Book Title: Vajradant Chakravarti Barahmasa
Author(s): Nainsukh Yati, Kundalata Jain, Abha Jain
Publisher: Kundalata and Abha Jain

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Page 110
________________ सभी जीवों ने मोक्ष के लिए अत्यंत एकाग्रता से ध्यान किया । CHH कर लौंच तज के सोच, सबने ध्यान में दृढ़ता धरी...... यहाँ पर ग्यारहवां वैशाख मास समाप्त होता है। और आगे अंतिम बारहवें ज्येष्ठ मास में तो कविवर ने सब जीवों की योग व ध्यान के द्वारा परमार्थ की सिद्धि का वर्णन किया है। १०६)

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