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और फाल्गुन में शीतल वायु के चलने पर धारण किये हुए महाव्रतों को मूर्ख जीव छोड़कर परिग्रह को धारण कर लेते हैं और चारों दिशाओं में अग्नि जलाकर शीतकाल बिताते हैं मानो हाथ फैलाकर दुर्गति ही ग्रहण करते हैं। वे भूत और पिशाच हो जाते हैं इसलिए तुम राजनीति के अनुसार राज्य करके अपने कुल की रीति का अनुसरण करो।
लंगोटी परिग्रह का धारण
देव दुर्गति पिशाचयोनि
देव दुर्गति भूतयोनि
दुर्गति को हाथ पसारकर
ग्रहण करना ।
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धार परिग्रह व्रत विसारें, अग्नि चहुँदिशि जारहीं । करें मूढ़ शीत वितीत, दुर्गति गहें हाथ पसारहीं । सो होंय प्रेत पिशाच भूत रु. ऊत शुभ गति टारके । कुल आपने की रीति चालो, राजनीति विचार के