Book Title: Vipak Sutra
Author(s): Tribhagvan Vijay
Publisher: Calcutta Vishvavidyalaya
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir
器器器器需點點樂器器業需器需諾
जहागोयमसामौतहाध्यत्ति यथागौतमो भगवत्यांवर्णितस्तथा यमिहवर्णनीयः कियटूरंयावदित्याह जावमाणकोहोत्तिज्माणको ट्ठोवगतेइत्य तत्पदं यावदित्यर्थःसचायवर्णकः समचउर ससंठाणसंठिएवज्जरिमहनारायसंघयणेत्ति विशेषणवयमपीदमागमसिद्ध कणगपुलगनिघसपम्हगोरे कनकस्यसुवर्णस्य यापुलकोलवस्तस्य योनिकष:कषपट्टे रेखालक्षण: तथापम्हत्तिपद्मगर्भस्तहहौरोयसतथा उग्गतवे उग्रमप्रष्यन्तपोयस्य सतथा दित्ततवेदीप्त हुताशनवकर्मवनदाहकत्वेन ज्वलत्तेजक तपोयस्यसतत्ततवेतप्त तपोयेनस तथाएवंहितेन तत्तस्तप्त येनकर्माणि सन्ताप्यन्त तेनतपसाखात्मापि तपोरूप: सन्तापितो यतोऽन्यस्या संस्प, श्यमिवजातमितिमहा
रइपरिसानिग्गयाधम्म सोच्चानिसम्मजामेवदिसिं पाउभ्भयातामेवदिसिंपड़िगया तेणंकालेणंतणं
समएणंअज्जसुहम्मस्स अंतवासोअज्जजंबणामंत्रणगारे सत्तस्महेजहागोयमसामी तहाजावउभा लेईनेतपसंयमेकरीपोतानाआत्माभावताथकाविचरे राजादिकनौपरेबांदिवानीकली धर्मसांभल्योहृदयधारीने जेदिसयकीयाव्याथ कातेदिसिनेविषेपाछागया तेकालनेविषेतेसमानेविषे आर्यसुधर्मस्वामीनो ते शिष्यआर्यजंबनामणगारसातहाथनोऊचपणो
器器蒸米器器器業器需装器業業業器器器器器
भाषा
For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 ... 287