Book Title: Yogiraj Anandghanji evam Unka Kavya
Author(s): Nainmal V Surana
Publisher: Sushil Sahitya Prakashan Samiti

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Page 441
________________ 'समता से उत्तम सुख की प्राप्ति होती है। इससे अनेक भवों में संचित कर्मों का क्षय होता है। समता ही आत्मा का शुद्ध धर्म है। अतः प्रतिपल . अन्तर में समता का परिणाम रखना चाहिये।' ऐसे समता के उपदेशक श्रीमद् आनन्दघनजी महाराज को कोटिशः वन्दन । 8 मेहता सुगनमल चन्द्रप्रकाश 0 (जैतारण निवासी) 73, अरिहंत सोसायटी, अहमदाबाद (गुजरात) 'श्रीमद् आनन्दघनजी ने बताया है कि यह संसार सद्गुणों की शाला है। यहाँ अनेक गुण ग्रहण करने योग्य हैं। यहाँ गुण ग्रहण करने के साथ अपने दोषों का परित्याग किया जा सकता है।' ऐसे ज्ञान के धनी योगिराज को कोटि-कोटि वन्दन । . फोन : 67577/2004201 8 मैसर्स चेतन ट्रेडिंग कम्पनी ४ " मैसर्स के. के. एजेन्सी एच. एम. सिंघवी, चार्टर्ड एकाउण्टेण्ट रूम नं. 10, पहला माला, 336 बी, कालबादेवी रोड, मुम्बई-400002 शुद्ध चेतना अपनी सखी श्रद्धा से कहती है कि श्री ऋषमं जिनेश्वर मेरे प्रियतम हैं। मैं अब किसी अन्य को अपना स्वामी बनाना नहीं चाहती। मेरे नाथ मुझ पर रीझ गये हैं। वे अब मेरा साथ कदापि नहीं छोड़ेंगे। मेरा तथा उनका साथ अनन्तकालीन है। ऐसे भावों के सागर श्रीमद् आनन्दघनजी को शत-शत् वन्दन । ४ कोठारी शान्तिलाल किशनलाल होलसेल पुस्तक-विक्रेता एवं न्यूज पेपर एजेन्ट बस स्टेण्ड के सामने, मेड़ता शहर (राजस्थान)

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