Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra Shwetambar Agam Guna Manjusha
Author(s): Gunsagarsuri
Publisher: Jina Goyam Guna Sarvoday Trust Mumbai
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ श्री उपासक दशांग सूत्र ॥ श्री आगम-गुण-मञ्जूषा॥ ॥श्री.मागम-गुण-४५।।। 11 Sri Agama Guna Manjusa 11 (सचित्र) प्रेरक-संपादक अचलगच्छाधिपति प.पू.आ.भ.स्व. श्री गुणसागर सूरीश्वरजी म.सा. Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ६ ११ अंगसूत्र ४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय ४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय १) श्री आचारांग सूत्र :- इस सूत्र मे साधु और श्रावक के उत्तम आचारो का सुंदर वर्णन है । इनके दो श्रुतस्कंध और कुल २५ अध्ययन है । द्रव्यानुयोग, गणितानुयोग, धर्मकथानुयोग और चरणकरणानुयोगोमे से मुख्य चौथा अनुयोग है। उपलब्ध श्लोको कि संख्या २५०० एवं दो चुलिका विद्यमान है। ६) २) श्री सूत्रकृतांग सूत्र :- श्री सुयगडांग नाम से भी प्रसिद्ध इस सूत्र मे दो श्रुतस्कंध और २३ अध्ययन के साथ कुलमिला के २००० श्लोक वर्तमान मे विद्यमान है । १८० क्रियावादी, ८४ अक्रियावादी, ६७ अज्ञानवादी अपरंच द्रव्यानुयोग इस आगम का मुख्य विषय रहा है। ३) श्री स्थानांग सूत्र :- इस सूत्र ने मुख्य गणितानुयोग से लेकर चारो अनुयोंगो कि बाते आती है। एक अंक से लेकर दस अंको तक मे कितनी वस्तुओं है इनका रोचक वर्णन है, ऐसे देखा जाय तो यह आगम की शैली विशिष्ट है और लगभग ७६०० श्लोक है। ४) श्री समवायांग सूत्र :- यह सूत्र भी ठाणांगसूत्र की भांति कराता है । यह भी संग्रहग्रंथ है। एक से सो तक कौन कौन सी चीजे है उनका उल्लेख है। सो के बाद देढसो, दोसो, तीनसो, चारसो, पांचसो और दोहजार से लेकर कोटाकोटी तक कौनसे कौनसे पदार्थ है उनका वर्णन है। यह आगमग्रंथ लगभग १६०० श्लोक प्रमाण मे उपलब्ध है। ५ ) श्री व्याख्याप्रज्ञप्ति सूत्र ( भगवती सूत्र ) :- यह सबसे बड़ा सूत्र है, इसमे ४२ शतक है, इनमे भी उपविभाग है, १९२५ उद्देश है। इस आगमग्रंथ में प्रभु महावीर के प्रथम शिष्य श्री गौतमस्वामी गणधरादि ने पुछे हुए प्रश्नो का प्रभु वीर ने समाधान किया है । प्रश्नोत्तर संकलन से इस ग्रंथ की रचना हुई है। चारो अनुयोगो कि बाते अलग अलग शतको मे वर्णित है। अगर संक्षेप मे कहना हो तो श्री भगवतीसूत्र रत्नो का खजाना है। यह आगम १५००० से भी अधिक संकलित श्लोको मे उपलब्ध है। ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र :- यह सूत्र धर्मकथानुयोग से है। पहले इसमे साडेतीन करोड कथाओ थी अब ६००० श्लोको मे उन्नीस कथाओं उपलब्ध है। ७) श्री उपासकदशांग सूत्र :- इसमें बाराह व्रतो का वर्णन आता है और १० महाश्रावको जीवन चरित्र है, धर्मकथानुयोग के साथ चरणकरणानुयोग भी इस सूत्र मे सामील है । इसमे ८०० से ज्यादा श्लोक है। ८) श्री अन्तकृद्दशांग सूत्र :- यह मुख्यतः धर्मकथानुयोग मे रचित है। इस सूत्र में श्री शत्रुंजयतीर्थ के उपर अनशन की आराधना करके मोक्ष मे जानेवाले उत्तम जीवो के छोटे छोटे चरित्र दिए हुए है। फिलाल ८०० श्लोको मे ही ग्रंथ की समाप्ति हो जाती है । ९) श्री अनुत्तरोपपातिक दशांग सूत्र :- अंत समय मे चारित्र की आराधना करके अनुत्तर विमानवासी देव बनकर दूसरे भव मे फीर से चारित्र लेकर मुक्तिपद को प्राप्त करने वाले महान् श्रावको के जीवनचरित्र है इसलीए मुख्यतया धर्मकथानुयोगवाला यह ग्रंथ २०० श्लोक प्रमाणका है। १०) श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र :- इस सूत्र मे मुख्यविषय चरणकरणानुयोग है। इस आगम में देव-विद्याघर-साधु-साध्वी श्रावकादि ने पुछे हुए प्रश्नों का उत्तर प्रभु ने कैसे दिया इसका वर्णन है । जो नंदिसूत्र मे आश्रव-संवरद्वार है ठीक उसी तरह का वर्णन इस सूत्र मे भी है । कुल मिला के इसके २०० श्लोक है। ११) श्री विपाक सूत्र :- इस अंग मे २ श्रुतस्कंध है पहला दुःखविपाक और दूसरा सुखविपाक, पहेले में १० पापीओं के और दूसरे में १० धर्मीओ के द्रष्टांत है मुख्यतया धर्मकथानुयोग रहा है । १२०० श्लोक प्रमाण का यह अंगसूत्र है । १२ उपांग सूत्र १) श्री औपपातिक सूत्र :- यह आगम आचारांग सूत्र का उपांग है। इस मे चंपानगरी का वर्णन १२ प्रकार के तपों का विस्तार कोणिक का जुलुस अम्बडपरिव्राजक के ७०० शिष्यो की बाते है। १५०० श्लोक प्रमाण का यह ग्रंथ है। २) श्री राजप्रनीय सूत्र :- यह आगम सुयगडांगसूत्र का उपांग है। इसमें प्रदेशीराजा का अधिकार सूर्याभदेव के जरीए जिनप्रतिमाओं की पूजा का वर्णन है । २००० श्लोको से भी अधिक प्रमाण का ग्रंथ है। श्री आगमगुणमंजूषा GY Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ %。 %%%%%%85 २) त्रास %%%%%%%%%%% doOKHAR153835555555555555555555345555555555555555555555555ODXOS KAROKKAXXE E EEEE994%953589 ४५ आगमो का संक्षिप्त परिचय 985555359999999455889 श्री जीवाजीवाभिगम सूत्र :- यह ठाणांगसूत्र का उपांग है । जीव और अजीव के दश प्रकीर्णक सूत्र बारे मे अच्छा विश्लेषण किया है। इसके अलावा जम्बुद्विप की जगती एवं विजयदेव ने कि हुइ पूजा की विधि सविस्तर बताइ है। फिलाल जिज्ञासु ४ प्रकरण, क्षेत्रसमासादि श्री चतुशरण प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में अरिहन्त, सिद्ध, साधु और गच्छधर्म जो पढ़ते है वह सभी ग्रंथे जीवाभिगम अपरग्च पनवणासूत्र के ही पदार्थ है । यह के आचार के स्वरूप का वर्णन एवं चारों शरण की स्वीकृति है। आगम सूत्र ४७०० श्लोक प्रमाण का है। श्री प्रज्ञापना सूत्र- यह आगम समवायांग सूत्र का उपांग है । इसमे ३६ पदो का वर्णन श्री आतुर प्रत्याख्यान प्रकीर्णक सूत्र :- इस आगम का विषय है अंतिम आराधना है। प्रायः ८००० श्लोक प्रमाण का यह सूत्र है। और मृत्युसुधार ५) श्री सुर्यप्रज्ञप्ति सूत्र : श्री चन्द्रप्रज्ञप्तिसूत्र :- इस दो आगमो मे गणितानुयोग मुख्य विषय रहा है। सूर्य, ३) श्री भक्तपरिज्ञा प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में पंडित मृत्यु के तीन प्रकार (१) चन्द्र, ग्रहादि की गति, दिनमान ऋतु अयनादि का वर्णन है, दोनो आगमो मे २२००, भक्त परिज्ञा मरण (२) इंगिनी मरण (३) पादोपगमन मरण इत्यादि का वर्णन है। २२०० श्लोक है। श्री जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र :- यह आगम भी अगले दो आगमों की तरह गणितानुयोग ६) श्री संस्तारक प्रकीर्णक सूत्र :- नामानुसार इस पयन्ने में संथारा की महिमा का वर्णन मे है। यह ग्रंथ नाम के मुताबित जंबूद्विप का सविस्तर वर्णन है। ६ आरे के स्वरूप है। इन चारों पयन्ने पठन के अधिकारी श्रावक भी है। बताया है। ४५०० श्लोक प्रमाण का यह ग्रंथ है। श्री तंदुल वैचारिक प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने को पूर्वाचार्यगण वैराग्य रस के श्री निरयावली सूत्र :- इन आगम ग्रंथो में हाथी और हारादि के कारण नानाजी का समुद्र के नाम से चीन्हित करते है । १०० वर्षों में जीवात्मा कितना खानपान करे दोहित्र के साथ जो भयंकर युद्ध हुआ उस मे श्रेणिक राजा के १० पुत्र मरकर नरक मे इसकी विस्तृत जानकारी दी गई है। धर्म की आराधना ही मानव मन की सफलता है। गये उसका वर्णन है। ऐसी बातों से गुंफित यह वैराग्यमय कृति है। श्री कल्पावतंसक सूत्र :- इसमें पद्यकुमार और श्रेणिकपुत्र कालकुमार इत्यादि १० भाइओं के १० पुत्रों का जीवन चरित्र है। ८) श्री चन्दाविजय प्रकीर्णक सूत्र :- मृत्यु सुधार हेतु कैसी आराधना हो इसे इस पयन्ने । १०) श्री पुष्पिका उपांग सूत्र :- इसमें १० अध्ययन है । चन्द्र, सूर्य, शुक्र, बहुपुत्रिका में समजाया गया है। देवी, पूर्णभद्र, माणिभद्र, दत्त, शील, जल, अणाढ्य श्रावक के अधिकार है। ११) श्री पुष्पचुलीका सूत्र :- इसमें श्रीदेवी आदि १० देवीओ का पूर्वभव का वर्णन है। ९) श्री देवेन्द्र-स्तव प्रकीर्णक सूत्र :- इन्द्र द्वारा परमात्मा की स्तुति एवं इन्द्र संबधित ई श्री वृष्णिदशा सूत्र :- यादववंश के राजा अंधकवृष्णि के समुद्रादि १०पुत्र, १० मे अन्य बातों का वर्णन है। पुत्र वासुदेव के पुत्र बलभद्रजी, निषधकुमार इत्यादि १२ कथाएं है। अंतके पांचो उपांगो को निरियावली पञ्चक भी कहते है। १०A) श्री मरणसमाथि प्रकीर्णक सूत्र :- मृत्यु संबधित आठ प्रकरणों के सार एवं अंतिम आराधना का विस्तृत वर्णन इस पयन्ने में है। %%%%% %%% %%%% %% %%%% %%%% %%%%% १०B) श्री महाप्रत्याख्यान प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में साधु के अंतिम समय में किए जाने योग्य पयन्ना एवं विविध आत्महितकारी उपयोगी बातों का विस्तृत वर्णन है। (GainEducation-international 2010-03 VOON N54555554454549 श्री आगमगुणमजूषा E f54 www.dainelibrary.00) $$# KOR Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 乐乐乐乐玩玩乐乐听听听听听听圳坂圳乐乐听听听听的 १०८) श्री गणिविद्या प्रकीर्णक सूत्र :- इस पयन्ने में ज्योतिष संबधित बड़े ग्रंथो का सार है। ३) उपरोक्त दसों पयन्नों का परिमाण लगभग २५०० श्लोकों में बध्य हे। इसके अलावा २२ अन्य पयन्ना भी उपलब्ध हैं। और दस पयन्नों में चंदाविजय पयन्नो के स्थान पर गच्छाचार पयन्ना को गिनते हैं। श्री नियुक्ति सूत्र :- चरण सत्तरी-करण सत्तरी इत्यादि का वर्णन इस आगम ग्रन्थ में ७ है। पिंडनियुक्ति भी कई लोग ओघ नियुक्ति के साथ मानते हैं अन्य कई लोग इसे अलग आगम की मान्यता देते हैं । पिंडनियुक्ति में आहार प्राप्ति की रीत बताइ हें। ४२ दोष कैसे दूर हों और आहार करने के छह कारण और आहार न करने के छह कारण इत्यादि बातें हैं। छह छेद सूत्र श्री आवश्यक सूत्र :- छह अध्ययन के इस सूत्र का उपयोग चतुर्विध संघ में छोट बडे सभी को है । प्रत्येक साधु साध्वी, श्रावक-श्राविका के द्वारा अवश्य प्रतिदिन प्रात: एवं सायं करने योग्य क्रिया (प्रतिक्रमण आवश्यक) इस प्रकार हैं : (१) सामायिक (२) चतुर्विंशति (३) वंदन (४) प्रतिक्रमण (५) कार्योत्सर्ग (६) पच्चक्खाण (१) निशिथ सूत्र (२) महानिशिथ सूत्र (३) व्यवहार सूत्र (४) जीतकल्प सूत्र (५) पंचकल्प सूत्र (६) दशा श्रुतस्कंध सूत्र इन छेद सूत्र ग्रन्थों में उत्सर्ग, अपवाद और आलोचना की गंभीर चर्चा है । अति गंभीर केवल आत्मार्थ, भवभीरू, संयम में परिणत, जयणावंत, सूक्ष्म दष्टि से द्रव्यक्षेत्रादिक विचार धर्मदष्टि असे करने वाले, प्रतिपल छहकाया के जीवों की रक्षा हेतु चिंतन करने वाले, गीतार्थ, परंपरागत क उत्तम साधु, समाचारी पालक, सर्वजीवो के सच्चे हित की चिंता करने वाले ऐसे उत्तम मुनिवर जिन्होंने गुरु महाराज की निश्रा में योगद्वहन इत्यादि करके विशेष योग्यता अर्जित की हो ऐसे * मुनिवरों को ही इन ग्रन्थों के अध्ययन पठन का अधिकार है। दो चूलिकाए १) श्री नंदी सूत्र :- ७०० श्लोक के इस आगम ग्रंन्थ में परमात्मा महावीर की स्तुति, संघ की अनेक उपमाए, २४ तीर्थकरों के नाम ग्यारह गणधरों के नाम, स्थविरावली और पांच ज्ञान का विस्तृत वर्णन है। चार मूल सूत्र श्री दशवकालिक सूत्र :- पंचम काल के साधु साध्वीओं के लिए यह आगमग्रन्थ अमृत सरोवर सरीखा है। इसमें दश अध्ययन हैं तथा अन्त में दो चूलिकाए रतिवाक्या व, विवित्त चरिया नाम से दी हैं । इन चूलिकाओं के बारे में कहा जाता है कि श्री स्थूलभद्रस्वामी की बहन यक्षासाध्वीजी महाविदेहक्षेत्र में से श्री सीमंधर स्वामी से चार चूलिकाए लाइ थी। उनमें से दो चूलिकाएं इस ग्रंथ में दी हैं। यह आगम ७०० श्लोक प्रमाण का है। श्री अनुयोगद्वार सूत्र :- २००० श्लोकों के इस ग्रन्थ में निश्चय एवं व्यवहार के आलंबन द्वारा आराधना के मार्ग पर चलने की शिक्षा दी गइ है । अनुयोग याने शास्त्र की व्याख्या जिसके चार द्वार है (१) उत्क्रम (२) निक्षेप (३) अनुगम (४) नय यह आगम सब आगमों की चावी है। आगम पढने वाले को प्रथम इस आगम से शुरुआत करनी पड़ती है। यह आगम मुखपाठ करने जैसा है। ॥ इति शम्॥ श्री उत्तराध्ययन सूत्र :- परम कृपालु श्री महावीरभगवान के अंतिम समय के उपदेश इस सूत्र में हैं । वैराग्य की बातें और मुनिवरों के उच्च आचारों का वर्णन इस आगम ग्रंथ में ३६ अध्ययनों में लगभग २००० श्लोकों द्वारा प्रस्तुत हैं। ) Gain Education International 2010_03 Mora :58498499934555555555; आगमगुणमजूषा-5555555555555555555555555 ) Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ XOX ¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶KK Introduction 45 Agamas, a short sketch YURALSEA PERLA RADIO Quan Bài 3 Bà Là Là Là Là Là Là Là Là Là Là Là Là Là Là Là Là 35 3 3 20 It is of the size of around 800 Ślokas. (8) Antagaḍa-daśānga-sutra: It deals mainly with the teaching of the religious discourses. It contains brief life-sketches of the highly spiritual souls who are born to liberate and those who are liberating ones: they are Andhaka Vṛṣṇi, Gautama and other 9 sons of queen Dharini, 8 princes like Akṣobhakumāra, 6 sons of Devaki, Gajasukumara, Yadava princes like Jali, Mayāli, Vasudeva Kṛṣṇa, 8 queens like Rukmiņi. It is available of the size of 800 Ślokas. (9) Anuttarovavayi-daśānga-sūtra : It deals with the teaching of the religious discourses. It contains the life-sketches of those who practise the path of religious conduct, reach the Anuttara Vimāna, from there they drop in this world and attain Liberation in the next birth. Such souls are Abhayakumara and other 9 princes of king Śrenika, Dirghasena and other 11 sons, Dhanna Apagara, etc. It is of the size of 200 Ślokas. I Eleven Angas: (1) Acărănga-sutra: It deals with the religious conduct of the monks and the Jain householders. It consists of 02 Parts of learning, 25 lessons and among the four teachings on entity, calculation, religious discourse and the ways of conduct, the teaching of the ways of conduct is the main topic here. The Agama is of the size of 2500 Ślokas. (2) Suyagaḍānga-sutra: It is also known as Sūtra-Kṛtānga. It's two parts of learning consist of 23 lessons. It discusses at length views of 363 doctrine-holders. Among them are 180 ritualists, 84 nonritualists, 67 agnostics and 32 restraint-propounders, though it's main area of discussion is the teaching of entity. It is available in the size of 2000 Ślokas. (3) Thapanga-sutra: It begins with the teaching of calculation mainly and discusses other three teachings subordinately. It introduces the topic of one dealing with the single objects and ends with the topic of eight objects. It is of the size of 7600 Slokas. (4) Samaväyänga-sutra: This is an encompendium, introducing 01 to 100 objects, then 150, 200 to 500 and 2000 to crores and crores of objects. It contains the text of size of 1600 slokas. (5) Vyakhyā-prajñapti-sūtra : It is also known as Bhagavati-sūtra. It is the largest of all the Angas. It contains 41 centuries with subsections. It consists of 1925 topics. It depicts the questions of Gautama Ganadhara and answers of Lord Mahavira. It discusses the four teachings in the centuries. This Agama is really a treasure of gems. It is of the size of more than 15000 Ślokas. (6) Jäätädharma-Kathānga-sutra: It is of the form of the teaching of the religious discourses. Previously it contained three and a half crores of discourses, but at present there are 19 religious discourses. It is of the size of 6000 Ślokas. SEVEN A (7) Upāsaka-daśānga-sutra: It deals with 12 vows, life-sketches of 10 great Jain householders and of Lord Mahāvīra, too. This deals with the teaching of the religious discourses and the ways of conduct. (10) Praśna-vyākaraṇa-sūtra: It deals mainly with the teaching of the ways of conduct. As per the remark of the Nandi-satra, it contained previously Lord Mahavira's answers to the questions put by gods, Vidyadharas, monks, nuns and the Jain householders. At present it contains the description of the ways leading to transgression and the self-control. It is of the size of 200 Ślokas. Vipaka-sūtranga-sutra: It consists of 2 parts of learning. The first part is called the Fruition of miseries and depicts the life of 10 sinful souls, while the second part called the Fruition of happiness narrates illustrations of 10 meritorious souls. It is available of the size of 1200 Ślokas. (11) II Twelve Upangas (1) Uvavayi-sutra: It is a subservient text to the Acaranga-sutra. It deals with the description of Campă city, 12 types of austerity, procession-arrival of Konika's marriage, 700 disciples of the monk Ambaḍa. It is of the size of 1000 slokas. (2) Rayapaseni-sutra: It is a subservient text to Suyagaḍanga-sutra. It depicts king Pradesi's jurisdiction, god Suryabha worshipping the Jina idols, etc. It is of the size of 2000 Ślokas. www.jainelibrary Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ShhhhĀMhMMMMMMMMMMMÁR ૪૫ આગમ સરળ અગ્રજી ખાવાથ (3) Jivabhigama-sutra: It is a subservient text to Thaṇānga-sūtra. It deals with the wisdom regarding the self and the non-self, the Jambu continent and its areas, etc. and the detailed description of the veneration offered by god Vijaya. The four chapters on areas, society, etc. published recently are composed on the line of the topics of this Sūtra and of the Pannavaṇa-sutra. It is of the size of 4700 slokas. (4) Pannāvaṇā-sūtra : It is a subservient text to the Samavāyāngasūtra. It describes 36 steps or topics and it is of the size of 8000 Ślokas. (5) Surya-prajñapti-sūtra and (6) Candra-prajñapti-sutra: These two falls under the teaching of the calculation. They depict the solar and the lunar transit, the movement of planets, the variations in the length of a day, seasons, northward and the southward solstices, etc. Each one of these Agamas are of the size of 2200 Ślokas. (7) Jambudvipa-prajñapti-sūtra: It mainly deals with the teaching of the calculations. As it's name indicates, it describes at length the objects of the Jambu continent, the form and nature of 06 corners (āra). It is available in the size of 4500 Slokas. Nirayavali-pancaka: (8) Nirayavali-sütra: It depicts the war between the grandfather and the daughter's son, caused of a necklace and the elephant, the death of king @renika's 10 sons who attained hell after death. This war is designated as the most dreadful war of the Downward (avasarpiņi) age. (9) Kalpavatamsaka-sutra: It deals with the life-sketches of Kalakumara and other 09 princes of king Śrenika, the life-sketch of Padamakumpra and others. (10) Pupphiya-upanga-sutra: It consists of 10 lessons that covers the topics of the Moon-god, Sun-god, Venus, queen Bahuputrikă, Pūrṇabhadra, Manibhadra, Datta, Sila, Bala and Anaḍdhiya. (11) Pupphaculiya-upanga-sutra: It depicts previous births of the 10 queens like Sridevi and others. (12) Vahnidaśā-upanga sutra: It contains 10 stories of Yadu king Andhakavṛṣṇi, his 10 princes named Samudra and others, the tenth Cain Education International 2010 03 JARNANAK one Vasudeva, his son Balabhadra and his son Nişaḍha. JARD DA DA DA DA DAS III Ten Payanna-sutras : (1) Aurapaccakhāṇa-sūtra : It deals with the final religious practice and the way of improving (the life so that the) death (may be improved). (2) Bhattaparinna-sūtra : It describes (1) three types of Pandita death, (2) knowledge, (3) Ingini devotee (4) Padapopagamana, etc. (4) Santharaga-payanna-sutra: It extols the Samstaraka. ** These four payannas can also be learnt and recited by the Jain householders. ** (5) Tandula-viyaliya-payanna-sūtra : The ancient preceptors call this Payanna-sutra as an ocean of the sentiment of detachment. It describes what amount of food an individual soul will eat in his life of 100 years, the human life can be justified by way of practising a religious life. (6) Candavijaya-payanna-sutra: It mainly deals with the religious practice that improves one's death. (7) Devendrathui-payanna-sūtra : It presents the hymns to the Lord sung by Indras and also furnishes important details on those Indras. (8) Maraṇasamadhi-payanna-sūtra : It describes at length the final religious practice and gives the summary of the 08 chapters dealing with death. (9) Mahāpaccakhāṇa-payanna-sūtra : It deals specially with what a monk should practise at the time of death and gives various beneficial informations. (10) Gaṇivijaya-payanna-sutra: It gives the summary of some treatise on astrology. These 10 Payannās are of the size of 2500 Ślokas. Besides about 22 Payannās are known and even for these above 10 also there is a difference of opinion about their names. The Gacchācāra is taken, by some, in place of the Candavijaya of the 10 Payannās. Only « KAAKAKKKKKKKKKKKKKKKKKKKKKKOYOX www.jainelibrary.o Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ *********** IV Six Cheda-sūtras ********** (2) Nisitha-sūtra, (4) Pancakalpa-sutra, YU MUNU AM VIÀO QUN ********¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶ (1) Vyavahara-sutra, (3) Mahānisitha-sutra, (5) Daśāśruta-skandha-sūtra and (6) Bṛhatkalpa-sūtra. These Chedasûtras deal with the rules, exceptions and vows. The study of these is restricted only to those best monks who are (1) serene, (2) introvert, (3) fearing from the worldly existence, (4) exalted in restraint, (5) self-controlled, (6) rightfully descerning the subtlety of entity, territories, etc. (7) pondering over continuously the protection of the six-limbed souls, (8) praiseworthy, (9) exalted in keeping the tradition, (10) observing good religious conduct, (11) beneficial to all the beings and (12) Who have paved the path of Yoga under the guidance of their master. V Four Malasitras (1) Daśavaikalika-sutra: It is compared with a lake of nectar for the monks and nuns established in the fifth stage. It consists of 10 lessons and ends with 02 Cūlikäs called Rativakya and Vivittacariya. It is said that monk Sthulabhadra's sister nun Yakşă approached Simandhara Svāmi in the Mahāvideha region and received four Culikās. Here are incorporated two of them. (2) Uttaradhyayana-sutra: It incorporates the last sermons of Lord Mahavira. In 36 lessons it describes detachment, the conduct of monks and so on. It is available in the size of 2000 Slokas. (3) Anuyogadvara-sutra: It discusses 17 topics on conduct, behaviour, etc. Some combine Pifaniryukti with it, while others take it as a separate Agama. Pindaniryukti deals with the method of receiving food (bhiksă or gocari), avoidance of 42 faults and to receive food, 06 reasons of taking food, 06 reasons for avoiding food, etc. (4) Avasyaka-sutra: It is the most useful Agama for all the four groups 2010 03 of the Jain religious constituency. It consists of 06 lessons. It describes 06 obligatory duties of monks, nuns, house-holders and housewives. They are (1) Samayika, (2) Caturvimśatistava, (3) Vandana, (4) Pratikramana, (5) Kayotsarga and (6) Paccakhāṇa. VI Two Culikäs (1) Nandi-sütra: It contains hymn to Lord Mahavira, numerous similies for the religious constituency, name-list of 24 Tirthankaras and 11 Gaṇadharas, list of Sthaviras and the fivefold knowledge. It is available in the size of around 700 Ślokas. (2) Anuyogadvara-sutra: Though it comes last in the serial order of the 45 Agamas, the learner needs it first. It is designated as the key to all the Agamas. The term Anuyoga means explanatory device which is of four types: (1) Statement of proposition to be proved, (2) logical argument, (3) statement of accordance and (4) conclusion. It teaches to pave the righteous path with the support of firm resolve and wordly involvements. It is of the size of 2000 Ślokas. ¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶__¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶¶ Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 原 C蛋蛋蛋蛋蛋蛋蛋蛋 સરળ ગુજરાતી ભાવાર્થ આગમ - ૭ ધર્મકથાનુયોગ પ્રધાન ઉપાસક દશાંગ સૂત્ર - ૭ અન્ય નામ :- ઉવાસગદસા શ્રુતસ્કંધ અધ્યયન ઉદ્દેશક પદ ઉપલબ્ધ પાઠ ગદ્યસૂત્ર પદ્યસૂત્ર -૧૦ ૧૦ ૭૧,૫૨,૦૦૦ श्री आगमगुणमंजूषा २५ -૮૧૨શ્લોક પ્રમાણ ૨૩૨ XXX (૧) અધ્યયન : આનંદ આ અધ્યયનના એક ઉદ્દેશક માં ચંપાનગરી, પૂર્ણભદ્રચૈત્ય, આર્ય સુધર્મા સ્વામી ગણધર ભગવાન, તથા જંબૂસ્વામી, દસ અધ્યયનોના નામ પછી વાણિજ્ય ગામના દુતિપલાસ ચૈત્યમાં ભગવાન મહાવીરના સમવસરણમાં આનંદ શ્રાવકનું દેશના સાંભળવા જવું, ૧૨ વ્રતો લેવા, તે વ્રતોનું વિસ્તૃત વર્ણન, આનંદ શ્રાવને અવધિજ્ઞાન, ગણધર ગૌતમ સ્વામીની જિજ્ઞાસા, ભગવાન મહાવીર દ્વારા સમાધાન, ગૌતમ સ્વામીની ક્ષમાયાચના, અગિયાર ઉપાસક પ્રતિમાની આરાધના, આનંદશ્રાવકનું દેવલોક ગમન અનેત્યાંથી ચ્યવન પામીને મહાવિદેહમાં જન્મ અને અંતે નિર્વાણ એમ વર્ણન કરવામાં આવ્યું છે. (૨) અધ્યયન : કામદેવ આ અધ્યયનના એક ઉદ્દેશકમાં ચંપાનગરી, પૂર્ણભદ્ર ચૈત્ય અને જિતરાત્રુ રાજાના વર્ણન પછી ભગવાન મહાવીરના સમવસરણ પછી કામદેવના વ્રતગ્રહણનું અને તે આરાધન દરમિયાન મિથ્યાદષ્ટિ દેવ દ્વારા પિશાચરૂપે, હસ્તિરૂપે અને સર્પરૂપે પરીક્ષા પછી કામદેવની પ્રશંસા અને ક્ષમાપ્રાર્થના વગેરે વર્ણન પછી ગૌતમસ્વામીની કામદેવ વિષે જિજ્ઞાસાનું ભગવાન મહાવીર દ્વારા સમાધાનનું વર્ણન છે. (૩) અધ્યયન : ચુલિની પિતા આ અધ્યયનના એક ઉદ્દેરામાં વારાણસી નગરી, કોઇક ચૈત્ય, જિતરાત્રુ રાજાના વર્ણન પછી ભગવાન મહાવીરના સમવસરણ પછી ચુલિની પિતાનું દ્વાદાવ્રત ગ્રહણ અને 555 5 5 5 OR Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ * આરાધના, દેવ દ્વારા જ્યેષ્ઠ પુત્ર વધ વગેરે ઉપસર્ગોથી ચુલિની પિતાનું વિચલિત થવું, પ્રાયશ્ચિત કરવું, ઉપાસક પ્રતિમાઓની આરાધના અને દેવલોકમાં ગમન તથા મહાવિદેહમાં જન્મ અને અંતે નિર્વાણનું વર્ણન છે. (૪) અધ્યયન : સુરાદેવ આ અધ્યયનના એક ઉદ્દેશમાં વારાણસી નગરી, કોઇક ચૈત્ય અને જિતરાત્રુ રાજાના વર્ણન પછી ઉપરના અધ્યયનોની જેમ સુરાદેવની દેવ દ્વારા પરીક્ષા, પ્રાયશ્ચિત, પ્રતિમાની આરાધના, દેવલોકમાં ઉત્પત્તિ, મહાવિદેહમાં જન્મ અને નિર્વાણ વગેરે વર્ણન છે. (૫) અધ્યયન : યુદ્ધાતક આ અધ્યયનના એક ઉદ્દેશમાં આલબિકા નગરી, શંખવન ઉદ્યાન અને જિતશત્રુ રાજાના વર્ણન પછી ચુલાતકનું વ્રતગ્રહણ, ધર્મારાધન, દેવદ્વારા પરીક્ષા, પત્ની બહુલાદ્વારા પતિને સાંત્વના, પ્રાયશ્ચિત્ત, પ્રતિમાઓની આરાધના વગેરે વર્ણન ઉપર મુજબ છે. (૬) અધ્યયન : કુંડકોલિક આ અધ્યયનના એક ઉદ્દેશકમાં કાંપિલ્યપુર, સહસ્રામ્રવન ઉદ્યાન અને જિતરાત્રુરાજાના વર્ણન પછી કુંડકોલિનું વ્રતગ્રહણ, દેવદ્વારા નિયતિવાદ – પુરુષાર્થવાદની પરીક્ષામાં ભગવાન મહાવીરના પુરુષાર્થવાદનું પ્રતિપાદન, ધર્મારાધન વગેરે પછીનું વર્ણન ઉપર મુજબ છે. સરળ ગુજરાતી ભાવાર્થ પ્રક વર્ણન અંતે નિર્વાણની વાત છે. (૧૦) અધ્યયન : સાલિહીપિતા આ અધ્યયનના એક ઉદ્દેશમાં શ્રાવસ્તી નગરી, કોઇક ચૈત્ય અને જિતરાત્રુ રાજાના વર્ણન પછી ગૃહસ્થ સાલિહીપિતાનું ૧૨ વ્રત ગ્રહણ, ઉપાસક પ્રતિમાઓની આરાધના, દેવલોકગમન અને ત્યાંથી મહાવિદેહમાં જન્મ અને નિર્વાણ વગેરે વર્ણન છે. • આ દસ શ્રાવકોનું શ્રમણોપાસક જીવન ૨૦ વર્ષનું છે. (૭) અધ્યયન : સદ્દાલપુત્ર આ અધ્યયનના એક ઉદ્દેશકમાં પોલાસપુર, સહસ્રામ્રવન અને જિતરાત્રુના વર્ણન પછી આજીવિકોપાસક સહાલપુત્ર કુંભારનું ધર્મારાધન, ભગવાન મહાવીરદ્વારા ગોશાલકના નિયતિવાદનું ખંડન, દેવદ્વારા પરીક્ષા વગેરે પછીનું વર્ણન ઉપર મુજબ છે. (૮) અધ્યયન : મહારાતક આ અધ્યયનના એક ઉદ્દેશમાં રાજગૃહ નગર, ગુણશીલ ચૈત્ય અને શ્રેણિકરાજાના વર્ણન પછી મહારાતની રેવતી વગેરે ૧૩ પત્નીઓ, મહારાતકનું વ્રતગ્રહણ, રેવતી દ્વારા બાર શોક્યની હત્યા અને મદ્યમાંસ વગેરે આહારમાં આસક્તિ અને મહાશતક પ્રત્યે દુર્વ્યવહાર, મહાશતકની દઢતા અને પ્રતિમાઓની આરાધના, રેવતીનું નરકગમન, મહારાતક દ્વારા પ્રાયશ્ચિત્ત અને શ્રમણોપાસક જીવન વગેરે વર્ણન પછી દેવલોકગમન, મહાવિદેહમાં જન્મ અને નિર્વાણનું વર્ણન છે. (૯) અધ્યયન : નંદિનીપિતા આ અધ્યયનમાં એક ઉદ્દેશમાં શ્રાવસ્તી નગરી, કોઇક ચૈત્ય અને જિતરાત્રુ રાજાના વર્ણન પછી ગૃહસ્થ નંદિની પિતાનું વ્રતગ્રહણ, ઉપાસક પ્રતિમાઓની આરાધના વગેરે 系 श्री आगमगुणमंजूषा २६ (OR Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ FG555555555555555 (5) उवासगदयाओं १ अन्झयण आणन्द्र पिट्ठका (१) [१] 555555555555555OOK iC$听听听听听听听听听听听乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听F5C सिरि उसहदेव सामिस्स णमो। सिरि गोडी - जिराउला - सव्वोदय फस णाहाणं णमो । णमोऽत्थुणं समणस्स भगवओ - महइ महावीर वद्धमाण सामिस्स । सिरि गोयम - सोहम्माइ सव्व गणहराणं णमो । सिरि सुगुरु - देवाणं णमो। श्रीउपासकदशाङ्गम -तेणं कालेणं० चम्पा नाम नयरी होत्था वण्णओ. पुण्णाभ चेद्दा वण्णओ।१। तेणं कालेणं० अज्जसुहम्मे समोसरिए जाव जम्बू पञ्जवासमाणे एवं वयासी-जड़ णं भन्ते ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव सम्पत्तेणं छट्ठस्स अङ्गस्स नायाधम्मकहाणं अयमढे पण्णत्ते सत्तमस्स णं भन्ते! अङ्गस्स उवासगदसाणं समणेणं जाव सम्पत्तेणं के अढे पं०?, एवं खलु जम्बू ! समणेणं जाव सम्पत्तेणं सत्तमस्स अङ्गस्स उवासगदसाणं दस अज्झयणा पं० तं०-'आणन्दे ? कामदेवे य २. गाहावइचुलणीपिया ३। सुरादेवे ४ चुल्लसयए ५.गाहावइकुण्डकोलिए ६॥१॥ सद्दालपुत्ते ७ महासयए ८. नन्दिणीपिया ९ सालिहीपिया १० । जइ णं भन्ते ! समणेणं जाव सम्पत्तेणं सत्तमस्स अङ्गस्स उवासगदसाणं दस अज्झयणा पं० पढमस्स णं भन्ते ! समणेणं जाव सम्पत्तेणं के अढे पं० १२श एवं खलु जम्बू ! तेणं कालेणं० वाणियगामे नामं नयरे होत्था वण्णओ. तस्स णं वाणियगामस्स नयरस्स बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए दूइयपलासए नाम चेइए, तत्थ णं वाणियगामे नयरे जियसत्तू राया होत्था वण्णओ. तत्थ णं वाणियगामे आणन्दे नाम गाहावई परिवसइ अइढे जाव अपरिभूए. तस्स णं आणन्दस्स गाहावइस्स चत्तारि हिरण्णकोडीओ निहाणपउत्ताओ चत्तारि हिरण्णकोडीओ वुड्डिपउत्ताओ चत्तारि हिरण्णकोडीओ पवित्थरपउत्ताओ चत्तारि वया दसगोसाहस्सिएणं वएणं होत्था, १ सेणं आणन्दे गाहावई वहूणं राईसरजावसत्थवाहाणं बहूसु कज्जेसु य कारणेसु यमन्तेसु य कुडुम्बेसु य गुज्झेसु य रहस्सेसु य निच्छएसु य ववहारेसु य आपुच्छणिज्जे पडिपुच्छणिज्जे सयस्सवि य णं कुडुम्बस्स मेढी पमाणं आहारे आलम्बणं चक्खू मेढीभूए जाव सव्वकज्जवट्ठावए ४८६ उपासकदशांगं यावि होत्था, तस्स णं आणन्दस्स गाहावइस्स सिवानन्दा नाम भारिया होत्था, अहीण जाव सुरूवा, आणन्दस्स गाहावइस्स इट्टा० आणन्देणं गाहावइणा सद्धिं अणुरत्ता अविरत्ता इट्ठा सद्द जाव पच्चविहे माणुस्सए कामभोए पच्चणुभवमाणी विहरइ, तस्स णं वाणियगामस्स बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसीभाए ए (प्र० त) त्थ णं कोल्लाए नाम सन्निवेसे होत्था रिद्धत्थिमिय जाव पासादीए०, तत्थ णं कोल्लाए सन्निवेसे आणन्दस्स गाहावइस्स बहुए मित्तनाइनियगसयणसम्बन्धिपरिजणे परिवसइ अड्ढे जाव अपरिभूए, तेणं कालेणं० समणे भगवं महावीरे जाव समोसरिए, परिसा निग्गया, कूणिए राया जहा तहा जियसत्तू निग्गच्छइ त्ता जाव पज्जुवासइ, तए णं से आणन्दे गाहावई इमीसे कहाए लद्धढे समाणे०, एवं खलु समणे जाव विहरइ, तं महाफलं जाव गच्छामि णं जाव पज्जुवासामि एवं सम्पेहेइ त्ता बहाए सुद्धप्पावेसाइं जाव अप्पमहग्घाभरणालङ्कियसरीरे सयाओ गिहाओ पडिनिक्खमइ त्ता सकोरष्टमल्लदामेणं छत्तेणं धरिज्जमाणेणं मणुस्सवग्गुरापरिक्खित्ते पायविहारचारेणं वाणियगामं नयरं मज्झंमज्झेणं निग्गच्छइत्ता जेणामेव दूइपलासे चेइए जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ त्ता तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ त्ता वन्दइ नमसइ जाव पज्जुवासइ ।३। तए णं समणे भगवं महावीरे आणन्दस्स गाहावइस्स तीसे य महइमहालियाए जाव धम्मकहा, परिसा पडिगया, राया य गए।४! तए णं से आणन्दे गाहावई समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तिए धम्म सोच्चा निसम्म हट्ठतुट्ठ जाव एवं वयासी-सद्दहामि णं भन्ते ! निग्गन्थं पावयणं पत्तियामि णं भन्ते ! निग्गन्थं पावयणं रोएमि णं भन्ते ! निम्गन्थं पावयणं, एवमेयं भन्ते ! तहमेयं भन्ते ! अवितहमेयं भन्ते ! इच्छियमेयं भन्ते ! पडिच्छियमेयं भन्ते ! इच्छियपडिच्छियमेयं भन्ते ! से जहेयं तुब्भे वयहत्तिकटु, जहा णं देवाणुप्पियाणं अन्तिए बहवे राईसरतलवरमाडम्बियकोडुम्बियसेडिसेणावइसत्थबाहप्पभिइया मुण्डा भवित्ता आगाराओ अणगारियं पव्वइया नो खलु अहं तहा संचाएमि मुण्डे जाव पव्वइत्तए, अहंणं देवाणुप्पियाणं अन्तिए पञ्चाणुव्वइयं सत्तसिक्खावइयं दुवालसविहं गिहिधम्म पडिवज्जिस्सामि, अहासुहं देवाणुप्पिया! मा पडिबन्धं करेहि te-50555555555555555;fy555555555555555555555555555555OOR સૌજન્ય :- અચલગચ્છાધિપતી પ.પૂ. આ.ભ. ગુણોદય સાગરસૂરિ મ.સા. ના ૩૧ વર્ષીતપની અનુમોદનાર્થે વિ.સં. ૨૦૫૫ એક સદ્ગુહસ્થ તરફથી કોટડા (રોહા) કચ્છ Bre 055555 55555 श्री आगमगुणमंजूषा - ६९६55555555555555555555OR Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ PAGE195555555555555555 (७) उवासगदसाओ १ अ. आणन्द [२] 55555555555555FOOT GO乐乐乐乐乐乐乐乐乐明明听听听听听听听听听听听听听听听乐乐乐乐乐中乐听听听听听乐乐乐乐乐乐乐乐乐5550 तए णं से आणन्दे गाहावई समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तिए तप्पढमयाए थूलगं पाणाइवायं पच्चक्खाइ जावज्जीवाए दुविहतिविहेणं न करेमि न कारवेमि मणसा वयसा कायसा, तयाणन्तरं च णं थूलगं मुसावायं पच्चक्खाइ जावज्जीवाए दुविहंतिविहेणं न करेमि न कारवेमि मणसा वयसा कायसा, तयाणन्तरं च णं थूलगं अदिण्णादाणं पच्चक्खाइ जावज्जीवाए दुविहंतिविहेणं न करेमि न कारवेमि मणसा वयसा कायसा, तयाणन्तरं च णं सदारसन्तोसीए परिमाणं करेइ नन्नत्थ एक्काए सिवानन्दाए भारियाए, अवसेसं सव्वं मेहुणविहिं पच्चक्खामि, तयाणन्तरं च णं इच्छाविहिपरिमाणं करेमाणे हिरण्णसुवण्णविहिपरिमाणं करेइ नन्नत्थ चउहिं हिरण्णकोडीहिं निहाणपउत्ताहिंचउहिं वुढिपउत्ताहिं, चउहिं पवित्थरपउत्ताहिं, अवसेसं सव्वं हिरण्णसुवण्णविहिंपच्चक्खामि०, तयाणन्तरं चणं चउप्पयविहिपरिमाणं करेइ नन्नत्थ चउहि वएहिं दसगोसाहस्सिएणं वएणं, अवसेसं सव्वं चउप्पयविहिं पच्चक्खामि०, तयाणन्तरं च णं खेत्तवत्थुविहिपरिमाणं करेइ नन्नत्थ पञ्चहिं हलसएहि नियत्तणसइएणं हलेणं, अवसेसं सव्वं खेत्तवत्थुविहिं पच्चक्खामि०, तयाणन्तरं च णं सगडविहिपरिमाणं करेइ नन्नत्थ पञ्चहिं सगडसएहिं दिसायत्तिएहिं पञ्चहिं सगडसएहिं संवाहणिएहिं, अवसेसं सव्वं सगडविहिं पच्चक्खामि०, तयाणन्तरं च णं वाहणविहिपरिमाणं करेइ नन्नत्थ चउहि वाहणेहिं दिसायत्तिएहिं चउहिं वाहणेहिं संवाहणिएहिं, अवसेसं सव्वं वाहणविहिं पच्चक्खामि०, तयाणन्तरं च णं उवभोगपरिभोगविहिं पच्चक्खाएमाणे उल्लणियाविहिपरिमाणं करेइ नन्नत्थ एगाए गन्धकासाईए, अवसेसं सव्वं उल्लणियाविहिं पच्चक्खामि०, तयाणन्तरं च णं दन्तवणविहिपरिमाणं करेइ नन्नत्थ एगेणं अल्ललट्ठीमहुएणं, अवसेसं दन्तवणविहिं पच्चक्खामि०, तयाणन्तरं च णं फलविहिपरिमाणं करेइ नन्नत्थ एगेणं खीरामलएणं, अवसेसं फलविहिं पच्चक्खामि०, तयाणन्तरं च णं अब्भङ्गणविहिपरिमाणं करेइ नन्नत्थ सयपागसहस्सपागेहिं तेल्लेहिं, अवसेसं अब्भङ्गणविहिंपच्चक्खामि०, तयाणन्तरं च णं उव्वट्टणविहिपरिमाणं करेइ नन्नत्थ म एगेणं सुरहिणा गन्धट्टएणं, अक्सेसं उव्वट्टणविहिं पच्चक्खामि०, तयाणन्तरं च णं मज्जणविहिपरिमाणं करेइ नन्नत्थ अट्ठहिं उट्टिएहिं उदगस्स घडएहिं, अवसेसं + मज्जणविहिं पच्चक्खामि०, तयाणन्तरं च णं वत्थविहिपरिमाणं करेइ नन्नत्थ एगेणं खोमजुयलेणं, अवसेसं वत्थविहिं पच्चक्खामि०, तयाणन्तरं च णं विलेवणविहिपरिमाणं करेइ नन्नत्य अगरूकुकुमचन्दणमाइएहिं, अवसेसं विलेवणविहिं पच्चक्खामि०, तयाणन्तरं च णं पुप्फविहिपरिमाणं करेइ नन्नत्थ एगेणं सुद्धपउमेणं मालइकुसुमदामेण वा, अवसेसं पुप्फविहिं पच्चक्खामि०, तयाणन्तरं च णं आभरणविहिपरिमाणं करेइ नन्नत्थ मट्ठकण्णेज्जएहिं नाममुद्दाए य, अवसेसं के आभरणविहिं पच्चक्खामि०, तयाणन्तरं च णं धूवणविहिपरिमाणं करेइ नन्नत्थ अगरूतुरूक्कधूवमाइएहिं, अवसेसं धूवणविहिं पच्चक्खामि०, तयाणन्तरं च णं भोयणविहिपरिमाणं करेमाणे पेज्जविहिपरिमाणं करेइ नन्नत्थ एगाए कट्ठपेज्जाए, अवसेसं पेजविहिं पच्चक्खामि०, तयाणन्तरं च णं भक्खविहिपरिमाणं करेइ नन्नत्थ एगेहिं घयपुण्णेहिं खण्डखज्जएहिं वा, अवसेसं भक्खविहिं पच्चक्खामि०, तयाणन्तरं चणं ओयणविहिपरिमाणं करेइ नन्नत्थ कलमसालिओदणेणं, अवसेसं म ओयणविहिं पच्चक्खामि०, तयाणन्तरं च णं सूवविहिपरिमाणं करेइ नन्नत्थ कलायसूवेण वा मुग्गसूवेण वा माससूवेण वा, अवसेसं सूवविहिं पच्चक्खामि०, तयाणन्तरं च णं घयविहिपरिमाणं करेइ नन्नत्थ सारइएणं गोघयमण्डेणं, अवसेसं घयविहिं पच्चक्खामि०, तयाणन्तरं च णं सागविहिपरिमाणं करेइ नन्नत्थ वत्थु (प्र० वुप्पु) सारण वा चूच्चुसाएण वा तुंबसाएण वा सुत्थियसाएण वा मण्डुक्कियसाएण वा, अवसेसं सागविहिं पच्चक्खामि०, तयाणन्तरं च णं माहुरयविहिपरिमाणं करेइ नन्नत्थ एगेणं पालङ्गामाहुरएणं अवसेसं माहुरयविहिंपच्चक्खामि०, तयाणन्तरं च णं जेमणविहिपरिमाणं करेइ नन्नत्थ सेहंबदालियंबेहि, अवसेसं जेमणविहिं पच्चक्खामि०, तयाणन्तरं चणं पाणियविहिपरिमाणं करेइनन्नत्थ एगेणं अन्तलिक्खोदएणं, अवसेसं पाणियविहिंपच्चक्खामि०, तयाणन्तरं चणं मुहवासविहिपरिमाणं करेइ नन्नत्थ पञ्चसोगन्धिएणं तम्बोलेणं, अवसेसं मुहवासविहिं पच्चक्खामि०, तयाणन्तरं च णं चउव्विहं अणट्ठादण्डं पच्चक्खाइ तं०. अवज्झाणायरियंपमायायरियं हिंसप्पयाणं पावकम्मोवएसं।६। इह खलु आणन्दाइ ! समणे भगवं महावीरे आणन्दं समणोवासगंएवं वयासी-एवं खलु आणन्दा ! समणोवासएणं अभिगयजीवाजीवेणं जाव अणइक्कमणिज्जेणं सम्मत्तस्स पञ्च अइयारा पेयाला जाणियव्वा न समायरियव्वा तं०-सङ्का कङ्का विइगिच्छा परपासण्डपसंसा परपासण्डसंथवे, तयाणन्तरं २ च णं थूलगस्स पाणाइवायवेरमणस्स समणोवासएणं पञ्च अइयारा पेयाला जाणियव्वा न समायरियव्वा तं०-बन्धे वहे छविच्छेए अइभारे भत्तपाणवोच्छए, mero555555555555555555555555 श्री आगमगुणमजूषा ६०७55555555555555555F6OR 5C%55+5乐乐乐乐于听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听乐听听听听听听听听听听听听 Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (७) उवासगदसाओ १ अ. आणन्द [3] तयाणन्तरं च णं थूलगस्स मुसावायवेरमणस्स पश्च अइयारा जाणियव्वा न समायरियव्वा तं० सहसा अन्भक्खाणे रहसा अब्भक्खाणे सदारमन्तभेए मोसोवएसे कूडलेहकरणे (कन्नालियं गवालियं भूमालियं नासावहारे कूडसकिखज्जं संधिकरणे पा० ), तयाणन्तरं च णं थूलगस्स अदिण्णादाणवेरमणस्स पञ्च अइयारा जाणिव्वा न समायरियव्वा तं० तेणाहडे तक्करप्पओगे विरूद्धरज्जाक्कमे कूडतुलकूडमाणे तप्पडिरूवगववहारे, तयाणन्तरं च णं सदारसन्तोसीए पञ्च अइयारा जाणिव्वा न समायरियव्वा तं० इत्तरिंपरिग्गहियागमणे अपरिग्गहियागमणे अङ्गकिड्डा परविवाहकरणे कामभोगतिव्वाभिलासे, तयाणन्तरं च णं इच्छापरिमाणस्स समणोवासएणं पञ्च अइयारा जाणियव्वा न समायरियव्वा तं०-खेत्तवत्थुपमाणाइक्कमे हिरण्णसुवण्णपमाणाइक्कमे दुपयचउप्पयपमाणाइक धणधन्नपमाणाइकम्मे कुवियपमाणाइकम्मे, तयाणन्तरं च णं दिसिवयस्स पञ्च अइयारा जाणियव्वा न समायरियव्वा तं० उड् ढ दिसिपमाणाइक्कमे अहोदिसिपमाणाइक्कमे तिरियदिसिपमाणाइक्कमे खेत्तवुड्ढी सइअन्तरद्धा, तयाणन्तरं च णं उवभोगपरिभोगे दुविहे पं० तं० - भोयणओ य कम्मओ य, तत्थ भोयणओ समणोवासएणं पञ्च अश्यारा जाणियव्वा न समायरियव्वा तं० सचित्ताहारे सचित्तपडिबद्धाहारे अप्पउलिओसहिभक्खणया दुप्पउलिओससहिभक्खणया तुच्छोसहिभक्खणया, कम्मओ णं समणोवासएणं पणरस कम्मदाणाई जाणियव्वाई न समायरियव्वाइं तं०- इङ्गालकम्मे वणकम्मे साडीकम्मे भाडीकम्मे फोडीकम् दन्तवाणिज्जे लक्खवाणिज्जे रसवाणिज्जे विसवाणिज्जे के सवाणिज्जे जन्तपीलणकम्मे निल्लञ्छणकम्मे दवग्गिदावणया सरदहतलागपरिसोसणया असईजणपोसणया, तयाणन्तरं च णं अणट्टदण्डवेरमणस्स समणोवासएणं पञ्च अइयारा जाणियव्वा न समायरियव्वा तं० कन्दप्पे कुक्कुइए मोहरिए सत्ताहिगरणे उवभोगपरिभोगाइरित्ते, तयाणन्तरं च णं सामाइयस्स समणोवासएणं पञ्च अइयारा जाणियव्वा न समायरिव्वा तं०- मणदुप्पणिहाणे वयदुप्पणिहाणे का दुप्पणिह सामाइयस्स सइअकरणया सामाइयस्स अणवट्ठियस्स करणया, तयाणन्तरं च णं देसावगासियस्स समणोवासएणं पञ्च अइयारा जाणियव्वा न समायरियव्वा तं० - आणवणप्पओगे पेसवणप्पओगे सद्दाणुवाए रूवाणुवाए बहियापोग्गलपक्खेवे, तयाणन्तरं च णं पोसहोववासस्स समणोवासएणं पञ्च अइयारा जाणियव्वा न समायरियव्वा तं०-अप्पडिले हियदुप्पडिले हियसिज्जासंथारे अप्पमज्जियदुप्पमज्जियसिज्जासंथारे अप्पडिले हियदुप्पडिले हियउच्चारपासवणभूमी अप्पमज्जियदुप्पमज्जियउच्चारपासवणभूमी पोसहोववासस्स सम्मं अणणुपालणया, तयाणन्तरं च णं अहा (अतिहि ) संविभागस्स समणोवासएणं पञ्च अइयारा जाणियव्वा न समायरियव्वा तं०- सचित्तनिक् खेवण्या सचित्तपिहणया कालाइक्कमे परववदेसे मच्छरिया, तयाणन्तरं चणं अपच्छिममारणन्तियसंलेहणाझूहणाराहणाए पञ्च अइयारा जाणिवव्वा न समायरियव्वा तं० - इहलोगासंसप्पओगे परलोगासंसप्पओगे जीवियासंसप्पओगे मरणासंसप्पओगे कामभोगासंसप्पओगे | ७ | तए णं से आणन्दे गाहावई समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तिए पंचाणुव्वइयं सत्तसिक्खावइयं दुवालसविहं सावयधम्मं पडिवज्जित्ता समणं भंगवं महावीरं वन्दइ नमसइ त्ता एवं वयासी- नो खलु मे भन्ते ! कप्पइ अज्जप्पभिइ अन्नउत्थिए वा अन्नउत्थियदेवयाणि वा अन्नउत्थियपरिग्गहियाणि अरिहंतचेइयाई वा वन्दित्तए वा नमंसित्तए वा पुव्विं अणालत्तेणं आलवित्तए वा संलवित्तए वा, तेसिं असणं वा पाणं वा खाइमं वा साइ वा दाउ वा अणुप्पदाडं वा नन्नत्थ रायाभिओगेणं गणाभिओगेणं बलाभिओगेणं देवयाभिओगेणं गुरूनिग्गहेणं वित्तिकन्तारेणं, कप्पइ मे समणे निग्गंथेफासुएणं एसणिज्जेणं असणपाणखाइमसाइमेणं वत्थपडिग्गहकम्बलपायपुञ्छणेणं पीढफलगसिज्जासंथारएणं ओसहभेसज्जेण य पडिलाभेमाणस्स विहरित्तएत्तिकट्टु इमं एवं अभिग्ग अभिगिण्हइ त्ता पसिणाई पुच्छइ त्ता अट्ठाई आदियइ त्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो वन्दइ (१२२) त्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तियाओ दूईपलासाओ चेइयाओ पडिणिक्खमइ त्ता जेणेव वाणियगामे नयरे जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छइ त्ता सिवानन्दं भारियं एवं वयासी एवं खलु देवाप्पिये! मए समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तिए धम्मे निसन्ते. सेविय धम्मे मे इच्छिए पडिच्छिए अभिरूइए, तं गच्छ णं तुमं देवाणुप्पिया ! समणं भगवं महावीरं वन्दाहि जाव पज्जुवासाहि. समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तिए पञ्चाणुव्वइयं सत्तसिक्खावइयं दुवालसविहं गिहिधम्मं पडिवज्जाहि | ८ | तए णं सा श्री आगमगुणमंजूषा - ६१८ ॐ F Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ XO95555555555555 (क) उवासगदसाओ १ अ. आणन्द [४] 第五步步牙55555555230g %%%%%%%%%%%%%%%%%%%2CCO 乐乐明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明乐乐师乐乐贤乐 सिवानन्दाए तीसे य महइ जाव धम्मं कहेइ (प्र० धम्मकहा), तएणं सा सिवानन्दा समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तिए धम्मं सोच्चा निसम्म हट्ठ जाव गिहिधम्म म पडिवज्जइ त्ता तमेव धम्मियं जाणप्पवरं दूरूहृइत्ता जामेव दिसं पाउब्भूया तामेव दिसं पडिगया।९। भन्ते ! त्ति भगवं गोयमे समणं भगवं महावीरं वन्दइ नमसइत्ता $ एवं वयासी-पहू णं भन्ते ! आणन्दे समणोवासए देवाणुप्पियाणं अन्तिए मुण्डे जाव पव्वइत्तए ? नो तिणढे समटे, गोयमा ! आणन्दे णं समणोवासए बहूई वासाइं समणोवासगपरियागं पाउणिहिइत्ता जाव सोहम्मे कप्पे अरूणे विमाणे देवत्ताए उववजिहिइ. तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं चत्तारि पलिओवमाइं ठिई पं०, तत्थ णं आणन्दस्सवि समणोवासगस्स चत्तारि पलिओवमाइं ठिई पं०. तएणं समणे भगवं महावीरे अन्नया कयाई बहिया जाव विहरइ।१०। तएणं से आणन्दे समणोवासए जाए अभिगयजीवाजीवे जाव पडिलाभेमाणे विहरइ. तएणं सा सिवानन्दा भारिया समणोवासिया जाया जाव पडिलाभमाणी विहरइ।११तएणं तस्स आणन्दस्स समणोवासगस्स उच्चावएहिं सीलव्वयगुणवेरमणपच्चक्खाणपोसहोववासेहिं अप्पाणं भावमाणस्स चोइस्स संवच्छराइं वइक्कन्ताइं पण्णरसमस्स संवच्छरस्स अन्तरा वट्टमाणस्स अन्नया कयाई पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि धम्मजागरियं जागरमाणस्स इमेयारूवे अज्झत्थिए चिन्तिए पत्थिए मणोगए सङ्कप्पे समुप्पज्जित्थाएवं खलु अहं वाणियगामे नयरे बहूणं राईसर जाव सयस्सविय णं कुडुम्बस्स जाव आधारे, तं एएणं विक्खेवेणं अहं नो संचाएमि समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तियं धम्मपण्णत्तिं उवसम्पज्जित्ताणं विहरित्तए, तंसेयं खलु ममं कल्लं जाव जलन्ते विउलं असणं० जहा पूरणोजाव जेठ्ठपुत्तं कुडुम्बे ठवेत्ता तं मित्त जाव जेट्टपुत्तं म च आपुच्छित्ता कोल्लाए सन्निवेसे नायकुलंसि पोसहसालं पडिलेहित्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तियं धम्मपण्णत्तिं उवसम्पज्जित्ताणं विहरित्तए, एवं + सम्पेहेइ त्ता कल्लं० विउलं तहेव जिमियभुत्तुत्तरागए तं मित्त जाव विउलेणं पुप्फ० सक्कारेइ सम्माणेइत्ता तस्सेव मित्तजाव पुरओ जेट्टपुत्तं सद्दावेइत्ता एवं वयासी+ एवं खलु पुत्ता ! अहं वाणियगामे बहूणं राईसर जहा चिन्तियं जाव विहरित्तए, तं सेयं खलु मम इदाणिं तुमं सयस्स कुडुम्बस्स आलम्बण ठवेत्ता जाव विहरित्तए, # तए णं जेट्टपुत्ते आणन्दस्स समणोवासगस्स तहत्ति एयमढे विणएणं पडिसुणेइ, तए णं से आणन्दे समणोवासए तस्सेव मित्त जाव पुरओ जेट्टपुत्तं कुडुम्बे ठवेइ त्ता एवं वयासी-मा णं देवाणुपिया ! तुब्भे अज्जप्पभिई केई मम बहूसु कज्जेसु जाव पुच्छउ वा पडिपुच्छउ वा ममं अट्ठाए असणं वा० उवक्खडेउ वा उवकरेउवा, तए णं म से आणन्दे समणोवासए जेट्टपुत्तं मित्तनाइ० आपुच्छइ त्ता सयाओ गिहाओ पडिणिक्खमइ त्ता वाणियगाम नयरं मज्झमज्झेणं निम्गच्छइ त्ता जेणेव कोल्लाए सन्निवेसे जेणेव नायकुले जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइत्ता पोसहसालं पमज्जइ त्ता उच्चारपासवणभूमि पडिलेहेइ त्ता दब्भसंथारयं संथरइत्ता दब्भसंथारयं दुरूहइत्ता पोसहसालाए पोसहिए दब्भसंथारोवगए समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तियं धम्मपण्णत्तिं उवसम्पज्जित्ताणं विहरइ।१२। तएणं से आणंदे समणोवासए उवासगपडिमाओ उवसम्पज्जित्ताणं विहरइ, पढम उवासगपडिमं अहासुत्तं अहाकप्पं अहामग्गं अहातच्चं सम्मं कारणं फासेइ पालेइ सोहेइ तीरेइ किट्टेइ आराहेइ तएणं से आणंदे समणोवासए दोच्चं उवासगपडिमं एवं तच्वं चउत्थं पञ्चमं छटुं सत्तमं अट्ठमं नवमंदसमं एक्कारसमं जाव आराहेइ।१३। तए णं से आणंदे समणोवासए इमेणं एयारूवेणं उरालेणं विउलेणं पयत्तेणं पग्गहिएणं तवोकम्मेणं सुक्के जाव किसे धमणिसन्तए जाए, तए णं तस्स आणन्दस्स समणोवासगस्स अन्नया कयाई पुव्वरत्ता जाव धम्मजागरियं जागरमाणस्स अयं अज्झत्थिए० एवं खलु अहं इमेणं जाव धमणिसन्तए जाए तं अत्थिता मे उट्ठाणे कम्मे बले वीरिए पुरिसक्कारपरक्कमे सद्धाधिइसंवेगे तंजावता मे अत्थि उट्ठाणे सद्धाधिइसंवेगे जाव य मे धम्मायरिए धम्मोवएसए समणे भगवं महावीरे जिणे सुहत्थी विहरइ तावता मे सेयं कल्लं जाव जलन्ते अपच्छिममारणन्तियसंलेहणाझूसणाझूसियस्स भत्तपाणपडियाइक्खियस्स कालं अणवकङ्गमाणस्स विहरित्तए, एवं सम्पेहेइ त्ता कल्लं पाउ जाव 5 अपच्छिममारणन्तिय जाव कालं अणवकङ्गमाणे विहरइ, तए णं तस्स आणन्दस्स समणोवासगस्स अन्नया कयाई सुभेणं अज्झवसाणेणं सुभेणं (प्र० सोहणेणं) म परिणामेणं लेसाहिं विसुज्झमाणीहिं तदावरणिज्जाणं कम्माणं खओवसमेणं ओहिनारे समुप्पन्ने, पुरत्थिमेणं लवणसमुद्दे पञ्चजोयणसयाइं खेत्तं जाणइ पासइ एवं र दक्खिणेणं पच्चत्थिमेण य उत्तरेणं जाव चुल्लहिमवन्तं वासधरपव्वयं जाणइ पासइ उड्ढं जाव सोहम्मं कप्पं जाणइ पासइ अहे जाव इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए श्री आगमगणमंजूषा- ६०० auricuriLECONOM 四明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听折听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听約 Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (७) उवासगदसाओ १ अ, आणन्द [५] 历历历万岁万万岁万岁万岁万RMOS COO$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听D लोलुयच्चुयं नरयं चउरासीइवाससहस्सट्टिइयं जाणइ पासइ ।१४१ तेणं कालेणं० समणे भगवं महावीरे समोसरिए, परिसा निग्गया जाव पडिगया, तेणं कालेणं० समणस्स भगवओ महावीरस्स जेटे अन्तेवासी इन्दभूई नाम अणगारे गोयमे गोत्तेणं सत्तुस्सेहे समचउरंससंठाणसंठिए वज्जरिसहनारायसङ्घयणे कणगपुलनिघसपम्हगोरे उग्गतवे दित्ततवे तत्ततवे घोरतवे महातवे उराले घोरगुणे घोरतवस्सी घोरबम्भचेरवासी उच्छूढसरीरे सवित्तविउलतेउलेसे छटुंछटेणं अणिक्खित्तेणं तवोकम्मेणं संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ, तए णं से भगवं गोयमे छट्ठक्खमणपारणगंसि पढमाए पोरिसीए सज्झायं करेइ बिइयाए पोरिसीए झाणं झियाइ तइयाए पोरिसीए अतुरियं अचवलं असम्भन्ते मुहपुत्तिं पडिलेहेइ त्ता भायणवत्थाइं पडिलेहेइ त्ता भायणवत्थाई पमज्जइ त्ता भायणाई उग्गाहेइ त्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ त्ता समणं भगवं महावीरं वंदइ नमसइ ता एवं वयासी-इच्छामि णं भंते ! तुब्भेहिं अब्भणुण्णाए छट्टक्खमणपारणगंसि वाणियगामे नयरे तेणेव उवागच्छइ त्ता वाणियगामे नयरे उच्चनीयमज्झिमाइं कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडित्तए, अहासुहं देवाणुप्पिया! मा पडिबन्धं करेह, तए णं भगवं गोयमे समणेणं भगवया महावीरेण अब्भणुण्णाए समाणे समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तियाओ दूइपलासाओ चेइयाओ पडिणिक्खमइत्ता अतुरियमचवलमसम्भन्ते जुगन्तरपरिलोयणाए दिट्ठीए पुरओईरियं सोहेमाणे जेणेव, वाणियगामे नयरे तेणेव उवागच्छइत्ता वाणियगामे नयरे उच्चनीयमज्झिमाइं कुलाइं घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडइ, तएणं से भगवं गोयमे वाणियगामे नयरे जहा पण्णत्तीए तहा जाव भिक्खायरियाए अडमाणे अहापज्जत्तं भत्तपाणं सम्म पडिग्गाहेइत्ता वाणियगामाओ पडिणिग्गच्छइत्ता कोल्लायस्स सन्निवेसस्स अदूरसामन्तेणं वीईवयमाणे बहुजणसई निसामेइ-बहुजणो अन्नमन्नस्स एवमाइक्खइ० एवं खलु देवाणुप्पिया ! समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तेवासी आणन्दे नामं समणोवासए पोसहसालाए अपच्छिम जाव अणवकङ्घमाणे विहरइ, तएणं तस्स गोयमस्स बहुजणस्स अन्तिए एयं अटुं सोच्चा निसम्म अयमेयारूवे अज्झत्थिए०-तं गच्छामिणं आणन्दं समणोवासयं पासामि एवं सम्पेहेड त्ता जेणेव कोल्लाए सन्निवेसे जेणेव आणन्दे समणोवासए जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइ, तए णं से आणन्दे समणोवासए भगवं गोयम एज्जमाणं पासइ त्ता हट्ट जाव हियए भगवं गोयमं वन्दइ नमसइ त्ता एवं वयासी-एवं खलु भन्ते ! अहं इमेणं उरालेणं जाव धमणिसन्तए जाए नो संचाएमि देवाणुप्पियस्स अन्तियं ॥ पाउब्भवित्ताणं तिक्खुत्तो मुद्धाणेणं पाए अभिवन्दित्तए तुब्भे णं भन्ते । इच्छा-कारेणं अणभिओयेणं इओ चेव एह जाणं देवाणुप्पियाणं तिक्खुत्तो मुद्धाणेणं पाएसु वन्दामि नमसामि, तए णं से भगवं गोयमे जेणेव आणन्दे समणोवासए तेणेव उवागच्छइ ।१५। तए णं से आणंदे समणोवासए भगवओ गोयमस्स तिक्खुत्तो मुद्धाणेणं पाएसु वन्दइ नमसइ त्ता एवं वयासी- अत्थि णं भंते ! गिहिणो गिहमज्झावसन्तस्स ओहिनाणे समुप्पज्जइ ? हन्ता अत्थि, जइ णं भंते ! गिहिणो जाव समुप्पज्जइ एवं खलु भंते ! ममवि गिहिणो गिहमज्झावसन्तस्स ओहिनाणे समुप्पन्ने, पुरच्छिमेणं लवणसमुद्दे पञ्चजोयणसयाइं जाव लोलुयच्चुयं नरयं जाणामि पासामि, तए णं से भगवं गोयमे आणन्दं समणोवासयं एवं वयासी-अस्थि णं आणन्दा ! गिहिणो जाव समुप्पज्जइ, नो चेव णं एअमहालए तं णं तुमं आणन्दा ! एयस्स ठाणस्स आलोएहि जाव तवोकम्म पडिवज्जाहि, तए णं से आणन्दे समणोवासए भगवं एवं वयासी- अत्थि णं भंते ! जिणवयणे सन्ताणं तच्चाणं तहियाणं सब्भूयाणं भावाणं आलोइज्जइ जाव पडिवज्जिज्जइ ?, नो तिणद्वे समढे, जइणं भन्ते ! जिणवयणे संताणं जाव भावाणं नो आलोइज्जइ जाव तवोकम्मं नो पडिवज्जिज्जइ तंणं भंते! तुब्भे चेव एयस्स ठाणस्स आलोएह जाव पडिवज्जह, तएणं से भगवं गोयमे आणन्देणं समणोवासएणं एवं वुत्ते समाणे सङ्किए कङ्खिए विइगिच्छासमावण्णे आणन्दस्स अन्तियाओ पडिणिक्खमइत्ता जेणेव दूइयलासे चेइए जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइत्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स अदूरसामन्ते गमाणागमणाए पडिक्कमइ त्ता एसणमणेसणं आलोएइ त्ता भत्तपाणं पडिदंसेइ त्ता समणं भगवं महावीरं वन्दइ नमसइ त्ता एवं वयासी- एवं खलु भंते ! अहं तुब्भेहिं अब्भणुण्णाए तं चेव सव्वं कहेइ जाव तए णं अहं सङ्किए० आणन्दस्स समणोवासगस्स अन्तियाओ पडिणिक्खमामि त्ता जेणेव इहं तेणेव हव्वमागए, तं णं भंते! ' किं आणन्देणं समणोवासएणं तस्स ठाणस्स आलोएयव्वं जाव पडिवज्जेयव्वं उदाहु मए ?, गोयमाइ ! समणे भगवं महावीरे भगवं गोयम एवं वयासी- गोयमा ! तुम OFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFF5 श्री आगमगुणमंजूषा - ७०० 55555FFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFFOLOR 听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听C恩 Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 10.05%步五步步步步步步步步步步步明 (७) उवासगदसाआ १ अ. आणन्द,२- कामदेव [६] $$$ $$$ $$ $$R OE 7955555555555555555555555555$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$$SION चेवणं तस्स ठाणस्स आलोएहि जाव पडिवजाहि, आणन्दं च समणोवासयं एयमढें खामेहि, तएणं से भगवं गोयमे समणस्यभगवओ महावीरस्सतह त्ति एयम8 विणयेणं पडिणेइत्ता तस्य ठणस्स आलोएहि जाव पडिवज्जइ, आणन्दं समयोवसियं एयम8 खामेइ तएणं समये भगवं महावीरे अन्नया कयाइ बहिया जणवयविहारं विहरइ।१६। तए णं से आणन्दे समणोवासए बहूहिं सीलव्वय० जाव अप्पाणं भावेत्ता वीसं वासइं समणोवासगपरियागं पाउणित्ता एक्कारस य उवासगपडिमाओ सम्म काएणं फासित्ता मासियाए संलेहणाए अत्ताणं झूसित्ता सढि भत्ताई अणसणाए छेदेत्ता आलोइयपडिक्कन्ते समाहिपत्ते कालमासे काल-किच्चा सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडिंसगस्स महाविमाणस्स उत्तरपुरस्थिमेणं अरुणे विमाणे देवत्ताए उववन्ने, तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं चत्तारि पलिओवमाई ठिई पं०, तत्थ णं आणन्दस्सवि देवस्स चत्तारि पलिओवमाई ठिई पं०, आणन्दे णं भंते ! देवे ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं० अणन्तरं चयं कहिं गच्छिहिइ कहिं उवज्जिहिइ ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ, निक्खेवो ।१७।। [आणन्दज्झयणं १] ।। जइ णं भंते ! समणेणं भगवया महावीरेणं जाव सम्पत्तेणं सत्तमस्स अङ्गस्स उवासगदसाणं पढमस्स अज्झयणस्स अयमढे पं० [दोच्चस्सणं भंते ! अज्झयणस्स के अढे पं०?, एवं खलु जम्बू ! तेणं कालेणं० चम्पा नाम नयरी होत्था पुण्णभद्दे चेइए जियसत्तू राया कामदेवे गाहावई भद्दा भारिया छ हिरण्णकोडीओ निहाणपउत्ताओ छ वुडिढपउत्ताओ छ पवित्थरपउत्ताओ छव्वया दसगोसाहस्सिएणं वएणं समोसरणं जहा आणन्दो तहा निग्गओ तहेव सावयधम्म पडिवज्जइ सा चेव वत्तव्वया जाव जेट्टपुत्तं मित्तनाइ० आपुच्छित्ता जेणेव पोसहसाला तेणेव उवागच्छइत्ता जहा आणन्दो जाव समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तियं धम्मपण्णत्तिं उवसम्पज्जित्ताणं विहरइ।१८। तए णं तस्स कामदेवस्स समणोवासगस्स पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि एगे देवे मायी मिच्छादिट्ठी अन्तियं पाउब्भूए. तएणं से देवे एगं महं पिसायरूवं विउव्वइ तस्स णं देवस्स पिसायरूवस्स इमे एयारूवे वण्णारूवे वण्णावासे पं० सीसं से गोकिलञ्जसंठाणसंठियं (विगयकप्पयनिभं. वियडकोप्परनिभं पा०) सालिभसेल्लसरिसा से केसा कविला तेएणं दिप्पमणा उट्टियाकभल्लसंठाणसंठियं (महल्लिउट्टियाकभल्लसरिसोवमं पा०) निडालं मुगुंसपुंछं व तस्स भुमगाओ फुग्गफुग्गाओ (जडिलकुडिलाओ पा०) विगयबीभच्छू दसणाओ सीसघडिविणिग्गयाइं अच्छीणि विगयबीभच्छदसणाई कण्णा जह सुप्पकत्तरं चेव विगयबीभच्छदंसणिज्जा उरब्भपुडसन्निभा (उरब्भपुडसंठाणसंठिया पा०) से नासा झुसिरा जमलचुल्लीसंठाण (महल्लकुब्ब पा०) संठिया दोवि तस्स नासापुडया (कपोला पा०) घोडयपुंछं व तस्स मंसूई कविलकविलाई विगयबीभच्छदयसणाई (फरूसाओ उद्धलोभाआ दाढियाओ पा०) उट्ठा उदस्स चेव लम्बा (से घोडगस्स जहा दोडवि लंबमाणा पा०) फालसरिसा से दन्ता जिब्मा सुपाकत्तरं चेव विगयबीभच्छदेसणिजा (हिंगुलुंयधाउकंदरबिलंव तस्स वयणं पा०) हलकुद्दालसंठिया से हणुया गल्लकडिल्लं व तस्स खड्डं फुटुं कविलं फरुसं महल्लं मुइङ्गारोवमे से खन्धे पुरवरकवाडोवमे से वच्छे कोट्टियासंठाणसंठिया दोवि तस्स बाहा निसापाहाणसंठाणसंठिया दोवि तस्स अग्गहत्था निसालोढसंठाणसंठियाओ हत्थेसु अङ्गुलीओ सिप्पिपुडगसंठिया से नक्खा (अडयालगसंठियाओ उहा तस्स रोमगुविलो पा०) पहावियपसेवओ व्व उरंसि लम्बंति दोवि तस्स थणया पोट्टं अयकोट्ठौ व्व वढें पाणकलणुसरिसा से नाई (भग्गकडी विगयवंकपट्टीअसरीसा दोवि तस्स विसगा पा०) विक्कगसं ठाणसंठिया से नेसे किण्णपुडसंजणसंठिया दोवि तस्स वसणा जमलकोट्टियासंठाणसंठिया दोवि तस्स उरू अज्जुणगुटुं व तस्स जाणूई कुडिलकुडिलाई विगयबीभच्छदंसणाई जङ्घाओ कक्कडीओ लोभेहिं उवचियाओ अहरीलोढसंठाणसंठिया दोवि तस्स पाया अहरीलोढसंठाणसंठियाओ पाएसु अगुलीओ सिप्पपुडसंठिया से नक्खा लडहमडहजाणुए विगयभग्गभुग्गभुमए (असिमूसगमहिसकालए भरियमेहवण्णे लंबोट्टे निग्गयदंते पा०) अवदालियवयणविवरनिलयग्गजीहे सरडकयमालियाए उन्दुरमालापरिणद्धसुकयचिंधे नउलकयकण्णपुरे कण्णपुरे सप्पकयवेगच्छे अप्फोडन्ते (मुसगकय भुलए विच्छुयकयवेयच्छे सप्पकयजण्णोवइए अभिन्नमुहनयणनकरववरक घचितनियंसणे पा०) अभिगजन्ते विमुक्कदृट्टहासे नाणा विहपञ्चवण्णे हि लोमे हिं उवचिए एगं महं नीलुप्पलगवलगुलियअयसिकुसुमप्पगासं असिंखुरधारं गहाय जेणेव पोसहसालाजेणेव कामदेवे समणोवासए तेणेव उवागच्छइत्ता आसुरुत्ते रूढ़े कुविए चण्डिक्किए । DEducation international 2010_03 ---- - www.jainelibrary.ob --.-.-.-.-. -111-1-1-LELEELEurnncuuuuuNONY GO乐乐听听听听听听听听听乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听Fo For Private&Personal use Only Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ OFFE5 சிசிசிசிசிசிசிசிசிசி (७) उवासगदसाआ २ कामदेव [७] मिसिमिसीयमाणे कामदेवं समणोवासयं एवं व हंभो कामदेवा समणोवासया ! अप्पत्थियपत्थिया दुरन्तपन्तलक्खणा हीणपुण्णचाउद्दसिया सिरिहिरिधिइकित्तिपरिवज्जिया धम्मकामया पुण्णकामया सग्गकामया मोक्खकामया धम्मकडिया० धम्मपिवासिया० नो खलु कप्पर तव देवाणुप्पिया ! जं सीलाई वयाई वेरमणाई पच्चक्खाणाई पोससहोववासाई चालित्तए वा खोभित्तए वा खण्डित्तए वा भञ्जित्तए वा उज्झित्तए वा परिचइत्तए वा, तं जइ णं तुमं अज्जन सीलाई जाव पोसहोववासाइं न छड्डसि न भञ्जेसि तो ते अहं अज्ज इमेणं नीलुप्पल जाव असिणा खण्डाखण्डिं करेमि, जहा णं तुमं देवाणुप्पिया ! अट्ठदुहट्टवसट्टे अकाले चेव जीवियाओ ववरोविज्जसि तए णं से कामदेवे समणोवासए तेणं देवेणं पिसायरूवेणं एवं वुत्ते समाणे अभीए अतत्थे अणुद्विग्गे अक्खुभिए अचलिए असम्भन्ते तुसिणीए धम्मज्झाणोवगए विहरइ । १९ । तए णं से देवे पिसायरूवे कामदेवं समणोवासयं अभीयं जाव धम्मज्झाणोवगयं विहरमाणं पासइ त्ता दोच्चंपि तच्चपि कामदेवं एवं व०- हंभो कामदेवा समणोवासया ! अप्पत्थियपत्थिया० जइ णं तुमं अज्ज जाव ववरोविज्जसि, तए णं से कामदेवे समणोवासए तेणं देवेणं दोच्वंपि तच्वंपि एवं वुत्ते समाणे अभीए जाव धम्मज्झाणोवगए विहरइ, तए णं से देवे पिसायरूवे कामदेवं समणोवासयं अभीयं जाव विहरमाणं पासइ त्ता आसुरुत्ते ० तिवलियं भिउडिं निडाले साहट्टु कामदेवं समणोवासयं नीलुप्पल जाव असिणा खण्डाखण्डि करेइ, तए णं से कामदेवे समणोवासए तं उज्जलं जाव दुरहियासं वेयणं सम्मं सहइ जाव अहियासेइ । २०। तए णं से देवे पिसायरूवे कामदेवं समणोवासयं अभीयं जाव विहरमाणं पासइ त्ता जाहे नो संचाएइ कामदेवं समणोवासयं निग्गन्थाओ पावयणाओ चालित्तए वा खोभित्तए वा विपरिणामित्तए वा ताहे सन्ते तन्ते परितन्ते सणियं पच्चोसक्कइ त्ता पोसहसालाओ पडिणिक्खमइ त्ता दिव्वं पिसायरूवं विप्पजहइ त्ता एगं महं दिव्वं हत्थिरूवं विउव्वइ, सत्तङ्गपट्ठियं सम्मंसंठियं सुजायं पुरओ उदग्गं पिट्ठओ वराहं अयाकुच्छिं अलम्बकुच्छिं पलम्बलम्बोदराधराधरकरं अब्भुग्गयमउलमल्लियाविमलधवलदन्तं कञ्चणकोसीपविट्ठदन्तं आणामियचावललियसंवल्लियग्गसोण्डं कुम्मपडिपुण्णचलणं वीसइनखं अल्लीणपमाणजुत्तपुच्छं मत्तं मेहमिव गुलगुलेन्तं मणपवणजइणवेगं दिव्वं हत्थिरूवं विउव्वइ त्ता जेणेव पोसहसाला जेणेव कामदेव समणोवासए तेणेव उवागच्छइ त्ता कामदेवं समणोवासयं एवं व०- हंभो कामदेवा समणोवासया ! तहेव भणइ जाव न भञ्जेसि तो तं अज्ज अहं सोण्डाए गिण्हामि त्ता पोसहसालाओ नीणेमि त्ता उड्ढं वेहासं उव्विहामि त्ता तिक्खेहिं दंतमुसलेहिं पडिच्छामि त्ता अहेधरणितलंसि तिक्खुत्तो पाएसु लोलेमि जहा णं तुमं अट्टदुहट्टवसट्टे अकाले चेव जीवियाओ ववरोविज्जसि, तए णं से कामदेवे समणोवासए तेणं देवेणं हत्थिरूवेणं एवं वुत्ते समाणे अभीए जाव विहरइ. तए णं से देवे हत्थिरूवे कामदेवं समणोवासयं अभीयं जाव विहरमाणं पासइ त्ता दोच्वंपि तच्वंपि कामदेवं समणोवासयं एवं व०- हंभो कामदेवा ! तहेव जाव सोवि विहरइ, तए णं से देवे हत्थिरूवे कामदेव समणोवासयं अभीयं जाव विहरमाणं पासइ त्ता आसुरुत्ते० कामदेवं समणोवासयं सोण्डाए गेण्हेइ त्ता उड्ढं वेहासं उव्विहइ ता तिक्खेहिं दंतमुसलेहिं पडिच्छा अधरणितलंसि तिक्खुत्तो पाए लोलेइ, तए णं से कामदेवे समणोवासए तं उज्जलं जाव अहियासेइ | २१ | तए णं से देवे हथिरूवे कामदेवं समणोवासयं जाहे नो संचाएइ जाव सणियं सणियं पच्चोसक्कइ त्ता पोसहसालाओ पडिणिक्खमइ त्ता दिव्वं हत्थिरूवं विप्पजहइ त्ता एवं महं दिव्वं सप्परूवं विऊव्वइ, उग्गविसं चण्डविसं घोरविसं महाकायं मसीमूसाकालगं नयणविसरोसपुण्णं अञ्जणपुञ्जनिगरप्पगासं रत्तच्छं लोहियलोयणं जमलजुयलचञ्जलजीहं धरणीयलपेणिभूयं उक्कडफुडकुडिलजडिलक्सवियडफडाडोवकरणदच्छं लोहागरधम्ममाणधम्मधमेन्तघोसं अणागलियतिव्वचण्डरोस सप्परूवं विउव्वइ त्ता जेणेव पोसहसाला जेणेव कामदेवे समणोवासए तेणेव उवागच्छइ त्ता कामदेवं समणोवासयं एवं व०- हंभो कामदेवा समणोवासया ! जाव न भञ्जेसि तो ते अज्जेव अहं सरसरस्स कार्य दुरुहामि ता पच्छिमेणं भाएणं तिक्खुत्तो गीवं वेडेमि त्ता तिक्खाहिं विसपरिगयाहिं दाढाहिं उरंसि चेव निकुट्टेमि जहा णं तुमं अट्टदुहट्टवसट्टे अकाले चेव जीवियाओ ववरोविज्जसि, तए णं से कामदेवे समणोवासए तेणं देवेणं सप्परूवेणं एवं वृत्ते समाणे अभीए जाव विहरइ, सोवि दोच्चंपि तच्चपि भणइ कामदेवोवि जाव विहरइ, तए णं से देवे सप्परूवे कामदेवं समणोवासयं अभीयं जाव पासइ त्ता आसुरुत्ते० कामदेवस्स समणोवासयस्स सरसरस्स कायं दुरुहइ त्ता पच्छिमभाएणं तिक्खुत्तो गी KYORK श्री आगमगुणमंजुषा : ७०२ 67. KKKKKKKKKKKKKK Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (७) उवासगदसाओ २ कामदेवऽज्झयणं [८] 乐乐用55555 USA A A A A A A Hig फ्र वेढेइ त्ता तिक्खाहिं विसपरिगयाहिं दाढाहिं उरंसि चेव निकुट्टेइ, तए णं से कामदेवे समणोवासए तं उज्जल जाव अहियासेइ | २२| तए णं से देवे सप्परूवे कामदेव समणोवासयं अभीयं जाव पासइ त्ता जाहे नो संचाएइ कामदेवं समणोवासयं निग्गन्थाओ पावयणाओ चालिताए वा खोभितए वा विपणिणाभित्ताए वा ताहे सन्ते० सणियं सणियं षच्चोसक्कइ त्ता पोसहसालाओ पडिणिक्खमइ त्ता दिव्वं सप्परूवं विप्पजहइ त्ता एगं महं दिव्वं देवरूवं विउव्वइ, हारविराइयवच्छं जाव दस दिसाओ उज्जोवेमाणं पभासेमाणं पासाईयं दरिसणिज्जं अभिरूवं पडिरूवं दिव्वं देवरूवं विउव्वइ त्ता कामदेवस्स समणोवासयस्स पोसहसालं अणुप्पविसइ त्ता अन्तलिक्खपडिवन्ने सखिङ्खिणियाइं पञ्चवण्णाई वत्थाइं पवरपरिहिए कामदेवं समणोवासयं एवं व०- हंभो कामदेवा ! समणोवासया धन्ने सि णं तुमं देवाणुप्पिया ! सपुण्णे पयत्थ कयलक्खणे सुलद्धे णं तव देवाणुप्पिया ! माणुस्सए जम्मजीवियफले जस्स णं तव निग्गन्थे पावयणे इमेयारूवा पडिवत्ती लद्धा पत्ता अभिसमन्नागया, एवं खलु देवाणुप्पिया ! सक्के देविदे देवराया जाव संक्कंसि सीहासणंसि चउरासीईए सामाणियसाहस्सीणं जाव अन्नेसिं च बहूणं देवाण य देवीण य मज्झगए एवमाइक्खइ० एवं खलु देवाणुप्पिया ! जम्बुद्दीवे दीवे भारहे वासे चम्पाए नयरीए कामदेवे समणोवासए पोसहसालाए पोसहिए बम्भचारी जाव दब्भसंथारोवगए समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तियं धम्मपण्णत्तिं उवसम्पज्जित्ताणं विहरइ, नो खलु से सक्को केणई देवेण वा जाव गन्धव्वेण वा निग्गन्थाओ पावयणाओ चालित्तए वा खोभित्तए वा विपरिणामित्तए वा, तए णं अहं सक्कस्स देविन्दस्स देवरण्णो एयमठ्ठे असद्दहमाणे० इहं हव्वमागए तं अहो णं देवाणुप्पिया ! इड्ढी० 'लद्धा० तं दिट्ठा णं देवाणुप्पिया ! इड्ढी जाव अभिसमन्नागया, तं खामेमि णं देवाणुप्पिया ! खमंतु मज्झं देवाणुप्पिया ! खन्तुमरहन्तिं णं देवाणुप्पिया ! नाइं भुज्जो करणयाएत्तिकट्टु पायवडिए पञ्जलिउडे एयमद्वं भुज्जो भुज्जो खामेइ त्ता जामेव दिसं पाउब्भूए तामेव दिसं पडिगए, तए णं से कामदेवे समणोवासए निरुवसग्गमितिकड पडिमं पारेइ, ते णं कालेणं० समणे भगवं महावीरे जाव विहरइ | २३ | तए णं से कामदेवे समणोवासए इमीसे कहाए लद्धट्ठे समाणे एवं खलु समणे भगवं महावीरे जाव विहरइ तं सेयं खलु मम समणं भगवं महावीरं वन्दित्ता नमंसित्ता तओ पडिणियत्तस्स पोसहं पारित्तएत्तिकट्टु, एवं सम्पेहेइ त्ता सुद्धप्पावेसाइं वत्थाई जाव अप्पमहग्घ जाव मणुस्सवग्गुरापरिक्खित्ते (१२३) सयाओ गिहाओ पडिणिक्खमइ त्ता चम्पं नगरिं मज्झंमज्झेणं निग्गच्छइ त्ता जेणेव पुण्णभद्दे चेइए जहा सो जाव पज्जुवास, तए णं समणे भगवं महावीरे कामदेवस्स समणोवासयस्स तीसे य जाव धम्मका समत्ता | २४| कामदेवाइ ! समणे भगवं महावीरे कामदेव स्रमणोवासयं एवं व०-से नूणं कामदेवा ! तुम्हं पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि एगे देवे अन्तिए पाउब्भूए, तए णं से देवे एगं महं दिव्वं पिसायरूवं विउव्वइ त्ता आसुरूत्ते० एवं महं नीलुप्पल जाव असिं गहाय तुमं एवं वयासी - हंभो कामदेवा ! जाव जीवियाओ ववरो विज्जसि, तं तुमं तेणं देवेणं एवं वुत्ते समाणे अभीए, जाव विहरसि, एवं वण्णगरहिया तिण्णिवि उवसग्गा तहेव पडिउच्चारेयव्वा जाव देवो पडिगओ, से नूणं कामदेवा ! अट्ठे समट्ठे ?, हन्ता अत्थि, अज्जोइ समणे भगवं महावीरे बहवे समणे निग्गन्थे य निग्गन्थीओ य आमन्तेत्ता एवं व० जइ ताव अज्जो ! समणोवासगा गिहिणो गिमज्झावसन्ता दिव्वमाणुस्सतिरिक्खजोणिए उवसग्गे सम्मं सहन्ति जाव अहियासेन्ति सक्का पुणाइं अज्जो ! समणेहिं निग्गन्धेहिं दुवालसङ्ग गणिपिडगं अहिज्झमाणेहिं दिव्वमाणुस्सतिरिक्खजोणिए० सम्म सहित्तए जाव अहियासित्तए, तओ ते बहवे समणा निग्गन्था य निग्गन्थीओ य समणस्स भगवओ महावीरस्स तहत्ति एयमहं विणएणं पडिसुणन्ति, तए णं से कामदेवे समणोवासए हट्ट जाव समणं भगवं महावीरं पसिणारं पुच्छइ अट्टमादियइ समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो वन्दइ नमसइ त्ता जामेव दिसं पाउब्भूतामेव दिसं पडिगए, तए णं समणे भगवं महावीरे अन्नया कयाई चम्पाओ पडिणिक्खमइ त्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ | २५ | तए णं से कामदेवे समणोवासए पढमं उवासगपडिमं उवसम्पज्जित्ताणं विहरइ, तए णं से कामदेवे समणोवासए बहूहिं जाव भावेत्ता वीसं वासाइं समणोवासगपरियागं पाउणित्ता एक्कारस उवासगपडिमाओ सम्मं कारणं फासेत्ता० मासियाए संलेहणाए अप्पाणं झूसित्ता सद्वि भत्ताइं अणसणाए छेदेत्ता आलोइयपडिक्कन्ते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे सोहम्भवडिंसयस्स महाविमाणस्स उत्तरपुरत्थिमेणं अरूणाभे विमाणे देवत्ताए उववन्ने, तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं चत्तारि पलिओवमाई ठिई पं०, कामदेवस्सवि श्री आगमगुणमंजूषा - ७०३ ON Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ -60555555555555 उवासगदसाओ २ . कामदेवज्झयण - ३ चुलणीपिया [१] 555555555555555FOXORY OPC蛋蛋乐乐听听听听听乐乐乐乐乐乐乐乐中乐乐乐 乐乐乐乐乐乐乐乐乐乐中乐乐乐 देवस्स चत्तारिपलिओवमाइं ठिई पं०, से णं भन्ते ! कामदेवे ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठिइक्खएणं अणन्तरं चयं चइत्ता कहिं गमिहिइ कहिं उववज्जिहिइ ?, गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ०, निक्खेवो।२६|| [कामदेवज्झयणं] २॥ उक्खेवो तइयस्स अज्झयणस्स, एवं खलु जम्बु ! तेणं कालेणं० वाणारसी नामं नवरी,. कोट्टए (महाकामवणे पा०) चेइए जियसत्तू राया, तत्थ णं वाणारसीए, नयरीए चुल्लणीपिया नाम गाहावई परिवसइ अड्ढे जाव अपरिभूए सामा भारिया अट्ठ हिरण्णकोडीओ निहाणपउत्ताओ अट्ठ वुड्डिपउत्ताओ अट्ठ पवित्थरपउत्ताओ अट्ठ वया दसगोसाहस्सिएणं वएणं, जहा आणन्दो राइसर जाव सव्वकज्जवट्ठावए यावि होत्था, सामी समोसढे परिसा निग्गया, चुल्लणीपियावि जहा आणन्दो जहा निग्गओ, तहेव गिहिधम्म पडिवज्जइ गोयमपुच्छा तहेव सेसं जहा कामदेवस्स जाव पोसहसालाए पोसहिए बम्भचारी समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तियं धम्मपण्णत्तिं उवसम्पज्जित्ताणं विहरइ ।२७। तए णं तस्स चुल्लणीपियस्स समणोवासयस्स पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि एगे देवे अन्तियं पाउब्भूए, तए णं से देवे एगं नीलुप्पल जाव असिंगहाय चुल्लणीपियं समणोवासयं एवं व०-हंभो चुल्लणीपिया समणोवासया ! जहा कामदेवो जाव न भञ्जसि तो ते अहं अज्ज जेटुं पुत्तं साओ गिहाओ नीणेमि त्ता तव अग्गओ घाएमि त्ता तओ मंससोल्लए करेमि त्ता आदाणभरियंसि कडाहयंसि अद्दहेमित्ता तव गायं मंसेण य सोणिएण य आइञ्चामि जहा णं तुम अदृदुहट्टवसट्टे अकाले चेव जीवियाओ ववरोविज्नसि. तए णं से चुल्लणीपिया समणोवासए तेणं देवेणं एवं वुत्ते समाणे अभीए जाव विहरइ, तए णं से देवे चुल्लणीपियं समणोवासयं अभीयं जाव पासइ त्ता दोच्वंपि तच्चपि चुल्लणीपियं समणोवासयं एवं व० -हंभो चुल्लणीपिया ! समणोवासया तं चेव भणइ सो जाव विहरइ, तए णं से देवे चुल्लणीपियं समणोवासयं अभीयं जाव पासित्ता आसुरूत्ते० चुल्लणीपियस्स समणोवासयस्स जेट्ठ पुत्तं गिहाओ नीणेइ त्ता अग्गओ घाएइ त्ता तओ मंससोल्लए करेइ त्ता आदाणभरियंसि कडाहयंसि अहहेइत्ता चुल्लणीपियस्स समणोवासयस्स गायं मंसेण य सोणिएणय आइञ्चइ, तएणं से चुल्लणीपिया समणोवासए तं उज्जलं जाव अहियासेइ. तए णं से देवे चुल्लणीपियं समणोवासयं अभीयं जाव पासइ त्ता दोच्चंपि तच्चपि चुल्लणीपियं समणोवासयं एवं व०हंभो चुल्लणीपिया समणोवासया ! अपत्थियपत्थया जाव न भञ्जेसि तो ते अहं अज्ज मज्झिमं पुत्तं साओ गिहाओ नीणेमि त्ता तव अग्गओ घाएमि ज़हा जेटुं पुत्तं तहेव भणइ तहेव करेइ एवं तच्चपि कणीयसं जाव अहियासेइ, तए णं से देवे चुल्लणीपियं समणोवासयं अभीयं जाव पासइ त्ता चउत्थंपि चुल्लणीपियं समणोवासयं एवं व-हंभो चुल्लणीपिया समणोवासया ! अपत्थियपत्थया जइणं तुमं जावन भञ्जेसि तओ अहं अज्ज जाइमा तव माया भद्दा सत्थवाही देवयगुरूजणणी दुक्करदुक्करकारिया तंते साओ गिहाओ नीणेमित्ता तव अग्गओ घाएमित्ता तओ मंससोल्लए करेमि त्ता अद्दहणभरियसि कडाहयंसि अद्दहेमि त्ता तव गायं मंसेण य सोणिएण य आइञ्चामि जहा णं तुमं अट्टदुहट्टवसट्टे अकाले चेव जीवियाओ ववरोविज्जसि, तएणं से चुल्लणीपिया समणोवासए तेणं देवेणं एवं वुत्ते समाणे अभीए जाव विहरइ, तए णं से देवे चुल्लणीपियं समणोवासयं अभीयं जाव विहरमाणं पासइ त्ता चुल्लणीपियं समणोवासयं दोच्चंपि तच्वंपि एवं व०.हंभो चुल्लणीपिया समणोवासया ! तहेव जाव ववरोविज्जसि. तए णं तस्स चुल्लणीपियस्स समणोवासयस्स तेणं देवेणं दोच्चंपि तच्चपि एवं वुत्तस्स समाणस्स इमेयारूवे अज्झथिए० अहो णं इमे पुरिसे अणायरिए अणायरियबुद्धी अणायरियाई पावाइं कम्माइं समायरइ जेणं मम जेट्ठ पुत्तं साओ गिहाओ नीणेइ त्ता मम अग्गओ घाएइ त्ता जहा कयं तहा चिन्तेइ जाव गायं आइञ्चइ जेणं मम मज्झिमं पुत्तं साओ गिहाओ जाव सोणिएण य आइञ्चइ जेणं मम कणीयसं पुत्तं साओ गिहाओ तहेव जाव आइश्चइ, जाविय णं इमा मम माया भद्दा सत्यवाही देवयगुरूजणणी दुक्करदुक्करकारिया तंपिय णं इच्छइ साओ गिहाओ नीणेत्ता मम अग्गओ घाएत्तए तं सेयं खलु मम एयं पुरिसं गिण्हित्तएत्तिकटु उद्धाइए सेऽविय आगासे उप्पइए तेणं च खम्भे आसाइए महया महया सद्देणं कोलाहले कए. तए णं सा भद्दासत्थवाही तं कोलाहलसद्दे सोच्चा निसम्म जेणेव चुल्लणीपिया समणोवासए तेणेव उवागच्छइत्ता चुल्लणीपियं समणोवासयं एवं व०-किण्णं पुत्ता ! तुमं महया महया सद्देणं कोलाहले कए ?, तए णं से चुल्लणीपिया समणोवास, अम्मयं भई सत्थवाहिं एवं व०-एवं खलु अम्मो! न जाणामि केवि पुरिसे आसुरूत्ते० एग महं नीलुप्पल० असिंगहाय ममं एवं व०-हंभो चुल्लणीपिया Roo55555555555555 5 55 श्री आगमगुणमंजषा ७०४55555555555555555555555EGOR Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ dan totes Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ★पास शांग सूत्र: ભગવાન મહાવીરના પ્રથમ દસ શ્રાવકો : - १.) मानंद, २) भव, 3) युलिनापित, ४) सुशव, ५) युद्धशत. १)ोलिक, ७) सदासपुत्र, ८) महाशत, ६)हिनायता भने १०) साहिपिता * उपासक दशांग सूत्र: भगवान महावीर के प्रथम दस श्रावक : १) आनंद, २) कामदेव, ३) चुलिनीपिता, ४) सुरादेव, ५) चुल्लशतक, ६) कुंडकोलिक, ७) सद्दालपुत्र, ८) महाशतक, ९) नंदिनीपिता और १०) सालिहीपिता। * Upāsaka-dašānga-sutra: Lord Mahavira's first 10 Jain householders:1) Ananda, 2) Kamadeva, 3) Culinipitā. 4) Surädeva, 5) Cullasataka, 6) Kundakolika, 7) Saddalaputra, 8) Mahāśataka, 9) Nandinipita and 10) Salihipita. dainEducation international 2010-03 Private &Personal.Use Only www.janelibrary.org, ww.jainelibrary.org Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ AOMOSSFFFFFFF<<<Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ NG:0555555555555555 (७) उवासगदसाओ ५ चुल्लसयए - ६ कुण्डकोलिए [११] 55555牙牙牙牙牙牙牙牙牙牙乐20只 OTC5听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听明明听听听听听听听听听听听听听听听听FO जहा चुल्लणीपियस्स भद्दा भणइ एवं निरवसेसं जाब सोहम्मे कप्पे अरूणकन्ते विमाणे उववन्ने चत्तारि पलिओवमाइं ठिई महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ० । निक्खेवो ३१ ।। ।सुरादेवज्झयणं ||४|| [उक्खेवो पञ्चमस्स) । एवं खलु जम्बू ! तेणं कालेणं० आलंभिया नामं नयरी सङ्खवणे उज्जाणे जियसत्तू राया चुल्लसयए गाहावई अढे जाव छ हिरण्णकोडीओ जाव छव्वया दसगोसाहस्सिएणं वएणं बहुला भारिया सामी समोसढे जहा आणन्दो तहा गिहिधम्म पडिवज्जइ सेसं जहा कामदेवो जाव धम्मपण्णत्तिं उवसम्पज्जित्ताणं विहरइ।३२ । तए णं तस्स चुल्लसयगस्स समणोवासयस्स पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि एगे देवे अन्तियं जाव असिं गहाय एवं व हंभो चुल्लसयगा समणोवासया जाव न भञ्जसि तो ते अज्ज जेट्ठ पुतं साओ गिहाओ नीणेमि एवं जहा चुल्लणीयियं नवयं एक्कक्के सत्त मंससोल्लाया जाव कणीयसं आयञ्चामि, तए रं से चुल्लसयए समणोवासए जाव विहरइ, तए णं सेदेवे चुल्लसयगं समणोवासयं चउत्थंपि एवं व०-हंभो चुल्लसयगा समणोवाया ! जाव न भञ्जसि तो ते अज्ज जाओ इमाओ छ हिरण्णकोडीओ निहाणपउत्ताओ छ वुड्डिपउत्ताओ छ पवित्थरपउत्ताआ ताओ साओ गिहाओ नीणेमि त्ता आलंभियाए नयरीए सिङ्घाडगजावपहेसु सव्वओ समन्ता विप्पइरामि जहाणं तुमं अट्टदुहट्टवसट्टे अकाले चेव जीवियाओ ववरोविज्जसि. तए णं से चुल्लसयए समणोवासए तेणं देवेणं एवं वुत्ते समाणे अभीए जाव विहरइ, तए णं से देवे चुल्लसयगं समणोवासयं अभीयं जाव पासित्ता दोच्चंपि तच्चपि तहेव भणइ जाव ववरोविज्जसि. तए णं तस्स चुल्लसयगस्स समणोवासयस्स तेणं देवेणं दोच्चपि तच्चपि एवं वुत्तस्स समाणस्स अयमेयारूवे अज्झत्थिए० अहोणं इमे पुरिसे अणारिए जहा चुल्लणीपिया तहा चिन्तइ जाव कणीयसं जाव आइञ्चइ जाओवि य णं इमाओ ममं छ हिरण्ण कोडीओ निहाणपउत्ताओ छ वुद्दिपउत्ताओ छ पवित्थरपउत्ताओ ताओवि य णं इच्छइ मम साओ गिहाओ नीणेत्ता आलंभियाए नयरीए सिङ्घाडग जाव विप्पइरित्तए तं सेयं खलु ममं एयं पुरिसं गिण्हित्तएत्तिकटु उद्धाइए जहा सुरादेवो तहेव भारिया पुच्छइ तहेव कहेइ ।३३। सेसं जहा चुल्लणीपियस्स जाव सोहम्मे कप्पे अरूणसिट्टे विमाणे उववन्ने चत्तारि पलिओवमाइं ठिई सेसं तहेव जाव महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ० निक्खेवो |३४|| [चुल्लसयगज्झयणं] ५॥ [छट्ठस्स उक्खेवओ]। एवं खलु जम्बू ! तेणं कालेणं० कम्पिल्लपुरे नयरे (प्र० पुढवीसिलापट्टए चेइए) सहस्सम्बवणे उज्जाणे जियसत्तू राया कुण्डकोलिए गाहावई पूसा भारिया छ हिरण्णकोडीओ निहाणपउत्ताओ छवृछिपउताओ छ पवि० छव्वया दसगोसाहस्सिएणं वएणं सामी समोसढे जहा कामदेवो तहा सावयधम्म पडिवज्जइ सच्चेव वत्तव्वया जाव पडिलाभेमाणी विहरइ । ३५। तए णं से कुण्डकोलिए समणोवासए अन्नया कयाई पुव्वावरण्हकालसमयंसिजेणेव असोगवणिया जेणेव पुढवीसिलापट्टए तेणेव उवागच्छइत्ता नाममुद्दगं च उत्तरिज्जगं च पुढवीसिलापट्टए ठवेइत्ता समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तियं धम्मपणत्तिं उवसम्पज्जित्ताणं विहरइ, तएणं तस्स कुण्डकोलियस्स समणोवासयस्स एगे देवे अन्तियं पाउब्भवित्था, तए णं से देवे नाममुदं च उत्तरिज्जं च पुढवीसिलापट्टयाओ गेण्हइ त्ता सखिङिखणिं अन्तलिक्खपडिवन्ने कुण्डकोलियं समणोवासयं एवं व०-हंभो कुण्डकोलिया समणोवासया सुन्दरी णं देवाणुप्पिया ! गोसालस्स मखलिपुत्तस्स धम्मपण्णत्ती नत्थि उट्ठाणेइ वा कम्मेइ वा बलेइ वा वीरिएइ वा पुरिसक्कारपरक्कमेइ वा नियय सव्वभावा, मंगुली णं समणस्स भगवओ महावीरस्स धम्मपण्णत्ती अस्थि उट्ठाणेइ वा जाव परक्कमेइ वा अणियया सव्वभावा, तए णं से कुण्डकोलिए समणोवासए तं देवं एवं व०-जइ णं देवा ! सुन्दरी गोसालस्स मङ्खलिपुत्तस्स धम्मपण्णत्ती नत्थि उट्ठाणेइ वा जाव नियया सव्वभावा, मंगुली णं समणस्स भगवओ पहावीरस्स धम्मपण्णत्ती अस्थि उठाणेइ वा जाव अणियया सव्वभावा, तुमे णं देवाणुप्पिया ! इमा एयारूवा दिव्वा देविड्ढी दिव्वा देवज्जुई दिव्वे देवाणुभावे किण्णा लद्धे किंणा पत्ते किंणा अभिसमण्णागए किं उठाणेणं जाव पुरिसक्कारपरक्कमेणं उदाहु अणुट्ठाणेणं अकम्मेणं जाव अपुरिसक्कारपरक्कमेणं ?, तएणं से देवे कुण्डकोलियं समणोवासयं एवं व०-एवं खलु देवाणुप्पिया ! मए इमेयारूवा दिव्वा देविड्ढी० अणुट्ठाणेणं जाव अपुरिसक्कारपरक्कमेणं लद्धा पत्ता अभिसमन्नागया, तए णं से कुण्डकोलिए समणोवासए तं देवं एवं व०-जइ णं देवा ! तुमे इमा एयारूवा दिव्वा देविड्ढी० अणुट्ठाणेणं जाव अपुरिसक्कारपरक्कमेणं लद्धा पत्ता अमिसमन्नागया जेसिंणं जीवाणं नत्थि उठाणेइ वा जाव परक्कमेइ वा ते किं न देवा ? अह णं देवा तुमे एयारूवा दिव्वा देविड्ढी० उट्ठाणेणं जाव परक्कमेणं लद्धा पत्ता अभिसमन्नागया तो जं वदसि CF明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听 Nexc5555555555555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा-140505555555555555555555555555556OR Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (७) उबासगढ़साओ सालपुने [१२] फफफफफफफफ0 0 सुन्दरीणं गोसालस मङ्खलिपुत्तस्स धम्मपण्णत्ती नत्थि उट्टाणेइ वा जाव नियया सव्वभावा मंगुली णं समणस्स भगवओ महावीरस्स धम्मपण्णत्ती अत्थि उट्ठाणे वा जाव अणियया सव्वभावा तं ते मिच्छा, तए णं से देवे कुण्डकोलिएणं एवं वुत्ते समाणे सङ्किए जाव कलुससमावन्ने नो संचाएइ कुण्डकोलियस्स समणोवासयस्स किंचि पामोक्खमाइक्खित्त नाममुद्दयं च उत्तरिज्जयं च पुढवीसिलापट्टए ठवेइ ना जामेव दिसं पाउब्भूए तामेव दिसं पडिगए। तेणं कालेणं० सामी समोसढे, तए णं. से कुण्डको लिए समणोवासए इमीसे कहाए लट्टे हट्ट जहा कामदेवो तहा निग्गच्छइ जाव पज्नुवासर, धम्मका | ३६ | कुण्डकोलियाइ ! समणे भगवं महावीरे कुण्डकालियं समणोवासयं एवं व० से नूणं कुण्डकोलिया ! कल्लं तुब्भ पुव्वा (प्र० पच्चा) वरण्हकालसमयंसि असोगवेणियाए एगे देवे अन्तियं पाउब्भवित्था, तए णं से देवे नाममुदं च तहेव जाव पडिगए से नूणं कुण्डकोलिया ! अड्डे समठ्ठे ?, हन्ता अत्थि, तं धन्ने सि णं तुमं कुण्डकोलिया ! जहा कामदेवो अज्जोइ ! समणे भगवं महावीरे समणे निरगंथे य निग्गंधीओ य आमन्तेति त्ता एवं व० जइ ताव अज्जो ! गिहिणो गिहिमज्झ (प्र० ज्झि) वसन्ता अन्नउत्थिए अट्ठेहि य हेऊहि य पसिणेहि य कारणेहि य वागरणेहि य निप्पट्टपसिणवागरणे करेन्ति सक्का पुणाइ अज्जो ! समणेहिं निग्गन्थेहिं दुवालसङ्गं गणिपिडगं अहिज्जमाणेहिं अन्नउत्थिय अहि निप्पट्टपसिणवागरणा करित्तर. तए णं समणा निग्गन्था य निग्गंधीओ य समणस्स भगवओ महावीरस्स तहत्ति एयमद्वं विणएणं पडिसुणन्ति, तए णं से कुण्डकोलिए समणोवासए समणं भगवं महावीरं वन्दइ नमसइ त्ता पसिणाई पुच्छइ त्ता अट्ठमादियइ त्ता जामेव दिसं पाउब्भूए तामेव दिसं पडिगए, सामी बहिया जणवयविहारं विहरइ |३७| तए णं तस्स कुण्डकोलियस्स समणोवासयस्स बहूहिं सील जाव भावेमाणस्स चोद्दस संवच्छराई वइक्कन्ताई पणरसमस्स संवच्छरस्स अन्तरा माणस्स अन्ना कयाई जहा कामदेवो तहा जेट्ठपुत्तं ठवेत्ता तहा पोसहसालाए जाव धम्मपण्णत्तिं उवसम्पज्जित्ताणं विहरइ, एवं एक्कारस उवासगपडिमाओ तहेव जाव सोहम्मे कप्पे अरूणज्झए विमाणे जाव अन्तं काहिइ. निक्खेवो |३८|| | कुण्डकोलियज्झयण] ॥६॥ सत्तमस्स उक्खेवो. पोलासपुरे नामं नरे सहसम्ब उज्जारे जियसत्तू राया, तत्थ णं पोलासपुरे नयरे सद्दालपुत्ते नामं कुम्भकारे आजीविओवासए परिवस आजीविसमयंसि लद्धट्ठे गहियद्वे पुच्छियट्टे विणिच्छियट्टे अभिगयट्टे अट्ठिमिंजपेम्माणुरागरने य अयमाउसो ! आजीविसमए अट्ठे अयं परमठ्ठे सेसे अणट्टेत्ति आजीविसमएणं अप्पाणं भावेमाणे विहरइ, तस्स णं सद्दालपुत् आजीविओवासगस्स एक्का हिरण्णकांडी निहाणपउत्ता एक्का वुढिपत्ता एक्का पवित्थरपउत्ता एक्के वए दसगोसाहास्सिएणं वएणं. तस्स णं सद्दालपुत्तस्स आजीविओवासगस्स अग्गिमित्ता नामं भारिया होत्था, तस्स णं सद्दालपुत्तस्स आजीविओवासगस्स पोलासपुरस्स नगरस्स बहिया पञ्च कुम्भकारावणसया होत्था, तत्थ णं बहवे पुरिसा दिण्णभइभत्तवेयणा कल्लाकुल्लिं बहवे करए य वारए य पिहडए य घडए य अद्धघडए य कलसए य अलिञ्जरए य जम्बूलए य उट्टियाओ य करेन्ति अन्नं य से बहवे पुरिसा दिण्णभइभत्तवेयणा कल्लाकुल्लिं तेहिं बहूहिं करएहिं य जाव उट्टियाहि य रायमग्गंसि वित्तिं कप्पेमाणा विहरन्ति । ३९ । तए से सद्दालपुत्ते आजीविओवासए अन्नया कयाई पुव्वा (प्र० पच्चा) वरण्हकालसमयंसि जेणेव असोगवणिया तेणेव उवागच्छड़ त्ता गोसालस्स मङ्खलिपुत्तस्स अन्तियं धम्मपत्तिं उवसम्पज्नित्तारं विहरइ, तए णं तस्स सद्दालपुत्तस्स आजीविओवासगस्स एगे देवे अन्तियं पाउन्भवित्था. तए णं से देवे अन्तलिक्खपडिवन्ने सखिङ्गिणियाइं जाव परिहिए सद्दालपुत्तं आजीविओवासयं एवं व०- एहिइ णं देवाणुप्पिया ! कल्लं इहं महामाहणे उप्पन्नणाणदंसणधरे तीयपडुप्पन्नाणागयजाण अहा जिणे केवल सव्वण्णू सव्वदरिसी तेलोक्कवहियमहियपूइए सदेवमणुयासुरस्स लोगस्स अच्चणिज्जे वन्दणिज्जे पूयणिज्जे सक्कारणिज्जे सम्माणणिज्जे कल्लाणं मङ्गलं देवयं चेइयं जाव पज्जुवासणिजे तच्चक्रम्मसम्पयासंपत्ते तं णं तुमं वन्देज्जाहि जाव पजुवासेनाहि पाडिहारिएणं पीढफलगसिज्जासंधारएणं उवनिमन्तेज्जाहि दोच्चंपि तच्चंपि एवं वयइ ना जामेव दिसं पाउब्भूए तामेव दिसं पडिगए. तए णं तस्स सद्दालपुत्तस्स आजीविओवासगस्स तेणं देवेणं एवं वुत्तस्स समाणस इमेयाख्वे अज्झत्थिए० समुप्पन्ने एवं खलु ममं धम्मायरिए धम्मोवएसए गोसाले मङखलिपुत्ते से णं महामाहणे उप्पन्नणाणदंसणधरे जाव तच्चकम्मसम्पयासम्पत् सेल् इहं हवमागच्छिस्स तए णं तं अहं वन्दिस्सामि नाव पज्जुवासिस्सामि पाडिहारिएणं जाव उवनिमन्तिस्सामि । ४०। तए णं कल्लं जाव जलन्ते समणे Education I फफफफफफफफफफफफफफफफफफ श्री आगमगणमंजपा १०० 201666666666666666 Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ao555555555555555 (७) उवासगदसाओ ७ सदालपुत्ते [१३] 55555555% ? CCF听听听听听听听听听听听听听听听听听听听明明明明明明听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听OM र भगवं महावीरे जाव समोसरिए परिसा निग्गया जाव पज्जुवासइ, तए णं से सद्दालपुत्ते आजीविओवासए इमीसे कहाए लद्धट्टे समाणे एवं खलु समणे भगवं महावीरे जाव विहरइतं गच्छामिणं समणं भगवं महावीरं वन्दामि जाव पज्जुवासामि एवं सम्पेहेइत्ता हाए जाव पायच्छित्ते सुद्धप्पावेसाइं जाव अप्पमहग्याभरणालङ्किसयसरीरे मणुस्सवग्गुरापरिगए साओ गिहाओ पडिणिक्खमइ त्ता पोलासपुरं नयरं मज्झमज्झेणं निग्गच्छइ त्ता जेरेव सहस्सम्बवणे उज्जाणे जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइत्ता तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ त्ता वन्दइ नमसइ त्ता जाव पज्जुवासइ, तए णं समणे भगवं महावीरे सद्दाल पुत्तस्स आजीविओवासगस्स तीसे य महइ जाव धम्मकहा समत्ता, सद्दाल पुत्ताइ ! समते भगवं महावीरे सद्दालपुत्तं आजीविओवासयं एवं व०-से नूणं सद्दालपुत्ता ! कल्लं तुम पुव्वावरण्हकालसमयंसि जेणेव असोगवणिया जाव विहरसि तए णं तुब्भं एगे देवे अन्तियं (१२४) पाउब्भवित्था, तए णं से देवे अन्तलिक्खपडिवन्ने एवं व०-हंभो सद्दालपुत्ता ! तं चेव सव्वं जाव पज्जुवासिस्समि से नूणं सद्दालपुत्ता ! अढे समढे?, हंता अत्थि, नो खलु सद्दालपुत्ता ! तेणं देवेणं गोसालं मङ्खलिपुत्तं पणिहाय एवं वुत्तं, तए णं तस्स सद्दालपुत्तस्स आजीविओवासयस्स समणेणं भगवया महावीरेणं एवं वुत्तस्स समाणस्स इमेयारूवे अज्झत्थिए० एस णं समणे भगवं महावीरे महामाहणे उप्पन्नणाणदंसणधरे जाव तच्चकम्मसम्पयासम्पउत्तेतं सेयं खलु मम समणं भगवं महावीरं वन्दित्ता नमंसित्ता पाडिहारिएणं पीढफलग जाव उवनिमन्तित्तए एवं सम्पेहेइ त्ता उट्ठाए उट्टेइ त्ता समणं भगवं महावीरं वन्दइ नमसइत्ता एवं व०-एवं खलु भन्ते ! मम पोलासपुरस्स नयरस्स बहिया पञ्च कुम्भकारावणसया तत्थ णं तुब्भे पाडिहारियं पीढजावसंथारयं ओगिण्हित्ताणं विहरह, तए णं समणे भगवं महावीरे सद्दालपुत्तस्स आजीविओवासगस्स एयमद्वं पडिसुणेइत्ता सद्दालपुत्तस्स आजीओवासगस्स पञ्चकुम्भकारावणएसु फासुएसणिज्जं पाडिहारियं पीढफलगजावसंथारयं ओगिण्हित्ताणं विहरइ।४१। तए णं से सद्दालपुत्ते आजीविओसए अन्नया कयाई वायाययं० कोलालभण्डं अन्तो सालाहिंतो बहिया नीणेइत्ता आयवंसि दलयइ, तए णं समणे भगवं महावीरे सद्दालपुत्तं आजीविओवासयं एवं व०सद्दालपुत्ता ! एस णं कोलालभण्डे कओ?, तए णं से सद्दालपुत्ते आजीविओवासए समणं भगवं महावीरं एवं व०-एस णं भंते ! पुव्विं मट्टिया आसी तओ पच्छा उदएणं निमिज्जइ त्ता छारेण य करिसेण य एगओ मीसिज्जइ त्ता चक्के आरोहिज्जइ तओ बहवे करगा य जाव उट्टियाओ य कज्जन्ति. तए णं समणे भगवं महावीरे सद्दालपुत्तं आजीविओवासयं एवं व० - सद्दालपुत्ता ! एसणं कोलालभंडे किं उठाणेणं जाव पुरिसक्कारपरक्कमेणं कजति उदाहु अणुट्ठाणेणं जाव अपुरिसक्कारपरक्कमेणं कज्जति ?. तए णं से सद्दालपुत्ते आजीविओवासए समणं भगवं महावीरं एवं व०-भन्ते ! अणुट्ठाणेणं जाव अपुरिसक्कारपरक्कमेणं नत्थि उट्ठाणेइ वा जाव परक्कमेइ वा नियमा सव्वभावा, तएणं समणे भगवं महावीरे सद्दालपुत्तं आजीओवासयं एवं व०- सद्दालपुत्ता ! जइणं तुब्भे केई पुरिसे?, बायाहयं वा पक्केल्लयं वा कोलालभण्डं अवहरेज्जा वा विक्खिरेज्जा वा भिन्देज्जा वा अ(वि पा०)च्छिन्देज्जा वा परिट्ठवेज्जा वा अग्गिमित्ताए भारियाए वा सद्धिं विउलाई भोगभोगाई भुञ्जमाणे विहरेज्जा तस्स णं तुमं पुरिसस्स किं दण्डं वत्तेज्जासि ?, भन्ते ! अहं णं तं पुरिसं आओसेज्जा वा हणेज्जा बंधेज्जा वा महेज्जा वा ताञ्जज्जा वा तालेज्जा वा निच्छोडेज्जा वा निब्भच्छेज्जा वा अकाले चेव जीवियाओ ववरोवेज्जा वा. सद्दालपुत्ता ! नो खलु तुब्भं केई पुरिसे वायाहयं वा पक्केल्लयं वा कोलालभण्डं अवहरइ वा जाव परिट्ठवेइ वा अग्गिमित्ताए वा भारियाए सद्धिं विउलाइं भोगभोगाइं भुञ्जमाणे विहरइ नो वा तुमं तं पुरिसं आओसेज्जसि वा हणेज्जसि वा जाव अकाले चेव जीवियाओ' ववरोवेज्जसि जइ नत्थि उठाणेइ वा जाव परक्कमेइ वा नियया सव्वभावा, अह णं तुब्भ केई पुरिसे वायाहयं जाव परिट्ठवेइ तुमं वा तं पुरिसं आओसेसि वा जाव ववरोवेसि वा तो जंवदसि नत्थि उट्ठाणेइ वा जाव नियया सव्वभावा तं ते मिच्छा एत्थ णं से सद्दालपुत्ते आजीविओवासए सम्बुद्धे, तएणं से सद्दालपुत्ते आजीविओवासए समणं भगवं महावीरं वन्दइ नमसइत्ता एवं व०- इच्छामिणं भंते ! तुम्भं अन्तिए धम्मं निसामेत्तए, तएणं समणे भगवं महावीरे सद्दालपुत्तस्स आजीविओवासगस्स तीसे य जाव धम्म पडिकहेइ । ४२ । तए णं से सद्दालपुत्ते आजीविओवासए समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तिए धम्म सोच्चा निसम्म हट्ठतुट्ठजावहियए जहा १ आणन्दो तहा गिहिधम्म पडिवज्जइ नवरं एगा हिरण्णकोडी निहाणपउत्ता एगा हिरण्णकोडी वुडिढपउत्ता एगा हिरण्णकोडी पवित्थरपउत्ता एगे वए दसगोसाहस्सिएणं 步步步 步 5岁男男男%%%%%%%%% 到19919753E5 %%%% %%%% %% % OC明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明明听听听听听听听听听听乐与乐明垢F2C网 Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ % %%%% %% %% (७) उवासगदसाओ ७ सदालपुत्ते [१४] 55555555555CS HOLIC乐听听听听乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听明( वएणं जाव समणं भगवं महावीरं वन्दइ नमसइ त्ता जेणेव पोलासपुरे नयरे तेणेव उवागच्छइत्ता पोलासपुरं नयरं मझमझेणं जेणेव सए गिहे जेणेव अग्गिमित्ता भारिया तेणेव उवागच्छइ त्ता अग्गिमित्तं भारियं एवं व०- एवं खलु देवाणुप्पिए ! समणे भगवं महावीरे जाव समोसढे तं गच्छाहि णं तुमं समणं भगवं महावीर वन्दाहि जाव पज्जुवासाहि समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तिए पञ्चाणुव्वइयं सत्तसिक्खावइयं दुवालसविहं गिहिधम्म पडिवज्जाहि. तए णं सा अग्गिमित्ता भारिया सद्दालपुत्तस्स समणोवासगस्स तहत्ति एयमद्वं विणएणं पडिसुणेइ, तएणं से सद्दालपुत्ते समणोवासए कोडुंबियपुरिसे सद्दावेइ वा एवं ब०- खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! लहुकरणजुत्तजोइयं समखुरवालिहाणसमलिहियसिङ्गएहिं जम्बूणयामयकलावजोत्तपइविसिट्ठएहिं रययामयघण्टसुत्तरज्जुगवरकञ्चणखइयनत्थापग्गहोग्गहियएहिं नीलुप्पलक यामेलएहिं पवरगोणजुवाणएहिं नाणामणिकणगघण्टियाजालपरिगयं सुजायजुगजुत्तउज्जुगपसत्थसुविरइनिम्मियं पवरलक्खणोववेयं जुत्तामेव धम्मियं जाणप्पवरं उवट्ठवेह त्ता मम एयमाणत्तियं पच्चप्पिणह. तए णं ते कोडुबियपुरिसा जाव पच्चप्पिणन्ति, तए णं सा अग्गिमित्ता भारिया ण्हाया जाव पायच्छित्ता सुद्धप्पावेसाइं जाव अप्पमहग्याभरणालङ्कियसरीरा चेडियाचक्कवालपरिकिण्णा धम्मियं जाणप्पवरं दुरुहइ त्ता पोलासपुरं नगरं मज्झंमज्झेणं निग्गच्छइ त्ता जेणेव सहस्सम्बवणे उज्जाणे धम्मियाओ जाणाओ पच्चोरुहइ त्ता जेणेव समणे० तेणेव उवागच्छइ त्ता चेडियाचक्कवालपरिवुडा जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ त्ता तिक्खुत्तो जाव वन्दइ नमसइ त्ता नच्चासन्ने नाइदूरे जाव पञ्जलिउडा ठिझ्या चेव पज्जुवासइ, तए णं समणे भगवं महावीरे अग्गिमित्ताए तीसे य जाव धम्मं कहेइ, तए णं सा अग्गिमित्ता भारिया समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तिए धम्म सोच्चा निसम्म हट्ठतुठ्ठा समणं भगवं महावीरं वन्दइ नमसइ त्ता एवं व०. सद्दहामि णं भंते ! निग्गन्थं पावयणं जाव से जहेयं तुब्भे वयह जहा णं देवाणुप्पियाणं अन्तिए बहवे उग्गा भोगा जाव पव्वइया नो खलु अहं संचाएमि देवाणुप्पियाणं अन्तिए मुण्डा भवित्ता जाव अहण्णं देवाणुप्पियाणं अन्तिए पञ्चाणुव्वइयं सत्तसिक्खावइयं दुवासविहं गिहिधम्म पडिवज्जामि, अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबन्धं करेह, तए णं सा अग्गिमित्ता भारिया समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तिए पञ्चाणुव्वइयं सत्तसिक्खावइयं दुवालसविहं सावगधम्म पडिवज्जइत्ता समणं भगवं महावीरं वन्दइ नमसइ त्ता तमेव धम्मियं जाणप्पवरं दुरुहइत्ता जामेव दिसंपाउन्भूया तामेव दिसंपडिगया, तएणं समणे भगवं महावीरे अन्नया कयाई पोलासपुराओ नयराओ सहस्सम्बवणाओ० पडिनिग्गच्छइ (प्र० पडिनिक्खमइ) त्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ ।४३ । तए णं से सद्दालपुत्ते समणोवासए जाए अभिगयजीवाजीवे जाव विहरइ, तए णं से गोसाले मङ्खलिपुत्ते इमीसे कहाए लद्धढे समाणे० एवं खलु सद्दालपुत्ते आजीवियसमयं वमित्ता समणाणं निग्गथाणं दिट्ठि पडिवन्ने तं गच्छामि णं सद्दालपुत्तं आजीविओवासयं समणाणं निग्गंथाणं दिदि वामेत्ता पुणरवि आजीवियदिढेि गेण्हावित्तएत्तिकट्ट एवं सम्पेहेइत्ता आजीवियसङ्घसम्परिवुडे जेणेव पोलासपुरे नयरे जेणेव आजीवियसभा तेणेव उवागच्छइत्ता आजीवियसभाए भण्डगनिक्खेवं करेइ त्ता कइवएहिं आजीविएहिं सद्धिं जेणेव सद्दालपुत्ते समणोवासए तेणेव उवागच्छइ तए णं से सबलपुते समणो वासए गोसालं भंइवलिपुत्तं एज्जमाणं पासइ त्ता नो आढाइ नो परिजाणइ अणाढायमाणे अपरियाणमाणे तुसिणीए संचिट्ठइ तए णं से गोसाले मखलिपुत्ते सद्दालपुत्तेणं समणोवासएणं अणाढाइज्जमाणे अपरिजाणिज्जमाणे पीठफलगसेज्जासंथारट्ठाए समणस्स भगवओ महावीरस्स गुणकित्तणं करेमाणे सद्दालपुत्तं समणोवासयं एवं व०- आगए णं देवाणुप्पिया ! इह महामाहणे?, तएणं से सद्दालपुत्ते समणोवासए गोसालं मङखलिपुत्तं एवं व० - के णं देवाणुप्पिया ! महामाहणे?, तए णं से गोसाले मंखलिपुत्ते सद्दालपुत्तं समणोवासयं एवं व०- समणे भगवं महावीरे महामाहणे, सेकेणटेणं देवाणुप्पिया! एवं वुच्चइ समणे भगवं महावीरे महामाहणे?, एवं खलु सद्दालपुत्ता ! समणे भगवं महावीरे महामाहणे उप्पन्नणाणदसंधरे जाव महियपूइए जाव तच्चकम्मसम्पयासम्पउत्ते से तेणटेणं देवाणुप्पिया ! एवं वुच्चइ समणे भगवं महावीरे महामाहणे, आगए णं देवाणुप्पिया ! इहं महागोवे ?, के णं देवाणुप्पिया ! महागोवे ?, समणे भगवं महावीरे महागोवे, से केणटेणं देवाणुप्पिया ! जाव महागोवे ?, एवं खलु १ देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे संसाराडवीए बहवे जीवे नस्समाणे विणस्समाणे खज्जमाणे छिज्जमाणे भिज्जमाणे लुप्पमाणे विलुप्पमाणे धम्ममएणं दण्डेणं xoro#####555555555555555 श्री आगमगुणमंजूषा - ७०९ 55555555555555FFFFFFFF FOLOR 玩玩玩乐乐听听听听听听听听乐% 听听听听听听听听听听听听听乐乐明QQ Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 6666666666666 (७) उवासगदसाओ ७ सदालपुत्ते (१५) सारक्खमाणे सङ्घोवेमाणे निव्वाणमहावाडं साहत्थिं सम्पावेइ से तेणट्टेणं सद्दालपुत्ता ! एवं वुच्चइ समणे भगवं महावीरे महागोवे, आगए णं देवाणुप्पिया इहं महासत्थवाहे ?, के णं देवाणुप्पिया ! महासत्थवाहे ?, सद्दालपुत्ता ! समणे भगवं महावीरे महासत्थवाहे, से केणट्टेणंह ?, एवं खलु देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे संसाराडवीए बहवे जीवे नस्समाणे विणस्समाणे जाव विलुप्पमाणे उम्मग्गपडिवन्ने धम्ममएणं पन्थेणं सारक्खमाणे निव्वाणमहापट्टणाभिमुहे साहत्थिं सम्पावेइ से तेणद्वेणं सद्दालपुत्ता ! एवं वुच्चइ समणे भगवं महावीरे महासत्थवाहे, आगए णं देवाणुप्पिया ! इहं महाधम्मकही ?. के णं देवाणुप्पिया ! महाधम्मकही ?, समणे भगवं महावीरे महाधम्मकही, से केणट्टेणं समणे भगवं महावीरे महाधम्मकही ?, एवं खलु देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे महइमहालयंसि संसारंसि बहवे जीवे नस्समाणे विणस्समाणं; ० उम्मग्गपडिवन्ने सप्पहविप्पणट्ठे मिच्छत्तबलाभिभूए अडविहकम्मतमपडलपडोच्छन्ने बहूहिं अट्ठेहि य जाव वागरणेहि य चाउरन्ताओ संसारकन्ताओ साहत्थिं नित्थारेइ से तेणद्वेणं देवाणुप्पिया ! एवं वुच्चइ समणे भगवं महावीरे महाधम्मकही, आगए णं देवाणुप्पिया ! इहं महानिज्जामए ? देवाप्पा? महानिज्जामए ? समणे भगवं महावीरे महानिज्जामए, से केणट्टेणं० ?, एवं खलु देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे संसारमहासमुद्दे बहवे जीवे नस्समाणे विणस्समाणे० बुड्ढमाणे उप्पियमाणे धम्ममईए नावाए निघाणतीराभिमुहे साहत्थिं सम्पावेइ से तेणद्वेणं देवाणुप्पिया ! एवं वुच्चइ समणे भगवं महावीरे हम से सद्दालपुत्ते समणोवासए गोसालं मङ्खलिपुत्तं एवं व०- तुब्भे णं देवाणुप्पिया ! इयच्छेया जाव इयनिउणा इयनयवादी इयउवएसलद्धा (इयमेहाविणो पा० ) इयविण्णाणपत्ता पभू णं तुब्भे मम धम्मायरिएणं धम्मोवएसएणं भगवया महावीरेणं सद्धिं विवादं करेत्तए ? नो तिणट्टे समट्ठे, सेकेण देवाप्पिया ! एवं वच्चइ नो खलु पभू तुब्भे मम धम्मायरिण्णं जाव महावीरेणं सद्धिं विवादं करेत्तए ?, सद्दालपुत्ता ! से जहानामए केइ पुरिसे तरुणे जुगवं जाव निउणसिप्पो गए एवं महं अयं एलयं वा सूयरं वा कुक्कुडं वा तित्तिरं वा वट्टयं वा लावयंवा कवोयंवा कविञ्जलं वा वायसं वा सेणयं वा हत्यंसि वा पायंसि वा खुरंसि वा पुच्छंसि वा पिच्छंसि वा सिंगंसि वा विसाणंसि वा रोमंसि वा जहिं जहिं गिण्हइ तहिं तहिं निच्चलं निप्फन्दं धरेइ एवामेव समणे भगवं महावीरे ममं बहूहिं अट्ठेहि ऊ जाव वागणेहि य जहिं जहिं गिण्हइ तहिं तहिं निप्पट्ठपसिणवागरणं करेइ से तेणट्टेणं सद्दालपुत्ता ! एवं वुच्चइ- नो खलु पभू अहं तव धम्मायरिएणं जाव महावीरेण सद्धिं विवादं करेत्तए, तए णं से सद्दालपुत्ते समणोवसए गोसालं मङ्खलिपुत्तं एवं व० जम्हा णं देवाणुप्पिया ! तुब्भं मम धम्मायरियस्स जाव महावीरस्स सन्तेहिं तच्चेहिं तहिएहिं सब्भूएहिं भावेहिं गुणकित्तणं करेह तम्हा णं अहं तुब्भे पाडिहारिएणं पीढजावसंथारएणं उवनिमन्तेमि नो चेव णं धम्मोत्ति वा तवोत्ति वा तं गच्छतु मम कुम्भारावणेसु पाडिहारियं पीढफलग जाव ओगिण्हित्ताणं विहरह, तए णं से गोसाले मङ्खलिपुत्ते सद्दालपुत्तं समणोवासयं जाहे नो संचाएइ बहूहिं आधवणाहि य पण्णवणाहि य सण्णवणाहि य विण्णवणाहि य निग्गन्थाओ पावयणाओं चालित्तए वा खोभित्तए वा विपरिणामित्तए वा ताहे सन्ते तन्ते परितन्ते पोलासपुराओ नगराओ पडिणिक्खमइ त्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ । ४४ । तए णं तस्स सद्दालपुत्तस्स समणोवासयस्स बहूहिं सील जाव भावेमाणस्स चोद्दस संवच्छरा वइक्कन्ता पणरसमस्स संवच्छरस्स अन्तरा वट्टमाणस्स पुव्वरत्तावरत्तकाले जाव पोसहसालाए समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तियं धम्मपण्णत्तिं उवसम्पज्जित्ताणं विहरइ, तए णं तस्स सद्दालपुत्तस्स समणोवासयस्स पुव्वरत्तावरत्तकाले एगे देवे अन्तियं पाउब्भवित्था, तए णं से देवे एगं महं नीलुप्पल जाव असं हाय सद्दालपुत्तं समणोवासयं एवं व० जहा चुल्लणीपियस्स तहेव देवो उवसग्गं करेइ नवरं एक्क्के पुत्ते नद मंससोल्लए करेइ जाव कणीयसं घाएइ ता जाव आयञ्चइ, तए णं से सद्दालपुत्ते समणोवासए अभीए जाव विहरइ, तए णं से देवे सद्दालपुत्तं समणोवासयं अभीयं जाव पासित्ता चउत्थंपि सद्दालपुत्तं समणोवासयं एवं व०- हंभो सद्दालपुत्ता समणोवासया ! अपत्थियपत्थया जाव न भञ्जसि तओ ते जा इमा अग्गिमित्ता भारिया धम्मसहाइया धम्मबिइज्जिया धम्माणुरागरत्ता समसुहदुक्खसाइया तं ते साओ गिहाओ नीणेमि त्ता तव अग्गओ घाएमि त्ता नव मंससोल्लए करेमि त्ता आदाणभरियंसि कडाहयंसि अद्दहेमि त्ता तव गायं मंसेण य सोणिएण य आयञ्चामि जहा णं तुमं अट्ठदुहट्ट जाव ववरोविज्जसि, तए णं से सद्दालपुत्ते समणोवासए तेणं देवेणं एवं वुत्ते समाणे अभीए जाव विहरइ, तए णं से देवे श्री आगमगुणमंजूषा १० NON 29 Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (७) उवासगदसाओ ८ महासयए [१६] सद्दालपुत्तं समणोवासयं दोच्चंपि तच्वंपि एवं व०- हंभो सद्दालपुत्ता समणोवासया ! तं चेव भणइ, तए णं तस्स सद्दालपुत्तस्स समणोवासयस्स तेणं देवेणं दोच्चपि तच्चपि एवं वुत्तस्स समाणस्स अयं अज्झत्थिए० समुप्पन्ने, एवं जहा चुल्लणीपिया तहेव चिन्तेइ, जेणं ममं जेवं पुत्तं० जेणं ममं मज्झिमयं पुत्तं० जेणं ममं कणीयसं पुत्तं जाव आयञ्चइ जाविय णं ममं इमा अग्गिमित्ता भारिया समसुहदुक्खसहाइया तंपिय इच्छइ साओ गिहाओ नीणेत्ता ममं अग्गओ घाएत्तए तं सेयं खलु ममं एवं पुरिसं गिण्हित्तएत्तिकट्टु उद्धाइए जहा चुल्लणीपिया तहेव सव्वं भाणियव्वं, नवरं अग्गिमित्ता भारिया कोलाहलं सुणित्ता भणइ सेसं जहा चुल्लणीपियावत्तव्वया नवरं अरुणभू(चू)ए विमाणे उववन्ने जाव महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ०, निक्खेवो । ४५ ॥ [सद्दालपुत्तज्झयणं | ७ || | अट्टमस्स उक्खेवओ,] एवं खलु जम्बू ! तेणं काणं० रायगिहे नयरे गुणसीले चेइए सेणिए राया, तत्थ णं रायगिहे महासयए नामं गाहावई परिवसइ अड्ढे जहा आणन्दो नवरं अट्ठ हिरण्णकोडीओ सकंसाओ निहाणपउत्ताओ अट्ठ हिरण्णकोडीओ सकंसाओ वूडिढपउत्ताओ अट्ठ हिरण्णकोडीओ सकंसाओ पवित्थरपउत्ताओ अट्ठ वया दसगोसाहस्सिएणं वएणं, तस्स णं महासयगस्स रेवईपामोक्खाओ तेरस भारियाओ होत्था अहीण जाव सुरूवाओ, तस्स णं महासयगस्स रेवईए भारियाए कोलघरियाओ अट्ठ हिरण्णकोडीओ अट्ठ वया दसगोसाहस्सिएणं वएणं होत्था, अवसेसाणं दुवालसण्हं भारियाणं कोलघरिया एगमेगा हिरण्णकोडी एगमेगे य वए दसगोसाहस्सिएणं वएणं होत्था । ४६ । तेणं कालेणं० सामी समोसढे परिसा निग्गया जहा आणन्दो तहा निग्गच्छइ तहेव सावयधम्मं पडिवज्जइ नवरं अट्ठ हिरण्णकोडीओ सकंसाओ उच्चारेइ अट्ठ वया, रेवईपामोक्खाहिं तेरसहिं भारियाहिं अवसेसं मेहुणविहिं पच्चक्खाइ, सेसं सव्वं तहेव, इमं च णं एयारूवं अभिग्राहं अभिगिण्हs - कल्लाकल्लिं कप्पइ मे बेदोणियाए कंसपाईए हिरण्णभरियाए संववहरित्तए, तए णं से महासयए समणोवासए जाए अभिगयजीवाजीवे जाव विहरइ, तए णं समणे भगवं महावीरे बहिया जणवयविहारं विहरइ । ४७ । तए णं तीसे रेवईए गाहावइणीए अन्नया कयाई पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि कुडुम्ब जाव इमेयारूवे अज्झत्थिए० एवं खलु अहं इमासिं दुवालस सवत्तीणं विघाएणं नो संचाएमि महासयएणं समणोवासएणं सद्धिं उरालाई माणुस्सयाई भोगभोगाई भुञ्जमाणी विहरित्तए तं सेयं खलु ममं एयाओ दुवालसवि सवत्तियाओ अग्गिप्पओगेण वा सत्थपओगेण वा विसप्पओगेण वा जीवियाओ ववरोवित्ता एयासि एगमेगं हिरण्णकोडिं एगमेगं वयं च सयमेव उवसम्पज्जित्ताणं महासयएणं समणोवासएणं सद्धिं उरालाई जाव विहरित्तए, एवं सम्पेहेइ त्ता तासिं दुवालसण्हं सवत्तीणं अन्तराणि य छिद्दाणि य विवराणि (विरहाणि प्र०) य पडिजागरमाणी विहरइ, तए णं सा रेवई गाहावइणी अन्नया कयाई तासिं दुवालसण्हं सवत्तीणं अन्तरं जाणित्ता छ सवत्तीओ सत्थपओगेणं उद्देवेइ त्ता छ सवत्तीओ विसप्पओगेणं उद्दवेइ त्ता तासिं दुवालसण्हं सवत्तीणं कोलघरियं एगमेगं हिरण्णकोडिं एगमेगं च वयं सयमेव पडिवज्जइ त्ता महासयएणं समणोवासएणं सद्धिं उरालाई भोगभोगाइं भुञ्जमाणी विहरइ, तए णं सा रेवई गाहावइणी मंसलोलुया मंसेसु मुच्छिया जाव अज्झोववन्ना बहुविहेहिं मंसेहि य सोल्लेरि य तलिएहि य चहुं च मेरगं च मज्जं च सीधुं च पसन्नं च आसाएमाणी० विहरइ । ४८ । तए णं रायगिहे नयरे अन्नया कयाई अमाघाए घुट्ठे यावि होत्या, तए णं सा रेवई गाहावइणी मंसलोलुया मंसेसु मुच्छिया० कोलघरिए पुरिसे सद्दावेइ त्ता एवं व०. तुब्भे देवाणुप्पिया ! मम कोलघरिएहिंतो वएहिंतो कल्लाकल्लिं दुवें दुवे पोय उद्देवेहता ममं उवणेह, तए णं ते कोलघरिया पुरिसा रेवईए गाहावइणीए तहत्ति विणएणं पडिसुणन्ति ता रेवईए गाहावइणीए कोलघरिएहिंतो वएहिंतो कल्ला ल्लं दुवे दुवे गोणपोयए वहेन्ति त्ता रेवईए गाहावइणीए उवणेन्ति तए णं सा रेवई गाहावइणी तेहिं गोणमंसेहिं सोल्लेहि य० सुरं च० आसाएमाणी० विहर ।४९ । तए णं तस्स महासयगस्स समाणोवासगस्स बहूहिं सील जाव भावेमाणस्स चोद्दस संवच्छरा वइक्कन्ता एवं तहेव जेट्ठपुत्तं ठवेइ जाव पोसहसालार धम्मपण्णत्तिं सम्पज्जत्ताणं विहरइ, तए णं सा रेवई गाहावइणी मत्ता लुलिया विइण्णकेसी उत्तरिज्जयं विकड्ढेमाणी २ जेणेव पोसहसाला जेणेव महासयए समणोवासए तेणेव उवागच्छइ त्ता मोहुम्मायजणणारं सिङ्गारियाई इत्थिभावानं उवदंसेमाणी २ महासययं समणोवासयं एवं व०. हंभो महासयया ! समणोवासया धम्मकामया पुणकामया सग्गकामया मोक्खकामया धम्मकडिया० धम्मपिवासिया० किण्णं तुब्भं देवाणुप्पिया ! धम्मेण वा पुण्णेण वा सग्गेण वा मोक्खेण वा जपणं तुमं मए ducation International 2010 03 Enc Bruste & Personalise Or www.jainelibrary. 五五五五五五五五五五五的出出的出事的的O25 396666666666666 LELELELELELELELELELELEL Xx Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ TORO男男男男男男男男男男明, (७) उवासगदसाओ ८ महासयए [१७] 明明明明明听听听听听听听听听听感 C}乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听C सद्धिं उरालाइं जाव भुञ्जमाणे नो विहरसि?, तएणं से महासयए समणोवासए रेवईए गाहावइणीए एयम8 नोआढाइ नो परियाणाइ अणाढायमाणे अपरियाणमाणे तुसिणीए धम्मज्झाणोवगए विहरइ, तएणं सारेवई गाहावइणी महासययं समणोवासयं दोच्चंपितच्वंपि एवं व०. हंभोतं चेव भणइ सोवि तहेव जाव अणाढायमाणे अपरियाणमाणे विहरइ, तएणं सा रेवई गाहावइणी महासयएणं समणोवासएरं अणाढाइज्नमाणी अपरियाणिज्जमाणी जामेव दिसंपाउब्भूया तामेव दिसं पडिगया ५० । तए णं से महासयए समणोवासए पढम उवासगपडिमं उवसम्पज्जित्ताणं विहरइ, पढम० अहासुत्तंजाव एक्कारसऽवि, तएणं से महासयए समणोवासए तेणं उरालेणंजाव किसे धमणिसन्तए जा,, तएणं तस्स महासययस्स समणोवासयस्स अन्नया कयाई पुव्वरत्तावरत्तकाले धम्मजागरियं जागरमाणस्स अयं अज्झत्थिए। एवं खलु अहं इमेणं उरालेणं जहा आणन्दो तहेव- अपच्छिममारणन्तियसंलेहणाझूसियसरीरे भत्तपाणपडियाइक्खिए कालं अणवकङ्खमाणे विहरइ, तए णं तस्स महासयगस्स समणोवासगस्स सुभेणं अज्झवसाणेणं जाव खओवसमेणं ओहिणाणे समुप्पन्ने पुरत्थिमेणं लवणसमुद्दे जोयणसाहस्सियं खेत्तं जाणइ पासइ, एवं दक्खिणेणं पच्चत्थिमेणं उत्तरेणं जाव चुल्लहिमवन्तं वासहरपव्वयं जाणइ पासइ अहे इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए लोलुयच्चुयं नरयं चउरासीइवाससहस्सट्ठिइयं जाणइ पासइ । ५१ । तए णं सा रेवई गाहावइणी अन्नया कयाई मत्ता जाव उत्तरिज्जयं विकड्ढेमाणी २ जेणेव महासयए समणोवासए तेणेव उवागच्छइ त्ता महासययं तहेव भणइ जाव दोच्वंपि तच्चंपि एवं व०- हंभो तहेव, तए णं से महासयए समणोवासए रेवईए गाहावइणीए दोच्चंपि तच्चपि एवं वुत्ते समाणे आसुरुत्ते० ओहिं पउञ्झइत्ता ओहिणा आभोएइ त्ता रेवई गाहावइणिं एवं व०- हंभो रेवइ ! अपत्थियपत्थिए० एवं खलु तुम अन्तो सत्तरत्तस्स अलसएणं वाहिणा अभिभूया समाणी अट्टदुहट्टवसट्टा असमाहिपत्ता कालमासे कालं किच्चा अहे इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए लोलुयच्चुए नरए चउरासीइवाससहस्सट्ठिइएसुनेरइएसुनेरइयत्ताए उववज्जिहिसि, तए णं सा रेवई गाहावइणी महासयएणं समणोवासएणं एवं वूत्ता समाणी एवं व०- रुढे णं ममं महासयए समणोवासए हीणे णं ममं महासयए समणो० अवज्झायाणं अहं महासयएणं समणोवासएणं न नज्जइणं अहं केणवि कुमारेणं मारिज्जिस्सामित्तिकट्ट भीया तत्था तसिया उव्विग्गा सञ्जायभया सणियं २ पच्चोसक्कइ त्ता जेणेव सए गिहे तेणेव उवागच्छइ त्ता ओहय जाव झियाइ, तए णं सा रेवई गाहावइणी अन्तो सत्तरत्तस्स अलसएणं वहिणा अभिभूया अय्टदुट्टवसट्टा कालमासे कालं किच्चा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए लोलुयच्चुए नरए चउरासीइवाससहस्सट्ठिइएसु नेरइएसु नेरइयत्ताए उववन्ना ।५२ । तेणं कालेणं० समणे भगवं महावीरे समोसरणं जाव परिसा पडिगया, गोयमाइ ! समणे भगवं महावीरे० एवं व०- एवं खलु गोयमा ! इहेव रायगिहे नयरे ममं अन्तेवासी महासयए नाम समणोवासए पोसहसालाए अपच्छिममारणन्तियसंलेहणाझूसणाझसियसरीरे भत्तपाणपडियाइक्खिए कालं अणवकङ्खमाणे विहरइ, तए णं तस्स महासयगस्स रेवई गाहावइणी मत्ता जाव विकड्ढेमाणी २ जेणेव पोसहसाला जेणेव महासयए तेणेव उवागच्छइत्ता मोहुम्माय जाव एवं व०- तहेव जाव दोच्चंपि एवं व०, तए णं से महासयए समणोवासए रेवईए गाहावइणीए दोच्चपि तच्चंपि एवं वुत्ते समाणे आसुरुत्ते० ओहिं पउञ्जइ त्ता ओहिणा आभोएइ त्ता म रेवई गाहावइणिं एवं व०- जाव उववज्जिहिसि, नो खलु कप्पइ गोयमा ! समणोवासगस्स अपच्छिमजावझूसियसरीरस्स भत्तपाणपडियाइक्खियस्स परो सन्तेहिं तच्चहि तहिएहिं सब्भूएहिं अणिटेहिं अकन्तेहिं अप्पिएहिं अमणुण्णेहिं अमणामेहिं वागरणेहिं वागरित्तए, तं गच्छ णं देवाणुप्पिया ! तुमं महासययं समणोवासयं एवं वयाहि- नो खलु देवाणुप्पिया ! कप्पइ समणोवासगस्स अपच्छिम जाव भत्तपाणपडियाइ क्खियस्स परो सन्तेहिं जाव वागरित्तए, तुमे यणं देवाणुप्पिया ! रेवई गाहावइणी सन्तेहिं० अणिटेहिं० वागरणेहिं वागरिया तं णं तुम एयस्स ठाणस्स आलोएहि जाव जहारिहं च पायच्छित्तं पडिवज्जाहि, तए णं से भगवं गोयमे समणस्स भगवओ महावीरस्स तहत्ति एयमढे विणएणं पडिसुणेइत्ता तओ पडिणिक्खमइत्ता रायगिहं नयरं मज्झंमज्झेणं अणुप्पविसइ त्ता जेणेव म महासयगस्स समणोवासयस्स गिहे जेणेव महासयए समणोवासए तेणेव उवागच्छइ, तए णं से महासयए समणोवासए भगवं गोयम एज्जमाणं पासइ त्ता १ हट्ठजावहियए भगवं गोयमं वन्दइ नमसइ, तए णं से भगवं गोयमे महासययं समणो० एवं व०- एवं खलु देवाणुप्पिया ! समणे भगवं महावीरे एवमाइक्खइ भासइ Morro9999999 9999999 श्री आगमगुणमंजूषा-७१२ 95555555555555555555 HOOR MONOFFFF味玉清兵士事頃あまあお国事555555%FFF5F5F5sFFFFFFFFFFFF Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ MOO%%%%%%%% % % % (7) उवासगदसाओ 3 नन्दिणीपिया - 10 सालिहीपिया [18] $$$$$$$$$$$$$$$ 280g HKCW乐听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听明明听听听听听听听听乐玩玩乐乐乐乐乐乐乐乐听乐GO पण्णवेइ परूवेइ- नो खलु कप्पइ देवाणुप्पिया! समणोवासगस्स अपच्छिम जाव वागरित्तए, तुमेणं देवाणुप्पिया ! रेवइ गाहावइणी सन्तेहिं जाव वागरिया तं णं तुम देवाणुप्पिया ! एयस्स ठाणस्स आलोएहि जाव पडिवज्जाहि, तए णं से महासयए समणोवासए भगवओ गोयमस्स तहत्ति एयमढे विणएणं पडिसुणेइ त्ता तस्स ठाणस्स आलोयइ जाव आहारिहं च पायच्छित्तं पडिवज्जइ, तए णं से भगवं गोयमे महासयगस्स समणोवासयस्स अन्तियाओ पडिणिक्खमइ त्ता रायगिहं नगरं मज्झमज्झेणं निग्गच्छइत्ता जेणेव समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइत्ता समणं भगवं महावीरं वन्दइ नमसइ त्ता सञ्जमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणे विहरइ, तए णं समणे भगवं महावीरे अन्नया कयाई रायगिहाओ नयराओ पडिणिक्खमइत्ता बहिया जणवयविहारं विहरइ / 53 / तए णं से महासयए समणोवासए बहूहिं सील जाव भावेत्ता वीसं वासाइं समणोवासगपरियायं पाउणित्ता एक्कारस उवासगपडिमाओ सम्मं काएणं फासित्ता मासियाए संलेहणाए अप्पाणं झूसित्ता सढि भत्ताइं अणसणाए छेदेत्ता आलोइयपडिक्कन्ते समाहिपत्ते कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे अरुणवडिंसए विमाणे देवत्ताए उववन्ने चत्तारि पलिओवमाई ठिई महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ० / निक्खेवो।५४ // [महासयगज्झयणं] 8 / नवमस्स उक्खेवओ, एवं खलु जम्बू ! तेणं कालेणं सावत्थी नयरी कोट्ठए चेइए जिइए जियसत्तू राया, तत्थ णं सावत्थीए नयरीए नन्दिणीपिया नाम गाहावई परिवसइ अड्ढे० चत्तारि हिरण्णकोडीओ निहाणपउत्ताओ चत्तारि हिरण्णकोडीओ वुड्डिपउत्ताओ ॐ चत्तारि हिरण्णकोडीओ पवित्थरपउत्ताओ चत्तारि वया दसगोसाहस्सिएणं वएणं अस्सिणी भारिया सामी समोसढे जहा आणन्दो तहेव गिहिधम्म पडिधम्म पडिवज्जइ, सामी बहिया विहरइ, तए णं से नन्दिणीपिया समणोवासए जाए जाव विहरइ, तए णं तस्स नन्दिणीपियस्स समणोवासयस्स बहूहिं सीलव्वयगुण जाव भावमाणस्स चोइस संवच्छराई वइक्कन्ताई तहेव जेठू पुत्तं ठवेइ धम्मपण्णत्ति० वीसं वासाइं परियागं नाणत्तं अरुणगवे विमाणे उववाओ महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ० निक्खेवो / 55 / / [नन्दिणीपियज्झयणं] 9 दसमस्स उक्खेवो, एवं खलु जम्बू ! तेणं कालेणं० सावत्थी नयरी कोट्ठए चेइए जियसत्तू राया, तत्थ णं सावत्थीए नयरीए सालिहीपिया नामंगाहावई परिवसइ अड्ढे दित्ते० चत्तारि हिरण्णकोडीओ निहाणपउत्ताओ चत्तारि हिरण्णकोडीओ वुढिपउत्ताओ चत्तारि हिरण्णकोडीओ पवित्थरपउत्ताओ चत्तारि वया दसगोसाहस्सिएणं वएणं फग्गुणी भारिया सामी समोसढे जहा आणन्दो तहेव गिहिधम्म पडिवज्जइ, जहा कामदेवो तहा जेट्टं पुत्तं ठवेत्ता पोसहसालाए समणस्स भगवओ महावीरस्स धम्मपण्णत्तिं उवसम्पज्जित्ताणं विहरइ, नवरं निरुवसग्गओ एक्कारसवि उवासगपडिमाओ तहेव भाणियव्वाओ एवं कामदेवगमेणं नेयव्वं जाव सोहम्मे कप्पे अरुणकीले विमाणे देवत्ताए उववन्ने चत्तारि पलिओवमाई ठिई महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ० / 56 / दसण्हवि पणरसमे संवच्छरे वट्टमाणाणं चिन्तादसण्हवि वीसं वासाई समणोवासयपरियाओ। एवं खलु जम्बू ! समणेणं जाव संपत्तेणं सत्तमस्स अङ्गस्स उवासगदसाणं दसमस्स अज्झयणस्स अयमढे पण्णत्ते / 57 / 'वाणियगामे चम्पा दुवे य वाणारसीइ नयरीए। आलंभिया य पुरवरी कम्पिल्लपुरं च बोद्धव्वं // 2 // पोलासं रायगिहं सावत्थीए पुरीएँ दोन्नि भवे / एए उवासगाणं नयरा खलु होन्ति बोद्धव्वा / 3 // सिवनन्द- भद्द-सामा-धन्न बहुल-पूस- अग्गिमित्ताय / रेवइ- अस्सिणि तह फग्गुणी य भज्जाण नामाइं // 4 // ओहिण्णाण- पिसाए माया वाहि- धण- उत्तरिज्जे य / भज्जा य सुव्वया दुव्वया निरुवसग्गया दोन्नि / 5 // अरुणे अरुणाभे खलु अरुणप्पह अरुणकन्त- सिढे य / अरुणज्झए य छढे भू (प्र० चू)य- वडिंसे गवे कीले // 6 // ( चाली सट्ठि असीई सट्ठी सट्ठी य सट्ठि दससहस्सा। असिई चत्ता चत्ता वए वइयाण सहसाणं // 7 / / बारस अट्ठारस चउवीसं तिविहं अट्ठारसाइ विन्नेयं / धन्नेण तिचोव्वीसं बारस बारस य कोडीओ / 8 // उल्लण- दन्तवण- फले अभिङ्गणुव्वट्टणे सिणाणे य / वत्थ- विलेवण- पुप्फे आभरणं धूव- पेज्जाइ // 9 // भक्खोयण- सूय- घए सागे माहुरजेमणऽण्ण- पाणे य / तम्बोले इगवीसं आणन्दाईण अभिग्गहा // 10 // अड्ढं सोहम्म पुरे लोलूए अहे उत्तरे हिमवन्ते / पच्चसए तह तिदिसिं ओहिण्णाणं तु दसगस्स // 11 // दंसण- वय- सामाइयपोसह- पडिमा- अबम्भ- सच्चित्ते / आरम्भ- पेस- उद्दिट्ठवज्जए समणभूए य // 12 // इक्कारस पडिमाओ वीसं परियाओ अणसणं मासे / सोहम्मे चउपलिया महाविदेहम्मि सिज्झिहिइ // 13 // ) 58 // उवासगदसाओ समत्ताओ। उवासगदसाणं सत्तमस्स अङ्गस्स एगो सुयखन्धो दस अज्झयणा एक्कसरगा दससु 1 चेव दिवसेसु उहिस्सन्ति तओ सुयखन्धो समुद्दिस्सइ अणुण्णविज्जइ, दोसुदिवसेसु अङ्गंतहेवा / / 59 // [सालिहीपियज्झयणं ] 10 // इति श्री सप्तमाङ्गं SO听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听垢听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听听CO S n -i-1-1-1-1-1-1-1---1-1-1-1-1 -1 -1-1 -1-1 -1 --1 -1 -1 -A .----1-1-1-rearineerineerinternoonam