Book Title: acharanga sutra part 05
Author(s): Manekmuni
Publisher: Mohanlal Jain Shwetambar Gyan Bhandar
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[38] सारसावइज्ज विच्छड्डिता विग्गोविचा विसाणिचा दायारेसु णं दाइचा परिभाइत्ता संवच्छरं दलइत्ता जे से हेमंताणं पढमे मासे पढमे पक्खे मग्गसिरबहुले तस्स णं मग्गसिरबहुलस्स दसमीपक्सेणं हत्थुत्तरा० जोग० अभिनिक्खमणाभिप्पाए यावि हुत्था,-संवच्छरेण होहिइ अभिनिक्खमणं तु जिणवरिंदस्स । तो अत्थसंपयाणं पवत्तई पुव्व पूराओ ॥ १॥ एगा हिरन्नकोडी अट्टेव अणूणगा सयसहस्सा । सूरो. दयमाईयं दिजइ जा पायरासुत्ति ॥२॥ तिन्नेव य कोडिसया अट्ठासीई च हुंति कोडीओ। असिइं च सयसहस्सा एयं संवच्छरे दिन्नं ॥ ३ ॥ वेसमणकुंडधारी देवा लोगंतिया महिडीया। बोहिंति य तित्थयरं पन्नरससु कम्मभूमीसु ॥४॥ बंभंमि य कप्पंमी बोद्धव्वा कण्हराइणो मझे। लोगतिया विमाणा अट्टसु वत्था असंखिजा ॥ ५ ॥ एए देवनिकाया भगवं बोहिंति जिणवरं वीरं। सव्वजगजीवहियं अरिहं ! तित्थं पवत्तेहि ॥६॥ तओ णं समणस्स भ० म० अभिनिक्खमणाभिप्पायं जाणित्ता भवणवइवा० जो विमाणवासिणो देवा य देवीओ य सएहिं २ रूवेहि सएहिं २ नेवत्थेहिं सए० २ चिंधेहिं सविडीए सव्वजुईए सव्वबलसमुदएणं सयाई २ जाणविमाणाई दुरूहंति सया० दुरूहित्ता अहाबायराई पुग्गलाई परिसाडंति २ अहासुहमाई पुग्गलाई परियाईति २ उर्द्ध उप्पयंति उडु उप्पइत्ता ताए उकिट्ठाए सिग्घाए चवलाए तुरियाए दिव्वाए देवगईए अहे णं ओवयमाणा २ तिरिएणं असंखिजाइंदीवसमुद्दाई वीइक्कममाणा

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