Book Title: Vimal Mantri no Ras Author(s): Shravak Bhimsinh Manek Publisher: Shravak Bhimsinh Manek View full book textPage 3
________________ ॥ श्री जिनेडाय नमः॥ ॥ अथ ॥ ॥ विमल मंत्रिनो रास प्रारच्यते ॥ ॥ तत्र ॥ ॥ खंग पहेलो॥ ॥ मंगलाचरण ॥ आदि जिनवर आदि जिनवर प्रथम प्रणमेस, अंबाई धुरि अर्बुदा सकल देवि श्रीमात ध्याऊ; पुमावई चक्केसरी वाग वाणि गुण रंगे गाऊं ॥ सहगुक आणा सिर धरी आलस अ. खगो करेस, कहे कविश्रण हुं विमल मतें विमल प्रबंध रचेस ॥१॥ ॥ ढाल १॥ चोपाई। सरसति वरसति वाणी सार, कहे कविश्रण मुज तसु थाधार; सरसति विण जे बोट्या Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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