Book Title: Aagam Manjusha 02 Angsuttam Mool 02 Suyagado
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ _ नमो नमो निम्मलदंसणस्स पूज्य आनंद-क्षमा-ललित-सुशील-सुधर्मसागर गुरूभ्यो नमः On Line - आगममंजूषा [२] सूयगडो * संकलन एवं प्रस्तुतकर्ता * मुनि दीपरत्नसागर M.Com. M.Ed., Ph.D.] Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ || किंचित् प्रास्ताविकम् || ये आगम-मंजूषा का संपादन आजसे ७० वर्ष पूर्व अर्थात् वीर संवत २४६८, विक्रम संवत-१९९८, ई.स.1942 के दौरान हुआ था, जिनका संपादन पूज्य आगमोद्धारक आचार्यश्री आनंदसागरसरिजी म.सा.ने किया था| आज तक उन्ही के प्रस्थापित-मार्ग की रोशनी में सब अपनी-अपनी दिशाएँ ढूंढते आगे बढ़ रहे हैं। हम ७० साल के बाद आज ई.स.-2012,विक्रम संवत-२०६८,वीर संवत-२५३८ में वो ही आगम-मंजूषा को कुछ उपयोगी परिवर्तनों के साथ इंटरनेट के माध्यम से सर्वथा सर्वप्रथम “ OnLine-आगममंजूषा ” नाम से प्रस्तुत कर रहे हैं। * मूल आगम-मंजूषा के संपादन की किंचित् भिन्नता का स्वीकार * [१]आवश्यक सूत्र-(आगम-४०) में केवल मूल सूत्र नहीं है, मूल सूत्रों के साथ नियुक्ति भी सामिल की गई है। [२]जीतकल्प सूत्र-(आगम-३८) में भी केवल मूल सूत्र नहीं है, मूलसूत्रों के साथ भाष्य भी सामिल किया है। [३]जीतकल्प सूत्र-(आगम-३८) का वैकल्पिक सूत्र जो “पंचकल्प” है, उनके भाष्य को यहाँ सामिल किया गया tic [४] “ओघनियुक्ति”-(आगम-४१) के वैकल्पिक आगम “पिंडनियुक्ति” को यहाँ समाविष्ट तो किया है, लेकिन उनका मुद्रण-स्थान बदल गया है। [५] “कल्प(बारसा)सूत्र” को भी मूल आगममंजूषा में सामिल किया गया है। -मुनि दीपरत्नसागर मुनि दीपरतसागर : Address: Mnui Deepratnasagar, MangalDeep society, Opp.DholeshwarMandir, POST:- THANGADH Dist.surendranagar. Mobile:-9825967397 [email protected] Online-आगममंजूषा Date:-12/11/2012 Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ SEENNARIMARRIAGRAINRDARVINADMRAPEHAREHREA2922922012NDRANIBARMILANGAROOMSNO4 ज्झिजनि तिउ(प. तिक)द्विजा, पंधणं परिजाणिया। किमाह बंधणं वीरो, किंवा जाण निउद्दई ? ॥१॥ चित्तमंतमचित्तं वा. परिगिझ किसामपि। अनं आता या अणुजाणाइ, एवं दुक्खाण मुबह ॥२॥ सयं तिवायए पाणे, अदुवाऽनेहिं घायए। हर्णतं वाऽणुजाणाइ, वे बड़इ अप्पणो ॥३॥ जस्सि कुले समुपने. जेहिं या संवसे नरे।ममाइलप्पई वाले, अण्णे अण्णेहिं मुच्छिए।४ा वित्तं सोयरिया चेव, सब्वमेयं न ताणइ। संखाए जीविअंचे, कम्मुणा उतिउद्दई ॥५॥ एए गंथे विउक्कम्म.एगे समणमाहणा। अयाणंता विउस्सित्ता. सत्ता कामेहि माणवा॥६॥ संति पंच महम्भूया, इहमेगेसिमाहिया।पुढवी आउ तेऊवा, बाउआगासपंचमा आएएपंच महम्भूया. तेभो एगोत्ति आहिया। अह तेसि विणासणं, विणासो होइ देहिणो ॥८॥ जहा य पुढवीथूभे, एगे नाणाहिं दीसइ। एवं भो! कसिणे लोए, विजू नाणाहिं दीसह (प० पद)॥९॥ एवमंगेत्ति जप्पंति, मंदा आरंभ णिस्मिा । एगे किचा सयं पावं. तिनं दुक्ख (प० नेणं तिथं) नियच्छइ॥१०॥ पत्ते कसिणे आया, जे बाला जे अ पंडिआ। संति पिचा न ते संति, नथि सत्तोववाइया ॥१॥ नस्थि पुष्णे व पावे वा. नस्थि लोए इतोऽवरे। मरीरस्म पिणासेणं, विणासो होइ देहिणो ॥२॥ कुवं च कारयं चेव, सत्रं कुर्वन विजई । एवं अकारओ अप्पा. एवं ने उपगम्भिा ॥३॥ जेते उवाइणों एवं. लोए नेसि को सिया?।नमाओ ते तमं जंति, मंदा आरंभनिस्सिया ॥४॥ संति पंच महब्भूया. इहमेगेसि आहिया। आयछट्ठो पुणो आहु. आया लोगे य सामा ॥५॥ दुहओण विणस्मंति, नो य उपजए असं । मोऽपि सत्रहा भावा, नियत्तीभावमागया ॥६॥ पंच खंधे वयंलेगे, पाला उ खणजोइणो । अण्णो अणण्णो णेवाहु, हेउयं च अहेउयं ॥७॥ पुढवी आउ नेऊ य, तहा वाऊ य एगओ। चत्वारि धाउणो रूवं, एवमाहंसु आवरे (प्र० एवमाहंसु जाणगा)॥८॥ अगारमावसंतावि, अरण्णा वावि पन्वया (प्र० इया)। इमं दरिसणमावण्णा, सव्वदुक्खा विमुचई ॥९॥ ते णावि संधि णचा णं, न ते धम्मविओ जणा । जे ते उ वाइणो एवं, न ते ओहंतराऽऽहिया ॥२०॥ ते णावि संधि णचा णं.न ने धम्मपिआ जणा। जे ने उवाइणो एवं, न ने संसारपारगा ॥१॥ ते णावि संधि णचाणं, न ते धम्मविओ जणा। जे ते उवाइणो एवंन ने गभस्म पारगा ॥२॥ते णावि संधि णचा णं, नते धम्मविओ जणा। जे ते उ वाइणो एवं, न ते जम्मस्स पारगा ॥३॥ ते णावि संधि णच्चा णं, न धम्मविओ जणा । जे ते उ वाइणो एवं, न ते दुकरसम्म पारगा ॥४॥ने णावि संधि णचा णं, नते धम्मविओ जणा। जे ते उ बाइणो एवं. न ते मारस्म पारगा ॥५॥ नाणाबिहाइं दुक्खाई, अणुहोति पुणो पुणो। संसारचकवालंमि. मचुवाहिजराकुले ॥६॥ उचापयाणि गच्छंता, गम्भमेस्संति णंतसो। नायपुत्ते महावीरे. एवमाह जिणोत्तमे ॥ ७॥ इति बेमि ॥०१उ०१॥ आघायं पुण एगेसिं, उवषण्णा पुढो जिया। वेदयंनि सुहं दुक्खं. अदुवा लुप्पंति ठाणओं ॥८॥न सय कई दुक्खं. कआ अन्नकडचणी सुहवा जइ वा दुक्ख. साहय वा असाहय॥९॥ मेगेसिं आहिअं॥३०॥ एवमेयाणि जंपता. वाला पंडिअमाणिणो। निययानिययं संतं. अयाणंता अचुडिया॥१॥ एवमंगे उ पासत्था. ते भुजा विप्पगम्भिआ। एवं उवट्ठि(प० पाहि०). आ संता. ण ते दुक्खविमोक्वया ॥२॥जविणो मिगा जहा संता, परिताणेण वज्जिा । असंकियाई संकंति. संकिआई असंकिणो ॥३॥ परियाणिआणि मंकता. पामिताणि असंकिणो । अण्णाणभयसंविग्गा. संपलिंति तहि तहिं ॥४॥ अह नं पवेज वझं, अहे बज्झस्म वा वए। मुचज पयपासाओ (प्र० पयपासाई), तंतु मंदे ण देहए ॥५॥ अहिअप्पाऽहियपण्णाणे, विसमतेणुवागते। म बई पयपामेणं, तत्थ घायं नियच्छइ ॥ ६॥ एवं तु समणा एगे, मिच्छादिट्ठी अणारिआ। असंकिआई संकति, संकिआई असंकिणो ॥७॥ धम्मपण्णवणा जा सा, तंतु संकति मूढगा। आरंभाई न संकंति, अविअत्ता अकोविआ॥८॥ सवप्पगं विउकस्स. सर्व मं विहणिआ। अप्पत्तिअं अकम्मसे. एयमढे मिगे चुए ॥९॥ जेएयं नाभिजाणंति. मिच्छादिट्ठी अणारिया । मिगा वा पामबद्धा ते. घायमेसंनि गंतसो ॥४०॥ माहणा समणा एगे. सव्वे नाणं सयं वए । सव्वलोगेऽवि जे पाणा, न ते जाणंति किंचण ॥१॥ मिलक्खू अमिलक्सुस्स. जहा वृत्ताणभासए। ण हेउं से विजाणाइ, भासिअंतऽणुभासए ॥२॥ एवमन्नाणिया नाणं, वयंतावि सयं सयं । निच्छयत्थं न याणंति, मिलक्खुव अचोहिया ॥३॥ अन्नाणियाणं वीमसा. अण्णाणेण (प्र० नाणेनोव) नियच्छइ । अप्पणो य परं नालं, कुतो अन्नाणुसासिउं? ॥४॥ वणे मूढे जहा जंतू, मूढे णेयाणुगामिए। दोवि एए अकोविया, निव्वं सोयं नियच्छह ॥५॥ अंधो अंध पहं णितो. दूरमदाणुगच्छद । आवजे उप्पहं जंतू, अदुवा पंथाणुगामिए ॥६॥ एवमेगे णियायट्ठी, धम्ममाराहगा क्यं । अदुवा अहम्ममावजे, ण ने सव्वजुयं वए ॥७॥ एवमेगे पियक्काहिं. नो अग्नं पजुवासिया। अप्पणो य वियकाहिं, अयमंजूहिं दुम्मई ॥८॥ एवं तक्काइ साहिंता, धम्माधम्मे अकोविया । दुक्खं ते नाइतुति, सउणी पंजरं जहा ॥९॥ सय सयं पसंसंता, गरहंता परं वयं । जे उ तत्थ विउस्संति, संसारं ते विउस्सिया ॥५०॥ अहावरं पुरक्खायं, किरियावाइदरिसणं । कम्मचिंतापणहाणं, संसारस्स पवडणं (दुक्रबंधस्म बट्टणं पा०)॥१॥जाणं काएणऽणाउट्टी, अबुहो जं च हिंसति । पुट्टो संवेदइ परं, अवियत्तं सु सावजं ॥२॥ संतिमे तउ आयाणा, जेहिं कीरइ पावगं । अभि३७ सूत्रहतांग-अ -१ मुनि दीपरत्नसागर Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ DRASASPRIMASPICMASP0052074SASNELOPMEANSPIRARSHGARHEMISHRSSPRESPICHASPICHROFESSPEEMBINICANSPIRANASPAS कम्मा य पेसा य, मणसा अणुजाणिया ॥३॥ एते उ तउ आयाणा, जेहिं कीरब पावगं। एवं भावविसोहीए, निशाणमभिगच्छइ ॥४॥ पुतं पिया समारब्भ, आहारेज असंजए।भुंजमाणो य मेहावी, कम्मणा नोवलिप्पइ ॥५॥मणसा जे पउस्संति, चित्तं तेसिंण विज्वइ । अणवज्जमतहं तेसिं, ण ते संवुडचारिणो ॥६॥ इन्चेयाहि य दिट्ठीहिं, सातागारवणिस्सिया। सरणंति मनमाषा, सेवंती पाचगं,जणा ॥ ७॥ जहा अस्साविणिं णावं, जाइअंघो दुरूहिया । इच्छई (प० इच्छिजा) पारमागंतुं, अंतरा य विसीयई 1 एवं तु समणा एगे, मिच्छादिट्टी अणारिया। संसारपारकंखी ते, संसारं अणुपरियट्ठति ॥९॥ तिबेमि । अ०१उ०२॥ जं किंचि उ पूइकडं, सड्रीमागंतुमीहिय। सहस्तरिय भुंजे, दुपक्वं चेव सेवइ ॥६०॥ तमेव अबियाणंता, विसमंसि अकोविया ।मच्छा वेसालिया चेव, उदगस्सऽभियागमे॥१॥ उद्गस्स पभावेणं, सुकं सिग्धं तमिति उ (प० सुकमि घातर्मिति उ)। लंकेहि य कंकेहि य, आमिसन्थेहि ते दुही॥२॥ एवं तु समणा एगे, वट्टमाणसुद्देसिणो । मच्छा वेसालिया चेव, घातमेस्संति गंतसो ॥३॥ इणमनं तु अन्नाणं, इहमेगेसि आहियं । देवउत्ते अयं लोए, बंभउत्तेति आवरे ॥४॥ ईसरेण कडे लोए, पहाणाइ तहावरे । जीवाजीवसमाउत्ते, सुहृदुक्खसमनिए॥५॥ सयंभुणा कडे लोए, इति बुत्तं महेसिणा।मारेण संथुया माया, तेण लोए असासए॥६॥ माहणा समणा एगे, आह अंडकडे जगे । असो तत्तमकासी य, अयाणंता मुसं वदे॥७॥ सएहिं परियाएहि, लोयं बूया कडेति या तत्तं ते ण विजाणंति, ण विणासी कयाइवि ॥८॥ अमणुन्नसमुपायं, दुक्खमेव विजाणिया । समुप्पायमजाणंता, कहं नायंति संवरं ? ॥९॥ सुद्धे अपावए आया, इहमेगेसिमाहियं । पुणो किडापदोसेणं, सो तत्थ अवरज्झई ।। ७० ॥ इह सबुद्ध मुणा जाए, पच्छा हाइ अपावए।वियडबु जहा भुजा, नारयं सरयं तहा ॥१॥ एताणुचीति मेधावी, बंभचेरेण (प्र०न) ते बसे । पुढो पाबाउया सवे, अक्वायारो सयं सयं ॥२॥सए सए उबट्ठाणे, सिद्धिमेव न अन्नहा। अहो इहेव वसवत्ती, सबकामसमप्पिए॥३॥ सिद्धा य ते अरोगा य, इहमेगेसिमाहियं । सिदिमेव पुरो काउं, सासए गढिआ नरा ॥४॥ असंवुडा अणादीयं, भमिहिति पुणो पुणो। कप्पकालमुवति, ठाणा आसुरकिबिसिया॥५॥ इति बेमि ॥ अ०१उ०३॥ एते जिया भो! न सरणं, बाला पंडियमागिणो (प्र० जत्थ बालऽवसीयंती)। हिचा णं पुत्वसंजोगं, सिया किचोवएसगा ॥६॥तं च भिक्खू परिन्नाय, वियं तेसु ण मुच्छए।अणुकस्से अप्पलीणे, मज्झेण मुणि जावए।। ७॥ सपरिग्गहा य सारंभा, इहमेगेसिमाहियं । अपरिग्गहा अणारंभा, भिक्खू ताण परिवए॥ ८॥ कडेसु घासमेसेज्जा, विऊ दत्तेसणं चरे। अगिद्धो विष्पमुक्को अ, ओमाणं परिवजए॥९॥ लोगवायं णिसामिज्जा. इहमेगेसिमाहियं। विपरीयपन्नसंभूयं, अन्नउत्तं तयाणुयं (प्र० अन्नुन्नवतितानुगा)॥८०॥ अणते निइए लोए, सासए ण विणस्सती। अंतवं णिइए लोए, इति धीरोऽतिपासइ ॥१॥अपरिमाणं बियाणाइ, इहमेगेसिमाहियं । सबत्य सपरिमाणं, इति धीरोऽतिपासई ॥२॥ जे केई तसा पाणा, चिट्ठति अदु थायरा । परियाए अस्थि से अंजू, जेण ते तसथावरा ॥ ३॥ उरालं जगतो जोगं, विवजासं पलिंति य। सो अकंतदुक्खा य, अओ सब्वे अहिंसिता॥४॥ एवं खु नाणिणो सारं, जन्न हिंसइ किंचण । अहिंसासमयं चेव, एताबन्नं वियाणिया ॥५॥ बुमिए य विगयगेहि, आयाणं संप(सम्म, सार प०)रक्खए । चरिआसणसेजासु, भत्नपाणे अ अंतसो ॥६॥ एतेहिं तिहिं ठाणेहि, संजए सततं मुणी। उक्कसं जलणं णूम, मज्झत्थं च विगिंचए ॥ ७॥ समिए उ सया साहू, पंचसंवरसंवुडे । सिएहिं असिए भिक्खू, आमोक्खाय परिषएज्जासि ॥८॥ तिमि ।। उ०४ समया १.संवोही खल पेच लहा। णो इवणमंति राइओ, नो सुलभं पुणरावि जीवियं ॥९॥डहरा बड़ा य पासह, गम्भत्थावि चयंति माणवा। सेण जह बट्टयं हरे, एवं आउखयंमि तुट्टई (प० जीवाण जीवियं)॥९॥ मायाहिं पियाहिं लुप्पड़, नो सुलहा सुगई य पेचओ। एयाई भयाइं पहिया, आरम्भा विरमेज मुखए (सुछिए पा०)॥१॥ जमिणं जगती पुढो जगा, कम्मेहि लुप्पंति पाणिणो । सयमेव कडेहिं गाहइ, णो तस्स मुवेजऽपुट्ठयं ॥२॥ देवा गंधब्बरक्खसा, असुरा भूमिचरा सरिसिया। रायानरसेहिमाहणा, ठाणा तेऽवि चयंति दुक्खिया ॥३॥ कामेहि ण संथवेहिं गिद्धा, कम्मसहा कालेण जंतयो । ताले जह बंधणचुए, एवं आउखयंमि तुती ॥४॥ जे यावि बहुस्सुए सिया (सुई चू०), धम्मिय माहण भिक्खुए सिया। अभिणूमकडेहिं मुच्छिए, तिचं ते कम्मेहिं किचती ॥५॥ अह पास विवेगमुट्ठिए, अवितिने इह भासई धुवं । णाहिसि आरं कओ परं?, वेहासे कम्मेहिं किञ्चती ॥६॥ जइविय णिगणे किसे चरे, जइविय मुंजिय मासमंतसो। जे इह मायाइ मिजई, आगंता गम्भाय णंतसो ।।७। पुरिसोरम पावकम्मुणा, पलियंत मणुयाण जीवियं । सन्ना इह काममुच्छिया, भोहं जंति नरा असंवुडा ॥८॥ जययं विहराहि जोगवं, अणुपाणा पंथा दुरुत्तरा । अणुसासणमेव पक्कमे, वीरेहि समं पवेइयं ॥९॥ विस्या वीरा समुडिया, कोहकायरियाइपीमणा । पाणे ण हणंति सबसो, पावाओ चिरयाऽभिनिबुडा ॥१०॥ णविता अहमेव लुप्पए, लुप्पती लोअंसि पाणिणो । एवं सहिएहिं पासए, अणिहे से पुढे अहियासए॥१॥ धुणिया कुलियं व लेववं, किसए देहमणासणा इह (म० इहिं)। अविहिंसामेव पवए, अणुधम्मो मुणिणा पवेदितो ॥२॥ सउणी जह पंसु३८ सूत्रकलांग-अनस -र मुनि दीपरत्नसागर A9849993684284882486884884499935948TORR3408982423220530093623 Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 524098848P8AASPICIASPRS/BRARBHEMISPIRM8P8ARSHANCHIRANSFORM8P8AASPICART849PEARBPGARBP2848 गुंडिया, बिहुणिय धंसयई सियं रयं । एवं दविओबहाण, कम्मं खबइ तवस्सिमाहणे ॥३॥ उट्ठियमणगारमेसणं, समणं ठाणठिअं तवस्सिणं। डहरा गड्ढा य पत्थए, अपि सुस्से ण यतं लभे जणा ॥४॥ जइ कालुणियाणि कासिया, जइ रोयंति य पुत्तकारणा। दवियं भिक्खं समुट्टियं, णो लम्भंति ण संठवित्तए ॥५॥ जइविय कामेहिं लाविया, जइ जाहि णु बंधिउं घरं । जइ जीविय नावकखए, णो लम्भंति ण संठ(प० सण्ण०)वित्तए ॥६॥ सेहंति य णं ममाइणो, मायपिया य सुया य भारिया। पोसाहि ण पोसओ तुमं, लोग परंपि जहासि (प्र० चयाहि) पोसणो (प० पोसणे) ॥ ७॥ अन्ने अन्नेहिं मुच्छिया, मोहं जति णरा असंवुडा। विसमं विसमेहि गाहिया, ते पायेहिं पुणो पगम्भिया ॥८॥ तम्हा दवि इक्ख पंडिए, पावाओ विरतेऽभिणिबुडे । पणए वीरं महाबिहि, सिद्धिपहं आउयं धुवं ॥९॥ वेयालियमग्गमागओ, मणवयसाकायेण संवुडो। चिचा वित्तं च णायओ, आरंभं च सुसंवडे चरे ॥११०॥ त्तिमि ॥अ०२ उ०१॥तयसं व जहाइ (प्र० चयाइ) से रयं, इति संखाय मुणी ण मज्जई । गोयन्नतरेण माहणे (जे विऊ म०), अहसेयकरी अनेसी इंखिणी ॥१॥ जो परिभवइ परं जणं, संसारे परिवत्तई महं (चिरं पा०)। अदु इंखिणिया उ पाविया, इति संखाय मुणी ण मज्जई ॥२॥ जे यावि अणायगे सिया, जेविय पेसगपेसए सिया।जे मोणपयं उवट्टिए, णो लज्जे समयं सयाऽऽयरे ॥३॥ सम अन्नयरम्मि संजमे, संसुद्धे समणे परिवए। जे आवकहा समाहिए, दविए कालमकासि पंडिए ॥ ४॥ दूरं अणुपस्सिया मुणी, तीतं धम्ममणागयं तहा। पुढे परसेहि माहणे, अविहण्णू समयंमि रीयइ (समयाहियासए पा०)॥५॥ पण्णसमत्ते (पण्हसमस्ये पा०) सया जए, समताधम्ममुदाहरे मुणी। सुहमे उ मया अलसए, णो कुज्झे(प्र० कुप्पे)णो माणि माहणे ॥६॥ बहुजणणमणमि संवुडो, सबढेहिं णरे अणिस्सिए । हरए व सया अणाविले, धम्म पादुरकासि कासवं ॥ ७॥ सेया, पत्तेयं समय समीहिया। जो मोणपदं उपट्टिते, विरति तत्य अकासि पंडिए॥८॥ धम्मस्स य (सोऊण तयं पा०)पारए मुणी, आरंभस्स य अंतए ठिए। सोयंति यणं ममाइणो, णो लम्भंति णियं परिग्गरं ॥९॥ इहलोगदुहावहं विऊ, परलोगे य दुहं दुहावह । विदसणधम्ममेव तं, इति विजं कोऽगारमावसे ? ॥१२०॥ महयं पलिगोव (पलिमंथमह पा०) जाणिया, जाबि य वंदणपूयणा इहं । सुहुमे सल्ले दुरदरे, विउमंता पयहिज संथवं ॥१॥ एगे चरे ठाणमासणे, सयणे एगे समाहिए सिया। भिक्खू उवहाणवीरिए, वयगुत्ते अज्झत्तसंवुडो ॥२॥ णो पीहे ण याव(प्र० णार)पंगुणे, दारं सुन्नघरस्स संजए। पुढे ण उदाहरे वयं, ण समुच्छे णो संथरे तणं ॥३॥ जत्थऽथमिए अणाउले, समविसमाई मुणीsहियासए। चरगा अदुवावि भेरखा, अदुवा तत्व सरीसिवा सिया ॥४॥ तिरिया मणुया य दिवगा, उवसम्गा तिविहाऽहियासिया। लोमादीयं ण हारिसे, सुजागारगओ महामुणी ॥५॥ णो अभिकखेज जीवियं, नोऽविय पूयणपत्थए सिया। अभत्थमुरिति मेरखा, सुन्नागारगयस्स भिक्खुणो॥६॥ उवणीयतरस्स ताइणो, भयमाणस्स विविक्कमासणं । सामाइयमाहु तस्स जं. जो अप्पाण भए ण दसए ॥७॥ उसिणोदगतत्तभोइणो, धम्मट्टियस्स मुणिस्स हीमतो। संसम्गि असाहु राइडिं, असमाही उ तहागयस्सवि ॥८॥ अहिगरणकडस्स भिक्खुणो, वयमाणस्स पसज्झ दारुणं। अढे परिहायती बहुं, अहिगरणं न करेज पंडिए॥९॥सीओदगपडिदुगुंछिणो, अपडिण्णस्सलवाचसप्पिणो (म० सक्किणो)। सामाइयमाहु तस्स जं, जो गिहिमत्तेऽसणं न भुंजती ॥१३०॥णय संखयमाहु जीवियं, तहविय बालजणो पगभइ।बाले पापेहि मिजती, इति संखार मुणी ण मजती॥१॥ छंदेण पले इमा पया, पहुमाया मोहेण पाउडा।वियडण पलातमाहण, साउण्ह वयसाऽहियासए॥२॥ कुजए अपराजिए जहा, अक्खाह कुसलाह दापयाकडमद गहाय णा काल, नाताय नाचवदावर ॥३॥ एवं योगमि ताइणा, चुइए जे धम्मे अणुत्तरे। तं गिव्ह हियति उत्तम, कडमिव सेसऽवहाय पंडिए॥४॥ उत्तर मणुयाण आहिया, गामधम्मा(म्म)इइ मे अणुस्सुयं। जंसी विरता समुट्टिया, कासवस्स अणुधम्मचारिणो ॥५॥ जे एय चरंति आहियं, नाएक महया महेसिणााते उट्ठिय ते समुट्ठिया, अनोऽनं सारंति धम्मओ॥६॥ मा पेह पुरा पणामए, अभिकंखे उबहिं धुणिनए। जे दूमण तेहि णो णया, ते जाणंति समाहिमाहियं ॥७॥णो काहिए होज संजए, पासणिए ण य संपसारए। नच्चा धम्मं अणुत्तरं, कयकिरिए ण यावि(प्रणयणावि)मामए॥८॥ छन च पसंस णो करे, न य उकोस पगास माहणे। तेसिं सुविवेगमाहिए, पणया जेहिं सुजोसि धूयं ॥९॥ अणिहे (अणहे पा०) सहिए सुसंवडे, धम्मट्टी उवहाणवीरिए । विहरेज समाहिइंदिए, अत्तहिअंसु दुहेण लम्भइ ॥१४०॥ण हि गुण पुरा अणुस्सुतं, (अवितहं पा०) अदुवा तै तह णो समुट्टियं । मुणिणा सामाइआहितं, नाएणं जगसञ्चदंसिणा ॥१॥ एवं मना महंतरं, धम्ममिणं सहिया बहू जणा। गुरुणो छंदाणुवत्तगा, विरया तिना महोघमाहितं ॥२॥ तिमि ॥ अ०२ उ०२। संचुडकम्मस्स भिक्खुणो, जं दुक्खं पुढे अचोहिए। तं संजमओऽवचिजई. मरणं हेच वयंति पंडिया ॥३॥ जे विनवणाहिऽजोसिया, संतिन्नेहिं समं वियाहिया। तम्हा उइंति पासहा (उई तिरिय अहे तहा पा०), अदक्खु कामाइ रोगवं ॥४॥ अग्गं वणिएहिं आहियं, धारती राइणिया इहं । एवं परमा महत्वया, अक्खाया उ सराइभोयणा ॥५॥ जे इह सायाणुगा नरा, अज्झोववना कामेहिं मुच्छिया। किवणेण समं ३९ सूत्रकृतांग-अन्नधा -२ मुनि दीपरत्नसागर 10-SPIRANSPIRHASPICHASHEMISPEEMBIPICHAEPSMISHRARNINGPASSPOMISPOSINGHBHISHEPEMBICHISAPAR Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ POSSPICKC84586278JPGAREPAISPREPARSIONSPIRMASPAMSP365-CASESASPIRARANCHASHTRINASPAINS पगभिया, नवि जाणंति समाहिमाहितं ॥६॥ वाहेण जहा व विच्छए, अचले होइ गवं पचोइए । से अंतसो अप्पयामए, नाइवहइ अवले विसीयति ॥ ७॥ एवं कामेसणं विऊ, अज्ज सुए पयहेज संथवं । कामी कामे ण कामए, लढे पावि अलद कण्हुई ॥८॥मा पच्छ असाधुता भवे, अबेही अणुसास अप्पर्ग। अहियं च असाहु सोयती, से थणती परिदवती बहुं ॥९॥ इह जीवियमेव पासहा, तरुण एवा(णे वा)समयस्स तुट्टती । इत्तरवासे य बुज्झह, गिट्नरा कामेसु मुच्छिया ॥१५० ॥ जे इह आरंभनिस्सिया, आतदंडा(ड)एगंतलूसगा। गंता ते पावलोगयं, चिररायं आसुरियं दिसं ॥१॥ण य संखयमाहु जीवितं, तहविय बालजणो पगभई। पचुप्पन्नेण कारियं, को दह्र परलोयमागते? ॥२॥अदक्खुव दक्खुवाहियं, (त)सहहसु अदक्खुदसणा! । हंदि हु सुनिन्ददसणे, मोहणिजेण कडेण कम्मुणा ॥३॥ दुक्खी मोहे पुणो पुणो, निविंदेज सिलोगपूयणं । एवं सहितेऽहिपासए, आयतुलं पाणेहिं सजए।॥४॥गापि आवस नर, अणुपुव पाणीह सजए। समता सवस्थ सुबत, दवाण गच्छसलागय ॥ ५॥ साचा भग उनलंभिक्खु विसुद्धमाहरे ॥६॥ सर्व नचा अहिट्टए, धम्मट्टी उवहाणवीरिए । गत्ते जत्ते सब मम तेमुवी अहं, नो ताणं सरणं न विजई॥ ८॥ अभागमितंमि वा दुहे, अहवा उकमिते भवंतिए। एगस्स गती य आगती, चिदुमंता सरणं ण मन्नई ॥९॥ सने सयकम्मकप्पिया, अवियत्तेण दुहेण पाणिणो। हिंडंति भयाउला सढा, जाइजरामरणेहिऽभिदुता ॥१६०॥ इणमेव खणं पियाणिया, णो सुलभ बोहिं च आहित। एवं सहिएऽहिपासए (अहियासए पा), आह जिणे इणमेव सेसगा ॥१॥ अभविसु पुरावि भिक्खुवो, आएसावि भवंति सुव्वता। एयाई गुणाई आहु ते, कासवस्स अणुधम्मचारिणो ॥२॥तिविहेणवि पाण मा हणे, आयहिते अणियाण संबुडे। एवं सिदा अणंतसो, संपइ जे अ अणागयाऽवरे ॥ ३॥ एवं से उदाहु अणुत्तरनाणी अणुत्तरदंसी अणुत्तरनाणदसणधरे । अरहा नायपुत्ते भगवं वेसालिए वियाहिए॥४॥ तिमि ॥ उ०३ श्रीवैतालीयाध्ययनं २॥ सूरं मण्णइ अप्पाणं, जाच जेयं न पस्सती। जुज्झतं दधम्माणं, सिसुपालोव महारहं ।। पयाता सूरा रणसीसे, संगामंमि उवाहिते। माया पुत्तं न याणाइ, जेएण परिविच्छए ॥६॥ एवं सेहेवि अप्पुट्टे, भिक्खायरियाअकोविए। सूरं मण्णति अप्पाणं, जाव लूहन सेवए॥७॥ जया हेमंतमासंमि, सीतं फुसइ सवगं (प्रक सवायगं) तस्थ मंदा विसीयंति, रजहीणा व खत्तिया ॥८॥ पुढे गिम्हाहितावेणं, विमणे सुपिवासिए। तत्थ मंदा विसीयंति, मच्छा अप्पोदए जहा ॥९॥ सदा दत्तेसणा दुक्खा, जायणा दुप्पणालिया। कम्मत्ता दुभगा चव, इचाहंसु पुढाजणा ॥१७०॥ एते सह अचायंता, गामेसु णगरेसु वा (प्र० गामंसि नगरसिय)।तत्थमंदा विसीयंति,संगामंमिव भीरुया ॥१॥ अप्पगे खुधियं भिक्खु, सुणी डंसति लूसए। तत्थ मंदा विसीयंति, तेउपुट्टा व पाणिणो ॥२॥ अप्पेगे पडिभासंति, पडिपंथियमागता । पडियारगता एते. जे एते एव जीविणो ॥३॥ अप्पेगे वइ जुंजंति, नगिणा पिंडोलगाहमा । मुंडा कंडूविणटुंगा, उज्जडा असमाहिता॥४॥ एवं विप्पडिवनगे, अप्पणा उ अजाणया। तमओ ते तमं जंति, मंदा माहेण पाउडा ॥५॥ पुट्टो य दंसमसएहि, तणफासमचाइया। न मे दिट्टे परे लोए, जइ परं मरणं सिया ॥६॥ संतत्ता केसलोएणं, बंभचेरपराइया । तत्य मंदा विसीयंति, मच्छा विट्ठा (प्र० पविट्ठा) व केयणे ॥७॥ आयदंडसमायारे, मिच्छासंठियभावणा। हरिसप्पओसमावन्ना, केई लूसंतिऽनारिया ॥८॥अप्पेगे पलियंते सिं, चारो चोरोत्ति सुव्वयं। बंधति भिक्खुयं चाला, कसायचयणेहि य ॥९॥ तत्थ दंडेण संबीते, मुट्टिणा अदु फलेण वा । नातीणं सरती चाले, इत्थी वा कुद्धगामिणी ॥१८०॥ एते भो ! कसिणा फासा, फरुसा दुरहियासया । हत्थी वा सरसंवित्ता, कीवा वसगया गिहं (तिवसट्टे गया गिहं पा०)॥१॥ तिबेमि । अ०३उ०१॥ अहिमे सुहुमा संगा, भिक्खुणं जे दुरुत्तरा । जत्थ एगे विसीयंति, ण चयंति जवित्तए॥२॥ अप्पेगे नायओ (प्र० नायगा) दिस्स, रोयंति परिवारिया। पोसणे ताय ! पट्टोऽसि, कस्स ताय ! जहासि(पक चयासि)णे ?॥३॥ पिया ते थेरओं तात!, ससा त खुड़िया इमा। भायरा त सगा तात!, 18 सोयरा किं जहासिणे ॥४॥ मायरं पियरं पोस, एवं लोगो भविस्मति । एवं खु लोइयं ताय!, जे पालंति य मायरं ॥५॥ उत्तरा महुरुल्लावा, पुत्ता ते तात ! सुझ्या। भारिया ते णवा तात!, मा सा अन्नं जणं गमे ॥ ६॥ एहि ताय ! घरं जामो, मा य कम्मे सहा वयं। वितियंपि ताय ! पासामो, जामु ताच सयं गिहं ॥ ७॥ गंतुंताय ! पुणो गच्छे, ण तेणासमणो सिया। अकामगं परिकम्म, को ते बारेउमरिहति ? ॥८॥जं किचि अणगं तात!, तंपि सर्व समीकतं। हिरण्णं ववहाराइ, तंपि दाहामु तेवयं ॥९॥ इच्चेव णं सुसेइंति, कालुणीयसमुट्टिया। विपद्धो नाइसंगेहि, ततोऽगारं पहावइ ॥१९०॥ जहा रुक्खं वणे जायं, मालुया पडिबंधई । एव णं पडिबंधति, णातओ असमाहिणा॥१॥ विवद्धो नातिसंगेहि, हत्थी वावी नवग्गहे। पिट्टतो परिसप्पंति, सुयगोत्र अदूरए ॥२॥ एते संगा मणूसाणं, पाताला व अतारिमा। कीवा जत्थ य किस्संति, नाइसंगेहिं मुच्छिया॥३॥ तं च भिक्खू परित्राय, सञ्चे संगा महासवा। जीवियं नावकंखिज्जा, सोचा धम्ममणुत्तरं ॥४॥ अहिमे (अहा इमे पा०) संति आवट्टा, कासवेणं पवेइया । बुद्धा जत्थावसप्पंति, सीयंति अचुहा जहिं ॥५॥ रायाणो रायऽमचा य, माहणा अदुव खत्तिया। निमंतयंति भोगेहि, भिक्खुयं साहुजीविणं ॥६॥ हत्थऽस्सरहजाणेहि, विहारगमणेहि य। मुंज भोगे इमे सऽग्घे, महरिसी ! पूजयामु तं॥७॥(१०) ४० सुत्रकृतांगं -अन्सापा-३ मुनि दीपरत्नसागर 9849PRASHEMABPMAJBIP628HIGHRSP8ARIYANKOPRASPOONISPIRNAGPICHASPIRMAINTERNBP86284848PPHIRGAON Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 वत्थगंधमलंकार, इत्थीओ सयणाणि य । भुंजाहिमाई भोगाई, आउसो ! पूजयाम तं ॥ ८ ॥ जो तुमे नियमो चिण्णो, भिक्खुभावमि सुवया । अगारमावसंतस्स सो संविज्ञए तहा ॥९॥ चिरं दृइजमाणस्स, दोसो दाणि कुतो तव । इच्चेव णं निमंतेंति, नीवारेण व सूयरं ॥ २०० ॥ चोइया भिक्खचरियाए, अचयंता जवित्तए । तत्थ मंदा विसीयंति, उज्जाणंसि व दुबला ॥ १ ॥ अचयंता व गृहेणं, उवहाणेण तज्जिया । तत्थ मंदा विसीयंति, उज्जाणंसि जरग्गवा ॥ २ ॥ एवं निमंतणं लडं, मुच्छिया गिद्ध इत्यी । अज्झोवयन्ना कामेहिं, चोड़जंता गया गिहं ॥ ३ ॥ तिवेमि । अ० ३३० ३। जहा संगामकामि, पिट्टतो भीरु बेहइ वलयं गहणं णूमं को जाणइ पराजयं ? ॥ ४ ॥ मुहुत्ताणं महत्तस्स, मुहुत्तो होइ तारिसो पराजियाऽवसप्पामो, इति भीरू उबेहई ॥ ५ ॥ एवं तु समणा एगे, अबलं नव्वाण अप्पगं अणागयं भयं दिस्स, अवकप्पतिमं सुयं ॥ ६ ॥ को जाणइ विऊवातं, इत्थीओ उदगाउ वा । चोइज्जता पत्रकखामो, ण णो अस्थि पकप्पियं ॥ ७ ॥ इच्चेव पडिलेहंति, वलया (प्र० वलाइ ) पडिलेद्दिणो । चितिगिच्छसमावन्ना, पंथाणं च अकोविया ॥ ८ ॥ जे उ संगामकालंमि, नाया सूरपुरंगमा । णो ते पिट्टमुवेहिंति, किं परं मरणं सिया ? ॥ ९ ॥ एवं समुट्टिए भिक्खू, वोसिज्जाऽगारबंधणं । आरंभं तिरियं कट्टु, अत्तत्ताए परिष्व ॥ २१६ ॥ तमेगे परिभासंति, भिक्खुयं साहुजीविणं । जे एवं परिभासंति, अंतए ते समाहिए ॥ १ ॥ संबद्धसमकप्पा उ. अन्नमन्नेसु मुच्छिया। पिंडवायं गिलाणस्स, जं सारेह दलाह य ॥ २ ॥ एवं तुभे सरागत्था, अन्नमन्नमणुव्वसा । नटुसप्पहसन्भावा, संसारम्स अपारगा ॥ ३ ॥ अह ते परिभासेज्जा, भिक्खु मोक्खविसारए। एवं तुच्भे पभासंता, दुपक्खं चेव सेवह् ॥ ४ ॥ तुभे भुंजह पाए, गिलाणो अभिहडंमि या । तं च बीओदगं भोच्चा, तमुहिस्सादिजं कडं ॥ ५ ॥ लित्ता तिवाभितावेणं, उज्झिआ असमाहिया । नातिकंदृइयं सेयं, अरुयस्सावरज्झती ॥ ६ ॥ तत्तेण अणुसिद्धा ते, अपडित्रेण जाणयाण एस णियए मग्गे, असमिक्खा बतीकिती ॥ ७ ॥ एरिसा जा (प्र० ते) वई एसा, अग्गवेणुत्र करिमिता गिहिणो अभिहर्ड सेयं, भुजिउं उ भिक्खुणं ॥ ८ ॥ धम्मपन्नवणा जा सा, सारंभा ण विसोहिआ। ण उ एयाहिं दिडीहिं, पुवमासि पगप्पिअं ॥ ९ ॥ साहिं अणुजुत्तीहि, अचयंता जवित्तए। ततो वायं णिराकिच्चा, ते भुज्जो पगच्भिया ॥ २२० ॥ रागदोसाभिभूयप्पा, मिच्छत्तेणं अभिदुता। आउस्से सरणं जंति, टंकणा इव पश्यं ॥ १ ॥ बहुगुणप्पगप्पाई. कुज्जा अत्तसमाहिए। जेणऽने णो विरुज्झेजा, तेण तं तं समायरे ॥ २ ॥ इमं च धम्ममादाय, कासवेण पवेइयं कुज्जा भिक्खू गिलाणस्स, अगिलाए समाहिए ॥ ३ ॥ संखाय पेसलं धम्मं, दिट्टिमं परिनिबुडे । उवसग्गे नियामित्ता, आमोक्खाए परिवज्जाऽसि ॥ ४ ॥ त्तिमि । अ० ३ उ० ३। आहंसु महापुरिसा, पुत्रिं तत्ततबोधणा । उदपुण सिद्धिमाचन्ना, तत्थ मंदो विसीयति ॥ ५ ॥ अजिया नमी विदेही, रामगुत्ते य भुंजिआ। बाहुए उदगं भोच्चा, तहा नारायणे रिसी ॥ ६ ॥ आसिले देविले चेव, दीवायण महारिसी पारासरे दगं भोच्चा, बीयाणि हरियाणि य ॥७॥ एते पुत्रं महापुरिसा, आहिता इह संमता। भोचा बीओदगं सिद्धा. इति मेयमणुस्सु ॥ ८ ॥ तत्थ मंदा विसीअंति, वाहच्छिन्ना व गद्दभा। पिट्टतो परिसप्पति, पिट्टसप्पी य संभमे ॥ ९ ॥ इहमेगे उ भाति, (मन्नति पा०) सातं सातेण विज्जती जे तत्थ आरियं मग्गं परमं च समाहिए (यं) ॥ २३० ॥ मा एवं अवमन्नंता, अप्पेणं लंपा बहूं। एतस्स (उ) अमोक्खाए, अओहारिक जूरह ॥ १ ॥ पाणाइवाते वहता. मुसावादे असंजता। अदिन्नादाणे वहंता, मेहुणे य परिग्गहे ॥ २ ॥ एवमेगे उपासत्था, पनवंति अणारिया । इत्थीवसं गया बाला, जिणसासणपरम्हा ॥ ३ ॥ जहा गंडं पिलागं वा परिपीलेज मुहुत्तगं एवं विन्नवणित्थीसु, दोसो तत्थ कओ सिआ ! ॥ ४॥ जहां मंधादए नाम, थिमि भुंजती दगं एवं विनवण स्त्रीसु, दोस्रो तत्थ कओ मिआ ? ॥ ५ ॥ जहा विहंगमा पिंगा, थिमि भूंजती दगं एवं विन्नवणित्थीसु, दोसो तत्थ कओ सिआ ? ॥ ६ ॥ एवमेगे उपासन्था, मिच्छादिट्टी अणारिया । अज्झोववना कामेहिं पूयणा इव तरुणए ॥ ७॥ अणागयमपस्संता, पशुप्पन्नगवेसगा ते पच्छा परितप्पंति, खीणे आउंमि (प्र० तीतंमि) जोडणे ॥ ८ ॥ जेहिं काले परिक्कतं न पच्छा परितप्पए । ते धीरा बंधमुक्का, नावकंवंति जीविअं ॥ ९ ॥ जहा नई वेयरणी, दुत्तरा इह संमता एवं लोगंसि नारीओ, दुरुत्तरा अमईमया ॥ २४० ॥ जेहिं नारीण संजोगा, पूयणा पिट्टतो कता । सबमेयं निराकिचा, ते ठिया सुसमाहिए ॥ १ ॥ एते ओघं वरिस्संति, समुदं वपहारिणो । जत्थ पाणा विसन्नासि, किती सयकम्मुणा ॥ २ ॥ तं च भिक्खू परिण्णाय. सुनते समिते चरे। मुसावायं च वज्जिज्जा, अदिन्नादाणं च वोसिरे ॥ ३ ॥ उडूमहे तिरियं वा, जे केई तसथावरा सङ्घस्थ विरतिं कुज्जा, संति निवाणमाहियं ॥ ४ ॥ इमं च धम्ममादाय, कासवेण पवेदितं । कुजा भिक्खु गिलाणम्स, अमिलाए समाहिए ॥ ५ ॥ संखाय पेसलं धम्मं दिट्टिमं परिनिषुड़े। उवसग्गे नियामित्ता, आमोक्खाए परिजासि ॥ ६ ॥ त्तित्रेमि ॥ उ० ४ उपमर्गाध्ययनं ३ ॥ जे मायरं च पियरं च विप्पजहाय पुत्रसंजोगं एगे सहिते चरिस्सामि, आरतमेहुणो विवित्तेषु (विवित्तसि पा० ) ॥ ७ ॥ सुमेणं तं परिकम्म, छन्नपण इथिओ मंदा उच्चापि नाउ जाणिसु (जाणंति पा०) जहा लिस्संति भिक्खुणो एगे ॥ ८ ॥ पासे भिसं णिसीयंति, अभिक्खणं पोसवत्थं परिहिंति । कार्य अहेवि दंसंति, बाहू उद ४१ सूत्रकृतांगं - अन्य-४ मुनि दीपरत्नसागर Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ कक्खमणुवजे ॥ ९ ॥ सयणासणेहिं जोगेहिं. इत्थिओ एगता णिमंतंति। एयाणि चैव से जाणे, पासाणि विरूवरूवाणि ॥ २५० ॥ नो तासु चक्खु संधेज्जा, नोत्रिय साहसं समभिजाणे णो सहियंपि विहरेज्जा, एवमप्पा सुरक्खिओ होइ ॥ १ ॥ आमंतिअ उस्सविया, भिक्खु आयसा निमंतंति। एताणि चैव से जाणे, सद्दाणि विरूवरूत्राणि ॥ २ ॥ मणबंधणेहिं गेहिं कलणविणीयमुवगसित्ताणं । अदु मंजुलाई भाति, आणवयंति भिन्नकहाहिं ॥ ३ ॥ सीहं जहा व कुणिमेणं, निच्भयमेगचरंति पासेणं । एवित्थियाउ बंधंति संबुडं एगतियमणगारं ॥ ४ ॥ अह तत्थ पुणो णमयंती, रहकारो व णेमि आणुपुत्रीए । बद्धे मिए व पासेणं, फंदंतेवि ण मुच्चए ताहे ॥ ५ ॥ अह सेऽणुतप्पई पच्छा, भोचा पायसं व विसमिस्सं । एवं विवे(प्रः विवा) गमादाय संवासो नवि कप्पए दविए ॥ ६ ॥ तम्हा उ वज्जए इत्थी, विसलित्तं व कंटगं नच्चा । ओए कुत्ाणि वसवन्ती, आघाते ण सेवि णिग्गंथे ॥ ७ ॥ जे एवं उंछं अणुगिद्धा, अन्नयरा हुंति कुसीलाणं सुतवस्सिएवि से भिक्खु, नो विहरे सह णमित्यीसु ॥ ८ ॥ अवि ध्यराहिं सुण्हाहिं धातीहिं अदुव दासीहिं महतीहिं वा कुमारीहिं, संथ से न कुज्जा अणगारे ॥ ९ ॥ अदु णाइणं च सुहीणं वा अप्पियं दट्टु एगता होति । गिदा सत्ता कामेहिं, रक्खणपोसणे मणुस्सोऽसि ॥ २६० ॥ समपि दद्ददासीणं (समणं दट्टणुदासीणं पा० ), तत्थवि ताव एगे कुप्यंति। अदुवा भोयणेहिं णत्थेहिं, इत्यीदोसं संकिणो होंति ॥ १ ॥ कुवंति संथवं ताहिं पन्भट्ठा समाहिजोगेहिं । तम्हा समणा ण समेति, आयहियाए सण्णिसेज्जाओ ॥ २ ॥ बहवे गिहाई अवहट्टु, मिस्सीभावं पत्थुया (पण्णता पा० ) य एगे। ध्रुवमग्गमेव पवयंति, वायावीरियं कुसीलाणं ॥ ३ ॥ सुद्धं रवति परिसाए, अह रहस्संमि दुक्कडं करेंति । जाति य णं तहाविहा, माइल्ले महासढेऽयंति ॥ ४ ॥ सयं दुक्कडं च न वदति, आइडोवि पकत्थति बाले । वेयाणुवीइ मा कासी, चोइज्जतो गिलाइ से भुज्जो ॥५॥ ओसियाचि इत्थिपोसेसु, पुरिमा इथिवेयखेदन्ना। पण्णासमन्निता वेगे, नारीणं वसं उवकसंति ॥ ६ ॥ अवि हत्यपादच्छेदाए, अदुवा बद्धमंसकते। अवि तेयसाभितावणाणि, तच्छियखारसिंचणाई च ॥ ७॥ अदु कण्णणासच्छेदं, कंठच्छेदणं तितिक्खंती । इति इत्थ पावसंतत्ता, नय विंति पुणो न काहिंति ॥ ८॥ सुतमेतमेवमेगेसिं, इत्थीवेदेति हु सुयक्खायं । एवंपिता वदित्ताणं, अदुवा कम्मुअवकरेति ॥ ९ ॥ अन्नं मणेण चिंतेति, वाया अन्नं च कम्मुणा अन्नं । तम्हा ण सदह भिक्खु, बहुमायाओ इत्थिओ णचा ॥२७०॥ जुवती समणं ब्रूया, विचित्तऽलंकारवत्थगाणि परिहित्ता चिरता चरिस्सऽहं रुक्खं, धम्ममाइक्ख णे भयंतारो ! ॥ १ ॥ अदु साविया पत्राएणं, अहमंसि साहम्मिणी य समणाणं जतुकुंभे जहा उवज्जोइ, संवासे विटू विसीएजा ॥ २ ॥ जतुकुंभे जोइउवगूढे, आसुऽभितत्ते णासमुचयाइ। एवित्थियाहिं अणगारा, संवासेण णासमुवयंति ॥ ३ ॥ कुवंति पावगं कम्मं, पुट्टा वेगेवमाहिंसु । नोऽहं करेमि पार्वति, अंकेसाइणी ममेसत्ति ॥ ४ ॥ चालस्स मंदयं चीयं जं च कटं अवजाणई भुज्जो दुगुणं करेड़ से पावं, पूयणकामो विसन्नेसी ॥ ५ ॥ संलोकणिज्जमणगारं. आयगयं निमंतणेणाहंसु । वत्थं च ताइ ! पायं वा, अन्नं पाणगं पडिग्गाहे ॥ ६ ॥ णीवारमेवं बुज्झेजा, जो इच्छे अगारमागंतुं । बद्धे विसयपासेहिं, मोहमावज्जइ पुणो मंदे ॥ ७ ॥ त्तिषेमि ॥ अ० ४ उ० १ ॥ ओए सया ण रजेज्जा, भोगकामी पुणो विरजेजा। भोगे समणाण सुणेह, जह भुजति भिक्खुणी एगे ॥ ८ ॥ अह तं तु भेदमावन्नं, मुच्छितं भिक्खुं काममतिवहं । पलिभिंदिया णं तो पच्छा, पादुखहु मुदि पहति ॥९॥ जइ केसिआ णं मए भिक्खु, णो विहरे सह णमित्थीए। केसाणऽविह लुंचिस्सं, नन्नत्थ मए चरिजासि ॥ २८० ॥ अह णं से होई उबलदो, तो पेसंति तहाभूएहिं । अलाउच्छेदं पेहेहि, वग्गुफलाई आहराहित्ति ॥ १ ॥ दारूणि सागपागाए (अन्नपागाए पा०), पज्जोओ वा भविस्सती राओ। पाताणि य (प्र० पोताणि य) मे रयावेहि, एहि ता मे पिट्ट ओम ॥ २ ॥ वत्थाणि य मे पडिलेहेहि, अन्नं पाणं च आहराहित्ति गंध (गंथं पा०) च रओहरणं च, कासवगं च मे समणुजाणाहि ॥ ३ ॥ अदु अंजणि अलंकारं, कुक्कययं मे पयच्छाहि। लोडं च लोकुसुमं च वेणुपलासियं च गुटियं च ॥ ४ ॥ कुद्धं तगरं च अगरुं, संपिडं सम्मं उसिरेणं । ते मुहभिजाए (प्र० भिण्डलिजाए), वेणुफलाई सन्निधानाए ॥ ५ ॥ नंदीचुणगाई पाहराहि, उत्तोवाणहं च जाणाहि सत्यं च सुबच्छेजाए, आणीलं च वत्थयं श्यावेहि ॥ ६ ॥ सुफाणि च सागपागाए, आमलगाई दगाहरणं च । तिलगकरणिमंजणसागं, घिसु मे विजयं विजाणेहि ॥ ७ ॥ संडासगं च फणिहं च, सीइलिपासगं च आणाहि आदंसगं च पयच्छाहि, दंतपखालणं पवेसाहि ॥ ८॥ पूयफलं तंबोलयं, सुईसुत्तगं च जाणाहि । कोसं च मोयमेहाए, सुप्पुकखलगं च खारगालणं च ॥ ९ ॥ चंदालगं च करगं च वच्चघरं च आउसो खणाहि सरपाययं च जायाए, गोरहगं च सामणेराए ॥ २९० ॥ घडिगं च सडिंडिमयं च चेलगोलं कुमारभ्याए। वासं समभिजवण्णं, आवसहं च जाण भत्तं च ॥ १ ॥ आसंदियं च नवसुत्तं पाउलाई संकमट्टाए। अदु पुत्तदोहलहाए, आणप्पा हवंति दासा वा ॥ २ ॥ जाए फले समुप्पन्ने, गेण्हसु वा णं अहवा जहाहि । अहं पुत्तपोसिणो एगे, भारवहा हवंति उट्टा वा ॥ ३ ॥ राओवि उडिया संता, दारगं च संठवंति धाई वा । सुहिरामणावि ते संता, वत्थधोचा हवंति हंसा वा ॥ ४ ॥ एवं बहुहिं कयपुत्रं भोगत्थाए जेऽभियावना । दासे मिइव पेसे वा, पसुभूतेव से ण वा केई ॥ ५॥ एवं खु तासु विन्नप्पं, ४२ सूत्रकृतांगं - अज्झयणं-४ मुनि दीपरत्नसागर Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संथवं संवासं च वज्जेज्जा । तज्जानिआ इमे कामा, वज्जकरा य एवमक्खाए ॥ ६ ॥ एवं भयं ण सेयाय, इइ से अपगं निरंभित्ता । णो इत्थि णो पसुं भिक्खु, णो सयं पाणिणा णिलिज्जेज्जा ॥ ७॥ सुविसुद्धलेसे मेहावी, परकिरिअं च बल्लए नाणी। मणसा वयसा कायेणं, सङ्घफाससह अणगारे ॥ ८॥ इच्चैवमाह से वीरे. धुअरए धुअमोहे (धुअए जमग्गे पा० ) से • भिक्खू । तम्हा अज्झत्थविसुद्धे. सुविमुके ( विहरे पा० ) आमोक्खाए परिवएज्जाऽसि ॥ ९ ॥ त्तित्रेमि ॥ उ० २ स्त्रीपरिज्ञाध्ययनं ४ ॥ पुच्छिस्सऽहं केवलियं महेसि ! कहं भितावा णरंगा पुरत्या ? । अजाणओ मे मुणि ! ब्रूहि जाणं, कहिं नु वाला नरयं उविंति ? ॥ ३०० ॥ एवं मए पुट्टे महाणुभावे, इणमोऽञ्ववी कासवे आपन्ने। पवेदइस्सं दुहमट्टदुग्गं. आदीणियं दुकडियं (दुकडिणं पा० ) पुरस्था ॥ १ ॥ जे केइ बाला इह जीवियट्ठी, पावाई कम्माई करंति रुदा । ते घोररूवे तमिसंघयारे तिवाभितावे नरए पडंति ॥ २ ॥ तिनं तसे पाणिणो थावरे य. जे हिंसति आयसु पहुंचा जे लसए होइ अदत्तहारी, ण सिक्खती सेयवियस्स किंचि ॥ ३ ॥ पागच्भि पाणे बहुणं तिवाति, अनिवते घातमुवेति वाले णिहो णिसं गच्छति अंतकाले, अहोसिरं कट्टु उवेइ दुग्गं ॥ ४ ॥ हण छिंदह भिंदह णं दहेति, सद्दे सुणिता परहम्मियाणं ते नारगाओ भयभिन्नसन्ना, कंखति कन्नाम दिसं वयामो ? ॥ ५ ॥ इंगालरासिं जलियं सजोति, तत्तोमं भूमिमणुकमंता । ते इज्झमाणा करुणं धणंति, अरहस्सरा तत्थ चिरद्वितीया ॥ ६ ॥ जइ ते सुया वेयरणी भिदुग्गा, णिसिओ जहा खुर इव तिक्वसोया । तरंति ते वेयरणीं भिदुग्गा, उसुचोइया सत्तिसु हम्ममाणा ॥ ७ ॥ कीलेहिं विज्झति असाहुकम्मा, नावं उर्विते सविप्पहूणा । अन्ने तु सलाहिं तिमलियाहि, दीहाहिं विद्रूण अकरंति ॥ ८ ॥ केसिं च बंधित्तु गले सिलाओ, उदगंसि बोलंति महालयंसि । कलंबुयावालय मुम्मुरे य, लोलंति पञ्चति अ तत्थ अन्ने ॥ ९ ॥ आमरियं (प्र० असूरियं) नाम महाभितावं, अंधतमं दुष्पतरं महंतं। उट्टं अहेअं तिरियं दिसासु, समाहिओ (समुसिओ प्रा० ) जत्थऽगणी झियाई ॥ ३१० ॥ जंसी गुहाए जलणेऽतिउट्टे, अविजाणओ डेज्झइ लुत्तपण्णो । सया य करुणं पुण घम्गठाणं, गाढोवणीयं अतिदुक्खधम्मं ॥ १ ॥ चत्तारि अगणीओ समारभित्ता, जहिं कूरकम्माऽभितविंति बालं ते तत्थ चिड़ंतऽभितप्पमाणा, मच्छा व जीवंतुवजोतिपत्ता ॥ २ ॥ संतच्छणं नाम महाहितावं, ते नारया जत्थ असाहुकम्मा। हत्थेहिं पाएहि य बंधिऊणं, फलगं व तच्छंति कुहाडहत्था ॥ ३ ॥ रुहिरे पुणो वचसमुस्सिअंगे, भिन्नुत्तमंगे वरिवत्तयंता । पयंति णं णेरइए फुरंते, सजीवमच्छे व अयोकवाडे ॥ ४ ॥ नो चेव ते तत्थ मसीभवंति ण निज्जती तियभिवेयणाए तमाणुभागं अणुवेदयंता, दुक्खति दुक्खी इह दुकडेणं ॥ ५ ॥ तहिं च ते लोलणसंपगाढे, गाढं सुतत्तं अगणि वयंति । न तत्थ सायं लहती भिदुग्गे, अरहिया (प्र० अरभिया ) भितावा तहवी तविति ॥ ६ ॥ से सुचई नगरवहे व सद्दे दृहोवणीयाणि पयाणि तत्थ । उदिष्णकम्माण उदिष्णकम्मा, पुणो पुणो ते सरहं दुर्हेति ॥ ७ ॥ पाणेहिं णं पात्र विओजयंति तं मे पत्रक्खामि जहातहेणं । दंडेहिं तत्था सरयंति बाला, सवेहिं दंडेहि पुराकएहिं ॥ ८ ॥ ते हम्ममाणा णरगे पडंति, पुन्ने दुरुवस्स महाभितावे । ते तत्थ चिति दुरूभक्खी, तुति कम्मोवगया किमीहिं ॥ ९ ॥ सया कसिणं पुण घम्मठाणं, गाढोवणीयं अतिदुक्खधम्मं । अंदूसु पक्खिष्प विहत्तु देहं वेद्देण सीसं सेऽभितावयंति ॥ ३२० ॥ छिंदंति बालस्स खुरेण नकं, उद्वेवि छिंदंति दुवैवि कृष्णे । जिन्भं विणिकस्स विहत्थिमित्तं. तिस्वाहि सृत्याहिऽभितावयंति ॥ १ ॥ ते तिप्पमाणा तलसंपुटुंब, राईदियं तत्थ थणंति वाला। ग ंति ते सोणिअपूयमंसं, पज्जोइया खारपइद्धियंगा ॥ २ ॥ जइ ते सुता लोहितपूअपाई. बालागणी अगुणा पणं । कुंभी महंताहियपोरसीया, समूसिता लोहियपूयपुण्णा ॥ ३ ॥ पक्खिप्प तासुं पययंति वाले, अट्टस्सरे ते करणं रसंते। तन्हाइया ते तउतंचतत्तं पज्जिज्जमाणाऽट्टतरं रसंति ॥ ४ ॥ अपेण अप्पं इह वंचइत्ता, भवाहमे पुष्वसते सहस्से। चिति तत्था बहुकूरकम्मा, जहा कडं कम्म तद्दासि भारे ॥ ५ ॥ समज्जिणित्ता कसं अणज्जा, इडेहिं कंतेहि य विप्पहृणा । ते दुभिगंधे कसिणे व फासे, कम्मोवगा कुणिमे आवसंति ॥ ६ ॥ त्तिषेमि ॥ अ० ५० १ ॥ अहावरं सासयदुक्खधम्मं तं मे पवक्खामि जहातहेणं बाला जहा दुकटकम्मकारी, वेदंति कम्माई पुरेकडाई ॥ ७॥ इत्येहिं पाएहि य बंधिऊर्ण, उदरं विकत्तंति खुरासिएहिं गिहित्तु बालस्स वित्तु देहं बद्धं थिरं पिट्टतो उदरंति ॥ ८॥ बाहु पकतंति य मूलतो से, थूलं वियासं मुहे आडहंति । रहंसि जुत्तं सरयंति बालं, आरुस्स विज्झति तुदेण पिट्टे ॥ ९ ॥ अयंत्र तत्तं जलियं सजोइ, तऊवमं भूमिमणुकर्मता । ते उज्झमाणा करुणं धणंति, उमुचोइया ततजुगे जुत्ता ॥ ३३० ॥ वाला बला भूमिमणुकमंता, पविज्जलं लोहपहं च तत्तं । जंसीऽभिदुग्गंसि पवजमाणा, पेसेव दंडेहिं पूराकरंति ॥ १ ॥ ते संपगादंसि पवज्रमाणा, सिलाहिं हम्मति निपातिणीहिं । संतावणी नाम चिरद्वितीया, संतप्पती जत्थ असाहुकम्मा ॥ २ ॥ कंसु पक्खिप्प पर्यति बालं, ततोवि दड्ढा पुण उप्पयंति। ते उड्ढकाएहिं पखजमाणा, अवरेहिं खज्जति सणष्फहिं ॥ ३ ॥ समूसियं नाम विधूमठाणं, जं सोयतत्ता करुणं धणंति । अहोसिरं कट्टु विगत्तिऊणं, अयंव सत्येहिं समोसवंति ॥ ४ ॥ समूसिया तत्थ विसृणियंगा, पक्खीहिं खज्जति अओमुहेहिं। संजीवणी नाम चिरद्वितीया, जंसी पया हम्मद पावचेया ॥ ५॥ तिक्खाहिं सूलाहिं निवाययंति (प्र० भितावयंति), वसागयं सावययं व लद्धं ते सूलविदा कटुणं ४३ सूत्रांग असयणे-५. मुनि दीपरत्नसागर Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ थणंति, एगंतदुक्खं दुहओ गिलाणा ॥६॥ सयाजलं नाम निहं महंत, जंसी जलंतो अगणी अकट्ठो। चिट्ठति पदा बहुकूरकम्मा, अरहस्सरा केइ चिरद्वितीया ।।.। चिया महंतीड समारभित्ता, हुम्भंति ते तं कलुणं रसंतं। आवकृती तत्व असाहुकम्मा, सप्पी जहा पडियं जोइमज्झे ॥८॥ सदा कसिणं पुण घम्मठाणं, गाढोवणीयं अइदुक्खधम्मं । हत्थेहि पाएहि यचंधिऊणं, सत्तुन डंडेहिं समारभंति ॥९॥ भंजंति चालस्स वहेण पुट्टी, सीसंपि मिदंति अओघणेहिं । ते भिन्नदेहा फलगंव तच्छा, तत्ताहिं आराहिं णियोजयंति॥३४०॥ अभिजुजिया रुद्द असाहुकम्मा, उसुचोइया हस्थिवह वहंति। एग दुरूहित्तु दुवे ततो वा, आरुस्स विझंति ककाणओ से॥१॥ पाला बला भूमिमणुकमंता, पविजलं कंटइलं महंत। विवद्धतापहि विवपणचिने, सीरिया कोहपलिं करिति ॥२॥ वेतालिए नाम महाभितावे, एगायते पत्रयमंतलिक्खे । हम्मंति तत्था बहुकृरकम्मा, परं सहस्साण मुहुत्तगाणं ॥३॥ संवाहिया दुक्कडिणो धणंति, अहो य राओं परितप्पमाणा । एगंतकडे नरए महंते, कूडेण तत्था विसमे हता उ॥४॥ मंजंति णं पुखमरी सरोसं, समुम्गरे ते मुसले गहेतुं । ने मिन्नदेहा रुहिरं वर्मता, ओमदगा धरणितले पडति ॥ ५॥ अणासिया नाम महासियाला, पागम्भिणो तत्थ सयायकोवा । खजति तत्था बहुकृरकम्मा, अदूरगा संकलियाहि बद्धा ॥ ६॥ सयाजला नाम नदी भिदुग्गा, पविज्जलं लोहविलीणतत्ता । जंसी भिदुग्गंसि पवजमाणा, एगायऽताणुकमणं करेंति ॥ ७॥एयाई फासाई फुसंति पालं, निरंतरं तत्थ चिरद्वितीयं । ण हम्ममाणस्स उहोइ ताणं. एगो मयं पचणुहाइ दुक्खं ॥८॥ जं जारिसं पुत्रमकासि कम्म, तमेव आगच्छति संपराए। एगंतदुक्यं भवमजिणित्ता, वेदंति दुस्खी तमणंतदुक्खं ॥९॥ एताणि सोचा णर गाणि धीरे, न हिंसए किंचण सबलोए । एगंतदिट्ठी अपरिग्गहे उ, बुज्झिज लोयस्स वसं न गच्छे ॥३५० ॥ एवं तिरिक्खे मणुयामु (म)रेसु, चतुरन्तऽणतं तयणुविवागं । स सवमयं [2] इति वेदवत्ता. कंखेज कालं. धूयमायरज ॥२॥त्तिवेमि॥ उ०२ नरकविभन्यध्ययनं ५॥ पुच्छिस्सु णं समणा माहणा य, अगारिणा या परांतार कविभनयध्ययनं ५॥ पच्छिस्स् णं समणा माहणा य, अगारिणो या परतिस्थिआ य। से केर णेगंतहियं धम्ममाह (प्र के इस णितिय), अणेलिसं साहु समिक्खयाए॥२॥ कहं च णाणं कह देसणं से, सीलं कहं नायसुतस्स आसी? जाणासि णं भिक्खु जहातहेणं, अहासुतं वृहि जहा णिसंतं॥३॥ खेयन्त्रए से कमलासुपन्ने (ले महेसी प्र०), अणंतनाणी य अणंतदंसी । जसंसिणो चक्खुपहे ठियस्स, जाणाहि धम्मं च थिई च पेहि ॥४॥ उई अहेयं तिरियं दिसासु, तसा य जे थावर जे य पाणा । से णिचणिचेहि समिक्ख पन्ने, दीये व धम्म समियं उदाहु ॥५॥ से सञ्बदंसी अभिभूयनाणी, णिरामगंधे धिहमं ठितप्पा । अणुत्तरे सञ्चजगसि विजं. गंथा अतीत अभए अणाऊ ॥६॥ से भूइपण्णे अणिएअचारी, ओहंतरे धीरे अणंतचक्खू । अणुत्तरं नप्पति सूरिए वा, वइरोयणिंदे व तम पगासे ॥७॥ अणुत्तरं धम्ममिणं जिणाणं, णेया मुणी कामव आसुपने। ईदेव देवाण महाणभावे, सहस्सणेता दिवि णं विसिट्टे ॥८॥ से पन्नया अक्खयसागरे वा, महोदही वाबिअणंतपारे । अणाइले वा अकसाइ मुके (भिक्खू पा०) सकंच देवाहिवई जुईमं ॥९॥ से बीरिएणं पडिपन्नवीरिए, सुदंसणे वा णगसबसेट्टे । सुरालए वासि(प्र० चावि)मुदागरे से, विरायए गगुणोववेए ॥३६० ॥ सयं सहस्साण उ जोयणाणं, निकंडग पंडगवेजयंते । से जोयणे णवणवते सहस्से, उद्धस्सितो हेटु सहस्समेगं ॥१॥ पुट्टे णभे चिट्टइ भृमिवहिए, जं सूरिया अणूपरिवट्टयंति। से हेमवन्ने बहुनंदणे य, जंसी रति वेदयंती महिंदा ॥२॥ से पवए महमहप्पगासे, बिरायती कंचणमट्ठवन्ने । अणुत्तरे गिरिसु य पबदुग्गे, गिरीवरे से जलिएव भोमे ॥३॥ महीइ मज्झमि ठिते णगिदे, पनायते सरियसुद्धलेमे। एवं सिरीए उस रिवन्ने, मणोरमे जोयइ अच्चिमाली॥४॥ सुदंसणस्सेव जसो मिरिस्स, पच्चई महतो पत्यस्स । एतोवमे समणे नायपुत्ते, जातीजसोदसणनाणसीले ॥५॥ गिरीवरे वा निसहाऽऽययाणं, रुयए व सेट्टे वलयायताणं। तओवमे से जगभङपने. मणीण मज्झे गंडमुकं, संखिंदुएगंतवदातसुकं ॥ ७॥ अणुत्तरगं परमं महेसी, असेसकम्मं स विसोहइत्ता । सिद्धि गते (प्र० गति) साइमणंतपत्ते, नाणेण सीलेण य ईसणेण ॥८॥ रुक्खेसु णाते जह सामली वा, जस्सि रतिं वेययती सुवन्ना । चणेसु वा गंदणमाहु सेलु, नाणेण सीलेण य भूतिपन्ने ॥ ९॥ थणियं व सहाण अणुत्तरे उ, चंदो व ताराण महाणुभावे। गंधेसु वा चंदणमाहु सेटें, एवं मुणीणं अपडिनमाहु ॥३७॥ जहा सयंभू उद्दहीण सेढे, नागेसु वा धरणिंदमाहु सेट्टे। खोओदए वा रस वेजयंते, तवोवहाणे मुणिवेजयंते॥१॥ हत्थीसु एरावणमाहु णाए, मीही मिगाणं सलिलाण गंगा। पक्खीसु वा गरुले वेणुदेवो, निचाणवादीणिह णायपुत्ते॥२॥ जोहेसु णाए जह वीससेणे, पुप्फेसु वा जह अरविंदमाहु । खत्तीण सेट्टे जह दंतवक्के, इसीण सेट्टे तह बद्धमाणे ॥३॥ दाणाण सेढे अभयप्पयाणं, सच्चेसु वा अणवजं वयंति । तवेसु वा उत्तम बंभचेर, लोगुत्तमे समणे नायपुत्ते॥ ४ ॥ ठिईण सेट्ठा लवसत्तमा बा, सभा मुहम्मा व सभाण सेट्टा। निवाणसेट्ठा जह सबधम्मा, ण णायपुत्ता परमस्थि नाणी ॥५॥ पुढोवमे धुणइ विगयगेही, न सणिहिं कुवति आसुपन्ने । तरिउं समुई व महाभवोघं, अभयंकरे बीर अणंतचक्म्य ॥६॥ कोहं च माणं च तहेव मायं, लोभं चउत्थं अज्झत्थदोसा। एआणि वंवा अरहा महेसी, ण कुबई पाव ण कारवेइ ॥७॥ किरियाकिरियं वेणइयाणुवायं, अण्णाणियाणं पडियच ठाणं। से सबवाय इति वेयहत्ता, उपट्टिए संजमदीहरायं ॥८॥ से वारिया इत्थी सराइमतं, उवहाणवं दुक्खखयट्ठयाए। लोग विदित्ता आरं परं च, सर्व पभू (११) ४४ सूत्रस्तांगं- ॐare-5 मुनि दीपरत्नसागर SPOONASPERMIREOPOSTSPENEYCLOPICARSANEYMOTIOHRSPENSHOPROHIBMISSTOMBPONRSTERRHEARTHIBASPES BHAGARSPICHARYA8/8PERABARASHIARPASSPSCPARIHEROINTEPTRANSACHISPEENSPTEMBNARSHIRAMBIPARPRASNA Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ BANKINAARMIRMERAINSARNA.68508/458984589843NARRAKANER49899422YAARIYARARY3,43748/4389243984 बारिय सञ्बचारं ॥९॥ सोचा य धम्मं अरहंतभासियं, समाहितं अट्ठपदोवसुद्धं । तं सदहाणा (प्र० हंता) यजणा अणाऊ,इंदा व देवाहिव आगमिस्संति॥३८॥ निवेमि॥ वीरस्तुत्यध्ययनं ६॥ पुढवी य आऊ अगणीय वाऊ, तण रुक्स बीया य तसा य पाणा। जे अंडया जे य जराउ पाणा, संसेयया जे रसयाभिहाणा॥१॥ एयाई कायाई पवेदिताई, एतेसु जाणे पड़िलेह सायं । एतेण (म० हिं) कायेण (महि)य आयदंडे, एतेसु या विष्परियामुर्विति ॥२॥ जाईपहं अणुपरिवहमाणे, तसथावरेहिं विणिघायमेति । से जाति जाति बहुकूरकम्मे, जं कुवती मिजति तेण वाले ॥३॥ अस्सिं च लोए अदवा परत्था, सयग्गसो वा तह अन्नहा बा । संसारमावन्न परं परं ते, बंधति वेदंति य दुन्नियाणि ॥४॥ जे मायरं वा पियरं च हिचा, समणवए अगणिं समारभिजा। अहाहु से लोए कुसीलधम्मे, भूताई जे हिंसति आयसाते॥५॥ उबालओ पाण निवातएजा, निशावओ अगणि निवायवेजा। तम्हा उ मेहावि समिक्ख धम्म, ण पंडिए अगणि समारभिज्जा ॥६॥ पुढवीवि जीवा आऊबि जीचा, पाणा य संपाइम संपयंति। संसेयया कट्ठसमस्सिया य, एते दहे अगणि समारभंते ॥ ॥ हरियाणि मृताणि विलंबगाणि, आहार देहा य पुढो सियाई। जे छिंदती आयसुहं पडुच, पागब्भि पाणे बहुणं तिवाती ॥८॥ जातिंच वुडिंच विणासयंते, पीयाई अस्संजय आयदंडे। अहाहु से लोएँ अणजधम्मे, बीयाइ जे हिंसति आयसाते ॥९॥ गम्भाई मिजंति वुयायुयाणा, णरा परे पंचसिहा कुमारा। जुवाणगा मज्झिम थेरगा य (पोरसा य पा०), चयंति ते आउखए पलीणा ॥३९०॥ संबुजाहा जंतवो! माणुसत्तं, दटुं भयं वालिसेणं अलंभो। एगंतदुक्खे जरिए व लोए, सकम्मुणा विपरियासुवेइ॥१॥ इहेग मूढा पपयंति मोक्खं, आहारसंपजणवजणेणं (आहारसपंचयवजणण, आहारा पचकवजणण पा०) एग य सादिगसवर्णण, हुएण एग पवयात माक्ख॥२॥पाआसिणाणादिसु णात्य माक्खा, खारस्सलाणस्स अणासएणं। ते मजमंसं लसणं च भोचा, अन्नत्थ वासं परिकप्पयंति ॥३॥ उदगेण जे सिविमुदाहरंति, सायं च पायं उदगं फुसंता। उदगस्स फासेण सिया य सिद्धी, सिज्झिसु पाणा बहवे दगंसि ॥४॥ मच्छा य कुम्मा य सिरीसिवा य, मग्गू य उट्ठा (हा)दगरक्खसा य। अट्ठाणमेयं कुसला वयंति, उदगेण जे सिद्धिमुदाहरति ॥५॥ उदयं जइ कम्ममलं हरेजा, एवं सुहं इच्छामित्नमेव । अंधं व गेयारमणुस्सरिता, पाणाणि येवं विणिहंति मंदा ॥६॥ पाबाई कम्माई पकुछतो हि, सीओदगं तू जइ तं हरिजा। सिर्जिझसु एगे दगसत्तघाती, मुसं वयंते जलसिद्धिमाहु ॥ ७॥ हुतेण जे सिद्धिमुदाहरंति, सायं च पायं अगणिं फुसंता। एवं सिया सिद्धि हवेज तम्हा, अगणिं फुसंताण कुकम्मिणपि ॥८॥ अपरिक्ष दि8 ण हु एव सिद्धी, एहितिते घायमबुज्झमाणा । भूएहिं जाणं पडिलेह सातं, विजं गहायं तसथावरेहिं ॥९॥थणंति लुप्पंति तसंति कम्मी, पुढो जगा परिसंखाय भिक्खू । तम्हा विऊ विरतो आयगुत्ते, दठं नसे या पडिसंहरेजा ॥४०॥ जे धम्मलदं विणिहाय मुंजे, बियडेण साइटु य जे सिणाई। जे धोवती लूसयतीव वत्थं, अहाहु से णागणियस्स दूरे॥१॥ कम्म परिचाय दगंसि धीरे, वियडेण जीविज य आदिमोक्वं । से बीयकंदाइ अ जमाणे, विरते सिणाणाइसु इत्थियासु ॥२॥ जे मायरं च पियरं च हिचा, गारं तहा पुत्तपमुं धणं च । कुलाई जे धावइ साउगाई, अहाहु से सामणियस्स दूरे ॥३॥ कुलाई जे धावइ साउगाई, आघाति धम्मं उदराणुगिद्धे । अहाहु से आयरियाण सयंसे, जे लावएज्जा असणस्स हेऊ ॥ ४॥ णिक्खम्म दीणे परभोयणमि, मुहमंगलीए उदराणुगिद्धे । नीवारगिद्धेव महावराहे, अदूरए एहिइ घातमेव ॥ ५ ॥ अन्नस्स पाणस्सिहलोइयस्स, अणुप्पियं भासति सेवमाणे । पासत्वयं चेव कुसीलयं च, निस्सारए होइ जहा पुलाए ॥ ६॥ अण्णातपिंडेणऽहियासएजा, णो पूयणं तवसा आवहेजा । सद्देहिं रूवेहिं असजमाण, सधेहि कामेहिं विणीय गेहिं ॥ ७॥ सन्माई संगाई अइच धीरे, सवाई दुक्खाई तितिक्खमाणे। अखिले अगिदे अणिएयचारी, अभयंकरे भिक्खु अणाविलप्पा ॥८॥ भारस्स जाता (प० जत्ता) मणि भंजएजा, कंखेज पावस्स विवेग भिक्ख। दुक्खेण पुढे धुयमाइएजा, संगामसीसे व परं दमेजा ॥९॥ अवि हम्ममाणे फलगावतट्टी, समागमं कखति अंतकस्म । णिज्य कम्म ण पवंचुवेइ, अक्खक्खए वा सगडतिमि ॥४१०॥ कुशीलपरिभापाध्ययनं ७॥ दुहा वेयं सुयक्खायं, बीरियंति पञ्चइ। किं नु वीरस्स वीरतं?, कहं चेयं पबुचई ? ॥१॥कम्ममेगे पवेदेति, अकम्मं वावि सुघया। एतेहिं दोहिं ठाणेहि, जेहिं दीसंति मचिया ॥२॥पमार्य कम्ममाहंसु, अप्पमायं तहाऽवरं। तब्भावादेसओ वावि, बालं पंडियमेव वा ॥३॥सत्यमेगे तु सिक्खंता (प० सिक्खंति), अतिवायाय पाणिणं। एगे मंते अहिजंति, पाणभूयविहेडिणोपा माइणो (णओ चू०)कड माया य, कामभोगे समारभे (आरंभाय तिवदृइ पा०)हिंता उता पगम्भित्ता, आयसायाणुगामिणो धामणसा वयसा चेच, कायसा चेव अंतसो। आरओ परओ पावि, दुहावि य असंजया ॥६॥ वेराई कुबई वेरी, तओ वेरोहिं रजती । पावोगा य आरंभा, दुक्खफासा य अंतसो ॥ ७॥ संपरायं णियच्छंति, अत्तदुकडकारिणो। रागदोसस्सिया बाला, पावं कुवंति ते बहुं ॥८॥ एवं सकम्मवीरिवं, वालाणं तु पवेदितं । इत्तो अकम्मविरियं, पंडियाणं सुणेह मे ॥९॥ दविए बंधगुम्मुके, सबओ छिन्नबंधणे । पणोल पावकं कम्मं, सहई कंतति अंतसो (सालं कंतइ अप्पणो पा०) ॥४२०॥ नेयाउयं सुयक्खायं, उवादाय समीहए। भुजो भुत्रो दुहावासं, असुहत्तं ४५ सूत्रांग-अ-tranPC मुनि दीपरत्नसागर Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 8ASYCARSPONSPIRABPERSPENSPIRATIONASPITHOSPIRISPEASFICAISPEAMSHEARBPTEASPICNEPARADARSH तहा तहा॥१॥ ठाणी विविहठाणाणि, चहस्संति ण संसओ। अणियते अयं वासे, गायएहिं सुहीहि य ॥२॥ एवमादाय मेहावी, अप्पणो गिदिमुद्धरे। आरियं उवसंपजे, सवधम्ममकोवियं ॥३॥ सहसंमइए गचा, धम्मसारं सुणेत्तु वा। समुवट्ठिए उ अणगारे (प० उवहिए य मेहावी), पचक्खाए य पावए ॥४॥ जंकिंचुपकर्म जाणे (प०णचा), आउ खेमस्स अप्पणो। तस्सेव अंतरा खिप्पं, सिक्खं सिक्सेज पंडिए ॥५॥ जहा कुम्मे सअंगाई, सए देहे समाहरे। एवं पावाई मेधावी, अजझप्पेण समाहरे॥६॥ साहरे हत्थपाए य, मणं पंचेंदियाणि (प्र० सव्वेंदियाणि) या पावकं च परीणामं, भासादोसं च तारिसं ॥ ७॥ अणुमाणं च मायं च, तं पडिनाय पंडिए। सातागारवणिहुए, उवसंते णिहं चरे (अइमाणं चमायं च, तं परिण्णाय पंडिए।सुयं मे इहमेगेसिं, एवं वीरस्स बीरियं ।, आयतट्ट सुआदाय, एवं वीरस्स बीरियं पा०)॥८॥पाणे य णाइवाएजा, अदिपिय णादए। सादियं ण मुसं व्या, एस धम्मे युसीमओ॥९॥ अतिकम्मंतिवायाए, मणसावि न पत्थए।सबओ संवुडे दंते, आयाणं सुसमाहरे॥४३०॥ कटं च कजमाणं च, आगमिस्सं च पावर्ग। सर्व तं णाणुजाणंति, आयगुत्ता जिइंदिया ॥१॥ जे याबुद्धा महाभागा, वीरा असमत्तदंसिणो। असुद्धं तेसिं परकंत, सफलं होइ सञ्चसो ॥२॥जे य बुद्धा महाभागा, वीरा सम्मत्तदंसिणो। सुदं तसि परकंतं, अफलं होइ सवसो ॥३॥ तेसिपि तवो ण (म० इ) सुद्धो, निक्खंता जे महाकुला । जने वन्ने बियाणंति, न सिलोगं पवेज्जए॥४॥ अप्पपिंडासि पाणासि, अप्पं भासेज सुपए। खंतेऽभिनिन्छुड़े दंते, बीतगिरी सदा जए ॥ ५॥ झाणजोगं समाहह, कायं विउसेज सञ्चसो । तितिक्खं परमं णचा, आमोक्खाए परिषएजासि ॥६॥ तिमि ॥ वीर्याध्ययनं ८॥ कयरे धम्मे अक्खाए, माहणेण मतीमता? अंजु धम्मं जहातचं, जिणाणं तं सुणेह मे (जणगातं सुणेह मे पा०)॥७॥ माहणा खत्तिया वेस्सा, चंडाला अदुबोकमा। एसिया वेसिया सुदा, जे य आरंभणिस्सिया ॥८॥ परिग्गहनिविट्ठाणं, वेरं (पावं पा०) तेसिं पबद्दई । आरंभसंभिया कामा, न ते दुक्खविमोयगा ॥९॥ आघायकिच्चमाहेउं, नाइओ विसएसिणो। अन्ने हरति तं वित्तं, कम्मी कम्मेहिं किच्चती ॥४४०॥ माया पिया ण्हुसा भाया, भज्जा पुत्ता य ओरसा। नालं ते तव ताणाय, लुप्पंतस्स सकम्मणा ॥१॥ एयम8 सपेहाए, परमट्ठाणुगामियं । निम्ममो निरहंकारो, चरे भिक्स जिणाहियं ॥२॥चिचा वित्तं च पुत्ते य, णाइओय परिगह। चिचाण अंतर्ग सोयं, (चिचाणऽणंतर्ग सोयं पा०) निरवेक्खो परिवए॥३॥ पुढवी उ अगणी वाऊ, तणरुक्खा सबीयगा। अंडया पोयजराऊ, रससंसेयउम्भिया ॥४॥ एतेहिं छहिं काएहिं तं विजं परिजाणिया । मणसा कायवकेणं, णारंभी ण परिग्गही ॥५॥ मुसावायं चहिदं च, उरगहं च अजाइया । सत्थादाणाई लोगसि, तं विज परिजाणिया ॥६॥ पलिउंचणं च भयणं च, पंडितुस्सयणाणि या । धूणादाणाई योगसि, तं विजं परिजा- 15 णिया ॥७॥ धोयणं रयणं चेव, बत्थीकम्मं विरेयणं । वमणंजण पलीमधं, तं विजं परिजाणिया ॥८॥ गंधमालसिणाणं च, दंतपक्खालणं तहा। परिग्गहित्थिकम्मं च, तं विजं परिजाणिया ॥९॥ उद्देसियं कीयगडं, पामिचं चेव आहढं । पूर्य अणेसणिजं च, तं विजं परिजाणिया ॥४५०॥ आसूणिमक्खिरागं च, गिद्धवधायकम्मर्ग । उच्छोलणं च कर्क च, तं विज |'परिजाणिया ॥१॥ संपसारी कयकिरिए, पसिणायतणाणि य । सागारियं च पिंडं च, तं विजं परिजाणिया ॥२॥ अट्ठावयं न सिक्खिजा, वेहाईयं च णो वए। हत्यकम्मं विवायं च, तं विज परिजाणिया ॥३॥ पाणहाओ य उत्तं च, णालीयं वालवीयणं। परकिरियं अन्नमन्नं च.तं विजं परिजाणिया ॥४॥ उचारं पासवर्ण, हरिएम ण करे मणी। वियडेण वावि साहह, णावमजे(यमेजा) कयाइपि ॥५॥ परमत्ते अन्नपाणं.ण भंजेज कयाइवि। परवत्थं अचेलोऽवि. तं कि सरणं वा, तं विजं परिजाणिया॥७॥ जसं किति सलोयं च, जाय बंदणपूयणा । सबलोयंसि जे कामा, तं विजं परिजाणिया ॥८॥ जेणेहं णिवहे भिक्स्, अन्नपाणं तहाविहं । अणुपयाणमन्नेसि, तं विज परिजाणिया ॥९॥ एवं उदाह निम्नथे, महावीरे महामुणी । अणंतनाणदंसी से, धम्मं देसितवं सुतं ॥४६॥ भासमाणो न भासेजा, णेव वंफेज मम्मयं । मातिट्ठाणं विवजेज्जा, अणुचिंतिय वियागरे ॥ १॥ तस्थिमा तइया भासा, जं वदित्ताऽणुतप्पती । जं छन्नं तं न वत्तकं, एसा आणा णियंठिया ॥२॥ होलावायं सहीवायं, गोयावायं च नो बढे । तुम तुमंति अमणुनं, सबसो तंण पत्तए ॥३॥ अकुसीले सया भिक्खू, णेव संसग्गियं भए।सुहरूवा तत्थुवस्सम्या, पडिबुझेज ते विऊ ॥ ४॥ नन्नत्य अंतराएणं, परगेहे ण णिसीयए। गामकुमारियं कि, नातिवेलं हसे मुणी ॥५॥ अणुस्सुओ (अणिस्सिओ पा०) उरालेसु, जयमाणो परिबए। चरियाए अप्पमत्तो, पुट्ठो तत्वाऽहियासए॥६॥ हम्ममाणो ण कुप्पेज, वुबमाणो न संजले । सुमणे अहियामिजा, ण य कोलाहलं करे॥७॥लदे कामेण पत्येजा, त्रिवेगे एवमाहिए। आयरियाई सिक्खेजा, बुदाणं अंतिए सया ॥८॥ सुस्स्समाणो उवासेजा, सुप्पनं मुतवस्सियं । बीरा जे अत्तपन्नेसी, चितिमन्ता जिइंदिया ॥९॥ गिहे दीवमपासंता, पुरिसादाणिया नरा। ते वीरा पंधणुम्मुका, नावखंति जीवियं ॥५७०॥ अगिढे सरफासेम, आरंभेम् अणिस्सिए । स तं समयातीतं, जमेतं लवियं बह ॥१॥ अहमाणं च मायं च.तं परिष्णाय पंडिए। गारवाणि च सवाणि, णिशाणं संधए ४६ सूत्रकृतांग - meerud-S मुनि दीपरत्नसागर 784AGSPIGAROPOMEPRABIPEARSHGRAPHRARIPONSPIRANSPONSP848YEHACHILASPREARRIPRANSPIRISROPTIOARDPECIAASPL Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मुणी ॥२॥ तिमि, धर्माध्ययनं ९॥ आघं मईम मणुवीय धर्म, अंजू समाहिं तमिणं सुणेह। अपडिन भिक्खू उ समाहिपत्ते, अणियाण भूतेसु परिवएजा ॥३॥ उड्ढं अहेयं तिरियं दिसासु, तसा य जे थावर जे य पाणा। हत्थेहि पाएहि व संजमित्ता, अदिनमनेसु य णो गहेजा ॥४॥ सुयक्खायधम्मे वितिगिच्छतिण्णे, लाढे चरे आयतुले पयासु। आयं न कुज्जा इह जीवियट्टी, चयं न कुजा सुतवस्सि भिक्खू ॥५॥ सक्विंदियाभिनिव्वुड़े पयासु, चरे मुणी सबतो विप्पमुक्के। पासाहि पाणे य पुढोवि सत्ते, दुखेण अट्टे परितप्पमाणे ॥६॥ एतेसु वाले य (एवं तु पा०) पकुवमाणे, आवटुती (आउद्दति पा०) कम्मसु पावएसु । अविवायतो कीरति पावकम्म, निउंजमाणे उ करेइ कम्मं ॥७॥ आदीणवित्तीव करेति पावं, (आदीण भूईवि करेति पाकं पा०), मंता उएगंतसमाहिमाहु । बुद्धे समाहीय रते विवेगे, पाणातिवाता विरते ठियप्पा (ठियची पा०)॥८॥ सर्व जगं तू समयाणुपेही, पियमप्पियं कस्सह णो करेजा। उट्टाय दीणो य पुणो विसन्नो, संपूर्ण चेव सिलोयकामी ॥९॥ आहाकडं चेव निकाममीणे, नियामचारी य विसपणमेसी । इत्थीसु सत्ते य पुढो य बाले, परिम्यहं चेव पकवमाणे॥४८०॥राणगिद्धे (आरंभसत्तो पा०)णिचयं करेति. इओ चुते स इह (प्र० से दुह मट्टद्गं । तम्हा उ मेधावि समिक्ख धम्म, चरे मणी सबउ विप्प-5 मुक्के ॥१॥ आय (छंदं पा०) ण कुजा इह जीवियट्टी, असजमाणो य परित्रएजा। णिसम्मभासी य विणीय गिदि, हिंसनियं वाण कई करेजा ॥२॥ आहाकडं या ण णिकामएज्जा, णिकामयंते यण संथवेजा। धुणे उरालं अणुवेहमाणे, चिच्चाण सोयं अणवेक्खमाणो ॥३॥ एगत्तमेयं अभिपत्थएजा, एवं पमोक्खो न मुसंति पासं । एसप्पमोक्खो अमुसे वरेवि, अकोहणे सच्चरते तवस्सी ॥४॥ इत्थीसु या आरय मेहुणाओ, परिग्गरं चैव अकुश्वमाणे । उच्चावएK विसएसु ताई, निस्संसयं भिक्खु समाहिपत्ते ॥५॥ अरई रइंच अभिभूय भिक्खू, तणाइफासं तह सीयफास । उहं च दंसं चाहियासएज्जा, सुभि व दुभि व तितिक्खएजा ॥६॥ गुत्तो वईए य समाहिपत्तो, लेसं समाहट्ठ परिखएज्जा । गिह न छाए णवि छायएजा. सामस्सभावं पयह पयासु॥७॥जे के लोगमि उ अकिरियआया. अनेण पट्टाधयमादिसति । आरंभसत्ता गढिता य लोए, धम्म ण जाणति विमुक्खहे ।।दा पुढो य उंदा इहा माणवा उ, किरियाकिरियं च पुढो य वायं । जायस्स बालस्स पकुछ देहं (जायाण बालस्स पगम्भणाए पा०), पवड्ढती वेरमसंजतस्स ॥९॥ आउक्खयं चेव अबुज्झमाणे, ममाति से साहसकारि मंदे। अहोय राओ परितप्पमाणे, अहेसु मूढे अजरामरेछ॥४९॥ जहाहि वित्तं पसबो य सवं, जे बंधवा जेय पिया य मित्ता। लालप्पती सेऽविय (गंधमुर्वेति पा०)एइ मोहं,अन्ने जणा तसि हरति वित्तं ॥१॥सीह जहा खुइमिगा परंता, दूरे चरंती परिसंकमाणा। एवं तु मेहावी समिक्ख धम्म, दूरेण पावं परिवजएजा ॥शा संघुज्झमाणे उणरे मतीमं, पाचाउ अप्पाण निवट्टएजा। हिंसप्पसयाई दहाई मत्ता, वेराणपंधीणि महम्मयाणि (णिवाणभूते य परिवएज्जा चू०)॥३॥ मुसं न चूया मुणि अत्तगामी, णिवाणमेयं कसिणं समाहि। सयं न कुज्जा | न य कारवेज्जा, करंतमन्नंपियणाणुजाणे॥४॥सुदे सिया जाए न दूसएजा, अमुच्छिए ण य अज्झोववन्ने। धितिमं विमुक्केण य प्यणट्टी,न सिलोयगामीय परिवएजा॥५॥ निकखम्म गेहाउ निरावकखी, कार्य विउस्सेज नियाणछिन्ने। णो जीवियं णो मरणाभिकंखी, चरेज भिक्खू बलया विमुके ॥६॥ तिबेमि, समाध्यध्ययनं १०॥कयरे मग्गे अक्खाए, माहणेणं मईमता?। जं मग्गं उजु पावित्ता, ओहं तरति दुत्तरं ॥७॥तं मग्गं णुत्तरं सुद्धं, सबदुखविमोक्खणं । जाणासि णं जहा भिक्खू !, तंणो पूहि महामुणी!11८जइ णो केद्र पुच्छिज्जा, देवा अदुव माणुसा। तेसि तु कयरं मम्गं, आइकखेज ? कहाहि णो॥९॥ जइ वो केइ पुच्छिज्जा, देवा अदुव माणुसा। तेसिम पडिसाहिज्जा, मम्गसारं सुह मे (तेसि तु इमं मम्गं, आइखेज सुणेह मे पा०)॥५००॥ अणुपुत्वेण महाघोरं, कासवेण पवेइयं। जमादाय इओ पुष्वं, समुदं ववहारिणो ॥१॥ अतरिंसु तरंतेगे, वरिस्संति अणागया। तं सोचा पडिवखामि, जंतवो तं सुणेह मे॥२॥ पुढवीजीवा पुढो सत्ता, आउजीवा तहाऽगणी। बाउजीवा पुढो सत्ता, तणरुक्खा सवीयगा ॥३॥ अहावरा तसा पाणा, एवं छकाय आहिया। एतावए (प्र० इत्ताव एव) जीवकाए, णावरे कोइ विजई (नावरे विज्जती काए पा०)॥४॥ सवाहि अणुजुत्तीहि, मतिमं पडिलेहिया। सब्वे अकंतदुक्खा य, अतो सत्वे न हिंसया ॥५॥ एवं सु णाणिणो सारं, जं न हिंसति कंचण । अहिंसा समयं चेव, एतावंतं विजाणिया ॥६॥ उड्ढे अहे य तिरियं, जे केइ तसथावरा। सवत्थ विरतिं विजा, संति निवाणमाहियं ॥७॥पभू दोसे निराकिचा (प्र.निरिक्खित्ता),ण विरुजोज केणई। मणसा वयसा चेव, कायसा चेव अंतसो॥८॥ संखुडे से महापने, धीरे दत्तेसणं चरे। एसणासमिए णिचं, वज्जयंते अणेसणं ॥९॥ भूयाई च समारंभ, तमुहिस्सा (प्र० भूयाई समारंभ, समुदिस्सा) यजं कडं । तारिसं तु ण गिण्डेजा, अन्नपाणं सुसंजए ॥५१०॥ पूईकम्मं न सेविजा, एस धम्मे बुसीमओ। जंकिंचि अभिकंखेज्जा, सबसो तं न कप्पए ॥१॥हणतं णाणुजाणेज्जा, आयगुत्ते जिइंदिए । ठाणाई संति सड्ढीणं, गामेसु नगरेसु वा ॥२॥ तहा गिरं समारम्भ, अस्थि पुण्णंति णो वए। अहवा णस्थि पुण्णंति, एवमेयं महन्मयं ॥३॥ दाणट्ठया य जे पाणा, हम्मति तसथावरा । तेसिं सारक्खणट्ठाए, तम्हा अस्थिति णो वए ॥४॥ जेसिं तं उवकप्पंति, अन्नपाणं ४७ सूत्रकृतांगं- अजसमा १ मुनि दीपरत्नसागर RAKE0984182908603390%84999368845842898999-2006SADNEESARK998481000% Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नहाविहं । तसिं लाभतरायंति, तम्हा णस्थिति णो पए ॥५॥ जे य दाणं पसंसंति, वहमिच्छति पाणिणं । जे य णं पडिसहंति, वित्तिय करसित ॥ ६ ॥ दहआधि ते ण भासंति, अस्थि वा नस्थि वा पणो। आयं स्यस्स हेचाणं, निवाणं पाउणंति ते ॥ ७॥ निष्वाणं परमं बुद्धा, णक्खत्ताण व चंदिमा। तम्हा सदाजए दंत, निवाणं संधए मुणी ॥८॥ वज्झमाणाण पाणाणं, किचंताण सकम्मणा। आघाति साहु तं दीवं, पतिढेसा पच्चई ॥९॥ आयगुत्ते सयादते, छिन्नसोए अणासवे । जे धम्म सुद्धमक्खाति, पडिपुनमणेलिसं ॥५२०॥ तमेव अविजाणंता, अचुद्धा बुद्धमाणिणो। पुद्धा मोत्ति य मन्नता, अंते एते समाहिए॥१॥ ते य बीओदगं चेब, तमुहिस्सा य जे कडं। भोचा झाणं झियायंति, अवेयन्नाऽसमाहिया॥२॥ जहा डंका य कंका य, कुलला मग्गुका सिही। मच्छेसणं झियायंति, झाणं ते कलुसाधर्म ॥३॥ एवं तु समणा एगे, मिच्छदिट्टी अणारिया। विसएसणं झियायंति, कंका वा कलसाहमा ॥४॥ सुद्धं मग्गं विराहित्ता, इहमेगे उ दुम्मती। उम्मग्ग(ग्गेण)गता दुक्खं, घाय(प्र० घन्त)मेसंतितंतहा ॥५॥ जहा आसाविणिं नावं, जाइअंधो दुरूहिया। इच्छई पारमागंतुं. अंतरा य विसीयति ॥६॥ एवं तु समणा एगे, मिच्छहिट्ठी अणारिया। सोयं कसिणमावन्ना, आगंतारो महब्भयं ॥७॥ इमं च धम्ममादाय, कासवेण पवेदितं । तरे सोयं महाघोरं. अत्तत्ताए परिवए (कुज्जा भिक्खू गिलाणस्स, अगिलाए समाहिए पा०)॥८॥ विरए गामधम्मेहिं, जे केई जगई जगा । तेसि अत्तुवमायाए. थाम कुवं परिवए॥९॥ अइमाणं च मायं च. तं परित्राय पडिए । सत्रमेयं णिराकिच्चा, णिवाणं संधए मुणी ॥५३० ॥ संधए (सदहे पा०) साहुधम्म च, पावधम्मं णिराकरे। उपहाणवीरिए भिक्खू, कोई माणं ण पत्याए (प्रच पजए)॥१॥ जे य वृद्धा अतिकता, जे य बुद्धा अणागया। संति तेसि पइट्ठाण, भूयाणं जगतीजहा॥२॥ अह(ह)णं व(भ)यमावन्नं, फासा उच्चावया फुसे । ण नेसु विणिपणजा, वारण व कहागिरी ॥३॥ संवुड से महापन्ने, धीरे (बुद्धे) दत्तेसणं चरे। निबुडे कालमाकंखी, एवं (य) केवलिणो मयं ॥४॥ तिमि, मोक्षमार्गाध्ययनं ११॥ चत्तारि समोसरणाणिमाणि, पाबाया जाई पढो वयंति । किरियं अकिरियं विणियंति तइयं, अन्नाणमासु चउत्थमेव ॥५॥ अण्णाणिया ता कुसलावि संता, असंधूया णो वितिगिच्छतिन्ना। अकाविया आहु अकावियहि. अकावियत्ते), अणाणुवीइत्तु मुसं वयंति ॥६॥ सच्चं असचं इति चिंतयंता, असाहु साहुत्ति उदाहरंता । जेमे जणा वेणइया अणेगे, पुट्ठावि भाव विणइंसु णाम ।। । अणावसंखा इति + उदाह. अ8 स ओभासइ अम्ह एवं। लवावसंकी य अणागएहिं, णो किरियमाइंसु अकिरियवादी॥८॥ सम्मिस्सभावं च गिरा गहीए. से मुम्मुई होइ अणाणुवाई । इमं दुपाखं इममंगपक्वं, आहंसु छलायतणं च कम्मं ॥९॥ ते एवमक्खंति अचुज्झमाणा, विरुवरुवाणि अकिरियवाई । जे मायइत्ता बहवे मणूसा, भमंति संसारमणोवदम् ॥५१॥ णाइचा उएड ण अत्यमेति, ण चंदिमा वहति हायती वा। सलिला ण संदंति ण बंति वाया, बंझो णियतो (प्र. वज्झे ण एते) कसिणे ह लोए॥१॥ जहाहि अंधे सह जोतिणावि, रुवाई णा पस्सति होणणेत्ते । संतंपि ते एवमकिरियवाई, किरियं ण पस्संति निरुवपन्ना ॥२॥ संवच्छरं सुविणं लक्खणं च, निमित्तदेहं च उप्पाइयं च। अटुंगमेयं चहवे अहिना, लांगंसि जाणंति अणागताई ॥३॥ केई निमित्ता तहिया भवंति, केसिंचि तं विपडिएति णाणं(प्र० माणं)। ते विजभावं अणहिजमाणा, आहंसु विजापरिमोक्खमेव (जाणामु लोगसि वयंति मंदा पा.)॥४॥ ते एवमक्खंति समिच लोग, तहा तहा (गया १०)समणा माणा य। सयं कडं णऽनकडं च दुक्ख, आईसु विजाचरणं पमोक्खं ॥५॥ ते चक्खु लोगंमिह णायगा पयाणं। तहा तहा सासयमाहु लोए, जंसी पया माणव ! संपगाढा ॥६॥ जे रक्खसा बा जमलोइया बा, जे वा सुरा गंधवाय काया। आगासगामी य पढोसिया ज. पुणो पूणो विपग्यिामुवेति ॥ ७॥ जमाहु आहं सलिलं अपारगं, जाणाहि णं भवगहणं दुमोक्खं । जंसी विसन्ना विसयंगणाहि. दुहओऽवि लोयं अणुसंचरंति ॥८॥ न कम्मुणा कम्म बचंति बाला, अकम्मणा कम्म खति धीरा। मेधाविणो लोभमयावतीता, संतोसिणो नो पकरेंति पाचं(संतोसिणो लोभभयावतीता पा०)॥९॥ते तीयउत्पन्नमणागयाई, लोगस्म हागयाई। णतारा अनसिं अणनणया, बुद्धा हुत अंतकडा भवति ॥५५०॥ ते णेव कुवंतिण कारखंति, भताहिसंकाइ दुगंछमाणा। सयाजता विप्पणमंति धीरा, विष्णत्ति (ण्णाय) धीरा य हवंति एगे॥१॥ उहरे य पाणे वुड्ढे य पाणे, ते आत्तओ (तुड़ए) पासइ सञ्बलोए। उबेहती लोगमिणं महतं, पुखेऽपमत्तेसु परिवएजा ॥२॥ जे आयओ परओ बावि णचा, अलमप्पणी होति अलं परेसिं। तं जोइभूतं च सया वसेजा, जे पाउकुजा अणुवीति धम्मं ॥३॥ अत्ताण जो जाणति जो य लोग, गई च जो जाणइ णागई च। जो सासर्य जाण | असासयं च, जाति(च) मरणं च जणोववायं ॥४॥ अहोऽवि सत्ताण विउद्दणं च, जो आसवं जाणति संवरं च । दुक्खं च जो जाणति निजरं च, सो भासिउमरिहइ किरियवादं॥५॥ | सहमु रूबसु अमज्जमाणो, गंधेमु रसेमु अदुस्समाणे। णो जीवितं णो मरणाहिकखी, आयाणगुत्ते वलया विमुके॥६॥ त्तिवेमि, समवसरणाध्ययनं १२॥ आहत्तहीयं तु पवेयइस्सं, नाणप्पकारं पुरिमस्स जानं। सओ अ धम्म असओ असीलं, संतिं असंति करिसामि पाउं ॥७॥ अहो य राओ अ समुट्टिएहि, तहागएहिं पडिलम्भ धम्म। समाहिमाघातमजोसयंता, सत्यारमेवं फरस वयंति॥८॥विसोहियं दे अणुकाहयंते, जे आतभावेण वियागरेजा। अट्ठाणिए होइ बहुगुणाण, जे णाणसंकाइ मसं वदेजा॥९॥जे यावि पुट्ठा पलिउंचयंति, (१२) १८ सूत्रतांग- अन्याय-१३ मुनि दीपरनसागर Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ आयाणमहं खलु वंचयित्ता (यन्ति)। असाहुणो ते इह साहुमाणी, मायण्णि एसंति अनंतघातं (प्र० घंतं ) ॥ ५६० ॥ जे कोहणे होइ जगद्वभार्सी, विओसियं जे उ उदीरएजा । अंधे व से दंडपहं गहाय, अविओसिए धासति पावकम्मी ॥ १ ॥ जे विग्गहीए अन्नायभासी, न से समे होइ अझंझपत्ते। उ (ओ) वायकारी य हरीमणे य, एगंतदिट्टी (एगंतसड्डी पा०) य अमाइरूवे ॥ २ ॥ से पेसले सहुमे पुरिसजाए, जबन्निए चेव सुउज्जुयारे बहुंपि अणुसासिए जे तहच्चा, समे हु से होइ अझंझपत्ते ॥ ३ ॥ जे आवि अप्पं वसुमति मत्ता, संखाय वायं अपरिक्ख कुज्जा । तवेण वाऽहं सहिउत्ति मत्ता, अण्णं जणं पस्सति त्रिंबभूयं ॥ ४ ॥ एगंतकूडेण उ से पलेइ, ण विज्जती मोणपर्यंसि गोते जे माणणट्टेण विउक्कसेज्जा, वसुमनतरेण अबुज्झमाणे ॥ ५ ॥ जो माहणो खत्तियजायए वा, तहुग्गपुत्ते तह लेच्छई वा । जो पवईए परदत्तभोई, गोते ण जे धन्मति(धंभति) माणचद्धे ॥ ६ ॥ न तस्स जाई व कुलं व ताणं णष्णत्थ विज्ञाचरणं सुचिण्णं णिक्खम्म से सेवइऽगारिकम्मं (प्र० मग्गं), ण से पारए होइ विमोयणाए ॥७॥ णिकिंचणे भिक्खु सुलूहजीवी, जे गारवं होइ सलोगगामी आजीवमेयं तु अबुज्झमाणो, पुणो पुणो विप्परियासुर्वेति ॥ ८ ॥ जे भासवं भिक्खु सुसाहुबादी, पडिहाणवं होइ बिसारए य। आगाढपण्णे सुविभावियप्पा, अन्नं जणं पन्नया (प्र० पन्नसा ) परिहवेना ॥ ९॥ एवंण से होइ समाहिपत्ते, जे पन्नवं भिक्खु विउकसेज्जा । अहवाऽवि जे ला (प्र० लो) भमयावलित्ते, अन्नं जणं खिसति वालपन्ने ॥ ५७० ॥ पन्नामयं चैव तवोमयं च. णिन्नामए गोयमयं च भिक्खू । आजीवगं चैव चउत्थमाहु, से पंडिए उत्तमपोग्गले से ॥ १ ॥ एयाई मयाई विगिंच धीरा, ण ताणि सेवंति सुधीरधम्मा । ते गत्वा महेसी, उच्च अगोत्तं च गतिं वयंति ॥ २ ॥ भिक्खू मुयचे तह (प्र० सूय) दिट्टधम्मे, गामं च नगरं च अणुपविस्सा से एसणं जाणमणेसणं च अन्नस्स पाणस्स अणाणुगिदे ॥ ३ ॥ अरतिं रतिं च अभिभूय भिक्खू, बहुजणे वा तह एगचारी एगंतमोणेण वियागरेजा, एगस्स जंतो गतिरागती य ॥ ४ ॥ सयं समेच्चा अदुवाऽचि सोचा, भासेज धम्मं हिययं पयाणं । जे गहिया सणियाणष्पजोगा, ण ताणि सेवंति सुधीरधम्मा ॥ ५ ॥ केसिंचि तक्काइ अबुज्झ भावं, खुद्दपि गच्छेज असदहाणे। आउस्स कालाइयारं बघाए, उद्धाणुमाणे य परेसु अट्टे ॥ ६ ॥ कम्मं च छंदं च विगिंच धीरे, विणइज्ज उ सबओ आय (प्र० सुबओ, हा, पाय० ) भावं । रूवेहि लुप्पंति भयावहेहिं विज्जं गहाया तसथावरेहिं ॥ ७॥ न पूयणं चैव सिलोयकामी, पियमप्पियं कस्सइ णो करेजा। सजे अणट्टे परिवज्जयंते, अणाउले या अक्साइ भिक्खू ॥ ८॥ आहत्तहीयं समुपेहमाणे, सवेहिं पाणेहिं विहाय दंडं णो जीवियं णो मरणाहिकंखी, परिवज्जा वलया विमुके ॥ ९ ॥ त्तिषेमि, याथातथ्याध्ययनं १३ ॥ गंथं विहाय इह सिक्खमाणो, उट्ठाय सुबंभचेरं वसेज्जा ओवायकारी विषयं सुसिक्खे, जे छेए विप्पमायं न कुजा ॥ ५८० ॥ जहा दियापोतमपत्तजातं, सावासमा पविडं मन्त्रमाणं । तमचाइयं तरुणमपत्तजातं ढंकाइ अवत्तगमं हरेज्जा ॥ १ ॥ एवं तु सेहंपि अपुट्टधम्मं, निस्सारियं बुसिमं मन्त्रमाणा । दियस्स छायं व अपत्तजायं, हरिसु णं पावधम्मा अणेगे ॥ २ ॥ ओसाणमिच्छे मणुए समाहिं, अणोसिए गंतकरिति णच्चा । ओभासमाणे दवियस्स वित्तं, ण णिकसे बहिया आसुपन्नो ॥ ३ ॥ जे ठाणओ य सयणासणे य, परकमे यात्रि सुसाहुजुत्ते। समितीस गुत्तीस य आयपन्ने, वियागरिते य पुढो वएज्जा ॥ ४ ॥ सदाणि सोब्चा अदु भेरवाणि, अणासत्रे तेसु परिवज्जा । निदं च भिक्खू न पमाय कुज्जा, कहंकहं वा वितिमिच्छति ॥ ५ ॥ डहरेण बुडेणऽणुसासिए उ. रातिणिएणावि समग्रएणं सम्मं तयं ( समंतगं पा० ) थिरता गाभिगच्छेणित वावि अपारए से ॥ ६ ॥ विउद्वितेणं समयाणुसिद्धे, डहरेण बुड्ढेण उ चोइए य (प्र० सु) अच्चु (प्र० अच्भु) ट्टियाए घडदासिए वा अगारिणं वा समयाणुसिडे ॥ ७ ॥ ण तेसु कुज्झे ण य पवज्जा, ण यावि किंची फरुसं वदेज्जा तहा करिस्संति पडिस्सुणेज्जा, सेयं खु मेयं ण पमाय कुजा ॥८॥ वर्णसि मूढस्स जहा अमूढा, मग्गाणुसासंति हितं पयाणं । तेणेव (तणावि) मज्झं इणमेव सेयं, जं मे बुहा समणुसासयति ॥९॥ अहा तेण मूढेण अमूढगरस, कायव पूया सविसेसजुत्ता । एओवमं तत्थ उदाहु वीरे, अणुगम्म अत्थं उवणेति सम्मं ॥ ५९० ॥ णेता जहा अंधकारंसि राओ, मग्गं ण जाणाति अपस्समाणे से सुरिअस्स अन्भुग्गमेणं, मग्गं वियाणाइ पगासियंसि ॥ १ ॥ एवं तु सेहेवि अपुट्टधम्मे, धम्मं न जाणाइ अनुज्झमाणे । से कोविए जिणवयणेण पच्छा, सूरोदए पासति चक्खुणेव ॥ २ ॥ उद्धं अहेयं तिरियं दिसासु, तसा य जे थावर जे य पाणा सयाजए तेसु परिष्वजा, मणप्पओसं अविकंपमाण ॥३॥ कालेण पुच्छे समियं पयासु, आइक्खमाणो दवियस्स वित्तं । तं सोयकारी (य) पुढो पवेसे, संखा इमं केवलियं समाहिं ॥४॥ अस्सि सुठिचा तिविहेण तायी, एएस या संति निरोहमाहु। ते एवमक्खति तिलोगदंसी, ण भुजभयंति पमायसंगं ॥ ५ ॥ निसम्म से भिक्खु समीहिय, पडिभाणवं होइ विसारए य आयाणअट्टी बोदाणमोणं, उवेच्च सु(प्र०मु) देण उवेति मोक्खं (सुट्टेण न उबेइ मारं पा० ) ॥ ६ ॥ संखाइ धम्मं च वियागरंति, बुद्धा हु ते अंतकरा भवंति। ते पारगा दोहवि मोयणाए, संसोधितं पण्डमुदाहरति ॥ ७॥ णो छायए णोऽविय लसएज्जा, माणं ण सेवेज्ज पगासणं च । ण यावि पन्ने परिहास कुज्जा, ण याऽऽसियावाय वियागरेज्जा ॥ ८ ॥ भूताभिसंकाइ दुगुंछमाणे, ण विहे मंतपदेण गोयं । ण किंचि ४९. सूत्रांगं अय- १४ मुनि दीपरत्नसागर Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 143184438920443984914438939 K89242852048222989222031450954520399/42183/42ONARY3-4201022382ORSKOR58488429649300453434 मिच्छे मणुए पयासु, असाहुधम्माणि ण संवएज्जा ॥९॥हासपि णो संधति पावधम्मे, ओए तहीयं फरसं वियाणे । णो तुच्छए णो य विकंथइजा, अणाइले या अकसाइ भिक्खू ॥६०७॥ संकेज याऽसंकितभाव भिक्खू, विभजवायं च वियागरेज्जा। भासायं धम्मसमुट्टितेहि, वियागरेजा समया सुपने ॥१॥अणुगच्छमाणे वितहं विजाणे, तहा तहा साहु अकरासेणं । ण कत्थई भास विहिसइज्जा, निरुद्धगं वावि न दीहइजा॥२॥समालवेज्जा पडिपुनमासी, निसामिया समियाअट्ठदंसी। आणाइ सुद्धं वयणं भिउंजे, अभिसंधए पावविवंग भिक्खू ॥३॥ अहावुझ्याई सुसिक्खएजा, जइज्जया णातिवेलं वदेजा। से दिहिमं दिट्टिण लसएजा, से जाणई भासिडं तं समाहि ॥४॥ अलूसए णो पच्छन्नमासी, णो सुत्तमत्थं च करेज ताई । सत्थारभत्ती अणुवीइ वायं, सुयं च सम्म पडिवाययंति (प० येज्जा) ॥५॥से सुद्धसुत्ते उक्हाणवं च, धम्मं च जे विंदति तत्थ तत्था आदेजवके कुसले वियत्ते, स अरिहइ भासिउं तं समाहि ॥ ६॥ तिवेमि, ग्रन्थाध्ययनं १४॥ जमतीतं पडुप्पन्नं, आगमिस्सं च णायओ। सवं मन्नति तं ताई, दंसणावरणंतए॥७॥ अंतए वितिगिच्छाए, से जाणति अणेलिस। अणेलिसस्स अक्खाया, ण से होइ तहिं तहिं ॥८॥ तहिं तहिं सुयक्खायं, से य सच्चे सुआहिए। सया सञ्चेण संपन्ने, मित्तिं भूएहिं कप्पए ॥९॥ भूएहिं न विरुझेजा, एस धम्मे वसीमओ। सिमं जगं परिन्नाय, अस्सि जीविवभावणा॥६१०॥ भावणाजोगसुद्धप्पा, जले णावा व आहिया। नावा व तीरसंपन्ना, सवदुक्खा तिउहई ॥१॥तिउद्दई उमेधावी, जाणं लोगंसि पावगं । तुटुंति पावकम्माणि, नवं कम्ममकुछओ॥२॥अकुचओ णवं णत्थि, कम्मं नाम विजाणइ।विन्नाय (प्र० णच्चाण) से महावीरे, जेण जाई ण मिजई ॥३॥ण मिजई महावीरे, जस्स नस्थि पुरेकडं । वाउच जालमच्चेति, पिया लोगसि इत्यिओ ॥४॥ इथिओ जे ण सेवंति, आइमोक्खा हु ते जणा। ते जणा बंधणुम्मुक्का, नावकखति जीवियं ॥५॥ जीवितं पिट्टओ किच्चा, अंवं पावंति कम्मुणा । कम्मुणा समुहीभूता, जे मगमणुसासई ॥६॥ अणुसासणं पुढो पाणी, वसुमं पूयणासु(स)ते। अणासए जते (वे सया चू०) दंते, दढे आरयमेहणे ॥७॥णीवारे व ण लीएजा, छिन्नसोए अणाविले । अणाइले सया दंते, संधि पत्ते अणेलिस ॥८॥ अणेलिसस्स सेयने, ण विज्झिज्ज केणइ । मणसा क्यसा चेव, कायसा चेव चक्खुमं ॥९॥ से हु चक्खू मणुस्साणं, जे कंखाए य अंतए। अंतेण खुरो वहती, चक्कं अंतेण लोढती॥६२०॥ अंताणि धीरा सेवंति, तेण अंतकरा इह । इह माणुस्सए ठाणे, धम्ममाराहिउंणरा॥१॥ णिट्टियट्ठा व देवा वा, उत्तरीए इयं सुर्य । सुयं च मेयमेगेसि (प० हिं), अमणुस्सेसुणो तहा॥२॥अंतं करंति दुक्खाणं, इहमेगेसिं आहियं। आघायं पुण एगेसि, दुलभेऽयं समुस्सए॥३॥ इओ विद्धसमाणस्स, पुणो संबोहि दुहभा। दुलहाओ तहचाओ, जे धम्मटुं वियागरे ॥४॥ जे धम्म सुद्धमक्खंति, पडिपुन्नमणेलिस। अणेलिसस्स जं ठाणं, तस्स जम्मकहा कओ? ॥५॥ कओ कयाइ मेधावी. उप्पजति तहागया। वहागया अप्पडिन्ना, चक्खू लोगस्सऽणत्तरा॥६॥अणत्तरेय ठाणे से (मय), कासवण पवेदिते। जं किच्चा णिडुडा एगे, निढे पावंति पंडिया | पंडिए वीरियं लबूं, निग्घायाय पवत्तगं । धुणे पुवकडं कम्म, णवं वाऽवि ण कुवती ॥८॥ण कुवती महावीरे, अणुपुत्रकडं रयं । रयसा कम्मं हेवाण जं मयं॥५॥ मयं सवसाहर्ण,तं मयं सलगत्तणं । साहइत्ताण तं विन्ना, देवा वा अभविसु ते॥६३०॥ अभविंसु पुरा धी(बी)रा, आगमिस्मावि सुखता। दुन्निबोहस्स मम्गस्स, अंत पाउकरा तिने ॥ ६३१॥ त्तिबेमि, आदानीयाध्ययनं १५॥ अहाह भगवं-एवं (से.) दंते दविए बोसट्टकाएत्ति वा १ समणेत्ति वा २ भिक्खूत्ति बा ३ णिग्गंथेत्ति वा ४ । पडिआह-भंते ! कहं नु दंते दविए पोसट्ठकाएत्ति वचे माहणेत्ति वा समणेत्ति वा भित्ति वा णिग्गंथेत्ति वा ? तं नो वृहि महामुणी!, इविविरए सबपावकम्मेहि पिज्जदोमकलह अभक्खाण पेसुन्नः परपरिवाय० अरतिरति० मायामोस० मिच्छादसणसविरए समिए सहिए सयाजए णो कुज्झे णो माणी माहणेत्ति बचे १, एत्थवि समणे अणिस्सिए अणियाणे आदाणं च अतिवायं च मुसावायं च बहिदं च कोहं च माणं च मायं च लोहं च पिज्जं च दोसं च इवेव जओ जओ आदाणं अप्पणो पदोसहेऊ तओ तओ आदाणातो पुवं पडिविरते विरए पाणातिवायाओ सिआ दंते दविए वोसट्टकाए समणेत्ति वच्चे २, एत्थवि भिक्खू अणुनए विणीए नामए दंते दविए बोसट्टकाए संविधुणीय विरूवरूवे परीसहोवसम्गे अज्झप्पजोगसुद्धादाणे उवट्टिए ठिअप्पा संखाए परदत्तभोई भिक्खूत्ति वचे ३, एत्थवि णिग्गंधे एगे एगविऊ बुद्धे संछिन्नसोए सुसंजते सुसमिते सुसामाइए आयवायपत्ते विऊ दुहओवि सोयपलिच्छिन्ने णो प्रयासकारलाभट्ठी धम्मट्ठी धम्मविऊ णियागपडिवन्ने समि(म)यं चरे दंते दविए पोसट्टकाए निग्गंथेत्ति बये ४, से एवमेव जाणह जमहं भयंतारो ॥ स०१॥ तिमि, गाथाध्ययनं १६॥ प्रथमः श्रुतस्कन्धः॥ध मा सुयं मे आउसंतेणं भगवया एवमक्खायं-इह खलु पोंडरीए णामज्झयणे, तस्स णं अयम? पण्णने-से जहाणामएं पुक्खरिणी सिया बहुउदगा बहुसेया बहुपुक्खला लट्ठा पुंडरीकिणी पासादीया दरिसणीया अभिरुवा पडिरूवा, तीसे णं पुक्खरिणीए नत्थ तत्थ देसे देसे तहिं तहिं बहवे पउमवरपॉडरीया युद्दया, अणुपुबुडिया ऊसिया रुइला वण्णमंता गंधमंता रसमंता फासमंता पासादीया दरिसणीया अभिरूवा पडिरूवा, तीसे णं पुस्खरिणीए बहुमज्झ५० मुत्रांग- अल-? मुनि दीपरत्नसागर 0 53453928431849TAAS99849103431843423648399321433439840 Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ AGRAMITABHANNOINSAAORAE39214284RAANRAADAK314302262HBARBARICIARY 254403 | देसभाए एगे महं पउमवरपोंडरीए बुइए, अणुपुट्टिए उस्सिते रुइले वनमंते गंधमते रसमंते फासमंते पासादीए जाव पडिरूवे, सब्वावंति च णं तीसे पुक्खरिणीए नत्य तत्थ देसे देसे तहिं तहिं बहवे पठमवरपॉडरीया बुइया अणुपुबुट्टिया ऊसिया रुइला जाव पडिरूवा, सव्वावंति च णं तीसे णं पुक्खरिणीए बहुमज्झदेसभाए एगं महं पउमवरपॉडगए चुइए अणुपु बुट्टिए जाव पडिरूवे॥२॥ अह पुरिसे पुरिस्थिमाओ दिसाओ आगम्म तं पुक्खरिणी तीसे पुकखरिणीए तीरे ठिच्चा पामति तं महं एग पउमवरपोंडरीय अणुपुबुट्टियं ऊसियं जाव पडिरूवातए णं से पुरिसे एवं बयासी-अहमंसि पुरिसे खेयन्ने कुसले पंडितेषियत्ते मेहावी अबाले मम्मत्थे मग्गविऊ मम्गस्स गतिपरकमण्ण अहमेयं पउमवरपोंडरीयं उत्रिकिखविस्सामित्तिकटु इति चुया (प० बुधा) से पुरिसे अभिकमेति तं पुक्खरिणी, जावं जावं चणं अभिकमेइ तावं तावं च णं महंते उदए महंते सेए पहीणे तीरं अपत्ते पउमवरपॉडीयं णो हवाण जो पाराए, अंतरा पोक्खरिणीए सेयंसि निसणे, पढमे परिसजाए ! ॥३॥ अहावरे दोचे परिसजाए, अह परिसे दक्षिणाओ दिसाओ ठिचा पासति तं महं (म० महन्तं) एग पउमरपोंडरीयं अणुपुबुट्टियं पासादीयं जाव पडिरूवे, संघ एत्थ एगं पुरिमजातं पासति पहीणतीरं अपत्तपउमवरपोंडरीयं णो हव्वाए णो पाराए अंतरा पोकस्वरिणीए सेयंसि णिसन्नं, तए णं से पुरिसे एवं वयासी-अहो णं इमे (म० अयं) पुरिसे अखेयचे अकुसले अपंडिए अवियत्ते अमेहावी वाले णो मम्मन्थे णो मरगविऊ णो मग्गस्स गतिपरकमण्णू जनं एस पुरिसे, अहं खेयने कुसले जाव पउमवरपॉडरीयं उमिक्खिविस्सामि, णोय खलु एवं पउमवरपॉडरीयं एवं उनिक्खेवियश्वं जहा णं एस पुरिसे मन्ने, अहमंसि पुरिसे खेयने कुसले पंडिए वियत्ते मेहावी अबाले मम्मत्थे मग्गविऊ मग्गस्स गतिपरक्कमण्णू अहमेयं फ्ठमवरपॉडरीयं उबिक्सिविस्सामित्तिक इति बुचा से पुरिसे अभिकमे तं पुक्खरिणि, जावं जावं च णं अभिक्कमेइ तावं ताचं च णं महंते उदए महंते सेए पहीणे तीरं अपत्ते परमवरपोंडरीयं णो हवाए णो पाराए अंतरा पोक्खरिणीए सेयंसि (म जाव)णिसन्ने दाचे परिसजाते ॥४॥ अहावरेतचे परिसजात, अह पुरिसे पच्चत्थिमाओ (एवं चत्तारिणयबा प्र०) दिसाओ आगम्मतं पुक्खरिण वीस पुक्खरिणीए तीर ठिच्चा पासतितं एग महं पउमवरपॉडरीय अणुपुबुट्टियं जाव पडिरूवं, ते तत्थ दोन्नि पुरिसजाते पासति पहीणे तीरं अपत्ते पउमवरपोंडरीय णो हव्वाए णो पाराए जाव सेयंसि णिसन्ने, तए णं से पुरिसे एवं वयासी- अहोणं इमे पुरिसा अखेयन्ना अकसला अपंडिया अवियत्ता अमेहावी चाला णो मम्गत्था णो मम्गविऊ णो मग्गस्स गतिपरकमण्णू, जंणं एते पुरिसा एवं मन्ने-अम्हे वरपाडराय अण्णक्सिविस्सामा, नाय खलएय पउमवरपाडराय एव उन्निक्खवतव जहाण एए पुरिसा मन्न, अहमास पुरिस खयन्न कुसल पढिए वियत्त महावी अवाले मगत्थे मग्गविऊ मम्गस्स गतिपरकमण अहमेयं पउमवरंपोंडरीयं उन्निक्खिविस्सामित्तिकट इति बुच्चा से परिसे अभिकमे तं पक्वरिणिं जावं जावं चणं अभिकमे तातावंचणं महंते उदए महंते सेए जाव अंतरा पोक्खरिणीए सेयंसि णिसन्ने, तच्चे पुरिसजाए ॥५॥ अहावरे चउत्थे पुरिसजाए, अह पुरिसे उत्तराओ दिसाओ आगम्म तं पुक्खरिणिं, तीसे पुक्खरिणीए तीरे ठिच्चा पासति तं महं एगं पउमवरपोंडरीयं अणुपुबुट्टियं जाव पडिरूवं ते तत्य तिन्नि पुरिसजाते पासति पहीणे तीरे अपत्ते जाव सेयंसि णिसन्ने, तए णं से पुरिसे एवं वयासी-अहो णं इमे पुरिसा अखेयन्ना जाव णो मग्गस्स गतिपरकमण्णू जपणं एते पुरिसा एवं मने-अम्हे एतं पउमवरपॉडरीयं उन्निक्खिविस्सामो णो य खलु एयं पउमवरपॉडरीयं एवं उन्निकखेवेयवं जहा णं एते पुरिसा मन्ने, अहमंसि पुरिसे खेयन्ने जाव मग्गस्स गतिपरकमण्णू, अहमेयं परमवरपॉडरीयं उन्निक्खिविस्सामित्तिकट्ठ इति वुच्चा से पुरिसे तं पुक्खरिणिं जावं जावं च णं अभिक्कमे तावं तावं च णं महते उदए महंते सेए जाव णिसन्ने, चउत्थे पुरिसजाए॥६॥ अह भिक्खू लूहे तीरट्ठी खेयन्ने जाव गतिपरकमण्ण अन्नतराओ दिसाओ वा अणुदिसाओ वा आगम्म तं पुक्खरिणिं तीसे पुक्खरिणीए तीरे ठिचा पासति तं महं एगं परमवरपॉडरीयं जाव पडिरूवं, ते तत्थ चत्तारि पुरिसजाए पासति पहीणे तीरं अपत्ते परमवरपॉडरीयं णो हवाए णो पाराए अंतरा पुक्खरिणीए सेयंसि णिसने (प० विसने), तए णं से भिक्खू एवं वयासी-अहोणं इमे पुरिसा ना जाव णो मग्गस्स गतिपरकमण्ण, जं एते परिसा एवं मन्ने अम्हे एवं पउमवरपोंडरीय उन्निक्खिविस्सामो, णो य खलएयं पउमवरपॉडरीयं एवं उन्निस्खेवेतवं जहाणं एते पुरिसा मन्ने, अहमंसि भिक्खू लूहे तीरट्ठी खेयन्ने जाव मग्गस्स गतिपरक्कमण्णू, अहमेयं पउमवरपॉडरीयं उण्णिक्खिविस्सामि(-त्तिकट्टू) इति वुच्चा से भिक्खू णो अभिक्कमे तं पुसरिणिं, तीसे पुक्खरिणीए तीरे ठिचा सदं कुजा-उप्पयाहि खलु भो पउमवरपोंडरीया! उपयाहि०, अह से उप्पतिते पउमवरपॉडरीए ॥७॥ किट्टिए नाए समणाउसो !, अढे पुण से जाणितचे भवति, भंतेत्ति समणं भगवं महावीरं निर्माया य निग्गंधीओ य वंदति नमसंति वंदेत्ता नमंसित्ता एवं वयासी-किट्टिए नाए समणाउसो!, अटुं पुण से ण जाणामो समणाउसोत्ति, समणे भगवं महावीरे ते य बहवे निम्गथे य निग्गंधीओ य आमंतेत्ता एवं व्यासी-हंत समणाउसो ! आइक्खामि विभावेमि किडेमि पवेदेमि सअळं सहेउं सनिमित्तं भुजो ५१ मुत्रनांग- Garaur-१ मुनि दीपरत्नसागर ASPACPSMAONENEPALEPHOPDAASPRINDASRHILAOPOSAPTOARDEEPTEMRPERSPIRPANCP8187018 Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ SANShayalaNSCPS43984RRIORAKHARRARYAMANSHERSARYRALIABARKONKAROBARABAR मुज्जो उवदंसेमि ॥८॥से बेमिलोयं च खलु मए अप्पाहङ समणाउसो ! सा पुक्खरिणी बुइया, कम्मं च खलु मए अप्पाहटु समणाउसो ! से उदए बुइए, कामभोगे य खलु मए अप्पाहटु समणाउसो ! से सेए चुइए, जणं जाणवयं च खलु मए अप्पाइसमणाउसो! ते वह पठमवरपॉडरीया वुझ्या, रायाणं च खलु मए अप्पाहटु समणाउसो ! से एगे महं पउमवरपॉडरीए बुइए, अन्नउत्थिया य खलु मए अप्पाहटु समणाउसो! ते चत्तारि पुरिसजाया बुइया, धम्मं च खलु मए अप्पाहटु समणाउसो ! से भिक्खू बुइए, धम्मतित्थं च खलु मए अप्पाहटु समणाउसो! से तीरे बुइए, धम्मकहं च खलु मए अप्पाहटु समणाउसो ! से सहे युइए, निवाणं च खलु मए अप्पाहटु समणाउसो! से उप्पाए बुइए, एवमेयं च खलु मए अप्पाहटु समणाउसो! से एवमेयं बुइयं॥९॥ इह खलु पाईर्ण वा पडीणं वा उदीणं वा दाहिणं वा० संगतिया मणुस्सा भवंति अणुपुत्वेणं लोगं (प० लोगत्त) उपवना, तंजहा- आरिया वेगे अणारिया वेगे उच्चागोता. वेगे णीयागोया वेगे कायमंता वेगे रहस्समंता वेगे सुवन्ना वेगे दुश्वना वेगे सुरूवा वेगे दुरूवा वेगे, तेसिं च णं मणुयाणं एगे राया भवइ, महया(प्र. महा). हिमवंतमलयमंदरमहिंदसारे अचंतविसुद्धरायकुलवंसप्पसूते निरंतररायलक्खणविराइयंगमंगे बहुयणबहुमाणपूइए सवगुणसमिद्धे खत्तिए मुदिए मुदाभिसित्ते माउपिउमुजाए दयप्पिए सीमंकरे सीमंधरे खेमंकरे खेमंधरे मणुस्सिदे जणवयपिया जणवयपुरोहिए सेउकरे केउकरे नरपवरे पुरिसपवरे पुरिससीहे पुरिसआसीविसे पुरिसवरपोंडरीए परिसवरगंधहवी अड्ढे दित्ते वित्ते विच्छिन्नविउलभवणसयणासणजाणवाहणाइण्णे बहुधणबहुजातरुवरतए आओगपओगसंपउत्ते विच्छड़ियपउरभत्तपाणे बदुदासीदासगोमहिसगवेलगप्पभूते पडिपुण्णकोसकोडागाराउहागा(प० ग)रे पल दुजातपचामित्ते ओहयकंटयं निहयकंटयं मलियकंटयं उद्धियकंटयं अकंटयं ओहयसत्तू निहयसत्त् मलियसत्त् उडियसन निजियसत्त् पराइय सत्तू ववगयदुभिक्खमारिभयविष्पमुकं रायवन्नओ जहा उपवाइए जाव पसंतडिंबडमरं रज पसाहेमाणे विहरति। तस्स णं रन्नो परिसा भवइ- उग्गा उग्गपुत्ता भोगा भोगपुत्ता इक्खाश्री गाइइकखागाइपत्ता नाया नायपुत्ता कारब्बा कारवपुत्ता भट्ठा भट्टपुत्ता माहणा माणपत्ता लेच्छई लेच्छापत्ता पसस्थारो पसत्थपत्ता सेणावई सेणावडपत्ता. तेसिं चणं एगतीए सड्ढी भवइ कामं तं समणा वा माहणा वा संपहारिसु गमणाए, तत्थ अन्नतरेणं धम्मेणं पन्नत्तारो वयं इमेणं धम्मेणं पनवइस्सामो, से एवमायाणह भयंतारो जहा मए एस धम्मे सुयक्खाए सुपनत्ते भवइ, तंजहा-उड्ढे पादतला अहे केसग्गमत्थया तिरियं तयपरियंते जीवे एस आयापज्जवे कसिणे एस जीवे जीवति एस मए णो जीवइ, सरीरे धरमाणे घरइ विणढुमि य णो धरइ, एयंत जीवियं भवति, आदहणाए परेहिं निजइ, अगणिझामिए सरीरे कवोतवन्नाणि अट्ठीणि भवंति, आसंदीपंचमा पुरिसा गाम पञ्चागच्छंति, एवं असंते असंविज्जमाणे जेसिं तं असंते असंविजमाणे तेसिं तं सुयक्खायं भवति, अन्नो भवति जीवो अन्नं सरीरं, तम्हा, ते एवं नो विपडिवेदेति-अयमाउसो ! आया दीहेति वा हस्सेति वा परिमंडलेति वट्टेति वा तंसेति वा चउरंसेति वा आयतेति वा छलंसिएति वा अटुंसेति वा किण्हेति वा णीलेति वा लोहियहालिदे (प. जाव) सुकिरडेति या सुभिगंधेति वा दुन्भिगंधेति वा तित्तेति वा कडुएति वा कसाएति वा अंचिलेति वा (प० जाव) महुरेति वा कक्खडेति वा मउएति वा गुरुएति वा लहुएति वा सिएति वा उसिणेति वा निद्धेति वा लुक्वेति वा, एवं असंते असंविजमाणे जेसिं तं सुयक्खायं भवति अन्नो जीवो अन्नं सरीरं, तम्हा, ते णो एवं उवलम्भंति से जहाणामए केइ पुरिसे कोसीओ असिं अभिनिवट्टित्नाणं उवदंसेज्जा अयमाउसो ! असी अयं कोसी, एवमेव णत्थि केइ पुरिसे अभिनिष्वहिताणं उवदंसेत्तारो (म० उवदंसेइ) अयमाउसो ! आया इयं सरीरं, से जहाणामए केइ पुरिसे मुंजाओ इसियं अभिनिबट्टित्ताणं उपदंसेजा अयमाउसो ! मुंजे इयं इसियं, एवमेव नस्थि केइ पुरिसे उबदंसेत्तारो अयमाउसो ! आया इयं सरीरं, से जहानामए केड परिसे मंसाओ अढि अभिनिवहत्ताणं उबदंसेज्जा अयमाउसो! मंस अयं अट्ठी, एवमेव नत्थि कई पुरिस उबदसत्तारा अयमाउसा आया इय सरार,स जहाणामए कह पुरिस करयलाआ आमलग आभानवाट्टत्ताण उबदसज्जा करतले अयं आमलए एमेव नस्थि के परिसे उवदंसेत्तारो अयमाउसो! आया इयं सरीरं, से जहाणामए केइ परिसे दहिओ नवनीयं अभिनिवहिताणं उवदंसेवा अयमाउसो ! नवनीयं अयं तु दही, एवमेव णस्थि केइ पुरिसे जाव सरीरं, से जहाणामए केइ पुरिसे तिलहितो तिलु अभिनिवद्वित्ताणं उबदसेजा अयमाउसो! तेडं अयं पिन्नाए, एवमेव जाव सरीरं, से जहाणामए केइ पुरिसे इक्खूतो खोतरसं अभिनिश्चट्टित्ताणं उबदंसेज्जा अयमाउसो! खोतरसे अयं छोए एवमेव जाव सरीरं, से जहाणामए केइ पुरिसे अरणीतो अम्गि अभिनिवहिताणं उवदंसेजा अयमाउसो! अरणी अयं अग्गी एवमेव जाव सरीरं, एवं असंते असंविजमाणे जेसिं तं सुयक्खायं भवति, तं० अन्नो जीवो अन्नं सरीरं, तम्हा ते मिच्छा, से हंता त हणह खणद्द छणह डहह पयह आलुपह विलुपह सहसाकारेह विपरामुसह, एतावताव जीवे णस्थि परलोए, ते णो एवं विप्पडिवेदेति, तं०-किरियाइ वा अकिरियाइ वा सुकडेइ वा दुकडेइ वा कडाणेइ वा पावएइ वा साहुइ वा असाहुइ वा सिदीइ वा असिद्धीइ वा निरएइ वा अनिरएइवा, एवं ते विरूवरूवेहि कम्मसमारंभेहिं विरूवरूवाई कामभोगाई समारभंति भोयणाए, एवं एगे पागम्भिया णिक्खम्म मामगं धम्मं पनवेति तं सद्दहमाणा तं पत्तियमाणात रोएमाणा साहु सुयक्खाए समणेति वा माहणेति वा (१३) ५२ सूत्रकृतांगं - अन्सा -१ मुनि दीपरत्नसागर Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ SAROHTRYAMBARBARA9A20480842128AMACHARY4TRYAMASIH48599435ARIDALANI कामं खलु आउसो! तुमं पूययामि, तंजहा-असणेण वा पाणेण वा खाइमेण वा साइमेण वा वत्थेण वा पडिग्गहेण वा कंबलेण वा पायपुंछणेण बा, तत्थेगे पूयणाए समाउट्टिसु तत्थेगे पृयणाए निकाइंसु, पुवमेव तेसिं णायं भवति-समणा भविस्सामो अणगारा अकिंचणा अपुत्ता (प्र० अपत्ता)अपसू परदत्तभोइणो भिक्खुणो पावं कम्मं णो करिस्सामो समुट्ठाए ते अप्पणा अप्पडिविरया भवंति, सयमाइयंति अन्नेवि आदियाति अन्नपि आयतंतं समणुजाणंति, एवमेव ते इत्यिकामभोगेहिं मुच्छिया गिद्धा गढिया अज्योववन्ना लद्धा रागदोसवसट्टा, तेणो अप्पाणं समुच्छेति ते णो परं समुच्छेदेति ते णो अण्णाई पाणाई भूताई जीवाई सत्ताई समुच्छेदंति, पहीणा पुवसंजोगं आयरियं मग्गं असंपत्ता इति ते णो हवाए णो पाराए अंतरा कामभोगेसुविसन्ना इति पढमे पुरिसजाए वजीवतच्छरीरएत्ति आहिए॥१०॥ अहावरे दोचे पुरिसजाए पंचमहम्भूतिएत्ति आहिज्जइ. इह खलु पाइणं वा ६ संगतिया मणुस्सा भवंति अणुपुवेणं लोयं उववना, तंजहा-आरिया वेगे अणारिया वेगे एवं जाब दुरूवा वेगे, तेसिं च णं महं एगे राया भवइ महया० एवं चेव णिरवसेसं जाच सेणावइपुत्ता, तेसिं च णं एगतिए सड्ढी भवति कामं तं समणा य माहणा य पहारिंसु गमणाए, तत्थ अन्नयरेणं धम्मेणं पन्नत्तारो वयं इमेणं धम्मेणं पन्नवइस्सामो से एवमायाणह भयंतारो ! जहा मए एस धम्मे सुअक्खाए (प्र० जाय) सुपन्नत्ते भवति ॥ इह खलु पंच महभूता, जेहिं नो विजइ (प० तो कज्जइ) किरियाति वा अकिरियाइ वा सुक्कडेति वा दुकडेति वा कहाणेति वा पावएति वा साहुति वा असाहुति वा सिद्धीति वा असिद्धीवि वा (म० जाव) णिरएति वा अणिरएति वा अवि अंतसो तणमायमवि, तं च पिहुद्देसेणं पुढोभूतसमवातं जाणेज्जा, तंजहा-पुढवी एगे महब्भूते आऊ दुचे महम्भूते तेऊ तच्चे महन्भूते वाऊ चउत्थे महब्भूते आगासे पंचमे महब्भूते, इथेते पंच महम्भूया अणिम्मिया अणिम्माविता अकडा णो कित्तिमा णो कडगा अणाइया अणिहणा अवंझा अपुरोहिता सतता सासता आयछट्ठा, पुण एगे एवमाहु-सतो णस्थि विणासो असतो णस्थि संभवो, एतावताव जीवकाए, एतावताव अस्थिकाए, एतावताव सबलाए,एत मुह लागस्स करणयाए, आवयतसा तणमायमांव, स किण किणावमाण हण घायमाण पय पयावाण वि अंतसा पुरिसमांचे कणित्ता घायइर जाणाहिणत्थित्य दोसो, तेणो एवं विप्पडिवेदेति, तंजहा-किरियाइ वा जावाणिरएड वा. एवं ते विरूवरूवेहिं कम्मसमारंभेहिं विरूवरुवाई कामभोगाई समारभंति भोयणाए. एव ते अणारिया विप्पडिवजा ते सद्दहमाणा ते पत्तियमाणा जाव इति ते णो हवाए णो पाराए, अंतरा कामभोगेसु (प्र० जाव) विसण्णा, दोचे पुरिसज्जाएपंचमहम्भूतिएत्ति आहिए॥११॥ अहावरे तचे पुरिसजाए ईसरकारणिए इति आहिजइ, इह खलु पादीणं वा ६ संतेगतिया मणुस्सा भवंति अणुपवेणं लोयं उबवन्ना, तं०-आरिया वेगे जाय तेसिं च णं महंते एगे राया भवइ जाव सेणावइपुत्ता, तेसिं च णं एगतीए सड्ढी भवइ, कामं तं समणा य माणा य पहारिंसु गमणाए जाव जहा मए एस धम्मे सुअक्खाए सुपन्नत्ते भवइ ॥ इह खलु धम्मा परिसादिया परिसोत्तरिया परिसप्पणीया पुरिससंभूया पुरिसपजोतिता पुरिसअभिसमण्णागया पुरिसमेव अभिभूय चिट्ठति, से जहाणामए गंडे सिया सरीरे जाए सरीरे संवडढे सरीरे अभिसमण्णागए सरीरमेव अभिभूय चिट्ठति एवमेव धम्मा पुरिसादिया जाब पुरिसमेव अभिभूय चिट्ठति, से जहाणामए अरई सिया सरीरे जाया सरीरे संवुड्ढा सरीरे अभिसमण्णगया सरीरमेव अभिभूय चिट्ठति एवमेव धम्मावि पुरिसादिया जाव पुरिसमेव अभिभूय चिट्ठति, से जहाणामए पम्मिए सिया पुढविजाए पुढविसंवुड्ढे पुढविअभिसमण्णागए पुढविमेव अभिभूय चिट्ठइ एवमेव धम्मावि पुरिसादिया जाव पुरिसमेव अभिभूय चिठंति, से जहाणामए रुक्खे सिया पुढविजाए पुढविसंबुड्ढे पुढविअभिसमण्णागए पुढविमेव अभिभूय चिट्ठति एवमेव धम्मावि पुरिसादिया जाव पुरिसमेव अभिभूय चिट्ठति, से जहाणामए पुकखरिणी सिया पुढविजाया जाव पुढविमेव अभिभूय चिट्ठति एवमेव धम्मावि पुरिसादिया जाव पुरिसमेव अभिभूय चिट्ठति, से जहाणामए उदगपुक्खले सिया उदगजाए जाव उदगमेव अभिभूय चिट्ठति एवमेव धम्मावि पुरिसादिया जाच पुरिसमेव अभिभूय चिट्ठति, से जहाणामए उदगए सिया उदगजाए जाव उदगमेव अभिभूय चिट्ठति एवमेव धम्मावि पुरिसादिया जाव पुरिसमेव अभिभूय चिठंति, जंपिय इमं समणाणं णिग्गं पणीय विजियं दुवालसंग गणिपिढय, तंजहा-आयारा सूयगडी जाच दिट्टिवातो, सबमेवं मिच्छा ण एवं तहियं ण एवं आहातहियं. इमं सचं इमं तहियं इमं आहा-13 तहियं, ते एवं सन्नं कुर्वति, ते एवं सत्रं संठवेंति, ते एवं सन्नं सोवट्ठवयंति, तमेवं ते तज्जाइयं दुक्खं णातिउहंति सउणी पंजरं जहा, ते णो एवं विप्पडिवेदेति, तंजहा-किरियाइ वा जाव अणिरएइवा, एवामेव ते विरूवरूवेहि कम्मसमारंभेहिं विरूबरूवाई कामभोगाई समारंभंति भोयणाए, एवामेव ते अणारिया विप्पडिवन्ना एवं सदहमाणा जाव इति ते णो हवाए णो पाराए, अंतरा कामभोगेसु विसण्णेति, तच्चे पुरिसजाए ईसरकारणिएत्ति आहिए ॥१२॥ अहावरे चउत्थे पुरिसजाए णियतिवाइएत्ति आहिजइ, इह खलु पाईणं वा ६ तहेब जाव | सेणावइपुत्ता वा, तेसिंचणं एगतीए सड्ढी भवइ, कामं तं समणा यमाहणा य संपहारिंसु गमणाए जाव मए एस धम्मे सुअक्खाए सुपनत्ते भवइ, इह खलु दुवे पुरिसा भवंति एगे पुरिसे ५३ सूत्रक्तांग- मा -१ मुनि दीपरत्नसागर Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ IASPRANSPIRSSISPONSPICANSP68649PESAPSEPTEMSPAASPIRMASPASHRAISHIRSACPICANSPIRMIRPRARAPIEAASPICS किरियमाइक्खइ एगे पुरिसे णोकिरियमाइक्खइ जे य पुरिसे किरियमाइक्खइ जे य पुरिसे णोकिरियमाइक्खइ दोवि ते पुरिसा तुड़ा एगट्ठा कारणमावन्ना, बाले पुण एवं विप्पडिवेदेति कारणमावन्ने अहमंसि दुक्खामि वा सोयामि वा जूरामि वा तिप्पामि वा पीडामि वा परितप्पामि वा अहमेयमकासि परो वा जं दुक्खइ वा सोयइ वा जूरइ वा तिप्पइ वा पीडइ वा परितप्पड़ या परो एवमकासि, एवं से बाले सकारणं या परकारणं वा एवं विप्पडिवेदेति कारणमावन्ने, मेहावी पुण एवं विपडिवेदेति कारणमावन्ने-अहमंसि दुक्खामि वा सोयामि वा जुरामि वा तिप्पामि वा पीडामि वा परितप्पामि वा णो अहं एवमकासि परो वा जं दुक्खड़ वा जाव परितप्पद वा णो परो एवमकासि, एवं से मेहावी सकारणं वा परकारणं वा एवं विप्पडिवेदेति कारणमावन्ने, से बेमि पाईणं वा ६ जे तसथावरा पाणा ते एवं संघायमागच्छति ते एवं विपरियासमावज्जति ते एवं विवेगमागच्छति ते एवं विहाणमागच्छंति ते एवं संगतियति उवहाए, णो एवं विप्पडियदति, तंजहा-किरियाति या जाच अणिरएति वा, एवं ते विरूबरूवेहि कम्मसमारंभहि विरूवरूवाई कामभोगाई समारभंति भोयणाए, एवमेव ते अणारिया विप्पडिवन्नातं सदहमाणाजाव इति ते णो हवाए णो पाराए अंतरा कामभागसु विसण्णा, चउत्थे पुरिसजाए णियइवाइएत्ति आहिए। इचत चत्तारि पुरिसजायाणाणापन्ना णाणाछंदाणाणासीलाणाणादिट्ठीणाणारई णाणारंभा णाणाअज्झवसाणसंजुत्ता पहीणपुवसंजोगा आरियं मग्गं असंपत्ता इति ते णो हवाए णो पाराए अंतरा कामभोगेसु विसण्णा ॥१३॥ से चेमि पाईणं वा ६ संगतिया मणुस्सा भवंति, तंजहा-आरिया वेगे अणारिया वेगे उच्चागोया वेगे णीयागोया वेगे कायमंता बेगे रहस्समंता वेगे सुवन्ना वेगे दुवन्ना वेगे सुरुवा वेगे दुरूवा वेगे, तेसिं च णं जणजाणवयाई (प० खेत्तवत्थूणि) परिग्गहियाई भवंति, तं०-अप्पयरा वा भुजयरा बा, तहप्पगारेहिं कुलेहिं आगम्म अभिभूय एगे भिक्खायरियाए समुट्टिता सतो बावि एगे णायओ (अणायओ) य उवगरणं च विप्पजहाय भिक्खायरियाए समुट्ठिता असतो वावि एगे णायओ (अणायओ) य उवगरणं च विष्पजहाय भिक्खायरियाए समुहिता, जे ते सतो वा असतो वा णायओ य अणायओ य उवगरणं च विप्पजहाय भिकखायरियाए समट्टिता पुवमेव तेहिं णायं भवइ, तंजहा-इह खल परिसे अन्नमन्नं ममहाए एवं विपडिवेदेति, तंजहा-खेत्तं मे वत्थू मे हिरणं मे सुवन्नं मे धणं मे धणं मे कंसं मे दूसं मे विपुलधणकणगरयणमणिमोत्तियसंखसिलप्पवालरत्तरयणसंतसारसावतेयं मे सहा मे रूवा मे गंधा मे रसा मे फासा मे, एते खलु मे कामभोगा अहमवि एतेसिं, से मेहावी पुवामेव अप्पणो एवं समभिजाणेज्जा, तंजहा-इह खलु मम अन्नयरे दुक्खे रोधातंके समुप्पजेज्जा अणिट्टे अकंते अप्पिए असुभे अमणुन्ने अमणामे दुक्खे णो सुहे से इंता भयंतारो! कामभोगाई मम अन्नयरं दुक्खं रोयातकं परियाइयह अणिÉ अर्कतं अप्पियं असुभं अमगुन्नं अमणामं दुक्खं णो सुह, ताऽहं दुक्खामि वा सोयामि वा जूरामि वा तिप्पामि वा पीडामि वा परितप्पामि वा इमाओ मे अण्णयराओ दुक्खाओ रोगातकाओ पडिमोयह अणिद्वाओ अर्कताओ अप्पियाओ असुभाओ अमणुन्नाओ अमणामाओं दुक्खाओ णो सुहाओ, एवामेव णो लडपुत्वं भवइ, इह खलु काम ओ, एवामेव णो लहपुवं भवइ, इह खलु कामभोगा णो ताणाए वा णो सरणाए वा, पुरिसे वा एंगता पुत्विं कामभोगे विप्पजहति, कामभोगा वा एगता पुचिं पुरिसं विप्पजहंति, अन्ने खलु कामभोगा अन्नो अहमंसि, से किमंग पुण वयं अन्नमन्नेहि कामभोगेहिं मुच्छामो? इति संखाए णं वयं च कामभोगेहिं विप्पजहिस्सामो, से मेहावी जाणेजा बहिरंगमेतं, इणमेव उवणीयतरागं, तंजहा-माया मे पिता मे भाया मे भगिणी मे भज्जा मे पुत्ता मे धूता मे पेसा मे नत्ता मे सुण्हा मे सुही मे पिया मे सहा मे सयणसंगंथसंथुया मे, एते खलु मम णायओ अहमवि एतेसि, एवं से मेहावी पुवामेव अप्पणा एवं समभिजाणेजा, इह खलु मम अन्नयरे दुक्खे रोयातंके समुपज्जेज्जा अणिढे जाव दुक्खे णो सुहे, से हंता भयंतारो! णायओ इमं मम अन्नयरं दुक्खं रोयातकं परियाइयह अणि8 जाव णो सुह, ताऽहं दुक्खामि वा सोयामि वा जाव परितप्पामि वा, इमाओ मे अन्नयरातो दुक्खाओ रोयातकाओ परिमोएड अणिट्ठाओ जाव णो सुहाओ, एवमेव णो लद्धपुर्व भवइ, तेसिं वाविभयंताराणं मम णाययाणं अन्नयरे दुक्खे रोयातंके समुप्पज्जेजा अणिढे जाव णो सुहे, से इंता अहमेतेसि भयंताराणं णाययाणं इमं अन्नयरं दुक्खं रोयातंकं परियाइयामि अणिटुं जाव णो. सुहं मा मे दुक्खंतु वा जाव मा मे परितप्पंतु वा, इमाओणं अण्णयराओ दुक्खातो रोयातंकाओ परिमोएमि अणिट्ठाओ जाव णो सुहाओ, एवमेव णोलदपुवं भवइ, अलस्स दुक्खं अन्नोन परियाइयति अन्नेण कडं अन्नो नो पडिसंवेदेति पत्तेयं जायति पत्तेयं मरड पत्तेयं चयह पत्तेयं उववज्जइ पत्तेयं संझा पत्तेयं सन्ना पत्तेयं मन्ना एवं विन्नू वेदणा, इह (इ) खलू णातिसंजोगा णो ताणाए वा णो सरणाए वा, पुरिसे वा एगता पुषिं णातिसंजोए विप्पजहति, णातिसंजोगा वा एगता पुषिं पुरिसं विप्पजहंति, अन्ने खलु णातिसंजोगा असो अहमंसि, से किमंग पुण वयं अन्नमजेहिं णातिसंजोगेहि मच्छामो?. इति संखाएणं वयं णातिसंजोगं विप्पजहिस्सामो, से मेहाची जाणेजा पहिरंगमयं, इणमेव उवणीयतराग, तंजहा-हत्था मे पाया मे वाहा मे ऊरू मे उदरं मे सीसं मे सील मे आऊ मे बलं मे वण्णो मे तया मे छाया मे सोयं मे चक्खू मे घाणं मे जिम्मा मे फासा मे ममाइजइ, वयाउ पडिजूरइ, तंजहा-आउओ ५४ सूत्रकृतांगं- अsari-१ मुनि दीपरत्सागर Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ LOKAARYAARAMBAR-3993- बलाओ वण्णाओ तयाओ छायाओ सोयाओ जाव फासाओ सुसंधितो संधी विसंधीभवइ, बलियतरंगे गाए भवइ, किण्हा केसा पलिया भवति, तंजहा-जंपि य इर्म सरीरगं उरालं आहा. रोवइयं एयपि य अणुपुवेणं विप्पजहियवं भविस्सति, एयं संखाए से भिक्खू भिक्खायरियाए समुट्ठिए दुहओ लोगजाणेजा, तं०-जीवा चेव अजीवा चेव, तसा चेव थावरा चेच॥१४॥ इह खलु गारत्था सारंभा सपरिग्गहा, संतेगइया माहणावि सारंभा सपरिग्गहा, जे इमे तसा थावरा पाणा ते सयं समारभंति अन्नेणवि समारंभाति अण्णंपि समारभंतं समणुजाणंति, इह खलु गारत्था सारंभा सपरिग्गहा, संतेगतिया समणा माहणावि सारंभा सपरिग्गहा जे इमे कामभोगा सचित्ता वा अचित्ता वा ते सयं परिगिण्हति अन्नेणवि परिगिण्हावेति अन्नपि परिगिव्हतं समणुजाणंति, इह खलु गारत्था सारंभा सपरिग्गहा संतेगतिया समणा माहणावि सारंभा सपरिग्गहा अहं खलु अणारंभे अपरिगहे, जे खलु गारत्था सारंभा सपरिम्गहा संतेगतिया समणा माहणावि सारंभा सपरिम्गहा एतेसिं चेव निस्साए चंभचेरखासं बसिस्सामो, कस्स णं तं हेउं ?, जहा पुर्व तहा अवरं जहा अवरं तहा पुवं, अंजू एते अणुवस्या अणुवट्ठिया पुणरवि तारिसमा चेव, जे खलु गारत्था सारंभा सपरिग्गहा संतेगतिया समणा माहणावि सारंभा सपरिग्गहा दुहतो पावाई कुवंति इति संखाए दोहिवि अंतेहिं अदिस्समाणो इति भिक्खू रीएजा, से बेमि पाईणं वा ६ जाव एवं से परिणायकम्मे, एवं से ववेयकम्मे, एवं से विअंतकारए भवतीति मक्खायं ॥१५॥ तत्थ खलु भगवता छज्जीवनिकाया हेऊ पण्णत्ता, तंजहा-पुढवीकाए जाव तसकाए, से जहाणामए मम अस्सायं दंडेण वा अट्ठीण वा मुट्ठीण वा लेलूण वा कवालेण वा आउद्दिजमाणस्स वा हम्ममाणस्स वा तबिजमाणस्स वा वाडिज्जमाणस्स वा परियाबिजमाणस्स वा किलामिज्जमाणस्स वा उद्दविजमाणस्स वा जाव लोमुक्खणणमायमवि हिंसाकारगं दुक्खं भयं पडिसंवेदेमि, इच्चेवं जाण सके जीवा सके भूता सवे पाणा सवे सत्ता दंडेण वा जाव कवालेण वा आउबिजमाणा वा हम्ममाणा वा तजिजमाणा वा ताडिजमाणा वा परियाविजमाणा वा किलामिज्जमाणा वा उद्दविजमाणा वा जाव लोमुक्खणणमायमवि हिंसाकारगं दुक्खं भयं पडिसंवेदेति, एवं नचा सये पाणा जाव सत्ता ण इंतवा ण अज्जावेया ण परिघेतवा ण परितावेयथा ण उद्दवेयवा, से बेमि जे य अतीता जे य पडुप्पन्ना जे य आगमिस्सा अरिहंता भगवंतो सन्चे ते एचमाइक्खंति एवं भासंति एवं पण्णवेंति एवं परूवेंति-सवे पाणा जाव सत्ता ण हंतवाण अजावेयवाण परिघेतवा ण परितावेयवाण उद्दवेयवा एस धम्मे धुवे णीतिए सासए समिच लोग खेयन्नेहिं पवेदिए, एवं से भिक्खू विरते पाणातिवायातो जाव विरते परिग्गहातो णो दंतपक्खालणेणं | दंते पक्खालेजा णो अंजणं णो वमणं णो धूवणे णो तं परिआविएज्जा॥से भिक्खू अकिरिए अलूसए अकोहे अमाणे अमाए अलोहे उवसंते परिनि डे णो आसंसं पुरतो करेजा इमेण में | दिखूण वा सुएण वामएणवा विन्नाएण वा इमेण वासुचरियतवनियमबंभचेरखासेण इमेण वा जायामायावत्तिएणं धम्मेणं इओचुए पेचा देवे सिया कामभोगाण वसवत्ती सिद्धे वा अदुक्ख मसु(भासु)भे एत्यपि सिया एत्यविणो सिया, से भिक्खू सद्देहिं अमुच्छिए रूवेहिं अमुच्छिए गंधेहिं अमुच्छिए रसेहिं अमुच्छिए फासेहिं अमुच्छिए विरए कोहाओ माणाओ मायाओ हैलोभाओ पेज्जाओ दोसाओ कलहाओ अभक्खाणाओ पेसुन्नाओ परपरिवायाओ अरइरईओ मायामोसाओ मिच्छादसणसालाओ इति से महतो आयाणाओ उवसंते उपट्टिए पडि बिरते से भिक्खु, जे इमे तसथावरा पाणा भवंति ते णो सयं समारंभइणो वऽण्णेहिं समारंभावेति अन्ने समारभंतेविनसमणजाणति इति सेमहतो आयाणाओ उपसंते उवट्रिएपडि. विरते से भिक्खू, जे इमे कामभोगा सचित्ता वा अचित्ता वा ते णो सयं परिगिण्हति णो अग्नेणं परिगिण्हावेति अन्नं परिगिण्हतंपि ण समणुजाणति इति से महतो आयाणाओ उवसंते उवहिए पडिविरते, से भिक्खू जंपिय इमं संपराइयं कम्मं कज्जइ णो त सयं करेति णो अण्णाण कारवेति अन्नपि करेंतं ण समणुजाणइ इति, से महतो आयाणाओ उवसंते उवहिए पडिविरते, से भिक्खू जाणेज्जा असणं या ४ अस्सि पडियाए एग साहम्मियं समुहिस्स पाणाई भूताई जीवाई सत्ताई समारंभ समुहिस्स कीतं पामिचं अच्छिज्ज अणिसट्ठ अभिहडं आहटटदेसियं ते चेतिय सिया. तं अह पुण एवं जाणेज्जा विजति तेसि परकमे जस्सट्टाए चेइ सिआ तंजहा-अप्पणो पुत्ताणं धूयाणं सुण्डाणं घाईणं णातीणं राईणं दासाणं दासीर्ण कम्मकराणं कम्मकरीणं आएसाणं पुढोपहेणाए सामासाए पातरासाए सचिही सन्निचए कज्जइ इहमेगेसिं माणवाणं भोयणाए णो सयं मुंजइणो अपणेणं मुंजावेति अपि भुंजतं ण समाजाणइ इति, से महतो आयाणाओ उपसंते उपडिए पडिविरते॥ तत्व भिक्खू परकडं परणिठितमम्गमपायणेसणासद्ध सस्थाईयं सत्यपरिणामियं अविहिसियं एसियं वेसियं सामुदाणियं पत्तमसणं कारणवा पमाणजुत्तं अक्खोवंजणवणलेवणभूयं संजमजायामायावत्तियं बिलमिव पन्नगभूतेणं अप्पाणेणं आहार आहारेज्जा अनं अनकाले पाणं पाणकाले वत्थं वत्यकाले लेणं लेणकाले सयणं सयणकाले, से भिक्खू मायने अनयर दिसं अणुविसं वा पडिवन्ने धम्म आइक्खे विभए किडे उवविएस वा अणुवडिएसु वा सुस्वसमाणेसु पवेदए, संतिविरति उत्सम निधाणं सोयवियं अजवियं महवियं लापवियं अणतिवातियं सधेसि पाणाणं सद्देसि भूताणं जाव सत्ताणं अणुवाई किहए धम्म, से भिक्खू धम्म किमाणे ५५ सूत्रकृतांग-अ-सथा मुनि दीपरबसागर 8088856039457999453458/4300-439848%AARNSTARMA843933 Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गो अन्नस्स हेउं धम्ममाइक्खेजा, णो पाणस्स हेउं धम्ममाइक्खेजा, णो वत्वस्स हेउं धम्ममाइक्खेवा, णो लेणस्स हेउं धम्ममाइक्खेजा, णो सयणस्स हेउं धम्ममाइक्खेजा, णो अन्नेसि विरूवरूवाणं कामभोगाणं हेडं धम्ममाइसेजा, अगिलाए धम्ममाइक्खेजा, नन्नत्य कम्मनिजरद्वाए धम्ममाइकखेजा। इह खलु तस्स मिक्सुस्स अंतिए धम्मं सोचा णिसम्म उहाणेणं उट्ठाय वीरा अस्सि धम्मे समुट्टिया, जे तस्स भिक्खुस्स अंतिए धम्मं सोचा णिसम्म सम्म उहाणेणं उद्याय वीरा अस्सि धम्मे समुट्ठिया ते एवं सत्रोवंगता ते एवं सधोवसंता ते एवं सत्ताए परिनिव्वुडत्तिवेमि ॥ एवं से भिक्खू धम्मट्ठी धम्मविऊ णियागपडिवण्णे से जहेयं बुतियं अदुवा पत्ते पउमवरपोंडरीयं अदुवा अपत्ते पउमवरपॉडरीयं, एवं से भिक्ख परिण्णायकमे परिण्णायसंगे परिण्णायगेहवासे उवसंते समिए सहिए सया जए सेवं वयणिजे (प० वत्तवे)तंजहा-समणेति वा माहणेतिवा खंतेति वा दंतेति वा गुत्तेति वा मुत्तेति वा इमीति वा मुणीति वा कतीति वा विऊति भिक्खूति वा लहेति वा तीरट्ठीति वा चरणकरणपारविउत्तिवमि ॥१६॥ पौण्डरीकाध्ययनं १(१६)। सुर्य मे आउसंतेणं भगवया एवमक्खाय-दह खलु किरियाठाणे णामायणे पण्णते, तस्सणं अयमद्वे, इह खलु संजूहेणं दुवे ठाणे एचमाहिजंति, तंजहा-धम्मे चेव अधम्मे चेच, उपसंते व अणुवसते चेव ॥ तत्य णं जे से पढमस्स ठाणस्म अहम्मपक्खस्स विभंगे तस्स णं अयमद्वे पण्णत्ते, इह खलु पाईणं वा ६ संतेगतिया मणुस्सा भवंति, तंजहा-आरिया वेगे अणारिया वेगे उचागोया वेगे णीयागोया वेगे कायमता येगे रहस्समंता वेगे सुवण्णा वेगे दुखण्णा वेगे सुरुवा वेगे दुरूवा वेगे, तेसिं चणं इमं एतारूचं दंडसमादाणं संपेहाए, तंजहा-णेरइएमु वा तिरिक्सजोणिएमु वा मणुस्सेसु वा देवेसु वा जे यावने तहप्पगारा पाणा विजू वेयणं वेयंति तेसिपि य णं इमाई तेरस किरियाठाणाई भवतीतिमकवाय, तंजहा-अट्ठादंडे १ अणहादंडे २ हिंसादंडे ३ अकम्हादंडे ४ दिट्ठीविपरिया व्यवत्तिए८माणवत्तिए ९ मित्तदोसवत्तिए १० मायावत्तिए ११ लोभवत्तिए १२ईरियावाहिए १३॥१॥ पढमे दंडसमादाणे अट्ठादंडवत्तिएत्ति आहिजइ, से जहाणामए केह पुरिसे आयहेउं वा णाइहेउँ वा अगारहेउं वा परिवारहेउं वा मित्तहेउं वा णागहेउं वा भूतहेर्ड वा जक्खहेउं वा तं दंडं तसथावरेहि पाणेहि सयमेव णिसिरति अण्णेणवि णिसिरावेति अण्णपि णिसिरंत समणुजाणइ, एवं खलु तस्स तप्पत्तियं सावजंति आहिजइ, पढमे दंडसमादाणे अट्ठादंडवत्तिएति आहिए॥१८॥ अहावरे दोचे दंडसमादाणे अणहादंडवत्तिएति आहिज्जइ, से जहाणामए केइ पुरिसे जे इमे तसा पाणा भवंति ते णो अचाए णो अजिणाए णो मंसाए णो सोणियाए एवं हिययाए पित्ताए वसाए पिच्छाए पुच्छाए वालाए सिंगाए पिसाणाए दंताए दाढाए णहाए हारूणिए अट्ठीए अडिमिजाए णो हिसिसु मेसिणो हिसंति मेत्तिणो हिसिस्संति मेति णो पुनपोसणयाए णो पसुपोसणयाए णो अगारपरिवहणताए णो समणमाहणवत्तणाहेउं णो तस्स सरीरगस्स किंचि विपरियादित्ता भवंति, से हंता छेत्ता भेत्ता लपहत्ता विलंपहत्ता उहवइत्ता उजिाउं वाले, वेरस्स आभागी भवति अणट्ठादंडे, से जहाणामए केइ पुरिसे जे इमे थावरा पाणा भवंति, तंजहा-इकडाइ वा कढिणाइ वा जंतुगाइ वा परगाइ वा मोक्खाइ वा तणाइ वा कुसाइ वा कुच्छगाइ वा पचगाइवा पलालाइवा, तेणो पुत्तपोसणाएको पमुपोसणाए णो अगारपडिवूहणयाए (प० पोसणयाए)णो समणमाहणपोसणयाए णोतस्स सरीरगस्स किंचि विपरियाइत्ता भवंति, से हंता छेत्ता भेत्ता लुपदत्ता विलपहत्ता उदवहत्ता उज्झिउं वाले वेरस्स आभागी भवति अणट्ठादंडे, से जहाणामए के पुरिसे कच्छसि वा दहसि वा उदगंसि वा दवियंसि वा वलयंसि वा मंसि वा गहणंसि वा गहणविदुग्गसि वा वर्णसि वा वणविदुग्गंसि वा पञ्वयंसि वा पञ्चयविदुग्गंसि वा तणाई ऊसपिय ऊसपिय सयमेव अगणिकार्य णिसिरति अण्णेणवि अगणिकार्य णिसिरावेति अण्णपि अगणिकार्य णिमिरते समणजाणइ अणट्ठादंडे, एवं खल तस्स तप्पत्तिय सावजन्ति आहिजड, दोचे दंडसमादाणे अणद्वादंडवत्तिएति आहिए ॥१९॥ अहावरे तचे दंडसमादाणे हिंसादंडवत्तिएत्ति आहिजइ, से जहाणामए केइ पुरिसे ममं वा ममि वा अन्नं वा अजिं वा हिसिसुवा हिंसह वा हिंसिस्सह वा तं दंड तसथावरेहि पाणेहिं सयमेव णिसिरति अण्णेणवि णिसिरावेति अनंपि णिसिरंतं समणुजाणइ हिंसादंडे, एवं खलु तस्स तप्पत्तियं सावजंति आहिजइ, नचे दंडसमादाणे हिंसादंडवत्तिएत्ति आहिए ॥२०॥ अहावरे चउत्थे दंडसमादाणे अकस्मातदण्डवत्तिएत्ति आहिजइ, से जहाणामए केइ पुरिसे कच्छंसि वा जाव वण(प० पाय)विदुगंसिवा मियवत्तिए मियसंकप्पे मियपणिहाणे मियवहाए गंता एए मियत्तिकाउं अभयरस्स मियस्स वहाइ उसु आयामेत्ताणं णिसिरेजा, स मियं वहिस्सामित्तिकटु तित्तिरं पा यहगं वा चडगं वा लावगं वा कवोयगं वा कविं वा कविजलं वा विचित्ता भवह, इह खल से अन्नस्स अट्ठाए अणं फुसति अकम्हादंडे, से जहाणामए केड परिसे सालीणि वा बीहीणि वा कोदवाणि वा कंगणि वा परगाणि वा रालाणि वा णिलिजमाणे अन्नयरस्स तणस्स बहाए सत्यं णिसिरेजा, से सामगं (म०मयणगं मुगुणग) तणगं कुमुदुगं वीहीऊसियं कलेमुयं तणं छिंदिस्सामित्तिकटु सालिं वा वीहिंवा कोहवं वा कंगुं वा परगं वा रालय वा छिदित्ता भवड, इति खल से अन्नस्स अट्ठाए अर्श कुसति अकम्हादंडे,एवं खलु तस्स तप्पत्तिय सावर्जति आहिजड, चउत्ये दंडसमादाणे अकम्हादंडवत्तिए आहिए॥२१॥ अहावरे पंचमे दंडसमादाणे दिद्विविपरियासियादडवत्तिएत्ति आहिजइ, से जहाणामए केद पुरिसे माईहिं वा पिईहिं वा भाईहिं वा भगिणीहिं वा (१४) ५६ सूत्रतांर्ग-न्यार मुनि दीपरनसागर Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ मजाहिं वा पुत्तेहिं वा घृताहि वा सुहाहि वा सदि संक्समाणे मित्तं अमित्तमेव मनमाणे मित्ते हयपुरे भवइ दिद्विविपरियासियादंडे, से जहाणामए के पुरिसे गामघायंसि वा पगरघायंसि वा खेडकबह मचायंसिवा दोणमुहघायंसि वा पट्टणघायंसि वा आसमघायंसि वा सन्निवेसपायंसि वा निगमघायंसि वा रायहाणिघायंसि वा अतेणं तेणमिति मत्रमाणे अतेणे हयपो भवा दिदिठविपरिवासियादंडे, एवं खलु तस्स तप्पत्तिय सावर्जति आहिजड़, पंचमे दंडसमादाणे दिदिठविपरियासियाडवत्तिएत्ति आहिए॥२२॥ अहावरे छठे किरियट्ठाणे मोसावत्तिएसि आहिजड़ से जहाणामए केह पुरिसे आयहेउं वा गाइहेउं वा अगारहेउं वा परिवारहेउं वा सयमेव मुसं वयति अण्णवि मुसं वाएइ मुसं वयंतंपि अणं समणुजाणइ, एवं खलु तस्स तप्पत्तियं सावजंति आहिजइ, छठे किरियट्ठाणे मोसावत्तिएत्ति आहिए ॥२३॥ अहावरे सत्तमे किरियट्ठाणे अदिन्नादाणवत्तिएत्ति आहि. जह से जहाणामए के पुरिसे आयहेउं वा जाव परिवारहेउं वा सयमेव अदिन्नं आदियह अण्णेणवि अविणं आदियावेद अदिलं आदियंत अन्नं समणुजाणइ, एवं खलु तस्स तप्पत्तियं सावर्जति आदिजइ, सत्तमे किरियट्ठाणे अदिन्नादाणवत्तिएत्ति आहिए ॥२४॥ अहावरे अट्ठमे किरियट्ठाणे अझत्यवत्तिएत्ति आहिजइसे जहाणामए के परिसेणत्यि गं केइ किंचि विसंवादेति सयमेव हीणे दीणे दुठे दुम्मणे ओहयमणसंकप्पे चिंतासोगसागरसंपविढे करतलपल्हत्यमुझे अहसाणोवगए भूमिगयदिदठिए लियाइ, तस्स णं अज्झत्यया आसंसइया (प्र० असंसइया) चत्तारि ठाणा एवमाहिजा (अंति), तं०-कोहे माणे माया लोहे, अज्झत्थमेव कोहमाणमायालोहे, एवं खलु तस्स तप्पत्तियं सावर्जति आहिजइ, अट्टमे किरियट्ठाणे अज्झत्यवत्तिएत्ति आहिए ॥२५॥ अहावरे णवमे किरियहाणे माणवत्तिएत्ति आहिजइ, से जहाणामए केइ पुरिसे जातिमएण वा कुलमएण वा बलमएन वा रूप. मएण वा तवमएण वा सुयमएण वा लाभमएण वा इस्सरियमएण वा पन्नामएण वा अन्नतरेण वा मयट्ठाणेणं मत्ते समाणे परं हीलेति निदति सिंसति गरहति परिमवह अवमति , इत्तरिए अयं, अहमंसि पुण विसिट्ठजाइकुलबलाइगृणोववेए, एवं अप्पाणं समुकस्से, देहबुए कम्मबितिए अवसे पयाइ, तंजहा-गम्भाओ गम्मं ४ जम्माओ जम्मं माराजो मारं गरगानो भरगं चंडे यदे चवले माणी यावि भवइ, एवं खलु तस्स तप्पत्तियं सावजति आहिजइ, णवमे किरियाठाणे माणवत्तिएत्ति आहिए॥२६॥ अहावरे दसमे किरियट्ठाणे मित्तदोसवत्तिएत्ति आहिज्जइ, से जहाणामए केड़ पुरिसे माईहिं वा पितीहिं वाभाईहिं वा भइणीहिं वा मज्जाहिं वा धूयाहिं वा पुत्तेहिं वा सुण्हाहि वा सद्धिं संवसमाणे तेसि अन्नयरंसि अहालहुगंसि अवराहसि सयमेव गल्यं दंडं निवत्तेति, तंजहा-सीओदगवियर्डसि वा कार्य उच्छोलित्ता भवति, उसिणोदगवियडेण वा कार्य ओसिंचित्ता भवति, अगणिकाएक कार्य उवडहित्ता भवति, जोत्तेण वा वेत्तेण वा णेत्तेण वा तयाइ वा लयाए वा (अन्नयरेण वा दवरएण) पासाई उद्दालित्ता भवति, दंडेण वा अट्ठीण वा मुट्ठीण वा लेलूण वा कवालेण वा कार्य आउट्टित्ता भवति, तहप्पगारे पुरिसजाए संवसमाणे दुम्मणा भवति, पवसमाणे सुमणा भवति, तहप्पगारे पुरिसजाए दंडपासी दंडगुरुए दंडपुरकडे अहिए इमंसि लोगसि सं मंसि यावि भवति, एवं खलु तस्स तप्पत्तियं सावर्जति आहिज्जति, दसमे किरियट्ठाणे मित्तदोसवत्तिएति आहिए ॥२७॥ अहावरे एकारसमे किरियट्ठाणे मायावत्तिएत्ति आहिजइ, जे इमे भवंति-गृढायारा तमोकसिया उलुगपत्तहुया पञ्जयगुरुया ते आयरियावि संता अणारियाओ भासाओ विपउज्जति, अन्नहासंतं अप्पाणं अनहा मन्नंति, अन्नं पुट्ठा अन्नं वागरंति, अनं आइक्खियां अन्नं आइक्खंति, से जहाणामए के पुरिसे अंतोसाडे तं सई णो सयं णिहरति णो अन्नेण णिहराति णो पडिविद्धसेइ, एवमेष निष्हवेह. अविउमाणे अंतोअंतो रियइ, एवमेव माई मार्य कटु णो आलोएड णो पडिकमेइ णो जिंदह णो गरहइ णो विउहाणो विसोहेइणो अकरणाए अब्भुढेइ गो अहारिहं तवोकम्मं पायच्छितं पहिबजइ, माई अस्सि लोए पचायाइमाइ परंसि लोए (पुणो पुणो) पञ्चायाइ निंदइ गरहइ (प्र० गहाय) पसंसह णिचरइ ण नियइ णिसिरियं दंडं छाएति, माई असमाहडसुहलेस्से यावि भवइ, एवं खलु तस्स तप्पत्तियं सावजंति आहिजइ. एकारसमे किरियवाणे मायावत्तिएत्ति आहिए ॥२८॥ अहावरे वारसमे किरियहाणे लोभवत्तिएत्ति आहिजइ, जे इमे भवंति, तंजहा-आरनिया आवसहिया गामंतिया कण्हुईरहस्सिया णो बहुसंजया णो बहुपडिविरया सापाणभूतजीवसत्तेहिं ते अप्पणो सच्चामोसाई एवं विउंजंति, अहं ण हतको अने हंतचा अहं ण अज्जावयचो अग्ने अज्जावेयचा अहं ण परिघेतको अजे परिघेतला अहं ण परिवावेयचो अण्णे परितावेयचा अहं ण उद्दवेयचो अण्णे उदवेयचा, एवामेव ते इत्यिकामेहि मुच्छिया गिद्धा गढिया गरहिया अज्मोववन्ना जाव वासाई चउपंचमाई छहसमाई अप्पयरो वा भुजयरो वा भुजित्तु भोगभोगाई कालमासे कालं किच्चा अन्नयरेसु आसुरिएम किन्चिसिएसु ठाणेसु उववत्तारो भवंति, वतो विप्पमुचमाणा भुजो एलमूयत्ताए तमूयत्ताए जाइयत्ताए पचायंति, एवं खलु तस्स तप्पत्तिय सावर्जति आहिजइ, दुवालसमे किरियट्ठाणे लोमवत्तिएत्ति आहिए। इयाई दुबालस किरियट्ठाणाई दविएण समणेण वा माहणेण वा सम्मं सुपरिजाणिअबाई भवंति ॥२९॥ अहावरे तेरसमे किरियट्ठाणे इरियावहिएत्ति ५७सूत्रताग- सया-२ मुनि दीपरनसागर Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ RANGARROTE2482483%ASIVARIANTS/4955984403484RNEAKIHINMASHTS2423498AON आहिज्जइ, इह खलु अत्तत्ताए संवुडस्स अणगारस्स ईरियासमियस्स भासासमियस्स एसणासमियस्स आयाणभंडमत्तणिक्खेवणासमियस्स उचारपासवणखेलसिंघाणजल्लपारिट्ठावणियासमियस्स मणसमियस्स पयसमियस्स कायसमियस्स मणगृत्तस्स वयगुत्तस्स कायगुत्तस्स गुत्तस्स गुत्तिवियस्स गुत्तवंभयारिस्म आउत्तं गच्छमाणस्स आउत्तं चिट्ठमाणस्स आउ णिसीयमाणस्म आउत्तं तुयहमाणस्स आउत्तं मुंजमाणस्स आउत्तं भासमाणस्स आउत्तं वत्थं पडिग्गहं कंबलं पायपुंछणं गिण्हमाणस्स वा णिनिखवमाणस्स वा जाव चक्खुपम्हणिवायमवि अस्थि विमाया सुहुमा किरिया ईरियावहिया नाम कजइ, सा पढमसमए बढ़ा पुट्ठा वितीयसमए वेइया तईयसमए णिजिण्णा सा पद्धा पुट्ठा उदीरिया वेइया णिज्जिण्णा सेयकाले अकम्मे यावि भवति, एवं खलु तस्स तप्पत्तिय सावर्जति आहिजड़, तेरसमे किरियट्ठाणे ईरियावहिएत्ति आहिजइ॥ से मि जे य अतीता जे य पड़प्पन्ना जे य आगमिस्सा अरिहंता भगवंतो सबे ते एयाई चेव तेरस किरियट्ठाणाई भासिंसु वा भासेंति वा भासिस्संति वा पन्नविसु वा पन्नविति वा पनविस्संति वा, एवं चेव तेरसमं किरियट्ठाणं सेविसु वा सेवंति वा सेविस्संति वा ॥३०॥ अदुत्तरं च पुरिसविजयं विभंगमाइक्लिस्सामि, इह खलु णाणापण्णाणं णाणाछंदाणं णाणासीलाणं णाणादिट्ठीणं णाणारुईणं जाणारंभाणं णाणाझवसाणसंजुत्ताणं णाणाविहपावसुयज्झयणं एवं भवइ, तंजहा-भोम उपाय सुविणं अंतलिक्खं अंगं सरं लक्खणं बंजर्ण इथिलक्वर्ण पुरिसलक्षणं गोणलक्वणं मिढलक्खणं कुक्कुडलक्षणं तित्तिरलक्खणं बट्टगलक्षणं लावयलक्खणं चकलक्खणं छत्तलक्खणं चम्मलक्षणं दंडलक्खणं असिलक्षणं मणिलखणं कागिणिलक्खणं सुभगाकरं दुग्भगाकरं गम्भकरं मोहणकरं आहवणिं पागसासणि दवहोम खत्तियविजं चंदचरियंसूरचरियं सुक्कचरियं वहस्सइचरियं उक्कापायं दिसादाह मियचकं वायसपरिमंडलं पंसुवृहि केसवुटिंठ मंसवुदिंठ रुहिरवृहि वेतालिं अहवेतालिं ओसोवणिं तालुग्घाडणिं सोवागिं सोवरि दामिलिं कालिंगि गोरिंगंधारिं ओक्तणि उप्पयणि जंभणि यंभणि लेसणि आमयकरणिं विसङकरणि पक्कमणि अंतराणि आयमिणिं, एकमाइआओ विजाओ अन्नस्स हेउं पउंजंति पाणस्स हेउं पउंजंति वत्थस्स हेडं पउंजंति लेणस्स हेउं पउंजंति मयणस्स हेउं पउंजंति, अन्नेसि वा विरूवरूवाणं कामभोगाणं हेउं पउंजंति, तिरिच्छं ते विज सेवेंति, ते अणारिया विष्पडिवन्ना कालमासे कालं किच्चा अन्नयराइं आसुरियाई किब्बिसियाई ठाणाई उववत्तारो भवंति, ततोऽवि विप्पमुच्चमाणा भुजो एलमूयत्ताए तमअंधयाए पञ्चायति ॥३१॥ से एगइओ आयहेउं वा णायहेउं वा सयणहेउं वा अगारहेउं वा परिवारहेडं वा नायगं वा सहवासियं वा णिस्साए अदुवा अणुगामिए १ अदुवा उवचरए २ अदुवा पडिपहिए ३ अदुवा संधिच्छेदए ४ अदुवा गठिच्छेदए ५ अदुवा उरम्भिए ६ अदुवा सोवरिए ७ अदुवा बागुरिए ८ अदुवा साउणिए ९ अदुवा मच्छिए १० अदुवा गोधायए ११ अदुवा गोवालए १२ अदुवा सोवणिए (प्र० सेयणए)१३ अदुवा सोवणियंतिए १४, से एगइओ आणुगामियभावं पडिसंधाय तमेव अणुगामियाणुगामियं हंता छेत्ता मेत्ता लुंपइत्ता विलुपइत्ता उद्दवइत्ता आहारं आहारेति, इति से महया पावेहिं कम्मेहिं अत्ताणं उवक्खाइत्ता भवइ, से एगइओ उवचस्यभावं पडिसंधाय तमेव उवचरियं हंता छेत्ता भेत्ता लुंपइत्ता विलंपइत्ता उहवइत्ता आहारं आहारेति, इति से महया पावहिं कम्मेहिं अत्ताणं उबक्खाइत्ता भवइ, से एगइओ पाडिपहियभावं पडिसंधाय तमेव पाडिपहे ठिचा हंता छेत्ता भेत्ता लंपइत्ता विलंपइत्ता उद्दवइत्ता आहारं आहारेति, इति से महया पावेहिं कम्मेहिं अत्ताणं उवक्खाइत्ता भवइ, से एगइओ संधिच्छेदगभावं पडिसंधाय तमेव संधि छेत्ता भेत्ता जाव इति से महया पावेहिं कम्मेहिं अत्ताणं उवक्खाइत्ता भवइ, से एगइओ गंठिच्छेदगभावं पडिसंधाय तमेव गंठिं छेत्ता भेत्ता जाव इति से महया पावहिं कम्मेहिं अत्ताणं उवक्खाइत्ता भवइ, से एगइओ उरम्भियभावं पडिसंधाय उरम्भ वा अण्णतरं वा तसं पाणं इंता जाव उवक्खाइत्ता भवइ, एसो अभिलावो सबत्य, से एगइओ सोयरियभावं पडिसंधाय महिसं वा अण्णतरं वा तसं पाणं जाव उवक्खाइत्ता भवइ, से एगइओ वागुरियभावं पडिसंधाय मियं वा अण्णतरं वा तसं पाणं हंता जाव उवक्खाइत्ता भवइ, से एगइओ सउणियभावं पडिसंधाय सउणि वा अण्णतरं वा तसं पाणं हंता जाव उवक्खाइत्ता भवइ, से एगइओ मच्छियभावं पडिसंघाय मच्छं वा अण्णतरं वा तसं पाणं इंता जाव उवक्खाइत्ता भवइ, से एगइओ गोपायभावं पडिसंघाय तमेव गोणं वा अण्णयरं वा तसं पाणं हंता जाव उक्क्खाइचा भवह, से एगइजो गोवालभावं पडिसंधाय तमेव गोवालं (म० गोणं) वा परिजविय परिजविय हंता जाव उवक्खाइत्ता भवइ, से एगइओ सोवणियभावं पडिसंधाय तमेव मुणगं वा अपयरं वा तसं पार्ण इंता जाव उवक्खाइत्ता भवइ, से एगइओ सोवणियंतियभावं पडिसंधाय तमेव मणुस्सं वा अभयरं वा तसं पाणं इंता जाव आहारं आहारेति, इति से महया पावेहि कम्मेहिं अत्तार्ण उक्क्खाइत्ता भवइ ॥३२॥ से एगइओ परिसामज्झओ उठ्ठित्ता अहमेयं हणामित्तिकटु वित्तिरं वा वगं वा लावगं वा कवोयर्ग वा कविंजलं वा अचयरं वा तसं पाणं इंता जाप उक्साइत्ता भवइ ॥ से एगइओ केणइ आयाणेणं विरुद्ध समाणे अदुवा खलदाणेणं अदुवा सुराथालएणं गाहाक्तीण वा गाहावइपुत्ताण वा सबमेव अगणिकाएण सस्साई झामेइ ५८ सूत्रकृतांग- refaur-२ मुनि दीपरत्नसागर 5480489844398440430429081836998289334589849823453954850CRACR343898941AYRAK984343 Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ SHCHOPOMISHRASPRASHRIMARSHASHTRIASPIRMASPORACTIONSPORHASPIRNGHORAEFERANSPIROMCIPECARBIPEESHARE अण्णेणवि अगणिकाएणं सस्साई झामावेइ अगणिकाएक सस्साई झामतंपि अन्न समणुजाणइ इति से महया पावकम्मेहिं अत्ताणं उपक्खाइत्ता भवइ, से एगइओ केणइ आयाणेणं विरुद्ध समाणे अदुवा खलदाणेणं अदुवा सुरायालएणं गाहावतीण वा गाहावइपुत्ताण वा उडाण वा गोणाण वा घोडगाण वा गद्दभाण वा सयमेव घराओ कप्पेति अनेणवि कप्पावेति कप्पंतपि अन्नं समणुजाणइ इति स महया जाव भवइ, से एगइओ केणइ आयाणेणं विरुद्ध समाणे अदुवा खलदाणेण अदुवा सुराधालएणं गाहावतीण वा गाहावइपुत्ताण वा उसालाओवा गोणसालाओ वा घोडगसालाओ वा गद्दभसालाओ वा फंटकबोंदियाए पडिपेहित्ता सयमेव अगणिकाएणं झामेइ अनेणवि सामावेह झामतंपि अन्नं समणुजाणइ इति से महया जाय भवइ, से एगइओ केणइ आयाणेणं विरुद्धे समाणे अदुवा खलदाणेणं अदुवा सुराधालएणं गाहावतीण वा गाहावइपुत्ताण वा कुंडलं बा (प्र० गुणं वा) मणिं वा मोत्तियं वा सयमेव अवहरइ अन्नेणवि अवहरावइ अवहरंतपि अन्नं समणुजाणइ इति से महया जाय भवइ, से एगइओं केणइवि आदाणेणं विरुद्ध समाणे अदुवा खलदाणेणं अदुवा सुरायालणं समणाण वा माहणाण वा छत्तगं वा दंडगं वा भंडगं बा मत्तगं वा लडिं वा भिसिगं वा चेलागं वा चिलिमिलिगं वा चम्मयं वा छेयणगं वा चम्मकोसियं वा सयमेव अवहरति जाव समणुजाणइ इति से महया जाव उवक्खाइत्ता भवइ, से एगइओ णो वितिंगिछइ तं०-गाहावतीण वा गाहावइपुत्ताण वा सयमेव अगणिकाएणं ओसहीओ झामेइ जाव अन्नंपिझामतं समणुजाणइ इति से महया जाव उवक्खाइत्ता भवति, सएगइआणी वितिगिछइ.त०-गाहावताण वा गाहावइपुत्ताण वा उहाण वा गाणाण वा कप्पेड अन्नेणवि कप्पाचेति अन्नपि कप्पतं समणजाणइ०,से एगइओ णो वितिगिंछइतं०-गाहावतीण वा गाहावइपत्ताण वा अट्टसालाओवा जाव गद्दभसालाओ वा पडिपेहित्ता सयमेव अगणिकाएणं झामेइ जाव समणुजाणइ०, से एगइओ णो वितिगिंछइ, तं०-गाहावतीण वा गाहावइपुत्ताण वा जाव मोत्तियंवा सयमेव अवहरइ जाव समणुजाणइ०, से एगइओ णो विविगिंछइ तं०-समणाण वा माद्दणाण वा छत्तगं वा दंडगं वा जाव चम्मच्छेदणगं वा सयमेव अवहरइ जाव समणुजाणइ इति से महया जाव उवक्वाइत्ता भवइ, से एगइओ समणं वा माहणं वा दिस्सा णाणाविहेहिं पावकम्मेहि अत्ताणं उवक्खाइत्ता भवइ, अदुवा णं अच्छराए आफालित्ता भवइ, अदुवा णं फस्सं वदित्ता भवइ, कालेणवि से अणुपविट्ठस्स असणं वा पाणं वा जाव णो दवावेत्ता भवइ,जे इमे भवन्ति वोनमंता भारकंता अलसगा वसलगा किवणगा समणगा पवयंति ते इणमेव जीवितं धिज्जीवितं संपडिबृहेंति, नाइते परलोगस्स अट्टाए किंचिवि सिलीसंति, ते दुक्खंति ते सोयंति ते जूरंति ते तिप्पति ते पिट्टति ते परितप्पति ते दुक्खणजूरणसोयणतिप्पणपिट्टणपरितिप्पणवहबंधणपरिकिलेसाओ अप्पडिविरया भवति, ते महया आरंभेणं ते महया समारंभेणं ते मया आरंभसमारंभेणं विरूवरूवेहिं पावकम्मकिच्चेहि उरालाई माणुस्सगाई भोगभोगाई भुंजित्तारो भवंति, तंजहा-अन्नं अन्नकाले पाणं पाणकाले वत्थं वत्थकाले लेणं लेणकाले सयणं सयणकाले सपुवावरं च णं ण्हाए कयचलिकम्मे कयकोउयमंगलपायच्छित्ते सिरसा म्हाए कंठेमालाकडे आविद्धमणिसुवन्ने कप्पियमालामउली पडिबद्धसरीरे वग्धारियसोणिसुत्तगमल्लदामकलाचे अहतवत्वपरिहिए चंदणोक्वित्तगायसरीरे महतिमहालियाए कूडागारसालाए महतिमहालयंसि सीहासणंसि इत्यागुम्मसंपरिखुढे सचराइएणं जोइणा झियायमाणेणं महयाऽऽहयागीयवाइयतीतलतालतुडियघणमुईगपडुपवाइयरवेणं उरालाई माणुस्सगाई मोगभोगाइं जमाणे विहरइ. तस्स णं एगवि आणवेमाणस्स जाव चत्तारि पंच जणा अबुत्ता चेव अब्भुट्टति, भणह देवाणुप्पिया! किं करेमो? किं आइरेमो? किं उवणेमो? किं आचिट्ठामो ! कि भे हियइच्छिय ? किं भे आसगस्स सयइ ?, तमेव पासित्ता अणारिया एवं वयंति-देरे खलु अयं पुरिसे, देवसिणाए खलु अयं पुरिसे, देवजीवणिज्जे खलु अयं पुरिसे, अन्नेवि यणं उवजीवंति, तमेव पासित्ता आरिया वयंति-अभिकंतकूरकम्मे खलु अयं पुरिसे अतिधुन्ने अइयायरक्खे दाहिणगामिए नेरइए कण्हपक्खिए आगमिस्साणं दुल्लहबोहियाए यावि भविस्सइ, इचेयस्स ठाणस्स उहिया वेगे अभिगिजांति अणुट्ठिया येगे अभिगिझंति अभिझंझाउरा अभिगिज्झति, एस ठाणे अणारिए अकेवले अप्पडिपुन्ने अणेयाउए असंसुद्ध असालगनणे असिद्धिमग्गे अमत्तिमग्गे अनिपाणमग्गे अणिजाणमम्गे असवदुक्खपहीणमम्गे एगतमिच्छे असाह एस खल पढमस्स ठाणस्स अधम्मपकखस्स विभंगे एबमाहिए॥३३॥ अहावरे दोबस्स ठाणस्स धम्मपक्खस्स विभंगे एवमाहिजइ, इह खलु पाईणं वा पडीणं वा उदीणं वा दाहिणं वा संतेगइया मणुस्सा भवंति, तंजहा-आयरिया बेगे अणारिया वेगे उचागोया बेगे णीयागोया येगे कायमंता वेगे रहस्समंता बेगे सुवचा वेगे दुवचा वेगे सुरूवा वेगे दुरूवा वेगे, तेसि चणं खेत्तवत्थणि परिग्गहियाई भवंति, एसो आलावगो जहा पोंडरीए तहा तयो तेणेव अभिलावेण जाव सदोवसंता सत्ताए परिनियुडेत्तिवेमि, एस ठाणे आरिए केवले जाव सबदुक्खप्पहीणमग्गे एगंतसम्मे साहू, दोचस्स ठाणस्स धम्मपक्खस्स विभंगे एवमाहिए ॥३४॥ अहावरे तबस्स ठाणस्स मिस्सगस्स विभंगे एवमाहिजइ, जे इमे भवंति आरण्णिया आवसहिया गामणियंतिया कण्हईरहस्सिता जाव ते तओ विष्पमुचमाणा ५९ सूत्रस्तांग-न्याय-२ मुनि दीपरत्नसागर SPEMISPIRVASHIATRIPIERSPESARIHASEEMASPBASSPONSISRHIGHCHAOPENISPEAREP642978MBHISARIYA8%8418 Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भुजो एलम्यत्ताए तमूत्ताए पच्चायंति, एस ठाणे अणारिए अकेवले जाव असवदुक्खपहीणमग्गे एगंतमिच्छे असाहू, एस खलु तबस्स ठाणस्स मिस्सगस्स विभंगे एवमाहिए ॥३५॥ अहावरे पढमस्स ठाणस्स अधम्मपक्वस्स विभंगे एवमाहिज्जइ-इह खलु पाईणं वा ४ संतेगतिया मणुस्सा भवंति गिहत्था महिच्छा महारंभा महापरिग्गद्दा अधम्मिया अधम्माणुया (ण्णा) अधम्मिट्ठा अधम्मक्खाई अधम्मपायजीविणो अधम्मप (वि) लोई अधम्मपलज्जणा अधम्मसीलसमुदायारा अधम्मेणं चेव वित्तिं कप्पेमाणा विहरंति, हण छिंद भिंद विगत्तगा लोहियपाणी चंडा रुदा खुद्दा साहस्सिया उकंचणवंचणमायाणियडिकूडकवडसाइपओगबहुला दुस्सीला दुवया दुष्पडियाणंदा असाहू साओ पाणाइवायाओ अप्पडिविरया जाबजीवाए जाव सवाओ परिग्गहाओ अप्पडिविरया जाबजवाए सवाओ कोहाओ जाव मिच्छादंसणस लाओ अप्पडिविरया, सवाओ पहाणुम्मद्दणवण्णगगंधविलेवण सद्दफरिसरस रूवगंधमालालंकाराओ अप्पडिविरया जावज्जीवाए सङ्घाओ सगडरहजाणजुग्गगिडिथिडिसीयादमाणियामयणासणजाणवाहणभोगभोयणपवित्थरविडीओ अप्पडिविरया जावज्जीवाए सवाओ कयविकयमासद्धमासरूवगसंववहाराओ अप्पडिविरया जावज्जीवाए सवाओ हिरण्णसुवण्णधणधण्णमणिमोत्तियसंखसिलप्पवालाओ अप्पडिविरया जावज्जीवाए सवाओ कूडतुलकूडमाणाओ अप्पडिविरया जावजीवाए सथाओ आरंभसमारंभाओ अप्पडिविरया जावज्जीवाए सवाओ करणकारावणाओ अप्पडिविरया जावज्जीवाए साओ पयणपयाव गाओ अप्पडिविरया जावज्जीवाए सवाओ कुट्टणपिट्टणतज्जणताडणवहबंधपरिकिलेसाओ अप्पडिचिरया जावज्जीवाए, जे आवण्णे तहप्पगारा सावज्जा अबोडिया कम्मता परपाणपरियावणकरा जे अणारिएहिं कांति ततो अप्पडिक्रिया जावजीवाए, से जहाणामए केइ पुरिसे कलममसूरविलमुग्गमासनिष्फावकुलत्थआलिसंदगपलिमंथगमादिएहिं अयते करे मिच्छादंडं पउंजंति एवमेव तहप्पगारे पुरिसजाए तित्तिरवट्टगलावगकवोतकविजलमियमहिसवराहगाहगोह कुम्म सरिसिवमा दिएहिं अयते करे मिच्छादंडं पउंजंति, जाविय से बाहि रिया परिसा भवइ, तंजहा दासेइ वा पेसेइ वा भयएइ वा भाइलेइ वा कम्मकरएइ वा भोगपुरिसेइ वा तेसिंपि य णं अन्नयरंसि वा अहालहुगंसि अवराहंसि सयमेव गरुयं दंडं निवत्तेइ, तंजहा-इमं दंडेह इमं मुंडेह इमं तज्जेह इमं तालेह इमं अंदुयबंधणं करेह इमं नियलबंधणं करेह इमं हड्डिबंधणं करेह इमं चारगबंधणं करेह इमं नियलजुयलसकोइयमोडियं करेह इमं हत्थच्छिन्नयं करेह इमं पायच्छिन्नयं करेह इमं कन्नच्छिण्णयं करेह इमं नकओडसीसमुइच्छिन्नयं करेह वेयगच्छहियं अंगच्छहियं पक्खाफोडियं करेह इमं णयणुप्पाडियं करेह इमं दंसणुष्पाडियं० वसणुप्पडियं० जिग्मुप्पाडियं० ओलंबियं करेह घंसियं करेह घोलियं करेह सूलाइयं करेह सूलाभिन्नयं करेह खारवत्तियं करेह वज्झवत्तियं करेह सीहपुच्छियगं करेह वसभपुच्छियगं करेह दवग्गि (प्र० कडग्गि०) दड्ढयगं० कागणिमंसखावियगं० भत्तपाणनिरुद्धगं० इमं जावज्जीवं वहबंधणं करेह इमं अन्नयरेणं असुभेणं कुमारेणं मारेह, जाविय से अभितरिया परिसा भवइ, तंजदा-मायाइ वा पियाइ वा भायाइ वा भगिणीइ वा भज्जाइ वा पुत्ताइ वा धृताइ वा सुण्डाइ वा, तेसिंपि य णं अन्नयरंसि अहालहूगंसि अबराहंसि सयमेव गरुयं दंडं णिवत्तेइ, सीओदगवियडंसि उच्छोलित्ता भवइ जहा मित्तदोसवत्तिए जाब अहिए परंसि लोगंसि, ते दुक्खंति सोयंति जूरंति तिष्यंति पिति परितप्पंति ते दुक्खण सोयणजूरणतिप्पणपिट्टणपरितप्पणवहबंधणपरिकिलेसाओ अपडिविरया भवंति एवमेव ते इत्थिकामेहिं मुच्छिया गिदा गढिया अज्झोववन्ना जाव वासाइं चउपंचमाई छद्दसमाई वा अप्पतरो वा भुजतरो वा कालं भुंजित्तु भोगभोगाई पविमुद्दत्ता वेरायतणाई संचिणित्ता बहूई पावाई कम्माई. उस्सचाई संभारकडेण कम्मणा से जहाणामए अयगोलेइ वा सेटगोलेइ वा उदगंसि पक्खित्ते समाणे उद्गतलमइवइत्ता आहे धरणितलपट्टाणे भवइ एवमेव तहष्पगारे पुरिसजाते क्लबहुले धूतबहुले पंकबहुले वेरबहुले अप्पत्तियबहुले दंभबहुले णियडिबहुले साइबहुले अयसबहुले उत्सन्नतसपाणघाती कालमासे कालं किया धरणितलमइवइत्ता आहे णरगतलपट्टाणे भवइ ॥ ३६ ॥ ते णं णरगा अंतो वट्टा चाहिं चउरंसा अहे खुरप्पसंठाणसंठिया णिचंधकारतमसा (णिबंधतमसा पा०) ववगयगहचंदसूरनक्खत्तजोइसप्पहा मेदवसामंसरुहिरपूयपडलचिक्खिडलित्ताशुठेवणतला असुई बीसा परमदुब्भिगंधा कहा अगणिवन्नाभा कक्खडफासा दुरद्दियासा असुभा णरगा असुभा णरएस वेयणाओ, णो चेव णरएस नेरइया विद्यायंति वा पयलायंवि वा सुई वा रतिं वा घिर्ति वा मतिं या उवलभंते, ते णं तत्थ उज्जलं विउलं पगाढं कडुयं ककसं चंडं दुक्खं दुग्गं तिनं दुरहियासं णेरइया वेयणं पञ्चणुभवमाणा विहरंति ॥ ३७ ॥ से जहाणामए रुक्खे सिया पचयग्गे जाए मूले छिने अग्गे गरुए जओ णिणं जओ विसमं जओ दुग्गं तओ पवडति एवामेव तहप्पगारे पुरिसजाए गन्मातो गन्धं जम्मातो जम्मं माराओ मारं परगाओ णरगं दुक्खाओ दुक्खं दाहिणगामिए रइए कण्हपक्खिए आगमिस्साणं दुछभबोहिए यावि भवइ, एस ठाणे अणारिए अकेवले जाव असवदुक्खपहीणमग्गे एगंतमिच्छे असाहू, पढमस्स अधम्मपक्खस्स विभंगे एवमाहिए ॥३८॥ अहावरे दोचस्स ठाणस्स धम्मपक्खस्स विभंगे एवमाहिज्जइ-इह खलु पाइणं वा ४ संतेगतिया मणुस्सा भवंति, तंजहा अणारंभा अपरिग्गहा धम्मिया धम्माणुया धम्मिट्ठा जाव धम्मेणं चैव वित्तिं कप्पेमाणा विहरंति, सुसीला सुइया सुप्पडियाणंदा सुसाहू सङ्घतो पाणातिवायाओ पडिविरया जावजीवाए जाव जे यावचे तहप्पगारा सावज्जा (१५) ६० सूत्रकृतांगं असणं-र मुनि दीपरत्नसागर | Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अवोहिया कम्ता परपाण परियात्रणकरा कज्जति ततो विपडिविरता जावजीवाए, से जहाणामए अणगारा भगवंतो ईरियासमिया भासासमिया एसणासमिया आयाणभंडमत्तणिक्खेवणासमिया उच्चारपासवणखेलसिंघाणजल्लपारिद्वावणियासमिया मणसमिया वयसमिया कायसमिया मणगुत्ता वयगुत्ता कायगुत्ता गुत्ता गुत्तिदिया गुत्तबंभयारी अकोहा अमाणा अमाया अलोभा संता पसंता उवसंता परिणिव्वुढा अणासवा अग्गंथा छिन्नसोया निरुवलेवा कंसपाइव मुकतोया संखो इव णिरंजणा जीव इव अपडिहयगती गगणतलंपिव निरालंबणा वाउरिव अपडिबद्धा सारदसलिलं व सुद्धहियया पुक्खरपत्तं व निरुवलेवा कुम्मो इव गुत्तिंदिया विहग इव विप्पमुक्का वग्गिविसाणं व एगजाया भारंडपक्खीव अप्पमत्ता कुंजरो इव सोंडीरा वसभो इव जातत्थामा सीहो इव दुदरिसा मंदरो इव अप्पकंपा सागरो इव गंभीरा चंदो इव सोमलेसा सूरो इव दिनतेया जबकंचणगं (प्र० कणगं) व जातरूवा वसुंधरा इब सबफासविसहा सुहुयहुयासणोविव तेयसा जलता, णत्थि णं तेसिं भगवंताणं कत्थवि पडिबंधे भवइ, से पडिबंधे चउविहे पण्णत्ते, तंजहा- अंडएड वा पोयएड वा उम्गद्देड वा पग्गहेइ वा, जन्नं जन्नं दिसं इच्छंति तन्नं तन्नं दिसं अपडिवदा सुइया लहुभूया अप्पग्गंथा संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाणा विहरंति, तेसिं णं भगवंताणं इमा एतारूचा जायामायावित्ती होत्या, तंजा- चउत्थे भत्ते छुट्टे भत्ते अट्ठमे भत्ते दसमे भत्ते दुवालसमे भत्ते चउदसमे भत्ते अद्धमासिए भत्ते मासिए भत्ते दोमासिए निमासिए चाउम्मासिए पंचमासिए छम्मासिए अदुत्तरं च णं उक्खित्तचरया णिक्खित्तचरया उक्खित्तणिक्खित्तचरगा अंतचरगा पंतचरगा लूहचरगा समुदाणचरगा संसट्रुचरगा असंसट्टचरगा तज्जातसंसट्टचरगादिलाभिया अद्विलाभिया पुलाभिया अपुलाभिया भिक्खलाभिया अभिक्खलाभिया अन्नायचरगा उवनिहिया संखादत्तिया परिमितपिंडवाड्या सुद्धेमणिया अंताहारा पंताहारा अरसाहारा विरसाहारा लूहाहारा तुच्छाहारा अंतजीवी पंतजीवी आयंबिलिया पुरिमढिया निविगइया अमज्जमंसासिणो णो नियामरसभोई ठाणाइया पडिमाठाणाइया उकडुआनिया सज्जिया वीरासणिया दंडायतिया लगंडसाइणो अप्पाउडा अगत्तया अकंडुया अणिहा घुतकेसमंसुरोमनहा सवगायपडिकम्मविष्यमुक्का चिठ्ठति, ते णं एतेणं विहारेणं विहरमाणा बहूई बासाई सामन्नपरियागं पाउणति २ बहुबहु आवाहंसि उप्पन्नंसि वा अणुप्पन्नंसि वा बहूई भत्ताई पञ्चक्खन्ति पञ्चखाइत्ता बहूई मत्ताई अणसणाए छेदिति अणसणाए छेदित्ता जस्साए कीरति नग्गभावे मुंडभावे अण्हाणभावे अदंतवणगे अच्छत्तए अणोवाहणए भूमिसेज्जा फलासेज्जा कट्टसेज्जा केसलोए बंभचेरवासे परघरपवेसे लदावलद्वे माणा माणणाओ हीलणाओ निंदणाओ खिंसणाओ गरहणाओ तज्जणाओ तालणाओ उच्चावया गामकंटगा बाबीसं परीसहोवसग्गा अहियासिज्जति तमहं आराहंति, तमहं आराहित्ता चरमेहिं उस्सासनिस्मासेहिं अनंतं अणुत्तरं निशाघातं निरावरणं कसिणं पडिपुण्णं केवलवरणाणदंसणं समुप्पार्डेति समुप्पाडित्ता ततो पच्छा सिज्झति बुज्झति मुच्चंति परिणिधायंति सद्वदुक्खाणं अंतं करेंति, एगचाए पुण एगे भयंतारो भवंति, अवरे पुण पुत्रकम्मावसेसेणं कालमासे कालं किच्चा अन्नयरेसु देवलोएस देवत्ताए उबवत्तारो भवति, तंजहामहढिएस महज्जुतिएस महापरक्कमेसु महाजसेसु महाबलेस महाणुभावेसु महासुक्खेसु, ते णं तत्थ देवा भवंति महढिया महज्जुतिया जाव महासुक्खा हारविराइयवच्छा कडगतुडियथंभियभुया अंगयकुंडलमट्टगंडयलकन्नपीडधारी विचित्तहत्था भरणा विचित्तमालामउलिमउडा कलाणगंधपवरवत्थपरिहिया कलाणगपवरमहाणुलेवणधरा भासुरखोंदी पलंबवणमालधरा दिवेणं रुवेणं दिवेणं वज्रेण दिशेणं गंधणं दिवेणं फासेणं दिवेणं संघाएणं दिवेणं संठाणेणं दिखाए इड्ढीए दिखाए जुत्तीए दिखाए पभाए दिखाए छायाए दिलाए अच्चाए दिवेणं तेएणं दिशाए लेसाए दस दिसाओ उज्जोवेमाणा पभासेमाणा गइकलाणा ठिइकडाणा आगमेसिभद्दया यावि भवति, एस ठाणे आयरिए जाव सङ्घदुक्खपहीणमग्गे एगंतसम्मे सुसाहू, दोच्चस ठाणस्स धम्मपक्खस्स विभंगे एवमाहिए ॥३९॥ अहावरे तच्चस्स ठाणस्स मीसगस्स विभंगे एवमाहिज्बइ-इह खलु पाईणं वा ४ संतेगइया मणुस्सा भवति, तंजहा अप्पिच्छा अप्पारंभा अप्पपरिग्गहा धम्मिया धम्माणुया जात्र धम्मेणं चेत्र वित्तिं कप्पेमाणा विहरंति सुसीला सुइया सुपडियाणंदा साहू एगचाओ पाणाइवायाओ पडिविरता जावजीवाए एगचाओ अप्पडिक्रिया जाव जे यावण्णे तहप्पगारा सावज्जा अवोहिया कम्र्म्मता परपाणपरितावणकरा कांति ततोऽवि एगचाओ अप्पडिविरया, से जहाणामए समणोवासगा भवति अभिगयजीवाजीवा उवलद्वपुण्णपावा आसपसंवरवेयणाणिज्जराकिरियाद्दिगरणबंधमोक्खकुसला असहेज (जा) देवासुरनागभुवण्णजक्खरक्खसकिन्नरकिंपुरिसगस्टगंधमहोरगाइएहिं देवग णेहिं निम्गंधाओ पावयणाओ अणइक्कमणिजा, इणमेव निग्गंथे पावयणे णिस्संकिया णिकंखिया निष्वितिमिच्छा लट्टा गहिया पुच्छियट्टा विणिच्छियट्टा अभिगयट्टा अट्टिमिजपेम्मारागरत्ता, अयमाउसो ! निम्थे पावयणे अट्ठे अयं परमट्टे सेसे अणट्टे, ऊसियफलिहा अवगुयदुवारा अचियत्तंतेडरपरघरपवेसा चाउद्दसमुद्दिद्वपुण्णिमासिणीस पडिपुत्रं पोसहं सम्म अणुपालेमाणा समणे निम्गंधे फासुएसणिज्जेणं असणपाणखाइमसाइमेणं वत्थपडिग्गहकंबलपायपुंछणेणं ओसह भेसज्जेणं पीढफलगसेज्जासंधारएणं पडिला भेमाणा, बहूहिं सीलायगुण६१ सूत्रकृतांगं अय-२ मुनि दीपरत्नसागर Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 8994219,4830295.45:5349993642138888884201024NVIRARK228123842HONORK298431842933450342 वेरमणपश्चक्खाणपोसहोववासेहिं अहापरिम्गहिएहिं तबोकम्मेहि अप्पाणं भावमाणा विहरंति, तेणं एयारूवेणं विहारेणं विहरमाणा बहई वासाइं समणोवासगपरियागं पाउणंति पाउणित्ता आचाहंसि उप्पन सि वा अणुप्पन्नंसिवा बहई भत्ताई पञ्चक्खायंति बहूई भत्ताई पञ्चक्खाएत्ता बहूई भत्ताई अणसणाए छेदेन्ति बहूई भत्ताई अणसणाए छेइत्ता आलोइयपडिकता समाहिपत्ता कालमासे कालं किचा अन्नयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववत्तारो भवंति, तंजहा-महड्ढिएसु महज्जुइएसु जाव महासुखेसु सेसं तहेव जाव एस ठाणे आयरिए जाव एगंतसम्म साहू, तबस्स ठाणस्स मिस्सगस्स विभंगे एवं आहिए, अविरई पडुश्च चाले आहिज्जइ, विरई पडुन पंडिए आहिजइ, विरयाविरई पहुच बालपंडिए आहिजइ, तत्थ णं जा सा सवतो अविरई एस ठाणे आरंभट्ठाणे अणारिए जाव असम्बदुक्खप्पहीणमगे एगंतमिच्छे असाहू, तत्व णं जा सा सबतो विरई एस ठाणे अणारंभट्ठाणे आरिए जाच सबदु साह. तत्थ णं जा सा सबओ विरयाविर एस ठाणे आरंभणोआरंभदाणे एस ठाणे आरिए जाव सबकखपहीणमग्गे एगतसम्म साह ॥४०॥ एवमेव समणुगम्ममाणा इमेहिं चेव दोहिं ठाणेहिं समोअरंति, तंजहा-धम्मे चैव अधम्मे चेव, उपसंते चेव अणुवसंते चेब, तत्थ णं जे से पढमस्स ठाणस्स अधम्मपक्खस्स विभंगे एवमाहिए, तत्थ णं इमाई तिनि तेवट्ठाई पावाद्यसयाई भवंतीति मक्खायाई, तंजहा-किरियावाईणं अकिरियावाईर्ण अन्नाणियवाईणं वेणइयवाईणं, तेऽवि परिनिवाणमाइंसु, तेऽवि मोक्खमाइंसु तेऽवि लवंति सावगा ! तेऽवि लवंति सावइत्तारो ॥४१॥ ते सच्चे पावाउया आदिकरा धम्माणं णाणापन्ना णाणालंदाणाणासीला णाणादिठी णाणाई णाणारंभा णाणाज्झवसाणसंजुत्ता एग महं मंडलिबंध किच्चा सवे एगओ चिट्ठति, पुरिसे य सागणियाणं इंगालाणं पाई बहुपडिपुन्नं अओमएणं संडासएणं गहाय ते सवे पावाउए आइगरेधम्माणं णाणापाने जावणाणाझवसाणसंजत्ते एवं बयासी-हंभो पावाउया! आइगरा धम्माणं णाणापन्ना जाव णाणाअज्झवसाणसंजुना! इमं ताव तुम्भे सागणियाणं इंगालाणं पाई बहुपडिपुत्रं गहाय महत्तयं मुहत्तगं पाणिणा धरेह, णो बहुसंडासगं संसारियं कुज्जा णो बहुअम्गिधंभणियं कुजा णो बहुसाहम्मियवेयावडियं कुज्जा णो बहुपरधम्मिययावडियं कुजा उजुया णियागपडिवन्ना अमायं कुव्वमाणा पाणिं पसारेह, इति बुच्चा से पुरिसे तेसिं पावादुयाणं तं सागणियाणं इंगालाणं पाई बहुपडिपुन्नं अओमएणं संडासएणं गहाय पाणिंसु णिसिरति, तए णं ते पाबाया आइगरा धम्माणं णाणापन्ना जाच णाणाझवसाणसंजुत्ता पाणिं पडिसाहरंति, तए णं से पुरिसे ते सव्वे पावाउए आदिगरे धम्माणं जाव णाणाझवसाणसंजुत्ने एवं वयासी-हंभो पावादया ! आइगरा धम्माणं णाणापन्ना जाव णाणाज्झवसाणसंजुत्ता ! कम्हा णं तुम्भे पाणिं पडिसाहरह?, पाणिं नो डहिज्जा, दहढे किं भविस्सइ?, दुक्खं, दुक्खंति मन्नमाणा पडिसाहरह?,एस तुला एस पमाणे एस समोसरणे, पत्तेयं तुला पत्तेयं पमाणे पत्तेयं समोसरणे, तत्थ णं जे ते समणा माहणा एवमातिक्खंति जाव परुति-सवे पाणा जाव सव्वे सत्ता हंतव्वा अजायचा परिघेत्तवा परितावेयवा किलामेतका उहवेतवा, ते आगंतुछेयाए ते आगंतुमेयाए जाव ते आगंतुजाइजरामरणजोणिजम्मणसंसारपुणभवगम्भवासभवपवंचकलं. कलीभागिणो भविस्संति, ते चहूर्ण दंडणाणं पहूणं मुंडणाणं तज्जणाणं तालणाणं अंदुचंधणाणं जाव घोलणाणं माइमरणाणं पिइमरणाणं भाइमरणाणं भगिणीमरणाणं भजापुत्तधृतसुण्हामरणाणं दारिदाणं दोहम्गाणं अप्पियसंवासाणं पियविप्पओगाणं बहर्णदुक्खदाम्मणस्साणं भुजो भजो अणुपरियट्टिस्संति, ते णो सिज्झिस्संति णो बुज्झिस्संति जाव णो सम्बदुक्खाणं अंतं करिस्संति, एस तुला एस पमाणे एस समोसरणे पत्तेयं तुला पत्तेयं पमाणे पत्तेयं समोसरणे, तत्थ णं जे ते समणा माहणा एवमाइक्खंति जाव परुति-सब्वे पाणा सव्वे भूया सब्वे जीवा सव्वे सत्ता ण इंतव्या ण अज्जावेयचा ण परिघेत्तबाण उद्दवेयवा ते णो आगंतुछेयाए ते णो आगंतुभेयाए जाव जाइजरामरणजोणिजम्मणसंसारपुणब्भवगम्भवासभवपवंचकलंकलीभागिणो भविस्संति, ते णो बहणं दंडणाणं मुंडणाणं जाव बहूणं दुखदोम्मणस्साणं णो भागिणो भविस्संति, अणादियं चणं अणवयम्गं दीहमद चाउरंतसंसारकतारं भुजो भुजो णो अणुपरियहिस्संति, ते सिज्झिस्संति जाव सबदुक्खाणं अंतं करिस्मंति ॥४२॥ इच्चेतेहिं वारसहिं किरियाठाणेहिं वट्टमाणा जीवा णो सिझिसु णो बुझिसु णो मुचिंसु णो परिणिचाइंसु जाव णो सबदुक्खाणं अंतं करेंसु वा णो करेंति वा णो करिस्संतिवा, a एयंसि चेव तेरसमे किरियाठाणे वट्टमाणा जीवा सिज्झिसु बुझिसु मुञ्चिसु परिणिबाइंसु जाव सबदुक्खाणं अंतं करेंसु वा करंति वा करिस्संति वा । एवं से भिक्खू आयट्ठी आयहिते आयगुत्ते आयजोगे आयपरकमे आयरक्खिए आयाणुकंपए आयनिप्फेडए आयाणमेव पडिसाहरेज्जासित्तिचेमि॥४३॥ कियास्थानाध्ययनं २.(१८)॥ सुयं मे आउसंतेणं भगवया एवमक्खायं-इह खलु आहारपरिणाणामज्झयणे, तस्स णं अयमढे, इह खलु पाईणं वा ४ सवतो सच्चावंति च णं लोगंसि चत्तारिबीयकाया एवमाहिजंति, तंजहा- अम्गनीया मूलबीया पोरबीया खंधवीया, (वणस्सइकाइयाणं पंचविहा वीजवकंती एवमाहिजइ. तंजहा-अग्गमूलपोरक्खंघवीयम्हा छट्ठावि एगेंदिया संमुचिछमा बीया जायंते पा०) तेसिं च णं अहा६२ सूत्रकृतांगं- tree-३ मुनि दीपरत्नसागर RSSPESASPELAPERSPIRMIRPHILOPOMEPRASPASSESASYCHISPESASPI84878488PICARBAASPIRAHONE Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ बीएणं अहावगासेणं इहेगतिया सत्ता पुढवीजोणिया पुढवीसंभवा पुढवीवुकमा तजोणिया तस्संभवा तदुवकमा कम्मोवगा कम्मणियाणेणं तत्थवुकमा णाणाविहजोणियासु पुढवीसु रुक्खत्ताए विउद्देति. ते जीवा तेसिं णाणाविहजोणियाणं पुढवीणं सिणेहमाहारेंति, ते जीवा आहारैति पुढवीसरीरं आउसरीरं तेउसरीरं वाउसरीरं वणस्सइसरीरं, णाणाबिहाण तसथावराणं पाणाणं सरीरं अचितं कुचंति परिविद्धत्थं तं सरीरं पुवाहारियं तयाहारियं विपरिणयं सारूवियकडं संत, अवरेऽवि य णं तेसिं पुढविजोणियाणं रुक्खाणं सरीरा णाणावण्णा णाणागंधा णाणारसा णाणाफासा णाणासंठाणसंठिया णाणाविहसरीरपुग्गलविउविता ते जीवा कम्मोववन्नगा भवंतित्ति मक्खायं ॥४४॥ अहावरं पुरक्खायं इहेगतिया सत्ता रुक्खजोणिया रुक्खसंभवा रुक्खवुकमा तज्जोणिया तस्संभवा तदुवकमा कम्मोवगा कम्मनियाणेणं तत्थबुकमा पुढवीजोणिएहिं रुक्खेहिं रुक्खत्ताए विउद्धृति, ते जीवा तेसि पुटवी जोणियाणं रुक्खाणं सिणेहमाहारेंति, ते जीवा आहारेंति पुढवीसरीरं आउतेउवाउवणस्सइसरीरं णाणाविहाणं तसथावराणं पाणाणं सरीरं अचित्तं कुच्वंति परिविद्वत्थं तं सरीरं पुवाहारियं तयाहारियं विष्परिणामियं सारुविकर्ड संतं, अवरेवि य णं तेसिं रुखजोणियाणं रुक्खाणं सरीरा णाणावण्णा णाणागंधा णाणारसा णाणाफासा णाणासंठाणसंठिया णाणाविहसरीरपुग्णलविउविया ते जीवा कम्मोषवन्नगा भवंतीति मक्खायं ॥४५॥ अहावरं पुरक्खायं इहेगतिया सत्ता रुक्खजोणिया रुक्खसंभवा रुखवुकमा तज्जोणिया तस्संभवा तदुवकमा कम्मोवगा कम्मणियाणेणं तत्थबुकमा (प्र० रुक्खारुख) रुक्खजोणिएम रुक्ख(प्र० रुक्खारक्ख)ताए विउटृति ते जीवा तेसिं रुक्खजोणियाणं रुक्खाणं सिणेहमाहारैति. ते जीवा आहारेंति पुढवीसरीरं आउतेउवाउवणस्सइसरीरं तसथावराणं पाणाणं सरीरं अचित्तं कुवंति परिविदत्थं तं सरीरं पुश्वाहारियं तयाहारियं विपरिणामियं सारुविकडं संतं, अवरेऽपि य णं तेसिं रुक्खजोणियाणं रुक्खाणं सरीरा णाणावन्ना जाव ते जीवा कम्मोववन्नगा भवंतीति मक्खायं ॥४६॥ अहावरं पुरक्खायं इहेमइया सत्ता रुक्खजोणिया रुक्खसंभवा रुक्खवुकमा तज्जोणिया तस्संभवा तदुवकमा कम्मोवगा कम्मनियाणेणं तत्वबुकमा रुक्खजोणिएसुरुक्खेसु मूलत्ताए कंदत्ताए खंधत्ताए तयत्ताए सालत्ताए पवालत्ताए पत्तत्ताए पुष्फत्ताए फलत्ताए बीयत्ताए विउदंति, ते जीवा तेसिं रुक्खजोणियाणं रुक्खाणं सिणेहमाहारैति, ते जीवा आहारैति पुढवीसरीरं आउतेउवाउवणस्सइ० णाणाविहाणं तसथावराणं पाणाणं सरीरं अचित्तं कुवंति परिविद्धत्थं तं सरीरंग जाव सारूविकडं संतं, अवरेऽवि य णं तेसिं रुक्खजोणियाणं मूलाणं कंदाणं खंधाणं तयाणं सालाणं पवालाणं जाव बीयाणं सरीरा णाणावण्णा णाणागंधा जाय णाणाविहसरीरपुरगलविउचिया ते जीवा कम्मोववनगा भवंतीति मक्खायं ॥४७॥ अहावरं पुरक्खायं इहेगविया सत्ता रुक्खजोणिया रुक्खसंभवा रुक्खबुकमा तज्जोणिया तम्संभवा नदुवकमा कम्मोववनगा कम्मनियाणेणं तत्थबुकमा रुक्खजोणिएहिं रुकवेहिं अज्झारोहत्ताए विउद्घति, ते जीवा तेसिं रुक्खजोणियाणं रुकवाणं सिणेहमाहारेंति, ते जीवा आहारैति पुढवीसरीरं जाव सारूविकढं संतं, अवरेवि य णं तेसिं रुक्खजोणियाणं अज्झारहाणं सरीरा णाणावना जाव मक्खायं ॥४८॥ अहावरं पुरक्खायं इहेगतिया सत्ता अज्झारोहजोणिया अज्झारोहसंभवा जाव कम्मनियाणेणं तत्थबुकमा रुक्खजोणिएसु अज्झारोहेसु अज्झारोहत्ताए विउद्देति, ते जीवा तेर्सि रुक्खजोणियाणं अज्झारोहाणं सिणेहमाहारेंति, ते जीवा पुढबीसरीरं जाय सारूविकडं संत, अवरवि य क तेसिं अज्झारोहजोणियाणं अज्झारोहाणं सरीरा णाणावन्ना जाव मक्खायं ॥४९॥ अहावरं पुरक्खायं इहेगतिया सत्ता अज्झारोहजोणिया अज्झारोहसंभवा जाव कम्मनियाणेणं तत्थवुकमा अज्झारोहजोणिएम (म० अज्झोरुहेसु) अज्झारोहत्ताए बिउद्देति, ते जीवा तेसिं अज्झारोहजोणियाणं अज्झारोहाणं सिणेहमाहारैति. ते जीवा आहारंति पुढवीसरीरं आउसरीरं जाव सारूविकडं संतं, अवरेऽवि य णं तेसिं अज्झारोहजोणियाणं अज्झारोहाणं सरीरा णाणावन्ना जावम खायं ॥५०॥ अहावरं पुरवायं इहेगतिया सत्ता अज्झारोहजोणिया अज्झारोहसंभवा जाव कम्मनियाणेणं तत्थवुकमा अज्झारोहजोणिएसु अज्झारोहेसु मूलत्ताए जाव बीयताए विउति. ते जीवा तेर्सि अज्झारोहजोणियाणं अज्झारोहाणं सिणेहमाहारति जाव अवरवि य ण तास अजमारोहजोणियाणं मूलाणं जाव बीयाणं सरीरा णाणावन्ना जान मक्खायं ॥५१॥ अहावरं पुरकखायं इहेगतिया सत्ता पुढबीजोणिया पुढवीसंभवा जाव णाणाविहजोणियासु पुढवीसु तणत्ताए विउदृति, ते जीवा तेसिं णाणाविहजोणियाणं पुढवीणं सिणेहमाहारेति जाव ते जीवा कम्मोववन्ना भवंतीति मक्खायं ॥५२॥ एवं पढ़वीजोणिएसु तणेसु तणत्ताए विउदृति जाव मक्खायं ॥५३॥ एवं तणजोणिएस तणेस तणताप बिउनि, तणजोणियं तणसरीरं च आहारति जाव मक्खायं, एवं तणजोणिएसु तणेसु मूलत्ताए जाव बीयत्ताए विउद्देति ते जीवा जाव एवमक्खायं, एवं ओसहीणवि चत्तारि आलावगा॥ एवं हरियाणवि चत्तारि आलावगा ॥५४॥ अहावरं पुरक्खाय इहेगतिया सत्ता पुढवीजोणिया पुढवीसंभवा जाव कम्मनियाणेणं तत्यचुक्तमा णाणाविहजोणियासु पुढवीसु आयत्ताए वायनाए कायत्ताए कहणत्ताए कंदुकत्ताए उल्नेहणियत्ताए निव्वेहणियत्ताए सच्छत्ताए छत्तगत्ताए वासाणियत्ताए कूरत्ताए विउद्देति, ते जीवा तेसि णाणाविहजोणियाणं ६३ सूत्रहतांग - अन्सा -३ मुनि दीपरत्नसागर 40, Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुढवीण सिणेहमाहारेंति ते जीवा आहारिति पुटवीसरीरं जाव संतं, अवरेऽवि यणं तेसिं पुढवीजोणियाणं आयत्ताणं जाव कूराणं सरीरा णाणावण्णा जाव मक्खायं, एगो चेव आला. वगो. सेसा तिग्णि णत्थि। अहावरं पुरकखायं इहेगतिया सत्ता उदगजोणिया उद्गसंभवा जाव कम्मनियाणेणं तत्यबुकमा णाणाविहजोणिएमु उदएम स्कूवत्ताए विउदृति, ते जीवा तेसिं णाणापिहजोणियाणं उदगाणं सिणेहमाहारेंति ते जीवा आहारिंति पुढवीसरीरं जाव संतं, अवरेऽवि य णं तेसिं उदगजोणियाण रुक्खाणं सरीग णाणावण्णा जाव मक्वार्य । जहा पुढविजोणियाणं रुक्खाणं चत्तारिगमा अज्झारहाणवि तहेव, तणाणं ओसहीणं हरियाणं चत्तारि आलावगा माणियव्या एकेके । अहावरं पुरक्खायं इहेगतिया सत्ता उद्गजोणिया उद्गसंभवा जाव कम्मणियाणेणं तत्थयुकमा णाणाविहजोणिएसु उदएसु उदगत्ताए अक्मत्ताए पणगत्ताए सेवालताए कलंबुगत्ताए हडताए कसेरुगत्ताए कच्छमाणियत्ताए उप्पलत्ताए पउमत्ताए कुमुयत्ताए नलिणत्ताए सुभगत्ताए सोगंधियत्ताए पोंडरीयमहापोंडरीयत्ताए सयपत्तत्ताए सहस्सपत्तत्ताए एवं कल्हारकोंकणयत्ताए अरविंदत्ताए तामरसत्ताए भिसभिसमुणालपुक्खलत्ताए पुखलभिडमगत्ताए विउदंति, ते जीवा तेसिं णाणाविहजोणियाणं उदगाणं सिणेहमाहारेंति, ते जीचा आहारेति पढपीसरीर जाप संत, अवरेऽपि य णं तेसिं उदगजोणियाणं उदगाणं जाव पुकखलच्छिभगाणं सरीरा णाणावण्णा जाव मक्खायं, एगो चेव आलावो । ५५। अहावरं पुस्खायं इहेगतिया सत्ता तेसिं चेच पुढचीजोणिएहिं रुक्खेहिं रुक्खजोणिएहिं रुक्षेहिं रुक्खजोणिएहिं मूलेहिं जाव बीएहिं रुक्खजोणिएहिं अज्झारोहेहिं अज्झारोहजोणिएहि अज्झारुडेहिं अज्झारोहजोणिएहिं मूलेहिं जाव बीएहिं, पुढचीजोणिएहि तणेहिं तणजोणिएहि मूलेहिं जाव बीएहिं एवं ओसहीहिवि तिन्नि आलावगा, एवं हरिएहिवि तिनि आलायगा, पुढवीजोणिएहिवि आएहि काएहिं जाच कूरेहिं उदगजोणिएहिं रुक्षेहि रुक्खजोणिएहि रुक्खेहिं रुक्खजोणिएहिं मूलेहिं जाव बीएहिं एवं अज्झारुहेहिवि तिणि तणेहिपि तिण्णि आलावगा, ओसहीहिपि तिष्णि, हरिएहिपि तिषिण, उदगजोणिएहि उदएहिं अवएहि जाव पुखलच्छिभएहिं तसपाणत्ताए विउद्देति । ते जीवा तेसिं पुढवीजोणियाणं उदगजोणियाणं रुक्खजोणियाणं अज्झारोहजोणियाणं तणजोणियाणं ओसहीजोणियाणं हरियजोणियाणं रुक्खाणं अज्झारुहाणं तणाणं ओसहीणं हरियाणं मूलाणं जाव बीयाणं आयाणं कायाणं जाव कुरवा(करा)णं उदगाणं अवगाणं जाव पुक्खलच्छिभगाणं सिणेहमाहारेंति, ते जीवा आहारेंति पुढवीसरीरं जाव संतं, अवरेऽवि य णं तेसिं रुक्खजोणियाणं अज्झारोहजोणियाण तणजोणियाणं ओसहिजो. णियाणं हरियजोणियाणं मूलजोणियाणं कंदजोणियाण जाव बीयजोणियाणं आयजोणियाणं कायजोणियाणं जाव करजोणियाणं उदगजोणियाणं अवगजोणियाणं जाय पुकवलच्छिभगजोणियाणं तसपाणाणं सरीरा णाणावण्णा जाव मक्खायं ।५६। अहावरं पुरक्खायं णाणाविहाणं मणुस्साणं, तंजहा-कम्मभूमगाणं अकम्मभूमगाणं अंतरदीवगाणं आरियाण मिलकखुयाणं, तेसिं च णं अहापीएणं अहावगासेणं इत्थीए पुरिसस्स य कम्मकडाए जोणिए एस्थ ण मेहुणवत्तियाए णाम संजोगे समुपजा, ते दुहओपि सिणेहं संचिणंति, तत्व णं जीवा इत्थित्ताए पुरिसत्ताए णपुंसगत्ताए विउति, ते जीवा माओउयं पिउसुकं तं तदुभयं संसर्ल्ड कलुस किविसं तंपढमत्ताए आहारमाहारेंति, ततो पच्छा जं से माया णाणाविहाओ रसविहीओ आहारमाहारेति ततो एगदेसेणं ओयमाहारेंति आणुपुत्रेण वुड्ढा पलिपागमणुपवना ततो कायातो अभिनिवट्टमाणा इस्थि वेगया जणयंति पुरिसं वेगया जणयंति णपुंसगं वेगया जणयंति, ते जीवा डहरा समाणा माउक्खीरं सपि आहारेंति, अणुपुत्रेणं बुड्ढा ओयणं कुम्मासं तसथावरे य पाणे, ते जीवा आहारति पुढवीसरीरं जाव सारूविकडं संतं, अवरेऽपि यणं तेसिं गाणाविहाणं मणुस्सगाणं कम्मभूमगाणं अकम्मभूमगाणं अंतरदीवगाणं आरियाणं मिलक्खूणं सरीरा णाणावण्णा भवतीति मक्खायं ॥५॥ अहावरं पुरक्वायं णाणाविहाणं जलचराणं पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं, तंजहा-मच्छाणं जाव सुंसुमाराणं, तेसिं च णं अहाचीएणं अहावगासेणं इत्थीए पुरिसस्स य कम्मकडा तहेव जाब ततो एगदसेणं ओयमाहारेंति, आणुपुषेणं युइदा पलिपागमणुपवना ततो कायाओ अभिनिवट्टमाणा अंडं वेगया जणयंति पोयं वेगया जणयंति, से अंडे उभिजमाणे इस्थि वेगया जणयंति परिसं वेगया जणयंति नपुंसर्ग वेगया जणयंति, ते जीवा डहरा समाणा माउसिणेहमाहारैति अणुपुत्रेणं बुड्ढावणस्सतिकार्य तसथावरेय पाणे, ते जीवा आहारेंति पुढवीसरीर जाव संतं, अवरेऽपि य णं तेसि णाणाविहाणं जलचरपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं मच्छाणं सुंसुमाराणं सरीरा णाणावण्णा जाप मक्खायं। अदावरं पुरक्खायं णाणाविहाणं चउपयथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणियाण, तंजहा-एगसराणं दखाणं गंडीपदाणं सणफयाणं, तेसिं च णं अहावीएणं अहावगासेणं इत्थीए परिसस्स य कम्म जाच मेहुणवत्तिए णाम संजोगे समुष्पजइ, ते दुहओ सिणेहं संचिणंति, तत्थ णं जीवा इत्थित्ताए पुरिसत्ताए जाव विउइंति, ते जीवा माओउयं पिउसुकं एवं जहा मणुस्साणं इत्यपि वेगया जणयंति पुरिसंपि० नपुंसगंपि०, ते जीवा डहरा समाणा माउक्षीरं सप्पि आहारति आणुपुत्रेणं बुड्ढा वणस्सइकार्यतसथावरेय पाणे, तेजीचा आहारेंति पुढवीसरीरं जाव संतं, अवरेऽपिय तेसि णाणाविहाणं चउप्पयथलयरपंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं एगखुराणं जाव सणफयाणं सरीरा गाणावण्णा जाव मक्खायं। अहावरं पुरक्खायं णाणाविहाणं उरपरिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्ख-(१६) ६४ सूत्रतांग - असर मुनि दीपरत्नसागर Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जोणियाणं, तंजहा-अहीणं अयगराणं आसालियाण महोरगाणं, तेसिं च णं अहावीएणं अहावगासेणं इत्यीए पुरिस जाव एत्थ णं मेहुण० एवं तं चेब, नाणत्तं अंडं वेगइया जणयंनि पोयं वेगइया जणयंति, से अंडे उम्भिजमाणे इत्यि वेगहया जणयंति पुरिसंपि० णपुंसगंपि०, ते जीवा डहरा समाणा वाउकायमाहारैति आणुपुत्रवेणं वुड्ढा वणस्सइकायं तसथावरपाणे, ने जीवा आहारेंति पुढवीसरीरं जाव संतं, अवरेऽवि य णं तेसिं णाणाविहाणं उरपरिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्ख० अहीणं जाव महोरगाणं सरीरा णाणावण्णा णाणागंधा जाव मक्खार्य। अहावरं पुरक्खायणाणाविहाणं भयपरिसप्पथलयरपंचिदियतिरिक्खजोणियाणं, तंजहा-गोहाणं नउलाणं सीहाणं सरडाणं सडाणं सरवाणं खराणं घरकोइलियाणं विस्संभगणं मुसगाणं मंगुसाणं फ्यलाइयाणं विरालियाणं जोहाणं चउप्पाइयाणं, तेसिं च णं अहावीएणं अहावगासेणं इत्थीए पुरिसस्स य जहा उरपरिसप्पाणं तहा भाणियत्रं जाव सारूविकडं संनं, अवरेऽचि य णं तेसिं णाणाविहाणं भुयपरिसप्पपंचिंदियघलयरतिरिक्खाणं तं०-गोहाणं जाव मक्खायं। अहावरं पुरक्खायं णाणाविहाणं खहचरपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं, तंजहाचम्मपक्खीणं लोमपक्खीणं समुग्गपक्खीणं विततपक्खीणं तेसिं च णं अहावीएणं अहावगासेणं इत्थीए जहा उरपरिसप्पाणं नाणत्तं ते जीवा डहरा समाणा माउगात्तसिणेहमाहारैति आणुपुत्रेणं वुड्ढा वणस्सतिकार्य तसथावरे य पाणे, ते जीवा आहारैति पुढविसरीरं जाव संतं, अवरेऽवि य णं तेसिं णाणाविहाणं खहचरपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं चम्मपक्रवीण जाव मक्खायं । ५८। अहावरं पुरक्खायं इहेगतिया सत्ता णाणाविहजोणिया णाणाविहसंभवा णाणाविहवुकमा तज्जोणिया तस्संभवा तदुवकमा कम्मोवगा कम्मणियाणेणं तत्थबुक्कमा णाणाविहाणं तसथावराणं पोग्गलाणं सरीरेसु वा सचित्तेसु वा अचित्तेसु वा अणुसूयत्ताए विउति, ते जीवा तेसिं णाणाविहाणं नसथावराणं पाणाणं सिणेहमाहारेंति, ते जीवा आहारति पढवीसरीर जाव संत, अवरेऽवि य णं तेसि तसथावरजोणियाणं अणुसूयगाणं सरीरा णाणावण्णा जाव मक्खाय। एवं दुरूवसंभवत्ताए। एवं खुरदुगताए।५९। अहावरं पुरक्खायं इहेगतिया सत्ता णाणाविहजोणिया जाव कम्मणियाणेणं तत्थवुकमा णाणाविहाणं तसथावराणं पाणाणं सरीरेसु सचिनेसु वा अचित्तेसु वा तं सरीरगं वायसंसिद्ध वा वायसंगहियं वा वायपरिग्गहियं उड्ढवाएसु उड्ढभागीभवति अहेवाएसु अहेभागीभवति तिरियवाएसु तिरियभागीभवति, तंजहा-ओसा हिमए महिया करए हरतणुए सुद्धोदए, ते जीवा तेसिं णाणाविहाणं तसथावराणं पाणाणं सिणेहमाहारेंति, ते जीवा आहारिति पुढवीसरीरं जाव संतं, अवरेऽवि य णं तेसिं तसथावरजोणियाणं ओसाणं जाव सुदोदगाणं सरीराणाणावण्णा जाच मक्खायं । अहावरं पुरक्खायं इहेगतिया सत्ता उदगजोणिया उदगसंभवा जाव कम्मणियाणेणं तत्यवुकमा तसथावरजोणिएसु उदएसु उदगत्ताए विउदृति, ते जीवा तेसि तसथावरजोणियाणं उदगाणं सिणेहमाहारेंति, ते जीवा आहारेंति पुढवीसरीरं जाव संतं, अवरेऽवि य णं तेसि तसथावरजोणियाणं उदगाणं सरीरा णाणावण्णा जाव मकवायं । अहावरं पुरक्खायं इहेगतिया सत्ता उदगजोणियाणं जाव कम्मनियाणेण तत्थवुकमा उदगजोणिएसु उदएसु उदगत्ताए विउद्घति, ते जीवा तेसिं उदगजोणियाणं उदगाणं सिणेहमाहारेंति ते जीवा आहारेंति पुढवीसरीरं जाव संतं, अवरेऽवि य णं तेसिं उदगजोणियाणं उदगाणं सरीरा णाणावन्ना जाव मक्खायं । अहावरं पुरक्खायं इहेगतिया सत्ता उदगजोणियाणं जाव कम्मनियाणेणं तत्थवुकम्मा उदगजोणिएसु उदएसु तसपाणत्ताए विउदंति, ते जीवा तेसिं उदगजोणियाणं उदगाणं सिणेहमाहारैति, ते जीवा आहारेंति पुढवीसरीरं जाव संतं. अवरेऽवि य क तेसिं उदगजोणियाणं तसपाणाणं सरीरा णाणावण्णा जाव मक्खायं।६। अहावरं परक्खायं इहेगतिया सत्ता णाणाविहजोणिया जाय कम्मनियाणेणं तत्थवकमा णाणाविहाणं तसथावराणं पाणाणं सरीरेसु सचित्तेसु वा अचित्तेसु वा अगणिकायत्ताए विउदृनि, ते जीवा तेसि णाणाविहाणं तसथावराणं पाणाणं सिणेहमाहारैति, ते जीवा आहारैति पुढवीसरीरं जाव संतं, अवरेऽवि य णं तेसिं तसथावरजोणियाणं अगणीणं सरीरा णाणावण्णा जाव मक्खायं, सेसा तिनि आलावगा जहा उदगाणं। अहावरं पुरक्खायं इहेगतिया सत्ता णाणाविहजोणियाणं जाव कम्मनियाणेणं तत्यबुकमा णाणाविहाणं तसथावराणं पाणाणं सरीरेसु सचित्तेसु वा अचित्तेसु वा बाउकायत्ताए विउति, जहा अगणीणं तहा माणिया चत्तारि गमा।६१। अहाचरं पुरक्खायं इहेगतिया सत्ता णाणाविहजोणिया जाव कम्मनियाणेणं तत्थबुकमा णाणाविहाणं तसथावराणं पाणाणं सरीरसु सचित्तेसु वा अचितेसु वा पुढवीत्ताए सकरत्ताए वालुयत्ताए, इमाओ गाहाओ अणुगंतचाओ-'पुढवी य सकरा वालुया य उवले सिला य लोणूसे । अय तउय तंब सीसग रुष्प सुवण्णे य चहरे ॥६३२॥ हरियाले हिंगुलए मणोसिला सासगंजणपवाले। अब्भपडलब्मवालय बायरकाए मणिविहाणा ॥ ६३३॥ गोमेजए य रुपए अंक फलिहे य लोहियक्खे य । मरगयमसारगाड़े भयमोयग इंदणीले य॥६३४॥ चंदण गेरुय हंसगम्भ पुलए सोगंधिए य बोद्धये। चंदप्पम बेरुलिए जलकंते सरकते य॥६३५॥ एयाओ एएसु भाणियवाओ गाहाओ जाव सरकंतत्ताए विउदृति, ते जीवा तेसि णाणाविहाणं तसथावराणं पाणाणं सिणेहमाहारेंति, ते जीवा आहारेति पुढवीसरीरं जाव संतं, अवरेऽवि यणं तेसिं तसथावरजोणियाणं पुढवीणं जाव सूरकताणं ६५ सूत्रकृतांगं - मुनि दीपरत्नसागर Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ AAMADAMANASAMPI-2555542945434234800AM-MA5799480PMA3226824043 सरीरा णाणाचण्णा जाव मक्खायं, सेसा तिण्णि आलावगा जहा उदगाणं । ६२। अहावरं पुरक्खायं सवे पाणा सवे भूता मवे जीवा सन्चे सत्ता णाणाविहजोणिया णाणाविहसंभवा णाणाविहबुकमा सरीरजोणिया सरीरसंभवा सरीखुकमा सरीराहारा कम्मोवगा कम्मनियाणा कम्मगतीया कम्मठिइया कम्मणा चेव विपरियासमवेति । से एवमायाणह से एवमा. याणित्ता आहारगुत्ते सहिए समिए सयाजएत्तिवेमि ।६३ आहारपरिज्ञाऽध्ययनं ३(१९)।सुयं मे आउसंतेणं भगवया एवमक्वायं-इह खलु पचक्खाणकिरियाणामज्झयणे, नस्मण यावि भवति आया अकिरियाकुसल यावि भवति आया मिच्छासंठिए यावि भवति आया पगंतदंडे यावि भवति आया एगंतवाले यावि भवति आया एगंतसुत्ते यावि भवति (प्र० से बाले) आया अवियारमणवयणकायवक्के यावि भवति आया अप्पडिहयअपञ्चक्खायपावकम्मे यावि भवति एस खलु भगवता अक्खाए असंजते अविरते अप्पडिहयपञ्चक्खायपावकम्मे सकिरिए असंवुडे एगंतदंडे एगंतबाले एगंतसुत्ते, से बाले अवियारमणवयणकायवके सुविणमवि ण पस्मति, पावे य से कम्मे कजइ ।६४। तत्य चोयए पनवगं एवं वयासि-असंतएणं मणेणं पावएणं असंतियाए वतीए पावियाए असंतएणं काएणं पावएणं अहणंतस्स अमणक्खस्स अवियारमणवयकायवक्कस्स सुविणमवि अपस्सओ पावकम्मे णो कजइ, कस्स णं तं तेउं?, चोयए एवं रवीति-अन्नयरेणं मणेणं पावएणं मणवत्तिए पावे कम्मे कजइ, अन्नयरीए बतिए पावियाए बतिवत्तिए पावे कम्मे कजइ, अन्नयरेणं काएणं पावएणं कायवत्तिए पावे कम्मे कज्जइ, हणंतस्स समणक्वस्स सवियारमणवयकायवकस्स सुविणमवि पासओ एवंगुणजातीयस्स पावे कम्मे कज्जइ। पुणरवि चोयए एवं चवीति-तत्थ णं जे ते एवमाहंसु-असंतएणं मणेणं पावएणं असंतियाए पतिए पावियाए असंतएणं काएणं पावएणं अहणंतस्स अमणक्खस्स अवियारमणवयणकायवकस्स सुविणमवि अपस्सओ पाये कम्मे कज्जइ, तत्य णं जे ते एवमासु मिच्छा ते एवमाहंसु । तत्थ पनवए चोयगं एवं बयासी-(प० असंतएणं कजइ)तं सम्मं जं मए पुर्व वृत्त, असंतएणं मणेणं पावएणं असंतियाए वतिए पावियाए असंतएणं कारण पावएणं अहणंतस्स अमणक्खस्स अवियारमणक्यणकायवकस्स मुविणमवि अपस्सओ पावे कम्मे कजति, तं सम्मं, कस्स तं हेउं ?: आचार्य आह-तत्थ खलु भगवया छजीवणिकाया हेऊ पण्णत्ता, तंजहा-पुढवीकाइया जाव तसकाइया, इचेएहिं छहिं जीवणिकाएहिं आया अप्पडिहयपञ्चक्खायपावकम्मे निचं पसढविउवातचित्तदंडे, तंजहा-पाणातिवाए जाव परिम्गहे कोहे जाव मिच्छादसणसले। आचार्य आह-तस्थ खलु भगवया वहए दिटुंते पण्णते, से जहाणामए वहए सिया गाहावइस्स वा गाहावइपुत्तस्स वा रष्णो वा रायपुरिसस्स वा खणं निहाय पविसिस्सामि खणं लघृणं पहिस्सामि (अप्पणो अक्खणयाए तस्स वा पुरिसस्स छिदं अलममाणे णो वहेदनं जया मे खणो भविस्सइ तस्स परिसस्स छिदं लभिस्सामि तया मे स पुरिसे अवस्सं वहेयवे भविस्सइ, एवं मणो पहारेमाणे पा०) पहारेमाणे से किं नु नाम से बहए तस्स गाहावइस्स वा गाहावइपुत्तस्स वा रण्णो वा रायपुरिसस्स वा खणं निहाय पविसिस्सामि खणं लघृणं बहिस्सामि पहारेमाणे दिया वा राओ वा सुत्ते वा जागरमाणे वा अमिसमए मिच्छासंठिते निचं पसढविउवायचित्तदंडे भवति?, एवं वियागरेमाणे समियाए वियागरे ?, चोयए-हंता भवति। आचार्य आह-जहा से वहए तस्स गाहावइस्स वा तस्स गाहा. बइपुत्तस्स वा रण्णो वा रायपुरिसस्स वा खणं निहाय पविसिस्सामि खणं लदूर्ण बहिस्सामित्ति पहारेमाणे दिया वा राओ वा सुत्ते वा जागरमाणे वा अमित्तभूए मिच्छासंठिते निचं पसढविउवायचित्तदंडे. एवमेव बालेवि सन्वेसिं पाणाणं जाव सवेसिं सत्ताणं दिया वा राओ वा सुत्ने वा जागरमाणे वा अमित्तभूए मिच्छासंठिते निचं पसढविउवायचित्तदंडे, तं०. पाणातिवाए जाव मिच्छादसणसले, एवं खलु भगवया अक्खाए असंजए अविरण अप्पडिहयपचक्खायपावकम्मे सकिरिए असंखुडे एगंतदंडे एगंतवाले एगंतसुत्ते यावि भवइ, से बाले अवियारमणवयणकायवके सुविणमवि ण पस्सइ पावे यसे कम्मे कजइ। जहा से वहए तस्स वा गाहावइस्स जावतस्स वा रायपुरिसस्स पत्तेयं पत्तेयं चित्तसमादाए दिया या राओ वा सुत्ते वा जागरमाणे या अमित्तभूए मिच्छासंठिते निचं पसढविउवायचित्तदंडे भवइ एवमेव वाले सवेसिं पाणाणं जाव सक्वेसिं सत्ताणं पत्तेयं पत्तेयं चित्तसमादाए दिया वा राओ वा मुने वा जागरमाणे वा अमित्तभूते मिच्छासंठिते निचं पसढविउवायचित्तदंडे भवइ । ६५। णो इणढे समढे [चोदकः] इह खलु बहवे पाणा० जे इमेणं सरीरसमुस्सएणं णो दिट्टा वा सुया वा नाभिमया वा विन्नाया वा जेसि णो पत्तेयं पत्तेयं चित्तसमायाए दिया वा राओ वा सुत्ते वा जागरमाणे वा अमित्तभूते मिच्छासंठिते निचं पसढविउवायचित्तदंडे तं०-पाणातिवाए जाव मिच्छादसणसाले । ६६ । आचार्य आह-तत्थ खलु भगवया दुवे दिटुंता पण्णत्ता,तं०-सनिदिद्रुते य असनिदिटुंते य, से किं तं सचिदिटुंते?, जे इमे सनिपंचिंदिया पज्जत्तगा एतेसिणं छजीवनिकाए पहुच तं०- पुढवीकार्य जाव तसकाय, से एगइओ पुढवीकाएणं किचं करेइवि कारवेइचि, तस्स णं एवं भवइ-एवं खलु अहं पुढवीकारणं किच्चं करेमिवि कारवेमिवि, णो चेव णं से एवं भवइ इमेण वा इमेण वा, से एतेणं पुढवीकाएणं किचं करेइवि कारवेइवि से णं तातो पुढवीकायाओ असंजयअविरयअप्पडिहयपचक्खायपावकम्मे ६६ सुत्रहतांग- refpu-1 मुनि दीपरत्नसागर BRAHM Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ यावि भवइ, एवं जाव तसकाएत्ति माणिया, से एगइओ छजीवनिकाएहिं किच्चं करेइषि कारवेइवि, तस्स णं एवं भवइ-एवं खलु अहं छजीवनिकाएहिं किच्चं करेमिबि कारवेमिवि, णो चेव णं से एवं भवइ-इमेहिं वा इमेहिं वा, से य तेहिं छहिं जीवनिकाएहिं जाव कारवेइवि, से य तेहिं छहिं जीवनिकाएहिं असंजयअविरयअप्पडिहयपचक्खायपावकम्मे तं०. पाणातिवाए जाच मिच्छादसणसाले, एस खलु भगवया अक्खाए असंजए अविरए अप्पडिहयपञ्चक्खायपावकम्मे सुविणमवि अपस्सओ पावे य से कम्मे कज्जा, से तं सनिदिटुंते। से किं तं असन्निदिटुंते !,जे इमे असन्निणो पाणा तं०-पुढवीकाइया जाव वणस्सइकाइया छट्ठा वेगइया तसा पाणा, जेसिं णो तक्काइ वा सन्नाति वा पन्नाति वा मणेइ वा कईड वा सयं वा करणाए अन्नेहिं वा कारावेत्तए करतं वा समणुजाणित्तए, तेऽविणं याला सजेसिं पाणाणं जाव सोसिं सत्ताणं दिया वा राओ वा सुत्तेवा जागरमाणे वा अमित्तभूता मिच्छासंठिया निच्चं पसढविउवातचित्तदंडा तं०-पाणाइवाते जाव मिच्छादसणसाछे, इथेव जाव णो चेव मणो णो चेव वई पाणाणं जाव ससाणं दुक्खणयाए सोयणयाए जूरणयाए तिप्प. गयाए पिट्टणयाए परितप्पणयाए ते दुखणसोयणजावपरितप्पणवहबंधणपरिकिलेसाओ अप्पडिविस्या भवंति । इति खलु से असमिणोऽवि सत्ता अहोनिसिं पाणातिवाए उवक्खाइजंति जाव अहोनिसिं परिग्गहे उवक्खाइजति जाव मिच्छादसणसाले उक्क्वाइजति, समजोणियावि खलु सत्ता समिणो हुचा असमिणो होति असत्रिणो हुचा सविणो हॉति होचा सन्नी अदुवा असन्नी, तत्थ से अविविचित्ता अविघृणित्ता असमुच्छित्ता अणणुतावित्ता असन्निकायाओ वा सनिकायं संकमंति सन्निकायाओ वा असन्निकार्य संकमंति सन्निकायाओ वा सन्निकार्य संकमंति असन्निकायाओ वा असन्निकायं संकमंति, जे एए सन्नी वा असन्नी वा सचे ते मिच्छायारा निश्चं पसढविउवायचित्तदंडा, (प०१७५०) तं०. पाणातिवाए जाव मिच्छादसणसाले, एवं खलु भगवया अक्खाए असंजए अविरए अप्पडिहयप्पचक्खायपावकम्मे सकिरिए असंवुडे एगंतदंडे एगंतचाले एगंतसुत्ते से बाले अवियारमणवयणकायवके सुविणमविण पासह पावे य से कम्मे कबइ।६७। चोदकः-से किं कुछ कि कारवं कहं संजयविरयप्पडिहयपच्चकखायपावकम्मे भवह ?, आचार्य आह-तत्य खलु भगवया छज्जीवणिकाया हेऊ पण्णता, तंजहा-पुढवीकाइया जाव तसकाइया, से जहाणामए मम अस्सातं डंडेण वा अट्ठीण वा मुट्ठीण वा लेलूण वा कवालेण वा आतोडिजमाणस्स वा जाय उवह विजमाणस्स वा जाव लोमुक्खणणमायमवि हिंसाकारं दुक्खं भयं पडिसंवेदेमि, इच्चेवं जाण सवे पाणा जाव सच्चे सत्ता दंडेण वा जाव कवालेण वा आतोडिजमाणा वा हम्ममाणा वा तजिजमाणा वा तालिजमाणा वा जाव उवहविजमाणा वा जावलोमुक्खणणमायमवि हिंसाकारं दुक्खं भयं पडिसंवेदति, एवं णचा सधे पाणा जाव सच सत्तान हंतवा जाव ण उद्दवेयवा, एस धम्मे धुवे णिइए सासए समिञ्च लोगं खेयन्नेहिं पवेदिए, एवं से भिक्खू विरते पाणाईवायातो जाव मिच्छादसणसाओ, से भिक्खू णो दंतपक्खालणेणं दंते पक्खालेजा णो अंजणं णो वमणं णो धूवणित्तं पिआइते, से भिक्खू अकिरिए अलूसए अकोहे जाव अलोमे उवसंते परिनिब्बुडे,एस खलु भगवया अकखाए संजयविरयपडिहयपञ्चखायपावकम्मे अकिरिए संवुढे एगंतपंडिए भवइत्तिबेमि ।६८ा प्रत्याख्यानाध्ययनं ४ (२०)आदाय बंभचेरंच, आसुपने इमं वई। अस्सि धम्मे अणायारं, नायरेन कयाइवि॥६३६॥ अणादीयं परिनाय, अणवदग्गेति वा पुणो। सासयमसासए वा. इति दिनि धारए॥७॥ एहिं दोहिं ठाणेहिं, ववहारोण विजई। एणहिं दोहिं ठाणेहि, अणायारं तु जाणए॥८॥ समच्छि(जि)हिंति सत्यारो, सधे पाणा अणेलिसा। गंठिगा वा भविस्संति, सासयंति व णो वए ॥९॥ एएहिं दोहि ठाणेहिं०॥६४०॥ जे केड खुद्दगा पाणा, अदुवा संति महालया। सरिसं तेहिं वेरंति, असरिसंती य णो वदे ॥१॥ एएहिं दोहिं० ॥२॥ अहाकम्माणि (म० अहाकडाणि) मुंजंति, अण्णमण्णे सकम्मणा। उवलित्तेत्ति जाणिज्जा, अणुवलित्तेति वा पुणो ॥३॥ एएहिं दोहिं ॥४॥ जमिदं ओरालमाहार, कम्मगं च तद्देव य (तमेव तं)। सचत्य बीरियं अस्थि, णत्यि साचत्य वीरियं ॥५॥ एएहिं दोहिं०॥६॥णस्थि लोए अलोए वा, णेवं सत्रं निवेसए । अस्थि लोए अलोए वा, एवं सत्रं निवेसए॥७॥णत्थि जीवा अजीवा वा, णेवं० । अस्थि जीवा अजीचा वा, एवं०॥८॥णत्थि धम्मे अधम्मे वा, णेबं० । अस्थि धम्मे अधम्मे वा, एवं० ॥९॥णस्थि बंधे व मोक्खे वा, णेवं० । अस्थि बंधे व मोक्खे वा, एवं० ॥६५॥ णस्थि पुण्णे व पावे वा, णेवं० । अस्थि पुण्णे व पावे वा, एवं० ॥१॥णस्थि आ(प्र०त्या)सवे संवरे वा, णेवं० । अस्थि आ(प० स्था) सवे संवरे वा, एवं०॥२॥णस्थि वेयणा णिज्जरा वा, वं० । अस्थि वेयणा णिज्जरा वा, एवं०॥३॥णस्थि किरिया अकिरिया वा, णे। अत्यि किरिया अकिरिया वा, एवं० ॥४॥णत्थि कोहे व माणे वा, णे। अत्यि कोहे व माणे वा, एवं०॥५॥णत्थि माया व लोभे वा, वं। अस्थि माया व लोभे वा, एवं०॥६॥णस्थि पेजे व दोसे वाणेवं अस्थि०. एवं०॥७॥णत्यि चाउरते संसारे, णेवं०। अस्थि चाउरते संसारे, एवं०॥८॥णथि देवो व देवी वा, णेबं०। अस्थि देवो व देवी वा, एवं०॥९॥णस्थि सिद्धी असिद्धी वा, गेवं। अस्थि सिद्धी असिद्धी वा, एवं०॥६६॥णस्थि सिद्धी नियं ठाणं, णेवं० । अस्थि सिद्धी नियं ठाणं, एवं०॥१॥ णत्यि साहू असाहू ६७ सूत्रकृतांग- ॐ ४ मुनि दीपरनसागर Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वा, जेवं० । अस्थि साहू असाहू वा, एवं० ॥ २ ॥ णत्थि कलाण पावे वा, जेवं०। अस्थि कलाण पावे वा, एव० ॥ ३ ॥ काणे पावए वावि, ववहारो ण विज्जइ । जं वेरं तं न जाणंति, समणा बाल पंडिया ॥ ४ ॥ असेसं अक्खयं वावि, सङ्घदुक्खेति (प्र० हि) वा पुणो वज्झा पाणा न वज्झत्ति, इति वायं न नीसरे ॥ ५ ॥ दीसंति समियायारा (निभियप्पाणो० पा० ), भिक्खुणो साहुजीविणो एए (प्र० तेवि ) मिच्छोवजीवंति, इति दिद्धिं न धारए ॥ ६ ॥ दक्खिणाए पडिलंभो, अस्थि वा णत्थि (प्र० अत्थि णत्पित्ति) वा पुणो ण वियागरेज मेहावी, संतिमग्गं च वृहए ॥ ७॥ इच्चेएहिं ठाणेहिं जिणदिद्वेहिं संजए। धारयंते उ अप्पाणं, आमोक्खाए परिवज्जासि ॥ ६६८ ॥ तिबेमि, अनाचाराध्ययनं ५ (२१) ॥ पुराकडं अह! इमं सुणेह, एगन्तयारी समणे पुरासी से भिक्खुणो उवणेत्ता अणेगे, आइक्खति हि पुढो वित्यरेणं ॥ ९ ॥ साऽऽजीविया पट्टविताऽथिरेणं, सभागओ गणओ भिक्सुमज्झे। आइक्खमाणो बहुजनमत्थं, न संघयाती अवरेण पुत्रं ॥ ६७० ॥ एतमेवं अदुवावि इव्हिं, दोडवऽण्णमनं न समेति जम्हा पुष्विं च इव्हिं च अणागतं वा एगंतमेवं पडिसंधयाति ॥ १ ॥ समिच लोगं तसथावराणं, खेमंकरे समणे माहणे वा आइक्समाणोवि सहस्समज्झे, एगंतयं सारयती तहबे ॥ २ ॥ धम्मं कहंतस्स उ णत्थि दोसो, खंतस्स दंतस्स जिनिंदियस्स । भासाय दोसे य विवज्जगस्स, गुणे य भासाय णिसेवगस्स ॥ ३ ॥ महघ्वए पंच अणुश्ए य, तहेव पंचासव संवरे य विरतिं इहस्सामणियंमि पन्ने (पुण्णे पा० ), लवावसकी समणेत्तिबेमि ||४|| सीओदगं सेव चीयकार्य, आहायकम्मं तह इत्थियाओ। एगंतचारिस्सिह अम्ह धम्मे, तबस्सिणो णाभिसमेति पावं ||५|| सीतोदगं वा तह वीयकार्य, आहायकम्मं तह इत्थियाओ । एयाइं जाणं पडिसेवमाणा, अगारिणो अस्समणा भवंति ॥ ६ ॥ सिया य बीओदग इत्थियाओ, पडिसेवमाणा समणा भवंतु। अगारिणोऽवी समणा भवंतु, सेवंति उ (प्र० जं) तेऽवि तहप्पारं ॥ ७॥ जे यावि बीओदगभोति भिक्खु, भिक्खं विहं जायति जीवियट्टी ते णातिसंजोगमविष्पहाय, कायोवगा णंतकरा भवति ॥८॥ इमं वयं तु तुम पाउकुशं पावाइणो गरिहसि सङ्घ एव। पावाइणो पुढो किट्टयंता, सयं सयं दिट्टि करेंति पाउ ॥ ९ ॥ ते अन्नमनस्स उ गरहमाणा, अक्खंति भो समणा माहणा य सतो य अत्थी असतो य णत्थी, गरहामो दिट्टि ण गरहामो किंचि ॥ ६८० ॥ ण किंचि रूवेणऽभिधारयामो, सदिद्विमग्गं तु करेमु पाउं मग्गे इमे किट्टिऍ आरिएहिं अणुत्तरे सप्पुरिसेहिं अंजू ॥ १॥ उटं अहेयं तिरियं दिसासु, तसा य जे थावर जे य पाणा । भूयाहिसंकाभि दुगुंछमाणा, जो गरहती पुसिमं किंचि लोए ॥२॥ आगंतगारे आरामगारे, समणे उभीते ण उवेति वासं । दक्खा हु संती बहचे मणुस्सा, ऊणातिरित्ता य लवालवा य ॥ ३ ॥ मेहाविणो सिक्खिय बुद्धिमता, सुत्तेहिं अत्येहि य णिच्छयना (प्र० णिच्छियन्नू ) । पुच्छि मा णे अणगार अन्ने (प्र० एगे) इति संकमाणो ण उवेति तत्थ ॥ ४ ॥ णो काम किया ण य बालकिच्चा, रायाभिओगेण कुओ भएन ? वियागरेज्जा पसिणं न वावि, सकामकिञ्चेणिह आरियाणं ॥ ५ ॥ गंता च तत्था अदुवा अगंता, वियागरेजा समियाऽऽसुपने। अणारिया दंसणओ परित्ता, इति संकमाणो ण उवेति तत्य ॥ ६ ॥ पनं जहा वणिए उदयद्वी, आयस्स हेउं पगरेति संगं तऊवमे समणे नायपुत्ते, इच्चैव मे होति मती वियका ॥ ७ ॥ नवं न कुजा विहुणे पुराणं, चिचाऽमई ताइय साह एवं एतो ( प्र० सा) वया बंभवतित्ति वृत्तो, तस्सोदयद्वी समणेत्तिबेमि ॥ ८ ॥ समारभंते वणिया भूयगामं, परिम्गहं चेव ममायमाणा । ते णातिसंजोगमविप्पहाय, आयस्स हेउं पगरंति संगं ॥ ९ ॥ वित्तेसिणो मेहुणसंपगाढा, ते भोयणड्डा वणिया वयंति। वयं तु कामेसु अज्झोवबन्ना, अणारिया पेमरसे गिद्धा ॥ ६९० ॥ आरंभगं चैव परिग्गहं च, अविउस्सिया णिस्सिय आयदंडा तेर्सि च से उदए जं वयासी, चउरंतणंताय दुहाय णेह ॥ १ ॥ णेगंत ण (प्र० णि) चंतिव ओदए सो वयंति ते दो विगुणोदयंमि से उदए सातिमर्णतपत्ते, तमुदयं साहयइ ताइ गाई ॥ २ ॥ अहिंसयं सङ्घपयाणुकंपी, धम्मे ठियं कम्मविवेगहेडं तमायदंडेहिं समायरंता, अबोहीए ते परुिवमेयं ॥ ३ ॥ पिन्नागपिंडीमवि विद्ध सूले, केई पएज्जा पुरिसे इमेति । अलाउयं वावि कुमारएत्ति, स लिप्पती पाणिवण अम्हं ॥ ४ ॥ अहवावि विदुण मिलक्खु सूले, पिभागबुद्धीइ नरं परया । कुमारगं वावि अलाबुयंति, न लिप्पइ पाणिवण अहं ॥ ५ ॥ पुरिसं च विदुण कुमारगं वा, सूलंमि के पए जायतेए पिनायपिंडं सतिमास्देत्ता, बुद्धाण तं कप्पति पारणाए ॥ ६ ॥ सिणायगाणं तु दुवे सहस्से, जे भोयए जियए भिक्खुयाणं ते पुत्रखंधं सुमहं जिणित्ता, भवंति आरोप्य महंतसत्ता ॥ ७ ॥ अजोगरूवं इह संजयाणं, पावं तु पाणाण पसज्झ काउं । अबोहिए दोहवि तं असाहु, वयंति जे यावि पडिस्सुणंति ॥ ८ ॥ उटं अहेयं तिरियं दिसासु, विज्ञाय लिंग तसथावराणं। भूयाभिसंकाइ दुगुंछमाणे, वदे करेजा व कुओ विहत्थी ? ॥ ९ ॥ पुरिसेत्ति विन्नत्ति न एवमत्थि, अणारिए से पुरिसे तहा हु को संभवो ? पिन्नगपिंडियाए, वायावि एसा बुइया असच्चा ॥ ७०० ॥ वायाभियोगेण जमावहेजा, णो तारिसं वाय (प्र० भास) मुदाहरिज्जा। अट्ठाणमेयं वयणं गुणाणं, णो (प्र० जे) दिखिए बूयमुरालमेयं ॥ १॥ लदे अ (प्र० ४) हे अहो एव तुग्भे, जीवाणुभागे सुविचितिए व पुत्रं समुदं अवरं च पुढे, उलोइए पाणितले ठिए वा ॥ २ ॥ जीवाणुभागं सुविचितयंता, आहारिया अन्नविहीय सोहिं न वियागरे छन्नपओपजीवि, एसोऽणुधम्मो इह संजयाणं ॥ ३॥ सिणायगाणं तु दुवे सहस्से, जे भोयए नियए भिक्खुयाणं असंजए लोहियपाणि से ऊ, नियच्छति गरिहमिहेव लोए ॥ ४ ॥ धूलं उरम्भं इह मारियाणं, उद्दिभत्तं च पगप्पएत्ता। (१७) ६८ सूत्रकृतांगं - अन्यणे मुनि दीपरत्नसागर Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 तं लोणलेण उवक्खडेत्ता, सपिप्पलीयं पगरंति मंसं ॥ ५ ॥ तं भुंजमाणा पिसितं पभूतं, जो उवलिप्पामो वयं रएणं। इचेवमाहंसु अणज्जधम्मा, अणारिया बाल रसेसु गिद्धा ॥ ६ ॥ जे यावि भुंजंति तहप्पगारं, सेवंति ते पावमजाणमाणा । मणं न एयं कुसला करेंती, वायावि एसा बुइया उ मिच्छा ॥ ७ ॥ सबेसिं जीवाण दयट्टयाए, सावज्जदोसं परिकजयंता । तस्संकिणो इसिणो नायपुत्ता, उद्दिद्वभत्तं परिवज्जयंति ॥ ८ ॥ भूयाभिसंकाएँ दुर्गुछमाणा, सधेसिं पाणाण निहाय दंडं तम्हा ण भुंजंति तहप्पगारं, एसोऽणुधम्मो इह संजयाणं ॥ ९ ॥ निम्यधम्मंमि इमं समाहिं, (प्र० इमा समाही) अस्सि सुठिचा अणिहे चरेज्जा। बुद्धे मुणी सीलगुणोववेए, अश्वत्थतं (ओ) पाउणती सिलोगं ॥ ७१० ॥ सिणायगाणं तु दुबे सहस्से, जे भोयए यिए माहणाणं ते पुन्नखंधं सुमहऽज्जणित्ता, भवंति देवा इति वेयवाओ ॥ १ ॥ सिणायगाणं तु दुवे सहस्से, जे भोयए नियए कुलालयाणं से गच्छति लोलुवसंपगाढे, तिवाभितावी गरगाभिसेवी ॥२॥ दयावरं धम्म दुगुंछमाणा, वहावहं धम्म पसंसमाणा। एगंपि जे भोययती असीलं, णिवो णिसं जाति कुओ सुरेहिं ? ॥३॥ दुहओवि धम्मंमि समुट्ठियामो, अस्सि सुठिया तह एसकालं । आयारसीले बुझ्एह नाणी, ण संपरायंमि विसेसमत्थि ॥४॥ अवतरूवं पुरिसं महंतं, सणावणं अक्खयमश्यं च सधेषु भूतेवि सङ्घतो से, चंदो व ताराहिं समत्तरूवे ॥ ५ ॥ एवं ण मिजंति ण संसरती, ण माहणा खत्तिय वेस पेसा कीडा य पक्खी य सरीसिवा य, नरा य स तह देवलोगा ॥ ६ ॥ लोयं अयाणित्तिह केवलेणं, कहंति जे धम्ममजाणमाणा । णासंति अप्पाण परं च णट्टा, संसार घोरंमि अणोरपारे ॥७॥ लोयं विजाणंतिह केवलेणं, पुत्रेण नाणेण समाहिजुत्ता। धम्मं समत्तं च कदंति ने उ, तारंति अप्पाण परं च तिन्ना ॥ ८ ॥ जे गरहियं ठाणमिहावसंति, जे यावि लोए चरणोववेया। उदाहडं तं तु समं मईए, अहाउसो विप्परियासमेव ॥ ९ ॥ संवच्छरेणावि य एगमेगं, बाणेण मारेउ महागयं तु । सेसाण जीवाण दयट्टयाए, वासं वयं वित्ति पकप्पयामो ॥ ७२० ॥ संवच्छरेणावि य एगमेगं, पाणं हणंता अणियत्तदोसा सेसाण जीवाण वहेण लग्गा, सिया य यो गिहिणोऽवि तम्हा ॥ १ ॥ संवच्छरेणावि य एगमेगं, पाणं हणंता समणइएस आयाहिए से पुरिसे अणजे, ण तारिसा केवलिणो भवति ॥ २ ॥ बुद्धस्स आणाऍ इमं समाहिं, अस्स सुठिया तिविहेण ताई । तरिउं समुदं व महाभवोधं, आयाणवं धम्ममुदाहरेज्ज ॥ ७२३ ॥ तिबेमि, आर्द्रकीयाध्ययनं ६ (२२) ॥ तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे नामं नयरे होत्था, रिद्धत्थिमितसमिद्धे वण्णओ जाव पडिरूवे, तस्स णं रायगिहस्स नयरस्स बहिया उत्तरपुरच्छिमे दिसिभाए (· एत्य णं) नालदानामं बाहिरिया होत्या, अणेगभवणसयसन्निविद्या जाव पडिरूवा । ६९ । तत्थ णं नालंदाए बाहिरियाए लेवे नामं गाहावई होत्या, अड्ढे दित्ते वित्ते विच्छिष्णविपुलभवणसयणासणजाणवाहणाइण्णे बहुधणचहुजायरूवरजते आओओगसंपउत्ते विच्छड्डियपउरभत्तपाणे बहुदासीदासगोमहिसगवेलगप्पभूए बहुजणस्स अपरिभूए (प्र० जाव) यावि होत्या, से णं लेवे नाम गाहावई समणोवासए यावि होत्या, अभिग यजीवाजीवे जाव विहरइ, निम्गंधे पावयणे निस्संकिए निर्कखिए निडितिमिच्छे लट्ठे गहियद्वे पुच्छियट्टे विणिच्छियट्टे अभिगहियडे अट्ठिमिंजापेमाणुरागरत्ते, अयमाउसो ! निग्गंथे पावयणे अयं अट्ठे अयं परमट्ठे सेसे अगडे, उस्सियफलिहे अप्पावयदुवारे चियत्तंतेउरप्पवेसे चाउद्दसमुदिट्ठपुण्णमासिणीसु पडिपुन्नं पोसहं सम्मं अणुपालेमाणे समणे निग्गंथे तहाविहेणं एसणिज्येणं असणपाणखाइमसाइमेणं पडिलाभेमाणे बहूहिं सीलक्ष्यगुणविरमणपञ्चक्खाणपोसहोववासेहिं अप्पाणं (प्र० जाव) भावेमाणे एवं च णं विहरइ । ७० । तस्स गं लेवस्स गाहावइस्स नालंदाए बाहिरियाए (प्र० बहिया) उत्तरपुरच्छिमे दिसिभाए एत्थ णं सेसदविया नामं उद्गसाला होत्या, अणेगखंभसयसन्निविट्टा पासादीया जाव पडिरूवा, तीसे णं सदवियाए उद्गसालाए उत्तरपुरच्छिमे दिसिभाए, एत्थ णं हत्यिजामे नामं वणसंडे होत्या, किन्हे वण्णओ वणसंडस्स । ७१ । तस्सि च णं (. गिहपदेसंमि) भगवं गोयमे विहरइ, भगवं च णं आहे आरामंसि० । अहे णं उदए पेढालपुत्ते भगवं पासावचिजे नियंठे मेयजे गोत्तेणं जेणेव भगवं गोयमे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छत्ता भगवं गोयमं एवं वयासीआउसंतो ! गोयमा अस्थि खलु मे केइ पदेसे पुच्छियडे, तं च (प्र० मे) आउसो ! अहासुयं अहादरिसियं मे वियागरेहि सवायं, भगवं गोयमे उदयं पेढालपुत्तं एवं वयासी- अवियाइ आउसो ! सोच्चा निसम्म जाणिस्सामो सवायं, उदए पेढालपुत्ते भगवं गोयमं एवं क्यासी । ७२ । आउसो ! गोयमा अत्थि खलु कुमारपुत्तिया नाम समणा निग्गंथा तुम्हाणं पवयणं पवयमाणा गाहावई समणोवासगं ( उवसंपन्नं) एवं पञ्चक्खावेति णण्णत्य अभिओएणं गाहावइचोरग्गणविमोक्खणयाए तसेहिं पाणेहिं निहाय दंडं, एवं हं पञ्चक्खताणं दुप्पचक्खायं भवइ एवं हं पञ्चक्खावेमाणाणं दुपचक्खावियहं भवइ, एवं ते परं पश्ञ्चक्खावेमाणा अतियरंति सयं पतिष्णं, कस्स णं तं देउं ?, संसारिया खलु पाणा थावरावि पाणा तसत्ताए पश्चायंति, तसाचि पाणा थावरत्ताए पञ्चायंति, यावरकायाओ विप्पमुचमाणा तसकार्यसि उववचंति, तसकायाओ विप्पमुच्चमाणा थावरकार्यसि उववचंति, तेसिं चणं यावरकायंसि उववण्णाणं ठाणमेयं धत्तं । ७३ । एवं हं पञ्चक्खंताणं सुपञ्चक्खायं भवइ, एवं हे पच्चक्खावेमाणाणं सुपच्चस्वावियं भवइ, एवं ते परं पच्चक्खावेमाणा गाजियरंति सयं पइण्णं, णण्णत्थ ६९ सूत्रकृतांगं असंपणे-9 मुनि दीपरत्नसागर Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ASPIRNSSPOMISCARPICHRSPIRMSPROMBPERSPEMASPIARSPIRNAGPRSANSPIRESPONA870400PESABPOINRBP85878 अमिओगेणं गाहावइचोरगहणविमोक्खणयाए तसभूएहिं पाणेहिं णिहाय दंडं, एवमेव सइ भासाए परकमे विजमाणे जे ते कोहा वा लोहा वा परं पच्चक्खार्वेति अयंपि णो उवएसे णो णेआउए भवइ, अवियाई आउसो ! गोयमा! तुम्भपि एवं रोयइ? |७४॥ सवायं भगवं गोयमे ! उदयं पेढालपुत्तं एवं वयासी-आउसंतो ! उदगा नो खलु अम्हे एयं रोयह, जे ते समणा वा माहणा वा एवमाइक्खंति जाव परुति णो खलु ते समणा वा णिम्गंथा वा भासं भासंति, अणुतावियं खलु ते भासं भासंति, अन्भाइक्खंति खलु ते समणे समणोबासए वा, जेहिंवि अन्नेहिं जीवहिं पाणेहिं भूएहिं सत्तेहिं संजमयंति ताणवि ते अन्भाइक्खंति, कस्स णं तं हेउं ?, संसारिया खलु पाणा, तसावि पाणा थावरत्ताए पच्चायति थावरावि पाणा तस्सत्ताए पच्चायति तसकायाओ विप्पमुच्चमाणा थावरकासि उववज्जति थावरकायाओ विप्पमुच्चमाणा तसकायंसि उववज्जति, तेसिं च णं तसकायंसि उववनाणं ठाणमेयं अघतं 1७५। सवायं उदए पेढालपुत्ते भगवं गोयमं एवं क्यासी-कयरे खलु ते आउसंतो गोयमा! तुम्भे वयह तसा पाणा तसा आउ अन्नहा , सवायं भगवं गोयमे उदयं पेढालपुत्तं एवं वयासी-आउसंतो उदगा ! जे तुम्भे वयह तसभूता पाणा तसा ते वयं वयामो तसा पाणा, जे वयं वयामो तसा पाणा ते तुम्भे वयह तसभूया पाणा, एए संति दुवे ठाणा तुला एगट्ठा, किमाउसो ! इमे मे सुप्पणीयतराए भवह-तसभूया पाणा तसा, इमे मे दुप्पणीयतराए भवइ-तसा पाणा तसा, ततो एगमाउसो! पडिकोसह एक अभिणंदह, अयंपि भेदो से णोणेआउए भवदा भगवंचणं उदाहु-संतेगइआ मणुस्सा भवंति, तेसिंचणं एवं वुत्तपुष्वं भवइ-णोखलु वयं संचाएमोमुंडामवित्ता अगाराओअणगारियं पञ्चइत्तए, वयंव्हं अणुपुश्वेणं गुत्तस्स लिसिस्सामो, ते एवं संखवेति ते एवं संखं ठवयंति ते एवं संखं ठावयंति नन्नत्थ अभिओएणं गाहावइचोरम्गहणविमोक्खणयाए तसेहिं पाणेहिं निहाय दंडं, तंपि तेसिं कुसलमेव भवइ । ७६ । तसावि वुचंति तसा तससंभारकडेणं कम्मुणा णामं च णं अन्भुवयं भवह, तसाउयं च णं पलिक्खीणं भवइ, तसकायट्टिइया ते तओ आउयं विष्पजहंति, ते तओ आउयं विप्पजहित्ता थावरत्ताए पञ्चायति । थावरावि वुचंति थावरा थावरसंभारकडेणं कम्मुणा णामं च णं अब्भुवयं भवइ, थावराउयं च णं पलिक्खीणं भवइ, थावरकायद्विइया ते तओ आउयं विष्णजहंति तओ आउयं विष्पजहित्ता भुजो परलोइयत्ताए पञ्चायंति, ते पाणावि बुचंति, ते तसावि वुचंति, ते महाकाया ते चिरहिइया ।७७। सवायं उदए पेढालपुत्ते भयवं गोयम एवं क्यासी-आउसंतो गोयमा! णस्थिःणं से केइ परियाए जण्णं समणोवासगस्स एगपाणातिवायविरएवि दंडे निक्खित्ते. कस्स णं तं हेउं ?, संसारिया खल पाणा, यावरावि पाणा तसत्ताए पञ्चायंति, तसावि पाणा थावरत्ताए पञ्चायति, थावरकायाओ विष्पमुच्चमाणा सखे तसकार्यसि उवक्जंति, तसकायाओ विष्पमुच्चमाणा सझे थावरकार्यसि उववबंति, तेसिं च णं थावर कायंसि उववनाणं ठाणमेयं धत्तं । सवायं भगवं गोयमे उदयं पेढालपुत्तं एवं वयासी-णो खलु आउसो! अस्माकं वत्तथएणं तुम्भं चेव अणुप्पवादेण अस्थि वासगस्स सबपाणेहिं सबभूएहिं सबजीहिं सबसत्तेहिं दंडे निक्खित्ते भवइ, कस्स गं तं हेउं ?, संसारिया खलु पाणा, तसावि पाणा यावरत्ताए पञ्चायंति, थावरावि पाणा तसत्ताए पञ्चायंति, तसकायाओ विष्पमुच्चमाणा सझे थावरकायंसि उवववति, थावरकायाओ विप्पमुच्चमाणा सखे तसकायंसि उववजंति, वेसिं च णं तसकार्यसि उववन्नाणं ठाणमेयं अघतं, ते पाणावि चंति, ते तसावि वुचंति, ते महाकाया ते चिरविड्या, ते बहुयरगा पाणा जेहिं समणोवासगस्स सुपचक्खायं भवति, ते अप्पयरागा पाणा जेहिं समणोवासगस्स अपच्चक्खायं भवइ, से महया तसकायाओ उवसंतस्स उवट्ठियस्स पडिविरयस्स जन्नं तुम्भे वा अन्नो वा एवं वदह-णत्थि णं से केइ परियाए जंसि समणोवासगस्स एगपाणाएवि दंडे णि. क्खित्ते, अयंपि भेदे से णो णेयाउए भवइ ।७८॥ भगवं च णं उदाहु नियंठा खलु पुच्छियवा-आउसंतो! नियंठा इह खलु संतगइया मणुस्सा भवंति, तेसिं च एवं वृत्तपुच्वं भवइ-जे इमे मुंडे भवित्ता आगाराओ अणगारियं पवइए, एसिं च णं आमरणंताए दंडे णिक्रिखत्ते, जे इमे अगारमावसंति एएसि णं आमरणंताए दंडे णो णिक्वित्ते, केई च णं समणा जाव वासाई चउपंचमाई छट्ठइसमाई अप्पयरो वा भुजयरो वा देसं दूईजित्ता अगारमावसे (प्र०रं वए)जा?, हंतावसेजा, तस्स णं तं गारत्यं वहमाणस्स से पचक्खाणे भंगे भवइ ,णो तिणढे समढे, एवमेव समणोवासगस्सवि तसेहिं पाणेहिं दंडे णिक्खित्ते, थावरेहिं पाणेहिं दंडे णो णिक्खिते, तस्स णं तं थावरकायं वहमाणस्स से पच्चक्खाणे णो भंगे भवइ, से एवमायाणह ? णियंठा!, एवमायाणिया। भगवं च णं उदाहु नियंठा खलु पुच्छियवा-आउसंतो नियंठा ! इह खलु गाहावई वा गाहावइपुत्तो वा तहप्पगारेहिं कुलेहिं आगम्म धम्म सवणवत्तिय उवसंकमेजा?, हंता उबसंकमेजा, तेसिं च णं तहप्पगाराणं धम्म आइक्खियचे?, हंता आइक्खियो, किं ते तहप्पगारं धम्म सोचा णिसम्म एवं वएजा-इणमेव निग्रोथं पावयणं सच्चं अणुत्तरं केवलियं पडिपुण्णं संसुद्ध णेयाउयं सल्लुकत्तणं सिद्धिमम्गं मुत्तिमम्गं निजाणमग्गं निवाणमग्गं अवितहमसंदिद्ध सबदुक्खप्पहीणमम्ग, एत्वं ठिया जीवा सिझंति बुज्झति मुच्चंति परिणिवायति सब्दुक्खाणमंतं करेंति, तमाणाए तहा गच्छामो तहा चिट्ठामो तहा णिसीयामो तहा तुयट्टामो तहा मुंजामो तहा भासामो तहा अब्भुट्टामो तहा ७० सूत्रकृतांग - return मुनि दीपरत्नसागर Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उहाए उद्वेमोत्ति पाणाणं भूयाणं जीवाणं सत्ताणं संजमेणं संजमामोत्ति वएजा?,हंता वएजा, किं ते तहप्पगारा कप्पति पवावित्तए १, इंता कप्पंति, किं ते तहपगारा कप्पति मुंडावितए,ईता कप्पति, किंते तहप्पगारा कप्पति सिक्खावित्तए,हता कप्पति, किं ते तहप्पगारा कप्पंति उवटावित्तए.ईता कप्पति, तेसिचणं तहपगाराणं सच्चपाणेहि जाच सव्वसत्तेहिं दंडे णिक्खित्ते ?, हंता णिक्खित्ते, से णं एयारूवेणं विहारेण विहरमाणा जाव वासाई चउपंचमाई छट्टइसमाई वा अप्पयरो वा भुजयरो वा देसं दूइज्वेत्ता अगार वएज्जा?, इंता वएजा, तस्सणं सापाणेहिं जाव सबसत्तेहिं दंडे णिक्खित्ते?,णोणले समढे,सेजे से जीवे जस्स परेणं सबपाणेहिं जाव सासत्तेहि दंडे णो णिक्सित्ते, से जे से जीवे जस्स आरेणं सापाणेहिं जावस. तेहिं दंडे णिक्खित्ते, सेजे से जीवे जस्स इयाणि सापाणेहिं जाव सत्तेहिं दंडे णो णिक्खित्ते भवइ, परेणं असंजए, आरेणं संजए, इयाणिं असंजए, असंजयस्स णं सत्रपाणेहिं जाव सत्तेहिं दंडे णो णिक्खित्ते भवइ, सेएवमायाणहणियंठा!, से एचमायाणियचं। भगवं चणं उदाहु णियंठा खलु पुच्छियवा-आउसंतो! नियंठा इह खलु परिवाइया वा परिवाइआओवा अन्नयरेहितो तित्थाययणेहिंतो आगम्म धम्मसवणवत्तियं उपसंकमेजा?,इंता उपसंकमेजा, किंतेसिं तहप्पगारेणं धम्मे आइक्सियो ?, हंता आइखियचे, ते चेव उवहावित्तए जाच कप्पंति ?, हंता कपंति.किते तहप्पगारा कप्पंति संभुंजित्तए?.हंता कप्पंति, तेणं एयारूवेणं विहारेणं विहरमाणातं चेव जाव अगारं वएना?.हंता वएजा, ते णं तहप्पगारा कप्पंति संभंजित्तए?, गोदणद्वे समढे, से जे से जीवे जे परेणं नो कप्पति संभुंजित्तए, से जे से जीचे आरेणं कप्पति संभुंजित्तए, से जे से जीवे जे इयाणि णो कप्पति संभुंजित्तए, परेणं अस्समणे आरेणं समणे इयाणिं अस्समणे, अस्समणेणं सद्धिं णो कप्पति समणाणं निम्गंधाणं संभुंजित्तए, से एवमायाणह? णियंठा !, से एवमायाणिय । ७९। भगवं च णं उदाहु संतेगइया समणोवासगा भवंति, तेसिं च णं एवं बुत्तपुष्वं भवइ-णो खलु वयं संचाएमो मुंडा भवित्ता अगाराओ अणगारियं पञ्चइत्तए, वयं ण चाउद्दसट्ठमुहिदपुण्णमासिणीसु पडिपुण्णं पोसह सम्म अणुपालेमाणा विहरिस्सामो, यूला पाणाइवायं पच्चक्लाइस्सामो, एवं थूलग मुसाचार्य थूलगं अदिनादाणं थूलगं मेहुणं थूलगं परिग्गहं पच्चकखाइस्सामो, इच्छापरिमाणं करिस्सामो, दुविहं तिविहेणं, मा खल ममहाए किंचि करेह वा करावेह वा तत्थवि पञ्चक्खाइस्सामो, तेणं अमोचा अपिञ्चा असिणाइत्ता आसंदीपेढियाओ पचोरहित्ता ते तहा कालगया किं वत्तवं सिया-सम्मं कालगतत्ति, वत्त सिया, ते पाणावि बुचंति ते तसावि पुचंति ते महाकाया तेचिरठ्ठिड्या ते बहुतरगा पाणा जेहिं समणोवासगस्स सुपचक्खायं भवइ, ते अप्पयरागा पाणा जेहिं समणोवासगस्स अपचक्खायं भवइ, इति से महयाओ जण्णं तुम्भे वयह तं चेव जाव अयंपि भेदे से णो णेयाउए भवइ। भगवं च णं उदाहु संतेगइया समणोचासगा भवंति, तेसिं च णं एवं वृत्तपुर भवइ, णो खलु वयं संचाएमो मुंडा भवित्ता अगाराओ जाय पाइत्तए, णो खलु वयं संचाएमो चाउद्दसट्ठमुट्ठिपुण्णमासिणीसु जाव अणुपालेमाणा विहरित्तए, वयं णं अपच्छिममारणंतियसंलेहणाजूसणाजूसिया भत्तपाणं पडियाइक्खिया जाव कालं अणवकखमाणा विहरिस्सामो, सर्व पाणाइवायं पञ्चकखाइस्सामो जाव सत्रं परिग्गह पञ्चक्खाइस्सामो तिविहं तिविहेणं, मा खलु ममट्ठाए किंचिवि जाव आसंदीपेढियाओ पचोरहित्ता एते तहा कालगया किं वत्तव्यं सिया-संमं कालगयत्ति?, वत्तवं सिया, ते पाणावि वुचंति जाव अयंपि भेदे से णो णेयाउए भवइ । भगवं च णं उदाहु संतेगडया मणुस्सा भवंति, तंजहा-महइच्छा महारंभा महापरिग्गहा अहम्मिया जाच दुष्पडियाणंदा जाव सबाओ परिग्गहाओ अप्पa डिविरया जाक्नीचाए, जेहिं समणोवासगस्स आयाणसो आमरणताए दंडे णिक्खित्ते, ते ततो आउगं विष्पजहंति, ततो भुजो सगमादाए दुग्गइगामिणो भवंति, ते पाणावि बुचंति ते तसाविबुचंतितेमहाकाया ते चिरहिइया ते बहुयरगा आयाणसो, इति से महयाओणं जष्णं तुम्भे वदह तं चेव अयंपि भेदे से णो णेयाउए भवइ । भगवं च णं उदाहु संतेगइया मणुस्सा भवंति, तंजहा-अणारंभा अपरिगहा घम्मिया धम्माणुया जाव सचाओ परिग्गहाओ पडिविरया जावज्जीवाए, जेहिं समणोवासगस्स आयाणसो आमरणंताए दंडे णिक्खित्ते ते तो आउगं विष्पजहंति ते तओ मुजो सगमादाए सोग्गइगामिणो भवंति, ते पाणावि वुचंति जाव णो णेयाउए भवइ। भगवं च णं उदाहु संतेगइया मणुस्सा भवंति, संजहा अप्पेच्छाअप्पारंभा अप्पपरिग्गहाघम्मिया धम्माणुया जाव एगचाओ परिग्गहाओ अप्पडिविरया, जेहिं समणोवासगस्स आयाणसो आमरणंताए दंडे णिक्खित्ते, ते तजओ आउगं विष्पजहंति, ततो भुजो | सगमादाए सोग्गइगामिणो भवंति, ते पाणावि बुचंति जाव णो णेयाउए भक्इ। भगवं च णं उदाहु संतेगइया मणुस्सा भवंति, तंजहा-आरणिया आवसहिया गामणियंतिया कण्हुईमें रहस्सिया, जेहिं समणोवासगस्स आयाणसो आमरणताए दंडे णिक्खित्ते भवइ, णो बहुसंजया णो बहुपडिविरया पाणभूयजीवसत्तेहि, अप्पणा सच्चामोसाई एवं विप्पडिवेदेति-(एवं विउंजंति प्रा०)अहं णहंतच्यो अब्ने इंतचा जाव कालमासे कालं किचा अभयराई आसुरियाई किश्चिसियाइं जाव उववत्तारोभवंति, तो विप्पमुच्चमाणा भुज्जो एलमूयत्ताए तमोरूवत्ताए पच्चायति, ते पाणावि वच्चंति जावणो णेयाउए भवइ । भगवं च णं उदाहु संतगइया पाणा दीहाउया जेहिं समणोवासगस्स आयाणसो आमरणंताए जाच दंडे णिक्खित्ते भवडते ७१ सूत्रस्तांग - -9 मुनि दीपरनसागर 36842128.42898422048933421204049999.00059.429244050843124820400620402992YadaBATO Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुचामेव कालं करेंति, करित्ता पारलोइयत्ताए पञ्चायंति, ते पाणावि बुच्चंति ते तसावि वुच्चंति ते महाकाया ते चिरहिइया ते दीहाउया ते बहुपरगा जेहिं समणोवासगस्स सुपच्चक्खायं भवर जाव णो याउए भवडा मगचणं उदाह संतेगइया पाणा समाउया, जेहिं समणोवासगस्स आयाणसो आमरणंताए जाव दंडे णिक्सित्ते भवइ, ते सयमेव कालं करेंति करित्ता पारलोइयत्ताए पञ्चायंति, ते पाणावि चुच्चंति ते तसावि बुच्चंतिते महाकाया तेसमाउया ते बहुयरगा जेहिं समणोवासगस्स सुपच्चासायं भवइ जाच णो णेयाउए भवइ । भगवं चणं उदाहु संतेगडया पाणा अप्पाउया, जेहिं समणोचासगस्स आयाणसो आमरणंताए जाच दंडे मिक्खित्ते भवइ,ते पुषामेव कालं करेंति करेना पारलोइयत्ताए पचायंति, ते पाणाषि बुचंति ते तसावि पुचंति ते महाकाया ते अप्पाउया ते बहुयरगा पाणा, जेहिं समणोवासगस्स सुपच्चक्खायं मवइ जाव णो णेयाउए भवइ । भगवंच गं उदाहु संतेगड्या समणोवासमा भवंति, तेसिंचणं एवं वृत्तपुर्व मनाइ-गो खलु पयं संचाएमो मुटे भवित्ता जाय पचहत्तए, णो खलु वयं संचाएमो चाउदसमुशिपुण्णमासिणीसु पडिपुण्ण पोसह अणुपालित्तए, णोखल वयं संचाएमो अपच्छिम जाब विहरितए, वयं चणं सामाइयं देसावगासियं पुरत्या पाईणं वा पडीणं वा दाहिणं वा उदीणं वा एतावता जाव सापाणेहिं जाव सनसत्तेहिं दंडे णिक्खित्ते सबपाणभूयजीवसत्तेहिं खेमकरे अहमंसि, तत्य आरेणं जे तसा पाणा जेहिं समणोवासगस्स आयाणसो आमरणंताए इंडे णिकिसत्ते, तओ आउं विपजहंति विष्पजहित्ता तत्थ आरेणं चेच जे तसा पाणा जेहिं समणोवासगस्स आयाणसो जाच तेसु पञ्चायंति, जेहिं समणोवासगस्स सुपचकवार्य भवइ, ते पाणावि जाव अर्यपि भेदे से०।८० तत्य आरेणं जे तसा पाणा जेहिं समणोबासगस्स आयाणसो आमरणताए दंडे णिक्खित्ते तेसओ आउं विप्पजहंति विप्पजहित्ता तत्य आरेणं चेव जाच थावरा पाणा जेहिं समणोवासगस्स अट्ठाए दंडे अणिक्खित्ते अणठाए दंडे णिपिसते तेसु पञ्चायति, जेहिं समणोचासगस्स अट्ठाए दंडे अणिक्खित्ते अणट्ठाए दंडे णिकिखत्ते ते पाणावि वृच्चंति ते तसा ते चिरदिठाया जाच अयंपि भेदे सेन तत्थ जे आरेणं तसा पाणा जेहिं समणोबासगस्स आयाणसो आमरणंताए० तओ आउं विप्पजहंति विष्पजहित्ता तत्थ परेणं जे तसा थावरा पाणा जेहिं समणोवासगस्स आयाणसो आम. रणंताए० तेसु पच्चायंति, तेहिं समणोवासगस्स सुपचक्खायं भवइ, ते पाणावि जाव अयंपि भेदे से०।तत्य जे आरेणं थावरा पाणा जेहिं समणोवासगस्स अट्ठाए दंटे अणिकिससे अणटूठाए निकिखत्ते तेतओ आउं विप्पजहंति विष्पजहित्ता तत्य आरेणं चेवजे तसा पाणा जेहिं समणोवासगस्स आयाणसी आमरणताए० तेसु पचायति तेसु समणोवासगस्स सुपचकूखायं भवह, ते पाणावि जाव अयंपि भेदे से णो । तत्थ जे ते आरेणं जे थावरा पाणा जेहिं समणोवासगस्स अट्ठाए दंडे अणिक्खिते अणट्ठाए णिक्खित्ते ते तओ आउं विप्पजहंति विपजहित्ता ते तत्य आरेणं चेव जे थायरा पाणा जेहिं समणोवासगस्स अठाए दंडे अणिक्खित्ते अणट्ठाए णिक्खित्ते तेसु पचायंति, तेहिं समणोवासगस्स अट्ठाए. अणटूठाए. ते पाणावि जाव अयंपि भेदे से णो । तत्थ जे ते आरेणं थावरा पाणा जेहिं समणोवासगस्स अट्ठाए दंडे अणिक्खित्ते अणट्ठाए णिक्खित्ते तओ आउं विपजहंति विप्पजहित्ता तत्थ परेणं जे तसथावरा पाणा जेहिं समणोचासगस्स आयाणसो आमरणंताए० तेसु पच्चायति तेहिं समणोवासगस्स सुपच्चक्खायं भवइ, ते पाणावि जाव अयंपि भेदे से णो णेयाउए भवइ । तत्य जे ते परेणं तसथावरा पाणा जेहिं समणोवासगस्स आयाणसो आमरणंताए० ते तओ आउं विप्पजहंति विप्पजहित्ता तत्थ आरेणं जे तसा पाणा जेहिं समणोवासगस्स आयाणसो आमरणंताए. तेसु पञ्चायंति, तेहिं समणोवासगस्स सुपचक्खायं भवइ, ते पाणावि जाव अयंपि भेदे से णो णेयाउए भवइ । तत्थ जे ते परेणं तसथावरा पाणा जेहिं समणोवासगस्स आयाणसो आमरणंताए० ते तओ आउं विप्पजहंति विप्पजहित्ता तत्थ आरेणं जे थावरा पाणा जेहिं समणोवासगस्स अट्ठाए दंडे अणिक्खित्ते अणवाए निक्खित्ते तेसु पच्चायंति, जेहिं समणोवासगस्स अट्ठाए अणिक्खित्ते अणट्ठाए णिक्खित्ते जाव ते पाणावि जाव अयंपि भेदे से होगा सत्य ते परेणं तसथावरा पाणा जेहिं समणोवासगस्स आयाणसो आमरणंताए० ते तओ आउं विप्पजहंति विप्पजहित्ता ते तत्य परेणं चेव जे तसथावरा पाणा जेहिं समणोवासगस्स आयाणसो आमरणंताए• तेसु पञ्चायंति, जेहिं समणोवागस्स सुपच्चक्खायं भवइ, ते पाणावि जाव अयंपि भेदे से णो भगवं च णं उदाहु ण एतं भूयं ण एतं भवं ण एतं मविस्संति जणं तसा पाणा वोच्छिजिहिति थावरा पाणा भविस्संति, थावरा पाणावि वोच्छिजिहिति तसा पाणा भविस्स्संति, अवोच्छिन्नेहिं तसथावरेहिं पाणेहिं जण्णं तुम्मे वा असो वा एवं बदह-णत्यि णं से केइ परियाए जाव णो णेयाउए भवइ । ८१ भगवं च णं उदाहु आउसंतो! उदगा जे खलु समणं वा माहणं या परिभासइ मित्ति मचंति आगमित्ता णाणं आगमित्ता दसणं आगमित्ता चरितं पावाणं कम्माणं अकरणयाए से खलु परलोगपलिमंथत्ताए चिट्ठइ, जे खलु समर्ण वा माहणं वा णो परिभासइ मित्ति मनंति आगमित्ता गाणं आगमित्ता दसणं आगमित्ता चरितं पावाणं कम्माणं अकरणयाए से खलु परलोगविसुद्धीए चिट्ठइ, तए णं से उदए पेढालपुत्ते भगवं गोयमं अणादायमाणे जामेव दिसि पाउम्भूते तामेव दिसि पहारेत्य गमणाए। भगवं च णं उदाहु आउसंतो उदगा! जे खलु तहाभूतस्स समणस्स वा माहणस्स वा अंतिए एगमचि आरियं पम्मियं सुवयणं सोच्चा निसम्म अप्पणो वेव सुहुमाए पडिलेहाए अनुत्तरं जोगखेमपयं लंभिए समाणे सोवि ताव तं आढाइ परिजाणेति वंदति नमंसति सकारेइ (१८) ७२ सूत्रक्तांग- अ -3 मुनि दीपरनसागर Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संमाणेइ कहाणं मंगलं देवयं चेइयं पजुवासनि। तएणं से उदए पेढालपुने भगवं गोयम एवं क्यासी-एतेसि णं भंते! पदाणं पुष्वि अन्नाणयाए असवणयाए अबोहिए अणभिगमेण अदिवाणं असुयाणं अमुयाणं अविनायाणं अवोगडाणं अणिगूढाणं अविच्छिन्नाणं अणिसिट्ठाणं अणिबूढाणं अणुवहारियाणं एयमटुंणो सहहियं णो पनियंणो रोइयं. एतेसिणं भंते ! पदाणं एण्हि जाणयाए सवणयाए बोहिए जाच उवहारणयाए एयमढे सहहामि पत्तियामि रोएमि एवमेव से जहेयं तुम्भे वदह, तए णं भगवं गोयमे उदयं पेढालपुनं एवं वयासी- सहहाहि गं अजो! पनियाहि णं अज्जो ! रोएहि णं अजो ! एवमेयं जहा णं अम्हे वयामो, तए णं से उदए पेढालपुत्ते भगवं गोयम एवंवयासी-इच्छामिणं भंते! तुभ अंतिए चाउज्जामाओधम्माओं पंचमहल इयं सपडिक्कमणं धम्म उवसंपजिनाणं विहरित्तए, तए णं से भगवं गोयमे उदयं पेढालपुत्तं गहाय जेणेच समणे भगवं महावीरे तेणेव उवागच्छइ. उवागच्छइत्ता नए णं से उदए पेढालपुत्ते समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करेइ, तिक्सुत्तो आयाहिणं पयाहिणं करित्ता बंदइ नमसति, वंदित्ना नमंसित्ता एवं वयासी इच्छामि णं भंते ! तुम्भं अंतिए चाउजामाओ धम्माओ पंचमहवइयं सपडिकमणं धम्मं उवसंपजित्ताणं विहरित्तए, तएणं समणे भगवं महावीरे उदयं एवं वयासी-अहासुहं देवाणुप्पियामा पडिधं करेहि. तए ण से उदए पेढाटपुत्ने समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए चाउज्जामाओधम्माओ पंचमहावइयं सपडिक्कमणं धम्म उवसंपजित्ताणं विहरइत्तिवेमिा८रानालंदाध्ययनं 7(23) द्वितीयः श्रुतस्कन्ध // इति