Book Title: Yavanraj Vanshavali
Author(s): Deviprasad Kayastha
Publisher: Indian Press Prayag

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Page 21
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir [ १२ ] १४ महमूदशाह ब्राह्मणी मोहम्मदशाह का बेटा ८८७ १५३९ १५ अहमदशाह ब्राह्मणी महमूदशाह का बेटा ९२४ १५७५ १६ अलाउद्दीन ब्राह्मणी अहमदशाह का बेटा ९२७ १५७८ १७ वलीउल्लाह ब्राह्मणी महमूदशाह का बेटा ... ९२९ १५७१ २८ कलीमुल्लाह ब्राह्मणी वलीउल्लाह का भाई ... ... यह ९३५ (सं० १५८५) में मरगया । नाम का बादशाह था क्योंकि कुलवरगे का राज्य भी २।३ पीढ़ियों से ५ बड़े बड़े सरदारों ने बांट कर अहमदनगर, बीजापुर, बिदुर, बराड़, और गोलकुंडे में अपने अपने राजसिंहासन अलग अलग जमा लिए थे । बीजापुर के बादशाह बीजापुर के बादशाहों का मूलपुरुष यूसुफ़ आदिलशाह निजाम शाह बहमनी का मेल लिया हुआ एक तुरकी गुलाम था, जिसको पीछे से रूम के सुलतान मोहम्मद का भाई बताया गया है। और यह कहा गया है कि रूम में यह दस्तूर था कि बड़ा भाई तख़त पर बैठ कर छोटे भाइयों को मार डालता था। जब सुलतान मोहम्मद सन् ८५४ में अपने बाप सुलतान मुराद के पोछे तख्त पर बैठा तब उसने यूसुफ़ के मारने का हुक्म दिया । परन्तु उसकी मां ने उसे एक सौदागर की गुलामी में देदिया। वह सौदागर उसे दक्खिन में लाकर निज़ाम शाहबहमनी को बेंच गया। जो, मोहम्मदशाह के राज में बढ़ते बढ़ते बोजापुर का तर्फदार (सूबेदार होगया और उसकी बेटी अहमदशाह को ब्याही गई । उन दिनां ब्राह्मणी बादशाहों की बादशाही डगमगा रही थी For Private and Personal Use Only

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