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सभी जीवों ने मोक्ष के लिए अत्यंत एकाग्रता से ध्यान किया ।
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कर लौंच तज के सोच, सबने ध्यान में दृढ़ता धरी......
यहाँ पर ग्यारहवां वैशाख मास समाप्त होता है।
और आगे अंतिम बारहवें ज्येष्ठ मास में तो कविवर ने सब जीवों की योग व ध्यान के द्वारा परमार्थ की सिद्धि का वर्णन किया है।
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