Book Title: Vipak Sutra
Author(s): Tribhagvan Vijay
Publisher: Calcutta Vishvavidyalaya
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तथातेनअणिज्नमाणमग्गेत्ति अन्वीयमानमार्गोऽनुगम्यमानमार्गः मलाविलंवस्तुप्रायो मक्षिकाभिरनुगम्यतएवेति कालुणवडिया
एतिकारुणहत्त्वाविति कप माणेत्ति जीविकांकुर्वाण: जावसमोसरिएत्ति रच्यावत्करणात् पुयाणुपुविचरमाणेगागाणुगामंदुर * * जमाणे इत्यादि वर्षकोहश्च: महाजणसह चेति सूत्रत्वान्महाजनशब्दचहयावत्कारचात् जणबहंचजणबोलंचेत्यादिश्च तत्र *
गामेणयरेगिहेगिहेकालवडियाएवित्तिकप्पमाणेविहर तेणंकालेणं तेणंसमएणंसमणेभगवंमह बौरेजावसमोसरिएपरिसामिग्गया तएणंसेविजएखत्तिए इमोसेकहाएलसमाणे नहाकूणिएत
हानिग्गएनावपज्जवासद् तएशंसबंधेपुरिसेतंमहाजणसहचजावणेत्तातंपुरिसंएवंव०किन्नदेवा करतोथकोविचरेछ तेकालतेसमानेविषे श्रमणाभगवंतमहावीर यावत्समोसया परिषदावांदिवानीकली तिवारपछीते विजयक्षत्री नेएहवीकथावानाअर्थलाधेयकेसांभल्येयकेनिमकोणिकांदिवानौसयातिमविजयराजावांदिवानीसस्योयावत्सेवाभक्तिकरिवाला गोतिवारपछौतेजातपंधपुरुषे तेमोटालोकनाशब्दएहवीतेकथासांभख्यासभिलौनेतेदेखपापुरुषप्रतेइमकहियोकिमोहेदेवाणुप्रियामा
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