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[ २८ ]
( सं०१३६१ ) में अलाउद्दीन खिलजी की फ़ौज ने हमला करके वहाँ के राजा गोगादेव को हराया और उज्जैन मंडू धारानगरी तथा चंदेरी में कबज़ा कर लिया उस दिन से मालवा १०० वर्ष तक दिल्ली के नीचे रहा । फिर वहाँ की बादशाही अलग हो गई ।
दिलावर खां गोरी सुलतान फ़ीरोज़ तुग़लक़ के बड़े अमीरों में से था । उसको सुलतान महमूद तुग़लक़ के राज में मालवे की हक़मत मिली थी । सन् ८०४ (सं० १४५८) के पीछे जब कि महमूद तुगलक की बादशाही बिगड़ी दिलावरखाँ ख़ुद मुखतार होकर बादशाह बन गया । उसकी औलाद में ११ बादशाह सन् ९७० (सं० २६१९) तक हुए। इनकी राजधानी पहिले तो धार में थी फिर मांडो के किले में रही ।
१ दिलावर ख़ाँगोरी
२ होशंग दिलावरखां का बेटा ३ मोहम्मद शाह होशंग का बेटा ४ महमूद खिलजी होगंग का भानजा ५ गयासुद्दीन खिलजी महमूद का बेटा ६ नासिरुद्दीन खिलजी गयासुद्दीन का बेटा ७ महमूद खिलजी नासिरुद्दीन का बेटा
८ गुजरात का सुलतान बहादुर शाह ९ सुलतान क़ादिर खिलजियों का गुलाम १० शुजाखां शेरशाह सूर का नौकर ११ बाज़ बहादुर शुजा खां का बेटा
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८०४ १४५८
८०८ ૬૬
८३८ १४९१
८३९ १४९२
९६२ १६१९
बाज़बहादुर से सन् ९७० (सं० १६१९) में अकबर बादशाह
की फ़ौज ने मालवे का मुल्क छीन लिया ।
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८७३
१५३०
९०५ १५५६
९१६ १५६७
९३७ १५८७
९४२
१५९२