Book Title: Vimal Mantri no Ras
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek

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Page 9
________________ (०) रहे रखवाल, त्रीस सहस सुर जाकऊमाल; सोल सहस कमल कुंमली, आगल त्रण वलय बे वली ॥ १७ ॥ पहेले वलये लाख बत्रीस, बीजे वलये लाख चालिस; त्रीजे कमल लाख अडताल, रहे सुर सेवक मंदिर माल ॥ २० ॥ ए आगमनुं एवं मतुं, ए बोल्युं बे सवि शास्त्रतुं; कहुं कमल सवि थयां जेटलां, सावधाने सुणज्यो तेलां ॥ २१ ॥ एक कोड वीस लाख वखाण, उपर सहस पंचास प्रमाण; एकसो वीस अधिक वली जोय, लाबि कमल सवि संख्या होय ॥ २२ ॥ इणी परे लखमी देवी तणी, कवि कहे वर ऋद्धिबे घणी; एक वार कृतयुग अवतार, संपर्त्त सुर लोक मजार ॥ २३ ॥ इंद्रे तव अर्धासन दीध, मात मया श्रम उपर कीध; कल्पवृक्ष कुसमांची माल, लखमी कंठ ग्वी सुरसाल ॥ २४ ॥ आत्युं बीरुं जे कर तणुं, इंद्राणी गुण गाये घणुं; अति सनमानी पाठी वले, पमी मालदीवी तरू तले ॥ २५ ॥ विमल Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org

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