Book Title: Vasudevhindi Part 1 Author(s): Sanghdas Gani, Chaturvijay, Punyavijay Publisher: Atmanand Jain Sabha View full book textPage 9
________________ क विषयः धम्मिल्लहिंडी पेढिया मुहं पडिमुहं सरीरं १ सामाविजयालंभो पत्रम् १६ २४ २६ २७ ३९ १५६ १६० १८२ Jain Education International पंक्ति २३-२४ २९ १० २६ २१-२२ 20 30 19 १६ १९ ३२ प्रथमांशस्यानुक्रमः । पत्रम् PERKS १ २७ ७७ १०५ ११० ११४ ११४ विषयः २ सामलीलंभो ३ गंधवदत्तालभो ४ नीलजसालभो ५ सोमसिरिलंभो ६ मित्तसिरी- धणसिरीलंभो ७ कविलालभो प्रथमांशस्य शुद्धिपत्रम् अशुद्धम् [ सोऊण ] अजुत्ता 'भविस्सं "धम्मिल्ल" इति चिंतियं - एयं प सत्यं... को नीलजलसा' गारु पूर्वमग्रे For Private & Personal Use Only शुद्धम् ० उ जुत्ता 'भविस्संति "धम्मिल" इति चितियं एयं. एस थक्को नीलजसा गा एवम पत्रम् १२२ १२६ १५६ १८१ १९५ १९८ www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 ... 210