Book Title: Vastupal Tejpal no Ras Author(s): Shravak Bhimsinh Manek Publisher: Shravak Bhimsinh Manek View full book textPage 2
________________ ॥ अथ ॥ ॥ पंमितश्रीमेरुविजयविरचित ॥ वस्तुपालतेजपालनोरासप्रारंजः ॥ उहा ॥ राग रामगिरि ॥ ॥ सकल जिनेश्वर पय नमी, समरी सरस्वती माय ॥ पंच तीर्थी जिनवर नमुं, मनवंबित सुख थाय ॥१॥ आदे आदि जिनवर नमुं, युगल्या धर्म निवार ॥ मरुदेवीए जनमी, प्रथम जिन अवतार ॥२॥ शांति जिनेश्वर सुखकरु, पंचमो चक्री राय ॥ नामे नव निधि पामीए, पूज्ये पातक जाय ॥३॥ ब्रह्मचारी चूमामणि, बावीशमो जिन नेम ॥ राणी राजुल परिहरी, पोहता शिवपुरी खेम ॥४॥पुरिसादाणी पास जिन, पूरे वंबित आश॥प्रह उठीप्रजु नित नमुं, आपे शिवपुरवास ॥५॥ शासनपति जिनवर नमुं, चोवीशमा प्रजु वीर ॥ चौदह सहस्त्र मुनिवर जसु, गौतम वडो वजीर॥ ६॥ ए पंच तीर्थी नित्य नमुं, पंचम गति दातार ॥ जिन चौवीशे वली नमुं, पामुं नवनो पार ॥ ७ ॥ सित्तरसो जिन Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
1 2 3 4 5 6 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 ... 110