________________
जाय तप के हेत वन को, भोग तज संजम धरै। तज ग्रन्थ सब निर्ग्रन्थ हों, संसार सागर से तरै।।
हम तप के लिए वन को जा रहे हैं जहाँ भोगों को तज संयम धारण कर इस प्रकार निर्ग्रन्थ होकर संसार समुद्र से तिर जाएंगे-यह बात हमारे मन में बस गई है। ये ही हमारे मन बसी..............