Book Title: Varttaman Chaturvinshati Jina Pooja
Author(s): Bakhtavarsinh
Publisher: Bakhtavarsinh

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Page 5
________________ पोवी - अथ चतुर्विशति समुच्चय पूजा लिखते । पूजन संग्रह अडिल-चौवीसों जिनराज नमं सिर नायके, मघवा बंदित जाय शीस भू लाय के। ... हम पूर्जे मन लाय जान हित आपना, कृपासिंध इत तिष्ठ करूं मैं थापना ।। ॐ ह्रीं श्रीवृषभादि महाबीर पयंत चतुर्विंशति जिनेंद्रा अत्रावतरतावतरत संबौषट् आह्वाननं । . ॐ हीं श्रीवृषभादि महावीर पर्यंत चतुर्विंशति जिनेंद्रा अत्र तिष्ठत तिष्ठत ठः ठः स्थापनम् । ॐहीश्रीबृपभादिमहाबीरपर्यंतचतुर्विंशतिजिनेंद्राअत्रममसन्निहिताभवतभवतवषट् सन्नि धीकरणम्॥ ___अथ अष्टक-(छन्द त्रिभंगी) जल-मुनि मन सम नीरं धन रस सीरं अमल गहीरं ले आया, भरि कंचन झारी तुम ढिग घरी तृषा निवारी में ध्याया। चौबीस जिनंदा आनंदकंदा हरि नित बंदा सुखकारी, भवि जन नित ध्यावें मंगल गावें तुर बजावें भव हारी ॥ ॐ ह्रीं श्रीवृषभादि महावीरपर्यन्त चतुर्विंशति जिनेन्द्रेभ्यो गर्भजन्मतपज्ञाननिर्वाणपंचकल्याणप्राप्तेभ्योजन्ममृत्युजरारोगविनाशनायजलंनिर्वपामीतिस्वाहा चन्दन-गोसीर घसाया केसर लाया षट् पद आया कर सोरी, भर रतन कटोरी चरनन बोरी हरो वेदना तुम मोरी। चौवीस जिनंदा आनंदकंदा हरि नित बंदा सुखकारी, भविजन नित ध्यावें मंगल गावें तूर बजावें भव हारी॥ॐह्रीं श्रीवृषभादि महवीर पर्यंत चतुर्विशति जिनेंद्रेभ्यो गर्भ जन्म तप ज्ञान निर्वाण पंचकल्याण प्राप्तेभ्योसंसारातापविनाशनाय चंदनं निर्वामीतिस्वाहा॥२॥ ...

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