Book Title: acharanga sutra part 05
Author(s): Manekmuni
Publisher: Mohanlal Jain Shwetambar Gyan Bhandar
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निग्गंथे नो अणणुन्नविअ पाणभोयणभोई, केवली बूयाअणणुन्नविय पाणभोयणभोई से निग्गंथे अदिनं भुंजिज्जा, तम्हा अणुन्नविय पाणभोयणभोइ से निग्गंथे नो अणणुन्नविय पाणभोयण भोईत्ति दुच्चा भावणा २ । अहावरा तच्चा भावणा-निग्गंथेणं उग्गहंसि उग्गहियंसि एतावताव उग्गहसीलए सिया, केवली बूया-निग्गंथेणं उग्गहंसि अणुग्गहियंसि एतावता अणुग्गहणसीले अदिन्नं ओगिरिजा, निग्गंथेणं उग्गहं उग्गहियंसि एतावताव उग्गहणसिीलएत्ति तच्चा भावणा । अहावरा चउत्था भावणा-निग्गंथेणं उग्गहंसि उग्गहियंसि अभिक्खणं २ उग्गहणसीलए सिया, केवली बूयानिग्गंथेणं उग्गहंसि उ अभिक्खणं २ अणुग्गहणसीले अदिन्न गिण्डिजा, निग्गंथे उग्गहंसि उग्गहियंसि अभिक्खणं २ उग्गहणसीलएत्ति चउत्था भावणा । अहावरा पंचमा भावणा-अणुवीर मिउग्गहजाई से निग्गंथे साहम्मिएसु, नो अणणुवीई मिउग्गहजाई, केवली वूया - अणणुवीइ मिउग्गहजाई से निग्गंथे साहम्मिएसु अदिनं उगिहिजा अणुवीइमिउग्गहजाई से निग्गंथे साहुम्मिएस नो अणणुवीइ मिउग्गहजाती इइ पंचमा भावणा, एतावया तच्चे महव्वए सम्मं० जाव आणाए आराहए यावि भवइ, तच्चं भंते ! महव्वयं ! अहावरं चउत्थं महत्वयं पञ्चक्खामि सव्वं मेहुणं, से दिव्यं वा माणुस्सं वा तिरिक्खजोणियं वा नेव सयं मेहुणं गच्छेजा तं चैवं अदिन्नादाणवत्तव्वया भाणियव्वा जाव वोसिरामि, तस्सिमाओ पंच भावणाओ भवति, तत्थिमा पढमा भा-
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