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सावन के दूसरे मास में पिता ने कहा'जो नहीं पले साधु आचार, तो मुनि भेष लजावे सार।
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पुत्रों ने कहा कि हम मुनि वेष को कभी भी लजाएंगे नहीं र वरन् नग्न तन ऐसे वन खण्डों में जहाँ मेघों का मूसलाधार - जल पड़ेगा वहाँ स्थिरता से रहेंगे ।