Book Title: acharanga sutra part 05
Author(s): Manekmuni
Publisher: Mohanlal Jain Shwetambar Gyan Bhandar

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Page 326
________________ [ 3०७] मदुस्समाए समाए वीइकंताए दूसमसुसमाए समाए बहु विइकंताए पन्नहत्तरीए वासेहिं मासेहि व अद्धनवमेहिं सेसेहिं जे से गिम्हाणं चउत्थे मासे अट्ठमे पक्खे आसाढसुद्धे तस्स णं आसाढसुद्धस्स छट्ठीपक्खेणं हत्थुत्तराहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं महाविजयसिद्धत्थपुप्फुत्तरवर पुंडरीयदिसासोवत्थिपवद्धमाणाओ महाविमाणाओ वीसं सागरोवमाइं आउयं पालइत्ता आउक्खएणं ठिइक्खएणं भवक्खएणं चुए चइत्ता इह खलु जंबुद्दीवे णं दीवे भारहे वासे दाहिणभरहे दाहिणमाहणकुंडपुरसंनिवेसंमि उसमदत्तस्स माहणस्स कोडालसगोत्तस्स देवाणंदाप माहणीए जालंधरस्त गुत्ताए सीहुब्भवभूएणं अप्पाणेणं कुच्छिसि गम्भं वकंते, समणे भगवं महावीरे तिन्नाणोवगए या वि हुत्था, चइस्सामित्ति जाणइ चुएमित्ति जाणइ चयमाणे न याणेइ, सुहुमे णं से काले पन्नत्ते, तओ णं समणे भगवं महावीरे हियाणुकंपएणं देवेणं जीयमेयंतिकट्ट जे से वासाणं तच्चे मासे पंचमे परखे आसोयबहुले तस्स णं आसोयबहुलस्स तेरसीपक्खेणं हत्थुत्तराहिं नक्खत्तेणं जोगमुवागएणं बासीहिं राइदिएहिं वइकंतेहिं तेसीइमस्स राइंदियस्स परियार वट्टमाणे दाहिणमाहणकुंडपुरसंनिवेसाओ उत्तरखत्तियकुंडपुरसंनिवेसंसि नायाणं खत्तियाणं सिद्धत्थस्स खत्तियस्त कासवगुत्तस्स तिसलाए खत्तियाणीए वासिठ्ठसगुत्ताए असुभाणं पुग्गलाणं अवहारं करित्ता सुभाणे पुग्गलाणं पक्खेवं करित्ता कुच्छिसि गब्भं साहरइ, जेवि य से तिसलाए खत्तियाणीए

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