Book Title: acharanga sutra part 05
Author(s): Manekmuni
Publisher: Mohanlal Jain Shwetambar Gyan Bhandar

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Page 353
________________ [ ३३४ ] बणा-नो निग्गंथे अभिक्खणं २ इत्थीणं कहं कहित्तए सिया, केवली बूया - निग्गंथे णं अभिक्खणं २ इत्थीणं कहं कहेमाणे संतिभेया संतिविभंगा संतिकेवलीपन्नत्ताओ धम्माओ भं. सिज्जा, नो निग्गंथे णं अभिक्खणं २ इत्थीणं कहं कहित्तए सियति पढमा भावणा १ । अहावरा दुश्वा भावणा - नो निग्गंथे इत्थीणं मणोहराई २ इंदियाई आलोइत्तए निज्झाइतप सिया, केवली बूया-निग्गंथे णं इत्थीणं मणोहराई २ इंदियाई आलोएमाणे निज्झाएमाणे संति भेया संति विभंगा जाव धम्माओ भंसिजा नो निग्गंथे इत्थीणं मणोहराई २ इंदियाई आलोइत्तए निज्झाइत्तए सियत्ति दुच्चा भावणा २ । अहावरा तच्चा भावणा - नो निग्गंथे इत्थीणं पुव्वरयाई goanीलियाई सुमरित्तए सिया, केवली वूया - निग्गंथे णं इत्थीणं पुव्वरयाई. पुव्वकीलियाई सरमाणे संतिभेया जाव भंसिज्जा, नो निग्गंथे इत्थीणं पुव्वरयाई पुग्वकीलियाई सरितए सियत्ति तच्चा भावणा ३ । अहावरा चउत्था भावणानाइमत्तपाणभोयणभोई से निग्गंथे न पणीयरसभोयणभोई से निग्थे, केवली वूया - अइमत्तपाणभोयणभोई से निग्गंथे पणियरसभोयणभोई संतिभेया जाव भंसिज्जा, नाइमत्तपाणभोयणभोई से निग्गंथे नो पणीयरसभोयणभोइत्ति चउत्था भावणा ४ । अहावरा पंचमा भावणा-नो निग्गंथे इत्थीपसुपंडग सत्ताई सयणासणाई सेवित्तए सिया, केवली वूया - निग्गंथे णं इत्थीपसुपंडगसंसत्ताई सयणासणाई सेवेमाणे संतिभेया जाव भंसिजा, नो निग्गंथे इत्थीपसुपंडगसंसत्ताई

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