Book Title: Vajradant Chakravarti Barahmasa
Author(s): Nainsukh Yati, Kundalata Jain, Abha Jain
Publisher: Kundalata and Abha Jain

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Page 84
________________ कानों में बीछू बिल करें, और व्याल तन लिपटावहीं।। दे कष्ट प्रेत पिशाच आन, अंगार पाथर डार के। कुल आपने की रीति चालो, राजनीति विचार के।। हे पुत्रों ! विकराल वनों में साधुओं के कानों में बिच्छू बिल बना लेते हैं और सांप शरीर पर लिपट जाते हैं तथा प्रेत और पिशाच आकर अंगारे और पत्थर बरसाके कष्ट देते हैं इसलिए तुम राजनीति के अनुसार राज्य करके अपने कुल की रीति का अनुसरण करो।

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