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[ ५ ] हैं । संयोगता के स्वयंवर रचने और संयोगता को पृथ्वीराज के भगा ले जाने तथा इस जलन से जयचंद के शहाबुद्दीन को बुलाने और मदद देकर पृथ्वीराज के सर्वनाश करा देने की कथायें भी जो रासे में लिखी हैं सब चौहानों के पक्षपात से उनके भाटों की गढ़ी हुई हैं। उसी रासे में पृथ्वीराज को जयचंद की मौसी का बेटा लिखा है । जो यह सच है तो पृथ्वीराज जयचंद का भाई था। फिर कैसे अपने भाई की क्वारी बेटी,जो बहन लगती थी,भगा ले जाता। क्या हिंदू राजा ऐसे ही अधर्मी थे ? दूसरे शहाबुद्दीन से जयचंद के मिल जाने का पता कुछ भी फ़ारसी तवारीख से नहीं लगता और विचार करने से भी यह बात सिद्ध नहीं होती है; क्योंकि जो ऐसा हुआ होता तो शहाबुद्दीन जयचंद का कभी इतनी जल्दी सर्वनाश नहीं कर देता । तीसरी बात शहाबुद्दीन को पृथ्वीराज के तीर मारकर मारने की भी गलत है। शहाबुद्दीन को तो सन् ६०२ ( संवत् १२६२ ) में गक्कड़ों ने सिंध नदी पर मारा था।
शहाबुद्दीन से लेकर आज के ५० वर्ष पहले तक दिल्ली में जितने बादशाह हुए हैं उनके नाम नीचे लिखे जाते हैं।
सन् संवत् १ शहाबुद्दीन ... ... ... ५८९ १२५० २ कुतुबुद्दीन शहाबुद्दीन का गुलाम ... ६०२ १२६२
३ आराम शाह कुतुबुद्दीन का बेटा ... ६०६ १२६५ - ४ शमसुद्दीन एलतमश कुतुबुद्दीन का गुलाम... ६०७ १२६८
५ रुकनुद्दीन फ़ीरोज़शाह शमसुद्दीन का बेटा ... ६३३ १२९२ ६ रजिया सुलतान शमसुद्दीन की बेटी ... ६३४ १२९३
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