Book Title: Yogiraj Anandghanji evam Unka Kavya
Author(s): Nainmal V Surana
Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti

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Page 402
________________ श्री आनन्दघन पदावली - ३७५ मृगलंछन संतिक संति करी जगधणी, निरलंछन पदवी भरणी, भवियण मरण कुथनाथ तीरथपति चक्रधर पद निरमल वचन सुधा राखे निज संतित श्री अरनाथ सुहामणो, अरे वंछित फल दाता भरणो, जे वचन मुनिसुव्रत सुव्रत तरंगी, मरिण खान वंछित पूरण सुरमणि, रमरिण गुण मल्ली वल्ली कामता वर सूर तस कहीइजी । चरण कमल सिर नायिना, अगणित फल लाहिइजी ।। १६ ।। नमि चरण चित्त राखिये, चेतन परमारथ सुख चाखिये, मानव भव नेमनाथ ने एकमना, साइक नवि तिण कारण सूर धामणी, जरण सगुण सिद्धार सुत सेवियइ, च्याल जंजाल न खेवीइ, सोहेजी । मोहइजी ।। १६ ॥ पारस महारस दीजिये, जन जाचन अभयदान फल लीजिये, प्रसरण पद सुहावइजी । गावइजी ।। २० ।। सिद्धारथ परमारथ CO धारजी । पासजी ।। १७ ।। चतुराइजी । | एय चौबीस तीर्थंकरू निज जिन मत मारण संचरू', 'श्रानन्दघन' मुन गुण साधेजी । राधेजी ॥ १८ ॥ पाइजी ।। २१ ।। लागिजी । मागिजी ।। २२ ।। आवेजी । पावेजी ।। २३ ।। होइजी । जोइजी ॥ २४ ॥ गावुजी । पाउजी ।। २५ ।।

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