलट्ठियसालभंजियागं ईहामियउसभतुरगनरमगरविहगवालगकिनररूसरभचमरकुंजरवणलयपउमलयभत्तिचित्तं खंभुग्गयवरवइरवेइयापरिगयाभिरामं विज्जाहरजमलजुयलजंतजुत्तंपिव अच्चीसहस्समालियं रूवगसहस्सकलियं भिसमाणं भिब्भिसमाणं चक्खुल्लोयणले सं सुहफासं सस्सिरीयरूवं घंटावलिचलियमहुरमणहरसरं सुहं कंतं दरिसणिज्ज प्रणिउणाचियमिसिमिसितमणिरयणघंटियाजालपरिक्खित्तं जोयणसयसहस्सविच्छिण्णं दिव्वं गमणसज्जं सिग्घगमणं णामं दिव्वं जाणविमाणं विउव्वाहित्ता खिप्पामेव २ एयमाणत्तियं पच्चप्पिणाहि।१४। तए णं से आभिओगिए देवे सूरियाभेणं देवेणं एवं वुत्ते समाणे हट्ठजावहियए करयलपरिग्गहियं जाव पडिसुणेइ त्ता उत्तरपुरच्छिमं xexe55555555555 5 5 श्री आगमगुणमंजूषा-८०७55555555$$$$$509 GO乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听垢听听听听听听听听听听听听劣听听听听听听听听听听 $$$$ F$$$$$$$$$$$$$$$$$$$ Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१३) रायपसेणियं [ (२) उवंगसुतं ] दिसीभागं अवक्कमति त्ता वेडव्वियसमुग्धाएणं समोहणंति त्ता संखेज्जाई जोयणाई जाव अहाबायरे पोग्गले० त्ता अहासहुमे पोग्गले परियाएइ त दोच्चंपि वेउव्वियसमुग्धाएणं समोहणित्ता अणेगखंभसयसन्निविट्टं जाव दिव्वं जाणविमाणं विउव्विरं पवत्ते यावि होत्था, तए णं से आभिओगिए देवे तस्स दिव्वस्स जाणविमाणस्स तिदिसिं तओ तिसोवाणपडिरूवए विउव्वति, तं० पुरच्छिमेणं दाहिणेणं उत्तरेणं, तेसिं तिसोवाणपडिरूवगाणं इमे एयारूवे वण्णावासे पं० तं०वइरामया णिम्मा रिट्ठामया पतिट्ठाणा वेरूलियामया खंभा सुवण्णरूप्पमया फलगा लोहितक्खमइयाओ सूईओ वयरामया संधी णाणामणिमया अवलंबणा अवलंबणबाहाओ य पासादीया जाव पडिरूवा, तेसिं णं तिसोवाणपडिरूवगाणं पुरओ तोरणा णाणामणिमएसु थंभेसु उवनिविट्ठसण्णिविट्ठविविहमुत्तंतरोवचिया विविहतारारूवोवचिया जाव पडिरूवा, तेसिं णं तोरणाणं उप्पि अट्ठट्ठमंगलगा पं० तं० सोत्थियसिरिवच्छणंदियावत्तवद्धमाणगभद्दासणकलसमच्छदप्पणा (प्र० जाव पडिरूवा) तेसिं च णं तोरणाणं उप्पिं बहवे किण्हचामरज्झए जाव सुक्किलचामरज्झए अच्छे सण्हे रूप्पपट्टे वइरामयदंडे जलयामलगंधिए सुरम्मे पासदीए दरिसणिज्जे अभिरूवे पडिरूवे विउव्वति, तेसिं णं तोरणाणं उप्पिं बहवे छत्तातिच्छत्ते घंटाजुगले पडागाइपडागे उप्पलहत्थए कुमुदणलिणसुभग सोगंधियपोंडरीयमहापोंडरीयसतपत्तसहस्सपत्तहत्थए सव्वरयणामए अच्छे जाव पडिरूवे विउव्वति, तए णं से आभिओगिए देवे तस्स दिवस्स जाणविमाणस्स अंतो बहुसमरमणिज्जं भूमिभागं विउव्वति, से जहाणामए आलिंगपुक्खरेति वा मुइंगपुक्खरेइ वा सरतलेइ वा करतलेइ वा चंदमंडलेइ वा सूरमंडलेइ वा आयंसमंडलेइ वा उरब्भचम्मेइ वा (प्र० वसहचम्मेइ वा) वराहचम्मेइ वा सीहचम्मेइ वा वग्घचम्मेइ वा मिगचम्मेइ वा छगलचम्मेइ वा दीवियचम्मेइ वा अणेगसंकुकीलकसहस्सवितए आवडपच्चावडसे ढिपसेढिसोत्थिय (सोवत्थि) पूसमाणग (वद्धमाणग) मच्छंडगमगरंडगजारामाराफुल्लावलिपउम-पत्तसागरतरंगवसंतलयपउमलयभत्तिचित्तेहिं सच्छाएहिं सप्पभेहिं समरीइएहिं सउज्जोएहिं णाणाविहपंचवण्णेहिं मणीहिं उवसोभिए तं०- किण्हेहिं णीलेहिं लोहिएहिं हालिद्देहिं सुक्किल्लेहिं, तत्थ णं जे ते किण्हा मणी तेसिं णं मणीणं इमे एतारूवे वण्णावासे पं०, से जहानामए जीमूतएइ वा अंजणेइ वा खंजणेइ वा कज्जलेइ वा गवलेइ वा गवलगुलियाइ वा भमरेइ वा भमरावलियाइ वा भमरपतंगसारेति वा जंबूफलेति वा अद्दारिट्ठेइ वा परहुतेइ वा गएइ वा गयकलभेइ वा किण्हसप्पेइ वा किण्हकेसरेइ वा आगासथिग्गलेइ वा किण्हासोएइ वा किण्हकणवीरेइ वा किण्हबंधुजीवेइ वा भवे एयारूवे सिया ?, णो इणट्ठे समट्ठे (प्र० ओवम्मं समणाउसो !) ते णं किण्हा मणी इत्तो इट्ठतराए चेव कंततराए चेव पिअतराए चेव मणामतराए चेव मणुण्णतराए चेव वण्णेणं पं०, तत्थ णं जे ते नीला मणी तेसिं णं मणीणं इमे एयारूवे वण्णावासे पं०, से जहानामए भिंगेइ वा भिंगपत्तेइ वा सुएइ वा सुयपिच्छेइ वा चासेइ व चासपिच्छेइ वा णीलीइ वा णीलीभेदेइ वा णीलीगुलियाई वा सामाइ वा उच्चन्तेइ वा वणरातीइ वा घरवसणे वा मोरग्गीवाइ वा अयसिकुसुमेइ वा बाणकुसुमेइ वा अंजणकेसियाकुसुमेइ वा नीलुप्पलेइ वा णीलबंधुजीवेइ वा णीलकणवीरेइ वा भवेयारूवे सिया ?, णो इणट्ठे समट्ठे, ते णं णीला मणी एत्तो इट्टतराए चेव जाव वण्णेणं पं०, तत्थ णं जे ते लोहियगा मणी तेसिं णं मणीणं इमेयारूवे वण्णावासे पं०, से जहाणामए उरब्भरूहिरेइ वा ससरूहिरेइ वा नररूहिरेइ वा वराहरूहिरेइ वा महिसरूहिरेइ वा बालिंदगोवेइ वा बालदिवाकरेइ वा संघब्भरागेइ वा गुंजद्धरागेइ वा जासुअणकुसुमेइ वा किंसुयकुसुमेइ वा पालियायकुसुमेइ वा जाइहिंगुलएति वा सिलप्पवालेति वा पवालअंकुरेइ वा लोहिंयक्खमणीइ वा लक्खारसगेति वा किमिरागकंबलेति वा चीणपरासीति वा रत्तुप्पलेइ वा रत्तासोगेति वा रत्तकणवीरेति वा रत्तुबंधुजीवेति वा, भवे एयारूवे सिया ?, णो इणट्टे समट्ठे, ते णं लोहिया मणी इत्तो इट्ठतराए चेव जाव वण्णं पं०, तत्थ णं जे ते हालिद्दा मणी तेसिं रठ मणीणं इमेयारूवे वण्णावासे पं०, से जहाणामए चंपेति वा चंपगउल्लीति वा चंपगभेएइ वा हलिद्दाइ वा हलद्दाभेदेति वा हलिद्दगुलियाति वा हरियालियाति वा हरियालभेदेति वा हरियालगुलियाति वा चिउरेइ वा चिउरंगरातेति वा वरकणगेइ वा वरकणनिघसेइ वा सुवण्णसिप्पाएति वा वरपुरिसवसणेति वा अल्लकीकुसुमेति वा चंपाकुसुमेइ वा कुहंडियाकुसुमेइ वा तडवडाकुसुमेइ वा घोसेडियाकुसुमेइ वा सुवण्णजूहियाकुसुमेह वा सुहिरण्णकुसुमेति वा कोरंटवरमल्लदामेति वा बीयकुसुमेइ वा पीयासोगेति वा पीयकणवीरेति वा पीयबंधुजीवेति वा, भवे एयारूवे सिया ?, णो इणट्ठे समट्ठे, ते 55555 श्री आगमगणमंजूषा ८०८ YOR GK96 [8] Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ POEcon 明明明明明乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐乐听听听听听听听听听听听听C FORGxxxxxxx35555555 (एशरावासावाशनमुना णं हालिद्दा मणी एत्ता इतराए चेव जाव वण्णेणं पं०, तत्थ णं जे ते सुकिल्ला मणी तेसिंणं मणीणं इमेयारूवे वण्णावासे पं०, से जहानामए अंकेति वा संखेति वा चंदेति वा कुंदेति वा दंतेइ वा (प्र० कुमुदोदकदयरयदहिघणगोक्खीरपूर) हंसावलीइ वा कोंचावलीति वा हारावलीति वा चंदावलीति वा सारतियबलाहएति वाई धंतधोयरूप्पपट्टेइ वा सालिपिट्ठरासीति वा कुंदपुप्फारासीति वा कुमुदरासीति वा कुक्कच्छिवाडीति वा पिहुणमितियाति वा भिसेति वा मुणालियाति वा गयदंतेति वा लवंगदलएति वा पोंडरीयदलएति वा सेयासोगेति वा सेयकणवीरेति वा सेयबन्धुजीवेति वा, भवे एयारूवे सिया ?, णो इणढे समढे, ते णं सुकिल्ला मणी एत्तो इट्ठतराए चेव जाव वन्नेणं पं०, तेसिं णं मणीणं इमेयारूवे गंधे पं०, से जहानामए कोट्ठपुडाण वा तगरपुडाण वा एलापुडाण वा चोयपुडाण वा चंपापुडाण वा दमणापुडाण वा कुंकुमपुडाण वा चंदणपुडाण वा उसीरपुडाण वा मरूआपुडाण वा जातिपुडाण वा जूहियापुडाण वा मल्लियापुडाण वा पहाणमल्लियापुडाण वा केतगिपुडाण वा पाडलिपुडाण वा णोमालियापुडाण वा अगुरूपुडाण वा लवंगपुडाण वा कप्पूरपुडाण वा वासपुडाण वा अणुवायंसि वा ओभिज्जमाणाण वा कोट्टिजमाणाण वा भंजिज्जमाणाण वा उक्किरिज्जमाणाण वा विक्किरिज्जमाणाण वा परिभुज्जमाणाण वा परिभाइज्जमाणाण वा भंडाओ वा भंडं साहरिज्जमाणाण वा ओराला मणुण्णा मणहरा घाणमणनिव्वुतिकरा सव्वता समंता गंधा अभिनिस्सवंति, भवे एयारूवे सिया ?, णो इणढे समढे, ते णं मणी एत्तो इट्टतराए चेव गंधेणं पं०, तेसिंणं मणीणं इमेयारूवे फासे पण्णत्ते, से जहानामए आइणेति वा रूएति वा बूरेइ वा णवणीएइ वा हंसगब्भतूलियाइ वा सिरीसकुसुमनिचयेइ बालकुसुमपत्तरासीति वा, भवे एयारूवे सिया ?, णो इणढे समढे, ते णं मणी एत्तो इट्ठतराए चेव जाव फासेणं पं०, तए णं से आभियोगिए देवे तस्स दिव्वस्स जाणविमाणस्स बहुमज्झदेसभागे एत्थ णं महं पिच्छाघरमंडवं विउव्वइ अणेगखंभसयसंनिविट्ठ अब्भुग्गयसुकयवरवेइयातोरणवररइयसालभंजियागं सुसिलिट्ठविसिट्ठलट्ठसंठियपसत्थवेरूलियविमलखंभं णाणामणिखचियउज्जलबहुसमसुविभत्तदेसभायं ईहामियउसभतुरगनरमगरविहगवालगकिन्नररूसरभचमर कुंजर वणलयपउमल यभत्तिचित्तं (प्र० खंभुग्गयवइर वेइयपरिगया भिरामं विज्जाहरजमल जुगलजन्तजुत्तंपिव अच्चीसहस्स मालिणीयं रूवगसहस्सं कलितं भिसमाणं भिब्भि समाणं चक्खुल्लोयणलेसं सुहफासं सस्सिरीयरूवं) कंचणमणिरयणथूभियागंणाणाविहपंचवण्ण घंटापडागपरिमंडि यग्गसिहरं चवलं मरीतिकवयं विणिम्मुयंत लाउल्लोइयमहियं गोसीस (सरस) रत्तचंदणदद्दरदिन्नपंचंगुलितलं उवचियचंदणकलसं चंदणघडसुकयतोरणपडिदुवारदेसभागं आसत्तोसत्तविउलवट्टवग्घारियमल्लदामकलावं पंचवण्णसरससुरभिमुक्कपुप्फपुंजोवयारकलियं कालागुरूपवरकुंदुरूक्कधूवमघमघंतगंधुधुयाभिरामं सुगंधवरगंधियं गंधवट्टिभूतं दिव्वं तुडियसद्दसंपणाइयं अच्छरगणसंघविप्पकिण्णं पासाइयं दरिसणिज्जं जाव पडिरूवं, तस्स णं पिच्छाघरमंडवस्स बहुसमरमणिज्जभूमिभागं विउव्वति जाव मणीणं फासो, तस्स णं पेच्छाघरमंडवस्स उल्लोयं विउव्वति पउमलयभत्तिचित्तं जाव पडिरूवं, तस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महं वइरामयं अक्खाडगं विउव्वति. तस्स णं अक्खाडयस्स बहुमज्झदेसभागे एत्थ णं महेगं मणिपेढियं विउव्वति अट्ठ जोयणाई आयामविक्खंभेणं चत्तारि जोयणाइं बाहल्लेणं सव्वमणिमयं अच्छं सण्हं जाव पडिरूवं, तीसेणं मणिणिपेडियाए उवरि एत्थ णं महेगं सिंहासणं विउव्वइ, तस्स णं सीहासणस्स इमेयारूवे वण्णावासे पं०-तवरिजमया चक्कला रययामया सीहा सोवणिया पाया णाणामणि मयाइं पायसीसगाई जंबूणयमयाइं गत्ताइं वइरामया संधी णाणामणिमयं वेच्चं, से णं सीहासणे इहामिय उसभतुरगनरमगर विहगवालगकिन्नररू सरभचमरक चंजरवणलयपउमलयभत्तिचित्ते सारसारोवचियमणिरयणपायवीढे अच्छरगमिउमसूरगणवतयकुसंतलिम्बकेसरपच्चत्थुयाभिरामे सुविरइयरयत्ताणे उवचियखोमदुगुल्लपट्टपडिच्छायणे रत्तंसुअसंवुए सुरम्मे आइणगरूयबूरणवणीयतूलफासे मउउए पासाईए०, तस्स णं सिंहासणस्स उवरि एत्थ णं महेगं विजयदूसं विउव्वंति संखंककुंददगरयअमयमहियफेणपुंजसंनिगासं सव्वरयणामयं अच्छं सण्डं पासादीयं दरिसणिज्जं अभिरूवं पडिरूवं, तस्स णं सीहासणस्स उवरि विजयदूसस्स य १ बहुमज्झदेसभागे एत्थ णं वयरामयं अंकुसं विउव्वंति, तस्सिं च णं वयरामयंसि अंकुसंसि कुंभिक्कं मुत्तादामं विउव्वंति, से णं कुंभिक्के मुत्तादामे अन्नेहिं चउहिं rerC555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा · ८०९ 555555555555555555555+FOROR NO$$乐555听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听玩乐乐听听听听听听听听C國 Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ G:055555555555555 (१३) रायपसेणियं ) उवंगसुत्ता 555555555555552TO O N $$$ $ $$$ HOLO乐明明明明明明明明明明明明明明明明明明乐明明明明明明明明明明 %%%%%%%%%%%%%$ % अद्धकुंभिक्के हिं मुत्तादामेहिं तदद्धच्चत्तपमाणे हिं सव्वओ समता संपरिक्खित्ते, ते णं दामा तवणिज्जलं बूसगा सुवण्णपयरगमंडियग्गा णाणामणिरयणविविहहारद्धहारउवसोभियसमुदाया ईसिं अण्णमण्णमसंपत्ता वाएहिं पुव्वावरदाहिणुत्तरागएहिं मंदायं २ एइज्जमाणा २ पलंबमाणा २ पेजंज (पज्झंझ) माणा २ उरालेणं मणुन्नेणं मणहरेणं कण्णमणणिव्वुतिकरेणं सद्देणं ते पएसे सव्वओ समंता आपूरेमाणा सिरीए अतीव २ उबसोभेमाण चिट्ठति, तए णं से आभिओगिए देवे तस्स सिंहासणस्स अवरूत्तरेणं उत्तरेणं उत्तरपुरच्छिमेणं एत्थ णं सूरिआभस्स देवस्स चउण्हं सामाणियसाहस्सीणं चत्तारि भद्दासणसाहस्सीओ विउव्वइ, तस्स णं सीहासणस्स पुरच्छिमेणं एत्थ णं सूरियाभस्स देवस्स चउण्हं अग्गमहिसीणं सपरिवाराणं चत्तारि भद्दासणसाहस्सीओ विउव्वइ. तस्स णं सीहासणस्स दाहिणपुरच्छिमेणं एत्थ णं सूरियाभस्स देवस्स अब्भितरपरिसाए अट्ठण्हं देवसाहस्सीणं अट्ठ भद्दासणसाहस्सीओ विउव्वइ, एवं दाहिणेणं मज्झिमपरिसाए दसण्हं देवसाहस्सीणं दस भद्दासणसाहस्सीओ विउव्वति, दाहिणपच्चत्थिमेणं बाहिरपरिसाए बारसण्हं देवसाहस्सीणं बारस भद्ददासणसाहस्सीओ विउव्वति, पच्चत्थिमेणं सत्तण्हं अणियाहिवतीणं सत्त भद्दासणे विउव्वति, तस्स णं सीहासणस्स चउदिसि एत्थ णं सूरियाभस्स देवस्स सोलसण्हं आयरक्खदेवसाहस्सीणं सोलस भद्दासणसाहस्सीओ विउव्वति, तं०-पुरच्छिमेणठ चत्तारि साहस्सीओ दाहिणेणं चत्तारि साहस्सीओ पच्चत्थिमेणं चत्तारि साहस्सीओ उत्तरेणं चत्तारि साहस्सीओ, तस्स दिव्वस्स जाणविमाणस्स इमेयारूवे वण्णावासे पं० से जहानामए अइरूग्गयस्स वा हेमंतियबालसूरियस्स वा खयरिंगालाण वा रत्तिं पज्जलियाण वा जावाकुसुमवणस्स वा किंसुयवणस्स वा पारियायवणस्स वा सव्वतो समंता संकुसुमियस्स, भवे एयारूवे सिया?, णो इणढे समठे, तस्सणं दिव्वस्स जाणविमाणस्स एत्तो इट्टतराए चेव जाव वण्णेण पं०, गंधो य कासो य जहा मणीणं, तएणं से आभिओगिए देवे दिव्वं जाणविमाणं विउव्वइत्ता जेणेव सूरियाभे देवे तेणेव उवागच्छइ त्ता सूरियाभं देवं करयलपरिग्गहियं जाव पच्चप्पिणंति ।१५। तए णं से सूरिआभे देवे आभिओगस्स देवस्स अंतिए एयमढे सोच्चा निसम्म हट्ठजावहियए दिव्वं जिणिदाभिगमणजोग्गं उत्तरवेउव्वियरूवं विउव्वति त्ता चउहिं अग्गमहिसीहिं सपरिवाराहिं दोहिं अणीएहि, तं०- गंधव्वाणीएण य णट्ठाणीएण य सद्धिं संपरिवुडे तं दिव्वं जाणविमाणं अणुपयाहिणीकरेमाणे २ पुरच्छिमिल्लेणं तिसोवाणपडिरूवएणं दुरूहती त्ता जेणेव सिंहासणे तेणेव उवागच्छइत्ता सीहासणवरगए पुरत्थाभिमुहे सण्णिसण्णे, तए णं तस्स सुरिआभस्स देवस्स चत्तारि सामाणियसाहस्सीओ तं दिव्वं जाणविमाणं अणुपयाहिणीकरेमाणा उत्तरिल्लेणं तिसोवाणपडिरूवएणं दुरूहंति त्ता पत्तेयं २ पुव्वण्णत्थेहिं भद्दासणेहिं णिसीयंति अवसेसा देवा य देवीओ य तं दिव्वं जाण विमाणं जाव दाहिणिल्लेणं तिसोवाणपडिरूवएणं दुरूहंति त्ता पत्तेयं २ पुव्वण्णत्थेहिं भद्दासणेहिं निसीयंति, तए णं तस्स सूरियाभस्स देवस्स तं दिव्वं जाणविमाणं दुरुढस्स समाणस्स अट्ठमंगलगा पुरतो अहाणुपुव्वीए संपत्थिता तं०- सोत्थियसिरिवच्छजावदप्पणा, तयाणंतरं च णं पुण्णकलसभिंगार० दिव्वा य छत्तपडागा सचामरा दंसणरतिया आलोयदरिसणिज्जा वाउछुयविजयवेंजती ऊसीया गगणतलमणुलिहंती पुरतो अणुपुव्वीए संपत्थिया, तयाणंतरं च णं वेरूलियभिसंतविमलदंडं पलंबकोरंटमल्लदामोवसोभितं चंदमंडलनिभं समुस्सियं विमलमायवत्तं पवरसीहासणं च मणिरयणभत्तिचित्तं सपायपीढं सपाउयाजोयसमाउत्तं बहुकिंकरामरपरिग्गहियं पुरतो अहाणुपुव्वीए संपत्थियं, तयाणंतरं च णं वइरामयवट्टलट्ठसंठियसुसिलिट्ठपरिघट्ठमट्ठसुपतिट्ठिए विसिटे अणेगवरपंचवण्णकुडभीसहस्सुस्सिए (प्र० स्सपरिमंडियाभिरामे) वाउछुयविजयवेजयंतीपडागच्छत्तातिच्छत्तकलिते तुंगे गगणतलमणुलिहंतसिहरे जोअणसहस्समूसिए महतिमहालए महिंदज्झए पुरतो अहाणुपुव्वीए संपत्थिए, तयाणंतरं च णं सुरूवणेवत्थपरिकच्छिया सुसज्जा सव्वालंकारभूसिया महया भडचङगरपहगरेणं पंचअणीयाहिवइणो पुरतो अहाणुपुव्वीए संपत्थिया (प्र० तयाणंतरं चणं बहवे आभिओगिया देवा देवीओ य सएहिं २ रूवेहिं सएहिं २ विसेसेहिं सएहिं २ विदेहिं (प्र० विहवेहि) सरहिं २ णिज्जोएहिं (प्र० णेज्जाएहिं) सएहिं २णेवत्थेहिं म पुरतो अहाणुपुवीए संपत्थिया, तयाणंतरं च णं सूरियाभविमाणवासिणो बहवे वेमाणिया देवा य देवीओ य सविड्ढीए जाव रवेणं सूरियाभं देवं पुरतो पासतोय २ मग्गतोय समणुगच्छंति।१६। तएणं से सुरियाभे देवे तेणं पंचाणीयपरिक्खित्तेणं वइरामयवट्टलट्ठसंठिएणं जाव जोयणसहस्सासिएणं महतिमहालतेणं महिंदज्झएणं royo 5 5555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ८१०55555555555555555556XORE %%%%% %% 明明明明明明明明乐乐乐585乐乐FGO %%%%%%%%%% C in Education Intema ainelibrary.ce) Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ GRO (१३) रायपसेणिय [ (२) उवंगसुतं ] पुरतो कडिज्माणं चउहिं सामाणियसहस्सेहिं जाव सोलसहिं आयरक्खदेवसाहस्सीहिं अन्नेहिं य बहूहिं सूरियाभविमाणवासीहिं वेमाणिएहिं देवेहिं देवीहिं य सद्धिं संपरिवुडे सव्विड्ढीए जाव रवेण सोधमस्स कप्पस्स मज्झमज्झेणं तं दिव्वं देविद्धिं दिव्वं देवजुतिं दिव्वं देवाणुभावं उवदंसेमाणे २ पडिजागरेमाणे जेणेव सोहम्मकप्पस्स उत्तरिल्ले णिज्जाणमग्गे तेणेव उवागच्छति त्ता जोयणसयसाहस्सितेहिं विग्गेहेहिं ओवयमाणे वीतीयमाणे ताएं उक्कडाए जाव तिरियमसंखिज्जाणं दीवसमुद्दाणं मज्झंमज्झेणं वीइवयमाणे जेणेव नंदीसरवरदीवे जेणेव दाहिणपुरच्छिमिल्ले रतिकरपव्वते तेणेव उवागच्छति त्ता तं दिव्वं देविद्धिं जाव दिव्वं देवाणुभावं पडिसाहरेमाणे २ पडिसंखेवेमाणे २ जेणेव जंबुद्दीवे दीवे जेणेव भारहे वासे जेणेव आमलकप्पा नयरी जेणेव अंबसालवणे चेइए जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छत्ता समणं भगवं महावीरं तेणं दिव्वेणं जाणविमाणेणं तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेइ त्ता समणस्स भगवतो महावीरस्स उत्तरपुरच्छिमे दिसिभागे तं दिव्वं जाणविमाणं ईसि चउंरंगुलमसंपत्तं धरणितलंसि ठवेइ त्ता चउहिं अग्गमहिसीहिं सपरिवाराहिं दोहिं अणीयाहिं तं०-गंधव्वाणीएण य नट्टाणीएण य सद्धि संपरिवुडे ताओ दिव्वाओ जाणविमाणाओ पुरच्छिमिल्लेणं तिसोवाणपडिरूवएणं पच्चोरूहति, तए णं तस्स सूरियाभस्स देवस्स चत्तारि सामाणियसाहस्सीओ ताओ दिव्वाओ जाणविमाणाओ उत्तरिल्लेणं तिसोवाणपडिरूवएणं पच्चोरूहति, अवसेसा देवा य देवीओ य ताओ दिव्वाओ जाणविमाणाओ दाहिणिल्लेणं तिसोवाणपडिरूवएणं पच्चोरूहंति, तए णं से सूरियाभे देवे चउहिय अग्गमहिसहिं जाव सोलसहिं आयरक्खदेवसाहस्सीहि अण्णेहि य बहूहिं सूरियाभविमाणवासीहिं वेमाणिएहिं देवेहिं देवीहिं य सद्धिं संपरिवुडे सव्विड्ढीए जाव णाइयरवेणं जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छति त्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेति त्ता वंदति नम॑सति त्ता एवं व० - अहं णं भंते! सूरियाभे देवे देवाणुप्पियं वंदामि णमंसामि जाव पज्जुवासामि | १७| सूरियाभाति ! समणे भगवं महावीरे सूरियाभं देवं एवं व० - पोराणमेयं सुरियाभा ! जीयमेयं सूरियाभा ! किच्चमेयं सूरियाभा ! वरणिज्जमेयं सूरियाभा ! आइण्णमेयं सुरियाभा ! अब्भण्णायमेयं सूरियाभा ! जण्णं भवणवइवाणमंतरजोइसवेमाणिया देवा अरहंते भगवंते वंदति नम॑सति त्ता तओ पच्छा साई २ नामगोत्ताइं साहिति, तं पोराणमेयं सूरियाभा ! जाव अब्भणुन्नायमेयं सूरियाभा ! | १८| तए णं से सूरियाभे देवे समणेणं भगवया महावीरेणं एवं वुत्ते समाणे हट्ट जाव समणं भगवं महावीरं वंदति नम॑सति त्ता णच्चासण्णे णातिदूरे सुस्सूसमाणे णमंसमाणे अभिमुहे विणएणं पंजलिउडे पज्जुवासति । १९ । तए णं समणे भगवं महावीरे सूरियाभस्स देवस्स तीसे य महतिमहालियाए परिसाए जाव परिसा जामेव दिसिय पाउन्भूया तामेव दिसिं पडिगया | २० | तए णं से सूरियाभे देवे समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए धम्मं सोच्चा निसम्म हट्टतुट्ठजावहयहियए उट्ठाए, उट्ठेति त्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ णमंसइ ता एवं व० अहन्नं भंते! सूरियाभे देवे किं भवसिद्धिए अभवसिद्धि सम्मद्दिट्ठी मिच्छादिट्ठी परित्तसंसारिते अनंतसंसारिए सुलभबोहिए दुल्लभवोहिए आराहते विराहते चरिमे अचरिमे ?, सूरिया- (१४४) भाइ ! समणे भगवं महावीरे सूरियाभं देवं एवं व० सूरियाभा ! तुमं णं भवसिद्धिए णो अभवसिद्धिते जाव चरिमे णो अचरिमे । २१। तए णं से सूरिया देवे समणेणं भगवया महावीरेणं एवं वृत्ते समाणे तु चित्तमाणदिए परमसोमणस्से समणं भगवं महावीरं वंदति नम॑सति त्ता एवं व० तुब्भे णं भंते! सव्वं जाणह सव्वं पासह (प्र० सव्वओ जाणह सव्वओ पासह) सव्वं कालं जाणह सव्वं कालं पासह सव्वे भावे जाणह सव्वे भावे पासह जाणंति णं देवाणुप्पिया मम पुव्विं वा पच्छा वा इमेयारूवं दिव्वं देविद्धिं दिव्वं देवजुइं दिव्वं देवाणुभागं लब्द्धं पत्तय अभिसमण्णागयंति तं इच्छामि णं देवाणुप्पियाणं भत्तिपुव्वगं गोयमातियाणं समणाणं निग्गंथाणं दिव्वं देविडि दिव्वं देवजुई देवाणुभावं दिव्वं बत्तीसतिबद्धं नट्टविहिं उवदंसित्तए | २२| तए णं समणे भगवं महावीरे सूरियाभेणं देवेणं एवं वृत्ते समाणे सूरियाभस्स देवस्स एयमहं आढति णो परियाति तुसिणीए संचिट्ठति, तए णं से सूरियाभे देवे समणं भगवं महावीरं दोच्चंपि एवं व० तुब्भे णं भंते! सव्वं जाणह जाव उवदंसित्तएत्तिकट्टु समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेइ त्ता वंदति नम॑सति त्ता उत्तरपुरच्छ्रिमं दिसीभागं अवक्कमति त्ता वेउव्वियासमुग्धाएणं समोहणति ता संखिज्जाई जोयणाइं दंडं निस्सरति त्ता अहाबायरे० अहासुंहुमे० दोच्चंपि वेउव्वियसमुग्धाएणं जाव बहुसमरमणिज्जं भूमिभागं विउव्वति से जहानामए आलिंगपुक्खरेइ श्री आगमगुणमंजूषा - ८११ ॐ [७] 55555555 A A A REACT) FOR Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Rox9555555555555555 (१३) रायपसेणिय (२) उवंगसुत्तं] [८] C$$$$$$$$$$$$$明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐 वा जाव मणीणं फासो, तस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभागे पिच्छाघरमंडवं विउव्वति अणेगखंभसयसंनिविढे वण्णतो अंतो बहुसमरमणिज्जभूमिभागं विउव्वइ उल्लोयं अक्खाडगं च मणिपेढियं च विउव्वति तीसे णं मणिपेढियाए उवरि सीहासणं सपरिवारं जाव दामा चिट्ठति, तए णं से सूरियाभे देवे समणस्स भगवतो महावीरस्स आलोए पणामं करेति त्ता अणुजाणउ मे भगवंतिकटु सीहासणवरगए तित्थयराभिमुहे सण्णिसण्णे, तए णं से सूरियाभे देवेतप्पढमयाए णाणामणिकणगरयणविमलमंहरिहनिउणोवचियमि-सिमिसिंतविरतिंयमहाभरणकडगतुडियवरभूसणुज्जलं पीवरं पलंबं दाहिणं भुयं पसारेति, तओ णं सरिसयाणं सरित्तयाणं सरिव्वयाणं सरिसलावण्णरूवजोव्वणगुणोववेयाणं एगाभरणवसणगहियणिज्जोआणं दुहतोसंवलियरगणियत्थाणं आविद्धतिलयामेलाणं पिणिद्धगे विज्जकं चुयाणं उप्पीलियचित्तपट्टपरियरसफेणकावत्तरइयसंगयपलं बवत्थंतचित्तचिल्ललगनियंसणाणं एगावलिकंठरइयसोभंतवच्छपरिहत्थभूसाणाणं अट्ठसयं णट्टसज्जाणं देवकुमाराणं णिग्गच्छति, तयाणंतरं च णं णाणामणि जाव पीवरं पलंब वामं भुयं पसारेति, तओ णं सरिसयाणं सरित्तयाणं सरिव्वतीणं सरिसलावण्णरूवजोव्वणगुणोववेयाणं एगाभरणवसणगहियनिज्जोयाणं दुहतोसंवेल्लियग्गनियत्थीणं आविद्धतिलयामेलाणं पिणद्धगेवेज्जकंचुईणं णाणामणिरयणभूसणविराइयंगमंगीणं चंदाणणाणं चंदद्धसमनिलाडाणं चंदाहिंयसोमदंसणाणं उक्काइव उज्जोवेमाणीणं सिंगारागारचारूवेसाणं हसियभणियचिट्ठियविलासललियसंलावनिउणजुत्तोवयारकुसलाणं गहियाउज्जाणं अट्ठसयं नट्टसज्जाणं देवकुमारियाणं णिग्गच्छइ, तए णं से सूरियाभे देवे अट्ठसयं संखाणं विउव्वति अट्ठसयं संखवायाणं विउव्वइ अट्ठसयं सिंगाणं विउव्वइ अट्ठसयं सिंगवायाणं विउव्वइ अट्ठसयं संखियाणं विउव्वइ अट्ठसयं संखियवायाणं विउव्वइ अट्ठसयं खरमुहीणं विउव्वइ अट्ठसयं खरमुहिवाझ्याणं विउव्वइ अट्ठसयं पेयाण विउव्वति अट्ठसयं पेयावायगाणं० अट्ठसयं पीरपीरियाणं विउव्वइ एवमाइयाइं एगूणपण्णं आउज्जविहाणाई विउव्वइ त्ता तए णं ते बहवे देवकुमारा य देवकुमारियाओ य सद्दावेति, तए णं ते बहवे देवकुमारा य देवकुमारीयो य सूरियाभेणं देवेणं सद्दाविया समाणा हट्ठ जाव जेणेव सूरियाभे देवे तेणेव उवागच्छन्ति त्ता सूरियाभं देवं करयलपरिग्गहियं जाव वद्धावित्ता एवं व०संदिसंतुणं देवाणुप्पिया ! जं अम्हेहिं कायव्वं, तए णं से सूरियाभे ते बहवे देवकुमारा य देवकुमारीओ य एवं व०-गच्छह णं तुब्भे देवाणुप्पिया समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेह त्ता वंदह नमंसह त्ता गोयमाझ्याणं समणाणं निग्गंथाणं तं दिव्वं देविड्ढि दिव्वं देवजुतिं दिव्वं देवाणुभावं दिव्वं बत्तीसइबद्धं णट्टविहिं उवदंसेहत्ता खिप्पामेव एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह, तए णं ते बहवे देवकुमारा य देवकुमारीयो य सूरियाभेणं देवेणं एवं वुत्ता समाणा हट्ठजाव करयल जाव पडिसुणंति त्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छंति त्ता समणं भगवं महावीरं जाव नमंसित्ता जेणेव गोयमादिया समणा निग्गंथा तेणेव उवागच्छंति, तए णं ते बहवे देवकुमारा देवकुमारीयो य सममेव समोसरणं करेंति त्ता सममेव पंतिओ बंधति त्ता सममेव पंतिओ नमसंति त्ता सममेव पंतीओ अवणमंति त्ता सममेव उन्नमंति त्ता एवं सहितामेव ओनमंति एवं सहितामेव उन्नमंति त्ता थिमियामेव ओणमंति थिमियामेव उन्नमन्ति संगयामेव ओनमंति संगयामेव उन्नमंति त्ता सममेव पसरंति त्ता सममेव आउज्जविहाणाइं गेण्हंति सम मेव पवाएंसु पगाइंसु पणच्चिंसु, किं ते ?, उरेण मंदं सिरेण तारं कंठेण वितारं तिविहं तिसमयरेयगरयइयं गुंजावक्ककुहरोवगूढं रत्तं तिठाणकरणसुद्धं सकुहरगुंजतवंसतंतीतलताललयगहसुसंपउत्तं महुरं समं सललियं मणोहरं मिउरिभियपयसंचारं सुरइ सुणइ वरचारूरूवं दिव्वं णट्टसज्जं गेयं पपगीया यावि होत्था, किं ते ?, उद्धमंताणं संखाणं सिंगाणं संखियाणं खरमुहीणं पेयाणं पिरिपिरियाणं आहमंताणं पणवाणं पडहाणं अप्फालिज्जमाणाणं भंभाणं होरंभाणं (प्र० वीणाणं वियधी (पंची) णं) तालिज्जताणं भेरीणं झल्लरीणं दुंदुहीणं आलवंताणं (प्र० मुरयाणं) मुइंगाणं नन्दीमुइंगाणं उत्तालिज्जताणं आलिंगाण कुतुंबाणं गोमुहीणं मद्दलाणं मुच्छिज्जताणं वीणाणं विपंचीणं वल्लकीणं कुट्टिजंताणं महंतीणं कच्छभीणं चित्तवीणाणं सारिज्जंताणं है वद्धीसाणं सुघोसाणं णंदिघोसाणं फुट्टिनंतीणं भामरीणं छब्भामरीणं परिवायणीणं छिप्पंताणं तूणाणं तुंबवीणाणं आमोडिज्जताणं आमोताणं कुंभाणं नउलाणं अच्छिज्जंतीणं मुगुंदाणं हुडुक्कीणं विचिक्कीणं वाइज्जंताणं करडाणं डिडिमाणं किणियाणं कडंबाणं दद्दरगाणं दद्दरिगाणं कुतुंबाणं कलसियाणं मड्डयाणं आवडिज्जंताणं mero #5555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ८१२॥ FOR 听听听听听听听听听听听听听听乐听听听听听听听听听听听听听听听乐听听听听听听听听听听听听听听听听听FC Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ CORS55555% %%%%%明 (१३) रायपसेणियं [(२) उवंगसुत्तं] २) उवगसुत्त] 历历牙牙牙牙牙555555555220 CC乐乐乐乐乐明明乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐明乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐 तलाणं तालाणं कंसतालाणं घट्टिज्जताणं रिगिरिसियाणं लत्तियाणं मगरियाणं सुंसुमारियाणं फुमिज्जंताणं वंसाणं वेलूणं वालीणं परिल्लीणं बद्धगाणं, तए णं से दिव्वे गीए दिव्वे नट्टे दिव्वे वाइए एवं अब्भुए सिंगारे उराले मणुन्ने मणहरे गीते मणहरे नट्टे मणहरे वातिए उप्पिंजलभूते कहकहगभूते दिव्वे देवरमणे पवत्ते यावि होत्था, तएणं ते बहवे देवकुमारा य देवकुमारीओय समणस्स भगवओ महावीरस्ससोत्थियसिरिवच्छणंदियावत्तवद्धमाणगभद्दासणकलसमच्छदप्पणमंगलभत्तिचित्तं णामं दिव्वं नट्टविधिं उवदंसेति १।२३। तए णं ते बहवे देवकुमारा य देवकुमारीओ य सममेव समोसरणं करेति त्तातं चेव भाणियव्वं जाव दिव्वे देवरमणे पवत्ते यावि होत्था, तएणं ते बहवे देवकुमारा य देवकुमारीओय समणस्स भगवओ महावीरस्स आवडपच्चावडसेढिपसेढिसोत्थियसोवत्थिअपूसमाणगमच्छंडमगरंडजारामाराफुल्लावलिपउमपत्तसागरतरंगयसंतलतापउमलयभत्तिचित्तं० उवदंसेति २, एवं च एक्वेक्कियाए णट्टविहीए समोसरणादीया एसा वत्तव्वया जाव दिव्वे देवरमणे पवत्ते यावि होत्था, तए णं ते बहवे देवकुमारा य देवकुमारियाओ य समणस्स भगवतो महावीरस्स इहामियउसभतुरगनरमग-रविहगवालगकिंनरूरूसरभचमर कुंजरवणलयपउमलयमभत्तिचित्तं० उवदंसेति ३, एगतोवक्कं दुहओवक्कं (एगतोखुहं दुहओखुहं) एगओचक्कवालं दुहओचक्कवालं चक्कद्धचक्कवालं उवदंसंति ४, चंदावलिपविभत्तिं च वलयावलिपविभत्तिं च हंसावलिपविभत्तिं च सूरावलिपविभत्तिं च एगावलिपविभत्तिं च तारावलिपविभत्तिं च मुत्तावलिपविभत्तिं च कणगावलिपविभत्तिं च रयणावलिपविभत्तिंच उवदंसति ५, चंदुग्गमणपविभत्तिं च सूरूग्गमणपविभत्तिंच उग्गमणुग्गमणपविभत्तिंच उवदंसेति६, चंदागमणपविभत्ति च सूरागमणपविभत्तिं च आगमणागमणपविभत्तिं च उवदंसंति ७, चंदावरणपविभत्तिं च सूरावरणपविभत्तिं च आवरणाऽऽवरणपविभत्तिं च उवदंसंति ८, चंदत्थमणपविभत्तिं च सूरत्थमणपविभत्तिं च अत्थमणऽत्थमणपविभत्तिं च उवदंसंति ९, चंदमंडलपविभत्तिं च सूरमंडलपविभत्तिं च नागमंडलपविभत्तिं जक्खमंडलपविभत्तिं भूतमंडलपविभत्तिं च (प्र० रक्खस०महोरग० गंधव्व० पिसायमंडलपविभत्तिंच) उवदंसेति १०, उसभललियवक्वंतं सीहललियवक्वंतं हयविलंबि (लसि) यं गयविलंबि (लसि) यं मत्तहयविलसियं मत्तगयविलसियं दुयविलंबियं उवदंसति ११, (प्र० सगडुद्धिपविभत्तिं च) सागरपविभत्तिं च नागरपविभत्तिं च सागरनागरपविभत्तिं च उवदंसंति १२, णंदापविभत्तिं च चंपापविभत्तिं च नन्दाचंपापविभत्तिं च १३, मच्छंडापविभत्तिं च मयरंडापविभत्तिं च जारापविभत्तिं च मारापविभत्तिं च मच्छंडामयरंडाजारामारापविभत्तिं च १४, कत्तिककारपविभत्तिं च खत्तिखकारपविभत्तिं च गत्तिगकारपविभत्तिं च घत्तिघकारपविभत्तिं च ङत्तिङकारपविभत्तिंच ककारखकारगकारघकारघङकारपविभत्तिं च १५, एवं चवग्गोवि १६, टवग्गोवि १७, तवग्गोवि १८, पवग्गोवि १९, असोयपल्लवपविभत्तिं च अंबपल्लवपविभत्तिं च जंबूपल्लवपविभत्तिं च कोसंबपल्लवपविभत्तिं च पल्लवपल्लवपविभत्तिं च २०, पउमलयापविभत्तिं च जाव सामलयापविभत्तिं च लयालयापविभत्तिं च २१,दुयमाणं २२, विलंबियं० दुयविलंबियं० अंचियं० रिभियं० अंचिरिमियं० आरभडं० भसोलं० आरभडभसोलं०३०, उप्पयानिवयपवत्तं संकुचियं पसारियं रयारइयभंतसंभंतं ३१, तएणं ते बहवे देवकुमारा य देवकुमारीओ य समामेव समोसरणं करेति जाव दिव्वे देवरमणे पवत्ते यावि होत्था, तएणं ते बहवे देवकुमारा य देवकुमारीओ य समणस्स भगवओ महावीरस्स पुव्वभवचरियणिबद्धं च देवलोयचरियनिबद्धं च चवणचरियणिबद्धं च संहरणचरियनिबद्धं च जम्मणचरियनिबद्धं च अभिसेयचरियानिबद्धं च बालभावचरियनिबद्धं च जोव्वणचरियनिबद्धं च कामभोगचरियनिबद्धं च निक्खमणचरियनिबद्धं च तवचरणचरियनिबद्धं च णाणुप्पायचरियनिबद्धं च तित्थपवत्तणचरियनि० परिनिव्वाणचरियनिबद्धं च चरिमचरियनिबद्धं च ३२, तए णं ते बहवे देवकुमारा य देवकुमारीयाओ य चउव्विह वाइत्तं वाएंति तं०-ततं विततं घणं झुसिरं, तए णं ते बहवे देवकुमारा य देवकुमारीओ य चउव्विहं गेयं गायति तं०-उक्खित्तं पायत्तं मंदायं रोइयावसाणं च, तए णं ते बहवे देवकुमारा य देवकुमारियाओ य चउव्विहं णट्टविहिं उवदंसन्ति तं०-अंचियं रिभियं आरभडं भसोलं, तए णं ते बहवे ॥ देवकुमारा य देवकुमारीयाओ य चउब्विहं अभिणयं अभिणयेति तं० -दिलृतियं पाडंतियं सामन्तोवणिवाइयं अंतोमज्झावसाणियं, तए णं ते बहवे देवकुमारा य देवकुमारीयाओ य गोयमादियाणं समणाणं निग्गंथाणं दिव्वं देविढि दिव्वं देवजुत्तिं दिव्वं देवाणुभागं दिव्वं बत्तीसइबद्धं नट्टविहिं उवदंसित्ता समणं भगवं महावीर Porn555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा- 55555555555555555555555555OOR $听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听$2C网 in Education Intem STRESOR LIBRO Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१३) रायपसेणियं [(२) उवंगसुत्तं] [१०] 5 5555555$$oxom IOSOFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFSA तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेइ त्ता वंदति नमसंति त्ता जेणेव सूरियाभे देवे तेणेव उवागच्छन्ति त्ता सूरियाभं देवं करयलपरिग्गहियं० सिरसावत्तं मत्थए अंजलि कटु जएणं विजएणं वद्धावेति त्ता एयमाणत्तियं पच्चप्पिणंति ।२४। तए णं से सूरियाभे देवे तं दिव्वं देविडिंढ दिव्वं देवजुइं दिव्वं देवाणुभावं पडिसाहरइ त्ता खणेणं जाते एगे एगभूए, तए णं से सूरियाभे देवे समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेइ त्ता वंदति णमंसति त्ता नियगपरिवाल सद्धिं संपरिबुडे तमेव दिव्वं जाणविमाणं दुरूहति त्ता जामेव दिसि पाउब्भूए तामेव दिसिं पडिगये।२५। भंतेति भयवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदति नमंसति त्ता एवं व०-सूरियाभस्सणं भंते! देवस्स एसा दिव्वा देविड्ढी दिव्वा देवजुत्ती दिव्वे देवाणुभावे कहिं गते कहिं अणुपविढे ?, गोयमा ! सरीरं गते सरीरं अणुपविटे, से केणटेणं भंते ! एवं वुच्चइ-सरीरं गते सरीरं अणुपविट्ठे ?, गोयमा ! से जहानामए कूडागारसाला सिया दुहतो लित्ता दुहतो गुत्ता गुत्तदुवारा णिवाया णिवायगंभीरा, तीसे णं कूडागारसालाते अदूरसामंते एत्थ णं महेगे जणसमूहे चिट्ठति, तए णं से जणसमूहे एगं महं अब्भवद्दलगं व वासवद्दलगं वा महावायं वं एज्जमाणं पासति त्ता तं कूडागारसालं अंतो अणुपविसित्ताणं चिट्ठइ, से तेणटेणं गोयमा ! एवं वुच्चति-सरीरं अणुपवितु।२६। कहिणं भंते ! सूरियाभस्स देवस्स सूरियाभे णामं विमाणे पं० ?, गोयमा ! जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणणं इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए बहुसमरमणिज्जातो भूमिभागातो उड्ढं चंदिमसूरियगहगणणक्खत्ततारारूवाणं बहूई जोयणाई बहूइं जोयणसयाइं बहूइं जोयणसहस्साई बहूई जोयणसयसहस्साइं बहुईओ जोयणकोडीओ० बहुईओ जोयणसयसहस्सकोडीओ उड्ढं दूरं वीतीवइत्ता एत्थ णं सोहम्मे कप्पे नाम कप्पे पं० पाईणपडीणआयते उदीणदाहिणविच्छिण्णे अद्धचंदसंठाणसंठिते अच्चिमालिभासरासिवण्णाभे असंखेज्जाओ जोयणकोडाकोडीओ आयामविक्खंभेणं असंखेज्जाओ जोयणकोडाकोडीओ परिक्खेवेणं इत्थ णं सोहम्माणं देवाणं बत्तीसं विमाणावाससयसहस्साई भवंतीति मक्खायं, ते णं विमाणा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा, तेसिंणं विमाणाणं बहुमज्जदेसभाए पंच वडिंसया पं० तं०-असोगवडिंसते सत्तवन्नवडिंसते चंपकवडिंसते चूयगवडिंसते मज्झे सोहम्मवडिंसए, ते णं वडिंसगा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा, तस्स णं सोहम्मवडिंसगस्स महाविमाणस्स पुरच्छिमेणं तिरियमसंखेज्जाइं जोयणसयसहस्साई वीइवइत्ता एत्थणं सूरियाभस्स देवस्स सूरियाभे नामं विमाणे पं० अद्धतेरस जोयणसयसहस्साई आयामविक्खंभेणं गुणयालीसं च सयसहस्साई बावन्नं च सहस्साइं अद्ध य अडयाले जोयणसते परिक्खेवेणं, सेणं एगेणं पागारेणं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ते, से णं पागारे तिन्नि जोयणसयाई उड्ढंउच्चत्तेणं 'मूले एगं जोयणसयं विक्खंभेणं मज्झे पन्नासं जोयणाई विक्खंभेणं उप्पिं परवीसंजोयणाई विक्खंभेणं मूलं विच्छिन्ने मज्झे संखित्ते उप्पिं तणुए गोपुच्छसंठाणसंठिए सव्वकणगामए अच्छे जाव पडिरूवे, सेणं पागारेणाणाविहुपंचवन्नेहिं कविसीसएहिं उवसोभिते तं०-किण्हहिनीलेहिं लोहितेहिं हालिद्देहिं सुकिल्लेहिं कविसीसएहिं, ते णं कविसीसगा एगं जोयणं आयामेणं अद्धजोयणं विक्खभेणं देसूणं जोयणं उड्ढंउच्चत्तेणं सव्वमणि (रयणा) मया अच्छा जाव पडिरूवा. सूरियाभस्स णं विमाणस्स एगमेगाए बाहाए दारसहस्सं २ भवतीति मक्खायं, ते णं दारा पंचजोयणसयाइं उड्ढंउच्चनणं अड्ढाइज्जाई जोयणसयाइं विक्खंभेणं तावइयं चेव पवेसेणं सेया वरकणगथूभियागाइहामियउसभतुरगणरमगरविहगवालगकिन्नररूरूसरभचमरकुंजरवणलयपउमलयभत्तिचित्ता खंभुग्गयवरवयरवेइयापरिगयाभिरामा विज्जाहरजमलजुयलजंतजुत्तंपिव अच्चिसहस्समालिणीया रूवगसहस्सकलिया भिसमाणा भिब्भिसमाणा चक्खुल्लोयणलेसा सुहफासा ससिरीयरूवा वण्णओ दाराणं तेसिंहोइ, तं०-वइरामया णिम्मा रिट्ठामया पइट्ठाणा वेरूलियमया सूइखंभा जायरूवोवचियवरपंचवन्नमणिरयणकोट्टिमतला हंसगब्भमया एलुया गोमेज्जमया इंदकीला लोहियक्खमतीतो दारचेडीओ जोईरसमया उत्तरंगालोहियक्खमईओ सूइओ वयरामया संधी नाणामणिमया समुग्गया वयरामया अग्गला अग्गलापासाया रययामयाओ आवत्तणपेढियाओ अंकुरत्तरपासगा निरंतरियघणकवाडा भित्तीसु चेव भित्तिगुलित्ता छप्पन्ना तिण्णि होति गोमाणसिया तत्तिया णाणामणिरयणवालरूवगलीलट्ठिअसालभंजियागा वयरामया कुड्डा रयया (प्र० णा) मया उस्सेहा सव्वतवणिज्जमया उल्लोया णाणामणिरयणजालपंजरमणिवंसगलोहियक्खपडिवंसगरययभोमा अंकामया पक्खा पक्खबाहाओ जोइरसामया वंसा वंसकवेल्लुयाओ रयणामईओ पट्टियाओ Keros9955 555555555# श्री आगमगुणमंजूषा-१४ 55555555555555555OOK 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明ON Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ECS听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 乐乐 明明明明明明乐乐乐乐乐乐明明明明玩玩乐乐听乐乐乐乐乐CM (१३रायपसेणियारागसुत] ] जायरूवमईओ ओहाडणीओ वइरामईओ उवरिपुच्छणीओ सव्वसेयरययामयाच्छायणे अंकामया कणगकूड तवणिज्जथूभियागा सेया संखदलविमलनिम्मलदधिघणगोखीरफेणरययणिगरप्पगासा तिलगरयणद्धचंदचित्ता नाणामणिदामालंकिया अंतो बहिं च सण्हा तवणिज्जवालुयापत्थडा सुहफासा सस्सिरीयरूवा पासाईया दरिसणिज्जा अभिरूवा पडिरूवा ।२७। तेसिंणं दाराणं उभओ पासे दुहओ निसीहियाए सोलस २ चंदणकलसपरिवाडीओ पं०, ते णं चंदणकलसा वरकमलपइट्ठाणा सुरभिवरवारिपडिपुण्णा चंदणकयचच्चगा आविद्धंकंठेगुणा पउमुप्पलपिहाणा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा महया २ इंदकुंभसमाणा पं० समणाउसो !, तेसिं णं दाराणं उभओ पासे दुहओ णिसीहियाए सोलस २ णागदंतपरिवाडीओ पं०, ते णं णागदंता मुत्ताजालंतरूसियहेमजालगवक्खजालखिखिणी (घंटा) जालपरिक्खित्ता अब्भुग्गया अभिणिसिट्ठा तिरियसुसंपग्गहिया अहेपन्नगद्धरूवा पन्नगद्धसंठाणसंठिया सव्ववयरामया अच्छा जाव पडिरूवा महया २ गयदंतसमाणा पं० समणाउसो!, तेसु णं णागदंतएसु बहवे किण्हसुत्तबद्धवट्टवग्धारितमल्लदामकलावा णील० लोहित० हालिद्द० सुकिल्लसुत्तट्टग्घारितमल्लदामकलावा, ते णं दामा तवणिज्जलंबूसगा सुवन्नपयरमंडियगा जाव कन्नमणणिव्वुतिकरेणं सद्देणं ते पदेसे सव्वओ समंता आपूरेमाणा सिरीए अईव उवसोभेमाणा चिटुंति, तेसिंणं णागदंताणं उवरि अन्नाओ सोलस २ नागदंतपरिवाडीओ पं०, ते णं णागदंता तं चेव जाव महता २ गयदंतसमाणा पं० समणाउसो !, तेसु णं णागदंतएसु बहवे रययामया सिक्कगा पं०, तेसुणं रययामएसु सिक्कएसु बहवे वेरूलियामईओ धूवघडीओ पं०, ताओणं धूवघडीओ कालागुरूपवरकुंदुरूक्कतुरूक्कधूवमघमघंतगंधुदुयंभिरामाओ सुगंधवरगंधियातो गंधवट्टिभूयाओ ओरालेणं मणुण्णेणं मणहरेणं घाणमणणिव्वुइकरेणं गंधेणं ते पदेसे सव्वओ समंता जाव चिट्ठति, तेसिंणं दाराणं उभओ पासे दुहओ णिसीहियाए सोलस २ सालभंजियापरिवाडीओ पं०, ताओ णं सालभंजियाओ लीलट्ठियाओ सुयइट्ठियाओ सुअलं कियाओ णाणाविहराग वसणाओ णाणामल्लपिणद्धाओ मुट्ठिगिज्झसुमज्झाओ आमेलगजमलजुयलवट्टियअब्भुन्नयपीणरइयसंठियपीवरपओहराओ रत्तावंगाओ असियकेसाओ मिउविसय पसत्थ लक्खणसंवेल्लि यग्गसिरयाओ ईसिं असोगवर पायवसमुट्ठियाओ वामहत्थग्गहियग्गसालाओ ईसिं अद्धच्छिकडक्ख चिट्ठिएणं लूसमाणीओविव चक्खुल्लोयणलेसे अन्नमन्नं खेज्जमाणीओ (विव) पुढवीपरिणामाओ सासयभावमुवगयाओ चन्दाणणाओ चंदविलासिणीओ चंदद्धसमणिडालाओ चंदाहियसोमदंसणाओ उक्का (विव उज्जोवेमाणाओ) विज्जुघणमिरियसूरदिप्पंततेयअहिययरसन्निकासाओ सिंगारागारचारूवेसाओ पासा० दरसि० (अभि० पडि०) चिट्ठति ।२८ तेसिंणं दाराणं उभओ पासे दुहओ णिसीहियाए सोलस २ जालकडगपरिवाडीओ पं०, ते णं जालकडगा सव्वरयणामया अच्छा जाव पहिरूवा, तेसिं णं दाराणं उभओ पासे दुहओ निसीहियाए ॥ सोलस २ घंटापरिवाडीओ पं०, तासिं णं घंटाणं इमेयारूवे वन्नावासे पं० तं०-जंबूणयामईओ घंटाओ वयरामयाओ लालाओ णाणामणिमया घंटापासा तवणिज्जमइयाओ संखलाओ रययामयाओ रज्जूतो, ताओणंघंटाओ ओहस्सराओ मेहस्सराओ सीहस्सराओ दुंदुहिस्सराओ कुंचस्सराओणंदिस्सराओणंदिघोसाओ मंजुस्सराओ मंजुघोसाओ सुस्सराओ सुस्सरणिग्घोसाओ उरालेणं मणुन्नेणं मणहरेणं कन्नमणनिव्वुइकरेणं सद्देणं ते पदेसे सव्वओ समंता आपूरेमाणीओ जाव चिट्ठति, तेसिंणं दाराणं उभओ पासे दुहओ णिसीहियाए सोलस वणमालापरिवाडीओ पं०, ताओ णं वणमालाओणाणामणिमयदुमलयकिसलयपल्लवसमाउलाओ छप्पयपरिभुज्जमाणा सोहंतसस्सिरीयाओ पासाईयाओ०, तेसिं णं दाराणं उभओ पासे दुहओ णिसीहियाए सोलस पगंठगा पं०, ते णं पगंठगा अड्ढाइज्जाइं जोयणसयाई आयामविक्खंभेणं पणवीसं जोयणसयं बाहल्लेणं सव्ववयरामया अच्छा जाव पडिरूवा, तेसिंणं पगंठगाणं उवरिं पत्तेयं पासायवडेंसगा पं०, ते णं पासायवडे सगा अड्ढाइज्जाइं जोयणसयाई उड्ढंउच्चत्तेणं पणवीसं जोयणसयं विक्खंभेणं अब्भुग्गयमूसिअपहसियाइव विविहमणिरयणभत्तिचित्ता वाउ यविजयवेजयंतपडागच्छत्ताइच्छत्तकलिगा तुंगा गगणतलमणुलिहंतसिहरा जालंतररयणपंजरुम्मिलियव्व मणिकणगथूभियागा वियसियसयवत्तपोंडरीया तिलगरयरणद्धचंदचित्ता णाणामणिदामालंकिया अंतो बहिं च सण्हा तवणिज्जवालुयापत्थडा सुहफासा सस्सिरीयरूवा पासादीया दरिसणिज्जा जाव दामा उवरिं 5555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा-८१५॥ 55555555555555555$OOR 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐员 Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१३) रायपसेणियं [ (२) उवंगसुतं ] [१२] पगंठाणं झया छत्ताइच्छत्ता, तेसिं णं दाराणं उभओ पासे सोलस २ तोरणा पं० णाणामणिमया णाणामणिमएस खंभेसु उवणिविट्ठसन्निविट्ठा जाव पउमहत्थगा, तेसिं णं तोरणाणं पुरओ दो दो सालभंजियाओ पं० जहा हेट्ठा तहेव, तेसिं णं तोरणाणं पुरओ दो दो नागदंता पं० जहा हेट्ठा जाव दामा, तेसिं णं तोरणाणं पुरओ दो दो हयसंघाडा गयसंघाडा नरसंघाडा किन्नरसंघाडा किंपुरिससंघाडा महोरगसंघाडा गंधव्वसंघाडा उसभसंघाडा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा, एवं वीहीओ पंतीओ मिहुणाई, तेसिं णं तोरणाणं पुरओ दो दो पउमलयाओ जाव सामलयाओ णिच्वं कुसुमियाओ सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवाओ, तेसिं णं तोरणाणं पुरओ दो दो अक्खंय (दिसा) सोवत्थिया पं० सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा, ते सिं णं तोरणाणं पुरओ दो दो चंदणकलसा पं०, ते णं चंदणकलसा वरकमलपइट्ठाणा तहेव, तेसिं णं तोरणाणं पुरतो दो दो भिंगारा पं०, ते णं भिंगारा वरकमलपइट्ठाणा जाव महया मत्तगयमुहाकितिसमाणा पं० समणाउसो !, तेसिं तोरणा पुरओ दो दो आयंसा पं०, तेसिं णं आयंसाणं इमेयारूवे वन्नावासे पं० तं० तवणिज्जमया पगंठगा वेरूलियमया सुरया वइरामया दोवारंगा णाणामणिमया मंडला अणुग्धसितनिम्मलाते छायाते समणुबद्धा चंदमंडलपडिणिकासा महया अद्धकायसमाणा पं० समणाउसो !, तेसिं णं तोरणाणं पुरओ दो दो वइरनामथाला पं० अच्छतिच्छडियसालिंतंदुलणहसंदिद्वपडिपुन्नाइव चिट्ठति सव्वजंबूणयमया जाव पडिरूवा महया २ रहचक्कवालसमाणा पं० समणाउसो !, तेसिं णं तोरणाणं पुरओ पातीओ० ताओ णं पाईओ अच्छोदगपरिहत्थाओ णाणामणिपंचवन्नस्स फलहरियगस्स बहुपडिपुन्नाओविव चिद्वंति सव्वरयणामईओ अच्छा जाव पडिरुवाओ महया० गोकलिंजरचक्कसमाणीओ पं० समणाउसो !, तेसिं णं तोरणाणं पुरओ दो दो सुपरट्ठा पं० णाणाविहभंडविरइयाइव चिट्ठति सव्वरयणामया अच्छा जा पडिरूवा, तेसिं णं तोरणाणं पुरओ दो दो मणोगुलियाओ पं०, तासु णं मणगुलियासु बहवे सुवन्नरूप्पमया फलगा पं०, तेसु णं सुवन्नरूप्पमएसु फलगेसु बहवे वयरामया नागदंतया पं०, तेसु णं वयरामएस (१४५) नागदंतएसु बहवे वयरामया सिक्कगा पं०, तेसु णं वयरामएसु सिक्कगेसु किण्हसुत्तसिक्कगवच्छिता णी सुत्तसिक्कगवच्छिया लोहियसुत्तसिक्कगवच्छिया हालिद्दसुत्तसिक्कगवच्छिया सुक्किल्लसुत्तसिक्कगवच्छिया बहवे वायकरगा पं०, सव्वे वेरूलियमया अच्छा ज़ाव पडिरूवा, तेसिं णं तोरणाणं पुरओ दो दो चित्ता रयणकरंडगा पं०, से जहानामए रन्नो चाउरंतचक्कवट्टिस्स चित्ते रयणकरंडए वेरूलियमणिफलिडपडलपच्चोयडे साते पहाते ते पतेसे सव्वतो समंता ओभासति उज्जोवेति तवति भा (पगा) सति एवामेव तेऽवि चित्ता रयणकरंडगा साते पभाते ते पएसे सव्वओ समंता ओभासंति उज्जोवेति तवंति पगासंति, तेसिं णं तोरणाणं पुरओ दो दो हयकंठा गयकंठा नरकंठा किन्नरकंठा किंपुरिसकंठा महोरगकंठा गंधव्वकंठगा उसभकंठा सव्ववयरामया अच्छा जाव पडिरूवा, तेसु णं हयकंठएसु जाव उसभकंठएसु दो दो पुप्फचंगेरीओ (मल्लचंगेरीओ) चुन्नचंगेरीओ गंधचंगेरीओ वत्थचंगेरीओ आभरणचंगेरीओ सिद्धत्थचंगेरीओ लोमहत्थचंगेरीओ पं० सव्वरयणामयाओ अच्छाओ जाव पडिरूवाओ, तासु णं पुप्फचंगेरीआसु जाव लोमहत्थचंगेरीसु दो दो पुप्फपडलगाई जाव लोमहत्थपडलगाई सव्वरयणामयाई अच्छाई जाव पडिरूवाई, तेसिं णं तोरणाणं पुरओ दो दो सीहासणा पं०, तेसिं णं सीहासणाणं वन्नओ जाव दाम, तेसिंणं तोरणा पुरओ दो दो रूप्पमया छत्ता पं०, ते णं छत्ता वेरूलियविमलदंडा जंबूणयकन्निया वइरसंधी मुत्ताजालपरिगया अट्ठसहस्सवरकंचणसलागा दद्दरमलयसुगंधी सव्वोउयसुरभी सीयलच्छाया मंगलभत्तिचित्ता चंदागारोवमा, तेसिं णं तोरणाणं पुरओ दो दो चामराओ पं०, ताओ णं चामराओ (चंदप्पभवेरू लियवरनानामणिरयणखचियचित्तदण्डाओ) णाणामणिकणगरयणविमलमहरिहतवणिज्जुज्जलविचित्तदंडाओ चिल्लियाओ संखंककुंददगरयअमयमहियफेणपुंजसन्निगासातो सुहुमरययदीहवालातो सव्वरयणामयाओ अच्छाओ जाव पडिरूवाओं, तेसिं णं तोरणाणं पुरओ दो दो तेल्लसमुग्गा कोट्ठसमुग्गा पत्तसमुग्गा चोयगस० तगरस० एलास० हरियालस० हिंगुलयस० मणोसिलास० अंजण० सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा |२९| सूरियाभे णं विमाणे एगमेगे दारे अट्ठसयं चक्कज्झयाणं अट्ठसयं मिगज्झयाणं गरूडज्झयाणं छत्तज्झयाणं पिच्छज्झयाणं सउणिज्झयाणं सीहज्झयाणं उसभज्झयाणं अट्ठसयं सेयाणं चउविसाणाणं नागवरकेऊणं एवामेव सपुव्वावरेणं सूरियाभे विमाणे एगमेगे दारे असीयं केउसहस्सं भवतीति मक्खायं, सूरियाभे णं विमाणे पण्णट्ठि भोमा ॐ श्री आगमगुणमंजूषा - ८१६ फ्र GKO X Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 45 (१३) रायपनिये | (२) । पं०, तेसिं णं भोमाणं भूमिभागा उल्लोया य भाणियव्वा, तेसिं णं भोमाणं भूमिभागाणं च बहुमज्झदेसभागे पत्तेयं २ सीहासणे सीहासणवन्नतो सपरिवारो अवसेसेसु भोमेसु पत्तेयं २ भद्दासणा पं०, तेसिं णं दाराणं उत्तमागारा (उवरिमागारा पा०) सोलसविह्वेहिं रयणेहिं उवसोभिया तं० - रयणेहि जाव रिद्वेहिं, तेसिं णं दाराणं उप्पिं अट्ठट्ठमंगलगा सज्झया जाव छत्तातिच्छत्ता एवामेव सपुव्वावरेणं सूरियाभे विमाणे चत्तारि दारसहस्सा भवंत्तीत्तिमक्खायं, सूरियाभस्स णं विमाणस्स चउद्दिसिं पंच जोयणसयाई अबाहाए चत्तारि वणसंडा पं० तं० पुरच्छिमेणं असोगवणे दाहिणेणं सत्तवन्नवणे पच्चत्थिमेणं चंपगवणे उत्तरेणं चूयगवणे, ते णं वणखंडा साइरेगाईं अद्धतेरस जोयणसयसहस्साइं आयामेणं पंच जोयणसयाई विक्खंभेणं पत्तेयं २ पागारपरिक्खित्ता किण्हा किण्होभासा वणखंडवन्नाओ |३०| तेसिंणं वणसंडाणं अंतो बहुसमरमणिज्जा भूमिभागा, से जहानामए आलिंगपुक्खरेति वा जाव णाणाविहपंचवण्णेहिं मणीहि य तणेहि य उवसोभिया, तेसिं णं गंधो फासो णेयव्वो जहक्कमं, तेसिं णं भंते! तणाण य मणीण य पुब्वावरदाहिणुत्तरागतेहिं वातेहिं मंदायं २ एइयाणं वेइयाणं कंपियाणं चालियाणं फंदियाणं घट्टियाणं खोभियाणं उदीराणं केरिसए सद्दे भवति ?, गोयमा ! से जहानामए सीयाए वा संदमाणीए वा रहस्स वा सच्छत्तस्स सज्झयस्स सघंटस्स सपडागस्स सतोरणवरस्स सनंदिघोसस्स सखिखिणिहेमजालपरिक्खित्तस्स हेमवयचित्ततिणिसकणगणिज्जुत्तदाख्यायस्स संपिनद्धचक्कमंडलधुरागस्स कालायससुकयणेमिजंतकम्मस्स आइण्णवरतुरगसुसंपउत्तस्स कु सलणरच्छे यसारहिसुसं पग्गहियस्स सरसयबत्तीसतोणपरिमंडियस्स सकं कडावयं सगस्स सचावसरपहरणावरणभरियजुज्झसज्जस्स रायंगणंसि वा रायंतेउरंसि वा रम्मंसि वा मणिकुट्टिमतलंसि अभिक्खणं अभिघट्टिज्जमाणस्स वा नियट्टिज्जमाणस्स वा ओराला मणोण्णा कण्णमणनिव्वुइकरा सद्दा सव्वओ समंता अभिणिस्सवंति, भवे एयारूवे सिया ?, णो इणट्ठे समट्ठे, से जहानामए वेयालियवीणाए उत्तरमंदामुच्छियाए अंके सुपट्टियाए कुसलनरनारीसुसंपरिग्गहियाते चंदणकोणपरियट्टियाए पुव्वरत्तावस्त्तकालसमयंसि मंदायं मंदायं वेइयाए पवेइयाए चालियाए घट्टियाए खोभियाए उदीरियाए ओराला मणुण्णा मणहरा कण्णमणनिव्वुइकरा सद्दा सव्वओ समंता अभिनिस्सवंति, भवे एयारूवे सिया ?, णो इणट्ठे समट्ठे, से जहानामए किन्नराण वा किंपुरिसाण वा महोरगाण वा गंधव्वाण वा भद्दसालवणगयाण वा नंदणवणगयाण वा सोमणसवणगयाण वा पंडगवणगयाण वा हिमवंतमलयमंदरगिरिगुहासमन्नागयाण वा गओ सन्निहियाणं समागयाणं सन्निसन्नाणं समुवविद्वाणहं पमुइयपक्कीलियाणं गीयरइगंधव्वहसियमणाणं गज्जं पज्नं कत्थं गेयं पयबद्धं पायबद्धं उक्खित्तायपयत्तायं मंदाय रोइयावसाणं सत्तसरसमन्नागयं छदोसविप्पमुक्कं एक्कारसालंकारं अट्ठगुणोववेयं गुंजतवसकु हरोवगूढं रत्तं तिट्ठाणकरणसुद्धं सकुहरगुंजतवंसतहतीतलताललयगहसुसंपउत्तं महुरं समं सुलंलियमणोहरं मउयरिभियपयसंचारं सुणतिं वरचारूरूवं दिव्वं णट्टं सज्जं गेयं पगीयाणं, भवे एयारूवे सिया ?. हंता सिया ।३१। तेसिं णं वणसंडाणं तत्थ २ तहिं २ देसे २ बहुओ खुड्डाखुडिडयातो वावीयाओ पुक्खरिणीओ दीहियाओ गुंजालियाओ सरपंति सरसरपंतिआओ बिलपंतियाओ अच्छाओ सण्हाओ रययामयकूलाओ समतीरातो वयरामयपासाणातो तवणिज्जतलाओ सुवण्णसुब्भरययवालुयाओ वेरूलियमणिफालियपडलपच्चोयडाओ सुओयारसुउत्ताराओ णाणामणिसुबद्धाओ चउक्कोणाओ अणुपुव्वसुजातवप्पगंभीरसीयलजलाओ संछन्नपत्तभिसमुणालाओ बहुउप्पलकुमुय नलिणसुभगसोगंधियपोंडरीयसयवत्तसहस्सपत्तकेसरफुल्लोवचियाओ छप्पयपरिभुज्जमाणकमलाओ अच्छविमलसलिलपुण्णाओ अप्पेगइयाओ आसवोयगाओ अप्पे० वारूणोयगाओ अप्पे० खीरोयगाओ अप्पे० घओयगाओ अप्पे० खोदोयगाओ अप्पे० खारोयगाओ अप्पे० उयगरसेण पं० पासादीयाओ दरिसणिज्जाओ अभिरूवाओ पडिरूवाओ, तासिं णं वावीणं जाव बिलंपंतीणं पत्तेयं २ चउद्दिसिं चत्तारि तिसोवाणपडिरूवा पं०, तेसिं णं तिसोवाणपडिरूवगाणं वन्नओ तोरणाणं झया छत्ताइच्छत्ता य णेयव्वा, तासु णं खुड्डाखुडिडयासु वावीसु जाव बिलपंतियासु तत्थ २ तहिं २ देसे बहवे उप्पायपव्वया नियइपव्वया जगइपव्वया दारूपव्वयगा दगमंडवा दगणालगा दगमंचगा उसड्डा खुड्डखुड्डगा अंदोलगा पक्खंदोलगा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा, तेसु णं उप्पायपव्वएसु जाव पक्खंदोलएसु बहूई हंसासणाई कोंचासणाई गरूलासणाई उण्णयासणारं पणयासणाई दीहासणाई पक्खासणाई भद्दासणाई उसभासणाई श्री आगमगुणमंजूषा - ८१७) अ अ अ अ अ अ अ एभ Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ [१४] (१३) रायपसेणियं [ (२) उवंगसुतं ] ॐॐॐॐॐॐॐ सीहासणाई पउमासणाइं दिसासोवत्थियासणाई सव्वरयणामयाइं अच्छाई जाव पडिरूवाइं, तेसु णं वणसंडेसु तत्थ २ तहिं २ देसे २ बहवे आलियघरगा मालियघरगा कयलिघरगा लयाघरगा अच्छणघरगा पिच्छणघरगा मंडणघरगा पसाहणघरगा गब्भघरगा मोहणघरगा सालघरगा जालघरगा चित्तघरगा कुसुमघरगा गंधव्वघरगा आयंसघरगा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा, तेसु णं आलियघरगेसु जाव आयंसघरगेसु बहूइं हंसासणाई जाव दिसासोवत्थिआसणारं सव्वरयणामयाई जाव पडिरूवाइं, तेसु णं वणसंडेसु तत्थ २ देसे २ तहिं २ बहवे जातिमंडवगा जूहियमंडवगा णवमालियमंडवगा वासंतियमंडवगा सूरमल्लियमंडवगा दहिवासुयमंडवगा तंबोलिमंडवगा मुद्दियामंडवगा णागलयामंडवगा अतिमुत्तयलयामंडवगा आप्फोवगा९, मालुयामंडवगा अच्छा सव्वरयणामया जाव पडिरूवा, तेसु णं जालिमंडवएसु जाव मालुयामंडवसु बहवे पुढवीसिलापट्टगा हंसासणसंठिया जाव दिसासोवत्थियासणसंठिया अण्णे य बहवे मंसलघुविसिट्ठसंठाणसंठिया पुढवीसिलापट्टगा पं० समणाउओ ! आइणगरूयबूरणवणीयतूलफासा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा, तत्थ णं बहवे वेमाणिया देवा य देवीओ य आसयंति सयंति चिट्ठति निसीयंति तुयट्टंति हसंति रमंति ललंति कीलंति किति मोहेंति पुरा पोराणाणं सुचिण्णाणं सुपडि (र) क्कंताणं सुभाणं कडाणं कम्माणं कल्लाणाणं कल्लाणं फलविवागं पच्चणुब्भवमाणा विहरंति । ३२ । तेसिं णं वणसंडाणं बहुमज्झदेसभाए पत्तेयं २ पासायवडंसगा पं०, ते णं पासायवडेंसगा पंचजोयणसयाई उड्ढउच्चत्तेणं अड्ढाइज्नाइं जोयणसयाई विक्खंभेणं अब्भुग्गयमूसियपहसियाइव तहेव बहुसमरमणिज्जभूमिभागो उल्लोओ सीहासणं सपरिवारं, तत्थ णं चत्तारि देवा महिडिढया जाव पलिओवमद्वितीया परिवसंति, तं० असोए सत्तपण्णे चंपए चूए, सूरियाभस्स णं देवविमाणस्स अंतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पं० तं० वणसंडविहूणे जाव बहवे वेमाणिया देवा य देवीओ य आसयंति जाव विहरंति, तस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसे एत्थ णं महेगे उवगारियालयणे पं० एगं जोयणसयसहस्सं आयामविक्खंभेणं तिण्णि जोयणसयसहस्साइं सोलस सहस्साइं दोण्णि य सत्तावीस जोयणसए तिन्नि य कोसे अट्ठावीसं च धणुसयं तेरस य अंगुलाई अर्द्धगुलं च किंचिविसेसूणं परिक्खेवेणं जोयणं बाहल्लेणं सव्वजंबूणयामए अच्छे जाव पडिरूवे । ३३ । से णं एगाए पउमवरवेइयाए एगेण य वणसंडेण य सव्वतो समंता संपरिक्खित्ते, साणं पउमवरवेइया अद्धजोयणं उड्ढउच्चत्तेणं पंचधणुसयाइं विक्खंभेणं उवकारियलेणसमा परिक्खेवेणं, तीसे णं पउमवरवेइयाए इमेयारूवे वण्णवासे बं० (तं० वयरामया णिम्मा रिट्ठामया पतिट्ठाणा वेरूलियामया खंभा सुवण्णरूप्पमया फलगा लोहियक्खमईओ सूईओ नाणामणिमया कडेवरा णाणामणिमया कडेवरसंघाडगा णाणामणिमया रूवा णाणामणिमया रूवसंघाडगा अंकामया पक्खबाहाओ जोइरसामया वंसा वंसकवेल्लुगा रइयामईओ पट्टियाओ जावई ओहाडणी वइरामया उवरिपुच्छणी सव्वरयणामई अच्छायणे पा०), सा णं पउमवरवेइया एगमेगेणं हेमजालेणं गवक्खजालेणं खिखिणीजालेणं घंटाजाले मुत्ताजालेणं मणिजालेणं कणगजालेणं रयणजालेणं पउमजालेणं सव्वतो समंता संपरिक्खित्ता, ते णं (दामा पा०) तवणिज्जलंबूसगा जाव चिट्ठति, तीसे णं पउमवरवेइयाए तत्थ २ देसे २ तहिं २ बहवे हयसंघाडा जाव उसभसंघाडा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा पासादीया जाव वीहीतो पंतीतो मिहुणाणि लयाओ, से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चति पउमवरवेइया २ १, गोयमा ! परमवरवेइया णं तत्थ २ देसे २ तहिं २ वेइयासु वेइयाबाहासु य वेइयफलतेसु य वेइयपुडंतरेसु य खंभेसु खंभबाहासु खंभसीसेसु खंभपुडंतरेसु सुयीस सुयीमुखेस सूईफलएसु सूइपुडंतरेसु पक्खेसु पक्खबाहासु पक्खपेरंतेसु पक्खपुढंतरेसु बहुयाइं उप्पलाई पउमाई कुमुयाई णलिणातिं सुभगाई सोगंधियाई पुंडरीयाइं महापुंडरीयाणि सयवत्ताइं सहस्सवत्ताइं सव्वरयणामयाइं अच्छाई पडिरूवाई महया वासिकंच्छत्तसमाणाइं पं० समणाउसो ! से एएणं अट्ठेणं गोयमा ! एवं वुच्चइ - पउमवरवेइया २, पउमवरवेइया णं भंते! किं सासया असासया ?, गोयमा ! सिय सासया सिय असासया, से केणट्टेणं भंते ! एवं वुच्चइ - सिय सासया सिय असासया ?, गोयमा ! दव्वट्टयाए सासया वन्नपज्जवेहिं गंधपज्जवेहिं रसपज्जवेहिं फासपज्जवेहिं असासया, से णणं गोयमा ! एवं वुच्चति सिय सासया सिय असासया, पउमवरवेइया णं भंते! कालओ केवचिरं होइ ?, गोयमा ! ण कयावि णासी ण कयावि णत्थि न कयावि न भविस्सइ भुवि च हवइ य भविस्सइ य धुवा णिइया सासया अक्खया अव्वया अवट्ठिया णिच्चा पउमवरवेइया, से णं वणसंडे देसूणाई दो जोयणाई चक्कवालविक्खंभेणं TORA श्री आगमगुणमंजूषा ८१८ Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ***££££££££** 55905959595 35 35 35 35 (१३) पर्व (२) उगत उवयारिलेणसमे परिक्खेवेणं, वणसंडवण्णतो भाणितव्वो जाव विहरंति, तस्स णं उवयारियालेणस्स चउदिसिं चत्तारि तिसोवाणपडिरूवगा पं० वण्णओ तोरणा झया छत्ताइच्छत्ता, तस्स णं उवयारियालयणस्स उवरिं बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पं० जाव मणीणं फासो | ३४ | तस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महेंगे पासायवडेंसए पं०, से णं पासायवडिंसते पंच जोयणसयाई उड्ढउच्चत्तेणं अड्ढाइज्जाई जोयणसयाइं विक्खंभेणं अब्भग्गयमूसिय aणतो भूमिभागो उल्लोओ सीहासणं सपरिवारं भाणियव्वं, अट्ठट्ठमंगलगा झया छत्तातिच्छत्ता, त्ते णं मूलपासायवडेंसगे अण्णेहिं चउहिं पासायवडेंसएहिं तयद्धुच्चत्तप्पमाणमेत्तेहिं सव्वतो समंता संपरिक्खित्ते, ते णं पासायवडेसगा अड्ढाइज्जाई जोयणसयाई उड्ढउच्चत्तेणं पणवीसं जोयणसयं विक्खंभेणं जाव वण्णओ, ते णं पासावडिंसया अण्णेहिं चउहिं पासायवडिसएहिं तयद्धुच्चत्तप्पमाणमेत्तेहिं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ता, ते णं पासायवडेंसया पणवीसं जोयणसयं उड्ढउच्चत्तेणं बावट्ठि जोयणाइं अद्धजोयणं च विक्खंभेणं अब्भुग्गयमूसिय वण्णओ भूमिभागे उल्लोओ सीहासणं सपरिवारं भाणियव्वं अट्ठट्ठमंगलगा झया छत्तातिच्छत्ता, ते णं पासायवडेंसगा अण्णेहिं चउहिं पासायवडेंसएहिं तदद्धुच्चत्तपमाणमेत्तहिं सव्वतो समंता संपरिक्खित्ता, ते णं पासायवडेंसगा बावट्ठि जोयणाई अद्धजोयणं च उड्द्धंउच्चत्तेणं एक्कतीसं जोयणाई कोसं च विक्खभेणं वण्णओ उल्लोओ सीहासणं सपरिवारं पासायउवरिं अट्ठट्ठमंगलगा झया छत्तातिच्छत्ता । ३५। तस्स णं मूलपासायवडेंसयस्स उत्तरपुरच्छिमेणं एत्थ णं सभा सुहम्मा पं० एवं जोयणासयं आयामेणं पण्णासं जोयणाई विक्खंभेणं बावत्तरिं जोयणाई उड्ढउच्चत्ते अणषगखंभसयसंनिविट्ठा अब्भुग्गयसुकयवयरवेड्यातोरणवररइयसालिभंजियागा जाव अच्छरगणसंघविप्पकिण्णा पासादीया०, सभाए णं सुहम्माए तिदिसिं तओ दारा पं० तं०-पुरच्छिमेणं दाहिणेणं उत्तरेणं, ते णं दारा सोलस जोयणाई उड्ढउच्चत्तेणं अट्ठ जोयणाइं विक्खंभेणं तावतियं चेव पवेसेणं सेया वरकणगथूभियागा जाव वणमालाओ, तेसिंणं दाराणं उवरिं अट्ठट्ठमंगलगा झया छत्ताइच्छत्ता, तेसिं णं दाराणं पुरओ पत्तेयं २ मुहमंडवा पं०, ते णं मुहमंडवा एगं जोयणसयं आयामेणं पणास जोयणाइठ विक्खंभेणं साइरेगाई सोलस जोयणाई उड्ढउच्चत्तेणं वण्णओ सभाए सरिसो, तेसिं णं मुहमंडवाणं तिदिसिं ततो दारा पं० तं० - पुरच्छिमेणं दाहिणेणं उत्तरेणं, ते णं दारा सोलस जोयणाई उड्ढउच्चत्तेणं अट्ठजोयणाइं विक्खंभेणं तावइयं चेव पवेसेणं सेया वरकणगथूभियागा जाव वणमालाओ, तेसिं णं मुहमंडवाणं भूमिभागा उल्लोया, तेसिं णं मुहमंडवाणं उवरिं अट्ठट्ठमंगलगा झया छत्ताइच्छत्ता, तेसिं णं मुहमंडवाणं पुरतो पत्तेयं २ पेच्छाघरमंडवे पं० मुहमंडववत्तव्वया जव दारा भूमिभागा उल्लोया, तेसिं णं बहुसमरमणिज्जाणं भूमिभागाणं बहुमज्झदेसभाए पत्तेयं २ वइरामए अक्खाडए पं०, तेसिं णं वयरामयाणं अक्खाडगाणं बहुमज्झदेसभागे पत्तेयं २ मणिपेढिया पं०, ताओ णं मणिपेढियातो अट्ठ जोयणाई आयामविक्खंभेणं चंत्तारि जोयणाई बाहल्लेणं सव्वमणिमईओ अच्छाओ जा पडिरूवाओ, तासि णं मणिपेढियाणं उवरिं पत्तेयं २ सीहासणे पं० सीहासणवण्णओ सपरिवारो, तेसिं णं पेच्छाघरमंडवाणं उवरि अट्ठट्ठमंगलगा झया छत्तातिच्छत्ता, तेसिं णं पेच्छाघरमंडवाणं पुरओ पत्तेयं २ मणिपेढियाओ पं० ताओ णं मणिपेढियातो सोलस जोयणाइं आयामविक्खंभेणं अट्ठ जोयणाई बाहल्लेणं सव्वमणिमईओ अच्छाओ पडिरूवाओ, तासिं णं उवरिं २ थूभे पं०, ते णं थूभा सोलस जोयणाई आयामविक्खंभेणं साइरेगाई सोलस जोयणाई उड्ढउच्चत्तेणं सेया संखंककुंददगरयअमयमहियफेणपुंजसंनिगासा सव्वरयणामया अच्छा जाव पडिरूवा, तेसिं णं थूभाणं उवरिं अट्ठट्ठमंगलगा झया छत्तातिच्छत्ता, तेसिं णं थूभाणं चउद्दिसिं पत्तेयं २ मणिपेढियातो पं०, ताओ णं मणिपेढियातो अट्ठजोयणाइं आयामविक्खंभेणं चत्तारि जोयणाई बाहल्लेणं सव्वमणिमईओ अच्छाओ जाव पडिरूवातो तेसिं णं मणिपेढियाणं उवरिं चत्तारिं जिणपडिमातो जिणुस्सेहपमाणमेत्ताओ संपलियंकनिसन्नाओं धूभाभिमुहीओ सन्निक्खित्ताओ चिट्ठति तं० उसभा वद्धमाणा चंदाणणा वारिसेणा, तेसिं पणं धूभाणं पुरतो पत्तेयं २ मणिपेढियातो पं०, ताओ णं मणिपेढियातो सोलस जोयणाई आयामविक्खंभेणं अट्ठ जोयणाई बाहल्लेणं सव्वमणिमईओ जाव पडिरूवातो, तासि णं मणिपेढियाणं उवरिं पत्तेयं २ चेइयरूक्खे पं०, ते णं चेइयरूक्खा अट्ठ जोयणाई उड्ढउच्चत्तेणं अद्धजोयणं उव्वेहेणं । जोयणाइं खंधा अद्धजोयणं विक्खंभेणं छ जोयणाइं विडिमा बहुमज्झदेसभाए अट्ठ जोयणाई आयामविक्खंभेणं साइरेगाई अट्ठ जोयणाई सव्वग्गेणं पं०, श्री आगमगुणमंजूषा - ८१९ ॐ (१५) Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१३) रायपसेणियं [ (२) उवंगसुतं ] तेसिंणं चेइयरूक्खाणं इमेयारूवे वण्णावासे पं० तं० वयरामया मूला रययसुपइट्ठिया सुविडिमा रिट्ठामयविउला कंदा वेरूलिया रूइला खंधा सुजायवरजायरूवपढमगा विसालसाला नाणामणिमयरयणविविहसाहप्पसाहा वेरूलियपत्ततवणिज्जपत्तबिंटा जंबूणयरत्तमउयसुकु मालपवालसोभिया वरंकु रग्गसिहरा विचित्तमणिरयणसुरभिकुसुमफलभरनमियसाला अहियं मणनयणणिव्वुइकरा अमयरससमरसफला सच्छाया सप्पभा सस्सिरीया सउज्जोया पासाईया०, तेसिं णं चेइयरूक्खाणं उवरिं अट्ठट्ठमंगलगा झया छत्ताइच्छत्ता, तेसिं णं चेइयरूक्खाणं पुरतो पत्तेयं २ मणिपेढियाओ पं०, ताओ णं मणिपेढियाओ अट्ठ जोयणाइं आयामविक्खंभेणं चत्तारि जोयणाई बाहल्लेणं सव्वमणिमईओ अच्छाओ जाव पडिरूवाओ, तासिं णं मणिपेढियाणं उवरिं पत्तेयं २ महिंदज्झया पं०, तेणं महिंदज्झया सट्ठि जोयणाई उड् ढं उच्चत्तेणं जोयणं उव्वेहेणं जोयणं विक्खंभेणं वइरामया वट्टलट्ठ सुसिलिट्ठ परिघट्टमट्ठसुपतिट्ठिया विसिट्ठा अणेगवरपंचवण्णकुडभिसहस्सपरिमंडियाभिरामा वाउद्धुयविजयवेजयंतीपडागा छत्ताइच्छत्तकलिया तुंगा गयणतलमभिलंघमाणसिहरा पासादीया० अट्ठट्ठमंगलगा झया छत्तातिच्छत्ता, तेसिं णं महिंदज्झयाणं पुरतो पत्तेयं २ नंदा पुक्खरिणीओ पं०, ताओ णं पुक्खरिणीओ एवं जोयणसयं आयामेणं पण्णासं जोयणाइं विक्खंभेणं दस जोयणाई उव्वेहेणं अच्छाओ जाव वण्णओ एगइयाओ उदगरसेणं पं०, पत्तेयं २ पउमवरवेइया परिक्खित्ताओ पत्तेयं २ वणसंडपरिक्खित्ताओ, तासिं णं णंदाणं पुक्खरिणीणं तिदिसिं तिसोवाणपडिरूवगा पं०, तिसोवाणपडिरूवगाणं वण्णओ तोरणा झया छत्तातिच्छत्ता, सभाए णं सुहम्माए अडयालीसं मणोगुलियासाहस्सीओ पं० तं०-पुरच्छिमेणं सोलस साहस्सीओ पच्चच्थिमेणं सोलस साहस्सीओ दाहिणेणं अट्ठसाहस्सीओ उत्तरेणं अट्ठ साहस्सीओ, तासु णं मणागुलियासु बहवे सुवण्णरूप्पमया फलगा पं० तेसु णं सुवन्नरूप्पमएसु फलगेसु बहवे वइरामया णागदंतगा पं० तेसु णं वइरामएसु णागदंतएसु किण्हसुत्तवट्टवग्घारियमल्लदामकलावा० चिट्ठति, सभाए णं सुहम्माए अडयालीसं गोमाणसियासाहस्सीओ पं० जहा मणोगुलिया जाव णागदंतगा, तेसु णं णागदंत सु हवे यामया सिक्का पं०, तेसु णं रययामएसु सिक्कगेसु बहवे वेरूलियामईओ धूवधडियाओ पं०, ताओ णं धूवघडियाओ कालागुरूपवर जाव चिट्ठति, सभाए णं सुहम्माए अंतो बहुसमरमणिज्जे भूमिभागे पं० जाव मणीहिं उवसोभिए मणिफासो य उल्लोओ य, तस्स णं बहुसमरमणिज्जस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महेगा मणिपेढिया पं० सोलस जोयणाई आयामविक्खंभेणं अट्ठ जोयणाई बाहल्लेणं सव्वमणिमयी जाव पडिरूवा, तीसे णं मणिपेढियाए उवरिं एत्थ माणवए चेइयखंभे पं० सट्ठि जोयणाई उड्ढउच्चेत्तेणं जोयणं उव्वेहेणं जोयणं विक्खंभेणं अडयालीसं अंसिए अडयालीसं सइकोडीए अडयालीसं सइविग्गहिए से सं जहा महिंदज्झयस्स, माणवगस्स णं चेइयखंभस्स उवरिंबारस जोयणाई ओगाहेत्ता हेट्ठावि बारस जोयणाई वज्जेत्ता मज्झे छत्तीसाए जोयणेसु एत्थ णं बहवे सुवण्णरूप्पमया फलगा पं०, तेसु णं सुवण्णरूप्पामएसु फलएसु बहवे वइरामया णागदंता पं०, तेसु णं वइरामएसु नागदंतेसु बहवे रययामया सिक्कगा पं०, तेसु णं रययामएसु सिक्कगेसु बहवे वइरामया गोलवट्टसमुग्गया पं०, तेसु णं वयरामएस गोलवट्टसमुग्गाएसु बहवे (हूओ) जिणसकहातो संनिक्खित्ताओ चिट्ठति तातो सूरियाभस्स देवस्स अन्नेसिं च बहूणं देवाण य देवीण य अच्चणिज्जाओ जाव पज्जुवासणिज्जातो, माणवगस्स णं चेइयखंभस्स उवरिं अट्ठट्ठमंगलया झया छत्ताइच्छत्ता ।३६। तस्स माणवगस्स चेइयखंभस्स पुरच्छिमेणं एत्थ णं महेगा मणिपेढिया पं०, अट्ठ जोयणाइं आयामविक्खंभेणं चत्तारि जोअणाई बाहल्लेणं सव्वमणिमई अच्छा जाव पडिरूवा, तीसे णं मणिपेढियाए उवरिं एत्थ णं महेंगे सीहासणे वण्णतो सपरिवारो, तस्स णं माणवगस्स चेइयखंभस्स पच्चत्थिमेणं एत्थ णं महेगा मणिपेढिया पं० अट्ठ जोयणाई आयामविक्खंभेणं चत्तारि जोयणाई बाहल्लेणं सव्वमणिमई अच्छा जाव पडिरूवा, तीसे णं मणिपेढियाए उवरिं एत्थ णं महेगे देवसयणिज्जे पं०, तस्स णं देवसयणिज्जस्स इमेयारूवे वण्णावासे पं० तं० णाणामणिमया पडिपाया सोवन्निया पाया णाणामणिमयाइं पायसीसगाई जंबूणयामयाई .. त्तगाई वयरामया संधी णाणामणिमए विच्चे रययामया तूली तवणिज्जमया गंडोवहाणया लोहियक्खमया बिब्बोयणा, से णं सयणिज्जे उभओ बिब्बोयणे दुहतो उण्णते मज्झे णयगंभीरे सालिंगणवट्टिए गंगापुलिणवालुयाउद्दालसालिसए सुविरइयरयत्ताणे उवचियखोमदुगुल्लपट्टपडिच्छायणे रत्तंसुयसंवुए सुरम्मे आप ६६६ श्री आगमगुणमंजूषा - ८२० K [ १६ ] Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अअअ (१३) रायपसेनिये ( (२) उर्वजसुतं [१७] अ अ अ अ अ अ अ अ आ आ आ आ आइणगरूयबूरणवणीयतूलफासे मउते । ३७। तस्स णं देवसयणिज्जस्स उत्तरपुरच्छिमेणं महेगा मणिपेढिया पं० अट्ठ जोयणाई आयामविक्खंभेणं चत्तारि जोअणाई बाहल्लेणं सव्वमणिमयी जाव पडिरूवा, तीसे णं मणिपेढियाए उवरिं एत्थ णं महेगे खुड्डए महिदज्झए पं० सट्ठि जोयणाई उड्ढउच्चत्तेण जोयणं विक्खंभेणं वइरामया वट्टलट्ठसंठियसुसिलिट्ठजावपडिरूवा उवरिं अट्ठट्ठमंगलगा झया छत्तातिच्छत्ता, तस्स णं खुड्डागमहिंदज्झयस्स पच्चत्थिमेणं एत्थ णं सूरियाभस्स देवस्स चोप्पाले नाम पहरणकोसे पं० सव्ववइरामए अच्छे जाव पडिरूवे, तत्थ णं सूरियाभस्स देवस्स फलिहरणखग्गगयाधणुप्पमुहा बहवे पहरणरयणा संनिक्खित्ता चिट्ठति उज्जला निसिया सुतिक्खधारा पासादीया०, सभाए णं सुहम्माए उवरिं अट्ठट्ठमंगलगा झया छत्तातिच्छत्ता । ३८। सभाए णं सुहम्माए (१४६) उत्तरपुरच्छिमेणं एत्थ णं महेगे सिद्धायतणे पं० एवं जोयणसयं आयामेण पन्नासं जोयणाइं विक्खंभेणं बावत्तरिं जोयणाइं उड्ढउच्चत्तेणं समागमेणं जाव गोमाणसियाओ भूमिभागा उल्लोया तव, तस्स णं सिद्धायतणस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं महेगा मणिपेढिया पं० सोलस जोयणाई आयामविक्खंभेणं अट्ठ जोयणाई बाहल्लेणं, तीसे णं मणिपेढियाए उवरिं एत्थ णं महेगे देवच्छंदए पं० सोलस जोयणाइं आयामविक्खंभेणं साइरेगाई सोलस जोयणाई उड्ढउच्चत्तेणं सव्वरयणामए जाव पडिरूवे, एत्थ अयं जिणपडिमाणं जिणुस्सेहप्पमाणमित्ताणं संनिक्खित्तं संचिट्ठति, तासिं णं जिणपडिमाणं इमेयारूवे वण्णावासे पं० तं० तवणिज्जमया हत्थतलपायतला अंकामयाई नक्खाई अंतोलोहियक्खपडिसेगाई कणगामईओ जंघाओ कणगामया जाणू कणगामया ऊरूकणगामईओ गायलट्ठीओ तवणिज्जमयाओ नाभीओ रिट्ठामईओ रोमराईओ तवणिज्जमया चुचूया तवणिज्जमया सिरिवच्छासिलप्पवालमया ओट्ठा फालियामया दंता तवणिज्जमईओ जीहाओ तवणिज्जमया तालुया कणगामईओ नासिंगाओ अंतोलोहियक्खपडिसेगाओ अंकामयाणि अच्छीणि अंतोलोहियक्खपडिसेगाणि रिट्ठामईओ ताराओ रिट्ठामयाणि अच्छिपत्ताणि रिट्ठामईओ भाओ कणगामया कवोला कणगामया सवणा कणगामईओ णिडालपट्टियातो वइरामईओ सीसघडीओ तवणिज्जमईओ केसंतकेसभूमीओ रिट्ठामया उवरिं मुद्रय तासिं णं जिणपडिमाणं पिट्ठतो पत्तेयं छत्तधारगपडिमाओ पं०, ताओ णं छत्तधारगपडिमाओ हिमरययकुंदेंदुप्पसाइं सकोरेंटमल्लदामाई धवलाई आयवत्ताई सलीलं धारेमाणीओ चिट्ठति, तासिंणं जिणपडिमाणं उभओ पासे पत्तेयं चामरधारपडिमातो पं०, ताओ णं चामरधारपडिमातो णाणामणिकणगरयणविमलमहरिह जाव सलीलं धारेमाणीओ चिट्ठति, तासिं णं जिणपडिमाणं पुरतो दो दो नागपडिमातो भूयपडिमातो जक्खपडिमाओ कुंडधारपडिमाओ सव्वरयणामईओ अच्छाओ जाव चिट्ठेति तासिंणं जिणपडिमाणं पुरतो अट्ठसयं घंटाणं अट्ठसयं कलसाणं अट्ठसयं भिंगाराणं एवं आयंसाण थालाणं पाईणं सुपरट्ठाणं मणोगुलियाणं वायकरणं गाणं चित्ताणं रयणकरंडगाणं हयकंठाणं जाव उसभकंठाणं पुप्फचंगेरीणं जाव लोमहत्थचंगेरीणं पुप्फपडलगाणं जाव लोमहत्थपडलगाणं तेल्लसमुग्गाणं जाव अंजणसमुग्गाणं अट्ठसयं धूवकडूच्छुयाणं संनिक्खित्तं चिट्ठति, सिद्धायतणस्स णं उवरिं अट्ठट्ठमंगलगा झया छत्तातिच्छत्ता |३९| तस्स णं सिद्धायतणस्स उत्तरपुरच्छिमेणं एत्थ णं महेगा उववायसभा पं० जहा सभाए सुहम्माए तहेव जाव मणिपेढिया अट्ठ जोयणाइं देवसयणिज्जं तहेव सयणिज्जवण्णओ अट्ठट्ठमंगलगा झया छत्तातिच्छत्ता, तीसे णं उववायसभाए उत्तरपुरच्छिमेणं एत्थ णं महेगे हरए पं० एवं जोयणसयं आयामेणं पण्णासं जोयणाइं विक्खंभेणं दस जोयणाई उव्वेहेणं तहेव, तस्स णं हरयस्स उत्तरपुरच्छिमेणं एत्थ णं महेगा अभिसेगसभा पं० सुहम्मागमएणं जाव गोमाणसियाओ मणिपेढिया सीहासणं सपरिवारं जाव दामा चिट्ठति, तत्थ णं सूरियाभस्स देवस्स बहुअभिसेयभंडे संनिक्खित्ते चिट्ठइ अट्ठट्ठमंगलगा तहेव, तीसे णं अभिसेगसभाए उत्तरपुरच्छिमेणं एत्थ णं महेगा अलंकारियसभा to हा सभा सुधम्मा मणिपेढिया अट्ठ जोयणाई सीहासणं सपरिवारं तत्थ णं सूरियाभस्स देवस्स सुबहु अलंकारियभंडे संनिक्खित्ते चिट्ठति सेसं तहेव, तीसे णं अलंकारियसभाए उत्तरपुरच्छिमेणं एत्थ णं महेगा ववसायसभा पं० जहा उववायसभा जाव सीहासणं सपरिवारं मणिपेढिया अट्ठट्ठमंगलगा, तत्थ णं सूरियाभस्स देवस्स महेगे पोत्थयरयणे सन्निक्खित्ते चिट्ठा, तस्स णं पोत्थयरयणस्स इमेयारूवे वण्णावासे पं० तं० रयणामयाई पत्तगाई रिट्ठामइयो कंबिआओ तवणिज्नमए दोरे नाणामणिमए गंठी वेरूलियमए लिप्पासणे रिट्ठमए छंदणे तवणिज्जमई संकला रिट्ठामई मसी वइरामई लेहणी रिट्ठामयाई अक्खराई धम्मिए सत्थे, ववसायसभाए श्री आगमगुणमंजूषा - ८२१ were Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ IGCS55555555555明 (१३) रायपसेणियं [ (२) उवंगसुत्तं] [१८] 5555555FOTOR Ferom F听听听听听听乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐明乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐6TG णं उवरिं अट्ठट्ठमंगलगा, तीसे णं ववसायसभाए उत्तरपुरच्छिमेणं एत्थ णं नंदापुक्खरिणी पं० हरयसरिसा, तीसे णं णंदाए पुक्खरिणीए उत्तरपुरच्छिमेणं महेगे म बलिपीढे पं० सव्वरयणामए अच्छे जाव पडिरूवे ।४०॥ तेणं कालेणं० सूरियाभे देवे अहुणोववण्णमित्तए चेव समाणे पंचविहाए पज्जत्तीए पज्जत्तीभावं गच्छइ तं० आहारपज्जत्तीए सरीर० इंदिय० आणपाण० भासामणपज्जत्तीए, तए णं तस्स सूरियाभस्स देवस्स पंचविहाए पज्जत्तीए पज्जत्तीभावं गयस्स समाणस्स इमेयारूवे अब्भत्थिए चितिए पत्थिए मणोगए संकप्पे समुप्पज्जित्था-किं मे पुब्बिं करणिज्ज किं में पच्छा करणिज्जं किं पुव्विं सेयं किं मे पच्छा से यं किं मे पुविपि पच्छावि हियाए सुहाए खमाए णिस्सेयसाए आणुगामियत्ताए भविस्सइ ?, तए णं तस्स सूरियाभस्स देवस्स सामाणियपरिसोववन्नगा देवा सूरियाभस्स देवस्स इमेयारूवमन्भत्थियं जाव समुप्पन्नं समभिजाणित्ता जेणेव सूरियाभे देवे तेणेव उवागच्छति सूरियाभं देवं करयलपरिग्गहियं० सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कटु जएणं विजएणं वद्धाविन्ति त्ता एवं व०-एवं खलु देवाणुप्पियाणं सूरियाभे विमाणे सिद्धायतणंसि जिणपडिमाणं जिणुस्सेहपमाणमित्ताणं अट्ठसयं संनिक्खित्तं चिट्ठति, सभाए णं सुहम्माए माणवए चेइए खंभे वइरामएसु गोलवट्टसमुग्गएसु बहूइओ जिणसकहाओ संनिक्खित्ताओ चिट्ठति, ताओ णं देवाणुप्पियाणं देवाण य देवीण य अच्चणिज्जाओ जाव पज्जुवासणिज्जाओ, तं एयं णं देवाणुप्पियाणं पुव्विं करणिज्जं तं एयं णं देवाणुप्पियाणं पच्छा करणिज्नं तं एयं णं देवाणुप्पियाणं पुट्विं सेयं तं एयं णं देवाणुप्पियाणं पच्छा सेयं तं एयं णं देवाणुप्पियाणं पुविपि पच्छावि हियाए सुहाए खमाए निस्सेयसाए आणुगामियत्ताए भविस्सति ।४१। तए णं से सूरियाभे देवे तेसिंसामाणियपरिसोववन्नगाणं देवाणं अंतिए एयमढे सोच्चा निसम्म हट्ठतुट्ठजावहयहियए सयणिज्जाओ अब्भुढेति त्ता उववायसभाओ पुरच्छिमिल्लेणं दारेणं निग्गच्छइ जेणेव हरए तेणेव उवागच्छति त्ता हरयं अणुपयाहिणीकरेमाणे पुरच्छिमिल्लेणं तोरणेणं अणुपविसइ त्ता पुरच्छिमिल्लेणं तिसोवाणपडिरूवएणं पच्चोरूहइ त्ता जलावगाहं० जलमज्जणं० जलकिड्डं० जलाभिसेयं करेइ त्ता आयंते चोक्खे परमसुईभूए हरयाओ पच्चोत्तरइ त्ता जेणेव अभिसेयसभा तेणेव उवागच्छति त्ता अभिसेयसभं अणुपयाहिणीकरेमाणे पुरच्छिमिल्लेणं दारेणं अणुपविसइ त्ता जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छइत्ता सीहासणवरगए पुरत्थाभिमुहे सन्निसन्ने, तएणं सूरियाभस्स देवस्स सामाणियपरिसोववन्नगा देवा आभिओगिए देवे सद्दावेति त्ता एवं व०-खिप्पामेव भो! देवाणुप्पदा सूरियाभस्स देवस्स महत्थं महग्धं महरिहं विउलं इंदाभिसेयं उवट्ठवेह, तए णं ते आभिओगिआ देवा सामाणियपरिसोववन्नेहिं देवेहिं एवं वुत्ता समाणा हट्ठा जाव हियया करंयलपरिग्गहियं० सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कटु एवं देवो! तहत्ति आणाए विणएणं वयणं पडिसुणंति त्ता उत्तरपुरच्छिमं दिसीभागं अवक्कमंति त्ता वेउब्वियसमुग्घाएणं समोहणंति त्ता संखेज्जाइं जाव दोच्वंपि वेउव्विंयसमुग्घाएणं समोहणित्ता अट्ठसहस्सं सावन्नियाणं कलसाणं अट्ठसहस्संरूप्पमयाणं कलसाणं अट्ठसहस्सं मणिमयाणं कलसाणं अट्ठसहस्सं सुवण्णरूप्पमयाणं कलसाणं अट्ठसहस्सं सुवन्नमणिमयाणं कलसाणं अट्ठसहस्संरूप्पमणिमयाणं कलसाणं अट्ठसहस्सं सुवण्णरूप्पमणियाणं कलसाणं अट्ठसहस्सं भोमिज्जाणं कलसाणं, एवं भिंगाराणं आयंसाणं थालाणं पाईणं सुपतिट्ठाणं रयणकरडगाणं पुप्फचंगेरीणं जाव लोमहत्थचंगेरीणं पुप्फपडलगाणं जाव लोमहत्थपडलगाणं छत्ताणं चामराणं तेल्लसमुग्गाणं जाव अंजणसमुग्गाणं अट्ठसहस्सं धूवकडुच्छुयाणं विउव्वंति त्ता ते साभाविए य वेउव्विए य कलसे य जाव कडुच्छुएय गिण्हंति त्ता सूरियाभाओ विमाणाओ पडिनिक्खमंति त्ता ताए उक्किट्ठाए चवलाए जाव तिरियमसंखेज्जाणं जाव वीतिवयमाणे २ जेणेव खीरोदयसमुद्दे तेणेव उवागच्छति त्ता खीरोयगं गिण्हंति जाई तत्थ उप्पलाइं ताइं गेण्हंति जाव सयसहस्सपत्ताइं गिण्हंति त्ता जेणेव पुक्खरोदए समुद्दे तेणेव उवागच्छंति त्ता पुक्खरोदयं गेण्हंति त्ता जाइं तत्थ उप्पलाइं जाव सयसहस्सपत्ताई ताई गिण्हंति त्ता जेणेय समयखेत्ते जेणेव भरहेरवयाई वासाइं जेणेव मागहवरदामपभासाइं तित्थाई तेणेव उवागच्छंति त्ता तित्थोदगं गेण्हंति त्ता तित्थमट्टियं गेण्हंति त्ता जेणेव गंगासिंधुरत्तारत्तवईओ महानईओ तेणेव उवागच्छंति त्ता सलिलोदगं गेहंति त्ता उभओ कूलमट्टियं गेहंति त्ता जेणेव चुल्लहिमवंतसिहरिवासहरपव्वया तेणेव उवागच्छंति त्ता सव्वतुयरे सव्वपुप्फे सव्वगंधे सव्वमल्ले सव्वोसहिसिद्धत्थए २ गिण्हंति त्ता जेणेव पउमपुंडरीयदहे तेणेव उवागच्छंति त्ता दहोदगं गेण्हूति त्ता जाइं तत्य उप्पलाइं जाव सयसहस्सपत्ताई ताइं गेण्हंति त्ता जेणेव हेमवयएरण्णवयाई NO$乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听明明明明明明明明明a Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ CCF乐乐乐乐乐乐蛋乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐乐听乐乐乐乐乐乐乐GO PAGR955555555555555 वासाइं जेणेव रोहियरोहियंसासुवण्णकूलरूप्पकूलाओ महाणईओ तेणेव उवागच्छंति सलिलोदगं गेहति ता उभओ कूलमट्टियं गिण्हंति ता जेणेव सद्दावातिवियडावातिपरियागा वट्टवयड्ढपव्वया तेणेव उवागच्छन्ति त्ता सव्वतुयरे तहेव जेणेव महाहिमवंतरूप्पिवासहरपव्वंया तेणेव उवागच्छंति तहेव जेणेव महापउममहापुंडरीयद्दहा तेणेव उवागच्छंति त्ता दहादगं गिण्हंति तहेव जेणेव हरिवासरम्मगवासाइं जेणेव हरिहरिकंतनरनारीकंताओ महाणईओ तेणेव उवागच्छंति तहेव जेणेव गंधावइमालवंतपरियाया वट्टवेयड्ढपव्वया तेणेव तहेव जेणेव णिसढणीलवंतवासधरपव्वया तहेव जेणेव तिगिच्छिकेसरिद्दहा तेणेव उवागच्छंति त्ता तहेव जेणेव महाविदेहे वासे जेणेव सीतासीतोदा महाणदीओ तेणेव तहेव जेणेव सव्वचक्कवट्टिविजया जेणेव सव्वमागहवरदामपभासाइं तित्थाइं तेणेव उवागच्छंति त्ता तित्थोदगं गेण्हंति त्ता जेणेव सव्वंतरणईओ जेणेव सव्ववक्खारपव्वया तेणेव उवागच्छंति सव्वतुयरे तहेव जेणेव मंदरे पव्वते जेणेव भद्दसालवणे तेणेव ॥ उवागच्छंति सव्वतुयरे सव्वपुप्फे सव्वमल्ले सव्वोसहिसिद्धत्थए य गिण्हंति त्ता जेणेव णदणवणे तेणेव उवागच्छंति त्ता सव्वतुयरे जाव सव्वोसदिसिद्धत्थए य सरसगोसीसचंदणं गिण्हति त्ता जेणेव सोमणसवणे तेणेव उवागच्छंति सव्वतुयरे जाव सव्वोसहिसिद्धत्थए य सरसगोसीसचंदणं च दिव्वं च सुमणदांमं ददरमलयसुगंधिए य गंधे गिण्हंति त्ता एगतो मिलायंति त्ता ताए उक्किट्ठाए जाव जेणेव सोहम्मे कप्पे जेणेव सूरियाभे विमाणे जेणेव अभिसेयसभा जेणेव सूरियाभे देवे तेणेव उवागच्छंति त्ता सूरियाभं देवं करयलपरिग्गहियं० सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कटु जएणं विजएणं वद्धाविति त्ता तं महत्थं महग्धं महरिहं विउलं इंदाभिसेयं उवट्ठवेति, तए णं तं सूरियाभं देवं चत्तारि सामाणियसाहस्सीओ चत्तारि अग्गमहिसीओ सपरिवारातो तिन्नि परिसाओ सत्त अणियाहिवईणो जाव अन्नेवि बहवे सूरियाभविमाणवासिणो देवा य देवीओ य तेहिं साभाविएहि य वेउब्विएहिं य वरकमलपइट्ठाणेहि य सुरभिवरवारिपडिपुन्नेहिं चंदणकयचच्चएहिं आविद्धकंठगुणेहिं पउमुप्पलपिहाणेहिं सुकुमालकोमलकरयलपरिग्गहिएहिं अट्ठसहस्सेणं सोवन्नियाणं कलसाणं जाव अट्ठसहस्सेणं भोमिज्जाणं कलसाणं सव्वोदएहिं सव्वमट्टियाहिं सव्वतूयरेहिं जाव सव्वोसहिसिद्धत्थएहिं य सविड्ढीए जाव वाइएणं महया २ इंदाभिसेएणं अभिसिंचंति, तए णं तस्स सूरियाभस्स देवस्स महया २ इंदाभिसेए वट्टमाणे अप्पेगतिया देवा सूरियाभं विमाणं नच्चोयगं नातिमट्टियं पविरलप्पफुसियरयरेणुविणासणं दिव्वं सुरभिगंधोदगं वासं वासंति अप्पे० हयरयं नट्ठरयं भट्टरयं उवसंतरयं उवसंतरयं पसंतरयं करेंति अप्पे० आसियसंमज्जिबओलित्तं सुइसंमट्ठरत्यंतरावणवीहियं करेंति अप्पे० मंचाइमंचकलियं करेंति अप्पे० णाणाविहरागोसियझयपडागाइपडागमंडियं करेंति अप्पे० लाउल्लोइयमहियं गोसीससरसरत्तचंदणदद्दरदिण्णपंचंगुलितलं करेति अप्पे० उवचिचंदणकलसं चंदणघडसुकयतोरणपडिदुवारदेसभागं करेंति अप्पे० आसत्तोसत्तविउलवट्टवग्धारियमल्लदामकलावं करेंति अप्पे० पंचवण्णसुरभिमुक्कपुप्फपुंजोवयारकलियं करेति अप्पे० कालागुरुपवरकुदुरुक्कतुरुक्कधूवमघमघंतगंधुद्भूयाभिरामं करेति अप्पे० सुगंधगंधियं गंधवट्टिभूतं करेति अप्पे० हिरण्णवासं वासंति सुवण्णवासं वासंति रययवासं वासंति वइरवासं० पुप्फवास- फलवासं० मल्लवासं० गंधवासं० चुण्णवासं० आभरणवासं वासंति अप्पे० हिरण्णविहिं भाएंति एवं सुवन्नविहिं रयणविहिं भाएंति एवं सुवन्नविहिं रयणविएं (प्र० वयरविहिँ) पुप्फविहिं फलविहिं मल्लविहिं चुण्णविहिं वत्थविहिं गंधविहिं तत्थ अप्पेगतिया देवा आभरणविहिं भाएंति, म अप्पेगतिया चउब्विहं वाइतं वाइंति तं०- ततं विततं घणं झुसिरं, अप्पेगइया देवा चउब्विहं गेयं गायंति, तं०- उक्खित्तायं पायत्तायं मंदायं रोइतावसाणं अप्पेगतिया देवा दुयं नट्टविहिं उवदंसंति अप्पे० विलंबियणट्टविहिं० अप्पे० दुतविलंबियं णट्टविहिं० एवं अप्पे० अंचियं नट्टविहिं उवदंसेंति अप्पे० रिभियं नट्टविहिं अप्पे० अंचियरिभियं एवं आरभडं भसोलं आरभडभसोलं उप्पयनिचयपमत्तं संकुचियपसारियं रियारियं भंतसंभतणामं दिव्वं णट्टविहिं उवदंसेति, अप्पे० चउव्विहं अभिणयं अभिणयंति, तं०- दिलृतियं पाडंतियं पाडंतियं सामंतोवशिवाइयं लोगअंतोमज्झावसाणियं, अप्पेगतिया देवा बुक्कारेति अप्पे० पीणेति अप्पे० वासंति अप्पे० * अक्कारेति अप्पे० विणंति अप्पे० तंडवेति अप्पे० वगंति अप्पे० अप्फोडेति अप्पे० अप्फोडेति वग्गंति अप्पे० तिवई छिंदति अप्पे० हयहेसियं करेति अप्पे० श हत्थिगुलगुलाश्यं० अप्पे० रहघणघणाइयं० अप्पे० हयहेसियहहत्थिगुलगुलाइयरहघणघणाइयं० अप्पे० उच्छोलेंति अप्पे० पच्छोलेति अप्पे० उक्किट्ठियं करेति stero### #####55555 श्री आगमगुणमंजूषा : ८२३ 5555555555555555555552OR 乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听FAQ Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 620 [२०] (१३) रायपसेणियं ( (२) उवंगसुत्तं ] अप्पे० तिन्निवि अप्पे० ओवयंति अप्पे० उप्पयंति अप्पे० परिवयंति अप्पे० तिन्निवि अप्पे० सीहनायंति अप्पे० पाददद्दरयं अप्पे० भूमिचवेडं दलयंति अप्पे० तिन्निवि अप्पे० गज्जति अप्पे० गज्जति अप्पे० विज्जुयायंति अप्पे० वासं वासंति अप्पे० तिन्निवि करेति अप्पे० जलंति अप्पे० तवंति अप्पे० पतवेंति अप्पे० तिन्निवि अप्पे० हक्कारेति अप्पे० थुक्कारेति अप्पे० धक्कारेति अप्पे० साइं २ नामाई साहेति अप्पे० चत्तारिवि अप्पेगइया देवा देवसन्निवायं करेति अप्पे० देवज्जोयं करेति अप्पे० देवुक्कलियं करेति अप्पे० देवकहकहगं करेति अप्पे० देवदुहदुहगं करेति अप्पे० चेलुक्खेवं करेति अप्पे० उप्पलहत्थगया जाव सयसहस्सपत्तहत्थगया अप्पे० कलसहत्थगया जाव धूवकडुच्छुयहत्थगया हट्टतुट्ठजावहियया सव्वतो समंता आहावंति परिधावंति, तए णं सूरियाभं देवं चत्तारि सामाणियसाहस्सीओ जाव सोलस आयरक्खदेवसाहस्सीओ अण्णे य बहवे सूरियाभरायहाणिवत्थव्वा देवा य देवीओ महया २ इंदाभिसेगेणं अभिसिंचंति त्ता पत्तेयं २ करयलपरिग्गहियं० सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्टु एवं व०- जय २ नंदा जय जय भद्दा जय जय नंदा ! भदं ते अजियं जिणाहि जियं च पालेहि जियमज्झे वसाहि इंदोइव देवाणं चंदोइव ताराणं चमरोइव असुराणं धरणोइव नागाणं भरहोइव मणुयाणं बहूइं पलिओवमाइं बहूई सागरोवमाइं चउण्हं सामाणियसाहस्सीणं जाव आयरक्खदेवसाहस्सीणं सूरियाभस्स विमाणस्स अन्नेसिं च बहूणं सूरियाभविमाणवरसीणं देवाण य देवीण य आहेवच्चं जाव महया २ कारेमाणे पालेमाणे विहराहित्तिकट्टु जय २ सद्द परंजंति, तए णं से सूरियाभे देवे महया २ इंदाभिसेगेणं अभिसित्ते समाणे अभिसेयसभाओ पुरच्छिमिल्लेणं दारेणं निग्गच्छति त्ता जेणेव अलंकारियसभा अप्पयाहिणीकरेमाणे अणुप्पयाहिणीकरेमाणे अलंकारियसभं पुरच्छिमिल्लेणं दारेणं अणुपविसति त्ता जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छति सीहासणवरगते पुरत्थाभिमुहे सन्निसन्ने, तए णं तस्स सूरियाभस्स देवस्स सामाणियपरिसोववन्नगा देवा अलंकारिभंडं उवट्ठवेति, तए णं से सूरियाभे देवे तप्पढमयाए पम्हलसूमालाए सुरभीए गंधकासाईए गायाई लुहेति त्ता सरसेणं गोसीसचंदणेणं गायाई अणुलिंपति त्ता नासानीसासवायवोज्झं चक्खुहरं वन्नफरिसजुत्त हयलालापेलवातिरेगं धवलं कणगखचियन्तकम्मं आगासफालियसमप्पभं दिव्वं देवदूसजुयलं नियंसेति त्ता हारं पिणद्धेति त्ता अद्धहारं पिणद्धेइ त्ता एगावलिं पिणद्धेति त्ता मुत्तावलिं पिणद्धेति त्ता रयणावलिं पिणद्धेइ त्ता एवं अंगयाई केयूराइं कडगाई तुडियाई कडिसुत्तगं दसमुद्दाणंतगं विकच्छसुत्तगं मुरविं पालंब कुंडलाई चूडामणि मउडं पिणद्धेइ त्ता गंथिमवेढिमपूरिमसंघाइमेणं चउव्विहेणं मल्लेणं कप्परुक्खगंपिव अप्पाणं अलंकियविभूसियं करेइ ता दद्दरमलयसुगंधगंधिएहिं गायाइं भुखंडेइ दिव्वं च सुमणदाणं पिणद्धेइ ।४२। तए णं से सूरियाभे देवे केसालंकारेणं मल्लालंकारेण आभरणालंकारेणं वत्थालंकारेणं चउव्विहेणं अलंकारेणं अलंकियविभूसिए समाणे पडिपुण्णालंकारे सीहासणाओ अब्भुट्ठेति त्ता अलंकारियसभाओ पुरच्छिमिल्लेणं दारेणं पडिणिक्खमइ त्ता जेणेव ववसयसभा तेणेव उवागच्छति ववसायसभं अणुपयाणीकरेमाणे पुरच्छिमिल्लेणं दारेणं अणुपविसति जेणेव सीहासणवरए जाव सन्निसन्ने, तए णं तस्स सूरियाभस्स देवस्स सामाणियपरिसोववन्नगा देवा पोत्थरयणं उवणें(प्र० णमं) ति, तते णं से सूरियाभे देवे पोत्थयरंयणं गिण्हति त्ता पोत्थयरयणं मुयइ त्ता पोत्थरयणं विहाडेइ त्ता पोत्थयरयणं वाएति त्ता धम्मियं ववसायं गिण्हति त्ता पोत्थयरयणं पडिनिक्खिवइ त्ता सीहासणातो अब्भुट्टेति त्ता ववसायसभातो पुरच्छिमिल्लेणं दारणं पडिनिक्खमइ ता जेणेव नंदा पुक्खरिणी तेणेव उवागच्छति त्ता णंदापुक्खरिणिं पुरच्छिमिल्लेणं तोरणेणं पुरच्छिमिल्लेणं तिसोवाणपडिरूवएणं पच्चोरुहइ त्ता हत्थपादं पक्खालेति त्ता आयंते चोक्खेपरमसुइभूए एगं महं सेयं रययामयं विमलसलिलपुण्णं मत्तगयमुहागितिसमाणं भिंगारं पगेण्हति ता जाई तत्थ उप्पलाई जाव सतसहस्सपत्ताइं ताइं गेण्हति ताणंदातो पुक्खरिणीतो पच्चोरुहति त्ता जेणेव सिद्धायतणे तेणेव पहारेत्थ गमणाए । ४३ । तए णं तं सूरियाभं देवं चत्तारि य सामाणियसाहस्सीओ जाव सोलस आयरक्खदेवसाहस्सीओ अन्ने य बहवे सूरियाभ जाव देवीओ य अप्पेगतिया देवा उप्पलहत्थगया जाव सयसहस्सपत्तहत्थगया सूरियाभं देवं पिट्ठतो २ समणुगच्छंति, तणं तं सूरियाभं देवं बहवे आभिओगिया' देवा य देवीओ य अप्पेगतिया कलसहत्थगया जाव अप्पेगतिया धूवकडुच्छुयहत्थगता हट्ठतुट्ठ जाव सूरियाभं देवं पिट्ठतो समनुगच्छति, तए णं से सूरियाभे देवे चउहिं सामाणियसाहस्सीहिं जाव अन्नेहि य बहूहि य सूरियाभ जाव देवेहि य देवीहि य सद्धिं संपरिवुडे सव्विड्डीए जाव श्री आगमगुणमंजूषा ८२४ ॐ 6666666666 Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ORIC%%% %%% %%%% % (१३) रायपसेणियं [(२) उर्वगसुत्त] २१] $$$ $$$ $$ $ 20 C%乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明 णातियरवेणं जेणेव उवागच्छति त्ता सिद्धायतणं पुरथिमिल्लेणं दारेणं अणुपविसतित्ता जेणेव देवच्छंदए जेणेव जिणपडिमाओ तेणेव उवागच्छति त्ता जिणपडिमाणं आलोए पणामं करेति त्ता लोमहत्थगं गिण्हति त्ता जिणपडिमाणं लोमहत्थएणं पमज्जइत्ता जिणपडिमाओ सुरभिणा गंधोदएणं ण्हाणेइ त्ता सरसेणं गोसीसचंदणेणं गायाइं अणुलिंपइ त्ता सुरभिगंधकासाइएणं गायाइं लूहेति त्ता जिणपडिमाणं अहयाइं देवदूसजूयलाई नियंसेइ त्ता पुप्फ रुहणं मल्लारुहणं गंधारुहणं चुण्णासहणं वन्नारुहणं वत्थारुहणं आभरणारुहणं करेइत्ता आसत्तोसत्तविउलवट्टवग्घारियमल्लदामकलावं करेइत्ता कयग्गहगहियकरयलपब्भट्ठविप्पमुक्केणं दसद्धवन्नेणं कुसुमेणं मुक्कपुप्फपुंजोवयारकलियं करेति त्ता जिनपडिमाणं पुरतो अच्छेहि सण्हेहिं रययामएहिं अच्छरसातंदुलेहिं अट्ठमंगले आलिहइ तं०- सोत्थियं जाव दप्पणं, तयाणंतरं.' च णं चंदप्पभरयणवइरवेरुलियमलदंडं कंचणमणिरयणभत्तिचित्तं कालागुरुपवरकुंदुरुक्कतुरुक्कधूवगघमघंतगंधुत्तमाणुविद्धं च धूववहि विणिम्मुयंतं वेरुलियमयं कडुच्छुयं पग्गहिय पयत्तेणं धूवं दाऊण जिणवराणं अट्ठसयविसुद्धगन्थजुत्तेहिं अत्थजुत्तेहिं अपुणरुत्तेहिं महावित्तेहिं संथुणइ त्ता सत्तट्ठ पयाइं पच्चोसक्कइत्ता वामं जाणुं अंचेइ त्ता दाहिणं जाणुं धरणितलंसि निहट्ट तिक्खुत्तो मुद्धाणं धरणितलंसि निवाडेइ त्ता ईसिं पच्चुण्णमइ त्ता करयलपरिग्गहियं० सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कट्ट एवं व० - नमोऽत्थु णं अरहताणं जाव संपत्ताणं, वंदइ नमसइ त्ता जेणेव देवच्छंदए० जेणेव सिद्धायतणस्स बहुमज्झदेसभाए तेणेव उवागच्छइत्ता लोमहत्थगं परामुसइ त्ता सिद्धायतणस्स बहुमज्झदेसभागं लोमहत्थेणं पमज्जति दिव्वाए दगधाराए अब्भुक्खेइ सरसेणं गोसीसचंदणेणं पंचंगुलितलं मंडलगं आलिहइ त्ता कयग्गाहगहिय जाव पुंजोवयारकलियं करेइ त्ता धूवं दलयइ जेणेव सिद्धायतणस्स दाहिणिल्ले दारे तेणेव उवागच्छति त्ता लोभहत्थगं परामुसइ त्ता दारचेडीओ य सालभंजियाओ य वालरूवए य लोभहत्थएणं पमज्जइत्ता दिव्वाए दगधाराए अब्भुक्खेइत्ता सरसेणं गोसीसचंदणेणं चच्चए दलयइत्ता पुप्फारुहणं जाव आभरणारुहणं करेइ त्ता आसत्तोसत्त जाव धूवं दलयइ त्ता जेणेव दाहिणिल्ले दारे मुहमंडवे जेणेव दाहिणिल्लस्स मुहमंडवस्स बहुमज्झदेसभाए तेणेव उवागच्छइ त्ता लोमहत्थगं परामुसइ त्ता बहुमज्झदेसभागं लोमहत्येणं पमज्जइत्ता दिव्वाए दगधाराए अब्भुक्खेइत्ता सरसेणं गोसीसचंदणेणं पंचंगुलितलं मंडलगं आलिहइत्ता कयग्गाहगहिय जाव धूवं दलयइ त्ता जेणेव दाहिणिल्लस्स मुहमंडवस्स पच्चस्थिमिल्ले दारे तेणेव उवागच्छइ त्ता लोभहत्थगं परामुसइ त्ता दारचेडीओ य सालिभंजियाओ य वालरूवए य लोमहत्थेणं पमज्जइ त्ता दिव्वाए दगधाराए० सरसेणं गोसीसचंदणेणं चच्चए दलयइ त्ता पुप्फ रुहणं जाव आभरणारुहणं करेइ त्ता आसत्तोसत्त० कयगाग्गहिय० छूवं दलयइ त्ता जेणेव दाहिणिल्लमुहमंडवस्स उत्तरिल्ला खंभपंती तेणेव उवागच्छइ त्ता लोभहत्थं परामुसइ त्ता थंभे य सालिभंजियाओ य वालरूवए य लोमहत्थएणं पम० जहा चेव पच्चत्थिमिल्लस्स दारस्स जाव धूवं दलयइत्ता जेणेव दाहिणिल्लस्स मुहमंडवस्स पुरच्छिमिल्ले दारे तेणेव उवागच्छइ त्ता लोमहत्थगं परामुसति दारचेडीओ तं चेव सव्वं जेणेव दाहिणिल्लस्स मुहमंडवस्स दाहिणिल्ले दारे तेणेव उवाग्छइ त्ता दारचेडीओ य तं चेव सव्वं जेणेव दाहिणिल्ले पेच्छाघरमंडवे दाहिणिल्लस्स पेच्छाघरमंडवस्स बहुमज्झदेसभागे जेणेव वयरामए अक्खाडए जेणेव मणिपेढिया जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छइ त्तालोभहत्थगं परामुसइ त्ता अक्खाडगं च मणिपेढियं च सीहासणं च लोमहत्थएणं पमज्जइत्ता दिव्वाए दगधाराए सरसेणं गोसीसचंदणेणं चच्चए दलयइ पुप्फारुहणं आसत्तोसत्त जाव धूवं दलेइत्ता जेणेव दाहिणिल्लस्स पेच्छाघरमंडवस्स पच्चत्थिमिल्ले दारे तं चेव उत्तरिल्ले दारे तं चेव पुरच्छिमिल्ले दारे तं चेव दाहिणे दारे तं चेव, जेणेव दाहिणिल्ले चेइयथूभे तेणेव उवागच्छइत्ता थूभं मणिपेढियं च दिव्वाए दगधाराण अब्भुक्खेइ सरसेण गोसीस० चच्चए दलेइ त्ता पुप्फारुहणं आसत्तो जाव धूवं दलेइ जेरेव पच्चत्थिमिल्ला मणिपेढिया जेणेव पच्चत्थिमिला जिणपडिमा तं चेव, जेणेव उत्तरिल्ला जिणपडिमा तं चेव सव्वं (१४७) जेणेव पुरच्छिमिल्ला मणिपेढिया जेणेव पुरच्छिमिल्ला जिणपडिमा तेणेव उवागच्छइ तं चेव, दाहिणिल्ला मणिपेढिया दाहिणिल्ला जिणपडिमा तं चेव, जेणेव दाहिणिल्ले चेइयरुक्खे तेणेव उवागच्छइत्तातं चेव, जेणेव दाहिणिल्लए महिंदज्झएजेणेव दाहिणिल्लाणंदापुक्खरिणी तेणेव उवागच्छति लोमहत्थगं परामुसति तोरणे य तिसोवाणपडिरूवए २ सालिभं जियाओ य वालरूवए य लोमहत्थएणं पमज्जइ दिव्वाए दगधाराए० सरसेणं गोसीचंदणेणं० पुप्फ रुहणं० आसत्तोसत्त० धूवं दलयति, सिद्धाययणं MONO55555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा-२५॥55555555555555555555555XOK 5.95乐乐明明明明明明明明乐听听听听听听听听听听听听乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐听听乐52C Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ KOR95$ $$$$$$$$ $$$ (१३) रायपसेणिय [(२) उवंगसुत्तं] [२२] 点事历历牙牙牙牙牙牙NOIS CSC$$$$$$$$$$$$$ F听听听听听听乐明明 $$$$$$乐 $$$$听听听听听听听 अणुपयाहिणीकरेमाणे जेणेव उत्तरिल्ला गंदापुक्खरिणी तेणेव उवागच्छति त्ता तं चेव, जेणेव उत्तरिल्ले महिंदज्झए तेणेव उवागच्छइ तं चेव जाव जेणेव उत्तरिल्ले चेइयरुक्खे तेणेव उवागच्छति जेणेव उत्तरिल्ले चेझ्यथूमे तहेव, जेणेव पच्चत्थिमिल्ला पेढिया पच्चत्थिमिल्ला जिणपडिमा तं चेव, उत्तरिल्ले पेच्छाघरमंडवे तेणेव उवागच्छति त्ता जा चेव दाहिणिल्लवत्तव्वया सा चेव सव्वा पुरच्छिमिल्ले दारे दाहिणिल्ला खंभपंती तं चेव सव्वं, जेणेव उत्तरिल्ले मुहमंडवे जेणेव उत्तरिल्लस्स मुहमंडवस्स बहुमज्झदेसभाए तं चेव सव्वं, पच्चस्थिमिल्ले दारे तेणेव० उत्तरिल्ले दारे दाहिणिल्ला खंभपंती सेसंतं चेव सव्वं, जेणेव सिद्धायतणस्स उत्तरिल्ले दारे के तं चेव, जेणेव सिद्धायतणस्स पच्चत्थिमिल्ले दारे तेणेव उवागच्छइ त्ता तं चेव जेणेव पुरच्छिमिल्ले मुहमंडवे जेणेव पुरच्छिमिल्लस्स मुहमंडवस्स बहुमज्झदेसभाए तेणेव उवागच्छइ त्ता तं चेव, पुरच्छिमिल्लस्स मुहमंडवस्स दाहिणिल्ले दारे पच्चत्थिमिल्ला खंभपंती उत्तरिल्ले दारे तं चेव, पुरच्छिमिल्ले दारे तं चेव, जेणेव पुरच्छिमिल्ले पेच्छाघरमंडवे एवं थूमे जिणपडिमाओ चेइयरुक्खा महिंदज्झया गंदा पुक्खरिणी तं चेव जाव धूवं दलइ त्ता जेणेव सभा सुहम्मा तेणेव उवागच्छति त्ता सभं सुहम्मं पुरच्छिमिल्लेणं दारेणं अणुपविसइ त्ता जेणेव माणवए चेइयखंभे जेणेव वइरामए गोलवट्टसमुग्गे तेणेव उवागच्छइ त्ता लोमहत्थगं परामुसइ त्ता वइरामए गोलवट्टसमुग्गए लोमहत्थेणं पमज्जइत्ता वइरामए गोलवट्टसमुग्गए विहाडेइत्ता जिणसगहाओ लोभहत्थेणं पमज्जइत्ता सुरभिणा गंधोदएणं पक्खालेइत्ता अग्गेहिं वरेहिं गंधेहि य मल्लेहि य अच्चेइ धूवं दलयइत्ता जिणसकहाओ वइरामएसु गोलवट्टसमुग्गएसु पडिनिक्खिवइ माणवगं चेइयखंभं लोमहत्थएणं पमज्जइ दिव्वाए दगधाराए सरसेणं गोसीसचंदणेणं चच्चए दलयइ पुप्फारुहणं जाव धूवं दलयइ, जेणेव सीहासणेतं चेव, जेणेव देवसयणिज्जे तं चेव, जेणेव खुड्डागमहिंदज्झए तं चेव, जेणेव पहरणकोसेचोप्पालए तेणेव उवागच्छइ त्ता लोमहत्थगं परामुसइ त्ता पहरणकोसं चोप्पालं लोमहत्थएणं पमज्जइ त्ता दिव्वाए दगधाराए सरसेणं गोसीसचंदणेणं चच्चा दलेइ पुप्फारुहणं० आसत्तोसत्त जाव धूवं दलयइ, जेणेव सभाए सुहम्माए बहुमज्झदेसभाए जेणेव मणिपेढिया जेणेव देवसयणिज्जे तेरेव उवागच्छइ ता लोभहत्थगं परामुसइ देवसयणिज् च मणिपेढियं च लोमहत्थएणं पमज्जइ जाव धूवं दलयइ त्ता जेणेव उववायसभाए दाहिणिल्ले दारे तहेव अभिसेयसभासरिसं जाव पुरच्छिमिल्ला णंदा पुक्खरिणी जेणेव हरए तेणेव उवागच्छइ त्ता तोरणे य तिसोवाणे य सालिभंजियाओ य वालरूवेए य तहेव, जेणेव, अभिसेयसभा तेणेव उवागच्छइत्ता तहेव सीहासणं च मणिपेढियं च सेसं तहेव आययणसरिसं जाव पुरच्छिमिल्ला गंदा पुक्खरिणी जेणेव अलंकारियसभा तेणेव उवागच्छइ त्ता जहा अभिसेयसभा तहेव सव्वं जेणेव ववसायसभा तेणेव उवा० त्ता तहेव लोमहत्थयं परामुसति पोत्थयरयणं लोमहत्थएणं पमज्जइ त्ता दिव्वाए दगधाराए अग्गेहिं वरेहि य गंधेहि मल्लेहि य अच्चेति त्ता मणिपेढियं सीहासणं च सेसं तं चेव, पुरच्छिमिल्ला नंदा पुक्खरिणी जेणेव हरए तेणेव उवागच्छइ त्ता तोरणे य तिसोवाणे य सालिभंजियाओ य वालंरूवए तहेव जेणेव बलिपीढं तेणेव उवागच्छइ त्ता बलिविसज्जणं करेइ आभिओगिए देवे सद्दावेइ त्ता एवं व०卐 खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! सूरियाभे विमाणे सिंघाडएसु तिएसु चउक्केसु चच्चरेसु चउम्मुहेसु महापहेसु पागारेसु अट्टालएसु चरियासु दारेसु गोपुरेसु तोरणेसु आरामेसु उज्जाणेसु वणेसु वणराईसु काणणेसु वणसंडेसु अच्चणियं करह त्ता मम एयमाणत्तियं खिप्पामेव पच्चप्पिणह, तए णं ते आभिओगिया देवा सूरियाभेणं देवेणं एवं कुत्ता समाणा जाव पडिसुणित्ता सूरियाभे विमाणे सिंघाडएसु जाव अच्चणियं करेन्ति त्ता जेणेव सूरियाभे देवे जाव पच्चप्पिणंति, तते णं से सूरियाभे देवे जेणेव नंदा पुक्खरिणी तेणेव उवागच्छइ त्ता नंदापुक्खरिणिं पुरच्छिमिल्लेणं तिसोवाणपडिरूवएणं पच्चोरुहति त्ता हत्थपाए पक्खालेइ त्ता णंदाओ पुक्खरिणीओ पच्चुत्तरइ जेणेव सभा सुधम्मा तेणेव पहारित्थ गमणाए, तए णं से सूरियाभे देवे चउहिं सामाणियसाहस्सीहिं जाव सोलसहिं आयरक्खदेवसाहस्सीहिं अन्नेहि य बहूहिं सूरियाभविमाणवासीहिं वेमाणिएहिं देवेहि देवीहिय सद्धिं संपरिबुडे सव्विड्डीए जाव नाइयरवेणं जेणेव सभा सुहम्मा तेणेव उवागच्छइ त्ता सभं सुधम्म का पुरच्छिमिल्लेणं दारेणं अणुपविसति त्ता जेणेव सीहासणे तेणेव उवागच्छइ त्ता सीहासणवरगए पुरत्थाभिमुहे सण्णिसण्णे ।४४। तए णं तस्स सुरियाभस्स देवस्स 2 अवरुत्तरेणं उत्तरपुरच्छिमेणं दिसिभाएणं चत्तारिय सामाणियसाहस्सीओ चउसु भद्दासणसाहस्सीसु निसीयंति, तएणं तस्स सूरियाभस्स देवस्स पुरच्छिमिल्लेणं KOROSFFFFFFF555555 श्री आगमगुणमजूषा -८२६5555555555555555555OOK JORD%%%%%%%%%%% Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ AGRO5555555555555555 (१३) रायपसेणियं [(२) उवंगसुत्तं] [२३] 乐乐乐听听听听听听听听听听FFICE תתתתתתתתתתתתתתע 26555415545344455555555555555555555555555555555FESTOS चत्तारि अग्गमहिसीओ चउसु भद्दासणेसु निसीयंति, तए णं तस्स सूरियाभस्स देवस्स दाहिणपुरत्थिमेणं अब्भतरियपरिसाए अट्ट देवसाहस्सीओ अद्रस भद्दासणसाहस्सीस निसीयंति. तए णं तस्स सूरियाभस्स देवस्स दाहिणेणं मज्झिमाए परिसाए दस देवसाहस्सीओ दससुभद्दासणसाहस्सीस निसीयंति. तए णं तस्स सरियाभस्स देवस्स दाहिणपच्चत्थिमेणं बाहिरियाए परिसाए बारस देवसाहस्सीतो बारससु भद्दासणसाहस्सीसु निसीयंति, तए णं तस्स सरियाभस्स । देवस्स पच्चत्थिमेणं सत्त अणियाहिवइणो सत्तहिं(सु)भद्दासणेहिं(सु)णिसीयंति, तए णं तस्स सुरियाभस्स देवस्स चउद्दिसिं सोलस आयरक्खदेवसाहस्सीओ सोलसहिं भहासणसाहस्सीहिं णिसीयंति, तं०- पुरच्छिमिल्लेणं चत्तारि साहस्सीओ दाहणेणंचत्तारी साहस्सीओ पच्चत्थिमेणं चत्तारि साहस्सीओ उत्तरेणं चत्तारि साहस्सीओ. ते णं आयरक्खा सन्नद्धबद्धवम्मियकवया उप्पीलियसरासणपट्टिया पिणद्धगेविज्जा बद्धआविद्धविमलवरचिंधपट्टा गहियाउहपहरणा तिणियाणि तिसंधियाई वयरामयाई कोडीणि धणइं पगिज्झ पडियाइयकंडकलावाणीलपाणिणो पीतपाणिणो रत्तपाणिणो चारुपाणिणो चम्मपाणिणो दंडपाणिणो खग्गपाणिणो पासपाणिणो नीलपीयरत्तचावचारुचम्मदंडखग्गपासधरा आयरक्खा रक्खोवगया गुत्ता-गुत्तपालिया जुत्ता जुत्तपालिया पत्तेयं २ समयओ विणयओ किंकरभया चिटुंति 18५। सरियाभस्स णं भंते ! देवस्स केवइयं कालं ठिती पं०?, गोयमा ! चत्तारि पलिओवमाई ठिती पं०, सूरियाभस्स णं भंते ! देवस्स सामाणियपरिसोववण्णगाणं देवाणं केवइयं कालं ठिती पं०, गोयमा ! चत्तारि पलिओवमाई ठिती पं०, महिड्ढीए- महजुत्ती(ती)ए महब्बले महासये महासोक्खे महाणुभागे सूरियाभे देवे, अहोणं भंते ! सूरियाभे देवे महड्डीए जाव महाणुभागे।४६। सूरियाभेणं भंते ! देवेणं सा दिव्वा देविड्डी सा दिव्वा देवजुई से दिव्वे देवाणभागे किण्णा लळे किण्णा पत्ते किण्णा अभिसमन्नागए पुव्वभवे के आसी पुव्वभवे के आसी किंनामए वा कोवा गुत्तेणं कयरंसि वा गामंसि वा जाव संनिवेसंसि वा किंवा दच्चा किं वा भोच्चा किं वा किच्चा किं वा समायरित्ता कस्स वा तहारूवस्स समणस्स वा माहणस्स वा अंतिए एगमवि आरियं धम्मियं सुवयणं सुच्चा निसम्म जण्णं सरियाभणं देवेणं सा दिव्वा देविड्डी जाव देवाणुभागे लढे पत्ते अभिसमन्नागए।४७। गोयमाई| समणे भगवं महावीर भगवं गोयमं आमंतेत्ता एवं व०- एवं खल गोयमा । तेणं कालेणं० इहेव जंबुद्दीवे भारहे वासे केयइअद्धे नामे जणवए होत्था रिद्धस्थिमियसमिद्धे, तत्थ णं केयइअद्धे जणवए सेयविया णाम नगरी होत्था रिद्धस्थिमियसमिद्धा जाव पडिरूवा, तीसे ण सेयवियाए नगरीए बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभागे एत्थ णं मिगवणे णामं उज्जाणे होत्था रम्मे नंदणवणप्पगासे सव्वोउयफलसमिद्धे सुभसुरभिसीयलाए छायाए सव्वओ चेव समणुबद्धे पासादीए जाव पडिरूवे, तत्थणं सेयवियाएणगरीए पएसीणामं राया होत्था महयाहिमवंत जाव विहरइ अधम्मिए अधम्मिटे अधम्मक्खाई अधम्माणुए अधम्मपलोई अधम्मपजण(लज्ज)णे अधम्मसीलसमुयायारे अधम्मेण चेव वित्तिं कप्पेमाणे हणछिंदभिंदापवत्तए चंडे रुहे खुद्दे लोहियपाणी साहसिए उक्कंचणवंचणमायानियडिकूड कवडसायिसंपओगबहुले निस्सीले निव्वए निग्गणे निम्मेरे निप्पच्चक्खाणपोसहोववासे बहणं दपयचउप्पयमियपसुक्खीसरिसवाण घायाए वहाए उच्छेणयाए अधम्मकेऊ समुट्ठिए गुरूणं णो अब्भवति णो विणयं पउंजड समण० (माहणभिक्खुगाणं) सयस्सवियणंजणवयस्सणो सम्मं करभरवित्तिंपवत्तेइ।४८ तस्सणं पएसिस्स रन्नोसूरियकतानाम देवी होत्था सुकमालपाणिपाया धारिणीवण्णओपएसिणा रन्ना सद्धिं अणुरत्ता अविरत्ता इवें सद्दे रूवे जाव विहरइ।४९ तस्सणं पएसिस्सरण्णो जेट्टे पुत्ते सूरियकताए देवीए अत्तए सरियकते नामं कुमारे होत्था सुकमालपाणिपाए जाव पडिरूवे, से णं सूरियकते कुमारे जुवराया यावि होत्था, पएसिस्स रन्नो रजं च टुं च बलं च वाहणं च कोसं च कोद्रागारं च परं च अंतेउर च जणवयं च सयमेव पच्छ्वेक्खमाणे विहरइ ।५० । तस्स णं पएसिस्स रन्नो जेठू भाउयवयंसए चित्ते णाम सारही होत्था अढे जाव बहजणस्स अपरिभए सामदंडभेयउवप्पयाणअत्थसत्थईहामइविसारए उप्पत्तियाए वेणइयाए कम्मयाए पारिणामियाए चउव्विहाए बुद्धीए उववेए पएसिस्स रण्णो बहस कज्जेस ॐ यकारणेसु य कुडंवेसुयमंतेसुय गुज्झेसुय रहस्सेसुय ववहारेसुय निच्छएसुय आपुच्छणिज्जे मेढी पमाणं आहारे आलंबणं चक्खू मेढिभूए पमाणभूए आहारभए आलंबणभूण सव्वट्ठाणसव्वभूमियासुलद्धपच्चएविदिण्णविचारे रज्जधुराचिंतए आवि होत्था ।५१॥ तेणं कालेणं० कुणाला नाम जणवए होत्था रिद्धस्थिमियसमिद्धे o 5555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ८२७555555555555555555 5 ENEEnrow 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐乐2O Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ OF S5万历步步步步步步步步步步步明 (१३) रायपसेणियं [(२) उवंगसुत्तं] [२४] 5555555555520 5555555555Y AGRO545555555555555555555 $$$$乐明明乐乐乐乐听听听听听听听听听乐乐听听听听听听听听听听听听听 तत्थ णं कुणालाए जणवए सावत्थी नाम नयरी होत्था रिद्धत्थिमियसमिद्धा जाव पडिरूवा, तीसे णं सावत्थी र णगरीए बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए कोट्टए नामं म चेइए होत्था पोराणे जाव पासादीए, तत्थ णं सावत्थीए नयरीए पएसिस्स रन्नो अंतेवासी जियसत्तू नाम राया होत्था महयाहिमवंत जाव विहरइ, तए णं से पएसी राया अन्नया कयाई महत्थं महग्धं महरिहं विउलं राययारिहं पाहुडं सज्जावेइत्ता चित्तं सारहिं सद्दावेइत्ता एवं व०- गच्छ णं चित्ता ! तुम सावत्थिं नगरि जियसत्तुस्स रण्णो इमं महत्थं जाव पाहुडं उवणेहि जाई तत्थ रायकज्जाणि रायकिच्चाणि य रायनीतीओ य रायववहारा य ताइं जियसत्तुणा सद्धिं सयमेव पच्चुवेक्खमाणे विहरात्तिकट्ट विसज्जिए, तए णं से चित्ते सारही पएसिणा रण्णा एवं वुत्ते समाणे हट्ठ जाव पडिसुणेति तं महत्थं जाव पाहुडं गेण्हइ पएसिस्स रण्णो जाव पडिणिक्खमइत्ता सेयवियं नगरि मज्झमज्झेणं जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छति त्ता तं महत्थं जाव पाहुडं ठवेइ कोडं बयपुरिसे सद्दावेइ त्ता एवं व०- खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! सच्छत्तं जाव चाउग्घंटं आसरहं जुत्तामेव उवट्टवेह जाव पच्चप्पिणह,तए णं ते कोडुंबियपुरिसा तहेव पडिसुणित्ता खिप्पामेव सच्छत्तं जाव जुद्धसज्जं चाउग्घंटं आसरहं जुत्तामेव उवट्ठवेन्ति तमाणत्तियं पच्चप्पिणंति, तए णं से चित्ते सारही कोडुबियपुरिसाणं अंतिए एयमझे जाव हियए ण्हाए कयबलिकम्मे कयकोउयमंगलपायच्छित्ते सन्नद्धबद्धवम्मियकवए उप्पीलियसरासणपट्टिए पिणिद्धगेविज्जे बद्धआविद्धविमलवरचिंधपट्टे गहियाउहपहरणे तं महत्थं जाव पाहुडं गेण्हइ त्ता जेणेव चाउघंटे आसरहे तेणेव उवागच्छइ त्ता चाउग्धंट आसएं दुरूहेति बहूहिं पुरिसेहिं सन्नद्ध जाव गहियाउहपहरणेहिं सद्धिं संपरिवुडे सकोरिटमल्लदामेणं छत्तेणं धरेज्जमाणेणं महया भडचडगररहपहकरविंदपरिक्खित्ते साओ गिहाओ णिग्गच्छइ सेयवियं नगरिं मज्झंमज्झेणं णिग्गच्छइ त्ता सुहेहिं वासेहिं पायरासेहिं नाइविकिट्ठेहिं अंतरा वासेहिं वसमाणे केइयअद्धस्स जणवयस्स मज्झमज्झेणं जेणेव कुणालाजणवए जेणेव सावत्थी नयरी तेणेव उवागच्छति त्ता सावत्थीए नयरीए मज्झंमज्झेणं अणुपविसइ जेणेव जियसत्तुस्स रण्णो गिहे जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छइत्ता तुरए निगिण्हइत्ता रहं ठवेति त्ता रहाओ पच्चोरुहइ तं महत्थं जाव पाहुडं गिण्हइ त्ता जेणेव अभितरिया उवट्टाणसाला जेणेव जियसत्तू राया तेणेव उवागच्छइ त्ता जियसत्तुं रायं करयलपरिग्गहियं जाव कट्ट जएणं विजएणं वद्धावेइ त्ता तं महत्थं जाव पाहुडं उवणेइ, तए णं से जियसत्तू राया चित्तस्स सारहिस्सतं महत्थं जाव पाहुडं पडिच्छइत्ता चित्तं साराहिं सक्कारेइ सम्माणेति त्ता पडिविसज्जेइ ई रायमग्गमोगाढं च से आवासं दलयइ, तए णं से चित्ते सारही विसज्जिते समाणे जियसत्तुस्स रन्नो अंतियाओ पडिनिक्खमइ त्ता जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला जेणेव चाउग्घंटे आसरहे तेणेव उवागच्छइत्ता चाउग्घंट आसरहं दुरूहइ सावत्यिं नगरि मज्झमज्झेणं जेणेव रायमग्गमोगाढे आवासे तेणेव उवागच्छइ त्ता तुरए निगिहणइ त्ता रहं ठवेइ ता रहाओ पच्चोरुहइ, पहाए कयबलिकम्मे कयकोउयमंगलपायच्छित्ते सुद्धप्पावेसाई मंगल्लाई वत्थाई पवरपरिहिते अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरे जिमियभुत्तुत्तरागएऽविय णं समाणे पुव्वावरण्हकालसमयंसि गंधव्वेहि यणाडगेहि य उवनच्चिज्जमाणे उवगाइज्जमणे उवलालिज्जमाणे इढे सद्दफरिसरसरूवगंधे पंचविहे माणुस्सए कामभोए पच्चणुभवमाणे विहरइ ।५२ । तेणं कालेणं० पासावच्चिज्जे केसी नाम कुमारसमणे जातिसंपण्णे कुलसंपण्णे बलसपण्णे रूवसंपण्णे विणयसंपण्णे सणसंपन्ने चरित्तसंपण्णे लज्जासंपण्णे लाघवसंपण्णे ओयंसी तेयंसी वच्चंसी जियकोहे जियमाणे जियमाए जियलोहे जियणिद्दे जितिदिए जियपरीसहे जीवियासमरणभयविप्पमुक्के वयप्पहाणे गुणप्पहाणे करणप्पहाणे चरणप्पहाणे निग्गहपहाणे अज्जवप्पहाणे भद्दवप्पहाणि लाघवप्पहाणे म खंतिप्पहाणे मुत्तिप्पहाणे विज्जप्पहाणे मंतप्पहाणे बंभप्पहाणे नयप्पहाणे नियमप्पहाणे सच्चप्पहाणे सोयप्पहाणे नाणप्पहाणे दंसणप्पहाणे चरित्तप्पहाणे चउदसपुव्वी चउणाणोवगए पंचहि अणगारसएहिं सद्धिं संपरिवुडे पुव्वाणुपुव्विं चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे सुहंसुहेणं विहरमाणे जेणेव सावत्थी नयरी जेणेव कोट्ठए चेइए तेणेव उवागच्छइ त्ता सावत्थीए नयरीए बहिया कोट्ठए चेइए अहापडिरूवं उग्गहं उग्गिण्हइ त्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ ।५३। तए णं सावत्थीए नयरीए सिंघाडगतियचउक्कचच्चरचउम्मुहमहापहपहेसु महया जणसद्देइ वा जणवूहेइ वा जणकलकलेइ वा जणबोलेइ वा जणउम्मीइ वा जणउक्कलियाइ वा २ जणसन्निवाएइ वा जाव परिसा पज्जुवासइ, तए णं तस्स चित्तस्स सारहिस्स तं महाजणसदं च जणकलकलं च सुणेत्ता य पासेत्ता य इमेयारूवे अज्झत्थिए जाव MOO #5555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ८२८ 5555555555555FFFFFFFFFFFFFFSPOK Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१३) रायपसेणियं [ (२) उवंगसुतं ] [२५] समुप्पज्जित्था किणं खलु अज्ज सावत्थीए णयरीए इंदमहेइ वा खंदमहेइ वा रुद्दमहेइ वा मउंदमहेइ वा नागमहेइ वा भूयमहेइ जक्खमहेइ वा थूभमहेइ वा चेइयमहे रुक्खमइया वा गिरिमहेइ दरिमहेइ वा अगडमहेइ वा नईमहेइ वा सरमहेइ वा सागरमहेइ वा जं णं इमे बहवे उग्गा भोगा राइन्ना इक्खागा खत्तिया णाया कोरव्वा जाव इब्भा इब्भपुत्ता हाया कयबलिकम्मा जहोववाइए जाव अप्पेगतिया हयगया जाव अप्पे० गयगया अप्पे० पायचारविहारेणं महया वंदावंदएहिं निग्गच्छंति, एवं संपेहेइ त्ता कंचुइज्जपुरिसं सद्दावेइ त्ता एवं व०- किण्णं देवाणुप्पिया ! अज्ज सावत्थीए नगरीए इंदमहेइ वा जाव सागरमहेइ वा जेणं इमे बहवे उग्गा भोगा० णिग्गच्छंति?, तए णं से कंचुइपुरिसे के सिस्स कुमारसमणस्स आगमणगहियविणिच्छए चित्तं सारहिं करयलपरिग्गहियं जाव वद्धावेत्ता एवं व० - णोखलु देवाप्पिया ! अज्ज सावत्थीए णयरीए इंदमहेइ वा जाव सागरमहेइ वा जेणं इमे बहवे जाव विंदाविंदएहिं निग्गच्छंति, एवं खलु भो देवाणुप्पिया ! पासावच्चिज्जे केसीनामं कुमारसमणे जाइसम्पन्ने जाव दूइज्जमाणे इहमागए जाव विहरइ तेणं अज्ज सावत्थीए नयरीए बहवे उग्गा जाव इब्भा इब्भपुत्ता अप्पेगतिया वंदणवत्तियाए जाव महया वंदावंदएहिं णिग्गच्छंति, तए णं से चित्ते सारही कंचुइपुरिसस्स अंतिए एयमट्ठे सोच्चा निसम्म हट्ठतुट्ठजावहियए कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ त्ता एवं व०खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! चाउग्घंटं आसरहं जुत्तामेव उवट्टवेह जाव सच्छत्तं उवट्ठवेति, तए णं से चित्ते सारही पहाए कयबलिकम्मे कयकोउयमंगलपायच्छित्ते सुद्धप्पावेसाइं मंगल्लाइं वत्थाइं पवरपरिहिते अप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरे जेणेव चाउग्घंटे आसरहे तेणेव उवागच्छइ त्ता चाउग्घंटं आसरहं दुरूहइ त्ता सकोरेंटमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं महया भडचडगरविंदपरिक्खित्ते सावत्थीनगरीए मज्झंमज्झेणं निग्गच्छइ त्ता जेणेव कोट्ठए चेइए जेणेव केसीकुमारसमणे तेणेव उवागच्छइ त्ता केसिकुमारसमणस्स अदूरसामंते तुरए णिगिण्हइ रहं ठवेइ त्ता पच्चोरूहति त्ता जेणेव केसीकुमारसमणे तेणेव उवागच्छइ त्ता के सिकुमारसमण तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेइ त्ता वंदइ नमंसइ त्ता णच्चासण्णे णातिदूरे सुस्सूसमाणे णमंसमाणे अभिमुहे पंजलिउडे विणएणं पज्जुवासइ, तए णं से केसीकुमारसमणे चित्तस्स सारहिस्स तीसे य महतिमहालियाए महच्चपरिसाए चाउज्जामं धम्मं परिकहेइ, तं० सव्वाओ पाणाइवायाओ वेरमणं सव्वाओ मुसावायाओ वेरमणं सव्वाओ अदिण्णादाणाओ वेरमणं सव्वाओ बहिदादाणाओ वेरमणं, तए णं सा महतिमहालिया महच्चपरिसा केसिस्स कुमारसमणस्स अंतिए धम्मं सोच्चा निसम्म जामेव दिसिं पाउब्भूया तामेव दिसिं पडिगया, तए णं से चित्ते सारही केसिस्स कुमारसमणस्स अंतिए धम्मं सोच्चा निसम्म हट्ठजावहियए उट्ठाए उट्ठेइ ता केसिं कुमारसमणं तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेइ त्ता वंदइ नमसइ त्ता एवं व० सद्दहामि णं भंते! निग्गंधं पावयणं पत्तियामि णं भंते! निग्गंथं पावयणं रो णं भंते ! निग्गंथं पावयणं अब्भुट्ठेमि णं भंते! निग्गंथं पावयणं एवमेयं भंते! निग्गंथं पावयणं तहमेयं भंते !० अवितहमेयं भंते !० असंदिद्धमेयं० सच्चे णं एस अट्ठे जणं तुब्भे वदहत्तिकट्टु वंदइ नमंसइ त्ता एवं व० जहा णं देवाणुप्पियाणं अंतिए बहवे उग्गा भोगा जाव इब्भा इब्भपुत्ता चिच्चा हिरण्णं चिच्चा सुवण्णं एवं धणं धन्नं बलं वाहणं कोसं कोट्ठागारं पुरं अंतेउरं चिच्चा विउलं धणकणगरयणमणिमोत्तियसंखसिल प्पवालसंतसारसावएज्जं विच्छड्डइत्ता विगोवइत्ता दाणं दाइया परिभाइत्ता मुंडे भवित्ता आगाराओ अणगारियं पव्वयंति णो खलु अहं ता संचाएमि चिच्चा हिरण्णं तं चेव जाव पव्वइत्तए अहण्णं देवाणुप्पियाणं अंतिए पंचाणुव्वइयं सत्तसिक्खावइयं दुवालसविहं गिहिधम्मं पडिवज्जित्तए, अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं करेहि, तए णं से चित्ते सारही केसिकुमारसमणस्स अंतिए जाव पंचाणुव्वतियं जाव गिहिधम्मं उवसंज्जित्ताणं विहरति, तए णं से चित्ते सारही केसिकुमारसमणं वंदइ नमंसइ त्ता जेणेव चाउग्घंटे आसरहे तेणेव पहारेत्थ गमणाए चाउघंटं आसरहं दुरूहइ त्ता जामेव दिसिं पाउन्भूए तामेव दिसिं पडिगए ।५४। तए णं से चित्ते सारही समणोवासए जाए अहिगयजीवाजीवे उवलद्धपुण्णपावे आसवसंवरनिज्जरकिरियाहिगरणबंधमोक्खकुसले असहिज्जे देवासुरणागसुवण्णजक्खरक्खसकिन्नरकिंपुरिसगरूलगंधव्वमहोरगाई हिं देवेगणेहिं निम्गंथाओ पावयणाओ अणइक्कमणिज्जे निग्गंथे पावयणे णिस्संकिए णिक्कंखिए णिव्वितिगिच्छे लद्धट्टे गहियट्ठे पुच्छियट्टे विणिच्छियट्ठे अभिगयट्ठ अट्ठिमिंजपेम्माणुरागत्ते अयमाउसो ! निग्गंथे पावयणे अट्ठे अयं परमठ्ठे सेसे अणट्ठे ऊसियफलिहे अवंगुयदुवारे चियत्तंतेउरघरप्पवेसे चाउद्दसमुद्दिट्ठपुण्णमासिणीसु पडिपुण्णं पोसहं सम्म www.jainelibrar GR96666666666 CELELELELELELELELEL फ्र Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ WORO乐乐乐乐乐乐乐听听听听听听听听乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐听听听听听听乐乐乐GO AF9555555555555 (१३) रायपसेणिय [ (२) उवंगसुतं] [२६] अणुपालेमाणे समणे णिग्गंथे फासुएसणिज्जेणं असणपाणखाइमसाइमेणं पीढफलगसेज्जासंथारेणं वत्थपडिग्गहकंबलपायपुंछणेणं ओसहभेसज्जेणं य पडिलाभेमाणे २ बहूहिं सीलव्वयगुणवेरमणपच्चक्खाणपोसहोववासेहि य अप्पाणं भावेमाणे जाई तत्थ रायकज्जाणि य जाव रायववहाराणि य ताई जियसत्तुणा रण्णा सद्धिं सयमेव पच्चुवेक्खमाणे २ विहरइ।५५। तएणं से जियसत्तू राया अण्णया कयाई महत्थठ जाव पाहुडं सज्जेइ त्ता चित्तं सारहिं सद्दावेइ त्ता एवं व०-गच्छाहिणं तुम चित्ता ! सेयवियं नगरिं पएसिस्स रन्नो इमं महत्थं जाव पाहुडं उवणेहि, मम पाउग्गं च णं जहाभणियं अवितहमसंदिद्धं वयणं विन्नवेहित्तिक? विसज्जिए, तए णं से चित्ते सारही जियसत्तुणा रन्ना विसज्जिए समाणे तं महत्थं जाव गिण्हइ जाव जियसत्तुस्स रण्णो अंतियाओ पडिनिक्खमइ त्ता सावत्थीनगरीए मज्झंमज्झेणं निग्गच्छइत्ताजेणेव रायमग्गमोगाढे आवासे तेणेव उवागच्छति त्तातं महत्थं जाव ठवइण्हाए जाव सरीरे सकोरंट० पायचारविहारेणं महया पुरिसवग्गुरापरिक्खित्ते रायमग्गमोगाढाओ आवासाओ निग्गच्छइ त्ता सावत्थीनगरीए मज्झमज्झेणं निग्गच्छति जेणेव कोट्ठए चेइए जेणेव केसीकुमारसमणे तेणेव उवागच्छति त्ता केसिकुमारसमणस्स अन्तिए धम्म सोच्चा जाव हट्ठ० उठाए जाव एवं व०-एवं खलु अहं भंते ! जियसत्तुणा रन्ना पएसिस्स रन्नो इमं महत्थं जाव उवणेहित्तिकटु विसज्जिए तं गच्छामि णं अहं भंते ! सेयवियं नगरिं, पासादीया णं भंते ! सेयविया णगरी एवं दरिसणिज्जा णं भंते ! सेयविया णगरी अभिरूवा णं भंते ! सेयविया नगरी पडिरूवा णं भंते ! सेतविया नगरी, समोसरह णं भंते ! तुब्भे सेयक्यिं नगरिं, तए णं से केसीकुमारसमणे चित्तेणं सारहिणा एवं वुत्ते समाणे चित्तस्स सारहिस्स एयमढें णो आढाइ णो परिजाणाइ तुसिणीए संचिट्ठइ, तएणं से चित्ते सारही केसीकुमारसमणं दोच्चंपि तच्चंपि एवं व०-एवं खलु अहं भंते ! जियसत्तुणा रन्ना पएसिस्स रण्णो इमं महत्थं जाव विसज्जिए तं चेव जाव समोसरह तं णं भंते ! तुब्भे सेयवियं नगरिं, तए णं केसीकुमारसमणे चित्तेण सारहिणा दोच्चपि तच्वंपि एवं वुत्ते समाणे चित्तं सारहिं एवं व०-चित्ता ! से जहानामए वणसंडे सिया किण्हे किण्होभासे जाव पडिरूवे, से णूणं चित्ता ! से वणसंडे बहूणं दुपयचउप्पयमियपसुपक्खीसरीसिवाणं अभिगमणिज्जे ?, हंता अभिगमणिज्जे, तंसि च णं चित्ता ! वणसंडंसि बहवे भिलुंगा नाम पावसउणा परिवसंति जे णं तेसिं बहूणं दुपयचउप्पयमियपसुपक्खीसरीसिवाण ठियाणं चेव मंससोणियं आहारेति से णूणं चित्ता ! से वणसंडे तेसिंणं बहूणं दुपयजावसरिसिवाणं अभिगमणिज्जे?, णो ति०, कम्हा णं ?, भंते ! सोवसग्गे, एवामेव (१४८) चित्ता ! तुभंपि सेयवियाए णयरीए पएसीनामं राया परिवसइ अहम्मिए जाव णो सम्मं करभरवित्तिं पवत्तइ तं कहं णं अहं चित्ता ! सेयवियाए नगरीए समोसरिस्सामि ?, तए णं से चित्ते सारही केसि कुमारसमणं एवं व०-किंणं भंते ! तुम्भं पएसिणा रन्ना कायव्वं ?, अत्थिणं भंते ! सेयवियाए नगरीए अन्ने बहवे ईसरतलवरजावसत्थवाहपभिइयो जे णं देवाणुप्पियं वंदिस्संति जाव पज्जुवासिस्संति विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं पडिलाभिस्सति पाडिहारिएणं पीढफलगसेज्जासंथारेणं उवनिमंतिस्संति, तए णं से केसीकुमारसमणे चित्तं सारहिं एवं व०-अवियाइ चित्ता ! (प्र० आविस्संति चित्ता!) जाणि (समोसरि प्र०) स्सामो।५६। तए णं से चित्ते सारही केसिकुमारसमणं वंदइ नमसइत्ता केसिस्स कुमारसमणस्स अंतियाओ कोट्ठयाओ चेइयाओ पडिणिक्खमइ त्ता जेणेव सावत्थी णगरी जेणेव रायमग्गमोगाढे आवासे तेणेव उवागच्छइ त्ता कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ त्ता एवं व०-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! चाउग्घंटं आसरहं जुत्तामेव उवट्ठवेह जहा सेयवियाए नयरीए निग्गच्छइ तहेव जाव वसमाणे कुणालाजणवयस्स मज्झमज्झेणं जेणेव केइयअद्धे जणवए जेणेव सेयविया नगरी जेणेव मियवणे उज्जाणे तेणेव उवागच्छइ त्ता उज्जाणपालए सद्दावेइ त्ता एवं व०-जया णं देवाणुप्पिया ! पासावच्चिज्जे केसीनामं कुमारसमणे पुव्वाणुपुव्विं चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे इहमागच्छिज्जा तया णं तुज्झे देवाणुप्पिया ! केसिकुमारसमणं वंदिज्जाह नमंसिज्जाह त्ता अहापडिरूवं उग्गहं अणुजाणेज्जाह पाडिहारिएणं पीढफलग जाव उवनिमंतिज्जाह एयमाणत्तियं खिप्पामेव पच्चप्पिणेज्जाह, तए णं ते उज्जाणपालगा चित्तेणं सारहिणा एवं वुत्ता समाणा हट्ठतुट्ठजावहियया करयलपरिग्गहियं जाव एवं सामी ! तहत्ति आणाए विणएणं वयणं पडिसुणंति ।५७। तएणं चित्ते सारही जेणेव सेयविया णगरी तेणेव उवागच्छइ श्त्ता सेयवियं नगरिं मज्झमज्झेणं अणुपविसइत्ता जेणेव पएसिस्स रण्णो गिहे जेणेव बाहिरिया उवट्ठाणसाला तेणेव उवागच्छइ त्ता तुरए णिगिण्हइ त्ता रहं ठवेइ त्ता Heros55555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा-८३०॥5555555555555555555555FOR Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 7095% %%%%% %%% (१३) रायपसेणियं [ (२) उवंगसुत्तं] [२७] 5555555 95495FFFFOUNOR र रहाओ पच्चोरूहइ त्ता तं महत्थं जाव गेण्हइ त्ता जेणेव पएसी राया तेणेवं उवागच्छइत्ता पएसि रायं करयल जाव वद्धावेत्ता तं महत्थं जाव उवणेइ, तए णं से पएसी राया चित्तस्स सारहिस्सं तं महत्थं जाव पडिच्छइत्ता चित्तं सारहिं सक्कारेइ सम्माणेइत्ता पडिविसज्जेइ, तए णं से चित्ते सारही पएसिणा रण्णा विसज्जिए समाणे हट्ठजावहियए पएसिस्स रन्नो अंतियाओ पडिनिक्खमइत्ता जेणेव चाउग्घंटे आसरहे तेणेव उवागच्छइत्ता चाउग्घंटं आसरहं दुरूहइत्ता सेयवियं नगरी मज्झंमज्झेणं जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छइत्ता तुरए निगण्हइ त्ता रहं ठवेइत्ता रहाओ पच्चोरूहइ ताण्हाए जाव उप्पिं पासायवरगए फुट्टमाणेहिं मुइंगमत्थएहिं बत्तीसइबद्धएहिं नाडएहिं वरतरूणीसंपउत्तेहिं उवणच्चिज्जमाणे उवगाइज्जमाणे उवलालिज्जमाणे इ8 सद्दफरिसजाव विहरइ।५८। तएणं केसीकुमारसमणे अण्णया कयाई पाडिहारियं पीढफलगसेज्जासंथारगं पच्चप्पिणइ त्ता सावत्थीओ नगरीओ कोट्ठगाओ चेइयाओ पडिनिक्खमइ ता पंचहि अणगारसएहिं जाव विहरमाणे जेणेव केयइअद्धे जणवए जेणेव सेयविया नगरी जेणेव मियवणे उज्जाणे तेणेव उवागच्छइत्ता अहापडिरूवं उग्गहं उग्गिण्हित्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरति, तए णं सेयवियाए नगरीए सिंघाडग० महया जणसहेइ वा० परिसा णिग्गच्छइ, तए णं ते उज्जाणपालगा इमीसे कहाए लद्धट्ठा समाणा हट्ठतुट्ठजावहियया जेणेव केसीकुमारसमणे तेणेव उवागच्छन्ति त्ता केसिं कुमारसमणं वंदंति नमसंति त्ता अहापडिरूवं उग्गह अणुजाणंति पाडिहारिएणं जाव संथारएणं उवनिमंतंति णामगोयं पुच्छंति त्ता ओधारेति त्ता एगंतं अवक्कमंति अन्नमन्नं एवं व०-जस्स णं देवाणुप्पिया ! चित्ते सारही दंसणं कंखइ दंसणं पत्थेइ दंसणं पीहेइ दंसणं अभिलसइ जस्स णं णामगोयस्सवि सवणयाए हट्ठतुट्ठजावहियए भवति से णं केसीकुमारसमणे पुव्वाणपुब्विं चरमाणे गामाणुगामं दूइज्जमाणे इहमागए इह संपत्ते इह समोसढे इहेव सेयवियाए णगरीए बहिया मियवणे उज्जाणे अहापडिरूवं जाव विहरइ, तं गच्छामो णं देवाणुप्पिया ! चित्तस्स सारहिस्स एयमटुं पियं निवेएमो पियं से भवउ, अण्णमण्णस्स अंतिए एयमद्वं पडिसुणेति त्ता जेणेव सेयविया णगरी जेणेव चित्तस्स सारहिस्स गिहे जेणेव चित्ते सारही तेणेव उवागच्छंति त्ता चित्तं सारहिं करयल जाव वद्धावेति त्ता एवं व०-जस्स णं देवाणुप्पिया दंसणं कंखंति जाव अभिलसंति जस्सणं णामगोयस्सवि सवणयाए हट्ठजाव भवह सेणं अयं पासावच्चिज्जे केसी नाम कुमारसमणे पुव्वाणुपुव्विं चरमाणे० समोसढे जाव विहरइ, तए णं से चित्ते सारही तेसि उज्जाणपालगाणं अंतिए एयमट्ट सोच्चा णिसम्म हट्टतुट्ठ जाव (प्र० नरवरे) आसराओ अब्भुटुंति पायपीढाओ पच्चोरूहइत्ता पाउआओ ओमुयइत्ता एगसाडियं उत्तरासंगं करेइ अंजलिमउलियग्गहत्थे केसिकुमारसमणाभिमुहे सत्तट्ठ पयाइं अणुगच्छइत्ता करयलपरिग्गहियं० सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कटु एवं व०-नमोऽत्थु णं अरहताणं जाव संपत्ताणं, नमोऽत्थु णं केसिस्स कुमारसमणस्स मम धम्मायरियस्स धम्मोवदेसगस्स, वंदामि णं भगवंतं तत्थगयं इहगए पासउ मे भगवं तत्थगए इडगयंतिकटु वंदइ नमसइ ते उज्जाणपालए विउलेणं वत्थगंधमल्लालंकारेणं सक्कारेइ सम्माणेइ विउलं जीवियारिहं पीइदाणं दलयइत्ता पडिविसज्जइत्ता कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइत्ता एवं व०-खिप्पामेव भो! देवाणुप्पिया चाउग्घंटं आसरह जुत्तामेव उवट्ठवेह जाव पच्चप्पिणह, तएणं ते कोकुंबियपुरिसा जाव खिप्पामेव सच्छत्तं सज्झयं जाव उवट्ठवित्ता तमाणत्तियं पच्चप्पिणंति, तएणं से चित्ते सारही कोडुंबियपुरिसाणं अंतिए एयमहूँ सोच्चा निसम्म हठ्ठतुट्ठजावहियए ण्हाए कयबलिकम्मे जाव सरीरे जेणेव चाउग्घंटे जाव दुरूहित्ता सकोरंट० महया भडचडगरेणं तं चेव जाव पज्जुवासइ धम्मकहाइ जाव ।५९/ तए णं चित्ते सारही केसिस्स कुमारसमणस्स अंतिए धम्म सोच्चा निसम्म हट्ठतुढे उट्ठाए तहेव एवं व०एवं खलु भंते ! अम्हं पएसी राया अधम्मिए जाव सयस्सविय णं जणवयस्सनो सम्मं करभरवित्तिं पवत्तेइ तं जइणं देवाणुप्पिया ! पएसिस्स रण्णो धम्ममाइक्ज्ज्जा बहुगुणतरं खलु होज्जा पएसिस्स रण्णो तेसिं च बहूणं दुपयचउप्पयमियपसुपक्खीसरीसवाणं तेसिं च बहूणं समणमाहणभिक्खुयाणं तं जइ णं देवाणुप्पिया ! पएसिस्स० बहुगुणतरं होज्जा सयस्सविय णं जणवयस्स।६०। तए णं केसीकुमारसमणे चित्तं सारहिं एवं व-एवं खलु चउहि ठाणेहिं चित्ता ! जीवा केवलिपन्नत्तं + धम्मं नो लभेज्जा सवणयाए, तं०-आरामगयं वा उज्जाणगयं वा समणं माहणं वा णो अभिगच्छइ णो वंदइ णो णमंसइ णो सक्कारेइ णो सम्मणेइ णो कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासेइ नो अट्ठाई हेऊइं पसिणाइं कारणाई वागरणाइं पुच्छइ, एएणं ठाणेणं चित्ता ! जीवा केवलिपन्नत्तं धम्मं नो लभंति सवणयाए, उवस्सयगयं reOFF555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ८३१ 5555555555555 5 5FOR 55555555555555 FFFFFFFFREE开开新开五开开天开去开开开五五开明明明明明明明明明明明明明明明明乐 $F$$ 中华听听听听听听听 Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१३) रायपसेणियं ( (२) उवगसुत्त ] [२८] फफफफफफफफ समणं वा तं चैव जाव एतेणवि ठाणेणं चित्ता ! जीवा केवलिपन्नत्तं धम्मं नो लभन्ति सवणयाए, गोयरग्गयं समणं वा माहणं वा जाव नो पज्जुवासइ णो विउलेणं असणपाणखाइमसाइमेणं पडिलाइ णो अट्ठाई जाव पुच्छइ एएणं ठाणेणं चित्ता ! केवलिपन्नत्तं० नो लभइ सवणयाए, जत्थवि णं समणेण वा माहणेण वा सद्धिं अभिसमागच्छइ तत्थवि णं हत्थेणं वा वत्थेण वा छत्तेणं वा अप्पाणं आवरित्ता चिट्ठइ नो अट्ठाई जाव पुच्छइ एएणवि ठाणेणं चित्ता ! जीवे केवलिपन्नत्तं धम्मं णो लभइ सवणयाए, एएहिं च णं चित्ता ! चउहिं ठाणेहिं जीवे णो लभइ केवलिपन्नत्तं धम्मं सवणयाए, चउहिं ठाणेहिं चित्ता ! जाव केवलिपन्नत्तं धम्मं लभइ सवणयाए, - आरामयं वा उज्जाणगयं वा समणं वा माहणं वा वंदइ नमंसइ जाव पज्जुवासइ अट्ठाई जाव पुच्छइ एएणवि जाव लभइ सवणयाए, एवं उवस्सयगयं गोयरग्गगयं समणं वा जाव पज्जुवासह विउलेणं जाव पडिलाभेइ अट्ठाई जाव पुच्छइ एएणवि०, जत्थविंय समणेण वा माहणेण वा अभिसमागच्छइ तत्थविय णं णो हत्थेण वा जाव आवरेत्ताणं चिट्ठइ, एएणवि ठाणेणं चित्ता ! जाव केवलिपन्नत्तं धम्मं लभइ सवणयाए, तुज्झं चणं चित्ता ! पएसी राया आरामगयं वा तं चैव सव्वं भाणियव्वं आइल्लएणं गमएणं जाव अप्पाणं आवरेत्ता चिट्ठइ तं कहं णं चित्ता ! पएसिस्स रन्नो धम्ममाइक्खिस्सामो ?, तए णं से चित्ते सारही केसिकुमारसमणं एवं व० एवं खलु भंते! अण्णया कयाई कंबोएहिं चत्तारि आसा उवणयं उवणीया ते मए पएसिस्स रण्णो अन्नया चेव उवणीया तं एएणं खलु भंते! कारणेणं अहं पएसिं रायं देवाप्पा अंति हव्वमाणेस्सामि तं मा णं देवाणुप्पिया ! तुब्भे पएसिस्स रन्नो धम्ममाइक्खमाणा गिलाएज्जाह अगिलाए णं भंते । तुब्भे पएसिस्स रण्णो धम्माक्खेज्जाह छंदेणं भंते! तुब्भे पएसिस्स रण्णो धम्ममाइक्खेज्नाह, तए णं से केसीकुमारसमणे चित्तं सारहिं एवं व० अवियाइं चित्ता जाणिस्सामो, तए णं से चित्ते सारही केसिं कुमारसमणं वंदइ नमंसइ त्ता जेणेव चाउग्घंटे आसरहे तेणेव उवागच्छइ त्ता चाउग्घंटं आसरहं दुरूहइ जामेव दिसिं पाउब्भूए तामेव दिसिं पडिगए ।६ १। तए णं से चित्ते सारही कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए फुल्लुप्पलकमलकोमलुम्मिलियंमि अहापंडुरे पभाए कय नियमावस्सए सहस्सारस्सिमि दिणयरे तेयसा जलंते साओ गिहाओ णिग्गच्छइ त्ता जेणेव पएसिस्स रन्नो गिहे जेणेव पएसी राया तेणेव उवागच्छइ त्ता पएसिं रायं करयल जाव तिकट्टु जएणं विजएणं वद्भावेइ त्ता एवं व०-एवं खलु देवाणुप्पियाणं कंबोएहिं चत्तारि आसा उवणयं उवणीया ते य मए देवाणुप्पियाणं अण्णंया चेव विणइया तं एह णं सामी ! ते आसे चिट्ठ पासह, तरणं से पएसी राया चित्तं सारहिं एवं व० - गच्छाहि णं तुमं चित्ता ! तेहिं चेव चउहिं आसेहिं चाउग्घंटं आसरहं जुत्तामेव उवट्टवेहि त्ता जाव पच्चप्पिणाहिं, तणं से चित्ते सारही पएसिणा रन्ना एवं वुत्ते समाणे हट्टतुट्ठजावहियए उवट्ठवेइ त्ता एयमाणत्तियं पच्चप्पिणइ, तए णं से पएसी राया चित्तस्स सारहिस्स अंतिए सच्चा णिसम्म हट्ठतुट्ठजावअप्पमहग्घाभरणालंकियसरीरे साओ गिहाओ निग्गच्छइ त्ता जेणामेव चाउग्घंटे आसरहे तेणेव उवागच्छइ चाउग्घंटं आसरहं दुरूहइ त्ता सेयवियाए नगरीए मज्झंमज्झेणं णिग्गच्छइ, तए णं से चित्ते सारही तं रहं णेगाई जोयणाई उब्भामेइ, तए णं से पएसी राया उण्हेण य तण्हाए य रहवाएणं परिकिलंते समाणे चित्तं सारहिं एवं व०-चित्ता ! परिकिलंते मे सरीरे परावत्तेहिं रहं, तए णं से चित्ते सारही रहं परावत्तेइ जेणेव मियवणे उज्जाणे तेणेव उवागच्छइ एसिं राय एवं व० एस णं सामी ! मियवणे उज्जाणे एत्थ णं आसाणं समं किलामं सम्मं पवीणेमो, तए णं से पएसी राया चित्तं सारहिं एवं व० एवं होउ चित्ता !, तए णं से चित्ते सारही जेणेव मियवणे उज्जाणे जेणेव केसिस्स कुमारसमणस्स अदूरसामंते तेणेव उवागच्छइ त्ता तुरए णिगिण्हेइ त्ता रहं ठवेइ त्ता रहाओ पच्चोरूहइ ता तुर मोति तापसं यं एवं व० एह णं सामी ! आसाणं समं किलामं पवीणेमो, तए णं से पएसी राया रहाओ पच्चोरूहइ चित्तेणं सारहिणा सद्धि आसाणं समं किलामं सम्मं पवीणेमाणे पासइ तत्थ केसीकुमारसमणं, महइमहालियाए महच्चपरिसाइ मज्झगयं महया २ सद्देणं धम्ममाइक्खमाणं पासइ त्ता इमेयारूवे अज्झत्थिए जव समुपज्जत्था जड्डा खलु भो ! जड्डं पज्जुवासंति मुंडा खलु भो ! मुंडं पज्जुवासंति मूढा खलु भो ! मूढं पज्जुवासंति अपंडिया खलु भो ! अपंडियं पज्जुवासंति निव्विण्णाण्णा खलु भो ! निव्विण्णाणं पज्जुवासंति से केस णं एस पुरिसे जड्डे मुंडे मूढे अपंडिए निव्विण्णाणे सिरीए हिरीए ववगए उत्तप्पसरीरे, एस णं पुरिसे किमाहारमाहारेइ किं परिमाणे किं खाइ किं पियइ किं दलइ किं पयच्छइ जण्णं एमहालियाए मणुस्सपरिसाए मज्झगए महया २ सद्देणं बुयाए ?, एवं संपेहेइ त्ता श्री आगमगुणमंजूषा - ८३२ ঞএএএএ. फ्र XOXO Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ CIC乐乐乐乐乐乐乐乐乐$$乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐乐乐步明明明明明明明明格 SORS555555555555555明 (१३) रायपसेणियं [(२) उवंगसुत्तं] [२९] 1555555555555555sexOR चित्तं सारहिं एवं व०-चित्ता ! जड्डा खलु भो ! जड्ड पज्जुवासंति जाव बुयाइ, साएऽवियणं उज्जाणभूमीए नो संचाएमि सम्मं पकामं पवियरित्तए?, तए णं से चित्ते सारही पएसीरायं एवं व०-एस णं सामी ! पासावच्चिज्जे केसीनामं कुमारसमणे जाइसंपण्णे जाव चउनाणोवगए अहोहिए अण्णजीवी, तए णं से पएसी राया चित्तं सारहिं एवं व०-अहोहियं णं वदासि चित्ता ! अण्णजीवियत्तं णं वदासि चित्ता!, हंता सामी ! आहोहिअण्णं वयामि०, अभिगमणिज्जे णं चित्ता ! अहं एस पुरिसे?, हंता सामी ! अभिगमणिज्जे, अभिगच्छामो णं चित्ता ! अम्हे एयं पुरिसं ?, हंता सामी ! अभिगच्छामो ।६। तए णं से पएसी राया चित्तेण सारहिणा सद्धि जेणेव ॥ केसीकुमारसमणे तेणेव उवागच्छइत्ता केसिस्स कुमारसमणस्स अदूरसामंते ठिच्चा एवं व०-तुब्भे णं भंते ! आहोहिया अण्णजीविया ?, तए णं केसीकुमारसमणे पएसिं रायं एवं व०-पएसी ! से जहाणामए अंकवाणियाइ वा संखवाणियाइ वा दंतवाणियाइ वा सुकं भंसि (प्र० जि) उकामा णो सम्मं पंथं पुच्छंति एवामेव पएसी! तुब्भेवि विणयं भंसेउकामो नो सम्म पुच्छसि, से गूणं तव पएसी! ममं पासित्ता अयमेयारूवे अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था-जड्डा खलु भो! जड्डं पज्जुवासंति * जाव पवियरित्तए, सेणूणं पएसी! अढे समत्थे?, हंता अत्थि।६३। तए णं से पएसी राया केसिं कुमारसमणं एवं व०-से केणतुणं भंते! तुज्झं नाणे वा दंसणे वा जेणं तुज्झे मम एयारूवं अज्झत्थियं जाव संकप्पं समुप्पण्णं जाणह पासह ?, तए णं से केसीकुमारसमणे पएसिं रायं एवं व०-एवं खलु पएसी अम्हं समणाणं निग्गंथाणं पंचविहे नाणे पं० तं०-आभिणिबोहियणाणे सुयनाणे ओहिणाणे मणपज्जवण्णाणे केवलणाणे, से किं तं आभिणिबोहियनाणे?,२ चउम्विहे पं० तं०-उग्गहो ईहा अवाए धारणा, से किं तं उम्गहे ?, २ दुविहे पं०, जहा नंदीए जाव से तं धारणा, सेतं आभिणिबोहियणाणे, से किं तं सुयनाणे?, २ दुविहे पं० तं०-अंगपविटुं च अंगबाहिरं च, सव्वं भाणियव्वं जाव दिट्ठिवाओ, ओहियणाणं भवपच्चइयं च खओवसमियं च जहा णंदीए, मणपज्जवनाणे दुविहे पं० सं०-उज्जुमई य विउलमई य तहेव, केवलनाणं सव्वं भाणियव्वं, तत्थ णं ते से आभिणिबोहियनाणे से णं ममं अत्थि, तत्थ णं जे से सुयणाणे सेऽविय ममं अत्थि, तत्थ णं जे से ओहियणाणे सेऽविय ममं अत्थि, तत्थ णं जे से मणपज्जवनाणे सेऽविय ममं अत्थि, तत्थ णं जे से केवलनाणे से णं ममं नत्थि, से णं अरिहंताणं भगवंताणं, इच्चेएणं पएसी ! अहं तव चउविहेणं छउमत्थेणं णाणेणं इमेयारूवं अज्झत्थियं जाव समुप्पण्णं जाणामि पासामि।६४। तएणं से पएसी राया केसि कुमारसमणं एवं व०-अहं णं भंते ! इहं उवविसामि ?, पएसी ! एसाए उज्जाणभूमीए तुमंसि चेव जाणए, तए णं से पएसी राया चित्तेणं सारहिणा सद्धिं केसिस्स कुमारसमणस्स अदूरसामंते उवविसइ, केसिकुमारसमणं एवं व०-तुभ णं भंते ! समणाणं णिग्गंथाणं एसा सण्णा एसा पइण्णा एसा दिट्ठी एसा रूई एस उवएसे एस हेऊ एस संकप्पे एसा तुला एस माणे एस पमाणे एस समोसरणे जहा अण्णो जीवो अण्णं सरीरंणोतंजीवो णोतंसरीरं?, तएणं केसी कुभारसमणे पएसिंरायं एवं व०-पएसी! अम्हं समणाणं णिग्गंथाणं एसा सण्णाजाव एस समोसरणे जहा अण्णोजीवो अण्णं सरीरंणो तंजीवो नो तंसरीरं, तएणं से पएसी राया केसिंकुमारसमणं एवं व०- जतिणं भंते ! तुब्भं समणाणं णिग्गंथाणं एसा सण्णा जाव समोसरणे जहा अण्णो जीवो अण्णं सरीरं णो तंजीवो णो तंसरीरं, एवं खलु ममं अज्जए होत्था इहेव जंबूदीवे सेयवियाए णगरीएम अधम्मिए जाव सगस्सविय णं जणवयस्स नो सम्मं करभरवित्तिं पवत्तेति से णं तुभं वत्तव्वयाए सुबहु पावं कम्मं कलिकलुसं समज्जिणित्ता कालमासे कालं किच्चा अण्णयरेसु नरएसुणेरइयत्ताए उववण्णे तस्सणं अज्जगस्सणं अहंणत्तुए होत्था इढे कंते पिए मणुण्णे थेज्जे वेसासिए संमए बहुमए रयणकरंडसमाणे जीविउस्सविए हिययणंदिजणणे उंबरपुप्फंपिव दुल्लभे सवणयाए, किमंग पुण पासणवयाए ?, तं जति णं से अज्जए ममं आगतुं एवं वएज्जा-एवं खलु नत्तुया ! अहं तव अज्जए होत्था इहेव सेयवियाए नयरीए अधम्मिए जाव नो सम्मं करभरवित्तिं पवत्तेमि तए णं अहं सुबहुं पावं कम्मं कलिकलुसं समज्जिणित्ता नरएसुणेरइयत्ताए उववण्णे तं मा णं नत्तुया ! तुमंपि भवाहि अधम्मिए जाव नो सम्मं करभरवितिं पवत्तेहिं मा णं तुमंपि एवं चेव सुबहुं पावकम्मं जाव उववज्जिहिसि, तं जइ णं से अज्जए ममं आगंतुं 'वएज्जा तोणं अहं सद्दहेज्जा पत्तिएज्जा रोएज्जा जहा अन्नो जीवो अन्नं सरीरं णो तंजीवो णोतंसरीरं, जम्हा णं से अज्जए ममं आगंतुंनो एवं वयासी तम्हा सुपइट्ठिया म १ मम पइन्ना० समणाउसो ! जहा तज्जीवो तंसरीरं, तए णं केसी कुमारसमणे पएसि रायं एवं व०-अस्थि णं पएसी ! तव सूरियकंता णामं देवी ?, हंता अत्थि, जइ णं MOHTOFhfish5555555544955555555 श्री आगमगुणमंजूला ८३३8599999999 E RONG $明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听CN Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१३) रायपसेणियं [ (२) उवंगसुतं ] तुमं एसी ! तं सूरियतं देवि ण्हायं कयबलिकम्मं कयकोउयमंगलपायच्छित्तं सव्वालंकारविभूसियं केणई पुरिसेणं ण्हाएणं जाव सव्वालंकारविभूसिएणं सद्धिं इट्टे सद्दफरिसरसरूवगंधे पंचविहे माणुस्सते कामभोगे पच्चणुभवमाणि पासिज्जसि तस्स णं तुमं पएसी ! पुरिसस्स कं डंडं निव्वत्तेज्जासि ?, अहण्णं भंते! तं पुरिसं हत्थच्छिण्णगं वा पायच्छिन्नगं वा सूलाइयगं वा सूलभिन्नगं वा एगाहच्चं कूडाहच्चं जीवियाओ ववरोवएज्जा, अह णं पएसी ! से पुरिसे तुमं एवं व० मा ताव मे सामी ! मुहुत्तगंहत्थच्छिण्णगं वा जाव जीवियाओ ववरोवेहि जावतावाहं मित्तणाइणियगसयणसंबंधिपरिजणं एवं वयामि एवं खलु देवाणुप्पिया ! पावाई कम्माई समायरेत्ता इमेयारूवं आवई पाविज्जामि तं माणं देवाणुप्पिया ! तुब्भेहिं केई पावाइं कम्माई समायरउ मा णं सेऽवि एवं आवई पाविज्जिहिइ जहा णं अहं, तस्स णं तुमं पएसी ! पुरिसस्स खणमवि एयमट्टं पडिसुणेज्जासि ?, णो तिणट्टे समट्ठे, जम्हा णं भंते! अवराही णं से पुरिसे, एवामेव पएसी ! तववि अज्जए होत्था इहेव सेयवियाए णयरीए अधम्मिएव सम्मं करभरवित्तिं पवत्तेइ से णं अम्ह वत्तव्वयाए सुबहुं जाव उववन्नो तस्स णं अज्जगस्स तुमं णत्तुए होत्था इट्ठे कंते जाव पासणयाए, से णं इच्छइ माणुसं लोगं हव्वमागच्छित्तए णो चेव णं संचाएति हव्वमागच्छित्तए, चउहिं ठाणेहिं पएसी ! अहुणोववण्णए नरएस नेरइए इच्छेज्ज माणुसं लोगं हव्वमागच्छित्तए नो चेवणं संचाएइ, अहुणोववन्ने नरएसु नेरइए से णं तत्थ सुमहब्भूयं वेयणं वेदेमाणे माणुस्सं लोगं हव्व० णो चेव णं संचाएइ, अहुणोववन्नए नरएसु नेरइए नरयपालेहिं भुज्ज समहिट्ठिज्नमाणे इच्छइ माणुसं लोगं हव्वमागच्छित्तए नो चेव णं संचाएइ, अहुणोववन्नए नरएसु नेरइए निरयवेयणिज्जंसि कम्मंसि अक्खीणंसि अवेइयंसि अनिज्जिन्नंसि इच्छइ माणुसं लोगं० नो चेव णं संचाएइ, एवं णेरइए निरयाउयंसि कम्मंसि अक्खीणंसि अवेइयंसि अणिज्जिन्नंसि इच्छइ माणुसं लोगं० नो चेव णं संचाएड़ हव्वमागच्छित्तए, , इच्चेएहिं चउहिं ठाणेहिं पएसी अहुणोववन्ने नरएस नेरइए इच्छइ माणुसं लोगं० णो चेव णं संचाएइ०, तं सद्दहाहि णं पएसी ! जहा अन्नो जीवो अन्नं सरीरं नो तंजीवो तंसरीरं १ । ६५ । तए णं से पएसी राया केसिं कुमारसमणं एवं व० अत्थि णं भंते! एसा पण्णा उवमा० इमेण पुण कारणेण नो उवागच्छइ एवं खलु भंते! मम अज्जिया होत्था इहेव सेयवियाए नगरीए धम्मिया जाव वित्तिं कप्पेमाणी समणोवासिया अभिगयजीवाजीवा सव्वो वण्णओ जाव अप्पाणं भावेमाणी विहरइ साणं तुझं वत्तव्वयाए सुबहुं पुन्नोवचयं समज्जिणित्ता कालमासे कालं किच्चा अण्णयरेसु देवलोएस देवत्ताए उववण्णा तीसे णं अज्जियाए अहं नत्तुए होत्था इट्ठे कंते जाव पासणयाए तं जइ णं सा अज्जिया मम आगंतुं एवं वएज्जा एवं खलु नत्तुया ! अहं तव अज्जिया होत्या इहेव सेयवियाए नयरीए धम्मिया जाव वित्तिं कप्पेमाणी समणोवासिया जाव विहरामि तए णं अहं सुबहुं पुण्णोवचयं समज्जिणित्ता जाव देवलोएस उववण्णा तं तुमंपि णत्तुया ! भवाहि धम्मिए जाव विहराहि तए णं तुमंपि एवं चेव सुबहुं पुण्णोवचयं सम जाव उववज्जिहिसि तं जइ णं अज्जिया मम आगंतुं एवं वएज्जा तो णं अहं सहेज्ना पत्तिएज्जा रोइज्जा जहा अण्णो जीवो अण्णं सरीरं णो तंजीवो तंसरीरं, जम्हा सा अज्जिया ममं आगंतुं णो एवं वयति तम्हा सुपइट्टिया मे पइण्णा० जहा तंजीवो तंसरीरं नो अन्नो जीवो अन्नं सरीरं, तए णं केसीकुमारसमणे पएसीरायं एवं व० जति णं तुमं पएसी ! ण्हायं कयबलिकम्मं कयकोउयमंगलपायच्छित्तं उल्लपडसाडगं भिंगारकडुच्छ्रयहत्थगयं देवकुलमणुपविसमाणं केई य पुरिसे वच्चघरंसि ठिच्चा एवं वदेज्जा-इ (ए) ह ताव सामी ! इह मुहुत्तगं आसयह वा चिट्ठह वा निसीयह वा तुयगृह वा, तस्स णं तुमं पएसी ! पुरिसस्स खणमवि एयमद्वं पडिणिज्जासि ?, णो ति०, कम्हा णं ?, भंते ! असुई वा असुइसामंतो वा, एवामेव पएसी ! तववि अज्जिया सेयवियाए णयरीए धम्मिया जाव विहरति सा णं अम्हं वत्तव्वयाए सुबहुं जाव उववन्ना तीसे णं अज्जियाए तुमं णत्तुए होत्था इट्ठे० किमंग पुण पासणयाए ?, साणं इच्छइ माणुसं लोगं हव्वमागच्छित्तए णो चेव णं संचाएइ हव्वमागच्छित्तए, चउहिं ठाणेहिं पएसी ! अहुणोववन्ने देवे देवलोएस इच्छेज्जा माणुसं लोगं० णो चेवणं संचाएइ०, अहुणोववण्णे देवे देवलोएस दिव्वेहिं कामभोगेहिं मुच्छिए गिद्धे गढिए अज्झोववण्णे से णं माणुसे भोगे नो आढाति नो परिजानाति से णं इच्छिन्न माणुसं० नो चेवणं संचाएति०, अहुणोववण्णए देवे देवलोएस दिव्वेहिं कामभोगेहिं मुच्छिए जाव अज्झोववण्णे तस्स णं माणुस्से पेम्मे वोच्छिन्ने भवति दिव्वे पिम्मे संकते भवति से णं इच्छेज्जा माणुसं० णो चेव णं संचाएइ, अहुणोववण्णे देवे दिव्वेहिं कामभोगेहिं मुच्छिए जाव अज्झोववण्णे तस्स णं एवं भवइ-इयाणिं गच्छं मुहुत्तं ॐ श्री आगमगुणमंजूषा - ८३४ NORO [३०] 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ फुफ (१३) रायपसेणियं [ (२) उवंगसुतं ] गच्छं जाव इह अप्पाउया णरा कालधम्मुणा संजुत्ता भवंति से णं इच्छेज्जा माणुस्सं० णो चेव णं संचाएइ०, अहुणोववण्णे देवे दिव्वेहिं जाव अज्झोववण्णे तस्स माणुस्सए उराले दुग्गंधे पडिकूले पडिलोमे भवइ उड्ढपिय णं चत्तारि पंच जोयणसयाइं असुभे माणुस्सए गंधे अभिसमागच्छइ से णं इच्छेज्ना माणुसं० णो चेवणं संचाइज्जा, इच्चेएहिं ठाणेहिं पएसी ! अहुणोववण्णे देवे देवलोएस इच्छेज्ज माणुसं लोगं हव्वमागच्छित्तए णो चेव णं संचाएइ हव्वमागच्छित्तए, तं सद्दहाहि णं तुमं पएसी ! जहा अन्नो जीवो अन्नं सरीरं नो तंजीवो तंसरीरं २ । ६६ । तए णं से पएसी राया केसि कुमारसमणं एवं व०- अत्थि णं भंते! एस पण्णा उवमा० इमेणं पुण कारणेणं णो उवागच्छति, एवं खलु भंते! अहं अन्नया कयाई बाहिरियाए उवट्टाणसालाए अणेगगणणायगदंडणायगईसरतलवरमाडंबियकोडुंबियइब्भसेट्ठिसेणाव. इसत्थवाहमंतिमहामंतिगणगदोवारिय अमच्चचेडपीढमद्दनगरनिगमदूयसंधिवालेहिं सद्धि संपरिवुडे विहरामि तए णं मम जगरगुत्तिया ससक्खं सलोद्धं सगेवेज्जं अवउडगबंधणबद्धं चोरं उवणेंति, तए णं अहं तं पुरिसं जीवंतं चेव अओकुंभीए पक्खिवावेमि अओमएणं पिहाणएणं पिहावेमि अएण य तउएण य आयावे म आयपच्चइएहिं पुरिसेहिं रक्खावेमि, तए णं अहं अण्णया कयाई जेणामेव सा अओकुंभी तेणामेव उवागच्छामि त्ता तं अओकुंभीं उग्गलच्छा. वेमि त्ता तं पुरिसं सयमेव पासामिणो चेवणं तीसे अयकुंभीए केई छिड्डेइ वा विवरेइ वा अंतरेइ वा राई वा जओ णं से जीवे अंतोहितो बहिया णिग्गए जइ णं भंते! तीसे अओकुभीए नई छिड्डे वा जाव राई वा जओ णं से जीवे अंतोहिंतो बहिया णिग्गए तो णं अहं सद्दहेज्जा पत्तिएज्ना रोएज्जा जहा अन्नो जीवो अन्नं सरीरं नो तंजीवो तंसरीरं, म्हाणं भंते! तीसे अओकुभीए णत्थि केई छिड्डे वा जाव निग्गए तम्हा सुपतिट्ठिया मे पन्ना जहा तंजीवो तसरीरं नो अन्नो सरीरं, तए णं केसी कुमारसमणे पएसिं रायं एवं व०-पएसी ! से जहानामए कूडागारसाला सिया दुहओलित्ता गुत्ता गुत्तदुवारा णिवाया णिवायगंभीरा, अहणं केई पुरिसे भेरिं च दंडं च गहाय कूडागारसालाए अंतो २ अणुप्पविसइ त्ता तीसे कूडागारसालाए सव्वतो समंता घणनिचियनिरंतरणिच्छिड्डाई दुवारवयणाई पिहेइ, तीसे कूडागारसालाए बहुमज्झदेसभाए ठिच्चा तं भेरिं दंडएणं महया २ सद्देणं तालेज्जा से णूणं पएसी ! से सद्दे णं अंतोहिंतो बहिया निग्गच्छइ ?, हंता णिग्गच्छइ, अत्थि णं पएसी ! तीसे कूडागारसालाए केई छिड्डे वा जाव राई वा जओ णं से सद्दे अंतोहिंतो बहिया णिग्गए ?, नो तिणट्ठे समट्ठे, एवामेव पएसी जीवेवि अप्पडिहयगई पुढविं भिच्चा सिलं भेच्चा पव्वयं भिच्चा अंतोहिंतो बहिया णिग्गच्छइ तं सद्दहाहि णं तुमं पएसी ! अण्णो जीवो तं चेव ३ । तए णं पएसी राया केसिकुमारसमणं एवं व० अत्थि णं भंते! एस पण्णा उवमा० इमेण पुण कारणेणं णो उवागच्छइ, एवं खलु भंते! अहं अन्नया कयाई बाहिरियाए उवट्ठाणसालाए जाव विहरामि, तए णं ममं णगरगुत्तिया ससक्खं जाव उवर्णेति, तए णं अहं (तं) पुरिसं जीवियाओ ववरोवेमि त्ता अयोकुंभीए पक्खिवामि त्ता अओमएणं पिहावेमि जाव पच्चइएहिं पुरिसेहिं रक्खावेमि, तए णं अहं अन्नया कयाई जेणेव सा कुंभी तेणेव उवागच्छामि त्ता तं अओकुंभि उग्गलच्छावेमि त्ता तं अउकुंभिं किमिकुम्भिपिव पासामि णो चेव णं तीसे अओकुंभीए केई छिड्डेइ वा जाव राई वा जतो ते जीवा बहियाहिंतो अणुपविट्ठा, जति णं तीसे अओकुंभीए होज्ज केई छिड्डेइ वा जाव अणुपविट्ठा तेणं अहं सद्दहेज्ना जहा अन्नो जीवो तं चेव, जम्हा णं तीसे अओकुभीए नत्थि कोई छिड्डेइ वा जाव अणुपविट्ठा तम्हा सुपतिट्ठिया मे पण्णा० जहा तंजीवो तंसरीरं तं चेव, तए णं केसीकुमारसमणे पएसी राय एवं व० अत्थि सी! या धंतपुव्वे वा धमावियपुव्वे वा ?, हंता अत्थि, से णूणं पएसी ! अए धंते समाणे सव्वे अगणिपरिणए भवति ?, हंता भवति, अत्थि णं पएसी ! तस्स अयस्स केई छिड्डेइ वा जेणं जोई बहियाहिंतो अंतो अणुपविट्ठे ?, नो इणमट्ठे समट्ठे, एवामेव पएसी ! जीवोऽवि अप्पडिहयगई पुढविं भिच्चा सिलं भिच्चा बहियाहिंतो अणुपविसद्दै तं सद्दहाहि णं तुमं पएसी ! तहेव ४ । ६७। तए णं पएसी राया केसीकुमारसमणं एवं व०-अत्थि णं भंते ! एस पण्णा उवमा० इमेण पुण मे कारणेणं नो उवागच्छइ, अत्थि णं भुते ! से जहानामए केई पुरिसे तरूणे जाव सिप्पोवगए पभू पंचकंडगं निसिरित्तए ?, हंता पभू, जति णं भंते! सोच्चेव पुरिसे बाले जाव मंदविन्नाणे पभू होज्जा पंचकंडगं निसिरित्तए तो णं अहं सहेज्जा० जहा अन्नो जीवो तं चेव, जम्हा णं भंते! से चेव से पुरिसे जाव मंदविन्नाणे णो पभू पंचकंडयं निसिरित्तए तम्हा सुपइट्ठिया मे पण्णा० जहा तंजीवो तं चेव, तए णं केसीकुमारसमणे पएसिं रायं एवं व० से जहानामए केई पुरिसे तरूणे जाव सिप्पोवगए णवएणं ॐॐॐॐॐॐ श्री आगमगुणमंजूषा - ८३५ULLLLLL NRO 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 5 [३१] Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१३) रायपसेणिय [ (२) उवंगसुत्तं ] [३२] धानविया जीवा नवएणं इसुणा पभू पंचकंडगं निसिरित्तए ?, हंता पभू, सो चेव णं पुरिसे तरूणे जाव निउणसिप्पोवगते कोरिल्लिएणं धणुणा कोरिल्लियाए जीवा कोरिल्लिए उसुणा पभू पंचकंडगं निसिरित्तए ?, णो तिणट्टे समट्ठे, कम्हाणं ?, भंते! तस्स पुरिसस्स अपज्जत्ताइं उवगरणाई हवंति, एवामेव पएसी ! सो चेव पुरिसे बाले जाव मंदविन्नाणे अपज्जत्तोवगरणे णो पभू पंचकंडयं निसिरित्तए तं सद्दहाहि णं तुमं पएसी ! जहा अन्नो जीवो तं चेव ५ । ६८ । तए णं पएसी राया सीकुमारसमणं एवं व० अत्थि णं भंते! एस पण्णा उवमा० इमेणं पुण कारणेणं नो उवागच्छइ अत्थि णं भंते! से जहानामए केई पुरिसे तरूणे जाव सिप्पोवगते भूगं महं अयभारगं वा तउयभारगं वा सीसगभारगं वा परिवहित्तए ?, हंता पभू, सो चेव णं भंते ! पुरिसे जुन्ने जराजज्जरियदेहे सिढिलवलितयाविणट्टगत्ते दंडपरिग्गहियग्गहत्थे पबिरलपरिसडियदंतसेढी आउरे किसिए पिवासिए दुब्बले किलंते नो पभू एगं महं अयभारं वा जाव परिवहित्तए, जति णं भंते! सच्चेव पुरिसे जुने राजनरियदे जाव परिकिलंते पभू एगं महं अयभारं वा जाव परिवहित्तए तो णं सद्दहेज्ना० तहेव जम्हा णं भंते ! से चेव पुरिसे जुन्ने जाव किलंते नो पभू एगं महं अयभारं वा जाव परिवहित्तए तम्हा सुपतिट्ठिता मे पण्णा० तहेव, तए णं केसीकुमारसमणे पएसिं रायं एवं व० से जहाणामए केई पुरिसे तरूणे जाव सिप्पोवगए • विया विहंगियाए णवएहिं सिक्कएहिं णवएहिं पच्छियपिडएहिं पहू एवं महं अयभारं जाव परिवहित्तए ?, हंता पभू, पएसी ! से चेव णं पुरिसे तरूणे जाव सिप्पोवगए जुन्या दुलिया घुणक्खइयाए विहंगियाए जुण्णएहिं दुब्बलएहिं घुणक्खइएहिं सिढिलतयापिणद्धएहिं सिक्कएहिं (१४९) जुण्णएहिं दुब्बलिएहिं घुणखइएहिं पच्छिपिडएहिं पभू एगं महं अयभारं वा जाव परिवहित्तए ?, णो तिण०, कम्हा णं ?. भंते ! तस्स पुरिसस्स जुन्नाई उवगरणाइं भवंति, पएसी ! से चेव से पुरिसे जुन्ने जाव किलंते जुन्नोवगरणे नो पभू एगं महं अयभारं वा जाव परिवहित्तए तं सद्दहाहि णं तुमं पएसी ! जहा अन्नो जीवो अन्नं सरीरं ६ |६९| तए णं से पएसी केसिकुमारसमणं एवं व०-अत्थि णं भंते ! जाव नो उवागच्छइ एवं खलु भंते! जाव विहरामि तए णं मम णगरगुत्तिया चोरं उवर्णेति तए णं अहं तं पुस्सिं जीवंतगं चेव तुलेमि तुलेत्ता छविच्छेयं अकुव्वमाणे जीवियाओ ववरोवेमि त्ता मयं तुलेमि णो चेव णं तस्स पुरिसस्स जीवंतस्स वा तुलियस्स मुयस्स वा तुलियस्स केई आणत्ते वा नाणत्ते वा ओमत्ते वा तुच्छत्ते वा गरूयत्ते वा लहुयत्ते वा, जति णं भंते! तस्स पुरिसस्स जीवंतस्स वा तुलियस्स मुयस्स वा तुलियस्स केई अन्नत्ते वा जाव लहुयत्ते वा तो णं अहं सद्दहेज्जा तं चेव, जम्हा णं भंते ! तस्स पुरिसस्स जीवंतस्स वा तुलियस्स मुयस्स वा तुलियस्स नत्थि केई अन्नत्ते वा० लहुयते वा म्हा सुपतिट्ठिया मे पन्ना जहा तंजीवो तंचेव, तए णं केसीकुमारसमणे पएसिं रायं एवं व० अत्थि णं पएसी ! तुमे कयाई वत्थी धंतपुव्वे वा धमावियपुव्वे वा ?, हंता अत्थि, अत्थि णं पएसी ! तस्स वत्थिस्स पुण्णस्स वा तुलियस्स अपुण्णस्स वा तुलियस्स केई आणत्ते वा जाव लहुयत्ते वा ?, णो तिणट्ठे समट्ठे, एवामेव पएसी ! जीव अगुरुलहुयत्तं पडुच्च जीवंतस्स वा तुलियस्स मुयस्स वा तुलियस्स नत्थि केई आणत्ते वा जाव लहुयत्ते वा, तं सद्दहाहि णं तुमं पएसी ! तं चेव ७ । ७० । तए णं पएसी राया केसिं कुमारसमणं एवं व० अत्थि णं भंते ! एसा जाव नो उवागच्छइ, एवं खलु भंते! अहं अन्नया जाव चोरं उवणेति तए णं अहं तं पुरिसं सव्वतो समंता समभिलोएमि नो चेव णं तत्थ जीवं पासामि तए णं अहं तं पुरिसं दुहाफालियं करेमि त्ता सव्वतो समंता समभिलोएमि नो चेव णं तत्थ जीवं पासामि एवं तिहा चउहा संखेज्जफालियं करेमि णो चेव णं तत्थ जीवं पासामि, जइ णं भंते! अहं तं पुरिसं दुहा वा तिहा वा चउहा वा संखेज्जहा वा फालियंमि वा जीवं पासंतो तो णं अहं सज्जनो तं चेव, जहा णं भंते! अहं तंसि दुहा वा तिहा वा चउहा वा संखेज्जहा वा फालियंमि जीवं न पासामि तम्हा सुपतिट्ठिया मे पण्णा जहा तंजीवो तंसरीरं तं चेव, तए णं केसिकुमारसमणे पएसिं रायं एवं व- मूढतराए णं तुमं पएसी ! ताओ तुच्छतराओ, के णं भंते! तुच्छतराए ?, पएसी ! से जहाणामए केई पुरिसे वणत्थी वणोवजीवी वणगवेसणयाए जोइं च जोइभायणं च गहाय कट्ठाणं अडविं अणुपविट्ठा, तए णं ते पुरिसा तीसे अगामियाए जाव किचिदेसं अणुप्पत्ता समाणा एवं पुरिसं एवं व०-अम्हे णं देवाणुप्पिया ! कट्ठाणं अडविं पविसामो एत्तो णं तुमं जोइभायणाओ जोई गहाय अम्ह असणं० साहेज्नासि अह तंमि जोइभायणे जोई विज्झवेज्ना तो णं तुमं कट्ठाओ जोइं गहाय अम्हं असणं० साहेज्जासित्तिकट्टु कट्ठाणं अडविं अणुपविट्ठ तए णं से पुरिसे तओ मुहुत्तन्तरस्स तेसिं पुरिसाणं असणं० साहेमित्तिकट्टु BOKYOH श्री आगमगुणमंजूषा ८३६ ( 五五五五五五五五五五五已 Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ए [३३] (१३) रायपसेणियं [ (२) उवंगसुतं ] ****** जेणेव जोतिभायणे तेणेव उवागच्छइ जोइभायणे जोइं विज्झायमेव पासति तए णं से पुरिसे जेणेव से कट्ठे तेणेव उवागच्छइ त्ता तं कट्ठे सव्वओ समंता समभिलोएति नो चेव णं तत्थ जोइं पासति तए णं से पुरिसे परियरं बंधड़ फरसुं गिण्हइं तं कट्टं दुहाफालियं करेइ सव्वतो समंता समभिलोएइ णो चेव णं तत्थ जोइं पासइ एवं जाव संखेज्जफालियं करेइ सव्वतो समंता समभिलोएइ नो चेव णं तत्थ जोइं पासइ तए णं से पुरिसे तंसि कटुंसि दुहाफालिए वा जाव संखेज्जफालिए वा जोई अपासमाणे संते तंते परिसंते निव्विण्णे समाणे परसुं एगंते एडेइ त्ता परियरं मुयइ त्ता एवं व० अहो ! मए तेसिं पुरिसाणं असणे० नो साहिएत्तिकट्टु ओहयमणसंकप्पे चिंतासोगसागरसंपविट्टे करयलपल्हत्थमुहे अट्टज्झाणोवगए भूमिगयदिट्ठिए झियाइ, तए णं ते पुरिसा कट्टाई छिंदंति त्ता जेणेव से पुरिसे तेणेव उवागच्छंति त्ता तं पुरिसं ओहयमणसंकप्पं जाव झियायमाणं पासंति त्ता एवं व० - किन्नं तुमं देवाणुप्पिया ! ओहयमणसंकप्पे जाव झियायसि ?, तए णं से पुरिसे एवं व० - तुज्झे णं देवाणुप्पिया ! कट्ठाणं अडविं अणुपविसमाणा ममं एवं व० - अम्हे णं देवाणुप्पिया ! कट्ठाणं अडविं जाव पविट्ठा तए णं अहं तत्तो मुहुत्तंतरस्स तुज्झं असणं० साहेमित्तिकट्टु जेणेव जोई जाव झियामि, तए णं तेसिं पुरिसाणं एगे पुरिसे छेए दक्खे पत्तट्ठे जाव उवएसलद्धे ते पुरिसे एवं व०-गच्छह णं तुज्झे देवाणुप्पिया ! ण्हाया कयबलिकम्मा जाव हव्वमागच्छह जा णं अहं असणं० साहेमित्तिकट्टु परियरं बंधइ त्ता परसुं गिण्हइ त्ता सरं करेइ सरेण अरणि महेइ जोइ पाडेइ ता जोई संधुक्खेइ तेसिं पुरिसाणं असणं० साहेइ तए णं ते पुरिसा ण्हाया कयबलिकम्मा जाव पायच्छित्ता जेणेव से पुरिसे तेणेव उवागच्छंति तए णं से पुरिसे तेसिं पुरिसाणं सुहासणवरगयाणं तं विउलं असणं पाणं खाइमं साइमं उवणेइ तए णं ते पुरिसा तं विउलं असणं० आसाएमाणा वीसाएमाणा जाव विहरंति जिमियभुत्तुत्तरागयाविय णं समाणा आयंता चोक्खा परमसुइभूया तं पुरिसं एवं व० - अहो णं तुमं देवाणुप्पिया ! जड्डे मूढे अपंडिए णिव्विण्णाणे अणुवएसलद्धे जेणं तुमं इच्छसि इंसि दुहाफालियंसि वा० जोतिं पासित्तए, से एएणद्वेणं पएसी ! एवं वुच्चइ मूढतराए णं तुमं पएसी ! ताओ तुच्छतराओ ८।७१। तए णं पएसी राया केसिकुमारसमणं एवं व० - जुत्तए णं भंते! तुब्भं इयच्छेयाणं दक्खाणं बुद्धाणं कुसलाणं महामईणं विणीयाणं विण्णाणपत्ताणं उवएसलद्वाणं अहं इमीसाए (ए) महालियाए महच्चपरिसाए मज्झे उच्चावएहिं आउसेहिं आउसित्तए उच्चावयाहिं उद्धंसणाहिं उद्धंसित्तए एवं निब्भंछणाहिं निच्छोडणाहिं० ?, तए णं केसीकुमारसमणे पएसिं रायं एवं व०जाणासि णं तुमं पएसी ! कति परिसाओ पं० १, भंते! जाणामि चत्तारि परिसाओ पं० तं० खत्तियपरिसा गाहावइपरिसा माहणपरिसा, इसिपरिसा जाणासि णं तुम पएसी ! एयासिं चउण्हं परिसाणं कस्स का दंडणीई पं० ?, हंता ! जाणामि जे णं खत्तियपरिसाए अवरज्झइ से णं हत्थच्छिण्णए वा पायच्छिण्णए वा सीसच्छिण्णए वा सूलाइ वा एगाहच्चे कूडाहच्चे जीवियाओ ववरोविज्जइ, जे णं गाहावइपरिसाए अवरज्झइ से णं तएण वा वेढेण वा पलालेण वा वेढित्ता अगणिकाएणं झामिज्जइ, जेणं माहणपरिसाए अवरज्झइ से णं अणिट्ठाहिं अकंताहिं जाव अमणामाहिं वग्गूहिं उवालंभित्ता कुंडियालंछणए वा सुणगलंछणए वा कीरइ, निव्विसए वा आणविज्जइ, जेणं इसिपरिसाए अवरज्झइ से णं णाइअणिट्ठाहिं जाव णाइअमणामाहिं वग्गूहिं उवालब्भइ, एवं च ताव पएसी ! तुमं जाणासि तहावि णं तुमं ममं वामंवामेणं दंडंदंडेणं पडिकूलंपडिकूलेणं पडिलोमंपडिलोमेणं विवच्चासंविवच्चासेणं वट्टसि, तए णं पएसी राया केसिं कुमारसमणं एवं व० एवं खलु अहं देवाणुप्पिएहिं पढमिल्लुएणं चेव वागरणेणं संलत्ते तए णं ममं इमेयारूवे अब्भत्थिए जाव संकप्पे समुप्पज्जित्था जहा जहा णं एयस्स पुरिसस्स वामंवामेणं जाव विवच्चासंविवच्चासेणं हिस्सामि तहा तहाणं अहं नाणं च नाणोवलंभं च करणं च करणोवलंभं च दंसणं च दंसणोवलंभं च जीवं च जीवोवलंभं च उवलभिस्सामि, तं एएणं अहं कारणेणं देवाणुप्पियाणं वामंवामेणं जाव विवच्चासंविवच्चासेणं वट्टिए, तए णं केसीकुमारसमणे पएसीरायं एवं व० - जाणासि णं तुमं पएसी ! कइ ववहारगा पं० ?, हंता जाणामि, चत्तारि ववहारगा पं० तं० देइ नामेगे णो सण्णवेइ सन्नवेइ नामेगे नो देइ एगे देइवि सन्नवेइवि एगे णो देइ णो सण्णवेइ, जाणासि णं तुमं पएसी ! एएसिं चउण्हं पुरिसाणं के ववहारी के अव्ववहारी ?, हंता जाणामि, तत्थ णं जे से पुरिसे देइ णो सण्णवेइ से णं पुरिसे ववहारी तत्थ णं जे से पुरिसे णो देइ सण्णवे से पुरिसे ववहारी तत्थ णं जे से पुरिसे देइवि सन्नवेइवि से पुरिसे ववहारी तत्थ णं जे से पुरिसे णो देइ णो सन्नवेइ से णं अवववहारी, एवामेव तुमंपि ववहारी, णो चेव श्री आगमगुणमंजूषा - ८३७ Hero OORN Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 原POR (१३) रायपसेणियं [ (२) उवंगसुतं ] णं तुमं पएसी अववहारी ।७२। तए णं पएसी ! राया केसिकुमारसमणं एवं व० तुज्झे णं भंते! इयच्छेया दक्खा जाव उवएसलद्धा समत्था णं भंते ! ममं करयलंसि वा आमलयं जीवं सरीराओ अभिनिव्वट्टित्ताणं उवदंसित्तए ?, तेणं कालेणं० पएसिस्स रण्णो अदूरसामंते वाउयाए संवुत्ते तणवणस्सइकाए एयइ वेयइ चलइ फंदइ घट्टइ उदीरइ तं तं भावं परिणमइ, तए णं केसीकुमारसमणे पएसिरायं एवं व० पाससि णं तुमं पएसी ! एवं तणवणस्सइकायं एयंतं जाव तं तं भावं परिणमंतं ?, हंता पासामि, जाणासि णं तुमं पएसी ! एयं तणवणस्सइकायं किं देवो चालेइ असुरो० णागो वा० किन्नरो वा चालेइ किंपुरिसो वा चालेइ महोरगो वा चालेर गंधव्वो वा चालेइ ?, हंता जाणामि, णो देवो चालेइ जाव णो गंधव्वो चालेइ वाउयाए चालेइ, पाससि णं तुमं पएसी ! एतस्स वाउकायस्स सरूविस्स सकामस्स सरागस्स समोहस्स सवेयस्स सलेसस्स ससरीरस्स रूवं ?, णो तिणट्टे०, जइ णं तुमं पएसी राया ! एयस्स वाउकायस्स सरूविस्स जाव ससरीरस्स रूवं न पाससि तं कहं णं पएसी ! तव करयलंसि वा आमलगं जीवं उवदंसिस्सामि ?, एवं खलु पएसी ! दस ठाणाई छउमत्थे मणुस्से सव्वभावेणं न जाणइ न पासइ, तं०-धम्मत्थिकायं अधम्मत्थिकायं आगासत्थिकायं जीवं असरीरपडिबद्धं परमाणुपोग्गलं सद्दं गंधं वायं अयं जिणे भविस्सइ वा णो भविस्सा अयं सव्वदुक्खाणं अंतं करेस्सइ वा नो वा, एताणि चेव उप्पन्ननाणदंसणधरे अरहा जिणे केवली सव्वभावेणं जाणइ पासइ, तं०-धम्मत्थिकायं जाव नो वा करिस्सइ, तं सद्दहाहि णं तुमं पएसी ! जहा अन्नो जीवो तं चेव ९ । ७३ । तए णं से पएसीराया केसि कुमारसमणं एवं व० से नूणं भंते ! हत्थिस्स य कुंथुस्स य समे चेव जीवे ?, हंता पएसी ! हत्थिस्स य कुंथुस्स य समे चेव जीवे, से णूणं भंते ! हत्थीउ कुंथू अप्पकम्मतराए चेव अप्पाकिरियतराए चेव अप्पासवतराए चेव एवं आहारनीहारउस्सासनीसासइड्ढी पहावजुई अप्पतराए चेव, एवं च कुंथूओ हत्थी महाकम्मतराए चेव महाकिरिय जाव ?, हंता पएसी ! हत्थीओ कुंथू अप्पकम्मतराए चेव कुथूओ वा हत्थी महाकम्मतराए चेव तं चेव, कम्हा णं भंते ! हत्थिस्स य कुंथुस्स य समे चेव जीवे ?, पएसी ! से जहाणामए कूडागारसाला सिया जाव गंभीरा अह णं केई पुरिसे जोई व दीवं व गहाय तं कूडागारसालं अंतो २ अणुपविसइ तीसे कूडागारसालाए सव्वतो समंता घणनिचियनिरंतराणि णिच्छिड्डाई दुवारवयणाइं पिहेति त्ता तीसे कूडागारसाला ए बहुमज्झदेसभाए तं पईवं पलीवेज्जा तए णं से पईवे तं कूडागारसालं अंतो ओभासइ उज्जोवेइ तवति पभासेइ, णो चेव णं बाहिं, अह णं से पुरिसे तं पईवं इड्डरएणं पिज्जा तसे वे तं इड्डरयं अंतो ओभासेइ णो चेव णं इड्डरगस्स बाहिं णो चेव णं कूडागारसालाए बाहिं, एवं किलिजेणं गंडमाणियाए पच्छिपिडएणं आढणं अद्धाढणं पत्थएणं अद्धपत्थएणं अट्ठभाइयाए चाउब्भाइयाए सोलसियाए छत्तीसियाए चउसट्टियाए दीवचंपएणं तए णं से पदीवे दीवचंपगस्स अंत ओभासति० नो चेव णं दीवचंपगस्स बाहिं नो चेव णं चउसट्टियाए बाहिं णो चेव णं कूडागारसालं णो चेव णो कूडागारसालाए बाहिं, एवामेव पएसी ! जीवेऽवि जं जारिसयं पुव्वकम्मनिबद्धं बोदि णिव्वत्तेइ तं असंखेज्जेहिं जीवपदेसेहिं सच्चित्तं करेइ खुडिडयं वा महालियं वा तं सद्दहाहि णं तुमं पएसी ! जहा तं चेव १० । ७४ । तए णं पएसी राया केसिं कुमारसमणं एवं व० एवं खलु भंते ! मम अज्जगस्स एस सन्ना जाव समोसरणे जहा तज्जीवो तंसरीरं नो अन्नो जीवो अन्नं सरीरं तयाणंतरं च पिउणोऽविस सणा तयाणंतरं ममवि एसा सण्णा जाव समोसरणं तं नो खलु अहं बहुपुरिसपरंपरागयं कुलनिस्सिंयं दिट्ठि छंडेस्सामि, तए णं केसीकुमारसमणे एसिरायं एवं व० - माणं तुमं पएसी ! पच्छाणुताविए भवेज्जासि जहा व से पुरिसे अयहारए, के णं भंते! से अयहारए ?, पएसी ! से जहाणामए केई पुरिसा अत्थत्थी अत्थगवेसी अत्थलुद्धगा अत्थकंखिया अत्यपिवासिया अत्थगवेसणयाए विउलं पणियभंडमायाए सुबहुं भत्तपाणपत्थयणं गहाय एवं महं अकामियं छिन्नावायं दहमद्धं अडविं अणुपविट्ठा, तए णं ते पुरिसा तीसे अकामियाए अडवीए कंचि देसं अणुप्पत्ता समाणा एवं महं अयागरं पासंति, अएणं सव्वतो समंता आइण्णं विच्छिण्णं संथडं उवत्थडं फुडं गाढं अवगाढं पासति त्ता हट्ठतुट्ठजावहियया अन्नमन्नं सद्दावेति त्ता एवं व०- एस णं देवाणुप्पिया ! अयभंडे इट्टे कंते जाव मणामे, तं सेयं खलु देवाणुप्पिया ! अम्हं अयभारह बंधित्तएत्तिकट्टु अन्नमन्नस्स एयमट्टं पडिसुर्णेति त्ता अयभारं बंधंति त्ता अहाणुपुव्वीए संपत्थिया, तए णं ते पुरिसा अकामियाए जाव अडवी किंचिदेस अणुपत्ता समाणा एवं महं तउआगरं पासंति तउएणं आइण्णं तं चेव जाव सद्दावेत्ता एवं व० एस णं देवाणुप्पिया ! तउयभंडे जाव मणामे अप्पेणं चेव तउएणं सुबहुं अए लब्भति तं सेयं खलु देवाणुप्पिया ! अयभारए छड्डेत्ता तउयभारए बंधित्तएत्तिकट्टु अन्नमन्नस्स अंतिए एयमहं पडिसुणेति ता HOTO श्री आगमगुणमंजूषा ८३८ फ्र [३४] Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 0955$$$$$$$步步步步明 (१३) रायपसेणियं [२) उवंगसुतं] [३५] 555555555555555FOOT FOX 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐乐乐乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐纸F6CM अयभारं छड्डेति त्ता तउयभारं बंधंति, तत्थ णं एगे पुरिसे णो संचाएइ अयभारं छड्डेत्तए तउयभारं बंधित्तए, तए णं ते पुरिसा तं पुरिसं एवं व०-एस णं देवाणुप्पिया! तउयभंडे जाव सुबहुं अए लब्भति तं छड्डेहिं णं देवाणुप्पिया ! अयभारगं तउयभारगं बंधाहि, तए णं से पुरिसे एवं व०-दूराहडे मे देवा० ! अए चिराहडे मे देवा० ! अएफ अइगाढबंधणबद्धे मे देवाणु० ! अए असिलिट्ठबंधणबद्धे देवा० ! अए धणियबंधणबद्धे देवा० ! अए णो संचाएमि अयभारगं छड्डेत्ता तउयभारगं बंधित्तए, तए णं ते पुरिसा तं पुरिसं जाहे णो संचायंति बहूहिं आघवणाहि य पन्नवणाहि य आघवित्तए वा पण्णवित्तए वा तया अहाणुपुव्वीए संपत्थिया, एवं तंबागरं रूप्पागरं सुवन्नागरं रयणागरं वइरागरं, तएणं ते पुरिसा जेणेव सयाजणवया जेणेव साइं नगराई तेणेव उवागच्छन्ति त्ता वयरणिक्कणयं करेतित्ता सुबहुदासीदासगोमहिसगवेलगं गिण्हंति त्ता अट्ठतलमूसियपासायवडंसगे कारावेति ण्हाया कयबलिकम्मा उप्पिंपासायवरगया फुट्टमाणेहिं मुइं गमत्थएहिं बत्तीसइबद्धएहिं नाडएहिं वरतरूणीसंपउत्तेहिं उवणच्चिज्जमाणा उवगिज्जमाणा उवलालिज्जमाणा इढे सद्दफरिस जाव विहरंति, तए णं से पुरिसे अयभारेण जेणेव सए नगरे तेणेव उवागच्छइ अयभारगं गहाय अयविक्किणणं करेति त्ता तंसि अप्पमोल्लंसि निट्ठियंसि झीणपरिव्वए ते पुरिसे उप्पिं पासायवरगए जाव विहरमाणे पासति त्ता एवं व०-अहोणं अहं अधन्नो अपुन्नो अकयत्थो अकलयक्खणो हिरिसिरिवज्जिए हीणपुण्णचाउद्दसे दुरंतपंतलक्खणे, जति णं अहं मित्ताण वा णाईण वा नियगाण वा सुणंतओ तो णं अहंपि एवं चेव उप्पिं पासायवरगए जाव विहरंतो, से तेणद्वेणं पएसी ! एवं वुच्चइ-मा णं तुमं पएसी ! पच्छाणुताविए भविज्जासि जहा व से पुरिसे अयभारिए ११७५। एत्थ णं से पएसी राया संबुद्धे केसिकुमारसमणं वंदइ जाव एवं व०-णो खलु भंते ! अहं पच्छाणुताविए भविस्सामि जहा व पुरिसे अयभारिए तं इच्छामि णं देवाणुप्पियाणं अंतिए केवलिपन्नत्तं धम्मं निसामित्तए, अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंध०, धम्मकहा जाव चित्तस्स तहेव गिहिधम्म पडिवज्जइ त्ता जेणेव सेयविया नगरी तेणेव पहारेत्थ गमणाए ।७६। तए णं केसी कुमारसमणे पएसिं रायं एवं व०-जाणासि तुमं पएसी ! कई आयारिया पं०?, हंता जाणामि, तओ आयारिआ पं० तं०कलायरिए सिप्पायरिए धम्मायरिए, जाणासि णं तुमं पएसी ! तेसिं तिण्हं आयरियाणं कस्स का विणयपडिवत्ती पउंजियव्वा ?, हंता जाणामि, कलायरियस्स सिप्पायरियस्स उवलेवणं संमज्जणं वा करेज्जा पुरओ पुप्फाणि वा आणवेज्जा मज्जावेज्जा मंडावेज्जा भोयाविज्जा वा विउलं जीवितारिहं पीइदाणं दलएज्जा पुत्ताणुपुत्तियं वित्तिं कप्पेज्जा, जत्थेव धम्मायरियं पासिज्जा तत्थेव वंदेज्जा णमंसेज्जा सक्कारेज्जा सम्माणेज्जा कल्लाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासेज्जा फासुएसणिज्जेणं असणपाणखाइमसाइमेणं पडिलाभेज्जा पाडिहारिएणं पीढफलगसिज्जासंथारेणं उवनिमंतेज्जा, एवं च ताव तुमं पएसी ! एवं जाणासि तहावि णं तुमं ममं वामंवामेणं जाव वट्टित्ता ममं एयम8 अक्खामित्ता जेणेव सेयविया नगरी तेणेव पहारेत्थ गमणाए, तएणं से पएसी राया केसिं कुमारसमणं एवं व०-एवं खलु भंते ! मम एयारूवे अज्झत्थिए जाव समुप्पज्जित्था-एवं खलु अहं देवाणुप्पियाणं वामंवामेणं जाव वट्टिए तं सेयं खलु मे कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव तेयसा जलंते अंतेउरपरियाल सद्धिं संपरिखुडस्स देवाणुप्पिए वंदित्तए नमंसित्तए एतमट्ठे भुज्जो २ सम्म विणएणं खामित्तएत्तिकटु जामेव दिसिं पाउब्भूते तामेव दिसिं पडिगए, तए णं से पएसी राया कल्लं पाउप्पभायाए रयणीए जाव तेयसा जलंते हठ्ठतुट्ठजावहियए जहेव कूणिए तहेव निग्गच्छइ अंतेउरपरियाल सद्धि संपरिवुडे पंचविहेणं अभिगमेणं वंदइ नमंसइ एयमटुं भुज्जो २ सम्मं विणएणं खामेइ ।७७। तए णं केसीकुमारसमणे पएसिस्स रण्णो सूरियकंतप्पमुहाणं देवीणं तीसे य महतिमहालियाए महच्चपरिसाए जाव धम्म परिकहेइ, तएणं से पएसी राया धम्म सोच्चा निसम्म उठाए उठेति त्ता केसिकुमारसमणं वंदइ नमसइत्ता जेणेव सेयविया नगरी तेणेव पहारेत्थ गमणाए, तए णं केसी कुमारसमणे पएसिरायं एवं व०-मा णं तुमं पएसी ! पुब्वि रमणिज्जे भवित्ता पच्छा अरमणिज्जे भविज्जासि जहा से वणसंडेइ वा णमुसालाइ वा इक्खुवाडएइ वा खलवाडएइ वा, कहं णं ? भंते !, वणसंडे पत्तिए पुप्फिए फलिए हरियगरेरिज्जमाणे सिरीए अतीव उवसोभेमाणे २ चिट्ठइ तया णं वणसंडे रमणिज्जे भवति, जया णं वणसंडे नो पत्तिए नो पुप्फिए नो फलिए नो हरियगरिरेज्जमाणे णो सिरीए अईव उवसोभेमाणे २ चिट्ठइ तया णं जुन्ने झडे परिसडियपंडुपत्ते सक्करूक्खे इव मिलायमाणे चिइ तया णं वणे णो रमणिज्ने भवति, जयाणं णसालावि गिज्नइ वाइज्नइ नच्चिज्जइहसिज्जइ रमिज्जइ तया णं णसाला रमणिज्जाज भवइ जया णं नट्टसाला णो गिज्जइ जाव णो रमिज्जइ तया णं णट्टसाला अरमणिज्जा भवति, जया णं इक्खुवाडे छिज्जइ भिज्जइ सिज्जइ पिज्जइ दिज्जइ तया णं re: 555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ८३९555555555555555555555555HOR GO乐乐乐的少听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听$$$$$$$$$$$$$听听听听听听听听听听QQ Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ SOSO乐乐听听听听听听听乐乐乐乐乐听听听听听听听听听 PRORRO5555555555 (१३) रायषसेणिय (२) उवंगसुत्त] [३६] F FEE 55555555555 F203 इक्खुवाडे रमणिज्जे भवइ जया णं इक्खुवाडे णो छिज्जइ जाव तया इक्खुवाडे अरमणिज्जे भवइ, जया णं खलवाडे उच्छुब्भइ उडुइज्जइ मलइज्जइ पुणिज्जइ खज्जइ पिज्जइ दिज्जइ तया णं खलवाडे रमणिज्जे भवति जया णं खलवाडे नो उच्छुब्भइ जाव अरमणिज्जे भवति, से तेणतुणं पएसी ! एवं वुच्चइ-मा णं तुमं पएसी! पुव्विं ॐ रमणिज्ने भवित्ता पच्छा अरमणिज्जे भविज्जासि जहा वणसंडेइ वा०, तए णं पएसी केसि कुमारसमणं एवं व०-णो खलु भंते ! अहं पुव्विं रमणिज्जे भवित्ता पच्छा अरमणिज्जे भविस्सामि जहा वणसंडेइ वा जाव खलवाडेइ वा, अहं णं सेयवियानगरीपमुक्खाइं सत्त गामसहस्साइं चत्तारि भागे करिस्सामि-एगं भागं बलवाहणस्स दलइस्सामि एगं भागं कुट्ठागारे छुभिस्सामि एगं भागं अंतेउरस्स दलइस्सामि एगेणं भागेणं महतिमहालियं कूडागारसालं करिस्सामि, तत्थ णं बहूहिं पुरिसेहिं दिन्नभइभत्तवेयणेहिं विउलं असणं० उवक्खडावेत्ता बहूणं समणमाहणभिक्खुयाणं पंथियपहियाणं परिभाएमाणे २ बहू हिं सीलव्वयगुणव्वयवेरमणपच्चक्खाणपोसहोववासेहिं जाव विहरिस्सामित्तिकटु जामेव दिसिं पाउब्भूए तामेव दिसिंपडिगए।७८। तए णं से पएसी राया कल्लं जाव तेयसा जलंते सेयवियापामोक्खाइं सत्त गामसहस्साई चत्तारि भाए कीरइ, एगं भागं बलवाहणंस्स दलइ जाव कूडागारसालं करेइ, तत्थ णं बहूहिं पुरिसेहिं जाव उवक्खडेत्ता बहूणं समण जाव परिभाएमाणे विहरइ ७९। तएणं से पएसी राया समणोवासए अभिगयजीवाजीवे० विहरइ, जप्पभिई चणं पएसी राया समणोवासए जाए तप्पभिई च णं रज्जं च रटुं च बलं च वाहणं च कोसं च कोट्ठांशारं च पुरं च अंतेउरं च जणवयं च अणाढायमाणे यावि विहरति, तए णं तीसे सूरियकताए देवीए इमेयारूवे अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था-जप्पभिई चणं पएसी राया समणोवासए जाए तप्पमिइं च णं रज्जं च रष्टुं जाव अंतेउरं च ममं च जणवयं च अणाढायमाणे विहरइ तं सेयं खलु मे पएसिं रायं केणवि सत्थपओएण वा अग्गिपओगेण वा मंतप्पओगेण वा विसप्पओगेण वा उद्दवेत्ता सूरियकंतं कुमारं रज्जे ठवित्ता सयमेव रज्जसिरिं कारेमाणीए पालेमाणीए विहरित्तएत्तिकटु एवं संपेहेइत्ता सूरियकंतं कुमारं सद्दावेइ त्ता एवं व०-जप्पभिइं च णं पएसी राया समणोवासए जाए तप्पभिई च णं रज्जं च जाव अंतेउरं च ममं च जणवयं च माणुस्सए य कामभोगे अणाढायमाणे विहरइ, तं सेयं खलु तव पुत्ता ! पएसिं रायं केणइ सत्थप्पयोगेण वा जाव उद्दवित्ता सयमेव रज्जसिरिंकारेमाणस्स पालेमाणस्स विहरित्तए, तए णं सूरियकंते कुमारे सूरियकताए देवीए एवं वुत्ते समाणे सूरियकंताए देवीए एयम8 णो आढाइ नो परियाणाइ तुसिणीए संचिट्ठइ, तए णं तीसे सूरियकताए देवीए इमेयारूवे अज्झथिए जाव समुप्पज्जित्था मा णं सूरियकंते कुमारे पएसिस्स रन्नो इमं रहस्सभेयं 卐 करिस्सइत्तिकटु पएसिस्स रण्णो छिद्दाणि य मम्माणि य रहस्साणि य विवराणि य अंतराणि य पडिजागरमाणी २ विहरइ, तए णं सूरियकता देवी अन्नया कयाई पएसिस्स रण्णो अंतरं जाणइ असणे जाव साइमे सव्ववत्थगंधमल्लालंकारे विसप्पजोगं पउंजइ, पएसिस्स रण्णो ण्हायस्सजाव पायच्छित्तस्स सुहासणवरगयस्स तं विससंजुत्तं असणं वत्थं जाव अलंकारं निसिरेइ. तए णं तस्स पएसिस्स रण्णो तं विससंजुत्तं असणं० आहारेमाणस्स० सरीरगंमि वेयणा पाउन्भूया उज्जला विउला पगाढा कक्कसा कडुया चंडा तिव्वा दुक्खा दुग्गा दुरहियासा पित्तजरपरिगयसरीरे दाहवक्कंतिए यावि विहरइ।८० तए णं से पएसी राया सूरियकताए देवीए अत्ताणं संपलद्धं जाणित्ता सूरियकंताए देवीए मणसावि अप्पदुस्समाणे जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ त्ता पोसहसालं पमज्जइ त्ता उच्चारपासवणभूमि पडिलेहेइ त्ता दब्भसंथारगं संथरेइ त्ता दब्भसंथारगं दुरूहइ त्ता पुरत्थाभिमुहे संपलियंकनिसन्ने करयलपरिग्गहिंयं० सिरसावत्तं मत्थए अंजलिं कटु एवं व०नमोऽत्थु णं अरहताणं जाव संपत्ताणं नमोऽत्थुणं केसिस्स कुमारसमणस्स मम धम्मोवदेसगस्स धम्मायरियस्स वदामिणं भगवंतं तत्थगयं इहगए पासउ मे भगवं तत्थगए इहगयंतिकटु वंदइ नमसइ पुग्विपिणं मए केसिस्स कुमारसमणस्स अंतिए थूलगपाणाइवाए पच्चक्खाए जाव परिग्गहे तं इयाणिपिय णं तस्सेव भगवतो 5 अंतिए सव्वं पाणाइवायं पच्चक्खामि जाव परिग्गहं सव्वं कोहं जाव मिच्छादसणसल्लं अकरणिज्ज जोयं पच्चक्खामि सव्वं असणं० चउब्विहंपि आहारं जावज्जीवाए ॐ पच्चक्खामि जंपिय मे इमं इ8 जाव फुसंतुत्तिकटु एयंपिय णं चरिमेहिं ऊसासनिस्सासेहिं वोसिरामित्तिकटु आलोइयपडिक्कंते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा म सोहम्मे कप्पे सूरियाभे विमाणे उववायसभाए जाव उववण्णे, तए णं से सूरियाभे देवे अहुणोववन्नए चेव समाणे पंचविहाए पज्जत्तीए पज्जत्तिभावं गच्छति, तं०२ आहारपज्जत्तीए सरीर० इंदिय० आणापाण० भासामणपज्जत्तीए, तएवं खलु भो ! सूरियाभेणं देवेणं सा दिव्वा देविड्ढी दिव्वा देवजुत्ती दिव्वे देवाणुभावे लद्धे पत्ते Mo . 995श्री आगमगुणमंजूषा-28055555555555555555555$$$$OOR 听听听听听听听听听听乐听听听听听听听听听听听听乐 Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ROR9555555555555555 (१३) रायपसेणियं [(२) उवंगसुत्तं] [३७] 5555555555553EATOR 55555555QExog अभिसमन्नागए।८१। सूरियाभस्स णं भंते ! देवस्स केवतियं कालं ठिती पं० १,गोयमा ! चत्तारि पलिओवमाई ठिती पं०, से णं सूरियाभे देवे ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं अणंतरं चयं चइत्ता कहिं गच्छिहिति कहिं उववजिहिति ?, गोयमा ! महाविदेहे वासे जाणि इमाणि कुलाणि भवंति, तं०अड्ढाई दित्ताई विउलाई विच्छिण्णविपुलभवणसयणासणजाणवाहणाइण्णाई बहुधणबहुजातरूवरययाई आओगपओगसंपउत्ताई विच्छड्डिपउरभत्तपाणाई बहुदासीदासगोमहिसगवेलगप्पभूयाई बहुजणस्स अपरिभूताई तत्थ अन्नयरेसु कुलेसु पुत्तत्ताए पच्चाइस्सइ, तए णं तंसि दारगंसि गब्भगयंसि चेव समाणंसि अम्मापिऊणं धम्मे दढा पइण्णा भविस्सइ तए णं तस्स दारयस्स० नवण्हं मासाणं बहुपडिपुन्नाणं अट्ठमाण राइंदियाणं वितिक्कंताणं सुकुमालपाणिपायं अहीणपडिपुण्णपंचिदियसरीरं लक्खणवंजणगुणोववेयं माणुम्माणपमाणपडिपुन्नसुजायसव्वंगसुंदरंगं ससिसोमाकारं कंतं पियदंसणं सुरूवं दारयं पयाहिसि, तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो पढमे दिवसे ठितिवडियं करेहिति ततियदिवसे चंदसूरदंसणिगं करिस्संति छठे दिवसे जागरियं जागरिस्संति एक्कारसमे दिवसे वीइक्कं ते संपत्ते बारसाहे दिवसे णिव्वित्ते असुइजायकम्मकरणे चोक्खे संमज्जिओवलित्ते विउलं असणपाणखाइमसाइमं उवक्खडावेस्संति त्ता म मित्तणाइणियगसयणसंबंधिपरिजणं आमंतेत्ता तओ पच्छा पहाया कयबलिकम्मा जाव अलंकिया भोयणमंडवंसि सुहासणवरगया ते मित्तणाइजाव परिजणेण सद्धिं विउलं असणं० आसाएमाणा विसाएमाणा परिभुंजेमाणा परिभाएमाणा एवं चेवणं विहरिस्संति जिमियभुत्तुत्तरागयाविय णं समाणा आयंता चोक्खा परमसुइभूया तं मित्तणाइजावपरिजणं विउलेणं वत्थगंधमल्लालंकारेणं सक्कारेस्संति सम्माणिस्संति त्ता तस्सेव मित्तजावपरिजणस्स पुरतो एवं वइस्संति जम्हा णं देवाणुप्पिया ! इमंसि दारगंसि गब्भगयंसि चेव समाणंसि अम्हं धम्मे दढा पइण्णा जाया तं होउ णं अम्हं एयस्स दारयस्स दढपइण्णे (इ) णामेणं, तए णं तस्स दढपइण्णस्स दारगस्स अम्मापियरो नामधेनं करिस्संति दढपइण्णाइ य २, तए णं तस्स अम्मापियरो अणुपुव्वेणं ठितिवडियं च चंदसूरियदरिसणं च धम्मजागरियं च नामधिज्जकरणं च पज्जेमणगं च पडिवद्धावणगं च पचंकमणगं च कन्नवेहणं च संवच्छरपडिलेहणगं च चूलोवणयं च अन्नाणि य बहूणि गब्भाहाणजम्मणाइयाइं महया इड्ढीसक्कारसमुदएणं करिस्संति।८। तए णं दढपतिण्णे दारए पंचधाईपरिक्खित्ते खीरधाईए मज्जणधाईए अंकधाईए मंडणधाईए किलावणधाईए, अन्नाहि य बहूहिं चिलाइयाहिं वामणियाहि वडभियाहिं बब्बरीहिं बउसियाहिं जोण्हियाहिं पण्णवियाहिं ईसिणियाहिं वारूणियाहिंलासियाहिंलाउसियाहिं दमिलीहिं सिंहलीहिं आरबीहिं पुलिंदीहिं पक्कणीहिं बहलीहिं मुरंडीहिं पारसीहिं णाणादेसीविदेसपरिमंडियाहिं सदेसणेवत्थगहियवेसाहिं इंगियचितियपत्थियवियाणाहिं निउणकुसलाहिं विणीयाहिं चेडियाचक्कवालतरूणिवंदपरियालपरिवुडे वरिसधरकंचुइमहयरवंदपरिक्खित्ते हत्थाओ ह्त्थं साहरिज्जमाणे उवनच्चिज्जमाणे अंगेण अंगं परिभुज्जमाणे उवगिज्जेमाणे २ उवलालिज्जमाणे २ अवतासि०२ परिचुंबिज्जमाणे रम्मेसु मणिकोट्टिमतलेसु परंगमाणे २ गिरिकंदरमल्लीणेविव चंपगवरपायवे णिव्वाघायंसि सुहंसुहेणं परिवडिढस्सइ, तए णं तं दढपतिण्णं दारगं अम्मापियरो सातिरेगअट्ठवासजायगं जाणित्ता सोभणंसि तिहिकरणणक्खत्तमुहुत्तंसि पहायं कयबलिकम्म कयकोउअमंगलपायच्छित्तं सव्वालंकारविभूसियं करेत्ता महया इड्ढीसक्कारसमुदएणं कलायरियस्स उवणेहिति, तएणं से कलायरिए तह दढपतिण्णं दारगं लेहाइयाओ गणियप्पहाणाओ सउणरूयपज्जवसाणाओ बावत्तरि कलाओ सुत्तओ अत्थओ गंथओ (करणओ) पसिक्खावेहि य सेहावेहि य, तं०-लेहं गणियं रूयं नढें गीयं वाइयं सरगयं पुक्खरगयं समतालं जूयं १० जणवयं पासगं अट्ठावयं पारेकव्वं दगमट्टियं अन्नविहिं पाणविहिं वत्थविहिं विलेवणविहिं सयणविहिं २० अंजं पहेलियं मागहियं णिद्दाइयं गाहं गीहयं सिलोगं हिरण्णजुत्तिं सुवण्णजुत्तिं आभरणविहिं ३० तरूणीपडिकम्मं इत्थिलक्खणं पुरिसलक्खणं हयलक्खणं गयलक्खणं गोणलक्खणं कुक्कुडलक्खणं छत्तलक्खणं चक्कलक्खणं दंडलक्खणं ४० असिलक्खणं मणिलक्खणं कागणिलक्खणं वत्थुविजं णगरमाणं खंधवारं माणवारं पडिचारं व्हं पडिवूहं ५० चक्कवूहं गरूलवूहं सगडवूह जुद्धं निजुद्धं जुद्धाइजुद्धं अट्ठिजुद्ध मुट्ठिजुद्धं बाहुजुद्धं लयाजुद्धं ६० ईसत्थं छरूप्पवायं धणुवेय हिरण्णपागं सुवण्णपागं - प्रमाणपागं धाउपागं, सुत्तखेड्ड वट्टखेड्ड णालियखेड्ड पत्तच्छेज्जं कडगच्छेज्जं सज्जीवनिजीवं सउणरूय ७२ मिति, तए णं से कलायरिए तं दढपइण्णं दरगं ५ लेहाइयाओ गणियप्पहाणाओ सउणरूयपज्जवसाणाओ बावत्तरि कलाओ सुत्तओ य अत्थओय गंथओय करणओय सिक्खावेत्ता सेहावेत्ता अम्मापिऊणं उवणेहिति, vero 5 555 श्री आगमगुणमंजूषा : ८४१॥55555555555555555555555OOR 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听$ 0元 QQ乐乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐听听乐乐乐乐乐听听听听听听乐听听听听听听听听听FM Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ Xo35555555555555 (13) रायपसेणियं [ (2) उवंगसुत्तं] [38] 555555555555520 SOC$$$$听听听听听听听听听听听听听乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐玩玩乐乐乐乐乐乐贝贝贝贝贝乐 तए णं तस्स दढपइण्णस्स दारगस्स अम्मापियरो तं कलायरियं विउलेणं असणपाणखाइमसाइमेणं वत्थगंधमल्लालंकारेणं सक्कारिस्संति सम्माणिस्संति त्ता विउलं जीवियारिहं पीतिदाणं दलइस्संति विउलं जीवियारिहं० दलइत्ता पडिविसज्जेहिति / 83 / तए णं से दढपतिण्णे दारए उम्मुक्कबालभावे विण्णायपरिणयमित्ते जोव्वणगमणुपत्ते बावत्तरि-(१५०) कलापंडिए अट्टारसविहदेसोप्पगारभासाविसारए णवंगसुत्तपडिबोहिए गीयरई गंधव्वणट्टकुसले सिंगारागारचारूवेसे संगयगयहसियभणियचिट्ठियविलास-संलावनिउणजुत्तोवयारकुसले हयजोही गयजोही रहजोही बाहुजोही बाहुप्पमद्दी अलंभोगसमत्थे साहसिए वियालचारी यावि भविस्सइ, तए णं तं दढपइण्णं दारगं अम्मापियरो उम्मुक्कबालभावं जाव वियालचारिं च वियाणित्ता विउलेहिं अन्नभोगेहि य पाणभोगेहि य लेणभोगेहिंय वत्थभोगेहि य सयणभोगेहि य उवनिमंतिहिति, तए णं दढपइण्णे दारए तेहिं विउलेहिं अन्नभोएहिं जाव सयणभोगेहिं णो सज्जिहिति णो गिज्झिहिति णो मुच्छिहिति णो अज्झोववज्जिहिति से जहाणामए पउमुप्पलेति वा पउमेइ वा जाव सयसहस्सपत्तेति वा पंके जाते जले संवुड्ढे णोवलिप्पइ पंकरएणं नोवलिप्पइ जलरएणं एवामेव दढपइप्पणेऽविदारए कामेहिं जाते भोगेहिं संवड्डिए णोवलिप्पिहिति० मित्तणाइणियगसयणसंबंधिपरिजणेणं, सेणं तथारूवाणं थेराणं अंतिए केवलं बोहि बुज्झिहिति केवलं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइस्सति, से णं अणगारे भविस्सइ ईरियासमिए जाव सुहुययासणोइव तेयसा जलंते, तस्स णं भगवतो अणुत्तरेणं णाणेणं एवं दसणेणं चरित्तेणं आलएणं विहारेणं अज्जवेणं मद्दवेणं लाघवेणं खन्तीए गुत्तीए मुत्तीए अणुत्तरेणं सच्चसंजमतवसुचरियफलणिव्वाणमग्गेण अप्पाणं भावेमाणस्स अणंते अणुत्तरे कसिणे पडिपुण्णे णिरावरणे णिव्वाघाए केवलवरनाणदंसणे समुप्पजिहिति, तए णं से भगवं अरहा जिणे केवली भविस्सइ सदेवमणुयासुरस्स लोगस्स परियागं जाणिहिति तं०-आगतिं गतिं ठिति चवणं उववायं तक्कं कडं मणोमाणसियं खइयं भुत्तं पडिसेवियं आवीकम्मं रहोकम्मं अरहा अरहस्सभागी तं तं कालं मणवयकायजोगे वट्टमाणाणं सव्वलोए सव्वजीवाणं सव्वभावे जाणमाणे पासमाणे विहरिस्सइ, तए णं दढपइन्ने केवली एयारूवेणं विहारेणं विहरमाणे बहूइं वासाइं केवलिपरियागं पाउणित्ता अप्पणो आउसेसं आभोएत्ता बहूई भत्ताइं पच्चक्खाइस्सइ त्ता बहूई भत्ताइं अणसणाए छेइस्सइ त्ता जस्सट्टाए कीरइणग्गभावे केसलोचबंभचेरवासे अण्हाणगं अदंतवणं अच्छत्तगं अणुवहाणगं भूमिसेज्जाओ फलहसेज्जाओ परघरपवेसो लद्धावलद्धाई माणावमाणणाई परेसिं हीलणाओ खिसणाओ गरहणाओ तालणाओ उच्चावया विरूवा बावीसं परीसहोवसग्गा गामकंटगा अहियासिज्जति तमढें आराहेइ त्ता चरिमेहिं उस्सासनिस्सासेहिं सिज्झिहिति बुज्झिहिति मुच्चिहिति परिनिव्वाहिति सव्वदुक्खाणमंतं करेहिति।८४। सेवं भंते ! २त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वंदइ + नमसइ त्ता संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरति / णमो जिणाणं जियभयाणं, णमो सुयदेवयाए भगवतीए, णमो पण्णत्तीए भगवईए, णमो भगवओ अरहओ पासस्स पस्से सुपस्से पस्सवणा णमो।८५।। GO乐乐乐555听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听TC照 re 5 5555555555श्री आगमगुणमंजूषा- कककक5555555555555555555OOK