Book Title: Vimal Mantri no Ras Author(s): Shravak Bhimsinh Manek Publisher: Shravak Bhimsinh Manek View full book textPage 4
________________ (२) बोल, ते प्रमाण नवि चडे नटोल ॥ १॥ नवे खंग जोज्यो निर्मला, विमल कीर्तिगुण गंगाजला; नोनग लहिर वीर विख्यात, गायसुं विमल मंत्रिनी वात ॥२॥ ब्रह्मानी बेटी सरस्वती, गौर वर्ण चाले मलपती; कमल कमंगल विणा हाथ, पुस्तक परठिऊं दक्षिण हाथ ॥३॥ उर मोटो मुगताफल हार, पाए नेउर रणजणकार; काने कुंमल वेणीदंम, लीला मोडं जेणे ब्रह्मम ॥ ४ ॥ रतने जडी कमी राखडी, लोचन जिशां कमल पांखमी; निर्मल नाशा तिलफूल, दंत तणुं कुण करसे मूल ॥ ५॥ राता अधर ते विछ मरोल, जाणे जीह ते अमीनो घोल; चंदलमें जीतलुं मयंक, कटि कोणो लाखीणो लंक ॥ ६॥ जन्नत पीन पयोधर कुंन, सदली साथल कदली थंन; फाली चोली सवि सिणगार, जाणे वीज तणो ऊबकार ॥ ७॥ वाहन हंस विश्व विख्यात, ते सरसति त्रिजुवननी मात, विण सरसति नवि कहीये जाण, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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